बालम की सेज पर नौकर का धमाल

किसी एक की नहीं हुई अनारकली – भाग 3

अनारकली की बात पर बलराम ने भी बहस करनी जरूरी नहीं समझी. वह उसे समझाने की कोशिश करने लगा. पर उसी समय उस ने यह जरूर तय कर लिया था कि इस धोखेबाज औरत को वह सबक जरूर सिखाएगा. और यह काम उस के साथ रह कर संभव हो सकता था.

बलराम के दिल में कसक तो थी ही. वह बस मौके का इंतजार कर रहा था. बात 2 दिसंबर, 2016 की है. दोपहर के समय बलराम दशघरा गढ़ी स्थित अपने कमरे पर आया. उस के दिल में अनारकली के प्रति गुस्सा तो भरा ही हुआ था. बलराम ने उस के चरित्र को ले कर बात शुरू की तो अनारकली भड़क गई. दोनों तरफ से गरमागरमी होने लगी. तभी बलराम कमरे में स्लैब पर रखा अपना हथौड़ा उठा लिया और उस का एक वार उस के सिर पर किया.

हथौड़े के वार से अनारकली बेहोश हो कर गिर पड़ी और उस के सिर से खून निकलने लगा. इस के बाद उस ने उस की पीठ पर भी हथौड़े से कई वार किए. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

अनारकली की हत्या करने के बाद बलराम को तसल्ली हुई पर उस के सामने समस्या यह आ गई कि लाश को ठिकाने कैसे लगाए.

कुछ देर सोचने के बाद वह कमरे में रखा किचन में प्रयोग होने वाला चाकू उठा लाया. उस चाकू से उस ने अनारकली को कूल्हे के ऊपर से काट कर 2 हिस्सों में कर दिया. कमरे में बड़ेबड़े 2 ट्रैवल बैग रखे थे. उन में रखे कपड़े निकाल दिए. इस के बाद उस ने उन में लाश के टुकड़े रख दिए. फिर उस ने कमरे का खून साफ किया. अब वह अंधेरा होने का इंतजार करने लगा.

अंधेरा होने पर उस ने वह बैग उठाया, जिस में अनारकली का सिर और धड़ वाला भाग रखा था. उस बैग को रिक्शे में ले कर वह कैप्टन गौड़ मार्ग पर नाले के पास स्थित बसस्टैंड पर उतर गया. कुछ देर वहां बैठने के बाद जब उसे आसपास कोई दिखाई नहीं दिया तो उस ने उस बैग को नाले के किनारे झाडि़यों में डाल दिया.

एक बैग को ठिकाने लगाने के बाद वह कमरे पर आया और दूसरे बैग को रिक्शे में ले कर कैप्टन गौड़ मार्ग पर स्थित मसजिद के पास उतर गया.

फिर वहां से कुछ मीटर आगे चल कर उस ने वह बैग भगेल मंदिर के पास पुलिया के नीचे गिरा दिया. वह इलाका श्रीनिवासपुरी क्षेत्र में आता है. वहां से बह रहे बड़े नाले में 2 छोटे नाले भी जुड़े हुए हैं. वह बैग जिस में अनारकली के कूल्हे और पैर वाला भाग था, लुढ़क कर एक छोटे नाले के किनारे पहुंच गया.

दोनों बैग ठिकाने लगाने के बाद बलराम ने राहत की सांस ली. फिर कमरे की सफाई कर के खून से सनी चादर कूड़े के ढेर पर फेंक आया. इस के बाद वह ताला लगा कर अपने एक जानकार के यहां चला गया.

नोटबंदी के बाद जिस तरह जगहजगह नोट पड़े होने की खबरें सामने आई हैं, उसी तरह नाले के पास झाडि़यों में पड़े उस बैग को किसी व्यक्ति ने लालच में आ कर खोला होगा. पर नोटों की जगह उस में लाश देख कर उसे जरूर पसीना आ गया होगा. डर की वजह से वह बैग को खुला छोड़ कर भाग गया.

उधर भगेल मंदिर के पास छोटे नाले के पास जो बैग गिरा था, उसे कुत्तों ने फाड़ कर उस में से लाश निकाल कर खा ली. केवल एक टांग पर कुछ मांस बचा था. जानवरों की खींचातानी में वह हिस्सा नाले में गिर गया.

पुलिस ने एम्स की मोर्चरी में लाश के जो 2 हिस्से रखवाए थे, उन की डीएनए जांच की गई तो वह दोनों एक ही महिला के पाए गए. बलराम से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा और चाकू भी कमरे से बरामद कर लिया. खून से सनी चादर जहां फेंकी थी, पुलिस उसे वहां ले कर गई पर नगर निगम की गाड़ी वहां के कूड़े को ले जा चुकी थी, जिस से वह चादर वहां नहीं मिल सकी. पुलिस ने बलराम को भादंवि की धारा 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर के साकेत कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी अर्चना बेनीवाल की कोर्ट में पेश कर उसे 2 दिनों के रिमांड पर लिया.

रिमांड अवधि में संबंधित स्थानों की तसदीक कराने के बाद उसे फिर से कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक बलराम जेल में बंद था. मामले की विवेचना इंसपेक्टर राजेश मौर्य कर रहे हैं.

कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

किसी एक की नहीं हुई अनारकली – भाग 2

अब तक की जांच में मृतका के साथ रहने वाले बलराम पर ही शक जा रहा था, क्योंकि वह गायब था. पुलिस टीम उसे ढूंढने में जुट गई. इस काम में पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी लगा दिया. प्रवीण ने पुलिस को बताया था कि मृतका अनारकली का एक बेटा भी है जो चेन्नै में रहता है. पुलिस ने प्रवीण से उस का, अनारकली और उस के बेटे का फोन नंबर ले लिया. तीनों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई.

इस के अलावा इन तीनों नंबरों के द्वारा जिन नंबरों से बात होती थी, उन की भी जांच की. इस जांच में अनारकली के फोन नंबर की लोकेशन उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की आ रही थी.

