इश्क के दरिया में जुर्म की नाव – भाग 1

शशिबाला अपनी छोटी बहन सुषमा के साथ 20 मार्च, 2014 को दोपहर के समय उत्तर पूर्वी दिल्ली के थाना न्यू उस्मानपुर पहुंची. थानाप्रभारी महावीर सिंह से मुलाकात कर उस ने बताया कि उस का पति इंद्रपाल 18 मार्च से गायब है. हम ने सभी जगह देख लिया, लेकिन उन का कहीं भी पता नहीं चला.

‘‘वह कहां से लापता हुए हैं. ’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘मैं उन्हें घर पर ही छोड़ कर गई थी. हम यहीं गौतम विहार की गली नंबर 5 में रहते हैं.’’ शशिबाला बोली.

‘‘जब उन्हें घर पर ही छोड़ कर गई थीं तो वह गायब कैसे हो गए?’’

‘‘साहब, न्यू उस्मानपुर के जयप्रकाशनगर में मेरी यह छोटी बहन सुषमा रहती है. होली के अगले दिन मैं बच्चों को ले कर इस के यहां होली मिलने चली गई थी. उस समय वह घर पर बैठे शराब पी रहे थे. जब मैं वापस आई तो वह नहीं मिले. कमरे पर ताला लगा था. मैं ने उन का फोन मिलाया, जो स्विच औफ मिला. तब मैं ने सोचा कि अपने यारदोस्तों के साथ कहीं खापी रहे होंगे. क्योंकि ऐसा वह अकसर करते रहते थे. लेकिन अब तक उन का कहीं पता नहीं चला तो मैं थाने आई हूं.’’ शशिबाला ने बताया.

शशिबाला से बातचीत करने के बाद थानाप्रभारी ने उस के पति इंद्रपाल की गुमशुदगी थाने में दर्ज करा कर जांच हेडकांस्टेबल श्रीपाल को सौंप दी. हेडकांस्टेबल श्रीपाल ने सब से पहले दिल्ली के समस्त थानों में इंद्रपाल के हुलिया के साथ उस की गुमशुदगी की सूचना वायरलेस से प्रसारित करा दी.

गौतम विहार का इलाका हेडकांस्टेबल श्रीपाल की बीट में ही आता था, इसलिए उन्होंने इलाके के लोगों से उस के बारे में छानबीन शुरू की. इस में उन्हें पता चला कि वह यारदोस्तों के साथ शराब पीने का शौकीन था.

हेडकांस्टेबल श्रीपाल को यह भी जानकारी मिली कि इंद्रपाल ने 2 कमरे किराए पर ले रखे थे, जिन में से एक कमरा उस ने टिंकू नाम के युवक को दे रखा था. इंद्रपाल उस के साथ भी खातापीता था. इंद्रपाल के गायब होने के बाद टिंकू भी लापता था. उस के कमरे पर भी ताला लटका मिला.

हेडकांस्टेबल श्रीपाल ने जो जांच की थी वह सब थानाप्रभारी को बता दी. एक की जगह 2 लोग गायब थे, इसलिए थानाप्रभारी को यह मामला संदिग्ध लगा. उन्होंने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी.

डीसीपी के निर्देश पर एसीपी अमित शर्मा को नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई गई, जिस में थानाप्रभारी महावीर सिंह, इंसपेक्टर जितेंद्र सिंह, एसआई पंकज तोमर, हेडकांस्टेबल श्रीपाल, प्रदीप शर्मा, कांस्टेबल अनिल कुमार, सोनू राठी, सचिन खोखर आदि को शामिल किया गया. पुलिस टीम सब से पहले गौतम विहार में उस कमरे पर गई, जहां इंद्रपाल और टिंकू रहते थे. पड़ोसियों ने बताया कि वे दोनों मंगलवार यानी 18 मार्च से दिखाई नहीं दिए हैं.

इंसपेक्टर जितेंद्र सिंह ने इंद्रपाल की पत्नी शशिबाला से टिंकू के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि टिंकू उसे कई दिनों से नहीं दिखा है. शशिबाला से टिंकू का मोबाइल नंबर ले कर जितेंद्र सिंह ने उसे अपने फोन से मिलाया तो उस का फोन नंबर स्विच औफ मिला. दोनों के ही फोन स्विच औफ मिलने की बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी.

इंद्रपाल के लापता होने की जानकारी मिलने पर उस के चाचा दिनेश कुमार और चेचरा भाई संजय कुमार भी थाना न्यू उस्मानपुर पहुंच चुके थे. उन्होंने भी पुलिस पर इंद्रपाल का जल्द से जल्द पता लगाने का दबाव बनाया. पुलिस ने उन्हें किसी तरह समझाया.

जो 2 लोग गायब थे, पुलिस के पास उन के केवल फोन नंबर थे और वे भी बंद थे, इस के अलावा पुलिस के पास ऐसी कोई चीज नहीं थी, जिस से उन दोनों के बारे में कुछ पता चल सके. पूछताछ के लिए सिर्फ इंद्रपाल की पत्नी शशिबाला ही बची थी. इंसपेक्टर जितेंद्र सिंह ने शशिबाला से मालूमात की तो उस ने वही बातें उन के समने दोहरा दी, जो पहले थानाप्रभारी को बताई थीं.

इंसपेक्टर जितेंद्र सिंह उस से पूछताछ कर रहे थे तो शशिबाला बोली, ‘‘साहब, अब मैं अपने गांव जाना चाहती हूं. मैं ने पति की गुमशुदगी की जो सूचना दर्ज कराई थी, उसे वापस लेना चाहती हूं. मैं पुलिस के किसी लफड़े में नहीं पड़ना चाहती. वह कहीं गए होंगे, अपने आप घर लौट आएंगे.’’ शशिबाला हापुड़ के पटना मुरादपुर गांव की रहने वाली थी.

शशिबाला के मुंह से यह बात सुन कर जितेंद्र सिंह चौंके कि पता नहीं यह कैसी औरत है जो पति के गुम हो जाने के बाद भी इस तरह की बातें कर रही है. उस ने एक बार भी पुलिस से यह नहीं कहा कि उस के पति का जल्द पता लगाया जाए.

पति के गायब होने पर जिस तरह कोई महिला परेशान हो जाती है, ऐसी कोई परेशानी शशिबाला के चेहरे पर नहीं दिख रही थी. वह एमदम सामान्य थी. इस से इंसपेक्टर जितेंद्र सिंह को उस पर शक होने लगा. बहरहाल उन्होंने उस समय तो उस से कुछ नहीं कहा, लेकिन उस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हेडकांस्टेबल श्रीपाल को लगा दिया.

23 मार्च को शशिबाला, उस की बहन सुषमा, बहनोई विक्रम फिर थाने आए. इंद्रपाल के रिश्तेदार भी उस समय थाने में ही थे. तभी सुषमा ने इंसपेक्टर जितेंद्र सिंह को बताया, ‘‘सर, कल रात शशिबाला उस के कमरे पर थी. रात करीब 8 बजे टिंकू भी उस के घर आया था. टिंकू ने शशिबाला से अलग में बात की थी. शशिबाला से बात कर के वह चला गया था. उस के चले जाने के बाद मैं ने शशिबाला से पूछा तो उस ने मुझे बताया कि टिंकू ने उस से कहा था कि वह पुलिस के पास चक्कर लगाने के बजाय अपने गांव चली जाए. इंद्रपाल अपने आप लौट आएगा.’’

सुषमा ने आगे कहा, ‘‘सर, मुझे टिंकू पर शक हो रहा है. आखिर वह इस तरह की बातें क्यों कर रहा है? इंद्रपाल जब टिंकू का दोस्त था तो इस परेशानी में उसे हमारा साथ देना चाहिए था, जबकि वह इधरउधर घूमता फिर रहा है.’’

सुषमा ने जैसे ही यह बात पुलिस से कही तो पास में खड़ी शशिबाला उस के कान में फुसफुसाते हुए बोली, ‘‘तुझे यह बात यहां कहने की क्या जरूरत थी?’’

चूंकि जिस दिन से इंद्रपाल गायब था उसी दिन से उस का दोस्त टिंकू भी गायब था. पुलिस को टिंकू की भी तलाश थी. उस के बारे में भी पुलिस को पता नहीं चल रहा था. इंसपेक्टर जितेंद्र सिंह ने सोचा कि कल जब टिंकू शशिबाला से मिला था तो उसे यह बात पुलिस को बता देनी चाहिए थी. लेकिन उस ने ऐसा नहीं किया.

देह की राह के राही – भाग 1

फोन की घंटी बजी तो सुमन ने स्क्रीन पर नंबर देखा. नंबर मुंहबोली मौसी बबिता का  था, जो उस के घर से कुछ दूरी पर रहती थीं. उस ने जल्दी से फोन रिसीव किया, ‘‘हैलो, मौसी नमस्ते, आप कैसी हैं, फोन कैसे किया?’’

‘‘नमस्ते बेटा, मैं तो ठीक हूं. तू बता कैसी है?’’ बबिता ने अपने बारे में बता कर सुमन का हालचाल पूछा तो वह बोली, ‘‘मैं भी ठीक हूं मौसी. बताइए, फोन क्यों किया?’’

‘‘मैं ने फोन इसलिए किया है कि तू ने जिस काम के लिए मुझ से कहा था, वह हो गया है. तू जब भी उस से मिलना चाहे, मिल सकती है.’’

‘‘अगर मैं आज ही उस से मिलना चाहूं तो..?’’ सुमन ने चहक कर पूछा.

‘‘हां…हां, आज ही मिल ले. लेकिन रुक, मैं उसे एक बार और फोन कर के पूछ लेती हूं. उस के बाद तुझे फोन करती हूं.’’ कह कर बबिता ने फोन काट दिया.

कुछ देर बाद बबिता ने फोन कर के कहा, ‘‘ठीक है, आज शाम को राजनगर के प्रियदर्शिनी पार्क में तू उस से मिल सकती है. उस का नाम राजीव है. मैं तुझे उस का मोबाइल नंबर दिए देती हूं. जाने से पहले तू उसे एक बार फोन कर लेना.’’

