तीनों बदमाश उस महिला सिपाही पर हावी नहीं हो पा रहे थे. इस के बाद तीनों ने उसे पकडऩे की कोशिश छोड़ कर उसे पीटना शुरू कर दिया, जिस से सिपाही बेसुध हो गई और ट्रेन के फर्श पर गिर पड़ी. तीनों बदमाशों ने उस के कपड़े फाड़ दिए.
इसी बीच मनकापुर स्टेशन आ गया. तब रात के करीब एक बज चुका था. तीनों को पकड़े जाने का डर हुआ फिर उन्होंने बेहोश महिला सिपाही को सीट के नीचे धकेल दिया. तीनों ने अपने मोबाइल फोन स्विच्ड औफ कर लिए और वहां से भाग निकले. हैडकांस्टेबल मानसी बेहोश होने के कारण सीट के नीचे पड़ी रही. रात करीब 3 बजे ट्रेन मनकापुर से प्रयागराज के लिए चली. उस समय तक मानसी को होश नहीं आया था.
सुबहसुबह 3 बज कर 40 मिनट पर ट्रेन अयोध्या स्टेशन पहुंची तो पूरा मामला खुला.
बदमाशों में मारा गया 30 वर्षीय अनीस खान और घायल आजाद खान ने नाबालिग हिंदू लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसा लिया था और उन का धर्मांतरण कर निकाह कर लिया था. दोनों अयोध्या के हैदरगंज थाना क्षेत्र स्थित गांव दशलावन के निवासी हैं, जो अयोध्या शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर सुलतानपुर जिले की सीमा से सटा हुआ है.
अनीस ने दलित लडक़ी और आजाद ने पिछड़े समुदाय की युवती से निकाह किया था. आजाद की शादी हुए 13 साल हो चुके हैं और वह 4 बच्चों का बाप है. कहानी लिखे जाने तक पुलिस आजाद खान और विशंभर दयाल दुबे को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी.
—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित. कथा में मानसी और मनोज परिवर्तित नाम हैं.
अनीस खान और आजाद खान ने हिंदू लड़कियों से किया था निकाह
मृतक अनीस खान और घायल आजाद खान अयोध्या के हैदरगंज थाना क्षेत्र स्थित गांव दशलावन के निवासी थे. अनीस खान ने अपने घर से लगभग 2 किलोमीटर दूर स्थित मनऊपर गांव की एक दलित समुदाय की युवती से निकाह किया था. निकाह से पूर्व उस युवती का नाम अंतिमा था, जबकि अब वह बानो के नाम से जानी जाती है. बानो एक बच्ची की मां है.
अनीस खान की पत्नी बानो उर्फ अंतिमा की मां ने मीडिया को रोते हुए बताया कि उन की फूल सी बच्ची अंतिमा के पीछे अनीस खान तब से पड़ा था, जब वह नाबालिग थी. उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूल आनेजाने के दौरान अनीस खान ने कक्षा 8 में पढ़ रही अंतिमा को अपने वश में कर लिया था.
अंतिमा की मां ने आगे बताया कि अनीस खान तो पहले नाबालिग उम्र में ही निकाह करना चाहता था, परंतु पुलिस के हस्तक्षेप के कारण वह अपने इरादे में कामयाब नहीं हो पाया था. उस के बाद अनीस खान ने अंतिमा के बालिग होने का इंतजार किया और उस के बालिग होते होते ही उसे अपने साथ ले गया.
अंतिमा की मां ने आगे बताया कि उन की 5 बेटियों और 2 बेटों के साथ पूरी बिरादरी ने इस रिश्ते का विरोध भी किया था. तब मामला पुलिस तक भी गया था और हम ने अनीस खान पर अंतिमा के अपहरण का आरोप लगाया था. हालांकि पुलिस छानबीन और पूछताछ के दौरान अंतिमा ने अपने आप को बालिग बताते हुए अनीस खान के साथ ही रहने की इच्छा जताई थी.
