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लेकिन सब से बड़ा सवाल यह था कि आखिर अंशुल ने मेराज व मुकीम काला की हत्या क्यों की? जेल के भीतर यह शूटआउट जिस तरह से हुआ था, उस से एक बात तो साफ थी कि किसी ने साजिश रच कर मेराज व मुकीम काला को जेल के भीतर मरवाया है और अंशुल को शूटर के तौर पर इस्तेमाल किया गया था.

मारे गए तीनों थे कुख्यात अपराधी

जिस तरह वारदात के समय अंशुल मुख्तार अंसारी का नाम बारबार ले कर उस के गैंग को खत्म करने की बात कर रहा था, उस से भी स्पष्ट था कि मुख्तार अंसारी के किसी दुश्मन ने उसे कमजोर करने के लिए इस काम को अंजाम दिया या फिर मुख्तार गैंग ने ही इस शूटआउट को अंजाम दिलवाया है.

शासन के आदेश पर डीआईजी (जेल) संजीव त्रिपाठी के अलावा चित्रकूट जिला पुलिस की जांच टीम के सीओ (सिटी) शीतला प्रसाद पांडेय, कोतवाल वीरेंद्र त्रिपाठी, एसआई रामाश्रय सिंह को मिला कर एक जांच दल गठित किया, जिस ने धीरेधीरे इन सवालों के जवाब तलाशने शुरू कर दिए.

इन तमाम सवालों के जवाब जानने से पहले हमें चित्रकूट जेल के शूटआउट में मारे गए तीनों अपराधियों के जुर्म का इतिहास खंगालना होगा.

अंशुल सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का मूल निवासी था. पुलिस कस्टडी के दौरान अंशुल अपराध की दुनिया के सफर में अपने शामिल होने की जो कहानी सुनाता था, उस के मुताबिक सीतापुर में एक राजनैतिक पार्टी के नेता का बेटा उस की बहन से छेड़छाड़ करता था. ऐसी हरकत से मना करने पर उस नेता के बेटे ने गुंडई की. सरेआम पिटाई करने के बाद अंशुल पर गोली दाग दी.

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