शादी की जिद में पति मिला न प्रेमी – भाग 2

जब पुलिस ने दोनों के मोबाइल लोकेशन बंजारी के जंगल में मिलने की बात कही और सख्ती से पूछताछ की तो पुलिस की सख्ती के आगे वह जल्दी ही टूट गया और सारी सच्चाई उस ने पुलिस के सामने बयां कर दी. गिरिजा ने बताया कि उस ने पूर्णिमा का मर्डर कर दिया है.

जंगल में मिली पूर्णिमा की लाश

14 अप्रैल, 2023 को गिरिजा शंकर ने पुलिस को बताया कि उस ने पूर्णिमा को गांगुलपरा और बंजारी के बीच जंगल की पहाड़ी में ले जा कर उस की गला घोट कर हत्या कर दी थी. टीआई अमित सिंह कुशवाह, एसआई जयदयाल पटले, रमेश इंगले, हैडकांस्टेबल रमेश उइके, गौरीशंकर को ले कर गांगुलपरा और बंजारी के बीच पहाड़ी जंगल ले कर पहुंची और गिरिजा शंकर की निशानदेही पर पूर्णिमा की लाश बरामद की.

इस दौरान पूर्णिमा बिसेन की हत्या की सूचना मिलते ही लांजी के एसडीपीओ दुर्गेश आर्मो, एसपी (सिटी) अंजुल अयंत मिश्रा, टीआई (भरवेली) रविंद्र कुमार बारिया के अलावा अन्य पुलिसकर्मी और अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और जांचपड़ताल शुरू की.

पूर्णिमा की लाश अधिक दिनों की होने से काफी खराब हो चुकी थी. मौके की काररवाई करने के बाद पूर्णिमा की लाश जिला अस्पताल लाई गई, जहां पर पूर्णिमा के मातापिता सहित परिवार के अन्य लोगों ने चप्पल और कपड़ों से लाश की पहचान की. उन्होंने बताया कि लाश पूर्णिमा की ही है. रात होने से लाश का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया.

पोस्टमार्टम न हो पाने की वजह से लाश को बालाघाट के जिला अस्पताल के फ्रीजर में रखवा दिया, दूसरे दिन 15 अप्रैल को लाश का पोस्टमार्टम कर लाश को पूर्णिमा के घर वालों के सुपुर्द किया गया गया. जैसे ही पूर्णिमा की लाश गांव पहुंची तो पूरे गांव में मातम छा गया. परिवार के लोगों ने नम आंखों से उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

पुलिस ने इस मामले में गिरिजा शंकर पटले के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत अपराध दर्ज किया और इस अपराध में उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरिजा शंकर पटले से पूर्णिमा की हत्या में प्रयुक्त दुपट्ïटा, बाइक और मोबाइल भी बरामद कर लिया.

15 अप्रैल को पुलिस ने गिरिजा शंकर को बालाघाट कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 2 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह रिश्तों को तारतार करने वाली थी….

27 साल का गिरिजा शंकर बालाघाट जिले के किरनापुर ब्लौक के गांव मोहगांव खारा में रहने वाले खुमान सिंह पटले का बेटा था. खुमान सिंह की 2 बेटियों में से बड़ी बेटी शारदा की शादी 4 साल पहले लिम्देवाड़ा के पवन बिसेन से हुई थी.

बहन की शादी के बाद से ही गिरिजा शंकर का अपनी बहन की ननद पूर्णिमा के साथ प्रेम संबंध चल रहे थे. गिरिजा शंकर का किरनापुर में फोटो स्टूडियो है. वह शादी विवाह समारोह में फोटोग्राफी और वीडियो शूटिंग का काम करता है. ग्रैजुएट गिरिजा शंकर अपने इस हुनर से अच्छीखासी आमदनी कर लेता है. इसी आमदनी से उस के शौक भी पूरे होते हैं. गिरिजा शंकर पूर्णिमा की भी हर ख्वाहिश पूरी करता था, यही वजह थी कि पूर्णिमा उस के प्यार में दीवानी थी.

भाई के साले गिरिजा शंकर से हुआ प्यार

करीब 4 साल पहले गिरिजा शंकर की बहन शारदा का विवाह पूर्णिमा के भाई से हुआ था. शादी के बाद अपनी बहन को लिवाने जब गिरिजा शंकर अपने दोस्तों के साथ लिमदेवाड़ा गया था, तब परंपरा के अनुसार उन की खूब खातिरदारी हुई थी. पूर्णिमा भी गिरिजा शंकर के साथ बैठ कर खूब हंसीमजाक कर रही थी. पूर्णिमा उस समय 19 साल की नवयौवना थी, जिस का रूपयौवन देख कर गिरिजा शंकर मन ही मन फिदा हो गया था.

बहन शारदा की शादी के बाद उसे ससुराल से लिवाने अकसर गिरिजा शंकर बाइक से जाता था. बहन शारदा का एकलौता भाई होने की वजह से उसे सब पसंद करते थे. बहन की ससुराल में वह पूर्णिमा से हंसीमजाक करता तो रिश्ते के लिहाज से कोई कुछ नहीं कहता था. धीरेधीरे पूर्णिमा और गिरिजा शंकर के बीच हंसीमजाक से शुरू हुआ सिलसिला प्यार में तब्दील हो चुका था. पूर्णिमा का भाई और पिता खेतीबाड़ी में लगे रहते और पूर्णिमा कालेज की पढ़ाई कर रही थी, ऐसे में गिरिजा शंकर कभीकभार पूर्णिमा को कालेज भी छोड़ दिया करता था.

एक दिन कालेज ले जाते वक्त गिरिजा शंकर ने बाइक बंजारी के जंगल में रोक दी तो पूर्णिमा ने पूछा, “यहां घने जंगल में बाइक क्यों रोक दी?”

“कुछ नहीं, आज जंगल में मंगल करने का इरादा है.” गिरिजा शंकर पूर्णिमा के साथ शरारत करते हुए बोला.

“धत, यहां कोई देख लेगा तो घर तक खबर पहुंचने में देर नहीं लगेगी.” पूर्णिमा बोली.

गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा के गले में हाथ डाला और उसे जंगल के घने पेड़ की आड़ में ले जा कर बोला, “मेरी जान, जब प्यार किया तो डरना क्या.”

पूर्णिमा के अंदर सुलग रही आग भी आज चिंगारी बन कर जल उठी थी. उस ने भी अपनी बाहों को गिरिजा शंकर के गले में डालते हुए कहा, “मैं तो तुम्हें जी जान से प्यार करती हूं, तुम्हारी बाहों में मुझे जमाने का डर नहीं.”

“तो फिर मुझे अपनी हसरत पूरी कर लेने दो.” पूर्णिमा के होंठो पर चुंबन देते हुए गिरिजा शंकर ने कहा.

“किस ने रोका है तुम्हें, मैं भी तुम्हारे प्यार में जी भर के डूब जाना चाहती हूं.” पूर्णिमा ने गिरिजा शंकर के माथे को चूमते हुए कहा. धीरेधीरे गिरिजा शंकर के हाथ पूर्णिमा के अंगों पर रेंगने लगे. जंगल के एकांत में पूर्णिमा और गिरिजा शंकर ने अपने देह की आग को शांत किया और कपड़ों को ठीक करते हुए उसे कालेज छोड़ दिया. तन की आग बुझाने का सिलसिला जो एक बार शुरू हुआ तो फिर आगे बढ़ता गया. अकसर दोनों को जब भी मौका मिलता, अपनी हसरतें पूरी करने लगे.

