राजस्थान की सब से बड़ी पंचायत विधानसभा में ‘भूतों’ ने डेरा जमाए रखा. एकदो दिन नहीं बल्कि कई दिनों तक वहां भूतप्रेतों की लीला पर चर्चा चलती रही. सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के अलावा विपक्षी विधायक भी इस चर्चा में शामिल रहे. दिलचस्प यह रहा कि जिस विधानसभा में अंधविश्वास को खत्म करने के कानून बनाए जाते हैं, वहां भूतप्रेत और बुरी आत्माओं जैसे अंधविश्वास को महिमामंडित करने वाली बातें होती रहीं.

 

जयपुर स्थित राजस्थान विधानसभा में भूतप्रेतों की अफवाह फैलाने वाली कहानी की शुरुआत 22 फरवरी, 2018 को हुई. इस दौरान विधानसभा में बजट सत्र चल रहा था. इसी दिन सदन के बाहर मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर और नागौर से विधायक हबीबुर्रहमान अशरफी ने मीडिया से कहा कि विधानसभा में बुरी आत्माओं का साया है, जिस की वजह से आज तक सदन में 200 विधायक कभी एक साथ नहीं रहे.

कभी किसी की मौत हो जाती है तो कभी कोई जेल चला जाता है. आत्माओं की शांति के लिए हवन और ब्राह्मणों को भोजन कराने की जरूरत है. इस बारे में वह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी बता चुके हैं. उन्हें इस संबंध में कई सुझाव भी दिए हैं.  कालूलाल गुर्जर ने कहा कि जहां विधानसभा है, वहां कभी श्मशान था, जहां मृत बच्चे दफनाए जाते थे. हो सकता है कोई ऐसी आत्मा हो जिसे शांति न मिली हो, वही नुकसान पहुंचा रही हो.

 

भाजपा विधायक हबीबुर्रहमान ने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि श्मशान भूमि पर भवन नहीं होना चाहिए. भाजपा विधायकों की ओर से फैलाया गया यह अंधविश्वास 22 फरवरी की रात करीब 8 बजे विधानसभा के सदन में गूंजने लगा. अनुदान मांगों की बहस के दौरान पौइंट औफ इनफौर्मेशन के जरिए कांग्रेस विधायक धीरज गुर्जर ने यह मसला उठाते हुए कहा कि भाजपा विधायक और सचेतक अंधविश्वास फैला रहे हैं. उन के बयानों से पूरे राजस्थान में हड़कंप मचा हुआ है.

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