लूट फार एडवेंचर – भाग 4

तीनों बैंकों का कर लिया चुनाव

“चलो, अभी हमारे पास एक महीने का समय है. इस बीच हम उन बैंकों की पहचान कर लेते हैं, जो हमारी उम्मीद के मुताबिक कैश रखते हैं.” जगन बोला.

“मैं ऐसी बैंकों की पहचान कर चुका हूं जो कम से कम 20 लाख का मिनिमम बैलेंस तो मेंटेन करते ही हैं.” लगभग 15 दिनों के बाद जब तीनों मिले तो छगन बोला.

“कहां पर है ये बैंक?” जगन ने पूछा.

“एक ब्रांच कृषि उपज मंडी समिति की है. दूसरी ब्रांच इंडस्ट्रियल एरिया की है और तीसरी बैंक वह है जहां पर ज्यादातर सरकारी पैसा जमा होता है.” छगन ने बताया.

“वैरी गुड छगन, मैं भी इन तीनों बैंकों के बारे में ही सोच रहा था.” जगन भी सहमत होते हुए बोला.

“सब से बड़ी बात यह कि तीनों ही बैंकों के बंद होने के समय में आधे आधे घंटे का अंतर है. इंडस्ट्रियल एरिया वाली ब्रांच सुबह 9 बजे खुलती है और ग्राहकों के लिए 3 बजे बंद होती है. सरकारी लेनदेन वाली ब्रांच साढ़े 3 बजे और कृषि उपज मंडी समिति वाली ब्रांच 4 बजे बंद होती है,” छगन ने बताया.

“मतलब हमें अपना ऐक्शन ढाई बजे चालू करना होगा और ज्यादा से ज्यादा साढ़े 4 बजे तक खत्म करना ही होगा.” जगन बोला

“मगर रहमत तो गाड़ी खराब होने की सूचना तो तुरंत दे देगा. ऐसे में अगर समय रहते मैकेनिक आ गया तो क्या होगा? बिना गाड़ी के तो एडवेंचर पूरा नहीं होगा न.” मगन बोला.

“रहमत को गाड़ी खराबी की सूचना और बाकी की औपचारिकताएं पूरी करते करते 4-5 पांच घंटे तो लग ही जाएंगे. तब तक हम वैन को उड़ा चुके होंगे. सरकारी तंत्र में कोई भी व्यक्ति अपने स्तर पर निर्णय नहीं ले सकता है. हमें इसी लूप होल का फायदा उठाना है.” जगन ने समझाया.

“वाह जगन, तुम्हारी स्टडी सौलिड और स्ट्रांग है.” मगन तारीफ करते हुए बोला.

“मैं ने अपनी इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए 15 जून की तारीख सोची है.” जगन बोला.

“मगर आज तो 20 मई ही है. 15 जून की तारीख क्यों सोची? इस के पीछे कोई कारण है क्या?” मगन ने पूछा.

“हां, कई कारण हैं. एक तो हम इस बीच के समय में बैंक के स्टाफ की ऐक्टिविटीज अच्छी तरह से नोट कर सकेंगे. और जो ज्यादा ऐक्टिव दिखाई पड़ेंगे उन्हें कंट्रोल करने की तरकीबें भी निकाल सकेंगे.

“दूसरा गरमी अभी ही इतनी बढ़ गई है उस समय तो अपने चरम पर होगी. इसी कारण एसी को सुचारु रूप से चलाने के लिए फ्रंट के शीशे के दरवाजे पहले से बंद होंगे. ऐसे में हमें स्टाफ और ग्राहकों को अंदर ही कंट्रोल करने में आसानी होगी. आने वाले ग्राहक भी बाहर ही रोके जा सकेंगे. तीसरा उस दिन सोमवार भी है. जैसा हम ने प्लान किया था. और चौथा, यह याद रखने के लिए सब से आसान दिन है. क्योंकि यह साल के बीचोबीच का दिन है. याद रहे 7 साल बाद हमें इसी दिन गेलार्ड कैफे में मिलना है.” जगन उत्साहित होते हुए बोला.

“15 जून साल के बीचोबीच का दिन कैसे हो सकता है?” छगन ने हैरानी से पूछा.

“साल का छठा महीना और उस के बीच का दिन. सीधा सा गणित.” जगन ने मुसकराते हुए समझाया.

“बहुत सही और आसान कैलकुलेशन.” मगन बोला, “अच्छा, अब हम 14 जून की शाम को ही मिलेंगे. अपनी चुनी हुई बैंकों के स्टाफ की ऐक्टिविटीज पर नजर रखते हैं तब तक.”

हिम्मत करने वालों की जीत होती है. अभी यही बात उन तीनों पर लागू हो रही थी. उन के सभी पांसे सही पड़ रहे थे. सभी कुछ उन की योजना के मुताबिक ही चल रहा था. 10 जून को ही रहमत कि बीवी डिलीवरी के लिए अपने सासससुर के पास चली गई.

14 जून की रात को ही जगन ने बाजार में मिलने वाली साड़ी की सस्ती फाल ले कर कैश वैन के साइलैंसर में घुसा कर उसे जाम कर दिया. इस से पहले वह अपनी डुप्लीकेट चाबी से वैन का इग्नीशियन चैक कर चुका था. मतलब साफ था चाबी अपना काम बराबर कर रही थी.

और 15 जून को वह सब हो गया, जो इन तीनों के अलावा किसी ने कल्पना में भी नहीं की होगी. हालांकि थोड़ाबहुत विरोध अवश्य हुआ, मगर इन तीनों ने अपनी तुरत बुद्धि और साहस के बल पर विपरीत परिस्थियों का सामना करते हुए उस दुष्कर कार्य को कर ही दिया.

तीनों बैंकों से कुल मिला कर लगभग 65 लाख की लूट हुई थी. किसी भी बैंक में 21 लाख से कम की रकम नहीं थी, जो इन तीनों की कल्पना के अनुरूप ही थी. तीनों लूट के बाद एकदूसरे से अनजान अलगअलग शहर में चले गए.

पहली प्लानिंग में मिले 65 लाख रुपए

दूसरे दिन देश के सभी अखबारों और न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर सिर्फ और सिर्फ इस दुस्साहसी घटनाओं का ही जिक्र था. पुलिस और प्रशासन अपनी नाकामी से हाथ मल रही थी. लंबे समय तक लोगों के होंठों पर इस घटना का बखान था. तीनों का मिशन सफल रहा. एक स्वनिर्धारित एडवेंचरस टास्क उन्होंने पूरा कर सब को चौंका दिया.

7 साल बाद. वही तारीख 15 जून समय शाम के 7 बजे. गेलार्ड कैफे के सामने एक मर्सिडीज गाड़ी आ कर खड़ी हुई. उस में से शानदार सूट और सुनहरे फ्रेम का चश्मा लगाए छगन उतरा. कुछ ही मिनट बाद फोर्ड की एक बड़ी सी गाड़ी आई. उतरने वाला शख्स मगन था, जो अपने चिरपरिचित महंगी जींस और शर्ट पहने था. लगभग 15 मिनट इंतजार करने के बाद भी जब जगन नहीं आया तो दोनों निराश भाव से कैफे के अंदर चले गए.

“हमें टाइम मैनेजमेंट का पाठ पढ़ाने वाला जगन खुद ही लेट हो गया.” छगन बोला.

“कहीं ऐसा तो नहीं कि पुलिस ने उसे पकड़ लिया हो. क्योंकि कैश वैन का ड्राइवर उसे ही पहचानता था. यह संभव है कि वैन की बरामदगी के बाद उस ने जगन का हुलिया पुलिस को बता दिया हो.” मगन ने शंका जाहिर की.

“यदि ऐसा है तो हमें भी तुरंत ही यहां से निकलना चाहिए. बहुत संभव है कि जगन ने पुलिस को हमारे यहां आने की सूचना भी दे दी हो.” छगन चिंतित स्वर में बोला.

7 साल बाद मिले तीनों दोस्त

अभी छगन और मगन बातें कर ही रहे थे कि वेटर ने आ कर उन दोनों को एक परची दी. परची में लिखा था, “सामने वाला केबिन हम लोगों के लिए बुक है उसी में आ जाओ.”

“अरे जगन तो हम से पहले ही यहां पहुंच चुका है. चलो, उसी केबिन में चलते हैं.” छगन खुश होते हुए बोला.

“आओ दोस्तों.” दोनों को देखते ही जगन गर्मजोशी से बोल पड़ा. तीनों एकदूसरे को देख कर बहुत खुश थे.

“सुनाओ अपने 7 साल की प्रोग्रेस.” छगन मुसकराते हुए बोला.

लक्ष्मण रेखा लांघने का परिणाम

हत्यारी लाश : खुला कत्ल का राज

फुरकान अपने दादा इरफान के सामने आ कर खड़ा हुआ तो उस की आंखें चमक रही थीं, सांसों से शराब की बदबू आ  रही थी और चेहरे पर कुटिल मुसकराहट तैर रही थी. फालिज के शिकार बूढ़े इरफान को फुरकान की आदतें अच्छी नहीं लगती थीं. उन्होंने उसे न जाने कितनी बार समझाया था, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ था.

बूढ़े अपाहिज इरफान का फुरकान के अलावा अपना कोई नहीं था. इसलिए वह फुरकान की हर बात मानने को मजबूर थे. इरफान काफी दौलतमंद आदमी थे. उन्होंने जो कमाया था अक्लमंदी से काम लेते हुए उसे रियल एस्टेट में लगाया था. उन्हें हर महीने कई मकानों और दुकानों का मोटा किराया मिल रहा था. करोड़ों रुपए की प्रौपर्टी लाखों रुपए महीना दे रही थी. रहने के लिए शानदार बंगला, कई गाडि़यां और नौकर थे.

इरफान के बेटे इमरान और बहू की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. संयोग से उस दिन फुरकान अपने दादा के पास घर में रुक गया था. तब उस की उम्र 10-11 साल थी. इरफान ने किसी तरह बेटे बहू की मौत के गम को बरदाश्त किया. इमरान उन की एकलौती संतान थी. फुरकान चूंकि उन का एकलौता बेटा था. इसलिए लेदे कर फुरकान का ही उन का एकमात्र सहारा रह गया था. वह पोते की परवरिश करने लगे. उन्होंने उसे कभी मांबाप की कमी महसूस नहीं होने दी.

लेकिन इतना सब करने और अच्छी शिक्षा दिलाने के बावजूद फुरकान ने जवानी में गलत राह पकड़ ली. एक दिन इरफान के मैनेजर सलीम ने जब उन्हें बताया कि फुरकान साहब अय्याशी कर रहे हैं तो उन्हें यकीन नहीं हुआ. उन्होंने पूछा, ‘‘कैसी अय्याशी?’’

‘‘वह शराब पी कर लड़कियों के साथ घूमते हैं.’’ सलीम ने झिझकते हुए कहा.

यह ऐसी खबर थी जिस ने इरफान को तोड़ कर रख दिया था और जब उन्होंने खुद फुरकान को नशे में देखा तो यह सदमा बरदाश्त नहीं कर पाए और फालिज का शिकार हो गए. उन के शरीर का ऊपरी हिस्सा तो ठीक था, लेकिन निचला बिलकुल बेकार हो गया था.

इरफान खूबसूरती से सजे अपने कमरे में साफसुथरे बिस्तर पर लेटे रहते थे. एक नौकर हर वक्त उन की सेवा में लगा रहता था. उन्हीं के कमरे की दीवार में एक तिजोरी लगी थी, जिस में हमेशा लाखों रुपए नकद रखे रहते थे. इस के अलावा घर के सोनेचांदी के सारे गहने तथा लाखों रुपए के बांड भी उसी तिजोरी में रहते थे.

इरफान फुरकान को समझा ही रहे थे कि उन की बात अनसुनी करते हुए उस ने उन के हाथ से चाबी छीन ली और तिजोरी की ओर बढ़ा. बस उस के बाद फुरकान की ही नहीं, इरफान की भी हत्या हो गई थी.

दोपहर होतेहोते फुरकान और इरफान की हत्या को ले कर तरहतरह के अनुमान लगाए जा रहे थे. हर कोई यह जानने को उत्सुक था कि उन दादा पोते की हत्या किस ने की.

मैडिकल रिपोर्ट के अनुसार इरफान की मौत 11 बजे हुई थी. तो फुरकान की हत्या उस के 15 मिनट बाद. घर की नौकरानी का कहना था कि 11 बजे के करीब फुरकान अपने दादा के कमरे में गया था और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया था.

15 मिनट बाद उस ने गोलियां चलने की आवाज सुनी तो बुरी तरह से घबरा गई. उस ने जोरजोर से दरवाजे पर दस्तक दी, जब अंदर से दरवाजा नहीं खुला तो उस ने निकट की पुलिस चौकी पर जा कर इस बात की सूचना दी. कुछ पुलिस वाले उसी समय उस के साथ आ गए.  दरवाजा तोड़ा गया तो कमरे में दादापोते की लाशें पड़ी थीं.

इरफान की लाश बिस्तर पर थी, फुरकान की लाश तिजोरी के पास पड़ी थी जबकि उस की पीठ पर गोलियां लगी थीं. तिजोरी खुली थी, जो पूरी तरह से खाली थी.  इरफान के हाथ में एक पिस्तौल फंसा था. उस का चैंबर खाली था. उसी पिस्तौल की गोलियां फुरकान के शरीर में धंसी थीं.

मैडिकल रिपोर्ट के अनुसार इरफान की मौत हार्ट अटैक से हुई थी. कमरे की खिड़की खुली थी. अनुमान लगाया गया कि कातिल उसी खिड़की से दाखिल हुआ था. फुरकान को गोलियां मार कर उस ने पिस्तौल पहले ही मर चुके इरफान के हाथ में फंसा दी थी. उस के बाद वह तिजोरी साफ कर के भाग गया था. अब पुलिस को पता लगाना था कि यह सब किस ने किया था?

उस घर में दादापोते के अलावा 2 अन्य लोग रहते थे. उन में एक घर की नौकरानी नसरीन थी तो दूसरा इरफान का मैनेजर सलीम. दोनों को ही कोठी में एकएक कमरा मिला हुआ था. पुलिस को शक था, कातिल उन्हीं दोनों में से एक हो सकता था.

मैनेजर सलीम के अनुसार एक दिन पहले फुरकान ने किसी बात को ले कर नसरीन को थप्पड़ मारा था. 2 दिन पहले उस ने नसरीन को कोठी के गेट पर किसी बाहरी आदमी से बातें करते देखा था. सलीम ने बताया कि उस समय उस ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था. लेकिन घटना के बाद उसे उस पर शक हो रहा है. शायद उसी ने हत्यारे को रास्ता दिखाया होगा.

पुलिस की पूछताछ में नसरीन ने कहा, ‘‘जिस से मैं बात कर रही थी. वह मेरा शौहर था. वह कोई कामधाम नहीं करता. इधरउधर से जुगाड़ कर के किसी तरह जिंदगी गुजार रहा है.’’

‘‘तुम्हीं ने इरफान के कमरे की खिड़की खोली थी, जिस से वह अंदर आया था.’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘नहीं, मैं ने कुछ नहीं किया. मैं उस के लिए खिड़की क्यों खोलूंगी?’’

‘‘बकवास मत करो. सचसच बताओ.’’ थानाप्रभारी ने डांटा, ‘‘वरना हम दूसरे ढंग से सच्चाई उगलवाएंगे. सचसच बता, क्या हुआ था?’’

नसरीन रोते हुए बोली, ‘‘साहब, हम गरीबी से तंग आ चुके हैं. मेरे पति ने मुझ से कहा कि मैं उसे साहब के कमरे के बारे में बताऊं.’’

‘‘तुम्हें पता था कि इरफान साहब की तिजोरी में क्याक्या रखा है?’’

‘‘जी साहब, मुझे पता था.’’ नसरीन बोली, ‘‘साहब के कहने पर मैं ने कई बार तिजोरी खोली थी.’’

‘‘क्यों?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘साहब को जब किसी चीज की जरूरत होती थी तो वह मुझ से कह देते थे.’’

‘‘और तुम ने साहब के भरोसे का यह बदला दिया कि फुरकान को जान से मरवा दिया.’’

‘‘मैं नहीं जानती थी कि वह खून भी कर देगा.’’ नसरीन ने रोते हुए कहा, ‘‘मैं ने कहा था कि तिजोरी की चाबियां साहब के तकिए के नीचे होती हैं. तुम उन चाबियों से तिजोरी खोल कर जरूरत भर के पैसे निकाल कर खिड़की के रास्ते भाग जाना.’’

‘‘और उस ने भागने से पहले फुरकान को गोलियां मार दीं. शायद फुरकान ने उसे चोरी करते हुए देख लिया था. तू ने अपने शौहर को यह भी बताया था कि फुरकान अपने पास पिस्तौल रखता है?’’

‘‘मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं था,’’ नसरीन ने कहा, ‘‘मैं ने तो सोचा था कि वह पैसे ले कर भाग जाएगा. लेकिन उस ने एक खून कर दिया.’’

‘‘अब यह बता, इस समय वह कहां होगा?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘घर में ही होगा और कहां जाएगा?’’ नसरीन ने बताया.

‘‘चल हमारे साथ, बता कहां है तेरा घर?’’ थानाप्रभारी ने कहा.

नसरीन थानाप्रभारी को ले कर उस के घर पहुंची तो उस का शौहर कहीं भागने के लिए अपना सामान समेट रहा था. पुलिस ने उसे तुरंत पकड़ लिया. इरफान की तिजोरी से चोरी गए रुपए और बांड उस के  पास से बरामद हो गए.’’

नसरीन के शौहर सफदर को थाने लाया गया. थाने में उस ने हंगामा मचा दिया. रोरो कर कहने लगा कि उस ने कोई खून नहीं किया है.

‘‘तो फिर खून किस ने किया है. किस ने फुरकान को गोलियां मारी हैं?’’ थानाप्रभारी ने उसे जोर से डांटा.

‘‘मैं नहीं जानता साहब. मैं जब कमरे में पहुंचा था तो फुरकान साहब तिजोरी के पास पड़े थे. उन की पीठ से खून बह रहा था. तिजोरी खुली पड़ी थी.’’ सफदर ने रोते हुए कहा.

‘‘और तुम तिजोरी का सारा माल ले कर भाग निकले?’’

‘‘जी साहब, मैं ने सिर्फ यही गुनाह किया है. मैं ने चोरी की है, इस कत्ल से मेरा कोई संबंध नहीं है.’’

‘‘तो फिर उसे किस ने मारा?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘मैं क्या बताऊं साहब,’’ सफदर ने जोरजोर से रोते हुए कहा. ‘‘मैं ने सिर्फ चोरी की है. हत्या से मेरा कोई मतलब नहीं है.’’

पुलिस को सफदर की बात पर यकीन नहीं हो रहा था. खूनी वही हो सकता था क्योंकि उस कमरे में उस के अलावा और कोई गया ही नहीं था. नकद और बांड भी उसी के पास से बरामद हुए थे. पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

अदालत के लिए भी यह सीधासादा मामला था. सब कुछ बिलकुल स्पष्ट था. सफदर की बीवी नसरीन ने उस के कमरे में आने के लिए खिड़की खोल दी थी. वह कमरे में आया और बूढ़े अपाहिज इरफान से जबरदस्ती तिजोरी की चाबी ली और पिस्तौल कब्जे में ले लिया. उस ने तिजोरी खोली, तभी फुरकान कमरे में पहुंच गया.

सफदर ने बौखलाहट में उसे गोलियां मार दीं और पिस्तौल इरफान के हाथ में फंसा कर सारा माल ले कर भाग गया. उसे अंदाजा नहीं था कि इरफान की भी मौत हो चुकी है.

लेकिन यह मुकदमा उस वक्त दिलचस्प बन गया, जब मैडिकल बोर्ड के डाक्टर ने अपना बयान दिया. उस ने अदालत को बताया, ‘‘जनाबे आली, सफदर नाम का आदमी चोरी का तो मुजरिम है, लेकिन कत्ल का नहीं है.’’

‘‘बहुत खूब. तो फिर यह कत्ल किस ने किया?’’ सरकारी वकील ने पूछा.

‘‘खुद मरने वाले इरफान साहब यानी फुरकान के दादा ने.’’

‘‘क्या मतलब?’’ सरकारी वकील चौंका, ‘‘यह कैसे हो सकता है? आप को मालूम है इरफान साहब की मौत कब हुई थी?’’

‘‘जी जनाब, ठीक 11 बजे उन्हें दिल का तेज दौरा पड़ा था, जिस में वह बच नहीं सके.’’

‘‘और फुरकान को गोलियां किस वक्त मारी गईं?’’

‘‘11 बज कर 15 मिनट पर.’’

‘‘यानी आप कहना चाहते हैं कि इरफान साहब ने अपनी मौत के 15 मिनट बाद अपने पोते का खून कर दिया?’’

‘‘जी जनाब, बिलकुल ऐसा ही हुआ है.’’

जज ने कहा, ‘‘क्या आप को अंदाजा है कि आप अदालत में अपना बयान दर्ज करा रहे हैं?’’

‘‘जी जनाब.’’ डाक्टर ने कहा, ‘‘मैं यह जानता हूं और अपनी इस बात को सिद्ध करना चाहता हूं.’’

अदालत ने डाक्टर को आगे बोलने की इजाजत दे दी तो डाक्टर ने कहा, ‘‘जनाबे आली, पूरी कहानी इस तरह बनती है कि फुरकान अपने बूढ़े और अपाहिज दादा के कमरे में दाखिल होता है और उन से पैसों की मांग करता है. इरफान साहब उस की हरकतों से वैसे ही परेशान थे, इसलिए वह पैसे देने से मना कर देते हैं.’’

डाक्टर ने आगे कहा, ‘‘तब फुरकान उन से तिजोरी की चाबी छीन लेता है और तिजोरी के पास जा कर तिजोरी खोलने लगता है. इरफान साहब को उस की इस हरकत पर इतना गुस्सा आता है कि वह अपने पास रखी पिस्तौल उठा लेते हैं. तभी उन्हें दिमागी दबाव और सदमे की वजह से दिल का खतरनाक दौरा पड़ता है और उन की मौत हो जाती है.’’

‘‘और अपनी मौत के बाद वह फुरकान का खून कर देते हैं.’’ सरकारी वकील ने व्यंग्य से कहा.

‘‘जी जनाब, यह खून 15 मिनट बाद हुआ है.’’ डाक्टर ने कहा, ‘‘उस बीच फुरकान तिजोरी में रखी चीजों का निरीक्षण करता रहा होगा, क्योंकि वह जानता था कि उस कमरे में कोई और नहीं आ सकता. 15 मिनट बाद मृत इरफान साहब ने गोलियां चला कर अपने पोते फुरकान का खून कर दिया. इत्तेफाक से उसी समय बदकिस्मती से सफदर खुली हुई खिड़की से अंदर आया. उस के लिए मैदान साफ था. वह तिजोरी से नकद और बांड ले कर भाग गया.’’

‘‘सवाल फिर वही है कि मौत के बाद खून किस तरह किया गया?’’ सरकारी वकील ने कहा.

‘‘एक कीमियाई अमल जनाबेआली.’’ डाक्टर ने कहा. ‘‘जो मौत के बाद होने लगता है. जिस दिन घटना हुई थी, उस दिन तेज गरमी थी. 11 बजे से पहले लाइट भी चली गई थी. इसलिए जब इरफान साहब की मौत हुई तो तापमान अधिक होने के कारण यह अमल बहुत तेजी से हो गया.’’

‘‘इस अमल में मरने वाले की हड्डियां सिकुड़ने लगती हैं. चूंकि पिस्तौल पहले से ही इरफान साहब के हाथ में दबी थी, इसलिए सिकुड़ती हुई उंगलियों ने पिस्तौल का ट्रिगर दबा दिया. निशाना चूंकि लगा हुआ था, इसलिए गोलियां सीधी फुरकान की पीठ में घुस गईं और वह मर गया. इस घटना की पूरी कहानी यही है.’’

मामला एकदम उलट गया था. डाक्टर की रिपोर्ट और बयान ने पूरा मामला उलट दिया था. नसरीन के शौहर सफदर को सिर्फ चोरी के जुर्म में एक साल की सजा सुनाई गई क्योंकि कत्ल के इल्जाम में उस की बेगुनाही साबित हो चुकी थी.

अदालत में बयान देने वाला डाक्टर अपने फ्लैट में इरफान के मैनेजर सलीम के सामने बैठा कह रहा था, ‘‘देखा, मेरा कमाल.’’

‘‘सच डाक्टर, इसे कहते हैं किस्मत की मेहरबानी.’’ सलीम ने बगल में रखे ब्रीफकेस की ओर इशारा कर के कहा. ‘‘इस में इरफान साहब के करोड़ों रुपए व गहने मौजूद हैं. आप की जानकारी सचमुच मेरे बड़े काम आई.’’

‘‘अब तुम मुझे पूरी बात बताओ.’’ डाक्टर ने कहा.

सलीम मुसकरा कर बोला, ‘‘कोई खास बात नहीं है. मुझे नसरीन ने बता दिया था कि तिजोरी में क्याक्या रखा है. उस ने जानबूझ कर खिड़की खुली छोड़ दी थी. खिड़की उस ने अपने शौहर सफदर के लिए खोली थी, लेकिन उस का फायदा उठाया मैं ने.

‘‘बहरहाल उस दिन मैं खिड़की के रास्ते कमरे में दाखिल होने वाला था कि मुझे फुरकान आता दिखाई दे गया. मैं रुक गया. तभी फुरकान ने इरफान से जबरदस्ती चाबी छीनी और तिजोरी की ओर बढ़ा. इधर फुरकान ने तिजोरी खोली और उधर इरफान साहब ने पिस्तौल निकाल कर उसे निशाने पर ले लिया. यह सारा घटनाक्रम मेरी आंखों के सामने हो रहा था. मैं ने इरफान साहब को दिल का तेज दौरा पड़ते और मरते अपनी आंखों से देखा. लेकिन मेरा खयाल था कि वह सिर्फ बेहोश हुए थे.

‘‘बहरहाल, यह मेरे लिए बहुत बढि़या मौका था. मैं तुरंत कमरे में दाखिल हुआ. उस वक्त फुरकान तिजोरी खोले उस में रखी दौलत को देख रहा था. मैं ने धीरे से इरफान साहब की अंगुलियों से पिस्तौल निकाली और फुरकान को गोलियां मार कर पिस्तौल फिर इरफान साहब की अंगुलियों में फंसा दी. आप की बताई जानकारी मेरे काम आ गई. इस के बाद मैं ने बांड और कुछ रुपए छोड़ कर बाकी सब अपने ब्रीफकेस में रखा और खामोशी से खिड़की से बाहर आ गया. अब यह सब कुछ हमारा है. ईमानदारी से हम इसे आधाआधा बांट लेंगे, लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आई.’’

‘‘वो क्या?’’ डाक्टर ने पूछा.

‘‘जब यह साबित हो चुका था कि फुरकान का खून नसरीन के शौहर सफदर ने किया है, तो फिर आप ने इस कीमियाई अमल की कहानी द्वारा उसे बचा क्यों लिया?’’

‘‘इसलिए कि मैं एक डाक्टर हूं और डाक्टर मसीहा होता है, जल्लाद नहीं. शुरूशुरू में तो मैं भी तुम्हारे साथ था लेकिन जब मैं ने नसरीन और सफदर की आंखों में आंसू देखे तो मुझ से बरदाश्त नहीं हुआ और उसे मैडिकल ग्राउंड पर बचा लिया. उस के बाद मैं असली कहानी की तलाश में था कि आखिर हुआ क्या था. खुदा का शुक्र है कि तुम ने अपनी जुबान से अपना जुर्म कबूल कर लिया.’’

सलीम ने गहरी सांस ले कर कहा, ‘‘तो अब आप मुझ से खेल खेल रहे हैं. लेकिन आप के पास क्या सुबूत है कि मैं ने आप से यह सब बातें कहीं थीं?’’

‘‘सुबूत यह है कि तुम्हारी कही हर बात मैं ने रिकौर्ड कर ली है. यही नहीं, दूसरे कमरे में बैठे इंसपेक्टर ने भी तुम्हारी एकएक बात सुन ली है.’’ डाक्टर ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘याद रखो, बुरे काम का नतीजा हमेशा बुरा ही होता है, अच्छा नहीं.’’

लूट फार एडवेंचर – भाग 3

आगे की योजना भी चौंकाने वाली

“बैंक में घुसते ही सब से पहले मैं ऐक्शन में आऊंगा. रेसलिंग में सीखे हुए दांव का प्रयोग करते हुए मैं पहले से अलसाए हुए ड्यूटी गार्ड को जमीन पर गिरा दूंगा. जमीन पर गिरते ही मैं गार्ड की राइफल अपने कब्जे में ले लूंगा और उस का लौक खोल कर उसी पर तान दूंगा. इस दौरान मैं अपने ताकतवर पैरों के पंजे से उस का गला दबा दूंगा ताकि वह चिल्ला न सके.

“इतना काम सफल होते ही मगन ऐक्शन में आ जाएगा और बैंक मैनेजर के केबिन में घुस कर उसे 2-4 चांटे मार कर अपने नियंत्रण में कर लेगा. 2 अहम व्यक्तियों को निस्तेज होते देख बचे हुए लोग डर जाएंगे और हमारी कठपुतली की तरह काम करने लगेंगे.

“जैसे ही मगन मैनेजर को अपने कंट्रोल में ले लेगा, तभी छगन का ऐक्शन शुरू होगा. उस के पास एयरगन होगी. इस एयरगन को लहराते हुए वह सभी कर्मचारियों को अपनी अपनी सीट छोडऩे का आदेश इस निर्देश के साथ देगा कि कर्मचारी अपने मोबाइल अपने सामने वाली टेबल पर ही रख दें.

“छगन यह धमकी भी देगा कि यदि उस के आदेश को नहीं माना गया तो गार्ड को उसी की रायफल से शूट कर दिया जाएगा. बैंक में मौजूद सभी ग्राहकों तथा स्टाफ को बैंक मैनेजर के केबिन में बंद कर दिया जाएगा. मैं गार्ड के गले पर लगातार दबाव बढ़ाता रहूंगा. गार्ड की छटपटाहट सभी को भयभीत रखेगी. पब्लिक का यह डर ही हमारी जीत का आधार होगा.

“चूंकि बैंक बंद होने का समय हो रहा होगा, अत: हम उस के चैनल को बंद कर देंगे तो भी कोई शक नहीं करेगा.

“इसी समय मगन बैंक मैनेजर को स्ट्रांगरूम ले जाया जाएगा और उसे एक ही बार में खोलने की धमकी देगा. दूसरा प्रयास मतलब गार्ड की मौत. इन स्पष्ट शब्दों का प्रयोग मैनेजर से स्ट्रांगरूम खुलवाते समय करना होगा. अगर उस ने पासवर्ड डालने में चालाकी की तो सीधे हैड औफिस में अलार्म बजेगा जो हमारी मौत का अलार्म होगा. मतलब हर चीज पूरी सावधानी और ऐहतियात के साथ होनी चाहिए.” जगन ने प्लान विस्तार के साथ समझाया.

“सही है,” छगन बोला.

“स्ट्रांगरूम में घुसते ही हम अपने साथ जो बैग ले कर जाएंगे, उन में से एक बैग उपलब्ध नोटों से भर लेंगे. यहां पर यह ध्यान रखना कि हमें ज्यादा से ज्यादा बड़े नोट ही लेने हैं. साथ ही इस बात पर भी कंसन्ट्रेट करना है कि ये सारी प्रक्रिया जल्दी से जल्दी समाप्त हो. क्योंकि हो सकता है कि स्ट्रांगरूम का दरवाजा किसी टाइमर से औपरेटेड हो और एक निश्चित समय के बाद सेफ्टी अलार्म बजता हो.” जगन ने सब को समझाया.

“बिलकुल ठीक. जो सावधानियां हमें रखनी हैं उन के बारे में पहले से ही सचेत रहें तो बेहतर है.” मगन जगन का समर्थन करते हुए बोला.

“हमारा काम जैसे ही पूरा होगा, गार्ड समेत सभी लोगों को मैनेजर के केबिन में बंद करना है. उस केबिन की चाबी हमें बैंक में ही मिलेगी. सभी को बंद करने के बाद बैंक में लगे चैनल गेट को बंद करना है और उस में वह ताला लगाना है, जो हम लोग साथ ले कर जाएंगे.” जगन ने ताला साथ ले जाने का कारण स्पष्ट किया.

“जब हम सब कर्मचारियों को मैनेजर के केबिन में बंद कर ही रहे हैं तो दूसरा ताला लगाने का क्या औचित्य?” छगन ने पूछा.

वारदात के बाद की भी कर ली प्लानिंग

“हमारा यह काम पुलिस व अन्य लोगों को भ्रमित करेगा. इतना तो निश्चित है कि हमारे निकलने बाद कोई न कोई सेफ्टी अलार्म का बटन अवश्य दबाएगा. चूंकि सभी लोग मैनेजर के केबिन में बंद होंगे, अत: बाहर चैनल से देखने पर ताला दिखाई देगा. और इस कारण से सब यही समझेंगे कि लूज कांटेक्ट के कारण अलार्म बज गया है.

“संभव है कि कुछ लोग मैनेजर के केबिन में से सहायता के लिए चिल्लाएं और लोग उन की आवाज को सुन भी लें, मगर चैनल पर ताला लगा होने के कारण वह आगे ही नहीं आ पाएंगे. बाहरी लोगों की भीड़ कभी भी पुलिस के आए बिना ताला तोडऩे का साहस नहीं करेगी, क्योंकि ऐसा करने पर ताले की सतह पर मौजूद हमारे फिंगरप्रिंट मिट जाने का डर होगा.

“पुलिस के आने के बाद भी ताला तोडऩे और मौके का मुआयना, बयान कैमरे की रिकौर्डिंग चैक करने में कम से कम एक घंटा तो लग ही जाएगा. इतने समय में हम बाकी 2 बैंकों की घटनाओं को भी अंजाम तक पहुंचा चुके होंगे.” जगन ने पूरी योजना का खुलासा किया.

“बहुत बढिय़ा जगन. परफेक्ट प्लानिंग एकदम परफेक्ट. सारा कारनामा टाइम मैनेजमेंट पर ही निर्भर करेगा.” मगन बोला.

“दूसरी सावधानी यह रखनी है कि हमें लूट के लिए ऐसे बैंकों का चयन करना है, जहां पर कम से कम 20 लाख का मिनिमम बैलेंस तो रहता ही हो. रहमत की बीवी को मायके जाने में अभी 25-30 दिनों का समय तो है ही. तब तक हमें ऐसी ब्रांच खोज कर रखनी ही है. मेरे विचार से 20 लाख रुपया कोई सा भी बिजनैस शुरू करने के लिए पर्याप्त है.” जगन बोला.

“हां, बिजनैस कि शुरुआत के लिए इतना पैसा काफी होगा,” छगन बोला.

“लेकिन हम पैसों का बंटवारा करेंगे कैसे?” मगन ने पूछा.

“देखो, इन पैसों का बंटवारा ऐसे नहीं होगा. हम 3 लोग 3 बैंक लूटेंगे और 3 ही बैग होंगे. हम 3 पर्चियों पर नाम लिख कर किसी बच्चे से परची उठवा कर क्रम निर्धारित कर लेंगे. जिस की किस्मत में जितना होगा, उसे उतना मिल जाएगा.” जगन बोला.

“हां, यह भी ठीक रहेगा. वैसे भी लूट की राशि का पता तो हमें न्यूजपेपर और चैनल से चल ही जायगा,” मगन बोला.

“इन तीनों घटनाओं का अंत बड़ा ही दिलचस्प और चौंकाने वाला होगा और लोग जब तक इस घटनाक्रम को भुलाने वाले होंगे, तब तक हम कोई और धमाका अवश्य करेंगे. मगर यह धमाका क्या होगा, यह अभी से निर्धारित नहीं किया जा सकता.

“जैसा कि मैं ने पहले भी कहा है घटना करने से कुछ समय पहले हम अपनी मौजूदा मोबाइल को सिम समेत बंद कर के किसी गहरे पानी में फेंक देंगे.

“घटना के बाद हम तीनों अलग अलग शहर में अपनीअपनी सुविधा के अनुसार चलें जाएंगे. चूंकि हमें एकदूसरे के पते, ठिकाने व मोबाइल नंबर्स के बारे में कुछ भी पता नहीं होगा, अत: यदि किसी कारण से कोई एक पकड़ में आ भी जाता है तो बचे हुए 2 तो सुरक्षित रहेंगे ही न. वैसे प्लान इतना सेफ है कि हम में से कोई भी तब तक नहीं पकड़ा जाएगा, जब तक कि हम खुद आगे हो कर गलती न करें.

हमें इस लूट का हिसाब किताब अवश्य ही करना है. अत: घटना वाली तारीख से ही ठीक 7 साल बाद उसी तारीख को हमें शहर के प्रसिद्ध गेलार्ड कैफे में शाम को 7 बजे मिलना है. यदि किसी को कुछ कमीबेशी रह गई होगी तो उस की क्षतिपूर्ति हम लोग आपस में मिल कर कर लेंगे और इस सफलता का एक ग्रैंड सेलिब्रेशन तो उस समय होगा ही.” जगन ने घटना के बाद का पूरा प्लान कारणों के साथ समझा दिया.

“तो क्या इन 7 सालों तक हम एकदूसरे के संपर्क में बिलकुल भी नहीं रहेंगे?” छगन ने आश्चर्य से पूछा.

“हां, बिलकुल भी नहीं.” जगन शब्दों पर जोर देता हुआ बोला, “मुझे विश्वास है 7 सालों के बाद जब हम मिलेंगे तो हमारा व्यक्तित्व आज के व्यक्तित्व से एक दम जुदा होगा.”

“मैं भी ऐसा विश्वास करता हूं. नया व्यक्तित्व, नया परिचय बस नाम वही पुराना.” मगन भी उत्साहित हो कर बोला.

एक लाश ने लिया प्रतिशोध – भाग 3

स्लेड जानता था कि स्पेल्डिंग उस की बात पर ध्यान नहीं देगा, इसलिए उस ने जेब से वह रस्सी निकाल कर अपने हाथ स्पेल्डिंग की सीट के पीछे की ओर बढ़ा दिए.

‘‘नहीं, मैं यह नहीं कर सकता. मेरा फर्ज अपने मुवक्किल का हित देखना है. मैं मजबूर हूं. तुम अच्छी तरह जानते हो कि एक वकील की हैसियत से मेरा फर्ज क्या है?’’ स्पेल्डिंग ने कहा.

‘‘हां, जानता हूं. मगर मैं सिर्फ 3 महीने की मोहलत चाहता हूं.’’ स्लेड ने कहा.

‘‘नहीं, मैं यह नहीं कर सकता. मेरे खयाल से इस मसले पर बात करने से कोई फायदा नहीं है. बेहतर होगा कि मैं आप की कार से उतर कर पैदल ही चला जाऊं.’’

कह कर स्पेल्डिंग ने कार के दरवाजे के हैंडिल पर जैसे ही हाथ रखा, तभी स्लेड ने रस्सी का फंदा स्पेल्डिंग की गरदन में डाल दिया. स्पेल्डिंग कुछ समझ पाता, उस के पहले ही गले में फंदा कस गया. उस का दम घुटने लगा.

भारतीय ठगों की उस किताब में जो गला घोंटने का तरीका बताया गया था, वह कितना अचूक था. स्लेड की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उस की योजना का पहला चरण कितनी आसानी से पूरा हो गया था.  अब स्पेल्डिंग की लाश को ठिकाने लगाना था. इस के लिए उस ने पहले से ही योजना बना रखी थी.

उस ने स्पेल्डिंग की लाश को सीट पर लिटा कर कार स्टार्ट की और तेज रफ्तार से समुद्र की ओर चल पड़ा. ज्वार आने में अब पौन घंटे बाकी थे. जबकि स्लेड को समुद्र तक पहुंचने के लिए उस बर्फ और तेज हवा में 10 मील की दूरी तय करनी थी.

उस खौफनाक रात में कार भागी जा रही थी. सड़क पर कहीं भी कोई नजर नहीं आ रहा था. रास्ता बिलकुल साफ था. स्लेड को रास्ते का पता था. उस सड़क पर वह न जाने कितनी बार आयागया था.

आखिर स्लेड समुद्र के किनारे पहुंच गया. अब उस के आगे कार नहीं जा सकती थी. चारों ओर गहरा अंधकार छाया हुआ था. तीखी हवा चल रही थी. बर्फ के गाले उड़ रहे थे. सड़क से 2 मील दूर काला सागर लहरा रहा था. उस की लहरों की गूंज यहां तक रही थी.

स्लेड कार से नीचे उतरा और लाश को खींच कर एकदम गेट के पास कर लिया. लाश की जेबों में लोहे के टुकड़े भर कर उस की कमर से जंजीर लपेट दी. यह काम उस ने इसलिए किया था, जिस से उस के वजन से लाश समुद्र की तलहटी में बैठ जाए और उसे मछलियां खा जाएं.

अब स्लेड को लाश उठा कर समुद्र के किनारे तक ले जाना था. निश्चय ही यह एक मुश्किल काम था. वह कोई हट्टाकट्टा आदमी नहीं था. दुबलापतला साधारण शरीर वाला था. उस की जवानी भी उतार पर थी. एक क्षण के लिए उसे लगा कि शायद वह लाश को समुद्र तक नहीं ले जा पाएगा.

लेकिन वह हिम्मत हारने वालों में नहीं था. उस ने लाश को उठा कर कंधे पर लाद लिया. लाश काफी भारी थी. फिर भी स्लेड तेजी से चल पड़ा. उस ने सुविधा के लिए लाश की बांहें गले में तो पांवों को कमर में लपेट लिया. अभी लाश की लचक कायम थी. एक तरह से वह स्पेल्डिंग की लाश को पीठ पर लादे था. लाश की बांहें स्लेड की गरदन में लिपटी थीं तो पैर कमर को कसे हुए थे.

लाश के वजन से स्लेड के कदम लड़खड़ा रहे थे. फिर भी वह हिम्मत कर के बढ़ता रहा. अब ज्वार आने में ज्यादा देर नहीं थी. वह हांफ रहा था, लेकिन रुक कर वक्त बिलकुल बरबाद नहीं करना चाहता था. उसे ज्वार आने के पहले ही पानी तक पहुंच कर लाश को फेंक देना था.

उस की आंखों में चमक आ गई. आखिर वह अपनी मंजिल पाने वाला था. अंधकार में उसे एक उजली सी लकीर नजर आई. वह लहरों के झाग की थी.

स्लेड के पांव समुद्र के पानी में पड़े तो उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वह थोड़ा और आगे बढ़ा. पानी उस के घुटनों तक आ गया तो वह रुक गया और उस ने राहत की सांस ली. अब उसे लाश को कंधे से उतार कर पानी में लुढ़का देना था. वह लाश को पानी में लुढ़काने के लिए झुका. लेकिन यह क्या? लाश उस के कंधे से गिरी ही नहीं. उस ने लाश की बाहों को खींचा. लेकिन वे टस से मस न हुईं.

वे अकड़ चुकी थीं. उन का लचीलापन खत्म हो चुका था. उस ने जोर लगा कर कमर को कसे टांगों को खींचा. लेकिन टांगें भी टस से मस न हुईं. वे भी अकड़ गई थीं. यह देख कर वह डर के मारे पागल हो गया. पूरी ताकत लगा कर लाश की गिरफ्त से छूटने की कोशिश की. लेकिन लाश की गिरफ्त जरा भी ढीली नहीं पड़ी.

ऐसा लग रहा था, जैसे लाश ने एक जिंदा शक्तिशाली युवक की तरह उसे पकड़ लिया है. वह लाश की पकड़ को सारी कोशिशों के बावजूद नहीं छुड़ा सका. अब वह क्या करे?

तभी ज्वार आ गया. बड़ी बड़ी लहरें चिंघाड़ती हुई आने लगीं. अब वहां से भागने के अलावा स्लेड के पास कोई दूसरा उपाय नहीं था. उस ने बौखला कर एक बार फिर लाश से पिंड छुड़ाने की कोशिश की. पर कोई फायदा नहीं हुआ. लाश के हाथपांव उसे संड़सी की तरह जकड़े हुए थे.

निढाल और निराश हो कर स्लेड ने पानी से निकलने की कोशिश की. लेकिन अब देर हो चुकी थी. लहरों का ऐसा रेला आया कि वह संभल नहीं सका और उस के धक्के से गिर पड़ा. स्लेड ने उठने की कोशिश की, लेकिन उठ नहीं सका. उस का दम घुटने लगा, फिर बेहोश हो गया. लाश उसे उसी तरह दबोचे रही.

ज्वार उतर गया तो समुद्र तट पर 2 लाशें एकदूसरे से लिपटी हुई मिलीं. उन की शिनाख्त होते देर नहीं लगी. उन में एक लाश स्लेड की थी और दूसरी स्पेल्डिंग की. दोनों लाशों को उसी स्थिति में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. डा. मैथ्यू शव परीक्षण गृह में आए तो लाशों को इस तरह लिपटी देख कर हैरान रह गए.

उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लिखा, ‘स्लेड ने स्पेल्डिंग को गरदन दबा कर मार दिया था. स्पेल्डिंग की लाश को ठिकाने लगाने की गरज से कंधे पर उठा कर उस के हाथ गरदन में तो पैर कमर में लपेट लिए थे. स्लेड लाश समुद्र में फेंकने गया था. लेकिन लाश की पकड़ से न छूट पाने की वजह से वह पानी में गिर गया. सांस की नली में पानी भर जाने से वह भी मर गया.’

लूट फार एडवेंचर – भाग 2

जगन की योजना पर चौंक उठे मगन और छगन

“पहले पूरी योजना सुन लो फिर अपने सुझाव या आपत्ति देना.” जगन चिढ़ कर बोला.

“हांहां, यह ठीक है. योजना बताओ.” मगन हस्तक्षेप करते हुए बोला.

“इस इंप्रैशन से मैं एक डुप्लीकेट चाबी बनवाऊंगा और उस से व्हीकल को औपरेट करके देखूंगा. अगर ओके रही तो ठीक वरना तब तक बनवाता रहूंगा जब तक कि परफेक्ट न बन जाए.” जगन बोला.

“वह तो कोई मुश्किल काम नहीं है क्योंकि तुम्हारे पास फोटो भी है. कंप्यूटर से डुप्लीकेट चाबी आसानी से बन जाएगी.”

मगन बोला, “जिस दिन इस डुप्लीकेट चाबी से यह गाड़ी स्टार्ट हो जाएगी उसी दिन मैं अपना कमरा छोड़ कर दूसरी कालोनी में शिफ्ट हो जाऊंगा. दरअसल, मैं ने एक कमरा देख भी लिया है. उस का मालिक अनपढ़ है. उसे किसी भी तरह का कोई आइडेंटिटी प्रूफ की जरूरत भी नहीं है.” जगन ने रहस्योद्घाटन किया.

“चलो, यह भी सही है. गाड़ी स्टार्ट भी हो गई और तुम्हारी आइडेंटिटी भी गुप्त ही रही. अब आगे कैसे बढ़ेंगे? बैंक तो दिन में खुलती हैं और दिन में तो गाड़ी रहमत के पास रहेगी. तब हम इस का इस्तेमाल कैसे कर पाएंगे?” छगन ने पूछा.

“चाबी बनाना और गाड़ी स्टार्ट करना करना इस योजना का पहला चरण है,” जगन बोला, “रहमत अपनी पत्नी के साथ रहता है. उस के परिवार के बाकी लोग दूसरे शहर में रहते हैं. इस योजना का दूसरा चरण तब शुरू होगा, जब रहमत की गर्भवती बीवी अपनी पहली डिलीवरी के लिए अपने मायके जाएगी. शायद एक महीने बाद ही जाने वाली है. उस समय हम किसी रात को जा कर उस की गाड़ी का साइलेंसर चोक कर देंगे.

“गाड़ी जब स्टार्ट नहीं होगी तो रहमत इंजन तक चैक करेगा, मगर साइलेंसर चैक करने के बारे में सोचेगा भी नहीं. वह अपनी इस खराबी की सूचना अपने अधिकारियों को देगा और वह अधिकारी भी अपने उच्चाधिकारियों को सूचित करेगा और उन के निर्देशों के बाद ही गाड़ी मैकेनिक के पास जाएगी.

“इस पूरी प्रक्रिया में पूरा एक दिन लग ही जाएगा. बस वही दिन हमारी योजना को अंजाम देने का दिन होगा. क्योंकि इस दशा में रहमत को दूसरी गाड़ी पर सहायक के रूप में जाना होगा,” जगन बोला.

“लेकिन साइलैंसर को जाम कैसे किया जाएगा?” छगन ने पूछा.

“बहुत आसान है. एक कपड़े की लगभग 2 मीटर की लंबी चिंदी हम किसी पतली छड़ की सहायता से साइलेंसर के अंदर डाल देंगे और ऊपर से ट्रांसपेरेंट टेप से उस का मुंह बंद कर देंगे. जब रहमत औफिस चला जाएगा तब हम साइलैंसर से कपड़ा निकाल कर गाड़ी स्टार्ट कर सकेंगे,” जगन बोला.

“यहां तक तो समझ में आ रहा है कि कैश केयरिंग वैन होने के कारण इसे बैंक के सामने पार्क करने से कोई रोकेगा नहीं और लूट के बाद हम आसानी से कैश ले कर निकल भी सकेंगे,” छगन जगन की योजना का मर्म पकड़ते हुए बोला.

“हमारी योजना के मुताबिक काम होता है तो रनिंग काफी ज्यादा होगी. ऐसे में फ्यूल पर्याप्त मात्रा में होना जरूरी है.” मगन ने अपनी चिंता व्यक्त की.

“प्रत्येक रविवार की शाम को सभी मोबाइल वैन के फ्यूल टैंक फुल करवाए जाते है. अत: हम अपनी योजना को सिर्फ सोमवार के दिन ही क्रियान्वित करेंगे.” जगन ने योजना का अहम हिस्सा समझाया.

“जगन यहां तक तो योजना ठीक ही है. शक की संभावना न्यूनतम है और काफी हद तक सुरक्षित भी. आगे की काररवाई को अंजाम कैसे देंगे?” छगन ने पूछा.

“आगे की योजना की सफलता पूरी तौर पर हमारी स्पोट्र्समैन स्किल और प्रजेंस औफ माइंड पर निर्भर करेगी. ज्यादातर बैंकों में रखे सुरक्षा गार्ड वास्तव में एक खानापूर्ति ही हैं. कई बैंक तो सिर्फ एक सुरक्षा गार्ड के भरोसे ही रहती है. हमें बैंकों की इस कमी का ही फायदा उठाना पड़ेगा और वह भी तब जब बैंक बंद होने वाली हो. ऐसे समय में ग्राहकों की संख्या काफी कम होती है और स्टाफ भी अंतिम समय में कुछ लापरवाह हो जाता है. हमें इसी कमजोरी और मानव स्वभाव का लाभ उठाना है.” जगन बोलता रहा .

“एस, स्ट्राइक व्हाइल आयरन इज हौट.” मगन बोला.

“बिलकुल ठीक आब्जरवेशन है जगन. लेकिन बैंक में गार्ड के अलावा सेफ्टी अलार्म और कैमरे भी रहते हैं. सुना है कि स्ट्रांगरूम खोलने के लिए भी पासवर्ड होता है जो गलत डल जाने पर सीधे हैड औफिस से कनेक्ट हो जाता है.” छगन बोला.

“गुड छगन, गुड इनफार्मेशन. यह स्ट्रांगरूम के पासवर्ड वाली बात मेरे दिमाग से निकल ही गई थी,” जगन तारीफ करते हुए बोला.

“ठीक है, आगे की योजना बताओ और उस में इस पौइंट को भी इनक्लूड कर लो.” छगन बोला.

जगन ने बढ़ाया दोनों दोस्तों का जोश

“देखो, हम तीनों को अपने अपने खेलों में महारथ हासिल है. ये सभी खेल चंचलता और चपलता पर ही आधारित हैं. हमें इन का वैसे ही प्रयोग करना है, जैसे हम मैदान में प्रतिद्वंद्वी पर करते थे.

“गाड्र्स के पास जो राइफल रहती है, वह लौक रहती है और उसे कंधे से उतार कर पोजिशन लेने और लौक खोलने में कम से कम 20 सेकेंड्स तो लगते ही हैं. हमें गाड्र्स पर अटैक कर इन 20 सेकेंड्स में ही कंपलीट करना है. देरी का मतलब होगा औपरेशन का फेल्योर. इसलिए अपनी सारी स्किल्स का प्रयोग इन 20 सेकेंड्स में ही करना है.

“हमारे चेहरे कोरोना वाले नोज मास्क से कवर होंगे और सिर के ऊपर राजस्थानी साफा बंधा हुआ होगा. यह सेफ रेडीमेड होंगे और घटना को अंजाम देने के तुरंत बाद उतार कर वैन में ही रख दिए जाएंगे. ताकि रास्ते में कोई शक न कर सके.” जगन ने दोनों को समझाया.

“यह सब तो भूमिका हुई. असली गतिविधि कैसे संचालित होगी?” मगन ने पूछा.

“हां, असली एडवेंचर तो वही है. उस की प्लानिंग कैसे की है? अभी तक तो सब समझ में आ रहा है. अगर मोबाइल वैन ट्रेस होती भी है तब भी हम सेफ हैं, क्योंकि अभी तक हमारी आइडेंटिटी कहीं भी उजागर नहीं हो रही है.” छगन बोला.

“आगे भी नहीं होगी, अगर हम ने सावधानी रखी तो. इस पूरे मिशन के दौरान हमें मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना है बल्कि इस मोबाइल के कौंटेक्ट्स हमारे काम नहीं आएंगे. क्योंकि पता नहीं कौन सा कौंटेक्ट कब खतरनाक हो जाए. इस योजना की भनक तक नहीं लगनी चाहिए किसी को. जिस दिन इस योजना को अंजाम दिया जाएगा, उस के 2 घंटे पहले हम अपने मोबाइल स्विच औफ कर के गहरे पानी में फेंक देंगे.” जगन ने घटना के पहले की सावधानी का खाका पेश किया.

“बिलकुल ठीक. कई बार मोबाइल ही जी का जंजाल बन जाते हैं. अपने पास में जितना कम सामान रखेंगे, हम उतने ही अधिक सुरक्षित रहेंगे.” छगन भी जगन की बातों से सहमत था.

“भाई, अब तो लग रहा है यह एडवेंचर वाकई में लोगों को बरसों तक याद रहेगा और लोग जब भी याद करेंगे तो उन के रोंगटे खड़े हो जाएंगे.” मगन भी सहमत होते हुए बोला.

“अब उत्सुकता और मत बढ़ाओ, जल्दी से लाइन औफ ऐक्शन का खुलासा करो.” छगन बेताबी से बोला.

“निश्चित ही योजना का अंतिम हिस्सा सब से अहम है. इस को हमें बड़ी सावधानी से पूरा करना होगा. इस में जो सब से महत्त्वपूर्ण होगा, वह होगा हमारा त्वरित बौडी मूवमेंट और तुरंत निर्णय क्षमता.

“जैसा कि मैं ने पहले भी बताया कि बैंक में सिर्फ एक गार्ड ही होता है और उस के कंधों पर राइफल होती है. किसी भी संदेह की स्थिति में उसे कंधों से राइफल उतार कर पोजिशन लेने में कम से कम 20 सेकेंड तो लगेंगे ही. मतलब हमारे पास ऐक्शन लेने के लिए 20 सेकेंड से भी कम का समय है.

“क्योंकि हम तीनों के मुंह और नाक मास्क से और फोरहेड वाला पोर्शन साफे से कवर होगा. तीनों को एक साथ देख कर वह निश्चित ही शक करेगा. अत: बैंक में घुसते ही सब से पहला काम होगा गाड्र्स को अपने कंट्रोल में लेना. ऐसे में हमारी स्पोट्र्स स्किल ही काम आएगी.” जगन योजना को विस्तार से समझाता रहा.

“बिलकुल ठीक. यही वह समय होगा जब हमारी चैंपियनशिप की असली परीक्षा होगी,” मगन हस्तक्षेप करते हुए बोला.

एक लाश ने लिया प्रतिशोध – भाग 2

सचमुच मौसम ठीक नहीं था. स्लेड अपने दोस्त डा. मैथ्यू को कार तक पहुंचाने आया तो देखा जोरों से बारिश हो रही थी. हवा भी बड़ी तीखी चल रही थी. ठंड से उस की देह कांप उठी थी.

‘‘लगता है, रात को बर्फ गिरेगी.’’ कार स्टार्ट करते हुए डा. मैथ्यू ने कहा. इस के बाद नमस्कार कर के वह चला.

मौसम बेहद खराब था. मगर स्लेड को वह तूफानी रात बहुत अच्छी लग रही थी. वह बहुत खुश था. क्योंकि उस तूफानी रात में अगर बर्फ गिरती है तो कोई बाहर नहीं निकलेगा. ऐसे में स्पेल्डिंग की लाश ठिकाने लगाने में उसे आसानी रहेगी.

बैठक में आ कर स्लेड ने घड़ी पर निगाह डाली. अभी उस के पास पूरे एक घंटे का समय था. इस बीच वह अपनी योजना पर कायदे से सोचविचार सकता था.  उसे ज्वार (समुद्र के पानी चढ़ने) आने के समय की पक्की सूचना थी. कल सुबह ज्वार आने वाला था. यह भी कितना अच्छा था. आज रात को वह स्पेल्डिंग को मार कर समुद्र में फेंक देगा तो सुबह ज्वार उस की लाश को बहा ले जाएगा. आज बुधवार है, आधी रात की टे्रन से स्पेल्डिंग आएगा और उसी समय…

उस ने बैठक का दरवाजा खोला, बाहर की आहट ली. कोई आवाज नहीं आ रही थी. उस की मकान मालकिन डंबलटन सोने चली गई थीं. वैसे भी उन्हें कहां सुनाई देता था. उसे स्लेड के जाने का पता ही नहीं चलेगा. जब स्लेड स्पेल्डिंग की हत्या कर के लौटेगा, तब भी उसे कुछ नहीं पता चल पाएगा.

स्लेड को लगा, घड़ी की सुइयां अब तेज चल रही हैं. उस के दिल की धड़कन तेज हो गई. उस ने लोहे की जंजीर और लोहे का वजनदार टुकड़ा कार की पिछली सीट पर रख कर अपने ओवरकोट से ढक दिया था.

अपनी मेज की दराज से स्लेड ने एक रस्सी का टुकड़ा निकाला, जो 18 इंच लंबा था. उस के दोनों सिरों पर 6-6 इंच लंबे लकड़ी के टुकड़े बंधे थे. रस्सी के बीच में एक गांठ लगी थी. उस ने सभी गांठों की जांच कर के रस्सी जेब में रख ली. उसे उस रस्सी के बारे में वे बातें याद आ गईं, जिन्हें उस ने एक किताब में पढ़ा था. वह किताब भारत के ठगों की कार्यप्रणाली पर थी. भारतीय ठग इसी तरह रूमाल या रस्सी में लगी गांठ से अपने शिकार का गला घोंट कर लूट लेते थे.

स्पेल्डिंग भी वकील था. स्लेड के खिलाफ वह एक ट्रस्ट का मुकदमा जीत गया था. इस के अलावा उस ने स्लेड की कुछ जालसाजियां भी पकड़ ली थीं. उसी के बल पर वह स्लेड को जेल भिजवा सकता था. यही नहीं, बार एसोसिएशन से उस का रजिस्ट्रेशन रद्द करवा कर उसे बदनाम और बेकार कर सकता था. इसीलिए स्लेड ने स्पेल्डिंग को खत्म करने की योजना बनाई थी.

स्लेड ने एक बार फिर घड़ी पर नजर डाली. घर से निकलने का समय हो गया था. उस ने बत्तियां बुझा दीं और दबे पांव चल कर मकान के बाहर आ गया. बड़ी सतर्कता से बिना कोई आवाज किए उस ने दरवाजा बंद किया.

हवा बहुत तेज थी. अब तक बर्फ गिरने लगी थी. लेकिन स्लेड को उस की कोई परवाह नहीं थी. क्योंकि उस समय उस के मन में उस से भी भयंकर और तेज आंधी चल रही थी. उस ने हाथों से कार को धकेल कर गैराज से बाहर निकाला. गैराज को धीरे से बंद कर के ताला लगा दिया. सड़क पर काफी दूर ले जा कर उस ने कार स्टार्ट की. सड़क बिलकुल सुनसान थी. स्ट्रीट लाइट बर्फ की वजह से मद्धिम हो गई थीं.

वह पुल पर पहुंचा. वहां से उसे रेलवे स्टेशन की रोशनी दिखाई दे रही थी. साढ़े 12 बजे वाली गाड़ी से स्पेल्डिंग को आना था. हर बुधवार को वह 60 किलोमीटर दूर अपने औफिस की ब्रांच में जाता था. वहां से वह रात साढ़े 12 बजे की गाड़ी से वापस आता था.

स्लेड स्पेल्डिंग के रास्ते में कार की बत्तियां बुझा कर उस के आने का इंतजार करने लगा. ट्रेन कुछ लेट थी. लगभग 15 मिनट बाद स्लेड को ट्रेन की लाइट नजर आई और फिर टे्रन धड़धड़ाती हुई स्टेशन पर आ कर खड़ी हो गई.

स्लेड ने स्टेशन की ओर ताका. यात्री निकलने लगे. स्पेल्डिंग के पास गाड़ी नहीं थी. अभी वह नया वकील था. उस की आमदनी ज्यादा नहीं थी. वह टैक्सी का खर्च भी बरदाश्त नहीं कर सकता था. स्लेड ने देखा, स्पेल्डिंग पैदल ही चला आ रहा था. तेज हवा की वजह से उस ने सिर झुका रखा था. वह अंधेरे में खड़ी स्लेड की कार को नहीं देख सका और आगे निकल गया.

कार में बैठे स्लेड ने कार स्टार्ट कर के बत्तियां जलाईं. वह शिकार के पीछेपीछे चल पड़ा. सामने सड़क पर चल रहा स्पेल्डिंग कार की लाइट में दिखाई दे रहा था. कार बगल में पहुंची तो उस ने खिड़की से सिर निकाल कर पूछा, ‘‘क्या आप मेरी कार से चलना चाहेंगे?’’

‘‘बहुत बहुत शुक्रिया. आज मौसम बहुत खराब है. 2 किलोमीटर चलना भी मुश्किल लग रहा है.’’

‘‘तो फिर आ जाइए.’’ कार रोक कर स्लेड ने कहा.

स्पेल्डिंग ने अंदर आ कर दरवाजा बंद कर लिया. स्लेड ने कार आगे बढ़ा दी.

‘‘संयोग से तुम्हारे ऊपर नजर पड़ गई. मैं मिसेज क्ले के घर गया था. लौटते हुए मुझे ट्रेन के आने की आवाज सुनाई दी तो तुम्हारी याद आ गई. मैं ने सोचा आज बुधवार है. तुम घर लौट रहे होगे.’’

‘‘बहुत बहुत शुक्रिया, स्लेड साहब.’’ स्पेल्डिंग ने कहा.

धीरेधीरे कार चलाते हुए स्लेड ने मतलब की बात पर आते हुए कहा, ‘‘सही बात तो यह है कि मैं ने यह काम बिना मतलब नहीं किया है. मैं तुम से मतलब की एक बात करना चाहता हूं.’’

‘‘यह समय मतलब की बात करने का नहीं है. आप उसे कल कीजिएगा.’’

‘‘नहीं, यह बात मिसेज क्ले के ट्रस्ट से संबंधित है.’’

‘‘मैं ने पिछले हफ्ते कोर्ट से आदेश भिजवा दिया था.’’

‘‘हां, वह तो मिला था. मगर मैं ने तो तुम से कहा था कि मेरे मुवक्किल के लिए यह परेशानी की बात है. उस का पति आजकल बाहर है.’’

‘‘मेरे खयाल से परेशानी की कोई बात नहीं है. उस के पति को इस सब से क्या लेनादेना? आप मिसेज क्ले से कह कर जल्दी से मामला निपटवा दीजिए.’’

स्पेल्डिंग के इतना कहते ही स्लेड ने कार सड़क के किनारे रोक दी और स्पेल्डिंग को घूरते हुए कहा, ‘‘देखो स्पेल्डिंग, मैं ने कभी तुम्हारा कोई एहसान लेने की जरूरत नहीं समझी. कुछ समय तक के लिए तुम वह आदेश रुकवा दो, सिर्फ 3 महीने के लिए.’’

crime thriller कहानी के अगले भाग में पढ़िए, कैसे एक लाश ने लिया प्रतिशोध…

लूट फार एडवेंचर – भाग 1

तीनों बैंकों से कुल मिला कर लगभग 65 लाख की लूट हुई थी. किसी भी बैंक में 21 लाख से कम की रकम नहीं थी, जो इन तीनों दोस्तों की कल्पना के अनुरूप ही थी. तीनों लूट के बाद एकदूसरे से अनजान अलगअलग शहर में चले गए.

दूसरे दिन देश के सभी अखबारों और न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर सिर्फ और सिर्फ इस दुस्साहसी घटनाओं का ही जिक्र था. पुलिस और प्रशासन अपनी नाकामी से हाथ मल रही थी. लंबे समय तक लोगों के होंठों पर इस घटना का बखान था.

“अब हम तीनों को लूट का पैसा वापस बैंकों को लौटाना है. मैं इस बोझ के साथ मरना नहीं चाहता कि हम ने अपने स्वार्थ के लिए जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को लूटा. आज हम तीनों स्थापित हैं और इस कंडीशन में हैं कि उन पैसों को बिना किसी आपत्ति के वापस लौटा सकते हैं.” जगन बोला.

20 दिनों के बाद तीनों दोस्त एक बार फिर गेलार्ड कैफे में पार्टी कर रहे थे. सभी न्यूजपेपर्स और चैनल्स पर उन के एडवेंचर की कहानियां सुनाई जा रही थीं.

जगन, छगन और मगन गहरे दोस्त थे. तीनों ही अच्छे खिलाड़ी थे. काफी दिनों बाद वे फुरसत में बैठे बातें कर रहे थे. उसी दौरान छगन बोला, “शहर में नया डेस्टिनेशन खुला है. जहां पर एडवेंचरस एक्टिविटीज करवाई जाती हैं. हम लोग भी चलें. काफी दिनों से कोई एडवेंचर किया भी नहीं है.”

“किस तरह की एक्टिविटीज करवाते हैं वहां पर?” मगन ने कौतूहल से पूछा.

“500 फीट ऊपर रोप क्लाइंबिंग, रौक क्लाइंबिंग, पैरासिलिंग, रिवर राफ्टिंग जैसी कई एक्टिविटीज इन्वौल्व हैं उस में.” छगन ने बताया.

“कितनी टिकट है उस की?” मगन ने फिर प्रश्न किया.

“वैसे तो एक हजार रुपए पर हैड है. लेकिन अगर हम तीनों चलते हैं तो मैं कहीं से जुगाड़ कर कुछ कम करवा सकता हूं,” छगन उत्साहित हो कर बोला.

“अरे मूर्खों, अगर अपनी जेब से पैसा खर्च कर के एडवेंचर किया तो क्या किया? एडवेंचर तो वह है, जो हम करें और उस के लिए दुनिया हमें याद करे और हमें पैसे भी मिलें.” जगन जो अब तक चुपचाप दोनों की बातें सुन रहा था, बीच में बोल पड़ा.

“क्या ऐसा हो सकता है? हमें हमारे एडवेंचर के बदले कौन मूर्ख पैसे देगा?” छगन उपहास से बोला.

“क्यों अपने आप को कमतर आंकें हम? याद रखो, हम तीनों के ही नाम के अंत में गन है. हम चाहें तो ऐसा फायर कर सकते हैं, जिस की तीव्रता की कल्पना सिर्फ सपनों में ही की जा सकती है. मैं खुद एक रेसलर हूं, मगन जूडो कराटे और छगन को ताइक्वांडो जैसे खेल में महारथ हासिल है. हम तीनों खिलाड़ी चाहें तो इतना बड़ा एडवेंचर कर सकते हैं कि दुनिया वाले दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो सकते है,” जगन बोला.

“सच है, जब हम में खुद में इतना हुनर है तो क्यों न ऐसा कोई एडवेंचर करें?” मगन बोला.

“मगर ऐसा एडवेंचर होगा क्या?” छगन ने पूछा.

“यह तो हम तीनों को मिल कर सोचना पड़ेगा,” जगन बोला.

“देखो, ऐसा कोई सा भी एडवेंचर जो खतरनाक की श्रेणी में आता हो, जिस में जान का जोखिम हो. पुलिस और प्रशासन की जानकारी के बगैर नहीं किया जा सकता है,” मगन ने जानकारी दी.

“जान हमारी है रिस्क हमारा है तो इस के लिए किसी भी अपने या पराए को जानकारी क्यों दी जाए? और जो कुछ भी होगा, इस के नतीजे के जवाबदेह भी हम ही होंगे. मजा तो तब है कि जब हम अपनी सोची हुई एडवेंचरस घटना को अंजाम दें और बरसों तक लोग उस घटना को घटना के नाम से याद करें न कि हमारे नाम से.” जगन बोला.

“तो क्या तूने ऐसा कोई कारनामा सोच रखा है, ऐसा कोई एडवेंचर करने का?” मगन ने पूछा.

“नहीं. अभी तक तो नहीं. यदि हम मिल कर सोचें तो शायद कुछ योजना बना सकें. यदि योजना सफल रही तो 50-60 लाख रुपए तो हासिल हो ही जाएंगे,” जगन बोला.

“यह कौन सा काम है? इस में लाइफ रिस्क कितना है?” छगन ने पूछा.

“अगर एडवेंचरस काम करने में जान का रिस्क न हो तो वह एडवेंचर ही कैसा? तुम लोग एडवेंचर के द्वारा ही पैसा बनाना चाहते हो न? तो मेरा आइडिया ही सब से उत्तम होगा.” जगन बोला.

“ऐसा कौन सा आइडिया सोचा है तुम ने?” मगन ने कौतूहल से पूछा.

“बिना खूनखराबा किए, बिना वास्तविक हथियार के बैंकों को लूटने का. और वह भी एक नहीं 3 बैंकों को लूटने का.” जगन बिना किसी रूपरेखा के सीधे और स्पष्ट बोला.

“क्याऽऽ.. यह कैसा एडवेंचर है? यह काम तो गैरकानूनी होगा.” मगन के चेहरे पर डर के भाव साफ दिखाई पड़ रहे थे.

एडवेंचर के बारे में जानने की बड़ी उत्सुकता

“अगर पकड़े गए तो जेल में बंद होंगे हम,” छगन भी मगन की बात से सहमत था.

“तुम लोगों का डर सही है. मगर एडवेंचर तो वही है जो लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दे. किसी और ने अगर वही काम तुम से पहले कर दिया तो उसे लीक पर चलना कहा जाएगा, एडवेंचर नहीं.”

“तुम्हें एडवेंचर की परिभाषा मालूम है? ऐसा कोई काम जिस में साहस, शौर्य और पराक्रम होने के साथ ही सर्वप्रथम किया हो. वही रियल एडवेंचर है.”

“हां, यह डर निश्चित ही जायज है कि अगर हम पकड़े गए तब क्या होगा. इस के परिणाम के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. उस समय केवल जेल ही हमारा घर होगा.

“दूसरी तरफ अगर हम सफल होते हैं तो इतिहास में एक साहसी टीम के रूप में जाने जाएंगे और लोग हमारा उदाहरण देंगे. तुम लोगों को एक मशहूर विज्ञापन की टैग लाइन तो याद ही है न? डर के आगे सिर्फ जीत है. हमें अपनी योजना भी कुछ इसी तरह बनानी है कि हम अपने डर को अपने आत्मविश्वास से समाप्त कर देंगे.” जगन दोनों को समझाता हुआ बोला.

“हां, तो समझाओ जगन, योजना क्या है.” छगन बोला.

“योजना साहसिक और विस्फोटक है. हमें एक ही दिन में 3 बैंकों में लूट की वारदात को अंजाम देना है और वह भी बिना किसी वास्तविक हथियार के.” जगन बोला.

“क्या? 3 बैंकों में एक ही दिन में लूट? वह भी बिना किसी वास्तविक हथियार के?” छगन आश्चर्य से बोला.

“हां, यही तो एडवेंचर होगा हमारी योजना का. हमें सिर्फ एक जोरदार धमाका करने वाली एयरगन चाहिए होगी, जो दूर से असली जैसी लगे. इस के अलावा हमें 3 अच्छे और मजबूत किस्म के ताले और रुपए भरने के लिए बड़ी साइज के बैग्स.” जगन ने अपनी योजना के लिए प्रारंभिक जरूरत बतलाई.

“वहां तोता मैना जैसे पक्षी होंगे, जो एयरगन के धमाके से उड़ जाएंगे और हम रुपए थैलों में भर कर टहलते हुए निकल जाएंगे,” मगन मजाक करता हुआ बोला.

“तीन बैंकों को लूटना है तो कम से कम एक व्हीकल तो चाहिए ही. ऐसे कामों में हम अपना व्यक्तिगत व्हीकल तो इस्तेमाल कर ही नहीं सकते,” छगन बोला.

“बिलकुल सही है. हम अपना व्हीकल इस्तेमाल करेंगे भी नहीं, बल्कि हम तो बैंक का ही व्हीकल उपयोग करेंगे.” जगन शांत भाव से बोला.

“बैंक का व्हीकल? वो कैसे?” छगन के स्वर में अविश्वास था.

“हमारे पास में रहने वाले रहमत एक सीएमएस वैन के ड्राइवर हैं. वह रोज शाम को काम खत्म होने के बाद गाड़ी को अपने घर के सामने ही पार्क करता है. मेरी उस से अच्छी जानपहचान है. मैं ने पिछले 3 दिनों में 3 बार उस वैन से कालोनी के चक्कर लगाए है. कल तो चालाकी से उस की वैन की चाबी का इंप्रैशन एक नरम साबुन पर ले लिया है. मोबाइल में चाबी का फोटो भी रखा हुआ है.” जगन उत्साह से बोला.

“यह लो पहले कदम पर ही गलती. रहमत तो तुम्हें जानता ही है न? वारदात को अंजाम देने के बाद तफ्तीश में रहमत तो फंसेगा ही और वह तुम्हारा ही नाम लेगा.” छगन बोला.

एक लाश ने लिया प्रतिशोध – भाग 1

स्लेड ने तय कर लिया था कि उसे किसी भी तरह स्पेल्डिंग की हत्या करनी है. क्योंकि उसे पता था कि अगर उस ने स्पेल्डिंग की हत्या नहीं की तो वह उस का कैरियर बरबाद कर देगा. एक वकील होने के नाते उसे बचाव  के लिए दलीलें देनी तो आती थीं, लेकिन हत्या किस तरह की जाए कि न तो मैडिकल साइंस पकड़ सके और न कानून. क्योंकि जब हत्या साबित ही नहीं होगी तो वह पकड़ा ही नहीं जाएगा.

स्पेल्डिंग की हत्या कैसे की जाए, इस पर वह काफी दिनों तक सोचता रहा. इस की वजह यह थी कि वह नहीं चाहता था कि हत्या जैसे अपराध में फंस कर उस का कैरियर और जिंदगी बरबाद हो. क्योंकि कैरियर और जिंदगी बचाने के लिए ही तो वह हत्या जैसा जघन्य अपराध करने पर विचार कर रहा था. लेकिन उस की समझ में यह नहीं आ रहा था कि वह स्पेल्डिंग की हत्या कैसे करे कि कानून की नजरों से साफ बच जाए.

आज की तरह तब इंटरनेट तो था नहीं कि इंटरनेट पर सर्च कर के वह हत्या की तरकीब खोज निकालता. यह ऐसा काम था, जिस के लिए किसी से सीधे सलाह भी नहीं ली जा सकती थी. स्लेड को किसी भी तरह स्पेल्डिंग की हत्या करनी थी. जब उसे कोई उपाय नहीं सूझा तो उस ने अपने दोस्त डा. मैथ्यू से हत्याओं पर चर्चा कर के कोई तरीका निकालने का विचार किया.

इस के लिए उस ने उन्हें एक शाम खाने पर बुला लिया. खाना खाते हुए स्लेड ने कहा, ‘‘आजकल अपराध कुछ ज्यादा ही होने लगे हैं. खासकर हत्या जैसे अपराधों की तो जैसे बाढ़ सी आ गई है. लगता है, पुलिस हत्यारों को पकड़ नहीं पा रही है?’’

‘‘ऐसी बात नहीं है, हत्यारा कितनी भी होशियारी से हत्या करे, उस से कोई न कोई चूक हो ही जाती है. और फिर उसी चूक की वजह से वह पकड़ा जाता है. तब उस की कश्ती किनारे पर आ कर भी डूब जाती है. हत्या करने के बाद सब से कठिन काम है लाश को ठिकाने लगाना. लेकिन तुम्हें पता होना चाहिए कि मैं इस काम को बखूबी अंजाम दे सकता हूं.’’ डा. मैथ्यू ने कहा.

‘‘जी हां.’’ स्लेड ने कहा. लेकिन वह जानता था कि इस मामले में उसे डा. मैथ्यू से कहीं ज्यादा अनुभव है.

‘‘दरअसल यह बहुत ही खतरनाक और पेचीदा मसला है. यह इतना मुश्किल काम है कि मेरी समझ में यह नहीं आता कि लोग कत्ल करने जैसा गैरबुद्धि वाला काम करते ही क्यों हैं?’’

‘‘मेरा भी कुछ ऐसा ही खयाल है,’’ स्लेड ने कहा. लेकिन मन में वह कुछ और ही सोच रहा था. उस का खयाल था कि इस दुनिया में आदमी के लिए कोई भी काम कठिन नहीं है.

‘‘लोग सोचते हैं कि किसी को जहर दे कर मारना बहुत आसान है,’’ डा. मैथ्यू ने आगे कहा, ‘‘लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि पोस्टमार्टम में जहर का पता लग जाता है. और जब हत्या का पता चल जाएगा तो हत्यारा पकड़ा ही जाएगा. मेरा तो काम ही जहर का पता लगाना है. मैं ही क्या, जाहिल से जाहिल डाक्टर भी जहर का पता लगा सकता है.’’

‘‘मैं आप की राय से पूरा इत्तफाक रखता हूं, डाक्टर.’’ स्लेड ने कहा.

चूंकि वह स्पेल्डिंग की हत्या के लिए जहर का इस्तेमाल करने की सोच ही नहीं रहा था, इसलिए उसे इस बारे में विचार ही नहीं करना था. उस ने तो कोई और ही उपाय सोच रखा था.

‘‘अगर तुम जहर दे कर हत्या नहीं करते तो लोग यही सोचेंगे कि वह अपनी मौत मरा होगा. हत्या करने के बाद अगर हत्यारा बचना चाहता है तो वह कुछ ऐसी तिकड़म करे कि लोगों को लगे कि मृत व्यक्ति ने खुदकुशी की है. मगर मेरी तरह तुम भी जानते हो कि यह काम इतना आसान नहीं है. वैसे भी खुदकुशी के मामले में बड़ी गहराई से जांच होती है. तुम खुद वकील हो, खुदकुशी के कितने मामलों को तुम ने निपटाए हैं. तुम्हें तो पता ही है कि ऐसे मामलों में कितनी परेशानी होती है. और फिर नतीजा क्या निकलता है?’’

‘‘आप ने सही कहा,’’ स्लेड ने कहा.

उस ने इस मामले पर काफी गहराई से विचार किया था. काफी सोचविचार कर वह इस नतीजे पर पहुंचा था कि इस तरह स्पेल्डिंग की हत्या कर लाश को गायब करेगा कि उसे कोई पकड़ नहीं पाएगा. अगर स्पेल्डिंग की लाश मिल भी गई तो पुलिस यही समझेगी कि उस ने आत्महत्या की है.

‘‘हां, तो मैं उसी मसले पर फिर आता हूं. हत्यारे के लिए लाश से पीछा छुड़ाना आसान नहीं है.’’ डा. मैथ्यू ने कहा.

‘‘जी हां,’’ स्लेड ने कहा, ‘‘आप बिलकुल सही कह रहे हैं.’’

लेकिन स्लेड को पूरा विश्वास था कि स्पेल्डिंग की लाश से वह आसानी से पीछा छुड़ा लेगा.

‘‘जानते ही हो, लाश को ठिकाने लगा कर उस से मुक्ति पाना बहुत ही कठिन काम है,’’ डा. मैथ्यू ने कहा, ‘‘कुछ लोग रासायनिक पदार्थों और तेजाब से लाश को जला गला देते हैं. लेकिन एक डाक्टर होने के नाते मैं इस तरकीब को पसंद नहीं करता.’’

‘‘वह क्यों?’’ स्लेड ने पूछा.

‘‘लाश कितनी भारी होती है. उसे उठाना, ढोना, संदूक, तहखाने या नदीनाले में छिपाते फिरना, कितना खतरनाक काम है.’’

‘‘आप ठीक कह रहे हैं. मैं ने इस के बारे में पहले कभी नहीं सोचा.’’ स्लेड ने कहा. जबकि उसे लग रहा था कि डाक्टर बिलकुल बेकार की बातें कर रहा है.

‘‘वैसे एक ऐसी तरकीब है, जिस में बचने की काफी गुंजाइश है. वकील होने के नाते तुम उस में जरूर दिलचस्पी लोगे, क्योंकि इस में एक कानूनी नुक्ता है.’’

‘‘कौन सा?’’ स्लेड ने अचकचा कर पूछा.

‘‘जब तक तुम किसी अभियुक्त को मुजरिम नहीं साबित कर देते, तब तक उसे सजा नहीं दिला सकते. और जब तक लाश नहीं मिल जाती, तब तक किसी अपराधी को पकड़ने या उस पर मुकदमा चलाने का सवाल ही नहीं उठता. किसी को हत्यारा साबित करने के लिए लाश का मिलना बहुत जरूरी है.’’

‘‘आप ने बिलकुल सही कहा. हैरानी की बात यह है कि इतनी बढि़या बात मेरे जेहन में पहले क्यों नहीं आई?’’ स्लेड ने कहा.

लेकिन अचानक उसे लगा कि उस के मुंह से यह बात निकल कैसे गई? उस ने तुरंत खुद को सहज बनाने की कोशिश की. उस ने अपने दिल की खुशी भी छिपाई, ताकि डाक्टर जान न सके कि उस के मन में क्या है.   जबकि डाक्टर ने उस की बात पर गौर ही नहीं किया था.

उस ने कहा, ‘‘मेरे खयाल से लाश को पूरी तरह से नष्ट करना आसान नहीं है. लेकिन अगर कोई अपराधी लाश गायब करने में सफल हो जाता है तो निश्चित ही वह पकड़ में नहीं आएगा. उस पर कितना भी जबरदस्त शक क्यों न हो. पुलिस बिना लाश बरामद किए उस के खिलाफ सुबूत नहीं जुटा पाएगी. इस तरह के कत्ल की कहानी सचमुच एक अनोखी कहानी होगी.’’

‘‘जरूर,’’ स्लेड ने हंसते हुए कहा. इस के बाद उस ने मन ही मन सोचा, ‘सचमुच स्पेल्डिंग के कत्ल की कोई कहानी नहीं बन सकेगी.’

‘‘अच्छा स्लेड, अब मैं चलूंगा. खाते खाते काफी बकबक कर ली. तुम्हारी इस शानदार दावत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. आज मौसम भी कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है. अब चल देना ही ठीक है.’’ डा. मैथ्यू ने उठते हुए कहा.

क्या स्लेड हत्या करने में कामयाब हो सकेगा ? जानने के लिए पढ़ें crime thriller story का अगला भाग..

लक्ष्मण रेखा लांघने का परिणाम – भाग 3

बस, मैं खुदगर्ज हो गई. नहा कर मैं ने बढि़या कपड़े और गहने पहने, शृंगार किया. आइने के सामने खड़ी हुई तो यह बदलाव मुझे अच्छा लगा. मैं बच्चों के बारे में सोच रही थी कि मेरी सहेली नीरू आ गई. वह और उस के पति अशोक हमारे अच्छे दोस्तों में थे. नीरू ने कहा, ‘‘भई हम तुम्हें लेने आए हैं. अशोक बाहर गाड़ी में तुम्हारा और बच्चों का इंतजार कर रहे हैं. आज न्यू ईयर्स पर बच्चे घर में ही सेलीब्रेट कर रहे हैं. चलो जल्दी करो.’’

मुझे बढि़या मौका मिल गया. मैं ने बड़ी ही मोहब्बत से कहा, ‘‘नीरू, अभी तुम मेरे बच्चों को ले कर चलो. मुझे कुछ जरूरी काम है, मैं एक घंटे बाद आ जाऊंगी.’’

मेरे अंदर छिपे पाप को नीरू समझ नहीं सकी और जल्दी आने के लिए कह कर मेरे बच्चों को ले कर चली गई.

अब मेरा रास्ता साफ था. बादल घेरे हुए थे. हल्कीहल्की बूंदे पड़ रही थीं. ठंडी हवाएं मेरी जुल्फों को बिखेर रही थीं. अंदर की सारी जलन खत्म हो गई थी. मैं ने टैक्सी की और होटल ताज पैलेस पहुंच गई. असलम बाहर खड़ा मेरा इंतजार कर रहा था. उस ने हौले से मेरा हाथ पकड़ा और मुझे होटल के बैंक्वेट हौल में ले गया. वहां हर ओर मस्ती का आलम था.

असलम ने एक शानदार सोफे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘बैठो.’’

मैं बैठ गई. थोड़ी खामोशी के बाद बातचीत शुरू हुई. धीरेधीरे हम बेतकल्लुफ होते गए. उसे पता चला कि मैं बेहद दुखी हूं. उस ने मेरी दुखती रग पकड़ ली. मेरी कहानी सुनने के बाद उस ने कहा, ‘‘गिरने वालों को संभाल भी कौन सकता है.’’

मैं ने हैरान हो कर पूछा, ‘‘क्या मतलब?’’

‘‘समय आने पर वह भी बता दूंगा,’’ असलम ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख कर कहा, ‘‘आप ने अपनी पूरी कहानी सुना दी, लेकिन नाम नहीं बताया.’’

‘‘शबनम.’’ मैं ने हंस कर कहा.

‘‘वाकई तुम शबनम की तरह पाक और खूबसूरत हो. तुम कितनी हसीन हो, शायद यह तुम्हें पता नहीं. यह हम जैसे कद्रदानों को ही पता होगा. जब से मैं ने तुम्हें देखा है, तभी से बेचैन हूं. मैं तुम्हारा दीवाना हूं.’’

उस दिन के बाद हमें जब भी मौका मिलता, हम मिल लेते. हर मुलाकात में वह कुछ ऐसा कह देता कि मेरा सोया जमीर जाग उठता. वह अकसर कहता कि अगर भीख में उजाला मिलता है तो कभी मत लेना. किसी की ज्यादती सहना भी गुनाह है. हालात कितने भी बुरे क्यों ना हों, हर मोड़ पर मंजिल की तलाश करनी चाहिए.

धीरेधीरे मैं उस के रंग में रंगती चली गई. उस ने मुझ से वादा किया कि हम अमेरिका पहुंच कर निकाह करेंगे. मैं उस के साथ ऐशोआराम के सपने देखने लगी. मुझे लगता, अगर इतना प्यार करने वाला पति हो तो पति और बच्चे क्या, मैं पूरी दुनिया को ठोकर मार दूं.

और फिर मेरी जिंदगी में वह काली रात आ गई. शायद उस रात मेरा दिल पत्थर का हो गया था. मैं ने अपने सारे गहने तथा नकदी एक अटैची में रखी और जब सभी लोग सो गए तो रात 12 बजे घर से बाहर आ गई. सुबह 3 बजे हमारी फ्लाइट थी. असलम टैक्सी लिए खड़ा था. मेरे बैठते ही टैक्सी चल दी.

पूरे रास्ते मुझे अपराधबोध सताता रहा और बेसाख्ता आंसू बहते रहे. मुझे अपने बच्चों की याद आ रही थी. क्योंकि अभी उन्हें मेरी जरूरत थी. लेकिन बच्चों की दादी उन्हें जान से भी ज्यादा चाहती थी, इसलिए यह बात जल्दी ही खयालों से निकल गई. वह उन्हें पालपोस लेगी.

सागर भी बच्चों को बहुत चाहता था. बेटी को तो वह पलकों पर रखता था. डांटता और नजरअंदाज करता था तो सिर्फ मुझे. एक कुटिल सी मुसकान मेरे होंठों पर तैर गई. मुझे लगा, मैं ने उसे अच्छा सबक सिखाया है. वहां किसी को मेरी जरूरत नहीं थी.

हम अपने मुकाम पर पहुंच गए. रास्ते भर असलम ने मेरा बहुत खयाल रखा. असलम की कोठी देख कर मैं बहुत खुश हुई. चारों तरफ बगीचे, फूलों से लदे पेड़, पिछवाड़े बहता झरना, जगहजगह लालनीलीपीली बत्तियां, फैंसी परदे, झाड़फानूस. लगा धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो बस यहीं है. काजी और कुछ लोगों की हाजिरी में हमारा निकाह हो गया. ऐसा उस ने इसलिए किया था कि मैं बहुत घबराई हुई थी. इस के अलावा निकाह के बिना मैं उस की किसी बात पर रजामंद नहीं थी.

बाद में पता चला कि वह कोठी किराए की थी. एक रात असलम काफी देर से 8-10 दोस्तों के साथ आया. वे शक्ल से मालदार, लेकिन गुंडे नजर आ रहे थे. वे एक कमरे में बैठ कर बातें करने लगे. जब मैं ने उन की बातें सुनीं तो लगा मुझे गश आ जाएगा.

वे सब के सब स्मगलर थे. उन के सारे गैरकानूनी धंधों का मुखिया असलम था. जब उसे पता चला कि मुझे उस की असलियत मालूम हो गई है तो वह मेरे सामने पूरी तरह खुल गया. अपने हर काले धंधे में मुझे शामिल करने लगा. इस तरह धीरेधीरे मैं भी गुनाहों के दलदल में धंसती चली गई. खूबसूरत लड़कियों को फंसा कर गुनाहों में शामिल करना असलम का मुख्य धंधा था.

मैं ने निकाह का हवाला दिया तो उस ने कहा, ‘‘निकाह तो एक रस्म अदायगी थी. निकाह तो मैं ने ना जाने कितने किए हैं.’’

अब मैं ऐसे अंधियारे गलियारे से गुजर रही थी, जहां रोशनी की किरणें भी रोशनी की मोहताज थीं. उस दिन मैं उस के काले धंधे में नहीं गई तो उस ने मेरी जम कर पिटाई की. उस ने कहा, ‘‘तू किसी की नहीं हो सकती. मेरे झूठे फोन पर तू सागर को छोड़ कर यहां आ गई. अब किसी और के फोन आएंगे तो तू उस के साथ भाग जाएगी. औरत का नाम ही बेवफा है.’’

‘‘क्या कहा तुम ने, वह फोन तुम करते थे? इस का मतलब मेरा सागर बेवफा नहीं था? मेरी खूबसूरती देख कर तुम ने मुझे बरगलाया? कमीने कहीं के.’’ कह कर मैं असलम पर झपटी तो उस ने मुझे धक्का दे दिया. मैं गिरी तो मेरे सिर से खून का फव्वारा फूट पड़ा. सागर और बच्चों को याद कर के मैं रोने लगी.

मजबूर जिंदगी किसी भी बदलाव का स्वागत नहीं कर सकती. तेज आंधियां मुझे बुझाने का जतन कर रही थीं. अब तो वैसे भी अंधेरे से दोस्ती हो गई थी. इस अंधेरे के खिलाफ जेहाद करना मेरे बस में नहीं रह गया था. विश्वास की माला टूट चुकी थी और मनके बिखर चुके थे.

इतनी चोट खाने के बाद भी मैं किसी तरह उठी. असलम के जाने के पदचाप मुझे राहत दे रहे थे. आज इतने सालों बाद मैं ने अपने घर फोन किया. उधर से सागर ने फोन उठाया. घबराहट और शर्मिंदगी भरे लहजे में मैं ने कहा, ‘‘मैं शबनम…’’

‘‘कौन शबनम…? उसे मरे तो एक अरसा गुजर गया है. आज मेरी बेटी की शादी है, थोड़ा जल्दी में हूं.’’

कह कर सागर ने फोन काट दिया.

मेरी जैसी चरित्रहीन औरतों का शायद यही हश्र होता है. जबजब औरतों ने लक्ष्मण रेखा लांघी है, वह तबाही ही लाई है.