दो बहनों का एक प्रेमी – भाग 2

11 दिसंबर, 2013 को अब्दुल रशीद और अतीक सुबह को अपने काम पर चले गए. शमीम और आफरीन घर में अकेली रह गईं. उस दिन शमीम के बड़े भाई की पत्नी जरीना ने खीर बनाई थी. शाम को 6 बजे वह एक कटोरे में खीर ले कर शमीम को देने आई. दरवाजा शमीम की जगह आफरीन ने खोला. वह जरीना को देखते ही घबराई सी बोली, ‘‘भाभी, अंदर आओ. देखो, अप्पी को पता नहीं क्या हो गया है. किसी ने उन का गला काट दिया है, लगता है मर गई हैं.’’

जरीना उस वक्त मुख्य दरवाजे की दहलीज पर खड़ी थी. आफरीन की बात सुन कर वह 2 कदम पीछे हट गई. उस ने सहमते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे घर में दाखिल नहीं होऊंगी. मोहल्ले के लोगों को बुला लो.’’

आफरीन ने यह बात सामने पान की गुमटी पर बैठने वाले व्यक्ति को बताई. लेकिन उस ने भी अंदर जा कर देखने की हिम्मत नहीं की. अलबत्ता उस ने यह बात आसपास के लोगों को जरूर बता दी. इस का नतीजा यह हुआ कि कुछ ही देर में यह खबर पूरे इलाके में फैल गई. अब्दुल रशीद के घर के सामने तमाम लोग जमा हो गए. लेकिन डर की वजह से कोई भी अंदर नहीं गया.

इसी बीच किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर दिया. शमीम और आफरीन की बड़ी बहन तहसीन और दूसरे भाई की पत्नी भी उसी मोहल्ले में रहती थीं. खबर मिलते ही वे दोनों भी आ गईं. हिम्मत कर के बड़ी बहन और भाभी अंदर गईं. अंदर शमीम की लाश खून से लथपथ पड़ी थी. वे उसे देखते ही रोने लगीं. जरा सी देर में कोहराम मच गया.

पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिलते ही यशोदानगर पुलिस चौकी के इंचार्ज जय वीर सिंह अपने सहयोगियों कांस्टेबल राम नारायण, आजाद, शिव प्रताप यादव, रामलखन और राजेश सिंह के साथ घटनास्थल पर आ गए. घटनास्थल की स्थिति देखने के बाद जयवीर सिंह ने इस मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी.

राजीवनगर के एफ ब्लौक में एक युवती का कत्ल हो गया है, यह पता चलते ही थाना नौबस्ता के प्रभारी आलोक कुमार यादव कांस्टेबल सुमित नारायण यादव, नीरज कुमार यादव, रणजीत सिंह यादव, देवेश कुमार आदि के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. पुलिस ने अंदर जा कर देखा तो शमीम तख्त के ऊपर बिस्तर पर औंधे मुंह पड़ी थी. उस के गले से काफी मात्रा में खून रिसा था, जिस से बिस्तर गीला हो गया था.

बिस्तर पर बिछी चादर के एक कोने पर संभवत: हत्यारे ने अपने खून सने हाथ पोंछे थे. वहां भी काफी खून लगा हुआ था. अभी थानाप्रभारी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सीओ रोहित मिश्र फौरेंसिक टीम के साथ आ पहुंचे.

पुलिस ने नंबर पूछ कर शमीम के पिता को इस घटना की खबर देनी चाहिए तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला. आफरीन कुछ नहीं बता पा रही थी, इसलिए पुलिस घर के मुखिया अब्दुल रशीद के आने का इंतजार करने लगी.

अब्दुल रशीद रात 9 बजे अपने बेटे अतीक के साथ घर लौटे तो दरवाजे पर पुलिस की जीप और पुलिस वालों को खड़ा देख परेशान हो गए. उन की समझ में नहीं आया कि उन के घर के बाहर इतनी भीड़ क्यों है. उन्होंने घर के अंदर जा कर देखा तो वह गश खा कर गिरतेगिरते बचे. 3-4 लोगों ने मिल कर उन्हें जैसेतैसे संभाला.

अब्दुल रशीद से भी कोई महत्त्वपूर्ण बात पता नहीं चली तो थानाप्रभारी आलोक कुमार यादव ने प्राथमिक काररवाई पूरी कर के मृतका शमीम की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस के साथ ही अब्दुल रशीद की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया.

अब्दुल रशीद ने पुलिस को बताया कि दिल्ली में रहने वाले सिराज के साथ शमीम के प्रेमसंबंध थे. जबकि वह उस की शादी अपनी पसंद के लड़के से करना चाहते थे. उन्होंने उस की शादी भी तय कर दी थी. इस पर सिराज ने धमकी दी थी कि अगर शमीम की शादी कहीं और की तो उसे जान से मार देगा. अब्दुल रशीद ने यह भी बताया कि सिराज से शमीम की जानपहचान रूबीना ने ही कराई थी.

आफरीन ने अपने बयान में पुलिस को बताया कि दोपहर 2 बजे शमीम के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. फोन पर बात करने के बाद शमीम ने उस से कहा था कि कोई उस से मिलने आ रहा है, इसलिए वह कुछ समय के लिए घर से बाहर चली जाए और उस के सामने न पड़े, क्योंकि उस की नजर अगर उस पर पड़ गई तो वह उसे पसंद कर लेगा.

आफरीन ने आगे बताया कि पहले तो वह घर से बाहर नहीं जाना चाहती थी, लेकिन जब शमीम ने आने वाले की एक फोटो दिखाई तो वह मान गई और घर से निकल कर अंबेडकर पार्क की तरफ चली गई. उस वक्त शमीम भी उस के साथ थी, क्योंकि आने वाले ने उस से अंबेडकर मूर्ति के पास मिलने को कहा था. यह साढ़े 3 बजे की बात है.

आफरीन के अनुसार वह अंबेडकर पार्क के पास से होते हुए घर के पीछे वाली गली में चली गई थी और वहीं बैठ कर बहन के फोन का इंतजार करने लगी थी. अगले 3 घंटे उस ने वहीं बिताए और जब 6 बजने को आए और अंधेरा छाने लगा तो वह वहां से उठ कर घर लौट आई. उस समय घर का दरवाजा उढ़का हुआ था. वह अंदर पहुंची तो उस ने शमीम को खून से लथपथ मरा हुआ पाया.

यह सब बताने के बाद आफरीन कमरे में गई और एक तसवीर थानाप्रभारी को देते हुए कहा कि शमीम से यही लड़का मिलने आने वाला था. उस ने यही फोटो उसे दिखाई थी.

थानाप्रभारी ने फोटो को गौर से देखा, वह किसी 16-17 साल के लड़के की फोटो थी. उस फोटो को देख कर ऐसा नहीं लगता था कि वह हत्यारा हो सकता है. दूसरी बात यह भी थी कि उस लड़के का नामपता किसी को मालूम नहीं था. ऐसे में उसे तलाश करना आसान नहीं था.

प्यार की वो आखिरी रात – भाग 2

एक रोज दोपहर को दीपक ईरिक्शा ले कर बाजार जा रहा था कि उसे बरखा दिखाई दी. उस ने ईरिक्शा रोक दी. बरखा नजदीक आई तो दीपक ने उसे छेड़ा, “भाभी, क्या भैया को छोड़ कर जा रही हो? बहुत जल्दी में दिख रही हो.”

“तुम्हारे भैया को छोड़ कर भागूंगी तो तुम्हारे साथ न.” बरखा ने बिना संकोच के कहा और उस की ईरिक्शा पर बैठ गई, “चलो, भगा ले चलो मुझे.”

“कहां?” दीपक अब सकपका गया.

“बस निकल गई हवा. बड़े आए भाभी का खयाल रखने वाले. चलो, मुझे बाजार तक छोड़ दो.” बरखा ने उसे टहोका मारा. उस रोज बाजार में बरखा ने शौपिंग की तो दीपक ने उसे इंप्रेस करने के लिए अपनी तरफ से उसे एक अच्छी सी साड़ी खरीदवा दी. फिर एक रेस्तरां में उसे बढिय़ा सा नाश्ता भी कराया.

वापसी में भी दीपक उसे साथ ले कर आया, इस दौरान दोनों काफी खुल चुके थे. दीपक ने दबे स्वर में बरखा को यह जता दिया था कि वह उसे बेइंतहा चाहता है. बरखा अपनी कटीली अदाओं से उसे घायल करती हुई मुसकराती रही.

मोहल्ले से कुछ दूर बरखा को उतारते हुए दीपक बोला, “भाभी, आज मैं ने तुम्हारी इतनी सेवा की, उस की मेवा भी मिलेगी क्या?”

“एक घंटे बाद घर आ जाना, चाय पिला दूंगी.”

“सिर्फ चाय?”

“तो दूध पी लेना,” बरखा ने कामुक आंखों से दीपक की आंखों में झांका और गहरी सांस लेते हुए अपने वक्षों को तान दिया, मानो वह कह रही हो कि इन्हें पी लेना.

दीपक घर पहुंचा. उस ने कपड़े बदले फिर मां से बहाना कर के घर से निकल गया. वह जानता था कि बरखा इस वक्त घर पर अकेली होगी. कृष्णकांत रात 9 बजे के पहले घर नहीं आता था. दीपक उसी रोज बरखा को पा लेना चाहता था, अत: वह बरखा के घर की ओर चल पड़ा.

बरखा ने दीपक को पलंग पर बिठाया. फिर मुसकराते हुए पूछा, “क्या पिओगे देवरजी, चाय या दूध..?”

“यह दूध,” दीपक ने उस की कलाई थामते हुए उस के स्तनों की तरफ इशारा किया.

“हाय दैय्या, कितने बेशरम हो तुम.” बरखा ने लाज का नाटक किया, लेकिन दीपक ने उसे खींच कर गोद में गिरा लिया और उस के वक्ष सहलाने लगा.

“देवरजी, तुम मुझे अच्छे लगते हो,” बरखा ने उस के हाथों के ऊपर हाथ रखते हुए कहा, “पर मैं तुम्हें यह दूध तभी पिलाऊंगी, जब तुम हमेशा इन के वफादार रहने की कसम खाओगे.”

“तुम्हारी कसम बरखा भाभी, तुम्हें कभी दगा नहीं दूंगा,” दीपक ने अपने सिर पर हाथ रख कर कसम खाई.

दीपक गुप्ता से हो गए अवैध संबंध

बरखा प्यासी औरत थी. उस की नजर दीपक की जवानी पर थी. दीपक ही उस की प्यास बुझा सकता था. उस का पति कृष्णकांत उस की पेट की भूख तो मिटा सकता था, पर तन की भूख नहीं. अत: उस ने एक कामुक सीत्कार भरी और बोली, “मैं पहले दरवाजा बंद कर लूं.”

दीपक ने उसे छोड़ा तो वह दरवाजा बंद कर आई. वह जैसे ही पलंग के पास आई, दीपक ने उसे बांहों में भर लिया और पलंग पर लुढक़ गया. उस के बाद तो कमरे में सीत्कार की आवाजें आने लगीं. कुछ देर बाद दोनों अलग हुए तो उन के चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे.

उस रोज बरखा जहां शादी के समय दिए गए सभी वचन भूल गई और पति के साथ विश्वासघात कर बैठी, वहीं दीपक ने दोस्ती को दरकिनार कर दोस्त की पीठ में इज्जत का छुरा घोंप दिया. वह भूल गया कि बरखा उस के दोस्त की पत्नी है.

अवैध संबंधों का सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो वक्त के साथ बढ़ता ही गया. दोनों को जब भी मौका मिलता, वे एकदूसरे में समा जाते. बरखा अब दीपक के साथ सैरसपाटा करने भी जाने लगी. दीपक बरखा को ईरिक्शा पर बैठा कर रमणीक स्थल मोतीझील ले जाता. वहां की मखमली घास पर बैठ कर दोनों घंटों तक प्यार भरी बातें करते. फिर झील में नाव पर बैठ कर खूब मस्ती करते. पति के वापस आने के पहले वह घर लौट आती थी.

दीपक का कृष्णकांत के घर आनाजाना बढ़ा तो अड़ोसपड़ोस के लोगों के कान खड़े हो गए. कई लोगों ने बरखा को दीपक के साथ बाजार में भी साथ देखा था, सो वे भी कानाफूसी करने लगे थे. कृष्णकांत को बात पता चली तो उस का माथा ठनका. उस ने बरखा से कहा तो कुछ नहीं, लेकिन उस पर शक करने लगा.

बरखा पति के सामने बनी सतीसावित्री

एक रोज कृष्णकांत सुबह काम पर गया, लेकिन दोपहर को ही वापस लौट आया. उस समय बरखा घर पर ही थी. कृष्णकांत यह सोच कर घर वापस आया था कि बरखा के साथ प्यार भरे कुछ लम्हे बिताएगा, लेकिन ज्यों ही वह अपने कमरे में दाखिल होने को हुआ, बरखा की आवाज उस के कानों से टकराई, “उस के साथ मेरा विवाह हो गया तो क्या हुआ? मेरा जिस्म और मेरी आत्मा तुम्हारे ही रहेंगे. हमें कोई रोक नहीं सकता.”

कृष्णकांत के कानों में मानो किसी ने पिघला हुआ शीशा डाल दिया हो. उस का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. मारे गुस्से और नफरत के उस के जबड़े भिंच गए. दरवाजे को धकेलते हुए वह कमरे में दाखिल हुआ तो उसे अचानक सामने पति को देख कर बरखा के चेहरे का रंग उड़ गया.

कृष्णकांत उसे घूरते हुए दहाड़ा, “बताओ कौन है वह, जिस से तू फोन पर बातें कर रही थी. जरूर वह तेरा आशिक ही होगा.”

बरखा चुपचाप कृष्णकांत की बात सुनती रही. उस के चेहरे पर ग्लानि या क्षोभ के कोई भाव नहीं थे. बजाय झुकने के बरखा सख्त लहजे में बोली, “तुम्हें यह जानना है न कि मैं किस से बातें कर रही थी तो जान लो, मैं अपनी सहेली से बात कर रही थी. अगर यकीन न हो, तो ये लो फोन और नंबर मिला कर कर लो उस से बात.” कह कर उस ने फोन पति को पकड़ा दिया.

बरखा ने जिस आत्मबिश्वास के साथ यह सब कहा था, उस से कृष्णकांत को लगा कि वह सच बोल रही है. उसे लगा कि पूरी बात जाने बिना उस ने बेकार में पत्नी पर शक किया. यही नहीं, उस ने बरखा से माफी मांगी और उसे मनाने लगा.

बरखा के जब से दीपक के साथ जिस्मानी संबंध बने थे, तब से उस ने पति को भुला ही दिया था, लेकिन उस दोपहर जब माफी मांगने के बाद कृष्णकांत ने बरखा से प्यार भरी बातें की और उसे अपनी बांहों में भरा तो वह पति को समर्पित हो गई. कृष्णकांत खुश था कि आज उस ने बीवी को पा लिया है, पर वह यह नहीं जानता था कि बीवी ने उस के शक को दूर करने के लिए उस के समक्ष जिस्म की गिरह खोली थी.

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 2

सोनाली देखने भालने में खूबसूरत थी. दोनों ही एक साथ काम करते थे. साथ रहते रहते दोनों में दोस्ती हुई और फिर वही दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों के प्यार मोहब्बत की बात ज्यादा दिनों तक सोनाली के घर वालों से नहीं छिप सकी. उस के पापा दिलीप सिंह ठेके पर धान की रोपाई का काम करते थे.

दिलीप सिंह के 2 बेटियां थीं. उन के कोई बेटा नहीं था. संजय यादव देखनेभालने में ठीकठाक था, ऊपर से सोनाली के साथ ही काम भी करता था. वह सोनाली को पसंद भी था. यही कारण रहा कि सोनाली के घर वालों ने दोनों के प्यार को देखते हुए जल्दी ही शादी करने की रजामंदी दे दी थी.

घर वालों की तरफ से रजामंदी मिलते ही सोनाली के साथसाथ संजय यादव को भी बहुत खुशी हुई थी. संजय यादव ने यह बात अपने घर वालों को बता दी. इस सिलसिले में जल्दी ही सोनाली के पापा दिलीप सिंह संजय यादव के घर वालों से जा कर मिले. हालांकि दोनों की जाति बिरादरी अलगअलग थी. लेकिन जब 2 परिवार प्यार से मिले तो दोनों ही शादी के लिए राजी हो गए. जिस के बाद दोनों परिवारों की तरफ से हां होते ही शादी की तैयारी शुरू हो गई. एक शुभ मूहूर्त पर दोनों ही शादी के बंधन में बंध भी गए.

सोनाली का कोई भाई नहीं था. उस का परिवार भी छोटा ही था. संजय यादव इस से पहले एक किराए के मकान में रहता था. लेकिन शादी हो जाने के बाद वह भी अपनी ससुराल में घरजमाई बन कर रहने लगा था. उस के कुछ समय बाद ही सोनाली की मां ने उन्हें ट्रांजिट कैंप में एक घर खरीद कर दे दिया और वह भी उन्हीं के साथ रहने लगी थी.

दोनों ही शादी बंधन में बंधने के बाद हंसीखुशी से रहने लगे थे. संजय यादव जितना सोनाली को प्यार करता था, उस से कहीं ज्यादा वह भी उस का ध्यान रखती थी. वक्त के साथ सोनाली एक बच्चे की मां बनी. उस बच्चे का दोनों ने प्यार से जय नाम रखा. जय के जन्म लेने के बाद उन के परिवार में और अधिक खुशहाली आ गई थी.

सोनाली की खूबसूरती पर मर मिटा जगदीश

कुछ समय पहले जगदीश ने सोनाली के घर के सामने ही मिश्री लाल के घर में एक किराए का कमरा लिया. जगदीश मूलरूप से अनावा थाना पुवायां, जिला शाहजहांपुर का रहने वाला था. वह भी कई साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस दौरान उसे नौकरी नहीं मिली तो उस ने राजमिस्त्रियों के साथ काम करना शुरू कर दिया.

राजमिस्त्रियों के साथ काम करतेकरते वह भी राजमिस्त्री बन गया था. उस वक्त जगदीश ने अपना नाम राजवीर रख रखा था. किराए के मकान में रहते हुए ही एक दिन उस की नजर सोनाली पर पड़ी. सोनाली जितनी देखनेभालने में सुंदर थी, उस से कहीं ज्यादा बोलनेचालने में मृदुभाषी. उस के रहनसहन को देख कर वह उस की सुंदरता का दीवाना बन गया. वह मन ही मन सोनाली को प्यार करने लगा था.

उस वक्त जगदीश को हर रोज काम नहीं मिलता था. जिस दिन उसे काम नहीं मिलता तो वह अपने कमरे पर ही रहता था. उस दौरान वह मकान की छत पर ही घूमता रहता था. उसी दौरान एक दिन उस की नजर छत पर खड़ी सोनाली पर पड़ी, उस ने सोनाली को पास से देखा तो वह उस के लिए पागल हो गया. उस के बाद वह हर वक्त उसे ही निहारता रहता था.

पड़ोसीे होने के नाते जल्दी ही उस ने सोनाली से जानपहचान भी बढ़ा ली थी. उसी जानपहचान के जरिए वह सोनाली के घर भी आनेजाने लगा था. एक पड़ोसी होने के नाते सोनाली जगदीश से अच्छा व्यवहार रखती थी. लेकिन जगदीश उसे मन ही मन चाहने लगा था.

उस की बदनीयत हर वक्त सोनाली की सुंदरता पर काली छाया बन कर मंडराती रहती थी, लेकिन सोनाली ने कभी भी जगदीश को प्रेम भरी निगाहों से नहीं देखा था. जगदीश हर तरफ से कोशिश कर के हार चुका तो वह उस के पति संजय यादव से ही नफरत करने लगा था.

उसी दौरान देश में कोरोना फैल गया. कोरोना से जगदीश का काम भी प्रभावित हुआ था. उस का काम बंद हुआ तो वह आर्थिक स्थिति से गुजरने लगा. जिस के कारण उस की स्थिति ऐसी हो गई कि वह कई महीने से अपने कमरे का किराया भी नहीं चुका पाया था. लौकडाउन लगने के बाद मजबूरन उसे मिश्रीलाल का कमरा छोड़ कर जाना पड़ा. उस के बाद उस ने शमशान घाट रोड पर एक सस्ता कमरा किराए पर लिया और वहीं रहने लगा.

एकतरफा प्यार ने डाली गृहस्थी में फूट

साल 2020 में कोरोना काल में वह रुद्रपुर छोड़ कर दिल्ली चला गया. कुछ समय तक उस ने वहां पर नौकरी की और सन 2022 में फिर से रुद्रपुर आ गया. रुद्रपुर आने के बाद उस ने वेल्डिंग का काम करना शुरू किया. तब उस ने रैन बसेरा, मंदिर और अन्य जगहों पर शरण ले कर वेल्डिंग का काम किया.

उस के बाद भी वह संजय यादव और सोनाली से जानपहचान का फायदा उठाते हुए उन के घर आताजाता रहा. जिस के बाद से सोनाली ने उस से बात करना कुछ कम कर दी थी. जब जगदीश को लगने लगा कि सोनाली किसी भी कीमत पर उसे भाव देने वाली नहीं है तो उस ने उस की पड़ोसन की तरफ निगाहें डालनी शुरू कर दी.

वह महिला भी सोनाली के घर के सामने ही रहती थी. सोनाली की उस महिला से अच्छी दोस्ती थी. वह महिला भी देखनेभालने में सुंदर थी. उस ने कई बार सोनाली से उस महिला का मोबाइल नंबर मांगा, लेकिन सोनाली ने उस का नंबर देने से मना कर दिया था.

सोनाली जान चुकी थी कि उस की नीयत साफ नहीं है. उस की बदनीयती को देखते हुए सोनाली उस से कटने लगी थी. लेकिन जगदीश कभी भी उस के घर आ जाता और उस महिला का मोबाइल नंबर मांगने लगता था. उस के बाद सोनाली ने उसे अपने घर आने के लिए भी मना कर दिया था.

इतना सब कुछ करने के बाद भी वह सोनाली का पीछा छोडऩे को तैयार नहीं था. उस की दीवानगी की हद तो उस दिन हो गई, जब उस ने सोनाली के घर पर एक गुलदस्ता, कीपैड मोबाइल फोन व उस के साथ एक परची डाली, जिस में उस ने लिखा था कि वह उसे दिलोजान से चाहता है और उस के प्यार में कुछ भी करने को तैयार है. अगर उसे उस का यह तोहफा पसंद आया तो जवाब जरूर देना.

प्रेमिका को गोली मार की खुदकुशी – भाग 2

नित्या ने दिल में बसा लिया विशाल को

एक दिन महाविद्यालय में आयोजित एक संयुक्त प्रोग्राम में विशाल और नित्या ने गीतों में अपनीअपनी प्रस्तुतियां दीं तो महाविद्यालय के सभी छात्रछात्राओं ने जम कर तालियां बजा कर दोनों का उत्साहवर्धन किया. उसी शाम दोनों की नजरें एकदूसरे से मिलीं, वे दोनों एकटक एकदूसरे की ओर काफी देर तक अपनी नजरें चाह कर भी हटा न सके. एक अजीब कशिश और एक अनोखा सा आकर्षण सा उन दोनों के बीच स्थापित हो चुका था.

दोनों को अपने दिल में यह महसूस सा होने लगा था, मानो वे दोनों केवल एकदूसरे के लिए बने हैं. अब तक न तो विशाल को किसी युवती से न ही नित्या को किसी युवक से प्यार हुआ हुआ था. दोनों के दिल में बस एक यही बात थी कि कब हमें एकदूसरे से बात करने का अवसर मिल पाएगा.

अब तक नित्या यह बात अच्छी तरह से समझ चुकी थी कि विशाल की ओर से तो पहल होने से रही, उसे ही अपनी ओर से पहल करनी पड़ेगी, तभी बात कुछ आगे बढ़ सकती है. दोनों एकदूसरे से मिलते भी थे, पर बातें चाह कर भी नहीं कर पा रहे थे.

एक दिन हिम्मत कर के जब दोनों का आमनासामना हुआ तो नित्या ने विशाल से कहा, आप से एक बात करनी है, क्या आप के पास समय है?

‘जी जरूर. आप के लिए तो मेरे पास हर वक्त समय ही समय है.” विशाल ने मुसकराते हुए कहा.

“ठीक है, कल को शाम 4 बजे यहीं पर आप से मिलती हूं” यह कहते हुए नित्या मुसकरा कर वहां से चली गई थी.

दूसरे दिन शाम को नियत समय पर दोनों मिले तो विशाल ने कहा, कहिए, कहां चलना है?”

एकदूसरे के करीब आए दोनों

इस के बाद विशाल नित्या को अपनी बाइक पर बिठा कर काफी दूर सुनसान से इलाके में ले गया. विशाल ने अपनी बाइक रोक कर किनारे खड़ी कर दी.

‘जी कहिए, मुझ से क्या चाहती हैं आप?” विशाल ने कहा.

“विशाल, आप मुझे बड़े अजीब से इंसान लगे. पता नहीं क्यों यूं अकेलेअकेले से, गुमसुम से रहते हो. कुछ परेशानी या दुख तो नहीं है न आप के जीवन में?” नित्या ने पूछा.

“नित्याजी, मुझे अकेलापन बड़ा अच्छा लगता है. इस अकेलेपन में बड़ा सुकून सा मिलता है. आजकल की दुनिया बड़ी मायावी सी लगती है, इसीलिए कुछ दूरी बना कर रखता हूं.” विशाल ने कहा.

“अच्छा, एक बात बताओ विशाल, तुम्हें क्या कभी से किसी लड़की से रोमांस या प्यार हुआ है? किसी लड़की ने कभी तुम्हारा दिल तो नहीं तोड़ा न?” नित्या ने कहा.

“देखिए, मैं ने कभी इस बारे में सोचा ही नहीं. न किसी से कभी प्यार हुआ और न ही रोमांस तो मेरा दिल भला कैसे टूट सकता है?” विशाल बोला.

“अच्छा, ये बताओ तुम्हारे मातापिता ने बचपन में तुम्हारा रिश्ता कहीं फिक्स तो नहीं किया हुआ है. मेरा मतलब तुम्हारी बचपन से कोई मंगेतर तो नहीं है न!”नित्या ने पूछा.

“ऐसी कोई बात नहीं है, मुझे मेरे परिवार वाले बहुत स्नेह और दुलार से रखते हैं. मैं परिवार में हमेशा खुश रहता हूं, मेरे जीवन में न तो अभी तक कोई लड़की आई है, जिस ने मेरा दिल तोड़ा हो. मगर मेरी समझ में यह बात नहीं आ रही है कि तुम ऐसे फिजूल से प्रश्न मुझ से क्यों पूछ रही हो?” विशाल ने कहा.

देखो विशाल, तुम मेरे परफैक्ट मैच हो. देखो, जरा मेरी बातों को ध्यान से सुनो और समझने का प्रयास करो. तुम सुन रहे हो न मेरी बात?” नित्या ने कहा.

हांहां, मैं सब कुछ अपने कानों से आप की बातें सुन रहा हूं. मगर तुम्हारी बातें मेरी समझ में पता नहीं क्यों नहीं आ रही हैं? जरा विस्तार से बताओ आखिर तुम चाहती क्या हो मुझ से?” विशाल ने भी अपने दिल की बात साफसाफ लफ्जों में कह दी.

देखिए विशालजी, मेरा बचपन से बस एक सपना था कि मुझे जब कोई मेरी सोच जैसा आइडियल नौजवान मिलेगा, जो हर गुण संपन्न हो, साहसी हो, शरीफ हो, नारी का दिल से सम्मान करता हो, जिस का अभी तक किसी युवती से प्यार न हुआ हो, वही मेरा परफैक्ट होगा. इतनी कोशिशों के बाद जब मैं ने तुम्हें देखा तो तुम से मुझे सचमुच प्यार सा हो गया. यदि तुम अपने दिल से मुझे स्वीकार करते हो तो मैं तुम्हारे मन मंदिर में हमेशा के लिए बस जाना चाहती हूं.” नित्या ने अपने दिल की बात अपनी जुबां से कह ही डाली.

जीवन भर साथ निभाने के किए वादे

विशाल ने जब यह बात सुनी तो वह मन ही मन बहुत खुश हो गया था. मगर वह भी अपने दिल की बात साफ साफ बता देना चाहता भी था.

देखो नित्या, यह मामला अभी क्षणिक प्रेम का नहीं, जब हम किसी से प्यार करते हैं तो अपने दिल से करते हैं. कहीं तुम मुझे बीच मंझधार में छोड़ गई तो फिर मैं टूट सा जाऊंगा, इसलिए अपना फैसला करने से पहले अपने दिल की इजाजत ले लो. मुझे जीवन में प्यार करना पसंद है पर हमेशा हमेशा के लिए जुदाई और बेवफाई मैं कभी भी सह न पाऊंगा.” विशाल ने कहा.

विशाल, मैं हमेशा हमेशा के लिए तुम्हारी ही रहूंगी.” यह कहते हुए नित्या ने जब अपनी बाहें फैलाई तो विशाल ने उसे आगे बढ़ कर अपने सीने से लगा लिया था. उस के बाद उन दोनों की प्रेम कहानी जो शुरू हुई तो वह पूरे कालेज और पूरे इलाके में एक मिसाल बन गई थी.

उन दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा था. विशाल अपनी प्रेमिका नित्या को उस के जन्मदिन पर अच्छेअच्छे उपहार देता था. बदले में नित्या भी उस की हर ख्वाहिश का ध्यान रखती थी. दोनों एकदूसरे के पूरक से बनते जा रहे थे.

दोनों ने पढ़ाई के बाद एकदूसरे से शादी करने का वादा भी कर लिया था. उन दोनों का यह प्रेम प्रसंग करीब करीब पूरे डेढ़ साल तक चलता रहा, इस दौरान नित्या बीटीसी द्वितीय वर्ष में आ गई थी तो विशाल भी बीए द्वितीय वर्ष में पहुंच चुका था. दोनों का बस एक ही मकसद था कि जल्द से जल्द दोनों की पढ़ाई पूरी हो जिस से वह सदासदा के लिए कर एकदूसरे के बन जाएं.

एक दिन विशाल ने अपने दिल की बात अपने बड़े भाई अनिल को बताते हुए कहा, भैया, मैं एक लड़की से प्यार करने लगा है, उसी से शादी करना चाहता हूं.”

“देख विशाल, अभी तुम छोटे हो. देखो भाई, अभी तो तुम्हारे दोनों बड़े भाइयों की भी शादी नहीं हुई है. तुम्हारा नंबर तो सब से आखिर में है. इसलिए प्रेम के बजाय अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो. अच्छी नौकरी पाने की कोशिश करो तो हम तुम्हारा विवाह वहीं करवा देंगे, जहां तुम चाहते हो.” अनिल ने उसे समझाते हुए कहा.

यह बात सुन कर विशाल भी समझ गया कि अभी जल्दबाजी करनी उचित भी नहीं है. इसलिए वह अपनी पढ़ाई और करिअर पर फोकस करने लगा था, मगर नित्या से उस का मिलनाजुलना व प्यार बिलकुल भी कम नहीं हुआ था.

कैसे हुईं 9 दिन में 3 बहनें गायब – भाग 2

बहनों को लापता हुए डेढ़ महीने का समय हो गया था. भाई सलमान अहमद डेढ़ महीने से अपनी छोटी बहनों की तलाश में लगा था. इस दौरान वह अच्छी तरह से रात में सोया भी नहीं. हर समय बहनों की चिंता उसे सताती रहती थी. पता नहीं बहनें किन हालात में होंगी. उस के लिए उस की बहनें ही सब कुछ थीं. वह पिता के साथ शासन-प्रशासन से यही गुहार लगा रहा था कि उस की बहनों को ढंूढने की काररवाई की जाए, नहीं तो वह कोई गलत कदम उठा लेगा.

रोरो कर मां की सूज चुकी थीं आंखें

9 दिन में अपनी तीनों बेटियों के इस तरह लापता हो जाने से मां आहत थी. बोली, “हम अपनी बड़ी बेटी निशा के लिए लडक़ा देख रहे थे. हमें जरा सा भी एहसास नहीं था कि हमारे साथ कुछ ऐसा भी हो जाएगा.”

बेटियों को याद कर के मां की आंखों से आंसूू बहने लगते. वह रोतेरोते बेहोश हो जाती.

तीनों बेटियों के लापता हुए डेढ़ महीना बीत गया था. बेटियों का नाम ले कर उन्हें बारबार पुकारतीं और कहती कि अपनी बेटियों के बिना वह मर जाएगी. कहती अपहत्र्ता उन्हें तड़पा रहे होंगे, मार डालेंगे. इतने दिन हो गए पुलिस भी कुछ नहीं कर पा रही है. हम गरीब हैं, पता नहीं हमें न्याय कब मिलेगा? उसे इस बात का भी डर सता रहा था कि बेटियों के साथ कोई अनहोनी न हो जाए.

एसपी विनोद कुमार ने यही भरोसा दिया कि पुलिस अपराधियों तक पहुंचने की पूरी कोशिश में लगी हुई है. रम्पुरा की एक लडक़ी की लोकेशन पंजाब में मिली थी. पहले पिता व बाद में पुलिस भी वहां गई थी. अब पुलिस की एक स्पैशल टीम को वहां भेजा गया है. उन्होंने जानकारी दी कि अपराधियों को पकडऩे के लिए सर्विलांस और स्वाट टीमों को भी तैनात किया गया है. लड़कियों को जल्द से जल्द बरामद कर लिया जाएगा.

पूरा परिवार आ गया दहशत में

तीनों बेटियों के इस तरह लापता हो जाने से शमशाद का पूरा परिवार दहशत में आ गया. शमशाद ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि पुलिस किडनैप हुई तीनों बेटियों को बरामद करने में गंभीरता नहीं दिखा रही है.

9 जनवरी को बेटी से जब बात हुई तो बेटी ने डरी हुई आवाज में कहा, “पापा, अब मैं वापस नहीं आ पाऊंगी.”

फोन पर वे लोग पीछे से बेटी को धमका रहे थे और उस से अपने मनमुताबिक कहलवा रहे थे. पुलिस ने उस मोबाइल की लोकेशन ट्रैक की. तब 10 जनवरी को पुलिस के साथ पंजाब के लिए निकले. रास्ते में एक स्थान पर पुलिस रात में रुकी. दूसरे दिन जब पुलिस आरोपी के घर पहुंची तो घर पर ताला लटका हुआ था. हम लोगों को दूसरी बार खाली हाथ आना पड़ा. पुलिस को गाड़ी से ले जाने और भागदौड़ में काफी खर्चा भी हो गया. बेटियों की तलाश में जो कुछ धन उस के पास था, सब खर्च हो गया, अब सब्जी खरीदने लायक पैसे भी नहीं बचे थे.

शमशाद को अपनी बेटियों की चिंता सता रही थी कि वे किन हालात में हैं. एकदूसरे के साथ भी हैं या नहीं. सब से छोटी बेटी मनतारा से बात हो गई थी, लेकिन बाकी 2 बेटियों की कोई जानकारी नहीं मिली थी. वे पंजाब में ही हैं या किसी अन्य जगह. पता नहीं मनतारा अपनी 2 बड़ी बहनों के गायब होने की बात जानती है या नहीं. परिजन अब पूरी तरह पुलिस के भरोसे ही थे. पुलिस ही उन्हें उन की तीनों बेटियां वापस दिला सकती थी.

पुलिस सरगरमी से तलाश में जुटी

परिवार अपनी तीनों गायब हुई बेटियों की तलाश में दिनरात एक कर रहा था. वहीं उन की बरामदगी के लिए पुलिस भी अपने स्तर से शमशाद की बड़ी बेटी निशा व उस के साथियों का नंबर ट्रैस कर रही थी. इसी दौरान पुलिस को आरोपी के मोबाइल की लोकेशन पंजाब की मिली. पुलिस टीम ने बिना देर किए दबिश दे कर 20 वर्षीय आरोपी भारत निवासी गोशाला वाली गली, टिस्बी साहेब रोड, मुक्तसर, पंजाब को हिरासत में ले लिया. उस के कब्जे से सब से छोटी बेटी मनतारा को 4 फरवरी, 2023 को बरामद कर लिया.

मनतारा को ले कर कुर्रा थाना पुलिस मैनपुरी आई. यहां मनतारा का मैडिकल कराया गया. तब पता चला कि मनतारा गर्भवती है. पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया. न्यायालय ने नाबालिग मनतारा को परिजनों की सुपुर्दगी में दे दिया.

रहस्यमय तरीके से गायब हुई बहनों के संबंध में बरामद सब से छोटी बहन मनतारा ने पुलिस को जो बताया, उसे सुन कर पुलिस सकते में आ गई. इस मामले में मनतारा ने सनसनीखेज खुलासा कर सभी को चौंका दिया.

बड़ी बेटी निशा ने ही रची थी साजिश

सब से छोटी बेटी 14 वर्षीय मनतारा ने बताया, “हमारे परिवार की हालत बहुत खराब थी. हम लोगों की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं, न हम लोग पढ़ पा रहे थे न ढंग से जी पा रहे थे. इस वास्ते से हम लोग परेशान रहते थे. हम तीनों बहनें अकसर इस पर बात किया करते थे. मुझे याद है कि 18 दिसंबर, 2022 को मैं अपनी बड़ी बहन निशा के साथ घर से बाहर गई हुई थी.

“दीदी से मिलने वहां पर कोई राहुल नाम का लडक़ा आया था. शायद दीदी उस को पहले से जानती थीं. उस ने हम लोगों को वहां चाय पिलाई. फिर हम लोगों ने गोलगप्पे भी खाए. इस के बाद वह लडक़ा हम लोगों को सुंदर सुंदर कपड़े अपने मोबाइल में दिखाने लगा. उस का मोबाइल भी बहुत अच्छा था. उस ने अपने मोबाइल से मेरी फोटो भी खींची थी. उस ने मुझ से पूछा कि क्या तुम ये सब लेना चाहती हो? इस पर मनतारा ने हां बोल दिया.

“उस के बाद राहुल हंसने लगा. फिर उस ने मिठाई दिलाई और कुछ रुपए भी दिए. फिर मैं दीदी के साथ घर वापस आ गई. दीदी ने घर पर ये बात किसी को बताने से मना कर दिया था. उस के बाद दूसरे दिन फिर से दीदी मुझे राहुल से मिलवाने ले गई. उस दिन वह बाइक से आया था. मैं पहली बार बाइक पर बैठ कर घूमी थी. बहुत मजा आया था.”

दिल्ली में जौब दिलाने की बात कही

मनतारा ने आगे बताया कि उस रात दीदी ने मुझ से कहा कि हम लोगों के घर में बहुत परेशानी रहती है. राहुल मेरा दोस्त है. ये हम लोगों को दिल्ली में जौब दिला देगा. ऐसे हम लोग अपने परिवार की सहायता कर पाएंगे. जौब लग जाएगी, उस के बाद घर में सब को ये बात बता देंगे. घरवालों को भी दिल्ली बुला लेंगे.

निशा की बात मनतारा को बहुत अच्छी लगी. उसे लगा कि वह कमा कर घर के दुख दूर कर देगी. फिर बड़ी बहन तो वहां उस के साथ रहेगी ही. इसलिए उस ने निशा को तुरंत ही दिल्ली साथ चलने के लिए हां बोल दिया. उस के बाद निशा ने उस से कपड़े का बैग पैक करने के लिए कहा. निशा ने कहा कि हम लोग रात में चुपचाप घर से निकल जाएंगे, फिर दिल्ली पहुंच कर जौब लगते ही घर में अब्बा, अम्मी और भाई सब को बता देंगे.

21 दिसंबर, 2022 की आधी रात को जब सभी घर के सदस्य गहरी नींद में थे. मनतारा बड़ी बहन निशा के साथ घर से निकल गई. घर से थोड़ी दूर पर उन्हें राहुल मिल गया, वह बाइक से उन्हें स्टेशन ले गया. वहां पर कोई भारत नाम का युवक उन का इंतजार कर रहा था.

दगा दे गई सोशल मीडिया की गर्लफ्रैंड – भाग 1

अजमेर के जयपुर रोड पर स्थित मुख्य रोडवेज बस स्टेंड से प्रसिद्ध मेंंयो कालेज की तरफ जाने वाली प्रमुख सड़क पर मंगलवार होने के बावजूद भी ज्यादा भीड़ नहीं थी. वैसे इस रास्ते पर हर मंगलवार की शाम को भारी भीड़ होती है, क्योंकि यह रास्ता नगर के प्राचीन हनुमान मंदिर की तरफ भी जाता है. इस के अलावा यही रास्ता नगर के सब से खूबसूरत पर्यटन स्थल आनासागर लेक पर बनी चौपाटी तक भी जाता है, जहां पर रोजाना हजारों लोग घूमने आते हैं.

16 मई, 2023 की शाम करीब 4 बजे इसी सड़क पर एक घबराई हुई खूबसूरत युवती तेजी से स्कूटी दौड़ाती हुई चली जा रही थी. उस युवती का एक परिचित युवक पीछा कर रहा था. इसलिए वह बारबार पीछा कर रहे उस युवक को साइड मिरर में देख रही थी.

उस की घबराहट और बढ़ती जा रही थी, क्योंकि पीछा कर रहे युवक के इरादे उसे ठीक नहीं लग रहे थे. इसी दौरान उस ने साइड मिरर में एक कार देखी. कार उस ने पहचान ली, क्योंकि वह उस के एक परिचित की थी. कार को देख कर उस की घबराहट खत्म हो गई और वह मुस्कराने लगी.

सीआरपीएफ ग्राउंड से आगे जैसे ही वह ओवर ब्रिज को पार कर मेंयो कालेज की तरफ घूमी तो उस की नजर मदार पुलिस चौकी पर पड़ी तो कुछ सोच कर उस ने मदार पुलिस चौकी के सामने फुटपाथ पर अपनी स्कूटी रोक दी और पीछे आ रही कार के पास पहुचने का इंतजार करने लगी.

उसे उम्मीद थी कि पुलिस चौकी होने के कारण वह युवक उसे परेशान करने की हिम्मत नहीं करेगा पर उस युवक पर तो जैसे जुनून सवार था. उस युवक ने पुलिस चौकी के पास आ कर अपना स्कूटर रोक दिया. स्कूटर को चालू हालत में छोड़ कर वह उस युवती के पास जा कर कुछ बोला. जिसे सुन कर युवती अपना आपा खो बैठी और चीखते हुए बोली, “नहीं करूंगी शादी तुम से. मुझे परेशान मत करो वरना मैं पुलिस… इस से पहले कि वह आगे कुछ कहती, युवक ने अपने बैग से चाकू निकाल कर दिनदहाड़े उस युवती पर जानलेवा हमला कर दिया.

युवती को चाकू से घायल कर के वह तुरंत अपने स्कूटर पर सवार हो कर राजा साइकिल चौराहे की तरफ फरार हो गया, जबकि खून से लथपथ युवती जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. दिनदहाड़े अलवर गेट थाने की मदार पुलिस चौकी के पास हुई इस सनसनी खेज वारदात से सनसनी फैल गई.

घटनास्थल के ठीक सामने फुटपाथ की थड़ी पर दोस्तों के साथ चाय पी रहे पास की कालोनी में रहने वाले युवक पिंटू सांखला और उस के साथियों ने पहले तो हमलावर युवक को पकडऩे की कोशिश की, लेकिन वह उन के हाथ नहीं आया.

तब तक युवती के परिचित युवक की कार भी वहां आ गई. उस ने उस युवती की शिनाख्त धौलाभाटा निवासी तृप्ति सोनी चौहान के रूप में की. युवक ने गंभीर रूप से घायल तृप्ति को पिंटू सांखला और उस के साथियों की मदद से उठाया और वहां से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित अजमेर के जेएलएन राजकीय चिकित्सालय की तरफ चल दिया.

अस्पताल पहुंचने से पहले तोड़ा दम

अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मौजूद डाक्टरों ने घायल तृप्ति की जांच कर बताया कि काफी ज्यादा खून बहने के कारण कुछ देर पहले ही उस की मौत हो चुकी हैै. हमलावर ने उस के दिल पर 3 वार किए थे, जिस से उस का दिल कट गया था और अधिक खून बहने के कारण उस की मौत हो गई.

डाक्टरों की बात सुन कर तृप्ति को ले कर आए मददगार और कार से आए युवक अनिल शर्मा की आंखें भर आईं. इसी बीच अजमेर के एसपी चूना राम जाट, सीओ सुनील सिहाग, सहित पुलिस विभाग के आला अधिकारी और थाना अलवर गेट के एसएचओ श्याम सिंह चारण भी अस्पताल पहुंच गए.

उधर घटना की रिपोर्ट 16 मई, 2023 की शाम को मृतका महिला टीचर के मित्र अनिल शर्मा ने अलवर गेट थाने में दर्ज कराते हुए बताया कि वह महिला टीचर का मित्र है और इंजनियरिंग कालेज अजमेर में प्रोफेसर है. उन्होंने हमलावर विवेक सिंह उर्फ विवान पर आरोप लगाते हुए पुलिस को बताया कि तृप्ति सोनी उसे सिर्फ अपना दोस्त मानती थी, जबकि विवेक सिंह उस पर शादी करने का दबाव डाल रहा था.

इसी मामले को ले कर उस ने दोनों को समझाने की कोशिश भी की थी, लेकिन उन्हें इस बात की उम्मीद भी नहीं थी कि कोई प्यार करने का दम भरने वाला युवक ऐसी बेरहमी से किसी की जान भी ले सकता है.

उन की सलाह पर ही परेशान तृप्ति ने पुलिस से उस की शिकायत करने का मन बना लिया था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकी और अनहोनी हो गई. पुलिस अधिकारयों ने हत्याकांड के प्रत्यक्षदर्शी पिंटू सांखला से भी घटना की जानकारी हासिल की.

घटनास्थल पर पड़ी स्कूटी और मृतका की चप्पलों के साथ ही पुलिस टीम ने वहां से साक्ष्य उठाने फोटोग्राफ लेने सहित अन्य जरूरी काररवाई पूरी की. तब तक बड़ी संख्या में मीडिय़ाकर्मी भी वहां जुट चुके थे और सोशल मीडिया के जरिए युवती की हत्या की खबर वायरल हो गई.

मृतका युवती की शिनाख्त धौलाभाटा कालोनी निवासी तृप्ति सोनी चौहान पत्नी सूरज चौहान के रूप में हो चुकी थी. स्कूटी की मालकिन ने बताया कि तृप्ति अपनी बेटी को उस के घर छोड़ कर कोई जरूरी काम बोल कर उस की स्कूटी ले गई थी. पुलिस ने मृतका टीचर के परिजनों को भी बुला कर बयान लिए पर वह भी घटना के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता सके.

पुलिस चौकी से चंद कदमों के फासले पर हुए इस हत्याकांड से शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान उठने लगे. एसपी चूना राम जाट ने हत्याकांड की जांच थाना अलवर गेट के एसएचओ श्याम सिंह चारण को सौंप दी.

अगले दिन आरोपी हुआ गिरफ्तार

अजमेर जैसी धार्मिक एवं शांत नगरी में सरेराह, दिनदहाड़े महिला टीचर की हत्या की जांच एसएचओ ने शुरू कर दी. उन्होंने अपने मुखबिरों को भी अलर्ट कर दिया. इस का सकारात्मक परिणाम भी निकला. उन्होंने आरोपी विवेक  सिंह उर्फ विवान को अगले ही दिन 17 मई, 2023 को शहर के बाहर स्थित पहाडिय़ों से गिरफ्तार कर लिया. जहां वह वारदात करने के बाद जा कर छिप गया था.

कातिल प्रेम पुजारी – भाग 2

प्रीति को मंहगा पड़ा पुजारी से प्रेम

भोपाल की छोला मंदिर पुलिस की पूछताछ में प्रीति की सनसनीखेज हत्या करने के पीछे की जो कहानी सामने आई ,वह एक शादीशुदा युवक के दूसरी शादीशुदा महिला से प्रेम संबंधों की कहानी थी.

भोपाल के भानपुर इलाके में छोला मंदिर की लीलाधर कालोनी निवासी 38 साल के मनोज शर्मा की शादी प्रीति से सन 2014 में हुई थी. 28 साल की प्रीति कटनी जिले की रहने वाली थी. दोनों की उम्र में 10 साल का अंतर था. दरअसल, प्रीति की कमर की हड्डी बाहर निकली (उभरी) हुई थी, इस वजह से उस का रिश्ता नहीं हो पा रहा था.

जब भी कोई रिश्ते की बात चलती तो प्रीति के परिवार से जलने वाले लोग उस के खिलाफ लडक़े वालों को भडक़ा देते. लोग अकसर यही कहते कि उस की कमर की हड्डी निकली हुई है, वह कभी मां नहीं बन पाएगी. कभी कहते कि वह पति को सुख नहीं दे पाएगी.

इस बीच प्रीति के लिए भोपाल के मनोज का रिश्ता आया. प्रीति में शारीरिक रुप से कमजोरी थी और मनोज की पहली पत्नी उसे छोड़ चुकी थी. दोनों ने अपनी कमियों के चलते इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया और 2014 में उन की शादी हो गई.

मनोज भोपाल में अपने बड़े भाई फूलचंद्र के साथ ही रहता था. जब शादी हुई तो प्रीति भी इस परिवार का हिस्सा बन गई. सब कुछ ठीक चल रहा था. इस बीच मनोज और प्रीति के 2 बच्चे भी हो गए. मनोज के घर उस की बुआ के बेटे के साले रामनिवास मिश्र का आनाजाना शुरू हुआ. रामनिवास दुर्गा मंदिर में पुजारी था. दोनों लगभग हमउम्र थे तो दोनों की ठीकठाक पटती थी.

देवरभाभी का रिश्ता होने की वजह से उन के बीच हंसीमजाक चलती रहती थी. मनोज ने कभी इस नजदीकी को प्रेम प्रसंग की दृष्टि से नहीं देखा, अलबत्ता यही सोचा कि रिश्तेदारी में हंसीठिठोली चलती रहती है. इसी बात का फायदा रामनिवास ने उठाया. मनोज की माली हालत भी इतनी अच्छी नहीं थी कि वह प्रीति को खुश रख पाता. प्रीति का मन भी अपने से उम्र में 10 साल बड़े मनोज से हट चुका था.

शादीशुदा रामनिवास मंदिर में पुजारी था, उस के मंदिर में रोज अच्छी खासी रकम चढ़ावे के रूप में आती थी, जिसे वह प्रीति पर लुटाने लगा था.

एक दिन दोपहर के वक्त मंदिर के पूजापाठ से लौट कर रामनिवास ने प्रीति के दरवाजे पर दस्तक दी तो प्रीति उस समय बाथरूम से नहा कर निकली थी. उस ने अंदर से आवाज देते हुए कहा, “कौन है? आ रही हूं.”

बाहर से कोई आवाज न मिली तो प्रीति समझ गई कि रामनिवास होगा. प्रीति ने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने प्रीति के रूप सैंदर्य को देख कर रामनिवास अपना आपा खो बैठा. प्रीति झीने गाउन में थी, जिस में से उस के उभार दिखाई दे रहे थे. उस के खुले हुए बाल और पहनावे ने प्रीति की खूबसूरती में चारचांद लगा दिए थे.

मनोज उस समय अपने काम पर निकल गया था और प्रीति के बच्चे स्कूल गए हुए थे. मौके की नजाकत देखते ही रामनिवास दिल की बात जुबां पर लाते हुए प्रीति से बोला, “भाभी, तुम तो गजब ढा रही हो, तुम्हें देख कर तो अच्छेअच्छों का ईमान डोल जाए.”

अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनते हुए प्रीति बोली, “इतनी खूबसूरत होती तो तुम्हारे भैया पलकों पर बिठाते मुझ को.”

“क्या कह रही हो भाभी, मुझे तो यकीन ही नहीं होता है कि मनोज भैया तुम्हारी खूबसूरती पर नहीं मरते. मेरा बस चले तो मैं इस जवानी पर अपना सब कुछ लुटा दूं.” रामनिवास प्रीति का हाथ अपने हाथों में लेते हुए बोला.

“बस एक तुम्हीं तो हो जो मेरी भावनाओं को समझते हो,” प्रीति प्यार से बोली.

रामनिवास ने प्रीति का रुख भांपते ही उसे बाहों में भर लिया और प्रीति के होठों पर अपने होंठ धर दिए. प्रीति के शरीर की तपिश से रामनिवास अपने आप पर काबू नहीं कर सका. उस ने प्रीति को गोद में उठाया और कमरे में पड़े पलंग पर लिटा दिया. वह एकएक कर के प्रीति के जिस्म के कपड़ों को हटाता गया. दोनों वासना के तूफान में गहरे तक बह गए. शारीरिक भूख जब शांत हुई तो अपनेअपने कपड़े ठीक करते हुए वो कमरे से बाहर निकले. इस के बाद जो दोनों के प्रेमालाप का यह सिलसिला शुरू हुआ तो वह लगातार चलता रहा.

पति ने नाता तोड़ा

मगर कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. दोनों के प्रेम संबंधों की भनक आखिरकार मनोज के कानों तक पहुंच ही गई. मनोज को आसपास रहने वाले किराएदारों और कुछ हितैषी पड़ोसियों ने बताया कि तुम्हारे घर से निकलते ही रामनिवास यहां अकसर आता रहता है. मनोज के एक मित्र ने मनोज को आगाह करते हुए कहा, “दोस्त, भाभी और रामनिवास को ले कर कालोनी में तरहतरह की चर्चाएं हो रही हैं, तुम्हें बहुत सावधान रहने की जरूरत है.”

अपनी पत्नी के प्रेम संबंधों की जानकारी लगते ही मनोज के मन में शंका पैदा हो गई. मनोज ने प्रीति को प्यार से समझाते हुए कहा, “प्रीति, तुम्हें पता है कि कालोनी में तुम्हारे और रामनिवास के बारे में किस तरह की बातें की जा रही हैं? रामनिवास का रोजरोज घर पर आना ठीक नहीं है.”

इतना सुनते ही प्रीति आवेश में आ गई और पति को उलाहना देते हुए बोली, “तुम मुझ पर बेवजह शक कर रहे हो. रामनिवास तुम्हारी बुआ का लडक़ा है, आखिर उसे घर आने से तुम क्यों नहीं रोकते.”

मनोज ने रामनिवास को भी समझाने की कोशिश की तो उस ने मनोज को यही भरोसा दिलाया कि पड़ोसियों ने प्रीति को नीचा दिखाने के लिए झूठ में ही यह कहानी गढ़ ली, उन के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है.

रामनिवास और प्रीति के अंतरंग संबंधों ने अब मनोज और उस की पत्नी के बीच के विश्वास की डोर को तोड़ दिया था. इस बात को ले कर अकसर दोनों के बीच झगड़ा होने लगा. जब प्रीति दूसरी बार प्रेग्नेंट हुई तो प्रीति ने चहकते हुए मनोज को बताया, “मैं फिर से मां बनने वाली हूं.”

मगर मनोज के चेहरे पर कोई खुशी नहीं झलकी. मनोज ने प्रीति पर लांछन लगाते हुए कहा, “तुम्हारे पेट में जो बच्चा पल रहा है, वह मेरा खून नहीं है. यह बच्चा रामनिवास के पाप की निशानी है.”

प्रीति ने भी मनोज को खरीखोटी सुनाते हुए साफ कह दिया, “तुम्हें यकीन न हो तो डीएनए टेस्ट करवा लो, अगर ये बच्चा तुम्हारा नहीं हुआ तो मुझे जो चाहे सजा देना.”

पतिपत्नी के बीच के संबंध इस कदर दरक चुके थे कि जब प्रीति का सातवां महीना चल रहा था, तभी एक दिन मनोज और प्रीति के बीच झगड़ा हो गया और मनोज ने प्रीति को घर से निकाल दिया. प्रीति मायके पहुंच गई. प्रीति के घरवालों ने मनोज को समझाने का बहुत प्रयास किया, मगर मनोज प्रीति को अपनाने को कतई तैयार नहीं हुआ.

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या – भाग 1

26 जुलाई, 2023 को कोई 3 बजे का वक्त रहा होगा. मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में नाईट कल्चर लागू होने से हर रोज की भांति अधिकांश दुकानें खुली हुई थीं. रात का अंतिम पहर होने के बावजूद भी सड़क पर युवकयुवतियां एकदूसरे के हाथ थामे सड़क पर चहल कदमी कर रहे थे. वहीं सड़क पर दोपहिया व चार पहिया वाहन भी इधरउधर आजा रहे थे.

उसी दौरान इंदौर के लोटस चौराहे से एक कार नंबर एमपी09 सीएस 7613 तेजी से गुजरी. उसी चौराहे के पास ही वहां पर पहले से ही एक स्कूटी खड़ी हुई थी. उस स्कूटी पर एकदो नहीं नही बल्कि पूरे 4 लोग बैठे हुए थे. जिन में 3 युवक और एक युवती थी. युवती सब से पीछे बैठी हुई थी. उस समय उस के हाथ में सिगरेट थी. जिस को वह बारबार होंठो पर लगा कर उस से धुएं का छल्ला बना रही थी.

उस युवैती को इस हालत में देख कर अचानक कार उस एक्टिवा के पास रुकी. फिर कार में बैठे युवक ने युवती को कुछ कहा और फिर पल भर में ही उस कार ने आगे की ओर स्पीड पकड़ ली थी. उस कार को वहां से गुजरते ही युवती ने अगली सीट पर बैठे युवक को स्कूटी चलाने का इशार किया. फिर वह स्कूटी उस कार के पीछे लग गई.

देखते ही देखते स्कूटी ने तेज रफ्तार पकड़ ली. काफी देर पीछा करने के बाद मैरियट होटल के पास पहुंचने से पहले ही स्कूटी चालक ने इशारा कर कार को रुकवा लिया था. कार रुकते ही जैसे उस कार का शीश डाउन हुआ, तभी स्कूटी पर सवार युवती उतरी और कार की ओर बढ़ गई. तभी कार में बैठे एक युवक ने युवती की तरफ हाथ बढ़ाया. युवती ने भी बड़ी ही गर्म जोशी से उस युवक से हाथ मिलाया.

तभी युवती के साथ आया एक युवक बहुत ही फुरती से कार के पास आया. कार के पास आते ही उसने कार चालक रचित पर चाकू से हमला बोल दिया. उस के हमले से कार ड्राइवर रचित तो जैसेतैसे बच गया, लेकिन पिछली सीट पर बैठा मोनू इस से पहले कुछ समझ पाता युवक का चाकू उस के सीने में जा धंसा.

चाकू का वार होते ही मोनू की जोरदार चीख निकली. उस की चीख सुनते ही चारों लोग स्कूटी से फरार हो गए. इस घटना के घटते ही वहां पर मौजूद लोग नजर बचा कर इधरउधर हो गए थे. चाकू मोनू के दिल के पास जा कर लगा था. उस की हालत को देखते हुए. उसके साथियों ने उसे फौरन ही अस्पताल में भरती कराया. जहां पर इलाज के दौरान ही उस की मौत हो गई.

मोनू मर्डर केस की जानकारी पुलिस को दी गई. इस तरह से खुलेआम सड़क पर हत्या होने की बात सुनते ही पुलिस प्रशासन में तहलका मच गया. घटना की सूचना पाते ही विजय नगर थाने के टीआई रविंद्र सिंह गुर्जर पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और मौके का जायजा लिया. उसके बाद टीआई रविंद्र सिंह ने इस की सूचना इंदौर डीसीपी अभिषेक आनन्द व इंदौर पुलिस कमिश्नर मकरंद देवास्कर को दी. पुलिस ने इस घटना के चश्मदीद गबाह टीटू,रचित और हर्ष से पूछताछ की.

पुलिस पूछताछ में मृतक मोनू के दोस्त विशाल ने पुलिस को जानकारी दी कि मंगलवार की रात में मोनू, रचित उर्फ टीटू और हर्ष रचित की कार से उज्जैन के लिए निकले थे. लोटस चैराहे पर पहुंचते ही एक स्कूटी ने उन का पीछा करना आरंभ किया. साया जी होटल के पास पहुंचतेपहुंचते उस स्कूटी सवार ने उन की कार के आगे स्कूटी लगा कर कार रोकने पर मजबूर कर दिया.

कार रुकते ही जैसे ही कार के शीशे डाउन हुए, स्कूटी पर उसे तान्या बैठी दिखाई दी. मैं तान्या को पहले से ही जानता था. उस के बाद तान्या ने उस से हाथ भी मिलाया. तभी तान्या के साथ आए अन्य लोगों ने कार में बैठे रचित पर चाकू से हमला बोल दिया. उस हमले में रचित तो बच गया ,लेकिन वह चाकू मोनू के सीने में जा कर लगा.

उस के बाद सभी आरोपी स्कूटी द्वारा वहां से फरार हो गए. पुलिस पूछताछ में विशाल ने बताया कि इस केस की मुख्य आरोपी तान्या है. तान्या ही अपने साथ अपने दोस्तों शोभित ठाकुर, छोटू उर्फ तन्मय तथा ऋतिक के साथ घटना को अंजाम देने के लिए पहुंची थी.

जेल से रिमांड पर लिया तान्या को

यह सब जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मृतक मोनू की लाश का पंचनामा भरने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजवा दी. इस केस के आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने 2 टीमें गठित कीं. पुलिस टीमों ने आरोपियों की धड़पकड़ का अभियान शुरू किया. चारों आरोपी बिना नंबर की स्कूटी पर सवार हो कर घटना को अंजाम देने के लिए आए थे.

पुलिस ने सब से पहले घटना स्थल के आसपास लगे. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, उन से चारों आरोपियों की पहचान हो गई थी. उसी पहचान के आधार पर पुलिस ने आरोपियों की धरपकड़  शुरू की. पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल नंबरों को सर्विलौंस पर लगा कर उन की लोकेशन के आधार पर उन के पास पहुंचने की कोशिश की.

इस हत्याकांड की मुख्य आरोपी तान्या जिला धार के बागटांडा के गांव बरोड़ की रहने वाली थी. पुलिस ने कई बार उसके मोबाइल पर संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन हर बार ही उसका मोबाइल बंद मिला. उस के बाद एक पुलिस टीम उस की गिरफ्तारी के लिए बरोड़ के लिए निकल गई. पुलिस टीम उसके घर पहुंच भी नहीं पाई थी कि तभी जानकारी मिली कि तान्या ने कोर्ट के माध्यम से खुद को सरेंडर कर दिया था.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम आधे रास्ते से ही वापिस आ गई. कोर्ट में सरेंडर करने के बाद तान्या ने अपने अन्य साथियों को भी फोन कर सरेंडर करने को कहा था. इस के बावजूद भी तीनों आरोपी फरार हो गए.

तान्या के सरेंडर करने की सूचना पाते ही पुलिस टीम कोर्ट पहुंची. पुलिस ने वहां से उसे रिमांड पर लिया और फिर उसे साथ ले कर थाने लौट आई. पुलिस ने उस से इस हत्याकांड के मामले में विस्तार से जानकारी ली.

तान्या ने पुलिस को बताया कि वह रचित को बहुत पहले से जानती है. उस के साथ काफी समय तक लव भी चला, लेकिन रचित बीच में उसे धोखा दे कर उस से अलग हो गया. जिस के कारण वह उस से नफरत करने लगी थी. वह अपने साथियों के साथ मिल कर उसे सबक सिखाना चाहती थी, लेकिन गलती से चाकू  मोनू को लग गया. जिस के कारण ही उस की मौत हो गई.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री

चाहत का कहर : माशूका की खातिर – भाग 1

मैनपुरी के मोहल्ला हिंदपुरम की रहने वाली कुसुमा पूरे मोहल्ले की भाभी थी. ज्यादातर लड़के उस  की गदराई जवानी के दीवाने थे. वे उस के घर के चक्कर लगाते रहते थे. कुसुमा घर पर 2 बच्चों के साथ रहती थी, जबकि उस का पति मुकेश दिल्ली में रहता था. वह 2-3 महीने में 1-2 दिनों के लिए ही घर आता था. पति से दूर रहना कुसुमा को अच्छा नहीं लगता था. वह पति के साथ दिल्ली में रहना चाहती थी.

लेकिन मुकेश की इतनी तनख्वाह नहीं थी कि वह बीवीबच्चों को साथ रख सकता. वह 2-3 महीने में 1-2 दिनों के लिए पत्नी और बच्चों से मिलने घर आ जाता था. कुसुमा जवान थी. उस की भी कुछ हसरतें थीं. लेकिन मुकेश उस तरफ ध्यान नहीं देता था. नतीजतन कुसुमा का झुकाव मोहल्ले के लड़कों की ओर होने लगा.

उन्हीं लड़कों में एक रामू था, जो कुसुमा के घर से तीसरे नंबर के मकान में रहता था. रामू के पिता फूल सिंह की मौत हो चुकी थी. उस के 4 भाई और 2 बहनें थीं. पिता की मौत के बाद मां शांति ने जैसेतैसे घरपरिवार संभाला था. 19 साल का रामू कुसुमा का ऐसा दीवाना हुआ था कि जब देखो, तब उस के घर के चक्कर लगाता रहता था.

शांति को जब इस बात का पता चला तो उस ने रामू को समझाया, ‘‘बेटा, कुसुमा अच्छी औरत नहीं है, इसलिए उस के यहां ज्यादा आनाजाना ठीक नहीं है.’’

मगर रामू कुसुमा के आकर्षण में इस कदर बंधा था कि उसे उस के अलावा कुछ अच्छा ही नहीं लगता था. इसीलिए उस ने मां की बात एक कान से सुनी और दूसरे से निकाल दी.

कुसुमा चालू किस्म की औरत थी. रामू उम्र के उस पड़ाव पर था, जहां से फिसलने में देर नहीं लगती. कुसुमा और रामू की जरूरत एक ही थी, इसलिए उन के बीच नजदीकियां और अपनापन बढ़ने लगा. एक शाम कुसुमा के दरवाजे पर दस्तक हुई तो उस ने दरवाजा खोला. सामने रामू खड़ा था.

उसे देखते ही वह चौंक कर बोली, ‘‘रामू…तुम. आओ, अंदर आ जाओ.’’

रामू अंदर आ गया. उस के हाथ में एक पैकेट था. कुसुमा रसोई में जा कर चाय बना लाई. रामू चाय पीने लगा तो कुसुमा ने कहा, ‘‘पैकेट में क्या है?’’

‘‘खुद ही देख लो.’’ रामू ने शरमाते हुए कहा.

कुसुमा ने पैकेट खोला तो उस में साड़ी दिखी. वह बोली, ‘‘रामू, साड़ी बहुत अच्छी है. अपनी मां के लिए लाए हो क्या?’’

‘‘तुम भी भाभी, कैसी बातें करती हो? क्या मैं तुम्हारे लिए एक साड़ी भी नहीं ला सकता? मुझे दुकान पर पसंद आ गई तो मैं ने तुहारे लिए खरीद ली. तुम पहनोगी न?’’

‘‘हां…हां, क्यों नहीं. जब तुम इतने प्यार से लाए हो तो जरूर पहनूंगी. लो अभी पहन कर दिखाती हूं.’’ कह कर कुसुमा साड़ी ले कर अंदर चली गई. रामू इस बात से खुश हो रहा था कि कुसुमा ने उस के द्वारा दी गई पहली चीज स्वीकार कर ली. कुछ ही देर में कुसुमा वह साड़ी पहन कर आई तो रामू उसे देखते हुए बोला, ‘‘भाभी इस साड़ी में तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही हो. इसे तुम मेरे प्यार का पहला तोहफा समझो.’’

‘‘प्यार का तोहफा? यह तुम क्या कह रहे हो?’’ कुसुमा बोली.

‘‘हां भाभी, सचमुच रातदिन तुम मेरे जेहन में बसी रहती हो. जब मैं काम पर होता हूं, तब भी तुम्हारे ही बारे में सोचता रहता हूं.’’

चाहती उसे कुसुमा भी थी, लेकिन वह इजहार के लिए रामू की तरह बेचैन नहीं थी. इसलिए रामू की बातें सुन कर कुछ पल के लिए वह चुपचाप उसे देखती रही. रामू का मन कर रहा था कि वह कुसुमा को बांहों में भर कर अपनी मोहब्बत का इजहार कर दे, लेकिन ऐसा करने की उस की हिम्मत नहीं हो रही थी. तभी कुसुमा ने रामू के पास आ कर रामू की बातों को टटोलते हुए कहा, ‘‘क्या तुम सचमुच मुझ से प्यार करते हो?’’

‘‘हां, करता हूं. चाहो तो मेरे दिल की आवाज खुद सुन लो.’’ रामू चहक कर बोला.

‘‘मुझे छोड़ कर भाग तो नहीं जाओगे?’’

‘‘कभी नहीं. अपनी जान दे सकता हूं, लेकिन तुम्हें छोड़ नहीं सकता. यह मेरा वादा है.’’

‘‘तो ठीक है, आज रात को आ जाना. फुरसत में बातें करेंगे. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’ कुसुमा ने कहा.

कुसुमा के इस प्रस्ताव से रामू का दिल खुशी से उछल पड़ा. वह रात को आने का वादा कर के चला गया. कुसुमा के घर से जाने के बाद रामू का मन किसी काम में नहीं लग रहा था. वह बस यही सोच रहा था कि जल्द से जल्द दिन ढल कर अंधेरा हो जाए, जिस से वह कुसुमा के साथ मौजमस्ती करे.

कहते हैं, इंतजार के पल लंबे हो जाते हैं. यही हाल राजू का भी हो रहा था. वह अंधेरा होने का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था. खैर, रोजाना की तरह उस दिन भी शाम हुई, लेकिन वह दिन रामू के लिए बहुत बड़ा हो गया था.

शाम का खाना खाने के बाद रामू कुछ देर तक इधरउधर घूमता रहा. उस के बाद मौका देख कर कुसुमा के घर में घुस गया. कुसुमा ने खाना खिला कर बच्चों को पहले ही सुला दिया था. जैसे ही रामू ने उस के दरवाजे पर दस्तक दी, कुसुमा ने दरवाजा खोल दिया. रामू को देख कर मुसकराते हुए बोली, ‘‘टाइम के बड़े पाबंद हो. अंदर आ जाओ.’’

‘‘भाभी हम वादा कर के मुकरने वालों में में नहीं हैं.’’ रामू ने अंदर आते हुए कहा.

कुसुमा ने कुंडी बंद कर दी. रामू उस के बेड पर जा कर बैठ गया. कुसुमा उस के पास बैठ गई और उस का हाथ दोनों हाथों में ले कर बोली, ‘‘रामू, अब तुम मुझे भाभी नहीं कहोगे. आज से तुम मेरा नाम ले पुकारोगे.’’

किसी महिला ने रामू का हाथ पहली बार थामा था. इसलिए उस का शरीर सिहर उठा. दोनों के बीच अब किसी तरह की रोकटोक नहीं थी, इसलिए रामू ने कुसुमा के गालों पर होंठ रखते हुए कहा, ‘‘ठीक है, आज से तुम्हें जो अच्छा लगेगा, वही कहूंगा.’’

इस के बाद दोनों एकदूसरे के बदन से खेलने लगे. रामू ने पहली बार इस सुख का अनुभव किया था, इसलिए उसे बहुत अच्छा लगा. लेकिन घर पहुंच कर रामू को लगा कि कुसुमा के साथ संबंध बना कर उस ने अच्छा नहीं किया. अपराधबोध की वजह से उस ने कुसुमा के घर की ओर जाना ही बंद कर दिया. शायद रामू यह नहीं जानता था कि जिस दलदल में उस ने कदम रख दिया है, वहां से निकलना आसान नहीं है.

3-4 दिनों बाद कुसुमा ने ही रामू को फोन किया, ‘‘रामू, कई दिन हो गए तुम दिखाई नहीं दिए, क्या कहीं बाहर चले गए हो क्या?’’

‘‘नहीं, मैं तो घर में ही हूं.’’

‘‘तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?’’

‘‘हां.’’

‘‘बातें तो तुम बड़ी लंबीचौड़ी कर रहे थे. कहां गई तुम्हारी वह मर्दानगी? तुम इसी समय आ जाओ, तुम से एक जरूरी बात करनी है.

न चाहते हुए भी रामू कुसुमा के घर पहुंच गया. और फिर वही सब हुआ, जो कुसुमा चाहती थी. इस के बाद कुसुमा का जब भी मन होता, रामू को फोन कर के बुला लेती और अपने मन की करती. इस तरह रामू उस के हाथ की कठपुतली बन कर रह गया. रामू दिन में तो घर से गायब रहता ही था, कुसुमा के पास आनेजाने की वजह से रात में भी गायब रहने लगा. शांति ने जब बेटे के घर से गायब रहने की वजह का पता किया तो उन्हें पता चलते देर नहीं लगी कि उस का बेटा कुसुमा के जाल में फंस गया है.