उदयभान के सुमन से संबंध हैं, जब पहली बार इस बात की जानकारी राममूर्ति को हुई तो उस ने दोनों को मारपीट कर माफ कर दिया. लेकिन शादी के बाद जब उसे पता चला कि उदयभान सुमन से मिलता है तो वह उसे माफ नहीं कर सका. पप्पू छोटे भाई उदयभान को ले कर काफी परेशान था. वह पिछली रात घर से निकला था. रात तो बीती ही, अब दिन बीत भी रहा था और उस का कुछ अतापता नहीं था. उस का फोन भी बंद था.
पप्पू उत्तर प्रदेश के आगरा के थाना पिनाहट के नजदीकी गांव गुरावली का रहने वाला था. उस के परिवार में पिता के अलावा वही एक छोटा भाई उदयभान था, जिसे वह जान से भी ज्यादा प्यार करता था. पिछली रात 7, साढ़े 7 बजे घर का कुछ सामान लेने के लिए वह पिनाहट बाजार गया था. सवा 8 बजे उस ने फोन कर के बताया था कि वह बाजार पहुंच गया है. उसे वहां से लौटने में घंटे, डेढ़ घंटे लग जाएंगे. यानी उसे 9, साढ़े 9 बजे तक लौट आना चाहिए था.
लेकिन रात के साढ़े 10 बज गए और वह नहीं लौटा. तब पप्पू ने उसे फोन किया. पता चला उस का फोन बंद है. हालांकि गर्मियों के दिन थे, इसलिए उतनी रात भी डर की कोई बात नहीं थी. लेकिन उदयभान के फोन ने स्विच औफ बताया तो पप्पू थोड़ा परेशान हुआ. उस ने बीसों बार फोन लगा डाला, हर बार उस का फोन स्विच औफ बताता रहा. उदयभान का फोन बंद होने से पप्पू परेशान हो उठा. उस का फोन बंद क्यों हो गया, पप्पू की समझ में नहीं आ रहा था. उदयभान मोबाइल फोन का मैकेनिक था. उस के मोबाइल की बैटरी हमेशा फुल रहती थी. जब पप्पू की समझ में कुछ नहीं आया तो उस ने क्वार्टर निकाला और छत पर जा कर बिना पानी मिलाए ही पूरी शीशी खाली कर दी.
इस के बाद वह कब का सो गया, उसे पता ही नहीं चला. सुबह उस की आंखें खुलीं तो लगभग 8 बज रहे थे. नीचे आ कर वह सीधे उदयभान के कमरे में गया. कमरा खाली पड़ा था. इस का मतलब उदयभान अभी तक लौट कर नहीं आया था. पप्पू को भाई की इस हरकत पर गुस्सा भी आ रहा था, साथ ही किसी अनहोनी का भय भी सता रहा था. उस ने तुरंत उदयभान को फोन किया. उसे निराशा ही हुई, क्योंकि उदयभान का मोबाइल अभी भी बंद था. उस ने उस के बारे में अपने पिता से पूछा तो उस ने भी वही बताया, जो उसे पता था.
पप्पू उदयभान को ढूंढने लगा. जहांजहां वह मिल सकता था, वहांवहां गया. उस के यारोंदोस्तों से पूछा. लेकिन कहीं से उस के बारे में कुछ नहीं पता चला. जब पप्पू को लगा कि उदयभान का अब पता नहीं चलेगा तो दिन ढले उस का एक फोटो ले कर वह थाना पिनाहट जा पहुंचा. उस ने थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह को अपनी परेशानी बताई तो उन्होेंने तुरंत थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन मिला दिया. इस की वजह यह थी कि उसी दिन सुबह थाना बसई अरेला पुलिस ने रेलवे लाइन के पास बसे गांव सड़क का पुरा के हनुमान मंदिर के पास बने कुएं से सूचना के आधार पर एक युवक की लाश बरामद की थी.
लाश 20-25 साल के हृष्टपुष्ट युवक की थी, जिसे पहले मारापीटा गया था. उस के बाद उस की हत्या कर के लाश कुएं में फेंक दी गई थी. मामला हत्या का था, इसलिए थाना पुलिस ने यह सूचना वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाषचंद दुबे, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के.पी. यादव तथा क्षेत्राधिकारी को भी दे दी थी. थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की शिनाख्त कराने की भी कोशिश की थी. लेकिन काफी प्रयास के बाद भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी. तब उन्होंने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. इस के बाद थाने आ कर वायरलेस द्वारा अपने थानाक्षेत्र में लाश बरामद होने का संदेश जिले के सभी थानों को दे दिया था.
यही वजह थी कि जब पप्पू थाना पिनाहट उदयभान की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंचा तो थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन किया. यह 29 जुलाई, 2013 की बात है. थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की जो हुलिया बताई, वह उदयभान से पूरी तरह मेल खा रही थी. इसलिए पप्पू सीधे थाना बसई अरेला जा पहुंचा. थानाप्रभारी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा चुके थे. लाश का सामान उन के पास था. चेक की शर्ट, काली पैंट और जूते देख कर पप्पू रोने लगा. फिर भी थानाप्रभारी उसे लाश दिखा कर संतोष कर लेना चाहते थे. अस्पताल भेज कर पप्पू को लाश दिखाई गई. वह उदयभान की ही लाश थी. लाश देख कर पप्पू को गश आ गया. पुलिस वालों ने उसे संभाला.
मृतक की शिनाख्त हो चुकी थी. शव के निरीक्षण के दौरान उस का बायां पैर टूटा हुआ पाया गया था. थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने जब पप्पू से इस बारे में पूछा तो उस ने बताया कि जब वह घर से निकला था, एकदम सहीसलामत था. थानाप्रभारी समझ गए कि हत्यारों ने ही किसी भारी चीज से उस का पैर तोड़ा होगा. पुलिस ने पप्पू से तहरीर ले कर गांव के ही राममूर्ति और उस के भाइयों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी ने नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने की वजह जाननी चाही तो पप्पू ने कहा, ‘‘साहब, कुछ सालों पहले राममूर्ति की बेटी सुमन और मेरे भाई उदयभान के बीच प्रेमसंबंध था. बात खुली तो राममूर्ति ने बेटी का विवाह कर दिया, लेकिन दोनों परिवारों की दुश्मनी खत्म नहीं हुई.’’
पप्पू का शक थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को वाजिब लगा. कहीं बेटी और अपनी बदनामी की वजह से उन्हीं लोगों ने उदयभान को खत्म न कर दिया हो. पप्पू की बात पर विश्वास करने की एक वजह और थी. दरअसल जिस तरह बेरहमी से उदयभान को मारा गया था, साफ था कि उसे मारने वाला उस से गहरी नफरत करता रहा होगा. इस तरह की नफरत वही कर सकता है, जिस आदमी को उस से गहरी ठेस पहुंची हो. अगर उदयभान ने राममूर्ति की बेटी के दामन पर दाग लगाया है तो निश्चित ही राममूर्ति उस से ऐसी ही नफरत करता रहा होगा. उन्होंने हत्यारों तक पहुंचने के लिए सबइंस्पेक्टर नंदकिशोर, सिपाही रंजीत, ओमवीर, अशोक, किताब सिंह, नरेश कुमार और धर्म सिंह की एक टीम बना कर हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए लगा दिया.
इस टीम ने उदयभान के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा था, जिस पर उदयभान की बहुत ज्यादा और लंबीलंबी बातें होती थीं. जिस दिन वह गायब हुआ था, उस दिन भी एक बार उस नंबर से संदेश आया था. थानाप्रभारी ने उस नंबर पर फोन किया. घंटी गई और जल्दी ही दूसरी ओर से फोन रिसीव भी कर लिया गया. पूछने पर पता चला कि वह नंबर विप्रावली गांव के रहने वाले पवन सिंह का था, जिस का उपयोग उस की पत्नी सुमन करती थी. पवन ने जब इस पूछताछ की वजह पूछी तो थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बताया कि उस की पत्नी की इस नंबर से एक लड़के की लगातार बात होती रहती थी और वह जिस लड़के से बात होती थी, उस की हत्या हो चुकी है.
हत्या की बात सुन कर पवन सन्न रह गया. उस ने तुरंत अपने ससुर राममूर्ति को फोन कर के थानाप्रभारी से हुई बातचीत के बारे में बताया तो उस ने दामाद से कहा कि वह परेशान न हो, वह अभी जा कर थानाप्रभारी से मिलता है. इस के बाद उस ने यह बात अपने भाइयों, पप्पू और राजाराम को बताई. सब ने कोई सलाह की और अपनीअपनी मोटरसाइकिलें निकाल कर कहीं जाने के लिए तैयार हो गए. एक मोटरसाइकिल पर राममूर्ति ने अपनी पत्नी और बेटे मुकेश को बैठाया तो दूसरी पर पप्पू और राजाराम सवार हुए. इस के बाद दोनों मोटरसाइकिलें चल पड़ीं. गांववालों ने जब उन के इस तरह जाने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि अचानक सुमन की तबीयत खराब हो गई है, इसलिए सभी उसे देखने उस की ससुराल विप्रावली जा रहे हैं.
वे गुरावली गांव के बाहर निकले ही थे कि पुलिस की जीप आ पहुंची. जब पुलिस को पता चला कि राममूर्ति भाइयों के साथ घर में ताला लगा कर बेटी की ससुराल गया है तो पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि वह बेटी के यहां नहीं, बल्कि घर वालों के साथ पुलिस से बचने के लिए घर छोड़ कर भागा है. इस से पुलिस का शक गहरा गया कि उदयभान की हत्या में इन लोगों की कोई न कोई भूमिका अवश्य है.
गांव वालों ने बताया था कि वे गांव विप्रावली जाने की बात कह कर निकले थे. पुलिस वहां से सीधे विप्रावली जा पहुंची. लेकिन वहां कोई नहीं मिला. इस का मतलब वे सभी फरार हो चुके थे. पुलिस पवन और सुमन को थाने ले आई. थाने में जब उन दोनों से पूछताछ की गई तो पता चला कि पवन का पिता मुन्नालाल भी किसी को बिना कुछ बताए आधे घंटे पहले हड़बड़ी में घर से निकला था. यह संयोग था या वह भी उदयभान की हत्या में शामिल था, पुलिस इस बात की भी जांच करने लगी.
पुलिस ने मुन्नालाल के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि उदयभान की हत्या से एक दिन पहले और हत्या वाले दिन राममूर्ति और मुन्नालाल में कई बार बातें हुई थीं. इस तरह मुन्नालाल भी शक के दायरे में आ गया. अब पुलिस राममूर्ति और उस के परिवार वालों के साथ मुन्नालाल भी तलाश में लग गई. आखिर हत्या के पूरे सप्ताह भर बाद 6 अगस्त, 2013 को मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने यमुना और उटंगन नदी पर बने पुल के उस पार बीहड़ में बने एक कच्चे मकान को घेर कर 6 लोगों को हिरासत में ले लिया. उस के बाद पुलिस सभी को ले कर थाना बसई अरेला आ गई.
पुलिस ने राममूर्ति के साथ उस के दोनों भाइयों, राजाराम, पप्पू, समधी मुन्नालाल, मुन्नालाल के भाई भावसिंह और राममूर्ति के फुफेरे भाई वीर बहादुर सिंह को भी गिरफ्तार किया था. पुलिस ने सभी से अलगअलग पूछताछ की तो उदयभान की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी. जिला आगरा के मुख्यालय से यही कोई 50 किलोमीटर की दूरी पर बसा है गांव गुरावली. जाटव बाहुल्य इस गांव में किसान आसाराम का परिवार काफी संपन्न था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटे, राममूर्ति, राजाराम और पप्पू थे. दबंग और रसूखदार व्यक्तित्व वाले राममूर्ति के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा मुकेश और एक ही बेटी सुमन थी.
राममूर्ति के पास भले ही सब कुछ था, लेकिन उस के बच्चे ज्यादा पढ़लिख नहीं सके थे. मुकेश ने आठवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी तो सुमन ने पांचवीं पास कर के. गुरावली में ही छोटेलाल का परिवार रहता था. उस के परिवार में केवल 2 बेटे, पप्पू और उदयभान के अलावा पप्पू की पत्नी थी. छोटेलाल की पत्नी 5 साल पहले मर गई थी. उस के दोनों ही बेटे मेहनती और ईमानदार थे. पप्पू अपने पिता के साथ खेती करता था तो उदयभान ने मोबाइल रिपेयरिंग का काम सीख कर गांव के चौराहे पर किराए की दुकान ले कर अपना मोबाइल रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया था. इसी के साथ वह मोबाइल एसेसरीज के साथ रिचार्ज कूपन भी बेचता था.
व्यवहारकुशल और ईमानदारी से पैसे लेने वाले उदयभान का काम बढि़या चल रहा था. उस की कमाई ठीकठाक थी, इसलिए वह ठीकठाक कपड़े पहन कर बनठन कर रहता था. इस से गांव के अन्य लड़कों की अपेक्षा वह स्मार्ट लगता था. एक दिन दोपहर को वह दुकान पर बैठा अपना काम कर रहा था, तभी गांव के ही राममूर्ति की 20 वर्षीया बेटी सुमन उस के सामने आ कर खड़ी हो गई और अपना मोबाइल रख कर कहा कि देखो इस में क्या खराबी आ गई है. उदयभान के दिल के तार झनझना उठे. सुमन को उस के न जाने कितनी बार देखा था, लेकिन बात करने का मौका कभी नहीं मिला था. आज पहली बार उसे इतने नजदीक से देखा तो देखता ही रह गया. न जाने क्यों उस दिन सुमन उसे बहुत अच्छी लगी थी.
उस ने हाथ में लिया मोबाइल किनारे रख कर सुमन का मोबाइल उठा लिया. 5 मिनट का काम था, लेकिन सुमन को बैठाए रखने के लिए उस ने आधे घंटे से ज्यादा समय लगा दिया. इस बीच वह काम कम कर रहा था, सुमन को ज्यादा देख रहा था. सुमन भी भोली नहीं थी. उस ने भी उदयभान के मन की बात ताड़ ली थी. इसलिए जब भी उदयभान उस की ओर देखता, वह मुसकरा देती. उदयभान ने सुमन का मोबाइल ठीक कर के अपना नंबर डायल कर के चैक किया. ऐसा उस ने इसलिए किया था, जिस से उसे सुमन का नंबर मिल जाए. इस के बाद उदयभान ने सुमन का मोबाइल उस के हाथ पर रखा तो सुमन ने पूछा, ‘‘कितने रुपए हुए?’’
उदयभान ने सुमन के चेहरे पर नजरें जमा कर मुसकराते हुए कहा, ‘‘बुरा न मानो तो एक बात कहूं सुमन?’’
‘‘अच्छी बात कहोगे तो बुरा क्यों मानूंगी?’’ सुमन ने कहा.
‘‘तुम पैसे देने के बजाय मैं जब भी तुम्हें फोन करूं, मुझ से बात कर लेना.’’ उदयभान ने आग्रह सा किया.
सुमन को भी उदयभान अच्छा लगता था, इसलिए उस ने कहा, ‘‘ठीक है, लेकिन कोई ऐसीवैसी बात मत करना.’’
सुमन की इस बात से उदयभान को मानो मुहमांगी मुराद मिल गई. शाम को दुकान बंद कर के वह घर के लिए चला तो उसे सुमन की याद आ गई. उस ने तुरंत फोन मिला दिया. 2-4 बार घंटी बजने के बाद उस के कानों में सुमन की चहकती आवाज पड़ी तो वह समझ गया कि उस के फोन करने से सुमन खुश है. इस तरह सुमन और उदयभान के बीच फोन पर बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो दिनोंदिन बढ़ता ही गया. कुछ दिनों बाद फोन पर समय तय कर के दोनों मिलने भी लगे. इस के बावजूद भी दोनों के बीच फोन पर घंटों बातें होती रहती थीं. धीरेधीरे स्थिति यह हो गई कि वे एकांत में मिलने के लिए बेचैन रहने लगे. आखिर इस के लिए उन्होंने मौका निकाल ही लिया.
2 साल पहले की बात है. राममूर्ति का पूरा परिवार किसी रिश्तेदार के यहां दावत में गया था. सुमन पेट दर्द का बहाना कर के घर पर ही रुक गई थी. उस की वजह से चाची को भी रुकना पड़ा था. रात का खाना खा कर सुमन की चाची सो गई तो उस ने फोन कर के उदयभान को घर पर ही बुला लिया. उस के बाद तो पूरी रात उन की अपनी थी. रात 3 बजे तक उदयभान सुमन के साथ रहा. उस रात दोनों को एकदूसरे से जो सुख मिला, उस के लिए दोनों लालायित ही नहीं रहने लगे, बल्कि इस के लिए हमेशा मौके की तलाश में रहने लगे.
गांवों में इस के लिए वैसे भी मौकों की कमी कहां है. मोबाइल फोन अब इस में और मददगार साबित होने लगा है. सुमन का जब भी मन होता, किसी बहाने से घर से निकलती और फोन कर के कहीं एकांत में उदयभान को बुला लेती. पैसे की कमी न उदयभान के पास थी, न सुमन के पास. इसलिए दोनों एकदूसरे को महंगेमहंगे गिफ्ट भी देते थे.
दोनों का प्रेमसंबंध बने अभी 4-5 महीने ही बीते थे कि राममूर्ति का भांजा शहर से उन के यहां घूमने आया. वह ममेरी बहन सुमन का मोबाइल ले कर देखने लगा तो उस में एक ही नंबर पर इनकमिंग और आउटगोइंग कालें थीं. उस ने उस नंबर का काल ड्यूरेशन चैक किया तो पता चला कि उस पर तो खूब लंबीलंबी बातें हुई थीं. हैरानी से उस ने इस बारे में सुमन से पूछा तो वह टाल गई. भांजे को संदेह हुआ तो उस ने इस बारे में अपने मामा राममूर्ति को बताया. राममूर्ति की समझ में तुरंत सारा मामला आ गया. उस ने सुमन की पिटाई की तो उस ने बता दिया कि वह उदयभान से मोहब्बत करती है.
इज्जत का मामला था, इसलिए राममूर्ति ने होहल्ला करना उचित नहीं समझा. उस ने उदयभान, उस के बड़े भाई पप्पू और पिता छोटेलाल को खेतों पर इसलिए बुलाया, जिस से गांव वालों को पता न चल सके कि क्या हुआ था. खेतों में उस ने उदयभान के साथ मारपीट कर के धमकी दी कि अब अगर उस ने सुमन से मिलने या बात करने की कोशिश की तो वह उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा.
इस के बाद छोटेलाल ने भी उदयभान को लताड़ते हुए कहा, ‘‘सुमन राममूर्ति की ही नहीं, पूरे गांव की बेटी है. इसलिए तू उसे एकदम से भूल जा, वरना मैं ही तुझे काट कर रख दूंगा.’’
छोटेलाल ने अपने बेटे की इस गलती के लिए राममूर्ति से माफी मांगते हुए कहा कि अब उस का बेटा सुमन की ओर आंख उठा कर भी नहीं देखेगा. इस के बाद राममूर्ति ने दौड़धूप कर गांव विप्रावली के रहने वाले मुन्नालाल के बेटे पवन के साथ सुमन की शादी कर दी. सुमन जवान थी ही, इसलिए राममूर्ति ने उस के लिए पहले से ही लड़का देख रहा था. यही वजह थी कि बेटी के चालचलन का पता चलते ही उस ने आननफानन में उस की शादी कर दी थी. सुमन ने पवन से शादी तो कर ली थी, लेकिन उस ने उदयभान से भी कह दिया था कि वह उस का पहला प्यार है, इसलिए उसे न तो यह शादी अलग कर सकती है और न ही उस के पिता. वह उसे पूरी जिंदगी प्यार करती रहेगी.
