कातिल प्रेम पुजारी – भाग 1

5 अगस्त, 2023 के दोपहर के करीब साढ़े 12 बजे का वक्त था. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के छोला मंदिर इलाके की लीलाधर कालोनी में रहने वाले लोग अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे, तभी किसी महिला की चीखपुकार की आवाज सुनते ही आसपास रहने वाले लोगों का ध्यान उस तरफ गया. अफरातफरी के बीच में कुछ लोग एक मकान की तरफ बढ़े.

इसी बीच महिला की चीखों की आवाज सुन कर आसपास के दूसरे मकानों में रहने वाले किराएदार भी आ गए. महिला के चीखनेचिल्लाने की आवाज एक मकान की ऊपरी मंजिल से आ  रही थी. लिहाजा लोग बाहर की सीढिय़ों के सहारे छत पर पहुंच गए और उस घर के दरवाजे को बाहर से पीटने लगे.

कुछ ही देर बाद जैसे ही दरवाजा खुला तो 2 नकाबपोश महिलाओं ने चाकू दिखाते हुए रौबदार आवाज में कहा, “खबरदार कोई आगे आया तो जान से मार देंगे.”

एक महिला के हाथ में खून से सना चाकू देखते ही वहां मौजूद लोग दहशत में आ गए और उन्हें रास्ता देते हुए दरवाजे से हट गए. मौका देखते ही दोनों नकाबपोश महिलाएं चाकू लहरा कर फरार हो गईं. कुछ लोग उन दोनों महिलाओं के पीछेपीछे दौड़े, मगर तब तक वे नजरों से ओझल हो गईं. कुछ लोगों ने घर के अंदर जा कर देखा तो उन की आंखें फटी की फटी रह गईं.

घर के अंदर करीब 28-30 साल की महिला लहूलुहान पड़ी हुई थी, उस का नाम प्रीति शर्मा था. उस के पास ही एक साल का बच्चा जोरजोर से रो रहा था. कमरे में पहुंची एक बुजुर्ग महिला बच्चे को अपनी गोद में ले कर चुप कराने का प्रयास करने लगी.

प्रीति शर्मा के पूरे शरीर पर जगहजगह गहरे घाव के निशान थे. पूरा कमरा खून से लाल हो गया था. घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई. आसपास रहने वाले लोगों ने मनोज और उस के बड़े भाई फूलचंद को घटना की सूचना दी तो दोनों ही घर पहुंच गए. घर का नजारा देख कर उन के होश उड़ गए.

मनोज के बड़े भाई फूलचंद ने छोला मंदिर थाने में फोन कर के सूचना दी तो थाना इंचार्ज उदयभान सिंह भदौरिया तत्काल ही दलबल के साथ लीलाधर कालोनी के उस मकान में पहुंच गए, जहां महिला की बेरहमी से हत्या की गई थी.

प्रीति गंभीर अवस्था में बिस्तर पर पड़ी हुई थी. उस के पूरे शरीर पर चाकू से गोदने के निशान थे. खून के छींटों से पूरे कमरे की दीवारें रंगी थीं. गद्ïदा खून से पूरा भीग चुका था. जमीन पर एक टूटा चाकू पड़ा हुआ था. प्रीति को तत्काल पीपुल्स अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

छोला मंदिर थाना पुलिस ने आसपास रहने वाले लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि प्रीति अपने पति मनोज शर्मा और अपने 3 बच्चों के साथ रहती थी. प्रीति का पति मनोज चौक बाजार में एक ज्वैलर्स की दुकान पर काम करता है.

2 बच्चे सुबह स्कूल चले गए थे और पति चौक बाजार अपनी दुकान पर काम के लिए चला गया था. प्रीति दोपहर में अपने घर के काम निपटा रही थी, उसी समय सलवारसूट पहन कर आई 2 महिलाओं ने घर के अंदर घुस कर दरवाजा बंद कर लिया और प्रीति कुछ समझ पाती कि दोनों ने प्रीति पर चाकुओं से हमला कर दिया.

घटनास्थल पर प्रीति के मकान में किराए पर रहने वाले लोगों ने बताया कि 2 महिलाएं सलवारसूट पहने मकान में आती दिखाई दी थीं. उन्होंने काला चश्मा, नकाब, हाथों में ग्लव्स और नीले जूते पहने थे. जब वो गेट के पास आईं तो लोगों को लगा कि कोई परिचित होंगी, लेकिन पलभर में वो बाउंड्री के अंदर आ गईं और सीढिय़ों पर चढ़ते हुए ऊपर छत पर पहुंच गईं. अंदर घुसते ही उन्होंने गेट अंदर से बंद कर लिया, तभी अचानक ऊपर से जोरजोर से चीखने की आवाज आने लगी.

घटना के करीब एक साल पहले तक मनोज शिवनगर में अपने बड़े भाई के मकान के एक हिस्से में रहता था. बाद में भाई की मदद से लीलाधर कालोनी में उस का मकान बन गया, जिस में नीचे 6 किराएदार रहते थे और ऊपर की मंजिल पर मनोज अपनी पत्नी प्रीति और तीनों बच्चों के साथ रहता था. मनोज के 8 साल और 3 साल के 2 बेटे घटना के समय स्कूल गए हुए थे.

हत्यारे की दाढ़ी और सिर पर लंबी चोटी से हुई पहचान

प्रीति पर चाकू से हमला करने के बाद जब रेनकोट पहने हुए दोनों महिलाएं भाग रही थीं, तभी एक किराएदार दीपेश ने सलवार सूट पहने हमलावार के पीछे भागने की कोशिश की, तभी उस ने देखा था कि उन में से एक हमलावर का हलका सा नकाब हटा तो देखा कि वो महिला नहीं पुरुष है और उस के चेहरे पर घनी दाढ़ी, सिर के पीछे लंबी सी चोटी है. दीपेश इतना देख ही पाया था कि चाकू दिखाते हुए भाग गया. पुलिस की पड़ताल ने यहीं से नया मोड़ ले लिया.

पुलिस की पूछताछ में लोगों ने हत्यारे की जो पहचान बताई, वो सुनने के बाद प्रीति के पति मनोज शर्मा का माथा ठनका और उस ने टीआई भदौरिया से कहा, “सर, हत्यारा रामनिवास मिश्रा हो सकता है.”

“यह रामनिवास कौन है?” टीआई उदयभान सिंह भदौरिया ने मनोज से पूछा.

“सर, रामनिवास हमारा रिश्तेदार है, वो मेरी बुआ के लडक़े का साला है. यहीं शीतला माता मंदिर के पास रहता है और दुर्गा माता मंदिर का पुजारी है. वही दाढ़ीमूंछ रखता है और उस के सिर पर लंबी चोटी भी है और उस के बाल भी बड़े हैं.”

“लेकिन वो क्यों प्रीति की हत्या करेगा, साफसाफ बताओ. उस के साथ प्रीति का कोई चक्कर तो नहीं था,” टीआई बोले.

“सर, जब मैं घर पर नहीं होता था, तभी अकसर वह मेरे घर आया करता था. ऐसा मुझे मेरे किराएदार बताया करते थे. मैं तो सुबह बच्चों को स्कूल छोड़ कर काम पर चला जाता था. हमारे जाने के बाद घर में केवल एक साल का बेटा और प्रीति ही रहते थे.” मनोज ने खुलासा करते हुए कहा.

आटो वाले से मिला सुराग

पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो घटना के समय एक आटो में 2 नकाबपोश रेनकोट पहने नजर आए. सीसीटीवी में आटो घर के बगल वाली गली में आता हुआ दिखाई दिया. इस के बाद नकाब पहने ये दोनों हमलावर प्रीति के घर की तरफ जाते और फिर भाग कर आते दिखाई दिए. पुलिस ने आटो का नंबर ट्रेस किया और उसे खोज निकाला. पता चला कि आटोवाला चंदन नाम का युवक था.

