सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नहीं बदलेगा फैसला
सीजेआई ने एसबीआई से कहा, ''आप को कुछ बातों पर स्पष्टीकरण देना चाहिए. पिछले 26 दिनों में आप ने क्या किया? आप के हलफनामे में इस पर एक शब्द नहीं लिखा गया है. बौंड खरीदने वाले के लिए एक केवाईसी होती थी तो आप के पास बौंड खरीदने वाले की जानकारी तो है ही.’’
इस पर एसबीआई के वकील हरीश साल्वे ने जवाब देते हुए कहा, ''इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हमारे पास जानकारी है, लेकिन डोनर्स से मिलान करने में वक्त लगेगा.’’
इस पर पांचों जजों में से दूसरे नंबर के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ''जानकारी अगर सील कवर में है तो उस सील कवर को खोलिए और जानकारी दीजिए.’’
फिर हरीश साल्वे ने कहा, ''आदेश में 2 पार्ट हैं बी और सी. अगर आप बी और सी के बीच में किसी तरह का ब्रिज नहीं चाहते, अगर खरीदार की जानकारी को पार्टी से मिलाना नहीं है तो हम जानकारी 3 हफ्ते में दे देंगे. हमें लगा कि आप एक को-रिलेशन भी दिखाने की बात कर रहे हैं.’’
इस पर तीसरे जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि बैंक को कोर्ट का पहले दिया हुआ आदेश मानना होगा. कोर्ट ने फिलहाल इस मामले में अवमानना के अपने अधिकार को इस्तेमाल नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इलेक्टोरल बौंड को अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को आर्थिक मदद के बदले में कुछ और प्रबंध करने की व्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है. इसलिए अदालत अपने फैसले पर कायम है, फैसला नहीं बदलेगा.