“अगला जन्म किस ने देखा है अनुराग, मैं इसी जन्म में तुम्हारी दुलहन बनूंगी. तुम मेरा पहला और आखिरी प्यार हो. मेरे प्यार की कहानी तुम से शुरू हुई थी और तुम पर ही जा कर खत्म होगी.” राधा ने कहा और आगे झुक कर उस ने भावावेश में अनुराग के होंठ चूम लिए. वह फिर पार्क में नहीं रुकी. पार्क से बाहर निकलते वक्त उस की आंखों में आंसू झिलमिला रहे थे.
दुलहन के रूप में करन की मौत बन कर आई राधा
9 मई, 2022 को राधा और करन भदौरिया की धूमधाम से शादी हो गई. राधा भदौरिया खानदान की बहू बन कर कोट पोरसा में आ गई. अब यह राधा की ससुराल थी और करन उस का सुहाग. विवशता में राधा ने यह विवाह किया था, वह अनुराग के साथ अपने प्रेम और उसी से विवाह करने की बात मांबाप के सामने जुबान पर नहीं ला पाई. उस ने करन भदौरिया से शादी का विरोध करने का साहस भी नहीं जुटाया और बुझे मन से शादी की रस्में निभाते हुए करन के साथ सात फेरे ले लिए.
सुहागसेज पर करन ने अपना हक मांगा तो अनुराग की छवि मन में बसा कर खुद को करन के हवाले कर दिया. उस का मन तड़प रहा था और आंखों में नमी थी, जिसे करन नहीं देख पाया. एक सप्ताह वह राधा के साथ मौजमस्ती करता रहा. राधा भरे मन से उस की खुशियों की भागीदार बनती रही. 8वें दिन करन अपनी नौकरी पर विजयवाड़ा चला गया तो राधा ने चैन की सांस ली. उसे ऐसा लगा जैसे लंबी कैद काट कर वह आजाद हुई है.
करन विजयवाड़ा की टोल प्लाजा कंपनी में काम करता था. शुरूशुरू में वह 15 दिन में एक बार कोट पोरसा पत्नी राधा के मोह में आता रहा, फिर यह सिलसिला रुक गया. कारण कंपनी ने उस की ज्यादा नागा का नोटिस ले लिया था, उन्होंने करन को हिदायत दी थी कि वह मन लगा कर काम करे, ज्यादा छुट्टी लेने पर कंपनी का नुकसान होगा. करन मन मार कर रह गया था.
11 फरवरी, 2023 को रघुसिंह भदौरिया बड़ी बेचैनी से घर के आगे टहल रहे थे. उन की निगाहें सामने वाली उस सडक़ पर जमी थीं, जो कोट परोसा बाजार हो कर उन के दरवाजे की ओर आती थी. रघुसिंह को अपने बेटे करन के आने का इंतजार था.
करन हुआ अचानक लापता
करन ने दोपहर में उन्हें सूचना दे दी थी कि वह सकुशल विजयवाड़ा से ग्वालियर आ गया है और 2 बजे तक घर पहुंच जाएगा. लेकिन अब शाम के 6 बज रहे थे. करन का न फोन आया था, न वह खुद घर पहुंचा था. उस का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा था. रघुसिंह भदौरिया को घबराहट होने लगी थी.
वह पागलों की तरह बेटे की राह देख रहे थे कि उन का बड़ा बेटा अर्जुन घर आ गया. रघुसिंह भदौरिया ने उसे करन के अभी तक घर न आने की बात बताई तो वह भी परेशान हो गया. उस ने अपने सभी रिश्तेदारों को फोन कर के करन के विषय में पूछा, सभी से एक ही बात सुनने को मिली कि करन उन के घर नहीं आया है. फिर तो अर्जुन भी घबरा गया.
वह रात जैसेतैसे उन्होंने आंखों में काटी, सुबह रघुसिंह बड़े बेटे अर्जुन को ले कर थाना गोहद चौराहा पहुंच गए. एसएचओ उपेंद्र छारी ने दोनों की बदहवास हालत देख कर उन्हें पानी पिलवाया और उन के थाने आने का कारण पूछा.
“साहब, मेरा छोटा बेटा करन भदौरिया विजयवाड़ा से अंडमान एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ कर कल दोपहर को ग्वालियर स्टेशन पर उतरा था. उस का फोन तब चालू था, उस ने मुझे बताया था कि वह 2 बजे तक घर आ जाएगा. लेकिन वह अभी तक घर नहीं पहुंचा है. उस का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है. मुझे बहुत घबराहट हो रही है, आप मेरे बेटे की तलाश करवाइए.”
“आप अपनी रिपोर्ट लिखवा दीजिए और अपने बेटे की फोटो दे दीजिए. मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आप के बेटे का पता चल जाए.” एसएचओ ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा.
रघुसिंह ने बेटे करन की गुमशुदगी दर्ज करा दी
एसएचओ उपेंद्र छारी ने करन की गुमशुदगी को बड़ी गंभीरता से लिया. उन्होंने भिंड जिले के सभी थानों में करन की फोटो फ्लैश कर के उन से करन को तलाश करने में मदद मांगी. लेकिन 2 दिन बीत जाने पर भी करन की कोई सूचना नहीं मिली. करन का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया गया था, लेकिन वह मोबाइल स्विच्ड औफ था.
रघुसिंह से उन्होंने करन और उस की पत्नी राधा का मोबाइल नंबर लेकर सर्विलांस की मदद से उस की काल डिटेल्स निकलवाई तो वह चौंक गए. करन की पत्नी राधा के मोबाइल से एक नंबर पर इन 9 महीनों में 12,375 बार फोन किया गया था. इस नंबर की जांच की तो यह नंबर भिंड जिले में चतुर्वेदी नगर के रहने वाले अनुराग चौहान का निकला.
“यह अनुराग कौन है?” एसएचओ ने रघुसिंह को थाने बुला कर पूछा.
“मैं नहीं जानता साहब,” रघुसिंह ने सिर हिलाया.
“आप की बहू का चुतुर्वेदी नगर में कोई रहता है क्या? आप की बहू ने यहां रहने वाले अनुराग चौहान से शादी के बाद से 12,375 बार फोन किया है.”
“चतुर्वेदी नगर में तो राधा की मौसी रहती है साहब. उन का कोई बेटा नहीं है, पति भी कभी का स्वर्गवासी हो गया है.” रघुसिंह ने बताया.
“हं. मुझे अब करन की तलाश करने के लिए रास्ता मिलने लगा है. आप घर जाइए, करन के बारे में अब जल्दी पता चल जाएगा.” एसएचओ ने रहस्यभरी आवाज में कहा.
रघुसिंह के जाने के बाद एसएचअे उपेंद्र छारी ने एसआई शिवप्रताप राजावत, वैभव तोमर, कल्याण सिंह यादव और एएसआई सत्यवीर सिंह को रघुसिंह के घर के आसपड़ोस में रहने वाले लोगों से राधा के विषय में गुप्त तरीके से जानकारी जुटाने के लिए भेज दिया.