चंदन ने पूछताछ में पुलिस को बताया, “सर, मैं एक स्टूडेंट हूं, खर्च चलाने के लिए आटो भी चलाता हूं. पुजारी रामनिवास से मेरी पहचान मंदिर में हुई थी. उन को कहीं भी जाना होता था तो मुझे ही बुलाते थे. 5 अगस्त की सुबह करीब 10-11 बजे रामनिवास ने मुझे फोन कर कहा कि लीलाधर कालोनी तक चलना है. आटो ले कर आ जाओ.

“जब मैं आटोरिक्शा ले कर उन के घर गया तो दोनों पतिपत्नी बाहर निकले. दोनों ने रेनकोट पहन रखा था. मैं ने ध्यान नहीं दिया. मैं दोनों को लीलाधर कालोनी ले कर आया. उन्होंने लीलाधर कालोनी के एक घर से थोड़ी दूरी पर पीछे की साइड आटो रुकवा दिया और कहा कि हम 5 मिनट में आते हैं. इस के बाद करीब 10-15 मिनट बाद वो आए तो मैं ने देखा कि उन के हाथों और कपड़ों पर खून लगा था. मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि कुछ लड़ाई झगड़ा हो गया है. इस के बाद मैं ने उन्हें उन के घर छोड़ दिया था.”

चंदन के इतना बताते ही पुलिस समझ गई कि ये हत्या रामनिवास और उस की पत्नी ने ही की है. इस आधार पर पुलिस ने रामनिवास मिश्रा की तलाश शुरू कर दी. 7 अगस्त को रामनिवास का फोन नंबर निकाल कर उस की लोकेशन ट्रेस की तो रामनिवास न्यू मार्केट के आसपास था. कई घंटे उस की तलाश की. इस दौरान रामनिवास ने दाढ़ी और मूंछ मुंडा ली थी. यही कारण था कि पुलिस और उस के मुखबिर भी उसे पहचान नहीं पा रहे थे.

आखिरकार शाम होतेहोते पुलिस ने उसे पकड़ लिया. उस के चेहरे पर नाखून के निशान थे. पुलिस ने उस से पूछा तो उस ने अपना नामपता गलत बताया. पुलिस उसे ले कर आई और पूछताछ करने लगी तो काफी देर तक वो पुलिस को छकाता रहा.

इस के बाद पुलिस ने रामनिवास का मोबाइल खंगाला तो पता चला कि किसी चंदन नाम के शख्स के उस के पास हत्या की वारदात से पहले और बाद में फोन आए थे. वो हत्या करने से साफ मना करता रहा. जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उस ने पत्नी के साथ मिल कर प्रीति शर्मा की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया. इस के बाद पुलिस ने रामनिवास की पत्नी शालिनी को भी गिरफ्तार कर लिया.

प्यार की वो आखिरी रात – भाग 1

कानपुर शहर का नवाबगंज मोहल्ला कई मायनों में अपनी पहचान बनाए हुए है. एक तो यह पुराना कानपुर के नाम से जाना जाता है. दूसरे गंगा नदी पर बना गंगा बैराज अपनी अद्भुत छटा बिखेरता है. अटल घाट पर बैठ कर लोग कलकल बहती गंगा की लहरों का लुत्फ उठाते हैं. नौका विहार का आनंद भी लेते हैं.

सैकड़ों की संख्या में यहां लोग रोजाना आते हैं. नवाबगंज का जागेश्वर मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है. यहां हर साल सावन के अंितम सोमवार को दंगल का आयोजन किया जाता है, जिस में पुरुष और महिला पहलवान भाग लेते हैं. दंगल को देखने भारी भीड़ उमड़ती है.

इसी जागेश्वर मंदिर के ठीक सामने ओम प्रकाश सैनी अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सरला के अलावा 3 बेटियां थीं. ओमप्रकाश सैनी फूलों का व्यवसाय करते थे. उन की पत्नी सरला जागेश्वर मंदिर परिसर में फूल बेचने का काम करती थी. पतिपत्नी मिल कर इतना कमा लेते थे, जिस से परिवार का खर्च मजे से चलता था. बड़ी बेटी कुसुम जवान हुई तो उन्होंने उस का विवाह संतोष के साथ कर चुके थे.

मंझली बेटी बरखा थी. वह अपनी अन्य बहनों से ज्यादा खूबसूरत थी. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उस की खूबसूरती में और निखार आ गया था. हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद वह आगे भी पढऩा चाहती थी, लेकिन सरला ने उस की पढ़ाई बंद करा दी और घरेलू काम में लगा दिया. बरखा बनसंवर कर मंदिर परिसर स्थित फूलों की दुकान पर अपनी मां के साथ बैठती तो अनेक युवकों की निगाहें उसे घूरतीं. चंचलचपल बरखा किसी को अपने पास नहीं फटकने देती थी.

बरखा के जवान होने पर वह उस के लिए उचित लडक़े की तलाश में जुट गए. उन्होंने परिचय के साथ बरखा का नाम सैनी समाज के सामूहिक विवाह रजिस्टर में भी दर्ज करा दिया. लंबी भागदौड़ के बाद उन की तलाश कृष्णकांत पर जा कर खत्म हुई.

बरखा ने सुहागरात को ही फेल कर दिया था पति

कृष्णकांत के पिता रामकुमार सैनी कानपुर शहर के यशोदा नगर मोहल्ले में रहते थे. सैनिक चौराहे पर उन का निजी मकान था. वैसे वह मूल निवासी सकरापुर (बिधनू) के थे. वहां उन का पुश्तैनी मकान और कुछ खेती की जमीन है. रामकुमार के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा एक बेटी शिखा तथा बेटा कृष्णकांत था. शिखा की वह शादी कर चुके थे, जबकि कृष्णकांत अभी कुंवारा था. कृष्णकांत इलैक्ट्रिशियन था. वह क्षेत्र की एक दुकान पर काम करता था.

ओमप्रकाश सैनी ने जब कृष्णकांत को देखा तो वह उस के आचारविचार से प्रभावित हुए. अच्छा घरवर देख कर ओमप्रकाश ने अपनी बेटी बरखा का रिश्ता उस के साथ तय कर दिया. फिर 22 दिसंबर, 2009 को बरखा का विवाह कृष्णकांत सैनी के साथ धूमधाम से कर दिया.

शादी के बाद बरखा कृष्णकांत की दुलहन बन कर ससुराल आई तो उस ने अपने बात व्यवहार से पति और सासससुर का दिल जीत लिया. सुंदर व सुशील बहू पा कर जहां सासससुर खुश थे. सब खुश थे, लेकिन बरखा खुश नहीं थी. उस ने जिस सजीले पति को सपने में संजोया था, कृष्णकांत वैसा नहीं था. वह साधारण रंगरूप वाला, दुबलापतला तथा कम बोलने वाला इंसान था. बरखा ने सुहागरात में ही जान लिया था कि उस का पति पौरुषहीन है. उसे सदैव शारीरिक सुख के लिए तड़पना पड़ेगा.

दिन बीतते रहे. लगभग डेढ़ साल बाद बरखा ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस के जन्म से घर की खुशियां और बढ़ गईं. मयंक के जन्म से रामकुमार व उन की पत्नी भी गदगद थी. उन्होंने इस खुशी को साझा करने के लिए सैनी समाज के लोगों को भोज कराया.

बरखा को घर में वैसे तो सब सुख था, लेकिन पति सुख से वंचित रहती थी. कृष्णकांत सुबह 9 बजे घर से निकलता, फिर रात 9 बजे ही घर आता. वह कभी शराब के नशे में धुत हो कर घर लौटता तो कभी बेहद थकाहारा. कभी खाना खाता तो कभी बिना खाए ही चारपाई पर पसर जाता. बरखा रात भर करवटें बदलती रहती और गीली लकड़ी की तरह सुलगती रहती. वह हर रात अरमानों को खाक करती और भाग्य को कोसती. इसी तरह समय बीतता रहा.

पति के दोस्त पर जम गई निगाह

कृष्णकांत का एक दोस्त था दीपक गुप्ता. उस के घर से 4 घर छोड़ कर वह रहता था. दीपक के पिता विमल गुप्ता की घर के बाहर पान की दुकान थी. कृष्णकांत भी उस की दुकान पर पान मसाला खाने जाता था. दुकान पर ही कृष्णकांत की उस की दोस्ती दीपक गुप्ता से हुई थी. समय के साथ उन की दोस्ती गहरी हुई तो दीपक का उस के घर आनाजाना शुरू हो गया. दीपक गुप्ता ई रिक्शा चलाता था. उस की कमाई अच्छी थी. वह बनसंवर कर रहता था.

चूंकि दीपक कृष्णकांत का दोस्त था, इसलिए घर के कामों के लिए वह ज्यादातर उसे ही भेजता था. घर के कामों के साथसाथ दीपक बरखा के छोटेमोटे निजी काम भी कर दिया करता था. दीपक बरखा की हमउम्र था. इसी आनेजाने में ही दीपक की नजरें बरखा के गदराए यौवन पर जम गईं.

फिर तो जब भी उसे मौका मिलता, वह बरखा से ऐसा मजाक करता कि वह शर्म से लाल हो उठती. औरतों को मर्दों की नजरें पहचानने में देर नहीं लगती. बरखा ने भी दीपक की नजरों से उस का इरादा भांप लिया था. बरखा प्यासी औरत थी. इसलिए उस ने दीपक की मजाक का कोई विरोध नहीं किया.

बरखा हसीन तितली थी. होंठों पर हमेशा लुभावनी मुसकान सजाए रखना उस का शगल था. उस का मस्त यौवन और उस की कटीली अदाएं दीपक के दिल पर छुरियां चलाती थीं. चूंकि दोस्ती व मोहल्ले के नाते बरखा दीपक की भाभी थी, अत: उन के बीच कुछ ज्यादा ही हंसीमजाक हो जाता था.

बरखा ने जब से घर की जिम्मेदारी संभाली थी, तब से राजकुमार व उन की पत्नी बहू से बेफिक्र हो गए थे. वह घर का भार बहू को सौंप कर अपने पैतृक गांव सकरापुर रहने लगे. वे कभीकभार ही बेटेबहू के पास आते थे, और कुछ दिन रुक कर फिर वापस चले जाते थे. सासससुर के न रहने से बरखा एकदम आजाद हो गई थी. उसे रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था.

प्रेमिका को गोली मार की खुदकुशी – भाग 1

दोपहर के 2 बजे का समय हो रहा था. आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़ के जमसर गांव में स्थित रौयल स्टार ढावा एंड फैमिली रेस्टोरेंट पर एक युवक अपनी गर्लफ्रैंड को ले कर बाइक से पहुंचा. पिछले दिनों होली का त्यौहार होने के कारण रेस्टोरेंट में स्टाफ भी कम था, इसलिए होटल संचालक मनीष ने युवक को साफसाफ बता दिया था कि स्टाफ कम होने की वजह से आज खाना नहीं मिल सकेगा. इस पर युवक ने 2 चाय व साथ में कुछ खाने का आर्डर दिया. तब तक रेस्टोरेंट के भीतर स्थित केबिन में बैठे वे दोनों बातें करने लगे.

इधर मनीष चाय बनाने के लिए किचन में चला गया. जैसे ही उस ने चाय का पानी और दूध गैस पर चढ़ाया, तभी उसे गोली चलने की एक तेज आवाज सुनाई दी. गोली की आवाज उसी केबिन से आई थी जहां पर युवक और और युवती बैठ कर आपस में बातचीत कर रहे थे. मनीष और रेस्टोरेंट में मौजूद कर्मचारी जब वहां पर पहुंचे युवक और युवती के बीच तेज लड़ाई की आवाजें और छीनाझपटी, आपस में गुत्थमगुत्था हो रही थी. जबकि युवती के सिर से काफी खून भी बह रहा था.

बाथरूम में मारी गोली

युवक ने जब होटल के कर्मचारियों को अपनी ओर आते देखा तो वह दौड़ कर केबिन के शौचालय के अंदर घुस गया और उस ने बाथरूम में घुसते ही शौचालय का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया, तभी एक फायर की आवाज बाथरूम के अंदर से आई.

होटल संचालक मनीष समझ गया कि मामला गंभीर है, इसलिए उस ने इस वारदात की सूचना कोतवाली जीयनपुर के कोतवाल यादवेंद्र पांडेय को फोन द्वारा दे दी. कोतवाल यादवेंद्र पांडेय ने जैसे ही घटना के बारे में सुना तो वह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ तुरंत घटनास्थल की ओर चल पड़े. इसी बीच कोतवाल यादवेंद्र पांडेय ने इस वारदात की खबर अपने उच्चाधिकारियों और एफएससल टीम को भी दे दी थी.

कोतवाली जीयनपुर से घटनास्थल की दूरी महज 2 किलोमीटर थी, इसलिए कोतवाल अपनी टीम के साथ वहां थोड़ी देर में ही पहुंच गए थे. कोतवाल यादवेंद्र पांडेय ने घटनास्थल का निरीक्षण कर शौचालय का दरवाजा तुड़वाया. शौचालय के अंदर युवक मृत अवस्था में पड़ा था.

युवक के शव के पास ही वह तमंचा भी पड़ा हुआ था, जिस के द्वारा युवक ने वारदात को अंजाम दिया था. जबकि दूसरी ओर युवती केबिन में अचेत अवस्था में थी. उस के सिर से खून बह रहा था. उसे तुरंत जिला अस्पताल भेज दिया. युवक और युवती के पास मिले मोबाइल फोन में सेव नंबरों में से उन के घर वालों के नंबर खोज कर दोनों के घर वालों पुलिस द्वारा सूचना दी गई.

उसी बीच घटनास्थल पर एसपी (ग्रामीण) राहुल रूसिया भी पहुंच चुके थे. सूचना पा कर दोनों के घर वाले घटनास्थल पर पहुंच चुके थे. मृतक युवक की शिनाख्त 24 वर्षीय विशाल पुत्र शिववचन निवासी जम्मनपुर, आजमगढ़ के रूप में हुई थी. जबकि युवती की पहचान 23 वर्षीय नित्या निवासी चिलबिली दान, चिलबिली, रौनापार आजमगढ़ के रूप में हुई.

पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर विशाल के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल, आजमगढ़ भेज दिया और रायल स्टार ढाबा ऐंड फैमिली रेस्टोरेंट को सील कर दिया था. पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि युवक और युवती आपस में अच्छे दोस्त थे और दोनों के बीच पिछले करीब डेढ़ साल से प्रेम संबंध थे.

उसी दिन शाम साढ़े 4 बजे घायल युवती नित्या के पिता ने थाना जीयनपुर में एक लिखित तहरीर दे कर विशाल के खिलाफ उन की बेटी को जान से मारने की नीयत से गोली चलाने की रिपोर्ट दर्ज कराई. यह बात 10 मार्च 2023 की है. जिस का मजमून इस प्रकार था-

उन की तहरीर के आधार पर पुलिस ने भादंवि की धारा 307 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. एसपी अनुराग आर्य ने कोतवाल को आदेश दिए कि वह इस प्रकरण की यथाशीघ्र जांच करें.

11 मार्च, 2023 शनिवार को मृतक विशाल के भाई अनिल ने ग्रामीणों के साथ जीयनपुर कोतवाली पहुंच कर रायल ढाबा ऐंड फैमिली रेस्टोरेंट के संचालक पर साजिश का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि यह रेस्टोरेंट अवैध रूप से चलाया जा रहा था.

पुलिस तहकीकात के बाद इस मामले की जो कहानी निकल कर सामने आई, जो इस प्रकार थी—

खूबसूरती की मिसाल थी नित्या

मृतक विशाल उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़ के गांव जम्मनपुर, निवासी शिववचन का पुत्र था. उस के परिवार मां के अलावा 2 बड़े भाई थे. विशाल अपने घर में सब से छोटा था. शिववचन कोलकाता में एक रोलिंग मिल में काम करते थे. बड़ा बेटा अनिल एक कालेज में लेक्चरर था, छोटा सुनील ठेकेदारी और खेती का काम करता था.

सब से छोटे विशाल की उम्र 25 वर्ष की हो चुकी थी. वह अपने गांव से 3 किलोमीटर दूरी पर भदौली में स्थित मैना देवी कालेज में बीए की पढ़ाई कर रहा था. इसी कालेज में गांव चिलबिली दानू निवासी नित्या भी बीटीसी की पढ़ाई कर रही थी. नित्या के पिता डिसपेंसरी चलाते थे. नित्या से छोटा एक भाई था, जो स्कूल में पढ़ाई कर रहा था.

नित्या अपने घर की बड़ी लाडली थी, नित्या खूबसूरत व शांत स्वभाव की थी. पतली कमर, सुडौल बदन, लंबी छरहरी, मृगनयनी, एवं गोरे रंग की नित्या बड़ी शांत रहती थी. उस की आवाज में लोच और मधुरता थी. होंठों पर मुस्कान और चेहरे पर सौम्यता थी. समझदार इतनी कि जिस कला या खेल को सीखती, शीघ्र ही निपुण हो जाती थी. पढ़ने में भी वह काफी अच्छी थी. टीचर बनने का एक दिली जुनून था, इसलिए उस ने बीटीसी में प्रवेश लिया था.

विशाल को गाना गाने और एथलेटिक्स का शौक था. कालेज के समारोह में विशाल लगभग हर प्रोग्राम में गीत जरूर गाता था, उस की आवाज में इतनी कशिश थी कि हर कोई उस का बस मुरीद बन कर रह जाता था. लेकिन विशाल में एक बात यह थी कि वह थोड़ा धीर और गंभीर किस्म का इंसान था.

वह न तो किसी से फालतू बात करता था न ही कभी कोई दिखावा करता था. वह जिस बात पर अड़ जाता था, उस बात पर वह किसी भी हद तक जा सकता था. उस का भी अपना एक मकसद था कि जीवन में कभी भी समझौता नहीं करना है, जो चीज अच्छी लगे वह अच्छी जो बात बुरी लगे, उस में वह किसी भी तरह का कंप्रोमाइज करना बिलकुल भी पसंद नहीं करता था.

विशाल के इसी गंभीर स्वभाव के कारण हर कोई उसे अपना दोस्त बनाने के लिए सदा आतुर सा रहता था. चाहे वह युवक हो या युवती, दूसरा विशाल काफा स्मार्ट भी था. दोनों भाई और मातापिता उस की हर जरूरत का विशेष ध्यान भी रखते थे.

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 1

3 अगस्त, 2023 को रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के शहर रुद्रपुर की घनी आबादी वाले ट्रांजिट कैंप इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ था. उसी दौरान संजय यादव के 12 वर्षीय बेटे जय की चीखपुकार ने सभी लोगों की नींद उड़ा दी थी.

जय जोरजोर से चीख रहा था, ‘‘बचाओबचाओ, बदमाशों ने मेरे मम्मीपापा को मार डाला.’’

उस की चीखपुकार सुन कर लोग इकट्ठा हुए. फिर लोगों ने उस के घर के अंदर का मंजर देखा तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए. लोगों ने घटनास्थल पर देखा, एक कमरे में उस के मम्मीपापा की लाश खून से लथपथ पड़ी हुई थी. जबकि दूसरे कमरे में उस की नानी बेहोशी की हालत में पड़ी हुई चीखपुकार मचा रही थी. जय ने लोगों को बताया कि उस ने भी शोर मचाने की कोशिश की तो आरोपी उसे धक्का मार कर एक बदमाश फरार हो गया.

इस जघन्य अपराध को देखते ही वहां पर मौजूद लोगों ने पुलिस को सूचना दी. सूचना पाते ही आननफानन में घटनास्थल पर पुलिस भी पहुंच गई थी. पुलिस ने इस मामले में मृतक संजय यादव के बेटे जय से जानकारी जुटाई तो उस ने बताया कि रात के कोई 2 बजे उस के घर में बदमाश घुस आए. घर में घुसते ही बदमाशों ने उस के पिता की धारदार हथियार से गला रेत कर हत्या कर दी.

उस के बाद पास में ही सो रही उस की मां के चेहरे पर कई वार करने के बाद उन के हाथ की नस काट दी, फिर उन की कमर पर धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी. दोनों की चीख सुन दूसरे कमरे में सो रही उस की नानी गौरी मंडल मौके पर पहुंची तो बदमाशों ने उन के पेट पर भी वार कर दिया, जिस के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गईं.

दोहरे मर्डर से क्षेत्र में मची सनसनी

3 लोगों की नाजुक हालत को देखते ही पुलिस ने एंबुलेंस भी बुला ली थी. तीनों को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डाक्टरों ने संजय यादव और उन की पत्नी सोनाली को मृत घोषित कर दिया. जबकि सोनाली यादव की मां गौरी मंडल की हालत गंभीर दखते हुए उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया था. रात अधिक होने के कारण पुलिस ने दोनों मृतकों की लाश को मोर्चरी में रखवा दिया था.

अगले दिन सुबह ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर मृतक परिवार के घर की जांचपड़ताल की. जांच के लिए डौग स्क्वायड को भी बुलाया गया था. इस दौरान भी सारे दिन देखने वालों की भीड़ लगी रही.

इस केस की अधिक जानकारी के लिए पुलिस ने कुमाऊं फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. घटना के बाद घर में मौजूद बिस्तर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. फर्श पर भी कई जगह खून बिखरा मिला. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुंचते ही टीम ने साक्ष्य जुटाए. उस के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.

7 पुलिस टीमों के 45 पुलिसकर्मी जुटे जांच में

इस जघन्य डबल मर्डर के शीघ्र खुलासे के लिए एसएसपी मंजूनाथ टीसी द्वारा जगदीश की गिरफ्तारी हेतु पुलिस अपराध एवं यातायात, एसपी (सिटी), सीओ अनुषा बडोला व पंतनगर के सीओ व एसएचओ कोतवाली सुंदरम शर्मा के निर्देशन में 7 पुलिस टीमों का गठन किया गया.

इस केस की गहराई तक जाने के लिए सब से पहले पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. जिस के द्वारा राजवीर नाम का एक शख्स सुर्खियों में उभर कर सामने आया. पुलिस ने राजवीर की छानबीन की तो उस के कई नाम उभर कर सामने आए. जो जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज नाम से ज्यादा जाना जाता था. उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि वह राजवीर नाम से कई साल पहले संजय यादव के घर के सामने किराए पर रह चुका था.

जगदीश उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर का मूल निवासी था. इस वक्त वह कहां रह रहा था, किसी के पास कोई ठोस जानकारी नहीं थी. फिर भी पुलिस ने उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन वह नंबर काफी समय से बंद आ रहा था, जिस से पता चला कि अभियुक्त पुलिस की पकड़ से बचने के लिए पलपल स्थान बदल रहा था.

उस के बाद गठित टीमों द्वारा अपनाअपना काम करते हुए 5 राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में जा कर लगभग 1200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहा था. उस के बाद एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने आरोपी की पकडऩे के लिए 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित करते हुए अखबारों में भी विज्ञापन दिया. साथ ही आरोपी को शीघ्र पकडऩे के लिए पुलिस ने उस के पीछे मुखबिर भी लगा दिए.

9 अगस्त, 2023 को पुलिस को एक मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि डबल मर्डर केस का आरोपी उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में मौजूद है. इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मुखबिर की लोकेशन के आधार पर चारों तरफ से घेराबंदी करते हुए उसे अपनी हिरासत में ले लिया.

जगदीश को गिरफ्तार करते ही पुलिस टीम रुद्रपुर चली आई. रुद्रपुर लाते ही पुलिस ने इस हत्याकांड के बारे में उस से कड़ी पूछताछ की. जगदीश ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. जगदीश ने बताया कि वह उसे दिलोजान से चाहता था. लेकिन सोनाली उस से प्रेम करने को तैयार न थी, जिस के कारण ही उसे इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.

संजय और सोनाली ने की थी लव मैरिज

पुलिस पूछताछ और संजय यादव के परिवार से मिली जानकारी से इस मामले में जो कथा उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

संजय यादव उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का मूल निवासी था. 5 भाइयों में सब से छोटा संजय यादव अब से लगभग 17 साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस वक्त वह अविवाहित था. रुद्रपुर आ कर उस ने एक किराए का कमरा लिया और यहीं पर नौकरी भी करने लगा था. उसी नौकरी करने के दौरान उस की मुलाकात सुभाष कालोनी निवासी सोनाली से हुई. उस वक्त सोनाली भी सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम करती थी.

दो बहनों का एक प्रेमी – भाग 1

इफ्तखाराबाद के अब्दुल रशीद को कानपुर की एक टेनरी में नौकरी मिल गई थी. कुछ सालों बाद उन्होंने कानपुर के मुसलिम बाहुल्य इलाके राजीवनगर में जमीन खरीदकर अपना छोटा सा  मकान बना लिया और परिवार के साथ उसी में रहने लगे. कालांतर में उन के 7 बच्चे हुए, जिन में 3 बेटे थे और 4 बेटियां. वक्त के साथ उन के सभी बच्चे बड़े हो गए तो उन्होंने 2 बड़ी बेटियों की शादी कर दी.

कई साल पहले अब्दुल रशीद की शरीक ए हयात का इंतकाल हो गया तो वह टेनरी की नौकरी छोड़ कर छोटे बेटे अतीक अहमद के साथ बेल्ट बनाने का काम करने लगे. उन के दोनों बड़े बेटों, रईस अहमद और अनीस अहमद ने अपनी मरजी से शादियां कर ली थीं और अलग मकान ले कर रहने लगे थे. अब अब्दुल रशीद के घर में 4 ही लोग बचे थे, वह, उन की 2 बेटियां शमीम बानो और आफरीन और छोटा बेटा अतीक अहमद.

शमीम और आफरीन दोनों ही जवान थीं, लेकिन आर्थिक परेशानियों के चलते उन की शादियां नहीं हो पा रही थीं. अब्दुल रशीद और अतीक सुबह को काम पर निकल जाते थे तो फिर दिन छिपने के बाद ही घर लौट कर आते थे. शमीम और आफरीन दिन भर घर में अकेली रहती थीं. उन पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं थी.

खाली रहने की वजह से शमीम की दोस्ती रूबीना नाम की एक युवती से हो गई. रूबीना ने 5 साल पहले अपनी पसंद के एक युवक से शादी की थी. इस में उस के घर वालों की सहमति भी शामिल थी. लेकिन शादी के बाद रूबीना एक बार ससुराल जाने के बाद दोबारा नहीं गई. नतीजतन उस का तलाक हो गया. इस के कुछ दिनों बाद रूबीना ने एक ऐसे आदमी से शादी कर ली, जिस की पहले से ही 2 बीवियां थीं.

इस बात को ले कर खूब हंगामा हुआ. उस आदमी की दोनों बीवियों ने भी रूबीना को जम कर लताड़ा और गालीगलौज की. उन्होंने अपने पति को भी चेतावनी दी. फलस्वरूप रूबीना को उस आदमी का भी साथ छोड़ना पड़ा. इस तरह रूबीना एक बार फिर अकेली रह गई. अब तक उस के मातापिता की मृत्यु हो चुकी थी और वह अपने भाई शाहिद और भाभी जरीना के साथ राजीवनगर में ही रह रही थी. भैयाभाभी का उस पर कोई कंट्रोल नहीं था, वह पूरी तरह आजाद थी.

रूबीना जैसा ही हाल शमीम बानो का भी था. उस के 2 भाई अपनी पत्नियों के साथ अलग रहते थे. पिता और छोटा भाई सुबह काम पर चले जाते थे तो फिर रात में ही लौटते थे. उन के जाने के बाद शमीम पूरी तरह आजाद हो जाती थी यानी अपनी मरजी की मालिक. एक ही मोहल्ले में रहने और एक जैसी आदतों की वजह से दोनों में दोस्ती हो गई. दोनों साथसाथ घूमने लगीं.

शमीम खूबसूरत थी. उस पर मोहल्ले के कई लड़कों की निगाहें जमी थीं, जिन में एक उस के चाचा वहीद का बेटा सिद्दीक भी था. करीबी रिश्तेदार होने की वजह शमीम और सिद्दीक के बीच नजदीकी संबंध बन गए. फिर जल्दी ही ऐसा समय भी आया, जब दोनों एकदूसरे को तनमन से समर्पित हो गए.

इधर बड़ी बहन शमीम चाचा के लड़के सिद्दीक से इश्क लड़ा रही थी तो उधर छोटी आफरीन भी 22 की हो चुकी थी. आफरीन शमीम से ज्यादा खूबसूरत भी थी और स्मार्ट भी. सिद्दीक यूं तो आफरीन को बचपन से देखता आया था, लेकिन शमीम से शारीरिक संबंध बनने के बाद उस का आफरीन को देखने का भी नजरिया बदल गया था. वह शमीम से ज्यादा आफरीन में दिलचस्पी लेने लगा. शमीम को हालांकि यह अच्छा नहीं लगा, लेकिन वह कर भी क्या सकती थी.

सिद्दीक से मोहभंग हुआ तो शमीम अपनी दोस्त रूबीना के और भी ज्यादा करीब आ गई. इस के बाद दोनों कानपुर के ही नहीं बल्कि दिल्ली तक के चक्कर लगाने लगीं. शमीम के पैर चूंकि पहले ही घर से बाहर निकल चुके थे, इसलिए अब्दुल रशीद चाह कर भी उस पर पाबंदी नहीं लगा सके. जब उस का मन होता रूबीना के साथ चली जाती और जब मन होता घर लौट आती. पिछले साल शमीम जब ईद के दिन दिल्ली चली गई तो अब्दुल रशीद को बहुत बुरा लगा. वह वापस लौटी तो उन्होंने उसे डांटाफटकारा भी, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ.

शमीम के बाहर चली जाने के बाद आफरीन घर में अकेली रह जाती थी. इस का फायदा उठाया सिद्दीक ने. वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय आफरीन के साथ गुजारने लगा. इस का नतीजा यह हुआ कि प्यार के नाम पर दोनों एकदूसरे के बेहद करीब आ गए. यहां तक कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया.

इसी बीच शमीम एक बार रूबीना के साथ दिल्ली गई तो उस ने लौट कर बताया कि रूबीना दिल्ली के एक युवक से उस की शादी की बात चला रही है. उस युवक का वह फोटो भी साथ लाई थी. घर में किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी कि उस का विरोध करता. वैसे भी सभी चाहते थे कि किसी तरह उस की शादी हो जाए तो अच्छा है. दिल्ली से लौटने के बाद शमीम का अधिकतर समय फोन पर बतियाने में बीतने लगा. वह आफरीन से बताती थी कि वह उसी युवक से बातें करती है, जिस से शादी करेगी.

जब से शमीम का दिल्ली वाले लड़के से चक्कर चला था, वह ज्यादातर घर में ही रहने लगी थी. इस से आफरीन को परेशानी होती थी, क्योंकि वह सिद्दीक से नहीं मिल पाती थी. यह देख कर उस ने अपने इस प्रेमी से घर के बाहर मिलना शुरू कर दिया. जब यह बात शमीम को पता चली कि उस का पूर्व प्रेमी उस की छोटी बहन के साथ इश्क लड़ा रहा है तो उसे बहुत बुरा लगा. उस ने आफरीन को समझाने की कोशिश की कि वह सिद्दीक के चक्कर में न पड़े, क्योंकि वह अच्छा लड़का नहीं है.

शमीम आफरीन से कई साल बड़ी थी, तजुर्बेकार भी थी. वह जानती थी कि सिद्दीक आफरीन का फायदा उठा कर उसे किनारे लगा देगा. इसलिए वह कोशिश करने लगी कि वे दोनों न मिल पाएं. लेकिन यह बात आफरीन को बुरी लगती थी और सिद्दीक को भी. इस की एक वजह यह थी कि शमीम अपने मामले में हमेशा से आजाद रही थी, जबकि वह उन दोनों पर पाबंदी लगाना चाहती थी.

कैसे हुईं 9 दिन में 3 बहनें गायब – भाग 1

सुबह के 7 बजे थे, शमशाद अली अपने घर के बाहर बैठे हुए थे. उन्होंने किसी काम के लिए अपनी 14 वर्षीय बेटी मनतारा को आवाज लगाई. लेकिन मनतारा ने कोई जबाव नहीं दिया. इस पर पास बैठे बेटे सलमान से उन्होंने मनतारा को बुलाने के लिए कहा.

सलमान बहन को बुलाने घर में गया, लेकिन उसे मनतारा घर में दिखाई नहीं दी. उस ने पूरे घर में बहन को तलाशा, दूसरी बहनों व मां ने भी अनभिज्ञता व्यक्त की. मनतारा नहीं मिली. तब गांव में उसे तलाश किया गया. लेकिन वह गांव में होती तो मिलती. वह कहीं नहीं मिली. दरअसल, मनतारा गायब हो चुकी थी.

उत्तर प्रदेश में मैनपुरी जिले के थाना क्षेत्र कुर्रा का एक गांव है रम्पुरा. जिला मुख्यालय से इस गांव की दूरी करीब 25 किलोमीटर है. इसी गांव का रहने वाला है शमशाद अली. शमशाद की 3 बेटियों में 22 साल की निशा, 16 साल की खुशबू और 14 साल की मनतारा जबकि एक बेटा सलमान है. शमशाद मेहनतमजदूरी कर के परिवार का पालनपोषण करता था. इस काम में बेटा उस का हाथ बंटाता था.

जब मनतारा कहीं नहीं मिली तो परेशान शमशाद थाना कुर्रा जा पहुंचा और एसएचओ जयश्याम शुक्ला से मिला. उस ने उन्हें अपनी 14 वर्षीय नाबालिग बेटी के लापता होने की जानकारी दी. शमशाद ने आरोप लगाया कि उस की बेटी को कोई किडनैप कर ले गया है. पुलिस ने इस की रिपोर्ट दर्ज कर ली और बेटी को ढूंढने की बात कही. यह भी कहा कि आप भी अपने स्तर से पता लगाइए. यह बात 21 दिसंबर, 2022 की है.

पिता द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराए 8 दिन हो गए थे. पुलिस ने नाबालिग बच्ची को ढूंढने का वायदा भी किया था, लेकिन पुलिस उस का कोई सुराग नहीं लगा पाई थी. शमशाद का आरोप था कि पुलिस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. पुलिस के ढुलमुल रवैए को देखते हुए शमशाद ने खुद अपनी बेटी की तलाश करने का निर्णय लिया.

शमशाद अली ने अपनी लापता हुई बेटी के संबंध में स्वयं छानबीन शुरू कर दी. इस बीच पड़ोसियों से उसे पता चला कि बेटी पंजाब के मुक्तसर ले जाई गई है. शमशाद के पड़ोसी राकेश के यहां कुछ दिन पहले शादी में पंजाब के मुक्तसर का रहने वाला एक लडक़ा आया था. वही उन की बेटी को बहलाफुसला कर भगा ले गया है. प्रयास करने पर उस लडक़े के पिता का मोबाइल नंबर भी शमशाद को मिल गया.

एक बेटी को ढूंढने गए, 2 और हो गईं गायब

30 दिसंबर, 2022 को शमशाद के मोबाइल पर आरोपी का फोन आया. बेटी से बात भी की. इस संबंध में शमशाद ने थाना कुर्रा जा कर पुलिस को पूरी बात से अवगत कराया. पुलिस ने तब उस मोबाइल की लोकेशन पता की. लोकेशन की जानकारी के बाद शमशाद को लोकेशन दे कर पंजाब के मुक्तसर भेजा.

उसी दिन शमशाद बेटी की तलाश के लिए मुक्तसर के लिए कार बुक करा कर अपने 3 रिश्तेदारों के साथ घर से निकला. शमशाद अभी अलीगढ़ तक ही पहुंचा था कि घर से बेटे का फोन आ गया. बेटे ने कहा, “अब्बा, 2 बहनें और किडनैप हो गई हैं.”

यह सुनते ही शमशाद के होश उड़ गए.

शमशाद ने बिना देर किए अपने मोबाइल से कुर्रा थाने के अलावा पुलिस के कई अधिकारियों को काल किया, लेकिन उसे कोई उत्तर नहीं मिला. उस समय शमशाद ने घर लौटना उचित नहीं समझा और पंजाब पहुंच गया. वहां संबंधित थाने में पहुंचा और कुर्रा थाना द्वारा दी गई आरोपी के मोबाइल की लोकेशन से मुक्तसर स्थित थाना पुलिस को अवगत कराया.

वहां के एसएचओ ने कुर्रा के एसएचओ से बात कराने को कहा. थाने व क्राइम ब्रांच को कई बार फोन किए, लेकिन नेटवर्क न मिलने के कारण बात नहीं हो सकी. शमशाद ने वहां की पुलिस को बताया कि उस के पड़ोसी राकेश के रिश्तेदारों की मदद से हम ने उस लडक़े के बारे में जानकारी जुटाई है कि वह लडक़ा मुक्तसर का रहने वाला है. हमें उस लडक़े के पिता का मोबाइल नंबर भी मिल गया था. उसी के आधार पर थाना कुर्रा से आरोपी की लोकेशन निकलवाई थी.

पंजाब पुलिस ने कहा, आप को अपने राज्य की पुलिस के साथ आना चाहिए था. इस तरह हम आप की कोई मदद नहीं कर सकतेे हैं. थकहार कर शमशाद वापस लौट आया.

पंजाब से खाली हाथ लौटने के बाद शमशाद ने थाना कुर्रा जा कर अपनी 2 और बेटियों निशा और खुशबू के किडनैप होने की जानकारी देते हुए अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई. इन में निशा बालिग जबकि खुशबू नाबालिग थी. थाना कुर्रा में अब तक शमशाद की 3 बेटियों के अपहरण की भादंवि की धारा 363 के अंतर्गत 2 मामले दर्ज किए जा चुके थे. शमशाद ने पुलिस के सामने आशंका व्यक्त की, अपहत्र्ता उस की बेटियों को मार डालेंगे. उन के अंग निकाल लेंगे.

पंजाब के युवक ने किया किडनैप

शमशाद ने बताया कि 4 नवंबर को घर के सामने रहने वाले राकेश की बेटी की शादी थी. शादी में राकेश के रिश्तेदारों के साथ उन के दोस्त भी आए थे. आरोपी युवक भारत सिंह पंजाब के मुक्तसर से आया था. वह यहां करीब 15 दिन रुका था. उस समय घर वालों ने कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन बाद में पता चला कि वह लडक़ा उन की बेटियों के पीछे पड़ा था. उसी ने तीनों बेटियों का अपहरण 9 दिन में कराया है.

शमशाद ने आशंका व्यक्त की कि वह युवक किसी बड़े गिरोह का सदस्य भी हो सकता है. वह बेटियों को बेच भी सकता है. उस ने अपनी तीनों बेटियों की जान को खतरा बताया. बेबस पिता शमशाद ने राष्ट्रपति, प्रदेश के मुख्यमंत्री और एसपी (मैनपुरी) के नाम अपनी शिकायत फैक्स द्वारा भेज दी. इस के साथ ही मैनपुरी जा कर एसपी विनोद कुमार से मिल कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी उन्हें देते हुए तीनों बेटियों को बरामद करने की गुहार लगाई.

3 बेटियों के अपहरण पर प्रशासन हुआ अलर्ट

एसपी विनोद कुमार ने शमशाद को आश्वासन देते हुए कहा, जल्द से जल्द आप की तीनों बेटियां आप के पास होंगी. बेटियों को ले जाने वाले अपराधियों को पकडऩे के लिए हम स्पैशल टीम बनाएंगे. उस के बाद एसपी द्वारा 2 टीमें गठित कर दी गईं.

9 जनवरी, 2023 को कुर्रा के एसएचओ जयश्याम शुक्ला से शमशाद मिला. जिस लडक़े पर बेटियों के अपहरण का शक था, उस के पिता को फोन मिलाया. लडक़े के पिता ने फोन उठाया तो पीछे से छोटी बेटी मनतारा की आवाज आई. इस पर बेटी से बात कराने को कहा. बेटी ने डरी आवाज में कहा, “पापा, अब मैं वापस नहीं आ पाऊंगी.”

इस के बाद फोन कट गया. शमशाद ने बताया कि बेटी को ज्यादा बात करने से रोक दिया. बेटी को धमकाने की आवाज फोन में आ रही थी.

एसपी मैनपुरी ने थाना कुर्रा पुलिस को लड़कियों को शीघ्र बरामद करने के निर्देश दिए. इस पर 10 जनवरी, 2023 को शमशाद को साथ ले कर थाना कुर्रा पुलिस पंजाब के लिए रवाना हुई. जिस मोबाइल नंबर पर बात हुई थी, पुलिस ने उस मोबाइल की लोकेशन ट्रैक की.

जब पुलिस वहां पहुंची तो घर पर ताला लटका मिला. आसपास पूछताछ की, लेकिन उन लोगों के बारे में कुछ पता नहीं चला. थकहार कर सभी लोग खाली हाथ वापस आ गए. धीरेधीरे डेढ़ महीने का समय बीत गया.

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य

जुल्मी से प्यार : सनकी प्रेमी से छुटकारा

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 3

आखिर विनीत को मुखबिर की सूचना पर लोनी गोल चक्कर से गिरफ्तार कर लिया गया.

आइए, पहले जान लेते हैं कि विनीत पंवार कौन है और उस ने माही की हत्या क्यों की.

विनीत और माही की फेसबुक से हुई थी जानपहचान

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत का एक छोटा सा गांव है कागदीपुर. इसी गांव का निवासी था विनय पंवार. उस के 2 बेटे विनीत और मोहित थे तथा एक बेटी थी पारुल. विनय पंवार मेहनतमजदूरी कर के बच्चों का पेट पालता था. उस की पत्नी का देहांत हो गया था. विनय पंवार ने जैसेतैसे बच्चों की परवरिश की.

पारुल सयानी हुई तो उस ने उस की शादी विदिशा के साथ कर दी. विदिशा दिल्ली में काम करता था. बहन की शादी के बाद विनीत भी कामधंधे की तलाश में अपने जीजा के पास रहने आ गया. वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, इसलिए उसे अच्छी नौकरी तो नहीं मिली. हां, गुजरबसर करने लायक एक फैक्ट्री में काम जरूर मिल गया. वह बहन और जीजा के पास ही रहने लगा. वह बहन को अपने खाने का खर्चा देने लगा.

विनीत को अच्छा पहनने और फिल्में देखने का शौक था. धीरेधीरे उस ने कुछ रुपए जोड़ कर किस्तों पर मोबाइल फोन भी ले लिया था. वह दिन में फैक्ट्री में काम करता. शाम को नहाधो कर अच्छे कपड़े पहनता और मोबाइल हाथ में ले कर घूमने निकल जाता.

उसी मोबाइल पर फेसबुक द्वारा विनीत की रोहिना उर्फ माही नाम की एक लडक़ी से जानपहचान हो गई. यह जानपहचान धीरेधीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. विनीत खाली समय में रोहिना उर्फ माही से प्रेम की बातें करता रहता.

दोनों के बीच यह प्यार इस कदर बढ़ा कि माही अपना घरद्वार छोड़ कर विनीत के साथ रहने को राजी हो गई. विनीत उसे लेने के लिए उत्तराखंड पहुंच गया. हरिद्वार के एक गांव मिर्जापुर में रहती थी रोहिना उर्फ माही. वह विनीत से मिलने हरिद्वार आ गई. दोनों पहली बार यूं आपस में गले मिले जैसे उन में बरसों की गहरी मित्रता हो.

माही अपना सामान बैग में भर कर लाई थी. विनीत उसे अपने साथ बागपत के गांव कागदीपुर ले गया. माही बगैर शादी किए उस के साथ लिवइन रिश्ता जोड़ कर रहने लगी. विनीत की इस हरकत पर उस के पिता विनय पंवार ने कोई विरोध नहीं किया.

उसे बेटे की शादी करनी ही थी. बेटा अपनी पसंद की कोई लडक़ी घर ले आया तो विनय पंवार को क्या एतराज होता. बस उसे यही अखरता था, माही के साथ विनीत बगैर शादी किए रह रहा था. लेकिन विनय पंवार खामोश रहा. माही उन के घर में रहती रही.

विनीत के जीवन में आया नया मोड़

लेकिन अभी विनीत की जिंदगी में और भी उतारचढ़ाव आने शेष थे. वह माही के साथ आराम से रह रहा था कि एक दिन उसे और उस के पिता विनय पंवार को पुलिस ने एक हत्या का दोषी मान कर गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. यह सन 2017 की बात है. जुर्म साबित होने पर उसे सजा हो गई.

पिता विनय पंवार और भाई विनीत जेल चला गया तो माही को पारुल अपने पास दिल्ली ले गई. माही के कदम अच्छे नहीं थे. एक दिन पारुल के पति विदिशा की अचानक मौत हो गई. पारुल खूब रोईधोई, फिर उस ने मन को धीरज दे कर अपनी जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर लाने का रास्ता तलाशना शुरू कर दिया.

कहा जाता है औरत का एक सहारा टूटता है तो अनेक हाथ उसे सहारा देने के लिए आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन तब जब औरत जवान और सुंदर हो. पारुल जवान भी थी और खूबसूरत भी. उस की तरफ इरफान ने हाथ बढ़ाया तो पारुल ने तुरंत उस का हाथ थाम लिया. पारुल की जिंदगी मजे में कटने लगी. साथ ही वह माही का भी खर्च उठाने में सक्षम हो गई.

पारुल को माही भाभी मानती थी. माही यहां विनीत के भरोसे अपने मांबाप, बहनभाई छोड़ कर आई थी. विनीत जेल चला गया तो माही उदास हो गई. विनीत के बगैर उसे कुछ अच्छा नहीं लगता था. लेकिन वह कर ही क्या सकती थी. वह यह सोच कर संतोष कर रही थी कि विनीत जल्दी ही जेल से छूट कर घर आएगा, तब वह उस से शादी कर के उस की दुलहन बन जा जाएगी.

नवंबर, 2022 में हाईकोर्ट के आदेश पर विनीत पैरोल पर जेल से बाहर आया तो माही उसे सामने देख कर खुशी से नाच उठी. उस ने विनीत के आगे शादी की बात रखी, लेकिन विनीत उसे गले की हड्डी नहीं बनाना चाहता था.

उस ने बहन पारुल से बात की तो पारुल ने संजीदगी से कहा, “विनीत, माही वह लडक़ी नहीं है जिसे मैं भाभी बनाऊं, इसे दफा करो और किसी धनी बाप की बेटी को फांसो, ताकि लडक़ी के साथ मोटी रकम भी हाथ आए.”

“मेरी जिंदगी पर अपराधी का ठप्पा लग गया है बहन, मुझे कोई पैसे वाला अपनी लडक़ी क्यों देगा?”

“तो फिर माही को बेच डालो, मोटी रकम हाथ आएगी तो हमारे दिन संवर जाएंगे.”

“हां, यह ठीक रहेगा.” विनीत ने खुश हो कर कहा.

उसी दिन से वह और पारुल रोहिना उर्फ माही को बेचने की जुगत में लग गए. काफी भागदौड़ करने पर भी माही के लिए मोटी कीमत देने वाला नहीं मिला. इधर माही रोज विनीत पर शादी करने का दबाव बना रही थी. आखिर इस से तंग आ कर विनीत ने माही से पीछा छुड़ाने के लिए उस का गला दबा कर उस की जान ले ली.

माही मर गई तो विनीत डर गया. उस ने माही की लाश दीवान में छिपा कर रखी. फिर पारुल को माही की हत्या कर देने की बात बता दी. पारुल ने माही की लाश ठिकाने लगाने के लिए अपने प्रेमी इरफान की मदद मांगी तो वह तुरंत रात को बाइक ले कर आ गया. उस वक्त पारुल का छोटा भाई मोहित भी घर पर था.

पारुल ने इरफान की बाइक पर रोहिना उर्फ माही की लाश लादने में विनीत और इरफान की मदद की. इरफान और विनीत माही की लाश रात के अंधेरे में करावल नगर के महालक्ष्मी विहार में डाल आए.

क्राइम ब्रांच और करावल नगर थाने की पुलिस टीम के संयुक्त प्रयास से इरफान, विनीत, पारुल और मोहित की गिरफ्तारी संभव हो सकी. विनीत ने भी अपना अपराध कबूल कर लिया था. पुलिस ने उन चारों अभियुक्तों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित सत्य कथा का नाट्य रूपांतरण है.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 3

जांच के दरमियान रौबिंसन गुडिय़ा को यह जानकारी मिली कि यूनियन बैंक औफ इंडिया की कोरबा शाखा से सलमा ने लोन लिया हुआ था, बैंक से पता करने पर जानकारी मिली कि उस के लोन की ईएमआई तो लगातार मधुर साहू द्वारा जमा करवाई जा रही है.

उन्हें कुछ बातें अपने आप में शंक पैदा करने वाली महसूस हुईं. उन्होंने सलमा सुलताना की गुमशुदगी को एक चुनौती के रूप में लिया. इस मामले को ले कर जांच को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. उन्होंने कुछ लोगों के बयान लिए तो उन्हें यह महसूस हुआ कि मामला किसी रहस्यमयी हत्या का है और घटना का परदाफाश किया जा सकता है.

क्योंकि 21 अक्तूबर, 2018 के बाद सलमा का फेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट बंद हो गया था. उस में कोई पोस्ट नहीं थी और मनोवैज्ञानिक तथ्य यह है कि कोई भी बौद्धिक या सामाजिक व्यक्ति, जो पत्रकारिता और सार्वजनिक जीवन में है, इस तरह सोशल मीडिया से अचानक गायब नहीं हो सकता.

इधर सलमा का इतने लंबे समय तक गायब रहना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा था कि आखिर सलमा गई कहां या फिर किसी ने उस की हत्या कर दी है.

आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा ने कोरबा में तैनाती होने के बाद न्यूज चैनल में काम कर रही एंकर सलमा सुलताना से जुड़े गवाहों के बयान एक बार फिर से लेने शुरू किए. बयान लेने के दौरान 2 महिला सविता और कोमल और 3 पुरुषों के कथन में विरोधाभास महसूस किया गया.

इन सब से सख्ती से पूछताछ करने पर 21 अक्तूबर, 2018 एलआईजी 17 शारदा विहार में मधुर साहू एवं कौशल श्रीवास के द्वारा सलमा सुलताना का गला घोट कर हत्या करने और उस की लाश को अतुल शर्मा की मदद से भवानी मंदिर के पास सडक़ किनारे दफनाए जाने की बात सामने आई.

सविता ने भी पुलिस को अपने बयान में बताया कि उस ने खुद मधुर साहू और कौशल श्रीवास को सलमा की हत्या करते देखा था, यही कारण है कि मधुर ने उसे अपने यहां नौकरी पर रखा हुआ था. उस ने यह सब घटना कोमल को बता दी थी, जिस के कारण मधुर साहू दोनों को अपने यहां काम पर रखने को मजबूर था.

इस के बाद जैसे ही पुलिस मधुर साहू के गंगा श्री जिम, अमरैया पारा पहुंची तो पता चला कि वह फरार हो चुका है. उस का सहयोगी कौशल श्रीवास भी गायब मिला. पुलिस ने अतुल शर्मा से पूछताछ कर अपने तौर तरीके से जांच को आगे बढ़ाना शुरू किया. उस ने बताया कि मधुर साहू ने उस के नाम पर भी बैंक से लोन दिलवा कर पैसा अपने पास रख लिया था. इसी तरह कुछ लोगों के साथ और भी जालसाजी की है, जिस की शिकायत आईटीआई थाने में की गई है.

5 साल बाद ऐसे खुली मर्डर मिस्ट्री

आईपीएस जांच अधिकारी रौबिंसन गुडिय़ा ने अतुल शर्मा को अपने विश्वास में लिया और थोड़े से ही पुलिसिया दबाव में उस ने सारी हकीकत बयान कर दी. वह पुलिस से मधुर साहू के संदर्भ में इधरउधर की बातें तो खुल कर करने लगा था, मगर जैसे ही रौबिंसन गुडिय़ा ने सलमा सुलताना के बारे में सवाल किया तो वह घबराया और बोला कि वह सलमा को नहीं जानता है.

मगर जब कड़ी से कड़ी मिलने लगी तो उसे स्वीकार करना पड़ा कि वह सलमा सुलताना की हत्या के बाद उस के शव को दफनाने में मददगार बना था. अब मुख्य आरोपियों की तलाश जारी थी. पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि दोनों आरोपी मधुर साहू और उस का कर्मचारी कौशल श्रीवास दिल्ली में छिपे हुए हैं. बीचबीच में वह अपने परिचितों से बात कर रहे हैं और रुपए मंगा रहे हैं.

इसी बीच जून 2023 महीने में जहां सलमा की लाश दफनाई गई थी, पुलिस को शुरुआती पूछताछ में मिली जानकारी के बाद सस्पेक्टेड जगह के आसपास में सेटेलाइट डेटा, थर्मल इमेजिंग एवं ग्राउंड पेनेट्रेशन राडार मशीन और भूवैज्ञानिक की मदद से मृत देह अस्थियों के बारे में पता करने का प्रयास शुरू किया गया.

अभी वहां कोरबा से बिलासपुर को जोडऩे वाला नैशनल हाईवे बन चुका है. इसलिए पुलिस को सफलता नहीं मिल पाई. यह कथा लिखे जाने तक सलमा सुलताना के शव की अस्थियां पुलिस को बरामद नहीं हुई थीं. अब पुलिस ने तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद स्पष्ट किया कि चिह्नित जगह पर आगे की काररवाई न्यायालय के आदेश के बाद शुरू की जाएगी. क्योंकि जहां इन्होंने लाश दफनाई थी, वहां अब हाईवे बन चुका है.

पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर 14 अगस्त, 2023 को आरोपी मधुर साहू और कौशल श्रीवास को उस समय कोरबा जिले के कटघोरा बाईपास से गिरफ्तार कर लिया, जब वह कोरबा की तरफ आ रहे थे.

26 वर्षीय सलमा सुलताना की हत्या के आरोपी 37 वर्षीय मधुर साहू निवासी साबिन अमरैया पारा, 17 शिवाजी नगर, कोरबा, कौशल श्रीवास (29 वर्ष) निवासी साकिन दर्री सिंचाई विभाग, थाना दर्री, जिला कोरबा एवं अतुल शर्मा (26 वर्ष) निवासी साकिन दर्री जिला कोरबा को भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत गिरफ्तार कर तीनों से पूछताछ की गई.

पुलिस ने मधुर साहू की कार सीजी12ए वी1615 और लैपटौप जिस में कई संदिग्ध वीडियो और फोटोग्राफ्स मिले हैं, जांच के लिए जब्त कर लिया गया. पुलिस को दिए गए बयान में तीनों ने हत्या की बात स्वीकार कर ली. आईपीएस अधिकारी रौबिंसन गुडिय़ा द्वारा 5 साल पहले हुए हत्याकांड का खुलासा करने की पुलिस अधिकारी ही नहीं पब्लिक भी सराहना कर रही है.

रोचक तथ्य यह भी है कि सलमा सुलताना की बौडी को बातचीत में ‘जिमी की बौडी’कहने वाले ये तीनों आरोपी आखिरकार पुलिस के सामने सच बताने को विवश हो गए और अंतत: पुलिस ने मधुर साहू के पालतू डौगी जिमी को भी बरामद कर लिया.

इस से स्पष्ट हो गया कि जिम्मी जिंदा था और वे बातचीत में जिस जिम्मी का उल्लेख करते थे. दरअसल, वह सलमा सुलताना का जिक्र हुआ करता था. तीनों को पूछताछ के बाद 15 दिनों के पुलिस पुलिस रिमांड पर ले लिया. कथा लिखने तक पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित