कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 1

3 अगस्त, 2023 को रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के शहर रुद्रपुर की घनी आबादी वाले ट्रांजिट कैंप इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ था. उसी दौरान संजय यादव के 12 वर्षीय बेटे जय की चीखपुकार ने सभी लोगों की नींद उड़ा दी थी.

जय जोरजोर से चीख रहा था, ‘‘बचाओबचाओ, बदमाशों ने मेरे मम्मीपापा को मार डाला.’’

उस की चीखपुकार सुन कर लोग इकट्ठा हुए. फिर लोगों ने उस के घर के अंदर का मंजर देखा तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए. लोगों ने घटनास्थल पर देखा, एक कमरे में उस के मम्मीपापा की लाश खून से लथपथ पड़ी हुई थी. जबकि दूसरे कमरे में उस की नानी बेहोशी की हालत में पड़ी हुई चीखपुकार मचा रही थी. जय ने लोगों को बताया कि उस ने भी शोर मचाने की कोशिश की तो आरोपी उसे धक्का मार कर एक बदमाश फरार हो गया.

इस जघन्य अपराध को देखते ही वहां पर मौजूद लोगों ने पुलिस को सूचना दी. सूचना पाते ही आननफानन में घटनास्थल पर पुलिस भी पहुंच गई थी. पुलिस ने इस मामले में मृतक संजय यादव के बेटे जय से जानकारी जुटाई तो उस ने बताया कि रात के कोई 2 बजे उस के घर में बदमाश घुस आए. घर में घुसते ही बदमाशों ने उस के पिता की धारदार हथियार से गला रेत कर हत्या कर दी.

उस के बाद पास में ही सो रही उस की मां के चेहरे पर कई वार करने के बाद उन के हाथ की नस काट दी, फिर उन की कमर पर धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी. दोनों की चीख सुन दूसरे कमरे में सो रही उस की नानी गौरी मंडल मौके पर पहुंची तो बदमाशों ने उन के पेट पर भी वार कर दिया, जिस के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गईं.

दोहरे मर्डर से क्षेत्र में मची सनसनी

3 लोगों की नाजुक हालत को देखते ही पुलिस ने एंबुलेंस भी बुला ली थी. तीनों को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डाक्टरों ने संजय यादव और उन की पत्नी सोनाली को मृत घोषित कर दिया. जबकि सोनाली यादव की मां गौरी मंडल की हालत गंभीर दखते हुए उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया था. रात अधिक होने के कारण पुलिस ने दोनों मृतकों की लाश को मोर्चरी में रखवा दिया था.

अगले दिन सुबह ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर मृतक परिवार के घर की जांचपड़ताल की. जांच के लिए डौग स्क्वायड को भी बुलाया गया था. इस दौरान भी सारे दिन देखने वालों की भीड़ लगी रही.

इस केस की अधिक जानकारी के लिए पुलिस ने कुमाऊं फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. घटना के बाद घर में मौजूद बिस्तर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. फर्श पर भी कई जगह खून बिखरा मिला. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुंचते ही टीम ने साक्ष्य जुटाए. उस के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.

7 पुलिस टीमों के 45 पुलिसकर्मी जुटे जांच में

इस जघन्य डबल मर्डर के शीघ्र खुलासे के लिए एसएसपी मंजूनाथ टीसी द्वारा जगदीश की गिरफ्तारी हेतु पुलिस अपराध एवं यातायात, एसपी (सिटी), सीओ अनुषा बडोला व पंतनगर के सीओ व एसएचओ कोतवाली सुंदरम शर्मा के निर्देशन में 7 पुलिस टीमों का गठन किया गया.

इस केस की गहराई तक जाने के लिए सब से पहले पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. जिस के द्वारा राजवीर नाम का एक शख्स सुर्खियों में उभर कर सामने आया. पुलिस ने राजवीर की छानबीन की तो उस के कई नाम उभर कर सामने आए. जो जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज नाम से ज्यादा जाना जाता था. उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि वह राजवीर नाम से कई साल पहले संजय यादव के घर के सामने किराए पर रह चुका था.

जगदीश उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर का मूल निवासी था. इस वक्त वह कहां रह रहा था, किसी के पास कोई ठोस जानकारी नहीं थी. फिर भी पुलिस ने उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन वह नंबर काफी समय से बंद आ रहा था, जिस से पता चला कि अभियुक्त पुलिस की पकड़ से बचने के लिए पलपल स्थान बदल रहा था.

उस के बाद गठित टीमों द्वारा अपनाअपना काम करते हुए 5 राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में जा कर लगभग 1200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहा था. उस के बाद एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने आरोपी की पकडऩे के लिए 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित करते हुए अखबारों में भी विज्ञापन दिया. साथ ही आरोपी को शीघ्र पकडऩे के लिए पुलिस ने उस के पीछे मुखबिर भी लगा दिए.

9 अगस्त, 2023 को पुलिस को एक मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि डबल मर्डर केस का आरोपी उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में मौजूद है. इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मुखबिर की लोकेशन के आधार पर चारों तरफ से घेराबंदी करते हुए उसे अपनी हिरासत में ले लिया.

जगदीश को गिरफ्तार करते ही पुलिस टीम रुद्रपुर चली आई. रुद्रपुर लाते ही पुलिस ने इस हत्याकांड के बारे में उस से कड़ी पूछताछ की. जगदीश ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. जगदीश ने बताया कि वह उसे दिलोजान से चाहता था. लेकिन सोनाली उस से प्रेम करने को तैयार न थी, जिस के कारण ही उसे इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.

संजय और सोनाली ने की थी लव मैरिज

पुलिस पूछताछ और संजय यादव के परिवार से मिली जानकारी से इस मामले में जो कथा उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

संजय यादव उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का मूल निवासी था. 5 भाइयों में सब से छोटा संजय यादव अब से लगभग 17 साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस वक्त वह अविवाहित था. रुद्रपुर आ कर उस ने एक किराए का कमरा लिया और यहीं पर नौकरी भी करने लगा था. उसी नौकरी करने के दौरान उस की मुलाकात सुभाष कालोनी निवासी सोनाली से हुई. उस वक्त सोनाली भी सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम करती थी.

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 3

आखिर विनीत को मुखबिर की सूचना पर लोनी गोल चक्कर से गिरफ्तार कर लिया गया.

आइए, पहले जान लेते हैं कि विनीत पंवार कौन है और उस ने माही की हत्या क्यों की.

विनीत और माही की फेसबुक से हुई थी जानपहचान

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत का एक छोटा सा गांव है कागदीपुर. इसी गांव का निवासी था विनय पंवार. उस के 2 बेटे विनीत और मोहित थे तथा एक बेटी थी पारुल. विनय पंवार मेहनतमजदूरी कर के बच्चों का पेट पालता था. उस की पत्नी का देहांत हो गया था. विनय पंवार ने जैसेतैसे बच्चों की परवरिश की.

पारुल सयानी हुई तो उस ने उस की शादी विदिशा के साथ कर दी. विदिशा दिल्ली में काम करता था. बहन की शादी के बाद विनीत भी कामधंधे की तलाश में अपने जीजा के पास रहने आ गया. वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, इसलिए उसे अच्छी नौकरी तो नहीं मिली. हां, गुजरबसर करने लायक एक फैक्ट्री में काम जरूर मिल गया. वह बहन और जीजा के पास ही रहने लगा. वह बहन को अपने खाने का खर्चा देने लगा.

विनीत को अच्छा पहनने और फिल्में देखने का शौक था. धीरेधीरे उस ने कुछ रुपए जोड़ कर किस्तों पर मोबाइल फोन भी ले लिया था. वह दिन में फैक्ट्री में काम करता. शाम को नहाधो कर अच्छे कपड़े पहनता और मोबाइल हाथ में ले कर घूमने निकल जाता.

उसी मोबाइल पर फेसबुक द्वारा विनीत की रोहिना उर्फ माही नाम की एक लडक़ी से जानपहचान हो गई. यह जानपहचान धीरेधीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. विनीत खाली समय में रोहिना उर्फ माही से प्रेम की बातें करता रहता.

दोनों के बीच यह प्यार इस कदर बढ़ा कि माही अपना घरद्वार छोड़ कर विनीत के साथ रहने को राजी हो गई. विनीत उसे लेने के लिए उत्तराखंड पहुंच गया. हरिद्वार के एक गांव मिर्जापुर में रहती थी रोहिना उर्फ माही. वह विनीत से मिलने हरिद्वार आ गई. दोनों पहली बार यूं आपस में गले मिले जैसे उन में बरसों की गहरी मित्रता हो.

माही अपना सामान बैग में भर कर लाई थी. विनीत उसे अपने साथ बागपत के गांव कागदीपुर ले गया. माही बगैर शादी किए उस के साथ लिवइन रिश्ता जोड़ कर रहने लगी. विनीत की इस हरकत पर उस के पिता विनय पंवार ने कोई विरोध नहीं किया.

उसे बेटे की शादी करनी ही थी. बेटा अपनी पसंद की कोई लडक़ी घर ले आया तो विनय पंवार को क्या एतराज होता. बस उसे यही अखरता था, माही के साथ विनीत बगैर शादी किए रह रहा था. लेकिन विनय पंवार खामोश रहा. माही उन के घर में रहती रही.

विनीत के जीवन में आया नया मोड़

लेकिन अभी विनीत की जिंदगी में और भी उतारचढ़ाव आने शेष थे. वह माही के साथ आराम से रह रहा था कि एक दिन उसे और उस के पिता विनय पंवार को पुलिस ने एक हत्या का दोषी मान कर गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. यह सन 2017 की बात है. जुर्म साबित होने पर उसे सजा हो गई.

पिता विनय पंवार और भाई विनीत जेल चला गया तो माही को पारुल अपने पास दिल्ली ले गई. माही के कदम अच्छे नहीं थे. एक दिन पारुल के पति विदिशा की अचानक मौत हो गई. पारुल खूब रोईधोई, फिर उस ने मन को धीरज दे कर अपनी जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर लाने का रास्ता तलाशना शुरू कर दिया.

कहा जाता है औरत का एक सहारा टूटता है तो अनेक हाथ उसे सहारा देने के लिए आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन तब जब औरत जवान और सुंदर हो. पारुल जवान भी थी और खूबसूरत भी. उस की तरफ इरफान ने हाथ बढ़ाया तो पारुल ने तुरंत उस का हाथ थाम लिया. पारुल की जिंदगी मजे में कटने लगी. साथ ही वह माही का भी खर्च उठाने में सक्षम हो गई.

पारुल को माही भाभी मानती थी. माही यहां विनीत के भरोसे अपने मांबाप, बहनभाई छोड़ कर आई थी. विनीत जेल चला गया तो माही उदास हो गई. विनीत के बगैर उसे कुछ अच्छा नहीं लगता था. लेकिन वह कर ही क्या सकती थी. वह यह सोच कर संतोष कर रही थी कि विनीत जल्दी ही जेल से छूट कर घर आएगा, तब वह उस से शादी कर के उस की दुलहन बन जा जाएगी.

नवंबर, 2022 में हाईकोर्ट के आदेश पर विनीत पैरोल पर जेल से बाहर आया तो माही उसे सामने देख कर खुशी से नाच उठी. उस ने विनीत के आगे शादी की बात रखी, लेकिन विनीत उसे गले की हड्डी नहीं बनाना चाहता था.

उस ने बहन पारुल से बात की तो पारुल ने संजीदगी से कहा, “विनीत, माही वह लडक़ी नहीं है जिसे मैं भाभी बनाऊं, इसे दफा करो और किसी धनी बाप की बेटी को फांसो, ताकि लडक़ी के साथ मोटी रकम भी हाथ आए.”

“मेरी जिंदगी पर अपराधी का ठप्पा लग गया है बहन, मुझे कोई पैसे वाला अपनी लडक़ी क्यों देगा?”

“तो फिर माही को बेच डालो, मोटी रकम हाथ आएगी तो हमारे दिन संवर जाएंगे.”

“हां, यह ठीक रहेगा.” विनीत ने खुश हो कर कहा.

उसी दिन से वह और पारुल रोहिना उर्फ माही को बेचने की जुगत में लग गए. काफी भागदौड़ करने पर भी माही के लिए मोटी कीमत देने वाला नहीं मिला. इधर माही रोज विनीत पर शादी करने का दबाव बना रही थी. आखिर इस से तंग आ कर विनीत ने माही से पीछा छुड़ाने के लिए उस का गला दबा कर उस की जान ले ली.

माही मर गई तो विनीत डर गया. उस ने माही की लाश दीवान में छिपा कर रखी. फिर पारुल को माही की हत्या कर देने की बात बता दी. पारुल ने माही की लाश ठिकाने लगाने के लिए अपने प्रेमी इरफान की मदद मांगी तो वह तुरंत रात को बाइक ले कर आ गया. उस वक्त पारुल का छोटा भाई मोहित भी घर पर था.

पारुल ने इरफान की बाइक पर रोहिना उर्फ माही की लाश लादने में विनीत और इरफान की मदद की. इरफान और विनीत माही की लाश रात के अंधेरे में करावल नगर के महालक्ष्मी विहार में डाल आए.

क्राइम ब्रांच और करावल नगर थाने की पुलिस टीम के संयुक्त प्रयास से इरफान, विनीत, पारुल और मोहित की गिरफ्तारी संभव हो सकी. विनीत ने भी अपना अपराध कबूल कर लिया था. पुलिस ने उन चारों अभियुक्तों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित सत्य कथा का नाट्य रूपांतरण है.

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 2

आखिरी कैमरे में पुलिस को जो दृश्य नजर आया, वह उन के लिए बड़ी सफलता ले कर आया था. दोनों युवकों में से एक युवक उन्हें बाइक लिए सडक़ पर खड़ा दिखाई दिया, दूसरा युवक गली में से आता नजर आया, आने वाले युवक के कंधे पर लडक़ी थी. वह निर्जीव यानी लाश लग रही थी.

“सर, यहीं कहीं से यह युवक युवती की लाश ले कर महालक्ष्मी विहार के लिए चले थे.” एसआई मनदीप जोश में भर कर बोले, “हमें यहां पर युवती की फोटो दिखा कर मालूमात कर लेनी चाहिए.”

“ठीक कहते हो.” एसएचओ नफे सिंह मुसकरा कर बोले.

आखिर पुलिस पहुंच ही गई ठिकाने

सभी के मोबाइल में उस मृत युवती का फोटो अपलोड था. उसे वहां के दुकानदारों, पटरी वालों और मजदूरी करने वाले लोगों को दिखाया गया तो एक पटरी वाले ने युवती को पहचान लिया. उस ने बताया, “साहब, यह युवती तो रोहिना है, यह छोटा बाजार में स्थित जाट धर्मशाला के पास पारुल के साथ रहती है.”

“क्या तुम हमें पारुल के घर तक पहुंचा सकते हो?” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पटरी वाले से कहा.

“क्यों नहीं साहब,” वह व्यक्ति अपनी जगह पर खड़ा हो कर बोला, “आप किसी को मेरे सामान के पास खड़ा कर दीजिए.”

एसएचओ ने कांस्टेबल शुभम और निखिल को वहां खड़ा कर दिया. बाकी पुलिस टीम उस व्यक्ति के साथ पारुल के घर की ओर चल पड़ी. वह व्यक्ति उन्हें जाट धर्मशाला के पास एक मकान पर ले कर आया. मकान के दरवाजे पर ताला लटक रहा था.

“यहीं पारुल रहती है साहब, आप मकान मालिक से पूछ लीजिए.” उस व्यक्ति ने कहा.

पुलिस टीम को अपने मकान के दरवाजे पर देख कर ऊपर मौजूद मकान मालिक नीचे आ गया. वह काफी डरा हुआ दिखाई दे रहा था.

“क्या बात है साहब, आप मेरे मकान पर किसे तलाशने आए हैं?” मकान मालिक ने कांपती आवाज में पूछा.

“तुम्हारे कमरे में पारुल रहती है, हमें उस से मिलना है.” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पूछा.

“वो तो कल शाम को मेरा कमरा खाली कर के कहीं दूसरी जगह चली गई है साहब.”

“ओह!” इंसपेक्टर ने गहरी सांस ली, फिर कुछ सोच कर उन्होंने मृत युवती का फोटो मकान मालिक को दिखाया, “इसे पहचानते हो?”

“जी हां, यह रोहिना उर्फ माही है. यह पारुल के साथ ही मेरे कमरे में कई सालों से रह रही थी. हां, मैं ने 2-4 दिन से इसे पारुल के साथ नहीं देखा तो पारुल से पूछा था, तब उस ने बताया था कि माही घूमने के लिए कहीं गई है.”

“पारुल तुम्हारा कमरा छोड़ कर अब कहां रहने गई है?”

“मुझे नहीं मालूम साहब, कल तांगे में अपना सामान लाद कर उस ने मुझे बाकी बचा किराया चुकाया और चली गई. कहां गई, मैं नहीं बता सकता.”

हत्यारे चढ़े पुलिस के हत्थे

पुलिस टीम वापस लौट आई. उन्हें पारुल के नए ठिकाने को तलाश करना था. पारुल ने सामान शिफ्ट करने में तांगा इस्तेमाल किया था. उस तांगे को ढूंढ कर पारुल के नए ठिकाने पर पहुंचा जा सकता था. तांगे का स्टैंड शाहदरा में फ्लाईओवर के नीचे था. वहां जा कर ही तांगा वाले का पता लगाया जा सकता था. यह काम एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल मनीष यादव को सौंपा गया. दोनों उसी वक्त शाहदरा में तांगा स्टैंड के लिए थाने से रवाना हो गए.

एसआई मनदीप ने हैडकांस्टेबल मनीष के साथ उस तांगे वाले को खोज निकाला. उस ने बताया कि वह एक महिला का सामान तेलीवाड़ा (शाहदरा) से अपने तांगे में लाद कर कांतिनगर ले गया था. उस ने एसआई मनदीप को कांतिनगर में पारुल के नए आशियाने पर पहुंचा दिया.

पारुल ने यहां कमरा किराए पर लिया था, इस वक्त वह और उस का भाई मोहित घर पर ही थे. एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल ने दोनों को हिरासत में ले लिया. उन दोनों को करावल नगर थाने में लाया गया. इन की गिरफ्तारी की सूचना डीसीपी डा. जौय टिर्की को दी गई तो वह करावल नगर थाने में आ गए. उन की मौजूदगी में पारुल से पूछताछ शुरू की गई.

एसएचओ नफे सिंह ने रोहिना उर्फ माही की तसवीर मोबाइल में पारुल को दिखाते हुए पूछा, “इसे तो पहचानती हो न पारुल?”

पारुल काफी डरी और सहमी हुई लग रही थी. वह थूक गटकती हुई बोली, “जी.. मैं इसे पहचानती हूं, यह माही है.”

“इस की हत्या किस ने की, क्यों की, इस बात का ठीकठीक जवाब दो. अगर चालाकी दिखाने की कोशिश करोगी तो तुम्हारे हक में अच्छा नहीं होगा.”

“साहब, मैं ने माही की हत्या नहीं की है. माही का गला मेरे भाई विनीत ने दबाया था, वह उसे मारना नहीं चाहता था, लेकिन माही की जिद के कारण विनीत को गुस्सा आ गया और उस ने माही का गला दबा दिया. उस ने डर के कारण माही का शव दीवान में छिपा कर रखा. जब अंधेरा फैलने लगा तो विनीत ने मेरे प्रेमी इरफान को घर बुला लिया.

