कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

राजू मूलरूप से गोंडा के ही कटरा बाजार का निवासी था. लखनऊ में रह कर वह मजदूरी करता था. गोमतीनगर स्थित जिस बहुमंजिला इमारत के निर्माण में रमेश राजमिस्त्री का काम करता था, उसी में राजू मजदूरी करता था.

रमेश और राजू दोनों ही गोंडा के रहने वाले थे, इसलिए दोनों में खूब पटती थी. काम खत्म करने के बाद दोनों शराब के ठेके पर साथ बैठ कर शराब पीते थे. शराब के लिए पैसे राजू ही देता था.

एक शाम दोनों के कदम शराब ठेके पर जा कर रुके तो रमेश बोला, ‘‘यार राजू, तुम अकसर अपने पैसों से मुझे शराब पिलाते हो, लेकिन आज मैं तुम्हें शराब की दावत दूंगा. शराब के साथ आज का खाना तुम मेरे घर पर ही खाओगे.’’

राजू इस के लिए राजी हो गया. रमेश यह सोच कर खुश था कि दोस्ती में उस ने यह नेक काम किया है. लेकिन यही उस की सब से बड़ी गलती थी.

उसी शाम राजू रमेश के घर पहुंचा तो पहली बार आरती से सामना हुआ. नजरें मिलीं तो मानो उलझ कर रह गई. राजू के मन में विचार आया कि आरती कहां रमेश के पल्ले पड़ गई.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – पत्नी बनने की जिद ने करवाया कत्ल

रमेश अधेड़ उम्र का कालाकलूटा और आरती खूबसूरत. इसे तो मेरे नसीब में होना चाहिए था. दूसरी तरफ आरती के दिल में भी राजू को देख कर हलचल मच गई थी. आरती की नजरों में राजू सच में ऐसा पुरुष था, जैसी उस ने कल्पना की थी.

उस रोज राजू ने आरती के हाथ का बना खाना खाया तो उस ने उस की जम कर तारीफ की. खाने पीने के दौरान कई बार राजू और आरती की आंखें चार हुईं. इस अल्प अवधि में ही राजू और आरती में आंखों के जरिए नजदीकियां बन गईं.

दोनों के अंदर आग एक जैसी थी, इसलिए संपर्क बनाए रखने के लिए उन्होंने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए. इस के बाद वे आपस में बातचीत करने लगे. कुछ दिनों तक औपचारिक बातचीत हुई, फिर यही बातचीत प्यार मोहब्बत तक पहुंच गई.

एक दिन दोपहर को राजू मौका निकाल कर रमेश के घर जा पहुंचा. उस समय रमेश साइट पर था और बच्चे स्कूल गए थे. घर में आरती अकेली थी. आरती के सौंदर्य को देख कर राजू खुद को रोक न सका और उस ने आगे बढ़ कर आरती को अपनी बांहों में भर लिया. आरती ने दिखावे के लिए छूटने का प्रयास किया, लेकिन छूट न सकी.

राजू की बांहों में आरती जो सुख महसूस कर रही थी, वह उस सुख से काफी समय से वंचित थी. उस की तमन्नाएं अंगड़ाई लेने लगीं. फिर वह भी अमरबेल की तरह राजू से लिपट गई. इस के बाद दोनों ने मर्यादाएं लांघ कर अपनी हसरतें पूरी कीं.

उस दिन के बाद आरती राजू के प्यार में इतनी ज्यादा दीवानी हो गई कि वह पति से ज्यादा प्रेमी राजू का खयाल रखने लगी. राजू भी अपनी कमाई आरती पर खर्च करने लगा. रमेश शराब का लती था. उस की इस कमजोरी का राजू ने भरपूर फायदा उठाया. वह हर शाम शराब की बोतल ले कर उस के घर पहुंच जाता. वह खुद कम पीता और रमेश को अधिक पिला कर नशे में चूर कर देता. जब रमेश सो जाता, तब आरती और राजू वासना का खेल खेलते.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – एक फूल दो माली : प्रेमियों की कुर्बानी

एक रात रमेश की नींद खुल गई. उस ने आरती व राजू को आपत्तिजनक स्थिति में देखा तो क्रोध से पगला गया. गाली गलौज कर के उस ने राजू को भगा दिया. इस के बाद उस ने आरती की खूब पिटाई की. मौके की नजाकत भांप कर आरती ने रमेश से वादा किया कि आइंदा वह राजू से किसी तरह का संबंध नहीं रखेगी.

आरती ने पति से यह वादा कर तो लिया लेकिन 2-4 दिन बाद ही उसे राजू की याद सताने लगी. वहीं राजू को भी चैन नहीं था. लिहाजा मौका देख कर आरती राजू को फोन लगा देती और दोनों बात कर लेते.

एक दिन रमेश साइट पर गया, लेकिन किसी कारणवश काम बंद था. अत: वह वापस घर पहुंच गया. कमरा अंदर से बंद था. तभी उसे कमरे के अंदर से पत्नी के हंसने की आवाज सुनाई दी. उस ने दरवाजा खुलवाने के बजाए दरवाजे की झिर्री से अंदर झांका तो अंदर का दृश्य देख कर सन्न रह गया. कमरे में आरती राजू के साथ मौजमस्ती कर रही थी.

दोस्त के साथ पत्नी को एक बार फिर देख कर रमेश का खून खौल उठा. लेकिन वह बोला कुछ नहीं. कुछ देर वह जड़वत खड़ा रहा. उस के बाद दरवाजा खुलवाया तो अपराधबोध से आरती व राजू कांपने लगे. दोनों ने रमेश से माफी मांगी. पर उस ने माफ नहीं किया. रमेश ने राजू को फटकार लगाई, ‘‘आस्तीन के सांप, भाग जा घर से वरना मैं तेरा गला घोंट दूंगा.’’

राजू बिना कुछ बोले वहां से चला गया.

इस के बाद रमेश ने सारा गुस्सा आरती पर उतारा. वह आरती को तब तक पीटता रहा, जब तक वह थक नहीं गया. आरती कई दिन तक चारपाई पर पड़ी रही. लेकिन आरती की इस पिटाई ने आग में घी का काम किया. वह पति से नफरत करने लगी. उस ने घर में कलह भी शुरू कर दी. आरती जान गई थी कि अब उस का ऐसे जुल्मी पति के साथ गुजारा संभव नहीं है.

अत: उस ने एक दिन राजू से मुलाकात की और उसे बताया कि यदि वह उसे सच्चा प्यार करता है तो उसे अपने साथ ले चले, वरना वह अपनी जान दे देगी. राजू भी यही चाहता था. अत: उस ने आरती को समझाया कि वह धैर्य रखे. शीघ्र ही वह उसे अपना जीवनसाथी बना लेगा. आश्वासन पा कर आरती खुश हो गई.

आरती अब घर में खुश रहने लगी थी. पति की बात भी मानने लगी थी. इतना ही नहीं, उस ने घर में लड़ना भी बंद कर दिया था. घर का सारा काम भी वह समय पर करने लगी थी. पत्नी में आए इस बदलाव से रमेश हैरान था. वह यही सोच रहा था कि आरती को अपनी गलती का अहसास हो गया है, जिस से वह सुधर गई है.

लेकिन एक दिन जब शाम को रमेश घर आया तो बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे. पूछने पर बच्चों ने बताया कि वे जब स्कूल से घर वापस आए तो मम्मी घर में नहीं थीं. उन्होंने पासपड़ोस में खोजा, लेकिन वह नहीं मिली.

बच्चों की बात सुन कर रमेश का माथा ठनका. उस ने घर में नजर दौड़ाई तो संदूक का ताला खुला था. संदूक में रखे पैसे गायब थे. संदूक में रखे आरती के कपड़े भी गायब थे. उस ने सोचा कि आरती कहीं बच्चों को छोड़ कर भाग तो नहीं गई. लेकिन उसे लगा कि आरती बच्चों को छोड़ कर नहीं जा सकती.

रमेश के मन में तरहतरह के विचार आ ही रहे थे कि तभी उस की निगाह अलमारी में रखे एक कागज पर पड़ी. उस कागज को खोल कर रमेश ने पढ़ा तो उस के होश उड़ गए.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – बदनामी से बचने के लिए खेला मौत का खेल

कागज में लिखा था, ‘मैं तुम जैसे राक्षस के साथ जिंदगी नहीं बिता सकती. इसलिए राजू के साथ जा रही हूं. मुझे खोजने की कोशिश मत करना. बच्चे तुम ने पैदा किए हैं, इसलिए उन्हें तुम्हारे पास ही छोड़ रही हूं.’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...