ऊंचे पदों पर बैठे कई अधिकारी अपने पद का लाभ उठा कर करोड़ों कमाते हैं. जोधपुर की सीनियर आईएएस अधिकारी निर्मला मीणा पर 8 करोड़ रुपए के गेहूं को गलत ढंग से बेचने का आरोप है. बीती 16 मई की बात है. सुबह के करीब 10-साढ़े 10 बज रहे थे. राजस्थान की सूर्यनगरी जोधपुर में सूरज अपना रौद्र रूप दिखा रहा था, भीषण गरमी थी. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी के एसपी अजयपाल लांबा कुछ देर पहले ही अपने औफिस आए थे और अपने चैंबर में बैठे एक फाइल पर सरसरी नजर डाल रहे थे. इसी बीच उन के पीए ने टेलीफोन पर घंटी दे कर कहा, ‘‘सर, एक वकील साहब आप से मिलना चाहते हैं.’
लांबा ने एक पल सोचा फिर पीए से कह दिया, ‘‘मेरे पास भेज दो.’’
2 मिनट बाद ही एक सज्जन एसपी साहब के चैंबर का गेट खोल कर अंदर आए और एसपी साहब की ओर मुखातिब हो कर बोले, ‘‘सर, मैं आईएएस औफिसर निर्मला मीणा का वकील हूं.’’
‘‘हां वकील साहब, बैठिए.’’ एसपी साहब ने बैठने के लिए इशारा किया. वकील साहब कुरसी पर बैठते हुए बोले, ‘‘सर, निर्मलाजी आज 2-3 घंटे बाद सरेंडर कर देंगी.’’
‘‘वकील साहब, उन्होंने एसीबी की गिरफ्त से बचने के तो सारे जतन किए थे. लेकिन अब उन के पास इस के अलावा कोई और रास्ता बचा ही नहीं था.’’ एसपी लांबा ने कहा, ‘‘चलो, देर आए दुरुस्त आए.’’
इधरउधर की कुछ और बातें करने के बाद वकील साहब एसपी अजयपाल लांबा से विदा ले कर चले गए तो एसपी ने अपने पीए से कहा कि निर्मला मीणा केस के जांच अधिकारी मुकेश सोनी से बात कराओ. पीए ने एक मिनट बाद ही लाइन मिला कर फोन की घंटी दे कर कहा, ‘‘सर, सोनीजी लाइन पर हैं.’’