आखिरी फैसला : साधना बनी अपनों की कातिल

उस दिन सितंबर, 2020 की 10 तारीख थी. साधना ने फैसला कर रखा था कि मां का बताया व्रत जरूर रखेगी. मां के अनुसार, इस व्रत से सुंदर स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति होती है. लेकिन व्रत रखने से पहले ही लेबर पेन शुरू हो गया.

इस में उस के अपने वश में कुछ नहीं था, क्योंकि उसे 2 दिन बाद की तारीख बताई गई थी. निश्चित समय पर वह मां बनी, लेकिन पुत्र नहीं पुत्री की. तीसरी बार भी बेटी आई है, सुन कर सास विमला का गुस्से से सिर भन्ना गया. वह सिर झटक कर वहां से चली गई.

बच्ची के जन्म पर मां बिटोली आ गई थी. उस ने साधना को समझाया, ‘‘जी छोटा मत कर. बेटी लक्ष्मी का रूप होती है. क्या पता इस की किस्मत से मिल कर तेरी किस्मत बदल जाए.’’बेटी के मन पर छाई उदासी पर पलटवार करने के लिए मां बिटोली बोली, ‘‘आजकल बेटेबेटी में कोई फर्क नहीं होता. तेरी सास के दिमाग में पता नहीं कैसा गोबर भरा है जो समझती ही नहीं या जानबूझ कर समझना नहीं चाहती.’’

साधना क्या कर सकती थी. 2 की तरह तीसरी को भी किस्मत मान लिया. उसे भी बाकी 2 की तरह पालने लगी. वह भी बहनों की तरह बड़ी होने लगी.उस दिन अक्तूबर 2020 की पहली तारीख थी. सेहुद गांव निवासी कुलदीप खेतों से घर लौटा, तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था. उस ने दरवाजा खुलवाने के लिए कुंडी खटखटाई, पर पत्नी ने दरवाजा नहीं खोला. घर के अंदर से टीवी चलने की आवाज आ रही थी.

उस ने सोचा शायद टीवी की तेज आवाज में उसे कुंडी खटकने की आवाज सुनाई न दी हो. उस ने एक बार फिर कुंडी खटखटाने के साथ आवाज भी लगाई. पर अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. कुलदीप का माथा ठनका. मन में घबराहट भी होने लगी.

उस के घर के पास ही भाई राहुल का घर था तथा दूसरी ओर पड़ोसी सुदामा का घर. भाई घर पर नहीं था. वह सुदामा के पास पहुंचा और बोला, ‘‘चाचा, साधना न तो दरवाजा खोल रही है और न ही कोई हलचल हो रही है. मेरी मदद करो.’’

कुलदीप पड़ोसी सुदामा को साथ ले कर भाई राहुल के घर की छत से हो कर अपने घर में घुसा. दोनों कमरे के पास पहुंचे तो मुंह से चीख निकल गई. कमरे के अंदर छत की धन्नी से लोहे के कुंडे के सहारे चार लाशें फांसी के फंदे पर झूल रही थीं. लाशें कुलदीप की पत्नी साधना और उस की बेटियों की थीं.

कुलदीप और सुदामा घर का दरवाजा खोल कर बाहर आए और इस हृदयविदारक घटना की जानकारी पासपड़ोस के लोगों को दी. उस के बाद तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई और लोग कुलदीप के घर की ओर दौड़ पड़े. देखते ही देखते घर के बाहर भीड़ उमड़ पड़ी. जिस ने भी इस मंजर को देखा, उसी का कलेजा कांप उठा.

कुलदीप बदहवास था, लेकिन सुदामा का दिलोदिमाग काम कर रहा था. उस ने सब से पहले यह सूचना साधना के मायके वालों को दी, फिर थाना दिबियापुर पुलिस को.पुलिस आने के पहले ही साधना के मातापिता, भाई व अन्य घर वाले टै्रक्टर पर लद कर आ गए. उन्होंने साधना व उस की मासूम बेटियोें को फांसी के फंदे पर झूलते देखा तो उन का गुस्सा फूट पड़ा.

उन्होंने कुलदीप व उस के पिता कैलाश बाबू के घर जम कर उत्पात मचाया. घर में टीवी, अलमारी के अलावा जो भी सामान मिला तोड़ डाला. साधना के सासससुर, पति व देवर के साथ हाथापाई की.

साधना के मायके के लोग अभी उत्पात मचा ही रहे थे कि सूचना पा कर थानाप्रभारी सुधीर कुमार मिश्रा पुलिस टीम के साथ आ गए. उन्होंने किसी तरह समझाबुझा कर उन्हें शांत किया. चूंकि घटनास्थल पर भीड़ बढ़ती जा रही थी, अत: थानाप्रभारी मिश्रा ने इस घटना की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी और घटनास्थल पर अतिरिक्त पुलिस बल भेजने की सिफारिश की.

इस के बाद वह भीड़ को हटाते हुए घर में दाखिल हुए. घर के अंदर आंगन से सटा एक बड़ा कमरा था. इस कमरे के अंदर का दृश्य बड़ा ही डरावना था. कमरे की छत की धन्नी में लोहे का एक कुंडा था. इस कुंडे से 4 लाशें फांसी के फंदे से झूल रही थीं.

मरने वालो में कुलदीप की पत्नी साधना तथा उस की 3 मासूम बेटियां थीं. साधना की उम्र 30 साल के आसपास थी, जबकि उस की बड़ी बेटी गुंजन की उम्र 7 साल, उस से छोेटी अंजुम थी. उस की उम्र 5 वर्ष थी. सब से छोेटी पूनम की उम्र 2 माह से भी कम लग रही थी.

साड़ी के 4 टुकड़े कर हर टुकड़े का एक छोर कुंडे में बांध कर फांसी लगाई गई थी. कमरे के अंदर लकड़ी की एक छोटी मेज पड़ी थी. संभवत: उसी मेज पर चढ़ कर फांसी का फंदा लगाया गया था.

थानाप्रभारी सुधीर कुमार मिश्रा अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी सुनीति तथा एएसपी कमलेश कुमार दीक्षित कई थानों की पुलिस ले कर घटनास्थल आ गए.उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने तनाव को देखते हुए सेहुद गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया. उस के बाद घटनास्थल का निरीक्षण किया.

मां सहित मासूमों की लाश फांसी के फंदे पर झूलती देख कर एसपी सुनीति दहल उठीं. उन्होंने तत्काल लाशों को फंदे से नीचे उतरवाया. उस समय माहौल बेहद गमगीन हो उठा.मृतका साधना के मायके की महिलाएं लाशों से लिपट कर रोने लगीं. सुनीति ने महिला पुलिस की मदद से उन्हें समझाबुझा कर शवों से दूर किया.

फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. घटनास्थल पर मृतका का भाई बृजबिहारी तथा पिता सिपाही लाल मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने उन से पूछताछ की तो बृजबिहारी ने बताया कि उस की बहन साधना तथा मासूम भांजियों की हत्या उस के बहनोई कुलदीप तथा उस के पिता कैलाश बाबू, भाई राहुल तथा मां विमला देवी ने मिल कर की है.जुर्म छिपाने के लिए शवों को फांसी पर लटका दिया है. अत: जब तक उन को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वे शवों को नहीं उठने देंगे. सिपाही लाल ने भी बेटे की बात का समर्थन किया.

बृजबिहारी की इस धमकी से पुलिस के माथे पर बल पड़ गए. लेकिन माहौल खराब न हो, इसलिए पुलिस ने मृतका के पति कुलदीप, ससुर कैलाश बाबू, सास विमला देवी तथा देवर राहुल को हिरासत में ले लिया तथा सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें थाना दिबियापुर भिजवा दिया.

सच्चाई का पता लगाने के लिए पुलिस अधिकारियों ने कुलदीप के पड़ोसी सुदामा से पूछताछ की. सुदामा ने बताया कि कुलदीप जब खेत से घर आया था, तो घर का दरवाजा बंद था. दरवाजा पीटने और आवाज देने पर भी जब उस की पत्नी साधना ने दरवाजा नहीं खोला, तब वह मदद मांगने उस के पास आया. उस के बाद वे दोनों छत के रास्ते घर के अंदर कमरे में गए, जहां साधना बेटियों सहित फांसी पर लटक रही थी.

सुदामा ने कहा कि कुलदीप ने पत्नी व बेटियों को नहीं मारा बल्कि साधना ने ही बेटियों को फांसी पर लटकाया और फिर स्वयं भी फांसी लगा ली.

निरीक्षण और पूछताछ के बाद एसपी सुनीति ने मृतका साधना व उस की मासूम बेटियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए औरैया जिला अस्पताल भिजवा दिया.

डाक्टरों की टीम ने कड़ी सुरक्षा के बीच चारों शवों का पोस्टमार्टम किया, वीडियोग्राफी भी कराई गई. इस के बाद रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मासूम गुंजन, अंजुम व पूनम की हत्या गला दबा कर की गई थी, जबकि साधना ने आत्महत्या की थी. रिपोर्ट से स्पष्ट था कि साधना ने पहले अपनी तीनों मासूम बेटियों की हत्या की फिर बारीबारी से उन्हें फांसी के फंदे पर लटकाया. उस के बाद स्वयं भी उस ने फांसी के फंदे पर लटक कर आत्महत्या कर ली. उस ने ऐसा शायद इसलिए किया कि वह मरतेमरते भी जिगर के टुकड़ों को अपने से दूर नहीं करना चाहती थी.

थाने पर पुलिस अधिकारियों ने कुलदीप तथा उस के मातापिता व भाई से पूछताछ की. कुलदीप के पिता कैलाश बाबू ने बताया कि कुलदीप व साधना के बीच अकसर झगड़ा होता था, जिस से आजिज आ कर उन्होंने कुलदीप का घर जमीन का बंटवारा कर कर दिया था. वह छोटे बेटे राहुल के साथ अलग रहता है. उस का कुलदीप से कोई वास्ता नहीं था.

पूछताछ के बाद पुलिस ने कैलाश बाबू उस की पत्नी विमला तथा बेटे राहुल को थाने से घर जाने दिया, लेकिन मृतका साधना के भाई बृजबिहारी की तहरीर पर कुलदीप के खिलाफ भादंवि की धारा 309 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में घर कलह की सनसनीखेज घटना सामने आई.

गांव अमानपुर, जिला औरेया का सिपाही लाल दिबियापुर में रेलवे ठेकेदार के अधीन काम करता था. कुछ उपजाऊ जमीन भी थी, जिस से उस के परिवार का खर्च आसानी से चलता था.

सिपाही लाल की बेटी साधना जवान हुई तो उस ने 12 फरवरी, 2012 को उस की शादी सेहुद गांव निवासी कैलाश बाबू के बेटे कुलदीप के साथ कर दी. लेकिन कुलदीप की मां विमला न बहू से खुश थी, न उस के परिवार से.

साधना और कुलदीप ने जैसेतैसे जीवन का सफर शुरू किया. शादी के 2 साल बाद साधना ने एक बेटी गुंजन को जन्म दिया. गुंजन के जन्म से साधना व कुलदीप तो खुश थे, लेकिन साधना की सास विमला खुश नहीं थी, क्योंकि वह पोते की आस लगाए बैठी थी. बेटी जन्मने को ले कर वह साधना को ताने कसने लगी थी.

घर की मालकिन विमला थी. बापबेटे जो कमाते थे, विमला के हाथ पर रखते थे. वही घर का खर्च चलाती थी. साधना को भी अपने खर्च के लिए सास के आगे ही हाथ फैलाना पड़ता था. कभी तो वह पैसे दे देती थी, तो कभी झिड़क देती थी. तब साधना तिलमिला उठती थी. साधना पति से शिकवाशिकायत करती, तो वह उसे ही प्रताडि़त करता.

गुंजन के जन्म के 2 साल बाद साधना ने जब दूसरी बेटी अंजुम को जन्म दिया तो लगा जैसे उस ने कोई गुनाह कर दिया हो. घर वालों का उस के प्रति रवैया ही बदल गया.

सासससुर, पति किसी न किसी बहाने साधना को प्रताडि़त करने लगे. सास विमला आए दिन कोई न कोई ड्रामा रचती और झूठी शिकायत कर कुलदीप से साधना को पिटवाती. विमला को साधना की दोनों बेटियां फूटी आंख नहीं सुहाती थीं. वह उन्हें दुत्कारती रहती थी.

बेटियों के साथसाथ वह साधना को भी कोसती, ‘‘हे भगवान, मेरे तो भाग्य ही फूट गए जो इस जैसी बहू मिली. पता नहीं मैं पोते का मुंह देखूंगी भी या नहीं.’’

धीरेधीरे बेटियों को ले कर घर में कलह बढ़ने लगी. कुलदीप और साधना के बीच भी झगड़ा होने लगा. आजिज आ कर साधना मायके चली गई. जब कई माह तक वह ससुराल नहीं आई, तो विमला की गांव में थूथू होने लगी.

बदनामी से बचने के लिए उस ने पति कैलाश बाबू को बहू को मना कर लाने को कहा. कैलाश बाबू साधना को मनाने उस के मायके गए. वहां उन्होंने साधना के मातापिता से बातचीत की और साधना को ससुराल भेजने का अनुरोध किया, लेकिन साधना के घर वालों ने प्रताड़ना का आरोप लगा कर उसे भेजने से साफ मना कर दिया.

मुंह की खा कर कैलाश बाबू लौट आए. उन्होंने वकील से कानूनी सलाह ली और फिर साधना को विदाई का नोटिस भिजवा दिया. इस नोटिस से साधना के घर वाले तिलमिला उठे और उन्होंने साधना के मार्फत थाना सहायल में कुलदीप तथा उस के घर वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करा दिया. इस के अलावा औरैया कोर्ट में कुलदीप के खिलाफ भरणपोषण का मुकदमा भी दाखिल कर दिया.

जब कुलदीप तथा उस के पिता कैलाश बाबू को घरेलू हिंसा और भरणपोषण के मुकदमे की जानकारी हुई तो वह घबरा उठे. गिरफ्तारी से बचने के लिए कैलाश बाबू समझौते के लिए प्रयास करने लगे. काफी मानमनौव्वल के बाद साधना राजी हुई. कोर्ट से लिखापढ़ी के बाद साधना ससुराल आ कर रहने लगी.

कुछ माह बाद कैलाश बाबू ने घर, जमीन का बंटवारा कर दिया. उस के बाद साधना पति कुलदीप के साथ अलग रहने लगी. साधना पति के साथ अलग जरूर रहने लगी थी, लेकिन उस का लड़नाझगड़ना बंद नहीं हुआ था. सास के ताने भी कम नहीं हुए थे. वह बेटियों को ले कर अकसर ताने मारती रहती थी. कभीकभी साधना इतना परेशान हो जाती कि उस का मन करता कि वह आत्महत्या कर ले. लेकिन बेटियों का खयाल आता तो वह इरादा बदल देती.

10 सितंबर, 2020 को साधना ने तीसरी संतान के रूप में भी बेटी को ही जन्म दिया, नाम रखा पूनम. पूनम के जन्म से घर में उदासी छा गई. सब से ज्यादा दुख विमला को हुआ. उस ने फिर से साधना को ताने देने शुरू कर दिए. छठी वाले दिन साधना की मां विटोली भी आई. उस रोज विमला और विटोली के बीच खूब नोंकझोंक हुई. सास के ताने सुनसुन कर साधना रोती रही.

विटोली बेटी को समझा कर चली गई. उस के बाद साधना उदास रहने लगी. वह सोचने लगी क्या बेटी पैदा होना अभिशाप है? अब तक साधना सास के तानों और पति की प्रताड़ना से तंग आ चुकी थी.

अत: वह आत्महत्या करने की सोचने लगी. लेकिन खयाल आया कि अगर उस ने आत्महत्या कर ली तो उस की मासूम बेटियों का क्या होगा. उस का पति शराबी है, वह उन की परवरिश कैसे करेगा. वह या तो बेटियों को बेच देगा या फिर भूखे भेडि़यों के हवाले कर देगा.

सोचविचार कर साधना ने आखिरी फैसला लिया कि वह मासूम बेटियों को मार कर बाद में आत्महत्या करेगी.1 अक्तूबर, 2020 की सुबह 7 बजे कुलदीप खेत पर काम करने चला गया. उस के जाने के बाद साधना ने मुख्य दरवाजा बंद किया और टीवी की आवाज तेज कर दी. फिर उस ने साड़ी के 4 टुकड़े किए और इन के एकएक सिरे को मेज पर चढ़ कर छत की धन्नी में लगे लोहे के कुंडे में बांध दिया.

साड़ी के टुकड़ों के दूसरे सिरे को उस ने फंदा बनाया. उस समय गुंजन और अंजुम चारपाई पर सो रही थीं. साधना ने कलेजे पर पत्थर रख कर बारीबारी से गला दबा कर उन दोनों को मार डाला फिर उन के शवों को फांसी के फंदे पर लटका दिया.

21 दिन की मासूम पूनम का गला दबाते समय साधना के हाथ कांपने लगे आंखों से आंसू टपकने लगे. लेकिन जुनून के आगे ममता हार गई और उस ने उस मासूम को भी गला दबा कर मार डाला और फांसी के फंदे पर लटका दिया. इस के बाद वह स्वयं भी गले में फंदा डाल कर झूल गई.

घटना की जानकारी तब हुई जब कुलदीप घर वापस आया. पड़ोसी सुदामा ने घटना की सूचना मोबाइल फोन द्वारा थाना दिबियापुर पुलिस को दी.

सूचना पाते ही थानाप्रभारी सुधीर कुमार मिश्रा आ गए. उन्होंने शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो घर कलह की घटना प्रकाश में आई.

2 अक्टूबर, 2020 को थाना दिबियापुर पुलिस ने अभियुक्त कुलदीप को औरैया कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

गहरी साजिश : परिवार हुआ शक का शिकार

सूरज की परेशानी की वजह थी दादा और बहन प्रीति की हुई रहस्यमय मौत. उसे शक था कि मौत स्वाभाविक नहीं, बल्कि साजिश परिवार द्वारा की गई है. जिसके कारण वह अपने घर में किसी को भी मन की बात बता नहीं पाया.

सोचसोच कर जब वह काफी परेशान रहने लगा तो एक दिन अपने नजदीकी थाना झबरेड़ा पहुंच गया. यह थाना उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के अंतर्गत आता है.उस ने थानाप्रभारी रविंद्र कुमार से मुलाकात कर अपने मन की बात बताई. सूरज ने बताया कि वह मानकपुर आदमपुर में रहता है और एक कंपनी में काम करता है. उस ने बताया कि उस के दादा महेंद्र (70 साल) पूरी तरह स्वस्थ थे. वह 2 नवंबर, 2020 की रात को खाना खा कर सोए थे और अगली सुबह बिस्तर पर मृत मिले. इसी तरह 6 दिसंबर, 2020 की सुबह को उस की 21 वर्षीय बहन प्रीति भी बिस्तर पर मृत मिली. इन दोनों की स्वाभाविक मौत पर उसे शक है.

‘‘तुम्हारे घर में कौनकौन रहता है?’’ थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने उस से पूछा ‘‘सर अब तो मेरी परिवार में केवल मेरी बीबी रिया, मेरी 2 वर्षीया बेटी सोनी तथा मेरी मां कैमता ही हैं. वर्ष 2014 में मेरे पिता अरविंद कुमार की हार्टअटैक से मौत हो चुकी है.’’ सूरज ने बताया  ‘‘तुम्हारी शादी कब हुई थी?’’

‘‘सर मेरी शादी साल 2018 में सहारनपुर के गांव दुगचाड़ी निवासी रिया उर्फ अन्नू के साथ हुई थी. मेरे घर में दुलहन बन कर आने के बाद रिया अकसर चिल्लाने लगती थी और कहती थी कि मुझे कोई प्रेतात्मा बुला रही है. वह मुझे अपने साथ ले जाने के लिए कह रही है. इस तरह से रिया का चीखनाचिल्लाना अभी तक जारी है.’’ सूरज बोला ‘क्या तुम्हें किसी पर शक है?’’ रविंद्र कुमार ने पूछा.

‘‘हां सर, मुझे शादी के बाद से ही मेरी बीवी रिया द्वारा प्रेतात्मा का डर दिखा कर डराया जाता रहा है. इस के अलावा हमारे पड़ोस में रहने वाले युवक रोहित उर्फ राजू से मेरी बीबी रिया की नजदीकियां पिछले साल से काफी बढ़ गई हैं. मुझे कुछ महीने पहले मेरे पड़ोसियों से पता चला कि मेरी रात की ड्यूटी के दौरान रोहित अकसर हमारे घर आता है.’’ सूरज बोला‘तुम्हें अपनी पत्नी पर ही शक क्यों है?’’ रविंद्र कुमार बोले

‘‘10 दिन पहले रिया गांव दुगचाड़ी अपने स्थित मायके गई थी. इसी दौरान मैं कुशलक्षेम पूछने के लिए रिया का को फोन करता था, तो उस का नंबर कई बार 20-25 मिनट तक बिजी मिलता था. वह शायद अपने प्रेमी रोहित से ही बात करती होगी. मुझे शक है कि उसी ने ही कोई साजिश रची होगी.’’

इस के बाद थानाध्यक्ष रविंद्र कुमार ने सूरज से पूछ कर उस की बीवी रिया व उस का मोबाइल नंबर नोट कर लिया और उसे यह कहते हुए घर भेज दिया कि हम पहले इस प्रकरण की अपने स्तर से जांच कर लें, इस के बाद कानूनी काररवाई करेंगे. सूरज के जाने के बाद रविंद्र सिंह ने इस मामले की जानकारी सीओ अभय प्रताप सिंह व एसपी (देहात) स्वप्न किशोर सिंह को दी.

इस मामले में हरिद्वार के एसपी (देहात) स्वप्न किशोर सिंह ने रविंद्र कुमार से कहा कि चूंकि महेंद्र व प्रीति की मौत को सामान्य मानते हुए उन के परिजन पहले ही उन का अंतिम संस्कार कर चुके हैं, अत: अब इस मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का तो प्रश्न ही नहीं उठता. फिलहाल तुम रिया व रोहित के मोबाईलों की पिछले 2 महीनों की कालडिटेस निकलवा लो और मुखबिरों से भी जानकारी हासिल करो.

रविंद्र कुमार ने ऐसा ही किया. 2 दिन बाद पुलिस को रिया व रोहित के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स भी मिल गई. पता चला कि रोहित और रिया की वक्तबेवक्त काफी देर तक बातें हुआ करती थीं. मुखबिरों से जानकारी मिली कि रोहित सहारनपुर के गांव मुंडीखेड़ी के रहने वाले रतन का बेटा है.

काफी पहले से वह अपने नाना के घर गांव मानकपुर आदमपुर में रहता है. रोहित अपराधी किस्म का है तथा उस के खिलाफ सहारनपुर व मुजफ्फरनगर जिलों के कई थानों में चोरी, जालसाजी व धमकी देने के मुकदमे दर्ज हैं.यह जानकारी थानाप्रभारी रविंद्र सिंह ने सीओ अभय प्रताप सिंह को दी, तो उन्होंने तत्काल रिया व रोहित को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने के निर्देश दिए. तब रविंद्र कुमार ने सूरज को मिलने के लिए थाने में आने को कहा, लेकिन सूरज थाने नहीं आया.

इस के बाद 16 दिसंबर, 2020 को थानाप्रभारी रविंद्र कुमार, एसआई संजय नेगी, मोहन कठैत, कांस्टेबल नूर मलिक व मोहित ने रोहित को उस के घर के पास से गिरफ्तार कर लिया.थाने ला कर उस से महेंद्र व प्रीति की रहस्मय मौतों के बारे में पूछताछ की. पूछताछ के दौरान रोहित अनभिज्ञता जताता रहा. अगले दिन पुलिस ने रिया को भी उस के घर से हिरासत में ले लिया. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने जब रोहित व रिया को आमनेसामने बैठा कर पूछताछ की तो दोनों थरथर कांपने लगे. इस के बाद रिया व रोहित ने महेंद्र व प्रीति की मौत के मामले में अपनी अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली.

रिया ने पुलिस को बताया कि काफी पहले से वह नशे की आदी थी और खुद पर प्रेतात्मा आने का नाटक करती रहती थी. पति सूरज उस की और कम ध्यान देता था. उस ने बताया कि वह अकसर पड़ोस में रहने वाले रोहित से बातें करती थी. धीरेधीरे उन दोनों में प्यार हो गया था. कुछ दिनों बाद दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए थे.

रिया ने बताया कि वह और रोहित नशे की गोलियों का सेवन करते थे. जिस दिन मेरा पति सूरज रात की ड्यूटी पर फैक्ट्री जाता था तो वह अपनी सास व ससुर को रात के खाने में नींद की गोलियां डाल कर खिला देती थी. जब वे दोनों नशे में सो जाते थे तो फोन कर के रोहित को अपने घर बुला लेती थी.लेकिन एक दिन रात को ददिया ससुर महेंद्र ने रोहित को घर से निकलते हुए देख लिया था. अपनी पोल खुलने के डर से वह घबरा गई और इस के बाद उस ने व रोहित ने ददिया ससुर महेंद्र की हत्या की योजना बनाई.

2 नवंबर, 2020 की रात को योजना के अनुसार, उस ने अपनी सास व ददिया ससुर महेंद्र के खाने में नींद की गोलियां मिला कर उन्हें खाना खिला दीं. उस दिन उस का पति सूरज रात की ड्यूटी पर फैक्ट्री गया हुआ था. उस रात रोहित उस के घर आ गया था. इस के बाद उन दोनों ने महेंद्र की तकिए से मुंह दबा कर हत्या कर दी.

इस के बाद दोनों ने महेंद्र के शव को चारपाई पर लिटा कर उन के ऊपर चादर डाल दी थी, जिस से परिजन उसे सामान्य मौत समझें और किसी को शक न हो. अगले दिन महेंद्र की मौत को सूरज और उस के घर वालों ने सामान्य मौत समझते हुए उन का अंतिम संस्कार कर दिया था.दादा महेंद्र की मौत के बाद सूरज ने फैक्ट्री जाना छोड़ दिया था और घर पर ही रहने लगा था. दादा की मौत के बाद सूरज को लगता था कि दादा महेंद्र एकदम ठीकठाक थे, कोई बीमारी भी नहीं थी तो अचानक उन की मृत्यु कैसे हो गई. वह दादा को बहुत चाहता था, इसलिए उन की मौत के बाद उसे बहुत दुख हुआ.

सूरज की एक बहन थी प्रीति, जो भटौल गांव में रहने वाले मामा के घर रह कर पढ़ाई कर रही थी. वह बीए अंतिम वर्ष में थी. सूरज ने उसे मामा के घर से बुला लिया.ददिया ससुर की हत्या के आरोप से रिया साफ बच गई थी क्योंकि घर वालों ने उन की मौत को स्वाभाविक मान लिया था, इसलिए रिया की हिम्मत बढ़ गई थी. प्रेमी रोहित से उस का मिलना पहले की तरह जारी रहा.

वह घर के सभी लोगों को खाने में नींद की गोलियां देने के बाद प्रेमी को अपने घर बुला लेती. लेकिन एक रात प्रीति की नींद खुल गई तो उस ने भाभी के कमरे से किसी मर्द की आवाज सुनी.प्रीति को शक हुआ कि जब सूरज भैया रात की ड्यूटी पर गए हैं तो भाभी के कमरे में मर्द कौन है. उस ने खिड़की से झांका तो कमरे में उस की भाभी रोहित के साथ मौजमस्ती कर रही थी.

इसी बीच रिया को आहट हुई तो वह फटाफट कपड़े पहन कर दरवाजे के बाहर आई तो उस ने प्रीति को वहां से अपने कमरे की तरफ जाते देखा. इस से रिया को शक हो गया कि प्रीति ने उसे रोहित के साथ देख लिया है.यह बात उस ने प्रेमी रोहित को बताई तो रोहित ने दादा की तरह प्रीति को भी ठिकाने लगाने की सलाह दी. रिया इस के लिए तैयार हो गई. इस के बाद रिया ने दादा महेंद्र की तरह प्रीति को भी ठिकाने लगाने की योजना बनाई ताकि प्रेमी से उस के मिलन में कोई बाधा न आए.

सूरज रात की ड्यूटी पर गया था. रिया ने मौका देख कर योजना के मुताबिक 5 दिसंबर, 2020 को अपनी सास व प्रीति के खाने में नींद की गोलियां मिला कर दे दीं. रात को जब प्रीति को नींद आ गई तो रिया ने रोहित के साथ मिल कर तकिए से प्रीति का दम घोट हत्या कर दी. इस के बाद रोहित चला गया. फिर रिया ने स्वयं पर प्रेतात्मा आने का नाटक करते हुए चीखनाचिल्लाना शुरू कर दिया. पति के घर आने पर उस ने कहा कि प्रीति को कुछ हो गया है.

रिया ने पुलिस को आगे बताया कि वह रोहित से अपने अवैध संबंधों को छिपाने के लिए खुद पर प्रेतात्मा के आने का नाटक करती रही थी. वह अपने पति के साथ खुश नहीं थी. उसे जब कभी पैसों की जरूरत होती तो वह सूरज से नहीं बल्कि रोहित से पैसे लेती थी. सूरज के साथ उस का वैवाहिक जीवन कभी सुखी नहीं रहा.रिया और उस के प्रेमी रोहित से पूछताछ के बाद पुलिस ने रिया की निशानदेही पर घटना में इस्तेमाल शेष बची नींद की गोलियां तथा गला दबाने में प्रयुक्त तकिया बरामद कर लिया.

पुलिस ने सूरज की तहरीर पर भादंवि की धाराओं 302, 201 व 120बी के तहत मामला दर्ज कर लिया. एसपी (देहात) स्वप्न किशोर सिंह ने अगले दिन कोतवाली रुड़की में आयोजित प्रैसवार्ता के दौरान महेंद्र व प्रीति की रहस्यमय मौतों का खुलासा किया.

आरोपी रिया व रोहित को मीडिया के सामने पेश किया गया. इस के बाद पुलिस ने रोहित व रिया को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया. कहते हैं कि गुनाह छिपाए नहीं छिपता. एक न एक दिन सामने आ ही जाता है. ऐसा ही कुछ रिया व रोहित के मामले में भी देखने को मिला. जब रात को महेंद्र ने रिया को रोहित के साथ देखा था तो दोनों ने पहले उन्हें रास्ते से हटा दिया तथा इस के बाद जब उन्हें रंगरलियां मनाते हुए प्रीति ने देखा, तो उन्होंने प्रीति को भी सुनियोजित ढंग से मार डाला था.

सूरज अपने दादा व बहन की मौत के कारण दुखी था और वह ड्यूटी पर भी नहीं जा रहा था, जबकि रिया भविष्य में अपने पति सूरज को भी मारने का तानाबाना बुन रही थी. यदि सूरज रिया की गतिविधियों पर शक होने के पर पुलिस के पास न जाता तो न ही ये केस खुलता और रिया व रोहित का अगला शिकार सूरज खुद बन जाता.

हरिद्वार के एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णाराज एस ने महेंद्र व प्रीति की मौत से परदा उठाने वाली टीम को ढाई हजार रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की.

दुबई में रची हत्या की साजिश : क्यों पत्नी का दुश्मन बना पति

रामाकृष्णनन का दुबई में अच्छा कारोबार था. पत्नी विशाला गनिगा और बेटी के साथ घरगृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी. इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि विशाला के भारत आने पर रामाकृष्णनन को दुबई में बैठ कर ही पत्नी की मौत की साजिश रचनी पड़ी?

एनआरआई विशाला दुबई में रह रहे अपने पति से विदा ले कर 2 जुलाई, 2021 को अपनी बेटी के साथ कनार्टक आई थी. उस का कर्नाटक के उडुपी

शहर में अपना अपार्टमेंट है, लेकिन उस समय वह वहां से कुछ दूरी पर स्थित एक सोसाइटी में अपने मातापिता के साथ रह रही थी.

अपने मातापिता से बैंक का काम बता कर 12 जुलाई को वह घर से बाहर निकली थी. उस ने यह भी कहा था कि कुछ समय के लिए अपने अपार्टमेंट में भी जाएगी.

जब वह कई घंटे तक भी वापस नहीं लौटी तो घर वालों को चिंता होने लगी. उस के मोबाइल नंबर पर फोन किया गया तो वह स्विच्ड औफ मिला. घर वाले चिंतित हो गए. वह उस की तलाश में उस के अपार्टमेंट पर पहुंचे तो वहां का दरवाजा भिड़ा हुआ था. उन्होंने उसे हलका सा पुश किया तो खुल गया.

अंदर का दृश्य देख कर परिजनों की चीख निकल गई. विशाला वहां मरी हुई पड़ी थी. घर का सारा सामान इधरउधर बिखरा हुआ था. विशाला के गहने भी गायब थे.

विशाला के पिता ने उसी समय ब्रह्मावर थाने को सूचना दी. सूचना मिलने के बाद थानाप्रभारी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने गहन जांचपड़ताल की. वहां मोबाइल चार्जर का तार पड़ा मिला, लग रहा था कि उसी से गला घोंट कर विशाला की हत्या की गई थी. क्योंकि उस के गले पर निशान भी था.

घर का सारा सामान बिखरा हुआ था. उस के गहने उतार लिए गए थे. पहली नजर में मामला लूट का विरोध करने पर हत्या करने का लग रहा था.

घटनास्थल की पूरी जांच की सूचना थानाप्रभारी ने अपने बड़े अधिकारियों को भी दी. मामला एनआरआई महिला की हत्या का था, जिस से पुलिस में खलबली मच गई.

विशाला की हत्या गला घोंट कर की गई थी. इस की पुष्टि पुलिस के बड़े अधिकारियों ने भी घटनास्थल का दौरा कर की. फिर भी कई पहलुओं से जांच की गई.

हत्यारे ने वैसा कोई सुराग नहीं छोड़ा था, जिस से पुलिस हत्यारे तक पहुंच सके. उस ने जिस मोबाइल चार्जर के तार से उस का गला घोंटा गया था, वह चार्जर भी विशाला का ही था.

विशाला का पति रामाकृष्णनन उस समय दुबई में था. पुलिस ने उसे इस घटना की सूचना देने के साथसाथ तत्काल भारत आने को कहा. प्राथमिक औपचारिकताओं के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.

उडुपी पुलिस ने विशाला की हत्या का परदाफाश करने के लिए 4 विशेष टीमों का गठन कर दिया. हत्या ब्रह्मावर के पास कुंब्रागोडु में एक निजी अपार्टमेंट में हुई थी. जिस से तटीय शहर में चर्चा होने लगी. इस शहर को दक्षिण भारत का मिनी गोवा कहा जाता है.

अपार्टमेंट वाली इमारत में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा था, लेकिन पुलिस ने आसपास के 60 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच की. एसपी ने मामले की जांच के लिए 4 टीमों का गठन किया. डीजी और आईजीपी प्रवीण सूद ने मामले का खुलासा करने वाली टीम के लिए 50 हजार रुपए के ईनाम की भी घोषणा कर दी.

दुबई से बुलाया पति को

मृतक का पूरा नाम विशाला गनिगा था, जो 35 वर्ष की थी. दुबई से आ कर वह उडुपी में अपने मातापिता के यहां साल भर की बेटी के साथ महीनों से रह रही थी. उस की किसी से कोई रंजिश नहीं थी. उस के शहर में जानपहचान वाले मातापिता और उन का परिवार ही था.

पति और उस के दूसरे परिजन दुबई में थे. बावजूद इस के उस की हत्या किसी के गले नहीं उतर रही थी. तफ्तीश कर रही पुलिस की टीमें हत्यारे का कोई सुराग ढूंढ निकालने की कोशिश में थीं. पुलिस सोच रही थी कि हत्या अगर लूटपाट के तहत हुई तो हत्यारा स्थानीय हो सकता था. सभी इस तरह की कई अटकलें लगा रहे थे.

विशाला के पति रामाकृष्णनन पत्नी की मौत की सूचना पा कर दुबई से उडुपी आ गया. नम आंखों से उस ने पत्नी को अंतिम विदाई दी. उस का दुबई में अच्छा कारोबार था. पुलिस ने अंत्येष्टि के बाद रामाकृष्णनन से विशाला के संबंध में औपचारिक बातचीत की.

इसी सिलसिले में पता चला कि विशाला के साथ उस का विवाह करीब 10 साल पहले  हुआ था. उन की अरेंज मैरिज थी, लेकिन दोनों के परिजनों ने विवाह से पहले एकदूसरे को समझने का भरपूर मौका दिया था.

उन के बीच काफी समय तक मिलनाजुलना होता रहा. बातें होती रहीं. रामाकृष्णनन विशाला की सुंदरता पर मर मिटा था. उस की बड़ीबड़ी झील सी गहरी आंखें और गोरा रंग देख उस पर फिदा हो गया था. गालों पर सुर्खी और कटावदार शारीरिक बनावट के कारण साधारण लिबास भी उस पर खूब फबता था.

पुलिस के सामने रामाकृष्णनन विशाला की मौत का गम दर्शाने के साथसाथ खूबसूरती की तारीफ करते नहीं थक रहा था. उस ने बताया कि विशाला की हर अदा बेहद निराली और सभी को आकर्षित करने वाली थी.

वह रहनसहन, भोजन और लाइफस्टाइल में हमेशा सर्वश्रेष्ठ की तलाश में रहती थी. उस की जरूरतों की पूर्ति होने पर ही वह पूरी तरह संतुष्ट रहती थी.

विवाह के बाद विशाला पति के साथ दुबई चली गई थी. दुबई भले ही मुसलिम देश कहलाता हो और वहां कई तरह की कानूनी पाबंदियां हों, लेकिन कारोबार या नौकरी को ले कर वहां कोई पाबंदी नहीं है.

विशाला के दुबई जा कर घर बसाने की वजह से उस की गिनती भारत में एनआरआई महिला के रूप में थी. कुछ साल में ही विशाला ने एक बेटी को जन्म दिया. नन्ही परी दोनों की ही दुलारी थी.

पुलिस ने बातोंबातों में रामाकृष्णनन से पूछ लिया कि जब वे दुबई में सेटल थे तो फिर उन्होंने उडुपी में इतना भव्य अपार्टमेंट क्यों खरीदा था. जबकि पास में ही विशाला के मातापिता का भी अच्छाखासा मकान बना हुआ है.

इस सवाल का जवाब रामाकृष्णनन साफसाफ नहीं दे पाया कि काफी इनवैस्टमेंट कर के पत्नी को बच्ची के साथ कर्नाटक में क्यों रखता था.

चाय के प्यालों से पलटी जांच

पुलिस उलझी हुई थी. एक दिन पुलिस आईजी प्रवीण सूद मानसिक एकाग्रता के लिए चाय की चुस्की ले रहे थे. विशाला हत्याकांड की उस प्राथमिक जांच का अध्ययन कर रहे थे. घटनास्थल पर ली गई कुछ तसवीरों में एकबारगी उन की नजर चाय के 2 खाली प्यालों पर गई, जो सेंटर टेबल पर रखे थे.

वह उसे एक सीध में रखे देख चौंक उठे. उन के मुंह से अचानक निकल पड़ा यह मर्डर लूट के लिए किया गया केस नहीं हो सकता. कोई एक या 2 व्यक्ति जरूर घर में आए होंगे. वे करीबी रिश्तेदार या परिचित भी हो सकते हैं. उन्हें विशाला ने चाय पिलाई होगी. आने वाला व्यक्ति एक या 2 हो सकते हैं. एक होने की स्थिति में एक कप की चाय विशाला ने खुद पी होगी.

इस विश्लेषण के बाद विशाला के मोबाइल की काल डिटेल्स का भी अध्ययन किया. उस से मालूम हुआ कि हत्या वाले दिन ही विशाला को उस के पति की काल आई थी. फिर क्या था, यह जानकारी पुलिस के लिए उम्मीद जगा गई और उन के शक की सूई विशाला के पति रामाकृष्णनन पर जा कर रुक गई.

उस के बाद पुलिस द्वारा मामले की जांच के लिए बनाई गई टीमों को गाइडलाइन जारी कर दी गई. जिस में विशाला के पति से सख्ती से पूछताछ करनी थी. जांच टीम ने ऐसा ही किया.

विशाला के पति ने शुरू में तो पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की. बीचबीच में घडि़याली आंसू भी बहाता रहा. आखिर में पुलिस ने पूछा कि उस ने हत्या वाले दिन विशाला को किसलिए फोन किया था?

यह सुन कर रामाकृष्णनन आश्चर्य में पड़ गया. उस के मुंह से अचानक निकल गया, ‘‘आप को कैसे मालूम?’’

जांच अधिकारी हवा में तीर चलाते हुए बोले, ‘‘मुझे तो यह भी मालूम है कि तुम्हारी विशाला से क्या बातें हुईं?’’

‘‘वह कैसे हो सकता है, क्या मेरा फोन रिकौर्ड किया गया है?’’ रामाकृष्णनन बोला.

‘‘रिकौर्ड मैं ने नहीं किया है, खुद तुम्हारी पत्नी ने ऐप के जरिए फोन में ही रिकौर्ड कर रखा है.’’ जांच अधिकारी ने दावे के साथ यह भी कहा कि कहो तो अभी सुना दूं वह रिकौर्डिंग.

इतना सुनने के बाद रामाकृष्णनन की स्थिति जड़वत हो गई थी, काटो तो खून नहीं वाला शरीर बन चुका था. उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. जांच अधिकारी डपटते हुए बोले, ‘‘तुम्हारा राज खुल चुका है, गनीमत इसी में है कि तुम सब कुछ सचसच बता दो.’’

इस तरह विशाला हत्याकांड का करीब 20 दिनों में खुलासा हो गया. रामाकृष्णनन ने पुलिस को अपनी पत्नी की हत्या की जो कहानी बताई, दिलचस्प थी.

पति ने अपनी कंपनी के कर्मचारी को दी सुपारी

विशाला के पति ने अपना जुर्म स्वीकारते हुए कहा कि उस की हत्या के लिए सुपारी दी गई. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का एक व्यक्ति स्वामीनाथ निषाद दुबई में रामाकृष्णनन की कंपनी में नौकरी करता था.

वह बहुत विश्वासपात्र व्यक्ति था. एक दिन उस ने उस से कहा कि भारत में किसी व्यक्ति की हत्या करानी है. उस की जानकारी में कोई ऐसा सुपारी किलर है तो बताए.

स्वामीनाथ निषाद पूरी जानकारी ले कर 5 लाख रुपए में काम करवाने के लिए तैयार हो गया. वैसे भी उस का दुबई में नौकरी के अनुबंध का समय पूरा होने वाला था. उस के भारत जाने का समय भी आ गया था.

पत्नी की हत्या करवाने के बारे में उस ने पुलिस को जो कारण बताया, वह इस प्रकार है.

बात मार्च, 2021 की है. रामाकृष्णनन अपनी पत्नी विशाला और बेटी के साथ अपने घर आया. बेटी पैदा होने के बाद दोनों के दांपत्य में किसी बात को ले कर खटास पैदा हो गई थी.

विशाला चाहती थी बाकी की जिंदगी वह भारत आ कर बिताए. दुबई में एक अच्छे सेटलमेंट को छोड़ कर भारत में आ कर बसने की जिद से रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती गई.

रामाकृष्णनन ने यह भी बताया कि विशाला भारत में किसी और व्यक्ति से प्यार करती थी, इस का उसे शक था. शक का कारण भी था कि वह मोबाइल पर काफी देर तक बातें किया करती थी. इस की जानकारी उसे किसी नजदीकी ने दी थी.

कई बार उस के सामने भी इस तरह के संदिग्ध फोन पत्नी के फोन पर आते थे, तब वह अलग जा कर काफी देर तक बातें करती रहती थी. जब उस ने उस से जानना चाहा कि वह किस से लंबी बातें करती है, तब उस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया था.

उस के भारत में रहने की जिद से उस का शक और पक्का हो गया था.  रामाकृष्णनन ने कहा कि वह विशाला से बेहद प्यार करता था. उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था. यही वजह थी कि उस ने विशाला की

भावनाओं की कद्र करते हुए ब्रह्मावर के कुंब्रागोडू में एक अच्छे अपार्टमेंट की व्यवस्था कर दी थी.

आलीशान तरीके से उस को सजायासंवारा गया. सभी सुविधाओं की व्यवस्था की गई, ताकि  विशाला को खुश किया जा सके. वह भारत में एक संपन्न परिवार की तरह सम्मानपूर्वक इस अपार्टमेंट में रह सके. इसी वर्ष मार्च के महीने में वह अपनी पत्नी और बेटी को ले कर भारत आया था.

कर्नाटक के उडुपी शहर में स्थित अपने निजी अपार्टमेंट में काफी दिनों तक साथ गुजारे थे. उस के बाद वह तीनों वापस दुबई चले गए. जितने दिन विशाला दुबई में रही, वह पति को परेशान करती रही. अंत में ऊब कर वह 2 जुलाई, 2021 को पत्नी विशाला और बेटी के साथ भारत आया. उसी दौरान उस ने स्वामीनाथ निषाद से संपर्क किया था, जो उस समय गोरखपुर आया हुआ था.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से उडुपी, कर्नाटक की दूरी लगभग 2000 किलोमीटर से अधिक है. वहां रेलगाड़ी से पहुंचने में लगभग 2 दिन का वक्त लगता है. उस ने स्वामीनाथ को उडुपी बुला लिया. उस के उडुपी पहुंचने पर एक होटल में उस के रुकने की व्यवस्था की गई थी. ताकि जब वह घर पर आए तो फ्रैश हालत में लोकल सा मालूम हो.

चूंकि उसे पत्नी का चेहरा स्वामीनाथ को दिखाना था, इसलिए वह स्वामीनाथ को घर ले गया और पत्नी से उस की मुलाकात करवाई. उस ने स्वामीनाथ का परिचय अपने दोस्त के रूप में कराया.

पत्नी को बताया कि मेरा यह दोस्त स्वामीनाथ परेशानी या समस्या में मददगार बन सकता है. इस के कुछ दिनों बाद रामाकृष्णनन दुबई चला गया. पत्नी विशाला जब बेटी को ले कर 2 जुलाई को भारत आई थी, तब अपार्टमेंट की चाबी उसी के पास थी, लेकिन वह अपने मांबाप के पास ही रहती थी.

रामाकृष्णन ने बताया कि कौन्ट्रैक्ट किलर को विशाला के मायके की कोई जानकारी नहीं दी गई थी. विशाला की हत्या करने की योजना अपने फ्लैट में ही बनाई गई. वारदात के दिन रामकृष्णनन ने पत्नी को फोन किया कि उस का दोस्त स्वामीनाथ कोई गिफ्ट ले कर अपार्टमेंट पर पहुंचने वाला है. उसे वह रिसीव कर ले.

उस दिन वह वह आटो से बैंक जा रही थी. फोन पर बात होते ही वह तुरंत वापस अपार्टमेंट में पहुंच गई. कुछ ही देर में स्वामीनाथ भी अपने साथी के साथ वहां पहुंच गया.

पति का दोस्त होने के नाते विशाला ने उन दोनों को जलपान करवाया. चाय पिलाई. इसी बीच स्वामीनाथ ने अपना मोबाइल चार्ज करने के लिए विशाला से चार्जर मांगा. विशाला ने पास में लगे चार्जर में स्वामीनाथ का मोबाइल लगा दिया.

विशाला को क्या पता था कि वह पति का दोस्त नहीं, कोई सुपारी किलर है. उस ने अपने साथी की मदद से विशाला को तब दबोच लिया, जब वह उसे विदा करने के लिए पीछेपीछे चल रही थी.

स्वामीनाथ ने वहीं पास में रखे मोबाइल चार्जर के तार को एक झटके में विशाला की गरदन में लपेट दिया.  कुछ समय में उस की दम घुटने से मौत हो गई.

उडुपी पुलिस ने विशाला हत्याकांड की गुत्थी सुलझा ली थी, कथा लिखे जाने तक स्वामीनाथ की तलाश में जुट गई. इस के लिए पुलिस ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर के कई चक्कर लगाए.

