ममता का कसूर यह था कि वह दूसरी जाति के युवक सोमबीर से प्यार कर बैठी. इतना ही नहीं, उस ने सोमबीर से कोर्ट में शादी भी कर ली. यह बात ममता के घर वालों को इतनी नागवार लगी कि उन्होंने ऐसा खूनी खेल खेला, जिस में एक पुलिस अधिकारी की भी जान चली गई. इंटरमीडिएट करने के बाद सोमबीर ने आगे की पढ़ाई का इरादा त्याग दिया था. अब वह कोई कामधंधा करना चाहता था. रोहतक के पास स्थित सोमबीर के गांव सिंहपुरा में कई ऐसे युवक थे, जो ऊंची डिग्रियां ले कर नौकरी की तलाश में भटकने के बाद भी बेरोजगार थे. इसी के मद्देनजर सोमबीर ने पहले ही सोच लिया था कि वह नौकरी के चक्कर में न पड़ कर अपना खुद का कोई काम शुरू करेगा, जिस में सीधा कमाई का जरिया बन जाए.
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सोचविचार कर उस ने प्रौपर्टी डीलिंग का काम करने का फैसला किया. इस काम में न तो ज्यादा मेहनतमशक्कत की जरूरत थी और न ही ज्यादा भागदौड़ की. हां, एक अदद पूंजी की जरूरत जरूर थी, जो उस ने अपने पिता जयराज की मदद से थोड़े ही दिनों में एकत्र कर ली थी. उस ने प्रौपर्टी डीलिंग के काम के लिए पास के गांव गद्दीखेड़ा को चुना. सोमबीर ने गद्दीखेड़ा के जाट रामकेश के मकान में किराए का कमरा ले कर अपना औफिस खोल लिया. धीरेधीरे उस का काम चल निकला तो वह उसी मकान में एक दूसरा कमरा ले कर रात में भी वहीं रहने लगा. कुछ ही दिनों में वह मकान मालिक रामकेश के पूरे परिवार के साथ काफी घुलमिल गया.