हिमांशु राय को मुंबई पुलिस का सुपरकौप कहा जाता था. उन्होंने अंडरवर्ल्ड के तमाम लोगों को नाकों चने चबवा दिए थे. वह कभी दाऊद इब्राहीम तक से नहीं डरे और उस की संपत्ति सील करवा दीं. लेकिन यह सुपरकौप अपनी बीमारी से हार गया... मुंबई के सुपरकौप ने रिवॉल्वर मुंह में दाग कर की आत्महत्या
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56 इंच चौड़ा सीना, कसरती बदन, मजबूत फौलादी भुजाएं, रौबीले चेहरे पर लंबी घनी मूंछें और शेरों जैसी दहाड़. बिलकुल ऐसी ही पहचान थी हिमांशु राय की. तभी तो मुंबई अंडरवर्ल्ड के मोहरों और उन के आकाओं के पसीने छूटने लगते थे, हिमांशु राय के नाम से. क्रोध की मुद्रा में उन की आंखों से बरसते अंगारे अपराधियों के इरादों को झुलसाने के लिए काफी थे.
मुंबई में हुए 26/11 के हमले के गुनहगार पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में उन का बहुत बड़ा योगदान था. अंतरराष्ट्रीय पहलवान दारा सिंह के बेटे बिंदु दारा सिंह को आईपीएल स्पौट फिक्सिंग में उन्होंने ही पकड़ा और फिक्सिंग का खुलासा किया था. लैला खान सामूहिक हत्याकांड में अपराधियों तक पहुंचने के पीछे उन्हीं का दिमाग था.
किसी ने सपने में सोचा भी नहीं था कि मुंबई का यह सुपरकौप जिंदगी से हार मान जाएगा. हिमांशु राय ऐसे आईपीएस अफसर थे, जिन्होंने अयोध्या की बाबरी मसजिद विध्वंस से देश भर में उपजी हिंसा, जिस की चपेट में महाराष्ट्र का मालेगांव भी आ गया था, को 2 समुदायों के बीच फैले दंगों को बढ़ने से पहले ही अपनी सूझबूझ से शांत कर दिया था. तब वह नासिक के पुलिस अधीक्षक थे. हिमांशु राय की प्रैस कौन्फ्रैंस में न्यूज चैनलों और प्रिंट मीडिया के फोटोग्राफर्स और पत्रकारों को कुछ अलग ही अनुभूति होती थी.