“वह बाइक ले कर आया. मैं ने और विनीत ने माही की लाश को बाइक तक पहुंचाया. विनीत माही की लाश ले कर बैठा और इरफान ने बाइक संभाली. दोनों रात को माही की लाश करावल नगर क्षेत्र में डाल कर आ गए.”

“विनीत कहां छिपा हुआ है? अपने प्रेमी इरफान की भी जानकारी दो हमें.” डीसीपी जौय टिर्की ने सख्त लहजे में पूछा.

“साहब, मैं नहीं जानती विनीत कहां चला गया है. हां, इरफान के घर का पता मैं आप को बता देती हूं.” पारुल ने कहा और इरफान का पता बता दिया.

पुलिस टीम ने इरफान को उस के घर से दबोच लिया. उसे करावल नगर लाया गया तो वहां अपनी प्रेमिका पारुल उर्फ चिंकी को देख कर वह समझ गया कि माही की हत्या का राज पुलिस के सामने खुल गया है. फिर इरफान ने भी अपना गुनाह चुपचाप कुबूल कर लिया. अब असली कातिल विनीत की गिरफ्तारी शेष थी.

पुलिस ने विनीत पंवार की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह दबिश दी, लेकिन वह बड़ी चालाकी से इधरउधर भाग रहा था. जब वह पुलिस टीम के हाथ नहीं आया तो डीसीपी जौय टिर्की ने क्राइम ब्रांच की ईस्टर्न रेंज (2) के हाथ में विनीत की गिरफ्तारी की कमान सौंप दी. अपराध शाखा के एसीपी राजकुमार साहा की देखरेख में क्राइम ब्रांच की टीम ने विनीत की खोज शुरू कर दी. मुखबिर भी विनीत की टोह में लगा दिए गए.

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 1

बात 12 अप्रैल, 2023 की है. उत्तरपूर्वी दिल्ली के करावल नगर क्षेत्र के महालक्ष्मी विहार में 12 अप्रैल की सुबह उस वक्त होहल्ला मच गया, जब मकान नंबर बी-85 के बाहर दरवाजे पर एक युवती की लाश किसी ने पड़ी देख कर शोर मचाया. देखते ही देखते अड़ोसपड़ोस ही नहीं, दूसरी गलियों के लोग भी उस मकान के आगे आ कर लाश देखने के लिए जमा होने लगे. युवती के शरीर पर सलवारसूट था. उस की उम्र 30 साल के करीब लग रही थी. चेहरे मोहरे से वह मध्यम परिवार की दिखाई देती थी.

किसी ने इस लाश की सूचना फोन द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. करीब 20-25 मिनट में ही करावल नगर थाने के एसएचओ नफे सिंह 2-3 पुलिसकर्मियों को ले कर वहां आ गए. पुलिस ने पहले वहां एकत्र भीड़ को दूर हटाया, फिर युवती की लाश का निरीक्षण किया गया. युवती के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट अथवा जख्म के निशान नहीं थे, एसएचओ नफे सिंह की पैनी निगाहों ने युवती के गले पर लाल निशान देखे तो तुरंत अनुमान लगा लिया कि युवती को गला घोंट कर मारा गया है.

सब से पहले युवती की शिनाख्त का प्रश्न था. अभी तक वहां जमा लोगों में से किसी ने भी मृतका की पहचान नहीं की थी. इस से यही लगा कि यह युवती इस क्षेत्र की नहीं है. उन्होंने इस लाश की सूचना मोबाइल फोन द्वारा नार्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी जौय टिर्की को दे दी. उन से सलाहमशविरा करने के बाद उन्होंने फोटोग्राफर और फोरैंसिक टीम को मौके पर बुला लिया. उन के आ जाने पर दूसरी आवश्यक कागजी काररवाई पूरी कर के लाश को जीटीबी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

15 अप्रैल, 2023 को इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार ने वादी बन कर अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत रिपोर्ट दर्ज करवा दी. उसी दिन उस युवती की लाश का पोस्टमार्टम करवाया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया कि युवती की हत्या गला दबा कर की गई है. युवती शादीशुदा होगी, इस बात के कोई सुहाग चिह्न युवती के जिस्म पर नहीं थे, इस से यह अनुमान लगाया गया कि युवती कुंवारी थी और किसी साथ प्रेम संबंध में फंस कर उस ने अपनी अस्मत ही नहीं खोई थी, खुद भी दुनिया से विदा कर दी गई.

‘युवती कौन थी,’ सब से पहले यह पता लगाना जरूरी था.

मृतका की शिनाख्त कराने की हुई कोशिश

डीसीपी डा. जौय टिर्की ने युवती की शिनाख्त और उस के हत्यारे का पता लगाने के लिए एक पुलिस टीम एसीपी संजय सिंह (खजूरी खास) के नेतृत्व में गठित कर दी. इस टीम में करावल नगर थाने के एसएचओ नफे सिंह, इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार, एसआई मनदीप कुकाना, एएसआई माथी, हैडकांस्टेबल मनीष यादव, अमरीश, कांस्टेबल शुभम, निखिल को शामिल किया गया.

युवती की पहचान के लिए दिल्ली के सभी थानों में लाश की फोटो भेज कर यह मालूम करने की कोशिश की गई कि इस युवती की गुमशुदगी उन के यहां दर्ज तो नहीं है, यदि है तो वह थाना करावल नगर में इस की इत्तला दें. लेकिन 2-3 दिन बीत जाने के बाद भी किसी भी थाने में सूचना नहीं मिली तो युवती के पैंफ्लेट छपवा कर करावल नगर और आसपास के इलाकों में चिपकाए गए.

इस से भी बात नहीं बनी तो अखबारों में मृतका की फोटो छपवा दी गई और उस को पहचानने वाले को उचित ईनाम देने की घोषण कर दी गई, लेकिन इस से भी पुलिस को युवती के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. फिर 4-5 दिन बाद पुलिस ने युवती के शव का अंतिम संस्कार करवा दिया.

एक बार पूरी टीम उच्चाधिकारियों के साथ सिर जोड़ कर मंत्रणा के लिए बैठी. सभी से इस केस में आगे बढऩे के लिए उन के सुझाव पूछे गए.

इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार ने अंधेरे में भटकती पुलिस टीम के सामने अपना सुझाव रखते हुए कहा, “सर, यदि हम सीसीटीवी का सहारा लें तो हमें सफलता मिलने की संभावना है. मेरा मानना है कि जहां युवती की लाश मिली है, हमें वहां के सीसीटीवी को खोजना होगा. यदि वहां सीसीटीवी मिला तो काफी हद तक हम हत्यारों का सुराग पा सकते हैं.”

“शाबाश, मिस्टर राजेंद्र कुमार, आप ने बहुत अच्छा सुझाव दिया है, निस्संदेह वहां सीसीटीवी होंगे. उन में अपराधी द्वारा लाश उस मकान के बाहर डालने का एक भी फोटो यदि मिलता है तो हमें आगे बढऩे की राह मिल जाएगी.” डीसीपी जौय टिर्की राजेंद्र कुमार की पीठ थपथपा कर बोले, “आप सभी लोग इस बात पर अमल करिए.”

पुलिस टीम उसी वक्त थाने से निकल कर महालक्ष्मी विहार के मकान नंबर बी-85 के सामने पहुंच गई. उस युवती की लाश वहीं पाई गई थी. पुलिस वालों की खोजी नजरें वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों को तलाशने लगीं. उस जगह पर तो नहीं, सामने सडक़ पर उन्हें सीसीटीवी कैमरा एक पोल पर लगा दिखलाई दे गया.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

तुरंत उस की फुटेज निकलवा कर कंट्रोल रूम में चैक की गई तो पुलिस टीम की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उस सडक़ पर उन्हें एक बाइक पर 3 लोग बैठ कर गली की ओर जाते नजर आ गए. उन तीनों में एक बाइक चला रहा युवक था, दूसरा पीछे बैठा युवक दिखलाई दे रहा था. दोनों के बीच में एक युवती बैठी थी. जूम कर के देखने पर यह स्पष्ट हो गया कि युवती की आंखें बंद हैं यानी वह मुरदा हालत में है, जिसे पीछे बैठे युवक ने थाम रखा है.

यह युवती वही थी, जिस की लाश पुलिस को बी-85 घर के बाहर मिली थी. फुटेज में दोनों युवकों के चेहरे ज्यादा स्पष्ट नहीं थे. कुछ दूरी पर एक सीसीटीवी और नजर आया. उस की फुटेज देखी गई तो वे दोनों युवक बीच में मृत युवती को बाइक पर बिठा कर महालक्ष्मी विहार की तरफ आते नजर आए.

पुलिस टीम ने युवती और उन युवकों का पताठिकाना जानने के लिए सीसीटीवी को आधार बनाया. रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालती हुई पुलिस टीम आखिर में शाहदरा के तेलीवाड़ा क्षेत्र तक पहुंच गई. यहां से आगे के पोल पर भी सीसीटीवी थे लेकिन उन में इन युवकों की तसवीर नहीं थी.

औरेया के बलात्कारी को फांसी की सजा

उत्तर प्रदेश के जनपद औरेया के जिला जज (पोक्सो) की कोर्ट में उस दिन सुबह के 10 बजतेबजते लोगों का विशाल हुजूम इकट्ठा हो गया था. वह दिन था बुधवार और उस दिन तारीख थी 22 जून, 2023. उस दिन वहां पर वकीलों, आम नागरिकों एवं पत्रकारों की काफी भीड़ जमा हो चुकी थी.

भरी अदालत में सब की जुबान पर एक ही चर्चा थी कि देखो अब 8 वर्षीय गौरी के रेप और हत्या के मामले में आज क्या अंतिम फैसला होता है. अभियोजन पक्ष के वकील और पैरोकारों को अपनी काबीलियत पर पूरापूरा भूरोसा था कि अभियुक्त गौतम दोहरे को इस मामले में आज अवश्य कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.

अभियुक्त की ओर से कोई वकील नहीं था. किसी भी वकील ने इस केस को लडऩे ही सहमति नहीं जताई थी, इसलिए अभियुक्त गौतम दोहरे को एक सरकारी वकील उपलब्ध कराया गया था, जिसे यह पता भी था कि वह चाहे कितने सबूत जुटा लें, कितनी जिरह कर लें, पर उन के मुवक्किल को अब कोई भी नहीं बचा सकता.

तकरीबन 10 बजे जिला जज (पोक्सो) मनराज सिंह अपने चैंबर से निकल कर अदालत में दाखिल हुए. उन के अदालत में प्रवेश करते ही उन के सम्मान में वहां उपस्थित लोग अपने स्थानों पर खड़े हो गए. जज महोदय के अपनी कुरसी पर बैठने के बाद पूरी अदालत में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था. पेशकार ने जज महोदय के सामने केस की फाइल रखी.

जज का आदेश पाते हो सरकारी वकील हरिशंकर शर्मा ने अपनी आखिरी दलील पेश करते हुए कहा, “मी लार्ड, मैं आप की अदालत में अब तक 13 गवाहों को पेश कर चुका हूं. जिन सभी के बयानों से साफ जाहिर है कि अभियुक्त गौतम दोहरे द्वारा पहले मासूम गौरी का रेप किया गया और उस के बाद उस की हत्या की गई. मैं माननीय अदालत से अभियुक्त गौतम दोहरे के लिए फांसी की मांग करता हूं.”

हालांकि अभियुक्त गौतम दोहरे ने अपने लिए कोई वकील नियुक्त नहीं किया था, फिर भी अभियुक्त के लिए न्यायालय की ओर से एक सरकारी वकील नियुक्त किया गया था.

अभियुक्त की ओर से नियुक्त सरकारी वकील ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा, “मी लार्ड, मेरे मुवक्किल पर अभी तक जो भी इल्जामात लगाए गए हैं, वे मेरे मुवक्किल को फांसी दिए जाने के लिए नाकाफी हैं, इसलिए मैं माननीय न्यायालय से अपने मुवक्किल के लिए फांसी की मांग निरस्त कर आजीवन कारावास दिए जाने की मांग करता हूं.”

वकीलों की जिरह रही दिलचस्प

जज साहब ने अब एडवोकेट हरिशंकर शर्मा की ओर देखा और कहा, “हरिशंकर शर्मा जी, आप के पास अब अन्य गवाह हैं तो उन्हें बुलाइए.”

तभी वकील हरिशंकर शर्मा ने अदालत से कहा, “मी लार्ड, मेरे पास अब ऐसा गवाह है, जो इस केस का 14वां गवाह है. इस ने मुलजिम गौतम दोहरे को अपने कंधे पर एक बोरी को ले जाते हुए देखा था. घटना के खुलासे के बाद घटनास्थल से वही बोरी पुलिस ने बरामद की थी. मुलजिम गौतम दोहरे को कंधे पर बोरी ले जाने की बात गवाह ने कोर्ट में बता दी.

“मी लार्ड, इस जघन्य वारदात में 82 दिन में 43 बार न्यायालय की तारीख लगी. हर तारीख में आरोपी को कोर्ट के सामने लाया गया, जहां पर अभियुक्त हमेशा माननीय न्यायाधीश के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा रहता था. माननीय न्यायाधीश के कुछ भी पूछने पर आरोपी कुछ भी बोलने से मना कर देता था.”

इस के बाद न्यायालय में सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्र, विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र तोमर, विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) मृदुल मिश्र व वादी के अधिवक्ता हरिशंकर शर्मा ने कहा, “मी लार्ड, निर्भया केस के बाद कठुवा गैंगरेप और मर्डर का मामला सामने आया था. इस मामले में 12 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी के साथ दरिंदगी की गई थी.

“सरकार ने इस के बाद फिर कानूनी बदलाव किए, जिस में 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के मामले में अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया. यहां पर तो आरोपी ने निर्मम तरीके से रेप करने के बाद उस की जघन्य हत्या भी की है.

मी लार्ड, इस जघन्य कृत्य में पुलिस ने कई व्यक्तियों से पूछताछ की और साक्ष्य संकलन व छानबीन के बाद 14 घंटे में घटना का खुलासा करते हुए आरोपी गौतम सिंह दोहरे को गिरफ्तार कर उस से कई घंटों तक कड़ी पूछताछ की, जिस में आरोपी ने सब कुछ उगल दिया.

“मी लार्ड, आरोपी ने शराब पी रखी थी तथा बिसकुट दिलाने का लालच दे कर वह नाबालिग बच्ची को अपने साथ ले गया था और उस के साथ दुष्कर्म कर उस का मुंह दबा कर निर्मम हत्या कर दी थी.

“मी लार्ड, जो बिसकुट का पैकेट दे कर आरोपी बच्ची को ले गया था, उस पैकेट पर आरोपी की अंगुलियों के निशान मैच हुए थे. इसलिए अदालत से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि मासूम 8 वर्षीय बच्ची के क्रूर हत्यारे गौतम दोहरे को फांसी की सजा दी जाए.”

औरेया की जिला कोर्ट (पोक्सो) के जज मनराज सिंह ने आरोपी गौतम दोहरे को सुनाई फांसी की सजा

दोनों पक्षों की दलीलों को गौर से सुनने के बाद अब इस जघन्य कृत्य के फैसले का समय आ गया था. कोर्ट में मौजूद सभी लोगों की नजरें अब जज मनराज सिंह के फैसले पर टिकी हुई थीं.

मजिस्ट्रेट ने जब बोलना शुरू किया तो पूरे अदालत परिसर में एक रहस्यमयी सन्नाटा पसर गया था. मजिस्ट्रेट मनराज सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा, “तमाम गवाहों, वकीलों की दलीलों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि आरोपी गौतम दोहरे ने जो जघन्य अपराध किया है, इस की क्रूरता से किसी का भी दिल दहल सकता है.

“मासूम बच्ची गौरी के शरीर में जितनी चोटें बाहर थीं, उतनी ही अंदर भी थीं. यह पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा था कि इस मासूम बच्ची के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाया गया है कि नहीं, क्योंकि उस मासूम के प्राइवेट पार्ट पूरी तरह से डैमेज हो चुके थे. इस क्रूर हत्यारे ने मासूम बच्ची को मारा भी बहुत बेरहमी से था.

“बच्ची अधमरी तो हैवानियत के समय ही हो गई थी. उस के बाद आरोपी ने उस का गला भी बड़ी बेरहमी से दबाया, जिस के कारण उस मासूम नाबालिग की मौत हो गई, लेकिन आरोपी यहीं नहीं रुका. मासूम बच्ची के सिर पर भी चोट के निशान मिले थे, जिस को देख कर ऐसा लग रहा है कि उस को जमीन पर पटका भी गया था. इस के साथ ही बच्ची की रीढ़ की हड्डी भी डैमेज थी.

मैं यह आदेश देता हूं कि दोषी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उस की मौत न हो जाए. पुरुषों की उत्पत्ति महिलाओं से होती है, दोषी का कृत्य पशुओं से ज्यादा निंदनीय है.”

जज ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए आगे कहा, “लड़कियां अगर खुले में नहीं घूम सकतीं तो फिर उन के लिए कौन सा स्थान है. भारतीय संस्कृति में लड़कियों को नई शक्ति के सृजन की सशक्त नारी बताया गया है, लेकिन इस अपराधी ने उस 8 वर्षीय मासूम बच्ची का जीवन बचपन में ही खत्म कर दिया.”

यह फैसला सुनने के बाद वहां मौजूद लोगों ने जज के फैसले की सराहना की. यह पूरा मामला क्या था, इस के लिए हमें इस केस के अतीत में जाना होगा.

यह सनसनीखेज मामला उत्तर प्रदेश के औरेया जिला के गांव महमूदपुर थाना अयाना क्षेत्र का था. यहां पर 24 मार्च, 2023 की शाम करीब साढ़े 5 बजे एक 8 साल की मासूस बच्ची गौरी लापता हो गई थी. गौरी अपने खेत पर पशुओं को चराने गई थी, लेकिन देर शाम तक जब बच्ची घर नहीं लौटी तो उस के घर वालों को चिंता हुई. रोतेबिलखते घर वाले मासूम को रात भर इधर से उधर तलाशते रहे. इस के बाद 25 मार्च को थाना अयाना में मासूम की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी गई.

इस के बाद थाना पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एसपी औरेया चारू निगम के निर्देश पर बच्ची को तलाशने का अभियान शुरू किया. सीसीटीवी फुटेज, लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने 25 मार्च, 2023 की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे घर से 600 मीटर दूरी पर गेहूं के खेत के पास गड्ढे में मासूम बच्ची का शव बरामद किया.

शव की प्रारंभिक जांच में मासूम के साथ दुष्कर्म कर उस की हत्या की संभावना दिखाई दी. पुलिस ने इस मामले में गांव के लोगों से पूछताछ की. गांव के बारातघर में लगे सीसीटीवी खंगाले गए, जिस में 5 लोग संदिग्ध दिखाई दिए. सभी को हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की गई तो उन में से गौतम सिंह दोहरे ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस केस में विशेष बात यह रही कि पुलिस ने मात्र 14 घंटे की जांच के बाद आरोपी को गिफ्तार कर लिया था.

शराब के नशे में रेप कर के मार डाला

पुलिस पूछताछ में आरोपी गौतम सिंह दोहरे ने कुबूला कि 24 मार्च, 2023 शुक्रवार को वह नहरिया में बैठ कर शराब पी रहा था. इस बीच उस का बिसकुट खाने का मन हुआ तो वह बिसकुट खरीदने पास की दुकान पर चला गया.

दुकान से बिसकुट खरीद कर वह नहरिया पर वापस आ रहा था, तभी उसे अपने सामने गौरी मिल गई. उसे देख कर उस का मन मचल गया. बच्ची को बिसकुट खिलाने का लालच दे कर वह उसे गन्ने के खेत में ले गया. पहले उस ने बच्ची के साथ निर्ममता से रेप किया. किसी को इस घटना का पता न चल सके, इसलिए उस ने फिर बच्ची का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

आरोपी ने आगे बताया कि अगली सुबह जब वह उठा तो वह उस स्थान पर गया, जहां उस ने बच्ची का गला दबाया था. उस ने वहां पर देखा कि बच्ची मर चुकी थी. उस के बाद उस ने बच्ची के शव को गन्ने के खेत से हटा कर एक गड्ढे में दफना दिया.

दरोगा का पिस्टल छीन कर पुलिस पर की थी फायरिंग

26 मार्च, 2023 रविवार के दिन देर रात जिला अस्पताल से लौटते समय आरोपी गौतम दोहरे ने दरोगा का पिस्टल छीन लिया और पुलिसकर्मियों पर फायरिंग कर दी. जब आरोपी आपे से बाहर हो गया तो पुलिस को उस पर जबाबी फायरिंग करनी पड़ी. जबाबी फायरिंग में उस के पैर पर गोली लगी और वह घायल हो गया. इस के बाद पुलिस टीम उसे इलाज के लिए सीएचसी अयाना लाई और वहां पर उसे भरती कराया गया. पुलिस ने सोमवार 27 मार्च, 2023 को आरोपी की कोर्ट में पेशी कराई.

एक ओर 27 मार्च, 2023 को पुलिस द्वारा कोर्ट में पेशी कराई गई तो दूसरी तरफ 27 मार्च को मासूम बच्ची की पोस्टर्माटम रिपोर्ट भी आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्रूर हत्यारे की दरिंदगी की पूरी कहानी सामने आ गई. बच्ची के प्राइवेट पार्ट बुरी तरह से क्षतविक्षत थे. उस के सारे शरीर को नाखूनों से नोचाखसोटा गया था. चेहरे और गले पर भी चोट के निशान मिले थे.

बच्ची के पूरे शरीर पर कोई भी ऐसी जगह नहीं थी, जहां दरिंदगी के निशान न पाए गए हों. क्रूर हत्यारे ने बच्ची का मुंह और हाथ इतनी जोर से दबाया था कि वो काले पड़ चुके थे. बच्ची का खून जम गया था, जिस के कारण उस की नसें ब्लौक गई थीं. सीने और पेट पर खरोंचों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे.

पीछे कमर के पास हाथ से कस कर दबाने के निशान थे. कमर के ऊपरी हिस्से पर किसी चीज के मारने के निशान थे. देख कर ऐसा लग रहा था कि आरोपी ने बच्ची को किसी भारी पत्थर से मारा होगा.

कोर्ट के फैसले पर पिता संतुष्ट

मासूम बच्ची के पिता शिवेंद्र सिंह दोहरे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एक पिता के लिए इस से अच्छी बात भला क्या हो सकती है, मुझे 82 दिन में न्याय मिल गया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अच्छा फैसला सुनाया है, इस तरह के क्रूरतम कृत्य करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए. मुजरिम को अब जल्द से जल्द फांसी मिलनी चाहिए, तभी मेरी बेटी को न्याय मिल पाएगा.

महिला अपराधों में 3 वकीलों की रही विशेष भूमिका

उत्तर प्रदेश के औरेया में महिला अपराधों पर लगातार अपराधियों को सजा मिल रही है. इन मामलों में सब से अहम डीजीसी (जिला शासकीय अधिवक्ता) अभिषेक शर्मा एडवोकेट की बेहतर पैरवी मानी जा रही है. इस के साथ ही पोक्सो के मामलों में डीजीसी के सहयोगी वकील जितेंद्र तोमर व मृदुल सिन्हा की संयुक्त तिकड़ी बीते 4 माह में 2 दुष्कर्मियों को मौत की सजा करवा चुके हैं. साल भर में महिला संबंधी अपराधों में कुल 78 दोषियों को सजा सुनाई गई, जिस में 2 को फांसी व 15 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

जैसे ही जिला जज ने गौतम दोहरे को सजा सुनाई, वहां मौजूद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. फिर मुजरिम गौतम दोहरे को पुलिस ने जेल पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों व मृतक के परिजनों पर आधारित है. कथा में गौरी नाम काल्पनिक है.

चोरी का चिराग : नवजात शिशु की चोरी

पूजा के नजदीक कंबल में लिपटे नवजात पर एक नजर डालते ही सुषमा खुशी से चहकी, “तेरा बेटा चांद जैसा है बेटी.”

“नजर लगाओगी क्या मम्मी अपने पोते को?” पास में खड़े जगबीर ने प्यार से अपनी सास को टोका.

“नहीं, मेरी नजर तो दुश्मन को भी नहीं लगती, यह तो मेरे घर का चिराग है.” सुषमा हंस कर बोली, “बताओ, क्या नाम रखोगे अपने लाल का?”

“मैं ने अक्षय नाम सोचा है मम्मी.” जगबीर ने प्यार भरी नजर से अपने बेटे की ओर देख कर पत्नी से पूछा, “क्यों, तुम्हें अक्षय नाम कैसा लग रहा है पूजा?”

“आप नाम रख रहे हैं तो अच्छा ही है.” पूजा मुसकरा कर बोली.

वहीं पर जगबीर की बड़ी साली गीता भी अपने 4 महीने के बेटे आयुष के साथ थी. वह पूजा की देखभाल के लिए आई थी. वह भी बोली, “अक्षय नाम तो बहुत अच्छा है.”

जगबीर कुछ कहता, तभी गार्ड ने वहां आ कर कहा, “आप लोग अब बाहर जाइए, मिलने का वक्त समाप्त हो गया है, चलिए बाहर…”

“अपना और मुन्ने का ध्यान रखना पूजा.” जगबीर ने कहा, “हम बाहर यहीं बरामदे में हैं. किसी चीज की जरूरत पड़े तो बुलवा लेना.”

“ठीक है.” पूजा ने धीरे से कहा.

पूजा की बहन गीता, मां सुषमा और पति जगबीर उस वार्ड से निकल कर बाहर बरामदे में आ गए. यहां पर अंदर वार्ड में अपने मरीज की तीमारदारी के लिए आए हुए घर वालों ने अपनीअपनी चादर दरी बिछा रखी थी. सुषमा और जगबीर ने एक खाली जगह पर चादर बिछा ली और बैठ गए.

“चाय लाऊं मम्मी?” जगबीर ने पूछा.

“चाय रहने दो बेटा, मन नहीं कर रहा.”

जगबीर, उस की सास और बड़ी साली गीता अस्पताल के बरामदे में ही लेट गए. इस दौरान उन के पास एक युवक आया था, जिस ने उन से मेलजोल बढ़ा लिया था. वह युवक सुबह भी वहीं था. गीता के 4 वर्षीय बेटे आयुष को वह बहुत दुलार कर रहा था. उसे वह खिलाता, इधरउधर घुमाता, फिर वहीं छोड़ जाता था. आयुष भी उस से काफी घुलमिल गया था. उस युवक ने गीता को मुंहबोली बहन बना लिया था. यानी उस युवक ने गीता और उस के बेटे का विश्वास जीत लिया था. गीता का भाई विजय भी अस्पताल पहुंचा तो उस युवक ने विजय से भी दोस्ती सी कर ली.

कुछ समय बाद जगबीर अपनी सास को छोडऩे के लिए अस्पताल से बाहर आया तो उस समय गीता अपने 4 वर्षीय बेटे आयुष को दूध पिलाने लगी. उसी समय गीता के मोाबइल पर छोटी बहन पूजा ने फोन किया. वह बोली, “दीदी, मुझे भूख लगी है, मुझे आ कर खाना खिला दो.”

उस समय गीता का भाई विजय वहीं था. गीता अपने बेटे को विजय के पास छोड़ कर पूजा को खाना खिलाने के लिए वार्ड में चली गई. तभी वह युवक भी विजय के पास पहुंचा. वह आयुष को खिलाने के बहाने से ले गया. विजय ने यही सोचा कि हर बार की तरह वह आयुष को थोड़ी देर में घुमाफिरा कर ले आएगा.

थोड़ी देर बाद वार्ड से गीता वापस आई तो उस ने आते ही विजय से आयुष के बारे में पूछा. कुछ देर तक जब वह युवक आयुष को ले कर नहीं लौटा तो दोनों भाईबहन ने उसे अस्पताल में इधरउधर खोजा लेकिन न तो आयुष दिखा और न ही वह युवक. इस के बाद उन्होंने पुलिस को बच्चा चोरी की सूचना दे दी.

पुलिस आ गई हरकत में

दिल्ली के थाना नार्थ रोहिणी के एसएचओ भूपेश कुमार को कंट्रोल रूम से सूचना दी गई कि अंबेडकर अस्पताल से एक बच्चे को चुरा लिया गया है. अस्पताल से बच्चा चोरी की खबर सुनते ही एसएचओ भूपेश कुमार तुरंत रजिस्टर में अपनी रवानगी दर्ज करा दी और अपनी टीम के साथ अंबेडकर अस्पताल पहुंच गए.

6 फरवरी, 2023 और दिन सोमवार था. भूपेश कुमार सोमवार को अपने लिए शुभ मानते थे. उन्हें पूरा विश्वास था कि वह चोरी हुए बच्चे को अवश्य ही तलाश कर लेंगे. वह चोरी हुए बच्चे की मां गीता के पास पंहुचे. गीता अभी भी रो रही थी. जगबीर बड़ी साली को दिलासा दे रहा था. एसएचओ भूपेश कुमार ने उस के चेहरे पर नजरें डाल कर सहानुभूति से पूछा, “क्या तुम्हारा ही बच्चा चोरी किया गया है.”

“जी,” गीता ने सिर हिलाया.

“तुम कहां रहते हो?”

“जी, हम भलस्वा जेजे कालोनी से आए हैं. यह मेरी बड़ी साली गीता है. इन्हीं के 4 वर्षीय बेटे आयुष को चुरा लिया है. यह वार्ड में भरती बेटी पत्नी की देखरेख के लिए आई थीं.”

“तुम्हारा नाम क्या है?”

“जी जगबीर.” जगबीर ने बताया, “साहब, आप देख लीजिए इन की हालत, दोपहर से रो रही हैं.”

“देखो जगबीर, मैं तुम्हारा दुख समझ सकता हूं. मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं कि इन के बच्चे को सकुशल वापस ले कर आऊंगा और चोर को जेल में डलवा दूंगा. तुम मुझ पर विश्वास करो. तुम अपने घर का पता और मोबाइल नंबर मुझे नोट करवा दो.”

जगबीर ने अपना घर का एड्रैस और मोबाइल नंबर एसएचओ भूपेश की लिखवा दिया. एसएचओ भूपेश कुमार जगबीर और गीता को ले कर थाने लौट आए. उन्होंने गीता को वादी बना कर उस के बच्चे के चोरी हो जाने की घटना की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

जगबीर के जाने के बाद एसएचओ भूपेश कुमार ने इस बच्चा चोरी की घटना की जानकारी रोहिणी जिले के डीसीपी को दे कर उन से राय मांगी. डीसीपी अमृता गोगुलोथ ने एसएचओ के निर्देशन में एक टीम का गठन कर दिया, जिस में एसआई पवन, हैडकांस्टेबल अमित, योगेंद्र और सोनू को शामिल किया गया. उन्होंने एसएचओ भूपेश कुमार को अस्पताल और आसपास के इलाकों के सीसीटीवी खंगालने के निर्देश दिए.

एसएचओ भूपेश कुमार ने अपनी टीम के साथ अंबेडकर अस्पताल जा कर वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी. अस्पताल के मेनगेट पर भी एक कैमरा लगा हुआ था, उस की फुटेज निकलवा कर देखी गई. दोपहर 3-सवा 3 बजे के आसपास पुलिस टीम को उस फुटेज में 2 महिलाएं और एक पुरुष संदिग्ध अवस्था में नजर आए. उन में से एक महिला के पास बच्चा दिखाई दे रहा था. बच्चे को उस महिला ने अपनी गोद में बैठा रखा था.

ईरिक्शा से दिखी उम्मीद की किरण

दोनों महिलाएं सडक़ पर एक बैटरी रिक्शा में बैठती नजर आईं. उस बैटरी रिक्शा पर कोई नंबर नहीं था. उस पर ‘ठुकराल’लिखा था. पुलिस टीम ने बैटरी रिक्शा के रंग और ‘लोगो’ को अपनी जांच के लिए नोट कर लिया. पुलिस जानती थी, दिल्ली में लाखों बैटरी रिक्शा चल रहे थे. इसी रोहिणी क्षेत्र में भी ऐसे हजारों रिक्शा हो सकते थे, इन में से वह संदिग्ध बैटरी रिक्शा तलाश करना आसान काम नहीं था, लेकिन पुलिस टीम उस रिक्शे की तलाश में जी जान से लगी रही.

अंबेडकर अस्पताल के सामने पचासों रिक्शा सवारी उतारते और चढ़ाते थे, वहां पर खास नजर रखी गई. एसएचओ भूपेश कुमार को विश्वास था कि वह बैटरी रिक्शा उसी इलाके में चलता है, वह उस अस्पताल के सामने फिर आ सकता है. अंबेडकर अस्पताल के सामने हैडकांस्टेबल अमित और सोनू की ड्यूटी लगाई गई. एसआई पवन अपने साथ हैडकांस्टेबल योगेंद्र को ले कर रोहिणी के मेन चौराहों, बस स्टैंड और सडक़ों पर उस बैटरी रिक्शे की तलाश कर रहे थे. चौराहों पर बैटरी रिक्शा की बहुत अधिक संख्या रहती है, वहां ज्यादा नजर रखी गई.

4 दिन की कड़ी मेहनत के बाद पुलिस टीम को सफलता मिल गई. वह बैटरी रिक्शा जो पुलिस की नजर में संदिग्ध था, पकड़ में आ गया. उस रिक्शे का चालक 25 वर्षीय सुनील कुमार था. उसे पकड़ कर उस के बैटरी रिक्शा सहित थाने में लाया गया. सुनील काफी डरा हुआ था. वह बारबार पूछ रहा था, “मैं ने किया क्या है साहब, मुझे क्यों गिरफ्तार किया गया है?”

एसएचओ भूपेश कुमार ने उसे कुरसी पर बिठा कर उस की आंखों में झांकते हुए पूछा, “तुम ने 6 फरवरी की दोपहर 3 बजे के आसपास अपने रिक्शे में 2 महिलाओं को बिठाया था. उन की गोद में एक बच्चा था.”

“साहब, मेरा काम ही सवारी ढोना है. दिन भर में कितनी ही महिलाएं मेरे रिक्शे में बैठतीउतरती रहती हैं. उन के पास बच्चे भी होते हैं.”

“मैं 6 फरवरी की बात कर रहा हूं. दिमाग पर जोर डालो और बताओ वे दोनों महिलाएं अस्पताल के पास से तुम्हारे रिक्शे में बैठने के बाद कहां उतरी थीं?”

सुनील सोच में पड़ गया. थोड़ी ही देर में वह उतावले स्वर में बोला, “उन में से एक महिला की गोद में बच्चा था साहब… आप उन्हीं के विषय में तो नहीं पूछ रहे हैं?”

“मैं उन्हीं महिलाओं के विषय में पूछ रहा हूं. वह 2 महिलाएं थीं.”

“हां साहब, वह 2 थीं. उन्होंने अस्पताल के सामने से मेरा रिक्शा सिर्फ अपने लिए बुक किया था. मुझे इसलिए याद है कि उन्होंने मेरा 100 रुपए किराया औनलाइन पेमेंट के जरिए दिया था. मैं ने उन्हें सैक्टर-18 रोहिणी में उतारा था.”

“ओह! फिर तो तुम्हारे मोबाइल में उस महिला का मोबाइल नंबर आ गया होगा, जरा देखो तो?” भूपेश कुमार उत्साह में भर कर बोले.

औनलाइन पेमेंट से पकड़े गए बच्चा चोर

सुनील ने किराए का औनलाइन पेमेंट करने वाली महिला के मोबाइल नंबर को ढूंढ कर एसएचओ साहब को नोट करवा दिया. एसएचओ भूपेश कुमार ने वह नंबर एक कागज पर नोट कर लिया.

“वह बच्चा अंबेडकर अस्पताल से चुराया गया है. तुम ने उन महिलाओं का इस काम में साथ दिया, इसलिए तुम्हें गिरफ्तार किया जा रहा है.” भूपेश कुमार ने रिक्शा चालक सुनील से कहा तो वह रोने लगा.

एसएचओ भूपेश कुमार ने एसआई पवन को उस महिला से बात करने के लिए कहा. पवन ने उस रिक्शे वाले से प्राप्त मोबाइल नंबर को अपने मोबाइल से मिलाया तो दूसरी और घंटी बजने के बाद काल रिसीव कर के पूछा गया, “आप कौन हैं और किस से मिलना है?” आवाज किसी महिला की थी.

“जी, मैं रोहिणी पोस्ट औफिस से डाकिया दुलीचंद बोल रहा हूं. आप की एक रजिस्ट्री आई है, उस पर पता ठीक से नहीं लिखा गया है, आप अपना पता नोट करवा दें, जिस से मैं वह रजिस्ट्री सही जगह पर पहुंचा सकूं.” दूसरी ओर से बात करने वाली महिला ने अपना नाम रीना बताया, उस ने अपने घर का पता भी नोट करवा दिया. एसआई पवन मुसकराए. उन के द्वारा फेंका गया तीर सही निशाने पर जा कर लगा था.

पुलिस टीम ने एसआई पवन के नेतृत्व में उसी वक्त रीना के घर रेड डाली. इस टीम में 2 महिला कांस्टेबल भी शामिल की गई थीं.

साढ़े 3 लाख रुपए में चुराया था बच्चा

दरवाजा खोलने वाली महिला स्वयं रीना थी. पुलिस को देख कर वह डर कर अंदर की तरफ भागी. महिला कांस्टेबल ने अंदर प्रवेश कर के उसे पकड़ लिया. उसी कमरे में 2 महिलाएं और बैठी थीं. उन्हें भी हिरासत में ले लिया गया. पुलिस को देख कर तीनों के चेहरों के रंग उड़ गए थे.  कमरे में चोरी हुआ आयुष सो रहा था. उसे हैडकांस्टेबल योगेंद्र ने अपने कब्जे में ले लिया.

पता चला कि बच्चा आलोक ने अस्पताल से चुरा कर इन महिलाओं को दिया था. पुलिस ने सीमा की निशानदेही पर आलोक को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस टीम बच्चा चोरों को ले कर थाने में आ गई. उन से वहां पूछताछ की गई तो एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ, जिसे सुन कर पुलिस दंग रह गई.  अंबेडकर अस्पताल से आयुष की चोरी करने वाली सीमा और रानी थीं. रीना, रानी की बहन थी. आयुष को रीना की बेटे की चाह वाली सनक के कारण चुराया गया था.

रीना को शादी के बाद 3 बेटियां पैदा हुई थीं. वह बेटे की कामना में तड़प रही थी, चौथी बार गर्भधारण करने में उस को फिर से बेटी पैदा न हो जाए, रीना इस बात से डर रही थी. वह फिर से गर्भाधारण नहीं करना चाहती थी. उस ने बेटे के लिए एक रास्ता खोज निकाला. रीना ने अपनी बहन को साढ़े 3 लाख रुपए दे कर एक बच्चा कहीं से खरीद कर या चोरी कर के लाने को कहा.

रीना की बहन ने अपनी पक्की सहेली सीमा को अपनी बहन की इच्छा बता कर रुपयों का लालच दिया तो उस ने रानी का साथ देने के लिए हां कर दी. फिर इन दोनों ने अपने जानकार आलोक से संपर्क किया. उस से लडक़ा उपलब्ध कराने का साढ़े 3 लाख रुपए में सौदा हुआ था. तब आलोक ने ही गीता के बेटे आयुष को गायब कर सीमा के हवाले कर दिया था.

एसएचओ भूपेश कुमार ने जगबीर और गीता को फोन कर के थाने बुला लिया और उस के बेटे को उस के हवाले कर दिया. यह जानकारी भूपेश कुमार ने डीसीपी को भी दे दी. उन्होंने 5 दिन में गीता के 4 वर्षीय बेटे आयुष को सकुशल ढूंढ निकालने के लिए पुलिस टीम की पीठ थपथपा कर शाबाशी दी.

आयुष की चोरी में शामिल आलोक, रीना, सीमा और रानी को रोहिणी कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कोख से जनी एक बेटी भी बेटे के समान होती है यदि रीना इस बात को समझती तो वह बेटे की चाह वाला गुनाह नहीं करती.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. तथ्यों का नाट्य रूपांतरण है.

पुणे का नैना पुजारी हत्याकांड

करोड़ों के लिए सीए की हत्या

करोड़ों के लिए सीए की हत्या – भाग 3

उस से कड़ाई से पूछताछ की तो वह खुल गया. उस ने बताया, ‘‘साहब, मैं कुशांक गुप्ता हत्याकांड में जरूर था, लेकिन जिस ने हत्या की, उसे मैं नहीं जानता. कुशांक गुप्ता की हत्या पूर्व ब्लौक प्रमुख ललित कौशिक ने करवाई थी. मैं शूटर को ले कर जरूर गया था. उस शूटर को ललित कौशिक जानता है.’’

अब पुलिस को विश्वास हो गया कि इन दोनों हत्याओं का मास्टरमाइंड भाजपा नेता और पूर्व ब्लौक प्रमुख ललित कौशिक ही है. आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस को श्वेताभ तिवारी हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, चौंकाने वाली निकली.

सीए हत्याकांड का हुआ खुलासा

श्वेताभ तिवारी उत्तर प्रदेश के शहर मुरादाबाद के मंडी चौक मोहल्ले में रहते थे. वहीं पर अभियुक्त विकास शर्मा का आनाजाना था. उस के बाद श्वेताभ तिवारी कांठ रोड पर साईं गार्डन कालोनी में अपना मकान बना कर रहने लगे थे. श्वेताभ तिवारी मुरादाबाद व आसपास के जिलों में बड़े चार्टर्ड एकांउंटेंट के रूप में गिने जाते थे. इन का औफिस दिल्ली रोड पर बंसल कांप्लैक्स में था, जिस में करीब 80 कर्मचारी कार्य करते थे.

श्वेताभ तिवारी चार्टर्ड एकाउंटेंट के अलावा प्रौपर्टी डीलिंग का भी काम करते थे. उन का यह धंधा मुरादाबाद के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, उत्तराखंड, नैनीताल, भवाली में भी था. यहां इन्होंने काफी संपत्ति भी अर्जित कर रखी थी. इन की करीब 40-50 करोड़ रुपए की संपत्ति थी. उन्होंने अपनी सारी संपत्ति अपने साले संदीप ओझा व अपनी पत्नी शालिनी के नाम कर रखी थी. इतनी बड़ी संपत्ति श्वेताभ तिवारी ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से अर्जित की थी.

संदीप ओझा एमडीए कालोनी में लवीना रेस्टोरेंट चलाता है. उस की दोस्ती थाना कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला रेती स्ट्रीट निवासी विकास शर्मा से थी. विकास शर्मा भी प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. उस का अकसर संदीप ओझा के रेस्टोरेंट पर उठनाबैठना था.

संदीप ओझा सरल स्वभाव का था. विकास शर्मा के साथ शराब पार्टी के दौरान जब संदीप ओझा जब नशे में हो जाता तो वह अपने घरपरिवार के बारे में बतियाता रहता था. उस ने विकास शर्मा को बताया कि मेरे जीजा श्वेताभ तिवारी कितने महान हैं, जिन्होंने अपनी आधी संपत्ति उस के नाम कर दी है और आधी उस की बहन शालिनी के नाम कर रखी है. अपने लिए उन्होंने कुछ नहीं रखा है. पीनेपिलाने का खर्च संदीप ओझा ही उठाता था. शाम को यह महफिल रेस्टोरेंट पर जमती थी.

विकास शर्मा का एक दोस्त भाजपा नेता ललित कौशिक भी था. वह दलपतपुर डिलारी थाना मंूढापांडे का रहने वाला था व मंूढापांडे ब्लौक का ब्लौक प्रमुख था जोकि सत्ता की हनक रखता था. ललित कौशिक हेकड़, बदमाश किस्म का व्यक्ति था. भाजपा नेता रामवीर जोकि कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुका है, वही ललित कौशिक को राजनीति में लाया था. ललित कौशिक को मूंढापांडे ब्लौक का ब्लौक प्रमुख बनवाने में उस की अहम भूमिका थी. बाद में ललित कौशिक का भी उस से छत्तीस का आंकड़ा हो गया.

शराब पी कर घर की हकीकत जाहिर कर देता था संदीप

अभियुक्त विकास शर्मा ने ललित कौशिक से बताया कि चार्टर्ड एकाउंटेंट श्वेताभ तिवारी का साला करोड़ों का मालिक है. उस के जीजा ने आधी से ज्यादा संपत्ति संदीप ओझा व आधी संपत्ति अपनी पत्नी शालिनी के नाम कर रखी है, जोकि 40-50 करोड़ रुपए की है.

इतना सुनते ही ललित कौशिक खुशी से उछल पड़ा था. दोनों ने एक योजना पर काम करना शुरू कर दिया. दोनों मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने लगे थे. उन्होंने मिल कर एक खतरनाक योजना बना डाली. योजना के मुताबिक दोनों ने सोचा कि क्यों न चार्टर्ड एकाउंटेंट श्वेताभ तिवारी का मर्डर करवा दिया जाए. जब श्वेताभ तिवारी इस दुनिया में नहीं होगा तो हम लोग इन के सीधेसादे साले संदीप ओझा से संपत्ति औनेपौने दाम पर खरीद लेंगे. नहीं देगा तो जबरदस्ती कब्जा कर लेंगे. यह काम तो हमारे बाएं हाथ का खेल है. सत्ता हमारे पास है तो सारे अफसर हमारे हैं.

यह बैठक ललित कौशिक के मोहल्ला दीनदयाल के औफिस पर की गई थी, जिस में ललित कौशिक, विकास शर्मा, शूटर केशव सरन शर्मा उस का साथी खुशवंत उर्फ भीम भी मौजूद था. इस के बाद इन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट श्वेताभ तिवारी की रैकी की व उन का चेहरा दिखाने का काम विकास शर्मा को दिया गया था.

विकास शर्मा ने शूटर केशव सरन शर्मा को श्वेताभ तिवारी का चेहरा दिखाया व उन का फोटो भी शूटर को उपलब्ध करा दिया. श्वेताभ तिवारी कब घर से निकलते हैं, औफिस से कब आते हैं, कब जाते हैं. इस की 3-4 बार रैकी करवाई गई, जब शूटर केशव सरन शर्मा को पूरा विश्वास हो गया तो उन्होंने 15 फरवरी, 2023 का दिन उन की हत्या करने का चुना.

योजना के मुताबिक श्वेताभ तिवारी रोजाना की भांति बंसल कांप्लैक्स स्थित अपने औफिस गए. वह रोजाना शाम 7 बजे अपना औफिस छोड़ देते थे. शूटर केशव सरन शर्मा व उस का साथी खुशवंत उर्फ भीम बाइक से बंसल कांप्लैक्स पहुंचे. बाहर खड़े दोनों उन के आने का इंतजार करते रहे. वह 7 बजे औफिस से बाहर नहीं आए तो वे दोनों आसपास चहलकदमी करते रहे.

करीब पौने 9 बजे श्वेताभ तिवारी अपने पार्टनर अखिल अग्रवाल के साथ औफिस से बाहर आए तो उसी समय उन के मोबाइल पर किसी का फोन आया. वह अपनी गाड़ी से उतर कर बात करते हुए बंसल कांप्लैक्स से करीब 50 मीटर दूर तक बात करते हुए आ गए थे. उसी समय शूटर केशव सरन शर्मा ने गोलियां चला कर उन की हत्या कर दी. इस के बाद दोनों बाइक पर बैठ कर भाग गए.

आरोपियों से बरामद हुए कई सबूत

बुद्धि विहार होते हुए सोनकपुर पुल पार कर वे अपनेअपने घरों को चले गए थे. अभियुक्त ललित कौशिक ने अपने साथियों को बताया था कि 12 जनवरी, 2022 को स्पोट्र्स कारोबारी व कुशांक गुप्ता की हत्या उस ने ही करवाई थी, जिसे पुलिस आज तक नहीं खोल पाई थी. उस हत्या में उस के किराएदार 2 भाई जेल की हवा खा रहे हैं.

पुलिस ने 31 मार्च, 2023 को श्वेताभ तिवारी हत्याकांड का खुलासा कर दिया. शूटर केशव सरन शर्मा व उस के साथी विकास शर्मा को पुलिस हिरासत में ले चुकी थी.

इन के पास से एक अदद पिस्टल .32 बोर और 6 जिंदा कारतूस, एक तमंचा .315 बोर, एक यामहा बाइक, एक मोबाइल फोन, एक काला बैग, जोकि हत्या के समय प्रयोग में लाया गया था, बरामद किया. पुलिस ने ललित कौशिक के घर से अवैध असलहा की मैगजीन तलाशी के दौरान बरामद की थी. उस असलहा को बरामद करने के लिए पुलिस ने 12 अप्रैल, 2023 को उसे रिमांड पर लिया था.

फिर उस ने विवेकानंद अस्पताल के पीछे चट्ïटा पुल, रामगंगा नदी की झाडिय़ों से एक पिस्टल बरामद करवाई. जब शूटर केशव सरन शर्मा को पुलिस ने पकड़ा तो उस ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की. उस ने कहा कि जिस दिन श्वेताभ तिवारी की हत्या हुई थी, वह उस दिन देहरादून में एक तारीख पर कोर्ट गया था. उस ने अपना रिजर्वेशन टिकट भी दिखाया.

पुलिस देहरादून से तस्दीक करवाई तो पता चला कि 5 फरवरी को उस की कोर्ट में तारीख तो थी, लेकिन वह वहां पहुंचा नहीं था. पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

मुरादाबाद रेंज के डीआईजी शलभ माथुर ने इस बहुचर्चित केस के आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली 5 टीमों को 50 हजार रुपए का ईनाम व प्रशस्ति पत्र देने की घोषणा की.

करोड़ों के लिए सीए की हत्या – भाग 2

श्वेताभ हत्याकांड से पूर्व 12 जनवरी, 2023 की रात में स्पोट्र्स सामान की दुकान करने वाले कुशांक गुप्ता जब दुकान बंद कर घर जा रहे थे तो अज्ञात हत्यारे ने उन की गोली मार कर हत्या कर दी थी. पुलिस ने मृतक कुशांक गुप्ता के घर वालों के शक के आधार पर उन के 2 किराएदार प्रियांशु गोयल व हिमांशु गोयल को हत्या के इस केस में जेल भेजा था.

प्रियांशु व हिमांशु के घर वालों ने पुलिस से बहुत विनती की कि इस हत्याकांड से इन दोनों का दूरदूर तक कोई वास्ता नहीं है. पुलिस को भी इन दोनों से हत्या का कोई सबूत नहीं मिला था. मृतक के घर वालों ने इन पर शक इस आधार पर किया था कि कुछ दिन पहले किराए को ले कर कुशांक गुप्ता का इन से झगड़ा हुआ था.

प्रियांशु और हिमांशु मूलत: नूरपुर बिजनौर के रहने वाले थे. वे यहां पर पढऩे के लिए आए थे. 3 महीने बाद जब इन दोनों भाइयों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला तो पुलिस ने कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की. फिर कोर्ट के आदेश पर दोनों भाइयों को रिहा कर दिया गया.

एक जैसे थे दोनों हत्याकांड

13 माह बीतने के बाद भी पुलिस हत्याकांड का खुलासा नहीं कर पा रही थी. श्वेताभ तिवारी हत्याकांड के साथ पुलिस ने इस केस को भी खोलने का प्रयास तेज कर दिया था. क्योंकि इन दोनों मामलों में एक ही तरह से घटना को अंजाम दिया था. दोनों की हत्या करने का तरीका एक जैसा ही था.

पुलिस ने श्वेताभ तिवारी और कुशांक गुप्ता हत्याकांड के सीसीटीवी फुटेज का मिलान किया तो दोनों में समानता थी. दोनों ही केसों में शूटर का हुलिया एक जैसा था. सिद्ध वली स्पोट्र्स सोनकपुर में मृतक कुशांक गुप्ता की एक दुकान है. 2020 में यह दुकान (नाई की दुकान) खाली करवाने का विवाद चल रहा था.

दुकान खाली करने को ले कर तत्कालीन ब्लौक प्रमुख मूंढापांडे और भाजपा नेता ललित कौशिक ने अपने साथियों के साथ हथियार लहराते हुए मृतक कुशांक गुप्ता को धमकाया था. कुशंाक गुप्ता की दुकान पर लगे सीसीटीवी में वह घटना कैद हो गई थी. कैद हुई घटना को कुशांक गुप्ता ने सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया था. जिस कारण तत्कालीन ब्लौक प्रमुख मूंढापांडे ललित कौशिक की वजह से भाजपा की काफी छीछालेदर हुई थी.

दुकान पर आ कर धमकाने की रिपोर्ट मृतक कुशांक गुप्ता ने थाना सिविल लाइंस में करवाई थी, लेकिन सत्ता पक्ष से जुड़ा ललित कौशिक ब्लौक प्रमुख के खिलाफ पुलिस ने कोई काररवाई नहीं की थी. उधर ब्लौक प्रमुख ललित कौशिक बीजेपी में अपनी छवि खराब होने पर कुशांक गुप्ता से बहुत नाराज था. उस ने प्रण कर लिया कि वह कुशंाक गुप्ता को इस का सबक जरूर सिखाएगा.

फिर उस ने भाड़े के हत्यारे से कुशांक गुप्ता की 12 जनवरी, 2022 को रात 8 बजे हत्या करवा दी. इतना ही नहीं, वह हत्या होने के बाद भी संवदेना प्रकट करने के लिए कुशांक गुप्ता के घर गया था. कुशांक की हत्या से कुछ दिन पहले 2 भाई प्रियांशु और हिमांशु, जोकि कुशांक के किराएदार थे, से किराए को ले कर मारपीट हो गई थी. कुशांक गुप्ता के पिता अशोक गुप्ता ने इन दोनों भाइयों के खिलाफ कुशांक की हत्या करने की रिपोर्ट दोनों भाइयों के खिलाफ दर्ज करवाई थी.

एसपी (सिटी) ने कराई निगरानी

एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया ने मृतक श्वेताभ तिवारी के बंगले साईं गार्डन में आनेजाने वाले लोगों पर विजिलेंस टीम को लगाया जो वहां आनेजाने वाले सभी संदिग्ध लोगों पर नजर रखें. डा. अनूप सिंह ने श्वेताभ तिवारी की पत्नी शालिनी से उन दोनों व्यक्तियों के बारे में जानकारी की तो उस ने बताया, ‘‘ये दोनों व्यक्ति मेरे भाई संदीप ओझा के मिलने वाले हैं. घर पर ये लोग पहली बार आए हैं और बिना मांगे मुझे कानूनी सलाह दे रहे हैं, हमारे परिवार के नजदीकी बने हुए हैं. मुझे भी ये लोग संदिग्ध लगे.’’

पुलिस ने जांच की तो पता चला कि इन में से एक व्यक्ति का नाम ललित कौशिक है, वह मूंढापांडे का पूर्व ब्लौक प्रमुख है, जिसे थाना मंढापांडे पुलिस एक अपहरण व मारपीट के मामले में ढूंढ रही है. उस के साथ आने वाले दूसरे व्यक्ति का नाम विकास शर्मा था. पुलिस ने उसे उस के मुरादाबाद शहर के रेती स्ट्रीट स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया.पुलिस ने उस से पूछताछ की तो विकास शर्मा ने बताया कि मृतक श्वेताभ तिवारी के साले संदीप ओझा से उस की दोस्ती है. उस के साथ उठनाबैठना खानापीना है.

उधर पुलिस की एक टीम पूर्व ब्लौक प्रमुख ललित कौशिक की तलाश में लगी थी. 25 मार्च, 2023 को प्रदेश के मंत्री जितिन प्रसाद सर्किट हाउस में कार्यकर्ताओं की मीटिंग ले रहे थे. उस मीटिंग में पूर्व ब्लौक प्रमुख ललित कौशिक भी सम्मिलित हुआ था.

सर्किट हाउस से किया गिरफ्तार

पुलिस ने ललित कौशिक को सर्किट हाउस में चल रही मीटिंग में से किसी बहाने से बुला लिया. फिर उसे गिरफ्तार कर गाड़ी में बैठा कर पहले पुलिस लाइन ले जाया गया. वहां उस से श्वेताभ तिवारी की हत्या के संबंध में पूछताछ की. उस ने उस की हत्या की कहानी बयां कर दी. पुलिस ने उसी रात ललित कौशिक के घर की तलाशी ली तो वहां से 8 लाख रुपए और अवैध पिस्टल की मैगजीन बरामद की थी. पुलिस ने विकास शर्मा नाम के जिस युवक को उठाया था, वह खुद को निर्दोष बता रहा था. कह रहा था कि श्वेताभ तिवारी के साले संदीप ओझा से उस की दोस्ती है.

पुलिस ने उस का फोन ले कर उस की काल डिटेल्स निकलवाई तो पुलिस को कुछ संदिग्ध फोन नंबर मिले. जिस दिन श्वेताभ तिवारी की हत्या हुई थी, विकास शर्मा की लोकेशन एपेक्स अस्पताल पर थी. उस ने वहां से कई बार ललित कौशिक से बात की थी. पुलिस ने उस से उस बातचीत के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया, ‘‘मैं ने उन से कहा था सीए सर को किसी ने गोली मार दी है. उस के बाद मैं ने दूसरी बार बताया कि श्वेताभ तिवारी की मृत्यु हो गई है.’’

पुलिस ने उस से पूछा कि घटना के तुरंत बाद तुम अस्पताल क्यों पहुंचे तो वह पुलिस के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. पुलिस को कुछ संदिग्ध नंबर भी मिले. पुलिस ने ललित कौशिक के फोन को भी खंगाला. उस में एक नंबर ऐसा मिला, जिस से कई बार बातचीत का ब्यौरा पुलिस को मिला. उक्त नंबर विकास शर्मा के मोबाइल में भी था.

जांच की तो वह फोन नंबर भोजपुर (मुरादाबाद) निवासी खुशवंत उर्फ भीम का था. वह वर्तमान में हरथला (मुरादाबाद) में रह रहा था. पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.