अपनी बेटी अंतिमा के महज 25-26 वर्ष की उम्र में ही विधवा हो जाने की खबर पर रोती हुई उस की मां ने बताया कि अब वह चाह कर भी अपनी विधवा बेटी को अपने परिवार में वापस नहीं ला पाएंगी. इस की वजह उन्होंने खुद को बिरादरी द्वारा बेदखल करने की चेतावनी और खुद के बेटों द्वारा अंतिमा से कोई संबंध न रखने का संकल्प बताया.
अंतिमा की मां ने रोते हुए मीडिया को बताया, “हम हिंदू वो मुसलमान. हमारा और इन का ये कैसा मेल. अपने ही धर्म में शादी की होती तो कुछ न कुछ रास्ता अवश्य निकल सकता था. अंतिमा के एक मुसलिम युवक के साथ निकाह कर लेने के बाद मेरे पति मानसिक रूप से बीमार हो गए और अब पागलों जैसी हरकत करते हैं. अगर हमारी बेटी अंतिमा हमारी नाक नीची न करती तो अनीस अब तक जेल की सजा काट रहा होता.”
अंतिमा की मां का दावा है कि 5 साल पहले निकाह होने के बाद उन्होंने या उन के परिवार ने कभी अपनी अपनी बेटी से बात तक नहीं की. उन को ये भी पता नहीं था कि उन की बेटी अंतिमा का नाम अब बानो हो चुका था.
अंतिमा की मां के अंतिम शब्द यह थे, “मैं ने उसे अपनी कोख से पैदा किया है. बहुत दर्द है अंदर ही अंदर हमें, परंतु अब हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते. उस घर में वह इतनी लंबी जिंदगी नहीं काट पाएगी, आप लोग ही उसे हिम्मत देना.”
वहीं दूसरी तरफ पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार किए गए आरोपी आजाद खान ने भी एक ओबीसी समुदाय की हिंदू युवती से निकाह किया था, जो उसी दशलावन गांव की निवासी है. निकाह से पूर्व मुन्ना की बेटी सुमन अब शबाना के नाम से जानी जाती है.
सुमन उर्फ शबाना का आजाद खान से निकाह लगभग 13 साल पहले हुआ था. अब शबाना 4 बच्चों की अम्मी है. दशलावन गांव में अनीस खान और आजाद खान का घर लगभग अगलबगल ही है.
सुमन की मां ने कहा, “मेरी बेटी स्कूल जाती थी, तब से आजाद खान उस के पीछे लगा रहता था. स्कूल आतेजाते ही दोनों एकदूसरे के संपर्क में आए थे. लगभग 13 साल पहले जब सुमन की उम्र 20 वर्ष की हुई थी तो दोनों ने निकाह कर लिया था. हम ने जब आजाद खान के खिलाफ केस दायर किया और पुलिस से ले कर कोर्ट तक में हम ने केस भी लड़ा था. मगर जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो भला कौन क्या कर सकता था.
“सुमन ने खुद ही कोर्ट और पुलिस के आगे अपने बयान में आजाद खान के साथ रहने की इच्छा जताई थी. सुमन के इस बयान के बाद हम ने कभी भी सुमन या उस के घर की तरफ मुंह उठा कर भी नहीं देखा. हम एक ही गांव में रहते थे.”
रेलवे पुलिस और एसटीएफ जुटी जांच में
इस बीच सर्विलांस की जांच टीम ने अयोध्या रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी फुटेज निकलवाई. साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले को एसटीएफ को सौंप दिया.एक तरफ फुटेज खंगाले जा रहे थे, जबकि दूसरी तरफ एसटीएफ की टीम अपराधियों तक पहुंचने के लिए लोगों से पूछताछ कर रही थी. इस के लिए एसटीएफ द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी. प्रैस विज्ञप्ति जन साधारण के लिए थी.
अखबारों में छपी विज्ञप्ति में घटनास्थल और घटना के बारे में जानकारी देने के साथसाथ अभियुक्तों के बारे में सूचना देने वालों को एक लाख रुपए इनाम की भी घोषण की गई थी. यह भी कहा गया था कि मामले का मुकदमा अपराध संख्या 29/2023 धारा 333, 353, 354ख, 304 भादंवि पंजीकृत किया गया है. इसी के साथ सूचना देने के लिए उत्तर प्रदेश के एएसपी (एसटीएफ), डीएसपी (एसटीफ) और विवेचक (एसटीएफ) के मोबाइल नंबर भी दिए गए थे.
एक तरफ मानसी अस्पताल में जीवन और मौत के बीच झूल रही थी तो वहीं दूसरी तरफ रेलवे पुलिस से ले कर यूपी पुलिस की एसटीएफ टीम अपराधियों को दबोचने के अभियान में तेजी ला चुकी थी. हालांकि घटना के 20 दिन से अधिक निकल चुके थे, लेकिन उन्हें कोई बड़ा सुराग हाथ नहीं लगा था. जबकि लोग यह जानने को इच्छुक थे कि आखिर उस रात चलती ट्रेन में मानसी के साथ बदमाशों ने क्या किया? वे बदमाश कौन थे, जिन्होंने पुलिसकर्मी के साथ यह करने की जुर्रत की? इस घटना को ले कर पूरे इलाके में सनसनी थी.
वारदात के वक्त अयोध्या स्टेशन और मानेसर पर लगे सीसीटीवी फुटेज में 3 युवकों की फुटेज बारबार दिखाई दी थी. पुलिस ने उन तसवीरों के सहारे जांच शुरू कर दी थी. सैंकड़ों लोगों से पूछताछ के अलावा साइंटिफिक सर्विलांस और काल ट्रेसिंग के जरिए आखिर पुलिस आरोपियों तक पहुंच गई.
एनकाउंटर में मारा एक आरोपी
एसटीएफ को सूचना मिली कि मामले के तीनों संदिग्ध बदमाश मनकापुर स्टेशन पर साथसाथ उतरे थे. फिर क्या था, एसटीएफ की ओर से जांच की गति तेज हो गई. घटना की टाइमिंग को ले कर जांच शुरू हुई तो मनकापुर स्टेशन पर एक साथ 3 मोबाइल स्विच औफ होने की जानकारी मिली. इस के बाद सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया. संदिग्धों के स्केच तैयार किए गए. पुलिस ने मोबाइल नंबरों के आधार पर बदमाशों की खोज शुरू की. इसी आधार पर 22 सितंबर, 2023 की सुबहसुबह पुलिस ने बदमाशों को घेर लिया.
यह काररवाई भी कुछ कम नाटकीय तरीके से नहीं हुई. यूपी एसटीएफ आरोपियों के मोबाइल को ट्रैक कर रही थी. इसी क्रम में उन्हें इनपुट मिला कि तीनों इनायत नगर में छिपे हुए हैं. पुलिस ने लोकेशन को लौक करते हुए तीनों को घेर लिया.
पुलिस की घेराबंदी की सूचना मिलते ही तीनों बदमाशों ने पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी शुरू कर दी. पुलिस ने भी जवाबी काररवाई की. दोनों तरफ से गोली चलने लगी. कुछ समय में इस एनकाउंटर के दौरान घिरता देख कर एक बदमाश वहां से भाग निकला. जबकि पुलिस ने कुछ देर में ही 2 बदमाशों को काबू में कर लिया. दोनों को गोली लग चुकी थी, इस कारण वे पकड़ में आ गए.
एक बदमाश के भागने पर पुलिस ने पूरे इलाके की नाकेबंदी करा दी. इसी बीच जानकारी आई कि वह बदमाश पुराकलंदर इलाके में छिपा हुआ है. यूपी एसटीएफ ने उसे वहां घेर लिया. उस से सरेंडर करने को कहा गया तो उस ने पुलिस पर\ गोलियां चलानी शुरू कर दीं.
इस गोलीबारी में पुराकलंदर थाने के एसएचओ रतन शर्मा और 2 सिपाही घायल हो गए. एसएचओ रतन शर्मा के हाथ में गोली लगी. जबकि पुलिस की गोली से बदमाश घायल हो गया. उसे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.
अकेली देख बदमाशों ने बनाया शिकार
पकड़े गए बदमाशों ने अपना नाम विशंभर और आजाद बताया, जबकि मारा गया बदमाश अनीस था. पकड़े गए बदमाशों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने महिला हैडकांस्टेबल के साथ किस तरह से दरिंदगी की. कैसे उन्होंने प्रयागराज से अयोध्या जाने वाली सरयू एक्सप्रेस में उसे अपना निशाना बनाया.
दरअसल, अनीस, आजाद और विशंभर पेशे से चोर थे. ट्रेनों में चोरी करते थे. एसटीएफ द्वारा पूछताछ करने पर पता चला कि 30 अगस्त की रात 14234 सरयू एक्सप्रेस के कोच में ये तीनों चोरी करने के इरादे से सवार हुए थे. अयोध्या स्टेशन पर बोगी खाली हो चुकी थी. तीनों सीट पर बैठ कर ब्लू फिल्म देखने लगे.
सामने महिला हैडकांस्टेबल मानसी बैठी हुई थी. मानसी ने अपराधियों के इरादों को भांप लिया और अपनी सीट बदल ली. मानसी जैसे ही दूसरी सीट पर पहुंची तो पीछे से तीनों युवक भी आ गए. अयोध्या स्टेशन पर बचे पैसेंजर भी उतर गए थे. बोगी में उन तीनों के अलावा केवल मानसी ही थी. जैसे ही ट्रेन आगे बढ़ी, तीनों ने मानसी से मारपीट व जोरजबरदस्ती करनी शुरू कर दी.
45 वर्षीया हैडकांस्टेबल मानसी ने उन से अपना बचाव भी किया, किंतु वह तीनों बदमाशों के आगे तब पस्त पड़ गई, जब उन्होंने उस पर वार करना शुरू कर दिया. इसी दौरान एक बदमाश ने उन के चेहरे पर धारदार हथियार से हमला कर दिया. असंतुलित मानसी के सिर को खिडक़ी से टकरा दिया. उस के सिर से खून निकलने लगा था. चेहरा भी जगह जगह कट चुका था. इस के बाद भी वह उन से लड़ रही थी.
पकड़े गए बदमाशों ने पूछताछ में बताया कि सरयू एक्सप्रैस के कोच में वह तीनों सवार हुए थे. अयोध्या स्टेशन पर बोगी खाली हो चुकी थी. तीनों सीट पर बैठ कर ब्लू फिल्म देखने लगे. सामने महिला हैडकांस्टेबल मानसी बैठी हुई थी. मानसी ने अपराधियों के इरादों को भांप लिया और अपनी सीट बदल ली.
मानसी जैसे ही दूसरी सीट पर पहुंची तो पीछे से तीनों युवक भी आ गए. अयोध्या स्टेशन पर बचे पैसेंजर भी उतर गए थे. बोगी में उन तीनों के अलावा केवल मानसी ही थी. जैसे ही ट्रेन आगे बढ़ी, तीनों ने मानसी से मारपीट व जोरजबरदस्ती करनी शुरू कर दी. मानसी ने उन से अपना बचाव भी किया, किंतु वह तीनों बदमाशों के आगे तब पस्त पड़ गई, जब उन्होंने उस पर वार करना शुरू कर दिया.
इसी दौरान एक बदमाश ने उन के चेहरे पर धारदार हथियार से हमला कर दिया. असंतुलित मानसी के सिर को खिड़की से टकरा दिया. उस के सिर से खून निकलने लगा था. चेहरा भी जगहजगह कट चुका था. इस के बाद भी वह उन से लड़ रही थी. तीनों बदमाश उस महिला सिपाही पर हावी नहीं हो पा रहे थे. इस के बाद तीनों ने उसे पकड़ने की कोशिश छोड़ कर उसे पीटना शुरू कर दिया, जिस से सिपाही बेसुध हो गई और ट्रेन के फर्श पर गिर पड़ी.
तीनों बदमाशों ने जबरदस्ती करते हुए उस के कपड़े फाड़ दिए. इसी बीच मनकापुर स्टेशन आ गया. तब रात के करीब एक बज चुका था. फिर उन्होंने बेहोश महिला सिपाही को सीट के नीचे धकेल दिया.
उत्तर प्रदेश के जिला प्रयागराज के भदरी गांव की रहने वाली मानसी उत्तर प्रदेश पुलिस की हैडकांस्टेबल थी. वह 4 बहनों और 2 भाइयों में दूसरे नंबर की थी. उस की तैनाती सुलतानपुर जिले में हुई थी. वैसे वह स्पोट्र्स कोटे से 1998 में सामान्य सिपाही के पद पर भरती हुई थी, लेकिन इसी साल जनवरी में उस का हैडकांस्टेबल पद पर प्रमोशन हुआ था. अयोध्या के सावन झूला मेले में उस की ड्यूटी लगाई गई थी.
वह रोज की तरह 30 अगस्त, 2023 को अपने आवास से ड्यूटी के लिए निकली थी. शाम को करीब 6 बजे फाफामऊ स्टेशन पहुंच गई. फाफामऊ स्टेशन से वह सरयू एक्सप्रेस ट्रेन के जनरल डिब्बे में सवार हो गई. सरयू एक्सप्रेस प्रतापगढ़ होते हुए निर्धारित समय पर अयोध्या कैंट पहुंच गई. उस वक्त रात के सवा 11 बज गए थे. ट्रेन वहां 5 मिनट के लिए रुकी और 11.20 पर चल दी. मानसी को अयोध्या कैंट में उतर कर आगे हनुमानगढ़ जाना था, लेकिन वह अयोध्या नहीं उतर पाई.
सरयू एक्सप्रेस रात 12 बजे अयोध्या जंक्शन पर पहुंची. यहां पर ट्रेन 2 मिनट के लिए रुकी. वहां अयोध्या के लगभग सभी यात्री ट्रेन से उतर गए, मगर मानसी वहां पर भी नहीं उतरी. सरयू एक्सप्रेस रात 12 बज कर 50 मिनट पर अपने आखिरी स्टेशन मनकापुर पहुंच गई, लेकिन मानसी यहां भी ट्रेन से नहीं उतरी.
मनकापुर रेलवे स्टेशन पर सरयू एक्सप्रेस करीब 2 घंटे रुकी. गाड़ी का इंजन भी बदला गया. ट्रेन दूसरे दिन सुबहसुबह 3 बज कर 5 मिनट पर दोबारा मनकापुर रेलवे स्टेशन से अयोध्या के लिए चल पड़ी. जब ट्रेन अयोध्या रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के सिपाही अपने निर्धारित समय पर ड्यूटी के अनुसार ट्रेन में चढ़े.
जीआरपी के जवानों ने वहां पर एक हृदयविदारक दृश्य देखा. वे दृश्य को देख कर सन्न रह गए. उन्होंने देखा कि एक सीट के नीचे पुलिस वरदी में एक महिला तड़प रही थी. जीआरपी के सिपाहियों ने पहले उस का वीडियो बनाया और उस के तुरंत बाद अपने उच्चाधिकारियों को हादसे की सूचना दे दी.
आननफानन में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां पर पुलिस अधिकारियों ने देखा कि घायल महिला के चेहरे पर चाकू के वार के कई घाव हैं. उस के माथे और गले पर धारदार हथियार के घाव थे. उस के शरीर पर केवल पुलिस की शर्ट थी, जबकि पैंट नीचे की ओर खिसकी हुई थी.
राजकीय रेलवे पुलिस, स्थानीय पुलिस और आरपीएफ के अधिकारियों ने मौका मुआयना कर बोगी में मौजूद एक भिखारी से दिखने वाले आदमी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया जबकि वह मानसिक तौर पर सही हालत में नहीं दिख रहा था.
हाईकार्ट ने लिया स्वत:संज्ञान
यह खबर 31 अगस्त, 2023 की सुबह 4 बजे अयोध्या रेलवे स्टेशन पर जंगल की आग की तरह फैल गई. लोगों के बीच कानाफूसी होने लगी कि सरयू एक्सप्रेस की जनरल बोगी में सीट के नीचे एक महिला हैडकांस्टेबल खून से लथपथ पड़ी है. रेलवे पुलिस ने जांचपड़ताल की. सीट के नीचे फर्श पर खून ही खून फैला था. उस के पास से मिले आईडी से उस का नामपता मालूम हुआ.
साथ ही रेलवे पुलिस तुरंत मानसी को श्रीराम अस्पताल ले गई. वहां डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे मैडिकल कालेज के अस्पताल भेज दिया. डाक्टरों ने बुरी तरह से जख्मी मानसी की नाजुक हालत को देखते हुए उसे लखनऊ स्थित ट्रामा सेंटर में रेफर कर दिया. इस की जांच की जिम्मेदारी (रेलवे) पूजा यादव को सौंपी गई थी.
डाक्टरी जांच में यह पता चला कि मानसी बुरी तरह से दरिंदगी की शिकार हो चुकी थी. उन्होंने सबूत मिटाने के लिए उस पर जानलेवा हमला भी किया गया था. यह घटना पुलिस महकमे के लिए बेहद शर्मनाक और कमजोर साबित करने वाली थी. इसे देखते हुए ही मामले की जांच के लिए जीआरपी, आरपीएफ और एसटीएफ के अलावा पुलिस की दूसरी टीमों को भी लगा दिया गया था.
इसी बीच 31 अगस्त, 2023 को मानसी के भाई मनोज ने जीआरपी अयोध्या कैंट पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी. रिपोर्ट में उस ने दरिंदों को गिरफ्तार कर सख्त सजा देने की गुहार लगाई थी.
अयोध्या के जीआरपी थाने में हैडकांस्टेबल मानसी के भाई मनोज की तहरीर पर अज्ञात अपराधियों के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने, लोक सेवक पर हमला करने और जान से मारने की मंशा के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी गई.
इस मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इतना संवेदनशील समझा कि 3 सितंबर की रात में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच बैठी. माननीय चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर द्वारा बैठाई गई बेंच ने भारतीय रेलवे और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया. साथ ही यूपी की योगी सरकार को सूबे की कानूनव्यवस्था के बिगडऩे को ले कर तीखी टिप्प्णी की और उसे दुरुस्त करने के साथसाथ हरसंभव महिला सुरक्षा देने के आदेश दिए.
हाईकोर्ट की इस सुनवाई के बाद भारतीय रेलवे से ले कर उत्तर प्रदेश सरकार तक सकते में आ गई. कारण सुनवाई के दौरान जांच से जुड़े किसी सीनियर अधिकारी को भी अदालत में पेश होने का हुक्म दिया गया था. इस संबंध में सुनवाई अगले रोज भी हुई. रेलवे की तरफ से जवाब दाखिल किया गया. कोर्ट में एसपी (रेलवे) पूजा यादव, सीओ और विवेचना अधिकारी पेश हुए.
पूजा यादव ने 3 दिनों के दरम्यान हुई जांच की विस्तृत जानकारी दी. साथ ही उन्होंने अदालत को बताया कि मानसी की स्थिति गंभीर बनी हुई है. इस कारण उस के बयान नहीं लिए जा सके हैं. उन्हें मानसी के होश में आने का इंतजार है.
यादव ने कोर्ट को यह आश्वासन दिया कि इस गंभीर मामले में आरोपियों की पहचान के लिए काररवाई की जा रही है. घटना की विस्तार से जांच और वर्कआउट के लिए कई टीमों का गठन किया गया है. जांच टीम के लिए अच्छी खबर वारदात के 6 दिन बाद तब मिली, जब डाक्टर ने पीडि़ता मानसी को खतरे से बाहर बताया. डाक्टरों ने उसे बचा लिया था, मगर वह बयान देने की स्थिति में नहीं थी. उसे बयान देने की स्थिति में आने में और 2 दिन लगने की संभावना थी.
मानसी ने होश आने पर अपने साथ हुई दरिंदगी के बारे में जो कुछ बताया, वह बेहद रोंगटे खड़े करने वाला था. उस ने बताया कि उस के साथ दरिंदगी करने वाले 3 लोग थे. उस ने उन दरिंदों से खुद को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उन के द्वारा उस पर जानलेवा हमला कर दिया गया था. किसी ने सिर पर भी हमला कर दिया था, जिस से वह बेहोश हो गई थी. उस के बाद क्या हुआ, उसे कुछ नहीं पता.