मोहब्बत का खतरनाक अंजाम – भाग 1

जीशान अपने भांजे शानू के पैर की ड्रेसिंग करने नहीं आया तो उस की बड़ी बहन अलीशा ने पहले उसे फोन किया, फोन बंद मिला तो उस ने उस की खोजखबर करवाई. लेकिन जब उस का कुछ पता नहीं चला तो अलीशा को लगा कि वह किसी जरूरी काम से कहीं बाहर चला गया होगा, घंटे-2 घंटे में लौट कर ड्रेसिंग कर देगा. यही सोच कर वह अपने कामकाज में लग गई. शाम के 5 बज गए और जीशान नहीं आया तो उसे चिंता हुई. चूंकि उस के पति एहसान किसी जरूरी काम से अहमदाबाद गए हुए थे और घर में कोई दूसरा बड़ाबूढ़ा नहीं था, इसलिए अलीशा ने पड़ोस में रहने वाले समीर को मोहल्ला मकबरा स्थित अपने दूसरे मकान पर जीशान के बारे में पता करने के लिए भेज दिया.

अलीशा के उस दूसरे 4 मंजिला मकान में कुल 6 कमरे थे, जिन में नीचे की 2 मंजिलों में 3 किराएदार अपने परिवार के साथ रहते थे. उस के ऊपर की तीसरी और चौथी मंजिल के 3 कमरों में 2 लड़के और उस का छोटा भाई जीशान हैदर रहता था. जीशान की खोज में आया समीर दूसरी मंजिल पर पहुंचा तो तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा था. वह वहीं रुक गया. तभी उसे वहां कुछ सड़ने जैसी बदबू महसूस हुई. ताला बंद होने की वजह से वह ऊपर नहीं जा सका तो नीचे रहने वाले किराएदारों से जीशान के बारे में पूछा. लेकिन वे लोग जीशान के बारे में कुछ नहीं बता सके.

जब समीर को जीशान के बारे में कुछ पता नहीं चला तो लौट कर उस ने अलीशा को बताया कि तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा है, इसलिए वह जीशान के कमरे तक पहुंच नहीं सका. लेकिन ऊपर से लाश के सड़ने जैसी बदबू आ रही थी. यह सुन कर अलीशा परेशान हो उठी. उस के दिल में छोटे भाई को ले कर तरहतरह की आशंकाएं उठने लगीं. वह खुद तो वहां नहीं जा सकी, लेकिन मोहल्ले के 2 अन्य लड़कों को बुला कर कहा, ‘‘तुम लोग समीर के साथ वहां जा कर तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे का ताला तोड़ कर ऊपर के सभी कमरों को ठीक से देखना. मुझे किसी गड़बड़ी की आशंका हो रही है.’’

समीर ने दोनों लड़कों के साथ जा कर तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे का ताला तोड़ दिया. इस के बाद वह चौथी मंजिल पर पहुंचा तो वहां बने गोदामनुमा कमरे में जीशान हैदर की खून से लथपथ क्षतविक्षत लाश पड़ी देख कर डर गया. उस के साथ आए दोनों लड़के भी डर गए थे. उन्होंने लगभग भागते हुए आ कर यह बात अलीशा को बताई तो छोटे भाई की हत्या की खबर सुन कर अलीशा जोरजोर से रोने लगी.

उस के रोने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले इकट्ठा हो गए. धीरेधीरे यह बात पूरे मोहल्ले में फैल गई. अलीशा रोते हुए मकबरा स्थित अपने मकान की ओर भागी. उसी बीच किसी ने इस हत्या की जानकारी थाना ग्वालटोली पुलिस को दे दी थी. जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दे कर पुलिस बल के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए थे.

जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां भारी भीड़ जमा हो चुकी थी. उस में काफी तनाव भी था. थानाप्रभारी ने इस बात की जानकारी पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) दिनेश कुमार पी. को दी तो कानूनव्यवस्था बनाए रखने के लिए उन्होंने थाना बजरिया, चमनगंज, कोहना के थानाप्रभारियों को पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश दिया. थोड़ी देर में वह खुद भी फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

फोरैंसिक टीम को जांच के दौरान कमरे से जैलोकेन के इंजेक्शन, सिरिंज और रबर की एक जोड़ी चप्पल मिली. टीम ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो पुलिस अपना काम करने लगी. कमरे में मिले जैलोकेन के इंजेक्शन से आशंका व्यक्त की गई कि मृतक जीशान की हत्या बेहोश कर के की गई थी.

हत्या बड़ी ही क्रूरता से की गई थी. उस का सिर और चेहरा इस तरह से कुचला गया था कि उस की एक आंख फूट गई थी. सिर का भेजा भी बाहर निकल आया था. नाजुक अंगों को भी हत्यारे ने बुरी तरह क्षतविक्षत किया था. यही नहीं, मृतक के पेट में लोहे की जो रौड घुसी थी, लगता था उस के पेट के ऊपर रख कर किसी भारी चीज से ठोंकी गई थी.

लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने पंचनामा तैयार कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए हैलेट अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद उस मकान में रहने वाले सभी किराएदारों और पड़ोसियों से पूछताछ की गई. पुलिस ने काफी प्रयास किया, लेकिन इस पूछताछ में हत्या से संबंधित ऐसी कोई भी जानकारी पुलिस को नहीं मिली, जिस से हत्यारे तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाता.

जीशान की हत्या की सूचना पा कर उस के बड़े भाई मोहम्मद इरफान घर वालों के साथ रात 10 बजे थाना ग्वालटोली पहुंच गए थे. इस के बाद उन्हीं की तहरीर पर थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ ने जीशान की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद उन्होंने इरफान से पूछताछ शुरू की. इस पूछताछ में इरफान ने जो बताया, उस के अनुसार वह उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के कस्बा सफीपुर के मोहल्ला सराय खुर्रम के रहने वाले डा. हसन असगरी उर्फ शम्मू का बेटा था. भाईबहनों में उस के अलावा उस के 2 भाई इमरान और मृतक जीशान के अलावा 2 बहनें थीं.

भाइयों में 29 वर्षीय जीशान सब से छोटा था. पढ़ाईलिखाई के साथ वह पिताजी की उन के काम में मदद करता था, जिस की वजह से उसे बीमारियों और उन के इलाज के बारे में काफी जानकारी हो गई थी. लेकिन उस का मन न पढ़ाईलिखाई में लगा, न पिताजी के साथ काम करने में. इस की वजह यह थी कि वह इलेक्ट्रीशियन बनना चाहता था. समय मिलने पर वह मोटर वाइंडिंग और इलेक्ट्रिक के अन्य काम सीखता रहता था. जब वह बिजली के सारे कामों में निपुण हो गया तो कमाईधमाई करने के लिए कानपुर के ग्वालटोली में रहने वाले अपने बहनोई एहसान के यहां चला गया. यह लगभग 10 साल पहले की बात थी.

पुलिस को शक था कि जीशान की हत्या प्रेमप्रसंग, लेनदेन या किसी रंजिश की वजह से हुई थी. लेकिन इन में से सब से ज्यादा संभावना थी कि उस की हत्या प्रेमप्रसंग को ले कर हुई थी, क्योंकि जिस तरह क्रूरता के साथ उस की हत्या की गई थी, ऐसा अकसर प्रेमप्रसंग या अवैध संबंधों के मामलों में होता था. पुलिस जीशान के दोस्तोंपरिचितों से पता करने लगी कि उस का किसी से प्रेम संबंध तो नहीं था. क्योंकि इस तरह की बातें लोग दोस्तों से जरूर बताते हैं.

पति और सास की ली जान: प्यार की चाशनी में डूबी वंदना – भाग 4

योजना के मुताबिक, सब से पहले वंदना कलिता ने अपने पति अमर ज्योति डे को रास्ते से हटाने की योजना बनाई, जिस की तिथि 26 जुलाई, 2022 तय की. उस दिन वंदना कलिता पति के साथ घर में अकेली थी. उस ने प्रेमी धनजीत को फोन कर के बता दिया कि शिकार हलाल होने के लिए तैयार है, आ जाओ. प्रेमिका की ओर से हरी झंडी मिलते ही धनजीत अपने दोस्त अरुप डेका के साथ शाम 7 बजे घर पहुंचा.

प्रेमी के साथ कर दी हत्या घर पर पत्नी के आशिक को देख कर अमर ज्योति का दिमाग सातवें आसमान पर चढ़ गया. गुस्से के मारे वह पत्नी के ऊपर चढ़ बैठा. अपनी प्रेमिका को पति के हाथों पिटता देख धनजीत की आंखों में खून उतर आया. उस ने आव देखा न ताव, घर में रखे लोहे की रौड से उस के पीछे सिर पर ऐसा जोरदार वार किया कि वह चक्कर खा कर नीचे फर्श पर जा गिरा और तड़प कर शांत हो गया.

अमर ज्योति डे की मौत हो चुकी थी. वंदना ने पति की लाश घर में छिपा दी थी. फिर बाजार से 2 बड़े प्लास्टिक के बैग खरीद कर ले आई. अगले दिन तेजधार वाले फलदार चाकू से वंदना कलिता, धनजीत डेका और अरुप डेका तीनों ने मिल कर लाश के 5 टुकड़े किए और 2 अलगअलग पैकेटों में पैक कर के गुवाहाटी से करीब 200 किमी दूर मेघालय राज्य के चेरापूंजी जिले में स्थित दाऊकी की 60 मीटर गहरी खाई में फेंक कर इत्मीनान से घर लौट आए. वे लाश को धनजीत की कार में ले कर गए थे.

