Social Crime : एक बेटी की मां स्वाति को अपनी सहेली ज्योति से ऐसा प्यार हुआ कि वह अपने पति राजकुमार की भी उपेक्षा करने लगी. फिर एक दिन यह लेस्बियन रिश्ता उस के परिवार पर इतना भारी पड़ा कि...

समलैंगिकता की इस कहानी को पढऩे से पहले हमें समलैंगिक संबंधों को जानना जरूरी है. समान लिंग के लोगों के बीच रोमांटिक या यौन संबंध को समलैंगिक संबंध कहते हैं. यह एक समान लिंग के प्रति यौन आकर्षण या रूमानी पे्रम को दर्शाता है. समलैंगिकता की कहानी आज की कोई नई बात नहीं. बल्कि यह सदियों से चली आ रही है. समलैंगिक शादियां करना दूसरी और तीसरी सदी में आम बात थी. लेकिन पहले भी समाज में इस तरह की शादी वर्जित थी, जिस का आज भी समाज में चारों तरफ विरोध होता है.

एक ऐसी ही लेस्बियन प्रेम कहानी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के थाना शीशगढ़ के गांव बंजरिया में सामने आई. 2 सहेलियों ने एकदूसरे से प्यार करते हुए एक मंदिर में शादी भी रचा ली. लेकिन उन का यह रिश्ता समाज और परिवार ने स्वीकार नहीं किया. बरेली के थाना क्षेत्र बंजरिया गांव निवासी राजकुमार की शादी अब से लगभग 9 साल पहले स्वाति के साथ हुई थी. राजकुमार एक किसान का बेटा था. वह गांव में रह कर ही खेतीबाड़ी करता था. हालांकि राजकुमार पढ़ालिखा था, उसी कारण शादी से पहले उस की उत्तराखंड के रुद्रपुर में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई थी.

स्वाति देखनेभालने में जितनी सुंदर और सौम्य थी, उस से कहीं ज्यादा फैशनेबल थी. उस में महत्त्वाकांक्षा कूटकूट कर भरी थी. स्वाति को शुरू से ही सिलाईकढ़ाई का शौक था. उसी शौक के चलते उस ने सिलाई और कढ़ाई को अपना करिअर चुना था. राजकुमार से शादी करने के बाद भी उस ने अपना वही काम चुना और अपने घर पर ही सिलाई की एक दुकान खोल ली थी. कुछ दिन बाद उस का सिलाई का काम ठीकठाक चल भी निकला था. स्वाति के एक ही बेटी थी, जिसे स्कूल भेजने के बाद वह अपने सिलाई के काम में लग जाती थी. उस का पति राजकुमार बाहर रह कर नौकरी करता था.

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