अनारकली के इस नंबर से जिनजिन नंबरों से संपर्क हुआ था, उन सब को जांच के दायरे में लिया गया. इन में से एक नंबर दिल्ली के संगम विहार इलाके का मिला. संगम विहार के जिस व्यक्ति का यह नंबर था, वह एक औटो ड्राइवर था. पुलिस उस तक पहुंच गई. उस से पूछताछ की गई तो वह पुलिस को बेकसूर लगा.

उधर पुलिस की बलराम को ढूंढने की कोशिश जारी थी. फिर 7 दिसंबर, 2016 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर बलराम को दिल्ली के नेहरू प्लेस मैट्रो स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अनारकली उस के साथ 20 साल से लिवइन रिलेशन में रहती थी. पर उस ने हालात ऐसे खड़े कर दिए थे कि उसे उस की हत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. बलराम ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, चौंकाने वाली निकली.

अनारकली उर्फ अन्नू मूलरूप से चेन्नै की रहने वाली थी. उस के मातापिता बेहद गरीब थे, इस वजह से वह नहीं पढ़ सकी. उस के मोहल्ले की कई लड़कियां दिल्ली में नौकरी या फिर दूसरे कामधंधे करती थीं. अनारकली जब करीब 16 साल की हुई तो उस के पिता ने उसे काम करने के लिए मोहल्ले की लड़कियों के साथ दिल्ली भेज दिया.

वह कोई पढ़ीलिखी तो थी नहीं, जिस से उस की कहीं नौकरी लग जाती. कुछ कोठियों में उसे झाड़ूपोंछा आदि का काम जरूर मिल गया. बाद में उसे और कोठियों में भी काम मिलते चले गए. कई जगह काम करने से उसे महीने की अच्छी कमाई होने लगी. उन पैसों में से वह कुछ पैसे अपने मांबाप के पास भेज देती थी.

दिल्ली में साल भर काम करने के बाद अनारकली काफी चालाक हो गई थी. अब वह पहले वाली सीधीसादी अन्नू नहीं रह गई थी. उसी दौरान 17 साल की अनारकली उर्फ अन्नू की मुलाकात दुरक्कन नाम के युवक से हुई जो दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था. दुरक्कन 20-22 साल का युवक था. वह भी चेन्नै का रहने वाला था, इसलिए दोनों के बीच जल्द ही दोस्ती हो गई जो बाद में प्यार में बदल गई. अपने कामधंधे से निपटने के बाद दोनों मिलतेमिलाते रहते थे.

अनारकली अपने मांबाप से भले ही सैकड़ों किलोमीटर दूर रह कर अपने प्रेमी के साथ मौजमस्ती कर रही थी, इस के बावजूद भी इस की जानकारी उस के घर वालों को हो गई थी. इस बारे में जब उन्होंने अनारकली से बात की तो उस ने साफसाफ बता दिया कि वह दुरक्कन से शादी करना चाहती है. घर वालों ने उस की बात मानते हुए दुरक्कन से उस की शादी कर दी. इस के बाद वह पति के साथ दिल्ली में रहने लगी.

अनारकली और उस का पति दोनों कमा रहे थे, इसलिए उन की घरगृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी. इसी दौरान वह एक बेटे की मां बन गई, जिस का नाम श्रीनिवासन रखा. प्यार से सभी उसे सनी कहते थे. शादी के 7-8 साल बाद दुरक्कन पत्नी को अकेला छोड़ कर कहीं चला गया. अनारकली ने अपने स्तर से जब पति के बारे में पता लगाया तो जानकारी मिली कि उस का किसी और लड़की से चक्कर चल रहा था. वह उस लड़की को ले कर चेन्नै भाग गया है. पति के इस विश्वासघात से अनारकली को बड़ा दुख हुआ.

वह दिल्ली में बेटे सनी के साथ अकेली थी. उस ने सनी को अपने मायके भेज दिया ताकि वह अपने नानानानी की देखरेख में पढ़ाई पूरी कर सके. अनारकली की उम्र उस समय करीब 24-25 साल थी. यह उम्र अकेले काटे से नहीं कटती. पति उसे धोखा दे कर चला गया था. उसी दौरान उस की मुलाकात बलराम नाम के व्यक्ति से हो गई.

बलराम प्लंबर था. वह मूलरूप से उड़ीसा के केंद्रपाड़ा जिले का रहने वाला था. वह शादीशुदा था, उस की पत्नी उड़ीसा में ही रहती थी. धीरेधीरे दोनों इतने नजदीक आ गए कि उन्होंने साथसाथ रहने का फैसला कर लिया. वे दोनों दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना अमर कालोनी के गांव दशघरा गढ़ी में लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

अनारकली ने घरों में काम करना बंद कर दिया. वह ईस्ट औफ कैलाश में स्थित नर्सरी के पास फुटपाथ पर चाय की दुकान चलाने लगी. बलराम का साथ मिलने पर अनारकली के जीवन में खुशहाली लौट आई थी. करीब 20 साल तक दोनों लिवइन रिलेशन में रहते रहे.

इस बीच बलराम समयसमय पर उड़ीसा स्थित अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने चला जाता था. उस के 2 बेटियां और एक बेटा था. बीवी और जवान बच्चों को इस बात की भनक तक नहीं लग सकी थी कि वह दिल्ली में किसी औरत के साथ रह रहा है.

करीब डेढ़ महीने पहले बलराम उड़ीसा से दिल्ली लौटा तो अनारकली का व्यवहार कुछ बदला हुआ था. हालांकि अनारकली का सारा खर्च वह खुद उठाता था, इस के बावजूद भी वह उस के साथ रूखा व्यवहार कर रही थी. इतना ही नहीं, वह बिस्तर पर भी उसे अपने पास नहीं फटकने देती थी. बलराम को शक हो गया कि जरूर इस के किसी और से संबंध हो गए हैं. वह पता लगाने में जुट गया कि ऐसा कौन आदमी है.

बलराम ने जल्द ही इस बारे में जानकारी जुटा ली. उसे पता चला कि अनारकली के एक नहीं बल्कि 2 औटो ड्राइवरों से नाजायज संबंध हैं. यह जानकारी मिलते ही बलराम के तनबदन में आग सी लग गई. उस का मन तो कर रहा था कि वह अनारकली को अभी ऐसी सजा दे, जिसे वह जिंदगी भर न भूल सके. पर वह कोई बात सोच कर अपना गुस्सा पी गया.

उस ने शाम को अनारकली से उस के बदले व्यवहार के बारे में बात की तो वह उस के साथ लड़ने को आमादा हो गई. दोनों में कुछ देर बहस हुई और मामला शांत हो गया.

एक दिन बलराम दोपहर के समय कमरे पर पहुंचा तो दरवाजा अंदर से बंद मिला. किवाड़ के बीच में जो दरार थी, उस पर आंख गड़ा कर देखा तो कमरे के अंदर जल रही ट्यूबलाइट की रोशनी में सारा नजारा दिख गया. अनारकली एक व्यक्ति के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थी. इस के बाद तो बलराम का शक विश्वास में बदल गया.

बलराम ने दरवाजा खटखटाने के बजाय अनारकली को फोन लगाया तो उस ने स्क्रीन पर नंबर देखने के बाद अपना फोन स्विच्ड औफ कर दिया. इस के अलावा उस ने कमरे में जल रही ट्यूबलाइट भी बंद कर दी.

तब बलराम ने दरवाजा खटखटाया. करीब 4-5 मिनट बाद अनारकली ने दरवाजा खोला तो सामने बलराम को देख कर उस के होश उड़ गए. उसी दौरान कमरे में अनारकली के साथ जो युवक था, वह वहां से भाग गया. तब बलराम ने उस से उस युवक के बारे में पूछा तो अनारकली बोली, ‘‘कोई भी हो, तुम्हें उस से क्या मतलब?’’

‘‘मेरे होते हुए तुम किसी और को यहां नहीं बुला सकती.’’ वह बोला.

‘‘क्यों, मैं ने तुम्हारे साथ क्या शादी की है जो मुझ पर इस तरह से हुकुम चला रहे हो. अपनी जिंदगी मैं अपनी तरह से जिऊंगी. इस में कोई भी दखलअंदाजी नहीं कर सकता. इसलिए बेहतर यही है कि तुम इस मुद्दे पर ज्यादा बात मत करो.’’ अनारकली ने जवाब दिया.

बलराम उस का मुंह देखता रह गया. बात भी सही थी, उस ने अनारकली से शादी थोड़े ही की थी. दोनों का स्वार्थ था, इसलिए वे साथसाथ रह रहे थे. बलराम से जब उस का मन भर गया तो उस ने किसी और के साथ नजदीकी बना ली.

किसी एक की नहीं हुई अनारकली – भाग 1

3 दिसंबर, 2016 को सुबह करीब साढ़े 10 बजे दक्षिणपूर्वी दिल्ली के अमर कालोनी थाने के ड्यूटी अफसर को पुलिस कंट्रोलरूम से सूचना मिली कि कैप्टन गौड़ मार्ग पर नाले के किनारे बैग में किसी की लाश पड़ी है. उस दिन थानाप्रभारी उदयवीर सिंह किसी काम से बाहर गए हुए थे. उन की गैरमौजूदगी में थाने का चार्ज इंसपेक्टर राजेश मौर्य संभाले हुए थे. बैग में लाश मिलने की सूचना मिलते ही इंसपेक्टर राजेश मौर्य एसआई मनोज कुमार, हैडकांस्टेबल सुरेंद्र सिंह और महावीर सिंह को ले कर सूचना में बताए पते की तरफ निकल गए.

कैप्टन गौड़ मार्ग पर स्थित वह नाला थाने से करीब 2 किलोमीटर दूर था, इसलिए पुलिस टीम करीब 10 मिनट में ही वहां पहुंच गई. वहां पहले से काफी लोग खड़े थे. भीड़ को देख कर उधर से गुजरने वाले वाहन चालक भी वहां रुकरुक कर जा रहे थे. सभी लोग नाले के किनारे झाड़ी के पास पड़े उस काले रंग के ट्रैवल बैग को देख रहे थे. उस बैग का फ्लैप खुला हुआ था, जिस से उस में रखी लाश साफ दिखाई दे रही थी.

नोटबंदी के बाद जिस तरह आए दिन कूड़े के ढेर या अन्य जगहों पर करोड़ों रुपए मिलने के समाचार आ रहे हैं, उसी तरह इस बड़े बैग को भी नाले के किनारे किसी व्यक्ति ने देखा होगा तो पैसे मिलने की संभावना को देखते हुए उस ने इस बैग का फ्लैप खोल कर देखा होगा. लाश देख कर उस के होश फाख्ता हो गए होंगे. फिर वह बैग को ऐसे ही खुला छोड़ कर भाग गया होगा. लेकिन यह पता नहीं लग पा रहा था कि उस में रखी लाश किसी आदमी की है या किसी महिला की.

इंसपेक्टर राजेश मौर्य ने उस बैग का ऊपरी मुआयना कर के सूचना डीसीपी रोमिल बानिया, एसीपी सतीश केन, थानाप्रभारी उदयवीर सिंह के अलावा क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को दे दी. वहां मौजूद सभी लोग आपस में यही बातें कर रहे थे कि पता नहीं इस बैग में किस की लाश है. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम के आने के बाद बैग से जब लाश निकाली गई तो सभी हैरान रह गए.

किसी महिला की लाश का वह कूल्हे से ऊपर का हिस्सा था. बाकी नीचे का हिस्सा वहां नहीं था. वह औरेंज कलर की नाइटी पहने हुए थी. उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार करने की चोट थी. उस की कलाई पर कलावा बंधा था. इस के अलावा हाथ की एक अंगुली में अंगूठी थी और गले में पीले रंग का धागा पड़ा हुआ था. महिला की उम्र यही कोई 40-45 साल थी.

बैग से या उस महिला की लाश से कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिस से उस की शिनाख्त हो सके. वहां जितने भी लोग खड़े थे, उन में से कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका. इस से यही अनुमान लगाया गया कि शायद यह किसी दूसरे इलाके की होगी. पुलिस ने मृतका का पेट के नीचे का हिस्सा आसपास की झाडि़यों में तलाशा पर वह वहां नहीं मिला.

उसी दौरान डीसीपी रोमिल बानिया, एडिशनल डीसीपी राजीव रंजन, एम. हर्षवर्धन, एसीपी सतीश केन आदि भी वहां पहुंच गए. उन्होंने भी लाश का मुआयना किया और इंसपेक्टर राजेश मौर्य को जरूरी दिशानिर्देश दे कर चले गए. पुलिस ने जरूरी काररवाई करने के बाद लाश के आधे हिस्से को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की मोर्चरी में रखवा दिया.

पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर मृत महिला की शिनाख्त की काररवाई शुरू कर दी. पुलिस ने महिला की लाश के फोटो लगे 4 हजार पैंफ्लेट छपवा कर इलाके में सार्वजनिक स्थानों पर चिपकवा दिए.

इतना ही नहीं, समस्त थानों में सूचना भेज कर यह भी पता लगाने की कोशिश की कि इस हुलिया से मिलतीजुलती कोई महिला लापता तो नहीं है. थानाप्रभारी उदयवीर सिंह जो बाहर गए हुए थे, लाश मिलने की खबर पा कर शाम तक थाने लौट आए. अगले दिन भी पुलिस टीम हर संभावित तरीकों से पता लगाने लगी कि आखिर यह महिला है कौन. पर कहीं से भी उस के बारे में कुछ भी पता नहीं लगा.

4 दिसंबर, 2016 को दोपहर 12 बजे पुलिस कंट्रोलरूम से थाना अमर कालोनी में सूचना मिली कि श्रीनिवासपुरी के क्यू ब्लौक में पास भगेल मंदिर के पास छोटे नाले में किसी महिला का पेट से नीचे का भाग पड़ा हुआ है. थानाप्रभारी उदयवीर सिंह और इंसपेक्टर राजेश मौर्य 15-20 मिनट में ही भगेल मंदिर के पास पहुंच गए.

क्योंकि एक दिन पहले उन्होंने जिस महिला की लाश बरामद की थी, उस का भी पेट से नीचे का हिस्सा गायब था. पुलिस जब भगेल मदिर के पास पहुंची तो वास्तव में वहां किसी महिला के पेट के नीचे का हिस्सा नाले में पड़ा हुआ था. उस के एक पैर पर मांस नहीं था. शायद उसे कुत्तों ने खा लिया होगा.

नाले के पास एक काले रंग का बैग पड़ा हुआ था. उस पर खून के निशान से लगा कि लाश का वह हिस्सा उसी बैग में रख कर लाया गया होगा. जिस जगह से पुलिस ने एक दिन पहले महिला का धड़ बरामद किया था, यह जगह वहां से कोई आधा किलोमीटर दूर थी. जरूरी काररवाई कर के उसे भी पुलिस ने एम्स की मोर्चरी में रखवा दिया. पुलिस ने नाले के पास से महिला का जो धड़ बरामद किया था, यह हिस्सा उसी महिला का है या नहीं, यह बात डाक्टरी जांच के बाद ही पता लग सकती थी.

बहरहाल, अब पुलिस का पहला मकसद मृतका की शिनाख्त करवाना था. पुलिस के पास लाश के जो फोटो थे, उन्हीं के माध्यम से वह उस की शिनाख्त में जुट गई. बीट का हरेक पुलिसकर्मी अपनेअपने इलाके के लोगों को वह फोटो दिखा कर उस के बारे में पूछने लगा. हैडकांस्टेबल सुरेंद्र भी इसी काम में लगे हुए थे. फोटो देख कर उन्हें अमर कालोनी क्षेत्र के ही एक व्यक्ति ने बताया कि यह महिला तो अन्नू की तरह लग रही है.

‘‘अन्नू…यह अन्नू कौन थी और कहां रहती थी?’’ हैडकांस्टेबल सुरेंद्र ने उस से पूछा.

‘‘सर, यह दशघरा गढ़ी गांव में ही कहीं रहती थी. पर मैं इस के एक रिश्तेदार प्रवीण को जानता हूं जो सपना सिनेमा के पास साउथ इंडियन व्यंजन की रेहड़ी लगाता है.’’ वह व्यक्ति बोला.

सुरेंद्र को यह सुन कर खुशी हुई कि शायद यहां से कुछ बात बन सकती है. वह उस व्यक्ति को ले कर थाना अमर कालोनी क्षेत्र में स्थित सपना सिनेमा के पास ले गए. प्रवीण वहीं मिल गया. हैडकांस्टेबल सुरेंद्र ने प्रवीण को महिला की लाश का फोटो दिखाया तो उस ने उसे पहचानते हुए कहा कि यह अनारकली उर्फ अन्नू हैं. रिश्ते में यह उस की मौसेरी सास (सास की छोटी बहन) हैं.

सुरेंद्र ने यह जानकारी थानाप्रभारी उदयवीर सिंह और इंसपेक्टर राजेश मौर्य को दी. दोनों पुलिस अधिकारी प्रवीण के पास ही पहुंच गए. पुलिस प्रवीण को ले कर दशघरा गढ़ी स्थित अनारकली के कमरे पर पहुंची. पर उस का कमरा बाहर से बंद मिला. करीब 45 कमरों वाला वह मकान श्रीराम नाम के एक शख्स का था. पुलिस ने श्रीराम को बुला कर बात की तो उस ने बताया कि अनारकली एक मद्रासन थी जो करीब 3 महीने पहले उस के यहां आई थी.

इस के साथ बलराम नाम का एक बंदा और रहता था. यह सन 2010 में भी इसी मकान में 6-7 महीने रह कर गई थी. उस समय भी बलराम इस के साथ रहता था. जिस कमरे में अनारकली रहती थी, उस के आसपास के कमरों में रहने वाले लोगों ने बताया कि यह 2 दिसंबर से दिखाई नहीं दे रही.

वहां खड़ेखड़े पुलिस को अनारकली के कमरे से बदबू आती महसूस हुई. पुलिस ने भगेल मंदिर के पास से महिला के पेट से नीचे वाला जो हिस्सा बरामद किया था, उस की अभी डाक्टरी रिपोर्ट नहीं आई थी इसलिए कहा नहीं जा सकता था कि वह उसी की लाश का हिस्सा है. थानाप्रभारी को लगा कि कहीं अनारकली की लाश का आधा भाग इस कमरे में तो नहीं रखा है, इसलिए उन्होंने मकान मालिक और अन्य लोगों के सामने कमरे का ताला तोड़ कर कमरे में खोजबीन की तो वहां सूखी हुई मछलियां मिलीं. वह बदबू उन्हीं से आ रही थी.

