जल्दी ही ऐसा समय आ गया कि पुलिस विभाग में जिस का भी काम अटकता, वह फरहीन के दरबार में हाजिरी लगाने लगा. फरहीन काम के हिसाब से ‘सुविधा शुल्क’ तय करती. सुविधा शुल्क मिल जाने के बाद ही फरहीन के इशारे पर एसपी साहब काम करते थे.
कुछ ही दिनों में एसपी सत्यवीर सिंह फरहीन के इस तरह दीवाने हो गए कि आधी रात बाद वह अपने किसी ‘खासमखास’ सिपाही व अन्य व्यक्ति के साथ मोटरसाइकिल से सरकारी आवास से निकलते और सीधे बारां रोड स्थित फरहीन के होटल पहुंचते, जहां 2-3 घंटे गुजार कर सुबह 5 बजे तक अपने आवास पर लौट आते. कोटा के पुलिस विभाग में इसे एसपी की ‘विशेष नाइट गश्त’ कहा जाता था.
एसपी साहब फरहीन पर किस तरह फिदा थे, वह उन दोनों की मोबाइल फोन पर होने वाली बातचीत से पता चलता है. रात में मुलाकात होने के बावजूद एसपी साहब दिन में करीब 10 से 15 बार फरहीन से बात करते थे. यह जानकारी तब मिली, जब शिकायत के बाद एसपी साहब और फरहीन के मोबाइल सर्विलांस पर लगाए गए. एसीबी ने दोनों के 2700 काल रिकौर्ड किए थे. दोनों फोन पर बेहद अश्लील बातें करते थे.
एसपी सत्यवीर सिंह ने अपनी ‘खिदमतगार’ फरहीन को शहर के 2 पुलिस थानों के मामले निपटाने की जिम्मेदारी सौंप रखी थी. वे थाने थे बोरखेड़ा और नयापुरा. इन थानों में जमीनों से जुड़े ज्यादा मामले दर्ज होते थे. फरहीन का घर और होटल भी थाना बोरखेड़ा के तहत आता था. जब इन दोनों थानाक्षेत्रों के प्रौपर्टी व्यवसाइयों को फरहीन के रसूख का पता चला तो वे अपने काम कराने के लिए उसी के पास आने लगे थे.