उस दिन फरवरी, 2019 की 26 तारीख थी. शाम 5 बजे का वक्त था. थाना काकादेव के एसओ राजीव सिंह थाने से कहीं जाने के लिए निकलने ही वाले थे, तभी एक आदमी बदहवास हालत में उन के पास पहुंचा.
वह अपनी सांसों को दुरुस्त करते हुए बोला, ‘‘सर, जल्दी चलिए, हमारे मकान में एक महिला की हत्या कर दी गई है.’’
हत्या शब्द सुनते ही एसओ चौंके. उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा, ‘‘महिला की हत्या किस ने की, पूरी बात बताओ.’’
‘‘सर, मेरा नाम अमित राजपूत है और मैं मतैयापुरवा में रहता हूं. मेरे मकान में राजू नाम का युवक किराए पर रहता था. उसी ने अपनी पत्नी आरती की हत्या कर दी और फरार हो गया.’’
एसओ राजीव सिंह जिस काम के लिए निकलने वाले थे, वहां जाने के बजाय वह अमित राजपूत को साथ ले कर उस के गांव मतैयापुरवा के लिए निकल गए. मौके पर निकलने से पहले उन्होंने हत्या की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी थी.
जब वह अमित को ले कर उस के घर पहुंचे तो वहां गांव वालों की भीड़ जुटी हुई थी. जिस कमरे में महिला की लाश पड़ी थी, उस के दरवाजे पर ताला पड़ा था. खिड़की से देखा तो महिला की लाश फर्श पर पड़ी दिखाई दी. उस के कपड़े अस्तव्यस्त थे. अमित ने बताया कि इस कमरे में राजू अपनी पत्नी आरती के साथ रहता था, अब राजू लापता है.
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पुलिस ने वहां मौजूद लोगों की मौजूदगी में दरवाजे का ताला तोड़ा और कमरे का निरीक्षण किया तो वहां टूटी हुई चूडि़यां मिलीं. इस से पता चला कि मृतका ने अपनी जान बचाने के लिए विरोध किया था.
मृतका की उम्र यही कोई 35 साल थी. लाश के पास ही 3 पेज का एक नोट मिला. यह मृतका आरती के पति राजू की तरफ से लिखा गया था. उस नोट में राजू ने पत्नी की बेवफाई का जिक्र किया था. इस नोट को पुलिस ने सुरक्षित रख लिया.
एसओ राजीव सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि उसी समय एसपी (वेस्ट) संजीव सुमन तथा सीओ (स्वरूपनगर) अजीत सिंह चौहान भी वहां पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया था. टीम ने मौके से जरूरी सबूत जुटाए.
उसी दौरान सीओ अजीत सिंह ने मकान मालिक अमित राजपूत से पूछताछ की तो उस ने बताया कि आरती की हत्या उस के पति राजू ने ही की है. यह बात उसे राजू के दोस्त निर्मल ने बताई थी. उन्होंने एसओ राजीव सिंह को निर्देश दिए कि वह निर्मल श्रीवास्तव को हिरासत में ले कर पूछताछ करें.
इस के बाद एसओ ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय भेज दी. निर्मल श्रीवास्तव भी घटनास्थल पर आ गया था. एसओ राजीव सिंह ने उसे हिरासत में ले लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आए.
पूछताछ करने पर निर्मल ने बताया कि वह राजू का दोस्त है. दोनों साथ काम करते हैं. राजू के घर उस का आना जाना था. आते जाते ही राजू की पत्नी से उस के प्रेम संबंध हो गए. कुछ दिनों पहले वह राजू को छोड़ कर उस के साथ रहने लगी थी. बाद में दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया था. राजू ने आज आरती को किसी बहाने से बुलाया और उसे मार डाला.
निर्मल के बयानों से स्पष्ट था कि आरती की हत्या नाजायज रिश्तों के चलते राजू ने ही की थी. अत: एसओ राजीव सिंह ने मकान मालिक अमित राजपूत को वादी बना कर राजू के खिलाफ धारा 302 आईपीसी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.
चूंकि वह फरार था, इसलिए पुलिस ने उसे ढूंढना शुरू कर दिया. पता चला कि राजू मूलरूप से गोंडा के कटरी बाजार का रहने वाला था. एसपी (वेस्ट) संजीव सुमन ने एक विशेष टीम गोंडा भेजी. टीम ने गोंडा के कटरी बाजार स्थित राजू के घर पर छापा मारा. लेकिन वह घर पर नहीं मिला. इस के बाद पुलिस टीम ने अनेक संभावित स्थानों पर उसे तलाशा, लेकिन राजू हाथ नहीं लगा.
4 मार्च, 2019 की सुबह 10 बजे एसओ राजीव सिंह को उन के खास मुखबिर से सूचना मिली कि हत्यारोपी राजू इस समय रावतपुर रेलवे स्टेशन पर है. सूचना मिलते ही एसओ पुलिस टीम के साथ रावतपुर स्टेशन पहुंच गए. राजू स्टेशन पर मिल गया. वह कहीं जाने के लिए वहां ट्रेन का इंतजार कर रहा था. उसे हिरासत में ले कर राजीव सिंह थाना काकादेव लौट आए.
थाने में जब उस से आरती की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने बड़ी आसानी से आरती की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. यही नहीं, उस ने घर में छिपा कर रखा गया वह दुपट्टा भी बरामद करा दिया, जिस से उस ने आरती का गला घोंटा था.
राजू से की गई पूछताछ के आधार पर एक ऐसी औरत की कहानी सामने आई, जिस ने तीसरे पति की चाहत में अपनी जान गंवा दी.
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के संडीला कस्बे से 7 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है नैपुरवा. इसी गांव में जयशंकर अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में 3 बेटियां आरती, पार्वती, शांति तथा एक बेटा गौरव था.
जयशंकर के पास 3 बीघा खेती की जमीन थी. जमीन उपजाऊ थी, इसलिए किसी तरह से उस के घर का गुजारा चल रहा था. जयशंकर की आर्थिक स्थिति तो मजबूत नहीं थी, लेकिन वह व्यवहार कुशल था.
जयशंकर की बड़ी बेटी आरती ने गांव के ही जूनियर स्कूल से 8वीं की परीक्षा पास की. वह आगे पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन गांव के माहौल को देखते हुए मां ने उसे गांव से बाहर पढ़ाने को मना कर दिया. इस के बाद वह मां के साथ घरेलू काम में हाथ बंटाने लगी. समय बीतते आरती सयानी हुई तो वह उस के लिए लड़का देखना शुरू किया. जयशंकर को अपने एक रिश्तेदार के माध्यम से रमेश नाम के युवक के बारे में जानकारी मिली.
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रमेश मूलरूप से गोंडा जिले के गांव रसूलपुर का रहने वाला था. उस के मातापिता की मौत हो चुकी थी. उस का बड़ा भाई उमेश गांव में रहता था, जबकि रमेश लखनऊ शहर में रहता था. वह राजमिस्त्री था.
रमेश सांवले रंग का जरूर था, लेकिन उस का व्यवहार अच्छा था. जयशंकर ने रमेश को देख कर उसे अपनी बेटी आरती के लिए पसंद कर लिया. हालांकि रमेश की उम्र आरती से काफी ज्यादा थी, लेकिन अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण जयशंकर ने इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. बहरहाल, आरती का विवाह रमेश से कर दिया.
शादी से पहले आरती रमेश से नहीं मिली थी. उस ने रमेश को पहले फोटो में ही देखा था. शादी के समय जब उस ने पहली बार रमेश को देखा तो उस के अरमानों पर पानी फिर गया.
विदा हो कर वह ससुराल चली तो गई लेकिन वहां बेमन से रही. आरती कुछ माह ससुराल में रही फिर रमेश उसे लखनऊ ले आया. वहां गोमतीनगर में उस ने किराए पर कमरा ले रखा था. लखनऊ में वह रमेश के साथ रहने लगी. आरती को शराब से नफरत थी, जबकि रमेश शराब का आदी था. शराब पीने को ले कर दोनों में अकसर तकरार होती रहती थी.
बढ़ते समय के साथ आरती 2 बच्चों की मां बन गई. 2 बच्चों की मां बनने के बावजूद उस के शरीर की कसावट बनी हुई थी. वह बनसंवर कर रहती थी, जिस से वह पहले से अधिक सुंदर दिखने लगी थी.
रमेश राजमिस्त्री था. दिन भर धूपछांव में काम कर के जब वह शाम को घर आता तो इतना थका होता कि खाना खा कर निढाल हो कर सो जाता. आरती उसे झिंझोड़ती तो कभी वह बेमन से उस की इच्छा पूरी करता.
पति की उपेक्षा से आरती परेशान थी. यूं तो आरती का दांपत्य सामान्य नहीं था. भले ही रास रंग में अब रमेश की पहले जैसी रुचि नहीं रह गई थी, मगर आरती की ख्वाहिशों का जलजला कम नहीं हुआ था. तभी अचानक उस के जीवन में राजू नाम का युवक आया.