चूंकि अमर ज्योति मां शंकरी से अलग मकान में रहता जरूर था, लेकिन उस की मां से दिन में 1-2 बार बातचीत हो ही जाती थी. इधर पिछले एक सप्ताह बीत चुका था, मगर अमर ज्योति का न तो फोन आया था और न ही उस का फोन ही लग रहा था. यह जान कर शंकरी डे बुरी तरह परेशान थीं कि आखिर अचानक बेटा कहां चला गया. जिस को मां से बात करने की फुरसत तक नहीं, उन्हें क्या पता था कि नफरत की चाशनी में डूबी उस की बहू ने बेटे को मौत के घाट उतार कर लाश टुकड़ेटुकड़े कर खाई में फेंक चुकी है.

खैर, शंकरी डे ने बेटे के बारे में बहू वंदना कलिता से फोन कर कई बार पूछा, लेकिन वह इस बारे में कोई खास जवाब नहीं दे पाई थी. पता नहीं क्यों बहू के जवाब से शंकरी संतुष्ट नहीं हो पा रही थीं. इधर बहू को लग रहा था कि सास को उस पर शक हो गया है. इस से पहले कि सास कोई ठोस कदम उठा पातीं, वंदना ने सास को भी निबटा कर राज बना देने की ठान ली.

ठीक 23 दिनों बाद यानी 17 अगस्त, 2022 को शंकरी डे अपने चांदमारी के फ्लैट में सोफे पर बैठी आराम फरमा रही थीं, उसी वक्त वंदना कलिता फ्लैट पर पहुंची. उसे देख कर शंकरी का खून खौल उठा और उन्होंने बहू को खरीखोटी सुना कर उसे वहां से वापस लौट जाने को कहा.

सास का घोट दिया गला…

इस बात को ले कर सास और बहू आपस में गुत्थमगुत्था हो गईं. इस गुत्थमगुत्था में कलयुगी बहू वंदना कलिता सास पर भारी पड़ी और तकिया नाक पर तब तक दबाए रखी, जब तक उन की जान नहीं चली गई. इत्तफाक तो देखिए, हर वक्त बहन की छाया बन कर रहने वाला भाई राजेश उस समय घर पर था ही नहीं.

फिर सास की हत्या करने की जानकारी वंदना ने अपने प्रेमी धनजीत डेका को दे दी तो वह दोस्त अरुप डेका को ले कर वंदना के फ्लैट पर पहुंच गया. वंदना अपने दोनों साथियों के साथ लाश कार में डाल कर अपने कमरे नरेंगी ले आई और धनजीत डेका और अरुप की मदद से सास के 3 टुकड़े कर उसे 3 दिन बड़े फ्रिज में रखा. फिर चौथे दिन फिर मेघालय के चेरापूंजी जिले के तिनसुनिया जंगल में फेंक आए.

बड़ी चालाकी से वंदना कलिता ने पति और सास की हत्या कर दोनों लाशें करीब 200 किलोमीटर दूर फेंक कर अपने रास्ते के कांटे को हटा दिया था. अभी कहानी यहीं खत्म नहीं हुई, शातिर कलयुगी बहू वंदना कलिता चाहती थी कि उस पर कोई शक करे. इस के लिए उस ने घटना के 12 दिनों बाद यानी 29 अगस्त, 2022 को नूनमति थाने में पति और सास के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी.

3 महीना बीत जाने के बाद जब भांजे और बहन का कहीं पता नहीं चला तो अमर ज्योति के मामा राजेश डे को बहू पर शक हो गया. क्योंकि जिस का पति और सास लापता हो, उस को अपनों के बिछुडऩे का कोई गम नहीं था, वंदना के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. वंदना कलिता समझ गई थी कि उस पर मामा राजेश को शक हो गया है, इसलिए वंदना ने राजेश को भी अपने रास्ते से हटाने की चाल चल दी थी, क्योंकि अब वही उस के रास्ते का रोड़ा बन रहे थे.

फिर उस ने मामा पर ही सास के बैंक खाते से रुपए निकालने का आरोप लगाते हुए उन के खिलाफ नूनमति थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी, लेकिन यह रिपोर्ट दर्ज कराना ही उस के गले की हड्ïडी बन गई थी और वह इस तरह 7 महीने बाद खुला हत्या का राज. फिर कलयुगी बहू वंदना अपने साथियों के साथ जेल पहुंच गई. इस घटना की जानकारी जब वंदना कलिता के पिता को हुई तो वह शर्म से पानीपानी हो गए और नफरत से हुंकार भरते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी औलाद से बेऔलाद होना अच्छा था. बेटी ने जो अपराध किया है, उस का तो एनकाउंटर कर देना चाहिए.

बहरहाल, गुवाहाटी में मांबेटे की हत्या की आरोपी वंदना कलिता और उस के साथी धनजीत और अरुप जेल में बंद थे. उन की शिनाख्त पर शंकरी डे की कुछ अस्थियां, कपड़े और कंबल बरामद किए थे और अमर ज्योति की लाश कथा लिखने तक बरामद नहीं हुई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पति और सास की ली जान: प्यार की चाशनी में डूबी वंदना – भाग 3

पति का साथ छूट जाने के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी शंकरी के ही कंधों पर आ गई. तब उन का भाई राजेश ही उन का सहारा बना था. उन की परछाई बन कर उन्हें हौसला दिया था. उन के हर दुखसुख में वह खड़ा रहता था. भाई का उन के जीवन पर बहुत एहसान था, इसीलिए वह उसे अपने साथ हमेशा रखती रहीं.

करोड़ों की संपत्ति देख हुआ हरामखोर…

अमरज्योति शंकरी डे का इकलौता बेटा था. घर में पैसों की तो कोई कमी थी नहीं. मां सरकारी विभाग की मुलाजिम थीं. किराए के रूप में एक अच्छी मोटी रकम भी घर में आ ही रही थी. यह देख कर अमरज्योति का मन बदल गया था. उस ने नौकरी अथवा व्यापार करने की कभी सोची ही नहीं. वह तो ये सोचता था कि मांबाप की धनदौलत आखिर उसे ही तो मिलनी है, फिर नौकरी कर के क्या होगा. यही सोच कर अमर ज्योति ने नौकरी करने के बारे में कभी सोचा तक नहीं.

शादी के बाद भी अमर ज्योति कीसोच में कोई बदलाव नहीं आया था. वंदना कलिता पति को कुछ कामधाम करने को कहती थी तो वह उस पर गुस्सा हो जाता था. वो पत्नी से भी वही बातें कहता कि आखिर मां की कमाई का सुख भोग कौन करेगा? अगर तुम्हें खानेपीने और पहननेओढऩे के लिए न मिले तो मैं दोषी हूं. फिर जब सब कुछ तुम्हें मिल ही रहा है तो इस में हायतौबा मचाने की जरूरत ही क्या है, क्यों खुद परेशान रहती हो और दूसरों को भी परेशान किए रहती हो.

इस पर वंदना कलिता का तर्क था कि पति की कमाई पर जितना हक बनता है, उतना दूसरों की कमाई पर नहीं. उन के सामने हाथ फैलाना भीख मांगने के समान था. ऐसा वह हरगिज नहीं कर सकती. वंदना कलिता खुले विचारों वाली आधुनिक किस्म की औरत थी. उस के अपने कई तरह के खर्च थे. वह सादगी से जीने वाली औरतों में से नहीं थी. उस के उन शौकों को पूरा करने के लिए मोटी रकम की जरूरत पड़ती थी. उस की ये जरूरतें पूरी करने में पति सक्षम नहीं था.

इस बात को ले कर धीरेधीरे पतिपत्नी के बीच लड़ाईझगड़ा होने लगा था. दोनों के सिर से प्रेम का भूत उतर चुका था. अपनी जरूरतें पूरी न हो पाने की दशा में वंदना कलिता पति से रोज ही लडऩे लगी थी. वह इस बात पर पति से और भी झगडऩे लगी थी कि फ्लैटों का किराया मामा क्यों वसूल करते है. वह क्यों नहीं करता है, अगर वो किराया वसूलता तो पैसे उन के हाथों में आते और उन पैसों को वे अपने तरीके से खर्च करते. लेकिन उस का सपना धरा का धरा रह गया. अमरज्योति ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था. इस बात से भी वंदना पति से चिढ़ गई थी.

एक वह भी वक्त था जब वंदना कलिता अपने पति पर जान छिडक़ती थी. उस के प्यार में बुरी तरह पागल थी. तब वह उस की छोटीछोटी जरूरतों को पूरी करने में तनिक भी हिचकिचाता नहीं था, लेकिन अब वह उस का तनिक भी खयाल नहीं रखता था.

वंदना कलिता का धीरेधीरे पति से मोह भंग होता चला जा रहा था. जब से उस के जीवन में प्रेमी धनजीत डेका ने कदम रखा था. पेशे से टैक्सी ड्राइवर धनजीत डेका दोहरे बदन वाला युवक था. जातेआते रास्ते में दोनों की मुलाकात हुई थी और उनके  प्रेम संबंध हो गए. इस प्रेम ने ही वंदना के मन में पति के प्रति नफरत के बीज बो दिए थे. पति की उपेक्षा कर अब वह अपने प्रेमी धनजीत डेका पर ज्यादा लट्टू हुई जा रही थी.

वंदना को मिला प्रेमी…

वंदना कलिता के जीवन में जब से धनजीत ने कदम रखा था, तब से उस के दिन ही बदल गए थे. बातबात में वह पति से लड़तीझगड़ती थी. पत्नी में आए इस बदलाव से अमर ज्योति परेशान हो गया था कि अचानक उस में यह बदलाव कैसे आ गया. जल्द ही अमर ज्योति ने पता लगा लिया था कि पत्नी का किसी अन्य मर्द से अवैध संबंध है. जैसे ही पत्नी की सच्चाई अमरज्योति के सामने आई तो वह आगबबूला हो गया.

पति अमरज्योति यह कतई बरदाश्त नहीं करता था कि उस की पत्नी किसी दूसरे मर्द की बाहों में झूले. उस दिन के बाद से पतिपत्नी के बीच के रिश्तों में और भी दरारें पडऩे लगी थीं. नौबत तलाक तक आ पहुंची थी और उन का केस अदालत में पंजीकृत हो गया था.

इसी दौरान दिल्ली के श्रद्धा मर्डर केस ने देश को हिला कर रख दिया था. वंदना कलिता ने भी श्रद्धा मर्डर केस की खबर टीवी पर देखी थीं. वह आफताब के क्राइम रिएक्शन से काफी प्रभावित थी. चूंकि उस के पति के साथ के रिश्ते बुरी तरह से बिगड़ चुके थे और वे रिश्ते खत्म होने के कगार पर भी पहुंच चुके थे, इसलिए उस के मन में ऐसी खतरनाक योजना ने जन्म लिया कि लोगों की रूह कांप उठे.

योजना यह थी पति और सास की हत्या कर के उन के शरीर के टुकड़े कर के शहर से इतनी दूर किसी जंगल में फेंक दें, जहां पुलिस किसी कीमत पर भी न पहुंच सके. लेकिन यह काम वह अकेली नहीं कर सकती थी, इस योजना में उस ने अपने प्रेमी धनजीत डेका को शामिल कर लिया. वंदना कलिता ने धनजीत डेका को यह लालच दिया था कि पति और सास के मरने के बाद सास की करोड़ों की बिल्डिंग उस के नाम हो जाएगी. फिर बाद में उसे बेच कर किसी दूसरे शहर में हम बस जाएंगे और शादी कर के अपना नया जीवन जिएंगे, जहां हमें कोई नहीं पहचान सकेगा.

प्रेमिका की योजना धनजीत डेका के दिल में अच्छी तरह घर कर गई थी. उस ने अपनी इस योजना में अपने दोस्त अरुप डेका को भी शामिल कर लिया और पूरी योजना उसे समझा दी. प्यार और लालच में अंधी हुई वंदना ने पति अमर ज्योति डे और सास शंकरी डे की हत्या की पूरी योजना तैयार हो चुकी थी. मगर मांबेटे को तनिक भी भनक नहीं लग सकी कि बहू के रूप में यमराज उन के प्राण हरण करने वाले हैं. अब उन की सांसें कुछ ही दिनों की मेहमान हैं.

पति और सास की ली जान: प्यार की चाशनी में डूबी वंदना – भाग 2

जब दोनों का कहीं पता नहीं चला तो उन्होंने भी थाने में उन के लापता होने की सूचना दर्ज कराई. अब एक ही मामले के 2 अलगअलग थानों में सूचना दर्ज हो चुकी थी. फिर भी पुलिस ने मामले को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया था. इस बीच जिले की पुलिस की रूटीन ट्रांसफर पोस्टिंग होती रही. इसी दौरान पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह की जिले में पोस्टिंग हुई थी.

पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह ने जिले की कमान संभालने के बाद पुराने और पेंडिंग केसों की एनालिसिस के लिए उन की फाइलें मंगवाईं. उन्हीं फाइलों के बीच में धूल फांक रही अमर ज्योति डे और शंकरी डे की गुमशुदगी की भी फाइलें पड़ी मिली थीं, जिस में एक ही गुमशुदगी की घटना 2 अलगअलग थानों में दर्ज थी, जोकि पुलिस के सामने चुनौती बनी हुई थी. धीरेधीरे 6 महीने का समय बीत गया. जांच के नाम पर पुलिस जहां थी, घूमफिर कर फिर वहीं आ कर खड़ी थी. मतलब 6 महीने बाद भी अमर ज्योति डे और शंकरी डे केस का कोई हल नहीं निकल सका था.

मामा के खिलाफ लिखाई रिपोर्ट…

जनवरी 2023 के प्रथम सप्ताह में वंदना कलिता ने नूनमति थाने में तहरीर दे कर सास शंकरी डे के ममेरे भाई यानी राजेश डे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की. वंदना ने रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि उस के ममेरे ससुर राजेश डे ने सास शंकरी डे के एकाउंट से एक बड़ी रकम निकाली है. ये सुन कर पुलिस के होश उड़ गए. इंसपेक्टर दीपक ने इस चौंकाने वाली घटना की जानकारी पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह को दी तो उन्होंने मामले की जांच कर उन्हें रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया.

अपने मुखिया के आदेश का पालन करते हुए दीपक ने जांच की काररवाई आगे बढ़ाई. जांच के दौरान उन्हें चौंका देने वाली एक ऐसी जानकारी मिली कि उन के पैरों तले से जमीन जैसे खिसक गई थी. सहसा इंसपेक्टर दीपक को भी उस पर विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई ऐसा कैसे कर सकता है.

दरअसल, वंदना कलिता ने ममेरे ससुर राजेश डे पर जो आरोप लगाया था, वह उलटा पाया गया. गुमशुदा शंकरी डे के बैंक एकाउंट से राजेश ने नहीं, बल्कि खुद वंदना कलिता ने एटीएम कार्ड के जरिए 5 लाख रुपए निकाले थे. पुलिस समझ नहीं पा रही थी कि वंदना ने राजेश पर यह इल्जाम क्यों लगाया? कुछ तो गड़बड़ है. ये बात जब उन्होंने पुलिस कमिश्नर को बताई तो वह भी चौंके बिना नहीं रह सके थे. अब वंदना कलिता पुलिस के शक की निगाहों में आ गई थी. पुलिस उस की गतिविधियों पर नजर रखने लगी थी. यही नहीं, पुलिस राजेश की उस तहरीर पर भी अब ध्यान देने लगी, जिस में उन्होंने भांजे और बहन शंकरी की गुमशुदगी में अपना शक बहू वंदना कलिता पर जाहिर किया था कि बहू ने दोनों की हत्या करवा दी होगी.

अपने ही जाल में फंसी वंदना…

तब पुलिस के पास वंदना के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था, जिस से उसे गिरफ्तार किया जा सके, लेकिन एटीएम से निकाले जाने वाली रुपए की घटना ने उसे उसी के जाल में फंसा दिया था. अब चौकन्नी हुई गुवाहाटी पुलिस ने वंदना का इतिहास और भूगोल खंगाला तो उस पर जाहिर शक सच साबित होता दिखने लगा था. मतलब पति और सास के गायब होने के पीछे वंदना कलिता का हाथ होना दिखने लगा था. फिर क्या था? पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह के आदेश पर इंसपेक्टर दीपक ने 19 फरवरी, 2023 को अमरावती अपार्टमेंट, एमटी शेड के उस के फ्लैट नंबर- 11 से उसे दोपहर करीब 2 बजे उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब वह घर पर आराम कर रही थी.

इंसपेक्टर दीपक वंदना कलिवा को गिरफ्तार कर थाने ले आए और उस से 2 दिनों तक कड़ाई से पूछताछ की. पहले तो वह इधरउधर टरकाती रही, लेकिन जब वह समझ गई कि अब पुलिस के शिकंजे से बचना नामुमकिन है तो उस ने पुलिस अधिकारियों के सामने घुटने टेक दिए और अपना जुर्म कुबूल कर लिया कि उसी ने अपने प्रेमी धनजीत डेका और उस के दोस्त अरुप डेका की मदद से पति अमर ज्योति डे और सास शंकरी डे की 7 महीने पहले में करवाई थी. उस ने हत्या की जो वजह बताई, उसे सुन कर पुलिस दांतों तले अंगुलियां दबाने के लिए मजबूर हो गई.

खैर, पुलिस ने आरोपी कलयुगी बहू वंदना कलिता की निशानदेही पर उसी रात को तिनसुकिया से धनजीत डेका को और खानापाड़ा से उस के दोस्त अरुप डेका को गिरफ्तार कर लिया. तीनों आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने गुवाहाटी से करीब 200 किलोमीटर दूर मेघालय के चेरापूंजी की करीब 60 मीटर गहरी खाई से शंकरी डे के हाथ, पैर और धड़ से कमर की हड्डियों के कुछ अवशेष बरामद कर लिए, लेकिन अमरज्योति की लाश बरामद नहीं हुई थी.

उस के अगले दिन यानी 21 फरवरी, 2023 को पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह ने पुलिस लाइंस में पत्रकार वार्ता आयोजित कर 7 माह से रहस्य बने अमर ज्योति डे और शंकरी डे प्रकरण का परदाफाश कर दिया. इस दोहरे हत्याकांड में गुवाहाटी की बिगड़ैल बहू वंदना कलिता ने दिल्ली की बहुचर्चित श्रद्धा वालकर हत्याकांड की रिमेक की थी और हत्याकांड के सारे सबूत मिटाने की कोशिश की थी. लेकिन वह अपने इरादों में सफल नहीं हो पाई और खुद के बुने जाल में फंस गई.

पुलिस पूछताछ के बाद गुवाहाटी के अमरज्योति डे, शंकरी डे दोहरे हत्याकांड की दिल दहला देने वाली कहानी इस तरह से सामने आई—

35 वर्षीय अमर ज्योति डे मूलरूप से असम राज्य के गुवाहाटी जिले के नरेंगी के फ्लैट नंबर-11 में पत्नी वंदना कलिता के साथ हंसीखुशी से रहता था. यह इलाका नूनमति थाने के अंतर्गत पड़ता था. जबकि अमर ज्योति की मां शंकरी डे इसी थाना क्षेत्र के चांदमारी स्थित फ्लैट नंबर-6 में अकेली रहती थीं.

5 मंजिला इमारत के सब से ऊपर वाले फ्लैट में वह खुद अकेली रहती थीं, जबकि 4 फ्लैट किराए पर दे रखे थे. यह इमारत उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से बनवाई थी. उन की देखरेख लिए उन का ममेरा भाई राजेश डे उन के साथरहता था और किराया भी वही वसूल करता था.

जिस फ्लैट में पत्नी वंदना कलिता के साथ अमर ज्योति रह रहा था, उस फ्लैट को भी शंकरी डे ने ही बनवाया था और वह बेटे के नाम पर कर दिया था. उन का सोचना था कि आज भी उसी का है और कल भी उसी का होगा तो धीरेधीरे सारी चलअचल संपत्ति उस के नाम कर गंगा नहाने चली जाऊंगी. आखिर यह धनदौलत किस के लिए कमाई है.

शंकरी डे असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड में बतौर हैडक्लर्क पद पर तैनात थीं. यह नौकरी उन्होंने अपनेपति के स्थान पर पाई थी. जब उस के पिता की अचानक मृत्यु हुई थी, तब अमरज्योति बहुत छोटा था.

डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी – भाग 3

उस रोज गुस्से में सुरेंद्र के जाने के बाद प्रेम नारायण ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर निशा की समस्या के बारे में प्यार से बात की. तब बातचीत में निशा ने बताया कि सुरेंद्र उसे हमेशा छेड़ता रहता था, इस कारण उस ने उस के साथ आनाजाना बंद कर दिया. इस कारण ही वह नाराज हो गया है. वह अकसर उस के स्वास्थ्य केंद्र पर आ कर भी उसे परेशान करता रहता है. सीनियर अधिकारी होने के कारण वह उस के स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंच जाता है और गालियों के साथ अश्लील और अभद्र बातें करता है.

एक दिन तो उस ने हद ही कर दी. रास्ते में रोक कर वह उस के साथ जबरदस्ती करने पर उतारू हो गया. निशा के विरोध करने पर उसे जान से मारने की धमकी दे डाली. उसे संदेह था कि उस की गालीगलौज की बातें निशा के मोबाइल में रिकौर्ड हैं, इसलिए घर आ कर उस ने मोबाइल तोड़ डाला.

सुरेंद्र की हरकत के बारे में जान कर प्रेम नारायण ने बेटी को थाने में शिकायत दर्ज करवाने की सलाह दी. पिता के कहे मुताबिक, निशा ने 31 मई, 2022 को सिविल लाइंस थाने में सुरेंद्र के खिलाफ शिकायत की, जिस पर पुलिस ने भादंवि की धारा 354 में केस दर्ज कर लिया. इसे ले कर जब पुलिस ने पूछताछ की, तब वह भीगी बिल्ली बन गया. वह निशा के सामने भी गिडग़ड़ाने लगा कि शिकायत वापस ले कर समझौता कर ले, लेकिन निशा ने शिकायत वापस लेने से मना कर दिया.

सुरेंद्र निशा से बारबार माफी मांगने लगा और यह कहने पर कि अब वह उस के रास्ते में कभी नहीं आएगा, निशा ने उसे माफ कर दिया. उन के बीच थाने में राजीनामा हो गया. कुछ दिनों तक सुरेंद्र शांत रहा. निशा को लगा कि सुरेंद्र से उसे अब कोई नुकसान नहीं होगा, तब वह पहले की तरह डा. सुरेंद्र से बातचीत करने लगी. कुछ दिन बाद सुरेंद्र की फिर से हरकतें शुरू हो गईं. वह फिर अपने पुराने रंगरूप में आ गया और निशा को परेशान करने लगा.

डा. सुरेंद्र का टौर्चर बढऩे पर निशा ने पहले की तरह नाराजगी दिखाई और थाने में दोबारा शिकायत दर्ज करवाने की धमकी दी, किंतु सुरेंद्र पर तो निशा के साथ जबरदस्ती करने का फितूर सवार था. वह बोला, ‘‘अगर तूने मेरी बात नहीं मानी तो तेरे बाप और तेरे बेटे को जान से मार दूंगा. अब तू नौकरी कर के देख ले…’’ इस तरह सुरेंद्र उसे नौकरी से हटाने तक की धमकी देने लगा. निशा सुरेंद्र की इस धमकी से काफी परेशान हो गई और डर कर उस ने बस से आनाजाना शुरू कर दिया.

परेशान हो कर निशा ने 21 जून, 2022 को एसपी औफिस जा कर उस की शिकायत कर दी. सुरेंद्र की हरकतें कम होने का नाम नहीं ले रही थीं. इस पर निशा ने एक बार फिर सिविललाइंस थाने में शिकायत दर्ज करवा दी. पुलिस ने सुरेंद्र के खिलाफ धाराएं तो बढ़ा दीं, लेकिन उस के खिलाफ सख्त काररवाई नहीं की, जिस से उस की हिम्मत और बढ़ गई. सुरेंद्र से परेशान निशा ने अपना ट्रांसफर कहीं और करवाने की भी कोशिश की. उस ने 28 जुलाई, 2022 को सीएमएचओ को ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया. वह चाहती थी कि उस की पोस्टिंग सागर जिले के शहर मंडी बामोरा के कस्बा सिहोरा में हो जाए, जहां उस के मामा रहते हैं.

निशा ने डा. सुरेंद्र के खिलाफ थाने में जो शिकायतें की थीं, उन से वह बहुत परेशान हो गया था. वह दिन भर उसे फोन किया करता था. राजीनामे के लिए उस पर फिर से दबाव बनाने लगा था. एक तरफ पुलिस सुरेंद्र के खिलाफ कोई काररवाई नहीं कर रही थी, दूसरी तरफ परिवार के भरणपोषण के लिए निशा नौकरी करने के लिए मजबूर थी. वह जब कभी सुरेंद्र का फोन उठाती तो वह उस से बहुत ही गंदे तरीके से बात करने लगता. गालियां बकता, फिर अश्लील बातों के साथसाथ उस के घर वालों को जान से मारने की भी धमकी देता था.

सुरेंद्र ने निशा को इतना परेशान किया कि 24 दिसंबर, 2022 को उस ने मानसिक तनाव में आत्महत्या करने की कोशिश की. इस का पता चलते ही घर वाले उसे मैडिकल कालेज ले गए. वहां पर उसे भरती कर लिया गया. इस की जानकारी डा. सुरेंद्र को भी हो गई. वह रात में अस्पताल पहुंचा और उसे जबरन घर ले आया. घर पर ही उसे बोतल चढ़वाई. उस के बाद उस की तबीयत में सुधार हो गया. उस के बाद से निशा का जीवन नीरस हो गया था. वह गुमसुम रहने लगी थी. बस बच्चों की खातिर नौकरी कर रही थी. सुरेंद्र उस की खामोशी का फायदा उठाने लगा.

एक दिन सुरेंद्र ने उसे कई बार फोन किया. तब एक काल रिसीव करने पर वह बड़ी बदतमीजी से निशा से बात करने लगा. उस ने निशा को धमकी दी कि वह घर आ कर उस के साथ कुछ भी कर सकता है. उस के अगले दिन 28 फरवरी, 2023 को वह निशा के घर गया. उस ने निशा के साथ फिर से दुर्व्यवहार किया, जिस के बाद ही निशा पंखे से लटकी मिली. पुलिस ने अब तक मिले सबूतों के आधार पर नर्स खुदकुशी मामले में डा. सुरेंद्र के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया था.

कथा लिखने तक डा. सुरेंद्र की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी. वह अपने घर से फरार हो चुका था. नर्स निशा और डा. सुरेंद्र प्रकरण में इन दोनों के संबंध केवल दोस्ती तक ही रहे होंगे, ऐसा विश्वास नहीं हो रहा. क्योंकि वह जितना हक निशा पर जताता था, वह केवल दोस्ती में संभव नहीं. वह संबंध क्या थे, यह बात तो डा. सुरेंद्र की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आ सकेगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पति और सास की ली जान: प्यार की चाशनी में डूबी वंदना – भाग 1

“वंदना, जी चाहता है कि इन नीलीनीली झील सी गहरी आंखों में डूब जाऊं.’’ अमर ज्योति डे अपनी प्रेमिका वंदना कलिता के खूबसूरत मुखड़े को निहारते हुए आशिकाना अंदाज में बोला.

“डूब जाओ, मना किस ने किया है.’’ मिश्री सी मीठी आवाज में वंदना कलिता ने कहा, ‘‘कब से प्यासी मैं तुम्हारी बांहों में झूलने के लिए बेताब खड़ी हूं और तुम हो…’’

“तुम्हें देखा तो ऐसा लगा जैसे कोई खिलता कमल हो.’’

“क्या बात है जनाब, आज तो बड़े शायराना मूड में हैं आप. तारीफ पर तारीफ ही किए जा रहे हैं.’’

“तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि कोई भी तुम्हारी तारीफ किए बिना नहीं रह सकता.’’

“सचऽऽ’’

“हां, बेशक, तुम खूबसूरती की मिसाल हो.’’

“तुम्हारी जुबान से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर मेरा दिल बागबाग हो उठा. जी चाहता है कि तुम ऐसे ही मेरे कसीदे गढ़ते रहो और मैं तुम्हारी बाहों के झूलों में ऐसे ही झूलती रहूं. अमर, तुम कितने अच्छे हो.’’

“तुम भी बहुत अच्छी हो वंदना,’’ कह कर अमर ज्योति ने वंदना को अपनी मजबूत बाहों में कस कर भर लिया तो वंदना भी उसे अपनी बाहों भर कर प्यार करने लगी. क्षण भर बाद वंदना अमर की बाहों से आजाद हुई तो आगे बोली, ‘‘अब तुम से अलगाव मुझ से बरदाश्त नहीं होता अमर. कब तक हम यूं ही छिपछिप कर मिलते रहेंगे. हम शादी क्यों नहीं कर लेते?’’

“हम शादी भी करेंगे और साथसाथ रहेंगे भी. बस थोड़ा और वक्त दे दो ताकि मां से अपने प्यार वाली बातें बता कर उन्हें शादी के लिए राजी कर सकूं. तुम तो जानती ही हो कि मां के अलावा दुनिया में मेरा कोई नहीं है. पापा बहुत पहले ही हमें छोड़ कर हमेशाहमेशा के लिए चले गए. मां ने ही बाप बन कर हमें पालापोसा. अगर उन की मरजी के बिना हम ने शादी कर ली तो उन्हें बहुत दुख होगा. क्या हम अपने वैवाहिक जीवन का सुख भोग पाएंगे, तुम बताओ क्या मैं ने कुछ गलत कहा?’’

“सो तो ठीक है, तुम सच कहते हो अमर, मांबाप के आशीर्वाद के बिना हमारी शादी या हमारी गृहस्थी सफल नहीं हो सकती. अच्छा यह बताओ कि हम शादी कब करेंगे?’’ वंदना कलिता ने फिर से सवाल किया.

“कहा न मैं ने. हम शादी भी करेंगे और अपनी गृहस्थी भी बसाएंगे. बस थोड़ा समय और दे दो, मां से बात कर के जल्द ही तुम्हें बताता हूं.’’ अमर ज्योति डे ने प्रेमिका वंदना कलिता को समझाया. फिर उस ने अपनी मां शंकरी डे से अपने प्यार की बात की. उस ने वंदना से चल रहे अपने प्रेम संबंधों के बारे में मां को बता दिया.

अमर ज्योति की मां शंकरी डे एक खुले विचारों वाली और जुझारू महिला थीं. पति का साथ छूट जाने के बाद उन के मजबूत कंधों पर इकलौते बेटे और घरगृहस्थी की जिम्मेदारी आ गई थी. उन्होंने बड़े ही धैर्य और साहस के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभाया. बेटे को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार दिए थे. उन के अच्छे संस्कार की ही देन थी कि आधुनिक विचारों वाला अमर मांबाप का सम्मान करता था. तभी तो उस ने प्रेमिका को भरोसा दिया था कि मां की मरजी के बिना वह उस से शादी नहीं कर सकता.

बेटे के प्यार पर लगा दी मोहर…

बेटे के विचारों से शंकरी डे बेहद खुश थीं कि उस में उन के दिए संस्कार अभी भी जिंदा हैं. उन्होंने भी यही सोचा कि अमर आखिर में है उन की इकलौती संतान. उस की खुशी में ही उन की खुशी है. अगर उस ने अपने लिए कोई जीवनसाथी पसंद कर ली है तो उसे आशीर्वाद दे देना चाहिए. फिर उन्होंने बेटे की पसंद पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी थी. शंकरी डे के आशीर्वाद के बाद 2 प्रेमी पतिपत्नी बन चुके थे.

अमर ज्योति डे और वंदना कलिता का सालों का प्यार साकार हो चुका था. प्रेमी से पतिपत्नी बने दंपत्ति एकदूसरे को जीवनसाथी बना कर बेहद खुश थे. सब से ज्यादा वंदना अपनी छोटी और साधनसंपन्न ससुराल पा कर खुश थी. पति के अलावा घर में बस सास ही थीं. वह भी पति की जगह मिली सरकारी नौकरी से रिटायर हो कर साल भर से पैंशन ले रही थीं. सब कुछ बड़े मजे से चल रहा था. अचानक एक दिन वंदना कलिता की जिंदगी में ऐसा भयानक तूफान आया कि सब कुछ तहसनहस हो गया.

बात 17 अगस्त, 2022 की थी. शाम के वक्त रहस्यमय तरीके से वंदना कलिता का पति अमर ज्योति डे और सास शंकरी डे गायब हो गए. उस ने अपने जानपहचान वालों और पति के नातेरिश्तेदारों से संपर्क कर उन के वहां आने की जानकारी ली तो सभी ने अनभिज्ञता जताई. वंदना यह सोचसोच कर परेशान थी कि अचानक पति और सास कहां लापता हो गए. 12 दिनों तक तलाश करने पर जब पति और सास का कहीं पता नहीं चला तो वंदना ने 29 अगस्त, 2022 को नूनमति थाने में दोनों की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी. ये घटना असम राज्य के गुवाहाटी जिले की है.

मांबेटे के अचानक से गायब होने की खबर मिलते ही गुहावटी जिले में सनसनी फैल गई थी. करीब 35 साल का अमर ज्योति था तो 61 साल की उस की मां शंकरी डे थीं. दोनों ही मानसिक रूप से स्वस्थ और तंदुरुस्त थे. ऐसे में उन का गायब होना हर जुबान पर चर्चा का विषय बन गया था. उन की किसी से दुश्मनी भी नहीं थी.

खैर, मांबेटे की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करने के बाद नूनमति थाने के इंसपेक्टर दीपक डेका ने मामले की छानबीन शुरू कर दी. इस केस की मौनिटरिंग पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह की निगरानी में हो रही थी, धीरेधीरे पुलिस की छानबीन आगे बढ़ी. महीने बढ़े मगर इस का रिजल्ट जीरो रहा. कहने का मतलब ये है कि कई महीने बीत जाने के बाद भी मांबेटे का कहीं पता नहीं चला कि उन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गया. आखिर दोनों गए तो गए कहां? पुलिस के सामने ये बड़ा सवाल था, जिस का जवाब उन्हें ढूंढना था. पुलिस के साथसाथ लापता अमरज्योति के मामा राजेश डे अपनी फुफेरी बहन और भांजे के अचानक गायब होने से परेशान थे. धीरेधीरे 3 महीने बीत गए थे दोनों के लापता हुए.

डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी – भाग 2

एक दिन योगेश ने निशा और अपने ससुर से कहा कि वह अपने पैतृक घर सागर चला जाएगा, वहीं कुछ करेगा. ससुराल में रहते हुए खुले मन से कुछ नहीं कर पाएगा. उस के बाद वह निशा और बच्चों को ले कर सागर आ गया. विदिशा और सागर के बीच सडक़ मार्ग से करीब 112 किलोमीटर की दूरी है. निशा अस्पताल की नौकरी नहीं छोडऩा चाहती थी. इस पर पति ने उसे सागर से डेली अप-डाउन करने की सलाह दी. निशा इस पर राजी हो गई और सागर में रहते हुए नौकरी के लिए विदिशा आने लगी. इस दरम्यान वह जरूरत के मुताबिक कभी विदिशा तो कभी सागर में ठहर जाती थी.

इस तरह से निशा शनिवार को सागर आ जाती थी और रविवार को रह कर अगले रोज सोमवार को विदिशा चली जाती थी. एक दिन योगेश ने निशा से कहा कि उसे विदिशा में रुकने की जरूरत नहीं है. वह सागर से विदिशा रोज आनाजाना करे. निशा को यह बात पसंद नहीं आई. इस का मुख्य कारण था, रोज आनेजाने पर आने वाला खर्च. उस का वेतन बहुत ही साधारण था. उस में से उसे घरेलू खर्चे भी करने होते थे और आनेजाने के किराए पर भी खर्च करना था. इस पर निशा ने मना कर दिया. फिर क्या था, योगेश आगबबूला हो गया. उस ने नाराजगी दिखाते हुए चेतावनी दी कि वह गलत कर रही है. अपने पति की बातों की उपेक्षा करना ठीक नहीं है.

निशा और योगेश के बीच नौकरी पर सागर से विदिशा आनेजाने को ले कर आए दिन तकरार होने लगी. इस की जानकारी जब प्रेम नारायण को हुई, तब उन्होंने योगेश को समझाने की कोशिश की और सलाह दी कि वह पहले की तरह परिवार समेत विदिशा शहर में ही रहे. किंतु जब योगेश ने अपने ससुर के प्रस्ताव को सिरे से इनकार कर दिया, तब दोनों के बीच विवाद काफी बढ़ गया. उन के बीच आए दिन झगड़े होने लगे. जबकि प्रेम नारायण ने योगेश से पूछा कि रोजरोज यहां से ड्ïयूटी पर जानाआना आसान नहीं है. निशा नौकरी कर रही है तो फिर दिक्कत क्या है, वह आखिर चाहता क्या है?

इस पर योगेश ने साफ लहजे में कह दिया कि अगर निशा उस की बात नहीं मानती है तो वह उस से तलाक चाहता है. प्रेम नारायण ने जब योगेश के इस फैसले के बारे में निशा से बात की तब निशा ने भी कहा कि अगर पति तलाक चाहता है तब वह भी इस के लिए राजी है.

निशा और डा. सुरेंद्र आए नजदीक…

आपसी रजामंदी से साल 2018 में योगेश और निशा का तलाक हो गया. इस के बाद निशा हौस्पिटल में काम करती रही और विदिशा अपने मायके के घर में आ कर रहने लगी. नौकरी के साथ उस ने पढ़ाई भी जारी रखी. इस दौरान उस का चयन औग्जिलरी नर्स मिडवाइफरी (एएनएम) के लिए भी हो गया और उसे सरकारी अस्पताल में नौकरी मिल गई. संयोग से उस की नियुक्ति विदिशा शहर के अहमद नगर स्वास्थ्य केंद्र में हो गई.

सरकारी नौकरी मिलते ही निशा के फिर से अच्छे दिन आ गए. उस ने स्कूटी खरीद ली और विदिशा से स्कूटी से अहमद नगर जाने लगी. उस के पिता विदिशा में रहते हुए टीवी आदि इलेक्ट्रौनिक्स सामानों की मरम्मत का काम करते थे, जबकि उस की मां विदिशा जिले के लटेरी कस्बे में स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर थी. ऐसे में निशा पर ही घर की पूरी जिम्मेदारी थी. उसे अपने तीनों बच्चों की देखभाल के साथसाथ अपने मातापिता की जरूरतों का भी खयाल रखना था. वह घर देखने के साथ ही नौकरी भी करने लगी थी.

निशा की पोस्टिंग अहमद नगर में थी, और उसी के आगे पीपलधार में कम्युनिटी हेल्थ औफिसर (सीएचओ) के पद पर डा. सुरेंद्र किरार तैनात था. डा. सुरेंद्र भी विदिशा से ही रोज अपडाउन किया करता था. एक ही फील्ड में होने के कारण निशा और डा. सुरेंद्र की जानपहचान हो गई थी. एक दिन सुरेंद्र ने कहा कि वे अपनीअपनी गाड़ी से ड्यूटी पर आते हैं तो क्यों न वे एक ही गाड़ी से आएं और पैट्रोल का खर्च आधाआधा कर लें. निशा को डा. सुरेंद्र की बात पसंद आई. वैसे भी वह उस से सीनियर पोस्ट पर था और निशा के लिए अच्छी बात यह थी कि एक अधिकारी से उस की अच्छी जानपहचान हो गई थी. भविष्य में इस का लाभ मिलने की उम्मीद के साथ निशा उस के साथ आनाजाना करने लगी.

सुरेंद्र सुबह निशा को घर से ले लेता और शाम को घर पर ही छोड़ देता था. यह सब एक रूटीन के मुताबिक करीब 2 साल तक अच्छी तरह से चलता रहा. अचानक उन के बीच मतभेद हो गए और वे अपनीअपनी गाड़ी से ड्यूटी पर जाने लगे. इस बारे में पिता प्रेम नारायण ने निशा से पूछा भी, लेकिन उस ने कोई विशेष कारण नहीं बताया. प्रेम नारायण ने इसे सीनियर जूनियर स्टाफ के बीच का मामला समझ कर नजरंदाज कर दिया. जबकि उन्होंने महसूस किया कि निशा मानसिक तनाव में रहने लगी है.

निशा पर जमाने लगा अधिकार…

प्रेम नारायण चिंतित हो गए. उन्होंने महसूस किया कि उन की बेटी के मन पर जरूर कोई बोझ आ चुका है. जबकि निशा अपने काम पर ध्यान दिए हुए थी. प्रेम नारायण की यह आशंका एक दिन तब सही साबित हुई, जब उन्हें मालूम हुआ कि डा. सुरेंद्र उन के घर आ कर निशा से झगड़ पड़ा. उन के बीच झगड़ा भी कोई ऐसावैसा नहीं, बल्कि सुरेंद्र निशा को गालियां देने लगा.

यह वाकया तब हुआ, जब प्रेम नारायण घर पर ही थे. डा. सुरेंद्र घर आया और सीधे ऊपर उस के कमरे में चला गया. आते ही उस ने निशा के साथ बदतमीजी करते हुए गालियां देनी शुरू कर दीं, ‘कुतिया, हरामजादी… रंडी.’ कहते हुए उस का मोबाइल छीन लिया और वहीं जमीन पर पटक कर तोड़ दिया.उस वक्त वह गुस्से में था. बके जा रहा था, ‘‘हरामजादी मेरी रिकौर्डिंग करती है! देख, अब मैं तेरा क्या हाल करता हूं. तू मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती.’’

डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी – भाग 1

विदिशा के हाजी बली तालाब मोहल्ले में रहने वाले प्रेम नारायण सोनी 28 जनवरी, 2023 को रोज की तरह टीवी मरम्मत करने के लिए अपनी दुकान पर चले गए थे. जबकि उन की पत्नी सुबहसुबह ही बागेश्वर धाम के लिए रवाना हो चुकी थी. उस दिन शनिवार था. दोपहर तक अपना काम निपटा कर घर लौटे तो बेटी की गाड़ी बाहर खड़ी देख कर चौंक गए, ‘‘इतनी जल्द ड्यूटी से आ गई निशा! शनिवार है… शायद छुट्टी हो!’’ अपने आप से बोलते हुए वह नहाने चले गए. खाना खाया और घर के बाहर धूप में जा कर बैठ गए. कुछ देर बाद डा. सुरेंद्र आया और सीधे ऊपर चला गया. वहीं निशा का कमरा था, जहां वह अपने 3 बच्चों के साथ रहती थी. उस का पति से तलाक हो चुका था, इसलिए वह अपने मायके में ही रह रही थी.

डा. सुरेंद्र को बेटी के कमरे की तरफ जाते देख कर प्रेम नारायण एक बार फिर चौंक पड़े. उस से बात करने से पहले उन्होंने अपने आप से सवाल किया, ‘‘एक महीने बाद ये (डा. सुरेंद्र) मेरे घर फिर से क्यों आया है?’’ तब तक सुरेंद्र तेजी से सीढिय़ां चढ़ता हुआ ऊपर चला गया. लेकिन तुरंत वापस भी उतनी ही तेजी से लौट आया और कुछ कहे बगैर वहां से चला गया. सुरेंद्र का इस तरह से आना और बगैर कुछ बोले, बात किए चले जाना, प्रेम नारायण को कुछ अच्छा नहीं लगा. उन के मन में शंका हुई. वह थोड़ी देर बाद ऊपर गए, जहां निशा का कमरा था. उस का कमरा भीतर से लौक था. उन्होंने आवाज लगाई,

‘‘निशा, ओ निशा, दरवाजा खोलो. डाक्टर साहब आए थे.’’

सुर्खियों में आ गया निशा हैंगिंग केस…

प्रेम नारायण की 2-3 आवाजों के बाद भी निशा ने कोई जवाब नहीं दिया था. उन्होंने फिर से आवाज लगाई, ‘‘अरी ओ निशा, डाक्टर साहब आए थे, वह तुरंत क्यों चले गए? क्या बात हो गई?’’ तभी भीतर मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी थी. फोन लगातार बज रहा था, भीतर कमरे में निशा न तो फोन रिसीव कर रही थी और न ही दरवाजा खोल रही थी.

प्रेम नारायण के दिल की धडक़नें बढ़ती जा रही थीं. मोबाइल पर कई बार रिंग बज कर बंद हो चुकी थी. वह बाहर से आवाज भी लगा रहे थे. इस बीच 3-4 बार नीचे भी उतर कर दोबारा निशा के कमरे के बाहर भी जा चुके थे. करीब आधे घंटे तक परेशान होने के बाद उन्होंने अपने नाती को आवाज लगाई. वह तुरंत नीचे से ऊपर आ गया. नाती ने कहा, ‘‘नानाजी, मैं दरवाजा खोलता हूं. मुझे भीतर से बंद दरवाजा खोलने की तरकीब मालूम है.’’

यह कहते हुए निशा के बेटे ने खिडक़ी से हाथ डाल कर भीतर से बंद दरवाजा खोल दिया और भीतर चला गया. भीतर पहुंचते ही वह जोर से चीखा, ‘‘मां टंगी है… मां टंगी है नाना…’’ नाती की चीख सुनते ही प्रेम नारायण का दिल बैठ गया. घबराए हुए वह कमरे में गए. देखा, बेटी निशा पंखे से लटक रही थी. वह यह दृश्य देख कर हैरान रह गए. किसी तरह खुद को संभाला और बेटी के पैरों को पकड़ कर ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करने लगे. सोचा, शायद उस की सांसें अभी उखड़ी न हों, किंतु बेटी के हाथपैर कडक़ हो चुके थे.

उन्हें कुछ समझ में नहीं आया. वहीं सिर पकड़े बैठ गए. पास में ही नाती भी मां को इस हालत में देख कर रोने लगा था. उन्होंने उस के आंसू पोंछे, चुप करवाया और फोन लाने को कहा. फिर छोटी बेटी लक्ष्मी और उस के पति को फोन कर पूरी बात बताई. दोनों उसी शहर में रहते थे. वे भागेभागे आ गए और पुलिस को सूचना दी. कुछ देर बाद पुलिस भी दलबल के साथ आ गई. पुलिस ने निशा को पंखे से उतार कर पंचनामा तैयार किया और पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया.

पति को छोड़ मायके में रहने लगी निशा…

निशा प्रेम नरायण सोनी की बड़ी बेटी थी. 1999 में मध्य प्रदेश के सागर शहर के रहने वाले योगेश सोनी के साथ उस की शादी हुई थी. जबकि छोटी बेटी लक्ष्मी का विवाह विदिशा में ही हुआ था. निशा की ससुराल में सब कुछ अच्छा था. सुखीसंपन्न परिवार पा कर निशा जितनी खुश थी, उतने ही संतुष्ट और खुश प्रेम नारायण और उन की पत्नी थी. ससुराल में निशा की सास एक स्कूल चलाती थीं. पढ़ाई में रुचि रखने वाली निशा के मन की मुराद पूरी हो गई थी. ससुराल में उस ने सास के साथ स्कूल के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. इस काम में उस का पति योगेश भी सहयोग करने लगा था.

समय बीतने के साथ निशा 2 बेटियों और एक बेटे की मां बन गई. इसी दरम्यान उस की सास का निधन हो गया. घरेलू कामकाज बढ़ जाने के कारण स्कूल की देखरेख में बाधा आ खड़ी हो गई. अकेली निशा उसे संभाल नहीं पाई, जिस से स्कूल बंद हो गया. दूसरी तरफ पति योगेश की कोई नियमित आय नहीं थी. वह एक तरह से बेरोजगार था. इस कारण बच्चों की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी निशा पर आ गई थी. आय का कोई ठोस साधन नहीं होने के कारण निशा अपने पति योगेश और बच्चों के साथ विदिशा आ गई. वहीं रह कर उन्होंने कोई कामधंधा करने की योजना बनाई.

प्रेम नारायण ने उन्हें अपने ही घर के ऊपर वाले कमरे में रहने को जगह दे दी. निशा का परिवार वहीं शिफ्ट हो गया. परिवार पालने के लिए निशा ने इंदु जैन हौस्पिटल में नर्स की नौकरी कर ली. इस के विपरीत योगेश बेरोजगार बना रहा. नौकरी तलाश करता रहा, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई थी. वह निठल्ले की तरह घर पर पड़ा रहता था. सुबहशाम खाना और घूमनाफिरना, यही उस की दिनचर्या बन चुकी थी. घरेलू खर्च के लिए गाहेबगाहे निशा के पिता ही उस की मदद करते रहते थे.

एक दिन प्रेम नारायण ने योगेश को कोई कामधंधा करने की सलाह दी. उन्होंने प्राइवेट नौकरी के लिए कहीं बात करने के बारे में भी कहा. इस पर योगेश बोला कि वह कोई ऐसावैसा काम नहीं करेगा. क्योंकि वह जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है. योगेश की बातें दिन में देखे गए सपने जैसे ही थीं. जबकि निशा नौकरी करने के साथसाथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करने लगी थी. उस ने 2-3 परीक्षाएं भी दीं, लेकिन उस में सफल नहीं हो पाई. फिर भी वह तैयारी करती रही.

परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 3

22 वर्षीय मालती का खून से सना शव भूपेंद्र जाट के मकान में बनी दुकान में पड़ा हुआ था. उस के पास में ही उस के प्रेमी पवन सिंह (27 वर्ष) भी खून से लथपथ अचेत अवस्था में पड़ा हुआ था. दोनों के ही शरीर पर काफी नजदीक से गोली मारे जाने के निशान थे. युवती की लाश के पास ही एक देशी कट्ïटा पड़ा था.  इस से यह अंदाजा लगाया गया कि पहले युवक ने अपनी प्रेमिका के सिर में गोली मारी और फिर खुद आत्महत्या करने के इरादे से गोली मार ली.

आत्महत्या या औनरकिलिंग का हुआ शक

तलाशी में दोनों के पास से कोई सुसाइड नोट तो नहीं मिला, लेकिन पवन जाट के पर्स से मालती और पवन का संयुक्त फोटो मिलने से यह बात साफ हो गई कि मामला प्रेम प्रसंग का है. इसलिए एक संभावना औनर किलिंग की भी बनती नजर आने लगी.  लेकिन किसी भी परिणाम पर पहुंचने से पहले पुलिस के लिए इस हत्या से पहले की हकीकत जानना जरूरी था.

चूंकि मामला हत्या और आत्महत्या के अलावा औनर किलिंग का भी हो सकता था, इसलिए पूरी ऐहतियात बरतते हुए एडिशनल एसपी (देहात) जयराज कुबेर के निर्देश पर फोरैंसिक एक्सपर्ट भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का सूक्ष्मता से निरीक्षण करते हुए सुराग तलाशने की कोशिश की.  इस के बाद मालती का शव पोस्टमार्टम के लिए और अचेत अवस्था में लहूलुहान हालत में पड़े मिले पवन जाट को प्राथमिक उपचार के लिए भितरवार के शासकीय स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया, लेकिन हालत में सुधार होता न देख डाक्टरों ने बिना देरी किए उसे ग्वालियर के लिए रेफर कर दिया. इलाज के दौरान एक दिन बाद ही पवन ने भी दम तोड़ दिया.

अस्पताल से एसएचओ को इस बारे में सूचना दे दी गई थी. इस सूचना के मिलते ही एसएचओ प्रशांत शर्मा और एसडीपीओ अस्पताल पहुंच गए. जरूरी काररवाई के बाद पवन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पवन की मौत के बाद मोहनगढ़ में तनाव फैल गया. तनाव को देखते हुए ग्वालियर से पवन का शव मोहनगढ़ आने से पहले ही भितरवार तहसील के एसडीपीओ अभिनव वारंगे ने मृतक युवक और युवती के घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था.

घर वालों ने दी पुलिस को धमकी

एसडीपीओ ने गम में बिलखते हुए मालती के मातापिता और भाई को ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि इस समय आप लोग बहुत परेशान हैं, लेकिन यह सब कैसे हुआ, यह जानने के लिए मुझे आप लोगों से पूछताछ तो करना ही पड़ेगी. आप लोग इसी तरह रोते रहेंगे तो मैं और एसएचओ अपना काम कैसे करेंगे. आप लोग रोनाधोना बंद कीजिए और हम लोग जो पूछें, उस का जवाब दीजिए.’’

इस पर भी मालती के घर वालों का रोना बंद नहीं हुआ तो एसडीपीओ ने नाराज हो कर कहा, ‘‘ठीक है, आप लोग जी भर कर रो लें. उस के बाद मेरे औफिस में बयान देने आ जाना.’’

इतना कह कर वे घटनास्थल से चलने को अपनी गाड़ी में आ कर बैठे ही थे कि बालमुकुंद चौहान उन की गाड़ी के समीप आ कर बोले, ‘‘साहब रुकिए, मैं आप को इस हत्याकांड की सारी हकीकत बताता हूं. साहब, मेरे पड़ोस में रहने वाले भूपेंद्र सिंह जाट के बेटे पवन ने मेरी बेटी को अपने प्रेम जाल में फंसा लिया था, लेकिन जब मैं ने अपनी बेटी की शादी पवन से न कर के किसी और लडक़े से कर दी तो वह और उस के परिवार के लोग बुरी तरह से तिलमिला गए.

पवन के पिता भूपेंद्र जाट, उस की मां वंदना जाट, भाई उपेंद्र, चाचा उमराव सिंह और पवन ने बड़े सुनियोजित ढंग से मालती को अपने घर बुला कर मेरी बेटी के सिर में गोली मार कर उसे मौत के घाट उतार दिया और उल्टे पवन का परिवार मेरे परिवार पर अंगुली उठाते हुए मेरे घर वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहा है. साहब, अब इस हत्याकांड का सारा सच सामने आ चुका है. आप इन 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी काररवाई करेंगे, तभी हम अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करेंगे.

इस के बाद एसडीपीओ के निर्देश पर एसएचओ प्रशांत शर्मा ने तत्काल मृतका के पिता बालमुकुंद की शिकायत पर भूपेंद्र जाट, वंदना जाट, पवन जाट, उपेंद्र, उमराव सहित पवन के खिलाफ भादंवि की धारा 302,147 के तहत मामला दर्ज कर लिया.  प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका को गोली मार सुसाइड करने के बहुचर्चित मामले में नया मोड़ तब आया, जब पवन की इलाज के दौरान ग्वालियर में हुई मौत के बाद पवन के घर वालों ने मालती के घर वालों पर हत्या का मुकदमा कायम करने की मांग करते हुए भितरवार थाने का घेराव कर लिया.

एसएचओ ने जब उन की मांग को अनसुना कर दिया तो आक्रोशित परिजनों ने पवन के शव को भितरवार करैरा मार्ग पर रख कर चक्का जाम कर दिया. चक्का जाम करने की सूचना मिलने पर एसडीपीओ और एसएचओ प्रशांत शर्मा पुलिस फोर्स ले कर मौके पर पहुंच गए. एसडीपीओ अभिनव वारंगे ने पवन के घर वालों से बात कर भरोसा दिलाया कि मामले की जांच के बाद ही किसी की इस मामले में गिरफ्तारी की जाएगी. इस आश्वासन के बाद ही उन्होंने चक्का जाम खोला और वे पवन का शव ले कर अंतिम संस्कार के लिए मोहनगढ़ चले गए.

कथा लिखने तक पुलिस मर्डर ऐंड सुसाइड के इस मामले की जांच कर रही थी.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 3

मध्य दिल्ली की डीसीपी श्वेता चौहान ने हत्या का यह मामला संज्ञान में आने के बाद एसीपी नरेश खनका के निर्देशन में एसएचओ नबी करीम अशोक कुमार को इस केस का नेतृत्व सौंप कर एक जांच टीम का गठन कर दिया. इस टीम में इंसपेक्टर शिवकरण, एसआई हर्ष, हैडकांस्टेबल पप्पू लाल, वीरेंद्र, जिले सिंह, ताराचंद, कांस्टेबल विजय और सीताराम को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने उस जगह का निरीक्षण किया, जहां पर जतिन को चाकू मारा गया था. यह पहाडग़ंज का आकांशा रोड था. भगवती मैडिकल स्टोर के पास काफी खून फैला था. यहीं पर रात करीब एक बजे स्कूटी से शादी समारोह में शामिल होने जा रहे जतिन उर्फ जूड़ी को चाकू मार कर खत्म कर दिया गया था. शायद उस वक्त यहां कोई चश्मदीद नहीं रहा होगा, जिस ने हत्यारे को देखा हो. हत्या के बाद कोई यहां से गुजरा तब उस ने जतिन को अस्प्ताल पहुंचाया और उस के घर वालों को सूचित किया.

पुलिस ने वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों के लिए नजरें दौड़ाईं, उन्हें वहीं रोड पर 2-3 सीसीटीवी कैमरे नजर आ गए. उन की फुटेज चैक की गई. एक कैमरे में उन्हें 3 व्यक्ति नजर आ गए. उन्होंने जतिन को पकड़ रखा था और उन में से एक जतिन के सीने पर चाकू से वार कर रहा था.

“इन तीनों व्यक्तियों की तसवीर ले कर यहां के रहने वालों को दिखाओ, ये जतिन के हत्यारे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि ये यहीं की किसी बस्ती में रहते होंगे.’’ एसएचओ अशोक ने अपनी टीम को निर्देश दिया तो पुलिस टीम काम में जुट गई. तीनों हत्यारों के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से फोटो निकाल कर उन्हें पुलिस टीम ने अपनेअपने मोबाइल में अपलोड कर लिया. फिर उन की जानकारी हासिल करने के लिए बस्ती की ओर निकल गई.

सौरभ व अक्षय हुए गिरफ्तार

थानाप्रभारी ने अपने खास मुखबिर भी जतिन मर्डर केस के काम में लगा दिए. एक घंटे बाद ही एक मुखबिर ने फोन पर बता दिया कि तीनों हत्यारे नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहते हैं. इन के नाम अक्षय, सौरभ और रजनीकांत हैं. उन के घर दबिश दी जाए तो वे पकड़ में आ सकते हैं.

एसएचओ ने अपनी टीम को तुरंत वापस बुला लिया और मुखबिर द्वारा बताए घरों पर दबिश दी तो घर से वे तीनों गायब मिले. उन की पत्नियां और बच्चे घर पर थे. पुलिस ने सौरभ की पत्नी मीना से पूछताछ की तो उस ने बताया कि अक्षय उस के जेठ हैं और रजनीकांत रिश्तेदार हैं, लेकिन ये तीनों इस समय कहां हैं, इस का पता नहीं.

पुलिस टीम ने मीना से उन तीनों के खास रिश्तेदारों, मित्रों की जानकारी ली. उन तीनों के मोबाइल नंबर भी ले कर सर्विलांस पर लगवा दिए. सौरभ और रजनीकांत की लोकेशन ट्रेस होने लगी. वे दोनों सुलतानपुरी दिल्ली में थे. पुलिस टीम ने उन की गिरफ्तारी के लिए सुलतानपुरी में दबिश दी. वहां वे एक रिश्तेदार के घर में छिपे हुए मिल गए. दोनों को पकड़ कर नबी करीम थाने लाया गया. उन दोनों से पूछताछ हुई तो सौरभ से जतिन उर्फ जूड़ी की हत्या के पीछे जो कहानी बताई, उसे सुन कर सभी हैरत में पड़ गए.

सौरभ ने बताया कि उस की पत्नी मीना की मुलाकात काफी दिनों पहले जतिन से हुई थी. जतिन और मीना का यह प्यार सभी सीमाएं लांघ गया. दोनों के विषय में मुझे मालूम हुआ तो मैं ने उन्हें समझाया किंतु दोनों ही एकदूसरे के प्यार में इस कदर पागल हो गए थे कि मेरी बात को उन्होंने अनसुना कर दिया.

मुझे मालूम हुआ कि जतिन मेरी पत्नी मीना को भगा कर ले जाने वाला है. वह उस से दूर जा कर शादी करने का मन चुका था, मुझे इस पर गुस्सा आ गया. मैं ने सोचा कि अगर जतिन को रास्ते से हटा दिया जाए तो मीना खामोश बैठ जाएगी. मैं ने अपने भाई अक्षय और मीना के रिश्तेदार रजनीकांत को जतिन की हत्या करने के लिए राजी कर लिया.

27 जनवरी को जतिन को एक शादी समारोह में जाना था. हम ने वही दिन उपयुक्त मान कर रात को जतिन को घेर लिया और चाकू मार कर पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी. सौरभ का बयान दर्ज कर लिया गया. रजनीकांत ने भी जुर्म कुबूल कर लिया. अक्षय फरार था. उस ने अपना मोबाइल बंद कर रखा था.

एसएचओ ने अक्षय की पत्नी और उस की सास यानी सौरभ, अक्षय की मम्मी के मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिए. अब इंतजार था अक्षय के द्वारा अपना मोबाइल औन करने का.

अभियुक्तों ने स्वीकारा जुर्म

अक्षय बेहद चालाक था. उस ने किसी दूसरे व्यक्ति के फोन से 30 जनवरी, 2023 को अपनी पत्नी को फोन मिला कर बात की. उस ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए वह गुजरात भाग गया है, अभी वडोदरा में है. एसएचओ अशोक ने उस की सारी बातें रिकौर्ड कर लीं. उन्होंने अक्षय की मां और पत्नी को विश्वास में ले कर अक्षय को कहलवाया कि वह दिल्ली आ जाए, पुलिस ने सौरभ को गिरफ्तार कर लिया है क्योंकि उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है. अब पुलिस तुम्हें कुछ नहीं कहेगी. तुम घर लौट आओ.

अक्षय घर आने को राजी हो गया. उस ने वडोदरा से एक ट्रैवल एजेंसी से एक हजार रुपए में टिकट खरीदा और बस में सवार हो गया. उस ने यह जानकारी अपनी पत्नी को दे दी. एसएचओ मुसकराए कि शिकार अब पिंजरे में आने के लिए तैयार है. उन्होंने वडोदरा की उस ट्रैवल एजेंसी से बस का नंबर और ड्राइवर का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. वह बस के ड्राइवर से फोन पर संपर्क बनाए हुए यह जानकारी लेते रहे कि उस की बस कहां तक पहुंची है.

जब बस ड्राइवर से मालूम हुआ कि वह बस ले कर गुरुग्राम में प्रवेश कर चुका है तो एसएचओ अशोक पुलिस टीम के साथ गुरुग्राम पहुंच गए. वह बस नजर आई तो उसे रुकवा लिया गया. अक्षय बस में था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. थाने में उस ने भी जतिन की हत्या में शामिल होने का जुर्म कुबूल कर लिया.

उन तीनों को अदालत में पेश कर के 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान पुलिस ने जतिन की हत्या में प्रयोग किया गया चाकू, स्कूटी और एक बाइक बरामद की. रिमांड अवधि खत्म हो जाने पर तीनों अभियुक्तों को फिर से अदालत में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मीना और सोनिया परिवर्तित नाम हैं.