Love Crime : जींस की बेल्ट से गला दबाकर की बहन के प्रेमी की हत्या

Love Crime : शादी के वादे पर 2 साल रिलेशनशिप, रोजाना के शारीरिक संबंध, कई बार गर्भपात. आखिर कितना सह सकती है एक युवती. जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो…

हमेशा की तरह साहिल दोपहर का खाना खा कर काम पर जाने के लिए घर से निकला था. लेकिन अगले दिन सुबह 9 बजे तक घर वापस नहीं लौटा तो उस की अम्मी नसीम खान का दिल एक अनजानी आशंका में घबराने लगा. घबराहट इसलिए भी थी कि साहिल का फोन लगातार स्विच्ड औफ था. मां की घबराहट वाजिब भी थी क्योंकि साहिल उन का एकलौता बेटा था. 7 साल पहले नसीम के पति सहीम खान की मौत के बाद नसीम ने एकलौते बेटे साहिल और 3 बेटियों को कड़ी मेहनत और कष्ट उठा कर पाला था.

नसीम के पति सहीम का लेडीज टेलरिंग का काम था. उन का इंतकाल होने के बाद नसीम ने बच्चों की परवरिश के साथ पति के काम को संभालने की जिम्मेदारी भी उठा ली. दिल्ली के वजीराबाद स्थित गली नंबर- 9 में प्लौट नंबर एच-9 पर बने अपने घर में ही उस ने बुटीक का काम शुरू कर दिया. बड़ी बेटी आयशा ने भी मां का हाथ बंटाना शुरू कर दिया. साहिल (23 साल) बड़ी बहन आयशा से 1 साल छोटा था. साहिल से छोटी उस की 2 बहनें नाजिमा और फातिमा हैं. 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद साहिल ने भी अपनी मां नसीम का हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. नसीम और उन की तीनों बेटियां साहिल को प्यार से राजा पुकारते थे, इसलिए जवान होने तक उस का उपनाम राजा ही पड़़ गया.

साहिल उर्फ राजा प्रिंटिंग प्रैस में मशीनमैन के रूप में काम करता था. राजा के पिता सहीम खान के एक दोस्त हैं अब्दुल सत्तार. शास्त्री पार्क दिल्ली में उन की प्रिंटिंग प्रैस है. कोरोना वायरस महामारी के बाद लौकडाउन के कारण प्रिंटिंग प्रैस का काम बहुत अच्छा नहीं चल रहा था. फिर भी छोटामोटा काम आता रहता था. इसीलिए राजा कुछ घंटों के लिए प्रिंटिंग प्रैस जरूर जाता था. जब काम अधिक होता था तो वह रात में वहीं रुक जाता था. 10 सितंबर, 2020 को शाम करीब 4 बजे राजा अपने घर से मोटरसाइकिल ले कर प्रिंटिंग प्रैस जाने के लिए निकला था.

रात को करीब 10 बजे उस ने फोन कर के अपनी मां से बताया था कि वह रात को घर नहीं आएगा. लेकिन आमतौर पर राजा जब रात को घर से बाहर होता था तो सुबह 8 से 9 तक घर जरूर लौट आता था. 11 सितंबर को ऐसा नहीं हुआ तो मां नसीम और बहन आयशा ज्यादा परेशान हो गईं. इस दौरान आयशा प्रिंटिंग प्रैस के मालिक अब्दुल सत्तार के अलावा राजा के सभी दोस्तों और जानकारों से फोन कर के उस के बारे में पूछताछ कर चुकी थी. किसी से कुछ पता नहीं चला. मनहूस खबर इसी बीच सुबह साढे़ 11 बजे के करीब मोबाइल देखते हुए अचानक आयशा की नजर अपनी ही कालोनी के एक वाट्सऐप ग्रुप पर पड़ी.

वाट्सऐप ग्रुप में एक लाश की फोटो थी, जिस में लाश की शिनाख्त करने की अपील करते हुए जानकारी दी गई थी कि यह लाश आज सुबह पुलिस ने गली नंबर 9 में अमीना मसजिद के पास से बरामद की थी. लाश के चेहरे और कपड़ों पर नजर पड़ते ही आयशा के मुंह से चीख निकल गई, ‘हाय अल्लाह यह क्या हुआ? अम्मी… अम्मी, जल्दी आओ… देखो भाईजान के साथ यह क्या हो गया.’

रसोईघर से निकल कर नसीम बाहर आई तो देखा बेटी आयशा बदहवास हालत में जमीन पर बैठी मोबाइल की स्क्रीन को देख कर छाती पीटते हुए रो रही थी. इस के बाद आयशा ने नसीम को जो कुछ बताया, उसे जान कर उन्हें भी धरतीआसमान घूमते नजर आने लगे. इस दौरान नसीम और आयशा की चीख और करुण रुदन सुन कर बाकी दोनों बहनें भी अपने कमरों से बाहर निकल आईं. दरअसल, वाट्सऐप का यह मैसेज नसीम के परिवार पर कहर बन कर टूटा था. जिस बेटे के लौटने का वह सुबह से बेसब्री के साथ इंतजार कर रही थीं, उस की मौत हो चुकी थी.

दरअसल उसी सुबह करीब साढ़े 7 बजे वजीराबाद इलाके की अमीना मसजिद की सीढि़यों के पास राहगीरों ने सड़क पर एक युवक को अचेत अवस्था में पड़ा देखा, जिस के बाद लोगों ने पुलिस नियंत्रण कक्ष को सूचना दी. पुलिस कंट्रोल रूम की गाड़ी कुछ ही मिनटों में मौके पर पहुंच गई. पुलिस कंट्रोल रूम ने आगे की काररवाई के लिए वजीराबाद थाने को सूचना दे दी. क्योंकि यह इलाका इसी थाना क्षेत्र में आता था. सूचना मिलने के बाद एसएचओ पी.सी. यादव अमीना मसजिद इलाके के बीट औफिसर तथा एडिशनल एसएचओ गुलशन कुमार को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

जांचपड़ताल के बाद पता चला कि युवक की मौत हो चुकी है. मृतक की उम्र तकरीबन 20 से 25 साल रही होगी, जिस के शरीर पर गेहुंए रंग की टी शर्ट और ब्लैक कलर की जींस थी. लाश को मसजिद की सीढि़यों पर घसीट कर ला कर डाला गया था. क्योंकि मृतक के पांव में चप्पल या जूते नहीं थे, इसलिए साफ समझा जा सकता था कि उस की मौत यहां नहीं हुई थी. युवक के शरीर पर किसी चोट या घाव इत्यादि के निशान नहीं थे. न ही शरीर के किसी हिस्से से खून बह रहा था. हां, उस के गले पर कुछ निशान जरूर थे. जांच करने पर लाश के मुंह से शराब की दुर्गंध आ रही थी, इसलिए ज्यादा शराब पीने के कारण अथवा हार्ट अटैक की आशंका भी लग रही थी. पुलिस को उम्मीद थी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत की वजह साफ हो जाएगी.

पुलिस की पहली प्राथमिकता लाश की जल्द शिनाख्त करना था. एएसआई प्रदीप कुमार इलाके के बीट आफिसर थे. वजीराबाद की गली नंबर 9 एक ऐसा इलाका है, जिस से करीब 50 गलियां आपस में जुड़ती हैं. एसएचओ पी.सी. यादव के कहने पर एएसआई प्रदीप ने आसपास के लोगों को बुला कर लाश की शिनाख्त कराने का प्रयास किया. सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने लाश के फोटो खींच कर इलाके में रहने वाले अधिकांश जिम्मेदार लोगों को वाट्सऐप पर भेजे. उन्होंने इलाके के जानकार लोगों से लाश की फोटो अन्य वाट्सऐप ग्रुपों को भेजने के लिए भी कहा.

पुलिस की ये तरकीब काम आई. यही फोटो करीब साढ़े 11 बजे आयशा ने अपने मोबाइल पर कालोनी के एक वाट्सऐप ग्रुप में देखी. मरने वाला उस का छोटा भाई साहिल उर्फ राजा था. लाश के साथ जो मैसेज लिखा था, उस में स्पष्ट किया गया था कि लाश की पहचान करने वाले तत्काल वजीराबाद थाना पुलिस से संपर्क करें. वाट्सऐप मैसेज में राजा की लाश का फोटो देखने के बाद उस के घर में मातम शुरू हो गया था. तीनों बहनें और मां छाती पीटने लगीं. कुछ देर में जानकारी मिलने पर लोग उन के घर पहुंच गए. लोगों का मजमा लग गया. उस के बाद घर वाले रिश्तेदारों के साथ वजीराबाद थाने पहुंचे. वजीराबाद पुलिस तब तक गली नंबर 9 में मिले शव को पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी मोर्चरी भेज चुकी थी. इस से पहले जांचपड़ताल के लिए फोरैंसिक टीम ने घटना की सभी औपचारिकता पूरी कर ली थी.

एसएचओ पी.सी. यादव ने इलाके के एसीपी सुरेशचंद्र और डीसीपी एंटो अल्फांसो को भी इलाके में मिली लाश की सूचना दे दी थी. एसएचओ पी.सी. यादव ने घटनास्थल से लौटने के बाद वजीराबाद थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में अज्ञात व्यक्ति की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था. जांच का काम अतिरिक्त थानाप्रभारी और इंसपेक्टर इनवैस्टिगेशन का काम देख रहे गुलशन कुमार गुप्ता के सुपुर्द कर दिया. जांच का काम हाथ में लेते ही इंसपेक्टर गुलशन ने सबइंस्पेक्टर देवेंद्र, एएसआई प्रदीप और राजीव कुमार के नेतृत्व में टीम गठित की. इस टीम में हैडकांस्टेबल कैलाश, कांस्टेबल रितेश, अजय और महिला हैडकांस्टेबल सुजाता को शामिल किया गया.

घर वाले पहुंचे थाने पुलिस ने जब तक ये कवायद की, तब तक साहिल उर्फ राजा के घर वाले वाट्सऐप ग्रुप पर उस का फोटो देख कर वजीराबाद थाने पहुंच गए. एसएचओ पी.सी. यादव से मिलने के बाद राजा के परिवार वालों ने सब्जीमंडी मोर्चरी पहुंच कर इस बात की पुष्टि कर दी कि शव साहिल उर्फ राजा का ही है. शिनाख्त की काररवाई होने के बाद इंसपेक्टर गुलशन ने राजा के घर वालों को सांत्वना दे कर उन से राजा की किसी से रंजिश, लेनदेन के विवाद और तमाम शंकाओं के बारे में जानकारी हासिल की. घर वालों ने इंसपेक्टर गुलशन को ऐसे किसी भी पहलू पर कोई संदेहजनक बात नहीं बताई. उन्होंने पुलिस को 10 तारीख को राजा के घर से जाने से ले कर रात को आखिरी बार फोन पर हुई बातचीत की जानकारी दे दी.

राजा घर से अब्दुल सत्तार की प्रिंटिंग प्रैस पर गया था. इंसपेक्टर गुलशन ने अब्दुल सत्तार का एड्रेस और फोन नंबर ले कर उसी समय एक टीम भेज कर उसे थाने बुलवा लिया. इंसपेक्टर गुलशन ने अपनी टीम को 3 हिस्सों में बांट कर उन्हें अलगअलग काम सौंप दिए. एक टीम गली नंबर 9 में अमीना मसजिद के पास आने वाले रास्तों पर लगे सभी सीसीटीवी फुटेज की जांचपड़ताल का काम करने लगी. दूसरी टीम शास्त्री पार्क से प्रिंटिंग प्रैस चलाने वाले अब्दुल सत्तार को थाने ले आई. अब्दुल सत्तार ने इंसपेक्टर गुलशन को बताया कि राजा शाम 5 बजे जब प्रिंटिंग प्रैस पर आया था तो उस के साथ वजीराबाद में रहने वाला उस का दोस्त शाहजेब भी था. उस रात प्रिंटिंग प्रैस पर कोई जौब वर्क नहीं था.

रात को करीब 8 बजे उस ने राजा और शाहजेब के साथ खाना खाया. इस के कुछ देर बाद पहले शाहजेब वहां से गया, उस के बाद करीब 9 बजे वह अपनी बाइक ले कर चला गया. राजा के दोस्त शाहजेब से राजा के बारे में कोई जानकारी मिल सकती थी. इसलिए इंसपेक्टर गुलशन ने शाहजेब का पता हासिल कर उसे थाने बुलवा लिया. शाहजेब ने पूछताछ में बताया कि शाम साढ़े 4 बजे राजा उसे गली नंबर 9 में मिला था. उस के पास कोई काम नहीं था, इसलिए उस के कहने पर वह राजा के साथ प्रिंटिंग प्रैस पर चला गया. रात 8 बजे खाना खाने के बाद जब उस ने राजा से घर चलने के बारे में पूछा तो राजा ने उस से कहा कि उसे वर्षा से मिलना है, इसलिए उसे देर हो सकती है लिहाजा वह आटो पकड़ कर घर चला जाए.

कहानी में महिला का जिक्र आया तो इंसपेक्टर गुलशन ने शाहजेब से वर्षा के बारे में पूछताछ की. उस ने बताया कि वर्षा राजा की गर्लफ्रैंड है और वजीराबाद की गली नंबर 8 में अपने भाई आकाश और विशाल के साथ रहती है. शाहजेब ने बताया कि राजा और वर्षा की दोस्ती पांच 6 साल पुरानी है. एक तरह से दोनों के बीच लिवइन रिलेशनशिप थी और राजा ही वर्षा के सारे निजी खर्चे उठाता था. इंसपेक्टर गुलशन को अचानक मामले में प्रेम प्रसंग की बू आने लगी. शाहजेब से राजा की गर्लफ्रैंड के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद पुलिस की एक टीम तत्काल वर्षा के मकान पर पहुंच गई.

वह चार मंजिला मकान था, वर्षा चौथी मंजिल पर अपने भाई आकाश और विशाल के साथ रहती थी. पुलिस को वहां ताला लटका मिला. मकान मालिक से पूछताछ करने पर पता चला कि 11 तारीख की सुबह से वर्षा और उस के भाई को किसी ने नहीं देखा. वर्षा आई संदेह के दायरे में वर्षा और उस के भाइयों का घर पर नहीं मिलना पुलिस के लिए शक का आधार बन गया. इंसपेक्टर गुलशन को राजा हत्याकांड की कडि़यां वर्षा से जुड़ती नजर आने लगीं. जांच अधिकारी गुलशन ने वर्षा और उस के भाइयों पर जांच केंद्रित कर दी. वर्षा के मकान की मालकिन वंदना सक्सेना से पुलिस को वर्षा के भाई आकाश का नंबर मिल गया. उस नंबर को मिलाया गया तो वह स्विच्ड औफ मिला.

जांच अधिकारी ने आकाश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा ली. काल डिटेल्स में ज्यादा बातचीत होने वाले नंबरों की पड़ताल की गई, तो उन में एक नंबर वर्षा का निकला. जांच अधिकारी गुलशन ने अपनी टीम को लगा कर एक साथ 2 काम किए. उन्होंने सब से पहले वर्षा और राजा के लगातार स्विच्ड औफ आ रहे मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा गली नंबर 8 में, जहां वर्षा अपने भाइयों के साथ रहती थी, उस के मकान के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज हासिल की गई. तब तक इंसपेक्टर गुलशन को गली नंबर 9 में अमीना मसजिद के आसपास की तरफ आने वाले रास्तों की फुटेज मिल चुकी थी.

इस फुटेज की जांच में पता चला कि राजा को 2 लड़कियां एक आटो से उतार कर अपने कंधों का सहारा दे कर लगभग घसीटते हुए अमीना मसजिद की तरफ ले जा रही थीं. सीसीटीवी फुटेज से यह तो साफ हो गया कि जिस युवक को दोनों लड़कियां ले जा रही थीं, उस का पहनावा और हुलिया राजा से मिलताजुलता था. लेकिन एक दिक्कत यह थी कि सीसीटीवी फुटेज में उस आटो का नंबर स्पष्ट नहीं था, जिस में दोनों लड़कियां राजा को ले कर आई थीं. लेकिन काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने करीब 8 ऐसे नंबर की लिस्ट तैयार की, जो आटो के धुंधले नजर आ रहे नंबर से मिलतेजुलते थे. उन सभी आटो के पंजीकृत पते हासिल किए गए.

जांच टीम को इन में डीएल1आर वी8434 नंबर का एक ही आटो ऐसा मिला, जो घटनास्थल से सब से करीब त्रिलोकपुरी के पते पर पंजीकृत था. यह आटो रविंद्र पाल के नाम पर दर्ज था. पुलिस की एक टीम तत्काल पंजीकृत पते पर भेजी गई . रविंद्र पाल ने पूछताछ करने पर बताया कि उस का आटो 2 शिफ्ट में चलता है. दिन की शिफ्ट में वह खुद आटो चलाता है जबकि रात की शिफ्ट में उस का आटो गोकुलपुरी निवासी मुकेश चलाता है. रविंद्र पाल से आटो ड्राइवर मुकेश का पता मिल गया. मुकेश को पुलिस वजीराबाद थाने ले आई. मुकेश ने पूछताछ में बताया कि रात के समय वह कश्मीरी गेट बसअड्डे से आटो चलाता है.

10 सितंबर की आधी रात के बाद वह कश्मीरी गेट बसअड्डे से सोनिया विहार में एक सवारी छोड़ने आया था. सुबह वह जगप्रवेश चंद्र हौस्पिटल के पास खड़ा किसी सवारी का इंतजार कर रहा था कि सुबह करीब साढ़े 5 पौने 6 बजे 2 किन्नर उस के पास आए और बोले उन के एक रिश्तेदार की तबीयत खराब है, उसे वजीराबाद में उस के घर छोड़ना है. मुकेश ने बताया कि इसी बीच अस्पताल के भीतर से एक लड़का और लड़की स्टे्रचर पर किसी युवक को डाल कर बाहर लाए जो मूर्छित था. दोनों किन्नर और लड़कालड़की ने मिल कर स्टेचर पर मूर्छित पड़े युवक को उतार कर आटो की पिछली सीट पर बैठा दिया.

लड़का और लड़की मूर्छित युवक को पकड़ कर पिछली सीट पर बैठ गए जबकि एक किन्नर यह कह कर अस्पताल के अंदर चला गया कि वह डाक्टर से डिस्चार्ज के पेपर ले कर बाद में घर आ जाएगा. दूसरा किन्नर आटो चालक के साथ ही सीट पर बैठ गया. इस के बाद वे उसे वजीराबाद की तरफ ले गए. लेकिन वजीराबाद में गली नंबर 9 के पास जा कर वे शायद घर का रास्ता भूल गए और उसे इधरउधर घुमाने लगे. इस पर मुकेश ने गुस्से में आ कर लड़के और लड़की से बहस के बाद उन्हें मूर्छित युवक के साथ गली नंबर 8 के बाहर उतार दिया और चला गया.

मुकेश ने जो कुछ बताया, उस से जांच की कडि़यां आपस में जुड़ रही थीं. पुलिस ने जब अब्दुल सत्तार, शाहजेब को अमीना मसजिद के पास मिली सीसीटीवी फुटेज दिखाई तो उन्होंने भी स्पष्ट कर दिया कि फुटेज में जो 2 लड़कियां दिखाई दे रही हैं, उन में से एक वर्षा ही है. आधाअधूरा रहस्य दूसरी तरफ जांच अधिकारी गुलशन के निर्देश पर पुलिस की एक टीम ने जगप्रवेश चंद्र हौस्पिटल पहुंच कर वहां से भी सीसीटीवी फुटेज हासिल कर ली. सीसीटीवी की फुटेज में स्ट्रेचर पर मूर्छित युवक को अस्पताल से बाहर जो लड़कालड़की ले कर आए थे, उन में से एक लड़की वर्षा ही थी. वर्षा की मकान मालकिन वंदना सक्सेना को बुलवा कर जब फुटेज दिखाई गई तो उस ने बताया सीसीटीवी फुटेज में वर्षा के साथ जो युवक स्ट्रेचर ले कर बाहर आ रहा है वह उस का भाई विशाल है.

अमीना मसजिद के पास जो सीसीटीवी फुटेज मिली थी, उस में आटो से उतार कर एक युवक को ले जाती जो 2 लड़कियां दिख रही थीं, वंदना सक्सेना ने उन की भी पहचान कर दी. इस फुटेज में एक लड़की वर्षा थी और दूसरी लड़की कोई और नहीं, बल्कि उस का किन्नर भाई आकाश था जिसे लोग आकांक्षा के नाम से पुकारते थे. जांच अधिकारी गुलशन को मृतक साहिल उर्फ राजा और वर्षा के मोबाइल की काल डिटेल्स की जांच से यह भी पता चल गया कि उस रात राजा के मोबाइल की लोकेशन साढ़े 9 बजे के बाद से सुबह 4 बजे तक वर्षा के घर के आसपास थी.

वर्षा और उस के भाइयों के खिलाफ सबूत और पुख्ता करने के लिए पुलिस ने जब गली नंबर 8 में वर्षा के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच की तो उस के हाथ कुछ ऐसी फुटेज लगी, जिस से यह पता चल गया कि उस रात राजा करीब साढे़ 9 बजे वर्षा के घर पर आया था. सीसीटीवी फुटेज में साफ था उस रात राजा 4 बार वर्षा के घर में थोड़ेथोड़े अंतराल से नीचे आया और गया था. उसी सुबह करीब सवा 5 बजे 2 लड़कियां मकान से बाहर निकलीं, जो कुछ देर में एक आटो को ले कर वहां आईं. बाद में उस फोटो में एक युवक को लादा गया जो मूर्छित था. सीसीटीवी फुटेज में कुल 4 लोग दिखाई पड़ रहे थे.

वर्षा की मकान मालकिन वंदना सक्सेना को जब यह फुटेज दिखाई गई तो उस ने बताया कि उन चारों में से एक वर्षा है बाकी 2 उस के भाई विशाल और दूसरा भाई किन्नर आकाश उर्फ आकांक्षा है. सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे चौथे शख्स की वह पहचान नहीं कर पाई. लेकिन इतना जरूर बताया कि यह एक किन्नर है जो वर्षा के भाई आकाश उर्फ आकांक्षा के साथ अकसर उन के फ्लैट पर आताजाता था. अब तक की जांच में साहिल उर्फ राजा की हत्या से वर्षा और उस के भाइयों के सीधे संबंध की बात प्रमाणित हो रही थी. इसलिए पुलिस ने अब अपना ध्यान उन की गिरफ्तारी पर केंद्रित कर दिया.

जांच अधिकारी इंसपेक्टर गुलशन ने उन के फोन ट्रैकिंग पर लगवा दिए, जिस से पता चला कि उन के फोन बीचबीच में खुलते, 1- 2 लोगों से बातचीत के बाद फिर बंद हो जाते. लेकिन इस से पुलिस को उन दोनों की लोकेशन मिलती रही, जिस के मुताबिक वे उस वक्त उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में थे. पुलिस की एक टीम शाहजहांपुर पहुंच गई. दिल्ली में बैठी साइबर टीम उन्हें लगातार वर्षा और आकाश के फोन की ताजा लोकेशन से अवगत कराती रही. आखिरकार कड़ी मशक्कत और कई जगहों पर दबिश देने के बाद 13 सितंबर की रात मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से वर्षा और उस के एक भाई आकाश को गिरफ्तार कर लिया.

उन के साथ आकाश का किन्नर दोस्त अली हसन उर्फ अलका भी था, जो हत्याकांड में उन के साथ शामिल था. वर्षा, आकाश और अली हसन को पुलिस टीम 14 सितंबर को दिल्ली ले आई. दिल्ली ला कर जांच अधिकारी गुलशन व एसएचओ पी.सी. यादव के सामने कड़ी पूछताछ के बाद तीनों आरोपियों ने सच उगल दिया, जिस के बाद साहिल हत्याकांड की कहानी कुछ इस तरह सामने आई. वर्षा, विशाल और आकाश 3 भाईबहन हैं. मूलरूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के हसनापुर गांव के रहने वाले. वर्षा की मां की 21 साल पहले मौत हो गई थी. पिता पप्पू बेरोजगार और नशे का आदी था. छोटा भाई आकाश बचपन से ही किन्नरों के प्रति आकर्षित था, जिस कारण किशोरावस्था तक आतेआते वह पूरी तरह किन्नर बन गया.

पिता नाकारा था, इसलिए तीनों बहनभाई पेट पालने के लिए 7 साल पहले दिल्ली आ गए. दिल्ली आने के बाद आकाश नंदनगरी में किन्नरों की टोली में शामिल हो गया, जहां उस का नाम आकांक्षा पड़ गया. आकाश किन्नरों की टोली में रह कर जो कुछ कमाता, उसी से तीनों बहनोंभाइयों का गुजारा होता था. कुछ समय बाद वर्षा के दूसरे भाई विशाल ने भी छोटेमोटे काम कर के कमाई शुरू कर दी. करीब 5 साल पहले की बात है, तब आकाश, विशाल और वर्षा शास्त्री पार्क इलाके में किराए के फ्लैट में रहते थे. यहीं पर अब्दुल सत्तार की प्रिंटिंग प्रैस में काम करने वाले साहिल उर्फ राजा से वर्षा की आंखें चार हुईं और दोनों के बीच प्रेम प्रसंग शुरू हो गया.

वर्षा गांव और गरीबी में पली जरूर थी, लेकिन तीखे नाकनक्श होने के कारण वह काफी आकर्षक और सुंदर लगती थी. राजा पहली ही नजर में वर्षा को देख कर उस पर फिदा हो गया. मांबाप का साया सिर पर नहीं होने के कारण वर्षा को अच्छेबुरे की सीख देने वाला कोई नहीं था. इसलिए राजा से आंखें मिलने के बाद वर्षा का किशोर मन बहक गया. दोनों के प्रेम की कहानी आगे बढ़ने लगी. धीरेधीरे राजा का वर्षा के घर में आनाजाना शुरू हो गया. आकाश और विशाल ज्यादातर घर से बाहर ही रहते थे, इसलिए उन की अनुपस्थिति में घर आनेजाने के दौरान राजा और वर्षा के बीच जिस्मानी संबंध भी कायम होने लगे.

कुछ समय बाद आकाश और विशाल को इस बात का पता चल गया कि वर्षा और राजा एकदूसरे से प्यार करते हैं. दोनों भाइयों ने राजा से इस बारे में बात की तो राजा ने कहा वह वर्षा से सच्चा प्यार करता है और उस से निकाह करना चाहता है. जब विशाल और आकाश ने पूछा कि वह कब शादी करेगा तो राजा ने कहा जैसे ही उस की बड़ी बहन आयशा की शादी हो जाएगी, वह वर्षा से शादी कर लेगा. वक्त तेजी से गुजरने लगा, राजा और वर्षा एक तरह से लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे. वर्षा के तमाम खर्चे राजा ही उठाता था. राजा ने वर्षा को अपने परिवार वालों से भी मिलवा दिया था. घर वालों को दोनों के रिश्ते पर कोई ऐतराज नहीं था.

डेढ़ साल पहले वर्षा और उस के भाइयों को जब शास्त्री पार्क वाला फ्लैट खाली करना पड़ा तो राजा ने ही उन्हें वजीराबाद की गली नंबर 8 में वंदना सक्सेना के मकान की चौथी मंजिल का फ्लैट किराए पर दिलवाया था. राजा अक्सर रात को प्रिंटिंग प्रैस में काम करने बाद खाली हो कर वर्षा के पास उस के फ्लैट पर चला आता था. यह बात राजा के घर वालों के साथ अब्दुल सत्तार व उस के दोस्त शाहजेब को भी मालूम थी. पिछले कुछ सालों से राजा के साथ लगातार जिस्मानी संबंध बनाने के कारण वर्षा कई बार प्रेग्नेंट भी हो चुकी थी. प्रेग्नेंट होने के बाद वह राजा पर शादी का दबाव बनाती तो वह ये कह कर टाल जाता कि बड़ी बहन आयशा की शादी से पहले वह शादी नहीं कर सकता.

इस कारण कुंआरी मां बनने की जगह वर्षा को अबौर्शन कराना पड़ता था. यही कारण था कि वर्षा अब राजा के साथ जिस्मानी संबंध बनाने पर ऐतराज करने लगी थी ताकि वह उस से जल्द शादी कर सके. 10 सितंबर की शाम को राजा ने वर्षा से फोन कर के कहा था कि वह 9 या 10 बजे तक फ्लैट पर पहुंचेगा. वह साढ़े 9 बजे बाइक ले कर वर्षा के फ्लैट पर पहुंचा. वहां पहले से ही वर्षा का भाई विशाल, उस का छोटा भाई किन्नर आकाश उर्फ आकांक्षा और आकाश का किन्नर शिष्य अली हसन उर्फ अलका मौजूद थे. रात 11 बजे से राजा ने उन चारों के साथ शराब पीनी शुरू कर दी. इस दौरान राजा 1-2 बार नीचे उतर कर आया और सिगरेट पी फिर दुकान से सोडा खरीद कर ऊपर ले गया.

रात में करीब डेढ़ बजे शराब खत्म होने पर वह उस गली से थोड़ी दूर रहने वाले अपने एक जानकार से शराब की बोतल भी ले कर आया. शराब लाने के बाद राजा, वर्षा, विशाल, आकाश और अली हसन ने चौथी मंजिल के ऊपर बनी छत पर पहुंचकर फिर से 2-2  पैग शराब पी. इस के बाद विशाल, आकाश और अली हसन तो नीचे उतर कर चौथी मंजिल पर आ गए. लेकिन राजा और वर्षा ऊपर ही रह गए और आपस में अपनी निजी बातें करने लगे. पांचवी मंजिल पर एक स्टोररूम नुमा कमरा बना था जो खाली था. राजा और वर्षा घर में वर्षा के भाइयों के होने पर इसी कमरे में अपनी रातें गुलजार करते थे.

राजा को शराब काफी चढ़ चुकी थी. आकाश, विशाल और अली हसन के नीचे जाने के कुछ देर बाद राजा ने सिगरेट पीते हुए वर्षा के शरीर से खेलना शुरू किया तो वर्षा ने राजा को झिड़क दिया और कहा जब तक शादी नहीं करोगे, अपने शरीर को हाथ नहीं लगाने दूंगी. एक तो शराब का नशा ऊपर से वह जिस लड़की को अपनी बपौती समझता था, उस ने झिड़क दिया लिहाजा राजा को गुस्सा आ गया. उस ने जलती सिगरेट वर्षा के सीने पर दाग दी. तेज जलन से वर्षा के मुंह से चीख निकल गई. चीख इतनी तेज थी कि चौथी मंजिल पर पर बैठे विशाल, आकाश और अली हसन चौंक गए. तीनों किसी अनिष्ट की आशंका में तेजी से 5वीं मंजिल पर पहुंचे. उन्होंने देखा राजा वर्षा को थप्पड़ मार रहा है.

विशाल और आकाश ने राजा को पकड़ कर वर्षा से दूर किया और मारपीट का कारण पूछा तो वर्षा ने भाइयों को सारी बात बता दी. जिसे सुन कर दोनों भाइयों का गुस्सा आसमान पर जा पहुंचा. शराब का नशा सभी के सिर पर हावी था, भाइयों की भावनाएं हिलोरे मारने लगीं. आकाश, विशाल और अली हसन गुस्से में राजा पर टूट पड़े. गुस्सा इतना तेज था कि विशाल ने जींस की बेल्ट निकाल कर उस का फंदा राजा के गले में डाल दिया और जोर से दबाने लगा. आकाश और अली हसन ने उसे दबोच लिया था. आकाश ने इसी अवस्था में राजा के शरीर पर 2-3 जगह जलती सिगरेट से दाग कर पूछा, ‘देखा तूने जलती सिगरेट शरीर पर लगने से कितना दर्द होता है.

अरे हरामी, मेरी बहन ने तुझे अपनी जिंदगी के 5 साल दिए और तू उसे ये सिला दे रहा है, आज तू इस का अंजाम भुगतेगा.’

इस के बाद दोनों भाइयों के गुस्से का पारावार नहीं रहा. उन्होंने जोश और गुस्से में उस की गरदन को इतना दबाया कि राजा की सांसें रुक गईं और उस की मौत हो गई. वर्षा और उस के भाइयों ने पानी के छींटे मार कर उसे होश में लाने का प्रयास किया, लेकिन जब राजा को होश नहीं आया तो चारों के होश उड़ गए, शराब का नशा काफूर हो गया. थोड़ी देर सोचने के बाद वे राजा को खींचते हुए चौथी मंजिल पर लाए और सोचने लगे कि अब क्या किया जाए. वे समझ रहे थे कि किसी अंदरूनी चोट के कारण वह बेहोश हुआ है. इसलिए चारों ने मिल कर फैसला किया कि उसे हौस्पिटल ले चलते हैं.  सलाहमशविरे के बाद सुबह करीब सवा 5 बजे चारों आटोरिक्शा से उसे जगप्रवेश चंद्र हौस्पिटल ले गए.

लगा मरा नहीं है राजा वहां डाक्टर ने नब्ज देखते ही उसे मृत घोषित कर दिया. शराब की बदबू के कारण डाक्टर को लगा कि शायद वह ज्यादा शराब पीने के कारण मर गया है. तब तक उन्होंने न तो पर्चा बनवाया था, न ही कोई लिखतपढ़त करवाई थी. वर्षा और विशाल राजा को जैसे लाए थे, वैसे ही स्ट्रेचर पर ले कर अस्पताल से बाहर आ गए. इस दौरान आकाश और अली हसन ने एक दूसरा आटो किया, जिसे ड्राइवर मुकेश चला रहा था. उन्होंने तय कर लिया था कि राजा का शव उसी के घर के आसपास कहीं सड़क पर छोड़ देंगे ताकि लोगों को लगे कि शराब पी कर गिरने से उस की मौत हो गई है. लेकिन शव को मुकेश के आटो में रख कर गली नंबर 9 पहुंचे तो वे उस के घर की लोकेशन भूल गए.

ड्राइवर मुकेश जल्दी कर रहा था, इसलिए उन्होंने शव को अमीना मसजिद के पास आटो से उतार कर मसजिद की सीढि़यों के पास छोड़ दिया. राजा का शव लावारिस अवस्था में छोड़ने के बाद पुलिस द्वारा पकड़े जाने के डर से विशाल और अली हसन उर्फ अलका तो वहीं से कहीं और चले गए, जबकि आकाश उर्फ आकांक्षा अपनी बहन वर्षा के साथ फ्लैट पर पहुंचे. राजा की चप्पलें, उस का मोबाइल फोन और पर्स वर्षा के कमरे में ही छूट गए थे, उन्होंने हसन को फोन कर के बुलाया और उस का सामान यमुना नदी में फिंकवा दिया. फ्लैट के नीचे खड़ी राजा की मोटरसाइकिल को उन्होंने गली नंबर 9 के बाहर एक जगह लावारिस खड़ी कर के लौक कर दिया.

सुबह करीब 7 बजे वर्षा, आकाश और अली हसन अपने पहनने के कुछ जरूरी कपड़े और सामान ले कर कश्मीरी गेट बसअड्डे पहुंचे. बस से तीनों पहले शाहजहांपुर गए और फिर हरदोई, जहां वे लगातार ठिकाने बदलते रहे. वर्षा ने पुलिस पूछताछ में कबूल किया कि वह राजा के द्वारा शादी न किए जाने और लगातार अपने शरीर से खिलवाड़ करते रहने के कारण उस से नाराज तो थी, लेकिन उस ने कभी भी उस की हत्या करने के बारे में नहीं सोचा था. पुलिस पूछताछ के बाद उन की शिनाख्त पर यमुना में राजा की चप्पलें, पर्स और मोबाइल की तलाश की गई, लेकिन वे बरामद नहीं हुए. अलबत्ता गली नंबर 9 के पास लावारिस हालत में खड़ी राजा की बाइक जरूर बरामद कर ली गई.

पूछताछ के बाद जांच अधिकारी गुलशन कुमार गुप्ता ने मुकदमे में हत्या की धारा 302 के साथ सबूत मिटाने की धारा 201 तथा दफा 34 जोड़ कर आरोपियों को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक चौथा आरोपी विशाल फरार था.

—कथा पुलिस की जांच और आरोपियों से हुई पूछताछ पर आधारित

 

Kanpur Crime News : पत्थर से कूच कर की पत्नी के प्रेमी की हत्या

Kanpur Crime News : औरत अगर संयम से काम ले तो घर संभाल लेती है और अगर बहक जाए तो घर बिगड़ते देर नहीं लगती. काश! इस बात को रूपा समझ पाती तो न तो प्रदीप की जान जाती और न ही उस के पति को जेल जाना पड़ता…

कानपुर शहर का एक घनी आबादी वाला मोहल्ला है जूही बम्हुरिया. इसी मोहल्ले के रहने वाले रामलाल के परिवार में पत्नी पार्वती के अलावा 2 बेटियां रूपा, विमला और 2 बेटे रूपेश व विमलेश थे. दोनों बेटे छोटामोटा काम कर रहे थे, जिस से रामलाल के परिवार की गुजरबसर आराम से हो रही थी. नाम के अनुरूप ही रूपा गोरी और तीखे नाकनक्श व विनम्र स्वभाव की थी. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उस की शोखियां एवं चंचलता और बढ़ गई थी. रूपा थी तो सुंदर लेकिन पढ़ने में उस का मन नहीं था. अत: 8वीं कक्षा पास करने के बाद उस ने स्कूल जाना बंद कर दिया था और मां के काम में हाथ बंटाने लगी थी.

चूंकि रूपा शादी के योग्य हो चुकी थी, इसलिए रामलाल और उस की पत्नी पार्वती को उस की शादी की चिंता सताने लगी. वह उस के लिए घरवर ढूंढने लगे. किसी परिचित ने उन्हें बारादेवी जूही के रहने वाले राजन के बेटे सोनू के बारे में बताया. सोनू ड्राइवर था और आटो चलाता था. रामलाल को सोनू पसंद आया तो उन्होंने अपनी बेटी रूपा का विवाह सोनू के साथ कर दिया. शादी के बाद रूपा और सोनू ने बड़े प्यार से जीवन का सफर शुरू किया. हंसीखुशी से 2 साल कब बीत गए, दोनो में से किसी को पता ही नहीं चला. इन 2 सालों में रूपा एक बेटी की मां बन गई.

बेटी के जन्म के बाद खर्चा तो बढ़ गया लेकिन आमदनी नहीं बढ़ सकी. घर में आर्थिक परेशानी होने लगी, जिस से सोनू का रूपा से झगड़ा होेने लगा. दरअसल सोनू शराब का लती था. वह अपनी कमाई के आधे पैसे अपने खानेपीने में खर्च कर देता था. रूपा उस की आधी कमाई से जैसेतैसे करके घर का खर्च चला पाती थी, जिस से दोनों में तकरार होने लगी. इसी तकरार में सोनू रूपा की पिटाई भी कर देता था. सोनू का एक दोस्त प्रदीप प्रजापति था. वह लक्ष्मीपुरवा का रहने वाला था और डिप्टी पड़ाव स्थित एक होटल में काम करता था. सोनू अकसर उसी के होटल पर खाना खाता था. वहीं पर दोनों की जानपहचान हो गई. एक शाम को प्रदीप सोनू के घर के सामने से गुजर रहा था तो सोनू ने उसे रोक लिया और चाय पी कर जाने को कहा.

प्रदीप को यही चाय पिलाना सोनू को भारी पड़ गया. सोनू की पत्नी रूपा प्रदीप के लिए चाय ले कर आई, तो उस पर नजर पड़ते ही वह उस का दीवाना हो गया. इस पहली मुलाकात में प्रदीप को रूपा का बोलनाबतियाना इतना अच्छा लगा कि वह कोई न कोई बहाना बना कर सोनू की गैरमौजूदगी में उस के घर आनेजाने लगा. वह रूपा को भाभी कहता था. वह जब भी आता, रूपा के पास बैठ कर हंसीमजाक करता रहता. रूपा को भी उस का उठनाबैठना और हंसनाबोलना अच्छा लगता था. लगातार उठनेबैठने और हंसनेबोलने का नतीजा यह हुआ कि रूपा और प्रदीप एकदूसरे को चाहने लगे.

प्रदीप की उम्र यही कोई 20 वर्ष थी. उस ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा था, इस उम्र में रूपा का अपनापन और प्यार पा कर वह बेकाबू होने लगा. लेकिन वह अपने मन की बात रूपा से नहीं कह पा रहा था. जबकि रूपा चाहती थी कि प्रदीप ही पहल करे. प्रदीप रूपा के लिए पागल था, तो रूपा भी कुंवारे प्रदीप को पाने के लिए लालायित थी. दरअसल रूपा अपने पति की शराबखोरी और मारपीट से ऊब चुकी थी. ये दूरियां ही रूपा को प्रदीप की ओर आकर्षित करने लगी थीं. जब रूपा ने देखा कि प्रदीप अपने मन की बात सीधे नहीं कह पा रहा है, तो उसी ने एक दिन उसे छेड़ते हुए कहा, ‘‘प्रदीप, तुम तो मुझे दीवानों की तरह देखते हो.’’

‘‘भाभी, मैं तुम्हारा दीवाना हूं, तो दीवानों की ही तरह देखूंगा न. अब तुम्हारे अलावा मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता. सोतेजागते मैं सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं.’’ रूपा के उकसाने पर प्रदीप ने अपने मन की बात कह दी.

‘‘कुछ ऐसा ही हाल मेरा भी है. लेकिन तुम मुझ से छोटे हो, इसलिए मैं अपने मन की बात तुम से कह नहीं पा रही थी.’’ रूपा बोली.

‘‘लेकिन भाभी, प्यार उम्र और जाति नहीं देखता. वह सिर्फ मन देखता है.’’ प्रदीप ने कहा

‘‘मुझे बहुत लोग मिले, लेकिन मैं ने किसी को करीब नहीं आने दिया. तुम्हारे अंदर न जाने क्या है कि तुम से अलग होने का मन नहीं करता.’’ रूपा ने प्रदीप पर नजरों के तीर चलाते हुए कहा.

‘‘भाभी, लगता है कि हमारा पिछले जन्म का रिश्ता है.’’ प्रदीप बोला.

पति के दोस्त से हुआ प्यार

‘‘तुम सच कह रहे हो, क्योंकि तुम्हें देखते ही मेरा दिल तुम पर आ गया था.’’ रूपा ने मन की बात कह दी.

इस तरह प्यार का इजहार करने के बाद पहली बार दोनों ने दिल खोल कर बातें की. इस के बाद तो प्रदीप रूपा के लिए इस तरह पागल हुआ कि होटल से घर आते ही आराम करने के बजाय सीधे रूपा के यहां पहुंच जाता और वहां घंटों तक बैठा रहता. उस समय सोनू घर में नहीं होता था, इसलिए रूपा घर के कामकाज छोड़ कर उस के पास ही बैठ कर बातें करती रहती. धीरेधीरे उन के बीच की दूरी कम होती गई और फिर एक रोज दोनों ने अपनी हसरतें भी पूरी कर लीं.

कहा जाता है कि अगर किसी कुंवारे लड़के को विवाहित औरत से शारीरिक सुख मिलने लगता है तो वह उस के प्यार में पागल हो जाता है. उस के बाद उन्हें अलग करना आसान नहीं होता. ठीक उसी तरह प्यार की एक बूंद के प्यासे प्रदीप को रूपा के रूप में प्यार का सागर मिला तो वह उस का ऐसा दीवाना हुआ कि उसे किसी की परवाह नहीं रही. प्रदीप और रूपा को मिलतेजुलते अभी 2 महीने भी नहीं हुए थे कि मोहल्ले में उन के प्यार की चर्चाएं होेने लगीं. किसी ने इस बारे में रूपा के पति सोनू को बताया तो एकबारगी उसे विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि प्रदीप उस का दोस्त था और उसे उस पर भरोसा था.

बात सच रही हो या झूठ, इस चर्चा से उस की और पत्नी की बदनामी तो हो ही रही थी. इसलिए उस रात वह घर लौटा तो उस ने रूपा से प्रदीप से उस के संबंधों को ले कर होने वाली चर्चा के बारे में पूछा. रूपा पति की बात सुन कर सकते में आ गई. वह जल्दी से कुछ बोल नहीं पाई तो प्रदीप ने कहा, ‘‘तुम उसे घर आने से मना कर दो, बात खत्म.’’

‘‘ठीक है.’’ रूपा ने बेहद मायूसी से कहा.

‘‘लगता है तुम्हें मेरी बात बुरी लग गई.’’ सोनू ने रूपा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करते हुए कहा.

‘‘इस में बुरा लगने वाली क्या बात है, आप कह रहे हैं तो मना कर दूंगी.’’ रूपा ने रूखेपन से कहा.

सोनू ने प्रदीप को रोकने के लिए कहा जरूर, लेकिन न तो रूपा ने उसे मना किया और न ही प्रदीप ने उस के यहां आना बंद किया. हां, वे थोड़ी सतर्कता जरूर बरतने लगे थे. लेकिन लाख कोशिश के बाद भी उन का प्यार छिप नहीं सका. एक महीना भी नहीं बीता था कि किसी ने प्रदीप और रूपा के मिलने के बारे में सोनू से शिकायत कर दी. फिर क्या था, सोनू बुरी तरह तिलमिला उठा. उस आदमी से तो उस ने कुछ नहीं कहा, लेकिन कामधाम छोड़ कर वह सीधे घर पहुंच गया. वह दबेपांव घर में घुसा. कमरे के बैड पर प्रदीप और रूपा एकदूसरे से लिपटे पड़े थे. सोनू को देखते ही प्रदीप फुरती से उठा और अपने कपड़े ठीक करते हुए वहां से भाग गया.

रूपा को उस स्थिति में देख कर वह आगबबूला हो उठा. गुस्से में उस ने लातघूंसों से रूपा की पिटाई की. उस के बाद चेतावनी देते हुए बोला, ‘‘प्रदीप का घर आनाजाना तो दूर रहा, अगर तुझे उस से बातचीत करते भी देख लिया तो तेरी बोटीबोटी काट कर लाश चीलकौवों को खिला दूंगा.’’

उस दिन के बाद से रूपा के प्यार पर पहरा लग गया. इस के बाद दोनों वियोग की पीड़ा में छटपटाने लगे. दोनों एकदूसरे को बेहद प्यार करते थे. उन की चाहत रोमरोम में समा गई थी. इसलिए वे एकदूसरे के बिना जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते थे. घर में होने लगी कलह रंगेहाथों पकड़ी जाने के बाद रूपा पति की नजरों से गिर गई थी. सोनू अब उस पर जरा भी विश्वास नहीं करता था. प्रदीप को ले कर अब सोनू और रूपा के बीच रोज ही विवाद और मारपीट होती. इस तरह उन के बीच मतभेद इस कदर बढ़ गए कि दोनों एक ही छत के नीचे रहते हुए अपरिचित से हो गए थे.

सोनू रूपा के अवैध संबंधों की वजह से काफी तनाव में रहता था. इस का नतीजा यह निकला कि जराजरा सी बात पर उन दोनों के बीच झगड़ा और मारपीट होने लगी. स्थिति यह आ गई कि रूपा को उस घर में एक पल भी काटना मुश्किल लगने लगा. उधर प्रदीप की हालत भी पागलों जैसी हो गई थी. जब प्रदीप से वियोग की वेदना नहीं सही गई तो उस ने फोन पर मैसेज भेज कर रूपा को बारादेवी मंदिर बुलाया. निर्धारित समय पर रूपा मंदिर पहुंच गई. वहां दोनों एकदूसरे को देख कर भावुक हो उठे. उन की आंखों से आंसू टपकने लगे. मन का गुबार आंसू बन कर निकल गया तो रूपा ने कहा, ‘‘प्रदीप तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. यह रूपा तुम्हारी है और तुम्हारी ही रहेगी.’’

‘‘रूपा, तुम्हारे बिना मेरा एक पल नहीं कटता. अगर यही स्थिति रही तो मैं किसी दिन जहर खा कर जान दे दूंगा. क्योंकि अब मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता.’’ प्रदीप ने अपनी पीड़ा व्यक्त की.

‘‘मेरा भी यही हाल है. लेकिन मजबूर हूं, क्योंकि मैं औरत हूं.’’ निराश हो कर रूपा बोली.

‘‘रूपा, मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत है. अगर तुम साथ दोगी तो हम दोनों सुकून की जिंदगी बिता सकेंगे.’’ प्रदीप बोला.

‘‘प्रदीप, शरीर के साथसाथ मैं ने अपनी जिंदगी भी तुम्हें सौंप दी है. तुम जैसा कहो, मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूं.’’ रूपा ने विश्वास दिलाते हुए कहा.

‘‘तो फिर मेरे घर चलो. वहां मैं तुम्हें अपनी मां से मिलवाता हूं. वह राजी हो गईं तो मैं जल्द ही तुम से शादी कर अपनी जीवनसंगिनी बना लूंगा.’’ प्रदीप बोला.

प्रदीप की बात सुन कर रूपा थोड़ी सकुचाई. उस ने बहाना भी बनाया, लेकिन बाद में वह राजी हो गई. फिर प्रदीप रूपा को लक्ष्मीपुरवा स्थित अपने घर ले गया और मां मुन्नी देवी से मिलवाया. रूपा ने अपने और प्रदीप के रिश्तों की जानकारी मुन्नी देवी को दी और प्रदीप से शादी की इच्छा जताई. मुन्नी देवी यह जान कर विचलित हो उठीं कि उन का कुंवारा और कमउम्र का बेटा एक शादीशुदा और उस से बड़ी उम्र की औरत के प्रेम जाल में फंस गया है. मां मुन्नी देवी ने रूपा से साफ कह दिया कि वह शादीशुदा और एक बच्चे की मां बन चुकी औरत से अपने कुंवारे बेटे की शादी हरगिज नहीं कर सकती.

रूपा का पक्ष ले कर प्रदीप ने कुछ कहना चाहा, तो मुन्नी देवी ने उसे डपट दिया. प्रेमी के भाई से की शादी मुन्नी देवी ने प्रदीप से शादी रचाने से इनकार किया तो रूपा निराश हो गई. उस की आंखों से आंसू टपकने लगे. रूपा के आंसुओं ने मुन्नी देवी का दिल पिघला दिया. वह उस के सिर पर हाथ रख कर बोली, ‘‘रूपा, अगर तू मेरे घर की बहू बनना ही चाहती है तो प्रदीप के बजाय उस के बड़े भाई सुजीत से शादी कर ले. वह ईरिक्शा चलाता है. उस से शादी कर लेगी, तब मैं बच्ची सहित तुझे अपना लूंगी.’’

‘‘क्याऽऽ..’’ रूपा चौंकी, ‘‘मांजी, आप यह क्या कह रही हैं. मैं तो प्रदीप से प्यार करती हूं. फिर भला उस के बड़े भाई से कैसे ब्याह कर सकती हूं.’’

मुन्नी देवी और रूपा में बातचीत हो ही रही थी कि सुजीत कुमार भी आ गया. उस ने अजनबी युवती को घर में देखा, तो मां से पूछताछ की. मुन्नी देवी ने तब सुजीत को सारी बात बताई और यह भी बताया कि वह रूपा से उस का विवाह कराना चाहती है. यह सुन कर सुजीत गदगद हो गया और वह रूपा से ब्याह रचाने को तैयार हो गया. रूपा से सुजीत कई साल बड़ा था. इसलिए वह कोई निर्णय न कर सकी और वापस घर लौट आई. घर आ कर वह असमंजस में पड़ गई. प्रदीप उस का प्यार था, जबकि शादी की शर्त उस के बड़े भाई से रखी जा रही थी. वह कई रोज तक कशमकश में रही. आखिर उस ने प्रदीप से मिल कर कोई हल निकालने का निर्णय लिया.

प्रदीप से मिल कर रूपा ने इस बाबत बात की तो प्रदीप ने सुझाव दिया कि वह भाई से शादी कर ले. इस तरह वह घर में उस के साथ रहेगी और उस का प्यार भी बरकरार रहेगा.

‘‘यानी मुझे तुम्हारे घर में द्रोपदी बन कर रहना पड़ेगा.’’ रूपा ने कटाक्ष किया.

‘‘मुझे तो यही सही लग रहा है. बाकी तुम्हारी मरजी. तुम जो भी फैसला लोगी, मुझे मानना पड़ेगा.’’ प्रदीप बोला.

रूपा अपने पति सोनू से प्रताडि़त थी. उस का पति के साथ रहना मुश्किल था, यही सब देखते हुए उस ने सुजीत से ब्याह रचाने का फैसला कर लिया. इस के बाद रूपा ने 11 अगस्त, 2020 को जन्माष्टमी के दिन अपने प्रेमी प्रदीप के बड़े भाई सुजीत के साथ एक मंदिर में विवाह कर लिया और पहले पति सोनू का घर छोड़ कर सुजीत के साथ लक्ष्मीपुरवा में रहने लगी. रूपा बन गई द्रोपदी रूपा ने अपनी मांग में सुजीत के नाम का सिंदूर तो सजा लिया था, लेकिन वह पूर्णरूप से प्रदीप को समर्पित थी. वह रात में पति का बिस्तर सजाती थी और दिन में प्रेमी प्रदीप की बांहों में झूलती थी. मुन्नी देवी सब कुछ जानते हुए भी अपनी आंखों पर पट्टी बांधे रहती थी. इस तरह रूपा द्रोपदी बन कर घर में रहने लगी थी.

इधर सोनू को जब पता चला कि रूपा ने प्रदीप के भाई सुजीत से विवाह रचा लिया है तब उसे बहुत गुस्सा आया. वह मन ही मन दोनों भाइयों को सबक सिखाने की सोचने लगा. इस के लिए उस ने प्रदीप से फिर से दोस्ती कर ली और उस के साथ दारू पीने लगा. कभीकभी वह अपनी मासूम बेटी से मिलने के बहाने उस के घर भी पहुंच जाता था. सोनू ने लगाया प्रदीप को ठिकाने 26 सितंबर, 2020 को रूपा अपने पति सुजीत व देवर प्रदीप के साथ अपने मायके जूही बम्हुरिया आई. खाना खाने के बाद सुजीत अपना ईरिक्शा ले कर निकल गया. तभी प्रदीप रूपा के साथ एक कमरे में कैद हो गया.

इधर सोनू को पता चला कि रूपा मायके आई है तो वह बेटी से मिलने पहुंच गया. वहां उस ने कमरे में प्रदीप व रूपा को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. फिर तो उस का खून खौल उठा. उस ने उसी समय प्रदीप को ठिकाने लगाने की योजना बना ली. देर शाम वह प्रदीप को किसी बहाने से स्वदेशी कौटन मिल कैंपस में ले गया. वहां बैठ कर दोनों ने शराब पी. अधिक नशा होने पर प्रदीप वहीं पड़े पत्थर पर लेट गया. उसी समय सोनू ने पत्थर से कूंच कर उस की हत्या कर दी. उस ने प्रदीप के शरीर से खून सने कपड़े उतारे और वहीं झाडि़यों में छिपा दिए. खून से सना पत्थर भी उस ने वहीं छिपा दिया. इस के बाद वह फरार हो गया.

शाम को सुजीत घर आया. वहां प्रदीप नहीं दिखा तो उस ने रूपा से प्रदीप के बारे में पूछा. रूपा ने बताया कि उस के जाने के बाद सोनू आया था. वही प्रदीप को अपने साथ ले गया था. प्रदीप जब देर शाम तक घर नहीं आया तो सुजीत ने खोज शुरू की. जब वह नहीं मिला तो सुजीत ने भाई की गुमशुदगी थाना जूही में लिखा दी. 27 सितंबर, 2020 की सुबह 8 बजे थाना जूही पुलिस को स्वदेशी कौटन मिल कैंपस में एक युवक की नग्न अवस्था में लाश पड़ी होेने की सूचना मिली. सूचना पाते ही थानाप्रभारी संतोष कुमार आर्या घटनास्थल पर पहुंच गए. उन की सूचना पर एसएसपी प्रीतिंदर सिंह तथा एसपी (साउथ) दीपक भूकर भी आ गए.

चूंकि थाने में सुजीत ने प्रदीप की गुमशुदगी दर्ज कराई थी, अत: श्री आर्या ने सुजीत को भी कैंपस बुलवा लिया. सुजीत ने भाई का नग्न शव देखा तो वह रो पड़ा. उस ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि शव उस के भाई प्रदीप का है. शव की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने पोेस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया. थानाप्रभारी संतोष कुमार आर्या ने सुजीत की तहरीर पर भादंवि की धारा 364/302 के तहत सोनू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उस की तलाश में जुट गए. उन्होंने सोनू को कई संभावित जगहों पर खोजा, लेकिन जब वह नहीं मिला तो उन्होंने खास मुखबिर लगा दिए.

29 सितंबर की सुबह 7 बजे उन्हें मुखबिर से सूचना मिली कि सोनू सोनेलाल इंटर कालेज के पास मौजूद है. इस सूचना पर वह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए और उन्होंने घेराबंदी कर सोनू को हिरासत में ले लिया. उसे थाने ला कर प्रदीप की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं उस ने आलाकत्ल पत्थर तथा मृतक के खून सने कपड़े भी कौटन मिल कैंपस से बरामद करा दिए. पूछताछ में सोनू ने बताया कि प्रदीप के कारण ही उस की पत्नी रूपा उसे छोड़ कर गई थी. प्रदीप ने ही उस के घर में आग लगाई थी, जिस से उसे मजबूरी में उस की हत्या करनी पड़ी.

सोनू से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे 30 सितंबर, 2020 को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

Extramarital Affair : अवैध संबंध के शक में पत्नी को गड़ासे से काट डाला

Extramarital Affair : गृहस्थी की गाड़ी पतिपत्नी के आपसी विश्वास पर चलती है. अगर इस रिश्ते में शक की एक फांस भी लग जाए, तो गृहस्थी के बरबाद होने में देर नहीं लगती. शहनाज का पति तसलीम अगर इस बात को समझ पाता…

14 अगस्त, 2020 की सुबह के साढ़े 3 बजे का समय रहा होगा. 5 वर्षीय सायमा और उस की छोटी बहन शुमायला बुरी तरह घबराई हुई अपनी खाला फरजाना के घर पहुंचीं. खाला के घर पहुंचते ही दोनों ने जोरजोर से दरवाजा पीटना शुरू कर दिया.

‘‘खाला…खाला, किवाड़ खोलो.’’

उस वक्त फरजाना का परिवार गहरी नींद में सोया था. बच्चियों के चीखने चिल्लाने की आवाज सुन फरजाना के पति तौफीक की आंखें खुल गईं. दरवाजे पर दोनों बच्चियों को बदहवास स्थिति में देख वह भी हैरत में पड़ गया. तौफीक ने दोनों बच्चियों को घर में अंदर ले जा कर उन के आने की वजह पूछी. लेकिन दोनों बहनें डर के मारे बुरी तरह सहमी हुई थीं. तब तक तौफीक की बीवी फरजाना भी कमरे से बाहर आ गई थी. सुबहसुबह अपनी बहन की बेटियों को देख कर वह किसी अनहोनी की आशंका के चलते घबरा गई.

फरजाना ने उन से आने का कारण पूछा तो वे कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थीं. फरजाना ने दोनों बच्चियों को पीने के लिए पानी दिया और प्यार से आने की वजह पूछी तो सायना ने सुबकते हुए खाला को इतना ही बताया कि अब्बू ने अम्मी को काट डाला. खून से लथपथ अम्मी घर में पड़ी हैं. यह सुन कर फरजाना का दिल बैठ गया. वह बुरी तरह घबरा गई. बच्चियों के मुंह से यह बात सुन कर तौफीक और उस की बीवी फरजाना दोनों शहनाज के घर की ओर दौड़े. शहनाज के घर पहुंच कर देखा तो उस का दरवाजा खुला पड़ा था. सामने बरामदे में चारपाई पर शहनाज पड़ी थी. उस के बिस्तर के साथसाथ आसपास फर्श पर खून फैला था. लेकिन वहां पर तसलीम कहीं नजर नहीं आ रहा था.

दोनों मियां बीवी ने शहनाज को हिलाडुला कर देखा तो पता चला वह दम तोड़ चुकी है. इस घटना की जानकारी मिलते ही अड़ोसीपड़ोसी भी तसलीम के घर पर जमा हो गए. घटना की चश्मदीद गवाह तसलीम की 2 बेटियां थीं जो इतनी बुरी तरह से घबराई हुई थीं कि कुछ भी कहनेबताने की स्थिति में नही थीं. जबकि वहां जमा लोग मामले की सच्चाई जानने के लिए उतावले थे. तभी फरजाना ने सायना और शुमायला को प्यार करते हुए उन से जानकारी ली. सायना ने बताया कि रात में आते ही अब्बू अम्मी से लड़ने लगे. बाद में उन्होंने गड़ासे से काट कर अम्मी को मार डाला. इस खबर ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी. वहां मौजूद लोगों ने फोन द्वारा इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी.

यह घटना संभल जिले के थाना नखासा क्षेत्र के कस्बा सिरसी के मोहल्ला सराय सादक में घटी थी. घटना की जानकारी मिलते ही नखासा थानाप्रभारी देवेंद्र सिंह धामा और सीओ अरुण कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने घटनास्थल का जायजा लिया. शहनाज की रक्तरंजित लाश बरामदे में चारपाई पर पड़ी थी. उस की गरदन पर तेजधार हथियार के घाव साफ दिखाई दे रहे थे. उस घर में तसलीम अपने परिवार के साथ रहता था, जो घटना को अंजाम दे कर फरार हो गया था. घटनास्थल पर तसलीम का साढ़ू तौफीक और उस की बीवी फरजाना मौजूद थी. पूछताछ के दौरान उन दोनों ने ही पुलिस को सारी जानकारी दी.

सूचना मिलने पर संभल के एसपी यमुना प्रसाद भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने मृतका के बच्चों से घटना के बारे में पूछताछ की. इस मामले के सारे तथ्य जुटा कर पुलिस ने आवश्यक काररवाई की और लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. मृतका शहनाज की बहन फरजाना ने अपने बहनोई तसलीम के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करा दिया. मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस आरोपी तसलीम की तलाश में जुट गई. पुलिस ने आरोपी की तलाश में कई मुखबिरों को भी लगा दिया था. इसी दौरान 15 अगस्त, 2020 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर तसलीम को सिरसी बिलारी बसअड्डे से हिरासत में ले लिया.

थाने में जब उस से कड़ी पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने उस की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त गड़ासा भी बरामद कर लिया. पुलिस पूछताछ में इस मामले की जो सच्चाई सामने आई, वह इस प्रकार थी—

तसलीम मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के कस्बा नगीना का रहने वाला था. लगभग 16 साल पहले उस का विवाह हसनपुर कस्बे की शहनाज के साथ हुआ था. तसलीम का एक साढ़ू तौफीक सिरसी में रहता था, जहां पर उस का पहले से ही आनाजाना था. करीब 3 साल पहले वह रोजगार की तलाश में सिरसी में अपने साढ़ू के पास आ कर रहने लगा. तौफीक का सिरसी में अपना मकान था. तसलीम अपने बच्चों के साथ उसी के मकान में रहने लगा. समय के साथ तसलीम की बीवी 4 बेटियों की मां बन गई.

तसलीम अपने बीवीबच्चों को साढ़ू के घर छोड़ कर काम करने जम्मूकश्मीर चला गया. वहां पर वह एक ईंट भट्ठे पर काम करता था. पिछले दिनों लौकडाउन लगा तो भट्ठे का काम बंद हो गया. तब वह अपने घर वापस चला आया. उस की आमदनी खत्म हो गई थी, जिस से उस का परिवार आर्थिक तंगी से जूझने लगा. लेकिन साढ़ू के घर रहते हुए उसे बच्चों के खानेपीने की कोई चिंता नहीं थी, क्योंकि बच्चे खाला के घर रहते और वहीं पर खातेपीते थे. तसलीम को कोई काम नजर नहीं आया तो उस ने मिट्टी के बरतन बनाने शुरू कर दिए. वह उन पर रंग कर के बेचने लगा. उस का काम चल निकला तो उस ने सिरसी में ही मुरादाबाद रोड पर अपनी दुकान सजा ली. इस से उसे आमदनी होने लगी.

लेकिन तसलीम इस काम से संतुष्ट नहीं था. वह ज्यादा पैसे कमा कर अपने साढ़ू की तरह मकान बनाना चाहता था. उसे बच्चों को ले कर साढ़ू के घर में रहना अखरता था. हालांकि उस के साढ़ू तौफीक को उस के परिवार से कोई परेशानी नहीं थी. कभीकभी तसलीम अपनी बीवी शहनाज को साढ़ू से हंसतेबोलते देखता तो मन ही मन कुढ़ने लगता था. उसे शक होने लगा कि वह घर से बाहर रह कर काम करता है. कहीं ऐसा तो नहीं कि उस के पीछे उस की बीवी अपने बहनोई के साथ रंगरलियां मनाती हो. उस के दिमाग में संदेह की गांठ बनी तो वह दोनों के हावभावों पर नजर रखने लगा. तसलीम पहले से ही भांग का नशा करता था, उस का ज्यादातर वक्त नशे में ही गुजरता था. यह बात उस की बीवी को भी मालूम थी. नशे की आदत को ले कर मियांबीवी में कई बार कहासुनी भी हो जाती थी.

जब 2 परिवार एक साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं तो मिलजुल कर रहना पड़ता है. तौफीक और तसलीम के परिवारों के बीच ऐसा ही था. तसलीम की चारों बेटियां काफी समझदार हो चुकी थीं. उन में 10 वर्षीय सोफिया सब से बड़ी थी. फरजाना और शहनाज दोनों सगी बहनें थीं, इसी वजह से दोनों के परिवार और बच्चे मिलजुल कर रहते थे. लेकिन तसलीम को यह बात हजम नहीं हो रही थी. उस के मन में बीवी और साढ़ू के संबंधों को ले कर संदेह हुआ तो वह गहराता ही गया. इसे ले कर वह खोयाखोया सा रहने लगा. उस ने साढ़ू के घर से निकलने के लिए किराए का मकान लेने की योजना बनाने लगा.

घटना से 15 दिन पहले उस ने अपने साढ़ू के घर के पास ही किराए का मकान ले लिया और अपने बच्चों को उसी में शिफ्ट कर दिया. यह सब अचानक होते देख उस की बीवीबच्चों के साथ फरजाना भी परेशान हो उठी. इस तरह मकान बदलने से तौफीक, उस की बीवी फरजाना के साथ शहनाज भी परेशान हो उठी. तसलीम की 2 बड़ी बेटियां सोफिया और सानिया खाला को छोड़ कर किराए के मकान में जाने को तैयार नहीं थीं. तभी से दोनों अपनी खाला फरजाना के साथ रह रही थीं. तसलीम को अचानक ऐसा क्या हुआ कि उस ने बीवीबच्चों को बिना बताए इतना बड़ा कदम उठा लिया था. इस बारे में तौफीक और उस की बीवी फरजाना ने उस से बात की तो उस ने कहा कि अब हम तुम पर कब तक बोझ बने रहेंगे.

मुझे अपने बच्चों को साथ ले कर आप के घर पर रहना अच्छा नहीं लगता. इसीलिए मुझे किराए का मकान लेने पर मजबूर होना पड़ा. उस की यह बात किसी को हजम नहीं हुई. हालांकि तसलीम ने किराए का घर ले लिया था. लेकिन उस की बीवी और बच्चे पहले की तरह ही तौफीक के घर आतेजाते रहते थे. इसी दौरान जम्मूकश्मीर से ईंट भट्ठे के मालिक का फोन आ गया. उस ने अपना कामधंधा बंद कर जम्मूकश्मीर जाने की योजना बना ली. लेकिन उस के मन में बैठा शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा. उसे लगा कि उस के घर से जाते ही तौफीक और उस की बीवी शहनाज को मिलने की आजादी मिल जाएगी.

यही सोच कर उस ने शहनाज पर तौफीक के घर जाने पर पूरी पाबंदी लगा दी. इस के बाद ही शहनाज और उस की बहन फरजाना को उस के किराए का मकान लेने का राज समझ आया. हालांकि तसलीम ने जम्मूकश्मीर काम पर जाने का पक्का मन बना लिया था. 16 अगस्त, 2020 को उस की दिल्ली से जम्मूकश्मीर के लिए फ्लाइट थी. लेकिन वह अपनी बीवी को ले कर परेशान रहने लगा था. बाद में उस ने बीवी के साथसाथ बच्चों पर भी घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी थी, जिसे ले कर मियांबीवी के बीच विवाद खड़ा हो गया. इसी वजह से दोनों आए दिन लड़तेझगड़ते रहते थे. दोनों के बीच विवाद बढ़ता देख कर तौफीक और उस की बीवी फरजाना ने भी उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन उस ने उन दोनों को भी उलटासीधा बोल कर घर से निकाल दिया.

13 अगस्त, 2020 को तसलीम घर से निकला और देर रात लगभग 2 बजे घर पहुंचा. तसलीम ने उसी दिन सिरसी के बाजार से 200 रुपए में एक गड़ासा खरीद कर थैले में रख लिया था. घर पहुंचते ही उस ने फिर से बीवी शहनाज से लड़नाझगड़ना शुरू कर दिया. मांबाप के बीच हुई कहासुनी को सुन कर दोनों बेटियां भी जाग गईं. उसी दौरान मियांबीवी लड़तेझगड़ते दूसरे कमरे में चले गए. थोड़ी देर बाद शहनाज कमरे से निकल कर बरामदे में चारपाई डाल कर सो गई. लेकिन उस दिन तसलीम की आंखों से नींद कोसों दूर थी. उस के दिलोदिमाग पर शैतान हावी था. उस ने फैसला कर लिया था कि वह बदचलन बीवी को उस की करनी का फल दे कर ही रहेगा.

रात के लगभग 3 बजे शहनाज और उस की दोनों बच्चियां गहरी नींद सो रही थीं. चारों तरफ रात का सन्नाटा पसरा था. तभी तसलीम पर शैतान सवार हुआ और वह पहले से घर में छिपाया हुआ गड़ासा निकाल लाया. उस ने सोती हुई शहनाज के पास जाते ही उस के गले पर लगातार 2-3 वार कर डाले, शहनाज की आवाज तक नहीं निकल पाई और उस की मौत हो गई. आहट सुन कर उस की बेटी शुमायला जाग गई. घर में घोर अंधेरा था. इस के बावजूद उसे लगा कि कोई उस की अम्मी को मार रहा है. उस ने अपनी बहन सायना को उठा कर कहा कि कोई अम्मी को मार रहा है. दोनों बच्चियां बुरी तरह डर गईं, लेकिन उन दोनों ने अंधेरा होने के बावजूद अपने अब्बू को पहचान लिया था.

यह सब देख दोनों ने शोर मचाने की कोशिश की तो तसलीम ने दोनों को मारने की धमकी दी. वे दोनों डर कर सहम गईं और अपना मुंह बंद कर चारपाई पर लेट गईं. इस के काफी देर बाद तसलीम घर से निकल गया. उस के जाने के बाद सायना और शुमायला घर से निकलीं और अपनी खाला फरजाना के घर पर जा कर सारी बात बताई. तसलीम ने पुलिस को बताया कि उस ने ऐसा इसलिए किया ताकि बीवी की चरित्रहीनता का असर उस की बेटियों पर न पड़े. इसीलिए उसे अपनी बीवी की हत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा. तसलीम से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

UP Crime : बच्चे के होंठ पर फेवीक्विक लगाया फिर गला दबाकर मार डाला

UP Crime : प्रिंस का दुर्भाग्य यह था कि उस ने एक ऐसा दृश्य देख लिया था, जो उसे नहीं देखना चाहिए था. यही उस की हत्या का कारण बना. वह सतरूपा और अंकित के आंतरिक संबंधों की भेंट चढ़ गया, लेकिन…

पुष्पा देवी सुबह 10 बजे मंदिर से घर आईं. उन्होंने पूजा का थाल चौकी पर रखा फिर चारों ओर नजर दौड़ाई. जब प्रिंस दिखाई नहीं पड़ा तो उस ने आवाज लगाई, ‘‘प्रिंस कहां हो तुम? आ कर प्रसाद ले लो.’’

8 वर्षीय प्रिंस पुष्पा का एकलौता बेटा था. उसे घर से गायब देख वह घबरा गई. घर से बाहर जा कर वह उसे गली में खोजने लगी. जब प्रिंस गली में कहीं नहीं दिखा, तब पुष्पा ने उस की खोजबीन आसपड़ोस के घरों में की, पर उस का पता नहीं चला. पुष्पा के घर से चंद घर दूर उस का देवर राकेश रहता था. उस ने सोचा कहीं वह चाचा के घर न चला गया हो. वह तुरंत देवर के घर पहुंची. राकेश घर पर ही था. पुष्पा ने उस से पूछा, ‘‘देवरजी, प्रिंस घर से गायब है. जब मैं मंदिर गई थी, तब घर के बाहर खेल रहा था. वापस आई तो नहीं था. मैं ने पासपड़ोस के घरों में खोजबीन की, पर उस का पता नहीं चला. कहीं वह तुम्हारे घर तो नही है.’’

‘‘भाभी, प्रिंस कुछ देर पहले आया था. मैं ने उसे नाश्ता भी कराया था. उस के बाद वह चला गया था. भाभी, आप घबराइए नहीं. यहीं कहीं होगा. चलो, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं.’’

फिर देवरभौजाई ने मिल कर गांव की हर गली छान मारी. आसपड़ोस के हर घर का दरवाजा खटखटा कर पूछताछ की. लेकिन प्रिंस का पता न चला. पुष्पा के मन में तरहतरह की आशंकाएं उमड़नेघुमड़ने लगी थीं. मन घबरा रहा था. राकेश के माथे पर भी चिंता की लकीरें उभर आई थीं. मन में उथलपुथल होने लगी थी. चौसड़ गांव में रहने वाली पुष्पा के पति राजेश कुमार कुशवाहा प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. वह भागीरथी डिग्री कालेज में प्रवक्ता थे. उस समय वह कालेज में थे. पुष्पा ने पति को फोन पर प्रिंस के गायब होने की जानकारी दी और तुरंत घर आने को कहा.

राकेश ने भी फोन पर बात की और चिंता जताते हुए भाई से अनुरोेध किया कि वह कैसा भी जरूरी काम हो, छोड़ कर घर आ जाएं. अपने एकलौते बेटे प्रिंस के गायब होने की जानकारी पा कर प्रोफेसर राजेश कुशवाहा घबरा गए. वह तुरंत घर आ गए. उन्होंने भी आसपास पूछताछ की लेकिन किसी से उन्हें कोेई सुराग नहीं मिला. इस से उन की चिंता बढ़ गई. उन्होंने भाई राकेश को साथ लिया और मोटरसाइकिल से पूजास्थल, बस व टैंपो स्टैंड पर प्रिंस की खोज की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. आखिरकार निराश हो कर वह घर लौट आए.

प्रोफेसर राजेश कुशवाहा के मन में बारबार सवाल उठ रहा था कि आखिर 8 साल का बच्चा कहां चला गया. अगर वह गांव में भटक गया होता तो वह उसे ढूंढ लेते. उन के मन में विचार आया, कहीं किसी ने उन के बेटे का अपहरण तो नहीं कर लिया. पुलिस को दी सूचना राजेश कुमार कुशवाहा ने जब घर आ कर बताया कि प्रिंस का कुछ पता नहीं लग रहा है. तब घर में रोनाधोना शुरू हो गया. आसपड़ोस के लोग भी आ गए. प्रिंस के गायब होने से सभी चिंतित थे. पुष्पा का तो रोरो कर बुरा हाल था. वह बारबार पति से अनुरोध कर रही थी कि जैसे भी संभव हो, उस के जिगर के टुकड़े को वापस लाओ. राजेश पुष्पा को धैर्य बंधा रहे थे. यह बात 19 अक्तूबर, 2020 की है.

जब दिन भर खोजने के बाद भी प्रिंस का कुछ पता नहीं चला तो राजेश शाम 7 बजे थाना विसंडा पहुंचे. थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह उस समय थाने में ही थे. उन्होंने उन्हें अपने 8 वर्षीय बेटे प्रिंस के अचानक घर से गायब होने की जानकारी दी और रिपोर्ट दर्ज कर प्रिंस को खोजने का अनुरोध किया. फिरौती की आई काल नरेंद्र सिंह ने तत्काल प्रिंस की गुमशुदगी दर्ज कर ली और आश्वासन दिया कि वह उन के बेटे को खोजने का पूरा प्रयास करेंगे. प्रोफेसर राजेश कुशवाहा गुमशुदगी दर्ज करा कर घर आए तो उन के मित्र व परिवार के लोग घर पर मौजूद थे. राजेश उन से प्रिंस के गायब होने के संबंध में विचारविमर्श करने लगे. अभी वह बात कर ही रहे थे कि उन के मोबाइल फोन पर काल आई.

राजेश ने काल रिसीव कर हैलो कहा तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘मास्टरजी, मेरी बात गौर से सुनो. मैं ने तुम्हारे बच्चे का अपहरण कर लिया है. 5 लाख फिरौती चाहिए, जल्दी इंतजाम करो. पुलिस को सूचना दी तो बच्चे की लाश मिलेगी.’’

इस के बाद उस ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. राजेश हैलोहैलो ही कहते रहे. अपहरण की जानकारी पा कर सभी चिंतित हो उठे. पुष्पा रोने लगी और पति से बोली, ‘‘मेरे पास जो भी पैसा है, सब ले लो. सोनेचांदी के गहने भी बेच दो. लेकिन मेरे लाल को छुड़ा कर ले आओ. उस के बिना मैं नहीं रह पाऊंगी.’’

पुष्पा के करुण रूदन से सभी की आंखें भर आईं. राजेश ने पत्नी को समझाया कि वह जल्द ही फिरौती की रकम दे कर प्रिंस को छुड़ा लेंगे. उसे कुछ नहीं होगा. राजेश और पुष्पा ने वह रात आंखोंआंखों में बिताई. सवेरा होते ही उन के घर पर फिर जमावड़ा शुरू हो गया. इसी बीच राकेश किसी काम से तालाब की ओर गया तो उस ने तालाब किनारे भतीजे प्रिंस की एक चप्पल पड़ी देखी. उस का माथा ठनका. वह सोचने लगा, ‘‘कहीं प्रिंस तालाब में तो नहीं डूब गया.’’

राकेश ने यह बात बड़े भाई राजेश को बताई तो राजेश दरजनों लोगों के साथ तालाब पर पहुंच गए. दरअसल, राजेश के घर से तालाब की दूरी मात्र 100 मीटर थी और वहां तक प्रिंस आसानी से पहुंच सकता था. अत: शक के आधार पर गांव के 2 तैराक तालाब में उतरे. उन्होंने हरसंभव प्रयास किया. लेकिन प्रिंस का पता नहीं चला. तालाब के किनारे पुआल और कंडे का ढेर लगा था. पुआल के ढेर के पास प्रिंस के पैर की दूसरी चप्पल पड़ी थी. उत्सुकतावश कुछ लोगों ने पुआल के ढेर को पलटा तो सब की आंखें फटी रह गईं. पुआल और कंडे के बीच 8 वर्षीय प्रिंस की लाश पड़ी थी. उस के मुंह पर टेप चिपका था और हाथपैर रस्सी से बंधे थे.

पुष्पा और परिवार की अन्य महिलाओं ने प्रिंस की लाश देखी तो वे बिलख पड़ीं. सब एकदूसरे को धैर्य बंधाने लगीं. पुष्पा तो रोतेरोते मूर्छित हो गईं. महिलाएं उन्हें घर ले गईं.  राकेश और राजेश भी प्रिंस का शव देख कर रो रहे थे. प्रोफेसर के मासूम बेटे प्रिंस की हत्या की खबर जंगल की आग की तरह चौसड़ और आसपास के गांवों में फैली तो भारी भीड़ उमड़ पड़ी. भीड़ हुई उत्तेजित इसी बीच थाना विसंडा पुलिस को प्रिंस की हत्या की खबर मिली तो थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह तथा डीएसपी आनंद कुमार पांडेय पुलिस टीम के साथ चौसड़ गांव आ गए. घटनास्थल पर भारी भीड़ देख कर पुलिस के हाथपांव फूल गए.

हालात तब ज्यादा बिगड़ गए, जब उत्तेजित भीड़ पुलिस विरोधी नारे लगाने लगी. उन की मांग थी कि जब तक आला अधिकारी घटनास्थल पर नहीं आएंगे, तब तक वह शव को नहीं उठने देंगे. स्थिति को भांप कर डीएसपी आनंद कुमार पांडेय ने घटना की जानकारी आला अधिकारियों को दी और जनता की मांग से अवगत कराया. जानकारी पा कर आईजी (बांदा) के. सत्यनारायण, एसपी डा. सिद्धार्थ शंकर मीणा तथा एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह चौहान चौसड़ गांव पहुंचे. सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने अतिरिक्त फोर्स मंगवा ली थी.  पुलिस अधिकारियों ने उत्तेजित जनता को आश्वासन दिया कि मासूम की हत्या का जल्द ही परदाफाश होगा और कातिल पकड़े जाएंगे.

पुलिस अधिकारियों के आश्वासन पर जनता का गुस्सा ठंडा पड़ा तो उन्होंने आननफानन में घटनास्थल का निरीक्षण किया. फिर शव को पोस्टमार्टम हेतु बांदा के जिला अस्पताल भिजवा दिया. एसपी डा. सिद्धार्थ शंकर मीणा ने हत्या का परदाफाश करने के लिए एक विशेष पुलिस टीम का गठन कर दिया. टीम की कमान एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह चौहान को सौंपी गई. इस टीम में थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह, चौकी इंचार्ज पी.आर. गौरव, एसआई अनिल सिंह, सत्येंद्र मिश्र, महिला सिपाही विमला, अंजू तथा डीएसपी आनंद कुमार पांडेय को शामिल किया गया.

गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के अनुसार प्रिंस की हत्या गला घोंट कर की गई थी. इस के बाद टीम ने मृतक प्रिंस के मातापिता व चाचा से पूछताछ की. पिता राजेश कुशवाहा ने बताया कि 19 अक्तूबर की रात 10 बजे उन के मोबाइल पर एक काल आई थी, जिस में प्रिंस के अपहरण की बात कही गई थी और 5 लाख की फिरौती मांगी गई थी. उन्हें शक है कि बेटे की हत्या में परिवार के ही किसी सदस्य का हाथ है. उन्होंने पुलिस को वह नंबर दिया, जिस से काल आई थी. उन्होंने हत्या का शक परिवार के जितेंद्र कुशवाहा व उस की पत्नी सतरूपा पर जताया.

21 अक्तूबर, 2020 की शाम 4 बजे पुलिस टीम ने शक के आधार पर जितेंद्र और उस की पत्नी सतरूपा को उस के घर से हिरासत में ले लिया और थाना विसंडा ले आई. उधर जिस नंबर से फिरौती का फोन आया था, पुलिस ने उस की जांच की तो पता चला कि वह नंबर विसंडा के छोटा गुप्ता के नाम से है. शक के आधार पर पुलिस छोटा गुप्ता को भी उस के घर से उठा कर थाना विसंडा ले आई. पुलिस टीम ने सब से पहले जितेंद्र कुशवाहा से पूछताछ की. उस ने बताया कि 19 अक्तूबर की सुबह 7 बजे वह खेत पर पानी लगाने गया था. दोपहर 12 बजे लौट कर घर आया तो पत्नी सतरूपा ने बताया कि मास्टर राजेश का लड़का प्रिंस लापता हो गया है. तब वह उन के घर गया और सब के साथ प्रिंस की खोज में जुटा रहा. प्रिंस की हत्या में उस का कोई हाथ नहीं है.

जितेंद्र के बाद पुलिस टीम ने उस की पत्नी सतरूपा से पूछताछ शुरू की. सतरूपा जब से थाने आई थी, उस का चेहरा उतरा हुआ था, वह घबराई हुई भी. पूछताछ में पहले तो वह पुलिस को बरगलाती रही . लेकिन जब सख्ती की गई तो उस ने प्रिंस की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि प्रिंस की हत्या में उस का साथ उस के प्रेमी अंकित कुशवाहा व उस के दोस्त छोटा गुप्ता ने दिया था. यह पता चलते ही पुलिस टीम ने अंकित कुशवाहा को भी रात में उस के घर में ही छापा मार कर गिरफ्तार कर लिया. यही नहीं, पुलिस टीम ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल रस्सी, टेप तथा मोबाइल फोन सतरूपा के घर से बरामद कर लिया.

सतरूपा के पति जितेंद्र कुशवाहा का हत्या में कोई हाथ नही था, अत: उसे थाने से जाने दिया गया. चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और आला कत्ल भी बरामद करा दिया था, अत: थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह ने मृतक के पिता राजेश कुमार कुशवाहा की तहरीर पर भादंवि की धारा 363/364/302/201/34 के तहत सतरूपा, अंकित कुशवाहा छोटा गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों से की गई पूछताछ में एक ऐसी औरत का खेल सामने आया, जिस ने अपना पाप छिपाने के लिए एक घर का चिराग बुझा दिया था. अवैध संबंधों के चलते हुई हत्या बांदा जिला की अतर्रा तहसील में एक बड़ी आबादी वाला गांव है चौसड़. इसी गांव में राजेश कुशवाहा अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी पुष्पा के अलावा एकलौता बेटा प्रिंस था.

राजेश कुशवाहा भागीरथी डिग्री कालेज में प्रवक्ता थे. उन की आर्थिक स्थिति अच्छी थी, वह गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. राजेश कुमार का बेटा प्रिंस कुशाग्र बुद्धि व चंचल स्वभाव का था. राजेश और पुष्पा उसे भरपूर प्यार देते थे. पुष्पा के लिए प्रिंस जिगर का टुकड़ा था. प्रिंस घर वालों का ही दुलारा नहीं था, बल्कि मोहल्ले के लोग भी उसे प्यार करते थे. वह घरघर का कन्हैया था. प्रिंस का चाचा राकेश तो उस पर जान छिड़कता था. वह अकसर नाश्ता उसी के साथ करता था. राजेश के घर से 4 घर दूर जितेंद्र कुशवाहा रहता था. वह किसान था. लगभग 7 साल पहले उस का विवाह सतरूपा से हुआ था. सतरूपा साधारण रंगरूप वाली मनचली औरत थी और चमकदमक से रहती थी. वह 2 बेटियों की मां बन चुकी थी.

2 बेटियों के जन्म के बाद जितेंद्र का मन स्त्री संसर्ग से उचट गया था, जबकि सतरूपा की शारीरिक भूख बढ़ गई थी. वह हर रात पति का साथ चाहती थी. लेकिन जितेंद्र उस का साथ नहीं दे पाता था. वह किसानी में ही व्यस्त रहता था. जितेंद्र के घर अंकित कुशवाहा का आनाजाना था. अंकित पड़ोस में ही रहने वाले मास्टर आनंद कुमार का बिगड़ैल बेटा था. वह शरीर से हृष्टपुष्ट तथा अविवाहित था. औरत उस की कमजोरी थी. जितेंद्र के घर आतेजाते उस की नजर जितेंद्र की पत्नी सतरूपा पर पड़ी. वह उस पर डोरे डालने लगा. सतरूपा और अंकित के बीच देवरभाभी का नाता था. सो दोनों के बीच खूब हंसीमजाक होता था. सतरूपा मनचली औरत थी और पति सुख से वंचित रहती थी, सो जल्दी ही वह अंकित के प्यार जाल में फंस गई और दोनों के बीच नाजायज रिश्ता बन गया.

सतरूपा अविवाहित अंकित की इतनी दीवानी बन गई कि वह जब भी प्रणय निवेदन करता सतरूपा उसे समर्पित हो जाती थी. अंकित ऐसे समय घर आता था जब सतरूपा का पति खेतों पर होता था. प्रिंस ने देख लिया था 19 अक्तूबर, 2020 की सुबह 7 बजे जितेंद्र अपने खेतों में पानी लगाने चला गया. उस के जाने के कुछ देर बाद अंकित घर आ गया. आते ही उस ने सतरूपा को बांहों में भर लिया और कमरे में ले गया. जल्दी में दोनों घर का मुख्य दरवाजा बंद करना भूल गए. कमरे के अंदर अंकित और सतरूपा जिस्म की प्यास बुझा ही रहे थे कि राजेश का 8 वर्षीय बेटा प्रिंस कमरे में आ गया. उस ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया.

प्रिंस कहीं भेद न खोल दे, अत: दोनों ने मासूम प्रिंस को पकड़ लिया और उस के हाथपैर रस्सी से बांध दिए. फेवीक्विक लगा कर होेंठ बंद कर दिए तथा मुंह पर टेप लगा दिया ताकि वह चीखचिल्ला न सके. इस के बाद गला दबा कर दोनों ने प्रिंस को मार डाला. लाश को कमरे में ही छिपा दिया. इस के बाद अंकित ने अपने दोस्त छोटा गुप्ता को सारी जानकारी दे कर मदद मांगी. छोटा गुप्ता मदद को राजी हो गया. उस ने ही रात में राजेश को अपहरण और फिरौती के लिए फोन किया था, ताकि घर वाले और पुलिस गुमराह हो जाएं. आधी रात को तीनों ने मिल कर प्रिंस के शव को घर से कुछ दूरी पर स्थित तालाब के किनारे पुआल और कंडों के बीच छिपा दिया.

उधर पुष्पा देवी मंदिर से घर लौटीं तो प्रिंस घर से नदारद था. उस ने खोज शुरू की और पति को जानकारी दी. राजेश अपने साथियों के साथ प्रिंस की खोज करता रहा, लेकिन उस का पता न चला. दूसरे रोज पुआल के ढेर से प्रिंस का शव बरामद हुआ. थाना विसंडा पुलिस ने शव को कब्जे में ले कर जांच प्रारंभ की तो प्रिंस की हत्या का परदाफाश हुआ और कातिल पकड़े गए. 22 अक्तूबर, 2020 को थाना विसंडा पुलिस ने अभियुक्त अंकित कुशवाहा, छोटा गुप्ता तथा सतरूपा को बांदा की जिला अदालत में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया. सैक्स के भूखे लोग दरवाजा क्यों खुला छोड़ देते हैं, समझ के बाहर है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

Family Dispute : बहू ने सास को लोहे की पाइप से पीट पीट कर मार डाला

Family Dispute : निकिता और रेखाबेन का आए दिन का झगड़ा आम सास बहू के झगड़ों और कहासुनी से अलग नहीं था. लेकिन यह झगड़ा तब सीमाएं लांघ गया जब सास रेखाबेन ने गर्भवती बहू के गर्भ में ससुर का बच्चा होने का इलजाम लगाया. जाहिर है कोई भी औरत ऐसा झूठा आरोप नहीं सह सकती. निकिता भी नहीं…

परिवार में सासबहू के झगड़े सैकड़ों सालों से चले आ रहे हैं. ये विवाद कभी खत्म नहीं हुए और न ही हो सकते हैं. सासबहू की लड़ाई को टीवी की महारानी एकता कपूर ने सीरियल के रूप में घरघर तक नए रूप में पहुंचाया. संपन्न परिवारों में सास और बहू एकदूसरे को मात देने के लिए कुटिल चालों का तानाबाना बुनती रहती थीं, जिस के चलते टीवी सीरियल की कहानियां लंबी खिंचती जाती थीं. अब इन सीरियलों का दौर भले ही खत्म हो गया, लेकिन वास्तविक जीवन में सासबहू के झगड़े जारी हैं. आज भी कोई इक्कादुक्का परिवार ही ऐसे होंगे, जहां सास और बहू में आपस में प्रेमप्यार बना हुआ हो. आमतौर पर सास अपनी बहू पर मनमर्जी थोपना चाहती है और बहू आजादी चाहती है.

विवाद यहीं से शुरू होता है. यह विवाद कभीकभी इतना बढ़ जाता है कि या तो परिवार टूटने की नौबत आ जाती है या फिर अपराध की. कई बार ऐसे किस्से भी सुनने को मिलते हैं जब सास ने अपनी बहू को मार डाला. कभी इस के उलट कहानी भी सामने आती है. यह कहानी गुजरात की राजधानी अहमदाबाद शहर की है. अहमदाबाद के गोता इलाके में स्थित पौश आवासीय सोसायटी रौयल होम्स में फर्स्ट फ्लोर पर बने फ्लैट में रामनिवास अग्रवाल का परिवार रहता है. उन का शहर में पत्थर, टाइल्स का बड़ा कारोबार है. बेटा दीपक भी उनके साथ व्यापार में हाथ बंटाता है.

घरपरिवार में मौज थी. केवल 4 सदस्यों के इस परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. खुद रामनिवास अग्रवाल, उन की पत्नी रेखा बेन, बेटा दीपक और बहू निकिता उर्फ नायरा. रामनिवास की उम्र कोई 55 साल है. उन की पत्नी रेखा करीब 52 साल की थी. बेटा दीपक लगभग 30-32 साल का और बहू निकिता करीब 29 साल की. दीपक की शादी इसी साल 16 जनवरी को निकिता से हुई थी. निकिता राजस्थान के जिला अजमेर के ब्यावर निवासी सुरेशचंद्र अग्रवाल की बेटी है. रामनिवास भी मूलरूप से राजस्थान के रहने वाले हैं. उन का परिवार पहले पाली जिले में सुमेरपुर के पास जवाई बांध इलाके में रहता था. बाद में रामनिवास व्यापार के सिलसिले में अहमदाबाद चले गए. वहां उन का कारोबार अच्छा चल गया.

रामनिवास भले ही गुजरात में बस गए थे, लेकिन राजस्थान की माटी से उन का मोह नहीं छूटा था. इसलिए बेटे दीपक के लिए जब राजस्थान के ब्यावर से निकिता का रिश्ता आया, तो उन्होंने घरपरिवार देख कर हामी भर दी. वैसे भी ब्यावर के रहने वाले सुरेशचंद्र अग्रवाल साधन संपन्न थे. उन का भी अच्छा कारोबार था. पैसों की कोई कमी नहीं थी. निकिता में भी कोई कमी नहीं थी. तीखे नाकनक्श वाली निकिता ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से एमकौम तक की पढ़ाई करने के बाद सिक्किम यूनिवर्सिटी से फायनेंस में एमबीए की डिगरी भी हासिल की थी. दीपक और निकिता की शादी हो गई. शादी में सुरेशचंद्र अग्रवाल ने दिल खोल कर पैसा खर्च किया. किसी बात की कमी नहीं छोड़ी. पत्नी के रूप में सुंदर और पढ़ीलिखी निकिता को पा कर दीपक भी निहाल हो गया.

दीपक भी हैंडसम था. निकिता भी पति के रूप में दीपक को पा कर खुद पर अभिमान करती थी. दोनों का दांपत्य जीवन खुशी से चलने लगा. निकिता की भले ही शादी हो गई थी, लेकिन पीहर से उस का मोह नहीं छूटा था. वह पीहर जाती, तो महीनेबीस दिन में आती. हालांकि इस बीच मार्च में लौकडाउन हो गया था. लौकडाउन के दौरान निकिता को करीब 3-4 महीने पीहर में ही गुजारने पड़े. उस का कहना था कि ट्रेन और बसें बंद होने तथा एक से दूसरे राज्य में लोगों की आवाजाही पर रोक होने से वह अहमदाबाद नहीं जा सकी थी. पढ़ीलिखी बहू और गृहिणी सास की नोंकझोंक बहू निकिता के ज्यादा समय पीहर में रहने से सास रेखा बेन को कोई सुख नहीं मिल पा रहा था. वैसे तो घर में कामकाज के लिए बाई आती थी. फिर भी रेखा बेन चाहती थी कि कोई उस की भी देखभाल करने वाला हो.

बहू उस के कामकाज में हाथ बंटाए. इस बात को ले कर रेखा और निकिता में कई बार खटपट हो जाती थी. दहेज को ले कर भी रेखा उसे ताने मारती और उस के कामकाज में मीनमेख निकालती रहती थी. वैसे भी आमतौर पर बढ़ती उम्र के लिहाज से हर महिला चाहती है कि जैसे उस ने घर को संवारा है, वैसे ही बहू भी घरपरिवार की जिम्मेदारी संभाले, लेकिन निकिता शादी के बाद आधे से ज्यादा समय पीहर में ही रही थी. ऐसी हालत में रेखा बेन को ही घरपरिवार में खटना पड़ता था. उसी पर पति की जिम्मेदारी थी और बेटे की भी. इसी बीच, अक्तूबर के महीने में निकिता के दादा का निधन हो गया, तो वह फिर अपने मायके चली गई. इस बार भी वह मायके में कुछ ज्यादा दिन रुक गई. ससुर और पति ने कई बार फोन किए, तो वह 21 अक्तूबर को अहमदाबाद लौट आई.

ससुराल आ कर निकिता ने पति और सास को अपने गर्भवती होने की बात बताई. यह सुन कर दीपक तो खुशी से झूम उठा, लेकिन रेखा बेन के माथे पर सिलवटें पड़ गई. रेखा बेन को बहू के गर्भवती होने से कोई खुशी नहीं हुई. उसे शक था कि निकिता के पेट में बेटे दीपक का नहीं बल्कि ससुर रामनिवास का गर्भ है. रेखा बेन को अपने पति पर भी शक था. उस का शक इसलिए भी था कि ससुर और बहू खूब हंसबोल कर बातें करते थे. मोबाइल पर चैटिंग भी करते थे. हालांकि रेखा बेन ने कभी ससुर और बहू को गलत हरकत करते हुए नहीं देखा, लेकिन उस के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाता रहता था. रेखा पहले से ही बहू से खुश नहीं थी. अब उसे उस के चरित्र पर भी शक होने लगा था.

शक ऐसा कीड़ा है, जिस का कोई इलाज नहीं है. रेखा पहले तो दहेज को ले कर और उस के कामकाज तथा पीहर में ज्यादा समय रहने पर ऐतराज उठाती थी. अब वह उस के चरित्र पर भी अंगुली उठाने लगी. इस से सासबहू के झगड़े बढ़ गए. रेखा को जब भी मौका मिलता, वह निकिता को ताने मारने से नहीं चूकती. रोजाना दिन में 2-4 बार किसी न किसी बात पर रेखा और निकिता में कहासुनी हो ही जाती थी. रेखा बहू की शिकायत अपने बेटे और पति से करती, तो वह हंस कर टाल देते थे. इस बीच, रामनिवास कोरोना से संक्रमित हो गया. उसे 24 अक्तूबर को निजी अस्पताल में भरती करा दिया गया. पति के कोरोना संक्रमित होने से रेखा बेन चिड़चिड़ी हो गई.

इस के बाद 27 अक्तूबर की रात करीब 8 बजे की बात है. घर पर केवल रेखा और निकिता ही थी. दीपक अपने टाइल्स, पत्थर के औफिस गया हुआ था. रेखा उस समय रसोई में रात के भोजन की तैयारी कर रही थी. इसी दौरान रेखा अपनी बहू को ताने मारने लगी. रेखा के हाथ में लोहे का एक पाइप था. वह उस पाइप को निकिता के पेट पर धंसा कर कहने लगी, तेरे पेट में ये जो बच्चा है, वह मेरे बेटे का नहीं बल्कि मेरे पति का है. निकिता बर्दाश्त नहीं कर पाई सास के मुंह से ऐसी बातें सुन कर निकिता को गुस्सा आ गया. उस ने रेखा के हाथ से वह पाइप छीन लिया और बिना सोचेसमझे उस के सिर में दे मारा.

50-52 साल की रेखा बेन जवान बहू का विरोध नहीं कर सकी. उस के सिर से खून बहने लगा. वह फर्श पर गिर पड़ी. इस के बाद भी निकिता का गुस्सा शांत नहीं हुआ. उस ने पाइप से सास के सीने, पेट और चेहरे पर कई वार किए. पाइप के लगातार हमलों को रेखा सहन नहीं कर सकी. उस के शरीर से कई जगह से खून रिसने लगा और थोड़ी ही देर में उस के प्राण निकल गए. जब निकिता का गुस्सा शांत हुआ, तो वह घबरा गई. उस की सोचनेसमझने की शक्ति जवाब दे गई थी. कुछ देर बैठ कर वह सोचती रही कि अब क्या करे? कुछ देर विचार करने के बाद उस ने सास की हत्या को आत्महत्या का रूप देने की योजना बनाई.

उस ने फ्लैट में ही रेखा के शव पर चादर डाल कर उसे जलाने का प्रयास किया. उसे यह नहीं पता था कि इंसान का शव इतनी आसानी से नहीं जलता. शव नहीं जला, तो वह हताश हो कर अपना सिर पकड़ कर बैडरूम में जा बैठी. इस बीच, पड़ोसियों ने सासबहू के बीच झगड़े और मारपीट की तेज आवाजें सुनीं, तो उन्होंने रामनिवास के फ्लैट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन निकिता ने दरवाजा नहीं खोला. कई बार घंटी बजाने और कुंडी खटखटाने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो पड़ोसियों ने रामनिवास को फोन किया. रामनिवास अस्पताल में थे. पड़ोसी की बात सुन कर वे चिंतित हो उठे. उन्होंने बेटे दीपक को तुरंत घर जाने को कहा. दीपक उस समय अपना औफिस बंद कर चाणक्यपुरी ब्रिज स्थित मंदिर में हनुमानजी के दर्शन करने गया हुआ था. वह रात करीब साढ़े 9 बजे फ्लैट पर पहुंचा.

उस ने घंटी बजाई, लेकिन निकिता ने गेट नहीं खोला. उस ने गेट की कुंडी भी खटखटाई, लेकिन फिर भी दरवाजा नहीं खुला, तो उस ने मां और बीवी के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन दोनों ने ही फोन नहीं उठाया. उसे लगा कि निकिता ने मां से झगड़े के बाद गेट बंद कर लिया होगा और अब वह गुस्से में गेट नहीं खोल रही है. मां की लाश देख होश उड़े थकहार कर उस ने पड़ोसियों की सीढि़यों के रास्ते अपने फ्लैट में जाने की कोशिश की, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली. बाद में उस ने पड़ोसियों से पाइप की बनी सीढ़ी का इंतजाम किया. इस सीढ़ी पर चढ़ कर वह रसोई के रास्ते अपने फ्लैट में पहुंचा. उस की मां का कमरा बंद था. उस ने कमरा खोला, तो मां की खून से लथपथ अधजली लाश देख कर दीपक सहम गया.

मां की लाश के पास ही खून से सना लोहे का एक पाइप पड़ा था. निकिता अपने बैडरूम में चुपचाप बैठी थी. उस ने उस से पूछा कि यह सब क्या और कैसे हुआ?  निकिता ने दीपक को बताया कि मम्मीजी ने पहले उस से झगड़ा किया. फिर वे अपने कमरे में चली गईं. पता नहीं उन्होंने खुद कैसे अपना यह हाल बना लिया? शायद उन्होंने सुसाइड कर लिया. दीपक को निकिता की बातें गले नहीं उतर रही थीं. अगर रेखा बेन सुसाइड करतीं, तो खून से लथपथ कैसे हो जातीं और फिर उन का शव कैसे जलता? दीपक ने निकिता से पूछा कि घर में कोई और आदमी आया था क्या? निकिता ने मना कर दिया.

दीपक ने रात को ही फोन नंबर 108 पर एंबुलेंस सेवा को फोन किया. एंबुलेंस के साथ आए डाक्टर और चिकित्साकर्मियों ने रेखा बेन की जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया. इस के बाद दीपक ने पुलिस को फोन किया. पुलिस उस के फ्लैट में पहुंच गई. पुलिस ने दीपक से पूछताछ की. दीपक ने पिता का फोन आने से ले कर सीढ़ी के रास्ते फ्लैट में चढ़ने और मां का लहूलुहान शव पड़ा होने की सारे बातें बता दीं. पुलिस ने निकिता से पूछताछ की, तो उस ने वही बातें कहीं, जो दीपक को बताई थीं. मौके के हालात देख कर पुलिस को भी निकिता की कहानी पर भरोसा नहीं हुआ. रात ज्यादा हो गई थी. फिर भी पुलिस ने रात को ही घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी.

फुटेज में इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि दीपक के फ्लैट में बाहर से कोई आदमी आया था. पुलिस ने पंचनामा बना कर शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. मामला संदिग्ध था. इस के लिए निकिता से पूछताछ जरूरी थी. पुलिस उसे थाने ले गई. दीपक की शिकायत पर सोला थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने मौके से खून से सना लोहे का पाइप बरामद कर लिया था. पुलिस ने थाने में निकिता से पूछताछ की. वह कहती रही कि सास और उस का झगड़ा हुआ था. इस के बाद सास अपने कमरे में चली गई और अंदर से कमरा बंद कर लिया. बाद में कैसे और क्या हुआ, इस का उसे कुछ पता नहीं है.

निकिता ने पुलिस को बताया कि उस की सास पिछले कुछ सालों से ऐसी बीमारी से पीडि़त थी कि कोई उसे छू ले, तो वह तुरंत नहाती थीं. मैडिकल की भाषा में इस बीमारी को औब्सेसिव कंपजिव डिसऔर्डर (ओसीडी) कहा जाता है. दीपक ने भी अपनी मां के ऐसी बीमारी से ग्रस्त होने की बात मानी. पुलिस ने दीपक से उस के घरपरिवार और सासबहू के रिश्तों के बारे में पूछा. इस में पता चला कि रेखा बेन और निकिता में दहेज और घरेलू कामकाज को ले कर झगड़े होते रहते थे. इस पर पुलिस अधिकारियों ने निकिता से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की.

आखिर दूसरे दिन 28 अक्तूबर को सुबह निकिता ने जो बताया, उसे सुन कर पुलिस के अधिकारी भी हैरान रह गए. निकिता ने बताया कि उस की सास पुराने खयालों की थी. वह उसे कभी दहेज पर तो कभी किसी दूसरी बात पर ताने मारती थी. शादी के बाद से ही सास से उस की पटरी नहीं बैठी थी. अभी जब वह पीहर से ससुराल आई और मम्मीजी को अपने गर्भवती होने की बात बताई, तो उन की त्यौरियां चढ़ गईं. उस दिन तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. ससुरजी के अस्पताल में भरती होने के बाद मम्मीजी मेरे गर्भ को ले कर अनापशनाप बातें कहने लगीं. उस दिन जब उन्होंने उस से गर्भ ससुर का होने की बात कही, तो गुस्से में वह अपना आपा खो बैठी और उन के हाथ से पाइप छीन कर ताबड़तोड़ हमले किए. इस से उन की मौत हो गई. निकिता ने सास की हत्या करने की बात कबूल कर ली थी.

उस ने पुलिस को बताया कि सास की हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उस ने वहां फैले खून को चादर से साफ किया. फिर शव पर चादर डाल कर आग लगा दी ताकि शव जल जाए, लेकिन शव नहीं जला. इस के बाद उस ने अपने मोबाइल से ससुर के वाट्सएप चैट और मैसेज डिलीट किए. मोबाइल से मैसेज डिलीट करने की बात सामने आने पर पुलिस ने निकिता के साथ परिवार के चारों लोगों के मोबाइल जब्त कर लिए. इन की जांच की, तो निकिता के मोबाइल में एक मैसेज मिला. 24 अक्तूबर के इस मैसेज में ससुर रामनिवास ने लिखा था कि तुम अभी दीपक से दूर ही रहना.

स्वीकारोक्ति के बाद निकिता की स्वीकारोक्ति के बाद पुलिस ने निकिता और उस की सास के खून से सने कपड़े भी जब्त कर लिए. मोबाइल फोन के साथ इन कपड़ों को भी जांच के लिए विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेज दिया गया. एफएसएल टीम ने भी मौके से साक्ष्य जुटाए. पुलिस ने दूसरे दिन डाक्टरों के मैडिकल बोर्ड से रेखा बेन के शव का पोस्टमार्टम कराया. बाद में दीपक को शव सौंप दिया गया. घर वालों ने रेखा बेन का अंतिम संस्कार कर दिया. कोरोना जांच में निकिता निगेटिव मिली. इस के बाद पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया. पुलिस ने निकिता को उस के फ्लैट पर ले जा कर वारदात का सीन रिक्रिएट किया.

इस दौरान पुलिस ने यह पता लगाने की कोशिश की कि निकिता और रेखा बेन के बीच झगड़ा कैसे शुरू हुआ होगा. इस के बाद निकिता ने कैसे उस की हत्या की होगी. सीन रिक्रिएट के जरिए पुलिस ने यह बात जानने की भी कोशिश की कि क्या निकिता ने अकेले ही सास की हत्या की या इस में किसी दूसरे आदमी ने भी उस की मदद की? हालांकि पुलिस को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला. बेटी के हाथों सास की हत्या की सूचना मिलने पर राजस्थान के ब्यावर शहर से निकिता के मातापिता अहमदाबाद पहुंचे. पहले वे समधन रेखा बेन की अंतिम क्रिया में शरीक हुए. बाद में वे सोला पुलिस स्टेशन जा कर हत्या आरोपी बेटी निकिता से मिले.

उसे पुलिस हिरासत में देख कर मांबाप के आंसू बह निकले. निकिता भी रो पड़ी. सुबकते हुए उस ने अपने मातापिता से केवल इतना ही कहा, ‘मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई.’ पुलिस ने जांचपड़ताल के दौरान पड़ोसियों से भी पूछताछ की. उन्होंने बताया कि रेखा और निकिता के बीच आमतौर पर रोजाना ही किसी ना किसी बात पर झगड़ा होता था. उस दिन भी उन्होंने दोनों के बीच झगड़े और मारपीट की तेज आवाजें सुनी थीं. इस के बाद ही रामनिवास को फोन किया था.

कथा लिखे जाने तक पुलिस ने निकिता को जेल भिजवा दिया था. पुलिस यह जानने का प्रयास कर रही थी कि क्या निकिता के अपने ससुर से किसी तरह के संबंध थे? हालांकि पुलिस को एक मोबाइल चैटिंग के अलावा इस बारे में दूसरा कोई प्रमाण नहीं मिला. मोबाइल चैटिंग से भी यह बात साफ नहीं होती कि निकिता के ससुर से किसी तरह के संबंध थे. बहरहाल, 2 महीने की गर्भवती निकिता अपनी सास की हत्या के आरोप में जेल पहुंच गई. ससुर रामनिवास पर बहू से संबंधों का आरोप लग गया. पति दीपक बीच मंझधार में फंस गया.

उस के सामने संकट आ खड़ा हुआ कि वह पिता पर शक करे या पत्नी पर. निकिता के पेट में किस का गर्भ है, यह तो वही जाने. शक की बुनियाद पर एक खातेपीते संपन्न परिवार के रिश्तों में ऐसी दरार आ गई, जो जिंदगी भर नहीं पाटी जा सकती.

 

Meerut Crime : पति की गला दबाकर की हत्या फिर बगल में रख दिया सांप

Meerut Crime : यह घटना यूपी के मेरठ जिले की है, जिस में रविता नाम की एक युवती ने अपने प्रेमी अमरदीप के साथ मिलकर पति अमित कश्यप का कत्ल किया. इतना ही नहीं उस ने अपने बचाव के लिए प्रेमी की मदद से एक सांप मंगवा कर उसे सोए हुए पति के नीचे रख दिया ताकि लोगों को यह लगे कि पति को सांप ने डंसा है और इस कारण मर गया है, लेकिन यह राज छिप न सका. यहां जानते हैं इस पूरी स्टोरी को विस्तार से

यह घटना उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की है, जहां रविता ने अपने प्रेमी अमरदीप के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी. इस साजिश के तहत दोनों ने सबूत छिपाने के लिए एक सांप का इस्तेमाल किया. हत्या के बाद पति के शव के नीचे एक सांप को रख दिया, ताकि लगे कि पति की मौत सांप के डंसने से हुई है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हो गया कि अमित की मौत सांप के डंसने से नहीं बल्कि गला घोंटने की वजह से हुई थी. पुलिस ने कातिल पत्नी और उस के प्रेमी को अरेस्ट कर लिया है.

प्रेमी अमरदीप ने पुलिस को बताया कि साजिश उस की प्रेमिका रविता ने ही रची थी. उस ने बताया कि 20 मार्च, 2025 को उस की और अमित की लड़ाई हुई थी. इस के बाद अमित ने उसे मारने के लिए कई लड़कों को लगा दिया. इन में से कई लड़के उस के घर भी आए थे और उन्होंने उसे घर के बाहर भी बुलाया, लेकिन वह बाहर नहीं गया. इस घटना के बाद भी अमित हर बार अमरदीप से कहता रहा कि वह उसे जान से मार डालेगा.

पति अमित को सांप से कटवाने का आइडिया कैसे आया

रविता के आशिक अमरदीप ने बताया कि अमित को सांप से कटवाने का आइडिया रविता का था. रविता अकसर उस से कहा करती थी कि अमित उसे बहुत प्रताड़ित करता रहता है. बेल्ट से मारता है, मैं उस से से तंग आ चुकी हूं. इसलिए मुझे अब अपने पति से छुटकारा पाना है. अमरदीप ने रविता को कई बार समझाया कि वह पुलिस थाने चली जाए और पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दे.

इस पर रविता ने कहा कि अमित मुझे तलाक नहीं दे रहा है. इसलिए किसी भी तरह पति अमित को खत्म कर दो. बाद में रविता ने ही अमरदीप से कहा कि तुम कहीं से एक सांप का इंतजाम कर दो. पुलिस की पुछताछ में अमरदीप ने बताया कि उस ने अपने गांव के एक दोस्त से सांप लाने की बात की थी. फिर दोस्त ने उसे एक मोबाइल नंबर दिया. वह नम्बर कृष्ण नाम के एक सपेरे का था, जो महमूदपुर सिखेड़ा गांव में रहता था. उस सपेरे से अमरदीप की बात हुई थी और उस ने एक हजार रुपए में सांप देने का सौदा किया.

इस के बाद अमरदीप ने सपेरे कृष्ण से सांप ले कर एक झोले में रख लिया था. फिर वह प्रेमिका की काल आने का इंतजार करने लगा. इस के बाद रविता की काल आई. उस ने बताया कि अमित सो गया है, तुम घर पर जल्दी आ जाओ.

इस के बाद अमरदीप रविता के घर पहुंच गया और प्रेमिका रविता के साथ मिलकर अमित का गला दबा दिया. जब दोनों अमित का गला दबा रहे थे तो किसी ने उस के चिल्लाने की आवाज नही सुनी थी. इस के बाद अमरदीप ने झोले से सांप निकाल कर उस की पूंछ अमित की लाश के नीचे दबा दी, ताकि वह सांप अमित को डंस ले.

कब मिले थे अमरदीप और रविता

अमरदीप और रविता की मुलाकत करीब 6 महीने पहले हुई थी. अमरदीप और रविता दोनों एक साथ काम करने जाया करते थे. इस के बाद दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गए. उन के प्रेम सम्बंधों में अमित वाधक था, उसलिए दोनों ने उसे योजनानुसार ठिकाने लगा दिया. जांच में आता चला कि जिस सांप ने अमित को 10 बार डंसा था वह घोड़ा पछाड़ (धामन) था, जो जहरीला नहीं होता. इस सांप को किसानों का मित्र भी कहा जाता है, क्योंकि यह चूहे और मेंढकों का शिकार करता है. बहरहाल, पुलिस ने दोनों आरोपियों को अरेस्ट कर लिया है दोनों से अभी पुछताछ जारी है.

UP Crime : पति बना रास्ते का कांटा, पत्नी ने की हत्या

UP Crime : पतन की राह बड़ी ढलवां होती है. कोई भी जब इस राह पर कदम रखता है तो उस का संभलना मुश्किल हो जाता है. मूलचंद की पत्नी राजरानी अगर इस बात को समझ जाती तो शायद…

रात लगभग 2 बजे का समय था. घर के दरवाजे की कुंडी बजी. दरवाजा राजरानी ने खोला. राजरानी ने देखा कि उस के पति मूलचंद प्रजापति को 2 लोग बाइक से घायल व अचेत अवस्था में ले कर आए थे. पति की हालत देख कर राजरानी घबरा गई. इस से पहले कि वह उन दोनों से पति की हालत के बारे में पूछती, वे दोनों मूलचंद को बेहोशी की हालत में दरवाजे पर ही छोड़ यह कह कर चले गए कि इन्होंने ज्यादा शराब पी रखी है. दोनों व्यक्तियों के चेहरे कपड़े से ढके थे.

वह अपने पति को किसी तरह घर के अंदर लाई और होश में लाने के लिए उस के चेहरे पर पानी के छींटे मारती रही, लेकिन होश नहीं आया. पति के गले और सिर पर चोट के निशान दिख रहे थे. उस ने बच्चों को जगाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे गहरी नींद में सोए थे. सुबह लगभग 6 बजे मूलचंद की मौत हो गई. यह घटना 7 अक्तूबर, 2020 की है. फिरोजाबाद शहर के थाना उत्तर क्षेत्र स्थित श्रीराम कालोनी निवासी 39 वर्षीय मूलचंद शटरिंग मिस्त्री था. पत्नी राजरानी घर पर ही चूडि़यों पर नग लगाने का काम करती थी.

पति की मौत पर राजरानी व बच्चों की चीखपुकार सुन कर मोहल्ले में जगार हो गई थी. पड़ोसियों ने उस के घर आ कर देखा, मूलचंद की मौत हो चुकी थी. मूलचंद के बेटे राहुल ने पिता की मौत की जानकारी द्वारिकापुरी में रहने वाले अपने ताऊ रामदास को दी. कुछ ही देर में रामदास भी वहां पहुंच गया. जैसेजैसे लोगों को इस घटना की जानकारी मिलती गई. वैसेवैसे वहां पर लोगों का जमघट लगता गया. तब तक सुबह के लगभग 7 बज गए थे. इसी बीच किसी ने थाना उत्तर में सूचना दे दी. थानाप्रभारी अनूप कुमार भारतीय सूचना मिलते ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. सूचना मिलने पर सीओ (सिटी) हरिमोहन सिंह भी मौके पर पहुंच गए.

घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस ने जांचपड़ताल की. मृतक मूलचंद के सिर से खून बह कर जम चुका था तथा गले पर भी चोट के निशान थे. मिस्त्री की मौत होने से उस के बच्चों व पत्नी का रोरो कर बुरा हाल हो रहा था. पुलिस ने समझाबुझा कर राजरानी को शांत कराया. पूछताछ में मृतक की पत्नी राजरानी ने पुलिस को बताया कि उस के पति शटरिंग का काम करते थे. बुधवार की शाम 5 बजे बाजार से सामान लेने के लिए निकले थे. इस के बाद देर रात तक नहीं लौटे. उन के लौटने का इंतजार करतेकरते घर में सभी जने सो गए. रात 2 बजे किसी ने दरवाजा खटखटाया तो उस ने दरवाजा खोला. देखा 2 युवक बाइक से पति को बेहोशी की हालत में ले कर आए थे. वह कुछ समझ पाती, उस से पहले ही उन्होंने अधिक शराब पीने से तबीयत खराब होने की बात कह कर दरवाजे पर डाल कर भाग गए.

राजरानी ने उन युवकों पर पति की हत्या करने का आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों के चेहरे ढके हुए थे. इसलिए वह उन्हें पहचान नहीं पाई.

पुलिस ने कहा कि घायल पति को उपचार के लिए अस्पताल क्यों नहीं ले गई? इस पर राजरानी ने बताया कि पति रोज ही शराब पी कर गिरतेपड़ते घर आते थे. उस ने सोचा थोड़ी देर में उन्हें होश आ जाएगा. इसलिए वह उन्हें अस्पताल नहीं ले गई. सुबह जब वह सो कर उठी तो देखा, उन की मौत हो गई थी. पड़ोसियों से भी पुलिस ने पूछताछ की.

उन्होंने बताया कि सुबह राजरानी व बच्चों की चीख सुन कर उन्हें घटना की जानकारी हुई थी. मृतक के भाई रामदास ने पुलिस को बताया कि सुबह भतीजे राहुल का फोन आने पर उन्हें घटना की जानकारी मिली थी. जब वे घर पर पहुंचे, उन्हें भाई मृत अवस्था में मिला था. पुलिस ने शटरिंग मिस्त्री के मकान के आसपास भी पड़ताल की. उन्हें खाली पड़े प्लौट में खून के निशान मिले. पुलिस का मानना था कि मिस्त्री के साथ घर के आसपास ही मारपीट की गई थी. पुलिस ने मृतक मूलचंद के मोबाइल को कब्जे में ले लिया ताकि काल डिटेल्स के माध्यम से हत्यारों तक पहुंचा जा सके.

इंसपेक्टर भारतीय ने मौके की आवश्यक काररवाई निपटाने के साथ ही लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया और थाने लौट आए. भाई रामदास ने मृतक भाई की पत्नी राजरानी के बताए अनुसार 2 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में मूलचंद की गला दबा कर व सिर पर चोट पहुंचा कर हत्या किए जाने की बात कही गई थी. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने केस की जांच शुरू करते हुए मूलचंद के बारे में पता किया कि उस की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं थी. जानकारी मिली कि मूलचंद सीधासादा व्यक्ति था. शटरिंग के काम से जो आमदनी होती थी, उसी से अपने परिवार को पालता था.

हत्याकांड के खुलासे के लिए एसएसपी सचिंद्र पटेल ने जिम्मेदारी एसपी (सिटी) मुकेशचंद्र मिश्र को सौंपी. साथ ही उन्होंने उन की मदद के लिए सीओ (सिटी) हरिमोहन सिंह और थानाप्रभारी अनूप कुमार भारतीय को ले कर एक पुलिस टीम का गठन कर दिया. पुलिस ने जांच के दौरान मृतक मूलचंद और राजरानी के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स खंगाली. राजरानी के फोन की काल डिटेल्स में घटना वाली रात आखिरी काल गौरव चौहान को की गई थी. शक गहराने के बाद पुलिस ने गौरव के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि वह 26 साल का अविवाहित युवक है और मृतक के घर के पास ही रहता है.

गौरव भी चूड़ी पर मोती लगाने का काम करता था. जांच के दौरान पूछताछ में यह भी पता चला कि गौरव का राजरानी के घर काफी आनाजाना था. इस के बाद राजरानी से पूछताछ की गई. पुलिस ने उस से गौरव के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि हमारे व गौरव के यहां चूड़ी का काम होता है. घर भी पासपास हैं इसलिए हमारा परिवार उस से परिचित है. पुलिस ने उस से पूछा कि जब पति घायल और बेहोशी की हालत में था तो अपने जेठ रामदास को फोन कर जानकारी क्यों नहीं दी? रात में तुम ने गौरव को फोन क्यों किया था? इस प्रश्न पर राजरानी ने चुप्पी साध ली.

राजरानी बारबार बयान बदलने लगी. इस से पुलिस का शक मजबूत हो गया. जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो उस ने प्रेमी गौरव के साथ मिल कर पति की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने 8 अक्तूबर को घर से राजरानी को तथा कोटला से गौरव को गिरफ्तार कर लिया. एसपी (सिटी) मुकेशचंद्र मिश्र ने अपने औफिस में आयोजित प्रैस कौन्फ्रैंस में शटरिंग मिस्त्री मूलचंद की हत्या का 24 घंटे में ही खुलासा करने तथा 2 हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. इस हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

28 वर्षीय गौरव चौहान फिरोजाबाद की श्रीराम कालोनी में मृतक मूलचंद के घर के पास रहता था. मूलचंद शराब पीने का आदी था. वह अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा शराब पर खर्च कर देता था. पत्नी विरोध करती तो वह नशे में उस के साथ मारपीट करता था. लौकडाउन के दौरान मूलचंद का शटरिंग का काम बंद हो जाने से उस की माली हालत बिगड़ गई. उस के सामने 8 लोगों का पेट पालने की समस्या खड़ी हो गई. गौरव और राजरानी चूड़ी का काम अपनेअपने घरों पर ही करते थे. इस से वे एकदूसरे को जानते थे. आर्थिक संकट आने पर गौरव ने राजरानी की काफी मदद की. वह गौरव के एहसानों के तले दब गई थी. धीरेधीरे दोनों का एकदूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ता गया.

6 बच्चों की मां बनने के बाद भी भरेपूरे बदन की 30 साल की राजरानी का जादू अविवाहित गौरव पर पूरी तरह छाने लगा था. दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे थे. इस बीच दोनों के अवैध संबंध भी बन गए थे. पति के काम पर जाने के बाद दोनों चोरीछिपे मिलते थे. दोनों का यह रिश्ता बिना रोकटोक के चल रहा था. एक बार मूलचंद ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. इस पर उस का पत्नी से विवाद हो गया. गुस्से में उस ने पत्नी की पिटाई कर दी. इस की जानकारी प्रेमी गौरव को हुई. प्रेमिका के साथ हुई मारपीट पर गौरव को बहुत गुस्सा आया. उस ने राजरानी के साथ मिल कर अपने प्यार की राह के रोड़े को हटाने की योजना बनाई.

मूलचंद बुधवार 7 अक्तूबर, 2020 की शाम 5 बजे सामान लेने बाजार गया था. रात साढ़े 11 बजे मूलचंद शराब के नशे में गिरतापड़ता घर लौटा. तब तक सभी बच्चे सो चुके थे. पत्नी राजरानी पति को नशे में पकड़ कर घर की छत पर बने कमरे में ले गई थी. इस के बाद उस ने अपने प्रेमी गौरव को फोन कर घर पर बुला लिया. उस ने फोन पर कहा कि तुम यहां इस तरह चोरीछिपे आना कि कोई तुम्हें देख न सके. गौरव दबे पांव राजरानी के घर पहुंच गया. गौरव ने देखा मूलचंद शराब के नशे में बेसुध पड़ा था.

राजरानी और गौरव के लिए यह एक अच्छा मौका था. राजरानी ने पति के पैर पकड़े और गौरव ने चुनरी से मूलचंद का गला घोंट दिया. राजरानी ने तसल्ली के लिए उस के सिर पर ईंट से प्रहार भी किया. हत्या के बाद उस के शव को दोनों ने बरामदे में बिछी चारपाई पर ला कर डाल दिया. खून से सनी ईंट मकान के बगल में खाली पड़े प्लौट में फेंक दी. इस के बाद गौरव अपने घर चला गया था. प्रेमी के साथ पति की हत्या करने के बाद राजरानी ने 2 युवकों द्वारा पति को बेहोश व घायल अवस्था में बाइक से घर ला कर छोड़े जाने की कहानी बना दी. इस के साथ ही राजरानी के बताने पर जेठ रामदास ने 2 अज्ञात युवकों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी. जबकि सच्चाई कुछ और ही थी.

पुलिस ने दोनों आरोपियों की निशानदेही पर वारदात में प्रयुक्त चुनरी (दुपट्टा) व खून सनी ईंट बरामद कर ली. इस हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम में थानाप्रभारी अनूप कुमार भारतीय, एसएसआई नरेंद्र कुमार शर्मा, कांस्टेबल विनीत कुमार, तेजवीर सिंह, अजय कुमार, आशीष कुमार, मोहनश्याम, नेत्रपाल, प्रवीन कुमार, लव प्रकाश, महिला कांस्टेबल उपासना शामिल थे. आवश्यक काररवाई करने के बाद पुलिस ने दोनों दोषियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. एक बेवफा पत्नी ने अपने पति से बेवफाई कर दूसरे मर्द से अवैध संबंध बना कर अपने हंसतेखेलते घर को हमेशाहमेशा के लिए उजाड़ दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

UP Crime News : पति ने पत्नी के प्रेमी की लोहे की रॉड से कर दी हत्या

UP Crime News : अवैध संबंध बनाए रखने के लिए चाहे कितनी भी चालाकी की जाए, एक न एक दिन पोल खुल ही जाती है. अगर शादी के बाद सरोज मायके के प्रेमी दिनेश को भुला देती तो शायद उसे…

20 वर्षीया सरोज दिखने में जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही चंचल व महत्त्वाकांक्षी भी थी. जो उसे देखता था, अपने आप उस की तरफ खिंचा चला जाता था. गांव के कई युवक उस का सामीप्य पाने को लालायित रहते थे. लेकिन सरोज किसी को भाव नहीं देती थी. वह जिस युवक की ओर आकर्षित थी, वह उस के बचपन का दोस्त दिनेश था. सरोज के पिता रामनाथ उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के गांव संभरखेड़ा के रहने वाले थे. उन की गिनती गांव के संपन्न किसानों में होती थी. उन का गांव उन्नाव शहर की सीमा पर स्थित था, सो वह अपने खेतों में सब्जियां उगा कर शहर में बेचते थे. इस काम में उन्हें अच्छी कमाई होती थी. रामनाथ के घर के पास शिवबालक रहता था. वह दूध का धंधा करता था.

दोनों एक ही जाति के थे. दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. दोनों के परिवार के हर सदस्य का एकदूसरे के घर आनाजाना बना रहता था. शिवबालक की माली हालत रामनाथ की अपेक्षा कमजोर थी. उसे जब कभी रुपयों की जरूरत होती, वह रामनाथ से मांग लेता था. शिवबालक का बेटा दिनेश था. वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. पर उस ने ड्राइविंग सीख ली थी और ट्रैक्टर चलाता था. शिवबालक का बेटा दिनेश और रामनाथ की बेटी सरोज हमउम्र थे. दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना बेरोकटोक था. दोनों बचपन के दोस्त थे, सो उन की खूब पटती थी. दोनों घंटों बतियाते थे और खूब हंसीठिठोली करते थे.

उन की बातचीत और हंसीठिठोली पर घर वालों को भी ऐतराज नहीं था, क्योंकि पड़ोसी होने के नाते उन दोनों का रिश्ता भाईबहन का था. लेकिन उन दोनों की बचपन की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला. जैसेजैसे समय बीत रहा था, वैसेवैसे उन के प्यार का रंग भी गहराता जा रहा था. सरोज स्कूल जाने के बहाने घर से निकलती और तय स्थान पर पहुंच जाती दिनेश के पास. फिर दिनेश उसे ले कर घुमाने के लिए निकल जाता था. दोनों के बीच चाहत बढ़ी तो उन के मन में शारीरिक मिलन की इच्छा भी होने लगी. आखिर एक दिन ऐसा भी आया जब दोनों मर्यादा भुला बैठे और उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. इस के बाद उन्हें घरबाहर जहां भी मौका मिलता, मिलन कर लेते.

इश्क में दोनों इतने अंधे हो गए थे कि उन्हें घरपरिवार की इज्जत का खयाल ही नहीं रहा. लेकिन एक दिन उन के इश्क का भांडा उस समय फूट गया, जब सरोज की मां पुष्पा ने उन्हें रंगेहाथों पकड़ लिया. पुष्पा ने सरोज और दिनेश के नाजायज रिश्तों की जानकारी पति को दी, तो रामनाथ का खून खौल उठा. गुस्से में उस ने सरोज को पीटा तथा दिनेश को भी फटकार लगाई. चूंकि मामला काफी नाजुक था, अत: पतिपत्नी ने सरोज को काफी समझाया. उन्होंने उसे अपनी मानमर्यादा के बारे में सचेत किया. लेकिन दिनेश के प्यार में आकंठ डूबी सरोज पर उन की किसी बात का असर नहीं हुआ. बेटी पर समझाने का असर न होता देख रामनाथ और पुष्पा परेशान हो गए. तब उन्होंने अपने घर दिनेश के आने की पाबंदी लगा दी. सरोज का भी घर से बाहर जाना बंद करा दिया.

पाबंदी के बावजूद मिलते रहे दोनों अब रामनाथ और पड़ोसी शिवबालक की दोस्ती में भी दरार आ गई थी. रामनाथ ने शिवबालक को धमकी दी कि वह अपने बेटे दिनेश को समझा दे कि वह उस की बेटी सरोज से दूर रहे. अगर उस ने उस की इज्जत से खेलने की कोेशिश की तो परिणाम अच्छा नहीं होगा. अपनी इज्जत की खातिर वह किसी भी हद तक जा सकता है. कहते हैं, इश्क अंधा होता है. दिनेश और सरोज भी इश्क में अंधे थे. यही कारण था कि परिवार की सख्तियों के बावजूद उन के प्यार में कोई कमी नहीं आई थी. हालांकि उन की मुश्किलें अब पहले से ज्यादा बढ़ गई थीं और उन के मिलने में बाधा भी पड़ने लगी थी. लेकिन वे सावधानीपूर्वक किसी न किसी बहाने मिल ही लेते थे.

इधर बेटी के कदम बहके तो रामनाथ को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. उस ने सोचा, सरोज अगर उस की पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर दिनेश के साथ भाग गई तो बड़ी बदनामी होगी. वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं बचेगा. इसलिए बेहतर होगा कि वह सरोज के हाथ जल्द से जल्द पीले कर उसे ससुराल भेज दे. उस ने इस बाबत पत्नी पुष्पा से राय ली तो उस ने भी हामी भर दी. रामनाथ ने बेटी के लिए रिश्ता खोजना शुरू किया तो उसे अजय कुमार पसंद आ गया. अजय कुमार के पिता रामऔतार उन्नाव जिले के महनोरा गांव में रहते थे. अजय कुमार उन का एकलौता बेटा था. वह सोहरामऊ में एक कपड़े की दुकान पर काम करता था, इसलिए रामनाथ ने अपनी बेटी सरोज के लिए उसे पसंद कर लिया था.

सारी औपचारिकताएं पूरी कर सरोज और अजय कुमार के विवाह की तारीख तय कर दी थी. दिनेश को जब सरोज का विवाह तय होने की बात का पता चली तो वह बेचैन हो उठा. सरोज ने प्यार उस से किया था और अब विवाह किसी और से करने जा रही थी. एक दिन सरोज उसे एकांत में मिली तो वह बोला, ‘‘सरोज, जब तुम्हें किसी और से विवाह रचाना था, तो तुम ने मुझ से यह प्यार का नाटक क्यों किया?’’

‘‘दिनेश, यह शादी मैं अपनी मरजी से नहीं कर रही हूं. घर वालों ने शादी तय कर दी है, तो करनी ही पड़ेगी. उन का विरोध तो मैं कर नहीं सकती. लेकिन मैं आज भी तुम्हारी हूं और कल भी रहूंगी. तुम से अब मुझे कोई भी अलग नहीं कर सकता, यह विवाह भी नहीं.’’ सरोज ने उदास हो कर कहा. 3 फरवरी, 2017 को अजय कुमार के साथ सरोज का विवाह धूमधाम से हो गया. सरोज विदा हो कर ससुराल आ गई. सरोज जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर अजय खुद को खुशनसीब समझ रहा था. उस के लिए सरोज वह सब कुछ थी, जिस की कामना हर युवा करता है. लेकिन सरोज के दिल में उस के लिए कोई जगह नहीं थी. उस के दिल में तो कोई और ही बैठा था. सरोज का तन भले ही अजय कुमार को मिल गया था, पर मन तो दिनेश का ही था.

ससुराल में भी नहीं भुला पाई प्रेमी को अजय कुमार कैसा भी था, इस से सरोज को कोई मतलब नहीं था. शादी के बाद लड़कियां ससुराल आ क र एकदो दिन भले ही उदास रहें, लेकिन यदि उन्हें ससुराल वालों और पति का प्यार मिले तो वे खुश रहने लगती हैं. लेकिन सरोज के चेहरे पर मुसकराहट 2 सप्ताह बीत जाने के बाद भी नहीं आई थी. इस का कारण यह था कि वह पल भर के लिए भी दिनेश को नहीं भुला सकी थी. सरोज ससुराल में महीने भर रही. लेकिन उस के चेहरे पर कभी मुसकराहट नहीं आई. ससुराल वालों ने तो सोचा कि पहली बार मांबाप को छोड़ कर आई है, इसलिए उदास रहती होगी. पर अजय कुमार पत्नी की उदासी से बेचैन और परेशान था.

वह उसे खुश रखने, उस के चेहरे पर मुसकान लाने की हरसंभव कोशिश करता रहा, लेकिन सरोज के चेहरे पर मुसकान नहीं आई. होली के 8 दिन पहले सरोज ससुराल से मायके आ गई. जिस दिन वह मायके आई, उसी शाम वह दिनेश से मिली. सरोज के मांबाप बेटी का विवाह कर के निश्चिंत हो चुके थे, इसलिए उन्होंने सरोज पर रोकटोक नहीं लगाई थी. लिहाजा सरोज का मिलन दिनेश से पुन: शुरू हो गया. इस के बाद तो यह सिलसिला ही शुरू हो गया. सरोज मायके में होती तो उस का मिलन दिनेश से होता रहता, ससुराल चली जाती तो मिलन बंद हो जाता. ससुराल में रहते वह मोबाइल फोन पर दिनेश से बात करती थी. वह भी चोरीछिपे. यह मोबाइल फोन दिनेश ने ही उस के जन्मदिन पर उपहार में दिया था.

उस ने पति से झूठ बोला था कि फोन मायके वालों ने दिया है. जब मोबाइल फोन का बैलेंस खत्म हो जाता तो दिनेश ही उसे रिचार्ज कराता था. एक दिन मोबाइल फोन पर बतियाते दिनेश ने कहा, ‘‘सरोज, जब तुम ससुराल चली जाती हो तो यहां मेरा मन नहीं लगता. रात में नींद भी नहीं आती और तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं. मिलन का कोई ऐसा रास्ता निकालो कि तुम्हारी ससुराल आ सकूं.’’

‘‘तुम किसी रोज मेरी ससुराल आओ. मैं कोई रास्ता निकालती हूं.’’ सरोज ने उसे भरोसा दिया. सरोज से बात किए दिनेश को अभी हफ्ता भी नहीं बीता था कि एक रोज वह उस की ससुराल संभरखेड़ा जा पहुंचा. सरोज ने सब से पहले दिनेश का परिचय अपनी सास लक्ष्मी देवी से कराया, ‘‘मम्मी, यह दिनेश है. मेरा पड़ोसी है. रिश्ते में मेरा भाई लगता है. किसी काम से सोहरामऊ आया था, सो हालचाल लेने घर आ गया.’’

‘‘अच्छा किया बेटा, जो तुम हालचाल लेने आ गए.’’ फिर वह सरोज की तरफ मुखातिब हुई, ‘‘बहू, भाई आया है तो उस की खातिरदारी करो. मेरी बदनामी न होने पाए.’’

‘‘ठीक है, मम्मी.’’ कह कर सरोज दिनेश को कमरे में ले गई. इस के बाद दोनों कमरे में कैद हो गए. कुछ देर बाद वे कमरे से बाहर आए तो दोनों खुश थे. शाम को सरोज का पति अजय कुमार घर आया तो सरोज ने पति से भी उस का परिचय करा दिया. अजय ने भी उस की खूब खातिरदारी की. जाने लगा प्रेमिका की ससुराल सरोज की ससुराल जाने का रास्ता खुला, तो दिनेश अकसर उस की ससुराल जाने लगा. लक्ष्मी देवी टोकाटाकी न करें, इस के लिए वह उन की मनपसंद चीजें ले आता. घर वापसी के समय वह उन के पैर छू कर 100-50 रुपए भी हाथ पर रख देता. जिसे वह नानुकुर के बाद रख लेती. शाम को वह अजय के साथ भी पार्टी करता और खर्च स्वयं उठाता. इस तरह उस के आने से मांबेटे दोनों खुश होते.

लेकिन दिनेश घर क्यों आता है, वह घर में क्या गुल खिला रहा है, इस ओर उन का ध्यान नहीं गया. दिनेश का आनाजाना जरूरत से ज्यादा बढ़ा तो सरोज की सास लक्ष्मी देवी को उन के रिश्तों पर कुछ शक हुआ. कारण यह था कि दिनेश जब भी आता बंद कमरे में ही बहू से बात करता. वह सोचती कि यह कैसा रिश्ता है, जो भाईबहन सामने बैठ कर बात करने के बजाय बंद कमरे में बात करते हैं. जरूर दाल में कुछ काला है. शक गहराया तो वह दोनों पर नजर रखने लगीं. एक रोज दिनेश आया तो लक्ष्मी देवी जानबूझ कर घर के बाहर चली गईं. कुछ देर बाद लौटीं तो उन्होंने बहू सरोज को दिनेश के साथ बिस्तर पर देख लिया.

दिनेश तो शर्म से सिर झुका कर वहां से उसी समय चला गया किंतु लक्ष्मी देवी ने सरोज को खूब खरीखोटी सुनाई. शाम को अजय घर आया तो लक्ष्मी ने बेटे को सारी बात बताई और धैर्य से काम लेने की सलाह दी. अजय कुमार जान गया कि दिनेश उस के मायके का यार है और शादी से पूर्व ही उस के संबंध हैं. इसलिए दिनेश रिश्ते की आड़ में सरोज से मौजमस्ती करने आता है. पत्नी की यारी की जानकारी अजय को हुई तो उस ने सरोज से जवाबतलब किया. सरोज जान गई थी कि झूठ बोलने से लाभ नहीं है. अत: उस ने सच बोल दिया, ‘‘दिनेश से मेरी शादी से पहले की दोस्ती है. उस में पता नहीं ऐसा क्या है कि न चाहते हुए भी मैं बहक जाती हूं. अब मैं ने उस से रिश्ता तोड़ लिया है. वादा करती हूं कि आइंदा उस से संबंध नहीं रखूंगी.’’

अजय ने सरोज को जमाने की ऊंचनीच तथा पत्नी धर्म का पाठ पढ़ाया. उस ने उसे इस शर्त पर माफ किया कि भविष्य में वह दिनेश से संबंध न रखेगी. ब्लैकमेल करने की दी धमकी इस के बाद सरोज ने दिनेश से बात करनी बंद कर दी, तो दिनेश छटपटा उठा. सरोज उस से जितना दूर भागती, दिनेश उस के उतना ही नजदीक आने की कोशिश करता. इस के बावजूद सरोज ने दिनेश को भाव नहीं दिया तो वह उसे बदनाम करने की धमकी देने लगा. सरोज ने ये बातें पति अजय को बताईं. अजय ने इस समस्या से निपटने के लिए अपने रिश्तेदार सूरज, नीरज व लवकुश से बात की. ये तीनों बंथरा थाने के खसरवारा गांव के रहने वाले थे. इज्जत बचाए रखने के लिए उन्हें एक ही उपाय सूझा कि दिनेश की हत्या कर दी जाए. इस के लिए उन पांचों ने मिल कर योजना भी बना ली.

योजना के तहत 23 सितंबर, 2020 की शाम 4 बजे सरोज ने दिनेश को फोन किया कि वह घर में अकेली है, अत: वह आ जाए. रात उन दोनों की है. प्रेमिका की बात सुन कर दिनेश की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने ट्रैक्टर ठेकेदार के हवाले किया और सरोज की ससुराल संभरखेड़ा पहुंच गया. घर के अंदर दाखिल होते ही सरोज ने दरवाजा बंद कर लिया. नीरज, सूरज, लवकुश व अजय घर में पहले से छिपे हुए थे. उन्होंने एकदम से हमला कर दिनेश को दबोच लिया. इस के बाद उन्होंने उसे जम कर पीटा. वह किसी तरह चंगुल से छूट कर दरवाजे की ओर भागा तो अजय ने पीछे से उस के सिर पर लोहे की रौड से प्रहार कर दिया, तब वह जमीन पर बिछ गया. फिर उन सब ने रस्सी से गला घोंट कर उस की हत्या कर दी.

हत्या करने के बाद उन लोगों ने दिनेश की जामातलाशी ली और जो भी सामान मिला वह अपने कब्जे में कर लिया. इस के बाद शव को रात के अंधेरे में बंथरा थाने के रायगढ़ी के पास सड़क पर फेंक दिया, ताकि लगे कि एक्सीडेंट हुआ है. इस के बाद वे सब फरार हो गए. दूसरे रोज थाना बंथरा पुलिस ने शव बरामद किया और शिनाख्त न होने पर पोस्टमार्टम के लिए उन्नाव के अस्पताल में भेज दिया. इधर देर रात तक दिनेश घर वापस नहीं आया तो उस के पिता शिवबालक को चिंता हुई. जब 3 दिनों तक उस का कुछ भी पता नहीं चला तो वह उन्नाव कोतवाली पहुंचा और बेटे की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

एसपी ने लगाई गुहार चौथे दिन उसे बंथरा थाने से अज्ञात लाश की सूचना मिली. तब वह पत्नी और बेटी के साथ बंथरा थाने पहुंचा और कपड़ों तथा फोटो से शव की शिनाख्त अपने बेटे दिनेश के रूप में की. चूंकि उन्नाव कोतवाली में दिनेश की गुमशुदगी दर्ज थी, अत: कोतवाल दिनेशचंद्र मिश्र ने मामले को भादंवि की धारा 302/201 के तहत दर्ज कर लिया. इधर जब कई दिनों तक हत्या का राज नहीं खुला, तो शिवबालक एसपी आनंद कुलकर्णी से मिला और हत्या का परदाफाश करने की गुहार लगाई. इस पर आनंद कुलकर्णी ने एएसपी विनोद कुमार पांडेय की अगुवाई में एक टीम गठित कर दी.

इस टीम ने मृतक के पिता शिवबालक से पूछताछ की तो उस ने हत्या का संदेह पड़ोसी रामनाथ की बेटी सरोज और उस के पति अजय कुमार पर व्यक्त किया. संदेह के आधार पर पुलिस टीम ने सरोज व अजय को उन के घर संभरखेड़ा से हिरासत में लिया और थाने ला कर उन से सख्ती पूछताछ की तो दोनों टूट गए और दिनेश की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. अजय ने बताया कि दिनेश के नाजायज संबंध उस की पत्नी से थे. इज्जत के लिए उस ने अपने रिश्तेदार सूरज, नीरज, लवकुश की मदद से दिनेश की हत्या कर दी थी. 11 अक्तूबर, 2020 को पुलिस ने नाटकीय ढंग से उन्नाव बाईपास के एक ढाबे से नीरज, सूरज व लवकुश को भी गिरफ्तार कर लिया.

आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने आलाकत्ल रौड और रस्सी बरामद कर ली. इस के अलावा मृतक का पर्स, आधार कार्ड, चप्पल तथा वोटर आईडी कार्ड भी बरामद कर लिया. 12 अक्तूबर, 2020 को उन्नाव कोतवाली पुलिस ने सभी आरोपियों को उन्नाव कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Haryana Crime : धर्म परिवर्तन नहीं किया तो प्रेमिका को मार दी गोली

Haryana Crime : निकिता और तौसीफ के मामले में प्यार या दोस्ती जैसा कुछ नहीं था. फिर भी सवाल यह उठता है कि ज्यादातर मुसलिम युवक शादी के मामले को ले कर हिंदू युवतियों से धर्म परिवर्तन की बात क्यों करते हैं? ऐसी 5 कहानियां ‘मनोहर कहानियां’ के पिछले 2 अंकों में छपी हैं. क्या ये लव जिहाद नहीं है? अगर ऐसा नहीं है तो क्यों…

बीते 26 अक्तूबर की बात है. शाम के करीब 4 बजने वाले थे. निकिता तोमर अपनी सहेली के साथ परीक्षा  दे कर बल्लभगढ़ के अग्रवाल कालेज से बाहर निकल रही थी. उन का पेपर पौने 4 बजे खत्म हुआ था. निकिता बीकौम आनर्स फाइनल ईयर की छात्रा थी. उस का पेपर अच्छा हुआ था. फिर भी वह सहेली से एकदो सवालों के आंसर को ले कर संतुष्ट हो जाना चाहती थी. दोनों सहेलियां पेपर में आए सवालों पर बात करते हुए कालेज के बाहर सड़क पर निकल आईं. सड़क पर कोई ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. कालेज से परीक्षा दे कर बाहर निकली छात्राओं के अलावा कुछ वाहन आजा रहे थे. कुछ छात्राओं को उन के घर वाले लेने आए थे. कुछ अपने खुद के वाहन से आई थीं, तो कुछ आटोरिक्शा वगैरह से जा रही थीं.

निकिता को कालेज से लेने के लिए उस का भाई नवीन आने वाला था. इसलिए वह अपनी सहेली के साथ सड़क पर एक तरफ खड़ी हो कर भाई का इंतजार करने लगी. उन्हें खड़े हुए एकदो मिनट ही हुए थे कि वहां एक कार आ कर रुकी. कार में 2 युवक थे. एक गाड़ी चला रहा था और दूसरा उस के पास वाली सीट पर बैठा था. कार से एक युवक तेजी से निकला और निकिता की तरफ आया. निकिता उस युवक को देख कर घबरा गई. वह उसे पहले से जानती थी, लेकिन उस से नफरत करती थी. युवक को अपनी तरफ आता देख कर उस ने तेजी से भागने की कोशिश की. लेकिन युवक ने उसे पकड़ लिया और खींच कर कार की तरफ ले जाने लगा. युवक की मदद के लिए कार चला रहा उस का साथी भी आ गया था.

निकिता भले ही घबराई हुई थी, लेकिन उस ने साहस से दोनों युवकों का मुकाबला किया और खुद को उन के चंगुल से छुड़ा लिया. निकिता की सहेली और कुछ दूसरी छात्राओं ने भी निकिता को युवकों से बचाने में मदद की. निकिता के अपहरण में कामयाब नहीं होने पर उस परिचित युवक ने अपनी पैंट की जेब से देसी पिस्तौल निकाली और उसे गोली मार दी. गोली उस के बाएं कंधे से छाती को चीरती हुई बाहर निकल गई. गोली लगते ही वह जमीन पर गिर गई. जमीन पर खून बहने लगा. निकिता के गिरते ही दोनों युवक उसी कार में बैठ कर भाग गए. निकिता को गोली मारने के दौरान कालेज से परीक्षा दे कर निकल रही छात्राएं डर के मारे इधरउधर छिप गईं.

मामला सीधासादा नहीं था यह घटना हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ शहर की है. शहर में दिनदहाड़े कालेज के बाहर छात्रा को गोली मारने की घटना से सनसनी फैल गई. निकिता की सहेली की गुहार पर कुछ लोग लहूलुहान हालत में पड़ी निकिता को उठा कर अस्पताल ले गए. डाक्टरों ने उसे देख कर मृत घोषित कर दिया. पता चलने पर निकिता के मातापिता और भाई भी अस्पताल पहुंच गए. उस की मौत का पता चलने पर उन की आंखों से आंसू बह निकले. वे लोगों से पूछते ही रह गए कि कैसे हुआ.. क्या हुआ… निकिता के साथ की छात्राओं ने उन्हें सारी बात बताई, तो कोहराम मच गया.

सूचना मिलने पर पुलिस भी पहुंच गई. मामला संगीन था. पुलिस के उच्चाधिकारी भी पहले मौके पर और फिर अस्पताल पहुंचे. उन्होंने निकिता के घर वालों को ढांढस बंधाया. फिर उन से हत्यारों के बारे में पूछा. अधिकारियों के कहने पर निकिता के भाई ने तौसीफ और एक अन्य युवक के खिलाफ पुलिस को लिखित शिकायत दी. शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया. निकिता का शव पोस्टमार्टम के लिए बीके अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया. पुलिस ने मौके से कुछ साक्ष्य जुटाए. जिन लोगों ने निकिता की हत्या होते देखी थी, उन से पूछताछ की. क्राइम ब्रांच ने भी जांचपड़ताल शुरू कर दी. घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गई.

फुटेज में पुलिस को कार का नंबर मिल गया. इस के अलावा निकिता के अपहरण का प्रयास और इस में नाकाम रहने पर उसे गोली मारने के सारा घटनाक्रम भी कैमरे में कैद हो गया था. पुलिस में रिपोर्ट दर्ज हो गई थी, लेकिन पुलिस को निकिता की हत्या के आरोपी तौसीफ और उस के साथी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चला था. इसलिए अधिकारियों ने निकिता के पिता मूलचंद तोमर को विश्वास में ले कर निकिता की हत्या के कारणों के बारे में पूछा. निकिता के घरवालों ने रोतेसुबकते हुए पुलिस को बताया कि सोहना इलाके के रोजका मेव का रहने वाला तौसीफ उसे स्कूल के समय से ही परेशान करता था. तौसीफ ने 2018 में भी उस का अपहरण किया था. उस समय बल्लभगढ़ शहर थाना पुलिस में तौसीफ के खिलाफ अपहरण का मामला भी दर्ज कराया गया था.

हालांकि निकिता को पुलिस ने 2 घंटे बाद ही बरामद कर लिया था. बाद में बेटी की बदनामी के डर से उन्होंने राजीनामा कर लिया था. इस के बाद भी वह निकिता से दोस्ती के साथ धर्म बदलने का दबाव बना रहा था. रसूखदार परिवार का था तौसीफ पुलिस को तौसीफ के परिवार के बारे में पता चला कि वह हरियाणा के रसूखदार राजनीतिक परिवार का लड़का है. उस के दादा कबीर अहमद पूर्व विधायक हैं. चचेरा भाई आफताब आलम इस समय हरियाणा के मेवात जिले की नूंह सीट से कांग्रेस विधायक है.  तौसीफ के चाचा और आफताब के पिता खुर्शीद अहमद हरियाणा की हुड्डा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. तौसीफ के चाचा जावेद अहमद सोहना विधानसभा सीट से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.

आरोपी भले ही राजनीतिक रसूख वाला था, लेकिन कानून की नजर में अपराध तो अपराध ही होता है. फिर उस ने तो जघन्य अपराध किया था, वह भी दिनदहाड़े खुलेआम. इसी चुनौती के बीच पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी.  फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओ.पी. सिंह के निर्देश पर आरोपियों की तलाश में 10 टीमें जुट गईं. तौसीफ के मोबाइल को सर्विलांस पर ले लिया गया. उस ने मोबाइल बंद नहीं किया था. वह लगातार अपने आकाओं से बात कर रहा था. इसलिए पुलिस को उस की लोकेशन मिलती रही. पुलिस ने बल्लभगढ़ से ले कर फरीदाबाद और पलवल से ले कर नूंह तक भागदौड़ कर तौसीफ को रात को ही नूंह से गिरफ्तार कर लिया. जाकिर का बेटा तौसीफ आजकल गुड़गांव जिले के सोहना कस्बे के कबीर नगर में रहता था.

तौसीफ से पूछताछ में पता चला कि वारदात में उस के साथ नूंह के रेवासन गांव का रहने वाला रेहान भी था. पुलिस ने रेहान को भी रात को ही धर दबोचा. मूलरूप से उत्तर प्रदेश के हापुड़ के गांव रघुनाथपुर के रहने वाले मूलचंद तोमर कोई 25 साल पहले बल्लभगढ़ शहर आ कर बस गए थे. अब वे सेक्टर 23 के पास एक सोसायटी में परिवार के साथ रह रहे थे. परिवार में पत्नी विजय देवी, बड़ा बेटा नवीन और छोटी बेटी निकिता थी. मूलचंद बल्लभगढ़ में ही एक कंपनी में नौकरी करते हैं. घर में सुखसुविधाओं के साथ हर तरह की मौज थी. कहीं कोई परेशानी नहीं. बेटा नवीन बीटेक की पढ़ाई करने के बाद सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहा था. अपना नाम राहुल राजपूत बताया निकिता ने 5वीं से 12वीं कक्षा तक की पड़ाई बल्लभगढ़ में सोहना रोड पर स्थित रौयल इंटरनेशनल स्कूल से की थी. तौसीफ भी उसी स्कूल में पढ़ता था. वह यहां हौस्टल में रहता था और निकिता से एक क्लास सीनियर था.

निकिता उसे जानती नहीं थी. एक बार उस ने खुद ही अपना परिचय राहुल राजपूत के रूप में दिया था. तब निकिता उसे राहुल के नाम से जानने लगी थी, लेकिन उस की राहुल में कोई दिलचस्पी नहीं थी. बाद में निकिता को पता चल गया कि राहुल का असली नाम तौसीफ है. इस के बाद वह उस से खफा हो गई. सन 2017 में निकिता ने 12वीं की परीक्षा 95 प्रतिशत अंकों से पास की. इस के बाद उस ने बीकौम करने के लिए शहर के अग्रवाल कालेज में प्रवेश ले लिया. तब तक निकिता की उम्र 17-18 साल हो गई थी. तौसीफ उस से 1-2 साल बड़ा था. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह फिजियोथैरेपी का कोर्स करने लगा था. अब वह अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा था. तौसीफ के मन में स्कूल के समय से ही निकिता के प्रति आकर्षण था. वह उस से दोस्ती करना चाहता था. लेकिन निकिता उस के पहले बोले गए झूठ से खफा थी.

वैसे भी निकिता इस तरह की लड़की नहीं थी. दोस्ती व प्यार के चक्करों से वह कोसों दूर थी और पढ़लिख कर अफसर बनना चाहती थी. सन 2018 में निकिता कालेज में प्रथम वर्ष में पढ़ रही थी. उस साल 3 अगस्त को तौसीफ निकिता की 3-4 सहेलियों को कार में बैठा कर बल्लभगढ़ छोड़ने जा रहा था. उस ने निकिता से भी कार में साथ चलने को कहा. लेकिन निकिता ने साफ मना कर दिया, तो उस ने उसे जबरन कार में बैठा लिया. निकिता ने इसलिए ज्यादा विरोध नहीं किया क्योंकि उस की सहेलियां भी साथ थीं. कुछ दूर आगे जा कर तौसीफ ने बहाना बना कर सहेलियों को कार से उतार दिया और निकिता को कार में अगवा कर ले गया. निकिता के घरवालों को पता चला, तो उन्होंने बल्लभगढ़ सिटी थाने में तौसीफ के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई. उस समय पुलिस ने भागदौड़ कर के 2 घंटे में ही निकिता को बरामद कर लिया था.

उस समय अपहरण के आरोपी तौसीफ के घर वालों ने तोमर परिवार पर दबाव बनाया और वादा किया कि भविष्य में वह निकिता को कभी परेशान नहीं करेगा. निकिता के पिता मूलचंद तोमर ने आरोपी के घरवालों के दबाव और सामाजिक बदनामी के डर से उन से समझौता कर लिया था. बाद में पुलिस ने निकिता अपहरण केस की फाइल बंद कर दी थी. तौसीफ का कुछ नहीं बिगड़ा, तो उस के हौसले बढ़ गए. वह निकिता से दोस्ती करना चाहता था. साथ ही उस का धर्म परिवर्तन करा कर उस से शादी की इच्छा भी रखता था. इस के लिए वह उस पर बारबार दबाव डाल रहा था. जबकि निकिता उसे पहले ही दुत्कार चुकी थी.

एकतरफा प्यार में मात खाए तौसीफ ने निकिता के अपहरण की योजना बनाई. इसी योजना के तहत उस ने अपने रिश्तेदार की मार्फत नूंह इलाके के रहने वाले अजरुद्दीन नामक युवक से देसी पिस्तौल हासिल की. उस ने निकिता के बारे में सारी सूचनाएं जुटाई कि उस की परीक्षाएं कबकब हैं. वह कालेज कब आतीजाती है. उसे पता चला कि 26 अक्तूबर को निकिता की परीक्षा है. वह दोपहर करीब पौने 4 बजे परीक्षा दे कर कालेज से निकलेगी. इसी हिसाब से वह अपने साथी रेहान के साथ कार से तय समय पर अग्रवाल कालेज के बाहर पहुंच गया. कार रेहान चला रहा था और तौसीफ उस के पास आगे की सीट पर बैठा था.

निकिता पेपर दे कर कालेज से अपनी सहेली के साथ बाहर निकली, तभी तौसीफ ने कार उस के पास ले जा कर रुकवाई और खुद कार से उतर कर निकिता को कार की तरफ खींच कर अपहरण कर ले जाने का प्रयास किया, लेकिन निकिता साहस दिखाते हुए उस के चंगुल से निकल गई. इस से तौसीफ बौखला गया. वह हर कीमत पर निकिता को हासिल करना चाहता था. अपने मंसूबों पर पानी फिरता देख कर उस ने जेब से देसी पिस्तौल निकाली और निकिता पर फायर कर दिया. गोली उस के बांए कंधे से छाती को चीरते हुए निकल गई. इस से मौके पर ही उस की मौत हो गई. लोगों का आक्रोश निकिता की हत्या का पता चलने पर वारदात के दूसरे दिन 27 अक्तूबर को बल्लभगढ़ में लोगों में आक्रोश छा गया. आरोपियों को सख्त सजा दिलाने की मांग को ले कर निकिता के परिजनों के साथ विभिन्न संगठनों के लोगों ने सुबह से शाम तक शहर में कई जगह जाम लगा दिए.

सुबह 9 बजे सोहना रोड पर जाम का सिलसिला शुरू हुआ. शहर में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए लोगों ने हत्या के आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग की. बाद में लोग सोहना पुल के पास धरना दे कर बैठ गए. दूसरी तरफ गुस्साए लोग बीके अस्पताल पहुंच गए. वहां काफी देर तक शव मिलने का इंतजार करते रहे. पोस्टमार्टम के बाद भी जब पुलिस प्रशासन की ओर से निकिता के घरवालों को शव नहीं दिया गया, तो लोगों में गुस्सा भड़क गया. बीके अस्पताल चौक पर लोगों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन किया. लोगों ने इसे लव जिहाद का मामला बताया. गुडईयर के पास नैशनल हाइवे पर भी जाम लगाया गया.

शहर में जगहजगह जाम लगा कर प्रदर्शन करने का सिलसिला करीब 8 घंटे तक चलता रहा. इस दौरान पूरे शहर में जगहजगह पुलिस तैनात रही. शाम करीब साढ़े 4 बजे पुलिस ने निकिता का शव उस के घरवालों को सौंपा. निकिता के पिता ने प्रशासन के सामने चार मांगें रखी. इन में परिवार की सुरक्षा, एसआईटी से जांच और मामले की जल्द सुनवाई आदि शामिल थी. अधिकारियों ने ये मांगें मान लीं, इस के बाद अधिकारियों के आश्वासन पर जाम लगाने और प्रदर्शन करने का सिलसिला थमा. बाद में शाम को ही परिजनों ने निकिता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया. इस से पहले पुलिस ने निकिता की हत्या के मामले में गिरफ्तार दोनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा में अदालत में पेश किया. अदालत ने दोनों को 2 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया.

मामला तूल पकड़ने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी काररवाई की जाएगी. किसी को बख्शा नहीं जाएगा. गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओ.पी. सिंह ने निकिता हत्याकांड की जांच एसआईटी को सौंप दी है. एसीपी (क्राइम) अनिल कुमार के नेतृत्व में स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम बनाई गई है. गृहमंत्री ने पुलिस कमिश्नर को पीडि़त परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए. हरियाणा के परिवहन मंत्री और बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा ने बीके अस्पताल जा कर निकिता के पिता मूलचंद तोमर से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि हत्या के आरोपियों को कठोर सजा दिलाई जाएगी.

खूब मचा बवाल वारदात के तीसरे दिन 28 अक्तूबर को इस मामले को ले कर हरियाणा से ले कर उत्तर प्रदेश तक खूब बवाल मचा. निकिता के पिता मूलचंद तोमर के पैतृक गांव हापुड़ के रघुनाथपुरा में पंचायत हुई. इस में निकिता के बड़े भाई नवीन ने हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग की. बाद में पंचायत के लोगों ने एसडीएम को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा. एसआईटी ने हत्याकांड की जांच शुरू कर दी. टीम इंचार्ज एसीपी अनिल कुमार ने अधिकारियों के साथ निकिता के पिता से मिल कर जरूरी जानकारियां हासिल कीं. अनिल कुमार ने उन्हें विश्वास दिलाया कि मामले में सभी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं. हर हाल में परिवार को न्याय दिलाया जाएगा.

इस दौरान निकिता के घरवालों ने सत्तारूढ़ दल के नेताओं और जिला उपायुक्त यशपाल यादव को खूब खरीखोटी सुनाई. उन का कहना था कि एक दिन पहले वे बेटी का शव लेने के लिए दिनभर इंतजार करते रहे और पुलिस उन्हें शव देने को तैयार नहीं थी, तब आप लोग कहां थे?  परिवार की महिलाओं ने सवाल किया कि जब सरकार बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सकती, तो उन्हें कोख में ही मारने की इजाजत क्यों नहीं दे देती? हत्या के आरोपी तौसीफ ने पुलिस की पूछताछ में कबूल किया कि निकिता ने उस से शादी करने से इनकार कर दिया था. इसलिए उस ने फैसला किया कि वह मेरी नहीं हो सकती तो उसे किसी दूसरे की भी नहीं होने दूंगा. उस ने बताया कि 2018 में भी उस ने शादी की नीयत से ही निकिता का अपहरण किया था.

पुलिस ने दोनों आरोपियों की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल की गई कार और देसी पिस्तौल भी बरामद कर ली. इस हत्याकांड को ले कर बल्लभगढ़ शहर में विरोध प्रदर्शन होता रहा. एबीवीपी ने अग्रवाल कालेज के बाहर धरनाप्रदर्शन किया. संगठन के कार्यकर्ता सुबह 11 बजे से ले कर रात को भी धरने पर बैठे रहे.  एनएसयूआई ने फरीदाबाद में जिला उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन कर नारेबाजी की. कार्यकर्ताओं ने दोषियों को फांसी देने की मांग की. पलवल में सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन कर जुलूस निकाला. हाइवे पर जाम भी लगाया गया. राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में निकिता की हत्या के विरोध में प्रदर्शन किए गए और जुलूस निकाले गए.

विभिन्न संगठनों का धरनाप्रदर्शन 29 अक्तूबर को भी चलता रहा. निकिता को न्याय दिलाने के लिए करणी सेना भी मैदान में कूदी. करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरजपाल अम्मू निकिता के निवास पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि खून के बदले खून चाहिए. मामले की फास्टट्रैक अदालत में एक महीने में सुनवाई पूरी कर हत्यारों को फांसी दी जाए.  हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने भी तोमर के मकान पर पहुंच कर सांत्वना दी. फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने ट्वीट कर निकिता को झांसी की रानी और रानी पद्मावती की तरह बहादुर बताया तथा भारत सरकार से निकिता को देवी नीरजा की तरह ब्रेवरी अवार्ड देने की मांग की.

शीघ्र होगी सजा हरियाणा सरकार ने निकिता के परिवार को सुरक्षा के लिए 3 गनर मुहैया करा दिए हैं. इस के बावजूद तोमर परिवार दहशत में है. उन्हें आशंका है कि हरियाणा की राजनीति में दखल रखने वाले आरोपी तौसीफ के रिश्तेदार कहीं पूरे परिवार की ही हत्या न करा दें. गृहमंत्री अनिल विज ने कहा है कि निकिता हत्याकांड में पुलिस जल्द से जल्द जांच पूरी कर अदालत में चालान पेश करेगी. मामले में 2018 से केस की भी जांच की जाएगी. केस की सुनवाई फास्टट्रैक अदालत में होगी. आरोपियों को जल्द से जल्द और सख्त से सख्त सजा दिलाई जाएगी. पुलिस ने इस मामले में तीसरे आरोपी अजरुद्दीन को भी गिरफ्तार किया है. हत्या के मुख्य आरोपी तौसीफ को अजरुद्दीन ने ही देसी पिस्तौल दिलाई थी. इसी पिस्तौल से गोली मार कर निकिता की हत्या की गई थी.

कहा जा रहा है कि अजरुद्दीन ने तौसीफ के मामा के कहने पर उसे देसी पिस्तौल मुहैया कराई थी. तौसीफ का मामा इस्लामुद्दीन जून 2016 में गुरुग्राम में एक पुलिस इंसपेक्टर के अपहरण के मामले में भोंडसी जेल में 10 साल की सजा काट रहा है. इस्लामुद्दीन हरियाणा व दिल्ली का कुख्यात बदमाश है. पुलिस ने मुख्य आरोपी तौसीफ और उस के साथी रेहान के मोबाइल फोन भी जब्त किए हैं. सीसीटीवी फुटेज सहित अन्य इलैक्ट्रौनिक साक्ष्य भी जुटाए हैं. दूसरे सबूत भी एकत्र किए जा रहे हैं. पुलिस का दावा है कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जो उन्हें सख्त सजा दिलाएंगे.

बहरहाल, निकिता की हत्या के दोषियों को तो अदालत सजा देगी, लेकिन लव जिहाद और इस तरह महिलाओं की हत्या की घटना कैसे रुकेंगी, इस पर सरकार को सोचना होगा.

 

Mumbai Crime : पहले दुपट्टे से पत्नी का गला घोंटा, फिर लाश ड्रम में डाल झाड़ियों में छिपाई

Mumbai Crime : संदेह और कलह ऐसी चीजें हैं, जो हंसतेखेलते परिवार को बरबादी के कगार पर ले जा कर खड़ा कर देती हैं. अंबुज ने तो दोनों को ही प्यार से पाल रखा था, नतीजा यह…

नवी मुंबई के उपनगर घनसोली के रहने वाले महेंद्रनाथ हरिहर तिवारी की बहू नीलम और बेटा अंबुज तिवारी 22 जुलाई, 2020 की शाम साढ़े 5 बजे बिना किसी को बताए घर से निकल गए. पतिपत्नी थे, कहीं भी घूमने जा सकते थे, इसलिए किसी ने ध्यान नहीं दिया. घर वाले तब परेशान हुए, जब दोनों शाम को लौट कर नहीं आए. परेशानी तब हदें पार कर गई जब अगले दिन भी दोनों न तो घर लौटे और न ही फोन किया. दोनों के फोन भी स्विच्ड औफ थे, सो उन से बात भी नहीं हो पा रही थी. मामला जवान बहू और बेटे का था, इसलिए घर वाले सोच रहे थे कि दोनों जवान हैं, कहीं दूर घूमने भी जा सकते हैं. फिर भी जैसेजैसे समय बीत रहा था, घर वालों की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, इस की खास वजह थी उन के मोबाइल स्विच्ड औफ होना.

हैरानपरेशान महेंद्रनाथ हरिहर तिवारी पूरी रात पूरे दिन 10 बजे तक उन की तलाश जानपहचान वालों और नातेरिश्तेदारों के यहां करते रहे. जब कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली तो उन के मन में किसी तरह की अनहोनी को ले कर तरहतरह के विचार आने लगे. जब सारी कोशिशें बेकार गईं तो महेंद्रनाथ हरिहर तिवारी रात साढ़े 10 बजे कुछ नातेरिश्तेदारों के साथ थाना रबाले पहुंचे और थानाप्रभारी योगेश गावड़े को सारी बातें बता दीं. योगेश गावड़े ने उन के बेटे और बहू की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. गुमशुदगी की शिकायत दर्ज होते ही थानाप्रभारी योगेश गावड़े हरकत में आ गए.

उन्होंने इस मामले की जानकारी पहले पुलिस कमिश्नर संजय कुमार, जौइंट सीपी राजकुमार व्हटकर, डीसीपी जोन-1 पंकज दहाणे, एसीपी (वाशी डिवीजन) विनायक वस्त के साथ नवी मुंबई पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. इस के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए इस की जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर गिरधर गोरे को सौंप दी. उन की सहायता के लिए इंसपेक्टर उमेश गवली, सहायक इंसपेक्टर तुकाराम निंबालकर, प्रवीण फड़तरे, संदीप पाटिल और अमित शेलार को नियुक्त किया गया. जांच की जिम्मेदारी मिलते ही इंसपेक्टर गिरधर गोरे ने अपने सहायकों के साथ मामले पर गहराई से विचार कर के जांच की रूपरेखा तैयार की ताकि जांच तेजी से हो सके. सब से पहले उन्होंने गुमशुदा अंबुज तिवारी और उस की पत्नी नीलम तिवारी के हुलिए सहित उन की फोटो नवी मुंबई के सभी पुलिस थानों को भेजे.

साथ ही यह संदेश भी दिया गया कि उन के बारे में कहीं से कोई सूचना मिले तो जानकारी दें. साथ ही तेजतर्रार मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया था. इस के बाद इंसपेक्टर गिरधर गोरे ने अंबुज और नीलम के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिए. जहांजहां उन के मिलने की संभावना थी, गिरधर गोरे ने वहांवहां अपनी टीम भेजी. लेकिन अंबुज और नीलम के बारे में कहीं से ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जिस के सहारे उन तक पहुंचा जा सके. उन के पड़ोसियों ने यह जरूर बताया कि अंबुज और नीलम की अकसर तकरार होती थी. लेकिन दोनों घर छोड़ कर कहां गए होंगे, किसी को कोई जानकारी नहीं थी. जिस फर्म में अंबुज काम करता था, वहां से भी कोई जानकारी नहीं मिल सकी.

इंसपेक्टर गिरधर गोरे अपनी टीम के साथ जांच तो कर रहे थे, लेकिन उन की समझ में यह बात नहीं आ रही थी कि पतिपत्नी दोनों वयस्क थे, जहां जाना चाहते, आजा सकते थे. फिर लौकडाउन में उन का बिना किसी को कुछ बताए घर से निकल जाना और पूरे दिनरात घर न आना, रहस्यमय था. कहां गए होंगे और क्यों गए होंगे, यह गुत्थी सुलझ नहीं रही थी. इस गुत्थी को सुलझाने में पुलिस टीम को 4 से 5 दिन लग गए. जब यह गुत्थी सुलझी तो जांच टीम अवाक रह गई. मुखबिर ने दिया सूत्र 28 जुलाई, 2020 को इंसपेक्टर गिरधर गोरे को एक मुखबिर ने खबर दी कि जिस अंबुज और नीलम तिवारी को वह खोज रहे हैं, उन्हें घनसोली की अर्जुनवाड़ी में देखा गया है. यह खबर मिलते ही इंसपेक्टर गिरधर गोरे ने अपनी काररवाई के लिए टीम को सजग कर दिया.

उन की टीम ने छापा मार कर अंबुज तिवारी को अपनी गिरफ्त में लिया और उसे वरिष्ठ अधिकारियों के सामने ले जाया गया. अधिकारियों ने उस से फौरी तौर पर पूछताछ कर के जांच टीम के हवाले कर दिया. जांच टीम ने जब उस से नीलम के बारे में पूछताछ की तो उस ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की. लेकिन जांच टीम उस की बातों से सहमत नहीं थी. उस के चेहरे से मक्कारी साफ झलक रही थी, वह कुछ छिपा रहा था. सच की तह में जाने के लिए जब उसे रिमांड पर लिया तो उसे बोलना पड़ा.

अंबुज ने बताया कि उस ने अपने दोस्त के साथ मिल कर नीलम की हत्या कर दी है. उस ने आगे बताया कि नीलम के शव को प्लास्टिक के ड्रम में डाल कर वह और उस का दोस्त टैंपो से मुंबई-पुणे हाइवे होते हुए लोनावला के पास गांव दापोली के पास पहुंचे और लाश घनी झाडि़यों में छिपा दी. पुलिस टीम को नीलम तिवारी का शव बरामद करना था. अंबुज तिवारी के बयान पर पुलिस टीम ने अपराध में शामिल उस के दोस्त श्रीकांत चौबे को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने अंबुज तिवारी की बातों की पुष्टि की.  श्रीकांत चौबे की गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीम दोनों को ले कर मुंबई-पुणे हाइवे के लोनावला, दापोली के बीच पहुंची और प्लास्टिक का वह ड्रम बरामद कर लिया.

ड्रम का ढक्कन खोल कर नीलम तिवारी का शव बाहर निकाला गया फिर बारीकी से उस का निरीक्षण कर के पंचनामा बनाया गया. शव को पोस्टमार्टम के लिए मुंबई के गांधी अस्पताल भेज कर पुलिस टीम थाने लौट आई. पूछताछ में नीलम तिवारी हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, उस की पृष्ठभूमि कुछ इस तरह थी—

65 वर्षीय महेंद्रनाथ हरिहर तिवारी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़ के लालगंज बाजार के रहने वाले थे. अच्छे काश्तकार होने के साथ वह एक उच्चकुल के ब्राह्मण थे. गांव में उन की काफी इज्जत थी. उन का पूरा परिवार गांव में रहता था. महेंद्रनाथ सालों पहले मुंबई आ बस गए. वह करीब 30 सालों से महानगर नवी मुंबई के घनसोली इलाके में रहते आ रहे थे और फलों का व्यवसाय करते थे. 28 वर्षीय अंबुज तिवारी उन का बेटा था, जिसे वह बहुत प्यार करते थे. स्वस्थ, सुंदर अंबुज तिवारी ने साइंस से अपनी पढ़ाई पूरी की थी. फलस्वरूप उसे मुंबई जैसे महानगर में नौकरी के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ा.

पढ़ाई पूरी कर के वह सन 2010 में नौकरी के लिए पिता के पास मुंबई आ गया था. मुंबई में उसे कुर्ला की एक जानीमानी सीमेंट मिक्सिंग कंपनी में क्वालिटी सुपरवाइजर की नौकरी मिल गई. अंबुज तिवारी जिस फर्म में काम करता था, उसी में श्रीकांत चौबे भी नौकरी कर रहा था. वह फर्म में टैंपो ड्राइवर था. वह माल डिलिवरी करता था. 23 वर्षीय श्रीकांत जयनारायण चौबे भी मूलरूप से आजमगढ़ का ही रहने वाला था. जल्दी ही दोनों की जानपहचान दोस्ती में बदल गई. जब भी मौका मिलता, दोनों घूमनेफिरने निकल जाते थे. अच्छी नौकरी और अंबुज की बढ़ती उम्र को देखते हुए महेंद्रनाथ तिवारी अंबुज की शादी कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहते थे. उन्होंने जानपहचान और नातेरिश्तेदारी में अंबुज की शादी की बात चलाई तो उन्हें नीलम के बारे में जानकारी मिली.

बातचीत के बाद 2016 में नीलम और अंबुज की शादी हो गई. शादी के बाद अंबुज ने कुछ दिनों के लिए नीलम को अपनी मां की सेवा के लिए गांव में छोड़ दिया था. वह खुद पिता के साथ मुंबई में रहता रहा. बीचबीच में वह छुट्टी ले कर गांव जाता रहता था. मगर नीलम इस से संतुष्ट नहीं थी. वह उस से इस बात की शिकायत करती थी कि उस के बिना उसे गांव अच्छा नहीं लगता. वह सारी रात उस को याद करकर के करवटें बदलती है. वैसे भी तुम्हें और पापा को खाना बनाने में तकलीफ होती होगी. नीलम की शिकायत वाजिब थी. क्योंकि वह जवान और नईनवेली दुलहन थी. उस के भी अपने सपने और अरमान थे. उस का भी दिल पति के साथ रहने के लिए मचलता था, पर अंबुज की अपनी कुछ विवशताएं थीं.

उस की मां बूढ़ी हो चली थी. मुंबई में वह पिता के साथ रहता था. घर छोटा था, ऐसे में वह घर में कैसे रहेगी. काफी सोचविचार के बाद उसे नीलम की जिद पर उसे मुंबई ले कर आना पड़ा. नीलम को अपने पति और ससुर के साथ रहते हुए लगभग एक साल से अधिक हो गया था. मुंबई आ कर नीलम ने घर और रसोई का सारा काम संभाल लिया था. पति के साथ नीलम बहुत खुश थी. मगर उस की यह खुशी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रही. उस के सुखी जीवन में परेशानी कुछ इस कदर आ कर बैठ गई कि उस का मानसम्मान सब रेत की दीवार की तरह ढह गया.

फोन बना परेशानी नीलम का कुसूर सिर्फ इतना था कि वह चंचल स्वभाव और खुले विचारों वाली हंसमुख और मिलनसार युवती थी. घर का कामकाज निपटा कर वह दिल बहलाने के लिए फोन पर अपनी फ्रैंड्स और मायके वालों के साथ चिपक जाती थी. इस बीच जब अंबुज को नीलम से बात करने की इच्छा होती थी तो उस का फोन बिजी रहता था, जिसे ले कर अंबुज के मन में तरहतरह के खयाल आने लगे थे. धीरेधीरे यही खयाल संदेह का वायरस बन कर अंबुज के दिमाग में बैठ गया. उसे लगा कि नीलम का गांव में किसी युवक के साथ चक्कर है. इस बारे में अंबुज ने जब नीलम से बात की तो वह स्तब्ध रह गई. फिर उस ने अपने आप को संभाल लिया और कहा कि यह सब उस के मन का वहम है.

नीलम के लाख सफाई देने के बाद भी संदेह का वायरस अंबुज के दिमाग से नहीं गया. वह बातबात पर अकसर नीलम से लड़ाई और मारपीट करने लगा. संदेह का वायरस उस के दिमाग में कुछ इस प्रकार घुसा था कि उस ने नीलम को ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया. घटना वाली रात अंबुज पिता महेंद्रनाथ तिवारी को बिना बताए नीलम को यह कह कर साथ ले गया कि उस के दोस्त की बर्थडे पार्टी है. दोनों श्रीकांत चौबे के घर अर्जुनवाड़ी आ गए. अर्जुनवाड़ी में श्रीकांत चौबे के घर कोई पार्टी न देख नीलम को ठीक नहीं लगा क्योंकि अंबुज उसे झूठ बोल कर लाया था. इसलिए वह अंबुज से घर लौटने की जिद करने लगी. इस पर अंबुज ने उस के दुपट्टे से गला कस दिया और तब तक कसता रहा जब तक नीलम के प्राणपखेरू नहीं उड़ गए.

अंबुज की इस हरकत से श्रीकांत चौबे बुरी तरह डर गया. श्रीकांत को अंबुज तिवारी की यह योजना मालूम नहीं थी. उस ने अंबुज को खाना खाने के लिए बुलाया था. नीलम की हत्या करने के बाद अंबुज ने उस के शव को ठिकाने लगाने के लिए श्रीकांत चौबे से मदद मांगी. दोस्ती के नाते श्रीकांत उस की मदद करने को तैयार हो गया. उस की मजबूरी यह भी थी कि लाश उस के घर में पड़ी थी. दोनों ने नीलम के शव को प्लास्टिक के ड्रम में डाल कर टैंपो पर लाद दिया और मुंबई-पुणे हाइवे के दोपाली और लोनावला के बीच घनी झाडि़यों में डाल आए, जहां से पुलिस ने शव बरामद कर लिया.

अंबुज महेंद्रनाथ तिवारी और श्रीकांत जयनारायण चौबे से विस्तृत पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. बाद में दोनों को अदालत पर पेश कर के तलोजा जेल भेज दिया गया. वारदात में इस्तेमाल टैंपो को पुलिस ने कब्जे में ले लिया था.