यही वजह थी कि सुमन मायके आने पर तो उदयभान से मिलती ही थी. मौका निकाल कर उसे अपनी ससुराल भी बुला लेती थी. पवन किसी कंपनी में सेल्समैन था. वह महीने में 5-7 दिनों के लिए घर से बाहर रहता था. लौटता था तो कई दिनों तक औफिस के कामों में व्यस्त रहता था. इसलिए वह सुमन पर ध्यान कम ही दे पाता था. पति की इस व्यस्तता का फायदा उठाने के लिए सुमन ने एक योजना बनाई. पहले तो वह पति को ले कर सासससुर से अलग हो गई. उस ने कमरा भी वह लिया, जिस का एक दरवाजा घर के पीछे से गांव के बाहर जाने वाली पगडंडी पर खुलता था. लेकिन उसे दिक्कत तब होने लगी, जब पवन के बाहर जाने पर सास उस के साथ सोने लगी.
इस के लिए उदयभान ने एक रास्ता निकाल लिया. उस ने नींद की गोलियां ला कर सुमन को दे दीं. फिर क्या था, पवन जैसे ही बाहर जाता, सुमन खाने में सास को नींद की दवा खिला देती. सास आराम से सोती और वह प्रेमी के साथ रंगरलियां मनाती. लेकिन जैसा कि कहा गया है कि कोई भी नीतिअनीति एक न एक दिन खुल ही जाती है. ऐसा ही सुमन और उदयभान के साथ भी हुआ. एक दिन रात को मुन्नालाल को पत्नी से किसी सामान के बारे में पूछना हुआ तो उस ने दरवाजा खटखटाया. पवन उस दिन बाहर था. दरवाजा खुलने में देर लगी तो वह पिछवाड़े की ओर चला गया. घर के पीछे कुछ दूरी पर उसे एक मोटरसाइकिल खड़ी दिखाई दी.
उसे शक हुआ तो उस ने मोटर साइकिल का नंबर देखा और छिप कर इंतजार करने लगा कि यह मोटरसाइकिल किस की है और यहां क्यों खड़ी है? थोड़ी देर में सुमन के कमरे का पीछे वाला दरवाजा खुला और उस में से एक लड़का निकला. उस ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और चला गया. उस समय मुन्नालाल इसलिए चुप रहा, क्योंकि अगर शोर करता तो गांव में उसी की बदनामी होती. उस समय वह भले ही चुप रहा, लेकिन अगले दिन वह राममूर्ति से मिला. सारी बात बता कर उसे चेतावनी दी कि वह अपनी बेटी को समझाए अन्यथा वह उसे नहीं रखेगा. राममूर्ति ने जब सुना कि उदयभान सुमन से मिलने विप्रावली जाता है तो उस का खून खौल उठा. बेटी के वैवाहिक जीवन का सवाल था, इसलिए उस ने उसी समय भाइयों को बुलाया और उदयभान को खत्म करने की योजना बना डाली.
रविवार 28 जुलाई, 2013 की सुबह ही राममूर्ति ने दामाद पवन को फोन किया, वह सुमन को ले कर गुरावली आ जाए. उस ने बहाना बनाया कि मुकेश को देखने वाले आ रहे हैं. पवन सुमन को ले कर 12 बजे के आसपास ससुराल जा पहुंचा. लेकिन उसे वहां कोई लड़की वाला नहीं दिखाई दिया. फिर भी वह शाम तक रुका रहा. शाम 6 बजे के आसपास वह अपने गांव के लिए निकल पड़ा. लेकिन इस बीच राममूर्ति ने जिस काम के लिए सुमन और पवन को बुलाया था, वह हो गया था. दरअसल उसे सुमन के मोबाइल से उदयभान को संदेश भेजना था कि वह गुरावती आई है. रात 10 बजे वह उस से मिलने उस के घर आ जाए. उस समय वह छत पर रहेगी.
राममूर्ति ने सुमन का मोबाइल ले कर यह काम कब किया, उसे पता ही नहीं चला. वह खुशीखुशी पति के साथ आई और खुशीखुशी चली गई. शाम को ही राममूर्ति अपने दोनों भाइयों, राजाराम, पप्पू, समधी मुन्नालाल और उस के भाई भावसिंह के साथ शराब की बोतल ले कर छत पर बैठ गया और खानापीना होने लगा. उस ने पत्नी को पहले ही राजाराम के घर सोने के लिए भेज दिया था. दूसरी ओर सुमन का संदेश पा कर उदयभान उस से मिलने के लिए बेचैन था. प्रेमिका से मिलने के लिए ही वह घर में पिनाहट जाने का बहाना बना कर शाम को ही निकल गया. जैसे ही रात के 10 बजे, वह राममूर्ति के घर के सामने जा पहुंचा.
घर का दरवाजा खुला था, इसलिए वह दबे पांव अंदर घुस गया. उसे लगा कि सुमन ने ही दरवाजा खोल रखा है. उस ने छत पर आने को कहा था, इसलिए सीढि़यां चढ़ कर वह सीधे छत पर जा पहुंचा. लेकिन छत पर उस ने राममूर्ति, उस के भाइयों और रिश्तेदारों को देखा तो उसे काटो तो खून नहीं. वह पलट कर भागता, उस के पहले ही राममूर्ति ने लपक कर उसे पकड़ लिया. राममूर्ति उसे खींच कर कमरे में ले गया, जहां उस के मुंह में कपड़ा ठूंस कर ऊपर से बांध दिया गया. इस के बाद लाठियों और लोहे के रौड से उस की जम कर पिटाई की गई. उदयभान छटपटाने के अलावा और कर ही क्या सकता था. उस ने हाथ जोड़े, पैर पकड़े, लेकिन किसी ने दया नहीं की. इसी मारपीट में उस का बायां पैर टूट गया. पिटतेपिटते उदयभान बेहोश हो गया तो उन लोगों ने उस की गला दबा कर हत्या कर दी.
राममूर्ति के मकान की छत पर बने उस कमरे में रात को क्या हुआ, गांव वालों की छोड़ो, घर की महिलाएं तक नहीं जान सकीं. उन्होंने उदयभान का मोबाइल फोन तोड़ कर फेंक दिया था. रात 11 बजे अचानक बाहर मोटरसाइकिल आने की आवाज आई तो सभी परेशान हो उठे कि इस समय कौन आ गया. उन्होंने जल्दी से लाश छिपाई और कमरा ठीक किया. राममूर्ति ने दरवाजा खोला तो पता चला, बाहर उस की बुआ का बेटा वीर बहादुर खड़ा था. राममूर्ति उसे भीतर ले आया और सारी बातें बताईं.
उदयभान की हत्या करने के बाद सभी ने निश्चिंत हो कर आराम से शराब पी और खाना खाया. इस के बाद रात के 2 बजे के आसपास उदयभान की लाश को मोटरसाइकिल से ले जा कर गुरावली से 20 मिनट की दूरी पर गांव सड़क का पुरा के मंदिर के पास बने कुएं में फेंक आए. बाकी लोग तो घर लौट आए, जबकि मुन्नालाल और भावसिंह उतनी रात को ही अपने घर चले गए. सुबह वीर बहादुर भी अपने घर चला गया. सुबह से ही राममूर्ति पप्पू पर नजर रखने लगा था, इसीलिए जैसे ही उसे पता चला कि उदयभान की लाश बरामद हो चुकी है और पप्पू ने शक के आधार पर उस के दोनों भाइयों और मुकेश के नाम रिपोर्ट दर्ज कराई है तो वह सभी को ले कर घर से फरार हो गया था.
राममूर्ति ने भागने से पहले फोन के जरिए अपने समधी मुन्नालाल को भी सूचना दे दी थी. उस के बाद मुन्नालाल भी अपने भाई भावसिंह के साथ वहीं जा कर छिप गया था. राममूर्ति ने अपने फुफेरे भाई वीर बहादुर को भी वहीं बुला लिया था. जबकि परिवार को उस ने राजस्थान के अपने एक रिश्तेदार के यहां भेज दिया था.
पूछताछ के बाद पुलिस ने राममूर्ति के घर से वे लाठीडंडे और लोहे की रौड बरामद कर ली थी, जिन से उदयभान को मारापीटा गया था. सारे सुबूत जुटा कर पुलिस ने सभी को आगरा की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक सभी अभियुक्त जेल में बंद थे.
— कथा पुलिस सूत्रों के अनुसार