रक्षा और सत्येंद्र यादव के प्यार की चर्चा रामप्रसाद के कानों में पड़ी तो वह हैरान रह गए. कालेज से लौटने पर उन्होंने बेटी से सत्येंद्र के बारे में पूछा तो उस ने बिना किसी झिझक के सत्येंद्र से चल रहे अपने प्यार की बात स्वीकार कर ली. साथ ही उस ने यह भी कहा कि वे दोनों एकदूसरे को जीजान से चाहते हैं और जल्दी ही शादी कर लेंगे
रक्षा की बात सुन कर रामप्रसाद हक्केबक्के रह गए. उन्होंने उसी दिन अपने छोटे भाई राजकुमार के घर जा कर रक्षा और सत्येंद्र के बारे में बता कर कहा कि रक्षा कह रही है कि वह सत्येंद्र से शादी करेगी. अगर उस ने ऐसा किया तो घरपरिवार की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी.
तब राजकुमार और सुनीता ने गैरजाति के लड़के से शादी का विरोध करते हुए कहा, ‘‘अब घरपरिवार की इज्जत बचाने का एक ही रास्ता है कि जल्द से जल्द रक्षा की शादी कर दी जाए.’’
‘‘लेकिन मेरे पास अभी इतने पैसे नहीं हैं कि मैं इतनी जल्दी उस की शादी कर सकूं.’’ रामप्रसाद ने अपनी आर्थिक तंगी बता कर हाथ खड़े किए तो सुनीता ने लखनऊ के एक लड़के का पता दे कर कहा, ‘‘आप वहां जा कर शादी तय कीजिए. शादी तो करनी ही है. हम लोग हर तरह से इस शादी में आप की मदद करेंगे.’’
रामप्रसाद लखनऊ पहुंचे और सुनीता द्वारा बताए लड़के को देखा. लड़का भी ठीक था और घरपरिवार भी. इसलिए शादी तय कर दी. चौथे दिन तिलक चढ़ा कर विवाह की तारीख भी तय कर दी गई. जब इस बात की जानकारी रक्षा को हुई तो वह बौखला उठी. उस ने रामप्रसाद से एक बार फिर सत्येंद्र से शादी की जिद की. लेकिन रामप्रसाद ने गैरजाति के लड़के से उस का विवाह करने से साफ मना कर दिया.
रक्षा सत्येंद्र के वियोग में छटपटा रही थी. उस ने उस के साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं, इसलिए किसी भी सूरत में वह उस से शादी करना चाहती थी. जब कोई राह नजर नहीं आई तो उस ने सत्येंद्र के साथ भाग कर शादी करने की योजना बनाई. लेकिन भाग कर किसी अनजान शहर में रहनेखाने के लिए काफी रुपयों की जरूरत थी. इतने रुपए न सत्येंद्र के पास थे, न रक्षा के पास. रुपए कहां से आएं, दोनों इस बात पर विचार करने लगे.
अचानक रक्षा के दिमाग में आया कि उस के चाचा राजकुमार गुप्ता के पास बहुत पैसा है. वह हमेशा घर पर 20-25 लाख रुपए रखे रहते हैं. अगर किसी तरह वे रुपए उस के हाथ लग जाएं तो वह आराम से सत्येंद्र के साथ भाग कर अपनी अलग दुनिया बसा सकती है. रक्षा ने जब इस बात पर सत्येंद्र से सुझाव मांगा तो उस ने भी हामी भर दी. इस के बाद दोनों किसी भी तरह राजकुमार के घर से रुपए उड़ाने की कोशिश करने लगे.
जैसेजैसे विवाह की तारीख (24 फरवरी, 2014) नजदीक आती जा रही थी, रक्षा की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. वह किसी भी हाल में सत्येंद्र से जुदा नहीं होना चाहती थी. यही वजह थी कि सत्येंद्र को पाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार थी.
उस ने चाचा के घर से लाखों रुपए उड़ाने की जो योजना बना रखी थी, उस के लिए मौका नहीं मिल रहा था. वह चाहती थी कि किसी तरह का खूनखराबा भी न हो और चाचा के घर रखे रुपए भी मिल जाएं. इस के लिए वह लगातार चाचा के घर पर नजर रख रही थी.
राजकुमार अपने एकलौते बेटे हिमांशु की शादी में लगे थे. शादी में शामिल होने के लिए उन की बेटी शिवांगी अपने डेढ़ वर्षीय बेटे शुभम के साथ मायके आई तो मौका देख कर रक्षा ने उस के बेटे का सत्येंद्र द्वारा अपहरण करा दिया और 15 लाख रुपए की फिरौती भी मांगी. लेकिन जब राजकुमार पुलिस के पास पहुंच गए तो डर कर रक्षा ने सत्येंद्र को फोन कर के बच्चे को वापस छोड़ने को कहा. अपहरण के लगभग डेढ़ घंटे बाद सत्येंद्र मोटरसाइकिल से शुभम को गली में छोड़ गया.
इस तरह रक्षा और सत्येंद्र की यह योजना असफल हो गई. इस के बाद रक्षा के इशारे पर सत्येंद्र ने राजकुमार को फोन कर के हिमांशु की हत्या करने की धमकी दे कर 15 लाख रुपए मांगे. लेकिन इस में भी सफलता नहीं मिली. हिमांशु की शादी हो जाने के बाद राजकुमार रक्षा की शादी की तैयारी करने लगे. रक्षा की फोन पर सत्येंद्र से बात होती ही रहती थी. वह उस से जल्दी कुछ करने को कहती रहती थी, क्योंकि वह उस से किसी भी हाल में जुदा नहीं होना चाहती थी.
जैसेजैसे दिन गुजर रहे थे, दोनों की पीड़ा और तनाव बढ़ता जा रहा था. इस स्थिति में जब रक्षा और सत्येंद्र को लगा कि वे राजकुमार के घर रखी नकदी नहीं उड़ा सकते तो उन्होंने लूट की योजना बना डाली.
उसी योजना के मुताबिक रक्षा उस दिन अपना लैपटौप ले कर दोपहर एक बजे अपने चाचा राजकुमार के घर जा पहुंची. उस ने अंदर वाले कमरे में हिमांशु की पत्नी रश्मि को उस के विवाह की वीडियो दिखाने के बहाने उलझा लिया तो सत्येंद्र ने मैसेज भेज कर उसे बता दिया कि वह घर के बाहर आ गया है.
मैसेज देख कर रक्षा ने लैपटौप की आवाज तेज कर दी. जब काम हो जाने का सत्येंद्र का मैसेज आया तो रक्षा 5 बजे के आसपास अपने घर जाने के लिए चाची वाले कमरे से निकली. वहां उन की लाश देख कर वह चीख पड़ी. उस पर किसी को शक न हो, इसलिए उस ने दौड़दौड़ कर यह बात सभी को बताई. रक्षा से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के प्रेमी सत्येंद्र को गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ में सत्येंद्र ने बताया कि उस ने यह लूट और हत्या अपने दोस्त विवेक और मनोज के साथ मिल कर की थी. पुलिस ने तुरंत विवेक और मनोज के घर छापा मारा. विवेक तो पुलिस के हाथ लग गया, लेकिन मनोज फरार होने में कामयाब हो गया था.
पूछताछ में रक्षा के प्रेमी सत्येंद्र यादव ने पुलिस को बताया कि वह कोयलानगर के शिवपुरम के रहने वाले अमर सिंह यादव का बेटा है. उस के पिता पीएसी में सिपाही हैं, जो इस समय इलाहाबाद में तैनात हैं. उस का बड़ा भाई जितेंद्र आर्डिनेंस फैक्ट्री में नौकरी करता है. जबकि वह बीएससी कर के नौकरी की तलाश में था. उस ने पुलिस भरती की परीक्षा भी दे रखी थी. उसे उसी परीक्षा के परिणाम का इंतजार था. लेकिन उस के पहले ही उस ने अपनी प्रेमिका रक्षा के लिए अपना भविष्य ही नहीं, जिंदगी भी दांव पर लगा दी.
सत्येंद्र ने पुलिस को बताया था कि वह सिर्फ लूट के लिए आया था. इस के लिए उस ने पहले विवेक और मनोज को भेजा था. दोनों ने अंदर जाते ही धक्का मार कर सुनीता को गिरा दिया और उन के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया, जिस से वह चिल्ला न सकें. उन के हाथों को बांध कर उन्होंने उन्हें वैसे ही छोड़ दिया. लेकिन उन्होंने उसे देख लिया तो अपने बचाव के लिए उसे सुनीता की हत्या करनी पड़ी. क्योंकि वह उसे पहचानती थीं, उस ने उन के मुंह पर तकिया रख कर उन्हें मार दिया था.
इंटरमीडिएट में पढ़ रहा विवेक भी कोयलानगर का रहने वाला था. वह सत्येंद्र का गहरा दोस्त था. सत्येंद्र के कहने पर वह पैसों के लालच में उस के साथ लूट की इस योजना में शामिल हो गया था.
पूछताछ के बाद पुलिस ने सत्येंद्र और विवेक की निशानदेही पर 10 हजार नकद, करीब 10 लाख के गहने और सुनीता का मोबाइल फोन बरामद कर लिया. माल बरामद होने के बाद पुलिस ने 7 जनवरी को दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक मनोज पकड़ा नहीं जा सका था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित