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साइबर क्राइम की टीम जुटी जांच में

इस बैठक के बाद विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन ने साइबर अपराध प्रकोष्ठ के तेजतर्रार एसीपी आदित्य गौतम के नेतृत्व में इंसपेक्टर परवीन, इंसपेक्टर हंसराज, सबइंसपेक्टर अवधेश, सुनील, व हरजीत के साथ 3 दरजन पुलिसकर्मियों की एक बड़ी टीम तैयार की.

इस टीम के कई लोग पहले से ही जालसाजी के इस रैकेट को समझने के लिए इस पर काम कर रहे थे. साइबर क्राइम की टीम ने सब से पहले पावर बैंक ऐप और ईजीमनी ऐप की मोडस औपरेंडी का विश्लेषण किया कि वे कैसे काम करते हैं.

टीम के सदस्यों ने इन ऐप्स पर अपने खाते बनाए और इस के बाद उन्होंने इस में कुछ पैसे इनवेस्ट भी कर दिए ताकि पता लगाया जा सके कि पैसे किन खातों में और कहां ट्रांसफर होते हैं.

पुलिस ने लंबी कवायद के बाद आखिरकार पता लगा लिया कि ऐप्स में होने वाले इनवैस्टमेंट का पैसा किस पेमेंट गेटवे से हो कर किनकिन बैंक खातों में ट्रांसफर होता है और वे बैंक खाते किन लोगों के नाम पर खुले हैं. उन में जो मोबाइल नंबर दर्ज हैं, उन का संचालन कौन करता है. साइबर क्राइम की टीम ने ठगी के इस जाल की पूरी कड़ी तैयार कर ली, जिस के बाद शुरू हुआ ऐक्शन का काम.

2 जून, 2021 की सुबह एक ही समय में दिल्लीएनसीआर, पश्चिम बंगाल और बंगलुरु में एक साथ छापेमारी की गई और 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. इस में 2 चार्टर्ड एकाउंटेंट थे. इन की पहचान गुड़गांव निवासी अविक केडिया और दिल्ली के कटवारिया सराय निवासी रौनक बंसल के रूप में हुई.

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