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पुलिस सेवा में होने की वजह से सत्यवीर सिंह को पुलिस के हर दांवपेचों की तो जानकारी थी ही, पूर्व में तहसीलदार रहने की वजह से जमीन संबंधी भी सारी जानकारी थी. इसी वजह से उन्हें अच्छी तरह पता था कि किस मामले में कैसे मोटा माल ऐंठा जा सकता है. इसलिए पदभार संभालने के तुरंत बाद सत्यवीर सिंह ने पुलिसकर्मियों की एक ऐसी टीम बनाई, जो उन के अनुसार काम करे.

इस के लिए एसपी सत्यवीर सिंह को काफी बड़ा फेरबदल करना पड़ा. भवन निर्माण स्वीकृतियों की सुरक्षा संबंधी एनओसी के लिए आवेदकों का एसपी से मिलना जरूरी कर दिया गया था. उन से मिलने के बाद ही लोगों की एनओसी मिलती थी.

सत्यवीर सिंह शौकीनमिजाज आदमी थे. इसलिए शौकीनमिजाज लोगों की पार्टियों में जाते रहते थे. ऐसी ही किसी पार्टी में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने उन का परिचय फरहीन से करा दिया था.

फरहीन कोटा की तहसील दीगोद के गांव सुलतानपुर की रहने वाली थी. ब्राह्मण परिवार में जन्मी फरहीन का नाम ऊषा शर्मा था. उस के पिता पुलिस विभाग में सबइंसपेक्टर थे. इस के बावजूद ऊषा ज्यादा पढ़लिख नहीं सकी. इस की वजह यह थी कि जब वह हाईस्कूल में थी, तभी उस की गांव के ही रहने वाले निसार से आंखें मिल गई थीं. दोनों का प्यार गहराया तो उन्होंने निकाह कर लिया.

निकाह के बाद ऊषा ने अपना नाम फरहीन रख लिया और गांव छोड़ कर निसार के साथ कोटा शहर आ गई. निसार छोटामोटा काम कर के गुजरबसर करने लगा. उस की इस कमाई से किसी तरह घर तो चल जाता था, लेकिन फरहीन के शौक पूरे नहीं होते थे. जबकि वह काफी महत्त्वाकांक्षी थी. वह खूबसूरत तो थी ही, वाकचातुर्य भी उस में कूटकूट कर भरा था.

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