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सड़क पर पड़ी वह खूबसूरत महिला दर्द से बुरी तरह छटपटाते हुए बिलखबिलख कर चीख रही थी. उस के शरीर से गंधनुमा धुआं सा निकल रहा था. तड़पते हुए वह खुद को अस्पताल ले जाने की गुहार लगा रही थी. उस की सफेद रंग की स्कूटी वहीं बराबर में खड़ी थी. उस के चेहरे पर असीम दर्द था. मौके पर लोगों की भीड़ तो एकत्र थी लेकिन बदले जमाने की फितरत के हिसाब से कोई भी उस की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था.

लोग तमाशबीन बने खड़े थे. तभी एक महिला भीड़ को चीरते हुए आगे आई और लोगों को देख कर बोली, ‘‘अरे, एसिड अटैक हुआ है इस बेचारी पर. शर्म आनी चाहिए तुम सब को, एक औरत तड़प रही है और तुम सब तमाशा देख रहे हो. तुम्हारी बहनबेटी होती तब भी ऐसे ही तमाशा देखते क्या?’’

‘‘हम तो यहां अभी पहुंचे हैं, पुलिस को फोन भी कर दिया है. शायद आने वाली ही होगी.’’ भीड़ में से एक व्यक्ति ने कहा तो महिला बोली, ‘‘किसी की मदद के लिए पुलिस का इंतजार करना जरूरी है क्या? मैं अस्पताल ले जाती हूं इसे.’’ कहते हुए महिला आगे बढ़ी तो अन्य लोग भी साथ देने को तैयार हो गए. इत्तफाक से तभी पुलिस वहां आ पहुंची.

दरअसल, महिला पर एसिड अटैक की यह सनसनीखेज वारदात देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद शहर के थाना कविनगर क्षेत्र स्थित संजयनगर के सैक्टर-23 के पी ब्लौक चौराहे पर हुई थी. प्रत्यक्षदर्शियों ने जो कुछ पुलिस को बताया, उस के मुताबिक करीब साढ़े 5 बजे वह महिला स्कूटी से जा रही थी. तभी बाइक पर सवार 2 लोग आए. उन्होंने उसे रोका और पलक झपकते ही साथ लाए डिब्बे से तेजाब उस के ऊपर उड़ेल दिया. जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक हमलावर वहां से भाग निकले.

यह घटना 21 अगस्त, 2018 की थी. इस घटना की सूचना मिलने पर पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया, जिस के बाद थानाप्रभारी प्रदीप कुमार त्रिपाठी व सीओ आतिश कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. आननफानन में महिला को अस्पताल ले जाया गया. डाक्टरों ने तुरंत उस का उपचार शुरू कर दिया. महिला का चेहरा, हाथ, पैर, पेट व कमर का हिस्सा झुलस गया था. उस की हालत गंभीर थी, लिहाजा उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया. पुलिस अधिकारी भी अस्पताल पहुंचे.

महिला बहुत ज्यादा बात करने की स्थिति में तो नहीं थी, फिर भी औपचारिक पूछताछ में उस ने हमले में शामिल एक युवक का नाम पुलिस को बता दिया. उस के मुताबिक उस ने साथियों के साथ मिल कर उस पर तेजाब से हमला किया था. जब वह अपने बेटे को स्कूटी से ट्यूशन की क्लास में छोड़ कर वापस घर जा रही थी, तभी उस युवक ने अपने साथियों के साथ उस पर एसिड फेंका.

पीडि़ता के पति की तहरीर के आधार पर पुलिस ने राहुल नामक युवक को नामजद करते हुए उस के और उस के साथियों के खिलाफ भादंवि की धारा 326ए व 120बी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया. एसएसपी वैभव कृष्ण ने अपने अधीनस्थों को इस मामले में तत्काल काररवाई के निर्देश दिए.

सरेआम हुई इस वारदात की गूंज प्रदेश की सत्ता के शिखर लखनऊ तक भी पहुंची. मामला गंभीर था, लिहाजा मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार भी अस्पताल पहुंचे और पीडि़ता का हाल जाना. एडीजी ने एसएसपी को निर्देश दिए कि आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी हो. उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए.

पुलिस मामले की तहकीकात में जुट गई. पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यही था कि महिला पर तेजाबी हमला क्यों किया गया? पीडि़ता चूंकि युवक को जानती थी तो यह बात साफ थी कि हमलावर का मकसद उस का चेहरा बिगाड़ना था. मामला प्रेम प्रसंग का लग रहा था.

इस बात को बल तब मिला जब महिला के पति ने भी पुलिस को बताया कि राहुल उस की पत्नी के साथ जबरन रिश्ता रखना चाहता था. वह उस पर साथ रहने का दबाव बनाता था. साथ ही उस ने धमकी भी दी थी कि अगर वह उस के साथ नहीं रहेगी तो वह उसे किसी के साथ रहने लायक नहीं छोड़ेगा.

पुलिस ने टीम बना कर मुख्य आरोपी की तलाश शुरू कर दी. घटनास्थल वाले रास्ते के सीसीटीवी फुटेज भी देखे गए, जिस में 2 युवक बाइक से जाते हुए दिख रहे थे लेकिन बाइक का नंबर या उन के चेहरे नहीं दिख रहे थे. बाइक सवारों में से एक ने हेलमेट लगाया था, जबकि दूसरे ने चेहरे पर गमछा बांधा हुआ था.

पुलिस ने महिला के मोबाइल से राहुल का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया, जिस से नामपता मिलने के साथ ही उस की लोकेशन भी मिलनी शुरू हो गई. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछा दिया. अगले दिन पुलिस ने राहुल को गाजियाबाद स्थित हापुड़ चुंगी से गिरफ्तार कर लिया. उस के साथ एक अन्य युवक भी था. पूछताछ में उस ने अपना नाम उमंग प्रताप बताया. वह भी राहुल के साथ घटना में शामिल था. पुलिस दोनों को थाने ले आई. पुलिस ने विस्तार से पूछताछ की तो दोस्ती, प्यार व नफरत में डूबी चौंकाने वाली कहानी सामने आई.

फेसबुक पर हुई दोस्ती

नेहा (परिवर्तित नाम) संजयनगर की रहने वाली थी. वह पेशे से डायटीशिन थी, जबकि उस के पति का कोचिंग सेंटर था. नेहा खूबसूरत भी थी और आधुनिक भी. वह सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक का इस्तेमाल करती थी. करीब 8 महीने पहले एक दिन उस के पास राहुल गर्ग नाम के एक युवक की फ्रैंड रिक्वेस्ट आई. राहुल गाजियाबाद के ही राजनगर का रहने वाला था. बीए पास राहुल के पिता की हार्डवेयर की दुकान थी. वह भी व्यवसाय में पिता का हाथ बंटाता था.

राहुल अच्छी कदकाठी का आकर्षक नौजवान था. नेहा ने उस की रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली. इस के बाद दोनों के बीच चैटिंग का सिलसिला चल निकला. जल्द ही दोनों के बीच दोस्ती हो गई और उन्होंने एकदूसरे का नंबर ले लिया. बातों का दायरा बढ़ा तो बातों के साथसाथ मुलाकातें भी शुरू हो गईं.

चंद दिनों की मुलाकातों में दोनों के बीच प्यार हो गया. नेहा शादीशुदा थी, लेकिन उस ने यह बात राहुल से छिपा ली थी. वक्त के साथ दोनों का प्यार परवान चढ़ा, तो राहुल उस के साथ अपनी दुनिया बसाने का ख्वाब देखने लगा. राहुल उसे दिल से चाहता है, नेहा यह बात बखूबी जानती थी. यही वजह थी कि वह उस की एक आवाज पर दौड़ी चली आती थी.

सामाजिक लिहाज से शादीशुदा हो कर भी किसी युवक के साथ इस तरह का रिश्ता रखना यूं तो गलत था, लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध में बह कर नेहा भी दिल के हाथों मजबूर हो गई थी. पतन की डगर कभी अच्छी नहीं होती. शुरुआत में भले ही किसी को अंदाजा न हो, लेकिन एक दिन ऐसे रिश्तों की कीमत चुकानी पड़ती है.

                                                                                                                                           क्रमशः

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