कमरे की जांच के दौरान दीवार पर खून के कुछ छींटे भी दिखे. वे छींटे मानव खून के थे या नहीं, यह जांच के बाद ही पता चल सकता था. लिहाजा उन्होंने फोरैंसिक विभाग को फोन कर दिया. डा. नरेश कुमार के नेतृत्व में एक फोरैंसिक टीम वहां आ गई. टीम को दीवार पर 6 जगह खून के छींटे मिले. इस के अलावा एलपीजी के छोटे सिलेंडर पर भी खून के छींटे मिले. कमरे में 3 चाकू मिले. फोरैंसिक टीम ने कमरे से सबूत इकट्ठे कर लिए.

बालम की सेज पर नौकर का धमाल – भाग 3

शैलेष भी सीमा से हेमंत की तारीफों के पुल बांधता. ढाबे में काम करते हुए हेमंत की नजदीकियां सीमा से बढ़ गईं और वे दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे. शैलेष जब भी घर से बाहर जाता तो हेमंत और सीमा को मौका मिल जाता और वे अपनी हसरतें पूरी करने लगे.

2022 के नवंबर महीने में शैलेष ने अपने ढाबे पर काम करने वाले हेमंत बावरिया और अपनी पत्नी सीमा को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था. तभी से शैलेष सीमा से हेमंत को ढाबे से निकालने को बोल रहा था. लेकिन सीमा की जिद के आगे वह मजबूर था. इसी वजह से आए दिन शैलेष शराब के नशे में सीमा से विवाद करने लगा. एक दिन गुस्से में आ कर शैलेष ने सीमा से कहा,

‘‘तुम हेमंत को ढाबे से निकाल दो, नहीं तो मैं अपने घर वालों से बोल कर तुम्हारे नाजायज संबंधों का भांडा फोड़ दूंगा.’’

इस पर सीमा ने भी दोटूक कह दिया, ‘‘मैं तुम्हें छोड़ सकती हूं,मगर हेमंत को नहीं.’’

शैलेष खून का घूंट पी कर रह गया था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. समाज में बदनामी के डर से वह मौन था. उसे अपनी बेटी के भविष्य की चिंता भी खाए जा रही थी.

पति था पत्नी के प्यार में कांटा…

अवैध संबंध की जानकारी परिवार के लोगों को बताने की बात पर सीमा तथा हेमंत बावारिया ने जबरदस्ती शैलेष साकरे को नशामुक्ति केंद्र इटारसी में 6 माह के लिए भेज दिया. परिवार के लोगों के पूछने पर सीमा ने बताया कि शैलेष नशे की लत के कारण आए दिन झगड़ा करता है. कुछ माह वहां रहेगा तो उस की यह लत छूट जाएगी.

शैलेष के जाने के बाद से सीमा तथा हेमंत मिलन ढाबे के कमरे में एक साथ रहने लगे थे. शैलेष की बेटी सारणी के 9वीं क्लास में पढ़ती थी, उसे हेमंत का अपने कमरे में मम्मी के साथ रहना पसंद नहीं आ रहा था. जब वह इस बात का विरोध करती तो सीमा उसे समझाबुझा कर शांत कर देती. शैलेष की बेटी ज्यादा दिनों तक यह बरदाश्त नहीं कर सकी और आखिर वह पापा को घर लाने की जिद कर बैठी.

बेटी के जिद करने पर सीमा एवं हेमंत ने करीब 10-15 दिन बाद ही शैलेष साकरे को नशामुक्ति केंद्र से वापस रेस्टोरेंट ले आए. इस के बाद शैलेष सीमा और हेमंत पर पैनी निगाह रखने लगा था, जिस की वजह से दोनों प्रेमी मिल नहीं पा रहे थे. दोनों की तड़प बढ़ती जा रही थी और शैलेष मिलन की राह में रोड़ा बना हुआ था.

10 जनवरी, 2023 की बात है. रात 2 बजे सीमा साकरे अपने कमरे से निकल कर कंबल ले कर हेमंत बावरिया को रेस्टोरेंट में देने चली गई. काफी देर तक वापस नहीं आने के कारण शैलेष तथा उस की बेटी ने जा कर देखा तो सीमा तथा हेमंत ढाबे के एक कमरे में एक ही बिस्तर पर आपत्तिजनक हालत में मिले.

हत्या कर ढाबे में लगा दी आग…

यह देख कर शैलेष का खून खौल उठा. वह गुस्से में उसे मारने के लिए दौड़ा तो सीमा ने उस के हाथ पकड़ लिए. शैलेष ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘इस आस्तीन के सांप को ढाबे से निकाल दो, नहीं तो मैं तुम दोनों का मुंह काला कर के कस्बे में घुमाऊंगा.’’

सीमा ने इंकार करते हुए कहा, ‘‘अगर तुम ने हेमंत को ढाबे से निकाला तो मैं मायके चली जाऊंगी.’’ इस के बाद रोज ही शैलेष और सीमा हेमंत को ले कर झगडऩे लगे. जब शैलेष ने सीमा की इन हरकतों का विरोध करना शुरू किया तो सीमा नाराज हो कर अपने मायके बैतूल चली गई. 15 जनवरी को हेमंत भी ढाबा छोड़ कर कहीं चला गया. 2-3 दिन अपने मायके बैतूल में रहने के बाद सीमा अपनी बुआ के घर इटारसी आ गई.

इस बीच हेमंत और सीमा की मोबाइल फोन पर बातचीत लगातार होती रहती थी. शैलेष की हत्या का प्लान भी मोबाइल फोन पर बातचीत के दौरान ही बना था.सीमा पति शैलेष की हत्या करने के लिए हेमंत को बारबार बोल रही थी, लेकिन हेमंत इस के लिए तैयार नहीं हो रहा था. सीमा ने एक दिन फोन पर प्रेमी हेमंत को चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘जब तक शैलेष हम दोनों के बीच रहेगा, हम चैन से नहीं रह सकते. तुम किसी तरह ढाबे में ही शैलेष की हत्या कर दो.’’

“ये काम इतना आसान नहीं है सीमा, मुझे कुछ वक्त दो सोचने के लिए.’’ हेमंत टालते हुए बोला.

‘‘हेमंत, तुम ने शैलेष का मर्डर नहीं किया तो मैं तुम्हें छोड़ कर किसी और मर्द से संबंध बना कर शैलेष की हत्या करवा दूंगी.’’

यह सुन कर हेमंत डर गया. उसे लगा कि सीमा उस के हाथ से न निकल जाए. हेमंत ने सोचा आइडिया अच्छा है, जब शैलेष ही नहीं रहेगा तो सीमा से शादी कर वह हमेशा के लिए मेरी हो जाएगी और ढाबे की संपत्ति पर भी उस का अधिकार रहेगा. हेमंत भी प्यार में इतना पागल हो गया था कि उस ने अपनी मां से सीमा के साथ शादी करने की बात कह दी थी.

हेमंत तथा सीमा साकरे ने मिल कर योजना बनाई और पहली फरवरी की सुबह 8 बजे वह शैलेष की हत्या के इरादे से ढाबे के पास पहुंच गया. जैसे ही शैलेष की बेटी कमरे से निकल कर स्कूल बस में बैठी, वह ढाबे के पिछले हिस्से से आशियाना ढाबे के कमरा नं. 101 में चुपके से पहुंच गया. उस समय शैलेष मोबाइल पर कुछ देख रहा था, तभी हेमंत ने उस के सिर पर लोहे के हथौड़े से 3-4 वार कर दिए. पलभर में ही शैलेष ढेर हो गया. उस के बाद हेमंत ने पैट्रोल डाल कर शैलेष के शरीर में आग लगा दी.

पुलिस बैतूल ढाबा कांड की आरोपी सीमा को पहले ही न्यायालय में पेश कर जेल भेज चुकी थी. हेमंत की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर इस प्रेम अपराध कहानी का खुलासा किया और हेमंत बावरिया निवासी इटारसी जिला नर्मदापुरम के खिलाफ धारा 302, 34, 120बी, 201 आईपीसी के तहत मामला कायम कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से हेमंत को बैतूल जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बालम की सेज पर नौकर का धमाल – भाग 2

पुलिस की टीम जब सीमा की तलाश में उस की बुआ के घर इटारसी पहुंची तो वह वहीं मिल गई. पुलिस सीमा को वहां से सारणी पुलिस स्टेशन ले कर आई. पुलिस ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने डर की वजह से बड़ी आसानी से अपने प्रेमी हेमंत से पति की हत्या करवाने का जुर्म कुबूल कर लिया.

पुलिस जांच में यह सब स्पष्ट हुआ कि साक्ष्य छिपाने के लिए सीमा ने अपने मोबाइल से काल डिटेल्स डिलीट कर दी थीं.इतना ही नहीं, प्रेमी हेमंत ने हत्या करने के बाद सीमा को फोन कर के बताया था कि उस ने शैलेष को मार दिया है. तब सीमा ने उसे याद दिलाया, ‘‘हेमंत, तुम भूल गए क्या, शैलेष कहता था कि हम दोनों का मुंह काला कर के शहर में घुमाएगा.’’

“अब हमारे प्यार के बीच कोई नहीं आएगा सीमा,’’ हेमंत ने उसे भरोसा दिलाते हुए कहा.

“नहीं हेमंत, तुम अभी शैलेष का मुंह काला कर दो. तभी मुझे अच्छा लगेगा.’’ सीमा की इसी बात पर हेमंत ने मृत पड़े शैलेष के शरीर पर अपने साथ बोतल में छिपा कर लाए हुए पैट्रोल को छिडक़ कर आग लगा दी और वहां से भाग खड़ा हुआ.

पुराने प्यार ने ली अंगड़ाई…

पुलिस हिरासत में सीमा ने अपने पति की हत्या प्रेमी हेमंत बावरिया से करवाने की बात कुबूल कर ली थी, तभी से सारणी और पाथाखेड़ा पुलिस थाने की टीमें हेमंत की तलाश में जुट गई थीं. एसडीपीओ रोशन जैन ने आरोपी हेमंत की गिरफ्तारी के लिए टीआई रत्नाकर हिंग्वे के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया.

पुलिस टीम ने हेमंत की तलाश में इटारसी, खैरवानी, चोपना समेत अन्य संभावित स्थानों पर दबिश दी, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिल सका. हेमंत ने भागने के बाद अपना मोबाइल बंद कर लिया था. पुलिस टीम उस की तलाश में इटारसी गई तो वहां उस के मातापिता और भाईबहन भी थे. उन्होंने बताया कि हेमंत इटारसी में भी छोटेमोटे अपराध करता रहता था और घर से महीनों तक गायब रहता था.

पुलिस घर पर आ कर मातापिता से पूछताछ करती थी, तब उस के मातापिता हेमंत को यह कहते हुए डांटते, ‘‘तेरी वजह से हमें समाज में नीचा देखना पड़ रहा है.’’ इसी बात को ले कर वह घर से चला गया और पिछले 2 सालों से घर भी नहीं आया. पुलिस इटारसी से खाली हाथ वापस लौट आई. पुलिस ने हेमंत के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा रखा था. 6 फरवरी, 2023 को हेमंत ने कुछ समय के लिए मोबाइल औन किया तो पुलिस ने उस की लोकेशन ट्रेस की. वह सारणी से करीब 15 किलोमीटर दूर राऊनदेव इलाके की थी.

पुलिस टीम ने मुस्तैदी के साथ घेराबंदी की तो जंगल में एक खंडहरनुमा मकान में वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. उसे 6 फरवरी, 2023 को सुबह करीब साढ़े 10 बजे राउनदेव के जंगल से घेराबंदी कर के पकड़ लिया गया. हत्या करने के बाद से आरोपी हेमंत बावरिया जंगलजंगल छिपता फिर रहा था. खास बात यह थी कि हत्या जैसी संगीन वारदात को अंजाम देने के बावजूद आरोपी शहरी क्षेत्र के आसपास ही जंगल में छिपता रहा, जिसे पकडऩे में 6 दिन बाद पुलिस को सफलता मिल गई.

सीमा और हेमंत बावरिया की मुलाकात भले ही पुरानी थी, मगर उन का प्यार नवंबर 2021 से परवान चढ़ा था. दोनों को इश्क का खुमार इस कदर चढ़ गया कि प्यार में सब कुछ कुरबान करने को तैयार हो गए. पति की हत्या की साजिश रचने वाली सीमा ने पुलिस पूछताछ में बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा था, ‘‘मेरे जेल जाने की खबर मिलते ही हेमंत भी मिल जाएगा.’’ हकीकत में यही हुआ. सीमा को 2 दिन पहले ही पुलिस ने न्यायालय में पेश किया था, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. इस के बाद हेमंत भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

पुलिस पूछताछ में हेमंत ने बताया कि हत्या से 3 दिन पहले उस ने मिलन ढाबे का सीसीटीवी कैमरा निकालने का प्रयास किया था. लेकिन अपने मंसूबे में वह कामयाब नहीं हो सका. इतना ही नहीं, हत्या करने के बाद उस ने ढाबे के काउंटर तक आने वाले पिछले दरवाजे पर लगे ताले को तोड़ दिया था.

दरअसल, काउंटर में सीसीटीवी कैमरे का डिजिटल वीडियो रिकौर्डर रखा था. उस रिकौर्डर को वहां से हटाने की योजना उस ने बनाई थी, लेकिन वारदात वाले कमरे से धुंआ उठते ही ढाबे के बाहर बड़ी तादाद में लोग इकट्ïठा हो गए थे, जिस के चलते वह रिकौर्डर तक नहीं पहुंच सका और वहां से भाग निकला. हेमंत अगर इस रिकौर्डर को ले जाता तो इस हत्याकांड का खुलासा बमुश्किल ही हो पाता, लेकिन हेमंत के ढाबे में प्रवेश करते और भागते सीसीटीवी कैमरे में कैद होने से वारदात से परदा उठ गया.

बैतूल जिले के सारणी कस्बे में रहने वाले 45 साल के शैलेष साकरे की शादी करीब 18 साल पहले बैतूल की सीमा से हुई थी. एक बेटी के जन्म के बाद से ही शैलेष मिलन ढाबा चला रहा था.

इटारसी में हुई थी मुलाकात…

38 साल की सीमा की बुआ इटारसी में रहती हैं, वहां अकसर सीमा का आनाजाना होता रहता था. एक साल पहले की बात है जब सीमा अपनी बुआ के यहां इटारसी गई हुई थी तो उस की मुलाकात हेमंत बावरिया से हो गई. हेमंत से उस की जानपहचान बरसों पहले उस समय से थी, जब वह अपनी बुआ के पास इटारसी आया करती थी, लेकिन शादी हो जाने के बाद उस का इटारसी आना कम हो गया था. हेमंत उस का दोस्त था. हेमंत सीमा को देख कर बोला, ‘‘यार, तुम तो बहुत बदल गई हो, अब तो हमें भाव ही नहीं देती.’’

“जनाब, अब हम किसी और के हो चुके हैं, अब भला तुम्हें क्यों भाव देंगे?’’ सीमा इठलाती हुई बोली. सीमा के इस जबाब से वह झेंप गया. सीमा ने उस की झेंप दूर करते हुए कहा, ‘‘अच्छा डियर, ये बताओ तुम ने शादी की या नहीं.’’

“जानू, हमारा दिल तो अभी भी तुम्हारे लिए धडक़ता है, भला हम क्यों शादी करेंगे.’’ हेमंत ने भी बेधडक़ हो कर कहा. 28 साल का हेमंत गोरे रंग का हट्ïटाकट्ïटा स्मार्ट नौजवान था. सीमा यह जान कर बहुत खुश हुई कि हेमंत की अभी तक शादी नहीं हुई है. सीमा ने हेमंत में इंटरेस्ट लेते हुए पूछा, ‘‘कुछ कामधंधा कर रहे हो कि नहीं?’’

“पहले इटारसी के एक होटल में नौकरी करता था. लौकडाउन के बाद वह नौकरी भी हाथ से निकल गई. कहीं तुम्हारी जुगाड़ हो तो मुझे नौकरी दिलवा दो न. घर वाले भी ताना देने लगे हैं कि मुफ्त की रोटियां तोड़ते हो.’’ हेमंत बोला.

“नौकरी तो दिलवा दूंगी, पर सारणी चलना पड़ेगा. घर से इतनी दूर रह कर नौकरी कर पाओगे?’’ सीमा ने हेमंत का मन टटोलते हुए पूछा.

“नौकरी के लिए तो मैं दुनिया जहान में कहीं भी रह सकता हूं और फिर सारणी में तो तुम्हारा दीदार भी होता रहेगा,’’ हेमंत भी शरारती अंदाज में बोला.

सीमा ने हेमंत को सारणी आने की पेशकश की तो वह नवंबर 2021 में बैतूल जिले के सारणी कस्बा चला गया. वहां पर सीमा ने अपने पति से उस की जानपहचान करा कर अपने ‘मिलन ढाबे’ पर काम के लिए रख लिया.अब हेमंत ढाबे पर बड़ी लगन से काम करने लगा. अपने काम से उस ने शैलेष का दिल जीत लिया. हेमंत ढाबे में रहने लगा था. ढाबे में ही शैलेष अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहता था. ऐसे में हेमंत का मिलनाजुलना सीमा से होता रहता था.

बालम की सेज पर नौकर का धमाल – भाग 1

2023 के फरवरी महीने की पहली तारीख थी, सुबह का वक्त था. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के सारणी पुलिस स्टेशन के टीआई रत्नाकर हिंग्वे अपने घर पर पुलिस स्टेशन जाने की तैयारी कर रहे थे. तभी उन के मोबाइल की घंटी बजी. जैसे ही उन्होंने काल रिसीव की दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘सर, कंट्रोलरूम से बोल रहा हूं. सारणी के बगडोना स्थित आशियाना ढाबे में आग लगने की सूचना मिली है.’’

टीआई रत्नाकर हिंग्वे ने फोन पर ही उसे निर्देश देते हुए कहा, ‘‘तुरंत फायर ब्रिगेड को फोन कर के सूचना दो, मैं जल्द ही पुलिस स्टेशन पहुंच रहा हूं.’’

5 मिनट में ही टीआई पुलिस स्टेशन पहुंचे और अधीनस्थ स्टाफ को साथ ले कर आशियाना ढाबे की ओर निकल पड़े. कुछ ही मिनटों में वे सारणी पुलिस स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर छतरपुर रोड स्थित आशियाना ढाबे की ओर रवाना हो गए. रास्ते में ही टीआई ने घटना की जानकारी बैतूल की एसपी सिमाला प्रसाद और एसडीपीओ रोशन जैन को  दी. कुछ ही समय में पुलिस बल सहित सारणी के एसडीपीओ रोशन जैन और फोरैंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंच गई.

तब तक फायर ब्रिगेड वहां पहुंच चुकी थी और आग पर काबू पा लिया गया था. ढाबे के एक कमरे से धुआं उठता दिखाई दे रहा था. पुलिस टीम ने वहां जा कर देखा कि ढाबे की ऊपरी मंजिल पर जिस कमरा नं 101 में आग लगी थी, वहां ढाबे का मालिक शैलेष साकरे रहता था. कमरे के अंदर का नजारा दिल दहला देने वाला था. जब तक आग पर काबू पाया गया, उस से पहले ही शैलेष की मौत हो चुकी थी.

जब ढाबे पर मौजूद समीर को पुलिस ने बुलाया तो उस ने ही बताया कि यह अधजली लाश ढाबे के मालिक शैलेष साकरे की है. अधजली हालत में मिली शैलेष साकरे की लाश ढाबे के रूम से बाहर निकाली गई. फोरैंसिक टीम ने कमरा नंबर 101 का बारीकी का निरीक्षण किया और शव का परीक्षण कर के बताया कि युवक को जलाने में कैमिकल का इस्तेमाल किया गया है.

ढाबे में मिली झुलसी हुई लाश…

पूछताछ में पता चला कि कमरा नंबर 101 में रहने वाले शैलेष की पत्नी अपने मायके गई हुई थी और शैलेष सुबह उठ कर अपनी 9वीं क्लास में पढऩे वाली 16 साल की बेटी को बाइक से स्कूल छोड़ कर आया था. इस ढाबे को पहले शैलेष ही मिलन ढाबा के नाम से चलाता था. नशे का आदी होने से जब शैलेष पर कर्ज बढ़ गया तो उस ने ढाबे को किराए पर दे दिया. कुछ दिनों पहले उस ने इसे समीर मसीद को किराए पर दे दिया था, जो अब इसे आशियाना ढाबे के नाम से चला रहा था.

ढाबे में हुए शैलेष साकरे मर्डर केस की खबर से आसपास के इलाकों से काफी भीड़ जमा हो गई थी. पुलिस को आग लगने की कोई वजह समझ में नहीं आ रही थी. पुलिस ने ढाबे में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी तो एक व्यक्ति ढाबे में प्रवेश करता और कुछ समय बाद ढाबे से बाहर की तरफ जाता दिख रहा था. पुलिस का शक इसी व्यक्ति पर जा रहा था.

पुलिस का मानना था कि यही व्यक्ति शैलेष के कमरे में आग लगा कर आया होगा. पुलिस टीम ने ढाबे के संचालक समीर से पूछताछ की तो उस ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में दिखाई देने वाला शख्स हेमंत बावरिया है, जो पहले शैलेष के ढाबे पर ही काम करता था. पुलिस ने इस बीच शैलेष की बेटी को भी स्कूल से बुला लिया और लाश की शिनाख्त कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

शैलेष की बेटी ने पुलिस टीम को बताया कि कुछ दिनों पहले मम्मी नाराज हो कर मामा के घर बैतूल चली गई थीं. शैलेष के बड़े भाई शंकरलाल ने यह जरूर खुलासा किया कि शैलेष अपनी पत्नी सीमा और ढाबे में काम करने वाले हेमंत बावरिया को ले कर हमेशा टेंशन में रहता था और शराब भी पीने लगा था. कमरे की हालत देख कर पुलिस को आग लगने की वजह संदेहास्पद लग रही थी.

ढाबे के कमरा नंबर 101 में अधजली लाश के पास एक हथौड़ी मिली थी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हो चुका था कि शैलेष के सिर पर चोटों के निशान पाए गए थे. इस से साफ जाहिर था कि जलाने से पहले उसे सिर में हथौड़ी से चोट पहुंचा कर मौत के घाट उतारा गया है. जब पतिपत्नी के बीच अनबन की जानकारी पुलिस के सामने आई तो पुलिस के शक की सुई सब से पहले सीमा की तरफ ही घूमी.

शैलेष के परिवार से मिली जानकारी से यह तो स्पष्ट हो चुका था कि शैलेष की पत्नी सीमा के प्रेम संबंध ढाबे पर काम करने वाले नौकर हेमंत बावरिया से थे और इस की जानकारी शैलेष को भी थी. इसी आधार पर सब से पहले पुलिस ने सीमा की खोज के लिए पुलिस की टीम बैतूल भेजी, जहां सीमा के मायके वालों से पता चला कि सीमा यहां 15 जनवरी को आई थी. 2- 3 दिन रुकने के बाद यहां से अपनी बुआ के घर इटारसी चली गई.

इस के बाद सीमा पर पुलिस का संदेह अब और गहराता जा रहा था. सीमा का मायका बैतूल का था. बैतूल में सीमा के पिता भी 2 पत्नियों के साथ रहते थे. सीमा अपनी मां की 3 बेटियों में सब से छोटी थी. उस की दूसरी मां से एक बेटा था. सभी बहनों की शादी भी हो चुकी थी, इस वजह से मायके में भी ज्यादा पूछपरख सीमा की नहीं थी.

पुलिस ने जब सीमा के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि हत्या की साजिश रचने वाली सीमा से हेमंत ने 2 दिन में मोबाइल पर 36 बार बात की थी. इतना ही नहीं, हेमंत ने सीमा को मोबाइल पर 206 बार मिस्ड काल किए थे. वारदात को अंजाम देने के बाद हेमंत ने सीमा से मोबाइल पर बात भी की थी.