इस के बाद बबिता ने राजीव का मोबाइल नंबर सुमन को लिखा दिया. दरअसल सुमन ने अपनी मुंहबोली मौसी बबिता से कहा था कि नौकरी छूट जाने की वजह से वह काफी तंगी में आ गई है. इसलिए वह उस की दोस्ती किसी ऐसे आदमी से करा दे, जो उस की हर तरह मदद कर सके और वक्त जरूरत काम आ सके. उसी के लिए बबिता ने उसे फोन किया था. उस ने कहा था कि राजीव अच्छा लड़का है और उसे भी उसी की तरह एक बढि़या दोस्त की तलाश है.

बबिता से नंबर ले कर सुमन ने राजीव को फोन किया तो उस ने सुमन को शाम को राजनगर के प्रियदर्शिनी पार्क में मिलने के लिए बुला लिया. राजीव को प्रभावित करने, एक तरह से उसे अपने जाल में फंसाने के लिए सुमन खूब सजसंवर कर तय समय पर पार्क पहुंची तो राजीव उसे इंतजार करता मिला.

24 वर्षीय राजीव चढ़ती उम्र का खूबसूरत नौजवान था. पहली ही नजर में वह सुमन को भा गया. मौसी ने बताया था कि वह काफी पैसे वाला भी है. इस तरह सुमन ने जिस तरह के दोस्त की कल्पना की थी, राजीव एकदम वैसा ही था.

25 वर्षीया सुमन भी कम सुंदर नहीं थी. यही वजह थी कि उस पर राजीव की नजर पड़ी तो वह हटा नहीं सका. उसे सुमन बेहद खूबसूरत लगी. दोनों ही एकदूसरे को भा गए, इसलिए इसी पहली मुलाकात में उन दोनों की दोस्ती पक्की हो गई. वैसे भी आजकल के नौवजवान ऐसे पलों में एकदूसरे के प्रति कुछ अधिक ही जोशीले अंदाज में पेश आते हैं.

इस के बाद राजीव और सुमन घर के बाहर तो मिलने ही लगे, राजीव सुमन के घर भी आनेजाने लगा. राजीव को पता ही था कि सुमन ने उस से दोस्ती क्यों की है, इसीलिए वक्त जरूरत वह उस की मदद भी करने लगा. राजीव यह मदद ऐसे ही नहीं कर रहा था. वह सुमन की देह से अपनी पाई पाई वसूल रहा था.

राजीव स्मार्ट तो था ही, बातचीत में भी तेजतर्रार था. इसलिए सुमन को लगा कि अगर वह उस से शादी कर ले तो उस की सूनी जिंदगी में एक बार फिर बहार तो आ ही जाएगी, यह जिंदगी आराम से कट भी जाएगी. यही सोच कर एकांत के क्षणों में एक दिन उस ने राजीव कहा, ‘‘राजीव, आज मैं तुम से कुछ कहना चाहती हूं.’’

राजीव और सुमन में प्यार जैसा कुछ भी नहीं था. उन का लेनदेन का संबंध था, इसलिए उसे लगा कि सुमन कोई बड़ी मांग करेगी. थोड़ा गंभीर हो कर उस ने कहा, ‘‘बताओ, क्या चाहिए?’’

‘‘मैं जो चाहती हूं, पता नहीं तुम दे भी पाओगे या नहीं?’’

‘‘आज तक तुम ने जो भी मांगा है, मैं ने कभी मना किया है,’’ राजीव ने कहा, ‘‘जो भी चाहिए, साफसाफ कहो. पहेलियां मत बुझाओ.’’

‘‘मैं कोई चीज नहीं मांग रही हूं.’’ सुमन ने करीब आ कर राजीव का हाथ अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए.’’

सुमन के मुंह से ये शब्द सुन कर राजीव जैसे झूम उठा. उस ने अपने हाथ से सुमन का हाथ दबा कर कहा, ‘‘मैं तुम्हें प्यार ही तो दे रहा हूं. अगर तुम से प्यार न होता तो मैं तुम्हारे पास आता ही क्यों.’’

‘‘यह प्यार थोड़े ही है. हमारा तुम्हारा संबंध तो लेनदेन का है. तुम मेरी जरूरत पूरी करते हो और मैं तुम्हें खुश करती हूं. लेकिन तुम्हें खुश करते करते ही अब मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’

‘‘हमारा तुम्हारा जो भी संबंध है, बिना प्यार के हो ही नहीं सकता. तुम जिस तरह के संबंध की बात कर रही हो, वैसा बाजार में होता है. वहां आदमी ने पैसे फेंके, मौज लिया और चल दिया. लेकिन यहां ऐसा नहीं है. जरूरतें तो आदमी पत्नी की भी पूरी करता है. तो क्या वहां भी इसी तरह लेनदेन का संबंध होता है. सुमन सही बात तो यह है कि मैं भी तुम से प्यार करता हूं. बस, परेशानी यह है कि तुम मुझ से बड़ी हो.’’ राजीव ने कहा.

‘‘सिर्फ एक ही साल तो बड़ी हूं. पुरुष तो 20-20 साल बड़े होते हैं. तब तो कोई फर्क नहीं पड़ता,’’ सुमन ने कहा.

‘‘मैं ने तो ऐसे ही कह दिया था. कहां तुम्हें छोड़ कर जा रहा हूं.’’ राजीव ने सुमन के गले में बाहें डाल कर कहा तो वह उस के सीने से लग कर बोली, ‘‘अच्छा राजीव, इस प्यार को कब तक निभाओगे?’’

सुमन की आंखों में आंखें डाल कर राजीव ने कहा, ‘‘आखिरी सांस तक, जब तक जिंदा रहूंगा. तुम यह कभी मत सोचना कि मैं सिर्फ तुम्हारा शरीर पाने के लिए तुम्हारे पास आता हूं. मुझे तो तुम से पहले ही दिन प्यार हो गया था. अब वह इतना बढ़ गया है कि अब मैं तुम से अलग हो कर रह ही नहीं सकता. अगर जरूरत पड़ी तो दिखा भी दूंगा.’’

‘‘एक बार फिर सोच लो राजीव. तुम सहानुभूति की वजह से तो ऐसा नहीं कर रहे हो? क्योंकि मैं पति से अलग रहने वाली 2 बच्चों की मां हूं.’’ सुमन ने भावुक हो कर राजीव के सामने अपनी हकीकत बयां कर दी.

सुमन की हकीकत जान कर राजीव एक पल को चौंका. लेकिन उसे सुमन की देह का चस्का लग चुका था, इसलिए तुंरत संभल कर हंसते हुए उस ने उस का गाल थपथपा कर कहा, ‘‘ऐसा कभी नहीं होगा. प्यार में जब जाति और उम्र नहीं देखी जाती तो मैं इसे ही क्यों देखूंगा.’’

राजीव का इतना कहना था कि सुमन उस की बांहों में समा गई. इस के बाद जहां राजीव सुमन पर पति की तरह अधिकार जताने लगा था, वहीं सुमन भी राजीव से पत्नी की तरह हर जरूरत पूरी करवाने लगी थी. राजीव अब कभीकभी सुमन के कमरे पर रात को भी रुकने लगा था. बात यहां तक पहुंच गई तो सुमन और राजीव के संबंधों की जानकारी सुमन के मकान मालकिन मंजू शर्मा को ही नहीं, उस के घर वालों को भी हो गई.

पहले तो मकान मालकिन मंजू शर्मा ने उसे टोका. लेकिन सुमन ने उस की टोकाटाकी पर ध्यान नहीं दिया, तब उस ने उस से मकान खाली करने के लिए कह दिया. मांबाप ने सुमन से राजीव के बारे में पूछा तो उस ने सबकुछ सचसच बता दिया. उस ने बताया कि राजीव उस से शादी करने को तैयार है तो मांबाप ने कोई आपत्ति नहीं की.

मकान मालकिन जब सुमन को ज्यादा परेशान करने लगी तो एक दिन सुमन ने उस से भी कह दिया कि वह राजीव से शादी करने वाली है. इस के बाद उन्होंने भी टोकाटाकी बंद कर दी.

लिवइन पार्टनर का खूनी खेल

खूनी केक : पत्नी के प्रेमी का किया काम तमाम

बिहार राज्य के भोजपुर जिले के बिहिया में वार्ड नंबर 8 के राजाबाजार निवासी मनोहर यादव उर्फ मिंची (32 वर्ष) अपनी केक की दुकान पर बैठा था. तभी 25 वर्षीय सजीसंवरी खुशबू उस की दुकान पर आई. बोली, “मिंची, आज मुझे एक बढिय़ा सा केक चाहिए.”

“क्या बात है, आज तो आप बहुत सुंदर दिख रही हैं? लग रहा है कि फलक से चांद आज जमीं पर उतर आया. केक किसलिए?” मिंची खुशबू की कजरारी आंखों में झांकते हुए बोला.

दरअसल, इन दोनों की पुरानी जानपहचान थी. मिंची खुशबू की खूबसूरती पर फिदा था, इसलिए मौका मिलने पर वह उस से हंसीमजाक कर लेता था. खुशबू को भी उस की बातें अच्छी लगती थीं, इसलिए वह बुरा नहीं मानती थी. क्योंकि वह भी उसे चाहने लगी थी. मिंची के पूछने पर वह बोली, “मेरे बच्चे का जन्मदिन है,” कह कर मुसकरा दी.

“सच में भाभी, आप को देख कर नहीं लगता कि आप 2-3 बच्चों की मां हैं,” मिंची ने आंख मारी.

“तुम्हें भी देख कर नहीं लगता कि तुम भी किसी के बाप हो…” खुशबू खिलखिलाई.

उस के हाजिरजवाब पर मिंची ने जोरदार ठहाका लगाया. मिंची ने चौकलेट वाला केक नौकर को पैक करने को कहा और फिर खुशबू से बातें करने में लग गया.

इस दौरान दुकान पर कई ग्राहक आ गए. तभी खुशबू ने कहा, “अरे कस्टमर देखो…”

“अभी तो हुस्न की परी देख रहा हूं.”

“ध्यान से काम करो वरना बीवी मारेगी…”

“भाभी, तुम्हारी खातिर यह भी मंजूर है.”

“बड़े बेशर्म हो.”

“तुम्हारा आशिक हूं न इसलिए…”

तब तक नौकर खुशबू का केक पैक कर के काउंटर पर ले आया. वह बोला, “मालिक, केक.” इस के बाद मिंची झेंप गया.

खुशबू ने 500 का नोट उसे थमाया. मिंची ने 200 रुपए लौटा दिए. तब तक नौकर दूसरे ग्राहकों को देखने लगा. खुशबू जब चलने को हुई तो मिंची बोला, “भाभी, आप का बर्थडे कब है?”

“क्यों, फ्री में केक खिलाओगे? यह चौकलेट वाला केक 400 का आता है न?” पूछते हुए खुशबू ने आंख मारी.

मिंची मुसकरा दिया. वह बोला, “मैं ने 100 रुपए छोड़ दिया लिपस्टिक खरीदने के लिए, आप के होंठ बड़े रसीले हैं इसलिए. आप के बर्थडे पर आप को दिल बहार केक खिलाऊंगा.”

“दिल बहार केक मतलब…” खुशबू के लिपस्टिक लगे कुछ मोटे होंठों ने सवाल दागा.

मिंची ने अपने सीने पर हाथ रखा, “मेरा दिल.” और फिर उस ने खुशबू की तरफ इशारा किया, “आप के आने से बहार आ जाती है तो हो गया दिल बहार केक.”

“बड़े शायराना अंदाज हैं तुम्हारे. अच्छा अब चलती हूं.” केक का पौलीथिन बैग ले कर वह पलटी. उस के बैकलेस ब्लाउज से उस की गोरी पीठ चमक रही थी.

“ओ भाभी, मेरी पूजा के लिए ऐसा ही ब्लाउज सिल देना.”

“सिलाई पूरे 500 लूंगी.” नजरों का तीर चलाते हुए खुशबू बोली.

“300 ज्यादा क्यों?” अपने चश्मे के ऊपर से मिंची ने उसे निहारते हुए पूछा.

“मेरे ब्लाउज पर लाइन मारने के लिए,” खुशबू हंसी और फिर मिंची भी उस की हंसी में हंस दिया.

एकदूसरे से हो गया प्यार

केक ले कर वह घर आई. देखा, उस का ड्राइवर पति लालबाबू प्रसाद घर में उस का इंतजार कर रहा था.

“आप कब आए?” खुशबू ने पूछा.

“एक घंटा पहले. केक लाने में इतनी देर हो गई तुम्हें?” पति ने पूछा.

“हां, दुकान पर बहुत भीड़ थी. केक मालिक मिंची से मैं कब से बोल रही थी जल्दी केक देने के लिए, लेकिन वह बोल रहा था पहले ज्यादा दूर के कस्टमर को निपटा दूं आप का घर तो बगल में ही है.” खुशबू ने खूब सफाई से झूठ बोला.

फिर उस ने नाक सिकोड़ते हुए कहा, “आप गाड़ी चला कर आओ तो आने के बाद नहाया करो. आप के पसीने से बहुत स्मैल आती है.”

“तो खुशबू किस के पसीने से आती है?” लालबाबू ने पूछा.

“मिंची…” अचानक खुशबू के मुंह से फिसल गया. इस बात का एहसास होते ही उस ने बात पलटी, “मेरे कहने का मतलब यह है कि बौडी स्प्रे लगा लिया करो.”

“हूं. मैं इतना नहीं कमाता हूं कि बौडी स्प्रे लगाऊं और तुम भी बाजार जाती हो तो दूसरे मर्दों की बौडी स्प्रे मत सूंघा करो, समझी.” लालबाबू थोड़े गुस्से में बोला.

“जी,” पति से डांट खा कर खुशबू का मन थोड़ा उदास हो गया. बच्चे का जन्मदिन था सो उस ने अपनी उदासी दूर भगाई और खुशी मन से जन्मदिन मनाया.

लालबाबू प्रसाद अकसर गाड़ी चलाने दूसरे शहर जाता था और एकदो दिन बाद ही घर आता. खुशबू बच्चों के साथ घर में अकेले रहती. वह सिलाई करती थी इसलिए अकसर धागासुई या लैस आदि लेने या ग्राहक औरतों के कपड़े देनेलेने के लिए उसे बाजार जाना पड़ता था. उस के घर से कुछ ही दूरी पर मिंची की केक दुकान थी, जो उसे पार कर के ही जानी होती. मिंची अकसर दुकान पर ही रहता और दोनों की मुलाकातें वहीं हो जातीं. बातचीत, हंसीमजाक सब होता.

खुशबू अति महत्त्वाकांक्षी थी. उसे रोज नईनई साड़ी, मेकअप के सामान चाहिए होते, जो लालबाबू के बूते के बाहर था. वह तो बस एक मामूली ड्राइवर था. आर्थिक स्थिति उस की अच्छी नहीं थी. वह पत्नी की जरूरतें, ख्वाहिशें पूरी नहीं कर पाता था. खुशबू भी कोई बहुत बड़ी टेलर मास्टर नहीं थी. घर में सिलाई करती. बस साधारण सी उस की गृहस्थी थी, लेकिन उस की आकांक्षाएं बहुत ज्यादा थीं.

मिंची की बेकरी अच्छीखासी चलती थी और वह सुखीसंपन्न था. वह हमेशा उस की मदद कर दिया करता. इसी मदद और महत्त्वाकांक्षा के कारण खुशबू मिंची पर फिदा थी और वह भी उस पर लट्टू हो गया था. मिंची और खुशबू एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे. दोनों समय निकाल कर एक रेस्टोरेंट में मिल लिया करते थे. उन की मोहब्बत दिनोंदिन परवान चढ़ रही थी.

रेस्टोरेंट की मुलाकात में वह केवल बातचीत ही कर पाते थे, उन की हसरतें पूरी नहीं हो पाती थीं, इस के लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली. जब खुशबू का पति गाड़ी ले कर एकदो दिन के लिए बाहर जाता तो वह बिहिया के गेस्टहाउस में कमरा ले कर अपनी हसरतें पूरी कर लेते. उन का यह सिलसिला चलता रहा. मिंची की पत्नी का ब्लाउज खुशबू ही सिलती थी, इसलिए उस के घर में उस का आनाजाना लगा रहता था.

गेस्टहाउस में हो गईं हसरतें पूरी

एक दोपहर खुशबू मिंची के घर ब्लाउज देने आई. उस समय वह खाना खा रहा था. दोनों की नजरें मिलीं और मुसकान बिखर गई.

“पूजा, सिलाई वाली भाभी आई हैं, उन से अपने ब्लाउज ले लो.” मिंची ने आवाज दी.

पूजा ने अपना ब्लाउज पाते मिंची के सामने ही खोल कर देखा, उस का गला बहुत छोटा था, वैसा ही वह पहनती थी.

“भाभी, मैं ने कहा था न आप की तरह बैकलेस ब्लाउज बनाने के लिए,” मिंची बोला.

“मैं वैसा ब्लाउज नहीं पहनती और आप को क्या जरूरत है भाभी के ब्लाउज पर कमेंट करने की?” पूजा थोड़ी नाराजगी से बोली.

मिंची और खुशबू दोनों चुप रहे. पूजा की 2 साल की बेटी उसी समय खाना मांग रही थी तो पूजा उसे खाना देने के लिए किचन में चली गई.

तभी मिंची खुशबू से बोला, “भाभी, आप का साइज क्या है?”

“तुम्हारी बीवी से बस 2 इंच ज्यादा…” वह मुसकराई.

तभी पूजा वहां आ गई. उस ने साइज वाली बात सुन ली थी. उस ने पति से पूछा, “किस चीज का साइज पूछ रहे हैं?”

“ओ मेरे दोस्त को भी अपनी वाइफ के लिए ब्लाउज बनवाना है, इसलिए मैं ने कपड़े का साइज पूछा,” मिंची ने सफेद झूठ बोला और खुशबू जाने लगी. पूजा की बेटी फिर से मम्मीमम्मी चिल्लाने लगी तो वह फिर कमरे में चली गई.

“कल मंगलवार है दुकान भी बंद रहेगी. कल मिलते हैं अपने उसी ठिकाने पर,” मिंची ने धीरे से कह दिया. उस की बात सुन कर खुशबू ने मुसकराते हुए नजरों से इशारा किया और चली गई.

दूसरे दिन दोनों एक बंद मकान में खूब खुल कर मिले और घंटों साथ रहे. उस के पहले भी वे वहां 2-4 बार आ चुके थे. इत्तफाक से अगले दिन पूजा का पति 2 दिन के लिए गाड़ी ले कर फिर से चला गया तो वे फिर से उसी गेस्टहाउस में चले गए. सब से पहले दोनों ने तन की प्यास बुझाई. फिर खुशबू बोली, “मिंची, लगता है तुम्हारी पत्नी पूजा और मेरे पति को हम पर शक हो गया है.”

“अरे, कोई शक नहीं है, बस हमें मिलनेजुलने में थोड़ा सावधान रहना पड़ेगा. लेकिन जब भी तुम मुझ से मिलती हो हर बार तुम्हारी अलग ही खूबसूरती झलकती है.”

“और तुम भी खूब हैंडसम हो,” खुशबू बोली. दोनों अगली बार मिलने का वादा कर चले गए.

पति को हो गया शक

लालबाबू जब भी गाड़ी ले कर 2-4 दिन बाद घर आता तो पत्नी को हमेशा हंसतेखिलखिलाते हुए देखता. एक दिन वह बोला, “इस समय तुम बहुत खुश दिखाई देती हो, क्या बात है?”

“इंसान को हमेशा खुश रहना चाहिए, इस से उस की खूबसूरती बढ़ती है जैसे मेरी बढ़ गई है. अच्छा, लो यह केक खाओ.”

“केक कहां से?”

“अरे, वो मिंची की दुकान पर कपड़े देने गई थी तो उस ने दे दिया.”

“और क्या देता है वह..?” लालबाबू ने पत्नी को बुरी तरह से घूरा.

“आप के कहने का मतलब क्या है?”

“उस से तुम्हारा मिलना मुझे पसंद नहीं है,” लालबाबू सीधे बोला.

“मैं उस से मिलने नहीं जाती हूं. तुम अपने शक का इलाज कराओ.” खुशबू ने कुछ जोर से बोला ताकि पति के दिलदिमाग में पनप रहे शक को खत्म किया जाए. तभी मिंची वहां आ गया. उस के हाथों में 2 थैले थे. उसे अंदाजा नहीं था कि लालबाबू घर पर ही होगा. अचानक उसे देख कर खुशबू भी सकते में आ गई.

लालबाबू ने उसे बुरी तरह देखते हुए पूछा, “तुम यहां क्यों आए हो?”

“भैया, मेरी पत्नी के कपड़े सिलने हैं. वही देने आया था,” मिंची बोला और खुशबू को दोनों थैले दे कर तुरंत चला गया. थैले लेते वक्त खुशबू की आंखें चमक गई थीं क्योंकि मिंची ने उसे फोन पर बताया था कि उस ने उस के लिए 2 साडिय़ां और मेकअप का सामान खरीदा है.

लालबाबू पत्नी की नजरें ताड़ गया था. वह चुप रहा. एकदो दिन रह कर वह फिर से गाड़ी ले कर बाहर चला गया. उस ने बोल दिया था कि वह एक हफ्ते बाद आएगा. खुशबू ने मिंची को फोन पर यह सूचना दी और दोनों इस बार गेस्टहाउस में नहीं, बल्कि पास में स्थित एक बंद मकान में मिले. खुशबू मिंची द्वारा दी गई साड़ी ही पहन कर गई थी.

“चलो, एक हफ्ते तक कोई डरभय नहीं है,” मिंची बोला.

“हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं?” खुशबू चिंतित थी.

“अरे, नहीं मेरी जान, यह हमारा प्यार है,” मेरी दी हुई साड़ी तुम पर ज्यादा सुंदर लग रही है,” मिंची ने उसे गले से लगाया.

3 दिनों तक दोनों मिलते रहे. अचानक लालबाबू गाड़ी ले कर चौथे दिन ही घर आ गया. सडक़ पर बहुत सारी गाडिय़ां खड़ी थीं, इसलिए वह कुछ दूर उसी बंद मकान के बाहर अपनी गाड़ी लगाने लगा. उसे वहां किसी की खिलखिलाहट सुनाई दी. उस ने टूटी हुई खिडक़ी से झांका. मिंची तथा अपनी पत्नी खुशबू को रंगरलियां मनाते देख वह एकदम खौल पड़ा. उस ने जोर से दरवाजे पर लात मारी तो वह खुल गया. सामने पति को देख कर खुशबू और मिंची के होश उड़ गए.

लालबाबू ने खुशबू को खींच कर जोरदार तमाचा मारा, “अच्छा, तुझे इस के पसीने की स्मैल पसंद है. तुम दोनों का यह अवैध संबंध पकडऩे के लिए ही मैं यह सोच कर जल्दी आ गया कि तुझे इस की केक दुकान पर रंगेहाथों पकड़ूंगा, मगर तू यहां इस के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है हरामजादी.”

खुशबू पति को सामने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगी. तभी मिंची बोला, “लालबाबू भैया, आप भाभी को मत मारो.”

“तो मैं इस की आरती उतारूं? चुप रहो, तुम बोलने वाले कौन हो?” लालबाबू ने गुस्से में मिंची का कालर पकड़ लिया. फिर पत्नी का हाथ पकड़ बोला, “घर चल, अपनी पीठ मजबूत कर के…”

“आप इन्हें नहीं मारोगे.” मिंची ने रोका.

“तुझे तो मैं बाद में देखूंगा,” लालबाबू ने गुस्से में उसे धक्का दिया और पत्नी को घर ला कर उसे रूई की तरह धुन डाला. उस का गुस्सा सातवें आसमान पर था. वह एकदम अपने आपे से बाहर था कि कैसे मिंची ने उस की पत्नी से नाजायज रिश्ता जोड़ा. इस के बाद उस ने तुरंत एक भयानक फैसला ले लिया.

मिंची की हो गई हत्या

10 जून, 2023 की रात मिंची पत्नी पूजा के साथ खाना खा रहा था. पूजा ने उस से कहा कि कल डाक्टर ने उसे अपने क्लीनिक में बुलाया है, ताकि उस की प्रेग्नेंसी में उस से भी कोई लापरवाही न हो. तभी मिंची के पास किसी अनजान व्यक्ति का फोन आया कि उसे केक चाहिए.

चूंकि घर का घर दुकान के पीछे था, इसलिए उस ने उस से खाना खा कर आने के लिए कहा. खाना खा कर मिंची बाहर चला गया. कुछ ही देर में पूजा को बहुत तेज आवाज सुनाई दी उसे लगा कि बाहर कोई पटाखा छूटा है, मगर मिंची की चीख सुनते ही वह दौड़ कर बाहर निकली. बाहर देखा तो पति खून से लथपथ जमीन पर गिरा था. किसी शूटर ने उस की छाती पर गोली चलाई थी. जब तक सभी लोग आते, अपराधी घटना को अंजाम दे कर बाइक से भाग निकले थे.

घर वाले उसे तुरंत ही आरा सदर अस्पताल ले कर चल दिए, लेकिन रास्ते में ही मिंची ने दम तोड़ दिया. सूचना मिलने पर मौके पर तुरंत बिहिया पुलिस पहुंची और एसएचओ उदयभानु सिंह जांच में जुट गए. मिंची के पिता आशुतोष कुमार ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई. पुलिस ने जांच शुरू की तो वहां स्थित स्कूल के आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज देखे गए. इस के अलावा मिंची के फोन की काल डिटेल्स भी खंगाली गई.

बेकरी मालिक मनोहर उर्फ मिंची की हत्या पर व्यापारियों में आक्रोश था. उन्होंने जल्द से जल्द अपराधियों को पकडऩे के लिए बिहिया बंद किया और कैंडल मार्च निकाला. भोजपुर पुलिस के समक्ष जल्द से जल्द इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने की बड़ी चुनौती थी.

हत्याकांड के खुलासे के लिए भोजपुर के एसपी प्रमोद कुमार ने जगदीशपुर (भोजपुर) के एसडीओपी राजीव चंद्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया. पुलिस टीम ने केस को खोलने के लिए रातदिन एक किया. पुलिस ने मुखबिरों को भी अलर्ट कर दिया. इस का नतीजा यह निकला कि 2 हफ्ते में ही पुलिस ने 5 आरोपियों को हिरासत में ले लिया.

सभी आरोपी हुए गिरफ्तार

इस के बाद 29 जून, 2023 को एसपी प्रमोद कुमार ने प्रैस कौन्फ्रैंस के जरिए इस मर्डर मिस्ट्री का परदाफाश कर दिया. अपने प्रैस कौन्फ्रैंस में एसपी प्रमोद कुमार ने बताया कि संतोष कुमार के बेटे मनोहर उर्फ मिंची इस हत्या में बिहिया के जमुआ निवासी गुड्डू यादव, कमलेश यादव, उमेश यादव, दशई यादव तथा धनजी नट शामिल थे. हत्या का असली साजिशकर्ता लालबाबू प्रसाद ही निकला. उस ने पुलिस के सामने अपना गुनाह कुबूल कर लिया.

पता चला कि लालबाबू ने ही मिंची की हत्या डेढ़ लाख रुपए की सुपारी दे कर करवाई थी. उस ने पेशेवर अपराधियों को बेंगलुरु से बुलाया तथा बिहिया के कुछ लोकल गुंडों को भी शामिल किया. उस ने एडवांस में उन्हें 80 हजार रुपए पहले दे दिए थे और बाकी काम होने के बाद देने का वादा किया था.

करीब एक हफ्ते तक एक लाइनर ने मिंची कि रैकी की. फिर 10 जून, 2023 की रात में शूटर ने उसे गोलियों से भून डाला. लालबाबू प्रसाद ने बताया कि उस ने बहुत मुश्किल से 80 हजार रुपयों का इंतजाम किया था. मिंची के साथ अपनी पत्नी के अवैध संबंधों को वह बरदाश्त नहीं कर पाया था और उसे मारने के लिए षड्यंत्र रच दिया.

पुलिस ने खुशबू का भी बयान लिया. उस ने मिंची के साथ अपने प्रेम प्रसंग को तो स्वीकार किया, लेकिन हत्या में किसी तरह से शामिल न होना बताया. पुलिस ने अपराधियों के पास से कट्टा, मोबाइल फोन और बाइक बरामद की. सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में खुशबू परिवर्तित नाम है.

प्रेमिका के 100 टुकड़े कर कुकर में उबाला

मुंबई में ठाणे जिले के मीरा रोड (पूर्व) पर गीता नगर है. यहां फेज 7 में आकाशदीप सोसाइटी के चेयरमैन प्रताप जायसवाल और सेक्रेटरी सुरेश चह्वण 7 जून, 2023 की सुबह एक शिकायत ले कर नयानगर थाने गए थे. उन्होंने एसएचओ को बताया कि सोसाइटी के 704 नंबर फ्लैट से अजीब तरह की सड़ांध आ रही है. उन्होंने बताया कि दुर्गंध तो कई दिनों से आ रही थी, लेकिन पिछले 2 दिनों से और तीखी हो गई है. उस की वजह से सोसाइटी के लोग काफी परेशान हो गए हैं. वहां से हो कर गुजरना तक मुश्किल हो गया है.

ऐसे मामलों में ज्यादातर लाश के होनेे की ही बात सामने आती है, इसलिए एसएचओ ने इस सूचना को गंभीरता से लिया और तुरंत ही कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर आकाशदीप सोसायटी की तरफ निकल गए. पुलिस की जांच टीम बिल्डिंग की 7वीं मंजिल पर स्थित उस फ्लैट पर पहुंची तो उस का मेन गेट बंद था. एक पुलिसकर्मी ने दरवाजे की कालबेल बजाई. कुछ सेकेंड बीत गए, लेकिन भीतर से किसी के दरवाजा खोलने की आहट तक नहीं सुनाई दी.

पुलिसकर्मी ने दोबारा 2-3 बार कालबेल बजाई और दरवाजे को जोर से थपथपाया. कुछ सेकेंड बाद आवाज आई, “अभी आता हूं. वेट! वन मिनट!”

फ्लैट में दनदनाते घुसी पुलिस

दरवाजे की कुंडी खुली, दरवाजे के पीछे से सुटके गाल पर अधपकी दाढ़ी वाला एक अधेड़ व्यक्ति दिखा. उस ने दरवाजा उतना ही खोला, जितने से वह अपनी गरदन बाहर निकाल सकता था. शांति से बोला, “क्या बात है? कौन है?”

“पूरा किवाड़ खोलो, तुम्हारे घर में क्या पड़ा है, जो बिल्डिंग में इतनी तेज बदबू फैल रही है. आसपास के लोग परेशान हो रहे हैं.” एक पुलिसकर्मी बोला.

“कुछ भी तो नहीं. वह मैं ने घर की सफाई की है, उसी कचरे की बदबू है…” दरवाजे के भीतर से झांकता हुआ व्यक्ति एकदम धीमी आवाज में बोला.

इस बीच बाहर खड़ी पुलिस टीम और कुछ स्थानीय लोग दरवाजे को धकेल कर भीतर घर में घुस गए. अंदर जाते ही सभी बदबू से बेहद परेशान हो गए. उन्होंने रुमाल से अपनी नाकमुंह बंद करने पड़े. वे घर के हाल से होते हुए जब दूसरे कमरे की ओर बढ़े तब उन के होश उड़ गए. वहां पुलिस को 3 बाल्टियों में लाश के कई टुकड़े मिले. पास में ही खून से लथपथ पेड़ काटने वाली आरी भी मिली. छानबीन से जल्द ही मालूम हो गया कि शव के टुकड़े वहां रहने वाली सरस्वती वैद्य नाम की माहिला के हैं, जो 32 वर्ष की थी. वह उस फ्लैट में 56 वर्षीय मनोज साने के साथ रहती थी, जिस ने दरवाजा खोला था.

मनोज आसानी से पुलिस की गिरफ्त में आ गया था. हालांकि वह दरवाजा खुलते ही भागने की कोशिश में भी था, जिसे पुलिस और सोसाइटी के लोगों ने नाकाम कर दिया. वह भाग न सका. वहीं पकड़ लिया गया. उस की हालत उस वक्त एकदम से विक्षिप्तों जैसी हो गई थी. चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. ऐसा लग रहा था कि मानो उस का कोई बड़ा गुनाह सब की नजरों में आ गया हो. फिर भी वह एक ही रट लगाए हुए था, “मैं ने उसे नहीं मारा… खुद जहर खा लिया था उस ने.”

इस पर एक पुलिसकर्मी ने डपट दिया, “चुप रह, बकवास करता है. चल अभी कमरे में दिखा हमें.”

प्रेशर कुकर में मिले लाश के टुकड़े

और फिर मनोज को धकियाती हुई पुलिस फ्लैट के अंदर फैल गई. वहां उन्हें सरस्वती के शव के और कई टुकड़े मिले. किचन में काफी बरतन और एक बाल्टी में लाश के कई टुकड़े मिले. जिन में से कुछ को प्रेशर कुकर में पकाया गया था तो कुछ को भूना गया था. पकेअधपके मांस को देख कर सभी लोग हैरान हो गए. लाश के टुकड़ों को जांच के लिए मुंबई के जे.जे. अस्पताल में भेज दिया गया. यह मामला सामने आते ही दिल्ली में हुए श्रद्धा वालकर मामले की यादें ताजा हो गईं.

संभ्रांत इलाके के फ्लैट से टुकड़ों में मिली लाश की खबर तुरंत चारों ओर फैल गई. सोशल मीडिया से ले कर टीवी चैनलों पर और कुछ समय बाद ही यह खबर लोगों के मोबाइल में पहुंच गई थी. जबकि इसे अगले रोज प्रिंट मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. उस बारे में तरहतरह की बातें छपने से इलाके में सनसनी फैल गई. सोसाइटी के लोग इस घटना के बारे में सुन कर दंग रह गए. यह बेहद लोमहर्षक घटना थी.

एसएचओ ने इस घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे कर सोसाइटी के लोगों से भी गहन पूछताछ की. उन से मिली जानकारी से पता चला कि सरस्वती और मनोज इलाके में पिछले कई सालों से किराए पर रह रहे थे. उन के आपसी रिश्ते को ले कर भी लोगों के बीच संदेह था, क्योंकि उन की उम्र का भी बड़ा अंतर था. किसी ने प्रेमी युगल बताया तो किसी ने आपसी रिश्तेदार.

सरस्वती वैद्य की मौत के बारे में पूछने पर मनोज ने दावे के साथ बताया कि वह 3 जून, 2023 को ही मर गई थी. उस ने जहर पी कर आत्महत्या कर ली थी. सरस्वती को उस ने नहीं मारा. जब वह 3 जून की सुबह सो कर उठा, तब पाया कि सरस्वती के मुंह से झाग निकल रहे हैं. उस की नब्ज टटोली, जो नहीं चल रही थी. सांसें भी बंद हो चुकी थीं. सरस्वती की इस हालत को देख कर वह डर गया कि लोग कहीं उसे ही उस की मौत का जिम्मेदार न ठहरा दें. इसी डर की वजह से उस ने लाश को ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया.

आत्महत्या का नहीं मिला सबूत

पुलिस को मनोज की बातें काफी अटपटी लगीं. पुलिस ने महसूस किया कि मनोज ने सरस्वती की लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाने के बाद आत्महत्या की योजना बनाई थी. बचने के लिए उस ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की.

पुलिस को सरस्वती की आत्महत्या के भी कोई ठोस सबूत नहीं मिले. किसी तरह का लिखा नोट या फिर मोबाइल में टेक्स्ट मैसेज, फोटो या वीडियो भी नहीं था. लाश की जो हालत थी, उस से जहर खा कर जान देने जैसी बात की पुष्टि आसान नहीं थी.

पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि मनोज एचआईवी संक्रमित है. और उस के दावे के मुताबिक सरस्वती उस की प्रेमिका जरूर थी, लेकिन उस ने कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे. जबकि पुलिस को उन के संबंधों और सरस्वती की लाश को ठिकाने लगाने संबंधी कई बातें सुनने को मिलीं. सोसाइटी के कुछ लोगों ने बताया कि मनोज आवारा कुत्तों को मांस खिलाता हुआ देखा गया था, जो सरस्वती के शरीर के हो सकते हैं. ऐसा करते हुए उसे पहले कभी नहीं देखा गया था.

इस मामले की छानबीन के क्रम में पुलिस को सरस्वती की 4 बहनों के बारे में भी जानकारी मिली, जबकि लोगों को उस के बारे में पता था कि वह अनाथालय में पलीबढ़ी है. उस के मातापिता या परिवार के बारे में किसी का कुछ नहीं पता.

बहनों को थाने बुलवा कर उन से पूछताछ की गई. उन के बयान के आधार पर मनोज साने के खिलाफ हत्या, सबूत मिटाने और लाश को ठिकाने लगाने के जुर्म में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. इस हत्याकांड में मीरा रोड की नया नगर थाने की पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 और 201 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

पूछताछ में पता चला कि सरस्वती वैद्य और मनोज के रिश्ते की कहानी एक राशन की दुकान से शुरू हुई थी. यहीं दोनों की पहली मुलाकात साल 2014 में हुई थी. इस बारे में मनोज साने ने बताया कि बोरीवली की एक राशन की दुकान पर सरस्वती मिली थी. उन की पहली जानपहचान बेहद दिलचस्प थी. तब दोनों दुकानदार से एक ही बात पर लड़ पड़े थे.

राशन की दुकान पर हुई थी मुलाकात

दरअसल, दुकानदार चावल का वजन कम तौल रहा था, जो मनोज को मिलना था. सरस्वती वहीं खड़ी दुकानदार की हरकत देख रही थी. जब सरस्वती ने इस का विरोध किया, तब शांत स्वभाव का मनोज भी उस का साथ देने लगा और उन्होंने इस की शिकायत मापतौल विभाग में करने की चेतावनी दी. हालांकि बाद में पता चला कि मनोज कभी उसी राशन की दुकान पर काम करता था.

मनोज की बातों से सरस्वती को एहसास हुआ कि वह एक गंभीर और सुलझा हुआ इंसान है. दिखने में जरूर समय का मारा हुआ निराश और हताश दिखता है, लेकिन उसे मानसम्मान की जरूरत है. इस के बाद उन दोनों की कई मुलाकातें हुईं. धीरेधीरे सरस्वती उस की ओर खिंचती चली गई. मनोज ने भी महसूस किया कि सरस्वती के उस की जिंदगी में आने से कुछ अच्छा महसूस कर रहा है.

सरस्वती वैद्य ने मनोज को अपना परिचय एक अनाथ लडक़ी के रूप में दिया. उस का कहना था कि उस के आगेपीछे कोई नहीं है. उसे रिश्ते की एक ऐसी डोर चाहिए, जो उस की भावनाओं को समझ सके, प्यार दे सके. इस तरह से सरस्वती और मनोज के बीच प्रगाढ़ रिश्ते की शुरुआत हुई. रिश्ता परवान चढ़ा और फिर दोनों 2 साल के अंदर ही साथसाथ रहने लगे. मनोज आकाशदीप सोसाइटी में पहले से रह रहा था.

इस हत्याकांड की गहन छानबीन की जानकारी डीसीपी जयंत बजलवे ने देते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए मनोज को अदालत में पेश करने के बाद उसे 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

साइको किलर था मनोज

पुलिस ने पाया कि मनोज एक साइको किलर की तरह पेश आया था. उस ने हैवानियत की सारी सीमाओं को तोड़ दिया था. मनोज साने ने अपनी लिवइन पार्टनर की न सिर्फ बेरहमी से हत्या की थी, बल्कि उस के शरीर के कई टुकड़े भी कर दिए थे. बाद में उस ने इन टुकड़ों को धीरेधीरे ठिकाने लगाना शुरू किया था.

यह भी पता चला कि शरीर के टुकड़ों को ठिकाने लगाने के लिए वह उन्हें पहले कुकर में उबालता था और उस के बाद उन्हें ठिकाने लगाता था. कुछ स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि उबालने के बाद वह टुकड़ों को पीस कर टायलेट में फ्लश कर देता था, ताकि इस हत्या के बारे में किसी को पता न चले. वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि वह कुत्तों को यह टुकड़े खिलाता था. पड़ोसियों ने टायलेट की पाइपलाइन जाम होने की शिकायत की थी.

मनोज साने को ले कर उस के एक पड़ोसी ने पुलिस को एक अजीब बात बताई. उन्होंने कहा कि मनोज और उस की लिवइन पार्टनर उन से एकदम कटेकटे रहते थे. वह किसी से भी ज्यादा मतलब नहीं रखते थे. एक फ्लोर पर 4 फ्लैट हैं. बाकी लोगों के घर के लोगों का अकसर एकदूसरे के यहां आनाजाना होता था, लेकिन उस का दरवाजा हमेशा बंद रहता था. वे लोग सिर्फ आनेजाने के लिए ही दरवाजा खोलते थे.

पुलिस की जांच में कई सनसनीखेज खुलासे हुए. जिस में एक उस की आदत भी थी. मनोज ने ही पुलिस को बताया कि उस ने वेब सीरीज देख कर सरस्वती की हत्या करने का प्लान बनाया था. साथ ही श्रद्धा वालकर मामले की भी पूरी स्टडी की थी. इस के अलावा उस ने बौडी कंपोज करने का तरीका गूगल पर सर्च किया था.

दूसरी सनसनीखेज जानकारी दोनों के अनाथ होने को ले कर भी थी. मनोज साने लोगों से कहता था कि वह और सरस्वती दोनों अनाथ हैं. इस की सच्चाई का भेद तब खुल गया, जब पुलिस छानबीन के दरम्यान दोनों के रिश्तेदार सामने आ गए.

सरस्वती की 4 और बहनें हैं. मातापिता के तलाक के बाद उन का पालनपोषण एक अनाथालय में हुआ था. वहीं, आरोपी मनोज के रिश्तेदार बोरीवली में रहते हैं और बोरीवली (पश्चिम) के पौश इलाके भाईनाका की साने रेजीडेंसी में उस का एक फ्लैट है. यह फ्लैट मनोज ने 30 हजार रुपए मासिक किराए पर दे रखा है.

लाश के किए 100 टुकड़े

यहां तक कि मनोज और सरस्वती शुरुआती दिनों में 2 साल तक इसी फ्लैट में रहे थे. पुलिस के अनुसार मनोज एक कोल्ड माइंडेड इंसान है और उस ने बहुत सोचसमझ कर हत्या को अंजाम दिया है. उस ने बताया कि लाश के टुकड़े करने से पहले उस का फोटो भी खींचता था. उस ने लाश के करीब 100 टुकड़े किए थे. मोबाइल और फोटो पुलिस ने कब्जे में ले लिया है. आगे की जांच में इन से मदद मिलेगी.

जांच में सरस्वती की मृत देह पर मारपीट के कई निशान पाए गए. मोबाइल में खींची गई तसवीरें और सरस्वती की मृत देह पर मारपीट के निशान मनोज की दरिंदगी की मंशा को जाहिर कर रहे थे. इस के अलावा गूगल की सर्च हिस्ट्री कई अहम राज खोल सकती है.

मनोज के बारे में पुलिस को एक अहम राज उस के एचआइवी पीडि़त होने का भी मालूम हुआ. इस का दावा उस ने खुद किया. उस ने बताया कि इस की जानकारी उसे 2008 से ही थी. उस का कहना है कि वह इलाज करवा रहा था और सरस्वती से उस ने कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए. पुलिस उस के सभी दावों की जांच कर रही है.

वह विगत 29 मई से ही काम पर नहीं जा रहा था. उस ने कई लोगों को अपने और सरस्वती के बीच मामाभांजी का रिश्ता बताया था. जबकि दोनों की शादी के बाद सरस्वती की बहनें उस के घर खाना खाने आई थींं. पूछताछ में मनोज ने बताया कि दोनों के बीच आर्थिक तंगी को ले कर झगड़ा होता था. 3 जून की रात भी दोनों के बीच झगड़ा हुआ था. इस अनुसार संभव है कि मनोज ने उस की पहले हत्या कर दी हो और फिर बाद में शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई हो.

भारी पड़ी प्रेमी से शादी करने की जिद

प्रेमिका बनी ब्लैकमेलर – भाग 3

यह सब जानकारी मिलने के बाद उसे पहली बार पता चला कि वह बुरी तरह से फंस चुका है. शनीफ ने कई बार प्यार से सिमरन को समझाने की कोशिश की, लेकिन उस ने उस की एक न सुनी. उस का साफ कहना था कि अगर उस ने उसे पैसा नहीं दिया तो वह उसे बुरी तरह से बदनाम कर देगी.

बदनामी के डर से वह बारबार उस की मांग पूरी करता रहा. लेकिन उस की मांग खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी. जिस से शनीफ बुरी तरह से तंग आ चुका था. उसी दौरान शनीफ का रिश्ता महाराष्ट्र की एक युवती के साथ पक्का हो गया. हालांकि उस ने रिश्ते वाली बात पूरी तरह से उस से छिपा कर रखी थी. लेकिन पता नहीं उसे किस तरह से शनीफ के रिश्ते की बात पता चल गई. उस के बाद उस ने फिर से उसे ब्लैकमेल करना चालू कर दिया.

शनीफ ने उसे इस बार पैसा देने से साफ मना किया तो उस ने उस से कहा कि यह आखिरी बार है. तुम्हारा निकाह हो जाने के बाद तुम्हें मेरी जरूर तो होगी नहीं. उस के बाद वह उस से कोई पैसा नही मांगेगी.

सिमरन की बात सुनते ही शनीफ को लगा कि इस बार पैसा देने से उस से हमेशाहमेशा के लिए पीछा छूट जाएगा. यही सोच कर उस ने फिर से उसे मोटी रकम दे दी, लेकिन उस के बावजूद भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आई. उस ने कुछ ही दिनों में फिर से उस से पैसों की मांग शुरू कर दी थी. परेशान हो कर शनीफ ने उस का फोन तक अटैंड करना बंद कर दिया था.

सिमरन नहीं मानी तो रेत डाला गला

शनीफ ने पुलिस को बताया कि 3 मई, 2023 को सिमरन उस की दुकान पर आ धमकी. उस वक्त दुकान पर काफी ग्राहक खड़े थे. दुकान के सामने आते ही उस ने अपनी स्कूटी रोकी और फिर उसे इशारे से पास बुलाने लगी. उस ने उसे अनदेखा करते हुए अपने ग्राहकों को निपटाया.

उस ने उस के बुलाने पर नहीं गया तो उस ने शनीफ को मोबाइल दिखा कर इशारा किया. उस के इशारे को शनीफ भलीभांति समझता था. उस वक्त दुकान बंद करने का भी समय हो चुका था. आसपास की अधिकांश दुकानें बंद हो चुकी थीं. फिर भी वह अनचाहे मन से उस के पास पहुंचा.

शनीफ ने उस से काफी मिन्नतें की कि वह उसे माफ कर दे. इस वक्त उस के पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन उस के बाद भी सिमरन अपनी जिद पर अड़ी रही. उस वक्त उस के पड़ोसी उसे शक की निगाहों से देख रहे थे. बारबार उस की धमकी सुन कर शनीफ बुरी तरह पक चुका था.

सिमरन ने फिर से जैसे ही उसे मोबाइल दिखाने की तो शनीफ उस के हाथ से मोबाइल छीन लिया. उस के बाद उसे सडक़ पर दे मारा. फिर वह जल्दी से दुकान की तरफ लपका. जब तक सिमरन ने अपना मोबाइल समेटा, वह दुकान से मीट काटने का छुरा ले कर उस के पास पहुंच गया. जैसे ही सिमरन ने उस के हाथ में छुरा देखा, उस ने वहां से भागने की कोशिश की. लेकिन उस की स्कूटी स्टार्ट नहीं हुई. मौका पाते ही शनीफ ने छुरे से उस का गला रेत दिया.

उस वक्त कई दुकानदार उसे देख रहे थे. लेकिन उस पर खून का भूत सवार होते देख किसी ने भी बोलने की हिम्मत नहीं की. रात के साढ़े 9 बजे के बाजार में सैंकड़ों की मौजूद भीड़ के बीच एक जवान युवती की जघन्य रूप से हत्या किए जाने से बाजार में अफरातफरी मच गई. उस की हत्या को देख कर खरीदार तो इधरउधर हुए ही, साथ ही दुकानदार भी अपनी दुकानें फटाफट बंद कर वहां से निकल लिए थे.

सिमरन को मौत की नींद सुलाने के बाद शनीफ मलिक ने वह छुरा दुकान में रख दिया और फिर वह भी वहां से फरार हो गया. फिर शनीफ ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया था. उस के बाद वह घर पहुंचा, अपने कपड़े चेंज किए और घर वालों को कुछ भी बताए बगैर फरार हो गया.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने आरोपी को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में फातिमा, राशिद परिवर्तित नाम हैं

आरजू की लाश पर सजाई सेज – भाग 4

आरजू को अपनी स्विफ्ट डिजायर कार में बिठा कर नवीन करोलबाग, धौलाकुआं, ङ्क्षरगरोड से मुनीरका होते हुए देवली गांव पहुंचा. वहां पर नवीन की बुआ रहती हैं. कार को सडक़ पर खड़ी कर के वह अकेला ही बुआ के यहां कार्ड देने गया. आरजू बारबार उस से यही कह रही थी कि तुम शादी के कार्ड बांट तो रहे हो, लेकिन मैं यह शादी होने नहीं दूंगी. नवीन ने तो कुछ और ही सोच रखा था, इसलिए उस की धमकी को उस ने गंभीरता से नहीं लिया.

साढ़े 12 बजे वह देवली से निकला. दोपहर तक उसे अपनी बहन के घर पहुंचना था. साढ़े 12 बजे उसे देवली में ही बज गए. बहन के यहां पहुंचने में उसे 2 घंटे और लगने थे, इसलिए वह कार को तेजी से चलाते हुए सैनिक फार्म, साकेत, महरौली होते हुए वसंतकुंज पहुंचा. वहां बाजार में बीकानेर की दुकान पर उस ने आरजू को गोलगप्पे खिलाए. सवा 2 बजे वह बहन के गांव के लिए निकला. इस बीच आरजू शादी की बात को ले कर उस से बहस करती रही.

नांगल देवत गांव से पहले केंद्रीय विद्यालय के पास सुनसान सडक़ पर उस ने कार रोक दी. आरजू उसे बारबार धमकी दे रही थी. नवीन बेहद गुस्से में था. उस ने आरजू के गले में पड़ी चुन्नी के दोनों सिरे पकड़ कर कस दिए. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. गला दबाते समय आरजू की नाक और मुंह से थोड़ा खून तो निकला ही, उस का यूरिन भी निकल गया था.

आरजू के मरते ही नवीन के हाथपैर फूल गए. नाक व मुंह से निकले खून को आरजू के बैग से पोंछा. आरजू के पास 2 मोबाइल फोन थे. उस ने दोनों के सिमकार्ड निकाल लिए. इस के बाद उस की लाश कार की डिक्की में डाल दी. कार की अगली सीट पर निकले उस के यूरिन को उस ने पहले अखबार से, फिर बोतल के पानी से साफ किया.

बहन के यहां पहुंचने में उसे देर हो चुकी थी. वह बहन के यहां पहुंचा तो बहन अपने दोनों बच्चों के साथ तैयार बैठी थी. फटाफट उन्हें गाड़ी में बिठा कर अपने घर ले आया. हत्या करने के बाद भी वह बहन से सामान्य रूप से बातें करता आया था. चूंकि कार में लाश थी, इसलिए उस ने उस की चाबी अपने पास ही रखी. उस के दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि वह लाश को ठिकाने कहां और कैसे लगाए.

नवीन का जो मकान बना हुआ था, उस के ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग है. पहली मंजिल पर वह खुद रहता है. दूसरी मंजिल पर उस के मातापिता और दादी रहती हैं और तीसरे फ्लोर पर उस का बड़ा भाई संदीप पत्नी के साथ रहता है.

2 फरवरी को नवीन की शादी का दहेज का सामान आ गया था. वह सारा सामान ग्राउंड फ्लोर पर ही रखा हुआ था. 5 फरवरी को उस की बारात जानी थी. घर वालों ने रात को दहेज का सामान के कमरे में सेट कर दिया था. इस के बाद सभी अपनेअपने कमरों में जा कर सो गए. लेकिन नवीन को नींद नहीं आ रही थी. वह लाश को ठिकाने लगाने के बारे में ही सोच रहा था.

उस के मकान की रसोई और अन्य कमरों की वेंटिलेशन के लिए कुछ जगह खाली छोड़ी गई थी. इसे वे शाफ्ट कहते थे. लाश छिपाने के लिए नवीन को वही जगह उपयुक्त लगी. सुबह करीब 5 बजे नवीन उठा और अपनी कार की डिक्की से आरजू की लाश निकाल कर शाफ्ट में डाल दी. लाश के ऊपर उस एक पौलीथिन डाल दी. शाफ्ट में एग्जास्ट फैन लगा था. उस की हवा से कहीं पौलीथिन लाश से हट न जाए, उस के ऊपर घर में पड़ा टूटा कांच डाल दिया. अपने ही घर में लाश को ठिकाने लगा कर नवीन को थोड़ी तसल्ली हुई. अगले दिन वह आरजू का पौकेट पर्स, मोबाइल फोन हैदरपुर बाईपास के नजदीक गहरे नाले में फेंक आया.

उधर आरजू के मांबाप को जब पता चला कि 2 फरवरी को उन की बेटी नवीन के ही साथ गई थी तो कविता चौहान ने नवीन के भाई संदीप से बात की. कविता के दबाव पर संदीप और उस के पिता ने नवीन से बात की तो उस ने बताया कि उस ने आरजू की हत्या कर दी है और उस की लाश को जंगल में फेंक आया है. उस ने यह नहीं बताया कि लाश घर के शाफ्ट में रखी है.

कार में हत्या का सबूत न रह जाए, इस के लिए उस की धुलाई होनी जरूरी थी. दिल्ली के पीतमपुरा गांव में नवीन के रिश्ते के मामा कृष्ण रहते थे. संदीप ने फोन कर के आरजू की हत्या करने वाली बात उन्हें बताई तो उन्होंने तसल्ली दी कि चिंता न करें, आगे का काम वह देख लेगा.

5 फरवरी को नवीन के भात भरने की रस्म पूरी करने के लिए कृष्ण राजपुरा गांव पहुंचा तो वह अपने साथ अपने गांव ही के नवीन को भी साथ लाया था, वह उन का नजदीकी था. भात भरने की रस्म के बाद कृष्ण और नवीन उस की स्विफ्ट डिजायर कार पीतमपुरा ले गए. इसी चक्कर में वे उस की बारात तक नहीं गए. पीतमपुरा में उन्होंने कार की अंदरबाहर अच्छी तरह सफाई करा दी. 6 फरवरी को कार संदीप के घर पहुंचा दी.

शाफ्ट में रखी लाश की बदबू घर में फैलने लगी तो नवीन थोड़ीथोड़ी देर में परफ्यूम छिडक़ देता था. परफ्यूम की बोतल खत्म हो गई तो वह बाजार से तेज सुगंध वाले परफ्यूम की 2 दरजन बोतलें खरीद लाया, जिन में से वह 17 बोतलें छिडक़ चुका था. मेहमान और घर वाले यही समझ रहे थे कि नवीन यह सब शादी की खुशी में कर रहा है. सच्चाई तो तब सामने आई, जब पुलिस ने घर से आरजू की लाश बरामद की.

नवीन खत्री ने अपनी नईनवेली दुलहन के साथ हनीमून के लिए गोवा जाने का प्रोग्राम बनाया था. उस की 6 फरवरी की शाम को दिल्ली से गोवा की फ्लाइट थी. लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उस की फ्लाइट चली गई तो निराश हो कर वह घर लौट आया. इस के बाद किसी काम से वह आजादपुर गया था. रात 10 बजे वह वहां से बस से मौडल टाउन के लिए लौट रहा था, तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

नवीन खत्री से पूछताछ के बाद पुलिस ने 12 फरवरी को नवीन खत्री के पिता राजकुमार, भाई संदीप खत्री, रिश्ते के मामा कृष्ण और नवीन को भादंवि की धारा 201, 202, 212 के तहत गिरफ्तार कर लिया. सभी को महानगर दंडाधिकारी श्री सुनील कुमार की कोर्ट में पेश किया गया. पुलिस ने राजकुमार, संदीप खत्री, कृष्ण और नवीन पर जमानती धाराएं लगाई थीं, इसलिए इन चारों को उसी समय कोर्ट से जमानत मिल गई, जबकि नवीन खत्री को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

नवीन खत्री के पिता राजकुमार हाल ही में जेल से पैरोल पर बाहर आया था. उस ने सन 2005 में गांव के ही अजय का मामूली बात पर कत्ल कर दिया था. हत्या के इस मामले में उस के परिवार के 6 सदस्य जेल गए थे. बहरहाल, कथा लिखने तक प्रेमिका की हत्या करने वाले नवीन खत्री की जमानत नहीं हुई थी. केस की जांच इंसपेक्टर सुधीर कुमार कर रहे हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों और आरजू के घर वालों के बयानों पर आधारित

आरजू की लाश पर सजाई सेज – भाग 3

7 फरवरी को पुलिस ने नवीन खत्री को रोहिणी न्यायालय में ड्यूटी मेट्रोपौलिटन मजिस्ट्रेट सोनाली गुप्ता के समक्ष पेश कर के पूछताछ के लिए 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि में अभियुक्त नवीन खत्री से विस्तार से पूछताछ की गई तो आरजू चौधरी की हत्या की रोंगटे खड़े कर देने वाली प्रेम, धोखा और छुटकारे की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली.

संजीव चौहान उत्तरी पश्चिमी जिले के गांव राजपुरा, गुड़मंडी में अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी कविता के अलावा 2 बेटियां और एक बेटा था. आरजू उन की दूसरे नंबर की बेटी थी. बड़ी बेटी पायल पढ़लिख कर दिल्ली के ही एक निजी स्कूल में टीचर हो गई थी. दूसरी बेटी आरजू दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कालेज में बीए फाइनल ईयर में पढ़ रही थी. वह कालेज बस से आतीजाती थी. कभीकभी वह अपनी सहेलियों के साथ कमलानगर मार्केट घूमने चली जाती थी.

एक दिन आरजू कालेज की एक दोस्त के साथ कमलानगर मार्केट घूमने गई थी, तभी वहां उस की मुलाकात नवीन खत्री से हो गई. नवीन को वह पहले से जानती थी, क्योंकि वह उसी के मोहल्ले में रहता था. लेकिन वह उस से कभी मिली नहीं थी. नवीन भी राजपुरा गांव के राजकुमार का बेटा था. उस दिन रैस्टोरेंट में नवीन और आरजू की पहली बार बात हुई तो आरजू के खानेपीने का बिल नवीन ने ही चुकाया. उस दौरान दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए. यह करीब 2 साल पहले की बात है.

पहली मुलाकात में ही आरजू नवीन को भा गई थी. उस से नजदीकियां बढ़ाने के लिए वह उसे जबतब फोन करने लगा. कभीकभी आरजू जैसे ही कालेज के लिए घर से निकल कर मेनरोड तक पहुंचती, नवीन मोटरसाइकिल ले कर आ जाता. उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाने के लिए कहता कि उसे लक्ष्मीबाई कालेज के सामने से होते हुए करोलबाग जाना है. तब आरजू उस की मोटरसाइकिल पर बैठ जाती. इस तरह आरजू और नवीन के बीच दोस्ती हो गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. इस के बाद वह अकसर नवीन की मोटरसाइकिल पर घूमने लगी. नवीन भी उस पर खूब पैसे खर्च करने लगा.

राजपुरा गांव के कुछ लोगों ने आरजू को नवीन के साथ घूमते देखा तो इस की चर्चा गांव में होने लगी. इस का नतीजा यह निकला कि दोनों के ही घर वालों को उन के प्यार की जानकारी हो गई. तब उन्होंने अपनेअपने बच्चों को समझाने की कोशिश की. लेकिन आरजू और नवीन अपनी प्यार की धुन में रमे थे, उन के बारे में लोग क्या कह रहे हैं, इस की उन्हें परवाह नहीं थी. हां, उन्होंने मिलने में अब ऐहतियात बरतनी शुरू कर दी थी.

प्यार कर लिया, साथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं, लेकिन इस बात पर गौर नहीं किया कि वे एक ही मोहल्ले में रहते हैं, जिस की वजह से शादी होना असंभव है. गांव के रिश्ते से एक तरह से वे भाईबहन लगते थे. अगर यह बात वे पहले सोच लेते तो उन की मोहब्बत परवान न चढ़ती.

संजीव चौहान को लगा कि नवीन ने ही उन की बेटी को बहका कर अपने जाल में फांस लिया है. इसलिए उन्होंने फोन कर के नवीन के घर वालों से शिकायत की. इस के बाद नवीन के घर वाले कुछ परिचितों को ले कर संजीव चौहान के घर पहुंचे. यह करीब 4 महीने पहले की बात है.

एक ही गांव का होने की वजह से शादी होना असंभव था, इसलिए सब ने यही कहा कि दोनों के घर वाले अपनेअपने बच्चों को समझाएं. कहा जाता है कि अपने घर वालों की इज्जत को देखते हुए आरजू ने नवीन से बात करनी बंद कर दी थी. उस ने उस से दूरियां बना ली थीं. इस के बाद उस ने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया था. कल्पनाओं की दुनिया में नाम कमाने के लिए उस ने किंग्सवे कैंप स्थित एक इंस्टीट्यूट में एनिमेशन के कोर्स में दाखिला भी ले लिया था. कालेज से लौटने के बाद वह एनिमेशन सीखने जाती थी.

आरजू और नवीन भले ही घर वालों के दबाव में एकदूसरे से दूरी बनाए हुए थे, लेकिन पुरानी यादों को भूलना इतना आसान नहीं था. जब कभी वे घर पर एकांत में होते तो उन की पुरानी यादें दिमाग में घूमने लगतीं. वे यादें उन्हें फिर से मिलने के लिए उकसा रही थीं. नतीजा यह हुआ कि दोनों ही खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाए और फोन पर बातें ही नहीं करने लगे, बल्कि मिलने भी लगे.

अब आरजू नवीन पर शादी का दबाव डालने लगी, मगर नवीन कोई न कोई बहाना बना कर उसे टालता रहा. पंचायत के फैसले के बाद नवीन दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली के नागल देवत में अपनी बहन के घर रहने लगा था. वह वहीं से आरजू से फोन पर बात कर के निश्चित जगह पर उस से मिल लेता था. जबकि घर वाले सोच रहे थे कि बच्चों ने संबंध खत्म कर लिए हैं.

इस बीच नवीन के घर वालों ने दिल्ली के द्वारका सेक्टर-5 स्थित विश्वासनगर की एक लडक़ी से उस की शादी तय कर दी थी. इतना ही नहीं, 5 फरवरी, 2016 को विवाह की तारीख भी निश्चित कर दी. यह बात आरजू को पता चली तो वह नवीन पर बहुत नाराज हुई. उस ने उसे धमकी दी, “मैं किसी और से तुम्हारी शादी कतई नहीं होने दूंगी.”

आरजू की इस धमकी से नवीन डर गया. आरजू की धमकी वाली बात नवीन के घर वालों को पता चली तो वे भी परेशान हो उठे. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि इस बला से कैसे छुटकारा पाया जाए. जैसेजैसे नवीन की शादी की तारीख नजदीक आ रही थी, उन की चिंता बढ़ती जा रही थी. नवीन को इस बात का डर था कि वह उस की शादी में पहुंच कर लडक़ी वालों के यहां कोई बवंडर न खड़ा कर दे. अब आरजू उस के लिए मुसीबत बन गई थी.

तमाम रिश्तेदारों और परिचितों को वह शादी के कार्ड दे चुका था. बाकी बचे लोगों को 2 फरवरी को उसे कार्ड बांटने और दोपहर को नांगल देवत से अपनी बहन को लाने जाना था. उसी दिन उस की आरजू से बात हुई तो उस ने उस पर शादी का दबाव ही नहीं डाला, बल्कि धमकी भी दी. उस की धमकी से परेशान नवीन ने उसी समय आरजू से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का निर्णय ले लिया.

2 फरवरी को आरजू अपने नियत समय पर कालेज चली गई. उसी दौरान उस की नवीन से बात हुई तो उस ने 9, साढ़े 9 बजे उस से कालेज के गेट पर मिलने को कहा. पहला पीरियड अटैंड करने के बाद आरजू कालेज के गेट पर इंतजार कर रहे अपने प्रेमी नवीन के पास पहुंच गई.

लिवइन पार्टनर का खूनी खेल – भाग 3

नजलू को रुखसाना के साथ रहते एक साल हो गया था. तब तक वह रुखसाना का बहुत ख्याल रखता था. एक साल बाद नजलू को पता चला कि रुखसाना किसी और व्यक्ति से फोन पर बातें करती है. बस, उस दिन के बाद वह रुखसाना के पीछे ही पड़ गया.

वह रुखसाना से कहता, “मेरे प्यार में क्या कमी थी, जो तू गैरमर्द से बातें करने लगी है. तूने मेरे साथ धोखा क्यों किया? बता, नहीं तो तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.”

रुखसाना उस के आगे हाथ जोड़ती, पैर पड़ती और कसम खाती कि वह उस पर झूठा शक कर रहा है. मगर नजलू कहता, “तू धोखेबाज है. तूने मेरे प्यार की कद्र नहीं की. मैं ने तुझे क्या कुछ नहीं दिया, मगर तू गैरमर्द के प्यार में पड़ गई. तुझे शर्म नहीं आई.”

इस तरह से नजलू उसे प्रताडि़त करता और मारपीट करता रहता था. रुखसाना को धमकाता कि अगर उस ने उसे छोड़ा तो वह उस के बच्चों और भाइयों को मार डालेगा. नजलू की इन धमकियों से डर कर वह उस के साथ रहने को मजबूर थी.

30 अप्रैल, 2023 को नजलू ने साजिश के तहत रुखसाना को जयपुर से दूर बाइक पर घुमाने ले जाने के लिए कहा. रुखसाना मान गई. नजलू ने रुखसाना को बाइक पर बिठाया और जयपुर से निमोडिय़ा की तरफ रवाना हो गया.  बाइक पर जाते समय नजलू ने सोशल मीडिया रील भी बनाई.

रील के बैक ग्राउंड में आवाज थी, “अब मैं खुद को इतना बदल दूंगा कि तू तो क्या, मेरे अपने भी तरस जाएंगे मुझे पहले के जैसा देखने के लिए…?

इस के बाद नजलू रुखसाना को निमोडिय़ा के घने जंगल में ले गया. वहां उस ने रुखसाना को बेरहमी से पीटा. नीचे पटक कर घुटनों से उस की पसलियों पर वार किए. नजलू इतने गुस्से में था कि अपना आपा खो बैठा और रुखसाना के साथ इतनी मारपीट की कि रुखसाना की पसलियां टूट गईं.

मरणासन्न हालत में किया बलात्कार

जब रुखसाना ने नजलू से हाथ जोड़ कर माफी मांगी तो नजलू ने उसे पीटना बंद कर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाए. रुखसाना घायलावस्था में अधमरी सी पड़ी थी और दरिंदा नजलू उस के साथ अपनी हवस शांत कर रहा था. दुष्कर्म करने के बाद रुखसाना की तबीयत जब बहुत ज्यादा बिगड़ गई तो नजलू डर गया. आननफानन में वह रुखसाना को निजी क्लीनिक में ले कर गया और बताया कि रोड एक्सीडेंट हो गया है.

हालत बिगडऩे पर रुखसाना को क्लीनिक से जयपुरिया अस्पताल रैफर कर दिया गया. जयपुरिया अस्पताल में भी नजलू ने डाक्टरों को बताया कि हाईवे पर जाते समय रिंग रोड पर एक्सीडेंट हो गया. इस के बाद डाक्टरों ने किसी महिला परिजन को बुलाने के लिए कहा. मजबूरन नजलू को रुखसाना की मां मुन्नी को फोन करना पड़ा.

फोन करने के बाद नजलू नजर बचा कर अस्पताल से फरार हो गया. अस्पताल से पुलिस को सूचना दे दी गई. रोड एक्सीडेंट की बात सुन कर मुन्नी देवी भी जैसेतैसे अस्पताल पहुंची, तब तक रुखसाना इस दुनिया से रुखसत हो चुकी थी.

बेटी की लाश देख कर उस की मां ने कहा, “आखिर मेरी बेटी को मार डाला नजलू ने.”

पुलिस ने नजलू से पूछताछ के बाद कई सबूत भी जुटाए. आरोपी नजलू खान को 4 मई, 2023 को कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

रुखसाना के चारों बेटे अब यतीम हो चुके हैं. उस की ससुराल वालों ने बच्चों को अपनाने से मना कर दिया है. वे कहते हैं कि जब रुखसाना दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगी तो अब इन बच्चों से हमारा क्या लेनादेना. उस के 4 बेटों में से एक नानी के पास, 2 बच्चे एक मौसी के पास तो एक बेटा दूसरी मौसी के पास रह रहा है.

बेटी रुखसाना की हत्या के बाद उस के बच्चों की परवरिश की चिंता में बुजुर्ग नानानानी बीमार रहते हैं. ऐसे में उन्हें अब सरकारी योजनाओं के लाभ की आस है. यह आस पूरी होगी या अधूरी रहेगी, यह भविष्य बताएगा.

—कथा पुलिस सूत्रों व मृतका के मातापिता से की गई बातचीत पर आधारित