जिस जगह शमीम बानो का कत्ल हुआ था, वहां घनी आबादी थी. शमीम का गला तो रेता ही गया था. उस के हाथ की अंगुली भी कटी हुई थी. इस का मतलब था कि मृतका का हत्यारों से संघर्ष हुआ था और उसी की वजह से उस की अंगुली कटी थी. आश्चर्य की बात यह थी कि इस के बावजूद किसी ने शोरशराबे की आवाज नहीं सुनी थी.
शमीम की हत्या किस ने और क्यों की, यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही थी. पुलिस ने इस मुद्दे पर गहराई से सोचा तो उस की निगाह रूबीना पर गई, क्योंकि शमीम और रूबीना की अच्छी दोस्ती थी. उसी ने उसे दिल्ली के किसी लड़के से मिलवाया था.
पुलिस ने इस पहलू पर भी गौर किया कि कहीं रूबीना कोई सैक्स रैकेट तो नहीं चलाती है. क्योंकि उस स्थिति में उस के रैकेट में शमीम के भी शामिल होने की संभावना हो सकती थी. साथ ही यह भी कि लेनदेन के किसी विवाद की वजह से शमीम की हत्या हो सकती थी.
शमीम की हत्या के मामले में कई दिनों तक अटकलों का बाजार गरम रहा. जितने मुंह उतनी बातें. पुलिस ने रूबीना से भी पूछताछ की. लेकिन रूबीना और शमीम की भाभी जरीना ने जो बयान दिए, उस ने आफरीन को ही कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया.
रूबीना ने बताया कि आफरीन अपने चचेरे भाई सिद्दीक से प्यार करती थी. एक बार वह घर से 50 हजार रुपए ले कर सिद्दीक के साथ भाग भी चुकी है. वह सिद्दीक से शादी करना चाहती थी, लेकिन शमीम मना करती थी. उस का कहना था कि सिद्दीक एक तो कुछ कमाता नहीं है, ऊपर से लोफरलंपट स्वभाव का है.
रूबीना की भाभी जरीना ने बताया कि वह 4 बजे के आसपास शमीम के घर अपना सब्जी वाला डोंगा लेने गई थी. तब आफरीन घर में ही थी और उस ने दरवाजा नहीं खोला था. इस पर जरीना ने खिसिया कर कहा था कि कोई अंदर है क्या, जो तू दरवाजा नहीं खोल रही है. जवाब में आफरीन ने कहा था कि अप्पी घर में नहीं है, वह गेट नहीं खोलेगी.
जरीना ने अपना डोंगा मांगा तो उस ने गेट के ऊपर से उस का डोंगा थमा दिया. डोंगा ले कर वह अपने घर लौट आई थी. शाम 6 बजे के करीब जब जरीना खीर ले कर गई तो आफरीन ने दरवाजा खोल दिया और खीर लेने के बाद बोली, ‘‘भाभी, मेरी अप्पी को देख लो. किसी ने उस का गला काट दिया है.’’
जरीना और रूबीना के इस बयान के बाद शक की सुई आफरीन की तरफ घूम गई. सच्चाई की तह तक जाने के लिए पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछाया तो पता चला कि आफरीन साढ़े 4 बजे अपने घर से निकल कर सामने वाली पान की गुमटी पर आई थी और उस ने वहां से पान मसाला और सिगरेट लिया था. दुकानदार ने उस से पूछा भी था कि क्या कोई आया है. इस पर उस ने बताया था कि कुछ मेहमान आए हैं, उन्हीं के लिए ले जा रही हूं.
ये बातें पता चलने के बाद थानाप्रभारी आलोक कुमार ने आफरीन का मोबाइल अपने कब्जे में ले लिया. यहां स्पष्ट कर दें कि शमीम के पिता अब्दुल रशीद इस मामले में सिराज को दोषी ठहरा रहे थे और वह उस तसवीर को सिराज की बता रहे थे, जो आफरीन ने पुलिस को दी थी.
पुलिस ने वह तसवीर रूबीना सहित मोहल्ले के कई लोगों को दिखाई, लेकिन उसे किसी ने भी नहीं पहचाना. लोगों ने बताया कि तसवीर वाले लड़के को न तो कभी शमीम के घर पर देखा गया था और न ही वह कभी उसे मोहल्ले में दिखाई दिया था.
अगले दिन पोस्टमार्टम के बाद शमीम का शव सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. दूसरी ओर पुलिस सिराज की तलाश में तो लगी ही थी, साथ ही उस ने आफरीन और शमीम के फोन नंबरों की काल डिटेल्स भी निकलवा ली थीं. आफरीन की काल डिटेल्स में एक नंबर पर बहुत ज्यादा बातें हुई थीं. पुलिस ने उस नंबर का पता किया तो वह सिद्दीक का निकला.
तीसरे दिन शमीम का तीजा होने के बाद देर रात को पुलिस ने आफरीन, उस के पिता अब्दुल रशीद और भाई अतीक को उठा लिया. थाने में तीनों से बारीबारी से लंबी पूछताछ की गई. अंतत: पुलिस के सवालों से घबरा कर आफरीन टूट गई. उस ने अपने बयान में बताया कि कुछ दिनों पहले शमीम के संबंध सिद्दीक से थे.
बाद में सिद्दीक को शमीम की जगह उस से प्यार हो गया था. शमीम उन दोनों के प्यार में रोड़ा बन रही थी, इसलिए उस ने अपना रास्ता साफ करने के लिए सिद्दीक के साथ मिल कर बहन की हत्या करने की योजना बनाई.
इस योजना के मुताबिक सिद्दीक 11 दिसंबर, 2013 को बाजार से तीन पैकेट बिरयानी ले कर आया. उस ने एक पैकेट में पहले ही नशीली दवा मिला दी थी. नशीले पदार्थ वाली बिरयानी उन्होंने शमीम को दे दी और एकएक पैकेट दोनों ने ले लिए.
बिरयानी खाने के बाद शमीम अर्धबेहोशी में चली गई. उस के हाथपैर उस के वश में नहीं रहे. यह देख सिद्दीक और आफरीन ने मिल कर उस का गला रेत दिया. शमीम पर दवा का इतना ज्यादा असर था कि वह चीख भी नहीं सकी. अर्धबेहोशी के उसी आलम में उस ने अपने हाथ चला कर बचाने की कोशिश की थी, जिस से उस के हाथ की अंगुली में जख्म आ गया था.
शमीम के मरने के बाद सिद्दीक बाहर निकलने के लिए उपयुक्त समय का इंतजार करता रहा. जब सूरज छिप गया और अंधेरा घिर आया तो वह चुपचाप बाहर निकल गया. आफरीन के इस बयान के बाद पुलिस ने देर रात सिद्दीक को उस के घर इफ्तखाराबाद से गिरफ्तार कर लिया और आफरीन के पिता तथा भाई को छोड़ दिया.
16 दिसंबर को आफरीन की डाक्टरी जांच कराई गई, जिस में वह 3 महीने की गर्भवती पाई गई. डाक्टरी जांच के बाद सिद्दीक और आफरीन को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक दोनों जेल में थे.
— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित