Extramarital Affair : कोल्‍ड ड्रिंक में नशीली गोलियां मिला कर पहले पति को पिलाया, फिर किया कत्‍ल

Extramarital Affair : महत्त्वाकांक्षी होना कोई गलत बात नहीं है. लेकिन उस के चक्कर में देहरी लांघ जाना ठीक नहीं. 2 बच्चों की मां गजाला इस बात को समझ जाती तो उस का पति शाहिद तो जीवित होता ही, साथ ही गजाला को भी जेल न जाना पड़ता…

10 जुलाई, 2020 की सुबह आगरा के महात्मा दूधाधारी इंटर कालेज के पास नगला कमाल के रास्ते पर एक युवक की लाश पड़ी थी. सूचना मिलते ही मौके पर गांव वाले पहुंच गए, भाजपा नेता उदय प्रताप भी वहां पहुंचे. उन्होंने इस की सूचना थाना खेरागढ़ पुलिस को दे दी. लाश पड़ी होने की सूचना पा कर थानाप्रभारी अवधेश अवस्थी पुलिस टीम के मौके पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर उन्होंने फौरेंसिक टीम और डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. इस के बाद थानाप्रभारी ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 28 से 30 वर्ष के बीच रही होगी. उस के गले पर किसी तेज धारदार हथियार के निशान थे.

कपड़ों की तलाशी ली गई तो उस की पैंट की जेब में आधार कार्ड मिला. आधार कार्ड मृतक का ही था. उस में उस का नाम शाहिद खान लिखा था. पता कटघर ईदगाह, आगरा लिखा था. इस के अलावा कोई साक्ष्य नहीं था. आधार कार्ड को जाब्ते में लेने के बाद थानाप्रभारी ने जरूरी काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी. फिर थाने वापस लौट आए. पुलिस ने इस की सूचना मृतक के घरवालों को दे दी. शाहिद की हत्या की खबर मिलते ही घर में हाहाकार मच गया. घर वाले थाने पहुंच गए. थानाप्रभारी अवस्थी ने उन से पूछताछ की तो पता चला मृतक शाहिद खान खुद का टैंपो चलाता था.

4 साल से वह पत्नी गजाला और 2 बच्चों के साथ रैना नगर, धनौली में किराए पर रह रहा था. उन से पूछताछ के बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी अवधेश अवस्थी मृतक के घर गए तो घर पर शाहिद की पत्नी गजाला मिली. पूछने पर उस ने बताया कि एक दिन पहले यानी 9 जुलाई की शाम शाहिद टैंपो ले कर निकला था, तब से वापस नहीं आया. थाने लौटने के बाद थानाप्रभारी अवस्थी ने मामले पर विचार किया कि कहीं शाहिद की हत्या की वजह लूटपाट तो नहीं है, क्योंकि उस का टैंपो भी नहीं मिला था. लेकिन अगले ही पल दिमाग में आया कि हत्या लूट के लिए की गई होती तो लुटेरे लाश को इतना दूर क्यों फेंकते.

इंसपेक्टर अवस्थी ने दिमाग पर जोर दिया तो उन्हें शाहिद की पत्नी गजाला की हरकतें कुछ अटपटी लगीं. जब वह शाहिद के घर गए थे तो गजाला घबराई हुई थी. वह रो तो रही थी लेकिन उस की आंखें बराबर इधरउधर चल रही थीं. वह बराबर पुलिस की गतिविधि पर नजर रख रही थी. थानाप्रभारी को गजाला पर शक हुआ तो उन्होंने उस के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. उस की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर था, जिस पर वह रोजाना बातें करती थी. वह नंबर रैना नगर के ही रहने वाले राहुल हुसैन का था. इस के बाद सर्विलांस टीम की मदद ली गई. सर्विलांस टीम ने जांच की तो पता चला घटना वाले दिन 9 जुलाई की शाम को राहुल हुसैन शाहिद खान के साथ था.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने 12 जुलाई को राहुल हुसैन को गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के दोस्त इमरान को भी उठा लिया. दोनों से पूछताछ के बाद गजाला को उस के घर से गिरफ्तार किया गया. तीनों से जब पुलिसिया अंदाज में पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. 30 वर्षीय शाहिद खान आगरा के खेरागढ़ के कटघर ईदगाह (रकाबगंज) मोहल्ले में रहने वाले हबीब खान का बेटा था. 2 भाइयों में सब से बड़ा शाहिद अपना खुद का टैंपो चलाता था. 8 साल पहले शाहिद का निकाह रैना नगर, धनौली (मलपुरा) में रहने वाली गजाला के साथ हुआ था. शाहिद गजाला जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर बहुत खुश था. जबकि सांवले रंग के साधारण शौहर शाहिद से गजाला खुश नहीं थी.

दरअसल गजाला ने अपने मन में जिस तरह शौहर की कल्पना की थी, शाहिद वैसा नहीं था. गजाला ने सपना संजो रखा था कि उस का शौहर हैंडसम और सुंदर होगा. जबकि शाहिद उस की अपेक्षाओं के बिलकुल विपरीत था. गजाला अपने हिसाब से उसे मौडर्न बनाने की कोशिश भी करती, शाहिद फैशनेबल कपड़े पहनता भी तो उस पर वे जंचते नहीं थे, वह रंगरूप से मात खा जाता था. गजाला मन मसोस कर रह जाती. इसी चक्कर में वह कुंठित और चिड़चिड़ी हो गई. वह बातबात में शाहिद से झगड़ने लगती थी. उस की यह आदत सी बन गई थी. पतिपत्नी के रोजरोज के झगड़ों से शाहिद के घरवाले परेशान रहने लगे. इस सब के चलते गजाला एक बेटा और एक बेटी की मां बन गई. 4 साल पहले शाहिद रैना नगर, धनौली में ससुराल के पास किराए पर कमरा ले कर रहने लगा.

शाहिद सुबह टैंपो ले कर निकल जाता तो देर रात घर लौटता था. उस के चले जाने के बाद चंचल हसीन और खूबसूरत गजाला को रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. उस का मन नहीं लगता तो वह बनसंवर कर घर से निकल कर ताकझांक करने लगती. चूंकि पास में ही उस का मायका था, इसलिए वह कुछ देर के लिए मायके चली जाती थी. गजाला भले ही 2 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन उस की महत्त्वाकांक्षा उसे चंचल बना रही थी, मर्यादा हनन करने को उकसा रही थी. रैना नगर में ही राहुल हुसैन रहता था. वह अपने मांबाप की एकलौती संतान था. देखने में स्मार्ट और अविवाहित. गजाला जब उस के मोहल्ले में पति के साथ रहने आई, तभी उस की नजर गजाला पर पड़ चुकी थी. उसे गजाला का रूपसौंदर्य पहली नजर में ही भा गया था.

गजाला राहुल से परिचित थी. शाहिद के घर न होने पर राहुल उसके पास पहुंचने लगा. गजाला को उस से बात करना अच्छा लगता था. चंद मुलाकातों में दोनों के बीच काफी नजदीकियां हो गईं. राहुल और गजाला में हंसीमजाक भी होने लगी. गजाला राहुल के मजाक का बिलकुल बुरा नहीं मानती थी.  राहुल बातूनी था, इसलिए वह भी उस से खूब बतियाती थी. दरअसल गजाला के दिल में राहुल के प्रति चाहत पैदा हो गई थी.  राहुल जब भी उस के रूपसौंदर्य की तारीफ करता तो गजाला के शरीर में तरंगें उठने लगती थीं. 2 बच्चों की मां बनने के बाद गजाला का गदराया यौवन और रसीला हो गया था. आंखों में मादकता छलकती थी.

एक दिन राहुल ने उस के हुस्न और जिस्म की तारीफ  की तो वह गदगद हो गई. फिर वह बुझे मन से बोली, ‘‘ऐसी खूबसूरती किस काम की, जिस पर शौहर ध्यान ही न दे.’’

राहुल को गजाला की ऐसी ही किसी कमजोर नस की ही तलाश थी. जैसे ही उस ने पति की बेरुखी का बखान किया, राहुल ने उस का हाथ थाम लिया, ‘‘तुम क्यों चिंता करती हो, हीरे की परख जौहरी ही करता है. आज से तुम्हारे सारे दुख मेरे हैं और मेरी सारी खुशियां तुम्हारी.’’

राहुल की लच्छेदार बातों ने गजाला का मन मोह लिया. वह उस की बातों और व्यक्तित्व की पूरी तरह कायल हो गई. उस के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. मन बेकाबू होने लगा तो गजाला ने थरथराते होठों से कहा, ‘‘अब तुम जाओ. उन के आने का समय हो गया है. कल दोपहर में आना, मैं इंतजार करूंगी.’’

राहुल ने वह रात करवटें बदलते काटी. सारी रात वह गजाला के खयालों में डूबा रहा. सुबह वह देर से जागा. दोपहर तक सजसंवर कर वह गजाला के घर पहुंचा. गजाला उसी का इंतजार कर रही थी. उस ने उस दिन खुद को विशेष ढंग से सजायासंवारा था. राहुल ने पहुंचते ही गजाला को अपनी बांहों में समेट लिया, ‘‘आज तो तुम हूर लग रही हो.’’

‘‘थोड़ा सब्र से काम लो. इतनी बेसब्री ठीक नहीं होती.’’ गजाला ने मुसकरा कर कहा, ‘‘कम से कम दरवाजा तो बंद कर लो, वरना किसी आनेजाने वाले की नजर पड़ गई तो हंगामा हो जाएगा.’’

राहुल ने फौरन कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. जैसे ही उस ने अपनी बांहें फैलाईं तो गजाला उन में समा गई. राहुल के तपते होंठ गजाला के नर्म और सुर्ख अधरों पर जम गए. इस के बाद एक शादीशुदा औरत की पवित्रता, पति से वफा का वादा सब कुछ जल कर स्वाहा हो गया. अवैध संबंधों का यह सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर रुकने का नाम नहीं लिया. ऐसी बातें समाज की नजरों से कब तक छिपी रह सकती हैं. शाहिद की गैरमौजूदगी में राहुल का उस के कमरे पर बने रहना पड़ोसियों के मन में शक पैदा कर गया. किसी पड़ोसी ने यह बात शाहिद के कान में डाल दी. यह सुन कर उस पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा.

बीवी के बारे में ऐसी बात सुन कर शाहिद परेशान हो गया. उस का काम से मन उचट गया. बड़ी मुश्किल से शाम हुई तो वह घर लौट आया. गजाला को पता नहीं था कि उस के शौहर को उस की आशनाई के बारे में पता चल गया है. वह खनकती आवाज में बोली, ‘‘क्या बात है, आज बड़ी जल्दी घर लौट आए.’’

‘‘सच जानना चाहती हो तो सुनो. तुम जो राहुल के साथ गुलछर्रे उड़ा रही हो, मुझे सब पता चल गया है.’’ शाहिद ने बड़ी गंभीरता से कहा, ‘‘अब तुम्हारी भलाई इसी में है कि मुझ से बिना कुछ छिपाए सब कुछ सचसच उगल दो. उस के बाद मैं तुम्हें बताऊंगा कि तुम्हारा क्या करना है.’’

गजाला शौहर की बात सुन कर अवाक रह गई. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक न एक दिन शाहिद को सब पता चल जाएगा. भय के मारे उस का चेहरा उतर गया. वह घबराए स्वर में कहने लगी, ‘‘जिस ने भी तुम से मेरे बारे में यह सब कहा है, वह झूठा है. लोग हम से जलते हैं, इसलिए किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं.’’

गजाला ने जान लिया था कि अब त्रियाचरित्र दिखाने में ही उस की भलाई है. वह भावुक स्वर में बोली, ‘‘मैं कल भी तुम्हारी थी और आज  भी तुम्हारी हूं. कोई दूसरा मेरा बदन छूना तो दूर मेरी ओर देखने की हिम्मत भी नहीं कर सकता.

‘‘तुम मुझ पर यकीन करो. तुम ने जो कुछ सुना है, वह सिर्फ अफवाह है. कुछ लोग मेरे पीछे पड़े हैं, वह मुझे हासिल नहीं कर सके तो हमारे बीच आग लगा कर हमारा जीना हराम करना चाहते हैं.’’

आखिरकार गजाला की बातों से शाहिद को लगा कि वह सच कह रही है. उस ने गजाला पर यकीन कर लिया. घर में कुछ दिन और शांति बनी रही. फिर एकदो लोगों ने टोका, ‘‘शाहिद, तुम दिन भर बाहर रहते हो, देर रात को लौटते हो. इस बीच गजाला किस के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है, तुम्हें क्या मालूम, अब भी समय है, चेत जाओ वरना ऐसा न हो कि किसी दिन तुम्हें पछताना पड़े.’’

शाहिद को उन की बात समझ में आ गई. वह जान गया कि धुंआ तभी उठता है, जब कहीं आग लगती है. उस ने गजाला को चेतावनी दी कि अब कभी उस ने कोई गलत काम किया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा. अच्छा हुआ भी नहीं. कोई न कोई गजाला की खबर उस तक पहुंचा देता था, इस से आजिज आ कर शाहिद गजाला के साथ झगड़ा और मारपीट करने लगा. घटना से 6 दिन पहले गजाला की बहन तनु की शादी थी. शाहिद ने शादी के बाद भी गजाला को पीटा. गजाला पति से परेशान हो चुकी थी. उस ने फोन पर रोतेरोते यह बात राहुल को बताई. वैसे भी गजाला राहुल से निकाह कर के उस के साथ रहने का मन बना चुकी थी.

राहुल भी यही चाहता था. ऐसे में राहुल ने शाहिद को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. गजाला को उस ने बताया तो उस ने भी अपनी सहमति दे दी. शाहिद की हत्या करने के लिए राहुल ने अपने दोस्त इमरान को भी शामिल कर लिया. वह उसी मोहल्ले में रहता था.  9 जुलाई, 2020 की देर शाम को राहुल ने शाहिद का टैंपो भाड़े पर बुक किया और उसे सब्जी मंडी बुलाया. वहां राहुल इमरान के साथ पहले से मौजूद था. शाहिद के वहां पहुंचने पर राहुल ने उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाई, जिस में उस ने नशीली गोलियों का पाउडर मिला दिया था. कोल्ड ड्रिंक पी कर शाहिद बेहोश हो गया. दोनों ने उसे टैंपो की पिछली सीट पर लिटा दिया. इमरान टैंपो चलाने लगा.

दोनों बेहोश हुए शाहिद को दूधाधारी इंटर कालेज के पास ले गए. वहां दोनों ने तेज धारदार चाकू से शाहिद का गला रेत कर उस की हत्या कर दी और उस की लाश वहीं फेंक कर फरार हो गए. लेकिन आखिरकार कानून की गिरफ्त में आ ही गए. राहुल और इमरान की निशानदेही पर पुलिस ने आलाकत्ल चाकू और शाहिद का टैंपो भी बरामद कर लिया. इस के बाद कानूनी लिखापढ़ी कर के गजाला, राहुल और इमरान को न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया़

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Family Dispute : पत्नी मायके गई तो पति ने कर ली आत्महत्या

Family Dispute : कुसुमा ने अपने दामाद एडवोकेट विपिन कुमार निगम से वादा किया था कि अगर बड़ी बेटी उन के बच्चे की मां नहीं बनी तो वह उस के साथ अपनी छोटी बेटी काजल का विवाह कर देगी. लेकिन 4 साल बाद कुसुमा अपने वादे से मुकर गई. इस के बाद परिवार में कलह इतनी बढ़ गई कि… सिकंदरपुर कस्बे के सुभाष नगर मोहल्ले में सुबह सवेरे यह खबर फैल गई कि विचित्र लाल के वकील बेटे विपिन कुमार निगम ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है, जिस ने भी यह खबर सुनी, स्तब्ध रह गया. कुछ ही देर में विचित्र लाल के घर के बाहर लोगों का मजमा लग गया. लोग आपस में कानाफूसी करने लगे. इसी बीच मृतक के छोटे भाई नितिन ने फोन पर भाई के आत्महत्या कर लेने की सूचना थाना छिबरामऊ पुलिस को दे दी. यह बात 22 मई, 2020 की सुबह की है. मामला एक वकील की आत्महत्या का था. थानाप्रभारी शैलेंद्र कुमार मिश्र ने वारदात की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी और चौकी इंचार्ज अजब सिंह व अन्य पुलिसकर्मियों को साथ ले कर सुभाष नगर स्थित विचित्र लाल निगम के घर पहुंच गए.

थानाप्रभारी उस कमरे में पहुंचे, जिस में विपिन कुमार निगम की लाश कमरे की छत के कुंडे से लटकी हुई थी. उन्होंने सहयोगी पुलिसकर्मियों की मदद से शव को फांसी के फंदे से नीचे उतरवाया. मृतक की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. मृतक की जामातलाशी ली गई तो पैंट की दाहिनी जेब से एक पर्स तथा शर्ट की ऊपरी जेब से एक मोबाइल फोन मिला. पर्स तथा मोबाइल फोन पुलिस ने अपने पास रख लिया. थानाप्रभारी शैलेंद्र कुमार मिश्र अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह और एएसपी विनोद कुमार भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. टीम ने उस प्लास्टिक स्टूल की भी जांच की जिस पर चढ़ कर मृतक ने गले में रस्सी का फंदा डाला था और स्टूल को पैर से गिरा दिया था. मृतक विपिन कुमार निगम शादीशुदा था, पर घटनास्थल पर न तो उस की पत्नी प्रियंका थी और न ही प्रियंका के मातापिता और भाई में से कोई आया था. यद्यपि उन्हें सूचना सब से पहले दी गई थी. मौका ए वारदात पर मृतक का पूरा परिवार मौजूद था. मृतक के कई अधिवक्ता मित्र भी वहां आ गए थे जो परिवार वालों को धैर्य बंधा रहे थे. मित्र के खोने का उन्हें भी गहरा दुख था.

पुलिस अधिकारियों ने मौके पर मौजूद मृतक के छोटे भाई नितिन कुमार से पूछताछ की तो उस ने बताया कि भैया सुबह जल्दी उठ जाते थे और केसों से संबंधित उन फाइलों का निरीक्षण करने लगते थे, जिन की उसी दिन सुनवाई होती थी. आज सुबह 8 बजे जब मैं उन के कमरे पर पहुंचा तो कमरा बंद था और कूलर चल रहा था. यह देख कर मुझे आश्चर्य हुआ. मैं ने दरवाजा थपथपाया और आवाज दी. पर न तो दरवाजा खुला और न ही अंदर से कोई प्रतिक्रिया हुई. मन में कुछ संदेह हुआ तो मैं ने मातापिता और अन्य भाइयों को बुला लिया. उन सब ने भी आवाज दी, दरवाजा थपथपाया पर कुछ नहीं हुआ.

इस के बाद हम भाइयों ने मिल कर जोर का धक्का दिया तो दरवाजे की सिटकनी खिसक गई और दरवाजा खुल गया. कमरे के अंदर का दृश्य देख कर हम लोगों की रूह कांप उठी. भैया फांसी के फंदे पर झूल रहे थे. इस के बाद तो घर में कोहराम मच गया. खबर फैली तो मोहल्ले के लोग आने लगे. इसी बीच हम ने घटना की जानकारी भाभी प्रियंका, रिश्तेदारों, भैया के दोस्तों और पुलिस को दी.

‘‘क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हारे भाई ने आत्महत्या क्यों की?’’ एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने नितिन से पूछा.

‘‘सर, भैया ने पारिवारिक कलह के चलते आत्महत्या की है. दरअसल प्रियंका भाभी और उन के मायकों वालों से नहीं पटती थी. 2 दिन पहले ही भाभी ने कलह मचाई तो भैया उन्हें मायके छोड़ आए थे. उसी के बाद से वह तनाव में थे. शायद इसी तनाव में उन्होंने आत्महत्या कर ली.’’ निखिल ने बताया.

इसी बीच एएसपी विनोद कुमार ने मृतक के अंदर वाले कमरे की तलाशी कराई तो उन्हें एक सुसाइड नोट फ्रिज कवर के नीचे से तथा दूसरा सुसाइड नोट टीवी कवर के नीचे से बरामद हुआ. एक अन्य सुसाइड नोट उन के पर्स से भी मिला. यह पर्स जामातलाशी के दौरान मिला था. पर्स में पेन कार्ड, आधार कार्ड और कुछ रुपए थे. विपिन के सुसाइड नोट फ्रिज कवर के नीचे से जो पत्र बरामद हुआ था, उस में विपिन कुमार ने अपनी सास कुसुमा देवी को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘सासूजी, आप ने वादा किया था कि प्रियंका 3 साल तक बच्चे को जन्म नहीं दे पाई तो आप दूसरी बेटी काजल की शादी मेरे साथ कर देंगी. पर 3 साल बाद आप मुकर गईं. इस से मुझे गहरी ठेस लगी.

प्रियंका के कटु शब्दों ने मेरे दिल को छलनी कर दिया है. उस के मायके जाने के बाद मैं 2 दिन बेहद परेशान रहा. रातरात भर नहीं सोया. आखिर परेशान हो कर मैं ने अपने आप को मिटाने का निर्णय ले लिया.’ विपिन निगम. दूसरा पत्र जो टीवी कवर के नीचे से बरामद हुआ था. वह पत्र विपिन ने अपनी पत्नी प्रियंका को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘प्रियंका, तुम मेरे जीवन में बवंडर बन कर आई, जिस ने आते ही सब कुछ तहसनहस कर दिया. शादी के कुछ महीने बाद ही तुम रूठ कर मायके चली गईं. मांबाप के कान भर कर, झूठे आरोप लगा कर तुम ने मेरे तथा मेरे मातापिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.

‘किसी तरह मामला रफादफा कर मैं तुम्हें मना कर घर ले आया. डिलीवरी के दौरान मैं ने अपना खून दे कर तुम्हारी जान बचाई. यह बात दीगर है कि बच्चे को नहीं बचा सका. इतना सब करने के बावजूद तुम मेरी वफादार न बन सकी. ‘तुम ने कहा था कि 3 साल तक बच्चा न दे पाऊं तो मेरी छोटी बहन काजल से शादी कर लेना. पर तुम मुकर गई. लड़झगड़ कर घर चली गई. तुम सब ने मिल कर मेरी जिंदगी तबाह कर दी. अब मैं ऐसी जिंदगी से ऊब गया हूं जिस में गम ही गम हैं. —विपिन निगम.

तीसरा पत्र जो पर्स से मिला था, विपिन ने अपनी साली काजल को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘आई लव यू काजल, तुम मेरी मौत पर आंसू न बहाना. तुम्हारा कोई कुसूर नहीं है. तुम तो मेरी आंखों का काजल बन चुकी थीं. मुझे यह भी पता है कि तुम मुझ से शादी करने को राजी थीं. पर तुम्हारी मां मंथरा बन गई.

‘उस ने नफरत भरने के लिए दोनों बहनों के कान भरे और फिर शादी के वादे से मुकर गई. मैं तुम दोनों बहनों को खुश रखना चाहता था, लेकिन ऐसा हो न सका. मैं निराश हूं. तन्हा जीवन से मौत भली. काजल, आई लव यू. मेरी मौत पर आंसू न बहाना. तुम्हारा विपिन.’

विपिन की शर्ट की जेब से उस का मोबाइल भी बरामद हुआ था. एएसपी विनोद कुमार ने जब फोन को खंगाला तो पता चला कि विपिन ने अपनी जीवनलीला खत्म करने से पहले अपने फेसबुक एकाउंट पर शायराना अंदाज में एक पोस्ट लिखी थी. सुसाइड नोट्स से समझ आया माजरा विपिन के सुसाइड नोट पढ़ने के बाद पुलिस अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि युवा अधिवक्ता विपिन कुमार निगम ने पारिवारिक कलह के कारण आत्महत्या की है. वह अपनी पत्नी प्रियंका और सास कुसुमा देवी से पीडि़त था. साक्ष्य सुरक्षित करने के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज के जिला अस्पताल भिजवा दिया. पुलिस जांच और मृतक के परिवार वालों द्वारा दी गई जानकारी से आत्महत्या प्रकरण की जो कहानी सामने आई उस का विवरण इस प्रकार से है—

ग्रांट ट्रंक रोड (जीटीरोड) पर बसा कन्नौज शहर कई मायने में चर्चित है. कन्नौज सुगंध की नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां का बना इत्र फुलेल पूरी दुनिया में मशहूर है. दूसरे यह ऐतिहासिक धरोहर भी है. चंदेल वंश के राजा जयचंद की राजधानी कन्नौज ही थी. उन का किला खंडहर के रूप में आज भी दर्शनीय है. गंगा के तट पर बसा कन्नौज तंबाकू और आलू के व्यापार के लिए भी मशहूर है. पहले कन्नौज, फर्रुखाबाद जिले का एक कस्बा था, जिसे बाद में जिला बनाया गया. इसी कन्नौज जिले का एक कस्बा सिकंदरपुर है, जो छिबरामऊ थाने के अंतर्गत आता है. इसी कस्बे के सुभाष नगर मोहल्ले में विचित्र लाल निगम अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सरिता निगम के अलावा 4 बेटे थे.

जिस में विपिन कुमार निगम सब से बड़ा तथा नितिन कुमार सब से छोटा था. विचित्र लाल व्यापारी थे, आर्थिक स्थिति मजबूत थी. कायस्थ बिरादरी में उन की अच्छी पैठ थी. विपिन कुमार निगम अपने अन्य भाइयों से कुछ ज्यादा ही तेजतर्रार था. वह वकील बनना चाहता था. उस ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से एलएलबी की पढ़ाई की. इस के बाद वह छिबरामऊ तहसील में वकालत करने लगा. विपिन कुमार निगम दीवानी और फौजदारी दोनों तरह के मुकदमे लड़ता था. कुछ दिनों बाद उस के पास अच्छेखासे केस आने लगे थे. उस ने तहसील में अपना चैंबर बनवा लिया और 2 सहयोगी कर्मियों को भी रख लिया.

विपिन कुमार निगम अच्छा कमाने लगा तो उस के पिता विचित्र लाल ने 6 जनवरी, 2014 को औरैया जिले के उजैता गांव के रहने वाले राजू निगम की बेटी प्रियंका से शादी कर दी. राजू निगम किसान थे. उन के 2 बेटियां और एक बेटा था, जिन में प्रियंका सब से बड़ी थी. खूबसूरत प्रियंका, विपिन की दुलहन बन कर ससुराल आई तो सभी खुश थे, पर प्रियंका खुश नहीं थी. उसे शोरगुल पसंद नहीं था. यद्यपि उसे पति से कोई शिकवा शिकायत न थी. प्रियंका ससुराल में 10 दिन रही. उस के बाद उस का भाई आकाश आया और उसे विदा करा ले गया.

प्रियंका ने दिखाए ससुराल में तेवर लगभग 2 महीने बाद प्रियंका दोबारा ससुराल आई तो उस ने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया. वह सासससुर से कटु भाषा बोलने लगी, देवरों को झिड़कने लगी. सास सरिता बेस्वाद खाना बनाने को ले कर टोकती तो जवाब देती कि स्वादिष्ट खाना बनाने को नौकरानी रख लो. घर के काम के लिए कहती तो जवाब मिलता कि वह नौकरानी नहीं, घर की बहू है. यही नहीं उस ने दहेज में मिला सामान पलंग, टीवी, फ्रिज, अलमारी पहली मंजिल पर बने 2 बड़े कमरों में सजा लिया और एक तरह से परिवार से अलग रहने लगी. इसी बीच उस के पैर भारी हो गए. ससुराल वालों के लिए यह खबर खुशी की थी लेकिन उस के दुर्व्यवहार के कारण किसी ने खुशी जाहिर नहीं की.

विपिन परिवार के प्रति पत्नी के दुर्व्यवहार से दुखी था. उस ने प्रियंका पर सख्ती कर लगाम कसने की कोशिश की तो वह त्रिया चरित्र दिखाने लगी. अपनी मां कुसुमा को रोरो कर बताती कि ससुराल वाले उसे प्रताडि़त करते हैं. मां ने भी बेटी की बातों पर सहज ही विश्वास कर लिया और उसे मायके बुला लिया. इस के बाद मांबेटी ने सोचीसमझी रणनीति के तहत ससुराल वालों पर झूठे आरोप लगा कर थाना फफूंद में दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा दी. जब विपिन को पत्नी द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने की जानकारी हुई तो वह सतर्क हो गया. वह ससुराल पहुंचा और किसी तरह पत्नी व सास का गुस्सा शांत किया, जिस से फिर मुकदमे में समझौता हो गया.

इस के बाद कई शर्तों के साथ कुसुमा देवी ने प्रियंका को ससुराल भेज दिया. ससुराल आ कर प्रियंका स्वच्छंद हो कर रहने लगी. उस ने पति को भी अपनी मुट्ठी में कर लिया था. फिर जब प्रसव का समय आया तो प्रियंका मायके आ गई. कुसुमा ने उसे प्रसव के लिए इटावा के एक निजी नर्सिंग होम में भरती कराया. डाक्टरों ने उस का चेकअप किया तो खून की कमी बताई. और यह भी साफ कर दिया कि बच्चा औपरेशन से होगा. कुसुमा चालाक औरत थी. वह जानती थी कि नर्सिंग होम का खर्चा ज्यादा आएगा. अत: उस ने दामाद विपिन को पहले ही नर्सिंग होम बुलवा लिया था. 9 जनवरी, 2015 को विपिन ने अपना खून दे कर प्रियंका की जान तो बचा ली, लेकिन बच्चा नहीं बच सका.

लगभग एक हफ्ते तक अस्पताल में भरती रहने के बाद प्रियंका मां के घर आ गई. डिस्चार्ज के दौरान डाक्टर ने एक और चौंकाने वाली जानकारी दी कि प्रियंका दोबारा मां नहीं बन पाएगी. यह जानकारी जब विपिन व प्रियंका को हुई तो दोनों दुखी हुए. इस पर सास कुसुमा ने बेटी दामाद को समझाया और कहा, ‘‘कुदरत का खेल निराला होता है, फिर भी यदि 3 साल तक प्रियंका बच्चे को जन्म न दे पाई तो मैं वादा करती हूं कि अपनी छोटी बेटी काजल का विवाह तुम्हारे साथ कर दूंगी.’’

सासू मां की बात सुन कर विपिन मन ही मन खुश हुआ. प्रियंका व काजल ने भी अपनी सहमति जता दी. इस के बाद प्रियंका पति के साथ ससुराल में आ कर रहने लगी. विपिन कुमार भी अपने वकालत के काम में व्यस्त हो गया. प्रियंका कुछ माह ससुराल में रहती तो एकदो माह के लिए मायके चली जाती. इसी तरह समय बीतने लगा. प्रियंका के रहते विपिन के मन में पहले कभी भी साली के प्रति आकर्षण नहीं रहा, किंतु जब से सासू मां ने शादी करने की बात कही तब से उस के मन में काजल का खयाल आने लगा था. 17वां बसंत पार कर चुकी काजल की काया कंचन सी खिल चुकी थी. उस की आंखें शरारत करने लगी थीं. काजल का खिला रूप विपिन की आंखों में बस गया.

अब वह उस से खुल कर हंसीमजाक करने लगा था. काजल की सोच भी बदल गई थी. वह जीजा के हंसीमजाक का बुरा नहीं मानती थी. दरअसल वह मान बैठी थी कि दीदी यदि बच्चे को जन्म न दे पाई तो विपिन उस का जीजा नहीं भावी पति होगा. पत्नी और ससुरालियों के बयान से टूट गया विपिन धीरेधीरे 3 साल बीत गए पर प्रियंका बच्चे को जन्म नहीं दे पाई. तब विपिन ने सासू मां से कहना शुरू किया कि वह वादे के अनुसार काजल की शादी उस से कर दे लेकिन कुसुमा देवी उसे किसी न किसी बहाने टाल देती. इस तरह एक साल और बीत गया.

विपिन को अब दाल में कुछ काला नजर आने लगा. अत: एक रोज वह ससुराल पहुंचा और सासू मां पर शादी का दबाव डाला, इस पर वह बिफर पड़ी, ‘‘कान खोल कर सुन लो दामादजी, मैं अपनी फूल सी बेटी का ब्याह तुम से नहीं कर सकती.’’

‘‘पर आप ने तो वादा किया था. इस में आप की दोनों बेटियां रजामंद थीं.’’ विपिन गिड़गिड़ाया.

‘‘रजामंदी तब थी, पर अब नहीं. प्रियंका भी नहीं चाहती कि काजल की शादी तुम से हो.’’ कुसुमा ने दोटूक जवाब दिया. इस के बाद विपिन वापस घर आ गया. उस ने इस बाबत प्रियंका से बात की तो उस ने मां की बात का समर्थन किया. इस के बाद काजल से शादी को ले कर विपिन का झगड़ा प्रियंका से होने लगा. 18 मई, 2020 को भी प्रियंका और विपिन में झगड़ा हुआ. उस के बाद वह प्रियंका को उस के मायके छोड़ आया.

पत्नी मायके चली गई तो विपिन कुमार तन्हा हो गया. उसे सारा जहान सूनासूना सा लगने लगा. उस की रातों की नींद हराम हो गई. वह बात करने के लिए पत्नी को फोन मिलाता, पर वह बात नहीं करती. विपिन जब बेहद परेशान हो उठा, तब उस ने आखिरी फैसला मौत का चुना. उस ने 3 पत्र कुसुमा देवी, प्रियंका तथा काजल के नाम लिखे. काजल को लिखा पत्र उस ने अपने पर्स में रख लिया और सास को लिखा पत्र फ्रिज कवर के नीचे व पत्नी को लिखा पत्र टीवी कवर के नीचे रख दिया. 21 मई, 2020 की आधी रात के बाद अधिवक्ता विपिन कुमार निगम ने अपनी जीवन लीला खत्म करने से पहले अपने फेसबुक एकाउंट में एक पोस्ट डाली. फिर कमरे की छत के कुंडे में रस्सी बांध कर फंदा बनाया और फिर स्टूल पर चढ़ कर फांसी का फंदा गले में डाल कर झूल गया.

इधर सुबह घटना की जानकारी तब हुई जब विपिन का छोटा भाई नितिन कमरे पर पहुंचा. मृतक विपिन कुमार निगम ने अपने सुसाइड नोट मे अपनी मौत का जिम्मेदार अपनी सास कुसुम देवी और पत्नी प्रियंका को ठहराया था, लेकिन मृतक के घर वालों ने कोई तहरीर थाने में नहीं दी जिस से पुलिस ने मुकदमा ही दर्ज नहीं किया और इस प्रकरण को खत्म कर दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Crime Stories : इलैक्ट्रिक कटर मशीन से सालियों ने किए जीजा के 6 टुकड़े

Crime Stories : सीमा, प्रियंका और बबीता सगी बहनें थीं. तीनों की जिंदगी भी मजे से गुजर रही थी, इन की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि भी नहीं थी. लेकिन तीनों बहनों ने जो जघन्य अपराध किया उसे जान कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाते. और वजह सिर्फ यह थी कि तीनों बहनों में से एक बहन सीमा गौना कर के ससुराल न जा पाए…

इसी 11 अगस्त की बात है. सुबह के करीब 9 बजे थे. सूर्यनगरी के नाम से विख्यात राजस्थान के जोधपुर शहर में नांदड़ी गोशाला के पीछे नगर निगम की एक टीम सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की हौदी की सफाई कर रही थी. सफाई करते समय टीम को कचरे की एक थैली मिली. इस थैली में इंसान के कटे हुए 2 हाथ और 2 पैर थे. कटे हाथपैर मिलने से वहां काम कर रहे सफाई कर्मचारियों में दहशत फैल गई. सफाई कर्मियों ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी. सूचना मिलते ही बनाड़ थाना पुलिस वहां पहुंच गई. वहां प्लांट सुपरवाइजर पूनमचंद बाल्मीकि और औपरेटर पप्पू मंडल ने बताया कि प्लांट में जाने वाली हौदी की सफाई करते समय कपड़े की एक थैली निकली.

थैली में किसी इंसान के कटे हुए 2 हाथ और 2 पैर हैं. सफेदलाल रंग इस थैली पर भाग्य लक्ष्मी टेक्सटाइल, कपड़े के व्यापारी, आनंदपुर कालू, जिला पाली छपा हुआ है. इंसान के कटे हाथपैर मिलने का मामला गंभीर था. पुलिस टीम ने संबंधित जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी. इस पर जोधपुर के डीसीपी (ईस्ट) धर्मेंद्र सिंह यादव, एडीसीपी (ईस्ट) भागचंद, मंडोर एसीपी राजेंद्र दिवाकर, बनाड़ थानाधिकारी अशोक आंजना मौके पर पहुंच गए. कटे हाथपैरों का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने अंदाजा लगाया कि अंग किसी पुरुष के हैं, जिन्हें किसी धारदार कटर मशीन से काटा गया है. निस्संदेह किसी व्यक्ति की निर्दयता से हत्या कर उस के शरीर के टुकड़ेटुकड़े कर फेंके गए थे.

पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यह था कि मृतक का सिर और धड़ कहां है? क्योंकि केवल हाथपैरों से उस की शिनाख्त मुश्किल थी और बिना शिनाख्त के केस आगे नहीं बढ़ सकता था. इसलिए अधिकारियों ने डौग स्क्वायड और एफएसएल टीम को मौके पर बुला लिया, लेकिन पुलिस को तत्काल ऐसी कोई जानकारी नहीं मिल सकी, जिस से मृतक या कातिल के बारे में कुछ पता चल पाता. पुलिस ने कटे हुए हाथपैर एमजीएच अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दिए. सब से पहले मृतक का सिर और धड़ मिलना जरूरी था. इस के लिए पुलिस ने आसपास के इलाकों और ट्रीटमेंट प्लांट हौदी से जुड़ी सीवरेज पाइप लाइनों में जेट मशीनों से धड़ व सिर की तलाश शुरू कराई.

इस के अलावा आसपास के जिलों में वायरलैस संदेश भेज कर गुमशुदा लोगों की जानकारी भी मांगी गई. पुलिस जांचपड़ताल में जुटी थी कि उसी दिन शाम करीब 4 बजे सूचना मिली कि ट्रीटमेंट प्लांट की सीवरेज लाइन में एक और थैली मिली है, जिस में कटा हुआ सिर है. इस पर पुलिस अधिकारी दोबारा प्लांट पर पहुंचे. जिस थैली में सिर मिला, उस पर नागौर जिले के मेड़ता सिटी की एक दुकान का पता छपा था. जरूरी जांच पड़ताल के बाद कटा सिर भी अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया गया. बनाड़ पुलिस थाने में एएसआई गोरधन राम की रिपोर्ट पर अज्ञात मुलजिमों के खिलाफ अज्ञात व्यक्ति की हत्या कर सबूत नष्ट करने का केस दर्ज कर लिया गया.

अपराध की गंभीरता को देखते हुए जांच पड़ताल के लिए पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर एडीसीपी भागचंद के नेतृत्व में एसीपी राजेंद्र दिवाकर, बनाड़ थानाधिकारी अशोक आंजना और डांगियावास थानाधिकारी लीलाराम की टीम गठित की गई. धड़ की तलाश जरूरी थी. इस के लिए अधिकारियों ने सीवरेज प्लांट में आने वाले नाले में आधुनिक तकनीकी मशीनों से धड़ की तलाश शुरू कराई. उसी दिन रात को जोधपुर पुलिस को नागौर जिले से सूचना मिली कि चरणसिंह उर्फ सुशील चौधरी 10 अगस्त से लापता है. उस की गुमशुदगी का मामला मेड़ता सिटी थाने में दर्ज है. जोधपुर पुलिस ने चरणसिंह के फोटो मंगा कर सीवरेज लाइन में मिले कटे सिर के फोटो से मिलान किया, तो दोनों में समानता पाई गई.

जोधपुर पुलिस ने मेड़ता सिटी थाना पुलिस को सूचना भेज कर चरणसिंह के परिजनों को बुलाया. दूसरे दिन यानी 12 अगस्त को मिले कटे अंगों की शिनाख्त मेड़ता के खाखड़की गांव निवासी 27 वर्षीय चरणसिंह उर्फ सुशील जाट के रूप में हो गई. चरणसिंह के मामा के बेटे राजेंद्र गोलिया ने की. राजेंद्र गोलिया ने जोधपुर पुलिस को बताया कि 2 महीने पहले ही चरणसिंह राजस्थान सरकार के कृषि विभाग में सहायक कृषि अधिकारी के रूप में नियुक्त हुआ था. उस की पोस्टिंग नागौर जिले के डेगाना तहसील के खुडि़याला गांव में थी. चरणसिंह 10 अगस्त को घर से निकला था, लेकिन वापस नहीं लौटा. मिलने लगे सुराग कटे हुए अंगों की शिनाख्त हो जाने से पुलिस को तहकीकात में कुछ मदद मिली. पुलिस ने चरणसिंह के परिजनों से जरूरी पूछताछ की ताकि कत्ल के कारण और कातिलों का पता लगाया जा सके.

पूछताछ में पता चला कि 2013 में चरणसिंह की शादी बोरूंदा निवासी पोकर राम जाट की बेटी सीमा से हुई थी, लेकिन अभी गौना (शादी के बाद की एक रस्म) नहीं हुआ था. इन दिनों उस के गौने की बात चल रही थी. यह भी सामने आया कि चरणसिंह के परिवार और उस की ससुराल वालों के बीच बोरूंदा स्थित एक चूना भट्ठे को ले कर कुछ विवाद था. दरअसल, चरणसिंह के पिता नेमाराम कई सालों से बोरूंदा में पोकर राम के चूना भट्ठे पर काम करते थे. बाद में चरणसिंह की शादी पोकरराम की बेटी सीमा से हो गई. कुछ साल पहले पोकर राम को लकवा आ गया था, तब नेमाराम ने चूना भट्ठे का सारा काम संभाल लिया था.

बाद में इस भट्टे के मालिकाना हक को ले कर नेमाराम और पोकर राम के बीच विवाद हो गया. नेमाराम अपने बेटे चरणसिंह का गौना करवाना चाहते थे, जबकि पोकर राम के परिवार वाले पहले भट्ठे का विवाद सुलझाना चाहते थे. एक तरफ पुलिस मामले की गहराई में जा कर हत्या के कारणों और हत्यारों की तलाश में जुटी थी, वहीं दूसरी तरफ सीवरेज प्लांट से जुड़े नालों और पाइप लाइनों में चरणसिंह के धड़ की तलाश की जा रही थी. इस बीच, जोधपुर पुलिस को सूचना मिली कि मेड़ता सिटी में पब्लिक पार्क के पास एक लावारिस मोटरसाइकिल खड़ी मिली है, जो चरणसिंह की है. पुलिस ने इस पब्लिक पार्क के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली.

इन फुटेज में 10 अगस्त की शाम करीब 4:50 बजे सलवारसूट पहने 2 युवतियां मोटर साइकिल खड़ी करती नजर आईं. चरणसिंह की बाइक पर सवार हो कर आई 2 युवतियों से पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्या की कडि़यां उस की ससुराल से जुड़ी हो सकती हैं. अब पुलिस ने अपनी जांच का फोकस मानव अंग मिलने वाले जोधपुर के नांदड़ी इलाके के साथसाथ मेड़ता और बोरूंदा पर केंद्रिंत कर दिया. इस में साइबर टीम के जरिए तकनीकी जानकारियां भी जुटाई गईं. 3 सगी बहनों के नाम आए सामने पुलिस ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए चरणसिंह की पत्नी के अलावा 2 सालियों, एक साले और चूना भट्टे से जुड़े कई लोगों से पूछताछ की.

गहन पूछताछ और जांच पड़ताल कर जरूरी सबूत जुटाने के बाद जोधपुर पुलिस ने 13 अगस्त को सहायक कृषि अधिकारी चरणसिंह उर्फ सुशील चौधरी की हत्या के मामले में उस की 23 वर्षीय पत्नी सीमा के अलावा 2 बड़ी सालियों 25 वर्षीया प्रियंका और 27 वर्षीया बबीता के साथ प्रियंका के बौयफ्रैंड भींयाराम जाट को गिरफ्तार कर लिया. भींया राम खींवसर थाना इलाके के गांव कांटिया का रहने वाला था जबकि तीनों बहनें सीमा, प्रियंका और बबीता बोरूंदा के डांगों की ढाणियों की रहने वाली थी. ये तीनों बहनें शादीशुदा थीं. पोकर राम जाट की इन तीनों बेटियों में सीमा का अभी गौना नहीं हुआ था. तीनों बहनों और भींयाराम की निशानदेही पर पुलिस ने उसी दिन शाम को मंडोर 9 मील इलाके में नाले की तलाशी करवाकर चरणसिंह का धड़ भी बरामद कर लिया.

पुलिस की पूछताछ में चरणसिंह की नृशंस हत्या के लिए राक्षसी बनीं तीनों सगी बहनों की सामने आई कहानी में फिल्मों की तरह थ्रिल भी था और सस्पेंस भी. इस में प्यार भी था और नफरत भी. कुल जमा 5 किरदारों की कहानी थी यह. ये किरदार थे पति चरणसिंह, उस की पत्नी सीमा, साली प्रियंका और बबीता. साथ ही प्रियंका से 15 साल बड़ा उस का बौयफ्रैंड भींयाराम. इसे कथा कहानी पटकथा कुछ भी कहें, इस में आजाद ख्याल तीनों बहनों की महत्वाकांक्षाएं शामिल थीं. अपनी इच्छा से आजाद जीवन जीने के लिए तीनों बहनों ने ऐसा खूनी खेल खेला, जिस के बारे में चरणसिंह तो क्या कोई भी सोच तक नहीं सकता था कि उस की पत्नी और सालियां ऐसी नृशंसता करेंगी. हत्या की आरोपी तीनों बहनों और भींयाराम से पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—

बोरूंदा के डांगों के रहने वाले पोकर राम की 7 बेटियां हैं और एक बेटा. पोकर राम का बोरूंदा में चूना भट्टा था. इस से उस की ठीकठाक कमाई हो जाती थी. इसी कमाई से उस ने एकएक कर 7 बेटियों की शादी कर दी थी. इन में 4 बेटियां अपने ससुराल में पति और बच्चों के साथ सुखी हैं. बाकी रह गई 3 बेटियां सीमा, प्रियंका और बबीता. इन तीनों की भी शादी हो चुकी थी. इन में बबीता और प्रियंका ने अपनेअपने पति को छोड़ दिया था. सीमा सब से छोटी थी. उस की शादी 2013 में नागौर जिले के मेड़ता सिटी निवासी नेमाराम जाट के बेटे चरणसिंह उर्फ सुशील से हुई थी, लेकिन गौना नहीं होने के कारण सीमा अभी तक ससुराल नहीं गई थी.

तीनों बहनें पढ़ीलिखी थीं. सीमा वेटनरी (पशुपालन) सहायक थी. बबीता ने एएनएम (नर्सिंग) का कोर्स कर रखा था, लेकिन अभी उसे सरकारी नौकरी नहीं मिली थी. वह पटवारी भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी. प्रियंका भी स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर चुकी थी. वह एक मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) कंपनी से जुड़ी हुई थी और सौंदर्य व स्वास्थ्य संबंधी प्रसाधन सामग्री औनलाइन मंगा कर बेचने का काम करती थी. नागौर जिले के खींवसर थाना इलाके के कांटिया गांव का रहने वाला भींयाराम प्रियंका के साथ काम करता था. इसीलिए प्रियंका और भींयाराम की दोस्ती थी. भींयाराम पूर्व फौजी था. हालांकि वह प्रियंका से 15 साल बड़ा था, फिर भी दोनों में दोस्ती थी. प्रियंका और बबीता पतियों से अलग होने के बाद जोधपुर शहर के नांदड़ी इलाके में किराए पर रहती थीं. हालांकि इस बीच बबीता का रिश्ता दूसरी जगह तय हो गया था.

अगर चरणसिंह की बात करें तो वह प्रतिभाशाली युवक था. 10वीं और 12वीं की परीक्षा में मेरिट हासिल करने के बाद उस ने बीएससी की पढ़ाई की थी. इसी दौरान उस की शादी सीमा से हो गई थी. बाद में चरणसिंह ने जोधपुर के मंडोर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में एसआरएफ के रूप में काम किया. इसी दौरान चरणसिंह अच्छी नौकरी हासिल करने के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं देता रहा. इसी के चलते उस का चयन बैंक अधिकारी के रूप में हो गया. उसे पहली नियुक्ति उत्तर प्रदेश के अयोध्या में मिली. करीब 10-12 महीने काम करने के दौरान चरणसिंह का चयन राजस्थान के कृषि विभाग में सहायक कृषि अधिकारी के रूप में हो गया. इसी साल 23 मई को उस ने नौकरी ज्वाइन की थी.

चरणसिंह की शादी हुए 7 साल हो चुके थे. उस की उम्र भी 27 साल हो गई थी. साथ ही अच्छी सरकारी नौकरी भी मिल गई थी, लेकिन विवाहित होने के बावजूद वह पत्नी सुख से वंचित था. चरणसिंह के परिवार वाले काफी दिनों से सीमा का गौना कराने का दबाव डाल रहे थे, लेकिन सीमा के कहने पर उस के परिजन हर बार टाल जाते थे जबकि सीमा भी 23 साल की हो चुकी थी. चूंकि सीमा पत्नी थी, इसलिए चरणसिंह कई बार उस से मोबाइल पर बात कर लेता था. सीमा वैसे तो हंसहंस कर प्यार की बातें करती थी, लेकिन गौने के नाम पर भड़क जाती थी. चरणसिंह हंसमुख, स्मार्ट, सरकारी अधिकारी था, फिर भी पता नहीं किन कारणों से सीमा उसे पसंद नहीं करती थी. कहा जाता है कि वह समलैंगिंक थी. उस के किसी महिला से संबंध थे. वह पुरुषों से दूर रहना पसंद करती थी. इसीलिए वह गौना करा कर ससुराल नहीं जाना चाहती थी.

आरोप है कि सीमा के व्यवहार से परेशान चरणसिंह अपनी बड़ी साली प्रियंका से फ्लर्ट करता था. प्रियंका जीजासाली के रिश्ते को देखते हुए इस का विरोध नहीं कर पाती थी, लेकिन वह चरणसिंह की बातों से परेशान जरूर हो जाती थी. षडयंत्र ऐसा कि पुलिस भी चकरा गई कुछ दिन पहले जब चरणसिंह के परिवार की ओर से गौने का ज्यादा दबाव पड़ा, तो सीमा ने अपनी दोनों बड़ी बहनों प्रियंका और बबीता से कहा कि वह आत्महत्या कर लेगी लेकिन चरणसिंह के साथ नहीं जाएगी. इस पर बबीता और प्रियंका ने उस से कहा कि उसे आत्महत्या करने की जरूरत नहीं है, हम मिल कर उसे ही निपटा देंगे, जिस से तू परेशान है.

इस के बाद तीनों बहनें चरणसिंह की हत्या की साजिश रचने लगी. काफी सोचविचार के बाद उन्होंने अपनी योजना को अंतिम रूप दे दिया. चरणसिंह की हत्या को अंजाम देने के लिए उन्होंने बाजार से इलैक्ट्रिक ग्राइंडर कटर मशीन खरीदी. यह मशीन जोधपुर में प्रियंका व बबीता के मकान पर रख दी गई. योजना के तहत सीमा ने फोन कर चरणसिंह को 10 अगस्त को जोधपुर बुलाया. चरणसिंह उसी दिन अपनी मोटर साइकिल से जोधपुर पहुंच गया. सीमा उसे इंतजार करती मिली. वह चरणसिंह की मोटर साइकिल पर बैठ कर उसे अपनी दोनों बहनों के मकान पर नांदड़ी ले गई. वहां सीमा, प्रियंका व बबीता ने कुछ देर तो इधरउधर की बातें की, फिर चरणसिंह को शराब पिलाई. बाद में कोल्डड्रिंक में नींद की गोलियां मिला कर उसे पिला दी गईं.

कुछ ही देर में चरणसिंह अचेत हो गया, तो उसे एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया गया ताकि उस के होश में आने की कोई गुंजाइश ही न रहे. बाद में तीनों बहनों ने उसे गला दबा कर उसे हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया. इस के बाद तीनों ने इलैक्ट्रिक ग्राइंडर कटर मशीन से चरणसिंह के शव को 6 टुकड़ों में काटा. इन टुकड़ों को 3 थैलियों में भर दिया गया. शव के टुकड़े करने के दौरान फर्श पर फैले खून को साफ करने के लिए पूरे घर को धो दिया गया. इस सब के बाद तीनों बहनें मकान पर ताला लगा कर चरणसिंह की मोटर साइकिल से बोरूंदा पहुंची. वहां सीमा को उतार दिया गया. फिर प्रियंका और बबीता उसी मोटर साइकिल से मेड़ता सिटी गईं. वहां इन दोनों ने पब्लिक पार्क के बाहर चरणसिंह की मोटर साइकिल खड़ी कर दी.

मेड़ता सिटी से दोनों बहनें बस से जोधपुर आ गईं. इन बहनों के पास केवल एक स्कूटी थी. जिस पर शव के टुकड़ों को ले जा कर ठिकाने लगाना जोखिम भरा काम था. इसलिए प्रियंका ने अपने बौयफ्रैंड भींयाराम को फोन कर के जरूरी काम होने की बात कह कर बुलाया. भींयाराम 10 अगस्त की रात कार ले कर उन के मकान पर पहुंचा, तो प्रियंका और बबीता ने उसे चरणसिंह की हत्या कर टुकड़े थैलियों में भर कर रखने की बात बताई. साथ ही उस से उन्हें ठिकाने लगाने में मदद मांगी. भींयाराम ने इस काम में उन का साथ देने से इनकार कर दिया, तो प्रियंका व बबीता ने कहा कि अगर वह साथ नहीं देगा, तो तीनों बहनें सुसाइड कर लेंगी और सुसाइड नोट में मौत का जिम्मेदार उसे बता देंगी.

डरासहमा भींयाराम आखिर उन का साथ देने को राजी हो गया. उस ने तीनो थैलियां अपनी कार की पिछली सीट पर रखीं. दोनों बहनें आगे की सीट पर बैठ गईं. इन्होंने चरणसिंह के कटे हाथपैर और सिर वाली 2 थैलियां नांदड़ी में अपने घर से करीब 100 मीटर दूर सीवरेज लाइन में डाल दीं. धड़ वाली तीसरी थैली इन्होंने रातानाड़ा पुलिस लाइन के पीछे नाले में डालने की सोची, लेकिन वहां पुलिस का नाका देख कर वे लोग नागौर रोड़ की तरफ निकल गए, वहां नाले में तीसरी थैली फेंक दी. इस के बाद तीनों नांदड़ी आ गए. प्रियंका ने रात को डर लगने की बात कह कर भीयाराम को रोकने की कोशश की, लेकिन उस ने रुकने से इनकार कर दिया और अपने घर चला गया. हाथपैर व सिर वाली 2 थैलियां 11 अगस्त को नांदड़ी गोशाला के पीछे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की हौदी की सफाई के दौरान मिली थी. चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद 13 अगस्त को उन की निशानदेही पर धड़ वाली थैली बरामद की गई.

पुलिस ने 14 अगस्त को जोधपुर के एमजीएच अस्पताल में 5 डाक्टरों के मेडिकल बोर्ड से शव के 6 टुकड़ों का पोस्टमार्टम कराया. डाक्टरों की टीम ने शव के सभी 6 टुकड़ों के डीएनए सैंपल लिए ताकि पुष्टि हो सके कि ये एक ही व्यक्ति के थे. तीनों बहनें इतनी शातिर निकली कि जब चरणसिंह के लापता होने और मेड़ता सिटी थाने में गुमशुदगी दर्ज होने की खबरें सोशल मीडिया पर चलने लगीं, तो उन्होंने चरणसिंह के रिश्तेदारों को फोन कर पूछा कि वे कहां गायब हो गए? पुलिस ने 12 अगस्त को जब तीनों बहनों से अलगअलग पूछताछ की, तो वे पूरे आत्मविश्वास से पुलिस को छकाती रहीं और चरणसिंह की हत्या में अपना हाथ होने से इनकार करती रहीं.

बाद में पुलिस ने भींयाराम को भी हिरासत में ले लिया और सीसीटीवी फुटेज सहित अन्य कई सबूत उन के सामने रख कर पूछताछ की, तो वे टूट गईं और चरणसिंह की हत्या कर उस के शव के टुकड़े कर सीवरेज के नालों में फेंकने की बात स्वीकार कर ली. इस के बाद 13 अगस्त को चारों को गिरफ्तार कर लिया गया. पति चरणसिंह से नफरत करने वाली सीमा ने अपनी आजादी और शौक पूरे करने के लिए उसे मौत के घाट उतार कर खुद के साथ अपनी 2 बड़ी बहनों और एक बहन के दोस्त का जीवन बरबाद कर दिया. अपने पतियों की ना हो सकी तीनों बहनों ने पिता पोकर राम को बुढ़ापे में ऐसा दर्द दिया है कि वह जीते जी उसे सालता रहेगा.

(कहानी पुलिस सूत्रों और विभिन्न रिपोर्ट्स पर आधारित)

नोट-पुलिस ने सीमा के समलैंगिक संबंधों की पुष्टि की है, समाचार पत्रों में भी सीमा के समलैंगिक होने की बात छपी है.

 

UP Crime : पिता के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखी पत्नी तो गुस्साए बेटे ने कर दिया कत्ल

UP Crime : ससुर के लिए बहू बेटी जैसी होनी चाहिए. लेकिन वंशलाल की नजरों में बहू विनीता कुछ और ही थी, तभी तो उस ने उस की इज्जत लूट ली. इस का खामियाजा वंशलाल को ऐसा भुगतना पड़ा कि…

सुबह के करीब 10 बज रहे थे. फतेहपुर जिले के बिंदकी थानाप्रभारी नंदलाल सिंह थाने में मौजूद थे. वह एक शातिर बदमाश को गिरफ्तार कर के लाए थे और उस से उस के अन्य साथियों के बारे में जानकारी हासिल कर रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया. वह बेहद घबराया हुआ था. थानाप्रभारी ने उस पर एक नजर डाली फिर पूछा, ‘‘क्या बात है तुम कुछ परेशान लग रहे हो?’’

‘‘सर, मेरा नाम अनिल कुमार है. मैं कमरापुर गांव में रहता हूं और आप के थाने में तैनात होमगार्ड वंशलाल का बेटा हूं. बीती रात किसी ने मेरे पिता की हत्या कर दी. उन की लाश घर में ही पड़ी है.’’

अनिल की बात सुन कर थानाप्रभारी चौंकते हुए बोले, ‘‘क्या कहा, वंशलाल की हत्या हो गई. कल शाम को ड्यूटी पूरी कर घर गया था. फिर किस ने उस की हत्या कर दी. खैर, मैं देखता हूं.’’

चूंकि थाने में तैनात होमगार्ड की हत्या का मामला था, अत: थानाप्रभारी ने होमगार्ड इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी. फिर एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल शैलेंद्र कुमार, अखिलेश मौर्या तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को साथ लिया और जीप से घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. यह 17 मार्च, 2020 की बात है. कमरापुर गांव थाने से 8 किलोमीटर दूर बिंदकी अमौली रोड पर था. पुलिस को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. घटनास्थल पर पहुंच कर थानाप्रभारी निरीक्षण में जुट गए. वंशलाल की लाश घर के बाहर बरामदे में तख्त पर पड़ी थी. वह कच्छा बनियान पहने था. उस की होमगार्ड की वर्दी खूंटी पर टंगी थी. उस की हत्या शायद गला दबा कर की गई थी. उस की उम्र 55 साल के आसपास थी.

निरीक्षण के दौरान थानाप्रभारी नंदलाल सिंह की नजर मृतक के कच्छे पर पड़ी जो खून से तरबतर था. लग रहा था जैसे गुप्तांग से खून निकला था. शरीर पर अन्य किसी चोट का निशान नहीं था. पुलिस ने जांच की तो उस का गुप्तांग कुचला हुआ मिला. थानाप्रभारी को शक हुआ कि कही वंशलाल की हत्या नाजायज संबंधों के चलते तो नहीं हुई, किंतु उन्होंने अपना शक जाहिर नहीं किया. थानाप्रभारी नंदलाल सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी प्रशांत कुमार वर्मा, एएसपी चक्रेश मिश्रा तथा सीओ अभिषेक तिवारी भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर सबूत जुटाए.

डौग स्क्वायड टीम ने मौके पर डौग को छोड़ा. उस ने शव को सूंघ तख्त के 2 चक्कर लगाए, फिर भौंकते हुए गली की ओर बढ़ गया. 2 मकान छोड़ कर वह तीसरे मकान पर जा कर रुक गया और जोरजोर से भौंकने लगा. पर उस मकान में ताला लटक रहा था. पुलिस अधिकारियों ने उस मकान के बारे में पूछा तो मृतक के बड़े बेटे अनिल कुमार ने बताया कि इस मकान में उस का छोटा भाई मनीष कुमार अपनी पत्नी विनीता के साथ रहता है. बीती शाम मनीष घर पर ही था, पर रात में कहां चला गया, उसे पता नहीं है. अनिल की बात सुन कर पुलिस अधिकारियों को शक हुआ कि कहीं मनीष और विनीता ने मिल कर तो वंशलाल की हत्या नहीं कर दी. उन का फरार होना भी इसी ओर इशारा कर रहा था. पुलिस ने मनीष व विनीता की तलाश शुरू कर दी.

निरीक्षण के बाद घटनास्थल की काररवाई के बाद वंशलाल का शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया. इस के बाद पुलिस ने बरामदे में खूंटी पर टंगी मृतक की वर्दी की जामातलाशी कराई तो पैंट की जेब से एक छोटी डायरी तथा पर्स बरामद मिला. कमीज की जेब से एक मोबाइल फोन भी मिला. मोबाइल फोन खंगाला गया तो पता चला कि रात 9:24 बजे वंशलाल की एक नंबर पर आखिरी बार बात हुई थी. जांच में वह नंबर मनीष की पत्नी विनीता का निकला. जांच के हर बिंदु पर जब मनीष और विनीता शक के दायरे में आए तो एसपी प्रशांत कुमार वर्मा ने उन्हें पकड़ने के लिए सीओ अभिषेक तिवारी के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में थानाप्रभारी नंदलाल सिंह, एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल अखिलेश मौर्या, शैलेंद्र कुमार तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को शामिल किया गया.

तलाश बहू और बेटे की टीम ने सब से पहले मृतक वंशलाल के बड़े बेटे अनिल कुमार, तथा उस की पत्नी रमा देवी के बयान दर्ज किए. अनिल कुमार ने अपने बयान में बताया कि पिताजी रंगीनमिजाज और शराब के आदी थे. मनीष की पत्नी विनीता ने अम्मा से उन की रंगीनमिजाजी की शिकायत भी की थी. इसी आदत की वजह से मनीष और विनीता अलग रहने लगे थे. संभव है कि उन की हत्या में उन दोनों का हाथ हो. पुलिस टीम ने मृतक वंशलाल के पड़ोस में रहने वाले कुछ खास लोगों से बात की तो पता चला कि वंशलाल दबंग किस्म का व्यक्ति था. वह होमगार्ड जरूर था, पर गांव के लोग उसे छोटा दरोगा कहते थे. गांव का कोई भी मामला थाने पहुंचता तो उस का निपटारा वंशलाल द्वारा ही होता था. मनीष जब घर से अलग हुआ था, तब ऐसी चर्चा फैली थी कि वंशलाल अपनी बहू पर गलत नजर रखता था, जिस से वह अलग रहने लगी थी.

पुलिस टीम ने मनीष और विनीता की तलाश तेज कर दी और विनीता के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर भी लगा दिया गया. इस के अलावा पुलिस ने अपने खास मुखबिरों को भी उन की टोह में लगा दिया. विनीता का मायका नगरा गांव में था. उस की लोकेशन भी वहीं की मिल रही थी. अत: पुलिस टीम ने आधी रात को विनीता के पिता विजय पाल के घर छापा मारा, लेकिन मनीष और विनीता पुलिस के हाथ नहीं लगे. 20 मार्च, 2020 को पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर फरीदपुर मोड़ से मनीष और उस की पत्नी विनीता को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उन दोनों से वंशलाल पाल की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो वे दोनों टूट गए और वंशलाल की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस टीम ने वंशलाल पाल उर्फ बैजनाथ पाल की हत्या का परदाफाश करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो सीओ अभिषेक तिवारी कोतवाली बिंदकी आ गए. उन्होंने कातिल मनीष कुमार तथा उस की पत्नी विनीता से विस्तृत पूछताछ की. अभियुक्तों के गिरफ्तार होने की जानकारी मिली तो सीओ अभिषेक तिवारी भी कोतवाली बिंदकी पहुंच गए और अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की. फिर आननफानन प्रैसवार्ता की. उन्होंने आरोपियों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा किया. चूंकि हत्यारोपी मनीष कुमार तथा विनीता ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी नंदलाल सिंह ने मृतक के बड़े बेटे को वादी बना कर धारा 302 आईपीसी के तहत मनीष और विनीता के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन्हेें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस जांच में एक ऐसी बहू की कहानी सामने आई, जिस ने पति के साथ मिल कर कामी ससुर को ठिकाने लगाने की गहरी साजिश रची. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिंदकी थाना क्षेत्र में एक गांव है नगरा. इसी गांव में विजय पाल अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी पूनम के अलावा 2 बेटे राजन, अजय तथा 2 बेटियां अनीता व विनीता थीं. विजय पाल के पास मात्र 2 बीघा उपजाऊ भूमि थी. इस की उपज से उस के परिवार का भरणपोषण मुश्किल था. अत: वह दूध का व्यवसाय भी करने लगा. इस काम में उस के दोनों बेटे भी सहयोग करते थे. छोटी बेटी विनीता 4 भाईबहनों में तीसरे नंबर की थी. हाईस्कूल पास करने के बाद वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन मातापिता दूरदराज कस्बे में पढ़ाने को राजी न थे, इसलिए उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

जब विनीता सयानी हो गई तो उस की शादी कमरापुर गांव के मनीष से कर दी गई. मनीष का पिता वंशलाल उर्फ बैजनाथ पाल बिंदकी थाने में होमगार्ड था. उस के परिवार में पत्नी माया देवी के अलावा 2 बेटे अनिल कुमार, मनीष कुमार तथा एक बेटी रूपाली थी. वंशलाल पाल की आर्थिक स्थिति अच्छी थी. गांव में उस के 2 मकान तथा 2 एकड़ खेती की जमीन थी. 2015 में वंशलाल ने छोटे बेटे मनीष की शादी नगरा गांव की विनीता से कर दी. कुछ ही दिनों में विनीता ने अपने काम और व्यवहार से अपने पति, सासससुर को प्रभावित किया. विनीता का पति व जेठ सबेरा होते ही खेत पर चले जाते थे, जबकि ससुर वंशलाल ड्यूटी करने थाना बिंदकी जाता था. वह शाम को 7 बजे के बाद ही लौटता था. कभी वह शराब पी कर घर आता तो कभी घर पर बैठ कर पीता था.

विनीता को शराब से नफरत थी, पर वह मना भी नहीं कर सकती थी. वैसे भी पूरे घर पर ससुर का ही राज था. उस की इजाजत के बिना कोई कुछ काम नहीं कर सकता था. कृषि उपज का हिसाबकिताब तथा अन्य खर्चों का लेखाजोखा भी वही रखता था. अगर विनीता को जेब खर्च के लिए पैसे की जरूरत होती थी, तो वह भी ससुर से ही मांगती थी. बात उन दिनों की है, जब विनीता की जेठानी रमा मायके गई हुई थी. घर की साफसफाई से ले कर खाना पकाने तक की जिम्मेदारी विनीता पर थी. इधर कुछ दिनों से विनीता घूंघट के भीतर से ही अनुभव कर रही थी कि ससुर वंशलाल जब खाना खाने बैठता है, तो उस की नजर उस के चेहरे पर ही जमी रहती है.

वह उस के खाना पकाने की तारीफ करता, साथ ही ललचाई नजरों से उसे देखता भी था. विनीता समझ नहीं पा रही थी कि आखिर ससुरजी के मन में चल क्या रहा है. उन्हीं दिनों एक शाम विनीता रसोई में खाना पका रही थी कि ससुर वंशलाल आ पहुंचा. वह नशे में था. ससुर को देख कर विनीता ने सिर पर साड़ी का पल्लू डाल लिया और पूर्ववत अपने काम में लगी रही. औपचारिकता के नाते उस ने पूछा, ‘‘बाबूजी, आप को किसी चीज की जरूरत है क्या?’’

‘‘विनीता, बहुत अच्छी खुशबू आ रही है.’’ पीछे से वंशलाल ने विनीता के कंधे पर हाथ रखा और उसे धीमेधीमे दबाते हुए बोला, ‘‘खुशबू से भूख जाग गई है.’’

ससुर के इस व्यवहार से विनीता सकपका गई. पिता समान कोई ससुर ऐसे मस्ताने अंदाज में बहू का कंधा नहीं दबाता. विनीता के मन में यह खयाल भी सिर पटकने लगा कि ससुर का इशारा किस खुशबू की तरफ है, भोजन की खुशबू या उस के बदन की खुशबू. उस को कौन सी भूख जागी है, पेट की या कामनाओं की. विनीता असहज हो चली थी वह अपने कंधे से उस का हाथ हटाना ही चाह रही थी कि वंशलाल ने खुद ही हाथ हटा लिया और एकदम से उस के सामने आ कर बोला, ‘‘बहू, जिन हाथों से तुम लजीज और खुशबूदार खाना बनाती हो, जी चाहता है उन हाथों को चूम लूं.’’

इसी के साथ वंशलाल ने उस का हाथ पकड़ लिया और उसे होंठोें से लगा कर दनादन चूमने लगा. विनीता हतप्रभ रह गई कि ससुर यह क्या कर रहा है. कहीं उस के मन में सचमुच पाप तो नहीं. विनीता के मस्तिष्क में विचारों की उथलपुथल चल ही रही थी कि वंशलाल ने खुद ही उस का हाथ छोड़ दिया. उस के बाद वह हंस कर बोला, ‘‘किसी दिन मैं फिर तुम्हारे हाथ के साथ होंठ भी चूमूंगा.’’

विनीता ने सोच लिया कि सब लोग इत्मीनान से खाना खा लेंगे तो वह सास माया को ससुर की करतूत बताएगी. लेकिन उस की यह इच्छा तब अधूरी रह गई, जब सास खाना खा कर चारपाई पर लेटी और थोड़ी ही देर में गहरी नींद के आगोश में समा गई. सास की नसीहत अगले दिन जब पति, जेठ व ससुर अपनेअपने काम पर चले गए, तब विनीता सास के पास जा बैठी, ‘‘अम्मा मुझे आप से एक जरूरी बात करनी है.’’

माया देवी हंसी, ‘‘एक नहीं चार बात करो बहू. मैं तो यही चाहती हूं कि तुम खूब बात करो. तुम्हारा मन बहल जाएगा और मेरा भी समय कट जाएगा.’’

‘‘अम्मा, मन बहलाने व समय काटने वाला मुद्दा नहीं है,’’ विनीता आहिस्ता से बोली, ‘‘मुझे जो कहना है, वह बात बहुत गंभीर है.’’

माया देवी भी संजीदा हो गई, ‘‘बोलो बहू, क्या बात है?’’

विनीता ने सिर झुका कर मर्यादित शब्दों में ससुर की करतूत कह डाली.

माया देवी ने पैनी निगाहों से बहू को देखा फिर बोली, ‘‘मनीष के बाबू ने नशे में कंधे पर हाथ धर दिया होगा और हाथ चूम लिया होगा. बस इतनी सी बात पर तुम शिकायत ले कर आ गई.’’

‘‘अम्मा…’’ विनीता के मुंह से घुटीघुटी सी चीख निकल गई, ‘‘मेरा खयाल था कि इस शिकायत से आप बाबूजी को मर्यादा का पाठ पढ़ाओगी, लेकिन आप तो उन्हें शह दे रही हो.’’

‘‘चुपऽऽ’’ माया देवी ने विनीता को डांट दिया, ‘‘एक तो जिस के पैसे का खातीपहनती है, जिस के घर में रहती है, सुबहसुबह उस की बुराई करने बैठ गई और दूसरे अम्माअम्मा किए जा रही है. उठ यहां से और अपना काम कर.’’ माया देवी ने विनीता को हड़काया. आंखों में आंसू लिए विनीता, सास के पास से उठ गई. उस की आंखें ही नहीं बरस रही थीं, दिल भी रो रहा था. सास की उदासीनता ने विनीता की घबराहट और बढ़ा दी थी. वह सोचने लगी अपनी अस्मत की हिफाजत के लिए उसे खुद ही कुछ करना होगा. लगभग एक सप्ताह तक ससुर ने कोई हरकत नहीं की तो विनीता थोड़ा निश्चिंत हो गई. सोचा कि शायद उसे कोई गलतफहमी हो गई हो. ससुर के मन में पाप नहीं है. पाप होता तो चुप हो कर नहीं बैठता.

किंतु दूसरे सप्ताह के शुरू में ही विनीता की गलतफहमी दूर हो गई. हुआ यह कि रोज की तरह विनीता शाम को खाना पका चुकी तो वह अपने कमरे में आ कर बैड पर लेट गई. वह आंखें बंद किए हुए लेटी थी, तभी उसे किसी के आने की आहट हुई. विनीता ने झट से आंखें खोल दीं, देखा सामने ससुर वंशलाल खड़ा मुसकरा रहा था. ससुर को देख कर विनीता घबरा गई और बैड से उठ कर खड़ी हो गई. उस ने सिर पर साड़ी का पल्लू डालते हुए पूछा,  ‘‘बाबूजी खाना लगा दूं क्या?’’

‘‘नहीं, मुझे पेट की नहीं शरीर की भूख सता रही है. आज मैं इस भूख को शांत करूंगा.’’ कहते हुए वंशलाल ने विनीता को अपनी बांहों में भर लिया. इज्जत पर आए संकट को देख विनीता ने जोर लगा कर खुद को छुड़ाया और बोली, ‘‘बाबूजी, आप नशे में हैं, इसलिए समझ नहीं पा रहे हैं कि आप को मुझ से ऐसी शर्मनाक बात नहीं करनी चाहिए.’’

वंशलाल के चेहरे पर कुटिल मुसकान फैल गई, ‘‘विनीता, नशे में ही आदमी सच बोलता है.’’

विनीता जानती थी कि ससुर वंशलाल अपनी बेशर्मी से बाज नहीं आने वाला, लिहाजा उस ने उस के सामने से हट जाने में ही अपनी भलाई समझी. कन्नी काट कर वह दूसरे कमरे में जा पहुंची. वहां वह सोचने लगी कि अब इस पूरे मामले को पति की जानकारी में लाना जरूरी हो गया है. वरना ससुर का हौसला इसी तरह बढ़ता रहा, तो वह उस की काया ही नहीं, आत्मा तक को मैली कर देगा. पति को बता दी पूरी कहानी  रात को कमरा बंद कर के विनीता पति के साथ बिस्तर पर लेटी तो वह उदास थी. मनीष ने उदासी का कारण पूछा तो विनीता की आंखों से गंगाजमुना बह निकली. हिचकियां लेते हुए उस ने पूरी दास्तान सुना दी फिर मनीष के कंधे पर सिर टिका कर बोली, ‘‘बाबूजी के मन में पाप समाया है. मेरी इज्जत खतरे में है. यहां रही तो मेरे तन पर अमिट दाग लग जाएगा. तुम दूसरा मकान ले लो. अब हम अलग रहेंगे.’’

मनीष ने कंधे से विनीता का सिर हटा कर उस के आंसू पोंछे, ‘‘अब मेरी समझ में आया कि नशे की झोंक में बाबूजी तुम्हारी इतनी तारीफ क्यों किया करते थे, उन का मन डोला हुआ था तुम पर.’’

‘‘इसीलिए तो मैं तुम से कह रही हूं,’’ विनीता उत्साहित हो कर बोली, ‘‘बाबूजी मेरी इज्जत पर हाथ डालें, उस से पहले ही तुम अपनी घरगृहस्थी अलग कर लो.’’ वह बोली.

मनीष कुछ देर सोचता रहा फिर बोला, ‘‘बात तो तुम सही कह रही हो, पर तुम्हें ले कर मैं अलग हुआ नहीं कि बाबूजी मुझे परिवार से अलग कर देंगे. तब हम खाएंगे क्या.’’

‘‘लालच छोड़ो और मेरी इज्जत के बारे में सोचो. हम मेहनतमजदूरी कर गुजारा कर लेंगे. भूखा भी रहना पड़ा तो रह लेंगे. पर इज्जत बचाने को घरगृहस्थी अलग कर लो.’’

पत्नी की बात मान कर मनीष ने अपनी गृहस्थी अलग करने की बात कही तो वंशलाल भड़क उठा, ‘‘बेशक तुम अलग रहो. पर मैं अपनी जमीन का एक इंच भी जोतनेबोने को नहीं दूंगा. तुम्हें खुद कमानाखाना पड़ेगा.’’

मनीष को पहले से यही उम्मीद थी. अत: उस ने पिता की धमकी की परवाह नहीं की और पिता के खाली पड़े मकान में अलग रहने लगा. उसे दहेज में जो सामान मिला था, उस से उस ने अपना घर सजा लिया और पत्नी के साथ रहने लगा. जेठानी रमा को देवरानी का अलग होना खलने लगा. क्योंकि अब उसे ही घर के कामों के अलावा सास की सेवा करनी पड़ती थी. सास मायादेवी बीमार रहने लगी थी, जिस से उन की दवा आदि का विशेष खयाल रखना पड़ता था. विनीता को भी जब समय मिलता था, तो सास की सेवा में पहुंच जाती थी . इस बहाने देवरानीजेठानी बतिया लेती थी. रामादेवी उसे चोरीछिपे घरगृहस्थी का सामान भी दे देती थी.

वंशलाल बना हैवान विनीता की मुश्किल तब बढ़ी जब मनीष जनवरी, 2019 में बीमार पड़ गया और उस का काम भी छूट गया. उस ने कुछ सप्ताह तो जैसेतैसे काटे और पति का इलाज भी कराया लेकिन जब आर्थिक परेशानी ज्यादा बढ़ी तो एक रोज उस ने ससुर वंशलाल को घर बुलाया और आर्थिक मदद की गुहार लगाई. विनीता पर वंशलाल की गिद्ध दृष्टि पहले से ही थी. अत: लालच में उस ने विनीता की आर्थिक मदद कर दी. इलाज होने पर मनीष स्वस्थ हो गया और फिर से काम करने लगा.

वंशलाल हर हाल में बहू के जिस्म को हासिल करना चाहता था. अत: मदद के बहाने वह विनीता के घर आनेजाने लगा. ससुर होने के नाते विनीता कभी चाय को पूछ लेती तो कभी खाने को. विनीता घूंघट की ओट से ही ससुर से बातें करती थी और चायपानी देती थी. इस बीच वंशलाल किसी प्रकार की अश्लील हरकत नहीं करता था, जिस से विनीता को लगने लगा था कि शायद वह सुधर गया है, पर यह उस की भूल थी. एक शाम वंशलाल डयूटी से घर आया तो उसे पता चला कि उस का बेटा अपनी ससुराल नगरा गया है. यह पता चलते ही उस के जिस्म की भूख जाग उठी. उस ने मन ही मन निश्चय किया कि आज वह अपनी भूख मिटा कर ही रहेगा.

रात 10 बजे जब गली में सन्नाटा पसर गया तो वह विनीता के घर पहुंचा और कुंडी खटखटाई. विनीता ने सोचा कि कहीं मनीष तो नहीं लौट आया. उस ने अलसाई आंखों से दरवाजा खोल दिया. सामने ससुर वंशलाल खड़ा था. इस से पहले कि विनीता कुछ पूछती, ससुर ने अंदर आ कर दरवाजा बंद किया और बहू विनीता को दबोच लिया. फिर वह उसे बिस्तर पर ले गया और मनमानी करने लगा. विनीता ने ससुर की बांहों से छूटने का भरसक प्रयास किया, गिड़गिड़ाई, इज्जत की दुहाई दी, पर वंशलाल पर तो हवस का शैतान सवार था. हाथपांव चलाने के बावजूद उस ने विनीता को नहीं छोड़ा. शारीरिक भूख मिटाने के बाद ही वह विनीता के जिस्म से अलग हुआ. इस के बाद वह वापस चला गया.

विनीता चाहती तो चीखचिल्ला कर पूरे मोहल्ले को इकट्ठा कर लेती. पर उस ने ऐसा कुछ नहीं किया. इस की वजह यह थी कि लोग उसे ही दोषी ठहराते. पुलिस में जाती तो उस की कोई नहीं सुनता. क्योंकि वह बिंदकी थाने में ही ड्यूटी करता था. बाहर भी उस की सुनवाई नहीं होती. इसलिए इज्जत लुटाने के बावजूद वह चुप रही. दूसरे रोज पति आया तो उस ने उसे भी कुछ नहीं बताया. क्योंकि बताने से बापबेटे में द्वंद होता फिर पूरे गांव में इज्जत नीलाम होती. इसलिए सारा जहर विनीता स्वयं ही पी गई. इधर जब घर में कोई शोरशराबा या शिकवाशिकायत नहीं हुई तो वंशलाल का हौसला बढ़ गया. उसे लगा कि विनीता ने दिखावे के तौर पर विरोध किया, पर अंतर्मन से उस की भी रजामंदी है.

हौसला बढ़ते ही एक शाम वंशलाल, विनीता के घर आ पहुंचा. उस ने मदद के नाम पर विनीता की हथेली पर हजार रुपए रखे, फिर उसे बिस्तर पर ले गया और हवस मिटा कर चला गया. इस के बाद तो यह सिलसिला ही बन गया. वंशलाल को जब भी मौका मिलता, बहू के साथ खेल लेता. परंतु गलत काम ज्यादा दिन छिपा नहीं रहता. वंशलाल के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस शाम वंशलाल बहू से मुंह काला कर के घर से निकल रहा था, तभी मनीष आ गया. मनीष ने बाप को घर से निकलते देखा तो उस का माथा ठनका. वह अंदर पहुंचा तो विनीता अर्धनग्न अवस्था में बिस्तर पर बैठी सुबक रही थी.

विनीता को उस अवस्था में देख कर मनीष समझ गया कि चंद मिनट पहले ही ससुरबहू ने वासना का खेल खेला है. अत: उस ने गुस्से में विनीता की पिटाई की फिर उस का गला दबाते हुए बोला, ‘‘बता यह सब कब से चल रहा है?’’

विनीता ने किसी तरह अपना बचाव किया फिर बोली, ‘‘मेरा गला क्यों दबा रहे हो. दबाना ही है तो अपने बाप का दबाओ, जो मुझे जबरदस्ती हवस का शिकार बनाता है. मैं गिड़गिड़ाती रहती, पर हवस के उस दरिंदे को जरा भी दया नहीं आती.’’

मनीष ने रची बाप की हत्या की साजिश मनीष ने पत्नी की बात पर सहज भरोसा कर लिया. फिर गुस्से से बोला, ‘‘अगर ऐसी बात है तो बाप को सबक सिखाना ही पड़ेगा. पर इस के लिए मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.’’

‘‘मैं साथ देने को तैयार हूं,’’  विनीता ने वादा किया.

इस के बाद मनीष और विनीता ने वंशलाल की हत्या की योजना बनाई और समय का इंतजार करने लगे. 16 मार्च, 2020 की शाम 7 बजे होमगार्ड वंशलाल थाना बिंदकी से ड्यूटी पूरी कर घर लौटा. फिर शराब पीने बैठ गया. रात 9 बजे उस ने खाना खाया और घर के बाहर बरामदे में आ कर वर्दी उतार कर खूंटी पर टांग दी और तख्त पर लेट गया. उसे लेटे हुए अभी चंद मिनट ही बीते थे कि उस के मोबाइल पर काल आई. उस ने मोबाइल नंबर देखा तो विनीता का था. वंशलाल ने काल रिसीव की तो विनीता बोली, ‘‘बाबूजी, मनीष घर पर नहीं है. मैं घर पर अकेली हूं. डर लग रहा है. आप आ जाइए.’’

वंशलाल बहू की चाल को समझ नहीं पाया और बोला, ‘‘तुम डरो मत, मै तुरंत आ रहा हूं.’’

इस के बाद वह कच्छाबनियान पहने ही विनीता के घर पहुंच गया. घर पर मनीष घात लगाए बैठा ही था. वंशलाल के पहुंचते ही उस ने उसे दबोच लिया. पहले दोनों ने वंशलाल कोे लातघूंसों से पीटा, फिर अंगौछे से गला कस कर मार डाला. इस बीच नफरत से भरी विनीता ने फुंकनी से ससुर के गुप्तांग पर चोट पहुंचाई और बुरी तरह कुचल डाला, जिस से खून बहने लगा. हत्या करने के बाद दोनों मिल कर शव को तख्त पर डाल गए फिर घर में ताला लगा कर फरार हो गए. सुबह अनिल जब दिशामैदान को घर से निकला तो उस ने पिता का शव तख्त पर पड़ा देखा. अनिल ने शोर मचाया तो पड़ोसी आ गए. फिर अनिल थाना बिंदकी पहुंचा और बाप की हत्या की सूचना दी.

मनीष और उस की पत्नी विनीता से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 21 मार्च, 2020 को दोनों को फतेहपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रेट बी.के. सहगल की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधा

Love Stories : चादर में लपेटा लिवइन रिलेशन

Love Stories : 10 महीने से बंद कमरे का ताला तोड़ कर बलवीर सिंह राजपूत ने कमरे की सफाई की तो उन्हें फ्रिज के अंदर चादर में लिपटी एक युवती की लाश मिली. कौन थी वह युवती और किस ने की उस की हत्या? पढ़ें, रहस्य से भरी यह कहानी.

10 जनवरी, 2025 की सुबह की बात है. कड़ाके की सर्दी थी और कोहरे की चादर भी फैली हुई hथी, लेकिन हौलेहौले अस्तित्व में आती सूरज की किरणों ने कोहरे से लडऩा शुरू किया तो मौसम का मिजाज तेजी से बदलने लगा. सर्दी कम होती चली गई, साथ ही कोहरे की चादर भी हटती चली गई. इसी बीच देवास में भोपाल रोड स्थित पौश कालोनी वृंदावनधाम में किराए पर रहने वाले बलवीर राजपूत ने बीएनपी (बैंक नोट प्रैस) थाने को फोन कर सूचना दी कि कालोनी के मकान नंबर 128 से दुर्गंध आ रही है. जिस कमरे से दुर्गंध आ रही है, उस के दरवाजे पर पिछले 10 महीने से ताला लगा हुआ था.

दुर्गंध आने की सूचना मिलते ही टीआई अमित सोलंकी समझ गए कि वहां कुछ न कुछ गड़बड़झाला अवश्य है. क्योंकि इस तरह की जो भी सूचनाएं मिलती हैं, उन में से ज्यादातर मामले हत्या के ही निकलते हैं. बहरहाल, एसएचओ पुलिस टीम के साथ वृंदावनधाम कालोनी की तरफ निकल गए. निकलने से पहले उन्होंने इस की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. जिस मकान से दुर्गंध आने की बात कही गई थी, वह 2 मंजिला था. टीआई और अन्य पुलिसकर्मियों ने भी कमरे से आती दुर्गंध को महसूस किया था. उस कमरे के ठीक बगल वाले 4 कमरों में बलवीर राजपूत अपने परिवार के साथ रह रहा था.

बलवीर ने पुलिस को बताया कि वह जुलाई 2024 से धीरेंद्र श्रीवास्तव के इस मकान के एक भाग को किराए पर ले कर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है. उसे अपने बच्चों की पढ़ाईलिखाई के लिए और कमरों की जरूरत महसूस हुई तो उस ने मकान मालिक धीरेंद्र श्रीवास्तव से मोबाइल पर बात कर तकरीबन 10 महीनों से बंद पड़े 2 कमरे भी उसे किराए पर देने के लिए अनुरोध किया. मकान मालिक धीरेंद्र श्रीवास्तव ने बलवीर को बताया कि उन कमरों में पूर्व में रहने वाले किराएदार संजय पाटीदार (41) का कुछ घरेलू सामान रखा हुआ है और अभी कमरे पर संजय पाटीदार का ही ताला लगा हुआ है. उस से मैं कई बार अपना सामान उठा कर ले जाने के लिए कह चुका हूं, लेकिन वह पिछले 6 महीने से बहानेबाजी कर रहा है.

कभी कहता है कि मेरी सास को हार्ट अटैक आ गया है तो कभी कहता है कि मेरे चाचा के बेटे का निधन हो गया है, इसलिए आने में असमर्थ हूं. आप मुझे कुछ समय की मोहलत और दे दीजिए और मेरे सामान को कमरे में रखा रहने दें, मैं जल्द ही आप का पूरा किराया दे कर अपना सामान उठा कर ले जाऊंगा.

किस की थी फ्रिज में रखी लाश

वह न तो मुझे समय पर किराया दे रहा है न ही कमरे का ताला खोल रहा है, जबकि इस से पहले  वह हर महीने मुझे औनलाइन किराया भेज देता था. इसलिए तुम ऐसा करो कि ताला तोड़ कर कमरे में रखा संजय पाटीदार का सामान कमरे के बाहर रख दो और कमरे की साफसफाई कर के उसे अपने उपयोग में लेना शुरू कर दो. इस पर बलवीर ने कमरे में लगे ताले को 8 जनवरी की रात को तोड़ दिया था. इस के बाद जैसे ही वह कमरे में घुसा तो उसे गृहस्थी के सामान के साथ कपड़े में लपेट कर रखा हुआ फ्रिज दिखाई दिया, जोकि बिना उपयोग में आए चल रहा था.

बलवीर ने बिजली की खपत कम करने के मकसद से फ्रिज का स्विच औफ कर दिया और कमरे की कुंडी लगा कर अपने कमरे में सोने चला गया. 9 जनवरी को सुबह होने पर बलवीर ने उस बंद पड़े कमरे की साफसफाई की, लेकिन कमरे में रखे संजय पाटीदार के सामान के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की, उसे यथावत कमरे में ही रखा रहने दिया. 10 जनवरी, 2025 को दोपहर के वक्त जब संजय पाटीदार के कमरे से तेज दुर्गंध आने लगी तो बलवीर सिंह राजपूत ने कमरे की कुंडी खोल कर देखा तो बंद फ्रिज में से खून रिसने के साथ ही तेज दुर्गंध आ रही थी. बलवीर ने समय न गंवाते हुए तुरंत बीएनपी (बैंक नोट प्रेस) थाने को इस की सूचना दी.

सूचना पर पहुंची पुलिस टीम ने लोगों की मौजूदगी में जैसे ही फ्रिज का दरवाजा खोला, तभी चादर में लिपटी फ्रिज में करीने से रखी कोई चीज फ्रिज में से बाहर गिर गई. पुलिस ने जब उस चीज की चादर हटाई तो उस में एक महिला की लाश थी. लाश को चादर से बाहर निकालते ही घर में बदबू फैल गई. मृतका की उम्र 30-35 साल से ज्यादा नहीं लगती थी. पता चला कि वह संजय पाटीदार के साथ रहने वाली प्रतिभा उर्फ पिंकी थी. उस के गले में दुपट्टा कसा हुआ था, साथ ही उस के हाथ भी बंधे हुए थे.

पुलिस ने उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में मकान को छान मारा, लेकिन वहां पर कुछ भी आपत्तिजनक सामान नहीं मिला. सिर्फ मृतका के संजय पाटीदार के साथ फोटो और दस्तावेज के. उसी दौरान एसपी पुनीत गहलोद, एएसपी जयवीर भदौरिया, प्रैस फोटोग्राफर तथा फिंगरप्रिंट ब्यूरो के सदस्य भी वहां पहुंच गए. मौकामुआयना करने के बाद टीआई को दिशानिर्देश देने के बाद एसपी पुनीत गहलोत लौट गए.

पहले पति को क्यों छोड़ा पिंकी ने

देखते ही देखते यह खबर समूची वृंदावन धाम कालोनी में फैल गई कि किसी ने प्रतिभा उर्फ पिंकी की हत्या कर दी है. थोड़ी देर में कालोनी के लोग काफी बड़ी संख्या में मौकाएवारदात पर जमा हो गए. पुलिस ने पड़ोसियों से पिंकी की हत्या के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उस की हत्या के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. वैसे मार्च 2024 के बाद किसी ने भी पिंकी को वृंदावनधाम कालोनी में नहीं देखा था. जब भी किसी पड़ोसी ने संजय पाटीदार से पिंकी के बारे में पूछा तो उस ने उन्हें यही बताया कि उस की मम्मी को हार्ट अटैक आ गया है, इसलिए वह अपनी मम्मी की देखभाल के लिए गई है.

पुलिस को लगा कि जरूर दाल में कुछ काला है. इस के बाद पुलिस के शक की सुई संजय पाटीदार पर ही टिक गई. मामला गंभीर था, इसलिए मौके पर मौजूद टीआई ने इनवैस्टीगेशन के लिए उज्जैन से फोरैंसिक टीम को भी वहां बुला लिया. फोरैंसिक टीम की 2 महिला अधिकारियों ने बारीकी से घटनास्थल और मृत महिला की लाश का निरीक्षण करने के बाद मौके से जरूरी सबूत सावधानीपूर्वक एकत्रित कर लिए. इस बीच पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए देवास के जिला अस्पताल में भिजवा दिया.

हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए एसपी पुनीत गहलोत ने एएसपी जयवीर भदौरिया, टीआई अमित सोलंकी के अलावा क्राइम ब्रांच और साइबर सेल टीम को भी लगा दिया. टीम ने अपने स्तर पर गहनता के साथ इस जघन्य हत्याकांड की छानबीन शुरू कर दी. इस का परिणाम यह निकला कि पुलिस टीम को मृतका पिंकी और संजय पाटीदार के बारे में तमाम सारी चौंकाने वाली जानकारियां मिल गर्ईं. इन जानकारियों से तमाम सारे राज परतदरपरत खुलते चले गए. पता चला कि पिंकी संजय की पत्नी नहीं थी, वह तो संजय पाटीदार के साथ पिछले 5 सालों से लिवइन रिलेशनशिप में रह रही थी. संजय से पहले उस ने 2016 में राजस्थान के सुभाष माहेश्वरी से लव मैरिज की थी, लेकिन यह शादी ज्यादा समय तक नहीं चली, क्योंकि पिंकी ने शादी के बाद बेहतरीन जिंदगी जीने के सपने संजो रखे थे.

पिंकी के ख्वाब चकनाचूर हुए तो उस की अपने पति सुभाष से अनबन रहने लगी. पति ने उसे बहुत समझाया, लेकिन छोटीछोटी बातों पर झगड़ा होना आए दिन की बात हो गई तो रिश्तों में कड़वाहट बढऩे लगी. शिकवेशिकायतों के बीच दोनों 2017 में एकदूसरे से अलग हो गए तो पिंकी राजस्थान से अपने पैतृक शहर उज्जैन लौट आई. पिंकी की जिंदगी किस दिशा में जाने वाली थी, यह वह खुद भी नहीं जानती थी, लेकिन यह भी सच था कि वह आजादी की जिंदगी जीना चाहती थी. पति से अलगाव के बाद वह मायके आ गई. उस का यह कदम फेमिली वालों को खासकर उस के पापा और भाई को कतई रास नहीं आया. लेकिन पिंकी अपने सामने किसी दूसरे की चलने नहीं देती थी. उस के अडिय़ल रुख के कारण उस से आजिज आ कर फेमिली वालों ने भी उस से पूरी तरह से किनारा कर लिया.

ऐसी स्थिति में वह उज्जैन में ही अपने घर के ही करीब किराए पर कमरा ले कर रहने लगी. कुछ दिन बाद पिंकी की मुलाकात संजय पाटीदार से हुई. चंद मुलाकातों में दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. उन के बीच प्यार हो गया. पिंकी को संजय के सहारे की जरूरत थी. उधर संजय भी पिंकी की अदाओं और खूबसूरती का दीवाना बन चुका था. सरल स्वभाव की पिंकी ने अपने परिचितों और पड़ोसियों से संजय का परिचय अपने पति के रूप में कराया था. यह बात अलग थी कि दोनों का रिश्ता लिवइन रिलेशन का था.

10 महीने तक ठिकाने क्यों नहीं लगाई लाश

10 जनवरी, 2025 की दोपहर को हत्या के इस मामले में मृतका कि लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद अब पुलिस के लिए जांच को आगे बढ़ाने के लिए सब से जरूरी था, मृतका के साथ रहने वाले संजय पाटीदार को खोज निकालना. संजय पाटीदार को धर दबोचने के लिए एसपी ने एएसपी जयवीर भदौरिया को लगा दिया. उन्होंने पिंकी की लाश मिलने के चंद घंटों बाद ही संजय पाटीदार के ठौरठिकानों का पता लगाना शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी सूझबूझ से संजय पाटीदार को उज्जैन के मौलाना गांव से गिरफ्तार कर लिया और उसे ले कर देवास आ गए.

इस हत्या का राज खुल जाने के बाद पहली गिरफ्तारी संजय पाटीदार की हुई थी, अत: देवास के (बैंक नोट प्रेस) बीएनपी थाने में संजय पाटीदार से पूछताछ शुरू हुई. पहले तो वह पुलिस को बहकाता रहा, लेकिन जब पुलिस ने उस पर मनोवैज्ञानिक ढंग से दबाव बनाया तो उस ने प्रतिभा उर्फ पिंकी की हत्या 2 मार्च, 2024 को ही अपने मित्र विनोद दवे के साथ मिल कर करने और लाश घर में रखे फ्रिज में छिपाने की बात कुबूल कर ली. संजय पाटीदार ने अपनी गिरफ्तारी के बाद पिंकी की हत्या करने के पीछे की जो वजह बताई, वह लिवइन रिलेशनशिप में दरकते रिश्तों की चौंकाने वाली कहानी निकल कर आई.

संजय पाटीदार मूलरूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के मौलाना गांव का रहने वाला था. जैसे ही संजय जवान हुआ, उस के पेरेंट्स ने उस की शादी कर दी. उस की पत्नी उस के साथ उज्जैन में रहती थी और वह उज्जैन की अनाज मंडी में काम करता था. उस का काम काफी अच्छा चल रहा था. वह जो पैसे कमाता, उस में से कुछ पैसे अपने पापा के पास भेज देता था. इस बीच उस की पत्नी 2 बच्चों की मां बन गई थी. बताया जाता है कि इस बीच संजय ने मंडी के काम को छोड़ दिया और उज्जैन में रह कर स्वयं का फ्रीगंज इलाके में एक मल्टीलेवल मार्केटिंग (एमएलएम) कंपनी का औफिस खोल लिया. इसी कंपनी में प्रतिभा उर्फ पिंकी भी काम करती थी. इसी दौरान दोनों के बीच दोस्ती हो गई. बाद में उन के बीच प्रेम संबंध बन गए तो दोनों लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे.

उज्जैन में संजय ने शहर की विवेकानंद कालोनी, अन्नपूर्णा नगर, तिरुपति धाम में किराए पर कमरा ले कर पिंकी को अपने साथ रखा. जब एमएलएम का काम अच्छा नहीं चला तो कुछ समय बाद संजय ने इस काम को बंद कर दिया और 2023 में प्रतिभा को उज्जैन से देवास ले आया और वृंदावनधाम कालोनी में धीरेंद्र श्रीवास्तव का मकान किराए पर ले कर रहने लगा. धीरेंद्र इंदौर में रहते थे. वृंदावनधाम कालोनी में आने के बाद अपनी गृहस्थी चलाने के लिए देवास मंडी में काम करना शुरू कर दिया, वहीं पिंकी ने घर में ही रह कर कालोनी की महिलाओं के कपड़े सिलने का काम शुरू कर दिया. यहां पर भी पड़ोसियों के द्वारा पति के बारे में पूछने पर पिंकी ने संजय को अपना पति बताया था. पिंकी ने कुछ पड़ोसियों को यह भी बताया था कि देवास आने के पहले उस का 2 साल का बेटा भी था, जिस की निमोनिया से उपचार के दौरान मौत हो चुकी है.

कालोनी में रहने वाले लोगों से जब पुलिस ने पड़ताल के दौरान बात की तो सभी ने इस बात पर ज्यादा हैरानी जताई कि (पिंकी और संजय) दोनों शादीशुदा नहीं थे. पता चला कि पिंकी अपनी आजीविका चलाने के लिए देवताओं की मूर्तियों की सुंदरसुंदर पोशाकें सिलती थी. पुलिस को यह भी पता चला कि संजय उज्जैन के मौलाना गांव का रहने वाला है और वह पहले से शादीशुदा है और उस के पत्नी और बच्चे भी हैं. उस की बड़ी बेटी की तो शादी तक तय हो चुकी है. उन दोनों के बीच होने वाले झगड़े की असल वजह यह थी कि पिंकी संजय पाटीदार पर शादी करने के लिए दवाब बना रही थी.

पुलिस ने बताया कि प्रतिभा उर्फ पिंकी का अपने घर वालों से बीते 7 सालों से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं था. शनिवार 11 जनवरी, 2025 को पुलिस के बुलावे पर वह देवास पहुंचे. उन्होंने उस की लाश की शिनाख्त प्रतिभा उर्फ पिंकी प्रजापति के रूप में कर दी.

आखिर छिप न सका जुर्म

पिंकी के फेमिली वालों का कहना था कि 2016 में उस ने राजस्थान के सुभाष माहेश्वरी से हम लोगों की इच्छा के खिलाफ लव मैरिज कर ली थी. उस के बाद से हमारा प्रतिभा उर्फ पिंकी से कोई संपर्क नहीं था. पुलिस को पड़ोसियों से पता चला कि बलवीर सिंह चौहान से पहले इस मकान में जुलाई 2023 से जून 2024 तक संजय पाटीदार और प्रतिभा उर्फ पिंकी रहा करती थी, लेकिन किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि संजय इतना बेरहम इंसान हो सकता है. उधर संजय पाटीदार ने पुलिस पूछताछ में जब अपना गुनाह कुबूल कर लिया, तब पुलिस ने 11 जनवरी, 2025 को उसे कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेश किया और विस्तार से पूछताछ करने और सबूत जुटाने के लिए एक दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

रिमांड अवधि में टीआई अमित सोलंकी लोगों के गुस्से और हमले की आशंका के मद्देनजर भारी सुरक्षा के बीच उसे अपने साथ वृंदावन धाम कालोनी के मकान नंबर 128 ले कर पहुंचे. वहां उन्होंने उस से घटना का सीन रीक्रिएट कराया. उस ने पुलिस को यह भी बताया कि पिंकी उस के मित्र विनोद को जानती थी. इसलिए वह भी हम दोनों की तकरार के दौरान कमरे के भीतर पहुंच गया. इस दौरान हम दोनों में बातचीत होती रही. इस बातचीत के दौरान पिंकी शादी की हठ करने लगी. संजय ने अपने शादीशुदा होने का हवाला देते हुए उसे समझाने की भरसक कोशिश की, लेकिन वह कुछ भी सुनने को राजी नहीं थी.

दोस्त विनोद ने भी उसे समझाने का प्रयास किया तो वह उसे भी भद्दी गालियां देने लगी. जब संजय ने पिंकी से शादी करने से साफ इनकार कर दिया तो वह बुरी तरह तिलमिला गई और संजय को भी भद्दीभद्दी गालियां देने लगी. पिंकी की बदजुबानी से संजय की सहनशक्ति जवाब दे गई और इसी दौरान गुस्से में उस ने पिंकी के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया. हालांकि उस ने चिल्लाने का प्रयास किया तो विनोद ने उस का मुंह दबा दिया.

वह कुछ मिनट छटपटाने के बाद शांत हो गई. इस के बावजूद भी पूरी तरह आश्वस्त होने के लिए संजय ने पिंकी की छाती पर हाथ रख कर दिल की धड़कनों के बंद होने की जांच भी की थी. फिर विनोद की मदद से संजय ने पिंकी के दोनों हाथ बांधे और फ्रिज की सभी ट्रे बाहर निकालीं और अपने मित्र की मदद से उस के शव को चादर में बांध कर फ्रिज में ठूंस दिया. फिर फ्रिज को हाई पर सेट कर दिया. संजय पाटीदार के रिमांड अवधि और सभी तरह की तहकीकात पूरी होते ही पुलिस ने फिर से कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. भोलाभाला दिखाई देने वाला संजय पाटीदार अब सलाखों के पीछे है.

देवास के बैंक नोट प्रेस थाना पुलिस उज्जैन के इंगोरिया इलाके में रहने वाले संजय पाटीदार के मित्र और इस हत्या में संजय के सहयोगी रहे विनोद दवे को देवास लाने के लिए कोर्ट से प्रोटेक्शन वारंट ले कर राजस्थान की टोंक जेल जाने की तैयारी कर रही थी, साथ ही उसे भी हत्या के इस मामले में सहअभियुक्त बनाने के लिए विधिवत काररवाई की जा रही थी.

 

 

Extramarital Affair : दोस्‍त की बीवी को फंसाया और दोस्‍त को मौत के घाट उतारा

Extramarital Affair : राजवीर ने अपने फुफेरे भाई बबलू को गांव से अपने पास बहादुरगढ़ इसलिए बुला लिया था कि यहां वह उसे किसी फैक्ट्री में नौकरी पर लगवा देगा. बहादुरगढ़ आने के बाद राजवीर ने बबलू की नौकरी लगवा भी दी, लेकिन बबलू ने इस का यह सिला दिया कि उस ने राजवीर की पत्नी अंजलि से अवैध संबंध बना लिए. इस के बाद जो हुआ…

‘‘सा हब, मैं सहतेपुर गांव से अजय पाल बोल रहा हूं. मेरी भाभी अंजलि ने मेरे भाई राजवीर का बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया है. अंजलि भाभी को मैं ने पकड़ रखा है. आप जल्दी से हमारे गांव सहतेपुर आ जाइए.’’ अजय ने निगोही थाने में फोन करते हुए कहा. यह थाना उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के अंतर्गत आता है. निगोही थाने के इंचार्ज इंद्रजीत भदौरिया का ट्रांसफर अल्हागंज थाने में हो गया था. उस समय थाने का प्रभार एसएसआई मानबहादुर सिंह के पास था. एसएसआई के लिए यह हैरानी की बात थी कि एक औरत ने अपने पति को निर्दयता से मार डाला था.

एसएसआई ने घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दी, फिर आवश्यक पुलिस बल के साथ सहतेपुर गांव के लिए रवाना हो गए. कुछ ही देर में वह घटनास्थल पर पहुंच गए. मकान के एक कमरे में राजवीर की लाश पड़ी थी. उस की उम्र 28 साल के करीब थी. उस की गरदन व चेहरे पर चोट के निशान थे. पास में एक डंडा, एक लौकेट और टूटी चूडि़यां पड़ी थीं. डंडे से यह जाहिर हो रहा था कि शायद उसी डंडे से राजवीर की हत्या की गई है. पूछने पर पता चला कि टूटा पड़ा लौकेट मृतक राजवीर का ही है. यानी राजवीर ने अपने बचाव में हत्यारे से संघर्ष भी किया था, जिस वजह से लौकेट टूट कर जमीन पर गिर गया. टूटी चूडि़यों से यह भी पता चला कि घटना के समय कोई महिला भी वहां मौजूद थी.

लाश के पास ही एक युवती गुमसुम बैठी थी. उस के पास ही एक युवक खड़ा था. वह युवक एसएसआई से बोला, ‘‘साहब, मेरा नाम अजयपाल है. मैं ने ही आप को फोन किया था. यही मेरी भाभी अंजलि है. इस ने ही बबलू की मदद से मेरे भाई राजवीर की हत्या की है. बबलू तो भाग गया लेकिन इसे मैं ने भागने नहीं दिया. आप इसे गिरफ्तार कर लीजिए.’’

एसएसआई मान सिंह ने अंजलि को महिला कांस्टेबलों की सपुर्दगी में दे कर थाना निगोही भिजवा दिया. एसएसआई सिंह घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर सीओ (सदर) कुलदीप सिंह गुनावत भी आ गए. सीओ कुलदीप सिंह ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, फिर मृतक के भाई से पूछताछ की. इस के बाद एसएसआई सिंह को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर सीओ चले गए. एसएसआई सिंह ने घटनास्थल पर पड़ा डंडा, लौकेट व टूटी चूडि़यां साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कीं और लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी. इस के बाद एसएसआई मान सिंह थाने वापस लौट आए. यह 31 मई, 2020 की बात है.

थाने में एसएसआई मान सिंह ने अंजलि से पूछताछ की तो वह फूटफूट कर रोने लगी. कुछ देर बाद आंसुओं का सैलाब थमा तो वह बोली, ‘‘हां साहब, मैं ने ही बबलू की मदद से अपने पति की हत्या की है. मैं अपना जुर्म कबूल करती हूं.’’

‘‘यह बबलू कौन है?’’ सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, रिश्ते में बबलू मेरे पति का फुफेरा भाई है. वह निवाड़ी गांव का रहने वाला है.’’

चूंकि अंजलि ने अपने पति राजवीर की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था. अत: पुलिस ने अजय की तरफ से अंजलि व बबलू के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. उस के बाद सिंह ने अंजलि से विस्तृत पूछताछ की. उन्होंने अंजलि से पूछा, ‘‘तुम कैसी औरत हो कि अपना ही सिंदूर अपने हाथों से मिटा दिया. क्यों किया तुम ने ऐसा जघन्य अपराध?’’

अंजलि कुछ देर चुप रही, फिर वह बोली, ‘‘साहब, एक औरत रोज मरे, जलील हो तो वह क्या करेगी. मेरा पति मुझे रोज मारता था. मेरी आत्मा हर रात उस के बिस्तर पर मरती थी. बताइए, मैं कब तक सहती. जो मुझे जानवर समझता था, जिस ने मेरे साथ कभी इंसानों जैसा व्यवहार नहीं किया, जिस ने मेरी भावनाओं को कभी नहीं समझा. उस के हाथों हर रोज मरने के बदले मैं ने ही उसे मार डाला.’’

अंजलि के मन में बिलकुल ही पश्चाताप नहीं था. एक औरत, जिस की जिंदगी के मायने पति से शुरू हो कर उसी पर खत्म होते हैं, क्यों अपना सिंदूर मिटा देती है, यह जानने के लिए सिंह को अंजलि की पूरी कहानी जानना जरूरी था. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के निगोही थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव सहतेपुर है. इसी गांव में राजेंद्र पाल सपरिवार रहते थे. परिवार में उन की पत्नी लक्ष्मी देवी और 2 बेटे राजवीर और अजयपाल और 2 बेटियां क्रमश: ज्योति व रेनू थीं. राजेंद्र और लक्ष्मी का आकस्मिक देहांत हो गया तो घर की जिम्मेदारी सब से बड़े बेटे राजवीर पर आ गई. वह मेहनतमजदूरी कर के अपने परिवार का खर्च उठाने लगा. उस ने अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बड़ी बहन ज्योति का विवाह कर दिया.

इस के बाद राजवीर के विवाह के लिए भी रिश्ते आने लगे. तब उस ने करीब 4 साल पहले शाहजहांपुर की चौक कोतवाली के मोहल्ला अब्दुल्लागंज में रहने वाली युवती अंजलि से विवाह कर लिया. अंजलि को पा कर राजवीर काफी खुश था. समय आगे बढ़ा तो राजवीर ने काम के सिलसिले में बाहर निकलने की सोची. उस के गांव के कई युवक बहादुरगढ़ (हरियाणा) में नौकरी कर रहे थे. राजवीर ने उन से बात की तो उन्होंने उसे भी बहादुरगढ़ बुला लिया. जल्द ही वह बहादुरगढ़ की एक जूता फैक्ट्री में काम पर लग गया. काम पर लगते ही वह अंजलि को भी बहादुरगढ़ ले गया. समय बढ़ता जा रहा था लेकिन अंजलि मां नहीं बन पाई.

राजवीर फैक्ट्री से लौट कर कमरे पर आता तो वह इतना थका होता कि  चारपाई पर लेटते ही नींद के आगोश में समा जाता. अंजलि चारपाई पर करवटें ही बदलती रहती. राजवीर का एक फुफेरा भाई था बबलू. वह राजवीर के गांव से कुछ ही दूरी पर निवाड़ी गांव में रहता था. राजवीर ने बबलू को भी अपने पास बहादुरगढ़ बुला लिया और उसे भी फैक्ट्री में काम पर लगवा दिया. दोनों के काम की शिफ्टें अलगअलग थीं. बबलू राजवीर के साथ उसी के कमरे पर रहता था. बबलू की राजवीर की पत्नी अंजलि से खूब पटती थी. दोनों के बीच देवरभाभी का रिश्ता होने के कारण उन के बीच हंसीमजाक होती रहती थी. अंजलि पति की उपेक्षा का शिकार थी. पति न उस की कभी तारीफ करता था, न ही उसे देह सुख देता था, जिस से वह अभी तक मां नहीं बन पाई थी.

इस कारण वह अकसर उदास रहती थी. बबलू जब भी उस से बातें करता तो मनभावन मीठीमीठी बातें ही करता था. उस के रूप की प्रशंसा भी खूब करता था. इसी कारण अंजलि धीरेधीरे बबलू की ओर आकर्षित होने लगी. एक दिन जब राजवीर फैक्ट्री में था तो बबलू कमरे पर अंजलि के साथ कमरे पर था. अंजलि का चेहरा बुझाबुझा सा क्यों रहता है, इस का कारण बबलू  एक साथ रहने के कारण जान चुका था. अपनी अंजलि भाभी की आंखों में वह प्यास भी पढ़ चुका था. बबलू ने अंजलि का मन जानने के लिए सवाल किया, ‘‘भाभी, एक बात मुझे परेशान करती रहती है. यह बताओ कि थकेहारे राजवीर भैया ड्यूटी से लौटने के बाद खाना खाते ही सो जाते हैं. वह आप का खयाल नहीं रख पाते. आप की खुिशयों का खयाल कब करते हैं.’’

‘‘कैसी खुशियां…कैसा खयाल…’’ अंजलि के मुंह से सच निकल गया, ‘‘उन पर तो हर वक्त थकान ही हावी रहती है. घर आए और घोड़े बेच कर सो गए. उन की बला से कोई जिए या कोई मरे.’’ अंजलि ने दिल की बात कह डाली. मौके को देखते हुए बबलू ने एकदम अंजलि का हाथ थाम लिया, ‘‘भाभी, यह तो बहुत अन्याय है तुम्हारे साथ. इतनी सुंदर भाभी को कोई तड़पाए, यह मुझे मंजूर नहीं है.’’

‘‘तुम इस मामले में क्या कर सकते हो देवरजी. जिस की बीवी है, उसी को फिक्र नहीं.’’

‘‘कर तो बहुत कुछ सकता हूं भाभी,’’ कहते हुए बबलू ने अंजलि की कमर में बांहें डाल दीं, ‘‘अगर तुम कहो तो…’’

‘‘चलो, मैं ने हां कह दी,’’ अंजलि ने मुसकरा कर तिरछी चितवन का तीर चलाया, ‘‘फिर क्या करोगे तुम?’’

‘‘तुम्हारी सारी तड़प मिटा दूंगा.’’ बबलू ने उसे बांहों में भींचते हुए कहा. फिर उस ने अंजलि को चूमना शुरू किया. देवर की गर्म सांसों का अहसास हुआ तो अंजलि भी बबलू से लिपट गई. उस के बाद बबलू ने अंजलि को अपनी बांहों में वह सुख दिया, जो अंजलि ने अपने पति की बांहों में कभी नहीं पाया था. उस दिन से बबलू अंजलि के तन के साथ मन का साथी हो गया. दोनों एकदूसरे के दीवाने हो गए. जब भी उन्हें मौका मिलता, वे देह संगम कर लेते. कुछ दिन तो उन का यह संबंध निर्बाध चलता रहा, फिर एक दिन पाप का भांडा फूट गया. एक दिन राजवीर ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. यह देख कर उस का खून खौल उठा. उस ने अंजलि और बबलू की पिटाई की. दोनों ने राजवीर से अपने किए की माफी मांग ली. राजवीर ने फिर यह गलती न दोहराने की दोनों को सख्त हिदायत देते हुए माफ कर दिया.

अंजलि तन की शांति के लिए पतित हुई थी. राजवीर को चाहिए था कि वह बीवी की इच्छा पूरी करता, लेकिन राजवीर उन मर्दों में से था जो यह मानते हैं कि बिगड़ी हुई बीवी लातों की बात सुनती है. लिहाजा वह आए दिन अंजलि की पिटाई करने लगा. पति की मार खातेखाते अंजलि विद्रोही बन गई. बबलू से मिला सुख वह भुला नहीं पा रही थी. इसलिए अधिक दिनों तक वे दोनों अलग नहीं रह पाए. अंजलि और बबलू दोनों फिर देह के खेल में लग गए. एक बार फिर दोनों रंगेहाथों पकड़ लिए गए. एक बार फिर अपनी बेवफा पत्नी को राजवीर ने पीटा और बबलू को वापस उस के गांव भेज दिया. बबलू को भेज देने से राजवीर निश्चिंत हो गया. लेकिन अंजलि और बबलू की फोन पर बातें होती थीं.

इस बार दोनों के संबंधों की बात राजवीर के भाई और बहनों के साथसाथ बबलू के घर वालों को भी पता चल गई. बबलू के पिता सुरेंद्र ने उस की शादी के प्रयास करने शुरू कर दिए. इस बीच कोरोना वायरस के कारण देश में लौकडाउन हुआ तो राजवीर को बहादुरगढ़ से अंजलि के साथ अपने गांव सहतेपुर लौटना पड़ा. दूसरी ओर बबलू की शादी तय हो गई. 28 मई, 2020 को उस का तिलक था. अब चूंकि बबलू शादी कर रहा था तो राजवीर को यह लगा कि अब उस के अंजलि से संबंध यहीं खत्म हो जाएंगे.

राजवीर अंजलि, भाई अजय और दोनों बहनों ज्योति और रेनू के साथ बबलू के तिलक में शामिल होने के लिए गया. तिलक  के बाद बबलू ने राजवीर से बात कर के सारे गिलेशिकवे दूर कर दिए. 30 मई को राजवीर और अंजलि अपने घर आ गए, उन्हें छोड़ने के लिए साथ में बबलू भी आया. अजय, ज्योति व रेनू बबलू के घर पर ही रुक गए थे. शाम 5 बजे तक तीनों सहतेपुर गांव पहुंचे. बबलू राजवीर के घर पर ही रुक गया. देर रात राजवीर के सो जाने पर बबलू और अंजलि एकदूसरे के पास आ गए. दोनों साथ रंगरलियां मना ही रहे थे कि राजवीर की आंखें खुल गईं. उस ने देखा तो वह दोनों से झगड़ने लगा, उन में हाथापाई होने लगी.

इस पर अंजलि को गुस्सा आया, वह पति पर पिल पड़ी और बबलू से बोली, ‘‘आओ, आज इस का काम तमाम कर ही दो. फिर हमेशा के लिए हमारा रास्ता साफ हो जाएगा.’’

यह सुन कर बबलू भी राजवीर पर टूट पड़ा. इसी हाथापाई में राजवीर का लौकेट टूट कर जमीन पर गिर गया. अंजलि की भी चूडि़यां टूट गईं. दोनों ने राजवीर को जमीन पर गिरा लिया और उस के गले पर डंडा रख कर दबा दिया, जिस से दम घुटने से राजवीर की मौत हो गई. इस के बाद बबलू वहां से चला गया. सुबह 4 बजे अंजलि ने चीखना- चिल्लाना शुरू कर दिया. पड़ोस में रहने वाले राजवीर के चचेरे भाई संदीप ने अंजलि के चीखने की आवाजें सुनीं तो वह राजवीर के घर आ गया. उस ने देखा कि राजवीर जमीन पर बेसुध पड़ा था. उस के शरीर पर चोटों के निशान थे. बबलू घर में नहीं था. गांव के लोग भी वहां इकट््ठे हो गए थे. राजवीर की मौत हो चुकी है, यह जान कर संदीप ने राजवीर के भाई अजय पाल को फोन कर के सब बता दिया.

बड़े भाई राजवीर की मौत की बात सुन कर अजय पाल दोनों बहनों के साथ बबलू के घर वापस लौट आया, जिस के बाद कोहराम मच गया. अजय ने निगोही थाने फोन कर के घटना के बारे में बताया. पुलिस पहुंची और अंजलि को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो सारा मामला सामने आ गया. 31 मई, 2020 की रात में ही पुलिस ने बबलू को भी गिरफ्तार कर लिया गया. आवश्यक पूछताछ व जरूरी लिखापढ़ी के बाद दोनों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Family Dispute : पत्‍नी के सामने एक के बाद एक 5 सल्‍फास की गोलियां खाकर दी जान

Family Dispute : आजकल मांबाप 12-13 साल का होते ही बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा देते हैं, जिस में लगे इंटरनेट पर अच्छीबुरी  हर चीज मौजूद है. अगर यह कहा जाए कुछ किशोर सैक्स के बारे में मांबाप से ज्यादा जानते हैं तो गलत नहीं होगा. सौरभ भी ऐसा ही दिशाहीन युवक था. जिस ने…

एक साल के प्यार, 2 साल की रिलेशनशिप और 8 साल के प्रेम विवाह में रचना कभी इतना नहीं घबराई थी. इस दौरान वह हर तरह से, हर कदम पर बृजेश के साथ खड़ी रही थी. बृजेश कम ही कहां था, कोर्टमैरिज करते समय न उस के मायके वालों से घबराया, न अपने घर वालों से, जो उसे घर से निकालने की धमकी दे रहे थे. उन की धमकी से डरने के बजाय उस ने खुद ही उन की देहरी पर कदम न रखने की बात कह दी थी. कहा तो निभाया भी. बृजेश जिला मुरादाबाद के संभल का रहने वाला था और रचना अमरोहा के मोहल्ला कुरैशियान की. अमरोहा में बृजेश के बड़े भाई राजेश की ससुराल थी.

रचना रिश्ते में उस की साली लगती थी. राजेश कभीकभी भाई की ससुराल जाता था, वहीं उस की रचना से मुलाकात हुई और दोनों में प्यार हो गया. बाद में जब दिशू और परी आईं तो घर वालों का प्रेम जागा और वे लोग रचना बृजेश व दोनों बच्चियों को खुद घर ले गए. तब तक रचना के मायके वाले भी दामाद और बेटी के प्रेमिल रिश्ते को समझ गए थे. 10 साल लंबे साथ में रचना को कभी लगा ही नहीं कि बृजेश उसे प्यार नहीं करता या उसे उस पर विश्वास नहीं है. इतनी लंबी अवधि में रचना को न तो कभी ऐसी टेंशन हुई थी और न ही वह कभी इतनी घबराई थी. वजह यह कि तब हर कदम पर बृजेश उस के साथ खड़ा था, उस का हौसला बन कर.

वह इतना प्यार और विश्वास करने वाला पति था कि कभीकभी रचना को अपनी किस्मत पर नाज होने लगता था. फिर बृजेश को अचानक ऐसा क्या हो गया कि अपनी प्रेम संगिनी पर विश्वास ही नहीं रहा, उस के लिए वह दूषित हो गई, पराई सी लगने लगी.

कभीकभी वह बृजेश के पक्ष में सोचती तो उसे लगता, न बृजेश गलत है न उस की सोच. कोई और भी होता तो ऐसे ही सोचता. लेकिन वह खुद ही गलत कहां थी. गलत तो वह था जो अनायास उन दोनों के बीच घुस आया था. रचना की परेशानी यह थी कि बृजेश को उस की हकीकत बता भी नहीं सकती थी. बता देती तो कीचड़ के छींटे उस के दामन पर भी आते. एक स्नेहिल शुरुआत संभल के मोहल्ला डेरा सहाय का रहने वाला बृजेश करीब 8 महीने पहले मुरादाबाद आया था. उस ने थाना नागफनी क्षेत्र के बंगला गांव स्थित रामवती के मकान में किराए के 2 कमरे ले लिए, फिर पत्नी रचना, दोनों बेटियों दिशू और परी को मुरादाबाद ले आया.

मकसद था बड़ी हो रही बेटियों को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाना. बृजेश ने खुद पीतल के एक बड़े कारखाने में नौकरी ढूंढ ली, जहां बनी चीजें एक्सपोर्ट होती थीं. बड़े शहर में आ कर रचना भी खुश थी और दोनों बेटियां भी. उन्हें खुश देख बृजेश उन से भी ज्यादा खुश रहता था. बृजेश सुबह को काम पर जाता तो अंधेरा घिरने तक ही लौटता. रचना दिन भर बच्चियों को पढ़ाने, संभालने और घर के कामों में लगी रहती. देखतेदेखते हंसीखुशी 2-3 महीने गुजर गए. इस बीच रचना और दोनों बच्चियां रामवती से भी घुलमिल गई थीं. सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक दिन रामवती का पोता सौरभ दादी से मिलने आया. सौरभ नाबालिग था, लेकिन वाचाल. सौरभ ने रचना को देखा तो उस की खूबसूरती उस के दिल में उतर गई.

दादी ने पोते का परिचय रचना से करा दिया. वह रचना से मीठीमीठी बातें कर के नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करने लगा. रचना उसे बच्चा समझ कर उस से वैसी ही बातें करती. नजदीकी बढ़ाने के लिए सौरभ रचना की दोनों बेटियों से भी घुलमिल गया. रचना को वह भाभी कहता था. सौरभ नाबालिग था, बच्चों की तरह. उस के दिमाग में क्या है, रचना न तो जानती थी न जान सकती थी. जो भी हो, इस के बाद सौरभ हर हफ्ते दादी से मिलने आने लगा. आता तो रचना और उस की बेटियों से मिलता भी, बातें भी करता. कभी रामवती के सामने तो कभी पीछे. सौरभ मकान मालिक का पोता है, यह सोच कर रचना हंसती भी, उस से बातें भी करती.

एक दिन सौरभ ने कहा, ‘‘भाभी, आप मुझे बहुत सुंदर लगती हो. मैं आप का एक फोटो ले सकता हूं.’’

रचना ने न हां कहा न ना. तब तक सौरभ ने मोबाइल निकाल कर 3-4 फोटो खींच लिए. यह सामान्य सी बात थी. रचना ने सामान्य ढंग से ही लिया. सौरभ हफ्ते में एकदो बार आता और दादी से कम और रचना व उस की बेटियों से ज्यादा बात करता. बच्चियां उस के साथ खुश रहती थीं, इसलिए इस सब को उस ने किसी दूसरे पहलू से देखासोचा ही नहीं. एक बार सौरभ आया तो दादी के सामने ही रचना से बोला, ‘‘भाभी, आप की सेल्फी ले लूं?’’

रचना मना करती तो मकान मालकिन को बुरा लग सकता था, इसलिए उस ने न ना कहा न हां. इसी बीच सौरभ ने रचना के कंधे के पास सिर ले जा कर सेल्फी ले ली. एक और, एक और कर के उस ने 3 सेल्फी लीं, जिन में एक ऐसी भी थी, जिस में पीछे की ओर से सौरभ का चेहरा रचना के कंधे पर रखा दिख रहा था और दोनों के गाल मिले हुए थे. बाद में उस ने वह सेल्फी रचना को दिखाई तो वह उसे डिलीट करने को कहने लगी. लेकिन उस ने ऐसा नहीं किया. वह अपने घर चला गया.

नाबालिग हो गया जवान सेल्फी ऐसी नहीं थी कि उसे ले कर परेशान हुआ जाए. रचना परेशान भी नहीं हुई. लेकिन घर जा कर सौरभ ने जब सेल्फी को बारबार देखा तो उसे लगा कि वह जवान हो गया है. पलभर में उस का किशोरवय वाला दिमाग जवानी के पाले में जा खड़ा हुआ. दिमाग में उसी तरह की खुराफातें भी आने लगीं. उसे लगा रचना वाली सेल्फी उस के पास ऐसा हथियार है, जिस के बूते पर वह उसे मनचाहे ढंग से झुका सकता है. वह पूरी कोशिश करेगी कि सेल्फी उस के पति के सामने न जा पाए.

सौरभ ने जो सोचा किया भी. उस ने रचना को फोन करना शुरू कर दिया. पहले सामान्य सा हंसीमजाक, फिर प्रेमप्यार की बातें और फिर उन बातों में अश्लीलता घुल गई. रचना को बुरा लगा तो उस ने सौरभ को डांट दिया. फिर से फोन न करने को कह कर फोन डिसकनेक्ट कर दिया. सौरभ एक दिन शांत रहा, लेकिन अगले दिन फिर फोन कर दिया. रचना ने उसे समझाया, ‘‘तुम अभी बच्चे हो, ऐसी बेवकूफी मत करो. नहीं तो मुझे तुम्हारी दादी से शिकायत करनी पड़ेगी.’’

‘‘भाभी, ये हम दोनों के बीच की बात है. दादी इस में क्या करेगी? बात दादी तक गई तो वह तुम लोगों को मकान से निकाल देगी, क्योंकि मैं सच थोड़े ही बोलूंगा. तुम पर उलटा इलजाम लगा दूंगा कि तुम मुझे फंसा रही थीं. मैं नहीं माना तो…’’

सौरभ की बात सुन कर रचना डर गई. सोचने लगी यह औरत होने की सजा है या विश्वास करने की. एक किशोर से स्नेहपूर्वक बात करना क्या इतना घातक है. दादी का वार खाली गया तो रचना ने पति के नाम का हथियार इस्तेमाल करते हुए उस की जुबान पर ताला डालने की कोशिश की, ‘‘ठीक है, मैं आज ही तुम्हारे भैया से कहूंगी, वही तुम्हारा दिमाग ठीक करेंगे.’’

रचना की बात सुन कर सौरभ हंस पड़ा. पलभर हंसने के बाद उस ने आखिरी तीर चलाया, ‘‘मेरी तुम्हारी एक सेल्फी है, तुम तो उसे भूल गई होगी. कोई बात नहीं, मैं भेज देता हूं. पहले देख लो फिर धमकी देना. देखो और सोचो, मैं ने यह सेल्फी बृजेश भैया को भेज दी तो क्या होगा.’’

सौरभ ने सेल्फी रचना को भेज दी. रचना सेल्फी वाले वाकए को भूल चुकी थी. लेकिन उस ने सौरभ की भेजी सेल्फी देखी तो थर्रा कर रह गई. बृजेश उसे देख लेता तो उस पर ही इलजाम लगाता. वह सोच भी नहीं सकती थी कि 17 साल का किशोर इतना शातिर भी हो सकता है. उस की परेशानी यह थी कि सौरभ मकान मालकिन का पोता था. बात बढ़ती तो वह उसी का पक्ष लेती. उन्हें मकान खाली करने को भी कह सकती थी. अनायास जो स्थिति बनी थी या सौरभ ने बना दी थी, उस से वह टेंशन में रहने लगी.

इस स्थिति में उसे सौरभ को बहलाएफुसलाए भी रखना था और उसे बृजेश को सेल्फी भेजने से रोकना भी था. रचना इन्हीं स्थितियों में जीती रही, क्योंकि उसे कोई राह नहीं सूझ रही थी. सौरभ फोन करता तो सीधे कहता, ‘‘कब बुला रही हो?’’

अब उस ने रचना को भाभी कहना भी बंद कर दिया था. यह सब चल ही रहा था कि 23 मार्च को लौकडाउन की घोषणा हो गई. बृजेश का काम पर जाना बंद हो गया. वह घर में रहने लगा. रचना हर समय डरीडरी सी रहने लगी. डर स्वाभाविक था. उसे जिस का डर था, वही हुआ. सौरभ ने फोन कर दिया. रचना को अलग जा कर फोन सुनना पड़ा. उस ने सौरभ से बृजेश के घर में होने की बात कहनी पड़ी. इस पर वह खुश होते हुए बोला, ‘‘यह तो और भी अच्छा है. उस की बगल में बैठ कर बात करो मुझ से, वह सुनेगा तो और मजा आएगा.’’

रचना उस के सामने रोईगिड़गिड़ाई, मिन्नतें कीं, लेकिन सौरभ पर कोई असर नहीं हुआ. वह कमीनों की तरह हंसते हुए बोला, ‘‘छोटी सी बात है, मान जाओ. इतना परेशान होने की क्या जरूरत है. तुम भी खुश रहो, मैं भी खुश.’’

वह बात कर के कमरे में आई तो बृजेश ने पूछा, ‘‘किस से बात कर रही थीं?’’

जल्दी में कुछ नहीं सूझा तो रचना ने कह दिया, ‘‘मायके से फोन था.’’

‘‘उन से तो मेरे सामने भी बात कर सकती थी.’’ रचना ने सौरी कह कर बात तो खत्म कर दी लेकिन बृजेश उस के उतरे चेहरे को देख कर समझ गया कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है. उस ने मन ही मन उस गड़बड़ का पता लगाने की ठान ली. फिर एक दिन सौरभ अचानक आ गया. बृजेश घर में था. रचना की रुह कांप गई. उसे लगा कि आज सौरभ मुंह जरूर खोलेगा. गनीमत यह रही कि सौरभ ने ऐसा कुछ नहीं किया और वापस चला गया.

पता तो नहीं लगा पाया, लेकिन जब रोजरोज सौरभ के फोन आने लगे तो उसे पूरा यकीन हो गया कि रचना का किसी के साथ चक्कर जरूर है. पिछले 12 सालों में वह इतनी टेंशन में कभी नहीं रही थी. पति को वह सफाई देती, कसमें खाती, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था. अगर वह सब कुछ सच बताती तो सेल्फी वाला फोटो उस का दुश्मन बन जाता. नतीजा यह हुआ कि बृजेश का शक बढ़ता गया. वह रोजाना शराब पीता और मन में भरा सारा गुबार रचना पर निकाल देता. वह गालियां खाती, पिटाई झेलती. बृजेश उस की सफाई सुनने को तैयार नहीं था. 17 साल के सौरभ ने रचना की बसीबसाई गृहस्थी में आग लगा दी थी. आग लगाई ही नहीं, रोज उसे हवा भी देता रहा. महीना भर से ज्यादा समय तक यही चलता रहा.

कुछ नहीं किया पुलिस ने जब रचना पूरी तरह टूट गई, बात बरदाश्त के बाहर हो गई तो एक दिन उस ने बृजेश को सच्चाई बता दी. बृजेश ने उस की बात पर यकीन किया या नहीं, यह अलग बात है. पर उस ने रचना से कहा, ‘‘तैयार हो जा, थाने चलते हैं.’’

रचना और बृजेश थाना नागफनी गए और लिखित तहरीर दे दी. तहरीर ले कर थानेदार ने कह दिया, बाद में देखेंगे. पतिपत्नी मुंह लटकाए लौट आए. बात जहां थी वहीं रह गई. वही शक वही संदेह और वही लड़ाईझगड़ा, मारपीट. रचना बृजेश को जितनी सफाई देती, समझाती, वह उसे उतना ही गलत समझता. 20 जून, 2020 को शनिवार था. उस दिन बृजेश रचना से खूब लड़ा, इतना ज्यादा कि रचना को अपनी जिंदगी बेकार लगने लगी. कोई रास्ता नहीं सूझा तो उस ने अपनी कलाई की नस काट ली. किसी पड़ोसी ने इस की सूचना बंगला गांव पुलिस चौकी को दी.

चौकी इंचार्ज रामप्रताप सिंह मौके पर आए और उन्होंने रचना को जिला अस्पताल में भरती करा दिया. इस से रचना की जान बच गई. रामप्रताप सिंह को लगा कि पतिपत्नी के झगड़े का मामला है, इसलिए उन्होंने दोनों को समझाया, उन्हें उन की बच्चियों का वास्ता दिया. साथ ही दोनों को सीधे घर जाने को भी कहा. 21 जून, 2020 को सुबह 8 बजे बृजेश दोनों बेटियों दिशू और परी को वहां से थोड़ी दूर पर रहने वाले अपने मौसेरे भाई प्रमोद के घर छोड़ आया.

वापसी में वह सल्फास की गोलियों का पैकेट लाया था. आते ही उस ने रचना से कहा, ‘‘मैं अब जीना नहीं चाहता. तूने मेरे साथ जो विश्वासघात किया है, मैं बरदाश्त नहीं कर पा रहा हूं. मेरे पीछे खूब मौजमजे करना.’’

बृजेश ने जेब से पैकेट निकाला तो रचना ने उस के हाथ से छीन लिया. वह बोली, ‘‘गुनहगार मैं हूं तो मुझे मरना चाहिए, तुम्हें नहीं. बच्चियां अभी छोटी हैं, उन्हें कौन संभालेगा.’’

बृजेश रचना से पैकेट लेने की कोशिश करता, इस से पहले ही उस ने पानी की बोतल उठा कर 4-5 गोलियां गटक लीं. पैकेट फर्श पर पड़ा देख बृजेश ने उठाया और वह भी पानी से 3-4 गोली निगल गया.

दोनों फंस गए मौत के चंगुल में इस बीच बैड पर गिरी रचना के मुंह से झाग निकलने लगे थे. बृजेश भी फर्श पर फैल गया था. बृजेश और रचना के बीच महीनों से विवाद चल रहा था. उन के लड़ने की आवाजें अड़ोसीपड़ोसी भी सुनते थे. उस दिन भी दोनों में विवाद हुआ था. जब अचानक दोनों की आवाजें आनी बंद हो गईं तो आसपड़ोस के लोगों को अनहोनी का डर लगा. उन्होंने जा कर कुंडी खड़काई. गिरतेपड़ते बृजेश ने अंदर से कुंडी खोली. अंदर का हाल देख कर लोग समझ गए कि दोनों ने जहर खाया है.

लोगों ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस उन्हें अस्पताल ले गई. डाक्टरों ने अपनी ओर से पूरी कोशिश की लेकिन रात आतेआते रचना ने दम तोड़ दिया. इस दौरान संभल से बृजेश के बड़े भाई और घर वाले आ गए. लेकिन प्रेमकथा में फंसा एक पेंच कैसे पीछे रह पाता. अगले दिन दोपहर में बृजेश ने भी दम तोड़ दिया. उसी शाम पोस्टमार्टम के बाद रचना और बृजेश के शव उन के घर वालों को सौंप दिए, जिन का उन्होंने उसी शाम लालबाग श्मशान घाट में अंतिम संस्कार  कर दिया. शवों को मुखाग्नि बृजेश के भतीजे ने दी.

इस बीच पुलिस ने फोरैंसिक टीम को मौके पर बुलवा कर जांच कराई. जांच का सारा काम सीओ राजेश कुमार की देखरेख में हुआ. पुलिस ने आसपड़ोस के लोगों से पूछताछ की, लेकिन अंदर की कहानी कोई नहीं जानता था. उसी रात बृजेश के बड़े भाई राजेश ने थाना नागफनी जा कर तहरीर दी, जिस में सौरभ को बृजेश और रचना को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी बताया गया था. इस शिकायत पर थाना नागफनी के प्रभारी सुनील कुमार ने सौरभ के खिलाफ भादंवि की धारा 306 के तहत केस दर्ज कर लिया. अगले दिन सौरभ को गिरफ्तार कर लिया गया. जांच के लिए उस का मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया गया.

रचना का मोबाइल पहले ही पुलिस के पास था, जो घटनास्थल से मिला था. पूछताछ के बाद सौरभ को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया. दूसरी ओर 8 साल की दिशू और 4 साल की परी मां और पिता के लिए बराबर रोए जा रही थीं. उन के ताऊ राजेश और बुआ रीमा उन्हें समझा रहे थे कि मां बीमार है, अस्पताल में है और पापा मम्मी के लिए दवाई लेने गए हैं. लेकिन ऐसी बातों से बच्चियों को कब तक बहलाया जा सकता था. उन्हें यह भी तो पता ही नहीं था कि उन के मम्मीपापा इस दुनिया में नहीं रहे.

सच तो यह है कि बच्चियां यह तक नहीं जानतीं कि इंसान मरता कैसे है और क्यों. फिलहाल बृजेश के बड़े भाई राजेश दिशू और परी को अपने साथ ले गए हैं.

Extramarital Affair : पत्नी ने पति की बीयर में नींद की गोलियां मिलाई फिर प्रेमी से कराई हत्या

Extramarital Affair : समीर बिस्वास अपनी पत्नी श्यामली को इतना प्यार करता थ कि उस ने उस की खातिर अपने मांबाप और भाइयों को घर से निकाल दिया था. पूरी तरह स्वतंत्र हो जाने पर श्यामली के कदम बहक गए. फिर एक दिन उस ने पति को उस के विश्वास का ऐसा सिला दिया कि…

रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उस समय तक अधिकांश लोग गहरी नींद में खर्राटे भरते नजर आते हैं. लेकिन उस समय भी अगर किसी के घर से अचानक ही गोली चलने की आवाज आए तो नींद में खलल तो पड़ ही जाती है और उन लोगों की नींद उड़ ही जाती है, गोली की आवाज सुन कर अच्छेअच्छों के हौसले पस्त हो जाते हैं. उस समय जिस घर में गोली चली थी, वह समीर बिस्वास का घर था. जिला ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर ट्रांजिट कैंप मुखर्जी नगर में 25 वर्षीय समीर बिस्वास अपनी पत्नी श्यामली और अपने 3 वर्षीय बेटे देव के साथ रहता था. जबकि उस के पिता निताई बिस्वास ट्रांजिट कैंप के नजदीक ही अरविंद नगर में अपनी बीवी अनीता बिस्वास और 2 बेटों सुकीर्ति और विष्णु के साथ रहते थे.

उस समय समीर बिस्वास अपने मकान के एक कमरे में अकेला ही सोया था. उस की बीवी अपने बेटे देव को साथ ले कर अपनी सहेली के साथ ही अपने बैडरूम में सोई थी. घर में अचानक गोली चली तो सब से पहले श्यामली ही चीखी थी. उस की चीख सुन कर लोगों को लगा कि समीर के घर में बदमाश घुस आए हैं और बदमाशों ने किसी को गोली मार दी. घर में कोहराम मचा तो समीर बिस्वास की छत पर सो रहे उस के 2 दोस्त सूरज और छोटू भी छत से नीचे जाने वाली सीढि़यों की ओर दौड़े. लेकिन उन सीढि़यों पर नीचे से कुंडी लगी होने के कारण उन के सामने मजबूरी आ खड़ी हुई. फिर दोनों पड़ोसी के घर में प्रवेश कर उस की दीवार फांद कर समीर के कमरे  में जा पहुंचे.

सूरज और छोटू ने देखा कि समीर अपने बैड पर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. जबकि उस की पत्नी श्यामली उसी के पास खड़ी बुरी तरह से दहाड़ मार कर रो रही थी. समीर के घर में रात में चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले भी इकट्ठे हो गए थे. लेकिन कोई भी यह नहीं समझ पा रहा था कि बदमाशों ने समीर की हत्या क्यों कर दी. अभी लोग इस मामले को पूरी तरह से समझ भी नहीं पाए थे कि उसी समय श्यामली रोतीबिलखती दूसरे कमरे में बंद हो गई. उस को कमरे में इस तरह से बंद होते देख सभी लोग हैरत में पड़ गए. लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि  उसे अचानक क्या हो गया.

तभी किसी ने खिड़की से झांक कर देखा तो श्यामली अपनी चुनरी को पंखे से बांध रही थी. जिस से लोगों को समझने में देर नहीं लगी कि वह पंखे से लटक कर आत्महत्या करने की कोशिश कर रही है. श्यामली की हरकतों को देख कर मौके पर मौजूद लोगों ने जैसेतैसे कर दरवाजा तोड़ कर उसे बाहर निकाला. उस के बाद उसे समझाने की कोशिश की. मृतक समीर बिस्वास के चाचा अर्जुन बिस्वास कांग्रेस पार्टी के नेता थे. अपने भतीजे की हत्या होने की बात सुनते ही अर्जुन बिस्वास भी तुरंत समीर के घर पर पहुंचे और थाना ट्रांजिट कैंप में इस सब की जानकारी दी. हत्या की सूचना पाते ही थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी कुछ ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस को यह सूचना सुबह लगभग 4 बजे मिली थी.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी थी सूचना पाते ही एसएसपी बरिंदरजीत सिंह, एसपी (सिटी) देवेंद्र पिंचा, एसपी (क्राइम) प्रमोद कुमार और सीओ अमित कुमार भी घटना स्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने काररवाई करते हुए समीर के कमरे की बारीकी से जांचपड़ताल की. समीर के माथे पर गोली लगी थी. समीर के शव को देख कर साफ जाहिर हो रहा था कि हत्यारों ने समीर के गहरी नींद में सोने के दौरान ही गोली मारी थी. खून उस के चेहरे से होते हुए सारे बिस्तर पर फैल चुका था. पुलिस ने उस कमरे की पड़ताल की जिस में श्यामली ने पंखे में चुनरी बांध कर खुदकुशी करने का ढोंग ही किया था. पुलिस ने उस के परिवार वालों से समीर और उस की बीवी के बारे में जानकारी जुटाई तो इस केस ने अलग ही मौड़ ले लिया.

समीर के परिवार वालों ने पुलिस को जानकारी देते हुऐ बताया कि समीर और श्यामली ने अब से लगभग 7 वर्ष पूर्व प्रेमविवाह किया था. शादी के बाद इन दोनों के बीच कुछ समय तक तो सब कुछ सही रहा, लेकिन बाद में उन दोनों के बीच खटपट रहने लगी थी. उसी के चलते समीर की बीवी ने उसे परिवार से भी अलगथलग कर दिया था. उस के बाद वह न तो उसे किसी परिवार वाले से मिलनेजुलने देती थी और न ही किसी को अपने घर आने देती थी. परिवार वालों ने बताया कि श्यामली का चरित्र ठीक नहीं था. समीर की गैरमौजूदगी में उस के घर पर कुछ संदिग्ध लोगों का आनाजाना था. उस के किसी अन्य युवक के साथ अवैध संबंध थे. जिस का समीर विरोध करता था. जिस के कारण ही समीर की हत्या हुई.

यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. समीर की लाश को पोस्टमार्टम भेजने के बाद ही पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छानबीन शुरू की. उसी दौरान पुलिस ने श्यामली के साथ रात गुजारने वाली उस की सहेली प्रियंका से भी पूछताछ की. लेकिन प्रियंका ने बताया कि वह स्वयं ही अपनी सहेली के घर मिलने के लिए आई थी. जिस के बाद वह रात का खाना खा कर सो गई थी. उस के सोने के बाद समीर के साथ क्या घटना घटी उसे कुछ नहीं मालूम. इस मामले की बाबत पुलिस ने श्यामली से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस रात समीर और उस के दोस्तों सूरज और छोटू ने खाना खाया और उस के बाद सूरज और छोटू मकान की छत पर जा कर सो गए.

वह अपने बेटे देव को अपने साथ ले कर सहेली प्रियंका के साथ अलग कमरे में सो गई थी. जबकि समीर अपने कमरे में अकेला ही सोया था. रात के समय उस ने अपने घर में  गोली चलने की आवाज सुनी तो वह बुरी तरह से घबरा गई. उस के बाद वह अपनी सहेली प्रियंका के साथ कमरे से बाहर निकली तो उस ने घर से बाहर कुछ लोगों को भागते हुए देखा था. समीर को मरा देख कर वह खुद पर भी कंट्रोल नहीं कर पाई थी, जिस के बाद उस ने भी आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन वहां पर मौजूद लोगों ने उसे बचा लिया. उसी दौरान पुलिस ने श्यामली का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया. उस की काल डिटेल्स देखी तो आखिरी बार रात के 2 बजे के समय एक नंबर पर उस की बातचीत हुई थी, वह नंबर किसी विश्वजीत राय के नाम से फीड था.

पुलिस ने श्यामली से विश्वजीत राय से रात में बात करने का कारण पूछा तो वह कोई संतोषजनक जबाव नहीं दे पाई. विश्वजीत का नाम सुनते ही उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. उस के बाद पुलिस श्यामली को पूछताछ के लिए थाने ले आई. थाने में पहुंचते ही श्यामली डर गई और सब कुछ बताने को राजी हो गई. श्यामली ने बताया कि उस के विश्वजीत से नाजायज संबंध थे. उन्हीं संबंधों के चलते उस ने प्रेमी के सहयोग से पति की हत्या करा दी. हत्या के इस केस की जो सच्चाई उभर कर सामने आई वह दोस्ती, प्यार, शादी और उस के बाद बेवफाई से जुड़ी एक हैरतअंगेज कहानी थी—

अब से कई साल पहले श्यामली के पिता प्रवास बिस्वास का परिवार बंगाल से आ कर रुद्रपुर और गदरपुर के बीच बसे दिनेशपुर में आ कर रहने लगा था. दिनेशपुर आने के बाद उस की बीवी अपर्णा बिस्वास 2 बच्चों, बेटी श्यामली और बेटे संजीत की मां बन गई. दिनेशपुर में बाहुल्य आबादी बंगालियों की ही है. बंगाल से आने के बाद इन लोगों ने यहां पर स्थानीय लोगों के यहां पर मेहनतमजदूरी करनी शुरू की. इन लोगों में ही कुछ लोग इतने समर्थ थे कि उन्होंने यहां पर कुछ जमीनें खरीदीं और कुछ ने सरकारी जमीनों पर कब्जा कर खेतीबाड़ी का काम शुरू किया. जिस के साथ ही इन लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधरती गई.

इन के आने से पहले यहां के किसान अपनी जमीन से 2 ही फसलें लेते थे. रवि और खरीफ  की. इन लोगों ने यहां पर तीसरी फसल को जन्म दिया. वह थी बेमौसमी धान की फसल. गेहूं की फसल कटते ही धान को लगाया जाता था. जिस के कारण किसानों को एक और फसल से आमदनी बढ़ गई थी. उसी धान की पौध लगाई के दौरान समीर बिस्वास की मुलाकत श्यामली से हुई थी. समीर के पिता निताई बिस्वास का परिवार भी बंगाल से आ कर रुद्रपुर में बस गया था. निताई बिस्वास के 5 बच्चो में से समीर तीसरे नंबर पर था. अब से तकरीबन 7 साल पहले ही श्यामली और समीर के बीच दोस्ती हुई थी. बाद में यह दोस्ती प्यार में बदल कर शादी तक आ पहुंची. लेकिन समीर की मम्मी अनीता बिस्वास को श्यामली पसंद नहीं थी.

समीर का श्यामली के बिना एक पल भी रहना नामुमकिन था. अनीता बिस्वास ने अपने बेटे के भविष्य को देखते हुए उसे श्यामली से दूरी बनाने को कहा तो मां भी उसे दुश्मन लगने लगी थी. यही बात श्यामली के साथ भी आड़े आ रही थी. श्यामली अपने मांबाप की एकलौती बेटी थी. वह भी समीर के बजाय श्यामली की शादी ऐसे घर में करना चाहते थे ताकि उस की गृहस्थी में किसी प्रकार की अड़चन न आए. हालांकि समीर बिस्वास और श्यामली दोनों ही एक ही बिरादरी के थे, लेकिन श्यामली के घर वालों को भी समीर पसंद नहीं था. समीर जिद्दी किस्म का युवक था. यही कारण था कि उस ने अपने मांबाप की एक न मानी और श्यामली से शादी करने पर अड़ गया. हालांकि दोनों के परिवार वाले इस के लिए राजी नहीं थे, लेकिन उन की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा. और सन 2013 में दोनों की शादी करा दी गई.

श्यामली निताई बिस्वास परिवार की बहू बन कर आई तो घर में खुशियां छा गईं. शादी हो जाने के बाद श्यामली ने समीर के साथसाथ अपने सासससुर और अन्य परिवार वालों का पूरी तरह से ध्यान रखा. शादी के 3 साल बाद वर्ष 2016 में श्यामली ने एक बेटे को जन्म दिया. उस का नाम उन्होंने देव रखा. दोनों के बीच सब कुछ ठीक ही चल रहा था. समीर के  परिवार वालों ने दिन रात कड़ी मेहनत कर के काफी पैसा कमाया था. जिस के बाद उन्होंने थाना ट्रांजिट कैंप अंतर्गत अरविंद नगर में शानदार मकान भी बना लिया था. उसी दौरान समीर कच्ची शराब बेचने के धंधे से जुड़ गया. समीर को शराब बेचने से मोटी आमदनी होने लगी, आमदनी में इजाफा होने पर श्यामली के भी पर लग गए.

उस के रहनसहन में भी काफी बदलाव आ गया था. समीर को दिनभर में जो भी कमाई होती थी, वह उसे श्यामली के हाथ पर ला कर रख देता था. जिस के कारण श्यामली के व्यवहार में काफी अंतर आने लगा था. वह खुले हाथ से पैसा खर्च करने लगी थी. हालांकि इस बात से समीर को कोई फर्क नहीं पड़ता था. लेकिन यह सब उस के मातापिता की बरदाश्त से बाहर की बात हो गई थी. उन्होंने कई बार इस बात की शिकायत समीर से की. लेकिन समीर हमेशा ही अपने परिवार वालों की बातों को हल्के में लेता रहा. तब उन्होंने श्यामली को समझाने की कोशिश की. श्यामली तो पति की सारी कमाई पर अपना ही अधिकार समझती थी. इसलिए सासससुर के समझाने की बात उसे बुरी लगती थी. लिहाजा उस का सासससुर से मनमुटाव रहने लगा था.

वह बातबात पर अपनी सास को खरीखोटी भी सुनाने लगी थी. उस समय समीर को केवल कमाई ही दिखाई दे रही थी. उस के काम का दायरा बढ़ा तो उस ने अपनी सहायता के लिए 2 लड़कों सूरज और छोटू को भी अपने पास रख लिया. उसी दौरान विश्वजीत राय भी समीर के संपर्क में आया. विश्वजीत इलेक्ट्रीशियन था. विश्वजीत गुलरभोज (गदरपुर) का रहने वाला था. लेकिन कुछ समय बाद उस ने भी रुद्रपुर की नारायण नगर कालोनी में अपना मकान बना लिया था. समीर के घर की लाइट की फिटिंग भी उसी ने की थी. विश्वजीत समीर के संपर्क में आया तो उस की आमदनी भी बढ़ गई थी. शराब बेचने से हुई मोटी आमदनी से विश्वजीत ने बिजली फिटिंग का काम छोड़ दिया.

उस के बाद वह हर समय समीर के साथ ही उस के शराब के धंधे में लगा रहने लगा था. काम खत्म हो जाने के बाद विश्वजीत राय, सूरज और छोटू अकसर खानापीना समीर के घर पर ही किया करते थे. श्यामली तीनों को खाना बना कर खिलाती थी. लेकिन श्यामली को पति के परिवार वाले दुश्मन नजर आने लगे थे. समीर और विश्वजीत में गहरी दोस्ती भी हो गई थी. उसी दौरान श्यामली उस को अपना दिल दे बैठी. उन दोनों के बीच फोन पर खूब बातें होती थीं. समीर की गैरमौजूदगी में श्यामली विश्वजीत को अपने घर में ही बुलाने लगी थी. यह बात उस के ससुराल वालों को नागवार गुजरी. जिस के कारण समीर के घर की शांति भंग हो गई. श्यामली ने अपनी सास की शिकायत पति से करते हुए कहा कि वह उसे चरित्रहीन कहती है. समीर अपनी बीवी के प्रति एक भी बुराई सुनने को तैयार न था. नतीजन समीर अपने मातापिता को बुराभला कहने पर उतर आया था.

विश्वजीत के कारण समीर के घर में इतना विवाद बढ़ा कि अपनी बीवी के कहने पर उस ने अपनी मम्मीपापा और 2 छोटे भाइयों विष्णु और सुकीर्ति को भी घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिस के बाद 6 कमरों का मकान छोड़ कर उस के परिवार को ट्रांजिट कैंप दुर्गा मंदिर के पास किराए के मकान में रहने पर मजबूर होना पड़ा. जिस औलाद की जिद के आगे हार मान कर उन्होंने उस की शादी उस की मरजी से कराई, आज उसी कपूत ने उन्हें धक्का मार कर घर से निकाल दिया था. श्यामली की जिंदगी में विश्वजीत के आगमन के दौरान ही समीर की गृहस्थी में भी ग्रहण लगना शुरू को गया था. अपनी ससुराल वालों को घर से निकालने के बाद श्यामली समीर की गैरमौजूदगी का लाभ उठाते हुए विश्वजीत के साथ मौजमस्ती करने लगी थी.

जब कभी भी वह घर में अकेली होती तो वह फोन कर के विश्वजीत को बुला लेती और उस के साथ अय्याशी करती. विश्वजीत के संपर्क में आने के बाद श्यामली ने बीयर पीनी भी सीख ली थी. जब कभी भी समीर किसी काम से घर से बाहर जाता तो वह विश्वजीत को अपने घर बुला लेती और फिर सारी रात शराब और शबाव का दौर चलता. समीर की आंखों पर अभी भी श्यामली के प्यार की काली पट्टी बंधी हुई थी. श्यामली समीर की शराफत का लाभ उठाते हुए उस की कमाई का ज्यादातर हिस्सा विश्वजीत पर उड़ाने लगी थी. लेकिन समीर ने कभी भी पत्नी से घर के खर्च का हिसाबकिताब नहीं मांगा था. समीर अपनी बीवी के प्यार में इतना पागल था कि श्यामली ने उस से बीयर लाने की मांग की तो वह डिमांड भी उस ने पूरी की.

उस के बाद दोनों ही मियांबीवी रात में बीयर साथसाथ पीने लगे थे. बीयर पीने से समीर को तो कुछ नहीं हो पाता था, लेकिन श्यामली बीयर के नशे में टल्ली हो कर अपने दिल का पन्ना खुला ही छोड़ कर सो जाती थी. उसी खुले पन्ने के कारण एक दिन श्यामली की हकीकत भी समीर के सामने आ गई. एक रात श्यामली ने समीर के साथ ही बीयर पी और फिर उस ने समीर को सोया जान कर विश्वजीत को फोन मिला दिया. उस रात समीर को उस की हकीकत जान कर बहुत ही गहरा झटका लगा. समीर को उस रात अपनी बीवी की हकीकत पता चली तो वह खून के आंसू रोया. उस के बाद भी उसे विश्वजीत पर ही गुस्सा आया. लेकिन रात अधिक हो जाने के कारण वह कुछ भी नहीं कर सकता था.

अगले दिन सुबह होते ही वह सब कुछ काम छोड़छाड़ कर विश्वजीत से मिला. उस ने उसे समझाते हुए उस की बीवी से फोन पर बात न करने को कहा. उसी दौरान उस की विश्वजीत से कहासुनी भी हुई. उस के बाद समीर अपने घर आया और अपनी बीवी श्यामली को रात की हकीकत बता कर विश्वजीत से बात न करने की चेतावनी दी. पति के समझाने पर श्यामली तो ऐसी अंजान सी बन गई थी कि जैसे वह कुछ जानती ही नहीं. उस के बाद से समीर के आंखकान चौकन्ना हो गए थे. लेकिन समीर 24 घंटों में अपनी बीवी की कितने घंटे चौकसी कर सकता था.

समीर के समझाने के बाद भी वह प्रेमी से मोबाइल पर घंटों बात करती थी. बात करने के तुरंत बाद ही विश्वजीत की काल हिस्ट्री को डिलीट भी कर देती थी. उसी दौरान एक दिन श्यामली से वही गलती हुई जो मियांबीवी में विवाद का कारण बनी. जिस के कारण दोनों की बसीबसाई गृहस्थी में पूरी तरह से आग लग गई. श्यामली के प्रति समीर का विश्वास टूटा तो दोनों की जिंदगी में प्रलय आ गई. लिहाजा अगली सुबह समीर उसे उस के मायके छोड़ आया. श्यामली को मायके छोड़ने के कुछ समय बाद तक उस ने उसे कोई बात भी नहीं की. उस के कई महीनों बाद उस के ससुराल वालों ने उसे बुला कर ले जाने को कहा तो समीर ने उसे लाने से साफ मना कर दिया.

उस के बाद उस की ससुराल वालों ने समीर के परिवार वालों को बुला कर गांव में ही पंचायत की. श्यामली ने भरी पंचायत में अपनी गलती की माफी मांगते हुए भविष्य में ऐसी गलती न करने की बात कही. उस के बाद श्यामली फिर से समीर के साथ रहने लगी थी. मायके से आने के कुछ दिनों तक तो श्यामली ठीकठाक रही. लेकिन एक बार 2 दिलों में आ चुकी दरार पूरी तरह से भर नहीं पाई. और समीर भी उसे पहला प्यार नहीं दे पा रहा था. जिस के कारण उस के मन में समीर के प्रति बसी छवि धूमिल होती चली गई. वहीं दूसरी ओर विश्वजीत उस की जिंदगी में बहार बन कर उस के सपनों का राजकुमार बन गया. यही कारण रहा है कि कुछ समय बाद ही फिर से वह चोरीछिपे विश्वजीत राय से  मिलनेजुलने लगी थी.

उसी मिलनेजुलने के दौरान श्यामली ने विश्वजीत के सामने प्यार के आंसू बहाते हुए किसी भी तरह से समीर को अपनी जिंदगी से निकालने वाली बात कही. विश्वजीत भी श्यामली को हद से ज्यादा प्रेम करने लगा था. वह किसी भी कीमत पर उसे अपनी बीवी के रूप में देखना चाहता था. लिहाजा वह समीर रूपी कांटे को हटाने के लिए तैयार हो गया. इस हत्याकांड को अंजाम देने से एक सप्ताह पूर्व ही श्यामली ने अपने प्रेमी विश्वजीत के साथ मिल कर समीर की हत्या का तानाबाना बुना. इस अंजाम को अमलीजामा पहनाने के लिए श्यामली ने घर में रखे 50 हजार रुपए खर्च वास्ते विश्वजीत को दिए.

विश्वजीत ने उन्हीं 50 हजार रुपए में से दिनेशपुर से 315 बोर का एक तमंचा और कारतूस खरीदे. हालांकि श्यामली ने विश्वजीत के साथ मिल कर समीर की हत्या का तानाबाना बुन तो लिया था. लेकिन अंजाम को सोच कर वह बारबार परेशान हो रही थी. वह समझ नहीं पा रही थी कि इतनी बड़ी बारदात को अंजाम देने के बाद अपने में कैसे हिम्मत जुटाएगी. उसी समय 18 जून, 2020 को उस की मुलाकात उस की एक पुरानी सहेली प्रियंका से हुई. प्रियंका कई दिन से उसी के नजदीक रहने वाली राधिका नाम की सहेली के साथ रह रही थी. वह प्रियंका से मिली तो उस ने श्यामली के सामने अपनी दिल की पीड़ा सुनाते हुए उसे अपने साथ रखने वाली बात कही. श्यामली उस की परेशानी सुन कर उसे अपने घर ले आई.

प्रियंका के आ जाने से श्यामली का मनोबल भी बढ़ गया था. एक सप्ताह पहले समीर की हत्या की साजिश रचने के बाद श्यामली पूरी तरह से सतर्क हो गई थी. 19 जून 2020 की शाम को श्यामली ने समीर के मोबाइल पर फोन कर कहा कि उस की सहेली प्रियंका भी बीयर पीती है. आज रात वह हमारे ही साथ रहेगी. इसीलिए वह बीयर की 3 केन ले कर आए. श्यामली के कहने पर समीर उस शाम वियर की 3 केन ले कर आया. उस दिन समीर के साथ काम करने वाले युवक सूरज और छोटू भी घर पर ही रुक थे. उस दिन श्यामली ने शाम को जल्दी ही खाना बनाया और समीर के आते ही उस ने सूरज और छोटू को खाना खिला कर ऊपर छत पर सोने के लिए भेज दिया था. उस के बाद समीर, श्यामली और प्रियंका तीनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया. खाना खाने के बाद तीनों ने एक जगह बैठ कर बीयर पी.

बीयर पीने के कुछ समय बाद ही समीर नींद में झूमने लगा. श्यामली ने समीर की बीयर में नींद की गोलियां मिला दी थीं. समीर के गहरी नींद में सोने के बाद ही उस ने विश्वजीत को फोन कर के उस की लोकेशन का पता किया. उस के बाद भी वह बारबार छत पर जा कर सूरज और छोटू के सोने का जायजा लेती रही. उस समय सूरज और छोटू भी शराब पी कर सोए थे. नशे में होने के कारण वह दोनों भी शीघ्र ही सो गए थे. उन दोनों के सोते ही जब श्यामली को पूरा विश्वास हो गया कि वह दोनों भी गहरी नींद में सो चुके हैं तो उस ने जीने का दरबाजा अंदर से बंद कर दिया. उस के बाद उस ने अपने प्रेमी विश्वजीत राय को फोन कर शीघ्र आने को कहा.

श्यामली का फोन आने के तुरंत बाद ही विश्वजीत अपने 2 साथियों शिबू अधिकारी और महेश सरकार के साथ रात के कोई 2 बजे के आसपास उस के घर के पास पहुंचा. उस के घर के पास पहुंचते ही मछली बाजार के नजदीक विश्वजीत ने अपनी बाइक रोकी और फिर से श्यामली से फोन पर बात कर स्थिति का सही आंकलन किया. उस के बाद विश्वजीत अपने साथियों शिबू अधिकारी और महेश सरकार के साथ समीर के घर पहुंचा. श्यामली ने पहले से ही घर की दूसरी ओर खुलने वाला दरवाजा खुला छोड़ दिया था. उसी रास्ते से तीनों अंदर आ गए. अंदर जाते ही विश्वजीत ने गहरी नींद में सोए समीर के माथे पर तमंचा सटा कर गोली चला दी. माथे पर गोली लगते ही समीर की तुरंत ही मौत हो गई.

समीर की हत्या करने के बाद विश्वजीत अपने साथियों के साथ पीछे वाले दरवाजे से ही निकल गया. समीर की हत्या हो जाने के बाद श्यामली की हिम्मत जवाब दे गई. जब उस ने समीर को रक्तरंजित हालत में देखा तो वह बुरी तरह से घबरा गई थी. उस के बाद प्रियंका ने उसे हिम्मत बंधाई और धैर्य रखने वाली बात कही. उस समय तक घर में गोली चलने की आवाज सुन कर छत पर सो रहे सूरज और छोटू भी पड़ोसी की छत से कूद कर नीचे आ गए थे. सूरज और छोटू के पूछने पर श्यामली ने बताया कि अभी थोड़ी देर पहले ही कुछ बदमाश घर में घुस आए थे, जिन्होंने आते ही समीर को गोली मार उस की हत्या कर दी और फिर फरार हो गए.

कुछ समय बाद ही पड़ोसी और समीर के मातापिता भी घर पहुंच गए थे. जब श्यामली कोई निर्णय नहीं ले पाई तो उस ने दूसरे कमरे में जा कर पंखे से चुन्नी बांधी और आए लोगों को उलझाने के लिए उस ने अपने को भारी सदमे में दिखा कर खुदकुशी करने का ड्रामा किया. लेकिन पुलिस की जांचपड़ताल के दौरान पंखे से लटकने वाली बात केवल उस का दिखावा ही था. श्यामली द्वारा अपना जुर्म कबूलते ही पुलिस ने इस केस में तीव्रता दिखाते हुए मात्र 9 घंटे में ही उस के प्रेमी विश्वजीत राय, उस के साथी शिबू अधिकारी और महेश सरकार को गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही पुलिस ने हत्यारोपियों की निशानदेही पर घटना में इस्तेमाल तमंचा, एक खोखा, बीयर में डाली गई नशे की बाकी बची 3 गोलियां और घटना में इस्तेमाल बाइक भी बरामद कर ली थी.

केस का खुलासा होते ही पुलिस ने इस मामले में हत्याकांड के मुख्य आरोपी श्यामली के प्रेमी विश्वजीत राय पुत्र शिबू अधिकारी, महेश सरकार, मृतक की बीवी श्यामली बिस्वास के खिलाफ आईपीएस की धारा 302/3/25 आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें 20 जून को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस मामले के खुलासे के बाद एसएसपी बरिंदरजीत सिंह ने इस केस की जांचपड़ताल में लगी पुलिस टीम में शामिल सीओ अमित कुमार, थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी, एसआई विजय सिंह, प्रदीप शर्मा, कौशल भाकुनी, अर्जुन गिरि, मनोज कुमार, धीरज वर्मा, नीरज शुक्ला, नरेश जोशी, नीरज भोज, दिनेश चंद्र, राकेश उप्रेती, जितेंद्र चौहान, मुकेश मेहरा, गोकुल टम्टा आदि को ढाई हजार रुपए का ईनाम दे कर सम्मानित किया. इस केस की तफ्तीश स्वयं थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी कर रहे थे.

 

Love Crime : गन्‍ने के खेत में प्रेमी को बुला कर आंख में मारी गोली

Love Crime : रंजीत वैशाली को अथाह प्यार करता था, लेकिन वैशाली के घर वाले उस की शादी रंजीत से करने के पक्ष में नहीं थे. इसी बीच रंजीत की शादी किसी और लड़की से तय हो गई. फिर ऐसा क्या हुआ जो वैशाली, उस की मां गुड्डी और मामा ने रंजीत की शादी से कुछ दिन पहले एक खौफनाक खूनी स्क्रिप्ट लिख डाली…

जिस लड़के या लड़की की शादी हो और वह 2-4 घंटे के लिए घर से इधरउधर हो जाए तो घर वालों को उस की इतनी चिंता होने लगती है, जितनी पहले कभी नहीं हुई. होनी भी चाहिए, क्योंकि जहन में इज्जतबेइज्जती के कई सवाल जो खड़े हो जाते हैं. लड़की के मामले में तो ऐसे सवाल सोच बन कर सिर पर हथौड़े से बजाने लगते हैं. रंजीत के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. सुबह 5 बजे दौड़ लगाने निकला रंजीत घंटों बाद भी नहीं लौटा तो घर वालों ने सोचा कि किसी दोस्त के घर चला गया होगा. लेकिन जब वह दोपहर तक नहीं आया तो परेशान हो कर उस के मोबाइल पर काल की गई, लेकिन उस का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस के बाद चिंतित होना स्वाभाविक था.

रंजीत मुरादाबाद शहर के निकटवर्ती गांव धर्मपुर शेरूआ का रहने वाला था. उस के पिता भोपाल सिंह गांव के पास स्थित प्लाइवुड की एक फैक्ट्री में ठेकेदार थे. उन के बेटों चमन सिंह और विमल में रंजीत बीच का था. भोपाल सिंह ने रंजीत को उसी प्लाइवुड फैक्ट्री में नौकरी दिला दी थी, जहां उन का ठेकेदारी का काम था. 30 जून, 2020 को चूंकि रंजीत की शादी थी, इसलिए भी चिंता की बात थी. चिंताजनक इसलिए क्योंकि गांव की ही वैशाली से उस के प्रेम संबंध थे और वह उस से शादी करना चाहता था. जबकि घर वाले उस की और वैशाली की शादी इसलिए नहीं करना चाहते थे क्योंकि वह दूसरी बिरादरी में शादी के पक्ष में नहीं थे.

रंजीत के पिता भोपाल सिंह, भाई चमन सिंह और विमल ने रंजीत को पूरे गांव में खोजा. सभी संभावित जगहों पर पता लगाया. जब कहीं से भी उस की कोई जानकारी नहीं मिली तो पिता और भाइयों को पुलिस की शरण में जाना ठीक लगा. उन्होंने थाना सिविल लाइंस की पुलिस चौकी अगवानपुर में रंजीत की गुमशुदगी दर्ज करा दी. पुलिस ने भी अपने स्तर पर रंजीत को खोजा. जब रंजीत रात को भी नहीं लौटा तो भोपाल सिंह के परिवार को लगा कि जरूर कहीं कुछ गड़बड़ है. सोचविचार के बाद भोपाल सिंह अपने बेटों के साथ पुलिस चौकी पहुंचे. उन्होंने रंजीत और वैशाली की प्रेम कहानी के बारे में पुलिस को बता दिया. साथ ही यह भी कि रंजीत और वैशाली देरदेर तक मोबाइल पर बात किया करते थे, जिस की वजह से उस के घर वाले रंजिश रखते थे.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने वैशाली को पुलिस चौकी बुलवा लिया. वह इंटरमीडिएट तक पढ़ी थी, थोड़ी तेज भी थी. वैशाली ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि रंजीत और उस के बीच प्रेम संबंध थे. दोनों शादी भी करना चाहते थे, लेकिन एक साल पहले सब कुछ खत्म हो गया था. उस ने यह भी कहा कि वह जानती है कि 30 जून को रंजीत की शादी होनी है. ऐसे में उस से बात करने का कोई मतलब नहीं है. सीधीसरल भाषा में कहूं तो मेरी उस से कोई बात नहीं होती, न होगी. इस बातचीत के बाद पुलिस ने उसे घर जाने को कह दिया. रंजीत के घर वाले और पुलिस कई दिन तक उसे ढूंढते रहे, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. इस पर थानाप्रभारी नवल मारवाह ने रंजीत के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई.

जांच में पता चला कि 14 जून को उस के मोबाइल फोन पर आखिरी काल वैशाली की आई थी. इस पर 22 जून को पुलिस ने वैशाली, भूपेंद्र और भाई विक्की को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. तीनों को थाना सिविल लाइंस ला कर पूछताछ की गई. पुलिस ने वैशाली से पूछा, ‘‘14 जून को रंजीत के मोबाइल पर आखिरी काल तुम्हारी थी, बताओ उस से क्या बात हुई थी और रंजीत कहां है?’’

‘‘काल उस ने की थी, मैं ने नहीं. मैं पहले ही बता चुकी हूं कि अब हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं बचा था कि बात की जाए. मैं नहीं जानती कि वह कहां गया.’’

इंसपेक्टर नवल मारवाह को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है. उन्होंने मातहतों से कहा कि तीनों को थाने में बैठाए रखें. इन लोगों से देर रात पूछताछ की गई. भूपेंद्र और विक्की तो कुछ नहीं बता सके, लेकिन वैशाली ने बम सा फोड़ा. उस ने बताया, ‘‘यह सही है कि 14 जून को रंजीत ने मुझे फोन किया था. उस ने मिलने के लिए मुझे गांव से करीब एक किलोमीटर दूर शुगर मिल के पीछे गन्ने के एक खेत में बुलाया था. उस ने मुझ से कहा कि 30 जून को उस की शादी है. लेकिन वह यह शादी नहीं करना चाहता.’’

वैशाली ने आगे बताया, ‘‘यह सच है कि मैं उस से प्यार करती थी. लेकिन घर वालों की मरजी के बिना शादी नहीं कर सकती थी. उस की भी यही सोच थी. दोनों की बातचीत हुई तो हम ने साथसाथ मरने का फैसला किया. रंजीत तमंचा साथ लाया था. तय हुआ कि वह पहले खुद को गोली मारेगा, बाद में मुझे. यही सोच कर उस ने खुद को गोली मार ली. उस का बहता खून देख कर मैं डर गई और वहां से भाग आई.’’

वैशाली ने यह भी बताया कि रंजीत ने उसे बताया था कि आत्महत्या की बात वह डायरी में लिख कर आया है. साथ ही यह भी कि उस की लाश गन्ने के उसी खेत में पड़ी है. यह बात चौंकाने वाली थी, क्योंकि जिस रंजीत को पुलिस खोज रही थी, उस की लाश गन्ने के खेत में पड़ी थी. 23 जून को तड़के साढ़े 3 बजे सिविल लाइंस पुलिस ने वैशाली की निशानदेही पर गन्ने के खेत से रंजीत का शव बरामद कर लिया. 9 दिन पुराना शव कंकालनुमा बन गया था. एक एक्सीडेंट के बाद रंजीत की एक बाजू में रौड डाली गई थी. उस रौड और कपड़ों से उस के घर वालों ने बता दिया कि लाश रंजीत की ही है. फोरैंसिक टीम पुलिस के साथ आई थी. उस ने जरूरी सबूतों के साथसाथ घटनास्थल से 315 बोर का लोडेड तमंचा, एक खोखा और मृतक का मोबाइल फोन बरामद किया. प्राथमिक काररवाई के बाद पुलिस ने रंजीत के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

रंजीत के घर वाले उस की हत्या को सोचीसमझी साजिश बता रहे थे, जबकि पुलिस उसे आत्महत्या मान रही थी. इस में पेच यह था कि 14 जून को घटना से पहले वैशाली और रंजीत के बीच 54 मिनट तक बात हुई थी. ऐसी स्थिति में इसे साजिश नहीं माना जा सकता था. हालांकि इस के बाद ही रंजीत गायब हुआ था. उसी दिन शाम को 5 बजे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. इस रिपोर्ट ने पुलिस की सोच बदल दी. पता चला कि रंजीत के सिर में एक नहीं, 2 गोलियां मारी गई थीं, जो 3 टुकड़ों में बंट कर सिर में फंस गई थीं. इन में से एक गोली कनपटी पर तो दूसरी आंख में मारी गई थी. जाहिर है आत्महत्या करने वाला व्यक्ति खुद को 2 गोली कभी नहीं मार सकता.

निस्संदेह रंजीत को दोनों गोलियां किसी और ने मारी थीं. इस के बाद पुलिस ने हत्या वाली थ्योरी पर जांच करनी शुरू की. वैशाली की घुमावदार बातों से साफ लग रहा था कि अगर काल डिटेल्स न होती तो यह भी पता नहीं चलता कि रंजीत की लाश गन्ने के खेत में पड़ी है. हैरत की बात यह थी कि वैशाली ने इस घटना के बारे में अपने घर वालों को भी कुछ नहीं बताया था. यानी उस ने अपने प्रेमी की मौत की बात 9 दिन तक अपने सीने में दफन रखी थी. मंगलवार को पूरे दिन रंजीत की मौत को खुदकुशी बताने वाली सिविल लाइंस पुलिस ने देर रात मृतक के पिता भोपाल सिंह की तरफ से वैशाली, उस के पिता भूपेंद्र, मां गुड्डी, भाई विक्की और मुंहबोले मामा शुक्ला के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

मृतक के घर वाले पुलिस की अब तक की जांच से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे. रंजीत की मौत के मामले में घर वालों ने समानांतर जांच की थी, जिस ने पुलिस पड़ताल की पोल खोल कर रख दी थी. पुलिस शुरू से इस मामले को आत्महत्या मान कर चल रही थी, पुलिस ने गन्ने के उस खेत में 20-25 कदम दूर तक भी पड़ताल करना मुनासिब नहीं समझा था. बुधवार यानी 24 जून को रंजीत के घर वालों ने मामले से जुड़ी कुछ अहम चीजें ढूंढ निकाली थीं. पुलिस ने वैशाली की बातों पर तो विश्वास किया, लेकिन रंजीत के घर वालों की बातों पर नहीं. इसलिए 24 जून की सुबह चमन सिंह, विमल और उन के पिता घर के अन्य लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने उसी गन्ने के खेत में खोजबीन शुरू की, जहां से रंजीत का शव मिला था.

खोजबीन में घटनास्थल से 20-25 कदम की दूरी पर एक थैली रखी मिली, जिस में 4 कारतूस रखे थे. उस के पास ही रंजीत का बनियान और जूते मिले. यह जानकारी जब गांव में फैली तो मौके पर ग्रामीणों की भीड़ जुट गई. इस के बाद पुलिस को सूचना दी गई. सूचना मिलने पर अगवानपुर पुलिस चौकी की पुलिस पहुंच गई. पुलिस ने कारतूस, बनियान, जूते और हड्डियों के अवशेष सील कर दिए. जबकि 23 जून को पुलिस ने गन्ने के खेत से रंजीत का शव बरामद किया था. लेकिन तब यह सामान बरामद नहीं हुआ था. जिस तरह मामले से जुड़ी अहम चीजें खोज निकाली गईं, उस से पुलिस पड़ताल पर गंभीर सवाल भी उठने लगे.

एएसपी दीपक भूकर के अनुसार रंजीत के घर वालों को 4 कारतूस मिले थे. कारतूस चमकीले हैं, जबकि 23 जून को मिला कारतूस इतना चमकीला नहीं था. शव की कुछ हड्डियां गायब थीं. पोस्टमार्टम में भी 10 फीसदी कम हड्डियां बताई गई थीं. कई दिनों तक शव जंगल में पड़ा होने से संभव है जानवरों ने शव खा लिया हो. इसी से कुछ हड्डियां इधरउधर हो गई हों. पुलिस ने मामले की जांच को गंभीरता से लेते हुए वैशाली से फिर से पूछताछ करने का फैसला किया. वैशाली किसी थ्रिलर फिल्म जैसी कहानियां बना रही थी. 9 दिन प्रेमी की मौत का राज सीने में छिपाए रखने वाली वैशाली ने 24 घंटे पुलिस को छकाने के बाद फिर अपनी कहानी की स्क्रिप्ट बदल दी थी.

पुलिस ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि गन्ने के खेत में उस के पहुंचने से पहले ही रंजीत ने खुद को गोली मार ली थी. तब उस ने रंजीत के मोबाइल से उस के भाई को काल किया था. लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की. फिर उस ने अपनी मां को फोन किया. उस ने बताया कि मां से उस की करीब 9  मिनट बात हुई. वह फोन पर रो रही थी, उस की मां ने काल जारी रखी और बात करतेकरते उस के पास पहुंच गई. मां उसे ले कर घर लौट आई. पुलिस जांच में अब तक यह भी सामने आ चुका था कि रंजीत की लाश गन्ने के खेत में पड़ी होने की जानकारी वैशाली के मांबाप को भी थी. 24 जून की दोपहर पुलिस ने वैशाली की मां गुड्डी को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने मांबेटी को आमनेसामने बैठा कर पूछताछ की.

पता चला कि पिछले 7 साल से वैशाली के घर एक व्यक्ति शुक्ला रहता था, जो घटना के बाद से फरार है. उस का मोबाइल भी बंद था. वैशाली ने उसे मुंहबोला मामा बताया. शुरू में पुलिस जांच में वैशाली के बयान और रंजीत के घर मिली उस की पर्सनल डायरी आत्महत्या की ओर इशारा कर रहे थे. डायरी में रंजीत ने इस बात पर खेद प्रकट किया था कि उस का विवाह उस की मरजी के खिलाफ हो रहा है. डायरी में उस ने परिवार वालों को नसीहत दी थी कि छोटे भाई की शादी उस के मनमुताबिक करें. उस ने डायरी में अपनी एफडी छोटे भाई को देने की बात भी की थी. पुलिस ने इसी आधार पर आत्महत्या की कड़ी से कड़ी जोड़ने का प्रयास किया था.

वारदात की एकलौती चश्मदीद वैशाली ने प्रेमी रंजीत की मौत को ले कर अब तक जो दावे किए थे, उन में काफी विरोधाभास था. उस के रोजरोज बदल रहे बयानों ने पुलिस को चक्कर में डाल दिया था. उस ने 105 घंटे में 6 बार अपने बयान बदले. हर बार उस का नया बयान सामने आ रहा था. पुलिस उस की इस स्वीकारोक्ति पर चौंकी, जब उस ने कहा कि गन्ने के खेत में उस ने खुद रंजीत को 2 गोलियां मारी थीं, क्योंकि वह उस पर शादी करने का दबाव बना रहा था. वैशाली के साथ उस की मां ने भी कबूलते हुए कहा कि वह खुद और वैशाली का मामा शुक्ला वैशाली के साथ गए थे. चूंकि दोनों अलगअलग बिरादरी के थे, इसलिए शादी नहीं हो सकती थी. उस ने बहाने से वैशाली को गन्ने के खेत में बुलाया. वहां वैशाली ने मां और मामा के सामने ही 2 गोलियां मार कर रंजीत की हत्या कर दी.

हालांकि पुलिस सारी कडि़यों को आपस में जोड़ रही थी. पुलिस ने फरार आरोपी शुक्ला के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. उस की लोकेशन गोरखपुर की आ रही थी. पुलिस की एक टीम उस की तलाश में जुटी थी. यह जानकारी मिलने पर वह टीम गोरखपुर के लिए रवाना हो गई. दूसरी टीम वैशाली और उस की मां से लगातार पूछताछ कर रही थी. जबकि तीसरी टीम लड़की के पिता व भाई से पूछताछ में जुटी थी. चौथी टीम सबूत जुटाने में लगी थी. पुलिस को लग रहा था कि वैशाली के मामा शुक्ला की इस मामले में अहम भूमिका रही होगी. रंजीत का शव 23 जून को तड़के साढ़े 3 बजे बरामद हो गया था. उस के बाद से 25 जून शाम साढ़े 6 बजे तक वैशाली ने 6 बयान बदले. उस ने पुलिस को खूब छकाया. बारबार बयान बदल कर पुलिस को उलझाने की कोशिश करती रही.

उस ने पहला बयान 21 जून की दोपहर 12 बजे दिया था, जिस में उस ने कहा कि रंजीत और उस के प्रेम संबंध थे, जो एक साल पहले खत्म हो चुके थे. अब उस से उस की बात नहीं होती. उस ने दूसरा बयान 22 जून को रात 12 बजे दिया. मोबाइल की काल डिटेल्स आने के बाद पुलिस ने उसे दोबारा चौकी बुलाया. तब उस ने बताया कि रंजीत की मौत हो चुकी है. उस की लाश खेत में पड़ी है. उस ने आत्महत्या की है. तीसरा बयान 23 जून की सुबह 6 बजे दिया. जिस में उस ने कहा कि 30 जून को रंजीत की शादी थी. हम दोनों ने आत्महत्या करने का फैसला किया था. 14 जून की सुबह रंजीत ने उसे काल कर के गन्ने के खेत में बुलाया था, जहां रंजीत ने खुद को गोली मार ली थी. इस के बाद मुझे भी गोली मारनी थी, लेकिन मैं घबरा कर घर भाग आई.

उस ने चौथा बयान उस ने 24 जून की दोपहर 11 बजे दिया, जिस में कहा कि रंजीत ने मेरे खेत में पहुंचने से पहले ही आत्महत्या कर ली थी. मैं ने रंजीत के भाई को काल की थी, पर उस ने काल रिसीव नहीं की तो मैं ने अपनी मां को फोन कर के मौके पर बुला लिया और मां के साथ वहां से घर चली गई. 9 दिन अपने प्रेमी की मौत का राज सीने में दफन करने और 117 घंटे में 7 बार बयान बदलने वाली वैशाली ने आखिरकार शुक्रवार सुबह सच उगल ही दिया. थाना सिविल लाइंस के थानाप्रभारी नवल मारवाह ने वैशाली के 7वें बयान के आधार पर 11 दिन बाद रंजीत की हत्या का खुलासा कर दिया. पुलिस के अनुसार वैशाली और उस की मां ने रंजीत की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मौके से मिला तमंचा, कारतूस और सिर में मिले गोली के 2 टुकड़े, फोटोग्राफी और वीडियो फुटेज, फोरैंसिक लैब की रिपोर्ट और बैलिस्टिक एक्सपर्ट की राय जैसे सबूत मांबेटी के खिलाफ काफी थे. पुलिस ने पूछताछ के लिए वैशाली के भाई और उस के पिता को भी हिरासत में लिया था. दोनों से पूछताछ की गई, लेकिन उन की कोई भूमिका सामने नहीं आई. फरार शुक्ला के कमरे की तलाशी के बाद पुलिस ने उस का बैंक खाता फ्रीज करा दिया. पुलिस को गुमराह करने की कला के बारे में वैशाली ने बताया कि उस ने अभिनेता अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ एक महीने में 5 बार देखी थी. इसी से प्रेरणा ले कर रंजीत की हत्या का राज अपने सीने में दफन करने की सोची.

फिल्म की तरह ही उन्होंने भी रंजीत की हत्या करने के बाद किया. साथ ही वैशाली ने अपनी मां व मामा को भी यही बताया था कि हो सकता है पुलिस को रंजीत की लाश मिल जाए, लेकिन उन्हें अपने बयान पर अड़े रहना है. रंजीत अपने घर एक डायरी रख कर आया था, जिस में उस ने आत्महत्या के बारे में लिख दिया था. इस से हमें उस का लाभ मिल सकता है. बस उन्हें अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत नहीं करनी है कि पुलिस को कोई शक हो. वैशाली और उस की मां गुड्डी ने इस हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह कुछ इस तरह थी—

रंजीत फैक्ट्री में नौकरी करने से पहले गांव में परचून की दुकान चलाता था. वैशाली अकसर उस की दुकान सामान लेने जाती थी. दोनों का दुकान पर ही संपर्क हुआ, जो धीरेधीरे प्यार में बदल गया. इस की भनक गांव वालों के साथ दोनों के घर वालों को भी लग गई. रंजीत वैशाली से शादी करना चाहता था. लेकिन वैशाली के घर वाले तैयार नहीं थे. इस बात को ले कर गांव में पंचायत भी हुई. इस के बाद रंजीत के घर वालों ने उस की शादी थाना छजलैट के गांव भीनकपुर की एक युवती से तय कर दी. शादी 30 जून, 2020 को होनी थी. लेकिन रंजीत इस शादी से खुश नहीं था. इस बीच उस की और वैशाली की मोबाइल पर बातचीत जारी रही. रंजीत अपनी प्रेमिका वैशाली को जीजान से चाहता था. उस के बिना वह जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता था. उस ने वैशाली से कह दिया था कि वह शादी करेगा तो उसी से, नहीं तो जान दे देगा.

रंजीत वैशाली पर दबाव बना रहा था कि उस के साथ शादी कर ले या फिर दोनों साथसाथ आत्महत्या कर लें. रंजीत वैशाली को बारबार काल कर के टौर्चर करने लगा तो वह तंग आ गई. घटना वाले दिन रंजीत ने उसे आत्महत्या के लिए गन्ने के खेत में बुलाया था. योजना के मुताबिक वह खेत में पहुंच गई. कुछ ही देर में वैशाली की मां गुड्डी और उस का मुंहबोला मामा शुक्ला भी वहां आ गए. इस के बाद मामा ने पीछे से रंजीत के हाथ पकड़ कर उसे जमीन पर गिरा दिया. पहली गोली वैशाली ने रंजीत की कनपटी पर मारी. जबकि दूसरी गोली उस की मां ने रंजीत की दाहिनी आंख और नाक के बीच सटा कर मारी. मुंहबोला मामा अपने साथ तमंचा और कारतूस ले कर आया था. लेकिन दोनों गोलियां रंजीत के तमंचे से ही मारी गई थीं.

रंजीत की हत्या करते समय मांबेटी दोनों के हाथ खून से सन गए थे, जिन्हें उन्होंने खेत में ही घास से पोंछ दिया था. रंजीत की हत्या कर के तीनों घर आ गए. घर आने के बाद तीनों ने चाय पी और नाश्ता किया. वैशाली की मां उस की शादी अपनी जाति के किसी अच्छे घर में करना चाहती थी. समझाने पर वैशाली भी मान गई थी. लेकिन रंजीत वैशाली का पीछा नहीं छोड़ रहा था. तब उस ने शुक्ला के साथ मिल कर उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाई. 14 जून को उन्हें मौका मिल गया. 6 जून को पुलिस ने वैशाली और उस की मां गुड्डी को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

 

Extramarital Affair : बहन ने छोटी बहन को जीजा से हंस हंस कर बात करते देखा तो गला दबा दिया

Extramarital Affair : कोई भी औरत नहीं चाहती कि उस का पति किसी और से रिश्ता जोड़े. ऐसे में अगर पति पत्नी की बहन से रिश्ता बना ले तो पत्नी के लिए यह बात नाकाबिले बरदाश्त हो जाएगी. इसी वजह से गीता ने…

नहने सिंह मंडी से सब्जी ला कर गांव में बेचने का काम करता था. उस का बेटा रवि भी इस काम में उस की मदद करता था. लौकडाउन के चलते रोजाना की तरह नहने उस दिन भी सुबह सब्जी खरीदने के लिए टूंडला मंडी गया था. सुबह 7 बजे सब्जी ले कर वह वापस घर लौट आया. तब तक घर के सभी सदस्य जाग गए थे, लेकिन घर में उसे अपनी बेटी कंचन दिखाई नहीं दी. उस ने पत्नी से पूछा, ‘‘कंचन कहां है?’’

पत्नी ने बताया कि छत पर सो रही है, अभी तक नीचे नहीं आई है. उसे उठाने के लिए रवि ने आवाज दी, लेकिन उस ने कोई जवाब नहीं दिया. इस पर घरवाले छत पर गए. देखा चारपाई पर कंचन मुंह ढंके सो रही थी. पास जा कर उसे हिलाया. लेकिन वह नहीं उठी. गौर से देखा तो कंचन मरी पड़ी थी. यह घटना 15 मई, 2020 की है. कंचन की मौत की बात सुनते ही घर में कोहराम मच गया. चीखपुकार का शोर सुन कर आसपास के लोग आ गए. नहने की बेटी की अचानक मौत होने से गांव में सनसनी फैल गई. इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. कुछ ही देर में पचोखरा थानाप्रभारी संजय सिंह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

कंचन के घरवालों ने पड़ोसियों पर कंचन की हत्या करने का आरोप लगाया. कारण आपसी रंजिश थानाप्रभारी ने इस घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी थी. कुछ ही देर में एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह और सीओ अजय सिंह चौहान फोरैंसिक टीम के साथ मौकाएवारदात पर आ गए. कंचन की लाश देख उस की मां और बहनें बिलखबिलख कर रो रही थीं. उन्हें मोहल्ले  की महिलाएं संभाल रही थीं. पुलिस अधिकारियों ने मकान की छत पर जा कर चारपाई पर पड़े कंचन के शव का बारीकी से निरीक्षण किया, फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. जांच के दौरान फोरैंसिक टीम प्रभारी कुलदीप चौहान ने देखा, मृतका की गरदन पर चोट का निशान था. मतलब कंचन की हत्या की गई थी.

उस की हत्या किस ने और क्यों की, इस का जवाब किसी के पास नहीं था. लेकिन मृतका के पिता नहने चिल्लाचिल्ला कर अपनी बेटी की हत्या का आरोप पड़ोसियों पर लगा रहा था. पूछताछ में मृतका के भाई रवि ने बताया कि वह रात में पड़ोस में गया हुआ था. वहां एक लड़की को सांप ने काट लिया था. वहां से वह रात 12 बज कर 5 मिनट पर घर आया. सवा 12 बजे छत पर गया, वहां बहन कंचन चारपाई पर सो रही थी. उस समय वह जिंदा थी या मर चुकी थी, उसे पता नहीं. वह छत से नीचे आ कर सो गया. सुबह 7 बजे पता चला कि बहन की मौत हो गई है. पुलिस ने इस संबंध में घर वालों से पूछताछ की. पिता नहने ने बताया कि सभी लोग मकान के चबूतरे पर सो रहे थे. गरमी की वजह से रात में कंचन घर की छत पर चली गई थी. सुबह वह मृत मिली. रात में सोते समय  पड़ोसियों ने छत पर जा कर कंचन की हत्या कर दी.

पुलिस ने शव कब्जे में ले लिया. फिर मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भिजवा दी. दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि कंचन की हत्या गला घोंटने से हुई थी. पुलिस ने मृतका के पिता नहने सिंह की तहरीर पर गांव के प्रणवीर यादव, उस की पत्नी गीता, प्रबल कुमार यादव व पीपी यादव के खिलाफ हत्या की आशंका का केस दर्ज कर लिया. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि पड़ोसी उस से व उस के परिवार से  रंजिश रखते थे. इस के चलते बेटी कंचन की सोते समय गला दबा कर हत्या कर दी गई.

नहने सिंह अपने परिवार के साथ जिला फिरोजाबाद के गांव जारखी में रहता था. उस के 5 बच्चों में बेटी गीता सब से बड़ी थी, दूसरे नंबर का बेटा रवि था. इस से छोटी कंचन और शिवानी थीं. दोनों छोटी बहनें जवान थीं. नहने ने दोनों बहनों का रिश्ता तय कर दिया था. 29 जून को कंचन व शिवानी की बारात आनी थी. घर में खुशी का माहौल था और शादी की तैयारियां चल रही थीं. सीओ अजय चौहान ने एसओजी टीम को भी इस घटना के खुलासे के लिए लगा दिया. एसओजी प्रभारी कुलदीप चौहान अपनी टीम सहित इस कार्य में जुट गए. जांच के दौरान पुलिस ने पड़ोसियों से भी पूछताछ की. पूछताछ के दौरान पता चला कि दोनों बहनों कंचन व शिवानी की जून में शादी होने वाली थी. पुलिस ने प्रेम प्रसंग को ले कर भी जांच की. लेकिन उसे पता चला कि कंचन का किसी से कोई प्रेमप्रसंग नहीं चल रहा था.

जांच के दौरान पता चला कि मृतका कंचन के मोबाइल की काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा था, जिस पर कंचन की अकसर बात होती थी. उस नंबर पर बात भी काफी देर तक होती थी. पूछताछ पर पता चला कि यह नंबर कंचन के जीजा भूरा का था. इस पर पुलिस ने मृतका के घरवालों से गहनता से पूछताछ की. पुलिस को पता चला कि नहने के 5 बच्चों में सब से बड़ी बेटी गीता शादीशुदा है. उस की शादी आगरा के थाना क्षेत्र गांव लड़ामदा में भूरा के साथ हुई थी. उस के 2 बच्चे भी हैं. वह पिछले 2 माह से अपने मायके जारखी में रह रही थी. इस के बाद पुलिस ने गीता और उस के पति भूरा के संबंधों के बारे में जानकारी जुटाई. पुलिस को पता चला कि पतिपत्नी के बीच रिश्ते मधुर नहीं थे.

छोटी बहन कंचन अपने जीजा से अकसर मोबाइल पर बात करती थी. पुलिस ने इस पहलू पर भी जानकारी जुटाई कि कहीं जीजासाली के बीच कोई खिचड़ी तो नहीं पक रही थी. कहीं कंचन पत्नी के बीच रोड़ा तो नहीं बन रही थी. मृतका के पिता ने पड़ोस के 4 लोगों पर शक जताते हुए हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस और एसओजी टीम ने जब मामले की गहनता से जांच की तो बात कुछ और निकली. बड़ी बहन गीता ने खून के रिश्तों को कलंकित होते देख अपनी छोटी बहन कंचन की गला दबा कर हत्या कर दी थी. पूछताछ के बाद पुलिस ने 20 मई, 2020 को बड़ी बहन गीता को छोटी बहन कंचन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. गीता ने अपना जुर्म कबूल कर लिया.  गीता ने बहन की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी—

गीता की शादी 7-8 साल पहले हुई थी. छोटी बहन कंचन से पति भूरा के संबंध होने का गीता को शक था. शक की बुनियाद यह थी कि दोनों मोबाइल पर घंटों बात करते थे. इस के चलते उसे दोनों के बीच प्रेम संबंध होने का शक हो गया था. गीता ने पति से कई बार कंचन से बात करने को मना किया.  लेकिन उस का पति कंचन को ले कर उस के साथ आए दिन मारपीट करता था. पिछले 2 महीने से गीता अपने मायके में रह रही थी. उस ने देखा कि यहां भी उस के पति और बहन कंचन के बीच काफी देर तक बातें होती थीं. दोनों मोबाइल पर चिपके रहते थे. यह बात गीता को नागवार गुजरती थी. घटना से एक दिन पहले भी गीता का कंचन से विवाद हुआ था. गीता को यह बात बुरी लगती थी कि शादी तय हो जाने के बाद भी कंचन उस के पति से बात करती रहती है.

गीता को शक था कि जीजा से बात करने के लिए कंचन गरमी का बहाना कर छत पर चली गई है. वह रात में उस के पति से बात करेगी. उस दिन रात के समय उस का भाई रवि भी मोहल्ले में चला गया था. अच्छा मौका देख कर गीता छत पर गई. उस समय कंचन चारपाई पर गहरी नींद में सोई हुई थी. इसलिए उस ने छत पर अकेली सो रही कंचन का गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया. उस ने गला इतनी जोर से दबाया कि कंचन की चीख भी नहीं निकल सकी. हत्या के बाद वह दबे पांव नीचे आ कर सो गई. सुबह कंचन की मौत की खबर पर दुख जताते हुए वह भी रोने का नाटक करती रही.

पुलिस ने गीता को बहन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. जीजा और साली का रिश्ता हंसीमजाक का होता है. जीजा से मोबाइल पर हंसहंस कर बात करना ही कंचन की मौत का कारण बन गया. गीता को अपनी बहन के चरित्र पर शक हो गया था, लेकिन शक दिनोंदिन इतना गहराता गया कि अंतत: उस ने उस की हत्या कर दी.

पुलिस ने युवती की हत्या की गुत्थी का घटना के 5 दिन बाद ही खुलासा कर दिया. गीता ने शक के चलते अपना परिवार उजाड़ लिया. नहने के घर में शादी की खुशियां मातम में बदल गईं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित