Crime Story : भांजे ने मामी को कुल्हाड़ी से काट डाला

Crime Story : मुकेश ने अपने भांजे धर्मेंद्र के लिए जितना कुछ किया, वह उस की मजबूरी इसलिए थी क्योंकि उस की पत्नी रीना उसे किनारे कर के धर्मेंद्र से प्यार करने लगी थी. यहां तक कि वह तब भी शांत रहा जब धर्मेंद्र ने रीना से कोर्टमैरिज कर ली. लेकिन उसी आशिक भांजे ने रीना को…

उत्तर प्रदेश के जिला औरैया का एक कस्बा है अजीतमल. यहीं का रहने वाला धर्मेंद्र वन विभाग में चौकीदार की नौकरी करता था. उस की शादी मैनपुरी की रहने वाली सुनीता से हुई थी. दोनों ही खुश थे. उन की घरगृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी. इसी दौरान सुनीता 2 बच्चों की मां बन गई. इस के बाद तो घर की खुशियों में और इजाफा हो गया. लेकिन ये खुशियां ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकीं. सुनीता बीमार हो गई और बीमारी के चलते एक दिन उस की मौत हो गई. पत्नी की मौत के बाद धर्मेंद्र जब नौकरी पर जाता, घर पर बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं रहता था. इस परेशानी को देखते हुए कुछ समय बाद वह अपने दोनों बच्चों को उन की ननिहाल में छोड़ आया और खुद रहने के लिए अपने मामा मुकेश के यहां चला गया.

मुकेश जिला मैनपुरी के गांव फैजपुर गढि़या में रहता था. वह एक फैक्ट्री में काम करता था. उस की शादी रीना से हुई थी, जिस से एक बेटा भी था. चूंकि धर्मेंद्र मुकेश का सगा भांजा था, इसलिए मुकेश ने उसे अपने घर के सदस्य की तरह रखा. पत्नी की मौत के बाद धर्मेंद्र एकदम खोयाखोया सा रहता था. मामा के यहां रह कर वह एकाकी जीवन काट रहा था. धीरेधीरे माया ने उस की पीड़ा को समझा और वह उस का मन लगाने की कोशिश करने लगा. धीरेधीरे वह घुलमिल कर रहने लगा तो उस की बोरियत दूर हो गई. साथ ही वह पत्नी की मौत का गम भी भूल गया. मामाभांजे दोनों अपनेअपने काम से लौट कर आते तो साथ मिल कर इधरउधर की खूब बातें करते थे.

दोनों की आपस में खूब बनती थी. धर्मेंद्र अपनी तनख्वाह से घर खर्च के कुछ पैसे अपनी मामी को दे देता था, जिस से घर का खर्च ठीक से चलने लगा. इसी बीच रीना एक और बेटे की मां बन गई, जिस का नाम प्रियांशु रखा गया. 28 साल की मामी रीना से धर्मेंद्र की खूब पटती थी. मामीभांजे के बीच हंसीठिठोली भी होती थी. धर्मेंद्र को मामी की सुंदरता और अल्हड़पन बहुत भाता था. कभीकभी वह उसे एकटक प्यारभरी नजरों से देखा करता था. अपनी ओर टकटकी लगाए देखते समय जब कभी रीना की नजरें उस से टकरा जातीं तो दोनों मुसकरा देते थे. धर्मेंद्र रीना के पति मुकेश से ज्यादा सुंदर और अच्छी कदकाठी का था. इस से रीना का झुकाव धर्मेंद्र के प्रति बढ़ता गया.

धर्मेंद्र रीना को दिल ही दिल चाहने लगा.  चूंकि वे मामीभांजा थे, इसलिए दोनों के साथसाथ रहने पर मुकेश को कोई शक नहीं होता था. मुकेश सीधेसरल स्वभाव का था, पत्नी और भांजे के बीच क्या खिचड़ी पक रही है, इस की मुकेश को कोई जानकारी नहीं थी. समय का चक्र घूमता रहा, धीरेधीरे दोनों एकदूसरे के करीब आते गए. एक दिन धर्मेंद्र ने जब मजाकमजाक में मामी को बांहों में भर लिया तो रीना ने विरोध नहीं किया, बल्कि उस ने दोनों हाथों से धर्मेंद्र को जकड़ लिया. धर्मेंद्र ने इस मूक आमंत्रण का फायदा उठाते हुए उस पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. इस के बाद अपनी मर्यादाओं को लांघते हुए दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं.

धर्मेंद्र चूंकि वहीं रहता था, इसलिए कुछ दिनों तक तो दोनों का खेल इसी तरह से चलता रहा. मुकेश को पता तक नहीं चला कि उस के पीछे घर में क्या हो रहा है. एक दिन मुकेश अचानक घर आया तो उस ने दोनों को आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया. लेकिन मौके की नजाकत को भांपते हुए रीना और धर्मेंद्र ने उस से माफी मांग ली. मुकेश ने रहम करते हुए दोनों से कुछ नहीं कहा और उन्हें माफ कर दिया. इस के कुछ दिनों तक तो रीना और धर्मेंद्र ठीक रहे, लेकिन मौका मिलने पर वे अपनी हसरतें पूरी कर लेते थे. मामा के सीधेपन की वजह से धर्मेंद्र की हिम्मत बढ़ गई थी. अब धर्मेंद्र अपनी मामी रीना से शादी करने के ख्वाब देखने लगा.

एक दिन उस ने अपने मन की बात रीना से कही. चूंकि रीना भी उसे प्यार करती थी, इसलिए 2 बच्चों की मां होने के बावजूद वह भांजे से शादी करने के लिए तैयार हो गई. किसी तरह शादी वाली बात मुकेश को पता चली तो वह परेशान हो गया. उस ने इस का विरोध किया. लेकिन जब रीना नहीं मानी तो उस ने रीना की पिटाई कर दी. रीना के सिर पर तो इश्क का जुनून सवार था, ऐसे में वह किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी. लेकिन मुकेश के लिए यह बड़ी बदनामी वाली बात थी. थकहार कर मुकेश ने गांव में पंचायत बैठाई. रीना ने पंचायत में भी स्पष्ट रूप से कह दिया कि वह पति मुकेश को छोड़ सकती है लेकिन धर्मेंद्र को नहीं छोड़ेगी. वह उस से शादी जरूर करेगी. रीना की जिद के आगे मुकेश व उस के घर वालों को झुकना पड़ा.

घर वालों की इस रजामंदी के बाद पंचायत में तय हुआ कि रीना मुकेश और धर्मेंद्र दोनों की पत्नी के रूप में रहेगी. इस के बाद रीना और धर्मेंद्र ने कोर्टमैरिज कर ली. शादी करने के बाद भी रीना मुकेश के घर में ही रहती रही. यह बात लगभग 7 साल पहले की है. इस के बाद रीना अपने पहले पति मुकेश और भांजे से दूसरा पति बने धर्मेंद्र के साथ दोनों की पत्नी बन कर रहने लगी. समय धीरेधीरे बीतने लगा. रीना दोनों पतियों के दिलों पर राज करती थी. वह चाहती थी कि उन दोनों से वह ज्यादा कमाई कराए. क्योंकि नौकरी से तो बस बंधीबधाई तनख्वाह मिलती थी, जिस से रीना संतुष्ट नहीं थी.

एक दिन धर्मेंद्र, मुकेश व रीना ने बैठ कर तय किया कि क्यों न यहां के बजाय शिकोहाबाद जा कर कोई दूसरा धंधा शुरू किया जाए. शिकोहाबाद में कबाड़ का व्यवसाय काफी बड़े पैमाने पर होता है, इसलिए उन्होंने वहां जा कर कबाड़ का काम करने का फैसला लिया. करीब ढाई साल पहले मुकेश और धर्मेंद्र गांव से जिला फिरोजाबाद के शहर शिकोहाबाद चले गए. उन्होंने लक्ष्मीनगर मोहल्ले में प्रमोद कुमार का मकान किराए पर ले लिया. फिर वे पत्नी रीना व बच्चों को भी शिकोहाबाद ले आए. यहां रह कर मुकेश और धर्मेंद्र मिल कर कबाड़ का कारोबार करने लगे. इसी दौरान रीना एक और बेटे की मां बन गई. धर्मेंद्र भले ही रीना का पति बन गया था, लेकिन वह अपने बच्चों से उसे भैया ही कहलवाती थी.

रीना दोनों पतियों के साथ सामंजस्य बना कर रह रही थी. दोनों ही उस से खुश थे. कहते हैं, समय बहुत बलवान होता है, उस के आगे किसी की नहीं चलती. इस परिवार में भी यही हुआ. जब दोनों का काम अच्छा चलने लगा, आमदनी बढ़ी तो धर्मेंद्र शराब पीने लगा. रीना इस का विरोध करती तो धर्मेंद्र उसे डांट देता. कभीकभी वह उस पर हाथ भी उठा देता था. रीना अब उस से डरीडरी सी रहने लगी. शराब की लत जब बढ़ गई तो धर्मेंद्र ने काम पर जाना भी बंद कर दिया. वह दिन भर घर पर रह कर शराब पीता रहता. लड़झगड़ कर वह रीना से पैसे ले लेता था. जब रीना पैसे नहीं देती तो वह घर में रखे पैसे चुरा लेता था. एक दिन तो वह रीना की सोने की झुमकी और चांदी की पायल तक चुरा कर ले गया. इस पर रीना और मुकेश ने उसे घर से निकाल दिया.

2 महीने धर्मेंद्र इधरउधर भटकता रहा. बाद में वह रीना के पास ही लौट आया. उस ने मुकेश और रीना से शराब न पीने तथा ढंग से चलने का वादा किया. इस पर रीना ने उस पर दया दिखाते हुए उसे फिर से घर में रख लिया. मकान मालिक प्रमोद कुमार और वहां रहने वाले अन्य किराएदारों ने रीना से धर्मेंद्र को फिर से साथ रखने को मना किया, क्योंकि वह आए दिन घर में झगड़ता रहता था. इस पर रीना ने कहा कि वह अकेला कहां धक्के खाएगा. थोड़े दिन सब कुछ ठीक रहा, लेकिन धर्मेंद्र को शराब की जो लत लग गई थी, उस के चलते वह फिर से शराब पीने लगा. रीना ने धर्मेंद्र को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उस ने अपनी आदतों में कोई सुधार नहीं किया. इस से घर में आए दिन लड़ाई होने लगी.

10 अगस्त, 2018 की रात करीब साढ़े 8 बजे की बात है. मुकेश के कमरे से अचानक शोरशराबे की आवाज आने लगी. बच्चे चिल्ला रहे थे, ‘मम्मी मर गईं, मम्मी मर गईं.’

शोर सुन कर प्रमोद के मकान के नीचे के हिस्से में रह रहे मकान मालिक प्रमोद कुमार व उन के परिवार के लोगों को लगा कि शायद खाना बनाते समय कमरे में आग वगैरह लग गई है. इसलिए वे पानी की बाल्टी ले कर ऊपर पहुंचे. ऊपर पहुंच कर उन्होंने जो नजारा देखा, उसे देख कर आंखें फटी की फटी रह गईं. रीना कमरे की देहरी पर मरी पड़ी थी, उस के सिर व चेहरे से खून बह कर कमरे में फैल गया. पता चला कि रीना के दूसरे पति धर्मेंद्र ने ही रीना की हत्या की थी. हत्या करने के बाद जब धर्मेंद्र भागने को था, तभी अन्य किराएदारों ने उसे पकड़ लिया था. वह उसे वहीं दबोचे खड़े रहे. प्रमोद ने इस की सूचना पुलिस को दे दी.

थानाप्रभारी विजय कुमार गौतम, सीओ संजय रेड्डी मय पुलिस टीम के कुछ ही देर में वहां पहुंच गए. लोगों ने पकड़े गए हत्यारोपी धर्मेंद्र को पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. मृतका के बड़े बेटे सनी ने बताया कि हम लोग अंदर टीवी देख रहे थे. मम्मी ने पापा से खाना खाने के लिए कहा. इतने में भैया (धर्मेंद्र) ने अंदर ले जा कर कुल्हाड़ी से मम्मी को मार डाला. उस ने बताया कि दोपहरी में भैया ने कहा था कि लाओ कुल्हाड़ी पर धार लगा लें. लकडि़यां काट कर लाएंगे. पुलिस ने जब धर्मेंद्र से पूछताछ की तो पता चला कि घटना के समय रीना कमरे के बाहर चूल्हे पर रोटी बना रही थी और उस के तीनों बच्चे खाना खा कर कमरे में टीवी देख रहे थे. कमरे में ही मुकेश चारपाई पर लेटा हुआ था.

रात को अचानक धर्मेंद्र नशे में सीढि़यां चढ़ कर ऊपर आया. रीना धर्मेंद्र से कुछ नहीं बोली, उस ने अपने बेटे सनी को आवाज देते हुए कहा, ‘‘पापा से कह दे, खाना खा लें.’’

रीना द्वारा धर्मेंद्र से खाना खाने के लिए न कहने से धर्मेंद्र बौखला गया. उस के तनबदन में आग लग गई. उस ने रीना के साथ गालीगलौज करते हुए कहा कि हम से खाना खाने के लिए नहीं पूछा. अभी खबर लेता हूं तेरी. कह कर वह गुस्से में कमरे में घुसा जहां बच्चों के साथ मुकेश मौजूद था. उस ने कमरे में रखी कुल्हाड़ी उठाई और चूल्हे पर रोटी बना रही रीना के बाल पकड़ कर उसे कमरे की देहरी पर ले जा कर लिटा दिया. फिर उस के सिर व चेहरे पर कई प्रहार कर उस की नृशंस हत्या कर दी. कमरे में चारों ओर खून फैल गया. अपनी आंखों के सामने मां को मारते देख बच्चे चिल्लाए, ‘‘मम्मी मर गई, मम्मी मर गई.’’

शोर सुन कर अन्य किराएदार वहां आ गए. धर्मेंद्र के हाथ में खून सनी कुल्हाड़ी देख कर वे सारा माजरा समझ गए. किसी तरह किराएदारों ने धर्मेंद्र को दबोच लिया, जिसे बाद में उन्होंने पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने मुकेश की तहरीर पर धर्मेंद्र के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर के अगले दिन उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अपनी भावनाओं पर अंकुश न लगा पाने वाली रीना रिश्तों की मर्यादा को लांघ गई थी. वह धर्मेंद्र के प्यार में इस कदर डूबी कि उसे अपने पति, बच्चों व समाज तक की परवाह नहीं रही. उस ने अपने भांजे से अवैध संबंध बनाने के बाद उस से कोर्टमैरिज तक कर ली. इस की कीमत उसे अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी.

—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित

 

Crime stories : मास काटने वाली छुरी से दोस्त के कर डाले 25 टुकड़े

Crime stories : ‘‘है  लो, आप गुड़गांव पुलिस कंट्रोल रूम से बोल रहे हैं?’’ एक आदमी ने घबराई हुई आवाज में फोन पर पूछा.

‘‘हां, यह पुलिस कंट्रोल रूम ही है. आप बताएं, क्या कहना चाहते हैं.’’ ड्यूटी औफिसर ने कहा.

‘‘साहब, आप गुड़गांव से ही बोल रहे हैं ?’’ फोन करने वाले ने संतुष्टि के लिए पूछा.

‘‘हां, हम गुड़गांव से ही बोल रहे हैं.’’ ड्यूटी औफिसर ने संजीदगी से जवाब दिया.

‘‘साहब, मैं पंजाब के लुधियाना से रूपेंदर सिंह बोल रहा हूं.’’ फोन करने वाले ने कहा, ‘‘साहबजी, बात यह है कि मेरे रिश्तेदार हरनेक सिंह ढिल्लन ने अपनी बीवी को मार डाला है और खुद भी सुसाइड करने जा रहा है.’’ एक ही बार में उस ने अपनी बात कह डाली. फिर बोला, ‘‘साहब जी, हरनेक को बचा लीजिए.’’

‘‘रूपेंदर सिंह जी, पहले यह बताएं कि आप के रिश्तेदार रहते कहां हैं?’’ ड्यूटी औफिसर ने सवाल किया.

‘‘साहब, वह गुड़गांव के डीएलएफ फेज-2 में जे ब्लौक में रहता है.’’

‘‘ठीक है, हम पुलिस भेजते हैं.’’ ड्यूटी औफिसर ने रूपेंदर सिंह को भरोसा दिया. यह 20 अक्तूबर की बात है. समय रहा होगा सुबह के करीब 10 बजे का. फोन पर रूपेंदर सिंह से मिली सूचना के आधार पर पुलिस कंट्रोल रूम ने डीएलएफ थाने को सूचना दीसूचना मिलने के कुछ ही देर बाद डीएलएफ थानाप्रभारी विष्णु प्रसाद कुछ पुलिस जवानों के साथ फेज-2 के जे ब्लौक के लिए रवाना हो गए. पुलिस 10 मिनट में मौके पर पहुंच गई. जे ब्लौक में पहुंच कर पुलिस ने हरनेक सिंह ढिल्लन के मकान के बारे में पूछताछ की. 2-4 लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस को हरनेक सिंह के मकान का पता चल गया.

वह 3 मंजिला कोठी थी. कोठी के बाहर पुलिस को ऐसा कुछ नजर नहीं आया जिस से यह लगता कि अंदर किसी ने हत्या कर के खुद सुसाइड कर लिया हो. पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला हरनेक सिंह दूसरी मंजिल पर रहता है. पुलिस दूसरी मंजिल पर पहुंची तो उसे हरनेक सिंह के घर के अंदर एक भयावह दृश्य से रूबरू होना पड़ा. बैड पर एक बुजुर्ग महिला की लाश पड़ी थी. उस का गला रेता गया था. गला रेतने के कारण खून पूरे बिस्तर पर फैला हुआ था. इसी कमरे में एक बुजुर्ग पड़ा हुआ था. उस की कलाई की नसें कटी हुई थीं और खून रिस कर बह रहा था.थानाप्रभारी ने बैड पर पड़ी बुजुर्ग महिला की नब्ज टटोल कर देखी. उस में जीवन के कोई लक्षण नहीं थे. इस के बाद बुजुर्ग की नब्ज देखी तो चलती मिली थी, वह अर्धमूर्छित था

पुलिस ने बुजुर्ग से उस का नाम पूछा तो उस ने हरनेक सिंह ढिल्लन बताया. पुलिस उस से कुछ और पूछताछ करती, इस से पहले ही हरनेक सिंह फिर से अचेत हो गया. पुलिस के लिए किसी भी तरह हरनेक सिंह की जान बचाना जरूरी था. हाथ की नसें काट लिए जाने से उस का काफी खून बह चुका था. थानाप्रभारी ने 2 सिपाहियों को हरनेक सिंह के मकान पर छोड़ा और खुद उन्हें अस्पताल ले गए. अस्पताल के डाक्टरों ने अविलंब हरनेक का उपचार शुरू कर दिया. समय पर इलाज मिल जाने और डाक्टरों के प्रयास से उस की जान बच गई.

रहस्यमय मामला जब यह सुनिश्चित हो गया कि हरनेक सिंह की जान बच जाएगी तो थानाप्रभारी विष्णु प्रसाद ने उस की कोठी पर जांचपड़ताल शुरू की. आसपड़ोस के लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि मरने वाली बुजुर्ग महिला का नाम गुरमेल कौर था. अभी प्राथमिक जांच चल ही रही थी कि डीएलएफ के सहायक पुलिस आयुक्त करण गोयल भी वहां पहुंच गए. एसीपी गोयल ने घटनास्थल की स्थिति देखनेसमझने के बाद थानाप्रभारी को वहां एकत्र लोगों की मौजूदगी में घर की तलाशी लेने और गुरमेल की हत्या हरनेक सिंह के सुसाइड का प्रयास करने के कारणों का पता लगाने के दिशानिर्देश दिए. मौके की आवश्यक काररवाई के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया.

गुड़गांव पुलिस को गुरमेल कौर की हत्या और हरनेक सिंह के सुसाइड करने की सूचना लुधियाना के रूपेंदर सिंह ने दी थी. इसलिए पुलिस ने रूपेंदर सिंह से फोन पर बात की तो उस ने बताया कि वह हरनेक सिंह का रिश्तेदार है. सुबह करीब 9 बज कर 40 मिनट पर हरनेक सिंह ने फोन कर के उस से कहा था कि मैं ने गुरमेल को मार डाला है और खुद सुसाइड  करने जा रहा हूं. रूपेंदर सिंह ने पुलिस को बताया कि हरनेक सिंह की बात सुन कर वह काफी घबरा गया था. वह गुड़गांव से दूर लुधियाना में था और किसी भी तरह हरनेक सिंह की जान नहीं बचा सकता था. इसलिए उस ने गुड़गांव पुलिस को फोन कर के मामले की जानकारी दे दी थी.

पुलिस ने जांचपड़ताल की तो हरनेक सिंह के कमरे से एक सुसाइड नोट मिला. यह सुसाइड नोट वसीयत के रूप में लिखा गया था. इस में हरनेक सिंह ने अपनी कोठी, बैंक बैलेंस समेत तथा अन्य संपत्तियों का बंटवारा बेटे और बेटी के अलावा एक रिश्तेदार के बीच करने की बात लिखी थी. सुसाइड नोट में हरनेक सिंह ने यह भी लिखा था कि मृत्यु के बाद उस की आंखें, किडनी, फेफड़े और हार्ट दान कर दिया जाए. पुलिस ने हरनेक सिंह के बेटेबेटी के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि बेटा मनजीत सिंह आस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में रहता है. वहां वह किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में अधिकारी है. हरनेक सिंह की बेटी कनाडा में अपने परिवार के साथ रहती थी. पुलिस ने हरनेक सिंह के बेटे और बेटी को फोन कर के इस घटना की सूचना दे दी

हरनेक सिंह के बच्चे विदेश में रहते थे, उन का कोई ऐसा करीबी रिश्तेदार भी नहीं था, जो गुड़गांव में रहता हो. इसलिए पुलिस ने हरनेक की पत्नी गुरमेल का शव अस्पताल के फ्रिजर में रखवा दिया ताकि बेटे के आने पर पोस्टमार्टम कराया जा सके. हरनेक सिंह के बेटे मनजीत सिंह ने पुलिस से कहा कि वह अर्जेंट में कोई फ्लाइट पकड़ कर जल्द से जल्द भारत पहुंच जाएगा. पुलिस ने हरनेक सिंह के बारे में उस के घर के आसपास रहने वालों से पूछताछ की तो पता चला कि वह मूलरूप से लुधियाना का रहने वाला था और वहां की एक आटोमोबाइल कंपनी में अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए थे. बाद में वह पत्नी गुरमेल कौर के साथ डीएलएफ फेज-2 के जे ब्लौक की इस कोठी में रहने लगा था, जो उन की अपनी थी. यह कोठी उस ने 10-11 साल पहले खरीदी थी.

आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि हरनेक सिंह किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था. लेकिन उस की पत्नी गुरमेल कौर पड़ोसियों से बोलतीचालती भी थीं और घुलीमिली भी थीं. पतिपत्नी रोजाना सुबह मौर्निंग वौक पर पार्क जाते थे. वहां गुरमेल कौर अन्य महिलाओं के साथ योगा करती थीं. बाद में पतिपत्नी आपस में बातें करते हुए पार्क से घर लौट आते थे. पड़ोसियों से पूछताछ में पुलिस के सामने यह बात जरूर आई कि हरनेक सिंह और उस की पत्नी गुरमेल 4-5 दिनों से परेशान नजर रहे थे. बीच में एकदो दिन के लिए वह बाहर भी चले गए थे, जिस की वजह से मौर्निंग वौक पर नहीं जा पाए थे.

उधर, अस्पताल में भरती हरनेक सिंह की हालत खतरे से बाहर तो हो गई थी, लेकिन वह पुलिस को बयान देने की स्थिति में नहीं था. फलस्वरूप इस बात का खुलासा नहीं हो सका कि हरनेक सिंह ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया था. ऐशोआराम की जिंदगी में ऐसा कदम क्यों?

 हरनेक सिंह के पास पैसे की कोई  कमी नहीं थी. उस की काफी अच्छी कोठी थी. बेटी कनाडा में अच्छे से सैटल थी और बेटा आस्ट्रेलिया की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में अधिकारी था. सुसाइड नोट में परेशानी की कोई वजह भी नहीं लिखी थी. ऐसी स्थिति में कोई ठोस वजह सामने नहीं आने पर पुलिस ने यही माना कि हरनेक सिंह ने अकेलेपन से परेशान हो कर पत्नी को मौत की नींद सुलाने के बाद खुद भी जान देने का फैसला किया होगा. दूसरे दिन पंजाब से रूपेंदर सिंह और कुछ अन्य रिश्तेदार गुड़गांव गए. रूपेंदर सिंह की शिकायत पर पुलिस ने 21 अक्तूबर को हरनेक सिंह के खिलाफ पत्नी की हत्या और सुसाइड नोट के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया. साथ ही पुलिस इस मामले से जुड़े कारणों की तलाश में जुटी रही

पुलिस को इस बारे में या तो हरनेक सिंह से जानकारी मिल सकती थी या फिर उस के बेटे मनजीत सिंह से. लेकिन परेशानी यह थी कि दूसरे दिन भी शाम तक हरनेक सिंह पुलिस को बयान दर्ज कराने की स्थिति में नहीं आया. वहीं, हरनेक का बेटा मनजीत भी आस्ट्रेलिया से शाम तक गुड़गांव नहीं पहुंचा था. मनजीत सिंह से पुलिस की बात हुई तो उस ने देर रात तक गुड़गांव पहुंचने की बात कही थी. इस बीच, पुलिस को पता चला कि हरनेक सिंह के संबंध जसकरण सिंह से रहे हैं. जसकरण उस का अच्छा परिचित था. जसकरण गुड़गांव के सेक्टर-29 इलाके के सरस्वती विहार में रहता था. वह 14 अक्तूबर से लापता था. जसकरण की पत्नी मनजीत कौर ने इस संबंध में 16 अक्तूबर को सेक्टर 29 पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी

इस रिपोर्ट में उस ने बताया था कि जसकरण 14 अक्तूबर को हरनेक सिंह से मिलने जाने के लिए घर से स्कूटी ले कर गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा था. जसकरण के लापता होने में उस के परिवार वालों ने हरनेक सिंह का हाथ होने की आशंका जताई थी. जसकरण के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज होने पर सेक्टर-29 पुलिस ने एक दिन हरनेक सिंह के घर जा कर उस से पूछताछ की थी, लेकिन हरनेक सिंह ने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि जसकरण के लापता होने से उस का कोई ताल्लुक है. हरनेक सिंह ने सेक्टर-29 थाना पुलिस के सामने यह बात जरूर कबूल की थी कि जसकरण 14 अक्तूबर को उस से मिलने आया था.

जसकरण का मामला सामने आने पर डीएलएफ थाना पुलिस कई एंगलों से इस मामले की जांचपड़ताल करने में जुट गई. पुलिस ने हरनेक सिंह के मकान के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो पता चला कि जसकरण सिंह 14 अक्तूबर को हरनेक सिंह के घर आया जरूर था, लेकिन वहां से वापस नहीं लौटा था. कहां गया जसकरण इस पर गुड़गांव पुलिस के आला अफसरों ने एक बार फिर हरनेक सिंह के मकान का जायजा लिया और पड़ोसियों से पूछताछ की. हरनेक सिंह के मकान से पुलिस को जसकरण की स्कूटी मिल गई. पुलिस ने वह स्कूटी अपने कब्जे में ले ली. अब पुलिस इस बात की जांच में जुट गई कि जसकरण का इस घटना से क्या संबंध था.

जांचपड़ताल चल ही रही थी कि मनजीत सिंह अपनी पत्नी किरणवीर कौर के साथ आस्ट्रेलिया से गुड़गांव गया. वह 22 अक्तूबर को पुलिस के साथ अपने पिता के मकान पर गया. कुछ देर वहां रुकने के बाद वह अपने दोस्त के घर चला गया. पुलिस की पूछताछ में मनजीत सिंह ने बताया कि पिता से उस की करीब 2 साल से बोलचाल नहीं थी. हां, वह अपनी मां गुरमेल से फोन पर रोजाना बात करता था. मनजीत ने पुलिस को बताया कि उस के पिता के पास डीएलएफ फेज-2 के जे ब्लौक की कोठी के अलावा अन्य कोई प्रौपर्टी नहीं है. इस कोठी में भी केवल दूसरी मंजिल का फ्लैट ही उन का अपना है, बाकी दोनों तल दूसरों के हैं. मनजीत ने पिता के लुधियाना स्थित पैतृक गांव में भी कोई संपत्ति नहीं होने की बात बताई

मनजीत ने पिता के लिखे सुसाइड नोट पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उन के पास कोई संपत्ति थी ही नहीं तो बंटवारा किस बात का होता. मनजीत ने सुसाइड नोट की हैंड राइटिंग को ठीक से पहचानने से मना कर दिया. मनजीत से पिता द्वारा की गई उस की मां की हत्या के कारणों के बारे में पूछा तो वह कोई कारण नहीं बता सका. मनजीत ने इतना जरूर बताया कि उस के पिता अच्छे आदमी नहीं थे, लेकिन वह बुरे  आदमी कैसे थे, इस बारे में वह कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे सका. कुल मिला कर पुलिस को हरनेक के बेटे मनजीत से गुरमेल कौर की हत्या और पिता के खुदकुशी के प्रयास तथा उन की परेशानी के कारणों के बारे में कोई महत्त्वपूर्ण सुराग नहीं मिल सका.

जरूरी पूछताछ के बाद पुलिस ने मनजीत सिंह से अस्पताल जा कर अपने पिता को देख आने को कहा, लेकिन मनजीत ने साफ मना कर दिया. एकदो रिश्तेदारों ने भी मनजीत से पिता को देख आने की बात कही, लेकिन उस ने किसी की बात नहीं मानी. बाद में पुलिस ने मनजीत की मौजूदगी में घटना के तीसरे दिन 22 अक्तूबर को गुरमेल कौर के शव का पोस्टमार्टम कराया. पोस्टमार्टम के बाद गुरमेल का शव मनजीत को सौंप दिया गया. मनजीत अंतिम संस्कार के लिए अपनी मां का शव लुधियाना ले गया. बड़ा खिलाड़ी निकला 77 साल का हरनेक

अस्पताल के डाक्टरों से इजाजत मिलने पर पुलिस ने हरनेक सिंह से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि लापता होने से पहले जसकरण आखिरी बार उस के घर आया था, इसलिए उस के परिवार वाले उस पर संदेह कर रहे हैं. पुलिस ने भी इस मामले में उस से पूछताछ की थी. जसकरण के घर वालों ने भी उस के घर कर हंगामा किया थाहरनेक ने पुलिस को बताया कि जसकरण ने उस से 40 लाख रुपए उधार ले रखे थे. उस के लापता होने से वह खुद परेशान था. जसकरण को गायब करने के आरोपों और उधार दी गई रकम की वापसी होने की आशंका से वह परेशानी और तनाव में था

इसी के चलते उस ने पहले 72 साल की अपनी पत्नी गुरमेल की हत्या की, और बाद में खुद अपनी जान देने का प्रयास किया. पुलिस ने हरनेक सिंह के बयान के आधार पर आईपीसी की धारा 302 और 309 के तहत 77 साल के हरनेक सिंह को 24 अक्तूबर को गिरफ्तार कर लिया. अगले दिन 25 अक्तूबर को पुलिस ने हरनेक सिंह को अदालत में पेश कर के 2 दिन के रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि के दौरान पुलिस ने हरनेक से कड़ाई से पूछताछ की तो एक ऐसे राज का पता चला, जिस से पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए. हरनेक सिंह से पूछताछ में जो कहानी सामने आई वह इस तरह थी

हरनेक सिंह ने अपने दोस्त जसकरण सिंह से सोने के व्यापार के सिलसिले में करीब 50 लाख रुपए उधार लिए थे. तय समय गुजर जाने के बाद भी हरनेक ने जब उधार की रकम वापस नहीं की तो जसकरण उस से अपनी रकम का तकाजा करने लगा. इस बीच हरनेक के मन में खोट गया था. वह जसकरण से उधार ली गई रकम वापस नहीं लौटाना चाहता था. इस के लिए हरनेक ने जसकरण की हत्या करने का फैसला कर लिया. साथ ही उस ने जसकरण के शव को ठिकाने लगाने की योजना भी बना ली. इस काम में हरनेक ने अपने एक पुराने नौकर जगदीश कुमार को सहयोग देने के लिए राजी किया. उत्तराखंड के चमोली का रहने वाला जगदीश पैसों के लालच में जसकरण की हत्या में सहयोग करने को तैयार हो गया.

करीब 38 वर्षीय जगदीश को हरनेक सिंह 2004 से जानता था. दरअसल, हरनेक सिंह पहले गुड़गांव के फेज-2 और सुशांत लोक-1 में 3 पेइंग गेस्ट हौस्टल संचालित करता था. इन पीजी हौस्टल के लिए हरनेक ने जगदीश को कुक के रूप में नौकरी पर रख रखा थाबाद में हरनेक ने पेइंग गेस्ट हौस्टल का अपना काम बंद कर दिया. इस से जगदीश बेरोजगार हो गया तो हरनेक ने उसे एक एजेंट के माध्यम से दिल्ली में नौकरी पर रखवा दिया. दिल्ली में नई नौकरी पर जगदीश का मन नहीं लगा तो वह वापस हरनेक के पास आया. हरनेक ने उसे पैसों का लालच दे कर जसकरण की हत्या के लिए तैयार कर लिया. पूरी साजिश रच कर हरनेक सिंह ने 14 अक्तूबर को अपने दोस्त जसकरण को उधार के पैसे देने के लिए घर बुलाया. जसकरण जब डीएलएफ फेज-2 में हरनेक सिंह के घर पहुंचा. उस समय जगदीश भी वहां था. हरनेक की पत्नी गुरमेल उस समय किसी काम से बाजार गई थी.

दोस्त को लगाया ठिकाने हरनेक सिंह पहले तो जसकरण से कुछ देर तक घरगृहस्थी और पैसों की बातें करता रहा. इस दौरान जसकरण और हरनेक सिंह में झगड़ा भी हुआ. झगड़े की आवाजें पड़ोसियों ने भी सुनी थीं. झगड़े के दौरान मौका मिलने पर हरनेक ने जगदीश के सहयोग से जसकरण की गला घोंट कर हत्या कर दी. इस के बाद हरनेक सिंह बाजार गया और मांस काटने वाली छुरी खरीद कर लाया. हरनेक सिंह ने घर कर जगदीश की मदद से जसकरण के शव के करीब 20-25 टुकड़े किए. इन टुकड़ों को दोनों ने प्लास्टिक की 2 बड़ी थैलियों में भर दिया. बाद में जगदीश वहां से चला गया. गुरमेल घर लौटी, तो हरनेक ने उसे जसकरण की हत्या करने की बात बता दी. जसकरण की हत्या कर दिए जाने की बात जान कर गुरमेल बुरी तरह डर गईं. लेकिन वह क्या कर सकती थीं. गुरमेल ने इस बात के लिए हरनेक सिंह से झगड़ा भी किया.

उसी दिन शाम को हरनेक सिंह पत्नी गुरमेल के साथ पंजाब जाने के लिए अपनी सैंट्रो कार ले कर घर से निकल पड़ा. कार में उस ने जसकरण के शव के टुकड़ों की दोनों थैलियां भी रख ली थीं. गुड़गांव से पंजाब के रास्ते में हरनेक को जहां भी मौका मिला, जसकरण के शव के टुकड़े फेंक दिए. बाद में 16 अक्तूबर की सुबह हरनेक और उस की पत्नी गुड़गांव अपने घर लौट आए. घर कर हरनेक ने अच्छी तरह से धुलाई कराई ताकि जसकरण की हत्या का कोई निशान बाकी रह पाए. हरनेक ने भले ही जसकरण की हत्या कर उस के शव को टुकड़ों में बांट कर ठिकाने लगा दिया था, लेकिन उसे खुद के पकड़े जाने का डर सताने लगा था. इस का कारण यह था कि जसकरण के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने उस से पूछताछ की थी. पुलिस उस से फिर से पूछताछ कर के घर की तलाशी ले सकती थी

हरनेक को डर था कि जसकरण की हत्या का राज खुलने पर पुलिस उसे पकड़ कर ले जाएगी. इस पर उस ने पत्नी गुरमेल के साथ मिल कर सामूहिक आत्महत्या करने की योजना बनाई, लेकिन गुरमेल ने आत्महत्या करने से साफ इनकार कर दिया. इस से हरनेक सिंह को यह शक हो गया कि कहीं पत्नी ही उस का राज किसी के सामने उगल दे. हरनेक की खतरनाक साजिश इस पर हरनेक सिंह ने एक और खतरनाक साजिश रची. उस ने 20 अक्तूबर की सुबह जब गुरमेल बैड पर सो रही थीं, गला काट कर उन की हत्या कर दी. इस के बाद हरनेक ने मामले को दूसरा रूप देने के लिए एक सुसाइड नोट लिखा. इस में अपनी संपत्ति के बंटवारे और जसकरण को मोटी रकम उधार देने की बात भी लिखी थी

सुसाइड नोट लिख कर हरनेक ने लुधियाना में रहने वाले अपने रिश्तेदार रूपेंदर सिंह को फोन किया और उसे पत्नी की हत्या करने तथा खुद के सुसाइड करने की बात बताई. इस के बाद हरनेक ने अपने हाथ की नसें काट लीं. रूपेंदर सिंह की सूचना पर गुड़गांव पुलिस समय पर उस के घर पहुंच गई और हरनेक की जान बचा ली. बाद में पुलिस ने हरनेक सिंह को फिर से रिमांड पर लिया और उस की निशानदेही पर पंजाब के लुधियाना की दोराहा नहर और कुछ अन्य जगहों से धड़ बाजू सहित जसकरण के शव के टुकड़े बरामद किए. हरनेक ने जसकरण का सिर और एक बाजू भाखड़ा बांध में फेंक दी थी, उन का पता नहीं चल सका

फरीदाबाद पुलिस ने दिल्ली के अलीपुर बौर्डर से जसकरण की एक टांग कपड़े बरामद किए. तीसरी बार रिमांड पर ले कर की गई पूछताछ के बाद पुलिस ने जसकरण की हत्या में हरनेक का सहयोग करने के आरोप में एक नवंबर को जगदीश को भी गिरफ्तार कर लिया. उसे उत्तराखंड के चमोली में उस के घर से पकड़ा गयाजगदीश ने जसकरण की हत्या के लिए हरनेक से 2 लाख रुपए लिए थे. 2 नवंबर को पुलिस ने हरनेक सिंह को अदालत पर पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इसे विडंबना कहेंगे कि 77 साल की उम्र में हरनेक सिंह ने करीब 50 लाख रुपए की रकम हड़पने के लिए पहले तो अपने ही दोस्त की हत्या कर दी और फिर पूरी कू्रूरता से उस के शव के टुकड़ेटुकड़े कर के यहांवहां फेंक दिए. अपने इस अपराध को छिपाने के लिए हरनेक ने अपनी ही पत्नी को भी मार डाला और खुद भी आत्महत्या का प्रयास किया

जसकरण की जान केवल इसलिए चली गई कि वह विदेश में सोने का व्यापार करना चाहता था. इस के लिए हरनेक के कहने पर उस ने उसे करीब 30 लाख रुपए उधार दे दिए थे. हरनेक ने कनाडा में रहने वाली अपनी बेटी के जरिए उसे विदेश में सोने का व्यापार चमकाने का लालच दिया था. इस के लिए जसकरण ने अपना फ्लैट भी बेच दिया था.

Murder Stories : सल्फास की गोली खिलाकर विवाहिता ने प्रेमी को मार डाला

Murder Stories : सोशल मीडिया ने दूर के लोगों को भी पास ला दिया है. जब चाहे एक मिनट में संदेश भेजो या औनलाइन बात करो. इस सब के लिए फेसबुक और वाट्सऐप सब से सशक्त माध्यम हैं. लेकिन इन्हीं माध्यमों का दुरुपयोग कर के लोगों को प्रताडि़त भी किया जाता है और ठगी भी खूब होती है…  

40 वर्षीय प्रशांत कुमार सोशल मीडिया में कुछ इस तरह खो गए थे कि उन का ज्यादातर समय मोबाइल पर ही बीतने लगा था. वह वाट्सऐप, फेसबुक मैसेंजर, ट्विटर पर फोटो, कविताएं, शायरी और तरहतरह के विचार डालते रहते थे. लोग लाइक या प्रशंसा में कमेंट करते तो वह और उत्साहित होते. वैसे उन्हें लिखनेपढ़ने का कोई शौक नहीं था. एक दिन उन्होंने फेसबुक खोला तो एक फ्रैंड रिक्वेस्ट आई हुई थी. उन्होंने प्रोफाइल खोल कर देखी, वह किसी लड़की की फ्रैंड रिक्वेस्ट थी. प्रोफाइल में लड़की का सुंदर सा फोटो लगा था. उन की फ्रैंड लिस्ट में तमाम लड़कियां और महिलाएं थीं, लेकिन ये सब वह थीं, जिन्हें प्रशांत ने अपनी ओर से फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी. उन्हें किसी लड़की ने पहली बार फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी.

लड़की की फ्रैंड रिक्वेस्ट कन्फर्म कर के वह फेसबुक सर्च कर रहे थे कि मैसेंजर पर एक मैसेज आया. उन्होेंने तुरंत मैसेंजर खोल कर देखा. उसी लड़की का मैसेज था, जिसे उन्होंने थोड़ी देर पहले कन्फर्म किया था. मैसेज में लिखा था, ‘हैलो’.

इस के बाद दोनों के बीच मैसेजबाजी शुरू हो गई. लड़की ने पूछा, ‘‘आप क्या करते हैं?’’

‘‘नौकरी करता हूं. क्यों?’’ प्रशांत ने मैसेज का जवाब मैसेज से दिया.

‘‘कितना वेतन मिलता है आप को?’’ लड़की ने पूछा.

लड़की के इस सवाल पर प्रशांत को गुस्सा गया. उन्होंने मैसेज भेजा, ‘‘मुझ से शादी करनी है क्या, जो मेरे वेतन के बारे में पूछ रही हो?’’

‘‘आप मेरे सवाल से नाराज हो गए?’’ लड़की ने मैसेज भेजा, ‘‘मैं ने तो यूं ही पूछ लिया था. वैसे आप बहुत अच्छे आदमी हैं.’’

‘‘आप को कैसे पता?’’ प्रशांत ने पूछा.

‘‘आप की पोस्ट से पता चला. आप अपनी वाल पर बड़ी अच्छी पोस्ट डालते हैं.’’ लड़की ने मैसेज भेजा.

यह मैसेज पढ़ कर प्रशांत की नाराजगी तुरंत दूर हो गई. उन्होंने भीधन्यवादलिख कर भेज दिया. साथ ही उन्होंने यह भी लिखा, ‘‘आप भी तो बहुत सुंदर हैं. मेरी फ्रैंड लिस्ट में जितनी भी लड़कियां हैं, उन सब से ज्यादा सुंदर.’’

प्रशांत ने यह संदेश लड़की को खुश करने के लिए भेजा था. उन्होंने जानबूझ कर उस की सुंदरता की तारीफ की थी. लड़की नेथैंक्यूके साथ मैसेज में यह भी लिखा, ‘‘आप भी तो बहुत अच्छे हैं और स्मार्ट भी.’’

लड़की की इस तारीफ पर प्रशांत खुश हो गए. मैसेज के माध्यम से दोनों के बीच बातों का दायरा बढ़ा तो बढ़ता ही गया. बातोंबातों में प्रशांत ने कह दिया कि कोई काम हो तो बताना.

 इस पर लड़की ने मैसेज भेजा, ‘‘जो काम बताऊंगी, आप कर देंगे?’’

‘‘मेरे करने लायक हुआ तो जरूर करूंगा.’’ 

प्रशांत के मैसेज भेजते ही लड़की का लंबा सा मैसेज आया, ‘‘मैं हौस्टल में रहती हूं. घर वालों ने जो पैसे दिए थे, खर्च हो गए. आप मेरा फोन रिचार्ज करा दीजिए, प्लीज.’’

‘‘इस से मुझे क्या फायदा होगा?’’ प्रशांत ने पूछा तो उस ने मैसेज भेजा, ‘‘आप से बातें करूंगी. जैसी आप चाहेंगे. वीडियो कालिंग भी.’’

बिना सोचेसमझे मैसेज भेजना भी खतरनाक मैसेजबाजी में बात यहां तक पहुंची कि लड़की कपड़े उतार कर वीडियो कालिंग करने को तैयार हो गई. प्रशांत के साथ ऐसा पहली बार हुआ था. कुछ समझ में नहीं आया तो उन्होंने चाहते हुए भी एक मैसेज भेज दिया, ‘‘मैं कैसे मानूं कि आप लड़की ही हैं. फेसबुक पर तो…’’

‘‘आप मुझ पर विश्वास कीजिए, मैं लड़की ही हूं.’’ मैसेज के साथ लड़की का फोटो भी गया. डीपी में भी वही फोटो लगा हुआ था. फोटो देख कर प्रशांत को समझते देर नहीं लगी कि वह फोटो फेसबुक से ही डाउनलोड की गई है. उन्होंने संदेश भेजा, ‘‘ठीक है, आप नंबर दो.’’

‘‘प्लीज, रिचार्ज करा दोगे ?’’ दूसरी ओर से संदेश आया.

‘‘इसीलिए तो नंबर मांग रहा हूं.’’ प्रशांत ने मैसेज भेजा. एक बार प्रशांत ने सोचा भी कि हो हो लड़की परेशानी में हो, इसलिए 3 महीने का नहीं तो एक महीने का पैक डलवा देते हैं.

लेकिन तुरंत उन के दिमाग में आया कि उन के रिचार्ज कराते ही उस ने उन्हें ब्लौक कर दिया तो. उन्होंने यह आशंका मैसेज द्वारा प्रकट की तो लड़की का संदेश आया, ‘‘मां कसम मैं ऐसा नहीं करूंगी. आप जिस तरह चाहेंगे, आप से उस तरह बातें करूंगी.’’

प्रशांत का दिमाग बड़ी तेजी से चल रहा था. वह समझ गए कि यह कोई फ्रौड है, वरना 400 रुपए के लिए कोई लड़की कपड़े उतार कर वीडियो काल क्यों करेगी? उन्होंने यह देखने के लिए उस से उस का नंबर मांग लिया कि वह नंबर देती है या नहीं. प्रशांत के मांगते ही उस ने नंबर के साथ शहर और कंपनी का नाम भी भेज दिया. थोड़ी देर बाद उन्होंने उस नंबर पर फोन किया. फोन उठा तो लड़के की आवाज आई. उन्होंने उसे धमका कर फोन काट दिया. इस के बाद उन्होंने इस बात की चर्चा अपने कुछ साथियों से की तो सब ने कहा कि वे बच गए. इस तरह के मैसेज अकसर आते रहते हैं और यह सब लड़के करते हैं.

इस से प्रशांत को पता चल गया कि फेसबुक मात्र दोस्तों को मिलाने, अपने विचार रखने और दूसरों के विचार जानने का ही मंच नहीं है. इस के माध्यम से बहुत कुछ होता हैनीरज की अलग कहानी प्रशांत की ही तरह नीरज भी फेसबुक पर काफी समय बिताते थे. उन की उम्र प्रशांत से कुछ ज्यादा थी. वह नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके थे, इसलिए अपना ज्यादातर समय मोबाइल पर ही बिताते थे. इस की एक खास वजह यह थी कि उन की फ्रैंड लिस्ट में कुछ ऐसे लड़के और कथित लड़कियां (जिन के नाम तो लड़कियों के थे, असल में वे लड़के थे) थीं. जिन से वह अश्लील चैट करते थे.

नीरज की फ्रैंडलिस्ट में एक लड़का था, जिस का नाम पीयूष मिश्रा था. उसी ने नीरज को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी. प्रोफाइल के हिसाब से लड़का ठीकठाक लगा था. इसलिए उन्होंने उस की रिक्वेस्ट कन्फर्म कर दी थी. एक सुबह वह फेसबुक सर्च कर रहे थे, फेसबुक से जुड़े मैसेंजर पर मैसेज आया. खोलने पर पता चला कि पीयूष मिश्रा ने गुडमार्निंग का संदेश भेजा था. उन्होंने भी जवाब में गुडमार्निंग लिख दिया. इस के बाद दोनों के बीच मैसेजबाजी का सिलसिला जुड़ा तो बात अश्लील मैसेजों पर जा कर रुकी. इस के बाद पीयूष ने अश्लील मैसेज भेजने शुरू कर दिए. नीरज ने सोचा था, सच्चाई जान कर उसे ब्लौक कर देंगे. पर जब संदेशों का आदानप्रदान होने लगा तो उन्हें भी मजा आने लगा. उन के लिए यह टाइम पास करने का साधन बन गया था

जैसेजैसे बात बढ़ती गई दोनों एकदूसरे से खुलते गए. नीरज ने पीयूष से ही बात करने के लिए मैसेंजर डाउनलोड कर लिया. जिस से मैसेज करने में ही नहीं, फोटो और वीडियो भेजने में आसानी रहे. जल्दी ही उन की हालत यह हो गई कि दोनों एकदूसरे को दिगंबर अवस्था में अपनेअपने फोटो भेजने लगे. फेसबुक की हकीकत जान कर नीरज फेसबुक पर ढूंढ कर स्मार्ट लड़कों को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजने लगे. रिक्वेस्ट कन्फर्म होने पर वह मैसेज भेज कर इसी तरह की बातें करने को उकसाते. ज्यादातर लड़के इस तरह की बातें करने से मना कर देते. जो तैयार हो जाते, उन से अश्लील चैट कर के वह अपना समय पास करते हैं.

नीरज इस तरह की चैटिंग में ऐसे रम गए कि उन्हें लगा कि फेसबुक सिर्फ इसी के लिए है. जो उन के मानमाफिक बातें करने से मना कर देता, तो उसे वह तुरंत ब्लौक कर देते. क्योंकि उन के लिए वह फालतू का आदमी होता था. इस तरह की अश्लील चैटिंग मात्र लड़के या बड़ी उम्र के पुरुष ही नहीं करते, कुछ महिलाएं और लड़कियां भी करती हैं, जो ऐसी चैटिंग कर के मजे लेती हैं. फेसबुक यानी सोशल मीडिया पर यह सब क्यों, कैसे और क्याक्या होता है, यह जानने से पहले आइए थोड़ा सोशल मीडिया के बारे में जान लेते हैं. क्योंकि लगभग सभी के मन में यह उत्सुकता होती है कि आखिर यह सोशल मीडिया है क्या?

सोशल मीडिया का अस्तित्व कहना गलत नहीं होगा कि सोशल मीडिया का अस्तित्व इंटरनेट की वजह से है. क्योंकि इंटरनेट से ही सोशल मीडिया चलता है. इंटरनेट पर विश्व की कुछ ऐसी जानीमानी वेबसाइटें हैं, जिन्होंने हमें सोशल मीडिया से अवगत कराया. इन में फेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, यूट््यूब, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट जैसी कई वेबसाइटें हैं. ये सभी वेबसाइटें मिल कर इंटरनेट के जमाने में सोशल मीडिया बनाती हैं. आज सोशल मीडिया एक ऐसा साधन बन गया है, जब आम आदमी भी अपने दिल की बात दुनिया के सामने रख सकता है और इस के लिए उसे किसी तरह की मेहनत भी करने की जरूरत नहीं है. इतना ही नहीं, इस सोशल मीडिया ने बहुत लोगों को रातोंरात स्टार बना दिया है. क्योंकि सोशल मीडिया पर किसी की फोटो या वीडियो वायरल होने में समय नहीं लगता.

यही नहीं, सोशल मीडिया ऐसे तमाम लोगों को भी सामने लाया है, जिन की प्रतिभा कोई नहीं जानता था. यूट्यूब एक ऐसी वेबसाइट है, जिस के माध्यम से लोग करोड़ों की कमाई कर रहे हैं, जबकि यह वेबसाइट औनलाइन डेटिंग के लिए बनाया गया था. लेकिन इसे गूगल ने खरीद लिया, जिस के बाद यह लोगों की कमाई का जरिया बन गया. अब आते हैं सोशल वेबसाइट फेसबुक पर. इस वेबसाइट के जरिए घर बैठे हजारों दोस्त बनाए जा सकते हैं. इस समय सोशल मीडिया में फेसबुक नंबर एक पर है. क्योंकि इस के यूजर्स सब से ज्यादा हैं. लेकिन सेलिब्रिटी और बड़ी हस्तियों की बात की जाए तो उन की पहली पसंद ट्विटर है. ट्विटर के जरिए ही वे अपनी बात आम लोगों और दुनिया के सामने रखते हैं. सोशल मीडिया द्वारा हम जो दोस्त बनाते हैं. उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

आमतौर पर फेसबुक पुराने मित्रों को खोजने, उन से जुड़ने और परिचितों के साथ संदेश और चर्चा करने के लिए उत्तम माध्यम है. इस माध्यम से लोग अपने फोटो, वीडियो और पसंद की अन्य चीजें, समाचार, जानकारियां और रचनाएं अपने मित्रों के साथ शेयर कर सकते हैं. मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक पुराने दोस्तों को खोजने, संपर्क करने, नए दोस्त बनाने और अपने विचार आसानी से दुनिया के सामने रखने और बिजनैस प्रमोशन के लिए किया था. यह अलग बात है कि हमारे यहां लोग इस का उपयोग दूसरे तरीके से करने लगे हैं. इसीलिए फेसबुक आज युवाओं की पहली पसंद बन चुका है. वे रात ढाईतीन बजे तक सोशल मीडिया पर लगे रहते हैं. इस में लड़केलड़कियां ही नहीं, बड़ी उम्र के पुरुष और गृहिणियां भी शामिल हैं.

जो लड़केलड़कियां घर से बाहर रहते हैं, उन्हें तो किसी का कोई डर नहीं है. इसलिए वे इस में खासा समय गंवाते हैं. ऐसा ही हाल उन पुरुषों का है जो परिवार से दूर अकेले रहते हैं. इसी तरह वे गृहिणियां भी इस का खूब आनंद लेती हैं, जिन के पति बाहर रहते हैं. इस की मुख्य वजह है चैटिंग, औडियो वीडियो कालिंग, अश्लील चैटिंग. इस के बारे में हर किसी को पता नहीं. लेकिन जिन्हें पता है, वे इस तरह के साथी खोज निकालते हैं, जो उन की पसंद की बातें करते हैं. विकास को भी पहले इस बारे में कुछ पता नहीं था. उस ने तो अपने दोस्तों से जुड़ने के लिए फेसबुक डाउनलोड किया था. दोस्तों से चैट के लिए वह मैसेंजर का उपयोग करता था.

दो दोस्तों की कहानी एक दिन वह अपने दोस्त रवि से चैटिंग कर रहा था, उसी दौरान उस ने विकास को कुछ फोटो भेजे. वे फोटो देख कर विकास यह सोच कर हैरान रह गया कि ये फोटो रवि के पास कहां से आए. फोटो एक 30-32 साल की महिला के थे, जिस के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. गले में मंगलसूत्र जरूर लटक रहा था, जिस से साफ पता लगता था कि वह शादीशुदा थी. हां, उस ने इतना जरूर किया था कि गरदन के ऊपर का हिस्सा काट दिया, जिस से उसे कोई पहचान सके.

फोटो देख कर विकास ने रवि से पूछा, ‘‘ये किस के फोटो हैं, तुझे कहां से मिले?’’

‘‘एक फेसबुक फ्रैंड ने भेजी हैं,’’ रवि ने कहा तो विकास ने मैसेज द्वारा हैरानी व्यक्त की, ‘‘फेसबुक फ्रैंड इस तरह के भी फोटो भेजती हैं?’’

‘‘वह मुझ से अश्लील चैटिंग करती थी. ऐसे में मैं ने उस से फोटो भेजने को कहा तो उस ने ये फोटो भेज दिए.’’ रवि ने बताया.

‘‘तू ने भी इसी तरह के अपने फोटो भेजे होंगे?’’ विकास ने पूछा.

  ‘‘नहीं, उस ने मांगे ही नहीं, इसलिए मैं ने नहीं भेजे.’’

  ‘‘अगर मांगे तो…?’’

‘‘पहले तो टालूंगा, नहीं मानी तो भेजना ही पड़ेगा. ऐसे दोस्त को छोड़ा तो नहीं जा सकता.’’ रवि ने मैसेज से जवाब दिया.

रवि से यह बात होने के बाद विकास की भी इस तरह की लड़कियों और औरतों से चैटिंग करने की इच्छा हुई. वह खोज में जुट गयाआखिर उस की मेहनत रंग लाई और अब उस की ऐसी कई महिला मित्र हैं, जो उस से अश्लील चैटिंग करती हैं. अब विकास दिन में तो इन से चैटिंग करता ही है, रात को भी देर तक मोबाइल पर लगा रहता है. मित्र बनाने के लिए उस ने वही तरीका अपनाया था, जैसा उस के दोस्त ने बताया था. मित्र यानी रवि द्वारा दी गई सलाह के अनुसार विकास ढूंढढूंढ कर फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता. कन्फर्म होने पर पहले वह उन के मैसेज बौक्स में हायहैलो और गुड मार्निंग के मैसेज भेजता. जवाब जाता तो वह पूछता, ‘‘कहां से हो, कैसी हो, क्या करती हो?’’

इन के भी जवाब जाते तो विकास समझ जाता कि महिला बात करने में उत्सुकता दिखा रही है. आगे पूछता, ‘‘आप के शौक यानी आप को क्या पसंद है?’’

इन सवालों के जवाब मिल जाते तो विकास को सारा रहस्य समझ में जाता और फिर शुरू हो जाती चैटिंग. चैटिंग होतेहोते ही फोटो के आदानप्रदान होने लगते हैं. कुछ दिनों बाद बिना कपड़ों के फोटो भेजे जाते हैं. यह सब अच्छा तो बहुत लगता है, लेकिन इस में खतरा भी बहुत है. लोग मजे लेने के लिए उत्तेजना में ऐसे फोटो भेज देते हैं, लेकिन कभीकभी इस तरह के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं या फिर लोग ब्लैकमेल होने लगते हैं. जिस से बदनामी तो होती ही है, घर तक छूट जाते हैं.

सुमन का भी कुछ ऐसा ही मामला है. घर में अकेली होने की वजह से उसे चैटिंग का चस्का लग गया था. पति सुबह निकल जाते तो रात साढ़े 10-11 बजे घर लौटते थे. घर में काम करने के लिए कामवाली आती थी. पति का दोनों टाइम का खाना लगभग बाहर ही यानी आफिस कैंटीन में होता था. सुमन का कोई बच्चा भी नहीं था, जो उसी के साथ समय कट जाता. पति के जाने के बाद रात साढ़े 10-11 बजे तक सुमन घर में अकेली रहती थी. कोई कामधाम भी नहीं रहता था. दोपहर का खाना वह कामवाली से बनवा लेती थी. टीवी भी कितना देखती. टीवी से ऊब जाती तो फोन में लग जाती.

फेसबुक, वाट्सऐप पर समय बिताती, पति से उस की चैटिंग होती ही रहती थी. इस के बावजूद कुछ सहेलियां थीं, जिन से वह चैटिंग करती थी. उस के मैसेंजर पर अन्य लोगों के भी मैसेज आते रहते थे. जिन्हें वह बिना देखे ही डिलीट कर दिया करती थी. एक दिन वह बोर हो रही थी तो इनबौक्स में पडे़ पेंडिंग मैसेज खोल कर पढ़ने लगी. इसी बीच एक और मैसेज आया तो टाइम पास के लिए उस ने उस का जवाब दे दिया. इस के बाद एकदूसरे का हालचाल पूछा गया. सुमन ने उस आदमी की प्रोफाइल खोल कर देखी तो प्रोफाइल के हिसाब से वह ठीकठाक लगा. फिर तो सुमन की उस आदमी से चैटिंग होने लगी. शुरूशुरू में यह चैटिंग समान्य रही, लेकिन कुछ ही दिनों में यह बैडरूम तक पहुंच गई यानी अश्लील चैटिंग होने लगी.

सुमन को भी इस में मजा रहा था, क्योंकि उस का समय आसानी से कट जाता था. पुरुष तो वैसे भी चालाक होता है. उस की नजर हमेशा स्त्री देह पर होती है. उस आदमी ने भी सुमन को बरगला कर उस के निर्वस्त्र फोटो प्राप्त कर लिए. पुरुषों में सब से गंदी आदत यह होती है कि इस तरह की बातें वे छिपा कर यानी अपने दिल तक नहीं रख पाते. दोस्तों पर रौब जमाने के लिए वे इस तरह की बातों को बढ़ाचढ़ा कर बताते हैं. इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. विकास के मामले की तरह सुमन से चैटिंग करने वाले उस आदमी ने सुमन के फोटो दोस्तों में बांट दिए.

चैटिंग में पुरुष भी बन जाते हैं महिलाएं नतीजतन सुमन के फोटो एकदूसरे से होते हुए आगे बढ़ते गए और वायरल हो कर वे उस के पति के परिचित तक पहुंच गए. इस से सुमन की बड़ी बदनामी हुई. अच्छा यह था कि पति समझदार था, जिस से घर टूटने से बच गया. इस तरह सोशल मीडिया का चस्का और मजा सुमन के लिए सजा बन गया. सुमन के तो फोटो ही वायरल हुए पर राजेश के साथ जो हुआ, वह किसी से कह भी नहीं सकता. उसे तो इस तरह ब्लैकमेल किया गया कि पैसे भी दिए और इज्जत भी गंवाई. राजेश युवा था, इसलिए वह लड़कियों को ही फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता था और फिर उन्हें मैसेज भेज कर बातें करने की कोशिश करता था. ऐसे ही उस की सुनीता नाम की एक लड़की से चैटिंग होने लगी

इस तरह के मामले में अकसर लोग लड़कियों के फोटो मांगते हैं, पर यहां उल्टा हुआ. सुनीता ने राजेश से उस के इस तरह के फोटो मंगवा लिए, जिन्हें देख कर कोई भी शरमा जाए. राजेश सुनीता के प्यार में इस कदर पागल था कि उस ने अपना पूरा फोटो उसे भेज दिया यानी चेहरे सहित. इस का नतीजा यह निकला कि सुनीता उसे ब्लैकमेल कर के पैसे ऐंठने लगी. यह बात यहीं तक सीमित नहीं रही. राजेश पढ़ाई कर रहा था, इसलिए वह ज्यादा पैसे कहां से देता. उस ने हाथ जोड़ लिए. तब सुनीता ने मिलने के लिए संदेश भेजा, ‘‘तुम ने मुझे बहुत पैसे दिए हैं. इसलिए मैं चाहती हूं कि तुम मुझ से कम से कम एक बार तो मिल लो. तुम्हें भी तो पैसे के बदले कुछ मिल जाए.’’

राजेश ने सोचा, चलो कुछ तो सुनीता ने उस पर दया की. वह सुनीता से मिलने उस के घर पहुंचा तो पता चला, वह लड़की नहीं 40 साल का आदमी था. कुछ मिलने की उम्मीद में गए राजेश को काफी कुछ गंवाना पड़ा. उस आदमी ने राजेश के साथ कुकर्म भी किया. वह आगे भी राजेश को परेशान करना चाहता था. लेकिन अब तक परेशान हो चुके राजेश ने उसे धमकी दे दी कि कुछ भी हो, अगर उस ने पैसे मांगे या किसी भी तरह परेशान किया तो वह उस की शिकायत पुलिस में कर देगा. राजेश की यह धमकी कारगर साबित हुई और उस आदमी ने राजेश के फोटो डिलीट कर दिए.

राजेश तो मात्र एक उदाहरण है. उस की तरह जाने कितनी लड़कियां और महिलाएं थोड़ा मजा लेने के चक्कर में ब्लैकमेल तो हो ही रही हैं, दुष्कर्म का शिकार होती हैं. अपनी जरा सी गलती की वजह से वे मुंह भी नहीं खोल पातीं. कई बार लड़कियों को मांबाप की कमाई भी चोरी कर के देनी पड़ती है. इस तरह की खबरें तो आए दिन अखबारों में पढ़ने को मिल रही हैं कि फेसबुक पर हुई दोस्ती के बाद लड़की को बुला कर नशीला पदार्थ दे कर दुष्कर्म कियामजे की बात तो यह है कि फेसबुक पर फ्रैंड लिस्ट में पता ही नहीं चलता कि फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजने वाली लड़की है या लड़का या जिसे फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज रहे हैं, वह कौन है.

इस बारे में कई लड़कियों से पूछने पर पता चला, उन के पास दिन में 50 से 60 फ्रैंड रिक्वेस्ट जाना आम बात है. कहने को तो ये सभी रिक्वेस्ट लड़कियों की होती हैं, जबकि असलियत यह होती है कि उन में एक भी लड़की नहीं होती. आज ज्यादातर लड़के या अश्लील चैटिंग करने वाले लड़की के नाम से फेसबुक आईडी बना कर प्रोफाइल में सुंदर लड़की की फोटो लगा देते हैं, जिस से कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि वह लड़की है या लड़का. इस का पता चैटिंग करने पर चलता है. क्योंकि लड़का जल्दी ही अश्लील चैटिंग करने लगता है

चैटिंग शुरू होते ही हायहैलो के बाद पहला सवाल यही होता है लड़का या लड़की. कुछ तो तुरंत बता देते हैं. लेकिन धूर्त टाइप के लड़के नहीं बताते. वे भी यही सवाल करते हैं. फिर जैसा जवाब मिलेगा. वैसा जवाब दे कर थोड़ी देर चैटिंग करेंगे. उस के बाद कहेंगे, ‘‘दीदी, आप से मेरा भाई या ब्वायफ्रैंड बात करना चाहता है.’’ इस के बाद अपना फोटो भेज कर पूछेंगे, ‘‘कैसा लगता है?’’

एक सर्वे के अनुसार सुंदर फोटो लगे जितने भी फेसबुक पेज हैं, उन में 99 प्रतिशत लड़कों के हैं. कोई भी लड़की या महिला किसी अजनबी लड़की या महिला को जल्दी फ्रैंड रिक्वेस्ट नहीं भेजती. इसलिए फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजने या स्वीकारने के पहले यह जरूर सोच लें कि जो शुरुआत ही गलत काम से हो रहा हो, उस के इरादे नेक नहीं हो सकते. यमुना ने लिखी बरबादी की स्क्रिप्ट इस तरह छोटामोटा मजा कभीकभी ऐसी सजा बन जाता है कि किसी की जान जाती है तो कइयों की जिंदगी बरबाद होने के साथ घरपरिवार तबाह हो जाता है. हरियाणा के रोहतक में अभी कुछ दिनों पहले ऐसा ही हुआ. रोहतक के सूर्यनगर की रहने वाली यमुना की समालखा के इनेलो नेता के मौल में सिक्योरिटी सुपरवाइजर की नौकरी करने वाले दीपक से फेसबुक पर दोस्ती हो गई

यमुना के पति सुरेश कुमार सीआरपीएफ में डीएसपी थे. वह जम्मू में तैनात थे. पति के बाहर रहने की वजह से यमुना सोशल मीडिया पर खासा समय बिताती थी. ऐसे में ही दीपक से उस की दोस्ती हो गई. पहले दोनों की मैसेंजर चैटिंग होती थी. साथ ही वाट्सऐप पर चैटिंग भी. कभीकभी दोनों की फोन पर बातें हो जाती थीं.  इस सब के चलते मिलने की बातें करने लगे. अंतत: यमुना दीपक से मिलने को राजी हो गई. दीपक तो उस से मिलने के लिए बेचैन था ही. दोनों की यह बात चल ही रही थी कि यमुना के पति सुरेश ने फोन कर के बताया कि वह एक महीने की छुट्टी ले कर घर रहे हैं. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया था कि वह किस तारीख को आएंगे. पति के आने से यमुना और दीपक के मिलने का प्रोग्राम एक महीने टल सकता था, इसलिए यमुना ने सोचा, वह पति के आने से पहले ही अपने इस नए प्रेमी से मिल ले.

यमुना ने 29 सितंबर की रात दीपक को बुला लिया. दीपक अपने एक दोस्त काली के साथ रहता था. काली से मौल जाने की बात कह कर दीपक अपनी मोटरसाइकिल से यमुना से मिलने निकल गया. रोहतक पहुंच कर उस ने मोटरसाइकिल बस अड्डे पर खड़ी कर दी. क्योंकि यमुना ने मना किया था कि वह किसी वाहन से नहीं आएगा, क्योंकि वाहन देख कर लोगों को शक हो सकता है. इस के बाद वह यमुना के घर पहुंच गया.दीपक ने रात यमुना के साथ उस के घर में बिताई. सुबह वह यमुना के घर से निकल पाता, उस के पहले ही उस का पति सुरेश कुमार घर गया. पत्नी के साथ किसी अजनबी को देख कर सुरेश कुमार ने दोनों को घर के अंदर बंद कर दिया और ससुराल वालों को इस बात की सूचना दे दी. यमुना ने गलती तो की ही थी. इस गलती को छिपाने के लिए उस ने एक और भयंकर गलती कर डाली.

इज्जत बचाने के लिए उस ने दीपक को जबरदस्ती सल्फास की गोली खिला दी, जिस से उस की मौत हो गई. कहते हैं दीपक जान बचाने के लिए गुहार लगा रहा था, लेकिन सुरेश घर के बाहर ही बैठा था. इसलिए मदद के लिए कोई नहीं सका. साले के आने पर सुरेश कुमार ने दरवाजा खोला तो दीपक को मरा हुआ पाया. निर्दोष फौजी पति भी फंस गया बीवी की वजह से इज्जत बचाने के लिए सुरेश कुमार ने साले की मदद से लाश को स्कूटी से ले जा कर ठिकाने लगा दिया. इन लोगों का सोचना था कि पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाएगी. लेकिन लाश मिलने पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो काल डिटेल्स और फोन की लोकेशन से यमुना तक पहुंच गई. सख्ती से की गई पूछताछ में सारा रहस्य खुल गया.

इस तरह सोशल मीडिया पर मजा लेने के चक्कर में उस ने जो गलती की, उस के लिए वह खुद तो जेल गई ही, अच्छीभली नौकरी वाले पति तथा भाई को भी जेल भेज दिया. देखा जाए तो यमुना के लिए सोशल मीडिया का मजा सजा बन गया. अच्छाखासा घर बरबाद कर दिया. दूसरी ओर दीपक को भी जान से हाथ धोना पड़ा. इस सब के अलावा एक चीज अकसर देखने को मिलती है. फेसबुक पर किसी सुंदर लड़की के फोटो के साथ एक मोबाइल नंबर दिया रहता है, जिस के साथ लिखा रहता है कि जिसे मुझ से दोस्ती करनी हो इस नंबर पर वाट्सऐप करे. उस नंबर पर मैसेज करते ही तुरंत जवाब आएगा, ‘अगर आप को मुझ से बातें करनी है तो आप 2000 रुपए पेटीएम करें.’ मांगने पर लड़की, अपने उत्तेजक फोटो भी भेज देगी. पर पैसे मिलने पर गालियां दे कर ब्लौक कर देगी.

इसी तरह यह भी लिखा मिल जाएगा कि मेरा मोबाइल नंबर 7599760333 है. मैं 200 रुपए ले कर वीडियो सैक्स करती हूं. जिस के पास पेटीएम हो, वह मुझे वाट्सऐप करे. लोग बिना मतलब परेशान करते हैं. इसलिए पैसे मिलने के बाद ही मैं फोटो भेजूंगी. अगर पैसे भेजने से पहले मैसेज किया तो ब्लौक कर दूंगी. यह सब तो लड़कियों की बातें हैं. इसी तरह की सूचनाएं लड़के भी अश्लील फोटो के साथ अपनी प्रोफाइल पर फोन नंबर के साथ देते हैं. इस में जिगोलो यानी कालबौय भी होते हैं और गंदी चैट करने वाले भी होते हैं.  सोशल मीडिया का सशक्त माध्यम कहे जाने वाले फेसबुक के माध्यम से ठगी भी होती है. किसी को सस्ता सामान या मकान दिलाने के बहाने ठगा जाता है तो किसी को शादी के नाम पर तो किसी को प्यार के नाम पर. सारा कुछ देखते हुए यही कहा जा सकता है कि बडे़ धोखे हैं इस राह में

   

Suicide story : करवाचौथ पर पति नहीं आया तो पत्‍नी ने गले में लगाया फंदा

Suicide story :  कहावत है कि डोर से कटी पतंग का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता. वह कहीं जा कर गिरे तो भी किसी काम की नहीं बचती. अपनी गृहस्थी की डोर को काट कर भागी मोहसिना का भी यही हश्र हुआ. कैसे…

18 अक्तूबर, 2019 को करवाचौथ था. खुशी उर्फ मोहसिना बानो ने भी पहली बार व्रत रखा था. मोहसिना बानो मुसलिम थी. उस ने अपनी मरजी से महेंद्र को पति के रूप में चुना था. चूंकि उस ने महेंद्र से शादी कर ली थी, इसलिए अपना नाम खुशी उर्फ परी रख लिया था. महेंद्र से शादी के बाद वह लखनऊ के थाना सरोजनी नगर क्षेत्र के गांव दादूपुर की नई कालोनी में रहने लगी थी. पति की दीर्घायु के लिए उस ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखा था. पड़ोसी महिलाओं से पूछ कर उस ने दिन में पूजा वगैरह भी की थी.

लाल रंग के जोड़े में सजनेसंवरने के बाद उस ने अपने पैरों में महावर लगाई, मांग में गहरे लाल रंग का सिंदूर भरा. साजशृंगार के बाद वह काफी खूबसूरत लग रही थी. शाम के 7 बज चुके थे लेकिन महेंद्र घर नहीं लौटा था. भूखे पेट रह कर उस ने महेंद्र का मनपसंद खाना भी बना लिया था. उसे महेंद्र के लौटने का इंतजार था ताकि चंद्रमा निकलने पर वह अर्ध्य दे सके. खुशी मन ही मन काफी उल्लासित थी. उस ने कई बार महेंद्र को फोन किया, लेकिन बात नहीं हो पाई. शाम को 5 बजे भी उस ने काल रिसीव नहीं की. पति के फोन न उठाने पर खुशी को बहुत गुस्सा आया. काफी देर बाद महेंद्र ने उस की काल रिसीव की तो खुशी ने इतना ही कहा कि तुम घर जल्दी आ जाओ. मैं इंतजार कर रही हूं. इतना कह कर खुशी ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

चंद्रमा निकल आया, लेकिन महेंद्र घर नहीं लौटा. पड़ोस की सभी महिलाएं अपनेअपने पति को देख कर चंद्रमा को अर्घ्य दे रही थीं. लेकिन खुशी पति के न आने से परेशान थी. वह खुशी की काल भी रिसीव नहीं कर रहा था. खुशी सोचसोच कर परेशान थी कि कम से कम आज पूजा के समय तो उन्हें घर पर होना चाहिए था. चंद्रमा निकलने के 2 घंटे बाद भी महेंद्र घर नहीं लौटा तो खुशी ने उसे गुस्से में वाट्सऐप मैसेज भेजे, उन का भी उस ने कोई जवाब नहीं दिया. रात करीब 12 बजे महेंद्र घर लौटा तो वह इस स्थिति में नहीं था कि पत्नी खुशी से कुछ कह सके.

अगले दिन लखनऊ के ही थाना बंथरा के निकटवर्ती जंगल में पुराहीखेड़ा से नरेरा गांव की तरफ जाने वाले रास्ते पर लोगों ने सुबहसुबह एक युवती का शव पड़ा देखा. शव खेत की सिंचाई के लिए बनाई गई नाली में अर्द्ध नग्नावस्था में था. किसी ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. सूचना पा कर थाना बंथरा के थानाप्रभारी रमेश कुमार रावत अपने साथ इंसपेक्टर (क्राइम) प्रहलाद सिंह, एसएसआई शिव प्रताप सिंह, एसआई अरुण प्रताप सरोज, सिपाही जी.एल. सोनकर, हैडकांस्टेबल अरविंद कुमार और अविनाश चौरसिया को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने घटना स्थल का निरीक्षण किया तो देखा,युवती के हाथपैरों में महावर और मेहंदी लगी थी. उस का चेहरा थोड़ा सा झुलसा हुआ था. मेहंदी रची हथेली पर ‘एम’ लिखा हुआ था. माथे पर बिंदी और मांग में सिंदूर था. घटनास्थल पर शव के पास नीले रंग की पालीथिन में एसिड की 3 खाली शीशियां मिली थीं, जिन में से एक शीशी में बचा हुआ थोड़ा सा एसिड था. लाश के पास ही नीले रंग का एक पर्स भी पड़ा मिला. पर्स की तलाशी ली गई तो उस में एक मोबाइल फोन मिला. पुलिस ने मौके पर मिला फोन और शीशियां अपने कब्जे में ले लीं.

निरीक्षण में पुलिस को युवती के गले पर किसी चीज के कसने के गहरे निशान दिखे. नाक से खून रिस कर सूख चुका था. उस के पैरों में न तो पायल थीं न ही बिछिया. नाक में सोने का एक फूल जरूर नजर आ रहा था. पुलिस ने वहां जमा भीड़ से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका. पुलिस ने अनुमान लगाया कि युवती शायद कहीं बाहर की रहने वाली रही होगी. उस की हत्या कहीं और कर, शव यहां ला कर फेंक दिया है.

पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया. इस के बाद थानाप्रभारी रमेश कुमार रावत ने महिला की बरामद की गई लाश के फोटो जिले के सभी थानों में भेजने के अलावा वाट्सऐप पर डाल दिए ताकि उस की शिनाख्त हो सके. इस के अलावा अज्ञात महिला की लाश बरामद करने की सूचना समाचारपत्रों में भी प्रकाशित करा दी. 22 अक्तूबर, 2019 को 2 व्यक्ति थाना बंथरा पहुंचे. थानाप्रभारी रमेश कुमार रावत ने उन से पूछा तो उन में एक व्यक्ति ने अपना नाम मुश्ताक अहमद बताया. वह गांव हामी का पुरवा जगदीशपुर, जिला अमेठी का रहने वाला था. उस ने अखबार में छपी युवती की तसवीर दिखाते हुए बताया कि ये जो फोटो छपी है, मेरी बेटी मोहसिना बानो (27) की है.

मुश्ताक अहमद ने आगे बताया कि करीब 8 साल पहले उस ने मोहसिना बानो का निकाह अपने गांव के ही मोहम्मद नसीम के साथ किया था. निकाह के बाद वह अपने शौहर के साथ मुंबई में रहने लगी थी. अब से करीब 4 महीने पहले मोहसिना मुंबई से कहीं गायब हो गई थी. हम सब ने उसे काफी तलाश किया, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. जब उस की कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली तो दामाद मोहम्मद नसीम ने 29 जून, 2019 को पवई (मुंबई) थाने में मोहसिना के गुम होने की सूचना लिखाई थी.

मुश्ताक ने आगे बताया कि साथ आए मेरे भतीजे अरमान ने अखबार में छपी तसवीर पहचानी तो हम लोग यहां आए. मुझे विश्वास है कि मोहसिना मुंबई से जिस व्यक्ति के साथ भागी थी, उसी ने उस की हत्या कर लाश खेतों में डाली होगी. थानाप्रभारी ने मुश्ताक अहमद को मोर्चरी ले जा कर लाश दिखाई तो उस ने लाश की शिनाख्त अपनी बेटी मोहसिना के रूप में कर दी. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने मुश्ताक की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या कर लाश छिपाने का मामला दर्ज कर लिया. मुकदमा दर्ज हो गया तो थानाप्रभारी ने खुद ही इस केस की जांच शुरू कर दी.

थानाप्रभारी ने सब से पहले मृतका के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से पता चला कि उस की ज्यादा बातें महेंद्र से होती थीं. महेंद्र भेलपुर कालोनी (जगदीशपुर) का रहने वाला था. पुलिस ने महेंद्र के बारे में पूछताछ की तो पता चला वह मोहसिना का पति था. उसी के साथ मोहसिना मुंबई से भाग कर आई थी और अपना नाम खुशी रख कर उसी के साथ रह रही थी. महेंद्र भी शादीशुदा था. उस की पहली पत्नी गांव में रहती थी. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने महेंद्र की काल डिटेल्स देखी तो पता चला कि संदीप नाम के युवक से महेंद्र की अकसर बातें होती थीं. जांच करने पर पता चला कि संदीप अमेठी जिले के गांव नियावा का रहने वाला था, जो महेंद्र की बोलेरो चलाता था.

इन दोनों से पूछताछ करने के बाद ही जांच आगे बढ़ सकती थी. लिहाजा पुलिस ने इन दोनों की तलाश शुरू कर दी. दोनों में से कोई भी घर पर नहीं मिला तो उन की खोजखबर के लिए मुखबिर लगा दिए गए. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने 24 अक्तूबर, 2019 को रात करीब 12 बजे दोनों को दादूपुर गांव के शराब ठेके के पास से हिरासत में ले लिया. महेंद्र और संदीप से मोहसिना के बारे में पूछताछ की गई तो महेंद्र ने बताया कि उस ने मोहसिना की हत्या नहीं की थी. करवाचौथ वाली रात को जब वह घर पहुंचा तो वह मृत अवस्था में थी. उस ने तो उस की लाश केवल ठिकाने लगाई थी. दोनों से विस्तार से पूछताछ के बाद मोहसिना की मौत की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी.

मोेहसिना बानो जनपद अमेठी के गांव हामी का पुरवा, जगदीशपुरके रहने वाले मुश्ताक अहमद की बेटी थी. मोहसिना अपने परिवार में सब से बड़ी थी. उस के अलावा उस की 2 बहनें व एक भाई और था. मोहसिना आधुनिक विचारों की महत्त्वाकांक्षी युवती थी. वह बहुत चतुर दिमाग की थी. घर के रोजमर्रा के काम निपटाने के बाद वह वाट्सऐप व फेसबुक पर लगी रहती थी. फेसबुक पर नएनए लोगों से दोस्ती कर के उन से घंटों बातें करना उस का शगल बन गया था. कभीकभी तो वह किसी से फोन पर घंटों बातें किया करती थी. एक दिन उस की अम्मी नूरजहां ने उस की फोन पर हो रही रोमांस भरी बातें सुन लीं.

तब उन्होंने झल्लाते हुए मोहसिना को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘तुझे दीनमजहब की बातों का बिलकुल डर नहीं है. पता नहीं किसकिस से बतियाती रहती है. तेरी यह बातें ठीक नहीं हैं, इन बातों से बदनामी के सिवा कुछ नहीं मिलता.’’

एक दिन यह बात नूरजहां ने अपने पति मुश्ताक अहमद को बताई और कहा कि मोहसिना के लिए अब कोई लड़का देख लो. कहीं ऐसा न हो कि हम हाथ मलते ही रह जाएं. पत्नी की बात सुन कर मुश्ताक अहमद की चिंता बढ़ गई. वह मोहसिना के लिए लड़का देखने लगे. इसी दौरान मुश्ताक के भतीजे अरमान ने अपने खानदानी भाई नसीम के बारे में चर्चा की. नसीम मुंबई में रहता था.

इस के बाद मुश्ताक ने नसीम के पिता सुलेमान से बात की. बात परिवार की थी, इसलिए सुलेमान मोहसिना के साथ बेटे का विवाह करने के लिए तैयार हो गए. सामाजिक रीतिरिवाज से सन 2011 में मोहसिना का निकाह नसीम से कर दिया गया. शादी के कुछ दिनों बाद नसीम मोहसिना को अपने साथ मुंबई ले गया. वह मुंबई के पवई इलाके में रहता था. मोहसिना मुंबई क्या पहुंची, जैसे उसे खुशियों का जहां मिल गया. उस ने शौहर नसीम के साथ अपनी जिंदगी के 8 साल हंसीखुशी से बिता दिए. इस दौरान वह 3 बेटों की मां बन गई. मुंबई में रह कर वह पूरी तरह आजाद हो गई. नसीम के काम पर चले जाने के बाद वह सैरसपाटा करने निकल जाती और शाम को वापस लौटती.

साल 2018 दिसंबर की बात है. परिवार में किसी की शादी का कार्यक्रम था. मोहसिना अपने शौहर के साथ मुंबई से अपने गांव हामी का पुरवा जगदीशपुर आई हुई थी. शादी के बाद नसीम उसे एकदो महीने के लिए उस के मायके में छोड़ गया. मोहसिना की ससुराल भी गांव में थी, इसलिए कुछ दिन वह ससुराल में भी रह लेती थी. अब वाट्सऐप पर बातें करना उस की रोजाना की आदतों में शुमार था.

शादी के दौरान ही मोहसिना की मुलाकात महेंद्र नाम के युवक से हुई थी. वह अपनी बोलेरो गाड़ी से वहां कोई सामान ले कर आया था. महेंद्र रसिक स्वभाव का था. पहली ही नजर में वह मोहसिना की तरफ आकर्षित हो गया था. सामान उतारने के दौरान जब वह घर में बैठ कर चाय पी रहा था तो उस ने मोहसिना से उस के बारे में पूछ लिया. मोहसिना ने बताया कि वह मुंबई में अपने शौहर के साथ रहती है. बातोंबातों में महेंद्र ने मोहसिना से उस का मोबाइल नंबर और मुंबई का पता भी पूछ लिया था.

मोहसिना के पूछने पर महेंद्र ने बताया कि वह अमेठी जिले के गांव कठौरा कमरोली का रहने वाला है, लेकिन इस समय भेल कालोनी जगदीशपुर, अमेठी में रह रहा है. उस की बोलेरो गाड़ी बुकिंग पर अलगअलग शहरों में जाती रहती है. मोहसिना ने पूछा क्या आप को मुंबई की बुकिंग भी मिलती है. महेंद्र ने बताया कि महीने में 1-2 बुकिंग उसे मुंबई की मिल जाती हैं. तब वह अपने ड्राइवर संदीप के साथ वहां जाता है. इसी बहाने उस का मुंबई में घूमनाफिरना भी हो जाता है. मोहसिना ने कहा कि अब की बार जब मुंबई आना हो तो उस के पास पवई जरूर आए. महेंद्र ने उस से इस बात का वादा कर दिया.

उस दिन की मुलाकात के बाद मोहसिना और महेंद्र की मोबाइल और वाट्सऐप पर अकसर बातचीत होने लगी. अपनी बातों के प्रभाव से महेंद्र ने मोहसिना को अपने जाल में फांस लिया. मोहसिना अपने दिल की बात उस से कह लेती थी. दोनों के बीच होने वाली बातों का दायरा बढ़ने लगा. यह दायरा उन्हें प्यार के मुकाम तक ले गया. इस बीच उन्होंने 2-3 बार चोरीछिपे मुलाकात भी कर ली. फिर एक दिन मोहसिना अपने मायके से पति के साथ मुंबई चली गई. जाने से पहले उस ने महेंद्र से कह दिया कि वह मुंबई का चक्कर जल्द लगा ले ताकि मुंबई में वह साथसाथ घूमफिर सके.

मोहसिना के मुंबई पहुंचने के बाद भी उस की महेंद्र से पहले की तरह वाट्सऐप पर रोजाना बातचीत चलती रही. वह शाम को पति के सामने भी वाट्सऐप और फेसबुक पर व्यस्त रहती थी. नसीम ने उसे काफी समझाया लेकिन वह नहीं मानी. एक दिन महेंद्र को मुंबई की बुकिंग मिल गई. यह जानकारी उस ने मोहसिना को दी तो वह काफी खुश हुई. उसे लगा जैसे उस की मुंहमांगी मुराद मिल गई हो. बुकिंग ले कर महेंद्र जब मुंबई पहुंचा तो वह मोहसिना से बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर मिला. महेंद्र से मिल कर वह बहुत खुश थी. इस के बाद महेंद्र ने उसे अपनी गाड़ी से घुमाया. दोनों ने काफी देर तक जुहू चौपाटी पर मस्ती की. इस के बाद महेंद्र उसे एक होटल में ले गया, जहां दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद महेंद्र ने उसे उस के बच्चों के स्कूल के पास छोड़ दिया. स्कूल से बच्चों को साथ ले कर मोहसिना वापस घर लौट आई.

महेंद्र मुंबई में 2 दिन रुका. दोनों दिन उस ने मोहसिना के साथ खूब मौजमस्ती की. नसीम मोहसिना की इस बात से बिलकुल अंजान था. महेंद्र व मोहसिना की यह मुलाकात ऐसे प्यार में बदली कि दोनों ने जीवनभर साथ रहने का इरादा कर लिया. मुंबई में मोहसिना की महेंद्र से हुई मुलाकात यादगार बन कर रह गई. वह दिनरात सपने बुनने लगी. वह पंख लगा उड़ कर महेंद्र के पास पहुंच जाना चाहती थी. महेंद्र ने भी मुंबई में मुलाकात के दौरान मोहसिना से वादा किया कि जब वह उस के साथ लखनऊ आ कर रहने लगेगी तो वह दरोगाखेड़ा में एक मकान खरीद कर उस के अलग रहने का बंदोबस्त कर देगा.

बातों के दौरान ही मोहसिना को यह जानकारी मिल ही गई थी कि महेंद्र पहले से ही विवाहित है और उस की पत्नी अपने बच्चों के साथ उस के पुश्तैनी घर कठौरा कमरोली, जनपद अमेठी में रहती है. महेंद्र अब हर महीने मोहसिना से मिलने मुंबई जाने लगा. वहां कुछ समय बिताने के बाद वह जगदीशपुर लौट आता था. एक दिन महेंद्र ने मोहसिना को वाट्सऐप मैसेज भेजा कि वह अपने पति का साथ छोड़ कर रहने के लिए लखनऊ आ जाए. मोहसिना महेंद्र की इतनी दीवानी हो चुकी थी कि उस की खातिर वह अपने पति और बच्चों को छोड़ कर जून 2019 के महीने में अकेले ही मुंबई से भाग कर लखनऊ आ गई और महेंद्र के पास आ कर रहने लगी. मोहसिना के घर से गायब होने के बाद पति नसीम ने उसे काफी तलाश किया.

वह कई दिनों तक अपनी रिश्तेदारियों में और अन्य जगहों पर उसे तलाश करता रहा. जब उस का कोई पता नहीं चला तो 29 जून, 2019 को उस ने मुंबई के पवई थाने में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. मोहसिना जब महेंद्र के पास पहुंची तो वह कुछ दिनों तक मोहसिना के साथ सरोजनी नगर थाने के दरोगाखेड़ा में किराए के मकान में रहा. इस के बाद उस ने दादूपुर गांव के पास नई कालोनी में 9 लाख रुपए का मकान खरीद लिया. यह मकान उस ने अपने दोस्त संदीप के नाम से खरीदा था. मोहसिना उसी मकान में रहने लगी. वह जब भी लखनऊ आता तो रात को मोहसिना के पास रहता. दादूपुर के मकान की बागडोर महेंद्र ने मोहसिना को सौंप दी थी.

इस के बाद महेंद्र ने एक मंदिर में उस से शादी भी कर ली. शादी के बाद उस ने अपना नाम खुशी उर्फ परी रख लिया था. वह हिंदू महिला की तरह ही रहती थी. पड़ोस में रहने वाली महिलाओं को पता नहीं था कि खुशी मुसलिम है और उस ने अपने पति व बच्चों को छोड़ कर महेंद्र के साथ दूसरी शादी की है. चूंकि खुशी उर्फ मोहसिना बातूनी थी इसलिए वह जल्दी ही मोहल्ले के लोगों से घुलमिल गई. समाज, घरपरिवार, शौहर और अपने 3 बेटों की परवाह न कर के मोहसिना पता नहीं किस नशे में मदमस्त हो कर प्रेमी महेंद्र के साथ लखनऊ में रह कर जिंदगी को ढो रही थी.

धीरेधीरे मोहसिना की परीक्षा की वो घड़ी आ गई, जहां महिलाओं को धर्म और संयम की मर्यादाओं से गुजरना पड़ता है. यानी करवाचौथ का त्यौहार आ गया. खुशी ने भी पड़ोसिनों के साथ करवाचौथ का निर्जला व्रत रखा. उस दिन महेंद्र घर पर अपनी ब्याहता और बच्चों से मिलने कठौरा कमरोली चला गया. उधर खुशी उस का इंतजार कर रही थी. उस का यह पहला व्रत था इसलिए उस के मन में ज्यादा उत्सुकता थी. लेकिन फोन करने के बावजूद महेंद्र उस के पास नहीं पहुंचा. रात को जब चंद्रमा दिखाई दिया तो पूजा के समय भी महेंद्र खुशी के पास मौजूद नहीं था. इस से खुशी को गुस्सा आ गया. उस ने वाट्सऐप पर महेंद्र को एक भावुक मैसेज भेजा, जिस में उस ने कहा कि तुम बेवफा निकले. मैं ने तुम्हारे प्यार की खातिर अपने बच्चे, पति और समाज को छोड़ा लेकिन तुम ने मेरी भावनाओं की कद्र नहीं की.

मैं सारे दिन (करवाचौथ वाले दिन) प्रतीक्षा करती रही, न तुम आए और न ही तुम ने फोन पर बताया कि कहां हो, इसे मैं क्या समझूं. जहां तक मैं समझती हूं, शायद तुम्हें मेरे प्यार की जरूरत नहीं रह गई है, तुम्हारी नजर में औरत सिर्फ एक खिलौना है, तुम्हें मेरे प्यार की नहीं जिस्म की ज्यादा जरूरत थी, इस से ज्यादा मैं क्या जानू. महेंद्र ने पुलिस को बताया कि 18-19 अक्तूबर, 2019 की रात को 12 बजे जब वह दादूपुर दरोगाखेड़ा के मकान पर आया तो उस ने देखा खुशी उर्फ मोहसिना गले में फंदा डाले पंखे से लटकी हुई थी. उस ने आत्महत्या कर ली थी. पत्नी को इस हालत में देख वह घबरा गया और उस ने नायलोन की डोरी का फंदा काट कर खुशी के शव को नीचे उतारा.

साथ ही उस ने अपने दोस्त संदीप को बोलेरो गाड़ी ले कर आने को कहा. संदीप रात 2 बजे करीब बोलेरो ले कर बंथरा पहुंचा. फिर दोनों ने खुशी उर्फ मोहसिना के शव को ठिकाने लगाने और सबूत नष्ट करने के उद्देश्य से बोलेरो में डाला. फिर उसे 5 किलोमीटर दूर पुराई खेड़ा, थाना बंथरा इलाके के एक खेत में डाल आए. मोहसिना का शव ले जाते समय महेंद्र टौयलैट क्लीन करने वाला ऐसिड साथ ले गया था. वह एसिड उस ने खुशी उर्फ मोहसिना के चेहरे पर डाल दिया, जिस से चेहरा थोड़ा झुलस गया था. घबराहट की वजह से वे दोनों खुशी उर्फ मोहसिना का पर्स, मोबाइल फोन और एसिड की खाली शीशियां वहीं छोड़ कर भाग निकले.

अगले दिन पुलिस को खुशी उर्फ मोहसिना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई, जिस में मौत की वजह गले में फंदा डाल कर दम घुटना बताया गया. पुलिस ने हत्या की जगह आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज कर दिया. आरोपी महेंद्र और संदीप की निशानदेही पर पुलिस ने लाश ठिकाने लगाने में प्रयुक्त हुई महेंद्र की बोलेरो नंबर यूपी 36 टी 2331 भी बरामद कर ली.

पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

 

Madhya Pradesh Crime : दोस्‍त के शराब में नींद की गोली मिला कर किया मर्डर

Madhya Pradesh Crime : शराब और शबाब तब घातक बन जाते हैं, जब आदमी उन का आदी बन जाए. अगर अवैध रिश्ते के साथ कोई शराब को भी प्रेमिका बना ले तो उसे अपनी उलटी गिनती शुरू कर देनी चाहिए. मयंक के मामले में भी यही हुआ…  

टना 25 सितंबर, 2019 की है. शाम के करीब 4 बजे थे. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ क्षेत्र का रहने वाला मयंक जब रात 10 बजे तक घर नहीं पहुंचा तो उस के पिता सुभाष खरे ने उसे खोजना शुरू कर दिया. मयंक शाम को कार ले कर घर से निकला थामयंक खरे के छोटे भाई प्रियंक खरे ने जब मयंक के मोबाइल पर फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ था. मयंक अविवाहित और बेरोजगार था. कोई काम करने के बजाए वह अपने पिता की कार ले कर दिन भर इधरउधर घूमता रहता था, जिस से उस के पिता परेशान थे.

मयंक के पिता सुभाष खरे शिक्षा विभाग में क्लर्क थे. उस समय टीकमगढ़ में भारी बारिश हो रही थी. समस्या यह थी कि ऐसे मौसम में उसे खोजने जाएं भी तो कहां जाएं. पिता सुभाष ने यह सोच कर मयंक के खास दोस्त इशाक खान को फोन लगाया कि हो हो उसे मयंक के बारे में कोई जानकारी हो. लेकिन उस के फोन की घंटी बजती रही, उस ने काल रिसीव नहीं की. इस से सुभाष खरे का माथा ठनका कि इशाक ने फोन क्यों नहीं उठाया

रात भर परिवार के सभी लोग मयंक की चिंता करते रहे. अगले दिन पिता सुभाष ने टीकमगढ़ थाने में मयंक की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. टीआई अनिल मौर्य ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए यह जानकारी टीकमगढ़ के एसपी अनुराग सुजनिया को दे दी. साथ ही मयंक का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया. मयंक का परिवार उस की खोज में लगा हुआ था. परिवार वालों की दूसरी चिंता यह थी कि मयंक के दोस्त इशाक खान ने उन का फोन क्यों रिसीव नहीं किया, उस की दुकान भी बंद थी. इशाक का भी कोई अतापता नहीं था. उस के घर वालों से जब उस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जताई

दरअसल, इशाक और मयंक के बीच कुछ कहासुनी हुई थी. वजह यह थी कि मयंक और इशाक की पत्नी शबाना के बीच नजदीकी संबंध थे. इस बात की जानकारी उस के परिवार वालों को भी थी. इसलिए पूरा संदेह इशाक पर जा रहा था. इशाक के इस तरह लापता होने मयंक के परिवार वालों का फोन नहीं उठाने से उन की चिंता बढ़ने लगी थी. मयंक के परिवार वालों ने इशाक और मयंक के बीच हुई कहासुनी की सारी जानकारी टीआई अनिल मौर्य को दी. टीआई मौर्य को घटना में अवैध संबंधों की बात पता लगी तो उन्हें मामला गंभीर नजर आया

उन्होंने इस नई सूचना से एसपी अनुराग सुजनिया को अवगत करा दिया. एसपी ने इस केस को सुलझाने की जिम्मेदारी एडिशनल एसपी एम.एल.चौरसिया को सौंप दी. उन्होंने एसडीपीओ सुरेश सेजवार की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में टीआई अनिल मौर्य, टीआई (जतारा) आनंद सिंह परिहार, टीआई (बमोरी कलां) एसआई बीरेंद्र सिंह पंवार आदि तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया. इस पुलिस टीम ने तेजी से जांचपड़ताल शुरू कर दी. पुलिस जांच में एक महत्त्वपूर्ण जानकारी यह मिली कि इस घटना में मयंक खरे के पड़ोसी इशाक के अलावा उस का एक रिश्तेदार इकबाल नूरखान भी शामिल है. पुलिस ने दोनों के घर दबिश दी, लेकिन दोनों ही घर से फरार मिले.

4-5 दिन कोशिश करने के बाद भी जब ये लोग नहीं मिले तो पुलिस ने पहली अक्तूबर को दोनों के खिलाफ मयंक खरे के अपहरण का मामला दर्ज कर लियाकई दिन बीत जाने के बाद भी जब पुलिस मयंक खरे के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा सकी तो कायस्थ समाज ने विरोध प्रदर्शन कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की. यह प्रदर्शन पूरे जिले में व्यापक स्तर पर किया था, जिस की गूंज आईजी सतीश सक्सेना के कानों तक पहुंची. आईजी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी अनुराग सुजनिया को निर्देश दिए कि केस का जल्द से जल्द परदाफाश किया जाए. उन्होंने अभियुक्तों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर दिया. उच्चाधिकारियों के दबाव में जांच टीम रातदिन काम करने लगी.

आखिर पता चल ही गया मयंक का मयंक के लापता होने के एक हफ्ता के बाद पुलिस को पहली सफलता उस समय मिली, जब उस ने 4 अक्तूबर को मयंक के अपहरण के मामले में इशाक खान, इकबाल और इन का साथ देने वाले रहीम खान, मजीद खान, रहमान खान को गिरफ्तार कर लियापुलिस ने उन से मयंक के बारे में पूछताछ की तो आरोपियों ने स्वीकार कर लिया कि वे मयंक की हत्या कर चुके हैं और उस की लाश घसान नदी में फेंक दी थी. हत्या की बात सुन कर पुलिस चौंकी. लाश बरामद करने के लिए पुलिस पांचों आरोपियों को ले कर उस जगह पहुंची, जहां उन्होंने मयंक खरे की लाश घसान नदी में फेंकी थी. पुलिस ने नदी में गोताखोरों से लाश तलाश कराई, लेकिन लाश वहां नहीं मिली.

घटना की रात तेज बारिश की वजह से नदी में बाढ़ जैसी स्थिति थी. इस से लाश दूर बह जाने की आशंका थी. एक आशंका यह भी थी कि लाश बरामद हो, इस के लिए आरोपी झूठ बोल रहे हों, इसलिए टीकमगढ़ के आसपास नदी तालाबों में लाश की तलाश तेज कर दी गई. आरोपियों से पूछताछ के बाद मयंक खरे की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह नाजायज संबंधों की बुनियाद पर टिकी थी. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ शहर के चकरा तिराहा इलाके में एक आवासीय इलाका है शिवशक्ति नगर. सुभाष खरे अपने परिवार के साथ शिवशक्ति नगर में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे थे, जिन में मयंक बड़ा था. सुभाष खरे के घर के ठीक बगल में रहमान खान का घर था. इशाक रहमान का ही बेटा था. इशाक की शादी हो चुकी थी, उस की बीवी शबाना बहुत खूबसूरत थी.

मयंक और इशाक की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं था. दोनों की बचपन से अच्छी दोस्ती थी. इशाक ड्राइवर था, जिस की वजह से वह अधिकांश समय घर से बाहर रहता था. छोटीमोटी आमदनी घर बैठे होती रहे, इस के लिए उस ने परचून की दुकान खोल ली थी, जिस पर उस की पत्नी शबाना बैठती थी. मयंक के घर में जरूरत का सामान शबाना की दुकान से ही आता था. मयंक खाली घूमता था, इसलिए शबाना की दुकान पर खड़े हो कर उस से बातें करता रहता था. शबाना खूबसूरत और चंचल स्वभाव की थी, इसलिए मयंक उसे चाहने लगा. शबाना को भी मयंक की बातों में रस आता था, इसलिए उस का झुकाव मयंक खरे की तरफ हो गया

मयंक ने खुद डाला आग में हाथ कुछ ही दिनों में मयंक शबाना का ऐसा दीवाना हो गया कि उसे दिनरात उस के अलावा कुछ सूझता ही नहीं था. इशाक से दोस्ती होने के कारण वह शबाना को भाभीजान कहता था. शबाना का दिल भी मयंक के लिए धड़कने लगा. आग दोनों तरफ लगी थी, इसलिए उन के बीच जल्द ही अवैध संबंध बन गए. इशाक जब कभी शहर से बाहर जाता तो मयंक और शबाना को वासना का खुला खेल खेलने का मौका मिल जाता था. जिस के चलते शबाना को मयंक अपने शौहर से ज्यादा अच्छा लगने लगा. लेकिन यह बात इशाक से ज्यादा दिनों तक छिपी रह सकी

धीरेधीरे इशाक को अपनी पत्नी और मयंक के बीच पक रही अवैध रिश्तों की खिचड़ी की महक महसूस हुई. फिर भी उस ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब पानी सिर के ऊपर जाने लगा तो वह दोनों पर कड़ी नजर रखने लगा. आखिर एक दिन उस ने शबाना को मयंक के साथ नैनमटक्का करते देख लिया. उस दिन उस ने शबाना की खासी पिटाई की. साथ ही उस ने मयंक से भी दूरी बनानी शुरू कर दी. लेकिन एक बार पास आने के बाद दूर जाने की बात तो मयंक को सुहाई और शबाना इस के लिए राजी थी, इसलिए शौहर के विरोध के बावजूद शबाना ने मयंक के साथ रिश्ते खत्म नहीं किए. इस के चलते इशाक और मयंक के बीच एकदो बार विवाद भी हुआ. इशाक के मना करने के बावजूद शबाना और मयंक अपनी इश्कबाजी से बाज नहीं रहे थे.

यही नहीं, इस बीच इशाक के घर में कुछ दिनों के लिए उस के रिश्तेदार की एक नाबालिग लड़की आई तो मयंक ने उस किशोरी से भी संबंध बना लिए. इस बात की खबर इशाक को लगी तो उस का खून खौल उठा. लिहाजा इशाक ने ऐसे दगाबाज दोस्त को ठिकाने लगाने की ठान ली. इशाक की मयंक से अनबन हो चुकी थी, जबकि अपनी योजना को अंजाम देने के लिए इशाक की मयंक से नजदीकी जरूरी थी. उस स्थिति में योजना को आसानी से अंजाम दिया जा सकता था. मयंक से फिर से दोस्ती बढ़ाने के लिए इशाक ने अपने चचेरे भाई इकबाल का सहारा लिया. इकबाल के सहयोग से उस ने मयंक से बात की.

मयंक वैसे तो काफी चालाक था. इशाक से वह सतर्क भी रहता था. लेकिन इशाक ने उसे समझाया कि देख भाई जो हुआ, सो हुआ अब आगे से ध्यान रखना कि ऐसा हो. रही हमारी दोस्ती की बात तो वह पहले की तरह चलती रहेगी. क्योंकि हमारे झगड़े में दूसरों को हंसने का मौका मिल जाता है. इशाक की बात सुन कर मयंक खुश हो गया. उसे लगा कि इस से वह अपनी भाभीजान शबाना से पुरानी नजदीकी पा लेगा. लिहाजा उस का फिर से इशाक के यहां आनाजाना शुरू हो गया. लेकिन उसे यह पता नहीं था कि इशाक के रूप में मौत उस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है.

इशाक ने मयंक को ठिकाने लगाने के लिए अपने चचेरे भाई इकबाल, पत्नी शबाना और दोस्त पन्नालाल कल्लू के साथ योजना बना ली. शराब का घातक दौर योजना के अनुसार 25 सितंबर, 2019 को इशाक ने फोन कर के मयंक को शराब की पार्टी के लिए बीलगाय कलां बुलाया. शाम के समय मयंक अपनी कार से 30 किलोमीटर दूर बीलगाय कलां पहुंच गया. वहां पर इशाक, इकबाल, कल्लू और पन्नालाल उस का इंतजार कर रहे थे. इशाक का एक घर बीलगाय कलां में भी था. सब उसी घर में बैठ कर सब शराब पीने लगे.

इशाक के दोस्त इकबाल ने मौका मिलते ही मयंक के शराब के गिलास में नींद की गोलियां डाल दीं. शराब पीने के बाद वे सभी मयंक की कार में बैठ गए. कार इशाक चला रहा था और मयंक उस के बराबर में बैठा था. एक जगह कार रोक कर इशाक ने अपने साथ लाई लाइसेंसी दोनाली बंदूक से मयंक पर गोली चलाई जो उस के कंधे में लगी. मयंक घबरा गया. डर की वजह से उस का नशा उतर चुका था. इशाक ने उस पर दूसरी गोली चलाई तो मयंक झुक गया, जिस से गोली कार का शीशा तोड़ कर निकल गई. इशाक केवल 2 गोलियां लोड कर के लाया था जो इस्तेमाल हो चुकी थीं.

मयंक को बचा देख इशाक ने इकबाल की मदद से मयंक का गला घोंट दिया. फिर वे लाश को ठिकाने लगाने के लिए निकल पड़े. कार ले कर वे वहां से 7-8 किलोमीटर दूर इटाली गांव पहुंचे, जहां कार खराब हो गई. इस से सभी परेशान हो गए, क्योंकि कार में लाश थी. वहां से 3-4 किलोमीटर दूर बाबई गांव था, जहां इकबाल के रिश्तेदार रहते थे, जो कार मैकेनिक थे. इकबाल ने फोन किया तो सईद, रईस और मजीद वहां पहुंच गए. उन्होंने कार ठीक कर दी तो वे लाश को नौगांवा ले गए और लाश चादर में लपेट कर घसान नदी में फेंक दी. इस के बाद इशाक बाबई गांव में अपने दूल्हाभाई रहमान के यहां गया. रात को  सभी वहां रुके और अगले दिन अपने घर गए.

हत्यारोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने रईस, शबाना, पन्नालाल को भी गिरफ्तार कर लिया. एक आरोपी कल्लू फरार था. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया. अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने लाइसेंसी बंदूक, मयंक की कार, चप्पल, खून सना कार सीट कवर बरामद कर लिया. सीट कवर के खून को पुलिस ने जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिया. साथ ही मयंक के पिता का खून का सैंपल भी ले लिया ताकि डीएनए जांच से यह पता चल सके कि कार के सीट कवर पर लगा खून मयंक का था.

 

Murder story : बेटी ने ही सुपारी देकर कराई मां की हत्‍या

Murder story : पैसा और जमीनजायदाद इंसान को अपनों से अलग कर के ऐसे मुकाम तक ले जाते हैं, जहां उन्हें अपराध करने में भी कोई संकोच नहीं होता. तभी तो इंदरराज कौर उर्फ विक्की को अपनी मां का कत्ल करवाते हुए जरा भी दर्द नहीं हुआ…   

दिन अमृतसर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश कर्मजीत सिंह की अदालात में सुबह से ही बहुत गहमागहमी थी. वकील और मीडियाकर्मियों के अलावा तमाम लोग भी वहां मौजूद थे. सभी के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि पता नहीं अदालत आज विक्की और उस के प्रेमी गणेश को क्या सजा सुनाएगी. इन दोनों पर आरोप यह था कि विक्की ने अपने प्रेमी गणेश से अपनी मां राजिंदर कौर की हत्या कराई थी. दोनों पर यह केस करीब 3 साल से चल रहा था. पूरा मामला क्या था, जानने के लिए हमें 3 साल पीछे जाना पड़ेगा.

21 जनवरी, 2015 की बात है. नरेश नाम के एक व्यक्ति ने अमृतसर के थाना मकबूलपुरा में फोन द्वारा सूचना दी थी कि दीदार गैस एजेंसी की मालकिन 67 वर्षीय राजिंदर कौर की किसी से उन की गोल्डन एवेन्यू स्थित कोठी नंबर 5 में हत्या कर दी है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अमरीक सिंह, एसआई कुलदीप सिंह, एएसआई बलजिंदर सिंह, सुरजीत सिंह, हवलदार प्रेम सिंह, मुख्तियार सिंह और लेडी हवलदार गुरविंदर कौर को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गएपता चला कि घटना वाली रात राजिंदर कौर अपनी कोठी में अकेली थीं. उन का बेटा तजिंदर सिंह 2 दिन पहले ही डलहौजी गया था और बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की किसी रिश्तेदारी में दिल्ली गई हुई थी.

राजिंदर कौर की हत्या बहुत ही सुनियोजित तरीके से की गई थी. हत्या के वक्त वे शायद कोठी की दूसरी मंजिल पर थीं, क्योंकि उन का खून दूसरी मंजिल से बह कर घर की पहली मंजिल पर वहां तक गया था, जहां खून से लथपथ उन की लाश पड़ी थी. घटनास्थल को देख कर यह साफ लग रहा था कि हत्यारों को इस बात की पूरी जानकारी रही होगी कि राजिंदर कौर घर में अकेली हैं. इतना ही नहीं वो इस घर के चप्पेचप्पे से वाकिफ रहे होंगे. क्योंकि हत्यारे गेट के पास लगे सीसीटीवी कैमरों को तोड़ कर बड़ी सावधानी से घर में घुसे थे और अपना काम कर के चुपचाप वहां से निकल गए थे.

मौका वारदात पर बिखरा हुआ सामान इस बात की गवाही दे रहा था कि मरने से पहले मृतका की हत्यारों से काफी हाथापाई हुई होगी. प्राथमिक तफ्तीश में पता चला कि राजिंदर कौर की नौकरानी सुबह के लगभग 11 बजे घर में काम करने के लिए आई थी. उस ने देखा कि घर की मालकिन राजिंदर कौर की लाश जमीन पर खून से लथपथ पड़ी थी. उस ने घबरा कर गैस एजेंसी फोन कर के यह बात नरेश को बताई और नरेश ने कर पुलिस के अलावा इस घटना की सूचना राजिंदर कौर की बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की को भी दी जो किसी रिश्तेदारी में दिल्ली गई हुई थी

मां की मौत की खबर मिलते ही विक्की भी उसी दिन पंजाब लौट आई. नरेश ने पुलिस को बताया कि गैस एजेंसी का 2 दिन का कैश कोठी में ही था. छुट्टी होने के कारण कैश बैंक में जमा नहीं करवाया गया था. पुलिस को यह मामला लूट और हत्या का लग रहा था. घटना की सूचना मिलने पर डीसीपी विक्रमपाल भट्टी, डीसीपी (क्राइम) जगजीत सिंह वालिया, एडीसीपी परमपाल सिंह, एसीपी बालकिशन सिंगला, एसीपी गौरव गर्ग, फोरैंसिक टीम सहित घटनास्थल पर पहुंच गए. फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से फिंगरप्रिंट और खून के सैंपल लिए.

हत्यारे कोठी से कितना कैश और जेवर ले गए थे इस बात का कोई पता नहीं लग सका. बहरहाल पुलिस ने 21 जनवरी, 2015 इंदरराज कौर उर्फ विक्की के बयान पर राजिंदर कौर की हत्या का मुकदमा अज्ञात हत्यारों के खिलाफ दर्ज कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दी. अमृतसर के न्यू गोल्डन एवेन्यू की कोठी नंबर-5 में मेजर दीदार सिंह औजला का परिवार रहता था. उन के परिवार में पत्नी राजिंदर कौर के अलावा बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की और बेटा तजिंदर सिंह उर्फ लाली थे. सन 1981 में मेजर साहब की मौत के बाद सरकार ने अनुकंपा के आधार पर फौजियों की विधवाओं को पेट्रौल पंप और गैस एजेंसियां वितरित की थीं. तभी राजिंदर कौर को भी एक गैस एजेंसी आवंटित हुई थी

राजिंदर कौर ने गैस एजेंसी का गोदाम और शोरूम सुल्तानभिंड रोड के अजीत नगर में खोला था. गैस एजेंसी को वह स्वयं ही संभालती थीं. कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद बेटी विक्की भी एजेंसी पर जाने लगी थी. लाली अभी पढ़ रहा था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार राजिंदर कौर की हत्या दम घुटने से हुई थी. हालांकि उन के सिर पर चोटों के गहरे घाव थे पर उन की मौत गला घोंटे जाने के कारण ही हुई थी

2 दिन तक पुलिस को इस केस का कोई सिरा हाथ नहीं आया था. पुलिस इस बात को मान कर चल रही थी कि हत्यारा राजिंदर कौर के परिवार का परिचित रहा होगा. लेकिन 2 दिन बाद पुलिस ने अपनी जांच की दिशा बदल दीपुलिस ने राजिंदर कौर, उन के बेटे तजिंदर उर्फ लाली, इंदरराज कौर उर्फ विक्की के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो विक्की की काल डिटेल से पुलिस को कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं. विक्की की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर आया जिस पर विक्की की दिनरात कईकई घंटे बातें होती थीं. वह नंबर किसी गणेश नाम के व्यक्ति का था.

इस बार पुलिस के हाथ कुछ ऐसा क्लू लगा था, जिस के सहारे वह अपनी जांच को आगे बढ़ा सकती थी. इस के पहले पुलिस अंधेरी गलियों में ही भटक रही थी. पुलिस ने राजिंदर कौर के पड़ोसियों और गैस एजेंसी पर काम करने वालों से भी पूछताछ की थी.  इस पूछताछ में पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगे थे, यह बात तय थी कि जो कुछ भी हुआ था. वह कोठी के अंदर से ही हुआ था. बाहर के किसी व्यक्ति का इस हत्याकांड से कोई लेनादेना नहीं था. हत्यारे एक रहे हों या 2 इस से अभी कोई फर्क नहीं पड़ना था. समझने वाली बात यह थी कि आखिर राजिंदर कौर की ही हत्या क्यों की गई थी. उन की हत्या से किसे फायदा पहुंचने वाला था. आखिर घटना के चौथे दिन 2 ऐसे गवाह खुद पुलिस के सामने आए, जिन्होंने इस केस का रुख पलट कर हत्यारों का चेहरा पुलिस के सामने रख दिया था.

28 जनवरी, 2015 को पुलिस ने राजिंदर कौर की हत्या के आरोप में 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. उन में से एक खुद मृतका की बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की थी और दूसरा उस का प्रेमी गणेश था, जो स्थानीय भुल्लर अस्पताल में कंपाउंडर थागणेश गुंदली चौगान, नूरपुर, हिमाचल प्रदेश का निवासी था और पिछले कई सालों से उस के विक्की के साथ नाजायज संबंध थे. गणेश विक्की के बीमार भाई तजिंदर की देखभाल के लिए उस के घर आता था और इसी बीच विक्की के साथ उस के अवैध संबंध बन गए थे. बेटी ने ही सुपारी दे कर अपनी मां की हत्या करवाई थी यह बात सुन कर सभी रिश्तेदारों के होश उड़ गए. विक्की को उस के मांबाप ने बड़े लाड़प्यार से पाला था. अपनी मां की मौत का दिल दहलाने वाला मंजर देख कर उस ने घडि़याली आंसू भी बहाए थे.

इतना ही नहीं पुलिस को भी इस असमंजस में डाले रखा था कि उसे अपनी मां की मौत का बहुत दुख है. जबकि हकीकत यह थी कि विक्की शुरू से ही पुलिस को झूठ बोल कर गुमराह करती रही थी. जब असलियत का खुलासा हुआ तो पुलिस के साथ उस के सगे संबंधियों के भी होश उड़ गए. अकसर देखा गया है कि जायदाद की खातिर इंसान अपने सभी रिश्ते भुला कर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे देता है, मगर विक्की ने तो दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी थीं. उस ने अपने प्रेमी को 5 लाख की सुपारी दे कर जन्म देने वाली मां को ही मरवा डाला था. पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान पुलिस ने गणेश की निशानदेही पर लोहे की रौड, खून सने कपड़े आदि बरामद कर लिए. बाद में दोनों को जेल भेज दिया गया.

पुलिस को राजिंदर कौर की हत्या की जो कहानी पता चली और जिस के आधार पर उस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की, उस में बताया गया था कि इस हत्याकांड की मूल वजह वो जायदाद थी जो मृतका राजिंदर कौर ने विक्की के नाम कर के अपने बेटे तजिंदर उर्फ लाली के नाम कर दी थीदरअसल लाड़प्यार से पली विक्की बचपन से ही अपनी मनमरजी करने वाली जिद्दी और अडि़यल स्वभाव की लड़की थी. उम्र के साथ उस का यह पागलपन और भी बढ़ता गया था. पिता की मृत्यु के समय वह मात्र 4-5 साल की रही होगी. पिता की मृत्यु के बाद मां राजिंदर कौर का सारा वक्त गैस एजेंसी संभालने में गुजरता था. ऐसे में विक्की बेलगाम होती चली गई.

यहां यह कहना भी गलत होगा कि बच्चों को सुविधाओं के साथ मातापिता के दिशानिर्देशों की भी सख्त जरूरत होती है. अन्यथा परिणाम भयानक ही निकलते हैं. इस मामले में भी यही हुआ था. कालेज तक पहुंचतेपहुंचते वह दिशाहीन, भटकी हुई युवती बन चुकी थी. शराब के नशे और क्लबों में खुशी तलाशना उस की आदत बन चुकी थी. दूसरे सहपाठियों को नीचा दिखाना उस का मनपसंद शौक था. मां के द्वारा मेहनत से कमाया पैसा वह पानी की तरह बहाने लगी थी. उस के दोस्तों में लड़कियां कम लड़के अधिक थे. कपड़ों की तरह बौयफ्रैंड बदलना उस का स्वभाव बन गया था

मां की किसी बात का जवाब देना, आधीआधी रात को घर लौटना विक्की की आदतों में शुमार हो गया था. पढ़ाई पूरी कर उस ने मां के साथ गैस एजेंसी पर बैठना शुरू कर दिया, वह भी अपने स्वार्थ की खातिर. गैस एजेंसी से पैसे उड़ा कर वह अपनी अय्याशियों में उड़ा देती थी. उस की इन हरकतों से राजिंदर कौर बहुत दुखी थीं. वह मन ही मन घुटती रहती थीं. वे यह सोच कर मन पर पत्थर रख लेती थीं कि शादी के बाद जब वह अपनी ससुराल चली जाएगी. तभी वह चैन की सांस ले पाएंगी. पर यह उन की भूल थी. 37 साल की हो जाने के बाद भी विक्की शादी करने को तैयार नहीं थी. ऐसे में आपसी रिश्तों में जहर घुल गया था

राजिंदर कौर विक्की को समझासमझा कर हार चुकी थीं. लेकिन विक्की की नादानियां दिन पर दिन बढ़ती जा रही थीं. इसी बीच उस के गणेश से संबंध बन गए थे. राजिंदर कौर को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने हंगामा करते हुए विक्की को बहुत कुछ समझाया पर विक्की ने इस सब की जरा भी परवाह नहीं की. वह घर में ही गणेश के साथ अय्याशी करती रही. घटना से कुछ दिन पहले विक्की और राजिंदर कौर के बीच पैसों को ले कर जबरदस्त झगड़ा हुआ था. विक्की को सुधरता देख राजिंदर कौर ने उस का गैस एजेंसी पर आना बंद करवा दिया. साथ ही उस के जेब खर्च पर भी पाबंदी लगा दी थी. यह सब देख विक्की तिलमिला उठी थी

उस ने मां से इस विषय में बात की तो उन्होंने कहा कि जब तक वह अपने आप को नहीं सुधारती और घर में एक शरीफ घर की बच्ची की तरह पेश नहीं आती तब तक उस का उन से कोई संबंध नहीं रहेगा. राजिंदर कौर ने यह कदम उठाया था विक्की को सुधारने के लिए, मगर इस का उलटा ही परिणाम निकला. विक्की यारदोस्तों और अपनी जानपहचान वालों से पैसे उधार ले कर अपने शौक पूरे करने लगी. इस बात का राजिंदर कौर को और ज्यादा दुख पहुंचा. बेटी के कर्ज को ले कर उन की बड़ी बदनामी भी हो रही थी.

अंत में राजिंदर कौर ने एक और सख्त कदम उठाया जो आगे चल कर उन की जान का दुश्मन बन गया. राजिंदर कौर ने अपनी सारी चलअचल संपत्ति, बिजनैस आदि अपने बेटे तजिंदर सिंह के नाम कर दिया. विक्की के नाम उन्होंने एक पैसा भी नहीं छोड़ा थाइस बात का पता लगने पर विक्की आगबबूला हो उठी. उसे यह उम्मीद नहीं थी कि उस की मां ऐसा भी कुछ कर सकती है. घटना से कुछ दिन पहले इसी बात को ले कर मांबेटी में जम कर झगड़ा भी हुआ था. राजिंदर कौर अब किसी भी कीमत पर विक्की को आजादी नहीं देना चाहती थीं  गणेश और विक्की के बीच लगभग ढाई सालों से अवैध संबंध थे. गणेश पूरी तरह से विक्की के चंगुल में फंस कर उस का गुलाम बना हुआ था. दोनों को ही पैसों की सख्त जरूरत थी

विक्की इतनी शातिर दिमाग थी कि जहां वह खुद अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए गणेश का इस्तेमाल कर रही थी, वहीं उस का खुराफाती दिमाग गणेश के हाथों अपनी ही मां की हत्या करवाने की साजिश रचने में लगा था. जब से विक्की को पता चला था कि मां ने करोड़ों की जायदाद छोटे भाई तजिंदर सिंह के नाम कर दी है, उसी दिन से विक्की ने राजिंदर कौर की हत्या करने का मन बना लिया था. अपनी मां के खिलाफ उस के मन में जहर भर गया था. योजना बनाने के बाद उस ने अपने प्रेमी गणेश शर्मा को 5 लाख रुपए की सुपारी दे कर मां का कत्ल कराने के लिए तैयार कर लिया.

अपनी योजना के तहत विक्की ने सब से पहले अपने भाई तजिंदर को 3 दिन पहले घूमनेफिरने के लिए मनाली डलहौजी भेज दिया. इस के बाद 21 जनवरी को वह खुद भी दिल्ली जाने का बहाना कर के घर से निकल गई. इस से गणेश का रास्ता साफ हो गया था. तसल्ली करने के लिए हत्या से एक दिन पहले विक्की ने भाई को फोन कर के पूछा कि वह घर वापस कब लौट रहा है. तजिंदर ने बताया था कि वह अभी कुछ दिन और मनाली में रहेगा. गणेश के लिए राजिंदर कौर की हत्या करने के लिए रास्ता साफ था. 20-21 जनवरी की आधी रात को वह सीसीटीवी कैमरों को तोड़ कर कोठी में दाखिल हुआ और उस ने कमरे में सो रही राजिंदर कौर के सिर पर पहले लोहे की रौड से वार कर के उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया

उस के बाद गणेश ने बिजली की तार से उन का गला घोंट कर मौत के घाट उतार दिया. चुपचाप अपना काम खत्म कर के वह वहां से कुछ दूरी पर स्थित अपने कमरे पर लौट गया और फोन कर के विक्की को काम हो जाने की खबर दे दी. राजिंदर कौर की हत्या के समय विक्की ने पुलिस को गुमराह करने के लिए यह बयान दिया था कि उस का भाई मनाली गया हुआ था और वह किसी काम से दिल्ली गई थी. जबकि वह अमृतसर के ही एक होटल में ठहरी हुई थी. हत्या के 2 दिन बाद गणेश शर्मा गायब हो गया थाविक्की और गणेश की काल डिटेल्स देखने के बाद और गणेश के गायब हो जाने के बाद हत्या की सीधी सुई इन दोनों पर चली गई थी. इस बीच वहां के पूर्व पार्षद तरसेम भोला ने मामले को नया मोड़ दे दिया था.

हत्या के इस मामले की तहकीकात के बीच पुलिस को पूर्व पार्षद तरसेम सिंह भोला ने 27 जनवरी, 2015 को यह जानकारी दी थी कि इंदरराज कौर उर्फ विक्की उस के पास आई थी और उस ने बताया था कि उस की मम्मी ने अपनी सारी जायदाद की वसीयत उस के भाई तेजिंदर सिंह लाली के नाम कर दी है. उस की मम्मी द्वारा उसे कोई भी जायदाद दिए जाने के कारण वह बहुत ही गुस्से में थीइसलिए उस ने भुल्लर अस्पताल में काम करने वाले गणेश कुमार को 5 लाख रुपए का लालच दे कर अपनी मम्मी राजिंदर कौर की हत्या करवा दी है. उस से बहुत बड़ी गलती हो गई है. किसी किसी तरह वह उस का बचाव करवा दें.

इसी तरह मकबूलपुरा निवासी एक स्वतंत्र गवाह कश्मीर सिंह ने भी उसी दिन पुलिस को जानकारी दी थी कि भुल्लर अस्पताल में काम करने वाले गणेश कुमार ने उसे बताया था कि वह अपनी प्रेमिका इंदरराज उर्फ विक्की के कहने पर उस की मां राजिंदर कौर की हत्या कर बैठा हैइस मामले में पुलिस उसे कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. इसलिए वह किसी भी तरह उस का बचाव करवा दे. इन दोनों गवाहों के सामने आने पर हत्या डकैती माने जा रहे इस मामले में एकदम नया मोड़ गया था. इस केस में पुलिस ने जितने भी गवाह बनाए थे उन में से अहम गवाह पूर्व पार्षद तरसेम सिंह भोला और एक अन्य व्यक्ति था. पुलिस ने इस केस की तफ्तीश में अपनी तरफ से कोई कोरकसर नहीं छोड़ी थी और पुख्ता सबूतों के आधार पर चार्जशीट बना कर अदालत में पेश की थी.

लेकिन गवाहियों के दौरान इस केस में काफी उठापटक हुई थी. जिस कारण कई गवाह अपनी बात से मुकर गए थे. फिर भी पुलिस के पास गणेश शर्मा के खिलाफ पक्के सबूत थे, जिसे लाख कोशिशों के बाद भी अदालत में झुठलाया नहीं जा सकता था. गवाहों के बयान और मौके से मिले साक्ष्यों के आधार पर माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश कर्मजीत सिंह की अदालत ने 25 मई, 2018 को मृतका की जिस बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की पर सुपारी दे कर अपनी मां की हत्या करवाने के आरोप लगाए गए थे, अदालत ने उसे साक्ष्यों के अभाव में संदेह का लाभ दे कर बरी कर दिया था

लेकिन हत्यारोपी गणेश शर्मा पर लगाए गए आरोप सही पाए जाने पर अदालत ने उसे भादंवि की धारा 302 के तहत उम्रकैद की सजा के साथसाथ 10 हजार रुपए जुरमाने की भी सजा सुनाई.

 

Kanpur crime : देवर को मोहरा बनाकर कराया बड़ी बहन का मर्डर

Kanpur crime : कभीकभी इंसान इश्क में इतना अंधा हो जाता है कि वह अच्छेबुरे का फर्क भी नहीं समझता. बबीता ने बड़ी बहन बबली के सुहाग पर डाका डाल कर उसे अपने कब्जे में कर लिया था. इस का अंजाम इतना खतरनाक निकला कि…   

11 सितंबर, 2018 की सुबह करीब 8 बजे कानपुर शहर के थाना कैंट के थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी थाने में पहुंचे ही थे कि उसी समय एक व्यक्ति बदहवास हालत में उन के पास पहुंचा. उस ने थानाप्रभारी को सैल्यूट किया फिर बताया, ‘‘सर, मेरा नाम दिलीप कुमार है. मैं सिपाही पद पर पुलिस लाइन में तैनात हूं और कैंट थाने के पुलिस आवास ब्लौक 3, कालोनी नंबर 29 में रहता हूं. बीती रात मेरी दूसरी पत्नी बबीता ने पंखे से फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है. आप को सूचना देने थाने आया हूं.’’

चूंकि विभागीय मामला था. अत: थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी ने दिलीप की सूचना से अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया फिर सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस टीम जब दिलीप के आवास पर पहुंची तो बबीता का शव पलंग पर पड़ा था. उस की उम्र करीब 23 साल थी. उस के गले में खरोंच का निशान था. वहां एक दुपट्टा भी पड़ा था. शायद उस ने दुपट्टे से फांसी का फंदा बनाया था. थानाप्रभारी अभी जांच कर ही रहे थे कि एसएसपी अनंत देव, एसपी राजेश कुमार यादव तथा सीओ (कैंट) अजीत प्रताप सिंह फोरैंसिक टीम के साथ वहां गए. पुलिस अधिकारियों ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया फिर सिपाही दिलीप कुमार उस की पत्नी बबली से पूछताछ की.

 दिलीप ने बताया कि उस की ब्याहता पत्नी बबली है. बाद में उस ने साली बबीता से दूसरा ब्याह रचा लिया था. दोनों पत्नियां साथ रहती थीं. बीती रात बबीता ने पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली जबकि बबली ने बताया कि बबीता को मिरगी का दौरा पड़ता था. वह बीमार रहती थी, जिस से परेशान हो कर उस ने आत्महत्या कर ली. पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ के बाद मृतका के परिवार वालों को भी सूचना भिजवा दी. फोरैंसिक टीम ने जांच की तो पंखे, छत के कुंडे रौड पर धूल लगी थी. अगर पंखे से लटक कर बबीता ने जान दी होती तो धूल हटनी चाहिए थी. मौके से बरामद दुपट्टे पर भी किसी तरह की धूल नहीं लगी थी

गले पर मिला निशान भी फांसी के फंदे जैसा नहीं था. टीम को यह मामला आत्महत्या जैसा नहीं लगा. फोरैंसिक टीम ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अपने शक से अवगत कराया और शव का पोस्टमार्टम डाक्टरों के पैनल से कराने का अनुरोध किया. इस के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय भिजवा दी. एसएसपी अनंत देव ने तब मृतका बबीता के शव का पोस्टमार्टम डाक्टरों के पैनल से कराने को कहा. डाक्टरों के पैनल ने बबीता का पोस्टमार्टम किया और अपनी रिपोर्ट पुलिस अधिकारियों को भेज दी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ कर थानाप्रभारी चौंक पड़े, क्योंकि उस में साफ कहा गया था कि बबीता की मौत गला दबा कर हुई थी. यानी वह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या का मामला निकला. श्री त्रिपाठी ने अपने अधिकारियों को भी बबीता की हत्या के बारे में अवगत करा दिया. फिर उन के आदेश पर सिपाही दिलीप कुमार को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. अब तक मृतका बबीता के मातापिता भी कानपुर गए थे. आते ही बबीता के पिता डा. बृजपाल सिंह ने थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी सीओ अजीत प्रताप सिंह चौहान से मुलाकात की. उन्होंने आरोप लगाया कि सिपाही दिलीप उस के परिवार वालों ने दहेज के लिए उन की बेटी बबीता को मार डाला. उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कर आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की.

चूंकि बबीता की मौत गला घोंटने से हुई थी और सिपाही दिलीप कुमार शक के घेरे में था. अत: थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी ने मृतका के पिता डा. बृजपाल सिंह की तहरीर पर सिपाही दिलीप कुमार उस के पिता सोनेलाल मां मालती के खिलाफ दहेज उत्पीड़न गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर के जांच शुरू कर दी. बबीता की मौत की बारीकी से जांच शुरू की तो उन्होंने सब से पहले हिरासत में लिए गए सिपाही दिलीप कुमार से पूछताछ की. दिलीप कुमार ने हत्या से साफ इनकार कर दिया. उस की ब्याहता बबली से पूछताछ की गई तो वह भी साफ मुकर गई. पासपड़ोस के लोगों से भी जानकारी जुटाई गई, पर हत्या का कोई क्लू नहीं मिला.

सिपाही दिलीप के पिता सोनेलाल भी यूपी पुलिस में एसआई हैं. वह पुलिस लाइन कानपुर में तैनात हैं. सोनेलाल भी इस केस में आरोपी थे. फिर भी उन्होंने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की और बताया कि बबीता की हत्या उन के बेटे दिलीप ने नहीं की है. उन्होंने कहा कि बबीता के पिता बृजपाल ने झूठा आरोप लगा कर पूरे परिवार को फंसाया है. पुलिस जिस तरह चाहे जांच कर ले, वह जांच में पूरा सहयोग करने को तैयार हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि यदि जांच में मेरा बेटा और मैं दोषी पाया जाऊं तो कतई बख्शा जाए. एसपी राजेश कुमार यादव सीओ प्रताप सिंह भी चाहते थे कि हत्या जैसे गंभीर मामले में कोई निर्दोष व्यक्ति जेल जाए, अत: उन्होंने एसआई सोनेलाल की बात को गंभीरता से लिया और थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी को आदेश दिया कि वह निष्पक्ष जांच कर जल्द से जल्द हत्या का खुलासा कर दोषी के खिलाफ काररवाई करें.

अधिकारियों के आदेश पर थानाप्रभारी ने केस की सिरे से जांच शुरू की. उन्होंने मामले का क्राइम सीन दोहराया. इस से एक बात तो स्पष्ट हो गई कि बबीता का हत्यारा कोई अपना ही है. क्योंकि घर में उस रात 4 सदस्य थे. सिपाही दिलीप कुमार, उस की ब्याहता बबली, 3 वर्षीय बेटा और दूसरी पत्नी बबीता. अब रात में बबीता की हत्या या तो दिलीप ने की या फिर बबली ने या फिर दोनों ने मिल कर की या किसी को सुपारी दे कर कराई. दिलीप कुमार बबीता की हत्या से साफ मुकर रहा था. उस का दरोगा पिता सोनेलाल भी उस की बात का समर्थन कर रहा था. यदि दिलीप ने हत्या नहीं की तो बबली जरूर हत्या के राज से वाकिफ होगी. अब तक कई राउंड में पुलिस अधिकारी दिलीप तथा उस की ब्याहता बबली से पूछताछ कर चुके थे. पर किसी ने मुंह नहीं खोला था.

इस पूछताछ में बबली शक के घेरे में रही थी. पुष्टि करने के लिए पुलिस ने बबली के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से पता चला कि उस ने घटना वाली शाम को अपने देवर शिवम से बात की थी. अत: 14 सितंबर को बबली को पूछताछ के लिए थाने बुलवा लियामहिला पुलिसकर्मियों ने जब उस से उस की छोटी बहन बबीता की हत्या के संबंध में पूछा तो वह साफ मुकर गई. लेकिन मनोवैज्ञानिक तरीके से की गई पूछताछ से बबली टूट गई. उस ने बबीता की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. बबली ने बताया कि उस की सगी छोटी बहन बबीता उस की सौतन बन गई थी. पति बबीता के चक्कर में उस की उपेक्षा करने लगा था. इतना ही नहीं, वह शारीरिक और मानसिक रूप से भी उसे प्रताडि़त करता था. पति की उपेक्षा से उस का झुकाव सगे देवर शिवम की तरफ हो गया. फिर शिवम की मदद से ही रात में बबीता की रस्सी से गला कस कर हत्या कर दी.

बबली के बयानों के आधार पर पुलिस ने शिवम को चकेरी से गिरफ्तार कर लिया. शिवम चकेरी में कमरा ले कर रह रहा था और पढ़ाई तथा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. थाने में भाभी बबली को देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया. फिर उस ने भी हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. शिवम ने बताया कि बबली भाभी उस के बीच प्रेम संबंध थे. भाभी उस से मिलने चकेरी आती थी. किसी तरह बबीता को यह बात पता लग गई थी तो वह शिकायत दिलीप भैया से कर देती थी. फिर दिलीप भैया हम दोनों को पीटते थे. इसी खुन्नस में हम दोनों ने गला घोट कर बबीता को मार डाला. शिवम ने हत्या में प्रयुक्त रस्सी भी पुलिस को बरामद करा दी जो उस ने झाडि़यों में फेंक दी थी.

चूंकि बबीता की हत्या की वजह साफ हो गई थी, इसलिए थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी ने दहेज हत्या की रिपोर्ट को खारिज कर बबली शिवम के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली और दोनों को गिरफ्तार कर सिपाही दिलीप उस के मातापिता को क्लीन चिट दे दी. पुलिस द्वारा की गई जांच, आरोपियों के बयानों और अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर नाजायज रिश्तों एवं सौतिया डाह की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का एक छोटा सा गांव है रूपापुर. इसी गांव में डा. बृजपाल सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी ममता के अलावा 2 बेटियां बबली और बबीता थीं. बृजपाल सिंह गांव के सम्मानित व्यक्ति थे. वह डाक्टरी पेशे से जुड़े थे. उन के पास उपजाऊ जमीन भी थी. कुल मिला कर वह हर तरह से साधनसंपन्न और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. उन्होंने बड़ी बेटी बबली की शादी फर्रुखाबाद जिले के गंज (फतेहगढ़) निवासी सोनेलाल के बेटे दिलीप कुमार के साथ तय कर दी. दिलीप कुमार उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही था. सोनेलाल भी उत्तर प्रदेश पुलिस में एसआई थे. उन का छोटा बेटा शिवम पढ़ रहा था. सोनेलाल का परिवार भी खुशहाल था.

दोनों ही परिवार पढ़ेलिखे थे, इसलिए सगाई से पहले ही परिजनों ने एकांत में बबली और दिलीप की मुलाकात करा दी थी. क्योंकि जिंदगी भर दोनों को साथ रहना है तो वे पहले ही एकदूसरे को देखसमझ लें. दोनों ने एकदूसरे को पसंद कर लिया तो 11 दिसंबर, 2012 को सामाजिक रीतिरिवाज से दोनों की शादी हो गई. शादी के बाद बबली कुछ महीने ससुराल में रही फिर दिलीप को कानपुर के कैंट थाने में क्वार्टर मिल गया. क्वार्टर आवंटित होने के बाद दिलीप अपनी पत्नी को भी गांव से ले आया. वहां दोनों हंसीखुशी से जिंदगी व्यतीत करने लगे.

दिलीप जब ससुराल जाता तो उस की निगाहें अपनी खूबसूरत साली बबीता पर ही टिकी रहती थीं. वह महसूस करने लगा कि बबली से शादी कर के उस ने गलती की. उस की शादी तो बबीता से होनी चाहिए थी. ऐसा नहीं था कि बबली में किसी तरह की कमी थी. वह सुंदर, सुशील के साथ घर के सभी कामों में दक्ष थी. लेकिन बबीता अपनी बड़ी बहन से ज्यादा सुंदर और चंचल थी, इसलिए दिलीप का मन साली पर इतना डोल गया कि उस ने फैसला कर लिया कि वह बबीता को अपने प्यार के जाल में फंसा कर उस से दूसरा विवाह करने की कोशिश करेगा.

रिश्ता जीजासाली का था सो दिलीप और बबीता के बीच हंसीमजाक होता रहता था. एक दिन दिलीप ससुराल में सोफे पर बैठा था तभी बबीता उसी के पास सोफे पर बैठ कर उस की शादी का एलबम देखने लगी. दोनों के बीच बातों के साथ हंसीमजाक हो रहा था. अचानक दिलीप ने एलबम में लगे एक फोटो की ओर संकेत किया, ‘‘देखो बबीता, मेरे बुरे वक्त में कितने लोग साथ खड़े हैं.’’

बबीता ने गौर से उस फोटो को देखा, जिस में दिलीप दूल्हा बना हुआ था और कई लोग उस के साथ खड़े थे. फिर वह खिलखिला कर हंसने लगी, ‘‘शादी और आप का बुरा वक्त. जीजाजी, बहुत अच्छा मजाक कर लेते हैं आप.’’

‘‘बबीता, मैं मजाक नहीं कर रहा हूं सच बोल रहा हूं.’’ चौंकन्नी निगाहों से इधरउधर देखने के बाद दिलीप फुसफुसा कर बोला, ‘‘बबली से शादी कर के मैं तो फंस गया यार.’’

‘‘पापा ने दहेज में कोई कसर छोड़ी है और दीदी में किसी तरह की कमी है.’’ हंसतेहंसते बबीता गंभीर हो गई, ‘‘फिर आप दिल दुखाने वाली ऐसी बात क्यों कर रहे हैं.’’

‘‘बबली को जीवनसाथी चुन कर मैं ने गलती की थी.’’ कह कर दिलीप बबीता की आंखों में देखने लगा फिर बोला, ‘‘सच कहूं, मेरी पत्नी के काबिल तो तुम थी.’’

गंभीरता का मुखौटा उतार कर बबीता फिर खिलखिलाने लगी, ‘‘जीजाजी, आप भी खूब हैं.’’

‘‘अच्छा, एक बात बताओ. अगर बबली से मेरा रिश्ता हुआ होता और मैं तुम्हें प्रपोज करता तो क्या तुम मुझ से शादी करने को राजी हो जाती.’’ कह कर दिलीप ने उस के मन की टोह लेनी चाही.

बबीता से कोई जवाब देते बना, वह गहरी सोच में डूब गई.

‘‘सच बोलूं?’’ बबीता ने कहा, ‘‘आप बुरा तो नहीं मानेंगे.’’

दिलीप का दिल डूबने सा लगा, ‘‘बिलकुल नहीं, लेकिन सच बोलना.’’

‘‘सच ही बोलूंगी जीजाजी,’’ शर्म से बबीता के गालों पर गुलाबी छा गई, ‘‘और सच यह है कि मैं आप से शादी करने को फौरन राजी हो जाती.’’

यह सुन कर दिलीप का दिल बल्लियों उछलने लगा किंतु मन में एक संशय भी था, सो उस ने तुरंत पूछ लिया, ‘‘कहीं मेरा मन रखने के लिए तो तुम यह जवाब नहीं दे रही.’’

‘‘हरगिज नहीं, बहुत सोचसमझ कर ही मैं ने आप को यह जवाब दिया है.’’ बबीता आहिस्ता से निगाहें उठा कर बोली, ‘‘आप हैं ही इतने हैंडसम और स्मार्ट कि किसी भी लड़की के आइडियल हो सकते हैं.’’

दिलीप ने अपनी आंखें उस की आंखों में डाल दीं, ‘‘तुम्हारा भी…’’

‘‘मैं कैसे शामिल हो सकती हूं.’’ बबीता बौखलाई सी थी, ‘‘आप तो मेरे जीजाजी हैं.’’

बबीता ने मुंह खोला ही था कि तभी उस की मां ममता वहां गईं. अत: दोनों की बातों पर वहीं विराम लग गया. दिलीप से हुई बातों को बबीता ने सामान्य रूप से लिया, मगर दिलीप का दिमाग दूसरी ही दिशा में सोच रहा था. उसे विश्वास हो गया कि बबीता भी उस पर फिदा है. लिहाजा वह बबीता पर डोरे डालने लगा. शादी के ढाई साल बाद बबली गर्भवती हुई तो उस की खुशी का ठिकाना रहा. दिलीप को भी बाप बनने की खुशी थी. एक रोज बबली ने पति से कहा कि उसे अब घरेलू काम खाना बनाने में दिक्कत होने लगी है. अत: वह बबीता को घर की देखरेख के लिए लिवा लाए. कम से कम वह घर का काम तो कर लिया करेगी.

पत्नी की बात सुन कर दिलीप खुशी से झूम उठा. उस ने बबली से कहा कि वह अपने मातापिता से बबीता को भेजने की बात कर ले. कहीं ऐसा हो कि वह उसे भेजने से इनकार कर देंबबली ने मां से बात की तो वह बबीता को दिलीप के साथ भेजने को राजी हो गईं. इस के बाद दिलीप ससुराल गया और बबीता को साथ ले आया. बबीता ने आते ही घर का कामकाज संभाल लिया. साली घर गई तो दिलीप के जीवन में भी बहार गई. वह उसे रिझाने के लिए उस पर डोरे डालने लगा. पहले दोनों में मौखिक छेड़छाड़ शुरू हुई. फिर धीरेधीरे मगर चालाकी से दिलीप ने उस से शारीरिक छेड़छाड़ भी शुरू कर दी.

उन दिनों बबीता की उम्र 19-20 साल थी. उस के तनमन में यौवन का हाहाकारी सैलाब थमा हुआ था. दिलीप की कामुक हरकतों से उसे भी आनंद की अनुभूति होने लगी. दिलीप को छेड़ने पर वह उस का विरोध करने के बजाय मुसकरा देती. इस से दिलीप का हौसला बढ़ता गया. बबीता भी दिलीप में रुचि लेने लगी. फिर एक दिन मौका मिलने पर दोनों ने अपनी हसरतें भी पूरी कर लीं. साली के शरीर को पा कर जहां दिलीप की प्रसन्नता का पारावार था, वहीं बबीता को प्रसन्नता के साथ ग्लानि भी थी. उस ने कहा, ‘‘जीजाजी, यह अच्छा नहीं हुआ. तुम्हारे साथ मैं भी बहक गई.’’

‘‘तो इस में बुरा क्या है?’’

‘‘बुरा यह है कि मैं ने बड़ी बहन के हक पर अपना हक जमा लिया. यह पाप है.’’ वह बोली.

‘‘प्यार में पापपुण्य नहीं देखा जाता. भूल जाओ कि तुम ने कुछ गलत किया है. बबली का जो हक है, वह उसे मिलता रहेगा.’’ कहते हुए दिलीप ने बबीता को फिर से बांहों में समेटा तो वह भी अच्छाबुरा भूल कर उस से लिपट गईउसी दिन से दोनों के पतन की राह खुल गई. देर रात जब बबली सो जाती तो बबीता दिलीप के बिस्तर पर पहुंच जाती फिर दोनों हसरतें पूरी करते. बबली ने बेटे को जन्म दिया तो घर में खुशी छा गई. पति के अलावा सासससुर सभी खुश थे. कुछ समय बाद बबली ने महसूस किया कि छोटी बहन बबीता उस के पति से कुछ ज्यादा ही नजदीकियां बढ़ा रही है. उस ने उस पर नजर रखनी शुरू की तो सच सामने गया

उस ने नाजायज रिश्तों का विरोध किया तो दिलीप बबीता दोनों ही उस पर हावी हो गए. तब बबली ने बबीता को घर वापस भेजने का प्रयास किया लेकिन दिलीप ने उसे नहीं जाने दिया. एक रात जब बबली ने पति को छोटी बहन के साथ बिस्तर पर रंगेहाथ पकड़ा तो दिलीप बोला कि वे एकदूसरे को प्यार करते हैं और जल्द ही शादी भी कर लेंगे. यदि उस ने विरोध किया तो वह उसे घर से निकाल देगाइस धमकी से बबली डर गई. अब वह डरसहमी रहने लगी. बबली का विरोध कम हुआ तो दिलीप और बबीता खुल्लमखुल्ला रासलीला रचाने लगे. इसी बीच चोरीछिपे दिलीप ने बबीता के साथ आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली और उसे पत्नी का दरजा दे दिया.

डा. बृजलाल सिंह को जब दामाद की इस नापाक हरकत का पता चला तो वह किसी तरह बबीता को घर ले आए. घर पर मां ने उसे समझाया और बहन का घर उजाड़ने की नसीहत दी. लेकिन बबीता जीजा के प्यार में इस कदर डूब चुकी थी कि उसे मां की नसीहत अच्छी नहीं लगी. उस ने मां से साफ कह दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह दिलीप का साथ नहीं छोड़ेगी. डा. बृजपाल सिंह ने बड़ी बेटी बबली का घर टूटने से बचाने के लिए पुलिस में दिलीप की शिकायत की. जांच के दौरान पुलिस ने बबीता का बयान दर्ज किया

बबीता ने तब हलफनामा दे कर कहा कि उस ने दिलीप से आर्यसमाज में शादी कर ली है. अब वह उस की पत्नी है और उसी के साथ रहना चाहती है. मांबाप उसे बंधक बनाए हैं. बबीता के इस बयान के बाद डा. बृजपाल मायूस हो गए. इस के बाद बबीता दिलीप के साथ चली गई. दिलीप ने अब बबीता को पत्नी का दरजा दे दिया था और उसे सुखपूर्वक रखने लगा था. बबली और बबीता दोनों सगी बहनें अब एक ही छत के नीचे रहने लगी थींबबीता ने बहन के सुहाग पर कब्जा भले ही कर लिया था लेकिन बबली ने मन से बबीता को स्वीकार नहीं किया था. बल्कि यह उस की मजबूरी थी. दोनों एकदूसरे से मन ही मन जलती थीं लेकिन दिखावे में साथ रहती थीं और हंसतीबतियाती थीं.

बबीता सौतन बन कर घर में रहने लगी तो दिलीप बबली की उपेक्षा करने लगा. वह बबीता की हर बात सुनता था, जबकि बबली को झिड़क देता था. ब्याहता की उपेक्षा कर वह बबीता के साथ घूमने और शौपिंग के लिए जाता. कभीकभी किसी बात को ले कर दोनों बहनों में झगड़ा हो जाता तो दिलीप बबीता का पक्ष ले कर बबली को ही बेइज्जत कर देता. बिस्तर पर भी बबीता ही दिलीप के साथ होती, जबकि बबली रात भर करवटें बदलती रहती थी. बबली का एक देवर था शिवम. शिवम चकेरी में रहता था और पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. शिवम बबली भाभी से मिलने आताजाता रहता था. शिवम को बबली से तो लगाव था लेकिन बबीता उसे फूटी आंख भी नहीं सुहाती थी

उस का मानना था कि बबीता ने दिलीप से शादी कर के अपनी बड़ी बहन के हक को छीन लिया है. उसे बहन की सौतन बन कर नहीं आना चाहिए था. बबली की उपेक्षा जब घर में होने लगी तो उस की नजर अपने देवर शिवम पर पड़ी. उस ने अपने हावभाव से शिवम से दोस्ती कर ली. दोस्ती प्यार में बदली और फिर उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. बबली अकसर देवर शिवम से मिलने जाने लगी. देवरभाभी के मिलन की शिकायत बबीता ने बढ़ाचढ़ा कर दिलीप से कर दीदिलीप ने निगरानी शुरू की तो बबली को छोटे भाई शिवम के साथ घूमते पकड़ लिया. इस के बाद उस ने बीच सड़क पर गिरा कर शिवम को पीटा तथा बबली की पिटाई घर पहुंच कर की. फिर तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. बबीता की शिकायत पर बबली शिवम की जबतब पिटाई होती रहती थी.

देवरभाभी के मिलन में बबीता बाधक बनने लगी तो बबली ने शिवम के साथ मिल कर उसे रास्ते से हटाने का फैसला ले लिया. बबली जानती थी कि जब तक बबीता जिंदा है, वह उस की छाती पर मूंग दलती रहेगी और तब तक उसे तो घर में इज्जत मिलेगी और ही पति का प्यार.  उसे यह भी शक था कि बबीता ने उस से उस का पति तो छीन ही लिया है, अब वह धन और गहने भी छीन लेगी इसलिए उस ने शिवम को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों के जाल में उलझा कर ऐसा उकसाया कि वह बबीता की हत्या करने को राजी हो गया. 10 सितंबर, 2018 की शाम बबली बबीता में किसी बात को ले कर झगड़ा हुआ. इस झगड़े ने बबली के मन में नफरत की आग भड़का दी.

उस ने एकांत में जा कर शिवम से बात की और उसे घर बुला लिया. शिवम घर आया तो बबली ने उसे बाहर वाले कमरे में पलंग के नीचे छिपने को कहा. शिवम तब पलंग के नीचे छिप गया. बबीता को शिवम के आने की भनक नहीं लगी. देर शाम दिलीप जब घर आया तो बबीता ने उस के साथ खाना खाया फिर दोनों कमरे में कूलर चला कर पलंग पर लेट गए. आधी रात के बाद बबीता लघुशंका के लिए कमरे से निकली तभी घात लगाए बैठे शिवम बबली ने उसे दबोच लिया और घसीट कर वह उसे कमरे में ले आए इस के बाद शिवम ने बबीता का मुंह दबोच लिया ताकि वह चिल्ला सके और बबली ने रस्सी से उस का गला घोट दिया. हत्या करने के बाद शिवम रस्सी का टुकड़ा ले कर भाग गया और बबली अपने मासूम बच्चे के साथ कर कमरे में लेट गई.

इधर सुबह को दिलीप की आंखें खुलीं तो बिस्तर पर बबीता को पा कर कमरे से बाहर निकला. दूसरे कमरे में बबली बच्चे के साथ पलंग पर लेटी थी. बबीता को खोजते हुए दिलीप जब बाहर वाले कमरे में पहुंचा तो पलंग पर बबीता की लाश पड़ी थी. लाश देख कर दिलीप चीखा तो बबली भी कमरे से बाहर गई. बबीता की लाश देख कर बबली रोने लगी. उस के रोने की आवाज सुन कर पासपड़ोस के लोग गए. फिर तो पुलिस कालोनी में हड़कंप मच गया. इसी बीच दिलीप कुमार थाने पहुंचा और पुलिस को पत्नी बबीता द्वारा आत्महत्या करने की सूचना दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी ललितमणि त्रिपाठी पुलिस बल के साथ पहुंचे और फिर आगे की काररवाई हुई.

15 सितंबर, 2018 को पुलिस ने अभियुक्त शिवम और बबली को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत नहीं हुई थी.   

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Uttar Pradesh Crime : दरोगा ने 2 लाख देकर बेटे की प्रेमिका की हत्या कराई

Uttar Pradesh Crime : उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा बच्चू सिंह के बेटे तरुण की दोस्ती प्रियंका से हो गई थी. दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन जब पिता के कहने पर तरुण ने शादी से इनकार कर दिया तो प्रियंका ने अपने हक की लड़ाई लड़ने की सोची. उसे क्या पता था कि इस लड़ाई में…   

प्रियंका को जल्दीजल्दी तैयार होता देख उस की मां चित्रा ने पूछा, ‘‘क्या बात है, आज कहीं जल्दी जाना है क्या, जो इतनी जल्दी उठ कर तैयार हो गई?’’

‘‘हां मम्मी, परसों जो मैडम आई थीं, जिन्हें मैं ने अपने फोटो, आई कार्ड और सीवी दिया था, उन्होंने बुलाया है. कह रही थीं कि उन्होंने अपने अखबार में मेरी नौकरी की बात कर रखी है. इसलिए मुझे टाइम से पहुंचना है.’’ 

प्रियंका ने कहा तो चित्रा ने टिफिन में खाना पैक कर के उसे दे दिया. प्रियंका ने टिफिन अपने बैग में रखा और शाम को जल्दी लौट आने की बात कह कर बाहर निकल गई. कुछ देर बाद प्रियंका के पापा जगवीर भी अपने क्लीनिक पर चले गए तो चित्रा घर के कामों में व्यस्त हो गई. उस दिन शाम को करीब साढ़े 5 बजे जगवीर सिंह के मोबाइल पर उन के साले ओमदत्त का फोन आयाओमदत्त ने उन्हें बताया, ‘‘जीजाजी, मेरे फोन पर कुछ देर पहले प्रियंका का फोन आया था. वह कह रही थी कि बच्चू सिंह ने अपने बेटे राहुल और कुछ बदमाशों की मदद से उस का अपहरण करवा लिया है और वह अलीगढ़ के पास खैर इलाके के वरौला गांव में है.’’

ओमदत्त की बात सुन कर जगवीर सिंह की आंखों के आगे अंधेरा छा गया. उन्होंने जैसेतैसे अपने आप को संभाला और क्लीनिक बंद कर के घर गए. तब तक उन का साला ओमदत्त भी उन के घर पहुंच गया था. मामला गंभीर था. विचारविमर्श के बाद दोनों गाजियाबाद के थाना कविनगर पहुंचे और लिखित तहरीर दे कर 25 वर्षीया प्रियंका के अपहरण की नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी. जगवीर सिंह सपरिवार गोविंदपुरम गाजियाबाद में किराए के मकान में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी चित्रा के अलावा 3 बच्चे थेबेटी प्रियंका और 2 बेटे पंकज तितेंद्र. उन का बड़ा बेटा पंकज एक टूर ऐंड ट्रैवल कंपनी की गाड़ी चलाता था, जबकि छोटा तितेंद्र सरकारी स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा था

जगवीर सिंह ने 7 साल पहले प्रियंका की शादी गुलावठी के धर्मेंद्र चौधरी के साथ कर दी थी. धर्मेंद्र एक ट्रैवल एजेंसी में काम करता था. शादी के 1 साल बाद प्रियंका एक बेटे की मां बन गई थी, जो अब 6 साल का है. आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से जगवीर अपने बच्चों को अधिक पढ़ालिखा नहीं सके. उन का छोटा सा क्लीनिक था, जहां वह बतौर आरएमपी प्रैक्टिस करते थे. यही क्लीनिक उन की आय का एकमात्र साधन थाप्रियंका शहर में पलीबढ़ी महत्त्वाकांक्षी लड़की थी. शादी के बाद गांव उसे कभी भी अच्छा नहीं लगा.

इसी को ले कर जब पतिपत्नी में अनबन रहने लगी तो प्रियंका ने पति से अलग रहने का निर्णय ले लिया और बेटे सहित धर्मेंद्र का घर छोड़ कर मातापिता के पास गाजियाबाद गई. जगवीर सिंह की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब थी. बेटे सहित प्रियंका के मायके जाने से उन के पारिवारिक खर्चे और भी बढ़ गएकिसी भी मांबाप के लिए यह किसी विडंबना से कम नहीं होता कि उन की बेटी शादी के बाद भी उन के साथ रहे. इस बात को प्रियंका अच्छी तरह समझती थी. इसलिए वह अपने स्तर पर नौकरी की तलाश में लग गई. काफी खोजबीन के बाद भी जब उसे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली तो उस ने एक मोबाइल शौप पर सेल्सगर्ल की नौकरी कर ली.

मोबाइल शौप पर काम करते हुए प्रियंका की मुलाकात तरुण से हुई. तरुण चढ़ती उम्र का अच्छे परिवार का लड़का था. पहली ही मुलाकात में तरुण आंखों के रास्ते प्रियंका के दिल में उतर गया. बातचीत हुई तो दोनों ने अपनाअपना मोबाइल नंबर एकदूसरे को दे दिया. इस के बाद दोनों प्राय: रोज ही एकदूसरे से फोन पर बातें करने लगेजल्दी ही मिलनेमिलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया. दोनों एकदूसरे को दिन में कई बार फोन और एसएमएस करने लगे. जब समय मिलता तो दोनों साथसाथ घूमते और रेस्टोरेंट वगैरह में जाते. धीरेधीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गईं

तरुण के पिता बच्चू सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में सबइंसपेक्टर थे और गाजियाबाद के थाना मसूरी में तैनात थे. जब तरुण और प्रियंका के संबंध गहराए तो उन दोनों की प्रेम कहानी का पता बच्चू सिंह को भी लग गया. उन्होंने जब इस बारे में तरुण से पूछा तो उस ने बेहिचक सारी बातें पिता को बता दीं. प्रियंका के बारे में भी सब कुछ और यह भी कि वह उस से शादी की इच्छा रखता है. उधर प्रियंका भी तरुण से शादी का सपना देखने लगी थी. बेटे की प्रेमकहानी सुन कर बच्चू सिंह बहुत नाराज हुए. उन्होंने तरुण से साफसाफ कह दिया कि वह प्रियंका से दूर रहे, क्योंकि एक तलाकशुदा और एक बच्चे की मां कभी भी उन के परिवार की बहू नहीं बन सकती. इतना ही नहीं, उन्होंने प्रियंका को भी आगे बढ़ने की सख्त चेतावनी दी. प्रियंका और अपने बेटे की प्रेम कहानी को ले कर वह तनाव में रहने लगे.

बच्चू सिंह ने प्रियंका और तरुण को चेतावनी भले ही दे दी थी, पर वे जानते थे कि ऐसी स्थिति में लड़का समझेगा लड़की. इसी वजह से उन्हें इस समस्या का कोई आसान हल नहीं सूझ रहा था. आखिर काफी सोचविचार कर उन्होंने प्रियंका को समझाने का फैसला किया. बच्चू सिंह ने प्रियंका को समझाया भी, लेकिन वह शादी की जिद पर अड़ी रही. इतना ही नहीं, ऐसा होने पर उस ने बच्चू सिंह को परिवार सहित अंजाम भुगतने की धमकी तक दे डाली. अपनी इस धमकी को उस ने सच भी कर दिखाया

1 मार्च, 2013 को उस ने थाना कविनगर में बच्चू सिंह, उन की पत्नी, बेटे राहुल, नरेंद्र, प्रशांत और रोबिन के खिलाफ धारा 376, 452, 323, 506 406 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया, जिस में उस ने घर में घुस कर मारपीट, बलात्कार और 70 हजार रुपए लूटने का आरोप लगायाबलात्कार का आरोप लगने से बच्चू सिंह के परिवार की बड़ी बदनामी हुई. इस मामले में बच्चू सिंह का नाम आने पर उन का तबादला मेरठ के जिला बागपत कर दिया गया. मामला चूंकि एक पुलिसकर्मी से संबंधित था, सो इस सिलसिले में गंभीर जांच करने के बजाय विभागीय जांच के नाम पर इसे लंबे समय तक लटकाए रखा गया

जबकि दूसरे आरोपियों के खिलाफ कानूनी काररवाई की गई. उधर बच्चू सिंह के खिलाफ कोई विशेष काररवाई होते देख प्रियंका ने उन के बड़े बेटे राहुल और उस के दोस्त के खिलाफ 17 जून, 2013 को छेड़खानी मारपीट का एक और मुकदमा दर्ज करा दिया. इस से बच्चू सिंह का परिवार काफी दबाव में गया. 2-2 मुकदमों में फंसने से बच्चू सिंह और उन के परिवार को रोजरोज कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे थे. इसी सब के चलते 31 नवंबर, 2013 को प्रियंका घर से गायब हो गई.

प्रियंका के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज होने पर थानाप्रभारी कविनगर ने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सबइंसपेक्टर शिवराज सिंह को सौंप दी. शिवराज सिंह प्रियंका द्वारा दर्ज कराए गए पिछले 2 केसों की भी जांच कर रहे थे. उन्होंने पिछले दोनों केसों की तरह इस मामले में भी कोई विशेष दिलचस्पी नहीं ली. दूसरी ओर प्रियंका के मातापिता लगातार थाने के चक्कर लगाते रहे. उन्होंने डीआईजी, आईजी और गाजियाबाद के एसपी, एसएसपी तक सभी अधिकारियों को अपनी परेशानी बताई . लेकिन किसी भी स्तर पर उन की कोई सुनवाई नहीं हुई. इसी बीच अचानक थानाप्रभारी कविनगर का तबादला हो गया. उन की जगह नए थानाप्रभारी आए अरुण कुमार सिंह.

अरुण कुमार सिंह ने प्रियंका के अपहरण के मामले में विशेष दिलचस्पी लेते हुए इस की जांच का जिम्मा बरेली से तबादला हो कर आए तेजतर्रार एसएसआई पवन चौधरी को सौंप कर कड़ी जांच के आदेश दिए. पवन चौधरी ने जांच में तेजी लाते हुए इस मामले में उस अज्ञात नामजद महिला पत्रकार के बारे में पता किया, जिस ने लापता होने वाले दिन प्रियंका को नौकरी दिलाने के लिए बुलाया था. छानबीन में यह भी पता चला कि उस महिला का नाम रश्मि है और वह अपने पति के साथ केशवपुरम में किराए के मकान में रहती है. यह भी पता चला कि वह खुद को किसी अखबार की पत्रकार बताती है.

पवन चौधरी ने रश्मि का मोबाइल नंबर हासिल कर के उस की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से यह बात साफ हो गई कि 31 नवंबर को उसी ने प्रियंका को फोन किया था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने 18 फरवरी, 2014 को रात साढ़े 12 बजे रश्मि और उस के पति अमरपाल को उन के घर से गिरफ्तार कर लिया. थाने पर जब दोनों से पूछताछ की गई तो पहले तो पतिपत्नी ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की, लेकिन जब उन के साथ थोड़ी सख्ती की गई तो वे टूट गए. मजबूर हो कर उन दोनों ने सारा राज खोल दिया. पता चला कि प्रियंका की हत्या हो चुकी है.

रश्मि और उस के पति अमरपाल के बयानों के आधार पर 19 फरवरी को सब से पहले सिपाही विनेश कुमार को गाजियाबाद पुलिस लाइन से गिरफ्तार किया गया. इस के बाद उसी दिन इस हत्याकांड के मास्टरमाइंड बच्चू सिंह को टटीरी पुलिस चौकी, बागपत से गिरफ्तार कर गाजियाबाद लाया गया. थाने पर जब सब से पूछताछ की गई तो पता चला कि बच्चू सिंह प्रियंका द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों से बहुत परेशान रहने लगे थे. इसी चक्कर में उन का तबादला भी बागपत कर दिया गया था. यहीं पर बच्चू सिंह की मुलाकात उन के साथ काम करने वाले सिपाही राहुल से हुई

राहुल अलीगढ़ का रहने वाला था. बच्चू सिंह ने अपनी समस्या के बारे में उसे बताया. राहुल पर भी अलीगढ़ में एक मुकदमा चल रहा था, जिस के सिलसिले में वह पेशी पर अलीगढ़ आताजाता रहता था. राहुल का एक दोस्त विनेश कुमार भी पुलिस में था और गाजियाबाद में तैनात था. विनेश जब एक मामले में अलीगढ़ जेल में था तो उस की मुलाकात एक बदमाश अमरपाल से हुई थी. विनेश ने अमरपाल की जमानत में मदद की थी. इस के लिए वह विनेश का एहसान मानता था. बच्चू सिंह ने राहुल और विनेश कुमार के माध्यम से अमरपाल से प्रियंका की हत्या का सौदा 2 लाख रुपए में तय कर लिया. योजना के अनुसार अमरपाल ने इस काम के लिए अपनी पत्नी रश्मि की मदद ली. उस ने रश्मि को प्रियंका से दोस्ती करने को कहाउस ने प्रियंका से दोस्ती गांठ कर उसे विश्वास में ले लिया

रश्मि को जब यह पता चला कि प्रियंका को नौकरी की जरूरत है तो उस ने खुद को एक अखबार की पत्रकार बता कर प्रियंका को 30 नवंबर, 2013 की सुबह फोन कर के घर से बाहर बुलाया और बसअड्डे ले जा कर उसे अमरपाल को यह कह कर सौंप दिया कि वह अखबार का सीनियर रिपोर्टर है और अब आगे उस की मदद वही करेगा. अमरपाल प्रियंका को बस से लालकुआं तक लाया, जहां पर रितेश नाम का एक और व्यक्ति मोटरसाइकिल लिए उस का इंतजार कर रहा था. तीनों उसी बाइक से ले कर देर शाम अलीगढ़ पहुंचेवहां से वे लोग खैर के पास गांव बरौला गए. तब तक प्रियंका को शक हो गया था कि वह गलत हाथों में पहुंच गई है. जब एक जगह बाइक रुकी तो प्रियंका ने बाथरूम जाने के बहाने अलग जा कर अपने मामा को फोन कर के अपनी स्थिति बता दी.

बाद में जब इन लोगों ने एक नहर के पास बाइक रोकी तो प्रियंका ने भागने की कोशिश भी की. लेकिन वह गिर पड़ी. यह देख अमरपाल और रितेश ने उसे पकड़ लिया और उस की गला घोंट कर हत्या कर दी. हत्या के बाद इन लोगों ने प्रियंका की लाश नहर में फेंक दी और अलीगढ़ स्थित अपने घर चले गए. इस हत्याकांड में बच्चू सिंह के बेटे राहुल की भी संलिप्तता पाए जाने पर पुलिस ने अगले दिन उसे भी गिरफ्तार कर लियाइस हत्याकांड में नाम आने पर सिपाही राहुल फरार हो गया था, जिसे पुलिस गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही थी. पूछताछ के बाद सभी गिरफ्तार अभियुक्तों को अगले दिन गाजियाबाद अदालत में पेश किया गया, जहां से रश्मि, बच्चू सिंह, विनेश कुमार और तरुण को जेल भेज दिया गया. जबकि अमरपाल को रिमांड पर ले कर प्रियंका की लाश की तलाश में खैर इलाके का चक्कर लगाया गया

लेकिन वहां पर लाश का कोई अवशेष नहीं मिला. पुलिस ने उस इलाके की पूरी नहर छान मारी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. रिमांड अवधि पूरी होने पर अमरपाल को भी डासना जेल भेज दिया गया. फिलहाल सभी अभियुक्त डासना जेल में बंद हैं.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

                                               

Punjab Crime : चचेरी बहन से संबंध बनाता और ब्लैकमेल करके पैसे वसूलता

Punjab Crime : आस्ट्रेलिया जाते समय राहुल ने अपने चाचा के बेटे रिशु ग्रोवर पर विश्वास कर के अपनी मां ऊषा और बहन हिना की देखभाल की जिम्मेदारी उसे सौंप दी थी. रिशु इतना बदकार निकलेगा, राहुल ने सोचा तक नहीं था. उस का विश्वास तो टूटा ही, मां और बहन भी…  

10 सितंबर, 2018 को लुधियाना के जिला एडिशनल सेशन जज अरुणवीर वशिष्ठ की अदालत में अन्य दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा भीड़ थी. वजह यह थी कि उस दिन लुधियाना शहर के एक ऐसे दोहरे मर्डर केस का फैसला सुनाया जाना था, जिस ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी थी. इस में हतप्रभ कर देने वाली बात यह थी कि आरोपी रिशु ग्रोवर मृतकों के परिवार का ही सदस्य था और उस परिवार की हर तरह से देखरेख करता थाइस के बावजूद उस ने मां और बेटी की इतनी वीभत्स तरीके से हत्या की थी कि उन की लाशें देख कर पुलिस तक का कलेजा कांप उठा था. यह केस लगभग 5 सालों तक न्यायालय में चला, जिस में 23 गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए.

इन गवाहों में एक गवाह ऐसा भी था, जिस ने आरोपी को घटनास्थल से फरार होते देखा था. अभियोजन पक्ष ने इस केस में पुलिस वालों, फोटोग्राफर, फिंगरप्रिंट एक्सर्ट्स, पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों आदि के बयान भी अदालत में दर्ज कराए थे. निर्धारित समय पर जिला एडिशनल सेशन जज अरुणवीर वशिष्ठ के अदालत में बैठने के बाद जिला अटौर्नी रविंदर कुमार अबरोल ने कहा कि आरोपी रिशु ग्रोवर ने अपनी ताई और उन की बेटी की खंजर से बेहद क्रूरतम तरीके से हत्या की थी. लिहाजा ऐसे आरोपी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए. वहीं बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि ये दोनों मर्डर किसी और ने किए हैं. हत्याएं करने के बाद हत्यारा खून से दीवार पर एक नाम भी लिख कर गया था.

खून से दीवार पर जिस का नाम लिखा गया था, पुलिस को उस शख्स से सख्ती से पूछताछ करनी चाहिए थी. लेकिन पुलिस ने उस शख्स को बचा कर सीधेसादे रिशु ग्रोवर को फंसा कर जेल में डाल दिया. रिशु पर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं. लिहाजा उसे इस केस से बाइज्जत बरी किया जाना चाहिए. जिला एडिशनल सेशन जज ने तमाम गवाहों के बयान, सबूतों और वकीलों की जिरह के बाद आरोपी रिशु ग्रोवर को दोषी करार दिया और सजा सुनाने के लिए 13 सितंबर, 2018 का दिन नियत कर दिया. आखिर ऐसा क्या हुआ था कि इस हत्याकांड के फैसले पर लुधियाना के लोगों के अलावा वकीलों और मीडिया तक की निगाहें जमी थीं. सनसनी फैला देने वाले इस केस को समझने के लिए हमें घटना की पृष्ठभूमि में जाना होगा.

लुधियाना के बाबा थानसिंह चौक के निकट मोहल्ला फतेहगंज में बलदेव राज अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी ऊषा के अलावा 2 बेटियां आशना हिना के अलावा एक बेटा राहुल था. बड़ी बेटी आशना की वह शादी कर चुके थे. शादी के लिए 2 बच्चे और बचे थे. वह उन की शादी की भी तैयारी कर रहे थे, लेकिन इस से पहले ही उन की मृत्यु हो गई. बलदेव राज की मृत्यु के बाद घर की जिम्मेदारी ऊषा के ऊपर गई थी. खेती की जमीन से वह परिवार का गुजरबसर करने लगीं. पंजाब के तमाम लोग विदेशों में काम कर के अच्छा पैसा कमा रहे हैं. ज्यादा पैसे कमाने की चाह में राहुल भी अपने एक जानकार की मदद से आस्ट्रेलिया चला गया. वहां उसे अच्छा काम मिल गया था.

राहुल समझ नहीं पाया चचेरे भाई को  राहुल के आस्ट्रेलिया जाने के बाद लुधियाना में उस के घर में 55 वर्षीय मां ऊषा और 21 वर्षीय बहन हिना ही रह गई थीं. उन का ध्यान रखने के लिए राहुल अपनी बहन आशना और बहनोई विकास मल्होत्रा को कह गया था. इस के अलावा उस ने अपने चाचा के बेटे रिशु ग्रोवर से भी मांबहन का ध्यान रखने को कहा थारिशु टिब्बा रोड के इकबाल नगर में रहता था. वैसे भी ऊषा का घर बाबा थानसिंह चौक पर ऐसी जगह रास्ते में था कि रिशु आतेजाते अपनी ताई ऊषा का हालचाल जान लिया करता था. जब रिशु ऊषा के यहां आनेजाने लगा तो ऊषा उस से घर के छोटेमोटे काम करा लिया करती थीं.

इस में रिशु के मातापिता को भी कोई ऐतराज नहीं था. कुछ समय और बीता तो ताई के कहने पर रिशु कभीकभी रात को भी उन के घर रुकने लगा था. इसी बीच एक यह परेशानी सामने आई कि बाबू नाम का एक लड़का हिना के पीछे पड़ गया. बाबू का सेनेटरी का काम था. हिना जब भी घर से बाहर निकलती, बाबू उस का रास्ता रोक कर उस से छेड़छाड़ करता था. इस से परेशान हो कर हिना ने इस की शिकायत पहले रिशु से की और बाद में यह बात अपनी बहन और जीजा को भी बता दीरिशु ने अपने तरीके से बाबू को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना.

कोई हल निकलता देख हिना के बहनोई विकास ने इस की शिकायत थाना डिवीजन नंबर-3 में कर दी. पुलिस ने बाबू को थाने बुला कर धमका दिया. इस के बावजूद वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. यह सन 2012 की बात है. इस बीच राहुल आस्ट्रेलिया से लुधियाना लौटा तो यह बात उसे भी पता चली. लगभग 2 महीने लुधियाना में रहने के बाद जब वह वापस आस्ट्रेलिया लौटा तो अपनी मां ऊषा और बहन हिना की जिम्मेदारी वह रिशु को सौंप गया. आगे चल कर यही राहुल की सब से बड़ी भूल साबित हुई. रिशु एक आवारा, बदचलन और बेहद गिरा हुआ इंसान था. सिगरेट, शराब, जुए से ले कर कोई ऐसा गलत ऐब नहीं बचा था, जो रिशु में नहीं था.

ऊषा और हिना का ध्यान रखने की आड़ में वह ऊषा के घर पर ही अपना डेरा जमाए बैठा था. दरअसल, रिशु के खुराफाती दिमाग में एक भयानक षड्यंत्र ने जन्म ले लिया था. उस का सीधा निशाना हिना थी जो इस बात से बिलकुल अनजान थी. नाजायज रिश्ते, नाजायज तरीके. कब किसी इंसान को गुनाह के रास्ते पर ला कर खड़ा कर दें, कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. जिस भाई को राहुल मां और बहन की देखभाल की जिम्मेदारी सौंप गया था, उसी भाई के मन में एक अपराध ने जन्म ले लिया था.

अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए रिशु ने अपनी ताई की बेटी हिना को अपने जाल में फंसाना शुरू कर दिया. जल्दी ही वह अपने मकसद में कामयाब भी हो गया. उस ने हिना के साथ नाजायज रिश्ता कायम कर लिया. बाद में वह इसी नाजायज रिश्ते की आड़ ले कर उसे ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने लगा. उस से मिले पैसों का इस्तेमाल वह अपने सपने पूरे करने में खर्च करता था. ताज्जुब की बात यह थी कि उसी घर में रहते हुए भी ऊषा को इस सब की भनक तक नहीं लग पाई थी. इस की वजह यह थी कि रिशु अपनी ताई को खाने में नींद की गोलियां दे देता था. गोलियों के नशे को ऊषा अपनी उम्र का रोग समझती थीं.

शुरूशुरू में तो हिना रिशु के आकर्षण में फंस गई थी पर जब तक उसे उस की नीयत का पता चला, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. लेकिन अब पछताने से कोई फायदा नहीं था. क्योंकि वह सिर से ले कर पांव तक रिशु के चंगुल में फंसी हुई थी, जहां से अकेले बाहर निकलना उस के बूते की बात नहीं थी. अंत में हार कर हिना ने अपने भाई राहुल को आस्ट्रेलिया में फोन कर के यह बात बता दिया. यहां हिना ने एक बार फिर बड़ी गलती की. वह राहुल से अपने और रिशु के शारीरिक संबंधों और रिशु द्वारा ब्लैकमेल करने की बात छिपा गई थी. यह बात फरवरी 2013 की है.

अपनी बहन की बात सुन राहुल आस्ट्रेलिया से लुधियाना आया और उस ने रिशु को आड़े हाथों लिया. रिशु के मातापिता ने भी उस की अच्छी खबर ली. आखिर अपनी करनी से शर्मिंदा हो कर रिशु ने राहुल के अलावा अन्य सभी रिश्तेदारों से माफी मांग ली थी. रिशु बुनता रहा तानाबाना  बात तो यहीं खत्म हो गई थी पर राहुल कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था. उस ने हिना की शादी करने के लिए लड़के की तलाश शुरू कर दी और लुधियाना के पखोवाल रोड निवासी सौरव के साथ हिना की मंगनी कर के शादी पक्की कर दी. शादी की तारीख 20 नवंबर, 2013 तय कर दी गई. इस बार राहुल ने बहन की शादी की जिम्मेदारी अपनी बहन आशमा और जीजा विकास मल्होत्रा को सौंपी

यह सब कर के वह 24 अप्रैल, 2013 को आस्ट्रेलिया लौट गया. आस्ट्रेलिया जा कर उस ने वहां से 4 लाख रुपए और करीब 100 डौलर अपनी मां को भेजे. मां ने शादी की तैयारियां शुरू कर दी थीं. राहुल समयसमय पर अपनी मां को फोन कर के बात करता रहता था. 21 मई, 2013 को राहुल ने आस्ट्रेलिया से अपनी मां को फोन कर के हालचाल पूछना चाहा तो मां का फोन बंद मिला. उस ने 2-3 बार मां को फोन मिलाया, पर हर बार फोन बंद ही मिला. उस ने 22 मई को फिर से मां को फोन किया. उस दिन भी उन का फोन स्विच्ड औफ था. बहन हिना का फोन भी बंद रहा था. राहुल परेशान था कि दोनों के फोन क्यों नहीं मिल रहे.

फिर उस ने अपने जीजा विकास मल्होत्रा को फोन कर कहा, ‘‘जीजाजी, पता नहीं क्यों मां और हिना का फोन नहीं मिल रहा है. मैं कल से कोशिश कर रहा हूं. आप वहां जा कर पता तो करें, क्या बात है?’’

‘‘ऐसी तो कोई बात नहीं है. मैं और आशमा कल रात को वहीं थे. हो सकता है वे लोग सो रहे हों या कोई सामान खरीदने बाजार गए हों. फिर भी मैं जा कर देखता हूं.’’ विकास ने कहा. उस के बाद विकास अपनी पत्नी आशमा को ले कर ससुराल गया. दोनों ने वहां जा कर देखा तो मकान का मुख्य दरवाजा बंद जरूर था पर उस में कुंडी नहीं लगी थी. असमंजस की हालत में विकास ने अंदर जा कर देखा तो नीचे वाले कमरे में बैड पर सास ऊषा की खून से लथपथ लाश पड़ी थीमां की लाश देख कर आशमा की चीख निकल गई. विकास भी घबरा गया और सोचने लगा कि हिना कहां है. इस के बाद उस ने ऊपर के फ्लोर पर जा कर देखा तो बाथरूम के बाहर हिना की भी खून सनी लाश पड़ी थी. उस की लाश के पास दीवार पर खून सेबाबलिखा हुआ था. बाब यानी बाबू.

शक के दायरे में आया बाबू विकास को यह समझते देर नहीं लगी थी कि ये दोनों हत्याएं बाबू सेनेटरी वाले ने ही की है. क्योंकि वह हिना को अकसर परेशान करता था. विकास ने इस की सूचना थाना डिवीजन-3 को दे दी. साथ ही उस ने फोन द्वारा राहुल को भी बता दिया. सूचना मिलते ही इंसपेक्टर बृजमोहन, एसआई प्रीतपाल सिंह, एएसआई राजवंत पाल, हवलदार वरिंदर पाल सिंह, सरजीत सिंह और सिपाही राजिंदर सिंह के साथ बताए गए पते की तरफ रवाना हो गएघटनास्थल पर पहुंच कर उन्होंने लाशों का मुआयना किया तो पता चला कि उन की हत्या किसी धारदार हथियार से की गई थी. मौके पर उन्होंने क्राइम टीम को बुलवाया. कई जगह से फिंगरप्रिंट और खून के सैंपल लिए और दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया.

प्राथमिक पूछताछ में विकास मल्होत्रा से यह बात भी पता चली थी कि वारदात को अंजाम देने के बाद हत्यारे घर में रखे 4 लाख रुपए, 100 डौलर और सोने की एक चेन भी ले गए थे. विकास के बयानों के आधार पर पुलिस ने इस दोहरे हत्याकांड का मुकदमा आईपीसी की धारा 302, 460 के तहत दर्ज कर के तफ्तीश शुरू कर दी. विकास ने इस हत्याकांड का शक बाबू पर जाहिर किया था और दीवार पर भी खून सेबाबलिखा हुआ था, इसलिए इंसपेक्टर बृजमोहन ने बाबू को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी.

सख्ती से पूछताछ करने पर भी बाबू इस हत्याकांड के बारे में कुछ नहीं बता पाया था. उस का कहना था कि वह हिना का पीछा जरूर करता था पर इन हत्याओं में दूरदूर तक भी उस का कोई हाथ नहीं है. अचानक पुलिस को यह शक हुआ कि कहीं पैसों के लालच में विकास ने ही तो इस घटना को अंजाम नहीं दिया क्योंकि उसे भी पता था कि घर में इतना कैश रखा है. फोरेंसिक रिपोर्ट में यह बताया गया था कि घटनास्थल से मिले खून के सैंपल के साथ एक किसी तीसरे आदमी का भी खून था, जो शायद हत्यारे का थाइन्हीं आशंकाओं को देखते हुए पुलिस ने विकास से पूछताछ की. विकास ने भी खुद को बेकसूर बताया. उस से की गई पूछताछ के बाद भी पुलिस को हत्यारों से संबंधित कोई सुराग नहीं मिला.

संभावनाओं का पिटारा पुलिस के सामने खुला हुआ था. लेकिन अभी तक कोई ठोस लीड नहीं मिल रही थी. तफ्तीश के दौरान पुलिस को एक ऐसा शख्स मिला, जिस ने हत्यारे को घर से निकलते देखा था और वह उसे अच्छी तरह से पहचानता भी थाइस के बाद पुलिस ने अन्य सबूत जुटाने के लिए हिना के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर खंगाली. उस में कई संदिग्ध नंबर थे. उन सभी नंबरों में एक नंबर ऐसा भी था जिस पर हिना की सब से ज्यादा बातें होती थीं. वह नंबर हिना के चचेरे भाई रिशु ग्रोवर का थाफोन की काल डिटेल्स से सामने आया रिशु का नाम इस हत्याकांड के 2 दिन बाद राहुल भी आस्ट्रेलिया से गया.

25 मई को ही वह इंसपेक्टर बृजमोहन से मिला. राहुल ने बताया कि रिशु ने उस की बहन हिना से नाजायज संबंध बना लिए थे. इतना ही नहीं वह हिना को ब्लैकमेल कर उस से पैसे भी ऐंठता रहता था. राहुल के बयानों ने इस केस का पासा पलट दिया और कातिल सामने गया. पता चला कि हिना और ऊषा का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि रिशु ग्रोवर था. पुलिस ने रिशु को हिरासत में ले लिया. रिशु के खून की जांच कराई गई तो वह उसी खून से मैच कर गया जो घटनास्थल पर मृतकों के अलावा मिला था. रिशु से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस की निशानदेही पर इंसपेक्टर बृजमोहन ने नाले से हत्या में इस्तेमाल खंजर, प्लास्टिक के दस्ताने और एक रूमाल बरामद किया.

पुलिस ने हत्या के बाद लूटे हुए पैसों में से 2 लाख 11 हजार रुपए और 100 डौलर भी बरामद कर लिए. काररवाई पूरी करने के बाद रिशु को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था. तफ्तीश पूरी करने के बाद इंसपेक्टर बृजमोहन ने एक महीने बाद इस केस की चार्जशीट अदालत में दाखिल कर दी थी. पुलिस ने अदालत में तमाम गवाह पेश किए. उन में एक ऐसी महिला गवाह थी जिस ने इस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद रिशु को घटनास्थल से फरार होते देखा था. दरअसल वह महिला रोज तड़के ढाई बजे सेवा करने के लिए गुरुद्वारा साहिब जाती थी. उसी समय उस ने रिशु को ऊषा के घर से निकलते देखा था.

अदालत ने उस महिला की गवाही को अहम माना. तमाम गवाहों और सबूतों के आधार पर एडिशनल सेशन जज अरुणवीर वशिष्ठ ने रिशु ग्रोवर को दोषी ठहरायारिशु को दोषी ठहराने के बाद लोगों के जेहन में एक ही सवाल घूम रहा था कि पता नहीं 13 सितंबर को जज साहब उसे कौन सी सजा सुनाएंगे. लोगों के 3 दिन इसी ऊहापोह की स्थिति में गुजरे. आखिर वो दिन भी गया जो माननीय जज ने सजा सुनाने के लिए मुकर्रर किया थाआखिर गया फैसले का दिन13 सितंबर को तमाम लोग बड़ी बेताबी के साथ कोर्टरूम में पहुंच गए थे. सुबह ठीक 10 बजे माननीय जज अदालत में बैठे.

उन्होंने केस फाइल पर नजर डालते हुए कहा कि जिला अटौर्नी रविंदर कुमार अबरोल की दलीलों, गवाहों के बयानों और मौके पर मिले अन्य साक्ष्यों से यह बात पूरी तरह साबित हो जाती है कि रिशु ग्रोवर ने अपनी ताई और हिना को खंजर से ताबड़तोड़ वार कर के बेरहमी से मार डाला थारिशु चचेरी बहन से अवैध संबंध बना कर उसे ब्लैकमेल कर पैसे वसूलता था, जबकि 6 महीने बाद उस की शादी तय थी. लिहाजा ब्लैकमेलिंग का धंधा पैसा मिलना बंद होने की रंजिश में ही उस ने दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था और हिना की शादी के लिए घर में रखा सारा पैसा लूट लिया था.

रिशु इतना शातिरदिमाग था कि दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने के बाद उस ने पुलिस को गुमराह करने के लिए घर में रखे गहने कैश भी गायब कर दिए थे. साथ ही दीवार पर खून सेबाबलिख दिया था, जिस से पुलिस उस तक पहुंच सके. दोषी की घृणित मानसिकता से यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि उस ने जघन्यतम अपराध किया है. ऐसे आदमी को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है. अभियोजन पक्ष ने अपनी चार्जशीट में आरोपी पर जो आरोप लगाए हैं, वह उन्हें पूरी तरह से साबित करने में सक्षम रहा है.

आरोपी का दोष पूरी तरह से साबित होता है, लिहाजा भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अंतर्गत दोषी रिशु ग्रोवर को अदालत मृत्युदंड की सजा सुनाती है. अपना फैसला सुनाने के बाद न्यायाधीश अरुणवीर वशिष्ठ ने अपनी कलम की निब तोड़ दी और उठ कर अपने चैंबर में चले गए. रिशु ग्रोवर को फांसी की सजा सुनाए जाने पर आशमा और उस के पति विकास ने संतोष व्यक्त किया.

  

Family dispute : पत्नी की आंखों में मिर्ची झोंक कर किया कत्ल

Family dispute : कौशल किशोर जैसे लोगों की समाज में कमी नहीं है, जो खुद की जिंदगी को तो नरक बनाए ही रहते हैं, पत्नी और बच्चों को भी नहीं छोड़ते. कौशल किशोर अगर चाहता तो लेक्चरर राजकंवर के साथ चैन की जिंदगी गुजार सकता था, लेकिन..

गभग 40-45 साल की थुलथुल जिस्म की सुमित्रा पिछले 15-20 मिनट से राजकंवर के फ्लैट की कालबेल बजा रही थी. जब दरवाजा नहीं खुला तो वह परेशान हो गई. फिर थकहार कर वहीं बैठ गई. वह झल्लाते हुए आश्चर्य से दरवाजे की तरफ देख रही थी. उसे समझ नहीं रहा था कि एक बार कालबेल बजाने पर दरवाजा खोल देने वाली राजकंवर मेमसाहब दरवाजा क्यों नहीं खोल रहीं. जबकि फ्लैट के अंदर गूंजती कालबेल की आवाज उसे बाहर भी सुनाई दे रही थी. बमुश्किल कमर पर हाथ रख कर खड़ी हुई सुमित्रा ने एक बार फिर दरवाजा खुलवाने की कोशिश में दरवाजे को हाथ से जोर से पीटा. इतना ही नहीं, उस ने मेमसाहब का नाम ले कर भी दरवाजा खोलने को कहा. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. सुमित्रा राजकंवर नागर के यहां खाना बनाने, कपड़े धोने से ले कर सभी घरेलू कामकाज करती थी.

जिस फ्लैट की हम बात कर रहे हैं, वह कोटा से लगभग 100 किलोमीटर दूर शहरनुमा कस्बे इटावा की सरोवर कालोनी में स्थित स्थानीय राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल की व्याख्याता राजकंवर नागर का था, जहां वह अपने पति कौशल किशोर और 6 वर्षीय बेटे उदित के साथ किराए पर रह रही थीं. उस दिन मंगलवार था और तारीख थी 4 सितंबर. सुबह के करीब 8 बज चुके थे. जब सुमित्रा रोजाना की तरह राजकंवर के फ्लैट पर पहुंची थी. उस तिमंजिला इमारत में राजकंवर दूसरी मंजिल के आखिरी ब्लौक में रहती थीं. सुमित्रा राजकंवर की रोजमर्रा की दिनचर्या से भलीभांति वाकिफ थी.

सुबह जिस समय सुमित्रा काम करने के लिए फ्लैट पर पहुंचती थी, राजकंवर ब्रेकफास्ट कर चुकी होती थीं और स्कूल जाने के लिए तैयार मिलती थीं. बेटे उदित को भी स्कूल जाना होता था, इसलिए वह भी उन के साथ जाने को तैयार हो चुका होता था. आमतौर पर दरवाजा राजकंवर ही खोलती थीं. कभीकभार ही ऐसा हुआ होगा कि उबासियां और अंगड़ाइयां लेते हुए उन के पति ने दरवाजा खोला हो. जब फ्लैट का दरवाजा नहीं खुला तो सुमित्रा को किसी अनहोनी का अंदेशा सताने लगा था. इतनी देर तक राजकंवर मेमसाहब के सोते रहने का तो कोई सवाल ही नहीं था.

राजकंवर के बगल वाले फ्लैट में रहने वाले कुंदनलाल रहेजा (परिवर्तित नाम) को सिर्फ घंटी की आवाज सुनाई दे रही थी, बल्कि वह कामवाली बाई सुमित्रा की आवाजें भी सुन रहे थे. सब कुछ इतना संदेहास्पद था कि उन से रहा नहीं गया. रहेजा कारोबारी थे. लिहाजा उस समय वह दुकान पर जाने की तैयारी में थे. उन्हें भी समझ नहीं रहा था कि राजकंवर या उन के पति दरवाजा क्यों नहीं खोल रहे. आखिरकार जब रहेजा से रहा नहीं गया तो वह अपने फ्लैट का दरवाजा खोल कर बाहर आए, जहां उन की नजरें सामने खड़ी सुमित्रा पर पड़ीं.

रहेजा ने सुमित्रा से पूछा, ‘‘क्या बात है सुमित्रा?’’

खून से लथपथ मिलीं राजकंवर अब तक अनहोनी के अंदेशे से सांस ऊपरनीचे करती सुमित्रा को जैसे राहत मिल गई. उस ने शिकायती लहजे में कहा, ‘‘देखिए सेठजी, कितनी देर से मैं घंटी बजा रही हूं, दरवाजा भी खटखटा चुकी हूं, लेकिन कोई दरवाजा खोल ही नहीं रहा.’’

अनहोनी की आशंका में डूबतेउतराते रहेजा ने भी कालबेल बजाई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. उन्होंने सुमित्रा से पूछा, ‘‘मैडम का बेटा उदित भी तो होगा अंदर, उसे दरवाजा खोल देना चाहिए था.’’

‘‘साहबजी, वो तो 3-4 दिन से अपने नाना के घर गया है. वह 6 साल का ही तो है, यहां होता भी तो दरवाजा खोलना उस के वश की बात नहीं थी.’’ सुमित्रा ने बताया.

आखिर थकहार कर रहेजा ने मोबाइल पर राजकंवर का मोबाइल नंबर डायल किया. लेकिन कुछ देर रिंग जाने के बाद एक घिसीपिटी रिकौर्डिंग सुनाने के साथ ही मोबाइल बंद हो गया. रहेजा के कानों में जैसे खतरे की घंटियां बजने लगीं. कुछ सोच कर उन्होंने सुमित्रा को वहीं रुकने को कहा और फिर अपने फ्लैट के पिछवाड़े की बालकनी की तरफ बढ़े. तब तक आवाज सुन कर इमारत के कुछ और लोग भी वहां गए थे. रहेजा ने अपने नेपाली नौकर को बालकनी की परछत्ती पर चढ़ कर राजकंवर के कमरे में झांकने को कहा. बहादुर सब कुछ सुन चुका था, इसलिए वह भी घबराया हुआ था. लेकिन लोगों के हौसला दिलाने पर ऊपर चढ़ कर उस ने जो कुछ देखा, बुरी तरह सहम कर रह गया. वह घबरा कर नीचे कूदा और हांफते हुए बोला, ‘‘शाबशाबमेमशाब नीचे फर्श पर पड़ा है. आसपास खून फैला है.’’

बहादुर ने जो कुछ बताया, उस से वहां के माहौल में सन्नाटा खिंच गया. आगे की काररवाई की पहल भी रहेजा ने ही की. उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन कर दिया. आधे घंटे के अंदर थानाप्रभारी संजय राय की अगुवाई में पुलिस टीम वहां पहुंच गई. पुलिस ने वहां मौजूद रहेजा और अन्य लोगों से पूछताछ की. चूंकि फ्लैट का दरवाजा बंद था, इसलिए लोगों की मौजूदगी में दरवाजा तोड़ कर थानाप्रभारी फ्लैट में घुसे तो सामने का दृश्य देख कर भौंचक रह गए. राजकंवर जमीन पर बेसुध पड़ी हुई थीं और उन के कपड़े खून से सने हुए थे

एक बार जान बचाई पुलिस ने थानाप्रभारी ने चैक किया तो राजकंवर की सांस फंसफंस कर रही थीं. यानी कि वह जीवित थीं, लेकिन जिस तरह उन की कनपटी और कलाइयों से खून रिस रहा था और साड़ीब्लाउज खून से सने थे, लगता था उन के साथ बड़ी निर्दयता से मारपीट की गई थी. संजय राय ने राजकंवर को अस्पताल भेजने का बंदोबस्त कियाइस के बाद उन्होंने पूरे कमरे का निरीक्षण किया. सब कुछ उलटापुलटा पड़ा था. लगता था, हमलावर ने कमरे में रखे सामान पर भी अपना गुस्सा उतारा था. थानाप्रभारी ने पूछा, ‘‘क्या राजकंवर यहां अकेली रहती थीं?’’

‘‘नहीं सर,’’ रहेजा ने बताया, ‘‘इन का पति कौशल किशोर और करीब 6 साल का बेटा उदित भी रहता है.’’

‘‘…तो वे दोनों कहां हैं?’’ राय ने रहेजा से ही पूछा.

‘‘सर, बेटा तो 3-4 दिन पहले ही ननिहाल गया है. लेकिन पति कौशल किशोर को तो यहीं होना चाहिए था.’’ इस के साथ ही रहेजा ने इधरउधर नजरें दौड़ाने के बाद कहा, ‘‘वह तो कहीं नजर नहीं रहे. पता नहीं कहां हैं?’’

थानाप्रभारी ने रहेजा से ही पूछा, ‘‘आप के पड़ोस के फ्लैट में इतना घमासान मचा और आप को भनक तक नहीं लगी.’’

पति नहीं, कसाई था वो त्रहेजा ने कुछ पल चुप्पी साधे रहने के बाद कहना शुरू किया, ‘‘साहब, पतिपत्नी के बीच झगड़ाफसाद होना रोज की बात थी. मैडम के पति का तो स्वभाव ही बेसुरा था. किसी से बोलचाल तक नहीं थी. कोई बात करता भी और समझाता भी तो कैसे, वह तो बातबात पर खाने को दौड़ता था

‘‘पता नहीं कोई काम करता भी था या नहीं. हम ने तो उसे कभी काम पर जाते नहीं देखा. अगर वह गायब है तो सीधा मतलब है कि मैडम की ऐसी दुर्गति उसी ने की होगी.’’

थानाप्रभारी घटनास्थल की जरूरी काररवाई कर के थाने लौट आए. फिर वह अस्पताल में राजकंवर को देखने पहुंचे. उन की हालत में सुधार हो रहा था. घटना के 2 दिन बाद यानी 6 सितंबर को राजकंवर बयान देने लायक हो गईं. उन्होंने बताया कि उन पर जानलेवा हमला किसी और ने नहीं, उन के पति ने ही किया था. राजकंवर ने पति के खिलाफ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कराई. उन्होंने अपनी जो कहानी थानाप्रभारी संजय राय को सुनाई, उस का एकएक शब्द चौंकाने वाला था.

राजस्थान के जिला कोटा के कस्बा दीगोद के रमेशचंद नागर संपन्न व्यक्ति हैं. उन के पास अच्छीखासी खेतीबाड़ी है. करीब 8 साल पहले सन 2010 में उन्होंने अपनी इकलौती बेटी राजकंवर का विवाह करीबी कस्बे अयाना के कौशल किशोर नागर से कर दिया था. कौशल किशोर के पिता भी किसान थे. राजकंवर पढ़ाईलिखाई में काफी होशियार थी, उस ने शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और एमएड की डिग्री हासिल कर ली. नतीजतन उन्हें लेक्चरर की प्रतिष्ठित नौकरी मिल गई. राजकंवर की पोस्टिंग नजदीक के कस्बा इटावा के राजकीय सीनियर सैकेंडरी स्कूल में हुई थी. वह पिछले डेढ़ साल से इटावा में तैनात थीं, इसलिए घर से स्कूल आनेजाने में कोई दिक्कत नहीं थी.

शादी के 2 साल बाद ही राजकंवर को बेटा हुआ, जिस का नाम उन्होंने उदित रखा. उदित अब 6 साल का हो गया था. उन्होंने अपने बेटे का दाखिला इटावा के एक निजी स्कूल में करा दिया था. राजकंवर के जीवन की सब से दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी यह थी कि विवाह के कुछ ही सालों में पति कौशल किशोर और उन के दांपत्य संबंधों में तनाव गया था. यह तनाव दिनोंदिन बढ़ता जा रहा था. पूरा परिवार खेती पर आश्रित था, इसलिए नियमित आमदनी के लिए कौशल किशोर क्या करता है, उस ने कभी पत्नी को नहीं बताया. उस के स्वभाव को देखते हुए राजकंवर ने उस से पूछताछ नहीं की.

बेटे के जन्म पर तो लोग खुशी से दोहरे हो जाते हैं, लेकिन उदित के पैदा होने पर कौशल के चेहरे पर खुशी नहीं दिखी. इतना ही नहीं, पत्नी के प्रति कौशल की नफरत में इजाफा होता रहा. राजकंवर तीन पाटों में फंसी हुई थी. एक तरफ पति की रोजरोज की मार और दुत्कार थी तो दूसरी तरफ पारिवारिक मर्यादा और अपने पिता से सब कुछ छिपाए रखने की मजबूरी थी. और तीसरी थी पति के तौरतरीके देख कर अपने भविष्य की चिंता. पति के जुल्म पर ससुर की खामोशी भी उसे हैरान करती थी. रोजरोज की कलह तब और ज्यादा बढ़ गई, जब कौशल ने राजकंवर के चरित्र पर लांछन लगाना शुरू कर दिया. पढ़ाई के दौरान वह किसी व्यक्ति या टीचर से बात कर लेतीं तो राजकंवर पर कौशल के लातघूंसों का कहर टूट पड़ता था.

राजकंवर जब कभी मायके में अपने मातापिता से मिलने जातीं तो चुपचाप ही रहती थीं. उन के चेहरे पर हमेशा उदासी छाई रहती थी. पिता रमेशचंद  को उड़तेउड़ते कुछ भनक लगी थी, इसलिए उन्होंने ससुरालियों के व्यवहार को ले कर बेटी से पूछताछ भी की, लेकिन राजकंवर ने उन्हें अपने दिल का दर्द कभी नहीं बताया. पत्नी पर लगाता था निराधार आरोप शराब के नशे में धुत पत्नी से मारपीट पर उतारू होते कौशल का यह रटारटाया इलजाम होता था कि पढ़ाई के बहाने जाने किसकिस से पेंच लड़ाती है. राजकंवर के दिल पर ये गंदे आरोप तीर की तरह चुभते थे. नतीजतन कलह की कड़वाहट का परनाला पूरे गलीमोहल्ले में फूट पड़ता था. यह राजकंवर का दुर्भाग्य था कि उसे जुल्म से बचाने के लिए ससुर खड़े हुए और ही पासपड़ोस के लोग.

राजकंवर चुप्पी साधे रहीं, लेकिन जब सहनशक्ति जवाब दे गई तो रहने के लिए वह इटावा गईं. पति को वह साथ नहीं रखना चाहती थीं, लेकिन यह सोच कर साथ रखा कि लोगों के तानों से भी बची रहेंगी और यहां रह कर पति भी शायद सुधर जाए. लेकिन सुधरना तो दूर, पति और दरिंदा हो गया. वह यहां भी उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडि़त करता. थानाप्रभारी ने राजकंवर के पति कौशल किशोर नागर को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया. उसे सबडिवीजनल मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया गया तो उस ने अपनी गलती की क्षमा मांगी

मामला पारिवारिक था, इसलिए अदालत ने उसे पत्नी से अलग रहने की ताकीद करते हुए कहा कि अगर भविष्य में वह पत्नी राजकंवर के पास गया, उसे धमकाया, मारपीट या अभद्रता की तो उस के खिलाफ सख्त कानूनी काररवाई की जाएगी. कौशल किशोर के लिए यह फैसला अंगारों पर लोटने जैसा था. कानूनी ताकीद के बावजूद अपमान से तिलमिलाता कौशल घर छोड़ कर जाती राजकंवर को धमकाने से बाज नहीं आया. उस ने कहा, ‘‘देखता हूं, तुझे मेरे पंजों से कौन सा कानून बचाता है.’’

इस घटना के बाद राजकंवर पति कौशल किशोर से अपना रिश्ता खत्म कर के अपने बेटे उदित को ले कर कोटा गईं और किराए का मकान ले कर रहना शुरू कर दिया. वह कोटा से ही रोजाना ड्यूटी के लिए अपडाउन करती थीं. लेकिन राजकंवर के सिर से दुर्भाग्य की छाया अभी छंटी नहीं थीसंजय राय अनुभवी पुलिस अधिकारी थे. राजकंवर के पति कौशल किशोर को जिस समय मजिस्ट्रैट के सामने पाबंद किया जा रहा था, संजय राय ने उस की अंगार सी सुलगती आंखों में छिपा लावा देख लिया था. वह अपने सहयोगी से अपने मन की बात कहे बिना नहीं रहे, ‘इस की आंखों में भेडि़ए की सी मक्कारी है. मैं दावे से कह सकता हूं कि इस में इंसानी जज्बा कतई नहीं है. यह शख्स कब क्या कर जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता.’

राय का सहयोगी पता नहीं उन की बात की गहराई समझा या नहीं, यह तो पता नहीं लेकिन राय ने जो अंदेशा जताया था, घटना के ठीक 10 दिन बाद 17 सितंबर को हो गया. सोमवार की दोपहर जिस समय थानाप्रभारी संजय राय अपने औफिस में बैठे थे, तभी फोन की घंटी बजी. उन्होंने अनमने मन से फोन उठाया, ‘‘यस, इटावा पुलिस स्टेशन.’’

दूसरी तरफ से हड़बड़ाती सी आवाज सुनाई दी, ‘‘साहब, पीपल्दा रोड पर स्थित एक निजी स्कूल के गेट पर अभीअभी एक टीचर की गला रेत कर हत्या कर दी गई है.’’

‘‘कौन? किस की?’’ पूछते हुए थानाप्रभारी चिल्लाते ही रह गए. लेकिन दूसरी से फोट कट चुका था. काल बन गया कौशल किशोर थानाप्रभारी तुरंत बताए गए पते की ओर रवाना हो गए. साथ ही उन्होंने एसपी (ग्रामीण) राजीव पचार को भी घटना की जानकारी दे दी. घटनास्थल पर खासी भीड़ जुटी हुई थी. स्कूल का पूरा स्टाफ वहां मौजूद था. उन्हें जब बताया गया कि मरने वाली सीनियर सैकेंडरी स्कूल की व्याख्याता राजकंवर थीं तो संजय राय सन्न रह गए. राय ने पूछा, ‘‘लेकिन राजकंवर का इस स्कूल में क्या काम?’’

स्कूल स्टाफ ने पूरा वाकया बयान करते हुए कहा, ‘‘राजकंवर का बेटा उदित यहीं पढ़ता था. अब वह कोटा रहने लगी थीं तो बेटे का दाखिला कोटा के किसी स्कूल में कराने के लिए बेटे की टीसी लेने आई थीं.’’

‘‘…फिर?’’ राय ने बेसब्री से पूछा.

‘‘दोपहर करीब 12 बजे राजकंवर अपने स्कूल के छात्र गोलू बैरवा की मोटरसाइकिल पर यहां पहुंची थीं.’’ स्टाफ के एक व्यक्ति ने बताया.

गोलू बैरवा वहीं मौजूद था. उस ने बात पूरी करते हुए कहा, ‘‘मैडम, टीसी लेने स्कूल के भीतर चली गई थीं. लेकिन मैं ने बाहर ही इंतजार करना ठीक समझा. जैसे ही बाहर कर वह मेरे पास पहुंची, अचानक कोई पीछे से आया और मेरी और मैडम की आंखों में मिर्ची झोंक दी. मैं ने आंखें मलते हुए मैडम की तरफ देखा तो वह खून से लथपथ नीचे पड़ी थीं. लगता था उन का गला काट दिया गया था. गले और सीने से खून बह रहा था. मैं जोर से चिल्लाया तो लोग इकट्ठा हो गए.’’

‘‘तुम ने देखा, कौन था वो?’’ राय ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, मिर्ची की जलन और दर्द के मारे चेहरा तो दूर आदमी को ही नहीं देख पाया.’’ गोलू ने बताया.

थानाप्रभारी राय ने तुरंत घायल राजकंवर को अस्पताल पहुंचाया. तब तक एसपी राजीव पचार भी मौके पर गए थे. छात्र गोलू बैरवा से की गई पूछताछ की बाबत राय ने एसपी साहब को जानकारी दी तो उन्होंने भी गोलू से पूछताछ की. एसपी पचार ने गोलू को भी तुरंत अस्पताल भिजवा दिया. उसी समय उन की नजर धूप से चमकते चाकू पर पड़ी. उन्होंने राय की तरफ देख कर कहा, ‘‘यह मर्डर वेपन लगता है. जल्दी में हमलावर इसे यहीं छोड़ कर भाग गया होगा. कोटा के एसपी भार्गव को घटना की जानकारी दे कर एफएसएल टीम भिजवाने का आग्रह किया. साथ ही उन्होंने सीओ भोपाल सिंह और थानाप्रभारी राय को निर्देश दिया कि अभी हमलावर ज्यादा दूर नहीं जा पाया होगा, शहर की नाकेबंदी का बंदोबस्त करो.’’

राजकंवर ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था. चिकित्सा प्रभारी डा. के.सी. शर्मा ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मृतका के शरीर पर एक दरजन से ज्यादा घाव थे, जो किसी नुकीले हथियार से किए गए थे. लगता था ताबड़तोड़ वार किए गए थेपिता ने बताई हकीकत बेटी की नृशंस हत्या की खबर पा कर इटावा पहुंचे पिता रमेशचंद नागर ने इस मामले में राजकंवर के पति कौशल किशोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई. थानाप्रभारी राय उस समय हैरान रह गए, जब रमेशचंद नागर ने बिलखते हुए बताया कि अदालत के पाबंद करने के बावजूद कौशल किशोर राजकंवर के पीछे पड़ा हुआ था. वह मोबाइल पर उसे जान से मारने की धमकियां देता था.

केस दर्ज होने के बाद पुलिस आरोपी की तलाश में जुट गई. मुखबिर से मिली सूचना पर कौशल किशोर को तीसरे दिन इटावा के गणेशगंज चौराहे से गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस पूछताछ में वह जल्दी ही टूट गया. एसपी (देहात) राजीव पचार, सीओ भोपाल सिंह की मौजूदगी में थानाप्रभारी राय द्वारा की गई पूछताछ में उस ने बताया कि उस ने पत्नी की आवाजाही पर नजर रखने के लिए 2 दिन तक रेकी की थी. बेटे उदित को स्कूल ले जाने वाले वैन ड्राइवर से भी जानकारी जुटाई थी. घटना वाले दिन उस ने नकाब पहन कर उस का पीछा किया था. फिर मौका पा कर उस की आंखों में मिर्ची झोंक कर उस पर चाकू से हमला कर दिया. उस ने बताया कि पत्नी ने पुलिस से पाबंद करा कर उस का अपमान किया था, इसलिए उस ने उस के साथ ऐसा किया

पुलिस ने कौशल किशोर नागर से पूछताछ के बाद उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.                 

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित