राजनैतिक दलों के रसूखदार लोगों का फायदा उठा कर मोहन श्रीवास्तव गया नगर निगम का डिप्टी मेयर बन गया था. वह राजनीति में मुकम्मल मुकाम हासिल करना चाहता था लेकिन वह शबाब में ऐसा फिसला कि पहुंच गया जेल पटना के एसएसपी मनु महाराज देर रात औफिस में बैठ कर अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे थे, तभी उन के एक खास मुखबिर ने सूचना दी कि बिहार के मोतिहारी जिले से 2 नाबालिग लड़कियां बाहुबलियों द्वारा अपहृत कर के पटना लाई गई हैं. समय रहते अगर खोजबीन की जाए तो लड़कियां बरामद की जा सकती हैं.
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सूचना चौंकाने वाली थी क्योंकि पटना में पिछले साल कई जगहों पर सैक्स रैकेट का पुलिस द्वारा भंडाफोड़ कर के आरोपियों को जेल भेजा गया था. रैकेट में ज्यादातर लड़कियां पटना से बाहर की ही रहने वाली थीं. मुखबिर की सूचना से उन्होंने अनुमान लगाया कि उन लड़कियों को भी जरूर किसी खास मकसद से पटना लाया गया होगा. पटना कोई छोटीमोटी जगह तो थी नहीं जिस से उन लड़कियों को आसानी से ढूंढा जा सकता. एसएसपी ने उसी समय सभी थानों को वायरलैस द्वारा मैसेज प्रसारित करा दिया कि 2 नाबालिग लड़कियां किसी के साथ संदिग्धावस्था में या होटल, या ढाबे में मिलें तो उन से पूछताछ की जाए और उस की सूचना तुरंत उन के औफिस में दी जाएं.
इस के अलावा उन्होंने शहर कोतवाली के कुछ पुलिसकर्मियों की टीम बना कर बस अड्डा, रेलवे स्टेशनों, होटलों आदि जगहों पर भेज दीं. कप्तान साहब का आदेश मिलते ही पुलिस टीम ने बस अड्डा और पटना के रेलवे स्टेशनों पर संदिग्ध लड़कियों को खोजना शुरू किया, लेकिन वहां ऐसा कोई संदिग्ध नहीं मिला. इस के बाद पुलिस टीम ने शहर के होटलों, गेस्ट हाउसों की तलाशी शुरू की. इसी क्रम में पुलिस फ्रेजर रोड पर स्थित एक मारवाड़ी आवासगृह में पहुंची. पुलिस ने उस आवासगृह के कमरों की तलाशी लेनी शुरू की तो कमरा नंबर एस-3 में 2 नाबालिग लड़कियां 2 अधेड़ पुरुषों के साथ आपत्तिजनक हालत में मिलीं. पुलिस ने उन्हें तुरंत हिरासत में ले लिया.