MP News : आरटीओ डिपार्टमेंट के कांस्टेबल सौरभ शर्मा ने 8 साल की नौकरी में पौने 3 क्विंटल से ज्यादा सोनाचांदी, करोड़ों रुपए की संपत्ति और करोड़ों रुपए नकद जमा किए. इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिपार्टमेंट के अन्य अधिकारियों ने कितना पैसा बटोरा होगा. आखिर उन अधिकारियों पर क्यों नहीं हो रही काररवाई?
सौरभ शर्मा के पास से आयकर विभाग, ईडी, लोकायुक्त को करोड़ों रुपए कैश मिलने के बाद जब जंगल में खड़ी लावारिस कार में 54 किलोग्राम सोने के बिसकुट मिले तो प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार की परतें एक के बाद एक खुलने लगीं. पढि़ए, किस तरह परिवहन विभाग का एक अदना सा सिपाही 8 साल की नौकरी में धनकुबेर बन गया...
लोकायुक्त की स्पैशल कोर्ट में 28 जनवरी, 2025 को विशेष चहलपहल दिखाई दे रही थी. सुबह से मीडिया वालों के साथ तमाशबीनों की भीड़ जमा होने लगी थी. एक दिन पहले 27 जनवरी को सौरभ शर्मा के वकील राकेश पाराशर ने कोर्ट को सौरभ के सरेंडर का आवेदन दिया था, जिस पर विचार करने के लिए कोर्ट ने दूसरे दिन 11 बजे का समय तय किया था. सौरभ अपने वकील के साथ कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचता, इस के पहले ही लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ को कोर्ट के गेट से गिरफ्तार कर लिया और उसे सीधे लोकायुक्त कार्यालय ले गई, जहां पूछताछ के दौरान ही सौरभ के साथ आए सहयोगी चेतन सिंह गौर को भी लोकायुक्त पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
कुछ देर बाद एक और सहयोगी शरद जायसवाल भी अपने वकील के साथ लोकायुक्त कार्यालय पहुंचा, जहां उसे भी पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया गया. सौरभ से लोकायुक्त पुलिस ने तकरीबन 5 घंटे तक पूछताछ की और फिर सौरभ और चेतन सिंह गौर को लोकायुक्त की स्पैशल कोर्ट के सामने पेश किया गया. कोर्ट में स्पैशल जज रामप्रताप मिश्रा के समक्ष लोकायुक्त पुलिस के वकील ने अपने तर्क देते हुए कहा, ''योर औनर, सौरभ के पास अकूत संपत्ति जब्त की गई है, जिस के बारे में डिटेल में पूछताछ करनी जरूरी है, इसलिए सौरभ को 7 दिनों की रिमांड पर पुलिस को सौंपा जाए.’’