                                                                                                                                                 क्रमशः

शादी की जिद में पति मिला न प्रेमी – भाग 1

5 अप्रैल, 2023 को दोपहर करीब 12 बजे की बात है. पूर्णिमा बिसेन अपनी मां से बोली, “मम्मी मैं सिलाईकढ़ाई सीखने जा रही हूं.”

“बेटा, तेरी लग्न हो गई है. ये सिलाईकढ़ाई सीखना बंद कर दे,” पूर्णिमा की मां ने उसे रोकते हुए कहा.

“नहीं मम्मी, अभी शादी तो 22 तारीख को है, जब तक कुछ और सीख लेने दो. फिर तो घरगृहस्थी से फुरसत कहां मिलेगी,” पूर्णिमा ने जिद करते हुए कहा.

“ठीक है बेटा, जैसी तेरी मरजी, मगर शाम ढलने से पहले घर आ जाना.” मां ने समझाते हुए कहा.

प्रेमी से मिलने पहुंच गई पूर्णिमा बिसेन

“मां आज साइकिल में हवा कम है, इसलिए पैदल ही जा रही हूं.” पूर्णिमा ने दुपट्ïटा सिर पर बांधते हुए कहा.

“बापू के आने के पहले ही घर वापस आ जाना, वरना मुझे उलाहना देंगे.” मां ने सीख देते हुए कहा.

मां की हरी झंडी मिलते ही पूर्णिमा अपने घर से पास ही के गांव डूंडा सिवनी चली गई, किंतु शाम तक घर नहीं लौटी. पूर्णिमा के समय पर घर वापस न आने से मां के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. पूर्णिमा के पिता धनराज और भाई बाइक ले कर अपने रिश्तेदारों को पूर्णिमा की शादी का आमंत्रण दे रहे थे. शाम को जब वे घर लौटे तो पूर्णिमा की मां बोली, “पूर्णिमा अभी तक सिलाई सीख कर घर वापस नहीं आई है.”

“आखिर अब सिलाई सीखने की क्या जरूरत है, विवाह तो होने वाला है.” दिन भर निमंत्रण कार्ड बांट कर थकेहारे लौटे धनराज बोले. धनराज मुंहहाथ धो कर खाना खाने की तैयारी में थे. पूर्णिमा के घर न लौटने की बात सुन कर वे अपने बेटे से बोले, “बेटा, जरा पूर्णिमा को फोन लगा कर पूछ, घर आने में देर क्यों हो गई?”

धनराज के बेटे ने पूर्णिमा को फोन लगाया तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ बता रहा था. जब उस ने पिता को यह जानकारी दी तो उन की चिंता बढ़ गई. अनमने ढंग से जल्द ही भोजन खत्म कर के उठे धनराज ने आसपास के गांव में रिश्तेदारी के अलावा पूर्णिमा के जानपहचान वालों के घर फोन लगा कर पूछताछ की, परंतु पूर्णिमा का कोई पता नहीं चला.

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के हट्ïटा थाना इलाके में एक छोटा सा गांव लिम्देवाड़ा है, जिस की आबादी बमुश्किल एक हजार होगी. खेतीकिसानी वाले इस गांव में 55 साल के धनराज बिसेन खेतीबाड़ी करते हैं. धनराज का एक बेटा और पूर्णिमा नाम की एक बेटी है.

धनराज बिसेन खुद तो ज्यादा पढ़ेलिखे नहीं हैं, परंतु अपनी बेटी को पढ़ा कर उसे काबिल बनाना चाहते थे. यही वजह थी कि गांव की 23 साल की लडक़ी पूर्णिमा एमएससी फाइनल की पढ़ाई बालाघाट कालेज से कर रही थी. हाल ही में उस ने परीक्षा दी थी. परीक्षा खत्म होते ही वह पास के गांव डूंडा सिवनी में सिलाईकढ़ाई सीख रही थी. पूर्णिमा की पढ़ाई के अलावा सिलाईकढ़ाई में भी रुचि को देखते हुए घर वालों ने उसे सिलाईकढ़ाई सीखने के लिए हंसीखुशी इजाजत दी थी.

शादी से पहले पूर्णिमा हो गई गायब

इस साल कालेज की पढ़ाई खत्म होने वाली थी, यही सोच कर धनराज बिसेन ने अपनी बेटी पूर्णिमा का विवाह ग्राम सारद में तय कर दिया था और 22 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन पूर्णिमा की शादी होने वाली थी. शादी को ले कर पूरे घरपरिवार में उत्साह और उमंग का माहौल था, मगर पूर्णिमा के घर से गायब होते ही शादी का जश्न मातम में बदल गया था.

धनराज के परिवार को बदनामी भी झेलनी पड़ रही थी. लोग दबी जुबान से यह भी कह रहे थे कि प्यारमोहब्बत के चक्कर में किसी के साथ भाग गई होगी. मामला जवान बेटी के शादी के ऐन वक्त घर से गायब होने का था, लिहाजा गांव के बड़ेबुजुर्गों की सलाह पर धनराज ने दूसरे दिन 6 अप्रैल को हट्ïटा थाने में जा कर पूर्णिमा की गुमशुदगी दर्ज करा दी. टीआई अमित कुमार कुशवाहा ने पूर्णिमा की फोटो और जानकारी ले कर धनराज को भरोसा दिया कि जल्द ही पूर्णिमा को खोज निकालेंगे.

पूर्णिमा के गुम होने की खबर उस के होने वाले पति के घर वालों तक पहुंच चुकी थी. वहां भी शादी की तैयारियां चल रही थीं. पूर्णिमा का मंगेतर रातदिन उस के ख्वाबों में डूबा उस दिन का इंतजार कर रहा था कि कब उस की डोली घर आए और वह पूर्णिमा के साथ सुहागरात मनाए. मगर पूर्णिमा के गायब होने की खबर से मंगेतर ने यह सोच कर राहत की सांस ली कि अच्छा हुआ कि वह शादी के पहले भाग गई, बाद में कुछ ऊंचनीच होती तो गांव में उस की बदनामी ही होती.

पूर्णिमा कर रही थी एमएससी की पढ़ाई

पूर्णिमा कालेज से अपनी एमएससी की पढ़ाई कर ही रही थी, वह साइकिल से गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने भी जाती थी. अपने गांव से 3-4 किलोमीटर दूर डूंडा सिवनी सिलाई क्लास भी साइकिल से ही जाती थी, लेकिन 5 अप्रैल को वह साइकिल के बजाय पैदल ही घर से चेहरे पर दुपट्ïटा बांध कर निकली थी, जिसे गांव के कुछ नवयुवकों ने गांव से जाते हुए देखा था.

पुलिस पूछताछ में एक नवयुवक ने बताया कि उस दिन भी दोपहर के समय एक युवक बाइक से उस के पास पहुंचा, जिस के साथ बैठ कर वह चली गई. जैसेजैसे दिन गुजर रहे थे, पूर्णिमा के घर वालों की चिंता बढ़ती जा रही थी. पुलिस भी पूर्णिमा की खोज में जुटी हुई थी. पुलिस को शक था कि कहीं प्रेम प्रसंग के चक्कर में पूर्णिमा घर से भागी होगी.

जांच के दौरान पुलिस का यह संदेह सच साबित भी हुआ. जांच में पता चला कि पूर्णिमा का प्रेम संबंध पिछले कुछ सालों से उस की भाभी के भाई गिरिजा शंकर पटले के साथ चल रहा था. गिरिजा शंकर भरवेली थाना क्षेत्र के मोहगांव खारा का रहने वाला था. घर के आसपास रहने वाले लोगों से पूछताछ में पुलिस को यह भी पता चला कि घटना वाले दिन पूर्णिमा गिरिजा शंकर के साथ अंतिम बार देखी गई थी.

पुलिस टीम ने साइबर सेल की मदद से गिरिजा शंकर और पूर्णिमा के मोबाइल नंबर ले कर काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स में 5 अप्रैल को पूर्णिमा और गिरिजा शंकर के बीच बातचीत के अलावा उन की मोबाइल लोकेशन भरवेली थाना क्षेत्र में आने वाले गांगुलपरा और बंजारी के बीच पहाड़ी जंगल में मिल रही थी.

तब पुलिस ने शक के आधार पर गिरिजा शंकर को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो पहले तो वह पुलिस को गुमराह करता रहा. पहले तो गिरिजा शंकर ने बताया कि वे बालाघाट घूमने गए थे और घूमने के बाद पूर्णिमा को गांव के बाहर छोड़ दिया था, परंतु पुलिस जांच में दोनों के मोबाइल फोन की लोकेशन बंजारी के जंगल की मिल रही थी.

                                                                                                                                                क्रमशः

बहुचर्चित लीना शर्मा हत्याकांड : मामा को मिली सजा

पैसा बेईमान नहीं, हत्यारा भी बनाता है

बालम की सेज पर नौकर का धमाल

बहुचर्चित लीना शर्मा हत्याकांड : कंस मामा को मिली सजा – भाग 3

29 अप्रैल, 2016 को जब लीना अपने साथ सोहागपुर से ही तारबंदी का सामान ले कर प्रताप कुशवाहा और दूसरे लोगों के साथ अपने खेत पर पहुंची तो तारबंदी करने को ले कर उस का मामा प्रदीप से विवाद इतना बढ़ा कि प्रदीप ने लीना के साथ आए लोगों को यह कह कर वहां से खदेड़ दिया कि ‘‘ये हमारा आपस का मामला है, हम दोनों निपटा लेंगे.’’

तड़पा कर की थी लीना की हत्या…

लीना के साथ आए लोगों के वहां से जाने के बाद प्रदीप शर्मा उसे अपने खेत पर बने घर पर ले गया. वहां पहुंच कर प्रदीप ने लीना के सिर पर डंडे से हमला कर दिया. तभी प्रदीप के नौकर गोरेलाल, राजेंद्र ने उस के सिर पर पत्थर से हमला कर दिया. सिर में गहरी चोट लगने से वह जमीन पर गिर गई और थोड़ी देर तक तड़पने के बाद उस की मौत हो गई. लीना की मौत के बाद प्रदीप ने दोनों नौकरों से कहा, ‘‘जाओ, जल्दी से ट्रैक्टर ट्रौली ले कर आओ. लाश को ठिकाने लगाना पड़ेगा.’’

“जी मालिक, अभी लाते हैं. मगर किसी ने देख लिया तो सीधे जेल ही जाएंगे.’’ गोरेलाल डर के मारे बोला.

“मेरे बीवीबच्चों का क्या होगा मालिक.’’ राजेंद्र ने भी आशंका व्यक्त करते हुए कहा.

“डरने की बात नहीं है, जो हुआ उसे भूल जाओ और लाश ठिकाने लगाने में मेरी मदद करो. आज के बाद किसी से इस बात की चर्चा भी नहीं करना.’’ प्रदीप शर्मा ने दोनों को भरोसा दिलाते हुए कहा. प्रदीप शर्मा के कहने पर गोरेलाल और राजेंद्र कुछ ही देर में ट्रैक्टर ट्रौली ले कर आ गए. तीनों ने मिल कर लीना की लाश को ट्रैक्टर ट्रौली में रखा और उस के ऊपर घासफूस रख कर नौकरों के साथ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के कामती के जंगल में पहुंच गए.

वहां बरसाती नाले में सब से पहले गोरेलाल और राजेंद्र ने गड्ढा खोदा और उस गड्ïढे में नमक और यूरिया खाद डाल दी. बाद में लीना के शरीर के कपड़े उतार कर उसे दफना दिया. 14 मई, 2016 को प्रदीप शर्मा की निशानदेही पर पुलिस टीम ने और तहसीलदार की मौजूदगी में नगरपालिका के कर्मचारियों के सहयोग से लीना की लाश निकाली.

शव पर मिले टैटू और ब्रेसलेट से लीना शर्मा की बहन हेमा शर्मा ने शिनाख्त की. बाद में लीना शर्मा के सैंपल से हेमा शर्मा का डीएनए भी मैच कराया गया. प्रदीप ने लीना के कपड़ों में मिले पर्स से वसीयतनामा निकाल कर उस की जींस पैंट और पर्स को अपने घर के पीछे खेत की मेड़ पर जला दिया था, जबकि वसीयतनामा को अपने पास रख लिया था.

3 डाक्टरों के पैनल ने किया था पोस्टमार्टम…

14 मई को जिस तरह की हालत में लीना का शव मिला था, उस से दुष्कर्म की आशंका भी जताई जा रही थी. इस वजह से 3 डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया. शव 15 दिन पुराना होने से बुरी तरह सड़ चुका था. पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली तो डाक्टरों ने सिर में गहरी चोट से फ्रैक्चर होना और उसी वजह से मौत होने की बात कही थी.

पोस्टमार्टम करते समय डाक्टरों ने दुष्कर्म जैसी घटना की आशंका को देखते हुए वैजाइनल स्लाइड भी बनाई. सभी नमूनों की जांच सागर फोरैंसिक लेबोरेटरीज में कराई गई थी. पोस्टमार्टम के बाद 15 मई, 2016 को लीना की बहन हेमा और बहनोई ने सोहागपुर आ कर लीना का अंतिम संस्कार किया था. पुलिस की दिन भर हुई पूछताछ में प्रदीप ने कई राज उगले थे. उस ने बताया कि लीना की मौत सिर में चोट लगने से नहीं, बल्कि पत्थरों से कुचलने और गला दबाने से हुई थी.

दृश्यम फिल्म की तरह रची गई कहानी…

2015 में आई अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ की कहानी से इस मामले की कहानी मिलतीजुलती है. लीना के हत्यारों ने भी उस के 2 सेलफोन में से एक को घटनास्थल से करीब 30 किलोमीटर दूर पिपरिया (होशंगाबाद) रेलवे स्टेशन पर फेंक दिया था, ताकि पुलिस उस की लोकेशन को ले कर भ्रमित होती रहे.

इत्तेफाक से यह मोबाइल जिस यात्री को मिला, उस ने सिम कार्ड फेंकने के बाद मोबाइल फोन अपने पास रख लिया. बाद में 5 मई को पिपरिया में एक व्यक्ति को यह सिम मिला तो उस ने इसे दूसरे फोन सेट में डाला. जब लीना के दोस्त का फोन काल आया तो उस ने लीना के साथ कुछ गलत होने के बारे में उसे सतर्क कर दिया गया.

इसी मोबाइल की काल डिटेल्स से पूरे मामले की कडिय़ां जुड़़ती गईं और लापता होने के 15वें दिन पुलिस ने एसडीएम, तहसीलदार की उपस्थिति में गड्ïढा खुदवा कर लीना की लाश को निकलवाया. प्रदीप ने पुलिस के सामने यह प्रदर्शित करने का प्रयास किया कि उस के आदमियों ने लीना पर रौड और पत्थरों से हमला किया था, क्योंकि लीना ने 29 अप्रैल, 2016 को भूमि विवाद को ले कर उस पर हमला किया था.

लेकिन होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) पुलिस की जांच से पता चला कि यह एक पूर्व नियोजित हत्या थी. ‘‘लीना के प्रदीप पर हमला करने के कोई निशान नहीं मिले थे. जिस तरह से लीना के सामान को नष्ट कर दिया गया और उस के शरीर को कामती जंगल (डूडादेह गांव से 4 किलोमीटर दूर) में फेंक दिया गया और उस के सेलफोन को ट्रेन में फेंकने का प्रयास किया गया. उस से पता चलता है कि हत्या पूर्व नियोजित थी.

इस के अलावा, हत्या के सबूत नष्ट करने के लिए दफनाने से पहले उस के शरीर पर यूरिया और नमक छिडक़ने की हरकत भी इस ओर इशारा करती है कि यह एक पूर्व नियोजित हत्या थी.

साल भर के भीतर मिली जमानत…

लीना शर्मा की लाश काफी सड़ चुकी थी. उस की पहचान कराने के लिए बहन हेमा शर्मा का भोपाल में डीएनए टेस्ट कराया था. डीएनए रिपोर्ट से लीना के शव की पहचान हुई थी. हत्या के खुलासे के बाद लीना के मामा प्रदीप शर्मा, नौकर गोरेलाल, राजेंद्र को हत्या के आरोप में सोहागपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया था.

प्रदीप शर्मा के परिवार के लोगों ने जमानत के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा दिया था. जबकि लीना की तरफ से कोई पहल नहीं हुई थी. यही वजह रही कि प्रदीप शर्मा के घर वाले कोर्टकचहरी में पानी की तरह पैसा बहा रहे थे. और उन की कोशिश कामयाब भी रही. एक साल के अंदर ही तीनों आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिल गई. लीना की हत्या के 9 महीने बाद 22 फरवरी, 2017 को प्रदीप शर्मा को कोर्ट ने जमानत दे दी. इसी तरह 11 महीने बाद पहली अप्रैल, 2017 को गोरेलाल और राजेंद्र भी जमानत पर बाहर आ गए.

21 मार्च, 2023 को कोर्ट का फैसला आते ही कोर्ट रूम में मौजूद सोहागपुर पुलिस ने प्रदीप शर्मा, गोरेलाल और राजेंद्र को गिरफ्तार कर लिया और उप जेल पिपरिया भेज दिया गया. जिस जमीन पर कब्जे के लिए लीना ने जान गंवाई, उस पर मामा प्रदीप शर्मा का कब्जा आज भी कायम है. उस पर प्रदीप शर्मा के घरपरिवार के लोग फसल उगा रहे हैं. लीना शर्मा की बहन हेमा मिश्रा, जो अपने पति के साथ कर्नाटक के बेंगलुरु में ही रहती है. वारदात के बाद वो इतनी डर गई थी कि कभी जमीन को पाने वो गांव नहीं आई.

—कथा कोर्ट के फैसले, लोक अभियोजक शंकरलाल मालवीय से बातचीत और मीडिया रिपोर्ट पर आधारित

मृतक की वीडियो से खुला हत्या का राज़ – भाग 3

बंटू के इस तरह शालेहा के घर बेरोकटोक आनेजाने से मकान मालिक और आसपास के लोगों को ऐतराज था. लोगों ने इस की शिकायत शाहिद से की थी, इस से दोनों के नाजायज रिश्तों की भनक शाहिद को लग गई थी. इसी बात को ले कर शालेहा से उस का अकसर विवाद होता रहता था. शालेहा अकसर अपनी मां और पिता के साथ मिल कर शाहिद के साथ बदसलूकी भी करती थी.

शौहर को रास्ते से हटाने की रची साजिश

शाहिद खान की बीवी शालेहा परवीन का इश्क बंटू खान से परवान चढ़ चुका था. शाहिद को जब शक हुआ तो उस ने पत्नी पर दबाव बनाना शुरू किया, जिस से घर में आए दिन झगड़े होने लगे. शाहिद जब शालेहा के अब्बू और अम्मी से इस की शिकायत करता तो वे उल्टा शाहिद को ही भलाबुरा कहते.

8 मार्च, 2023 को शाहिद और शालेहा दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि उन्हें पुलिस स्टेशन जाना पड़ा. यहां से दोनों को परिवार परामर्श केंद्र भेज दिया गया. यहां पत्नी शालेहा ने पति पर मारपीट करने का आरोप लगाया तो वहीं शाहिद ने अपनी पत्नी पर किसी गैरमर्द के साथ संबंध होने का शक जताया था. इस के बाद दोनों को समझाबुझा कर अच्छे ढंग से रहने की समझाइश दे कर वापस घर भेज दिया गया था.

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इधर एकदूसरे के प्रेम में पागल हो गए बंटू और शालेहा शाहिद से परेशान हो चुके थे. इसी बात से परेशान हो कर शालेहा ने प्रेमी बंटू को योजना बताते हुए कहा, “रोजरोज की किचकिच से मैं तंग आ गई हूं, क्यों न हमारे प्रेम की राह में रोड़ा बन रहे शाहिद को हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया जाए.”

“आखिर शाहिद को कैसे रास्ते से हटाएंगे, उस की हत्या करेंगे तो पकड़े जाने पर जेल की चक्की पीसनी पड़ेगी.” बंटू ने आशंका जताते हुए कहा.

“हम शाहिद को खाने की किसी चीज में जहर मिला देंगे और उस पर खुदकुशी करने का इल्जाम लगा देंगे.” शालेहा ने अपना प्लान समझाते हुए कहा.

“हां, ये आइडिया सही है. पर जहर देने के बाद सावधानी बरतनी है. जब तक उस का काम तमाम न हो जाए, उस पर निगरानी रखनी होगा.” बंटू ने सचेत करते हुए कहा.

जहर दे कर की हत्या

इस तरह योजना के मुताबिक, 18 मार्च, 2023 की शाम पडऱा स्थित किराए के मकान पर शाहिद की पत्नी शालेहा के अलावा उस का आशिक बंटू खान व शालेहा के मांबाप भी मौजूद थे. सभी ने मिल कर शाहिद खान को मारने का प्लान बनाया. शालेहा ने पहले से ही दीमक मारने वाला कीटनाशक खरीद कर रख लिया था.

18 मार्च, 2023 को ड्यूटी के बाद रात के साढ़े 9 बजे शाहिद जैसे ही घर पहुंचा तो शालेहा ने प्यार जताया. फिर उस की खातिरदारी की और पीने का लिए ठंडे पानी का गिलास ले कर आ गई. पानी पीते हुए शाहिद उस के बदले हुए रूप को देख कर हैरत में था, मगर यह सोच कर उस ने कुछ नहीं कहा कि शायद उस ने अपने आप को बदलने का निश्चय कर लिया हो.

कुछ देर बाद शाहिद जैसे ही बाथरूम से फ्रैश हो कर बाहर निकला, शालेहा गर्म चाय का प्याला ले कर हाजिर थी. शालेहा उस की चाय में जहर मिला कर लाई थी. दिन भर की थकान के बाद घर लौटे पति के लिए पत्नी के हाथ से बनी चाय बड़ा सुकून देती है. शाहिद चाय का प्याला हाथों में ले कर चाय की चुस्कियां लेने लगा. उस समय उसे चाय का स्वाद अजीब लग रहा था, मगर बीवी से इस की शिकायत कर वह मूड खराब नहीं करना चाहता था.

चाय पीने के कुछ देर बाद ही शाहिद को बेचैनी और घबराहट होने लगी. कीटनाशक का असर होने पर शाहिद तड़पते हुए इधरउधर न भागे, इसलिए शालेहा और उस के प्रेमी ने बाहर से कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था. करीब एक घंटे बाद जब शाहिद को बेचैनी हुई तो अहसास हुआ कि उसे जहर दे दिया गया है. उस ने दरवाजा खोलने की कोशिश की, जब नहीं खुला तो उस ने अपने मोबाइल पर वीडियो बनानी शुरू कर दी. उस की आवाज लडख़ड़ाने लगी थी.  अपने मोबाइल वीडियो में उस ने अपना बयान रिकौर्ड करते हुए कहा—

‘मैं अपने पूरे होशोहवास में बयान देता हूं कि मेरी मौत की जिम्मेदार मेरी बीवी शालेहा, उस का आशिक बंटू खान और बीवी के मांबाप हैं. मेरी बीवी ने अपने प्यार के चक्कर में मुझे धोखे से जहर पिला दिया है. ये लोग पिछले छह महीने से मुझे रास्ते से हटाने की कोशिश कर रहे थे. आज इन लोगों ने इस साजिश को अंजाम दे दिया है.’

इस के बाद उस ने मोबाइल एक तरफ रख दिया और उसे उल्टियां होने लगीं. शालेहा, बंटू और शाहिद के सासससुर बाहर से कमरे का दरवाजा बंद कर उस की मौत का इंतजार कर रहे थे. रात के करीब 11 बजे जब शाहिद के कमरे से आवाज आनी बंद हो गई तो चुपचाप शालेहा कमरे में दाखिल हुई. तब तक शाहिद निढाल हो कर गिर चुका था. शालेहा के पीछे बाकी के लोग भी आए.

इस के बाद किसी को हत्या का शक न हो, इसलिए करीब साढ़े 11 बजे शाहिद को कार से संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इसी दौरान शालेहा ने ससुर सलामत खान को सूचित कर दिया. पुलिस ने पहली नजर में घटना को आत्महत्या मान लिया, लेकिन शाहिद के पिता सलामत खान इसे आत्महत्या मानने को कतई तैयार नहीं थे.

किसी तरह शाहिद की हत्या के सबूत जुटाने में उन की मेहनत रंग लाई और लव मैरिज के बाद जिस बेटे को पिता सलामत खान ने 7 साल पहले घर से निकाल दिया था, उस की मौत के बाद उसी पिता के प्रयास ने कातिलों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में पुलिस की मदद की.

मरने से पहले का वीडियो देखने और फिर पूछताछ के बाद पुलिस ने हत्या की धारा बढ़ा दी. वीडियो की पड़ताल व विवेचना करने के बाद 6 अप्रैल, 2023 को रीवा की सिविल लाइंस थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 328, 302,120-बी, 34 का मामला कायम किया.

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पुलिस टीम ने शाहिद की हत्या के आरोप में उस की बीवी शालेहा और उस के आशिक बंटू खान के साथसाथ सास मोना परवीन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. कथा लिखे जाने तक आरोपी ससुर शमशाद उल हक को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट पर आधारित

बहुचर्चित लीना शर्मा हत्याकांड : कंस मामा को मिली सजा – भाग 2

29 अप्रैल, 2016 की सुबह 9 बजे लीना शर्मा सोहागपुर से आटोरिक्शा ले कर अपने ननिहाल डूडादेह गांव में प्रताप कुशवाहा, उस के कर्मचारी गंगाराम और तुलाराम के साथ मौके पर पहुंच गई. मामा प्रदीप शर्मा ने उन्हें तारबंदी कराने से रोकते हुए कहा, ‘‘लीना, मैं भी अपनी जमीन की तारबंदी कराने वाला हूं, तुम परेशान मत हो, मैं दोनों की एक साथ ही करा दूंगा.’’

जब लीना ने मामा की बात नहीं मानी तो प्रदीप शर्मा लीना के साथ आए कर्मचारियों को भलाबुरा कहने लगा. प्रताप कुशवाहा, गंगाराम और तुलाराम प्रदीप शर्मा के तेवर देख कर तारबंदी का सामान वहीं खेत के पास रहने वाले डेनियल प्रकाश के घर पर छोड़ कर वहां से भाग खड़े हुए.

मामा ने कराई गुमशुदगी…

5 मई, 2016 को सोहागपुर पुलिस स्टेशन में प्रदीप शर्मा ने गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई. प्रदीप ने तत्कालीन टीआई राजेंद्र वर्मन को बताया, ‘‘38 वर्ष की मेरी भांजी लीना शर्मा दिल्ली में अमेरिकन एंबेसी में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर काम करती है. लीना 28 अप्रैल, 2016 को गांव डूडादेह मुझ से मिलने आई थी. उसी दिन मुझ से मिल कर वह जबलपुर जाने को कह कर निकली थी. जब 29 अप्रैल को मैं ने उसे काल किया तो उस का मोबाइल बंद आता रहा. मैं लगातार लीना से संपर्क करता रहा, लेकिन अब तक उस की कोई खोजखबर नहीं मिली.’’

मामला चूंकि अमेरिकी दूतावास की कर्मचारी से जुड़ा था, लिहाजा टीआई राजेंद्र वर्मा ने लीना की गुमशुदगी के मामले को गंभीरता से लेते हुए गुमशुदगी दर्ज होने के बाद लीना के मोबाइल नंबर को ट्रेस कराने की कोशिश की तो उस की लोकेशन पिपरिया की मिली. सोहागपुर पुलिस टीम ने पिपरिया जा कर लोकेशन ट्रेस कर एक युवक अमन वर्मा (परिवर्तित नाम) के पास से लीना का मोबाइल जब्त कर लिया. अमन ने पूछताछ में पुलिस को बताया, ‘‘मुझे यह मोबाइल भोपाल इटारसी बीना विंध्याचल एक्सप्रेस ट्रेन में मिला था, मैं ने इसे चुराया नहीं है.’’

पुलिस ने पिपरिया से मिले लीना के मोबाइल की जब काल डिटेल्स निकाली तो पहली बार पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले. काल डिटेल्स में मिले आखिरी नंबर पर पुलिस ने फोन किया तो यह नंबर किसी आटोरिक्शा चालक का नंबर निकला. आटो वाले ने पुलिस को बताया कि उस ने खुद अपने आटो से 29 अप्रैल की सुबह लीना शर्मा को डूडादेह गांव में खेत के पास छोड़ा था.

सोहागपुर पुलिस ने इस विरोधाभास को नोट किया कि 5 मई, 2016 को उस के मामा प्रदीप शर्मा ने सोहागपुर थाने में लीना के गायब होने की जो गुमशुदगी दर्ज कराई, उस में 28 अप्रैल की सुबह 9 बजे से उस के लापता होने की बात कही थी. जबकि आटो चालक 29 अप्रैल को सुबह लीना को गांव छोड़ कर आने की बात कह रहा था. ऐसे में पुलिस को शक हुआ कि आखिर लीना के मामा ने उस के गांव में आने को ले कर झूठ क्यों बोला?

प्रदीप शर्मा की तरह ही उस के 2 नौकर गोरेलाल मसकोले और राजेंद्र कुमरे के बयान में भी विरोधाभास था. यहीं से पुलिस का शक मामा पर गहराने लगा, लेकिन पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगा था. प्रदीप शर्मा कांग्रेस का ताकतवर नेता था, इसलिए पुलिस उस पर बिना सबूत हाथ डालने से कतरा रही थी.

‘सेव लीना’ कैंपेन से पुलिस पर बढ़ा दबाव…

लीना शर्मा की हत्या एक राज ही बन कर रह जाती, अगर उस के दोस्त उसे नहीं ढूंढ़ते. जब लीना शर्मा तयशुदा वक्त पर नहीं लौटी और उस का मोबाइल फोन बंद रहने लगा तो भोपाल में रह रही उस की सहेली रितु शुक्ला ने उस की गुमशुदगी की खबर पुलिस कंट्रोल रूम में दी. लीना की गुमशुदगी की रिपोर्ट न तो उन की बहन हेमा मिश्रा ने दर्ज कराई और न ही अन्य परिजनों ने. उन की सहेली रितु शुक्ला, क्लासमेट शादबिल औसादी आदि ने पुलिस और मीडिया तक गुम होने की खबर वाट्सऐप और फेसबुक के माध्यम से पहुंचाई थी.

लीना के लापता होने से उस के दोस्तों ने सोशल साइट फेसबुक पर ‘सेव लीना’ नाम से एक कैंपेन भी चलाया, जिसे अच्छाखासा समर्थन मिल रहा था. लीना के दोस्त इस अभियान के जरिए पुलिस पर लीना की तलाश के लिए दबाव बना रहे थे. पुलिस पर इस मामले को सुलझाने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था.

स्टेट ही नहीं, नैशनल मीडिया में भी लीना के लापता होने या फिर उस की हत्या की खबर छाई हुई थी, लेकिन आरोपी प्रदीप शर्मा के राजनीतिक प्रभाव की वजह से कोई भी उस के खिलाफ बयान देने को तैयार नहीं था. एक तरफ पुलिस लीना की तलाश में जुटी थी, वहीं भोपाल और दिल्ली से लीना के दोस्त पुलिस को लगातार फोन कर रहे थे. लीना के कुछ दोस्तों ने ही पुलिस को बताया कि लीना का अपने मामा के साथ जमीन का विवाद चल रहा है.  हो सकता है कि उस के गायब होने में उन का हाथ हो, लेकिन पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं थे, इसलिए गिरफ्तारी नहीं हो पा रही थी.

उस समय होशंगाबाद के तत्कालीन एसपी आशुतोष सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सोहागपुर पुलिस को लीना की खोज करने के निर्देश दिए थे. सोहागपुर पुलिस ने जब प्रदीप शर्मा से संपर्क किया तो वह घबरा गया और पुलिस को गुमराह करने के इरादे से उस ने भांजी के गुम होने की रिपोर्ट लिखाई थी. देर से रिपोर्ट लिखाए जाने से प्रदीप शर्मा शक के दायरे में आया और जमीन के झगड़े की बात सामने आई तो पुलिस का शक यकीन में बदल गया.

एक झूठ ने पुलिस को हत्यारों तक पहुंचाया

पुलिस को जब यह जानकारी मिली कि लीना शर्मा और उस के मामा प्रदीप के बीच तारबंदी को ले कर विवाद हुआ था और इस के बाद तारबंदी नहीं हुई तो पुलिस ने लीना के साथ गए तारबंदी करने वालों से सख्ती से पूछताछ की तब उस की हत्या का खुलासा हो गया. पुलिस ने प्रदीप शर्मा के 2 नौकरों गोरेलाल और राजेंद्र को 13 मई, 2016 की शाम को पूछताछ के लिए पुलिस ने उठाया तो उन से अलगअलग पूछताछ शुरू की. पहले तो वह भी पूरी घटना से अनजान होने का नाटक करते रहे, लेकिन पुलिस की सख्ती के सामने दोनों जल्दी ही टूट गए. उन्होंने 2 घंटे में राज उगल दिया.

पुलिस को दोनों ने बताया कि मामा प्रदीप शर्मा ने ही लीना की हत्या को अंजाम दिया है. हम दोनों तो बस उन का सहयोग कर रहे थे. जिस के बाद सोहागपुर ब्लौक कांग्रेस प्रमुख प्रदीप शर्मा भोपाल भाग गया. भोपाल पुलिस की मदद से प्रदीप को सोहागपुर लौटने के लिए मजबूर किया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. इस के बाद पुलिस ने प्रदीप शर्मा को हिरासत में लिया तो उस ने लीना के डूडादेह गांव पहुंचने से ले कर उस की हत्या करने और शव को ठिकाने लगाने की पूरी कहानी पुलिस को बता दी. इस कहानी को जिस ने भी सुना, उस ने कलियुगी कंस मामा प्रदीप को जी भर कर कोसा.

मृतक की वीडियो से खुला हत्या का राज़ – भाग 2

सलामत खान यह सबूत ले कर थाने पहुंचे और मोबाइल विवेचना अधिकारी को सौंप दिया. सलामत खान ने पुलिस को यह भी बताया कि कुछ दिन पहले उन के बेटे का बहू से झगड़ा भी हुआ था और दोनों परिवार परामर्श केंद्र भी गए थे, जहां उन की सुलह कराई गई थी. बहू का रवैया और उस की मां की बातचीत से सलामत खान को लग रहा था कि उस के बेटे के साथ कोई साजिश रची गई है.

उन्होंने अपनी आशंका सिविललाइंस थाना पुलिस को बताई भी, लेकिन किसी ने उन की बात नहीं सुनी, क्योंकि जब भी पुलिस पूछताछ के लिए उसे बुलाती तो शालेहा रोधो कर पुलिस को यही बताती थी कि शाहिद शराब पी कर उस के साथ मारपीट करता है. पुलिस उस की बात पर भरोसा कर शालेहा के प्रति कोई ऐक्शन लेने के बजाय सहानुभूति रखती.

थाने में लिखित शिकायत करने के बाद भी पुलिस को भरोसा नहीं हुआ. पुलिस वाले कहते रहे कि केवल शक के आधार पर कोई काररवाई नहीं की जा सकती. पुलिस मामले की जांच करेगी, बिना ठोस सबूत के किसी पर आरोप लगाना ठीक नहीं. वीडियो सामने आने के बाद 10 दिनों तक पुलिस अपने तरीके से इस वीडियो की सच्चाई जानने की कोशिश करती रही.

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पुलिस की लचर कार्यप्रणाली को ले कर सलामत खान रीवा के एसपी विवेक कुमार से मिले और उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया. एसपी ने इस केस की जांच के लिए एडीशनल एसपी अनिल सोनकर के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर जांच का जिम्मा एक तेजतर्रार एसआई बृजराज सिंह को सौंप दिया.

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बृजराज सिंह थाने में नए आए थे, उन्होंने पूरे केस की पड़ताल नए सिरे से शुरू की. मोबाइल में मिले वीडियो को देख कर उन्हें यकीन हो गया था कि शाहिद को जहर दे कर मारा गया है. अपनी मौत से चंद समय पहले बनाए गए इस वीडियो में शाहिद ने अपनी मौत के लिए पत्नी, उस के प्रेमी और सासससुर को जिम्मेदार बताया.

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घर पर मिले चाय के कप और पानी के गिलास में भी जहर होने का अंदेशा फोरैंसिक एक्सपर्ट ने व्यक्त किया था. एसआई बृजराज सिंह ने शाहिद के मकान मालिक और आसपास के लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि शाहिद के घर पर बंटू खान नाम का शख्स अकसर आया करता था.

मामला पति, पत्नी और वो का

विवेचना अधिकारी एसआई बृजराज सिंह ने जब बंटू खान के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि 35 साल के बंटू खान का नाम शकील है, जो रीवा की बाणसागर कालोनी में रहता है. शकील के पिता शहर के एक मशहूर टेलर हैं और उन की रीवा में ब्लू स्टार टेलर्स के नाम से दुकान है, जिस पर कभीकभार शकील भी बैठता है.

वीडियो में मिले शाहिद के बयान के आधार पर पुलिस ने उस की पत्नी शालेहा, सास मोना परवीन और शालेहा के प्रेमी शकील उर्फ बंटू खान को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ शुरू की तो उन की बोलती बंद हो गई और पुलिस के सामने उन्होंने पूरा सच उगल दिया. पुलिस पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह ‘पति, पत्नी और वो’ के नाजायज रिश्तों की कहानी निकली.

जियो कंपनी में 2 साल काम करने के बाद शाहिद को टेलीकाम कंपनी ने रीवा से इलाहाबाद चाक घाट में मैनेजर बना दिया था. शाहिद का रीवा से 100 किलोमीटर दूर रोज आनाजाना रहता था. वह सुबह 7 बजे घर से निकलता और रात 9-10 बजे घर पहुंचता था.

करीब 4 साल पहले इसी दौरान शालेहा की पहली मुलाकात शकील उर्फ बंटू खान से टेलरिंग दुकान पर हुई थी, जहां वह अपना सूट सिलवाने गई थी. शालेहा जैसे ही दुकान में दाखिल हुई तो दुकान का काउंटर संभाल रहे बंटू से बोली, “मुझे सूट सिलवाना है, मेरा नाप ले लीजिए.”

“हां मैडम बैठिए, अभी आप का नाप ले लेता हूं.” बंटू गले से नापने वाला टेप निकालते हुए बोला.

“ये सूट मुझ पर ठीक जमेगा कि नहीं?” सूट का कपड़ा पौलीथिन बैग से बाहर निकालते हुए शालेहा ने कहा.

“मैडम आप इतनी खूबसूरत हैं, आप पर तो कुछ भी खूब जमेगा.” तारीफ करते हुए बंटू बोला.

अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर शालेहा ने शरमा कर उसे घूरती नजरों से देखा और मुसकरा दी. बंटू देखने में तो साधारण कदकाठी का था, लेकिन उस का रहनसहन पहली मुलाकात में ही शालेहा को भा गया था. शालेहा खूबसूरत युवती थी, जो भी उसे नजर भर देख लेता, दीवाना हो जाता था. उस दिन बंटू के वालिद खाना खाने घर गए हुए थे. बंटू ने शालेहा का नामपता लिख कर उस का मोबाइल नंबर ले कर एक परची शालेहा के हाथ में थमा दी.

बंटू खान से हो गए अवैध संबंध

दिलफेंक बंटू खान अमीर बाप का बेटा था, उस के पास महंगा मोबाइल और कार थी, जिस में वह घूमा करता था. उस दिन की मुलाकात के बाद बंटू मोबाइल पर शालेहा से बात करने लगा. शाहिद की छोटी सी नौकरी शालेहा के अरमान पूरे नहीं कर पा रही थी, इसी का फायदा उठा कर शालेहा बंटू को अपना दिल दे बैठी. शालेहा को उस के साथ बात करना अच्छा लगता. एक दिन मौका पा कर बंटू दोपहर के वक्त शालेहा के घर पहुंच गया. बंटू ने जैसे ही दरवाजा खटखटाया तो अंदर से आवाज आई, “कौन?”

बंटू ने कोई जबाव नहीं दिया तो कुछ ही पल में जैसे ही शालेहा ने दरवाजा खोला तो सामने बंटू को देख कर मुसकराते हुए बोली, “वेलकम बंटू, अंदर आइए. आज मेरे गरीबखाने पर तुम्हें पा कर मुझे यकीन नहीं हो रहा.”

बंटू अंदर जा कर सोफे पर बैठ गया और शालेहा को खा जाने वाली नजरों से घूरने लगा. एक छोटे से कमरे में सोफे के सामने लगे बैड पर शालेहा बैठी थी. उस वक्त शालेहा गाउन में थी और उस के माथे पर बिखरी जुल्फें उस की खूबसूरती को और बढ़ा रही थीं. शालेहा के नाजुक अंगों के उभार बंटू को पागल बना रहे थे.

“आप को चाय बना कर लाती हूं.” शालेहा ने वहां से उठते हुए कहा.

“न.. न चायपानी की जरूरत नहीं है, हम तो कुछ और ही पीने आए हैं.” बंटू ने हाथ पकड़ कर उसे बैठाते हुए कहा.

“मैं समझी नहीं. और क्या पीने आए हो, वैसे मुझे नशा करने वालों से सख्त नफरत है.” शालेहा ने भी अपनी आंखों का जादू दिखाते हुए कहा.

बंटू अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा था, उस की आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे. उस ने शालेहा के माथे को चूमते हुए कहा, “तुम्हारी आंखों में इतना नशा है कि दूसरे नशे की जरूरत ही नहीं है.”

शालेहा उस दिन बंटू को रोक न सकी. बंटू ने उसे पलंग पर लिटा दिया और उस के हाथ शालेहा के संगमरमरी बदन पर रेंगने लगे. दोनों वासना के इस तूफान में बह गए थे. दोनों के जिस्म की प्यास बुझने के बाद ही यह तूफान थमा था.

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इस के बाद तो बंटू और शालेहा का मिलना और कार में साथ घूमना आम बात हो गई. जब कभी बंटू न आ पाता तो पति की गैरमौजूदगी में शालेहा उस से मिलने चली जाती थी. यह बात शालेहा की मां मोना परवीन भी जानती थी, मगर उस के मुंह पर बंटू ने ताला लगा दिया था.

दरअसल, जब भी बंटू शालेहा से मिलने आता था, उस की मां मोना को कुछ न कुछ जरूरी सामान ले कर आता था. कहीं आनेजाने के लिए बंटू कार भी भेज देता था. इन एहसानों के तले दबी मोना सब कुछ देख कर भी अंजान बनी रहती.

                                                                                                                                       क्रमशः

बहुचर्चित लीना शर्मा हत्याकांड : कंस मामा को मिली सजा – भाग 1

21 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम (पुराना नाम होशंगाबाद) जिले के सोहागपुर कोर्ट में सुबह से ही ज्यादा गहमागहमी थी. कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल तैनात था. मीडिया और वकीलों के अलावा लोगों की भीड़ भी ज्यादा दिखाई दे रही थी. दरअसल, इस दिन जिले के बहुचर्चित लीना शर्मा मर्डर केस का फैसला आने वाला था. फैसले के लिए अपराह्नï 3 बजे का वक्त मुकर्रर किया गया था.

सोहागपुर के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश संतोष सैनी की अदालत में दोनों पक्षों से जुड़े लोग बेसब्री से जज साहब के आने का इंतजार कर रहे थे. कोर्ट लीना शर्मा की हत्या के आरोपी प्रदीप शर्मा, गोरेलाल और राजेंद्र भी कोर्ट रूम में अपने वकील के साथ उपस्थित थे. लीना शर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे अपर लोक अभियोजक शंकरलाल मालवीय भी कोर्ट में पूरी तैयारी के साथ मौजूद थे.

जज साहब पर जम गईं निगाहें…

कोर्ट की घड़ी में जैसे ही दोपहर 3 बजे का अलार्म बजा तो सभी चौकन्ने हो गए. कुछ ही क्षणों में मजिस्ट्रैट संतोष सैनी ने कोर्ट रूम में प्रवेश किया तो सभी अपनेअपने स्थान पर खड़े हो गए. मजिस्ट्रैट ने सभी को अपने स्थान पर बैठने का निर्देश दिया और अपनी नजरें डाइस पर रखे कागजों पर केंद्रित कर ली.

“आर्डर…आर्डर…’’

जैसे ही अपर सत्र न्यायाधीश संतोष सैनी ने लकड़ी के हथौड़े को मेज पर ठोका तो सभी की निगाहें उन की तरफ केंद्रित हो गईं. जज साहब ने अपना फैसला पढऩा शुरू कर दिया—

“तमाम गवाहों और सबूतों के मद्देनजर यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि मृतका लीना के मामा प्रदीप शर्मा ने अपनी भांजी की जमीन हड़पने के लिए अपने घरेलू नौकरों के साथ मिल कर उस की हत्या की थी. लीना शर्मा की हत्या का दोषी पाते हुए हत्या एवं षडयंत्र की धारा 302 में प्रदीप शर्मा पुत्र जुगल किशोर शर्मा (63 वर्ष) निवासी डूडादेह सोहागपुर को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास एवं 10 हजार रुपए जुरमाने की सजा सुनाती है.  इस के साथ ही आईपीसी की धारा 201 (लाश छिपाने) में 7 वर्ष की सजा एवं 5 हजार रुपए जुर्माना, आईपीसी की धारा 404 (मृत व्यक्ति की संपत्ति काबेईमानी से गबन) में 3 वर्ष की सजा एवं 5 हजार रुपए के जुरमाने से दंडित करती है.

“वहीं इस केस में प्रदीप शर्मा का साथ देने वाले अन्य आरोपियों गोरेलाल मसकोले पुत्र मंगलू उम्र 32 वर्ष, निवासी सिटियागोहना और राजेंद्र कुमरे पुत्र अरविंद कुमरे उम्र 27 वर्ष निवासी डूडादेह को भी लीना की हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास एवं 10-10 हजार रुपए जुरमाना, धारा 120बी आईपीसी (अपराध की साजिश रचने) में आजीवन कारावास एवं 10-10 हजार रुपए जुरमाने सहित धारा 201 में 7-7 वर्ष की सजा एवं 5-5 हजार रुपए के जुरमाने की सजा सुनाती है.’’

64 गवाहों की गवाही और भौतिक साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट में सोहागपुर कांग्रेस के पूर्व ब्लौक अध्यक्ष प्रदीप शर्मा, उस के नौकर गोरेलाल (32 साल) और राजेंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए अपने 110 पेज के फैसले में दलील देते हुए कहा, ‘‘वारदात जरूर निर्मम है, लेकिन उक्त परिस्थिति मृत्युदंड दिए जाने के लिए पर्याप्त नहीं है. यह अपराध पारंपरिक पारिवारिक संबंधों पर आधारित सामाजिक तानेबाने पर विपरीत प्रभाव डालने वाला है.

प्रदीप शर्मा, गोरेलाल, राजेंद्र का कोई आपराधिक रिकौर्ड नहीं है. दोबारा ऐसे कोई अपराध करने की संभावना भी नहीं है. अभियुक्त समाज के लिए खतरा है, ऐसा भी प्रतीत नहीं होता, इस कारण ये केस ‘विरल से विरलतम’ रेयरेस्ट औफ द रेयर की श्रेणी में नहीं आता है, जहां मृत्युदंड (फांसी) अपेक्षित हो.’’ अपने फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा, ‘‘लीना शर्मा की भूमि को प्रदीप शर्मा ने अपने उपयोग के लिए रख लिया है, इसे लीना शर्मा के वैध उत्तराधिकारी को देने का आदेश भी यह अदालत देती है.’’

फैसला सुनते ही शासकीय अपर लोक अभियोजक शंकरलाल मालवीय के साथ लीना शर्मा के परिवार से जुड़े लोगों के चेहरों पर एक विजयी मुसकान आ गई. 7 साल के लंबे इंतजार के बाद आए कोर्ट के फैसले से उन्हें संतोष हो जाता है कि आखिरकार लीना के हत्यारों को सजा मिल ही गई.

क्या था पूरा मामला…

मध्य प्रदेश के सोहागपुर के राजेंद्र वार्ड के रहने वाले सतेंद्र शर्मा की 2 बेटियां लीना और हेमा थीं. 40 साल की हेमा और 38 साल की लीना शर्मा के पिता की मौत बहुत पहले हो चुकी थी. लीना की मां भी 2 बहनें थीं. लीना के नाना 2 भाई थे. एक भाई का बेटा प्रदीप शर्मा कांग्रेस का नेता था. लीना के नानानानी की मौत के बाद ननिहाल की संपत्ति की वारिस लीना की मां और मौसी ही बची थी.

लीना के मौसा की बहुत पहले मौत हो गई थी और उन की कोई संतान न होने से उन की देखभाल भी लीना ने की थी. इसी वजह से ननिहाल की 36 एकड़ जमीन की वारिस लीना और हेमा ही थीं. यह बात नाना के भाई के बेटे प्रदीप को बहुत अखरती थी. वक्त के साथ हेमा की शादी कर्नाटक के बेंगलुरु में रहने वाले साइंटिस्ट से हो गई और दिल्ली में पढ़ीलिखी लीना अमेरिकी दूतावास में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्य करने लगी. लीना दिल्ली के बसंत कुंज इलाके में रहती थी.

होशंगाबाद के सोहागपुर के पास डूडादेह गांव में उस की करोड़ों रुपए की पुश्तैनी जमीन थी, जिस पर खेती होती थी. गांव में देखरेख के अभाव में करीब 10.41 एकड़ जमीन पर उस के मामा प्रदीप शर्मा (तत्कालीन ब्लौक कांग्रेस अध्यक्ष) ने कब्जा कर रखा था. पुश्तैनी जमीन की देखरेख करने वाले बटाईदार फोन पर इस की जानकारी समयसमय पर लीना को देते रहते थे.

2016 के अप्रैल महीने की बात है. दोनों बहनें लीना और हेमा सोहागपुर आई हुई थीं. लीना शर्मा ने अपनी बहन हेमा से कहा, ‘‘दीदी, प्रदीप मामा हर साल अपनी जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं, यदि हम ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया तो पूरी जमीन हड़प लेंगे.’’

“हां लीना, मामा को तो लगता है कि अब हम गांव जा कर खेती करने से रहे तो इसी बात का फायदा उठा रहे हैं. तुम्हारे जीजाजी को तो छुट्ïटी मिल नहीं रही, तुम्हीं एक बार गांव घूम कर आ जाओ.’’ हेमा ने सलाह देते हुए कहा.

“हां दीदी, मैं जा कर मामा से बात करती हूं और जमीन की हदबंदी कराती हूं.’’ लीना बोली. 20 अप्रैल को लीना ने सोहागपुर तहसील में पटवारी और राजस्व निरीक्षक (आरआई) को जमीन की पैमाइश करने की दरख्वास्त दे दी. 24 अप्रैल को तहसील के पटवारी और रेवेन्यू इंसपेक्टर ने जब खेत की पैमाइश की तो करीब 10 एकड़ 41 डिसमिल जमीन प्रदीप शर्मा के कब्जे में थी.

मौके पर पंचनामा बना कर हदबंदी के लिए गड्ïढा खोद कर निशान बनाए गए. लीना ने सीमांकन करा कर मामा के कब्जे से जमीन को मुक्त करा लिया. वह चाहती थी कि अपने कब्जे की जमीन पर तारबंदी करा दे, ताकि दोबारा कोई कब्जा न कर सके. तारबंदी कराने के लिए उस ने प्रताप कुशवाहा से बात की.