गोरखपुर पुलिस के सहयोग से आखिरकार स्वामीनाथ पुलिस के हत्थे चढ़ गया. उस के दूसरे साथी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

उधर विशाला के घर वालों का कहना है कि विशाला का पति किसी अन्य महिला के संपर्क में था. वह विशाला को छोड़ कर किसी और महिला के साथ जीवन व्यतीत करना चाहता था. विशाला इस का विरोध करती थी, इसलिए रामाकृष्णनन ने विशाला को अपनी प्रेम कहानी को अंजाम देने के लिए विशाला को रास्ते से हटाया.

बहरहाल, पुलिस ने विशाला की हत्या के आरोप में उस के पति रामाकृष्णनन सुपारी किलर स्वामीनाथ और उस के साथी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

एक शादीशुदा, दूसरी तलाकशुदा : प्यार के चक्कर में गंवाई जान

एलएलबी की छात्रा रितु की 2 महीने पहले ही शादी हुई थी, लेकिन फोटोग्राफर 3 बच्चों के पिता अजय सैनी के प्यार में फंस कर वह पति को तलाक देने को तैयार हो गई. फिर गले में फंसी हड्डी को निकालने के लिए अजय ऐसा गुनाह कर बैठा कि…

सितंबर की पहली तारीख थी. रितु ने अपने प्रेमी अजय को फोन कर अपनी मां की तरफ से माफी मांगते हुए मिलने के लिए विनती की. जबकि अजय उस से मिलने में आनाकानी कर रहा था. उस ने अपने स्टूडियो में काम अधिक होने का बहाना बनाया. रितु के बारबार माफी मांगने पर अजय उस से मिलने को तैयार हो गया. लेकिन उस ने शर्त रखी कि उस के लिए बीयर का इंतजाम करना होगा.

‘‘अजय, मैं लड़की हूं. तुम्हारे लिए बीयर कहां से लाऊंगी. बताओ, मैं शराब की दुकान पर जाऊंगी तो अच्छा लगेगा?’’ रितु बोली.

इस पर अजय ने साफ लहजे में कह दिया कि वह चाहे जैसे भी लाए. उस का मूड बहुत ही खराब है. बगैर बीयर के ठीक होने वाला नहीं है. रितु ने इस बारे में और उस से ज्यादा जिरह नहीं की और फोन डिसकनेक्ट करने से पहले मिलने की जगह और समय बता दिया.

रितु एलएलबी की छात्रा थी. उस का  मोहल्ले में ही रहने वाले युवक अजय सैनी उर्फ बंटी के साथ काफी समय से प्रेम संबंध चल रहा था. यह बात रितु की मां सुशीला को पसंद नहीं थी. उन के प्रेम संबंध के खिलाफ जा कर सुशीला ने रितु की एक साल पहले ही शादी करवा दी थी.

लेकिन शादी के 2 महीने बाद ही रितु पति से तलाक की बात कह कर मां सुशीला के पास ही आई थी, उन के तलाक का मामला कोर्ट में लंबित था. इस की वजह यह थी कि रितु पर अजय के प्यार का भूत सवार था. जबकि अजय के लिए रितु मौजमजे के अलावा कुछ और नहीं थी. अजय रितु से मिलने उस के घर पर भी जाता रहता था.

प्रेमी की बात को रितु भला कैसे टाल सकती थी. लिहाजा वह हिम्मत कर शराब की दुकान से उस के लिए 2 बीयर की बोतलें खरीद लाई.

इस के बाद शाम करीब साढ़े 5 बजे रितु हरिद्वार में चावमंडी स्थित गौशाला के सामने पहुंच कर अजय के आने का इंतजार करने लगी. उस दिन सितंबर की पहली तारीख थी. सड़क किनारे अपनी स्कूटी पर बैठी रितु मोबाइल सर्फिंग कर रही थी. तभी अचानक से अजय आ गया. इस का रितु को पता भी न चला. अजय ने शरारत करते हुए उस के कान के काफी नजदीक मुंह ला कर हैलो कहा.

रितु अचानक तेज आवाज सुन कर हड़बड़ा गई और स्कूटी से गिरतेगिरते बची. नाराजगी भरे लहजे में बोली, ‘‘तुम्हारी यही हरकत मुझे पसंद नहीं, मैं गिर जाती तो!’’

‘‘कैसे गिर जाती, मैं यहां नहीं था क्या?’’ अजय बोला.

‘‘क्या करते तुम? आज ही तुम ने घर पर भी ऐसा ही किया था, तब मुझे गिरने से बचा पाए. वह तो गनीमत थी कि मैं सामने बैड पर गिरी थी.’’

‘‘कुछ हुआ तो नहीं था न,’’ अजय ने सफाई दी.

‘‘कैसे कुछ नहीं हुआ था, तुम मुझ पर गिर पड़े थे, तभी वहां मां आ गई थीं. मां ने हमें गलत समझ लिया था. उस वक्त तुम्हें तो मां ने डांटडपट कर भगा दिया, लेकिन तुम्हारे जाने के बाद मेरी तो पूरी वाट लगा दी थी. और अब देखो, उसी वजह से तुम नाराज हो गए. उस के चलते मुझे तुम से माफी मांगनी पड़ी है. बदले में मैं ने जैसेतैसे कर तुम्हारे लिए 2 बोतल बीयर का इंतजाम किया है.’’ रितु नाराजगी के साथ एक सांस में सब कुछ बोल गई.

‘‘तुम्हारी मां तो मुझ से वैसे भी नाराज ही रहती हैं. उन को मेरा तुम्हारे घर आनाजाना पसंद नहीं है.’’ अजय बोला.

‘‘आज मैं तुम से एक फैसला करने आई हूं.’’ रितु बोली.

‘‘फैसला…कैसा फैसला?’’ अजय चौंकते हुए बोला.

‘‘रोजरोज की टेंशन मुझ से अब सहन नहीं होती, आज तुम क्लीयर करो कि शादी कब करोगे?’’ रितु एक झटके में तेवर दिखाती हुई बोली.

‘‘रितु, अचानक तुम्हें क्या हो गया है, तुम ने सुबह फोन पर भी सुनाया, फिर माफी मांगी. और अब यह फिर से पुराना राग अलापना शुरू कर दिया,’’ अजय बोला.

‘‘पुराना राग?’’ रितु चौंकती हुई बोली.

‘‘पुराना नहीं तो और क्या, मैं ने तुम से पहले भी कई बार कहा है कि मैं शादीशुदा हूं. मेरे 3 बच्चे हैं.’’ अजय ने उसे समझाने की कोशिश की.

‘‘अजय, लोग चाहे जो कुछ बोलें, मैं परवाह नहीं करती, लेकिन मुझे तुम से शादी करनी है. मैं ने तुम से शादी करने के लिए पति को छोड़ा है. तलाक लिया है. तुम मुझे पसंद हो. मैं ने तुम से प्यार किया है.’’

दोनों पहुंचे लवर्स पौइंट पर

रितु जब लगातार बोलने लगी तब अजय उस के मुंह पर हाथ रखते हुए बोला, ‘‘यहां बीच सड़क पर क्यों हंगामा खड़ा कर रही हो. चलो कहीं बैठ कर बातें करते हैं.’’

उस के बाद रितु और अजय स्कूटी से अपनी जानीपहचानी जगह की ओर चले गए, जो उन के लिए पसंदीदा गंगनहर के किनारे लवर्स मीट पौइंट था. वहीं बैठ कर दोनों ने बीयर पी.

उधर रितु घर नहीं पहुंची तो उस की मां सुशीला को उस की बहुत चिंता हुई. उस का फोन भी नहीं मिल रहा था. रात को उस का इंतजार करतेकरते पता नहीं कब उन्हें झपकी आ गई.

2 सितंबर को सुशीला की सुबह 7 बजे आंखें खुलीं. वह बेहद तनाव में थीं. पूरी रात रितु के इंतजार में जागी हुई थीं. सुबह के समय आंख लग गई थी. उन की बेटी रितु शाम से ही नहीं लौटी थी. वह मां की डांट खा कर दुखी थी.

रात में तो उन्होंने सोचा कि शायद वह किसी रिश्तेदार के यहां चली गई होगी, हालांकि रितु के बारे में जानने के लिए रिश्तेदारों को फोन नहीं किया था.

सुशीला खुद को कोस रही थीं कि उन्होंने कल अजय को बेटी के सामने कुछ ज्यादा ही भलाबुरा कह दिया था. डांटने तक तो ठीक था, उसे घर से जबरन निकाल कर खदेड़ना नहीं चाहिए था. उस ने खामख्वाह रितु को काफी जलीकटी सुना दी थी. वह सोच में पड़ गईं कि अब वह क्या करे.

थानाप्रभारी को बताई हकीकत

स्कूटी ले कर निकली रितु के घर वापस नहीं आने के कारण मां सुशीला का मन अनजाने भय से कांपने लगा था. अंतत: उन्होंने इस की जानकारी पुलिस को देना ही सही समझी. उस के बाद वह कोतवाली जाने के लिए घर से निकल पड़ीं.

आधे घंटे बाद वह हरिद्वार की गंगनहर कोतवाली पहुंच गईं. थानाप्रभारी प्रवीण सिंह कोश्यारी उस समय थाने में थे. पहले सुशीला ने उन्हें अपना परिचय दिया. बताया कि वह स्व. कंवर पाल की पत्नी है. इसी कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला गांधीनगर की 3 नंबर की गली में रहती है. उन की बेटी रितु पाल एलएलबी की पढ़ाई कर रही है. वह काफी समय से  आजाद नगर मोहल्ले में फोटोग्राफी की दुकान चलाने वाले अजय सैनी के प्रेम जाल में फंस गई थी.

इसी सिलसिले में उन्होंने यह भी बताया कि वह उन के प्रेम का वह विरोध करती है. वह कई बार रितु और अजय से के संबंधों का विरोध भी जता चुकी है. मगर रितु व अजय उस की बात अनसुनी कर जाते हैं.

सुशीला ने बताया कि कल अजय उस के घर आया था. उस की हरकत को ले कर उन्होंने अजय को रितु से मिलने पर फटकारा था. इस पर वह उल्टे उसे देख लेने की धमकी देने लगा था.

सुशीला की बात ध्यान से सुनते हुए थानाप्रभारी बीच में बोले, ‘‘लेकिन आप आज किसलिए आई हैं. क्या उन के साथ कोई अप्रिय घटना हो गई है?’’

‘‘जी हुजूर, कल शाम से मेरी बेटी घर वापस नहीं लौटी है. मुझे पूरा संदेह है कि अजय ही मेरी बेटी को कहीं भगा कर ले गया है.’’

‘‘तो आप का कहना है कि आप की बेटी का अपहरण हो गया है?’’ कोश्यारी बोले.

‘‘जी साहब!’’ सुशीला बोली.

‘‘ठीक है, यह लीजिए प्लेन पेपर इस पर अभी जो आप ने बताया, वह सब लिख कर ले आइए.’’ कहते हुए कोश्यारी ने कंप्यूटर प्रिंटर से एक पेपर निकाल कर सुशीला को दे दिया.

सुशीला ने पेपर ले कर कोश्यारी से एक कलम मांगा और अलग जा कर बेंच पर बैठ गईं और तहरीर लिख कर थानाप्रभारी को दे दी, जिस में उन्होंने रितु के अपहरण का दोषी सीधेसीधे अजय को ही ठहराया.

सुशीला की तहरीर पर अपहरण की रिपोर्ट दर्ज हो गई. थानाप्रभारी ने यह जानकारी सीओ विवेक कुमार और एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोभाल को भी दे दी.

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद गंगनहर पुलिस सक्रिय हो गई. रितु की सकुशल बरामदगी के लिए सीओ ने एक टीम गठित कर दी, जिस में थानाप्रभारी प्रवीण सिंह कोश्यारी के नेतृत्व में एसएसआई देवराज शर्मा, एसआई सुनील रमोला, सुखपाल मान आदि को शामिल किया गया.

पुलिस टीमें जुटीं जांच में

पुलिस ने रितु के अकसर आनेजाने वाले जगहों के निरीक्षण के साथसाथ उस से मिलनेजुलने वालों से पूछताछ की. इसी सिलसिले में मुख्य आरोपी अजय को भी थाने बुला कर पूछताछ शुरू हुई. सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की जांच शुरू की.

इस के अलावा दूसरी टीम में एसआई अजय शाह व सिपाहियों हरी सिंह राठौर, शिवचरण, अनूप, अनिल, रविंद्र, चेतन, संदीप व यशपाल भंडारी को रितु व अजय सैनी के चालचलन के बारे में जानकारी जुटाने के लिए लगा दिया.

उन्हें दोनों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकालने का कार्य सौंपा गया. उन के कुछ कार्य हो जाने के बाद पुलिस की दोनों टीमों की जानकारियों के विश्लेषण का काम शुरू किया गया.

अगले दिन शाम को पुलिस ने कोतवाली सिविललाइंस क्षेत्र की पीरबाबा कालोनी से रितु की स्कूटी, उस का मोबाइल तथा आधार कार्ड लावारिस हालत में बरामद कर लिया था.

स्कूटी लावारिस हालत में मिलने पर पुलिस व रितु की मां ने दूसरा संदेह जताया कि कहीं रितु ने गंगनहर में कूद कर आत्महत्या तो नहीं कर ली. इस एंगल से भी पुलिस जांच करने लगी. किंतु रितु व अजय के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स से उन की एक अहम बातचीत हाथ लग गई.

उस आधार पर 4 सितंबर, 2021 को पुलिस ने पूछताछ के लिए अजय सैनी को कोतवाली बुलाया. उस से रितु के लापता होने के बारे में गहन पूछताछ की गई.

अजय ने पुलिस को बताया कि वह बीते 3 सालों से रितु को जानता है. उस से उस की जानपहचान उस समय हुई थी, जब वह उस के स्टूडियो पर फोटो खिंचवाने आई थी.

तब उस ने उस की तसवीर को हीरोइन की तरह ग्लैमर से भरा बना दिया था. उस के बाद वह अकसर उस के स्टूडियो पर आनेजाने लगी थी. इस कारण उस की रितु से दोस्ती हो गई थी. बाद में यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला. अजय शादीशुदा था, यह जानते हुए भी रितु उस से प्यार करने लगी.

अजय ने बताया कि वह उस के घर पर गया था. तब रितु के घर पर उस की मां सुशीला से उस की नोकझोंक भी हुई थी. उस के बाद वह अपने स्टूडियो पर वापस आ गया था. रितु अपने घर से कहां गई थी, इस की उसे कोई जानकारी नहीं है.

रितु की मिली लाश

पुलिस को इतनी जानकारी दे कर अजय कोतवाली से चला गया. उस के बाद पुलिस ने गोताखोरों की मदद से गंगनहर में रितु को काफी तलाशा, मगर उस का कुछ पता नहीं चल सका.

रितु की मां और उस के रिश्तेदार हर रोज गंगनहर की आसफनगर झाल पर जाते थे. वह 7 सितंबर 2021 का दिन था. सुबह के 10 बज रहे थे. आसफनगर झाल पर तैनात सिंचाई विभाग के एक कर्मचारी ने गंगनहर पुलिस को सूचना दी कि झाल पर एक युवती का शव बह कर आया है.

सूचना पाते ही थानेदार अजय शाह ने इस की जानकारी रितु की मां को दी. लगभग आधे घंटे बाद पुलिस टीम व सुशीला अपने रिश्तेदारों के साथ झाल पर पहुंच गए. सुशीला ने जैसे ही झाल में अटकी लाश देखी, दहाड़ मार कर रोने लगीं. दरअसल, वह लाश रितु की ही थी.

उस के बाद पुलिस ने लाश को झाल से बाहर निकाला और उस का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए जे.एन. सिन्हा राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दिया.

रितु की लाश बरामद होने के बाद उस के परिजन हंगामा करते हुए अजय के खिलाफ तुरंत काररवाई की मांग करने लगे. तभी वहां पहुंचे सीओ विवेक कुमार ने कोतवाली पहुंच कर अजय से पूछताछ की तो वह रितु के बारे में अनभिज्ञता जताने लगा.

तभी सीओ ने कहा, ‘‘फिर सफेद झूठ बोल रहा है. अभीअभी तूने बताया कि अपने पसंदीदा लवर्स पौइंट की ओर गए. बीयर की बोतल का क्या हुआ, जो तूने मंगवाई थी. रितु तभी से लापता है. उस की मां सुशीला ने तेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है.’’

पुलिस से पूछताछ के दौरान अजय ने सिरे से कुछ और बताने से इनकार कर दिया. इस पर वहीं खड़े थानाप्रभारी कोश्यारी को काफी गुस्सा आ गया, उन्होंने एक जोरदार थप्पड़ लगाते हुए कहा, ‘‘उस की आज ही नहर में तैरती हुई लाश बरामद हुई है. पता है तुझे?’’

रितु की लाश की बात सुन कर अजय के चेहरे का रंग फीका पड़ गया. पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि रितु की मौत का जिम्मेदार अजय ही है. फिर उस से सख्ती से पूछताछ की जाने लगी.

थानाप्रभारी कोश्यारी ने फिर वही सवाल किया, स्कूटी पर बैठ कर तुम दोनों कहां गए? अजय ने एक लाइन में बताया कि दोनों पीरबाबा कालोनी के पास गंगनहर के किनारे आ गए थे. उस समय वहां अंधेरा छा गया था. वहीं हम ने साथसाथ बीयर पी थी. फिर मैं वापस अपने घर आ गया था और रितु भी लौट आई थी.

इस के बाद पुलिस ने उसे रितु की लाश दिखाई. रितु की लाश देख कर वह टूट गया और समझ गया कि अब उस का बचना मुश्किल है. इस के बाद उस ने बताया कि उस ने किस तरह से रितु को बीयर पिला कर गंगनहर में धक्का दिया था.

पुलिस ने अजय सैनी निवासी ग्राम किशनपुर थाना भगवानपुर जिला हरिद्वार के बयान नोट कर लिए. उस के बाद पुलिस ने अजय की निशानदेही पर रितु के गले की सोने की चेन और पेंडेंट भी बरामद कर लिया, जो अजय ने धक्का देने से पहले रितु के गले से निकाल लिया था.

एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोभाल ने अजय को प्रैसवार्ता के दौरान मीडिया के सामने पेश कर के इस घटना की विस्तृत जानकारी दी.

अगले दिन पुलिस ने अजय सैनी को कोर्ट में पेश कर दिया. वहीं से उसे जेल भेज दिया गया. अजय सैनी के पिता शिक्षक हैं.

कथा लिखे जाने तक आरोपी अजय सैनी रुड़की जेल में बंद था. पुलिस को रितु की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई थी, जिस में  उस की मौत का कारण पानी में डूब कर दम घुटना बताया गया था.

इस प्रकरण की विवेचना अजय शाह द्वारा की जा रही थी.

कथा लिखे जाने तक इस प्रकरण में अजय के विरुद्ध साक्ष्य जुटा कर उस के विरुद्ध चार्जशीट अदालत में भेजने की तैयारी की जा चुकी थी.

—पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेटी ने दी बाप के कत्ल की सुपारी : भाग 3

दरअसल, समीर के पिता जरीफ बीएएमएस डाक्टर थे और शामली में अपना क्लीनिक चलाते थे. उन की चाहत थी कि समीर बड़ा हो कर डाक्टर बने. इसीलिए उन्होंने डाक्टरी की कोचिंग के लिए उसे कोटा भेज दिया था. उन के रिश्तेदार का बेटा भी समीर के साथ ही एमबीबीएस की तैयारी कर रहा था.

काव्या से शुरू हुई समीर की दोस्ती गुजरते वक्त के साथ प्यार में बदल गई थी. काव्या के प्रति समीर की चाहत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि एक दिन उस ने अपने हाथ पर उस का नाम भी गुदवा लिया. काव्या को यह तो पता था कि समीर उस पर मरता है लेकिन उसे ये नहीं मालूम था कि उस की दीवानगी में वह उस का नाम अपने हाथ पर भी गुदवा लेगा.

इधर इंटरमीडिएट के बाद दोनों चोरीछिपे पढ़ाई के बहाने कभी घर में तो कभी घर के बाहर मिलतेजुलते थे. धीरेधीरे यह बात राकेश के कानों तक जा पहुंची. राकेश की पत्नी कृष्णा के संबध भी अपने पति से ठीक नहीं थे.

दरअसल, तेजतर्रार और चंचल स्वभाव वाली कृष्णा के चरित्र पर राकेश को पहले से ही शक था. राकेश को भनक थी कि कृष्णा उस के ड्यूटी जाने के बाद घर से बाहर अपने चाहने वालों से मिलती रहती है. राकेश को तो इस बात का भी शक था कि कृष्णा के चाहने वाले उस से मिलने के लिए घर में भी आते हैं.

यही कारण था कि अकसर राकेश और कृष्णा के बीच झगड़ा होता रहता था. अपनी इसी झल्लाहट में राकेश कृष्णा पर अकसर हाथ भी छोड़ देता था. जब राकेश शराब पी लेता तो वह कृष्णा को न सिर्फ गालियां देता, बल्कि मारपीट करने के दौरान यहां तक तंज कस देता कि उसे शक है कि उस की तीनों औलाद असल में उस की हैं या किसी और की.

पिता का विरोध करने के लिए जब उस की दोनों बेटियां वैशाली और वैष्णवी उर्फ काव्या कोशिश करतीं तो उन्हें भी राकेश की मार का शिकार होना पड़ता.

इस दौरान जब एक दिन राकेश को पता चला कि काव्या का चक्कर समीर नाम के एक मुसलिम युवक से चल रहा है तो उन का गुस्सा और बढ़ गया. उस ने पत्नी के साथ अब दोनों बेटियों पर भी लगाम कसनी शुरू कर दी. हालांकि समीर एमबीबीएस की तैयारी करने के लिए कोटा जरूर चला गया था, लेकिन वह हर हफ्ते चोरीछिपे अपने परिवार को बताए बिना शामली आता और काव्या से मिल कर चला जाता था.

काव्या और समीर की दोस्ती और परवान चढ़ रहे प्यार की कहानी की खबर काव्या की मां कृष्णा और उस की बड़ी बहन वैशाली को थी. इस की जानकारी राकेश को जब मोहल्ले के कुछ लोगों से मिली तो उस ने काव्या के साथ सख्ती से पेश आना शुरू कर दिया.

राकेश थक गया था लोगों के ताने सुन कर

शक की आग में जल रहे राकेश के गुस्से में एक दिन उस समय घी पड़ गया, जब वह अपनी ड्यूटी से घर लौट रहा था. मोहल्ले के ही एक व्यक्ति ने उसे रोक कर कहा, ‘‘राकेश भाई, आंखों पर ऐसी कौन से पट्टी बांध रखी है आप ने, जो दूसरे मजहब का एक लड़का सरेआम आप की बेटी को ले कर घूमता है. आप के घर आताजाता है. लेकिन न तो आप उसे रोक रहे हैं और न ही आप की धर्मपत्नी. अरे भाई अगर कोई डर या कोई दूसरी वजह है तो हमें बताओ, हम रोक देंगे उस लड़के को.’’

उस दिन कालोनी के व्यक्ति का ताना सुन कर राकेश के तनबदन में आग लग गई. ऐसा पहली बार नहीं हुआ था. इस से पहले भी अलगअलग लोगों ने दबी जुबान में इस बात की शिकायत की थी, लेकिन अब काव्या की शिकायतें खुल कर होने लगीं. खुद राकेश ने भी एकदो बार समीर को अपने घर आते देखा था.

राकेश ने पहले समीर को समझा कर कह दिया कि वह उस के घर न आया करे, क्योंकि काव्या से उस का मिलनाजुलना उन्हें पसंद नहीं है. बाद में जब समझाने पर भी समीर नहीं माना तो उस ने समीर को एक बार 2-3 थप्पड़ भी जड़ दिए. साथ ही धमकी भी दी कि अगर फिर कभी काव्या से मिलने की कोशिश की तो वह उसे पुलिस को सौंप देंगे.

इस के बाद से समीर ने काव्या से मिलने में सावधानी बरतनी शुरू कर दी. अब या तो वह काव्या से सिर्फ उस के घर पर ही मिलता था या फिर दोनों शहर से बाहर कहीं दूर जा कर मिलते थे.

राकेश के ड्यूटी पर निकल जाने के बाद घर में क्याक्या होता, यह खबर रखने के लिए राकेश ने अपने घर में सीसीटीवी कैमरे लगवा लिए. इन सीसीटीवी कैमरों का मौनीटर उस ने अपने मोबाइल फोन में इंस्टाल करवा लिया. इसी सीसीटीवी के जरिए वह राज खुल गया, जिस का राकेश को शक था. उस ने मौनीटर पर खुद देखा कि किस तरह उस की गैरमौजूदगी में उस की पत्नी और बेटी से मिलने के लिए उन के आशिक उसी के घर में आते हैं.

पहले पत्नी उतरी विरोध पर

पत्नी और बेटी के चरित्र के इस खुलासे के बाद राकेश का मन बेटियों और पत्नी के प्रति खट्टा हो गया. राकेश के लिए पत्नी और बेटियों के साथ मारपीट करना अब आए दिए की बात हो गई.

रोजरोज की मारपीट और बंधनों से परेशान कृष्णा ने एक दिन अपनी दोनों बेटियों के सामने खीझते हुए बस यूं ही कह दिया कि जिंदा रहने से तो अच्छा है कि ये इंसान मर जाए, पता नहीं वो कौन सा दिन होगा जब हमें इस आदमी से छुटकारा मिलेगा.

बस उसी दिन काव्या के दिलोदिमाग में ये बात बैठ गई कि जब तक उस का पिता जिंदा है, वह और उस की मांबहनें आजादी की सांस नहीं ले सकतीं, न ही अपनी मरजी से जिंदगी जी सकती हैं.

काव्या के दिमाग में उसी दिन से उधेड़बुन चलने लगी कि आखिर ऐसा क्या किया जाए कि उस का पिता उन के रास्ते से हट जाए. अचानक उस की सोच समीर पर आ कर ठहर गई. उसे लगने लगा कि समीर उस से जिस कदर प्यार करता है, बस एक वही है, जो उस की खातिर ये काम कर सकता है.

लेकिन इस के लिए जरूरी था कि समीर को भावनात्मक रूप से और लालच दे कर इस काम के लिए तैयार किया जाए. इस बात का जिक्र काव्या ने अपनी मां से किया तो उस ने भी हामी भर दी. बस फिर क्या था काव्या मौके का इंतजार करने लगी.

एक दिन मौका मिल गया. समीर ने रोजरोज चोरीछिपे मिलने से परेशान हो कर काव्या से कहा कि वह इस तरह मिलनेजुलने से परेशान हो चुका है, क्यों न वे दोनों भाग जाएं और शादी कर लें.

पिता को बताया जल्लाद

काव्या ने कहा कि वह उस से भाग कर नहीं बल्कि पूरे जमाने के सामने ही शादी करेगी लेकिन इस के लिए एक समस्या है. काव्या ने समीर से कहा कि उस के पिता उन के प्रेम में बाधा बने हैं. उन के जीते जी कभी वे दोनों एक नहीं हो सकते. उन के मेलजोल के कारण ही पिता आए दिन पूरे परिवार के साथ मारपीट करते है.

साली का नशा : क्यों देनी पड़ी 5 लोगों को जान

भरी दोपहर का वक्त था. आलोक की दुकान में मटकतीलचकती अमिषा घुसते ही बोली, ‘‘क्यों जीजाजी, अब लेडीज का भी सामान बेचने लगे?’’

‘‘आप के लिए ही तो लाए हैं,’’ आलोक मुसकराते हुए बोला.

‘‘मेरे लिए! क्या मतलब है आप का?’’ अमिषा बोली.

‘‘मतलब यह कि अब आप को अंडरगारमेंट्स के लिए दूसरी दुकान पर नहीं जाना पड़ेगा. ब्रांडेड आइटम लाया हूं. एकदम आप की फिटिंग के लायक.’’ आलोक दुकान के एक कोने की ओर इशारा करते हुए बोला, जहां मौडलों की बड़ी फोटो लगी थी.

‘‘जीजाजी, तब तो आप को सेल्सगर्ल रखनी पड़ेगी,’’ अमिषा झट से बोल पड़ी.

‘‘सेल्सगर्ल क्यों, ग्राहक को मैं नहीं दिखा सकता क्या?’’ आलोक बोला.

‘‘अच्छा चलो, मैं ट्रायल करती हूं. मेरे लिए दिखाइए.’’

‘‘तुम्हारा साइज तो मुझे पता है,’’ आलोक चुटकी लेते हुआ बोला.

‘‘धत्त! बड़े बेशर्म हो.’’ यह कहती अमिषा शरमाती हुई जैसे मटकती आई थी, वैसी ही तेज कदमों से चली गई. आलोक देर तक उसे जाते देखता रहा.

यह बात 2 साल पहले की है. अधेड़ उम्र के आलोक माथुरकर नागपुर में गारमेंट की दुकान चलाता था. दुकान से मात्र 10 मीटर की दूरी पर ही बोबडे परिवार रहता था. बोबडे परिवार से उस का गहरा रिश्ता था, कारण वह उस की ससुराल थी.

परिवार में उस के 60 वर्षीय ससुर देवीदास बोबडे, 55 वर्षीया सास लक्ष्मी बाई और 22 वर्षीया अविवाहित साली अमिषा बोबड़े रहते थे. ससुर देवीदास एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करते थे.

देवीदास की बड़ी बेटी विजया से आलोक ने प्रेम विवाह किया था. विजया भी विवाह से पहले अकसर आलोक की दुकान पर आती थी, वहीं वह आलोक से प्रेम करने लगी थी. अमिषा विजया से करीब 10 साल छोटी थी.

मिट गईं दूरियां

आलोक के पिता उपेंद्र माथुरकर सालों पहले रोजीरोटी के लिए नागपुर शहर आ कर बस गए थे. उन्होंने पांचपावली इलाके में कपड़ों की सिलाई का काम शुरू किया था. आलोक उन का इकलौता बेटा था.

उस का पढ़ाई में मन नहीं लगा. इस कारण वह पिता के पुश्तैनी काम में लग गया था. कपड़े की सिलाई के अलावा कपड़े की अच्छी जानकारी थी, सो उस ने अच्छीखासी गारमेंट की दुकान खोल ली थी, जिस से परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई थी.

आलोक का अपना सुखीसंपन्न परिवार था. उस के 2 बच्चे थे, जिन में बेटी परी 14 साल की और बेटा साहिल 11 साल का था. विजया आलोक के साथ खुश रहते हुए दांपत्य जीवन का निर्वाह कर रही थी, लेकिन आलोक रंगीनमिजाज किस्म का आदमी था.

दूसरी लड़कियों पर नजरें रखना और फूहड़ मजाक करना उस की आदत में शामिल था. साली को देखते ही उस के मन में तरहतरह के रोमांटिक विचार उमड़ने लगते थे.

जब भी मौका लगता, दुकान से ससुराल चला जाता था, साली के साथ हंसीमजाक कर समय बिताया करता था. उस की सास न चाहते हुए भी चुप रहती थी.

मजाकमजाक में एक दिन आलोक ने साली को अकेला पा कर बांहों में भर लिया. अमिषा उस दिन किसी तरह से उस की बाहों से छूटी, लेकिन जल्द ही जीजा के आगे आत्मसमर्पण कर दिया. आलोक ने इस बारे में किसी को नहीं बताने की हिदायत दी.

अमिषा भी एक बार सैक्स का स्वाद लगने पर बेचैन रहने लगी. दूसरी तरफ आलोक उस के साथ अंतरंग संबंध बनाने के लिए मौके की तलाश में रहने लगा.

साली की सुंदरता और सैक्स का काकटेल उस के दिमाग में नशे की तरह छा गया था. और फिर उन्होंने अनैतिक संबंध को ही जीवन का एक हिस्सा बना लिया.

दोनों इस रिश्ते को ज्यादा दिनों तक छिपा कर नहीं रख पाए. पहले आलोक की पत्नी विजया ने जीजासाली को अंतरंग रिश्ते बनाते रंगेहाथों पकड़ा. उस ने अपने पति की जम कर झाड़ लगाई. बहन को भी समझाया. फिर भी दोनों अपनी मस्ती में डूबे रहे.

जल्द ही इस की भनक अमिषा की मां और पिता को भी लग गई. उन्होंने अमिषा को तो आडे़ हाथों लिया ही, साथ में आलोक माथुरकर को भी नहीं छोड़ा. हालांकि बेटी की इस हरकत पर उन्हें गहरा धक्का लगा था.

उन्होंने अमिषा को प्यार से समझाया. अपनी रिश्तेदारी, समाज में बदनामी और उस की बहन के घर की बरबादी का वास्ता दिया. मांबाप के समझानेबुझाने का असर अमिषा पर सिर्फ इतना हुआ कि उस ने आलोक से दूरियां बना लीं. यह बात जनवरी, 2021 की थी.

सिर से पांव तक अमिषा के रंग में डूबे आलोक को उस की दूरियां बरदाश्त नहीं हो रही थीं. वह जितना ही अमिषा के पास जाने की कोशिश कर रहा था, वह उस से उतनी दूर होती जा रही थी.

कई बार मौका देख कर अपनी ससुराल भी गया, लेकिन सासससुर के मौजूद रहने के कारण अमिषा से बात तक नहीं कर पाया. वह जब भी ससुराल जाता, उसे नसीहत सुनने को मिलती.

बेटी और दामाद का रिश्ता न खराब हो, इस के लिए उन्होंने अमिषा के योग्य कोई अच्छा सा लड़का ढूंढ कर उस की शादी कर देने में ही भलाई समझी.

इस बात की जानकारी जब आलोक  को लगी तो उस का खून खौल उठा. उस ने मन ही मन यह तय किया कि अगर अमिषा उस की नहीं तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. इसी बात को ले कर वह अमिषा को फोन पर तरहतरह की धमकियां भी देने लगा था.

अप्रैल, 2021 के महीने में लौकडाउन के समय तो आलोक ने हद ही कर दी. एक दिन दोपहर को मौका देख कर वह अपनी ससुराल गया. जाते ही अमिषा के साथ जोरजबरदस्ती करने लगा. वह अपनी हरकत में कामयाब होता, इस के पहले वहां अमिषा के मांबाप आ गए.

उन्होंने आलोक को न केवल डांटाफटकारा, बल्कि उस के खिलाफ स्थानीय थाने में शिकायत भी दर्ज करवा दी. पुलिस ने परिवारिक मामले को ध्यान में रखते हुए आलोक पर फौरी तौर पर काररवाई की. उस से माफीनामा लिखवाया और चेतावनी दे कर छोड़ दिया.

बदले की आग

बात आईगई हो गई, किंतु आलोक अमिषा के साथ वासना पूर्ति की आग में तपता रहा. वह मौके की ताक में रहते हुए बदले की भावना से भी भर चुका था.

पुलिस के हस्तक्षेप के बाद अमिषा के घर वालों को थोड़ी राहत जरूर मिली थी, जबकि आलोक ने पुलिस की काररवाई और माफीनामे को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था. अब उसे अपनी ससुराल और अमिषा से नफरत हो गई थी. उन्हें सबक सिखाने के लिए उस ने एक खतरनाक योजना बना ली थी.

उस ने मई महीने में औनलाइन कुछ घरेलू सामान मंगाया. उस में उस ने एक लंबा मटन काटने का चाकू भी मंगवा लिया.

23 जून की रात 10 बजे के करीब आलोक अपनी ससुराल जा पहुंचा. घर पर अमिषा अकेली थी. पिता देवीदास अपनी ड्यूटी पर चले गए थे. मां लक्ष्मीबाई पड़ोस के बच्चे के नामकरण कार्यक्रम में गई हुई थी.

अमिषा अपने कमरे में बैठी अपनी दोस्त के साथ मोबाइल पर चैट कर रही थी. अचानक अपने कमरे में आलोक को देख वह चौंक गई. हड़बड़ाते हुए पूछा, ‘‘जीजाजी आप?’’

उस ने मोबाइल को वैसे ही छोड़ दिया. जिस में उन के बीच की बातें रिकौर्ड होने लगीं.

‘‘हां मैं, तुम किस से बातें कर रही थीं?’’ आलोक ने कहा.

‘‘आप से मतलब, मैं अपने मन की मालकिन हूं, जिस से चाहूंगी बात करूंगी.’’ अमिषा ने कड़क शब्दों में कहा.

आलोक जलभुन गया. वह बोला, ‘‘तुम ने मेरी शिकायत पुलिस में क्यों की थी?’’

‘‘आप की हरकत से घर वाले सब परेशान हो गए थे. बेशर्मी की हद होती है. सब के सामने मुझे जलील कर दिया.’’ अमिषा ने सख्ती से कहा.

इस बात पर आलोक का गुस्सा फूट पड़ा था. उस ने कहा, ‘‘अब मैं तुम्हें इस लायक ही नहीं छोड़ूंगा कि तुम पुलिस थाने जा सको.’’

यह कहते हुए आलोक ने अमिषा को पकड़ लिया था. अमिषा खुद को आलोक से छुड़ाने की कोशिश करने लगी. काफी कोशिशें कीं मगर सफल नहीं हुई. सैक्स का उन्माद उतर जाने के बाद ही अमिषा उस के चंगुल से आजाद हो पाई.

आलोक द्वारा हाथ से मुंह बंद किए जाने के कारण शोर नहीं मचा पाई. घर से बाहर जाने की कोशिश करने लगी. मगर आलोक ने उसे इस का मौका नहीं दिया. छिपा कर लाए चाकू से एक झटके में अमिषा का गला रेत दिया. वह जमीन पर गिर पड़ी.

खून से लथपथ अमिषा तड़पती रही और आलोक बुत बना उसे देख रहा. इस के पहले कि अमिषा के प्राणपखेरू उड़ते, कमरे में अमिषा की मां लक्ष्मीबाई आ गई. बेटी अमिषा की हालत देख कर चीखते हुए बोली, ‘‘आलोक, यह तुम ने क्या किया?’’

आलोक ने लक्ष्मीबाई के गले पर चाकू फिराते हुए कहा, ‘‘चिल्लाओ मत, पड़ोसी आ जाएंगे.’’

और फिर उस ने लक्ष्मीबाई का गला भी एक झटके में रेत डाला. आधे घंटे तक वहीं रहने के बाद वह अपने घर आ गया था.

बताते हैं कि अपनी ससुराल से वापस घर आने के बाद भी आलोक का क्रोध शांत नहीं हुआ. उसी क्रोध में उस ने पहले अपनी पत्नी की हत्या कर दी. फिर मासूम बेटे साहिल और बाद में बेटी परी को भी मौत की नींद सुला दिया.

अपने पूरे परिवार की हत्या के बाद आलोक का मन शांत हुआ, लेकिन वह विक्षिप्तावस्था में आ चुका था. उस ने कमरे के पंखे से लटक कर अपनी जीवनलीला भी समाप्त कर ली. इस तरह से एक घंटे के भीतर 6 हत्या- आत्महत्या की वारदात की जानकारी अगले रोज हुई.

जून महीने की 24 तारीख को दिन के करीब 11 बज चुके थे, नागपुर में में पाचपावली के रहने वाले आलोक माथुरकर का दरवाजा नहीं खुला था. उन के पड़ोस में रहने वाले भोसले परिवार को हैरानी हुई.

रोज सुबह 8 बजे फ्रैश हो कर अपने काम में लग जाने वाले का घर बंद होने पर भोसले परिवार के लोगों ने मकान की कालबेल दबाई. दरवाजा खटखटाया, आवाज दी.

कई बार ऐसा करने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला और न मकान के भीतर से कोई आवाज आई, तब वह किसी अनहोनी की आशंका से घबरा गए.

मकान के पीछे लगी खिड़की के पास गए. हलके से धक्के के साथ खिड़की खुल गई. भीतर का मंजर देख कर भोसले परिवार के होश उड़ गए. उन की आंखों के सामने आलोक का सब से छोटा बेटा खून से लथपथ जमीन पर पड़ा था.

उन्होंने मामले की खबर पहले मकान मालिक प्रमोद भिभिकर और फिर थानाप्रभारी जयेश भंडारकर को दी.

कई हत्याओं से सहमा शहर

थाने की ड्यूटी पर तैनात एसआई राज राठौर को मामले की डायरी बनाने का आदेश मिला. जबकि इस की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को देने के बाद एएसआई संदीप बागुल, एसआई राज राठौर, हैडकांस्टेबल रवि पाटिल कुछ समय में ही घटनास्थल पर पहुंच गए. इस बीच यह खबर आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई थी.

पुलिस टीम ने दरवाजा तोड़ कर मकान में प्रवेश किया. अंदर 3 लाशें जमीन पर खून से सनी हुई थीं, जबकि एक पंखे से झूल रही थी. पंखे से झूलती लाश की पहचान आलोक माथुरकर के रूप में हुई और बाकी लाशें उस की पत्नी विजया और उस के बच्चों परी एवं साहिल की थीं.

थानाप्रभारी जयेश भंडारकर अपने सहायकों के साथ अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि तभी पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार, एडिशनल पुलिस कमिश्नर सुनील फुलारी के साथ फोटोग्राफर और फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट भी मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

उसी समय उन्हें पास में ही एक दूसरे हत्याकांड की सूचना मिली. थानाप्रभारी ने पुलिस की दूसरी टीम को दूसरे घटनास्थल पर भेज दिया.

दोनों घटनास्थल महज 10 मीटर की दूरी पर ही थे. दूसरा स्थान आलोक की ससुराल था, जहां उस की सास लक्ष्मीबाई और साली अमिषा मृत पड़ी थीं. दोनों घटनाओं में सभी की गरदन भी चाकू से रेती गई थी.

परिवार के मुखिया देवीदास ने पुलिस को बताया कि सभी हत्याओं के पीछे उस के दामाद आलोक का ही हाथ है.

दोनों घटनास्थल की तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लाशों का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए नागपुर मैडिकल कालेज भेज दिया गया. उस के एकमात्र गवाह के तौर पर देवीदास से थाने में पूछताछ की गई.

मौके पर बरामद मोबाइल की रिकौर्डिंग से आलोक और अमिषा के बीच संबंधों का खुलासा हो गया. फिंगरप्रिंट से भी आलोक द्वारा हत्याओं को अंजाम दिए जाने की पुष्टि हो गई.

एक ही दिन में 6 लोगों की हत्या और आत्महत्या के मामले की गुत्थी को कुछ घंटों में ही सुलझा लिया गया और जांच एडिशनल पुलिस कमिश्नर सुशील फुलारी को सौंप दी गई. 2 परिवारों में अगर कोई बचा था तो वह थे आलोक के ससुर देवीदास. उन की किस्मत थी जो उस रात अपनी ड्यूटी पर थे. किंतु वे उस किस्मत का क्या करते, जब उन्हें कोई अपना कहने वाला ही नहीं रहा.

ऊंचे ओहदे वाला रिश्ता : शक ने ली साक्षी की जान

हर मातापिता की इच्छा होती है कि उन के बच्चे पढ़ाईलिखाई कर के आगे बढ़ें, उन की शादियां हों और वे अपनी दुनिया में खुश रहें. अशोक कुमार की बेटी साक्षी इंडियन आर्मी में मिलिट्री नर्सिंग सर्विसेज में लेफ्टिनेंट थी. साल 2017 में उस का सेलेक्शन हुआ था.

दिल्ली के तिलकनगर इलाके के रहने वाले अशोक कुमार को बेटी के आर्मी में सेलेक्शन के वक्त बधाइयां देने वालों का तांता लग गया था. तब वह खुशी से फूले नहीं समाए. जाहिर है यह बड़े गर्व की बात थी.

साक्षी की शादी नवनीत शर्मा के साथ हुई थी. नवनीत वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर थे. दोनों ही हरियाणा की अंबाला छावनी में तैनात थे. उन का 2 साल का एक बेटा भी था.

लोग अशोक कुमार को खुशनसीब इंसान मानते थे. कामयाब बेटी के पिता होने के नाते लोगों का सोचना भी ठीक था, लेकिन किसी इंसान की असल जिंदगी में क्या कुछ चल रहा होता है, इस बात को कोई नहीं जान पाता.

अशोक कुमार के साथ भी कुछ ऐसा ही था. बेटी को ले कर वह परेशान रहते थे. इस की बड़ी वजह यह थी कि बेटी का वैवाहिक जीवन उम्मीदों के विपरीत था. 20 जून, 2021 की रात का वक्त था, जब अशोक कुमार के मोबाइल पर साक्षी का फोन आया. उन्होंने बेटी से बात शुरू की.

‘‘हैलो! साक्षी बेटा कैसी हो?’’

‘‘पापा, यहां कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा, मैं बहुत परेशान हो चुकी हूं.’’ साक्षी के लहजे में परेशानी छिपी हुई थी, जिसे अशोक कुमार ने भांप लिया था.

उन्होंने धड़कते दिल से पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटा?’’

‘‘पापा, नवनीत मुझे लगातार परेशान करते हैं, हद इतनी हो गई है कि मेरे साथ मारपीट भी की जाती है. पता नहीं कब तक ऐसा चलेगा.’’ वह बोली.

‘‘सब्र कर बेटा. समय के साथ सब ठीक हो जाएगा. मैं समझाऊंगा उसे.’’ अशोक कुमार ने समझाया.

‘‘यह समझने वाले नहीं हैं. पता नहीं क्या होगा पापा. मैं बाद में बात करती हूं.’’ साक्षी ने सुबकते हुए फोन काट दिया.

बेटी की बातों से अशोक परेशान हो गए. उन्होंने अपने दामाद नवनीत का मोबाइल नंबर डायल किया, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला. उन्हें याद आया कि उन का नंबर दामाद ने ब्लौक किया हुआ था.

साक्षी भी यह बात अपने परिजनों को बता चुकी थी कि मायके वालों के नंबर ब्लौक लिस्ट में हैं.

इस के बाद उन्होंने साक्षी के ससुर चेतराम शर्मा को फोन किया, ‘‘भाईसाहब, आप ही बच्चों को समझाइए, काफी समय से यही सब चल रहा है. साक्षी का अभी फोन आया था और वह बता रही थी कि उस के साथ मारपीट भी की जा रही है.’’

‘‘देखिए भाईसाहब, यह उन का आपस का मामला है. नवनीत तो मेरी बात सुनता ही नहीं तो बताओ, मैं भी क्या कर सकता हूं.’’ चेतराम शर्मा बोले.

उन की बात सुन कर अशोक कुमार को बहुत निराशा हुई. इस से ज्यादा वह कर भी क्या कर सकते थे अलबत्ता वह चिंतित जरूर हो गए.

अशोक ने यह बात अपने बेटे सौरभ को बताई. उन का पूरा परिवार पूरी रात चैन की नींद नहीं सो सका. 21 जून की सुबह के करीब साढ़े 6 बजे नवनीत की मां लक्ष्मी का फोन आया और उन्होंने बताया कि साक्षी ने सुसाइड कर लिया है.

यह सुनते ही अशोक के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन का फोन केवल सूचनात्मक था. इस से ज्यादा उन्होंने कोई बात नहीं की. बेटी की मौत की खबर से अशोक के परिवार में कोहराम मच गया. आननफानन में पितापुत्र दिल्ली से अंबाला के लिए रवाना हो गए.

नवनीत और साक्षी रेसकोर्स स्थित आवास नंबर 115/04 में रहते थे. अशोक और सौरभ से वहां कोई बात करने को भी तैयार नहीं था. वह सीधे रेजीमेंट बाजार पुलिस चौकी पहुंचे और नवनीत व उस के परिजनों के खिलाफ बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त करने की तहरीर दे दी. पुलिस पहले ही इस मामले की तहकीकात में जुटी हुई थी.

दरअसल, पुलिस कंट्रोल रूम को 21 जून की सुबह इस घटना की सूचना मिली थी. कंट्रोल रूम से यह सूचना थाने को फ्लैश की गई. मामला हाईप्रोफाइल था, लिहाजा एसएसपी हमीद अख्तर ने अधीनस्थों को इस मामले में तत्काल सक्रिय होने के निर्देश दे दिए थे.

डीएसपी रामकुमार, इंसपेक्टर विजय व चौकी इंचार्ज कुशलपाल ने जांचपड़ताल शुरू की. पुलिस ने साक्षी के परिजनों की तहरीर पर दहेज उत्पीड़न की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया. साक्षी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. साथ ही उन के पति नवनीत को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

ओहदे थे ऊंचे पर जिंदगी थी नीरस

पुलिस की जांचपड़ताल और परिजनों से की गई पूछताछ में ऊंचे ओहदों के पीछे की ऐसी कहानी निकल कर सामने आई, जिस ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया. देश सेवा के लिए आर्मी जौइन करने वाली साक्षी की निजी जिंदगी में वास्तव में अंधेरा लिए हुए एक बड़ा तूफान चल रहा था.

साक्षी और नवनीत के बीच जानपहचान थी. पहले दोनों के बीच दोस्ती हुई और फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई. नवनीत का परिवार हरियाणा के पंचकूला जिले के पिंजोर कस्बे का रहने वाला था. नवनीत स्क्वाड्रन लीडर थे और साक्षी लेफ्टिनेंट. दोनों ही ऊंचे पद पर थे.

12 दिसंबर, 2018 को दोनों विवाह बंधन में बंध गए. साक्षी के परिजनों की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी. फिर भी उन्होंने अपनी हैसियत के अनुसार शादी में खर्च किया. शादी के बाद कुछ महीनों तक तो सब ठीक चलता रहा.

साक्षी ने एक बेटे को भी जन्म दिया. दोनों अच्छे पद पर थे. परिवार की खुशियों में चारचांद लगाने के लिए बेटा भी हो चुका था, लेकिन जिंदगी में कई बार पद और सुखसुविधाओं से खुशियों के मायने नहीं होते.

साक्षी और नवनीत के बीच मनमुटाव रहने लगा था. साक्षी ने शुरू में तो अपने परिवार में कुछ नहीं बताया, परंतु जब बात हद से ज्यादा बढ़ने लगी तो एक दिन उस ने अपने पिता को सारी बातें बताईं, ‘‘पापा, सोचा नहीं था कि ये लोग ऐसे होंगे.’’

बेटी की बात पर अशोक थोड़ा सकपका गए ‘‘मैं समझा नहीं बेटी?’’

‘‘पापा, ये लोग मुझे दहेज के लिए ताना मारते हैं. कभी कहते हैं कि गाड़ी नहीं दी, कभी कहते हैं कि रिश्तेदारों का मान नहीं रखा.’’ साक्षी ने बताया.

‘‘बेटी, इस से ज्यादा हम कर भी क्या सकते थे. तुम दोनों कमाते हो क्या किसी चीज की कोई कमी है. परिवार में यह सब बातें तो चलती रहती हैं. नवनीत को तुम समझाना.’’ अशोक ने कहा.

‘‘मैं ने बहुत समझाया है पापा, लाइफ को एडजस्ट तो बहुत कर रही हूं.’’ साक्षी बोली.

बेटी की बातें सुन कर अशोक कुमार को बहुत अफसोस हुआ. उन्होंने सोचा कि वक्त के साथ एक दिन सब ठीक हो जाएगा. यूं भी इंसान ऐसे मामलों में सकारात्मक ही सोचता है.

लालच ने घोली कड़वाहट

कहते हैं कि जब किसी परिवार में अनबन, शक और लालच जैसी चीजें घर कर जाएं, तो फिर कलह का वातावरण बन जाता है बिखराव बढ़ता चला जाता है.

साक्षी के परिवार में भी ऐसा ही हो रहा था. साक्षी के पिता और भाई ने भी नवनीत को समझाया, लेकिन उन्होंने उन्हें परिवार के मामले में दखल  न देने की नसीहत दे डाली.

साक्षी की जिंदगी में एक बार अनबन का सिलसिला शुरू हुआ, तो फिर उस ने रुकने का नाम नहीं लिया. बाद में हालात बिगड़ते देख अशोक खुद भी बेटी के घर गए और दोनों को समझा कर आए.

कुछ दिन तो सब ठीक रहा, बाद में स्थिति पहले जैसी ही हो गई. रिश्तों में दूरियां तब और भी बढ़ गईं जब नवनीत साक्षी पर शक करने लगे.

शक का दायरा इतना बढ़ गया कि नवनीत ने घर के बैडरूम तक में सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए. साक्षी के पिता और भाई फोन करते तो नवनीत झल्ला जाते. उन्होंने दोनों के नंबर तक ब्लौक कर दिए. साक्षी परिजनों को बताती थी कि उस के साथ मारपीट भी की जाने लगी है.

साक्षी के परिजनों को पूरी उम्मीद थी कि एक दिन सब ठीक जाएगा, लेकिन यह भी सच है कि इंसान सोचता कुछ है और हो कुछ और जाता है. परिवार के बिगड़े हालात के बीच आखिर साक्षी 20 जून, 2021 की रात जिंदगी की जंग हार गई.

पतिपत्नी के बीच अनबन में 20 जून को एक तूफान आया. दोनों के बीच झगड़ा और मारपीट हुई. साक्षी ने यह बात अपने पिता को भी फोन पर बताई थी. नवनीत के अनुसार, उन्होंने साक्षी को देर रात कपड़े के सहारे पंखे से झूलते हुए पाया. इस के बाद उन्होंने उसे नीचे उतारा और मिलिट्री हौस्पिटल ले गए, जहां डाक्टरों ने साक्षी को मृत घोषित कर दिया.

इस के बाद हौस्पिटल से पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी गई. साक्षी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण हैंगिग आया. नवनीत के घर पर लगे कैमरों की सीसीटीवी फुटेज डिलीट हो चुकी थी.

साक्षी के परिजनों का आरोप था कि सारी फुटेज को सच्चाई छिपाने के मकसद से डिलीट किया गया.

प्रताड़ना बनी मौत की वजह

साक्षी के परिजनों का साफ कहना था कि वह मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना से तंग आ चुकी थी. उन के दहेज के आरोपों में सच्चाई है तो सोचने वाली बात है कि बड़े पदों पर नौकरी करने वाले अच्छेखासे पढ़ेलिखे लोग भी दहेज के लालच में किस स्तर तक जा सकते हैं.

हालांकि दूसरी तरफ नवनीत शर्मा ने जेल जाने से पहले पुलिस कस्टडी में मीडिया के सामने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों से साफ इंकार कर दिया.

साक्षी ने वास्तव में आत्महत्या की या उस की हत्या की गई, पुलिस इस पहलू की भी बारीकी से जांच कर रही थी. प्रकरण की और भी सच्चाई तो पुलिस की पूर्ण जांच के बाद ही सामने आएगी.

अदालत इस मामले में सबूतों के आधार पर फैसला भी करेगी. लेकिन जब साक्षी नवनीत और उन के परिजनों की फितरत को समझ गई थी और जब उस का वहां तालमेल नहीं बैठ रहा था, तब वह वक्त रहते ऐसे रिश्ते से पीछा छुड़ा लेती तो शायद ऐसी नौबत कभी नहीं आती.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

चाची का चित्तचोर : चाची के जाल में फंसा मदनमोहन

राजस्थान के अलवर जिले के भिवाड़ी शहर के थाना यूआईटी के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को 15 फरवरी, 2021 की सुबह फोन पर सूचना मिली कि सेक्टर  4 व 5 के बीच सड़क पर एक व्यक्ति का शव पड़ा है. सूचना पा कर थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे.

मौके पर उन्हें वास्तव में एक युवक का शव पड़ा मिला. उन्होंने जब शव की जांच की तो उस के दोनों पैरों के अंगूठों से चमड़ी उधड़ी हुई दिखी. प्रथमदृष्टया ऐसा लग रहा था मानो मृतक की हत्या कहीं और कर के शव यहां ला कर डाला गया हो.

पुलिस ने इस नजर से भी जांच की कि मृतक कहीं दुर्घटना का शिकार तो नहीं हो गया. मगर मौकाएवारदात और शव को देखने से ऐसा नहीं लग रहा था. शव पर और किसी जगह चोट या रगड़ के निशान या खून निकला हुआ नहीं था. मामला सीधे हत्या का लग रहा था. मामला संदिग्ध लगा तो थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार ने मामले की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी.

भिवाड़ी एसपी राममूर्ति जोशी के संज्ञान में मामला आया तो उन्होंने एएसपी अरुण मच्या को घटनास्थल पर जा कर मामला देखने के निर्देश दिए. एएसपी अरुण मच्या और फूलबाग थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह भी घटनास्थल पर आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल टीम को भी वहां बुला कर साक्ष्य इकट्ठा करवाए. पुलिस अधिकारियों ने जांचपड़ताल के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. शव की शिनाख्त नहीं हुई थी. लेकिन जब तक शिनाख्त नहीं हो जाती. तब तक पुलिस हाथ पर हाथ धर कर बैठने वाली नहीं थी. पुलिस ने अज्ञात शव मिलने का मामला दर्ज कर लिया.

इस केस को सुलझाने के लिए एएसपी अरुण मच्या के निर्देशन में एक पुलिस टीम गठित की गई. इस टीम में यूआईटी थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार के साथ फूलबाग थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह सोलंकी, एसआई अखिलेश, हैडकांस्टेबल मुकेश कुमार, राकेश कुमार, मोहनलाल, कर्मवीर, रामप्रकाश, राजेंद्र, संतराम, सुरेश, ओमप्रकाश व ऊषा को शामिल किया गया.

मृतक की हुई शिनाख्त

इस पुलिस टीम ने मृतक के फोटो एवं पैंफ्लेट बना कर भिवाड़ी में सार्वजनिक स्थानों पर लगवा कर लोगों से शव की शिनाख्त की अपील की. साथ ही पुलिस टीम ने 2 दिन में लगभग 800 घरों में संपर्क कर शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की. वहीं पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले.

सीसीटीवी फुटेज में एक बाइक पर एक युवक और महिला किसी व्यक्ति को बीच में बैठा कर ले जाते दिखे. पुलिस ने मृतक की शिनाख्त कर ली. मृतक का नाम कमल सिंह उर्फ कमल कुमार था. मृतक कमल निवासी उमराया, छाता, जिला मथुरा का रहने वाला था और इन दिनों भिवाड़ी की प्रधान कालोनी, सेक्टर-2 में रह रहा था.

पुलिस ने मृतक कमल के घर जा कर पूछताछ की तो मृतक की बीवी जमना देवी अपने पति की हत्या की बात सुन कर रोने लगी.

पुलिस ने उसे ढांढस बंधाया और पूछताछ की. जमना देवी ने बताया कि उस का पति कमल एटीएम से रुपए निकलवाने गया था. जबकि मृतक के बड़े भाई भीम सिंह ने पुलिस को बताया कि 14 फरवरी, 2021 की रात कमल सिंह की पत्नी जमना देवी उन के घर आई थी. वह उस से बाइक की चाबी यह कह कर मांग कर लाई थी कि कमल को बल्लभगढ़ जाना है.

भीम सिंह ने तब बाइक की चाबी जमना को दे दी थी. पुलिस को लगा कि मृतक की बीवी गुमराह कर रही है. तब पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ करने के साथ ही सीसीटीवी फुटेज जमना देवी को दिखाई. सीसीटीवी फुटेज में बाइक पर बैठी महिला के कपड़े एवं जमना के पहने कपड़े एक ही थे.

पुलिस को पक्का यकीन हो गया कि कमल की हत्या में उस की पत्नी जमना का हाथ है. तब पुलिस ने जमना से कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में जमना टूट गई. उस ने कबूल कर लिया कि अपने प्रेमी और भतीजे मदनमोहन के साथ मिल कर पति की हत्या की थी.

तब पुलिस ने मृतक कमल सिंह की बुआ के पोते 19 वर्षीय मदनमोहन को फरीदाबाद, हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने मदनमोहन को मोबाइल की लोकेशन के आधार पर साइबर सेल एक्सपर्ट की मदद से धर दबोचा था.

पुलिस गिरफ्त में आते ही मदनमोहन समझ गया कि उस का भांडा फूट गया है. इसलिए उस ने भी कमल सिंह की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. इस तरह 19 फरवरी, 2021 को पुलिस ने हत्या के इस मामले से परदा हटा दिया. मदनमोहन को यूआईटी थाना पुलिस थाने ले आई.

शव की शिनाख्त होने के बाद कमल सिंह के शव का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया गया. मृतक के भाई भीम सिंह की तरफ से जमना देवी उर्फ लक्ष्मी जादौन और मदनमोहन जादौन के खिलाफ भादंसं की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

आरोपियों जमना देवी उर्फ लक्ष्मी और उस के प्रेमी भतीजे मदनमोहन से की गई पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार निकली—

कमल सिंह और भीम सिंह जादौन सगे भाई थे. कई साल पहले वह अपने गांव उमराया, थाना छाता, जिला मथुरा, उत्तरप्रदेश से राजस्थान के अलवर के भिवाड़ी शहर में आ बसे थे. दोनों भाई भिवाड़ी में किराए के मकान में रहते थे. दोनों भाई माश मेटल कंपनी चौक भिवाड़ी में नौकरी करते थे.

शादी के बाद दोनों भाई अलग हो गए थे. कमल सिंह अपनी पत्नी जमना देवी उर्फ लक्ष्मी के साथ प्रधान कालोनी, सेक्टर-2 में किराए के मकान में रहता था. वहीं भीम सिंह अपने बीवीबच्चों के साथ रामनिवास कालोनी, भिवाड़ी में रहता था. दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे. दोनों की तनख्वाह भी अच्छीखासी थी. जिस से घरपरिवार का खर्च आराम से चल रहा था.

शादी में दे बैठे दिल

जमना करीब एक साल पहले कमल की बुआ के पोते की शादी में गांव सांखी, मथुरा गई थी. शादी में वैसे भी सब लोग अच्छे कपड़े और शृंगार कर के शामिल होते हैं. महिलाएं और युवतियां तो ऐसे मौके पर सजनेसंवरने में कोई कसर नहीं छोड़तीं.

जमना ने भी मेकअप करा कर अच्छे कपड़े पहने. वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. शादी श्रीचंद जादौन के बड़े बेटे की थी. दूल्हे का छोटा भाई मदनमोहन भी उस समय खूब सजाधजा हुआ था. वह शक्लसूरत से भी ठीक ही था. दूल्हे के आसपास घूमते मदनमोहन और जमना की नजरें एकदूसरे से मिलीं तो दोनों एकदूसरे से नजरें नहीं हटा सके.

मदन को जहां जमना प्यारी लगी थी, वहीं जमना को भी मदन भा गया था. मदन उस समय 18 साल का गबरू जवान था. दोनों का रिश्ता वैसे तो चाचीभतीजे का था मगर उन की आंखों में एकदूजे के लिए अलग ही चाहत थी.

दोनों एकदूसरे को ऐसे देख रहे थे, मानो उन के अलावा उन के लिए वहां कोई और था ही नहीं. मदन ने जब भी इधरउधर देख कर जमना की तरफ देखा, वह उसे ही देखती मिली. मदनमोहन ने तब मौका पा कर जमना चाची से कहा, ‘‘चाची, क्या खूबसूरत लग रही हो. नयनों के तीर चुभो कर मेरा दिन घायल कर दिया.’’

सुन कर जमना हंस कर बोली, ‘‘तुम्हारे नयनों ने मेरा भी दिल घायल कर दिया. अब इस की मरहमपट्टी तुम्हें ही करनी पड़ेगी.’’

‘‘बंदा अभी हाजिर है. आप हुक्म करें. मैं दिल का नया डाक्टर हूं.’’ वह बोला.

‘‘अच्छा, तो डाक्टर साहब से दिल घायल हुआ उस का इलाज आज जरूर कराएंगे.’’ जमना ने हंस कर कहा.

ये बातें हो तो मजाक में रही थीं मगर दोनों के मन में एकदूजे के लिए चाहत जाग उठी थी. दोनों शादी के दौरान एकदूसरे से मिलते रहे. एकदूसरे की खूबसूरती की तारीफों के पुल बांधते रहे.

मौका रात में मिला तो दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. उन का चाचीभतीजे का रिश्ता वासना की आग में जल कर खाक हो गया. दोनों में एक नया रिश्ता कायम हो गया, जिस का अंत बहुत बुरा होने वाला था.

अगले दिन जमना जब गांव सांखी बुआ सास के घर से भिवानी आने की तैयारी कर रही थी तो मदनमोहन ने कहा, ‘‘चाची, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारे जाने के बाद मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी.’’

‘‘आज के बाद चाची नहीं जमना कहोगे.’’ जमना बोली.

तब मदनमोहन बोला, ‘‘जैसा आप का हुकम मेरी प्यारी डार्लिंग जमना. मुझे हर रोज फोन करना. मिलने भी बुलाना. क्योंकि मैं तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा.’’

‘‘जरूर मेरे राजा, मुझे भी तुम्हारी बहुत याद सताएगी. याद करूं तब दौड़े आना.’’ वह बोली.

‘‘जरूर आऊंगा.’’ मदन ने जमना की ओर देखते हुए रुआंसे स्वर में कहा.

इस के बाद दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर लिया. जमना भिवाड़ी आ गई. वह भिवाड़ी आ जरूर गई थी, लेकिन अपना दिल तो भतीजे मदनमोहन के पास छोड़ आई थी. यही हाल मदनमोहन का भी था. उसे जमना के बगैर कुछ भी अच्छा नहीं लगता था. मगर करते भी तो क्या. दोनों फोन पर बातें कर के दिल को तसल्ली देते रहते.

एक दो बार मदनमोहन भिवाड़ी भी आया और हसरतें पूरी कर वापस गांव मथुरा लौट आया. उन के बीच अवैध संबंध बने तो दोनों को दुनिया फीकी लगने लगी. मौका मिलने पर मदन भिवाड़ी आ कर जमना देवी से मिल जाता. दोनों कमल सिंह की गैरमौजूदगी में रास रचाते थे.

दोनों एकदूसरे से कोसों दूर रहते थे. एक भिवाड़ी में तो दूसरा मथुरा में. ऐसे में हर रोज मिलना संभव नहीं था. ऐसे में वे दोनों फोन पर बातें कर जी हलका करते थे.

घटना से 6 महीने पहले एक दिन कमल ने अपनी पत्नी जमना को किसी से हंसहंस कर अश्लील बातें करते पकड़ लिया. तब कमल ने उस से पूछा कि किस से बातें कर रही थी. जमना ने बताया कि वह मदनमोहन से ही बात कर रही थी. तब उस ने कहा, ‘‘अरे शर्म नहीं आई तुझे उस से ऐसी बातें करते. अगर आज के बाद किसी से भी इस तरह की बात की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

तब जमना ने कसम खा कर पति से कहा कि वह भविष्य में कभी भी मदनमोहन से बात नहीं करेगी. जमना ने पति से यह वादा कर तो लिया लेकिन मदन से बात किए बिना उस का मन नहीं लग रहा था. तब उस ने एक नई सिम ले ली. फिर वह उस नए नंबर से चोरीछिपे मदन से बतिया लेती. कमल ने सोचा कि बीवी ने मदनमोहन से बात करनी छोड़ दी है.

2 महीने बाद जमना को पुन: मदनमोहन से फोन पर बातें करते समय कमल ने पकड़ लिया. तब कमल ने जमना को जम कर पीटा और मदनमोहन को भी फोन कर के धमकाया, ‘‘हरामजादे, तेरे खिलाफ अपनी बीवी से बलात्कार करने का मुकदमा दर्ज कराऊंगा. तब तू सुधरेगा.’’

इतनी पिटाई के बाद भी जमना नहीं सुधरी. उसे अपने प्रेमी से बात करनी नहीं छोड़ी.

इस के बाद कमल सिंह ने एक बार फिर बीवी को मदनमोहन से बात करते पकड़ा. तब बीवी को पीटा और मदनमोहन को धमकी दी कि उस ने अगर 2 लाख रुपए नहीं दिए तो वह बलात्कार का मामला दर्ज करा कर सारे परिवार व रिश्तेदारों से तुम दोनों के अवैध संबंधों की पोल खोल देगा.

मदनमोहन डर गया. उस ने कहा कि उस के पास इतने रुपए नहीं हैं. वह रुपए किस्तों में दे देगा. वह बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज न कराएं. इस के बाद कमल ने 14 फरवरी, 2021 को फोन कर मदनमोहन को भिवाड़ी बुलाया. शाम 5 बजे मदनमोहन भिवाड़ी स्थित कमल के घर आया. इस के बाद कमल और मदनमोहन ने साथ बैठ कर शराब पी.

जब शराब का नशा चढ़ा तो कमल ने मदनमोहन से पूछा कि 2 लाख रुपए देगा तो बलात्कार का मामला दर्ज नहीं कराऊंगा. तब मदनमोहन ने कहा कि वह किस्तों में रुपए जरूर दे देगा.

इस के बाद कमल, जमना व मदनमोहन कमरे में एक ही बैड पर सो गए. कमल के दिमाग में तो उस समय कुछ और ही चल रहा था. वह चुपके से उठा और पास में सो रही अपनी बीवी और मदनमोहन के इस तरह फोटो खींचने लगा जैसे वे दोनों एक साथ सो रहे हैं.

फोटो खींच कर कमल ने मदनमोहन और जमना को जगा कर कहा, ‘‘अब मैं रिश्तेदारों को फोन कर के बुलाता हूं और पूरी कालोनी के लोगों को बुला कर बताता हूं कि मैं ने तुम दोनों को शारीरिक संबंध बनाते रंगेहाथों पकड़ा है.’’

तब कमल की पत्नी जमना बोली कि ऐसा मत करो. लेकिन कमल नहीं माना और जिद करने लगा कि वह लोगों को तुम्हारे अवैध संबंधों के बारे में बता कर ही रहेगा.

अपनी पोल खुलने के डर से मदनमोहन ने कमल सिंह को पकड़ लिया और जमना ने अपनी चुन्नी पति के गले में डाल कर जोर से कस दी, जिस से कमल की मृत्यु हो गई. तब मदन और जमना के हाथपांव फूल गए. मगर कमल तो मर चुका था.

तब दोनों ने कमल की लाश ठिकाने लगाने की योजना बनाई, जिस के तहत जमना उसी समय अपने जेठ भीम सिंह के घर गई और उन की बाइक की चाबी यह कह कर ले आई कि कमल को अभी एटीएम से पैसे निकालने बल्लभगढ़ जाना है.

जमना और मदन ने कमल की बाइक पर रात करीब एक बजे कमल के शव को इस तरह दोनों के बीच बिठा कर रखा जैसे किसी बीमार को अस्पताल ले जा रहे हैं. दोनों बाइक पर शव को बाबा मोहनराम के जंगलों में डालने के लिए रवाना हुए लेकिन सड़क पर आने पर बाइक के पीछे पुलिस गश्त की मोटरसाइकिल देख कर मदनमोहन ने बाइक हेतराम चौक से सेक्टर-5 की तरफ मोड़ दी.

सेक्टर-5 व 6 वाली रोड पर बस की लाइट दिखाई देने पर दोनों ने शव को सेक्टर-5 में खाली प्लौट के सामने सड़क किनारे पटक दिया और वापस घर आ गए. मोटरसाइकिल पर मृतक कमल के पैर जमीन पर लटक रहे थे, जिस के कारण दोनों पैरों के अंगूठे आगे से रगड़ कर छिल गए थे. लाश ठिकाने लगाने के बाद आरोपी मदनमोहन फरीदाबाद चला गया.

अगली सुबह यानी 15 फरवरी, 2021 सड़क पर शव देख कर साढ़े 7 बजे थाना यूआईटी भिवाड़ी फेज-3 के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को किसी राहगीर ने शव पड़े होने की सूचना दी. इस के बाद थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने मृतक की बाइक और जमना देवी व मदनमोहन के मोबाइल जब्त कर के पूछताछ के बाद दोनों को भिवाड़ी कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

बेटी ने दी बाप के कत्ल की सुपारी : भाग 2

अगले दिन राकेश की हत्या की जांच का काम तेजी से शुरू हो गया. कातिल तक पहुंचने के लिए पुलिस के पास बस अब एक ही रास्ता था कि वह इलाके में लगे सीसीटीवी की फुटेज का सहारा ले कर पता लगाए कि राकेश को गोली मारने वाले कौन लोग थे.

हांलाकि इस दौरान क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर धर्मेंद्र पंवार ने अपनी टीम के साथ इलाके में सक्रिय लूटपाट गिरोह से जुड़े कई बदमाशों को हिरासत में ले कर पूछताछ कर ली थी. सत्यता की जांच के लिए तमाम बदमाशों के मोबाइल नंबरों की लोकेशन भी देखी गई, मगर इस वारदात में किसी के भी शामिल होने की पुष्टि नहीं हो सकी.

सीसीटीवी से खुलना शुरू हुआ राज

इधर थानाप्रभारी अवनीश गौतम ने स्टेशन से घटनास्थल तक लगे 6 सीसीटीवी कैमरों की जांच की, तो पता चला कि उन में से एक खराब था. कुल बचे 5 सीसीटीवी कैमरे बाकायदा काम कर रहे थे. पुलिस को पूरी उम्मीद थी कि अगर हत्यारे काफी दूर से राकेश रूहेला का पीछा कर रहे थे तो कहीं न कहीं वे सीसीटीवी फुटेज में जरूर कैद हुए होंगे.

थाना पुलिस ने क्राइम ब्रांच की मदद से इन सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखनी शुरू कर दीं. इसी बीच 12 अप्रैल को कोतवाली प्रभारी अवनीश गौतम का तबादला हो गया. उन की जगह जितेंद्र सिंह कालरा आए.

जितेंद्र सिंह कालरा को यूपी पुलिस में सुपरकौप के नाम से जाना जाता है. कार्यभार संभालते ही नए थानाप्रभारी का सामना सब से पहले राकेश रूहेला के पेचीदा केस से हुआ. उन्होंने इस मामले में अब तक की गई जांच पर नजर डाली.

राकेश हत्याकांड के हर पहलू को बारीकी से समझने के बाद कालरा को लगा कि जांच आगे बढ़ने से पहले उन्हें उन सीसीटीवी फुटेज को जरूर देखना चाहिए.

कालरा ने क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर धर्मेंद्र पंवार और उन की टीम के साथ बैठ कर फुटेज देखने का काम शुरू किया. 5 घंटे तक फोरैंसिक एक्सपर्ट के साथ सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद आखिर पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिली.

पता चला कि जिस जगह राकेश रूहेला को गोली मारी गई थी, उस से 50 कदम की दूरी पर एक इलैक्ट्रौनिक शौप से राकेश ने कुछ सामान खरीदा था. उसी समय 2 युवक राकेश का पीछा करते हुए दिखे. इन में से एक के हाथ में तमंचे जैसा हथियार दिखाई दे रहा था.

हालांकि उन के चेहरे पूरी तरह तो नहीं दिख रहे थे, लेकिन आकृति देख कर ऐसा कोई भी व्यक्ति जिस ने उन लोगों को पहले कभी देखा हो, पहचान कर बता सकता था कि वे कौन हैं. सब से पहले थानाप्रभारी ने उस रात घटनास्थल के चश्मदीदों, इस के बाद मुकेश को थाने बुला कर उन से फुटेज देख कर कातिल की पहचान करने को कहा.

राकेश रूहेला की पत्नी कृष्णा व दोनों बेटियों तथा कृष्णा के देवर मुकेश ने सीसीटीवी में दिखे उन 2 लोगों को पहचानने से साफ इनकार कर दिया. लेकिन पुलिस को 2 ऐसे व्यक्ति मिल गए, जिन्होंने जांच को एक नई दिशा दे दी.

जिस किराने की दुकान के सामने राकेश को गोली मारी गई थी, उस समय उस दुकान के पास शैलेंद्र सिंह और राकेश का बेटा विशाल खड़े थे, उन्होंने सीसीटीवी में दिख रहे संदिग्धों की पहचान कर ली. शैलेंद्र ने फुटेज में दिख रहे दोनों युवकों की पहचान कर बताया कि राकेश को गोली मार कर जो युवक भागे थे, उन की आकृति बिलकुल सीसीटीवी फुटेज में दिखाई पड़ रहे युवकों जैसी ही थी.

संदेह गहराता गया, दायरा छोटा होता गया

शैलेंद्र ने बताया कि इन में से एक युवक को उस ने कई बार उसी गली में आतेजाते देखा था, जहां राकेश का घर था. कालरा ने गली के नुक्कड़ पर खड़े रहने वाले कुछ दूसरे लोगों से कुरेद कर पूछा तो उन्होंने भी दबी जुबान से बताया कि उन्होंने उस युवक को कई बार दिन में राकेश के घर आतेजाते देखा था.

इस के बाद थानाप्रभारी कालरा ने मृतक के परिजनों को भी सीसीटीवी फुटेज दिखाई. परिवार के सभी सदस्यों में से सिर्फ राकेश के 20 वर्षीय बेटे विशाल ने बताया कि सीसीटीवी में दिख रहे युवक का नाम समीर है, जो उस की बहन वैष्णवी उर्फ काव्या का पूर्व सहपाठी है और अकसर काव्या से मिलने के लिए भी आता था.

यह बात चौंकाने वाली थी. क्योंकि जब सीसीटीवी में दिख रहे युवक को राकेश की पत्नी व बेटियां जानतीपहचानती थीं तो उन्होंने उसे पहचानने से इनकार क्यों किया.

थानाप्रभारी कालरा को साफ लगने लगा कि दाल में कुछ काला है. क्योंकि जबजब उन्होंने कृष्णा और उस की दोनों बेटियों से पूछताछ की, तबतब वो रोनेबिलखने के साथ पूछताछ के मकसद को भटका देती थीं.

कालरा ने मृतक की पत्नी कृष्णा और उस के बच्चों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि कृष्णा की छोटी बेटी काव्या और समीर के बीच घटना के 2 दिन पहले से दिन और रात में कई बार बातचीत हुई थी. इतना ही नहीं जिस वक्त वारदात को अंजाम दिया गया, उस के कुछ देर बाद भी 3-4 बार दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई थी. समीर के मोबाइल नंबर की लोकेशन भी घटनास्थल के पास की मिली.

अब पूरी तरह साफ हो चुका था कि राकेश रूहेला की हत्या में कहीं न कहीं समीर शामिल है. पुलिस को यह भी पता चल गया कि समीर मोहल्ला हाजीपुरा नाला पटरी में रहने वाले डा. जरीफ का बेटा है.

समीर आया पुलिस की पकड़ में

थानाप्रभारी कालरा के पास अब समीर को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने के लिए तमाम सबूत थे. उन्होंने टीम के सदस्यों को उस का सुराग लगाने को कहा. आखिर एक कांस्टेबल की सूचना पर उन्होंने 17 अप्रैल को नाला पटरी के पास खेड़ी करमू के रेस्तरां से उसे हिरासत में ले लिया. उस समय उस के साथ मृतक राकेश की बेटी काव्या के अलावा समीर का चचेरा भाई शादाब भी था.

थानाप्रभारी ने समीर को थाने ले जा कर पूछताछ की तो उसे टूटने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. समीर ने कबूल कर लिया कि राकेश रूहेला की हत्या उस ने ही अपने चचेरे भाई शादाब के साथ मिल कर की थी और हत्या करने के लिए काव्या ने ही उसे मजबूर किया था. समीर से पूछताछ के बाद हत्या की जो हैरतअंगेज कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी.

काव्या की समीर के साथ पिछले 3 सालों से दोस्ती थी. वे दोनों हाईस्कूल में साथ पढ़ते थे. इंटरमीडिएट तक पढ़ाई के बाद काव्या कैराना स्थित एक कालेज से बीएससी करने लगी, जबकि समीर को उस के घर वालों ने एमबीबीएस की कोचिंग करने के लिए राजस्थान के कोटा में अपने एक रिश्तेदार के पास भेज दिया.