कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 3

पहली पूछताछ में सुनील ने मोनिका के साथ गहरी जानपहचान होने की बात स्वीकार कर ली. साथ ही उस ने यह भी बताया कि वह उस से प्रेम करता है. उस के कनाडा से लौटने का उसे इंतजार है. उस से पूछताछ करते समय कई बातें जांच अधिकारी को संदिग्ध लगीं, जिस से जांच अधिकारी को शक हुआ कि वह मोनिका के बारे में बहुत सी बातें छिपा रहा है.

उस ने अपने बारे में जो कुछ बताया था, उस में भी कई बातें गलत निकली थीं. जैसे उस ने खुद को अविवाहित बताया था. पुलिस को ग्रामीणों से मालूम हुआ था कि सुनील न केवल विवाहित है, बल्कि उस के बच्चे भी हैं. यहीं से पुलिस को उस पर संदेह गहरा गया.

मोनिका के बारे में कई बार पूछताछ हुई. उस से आखिरी मुलाकात से ले कर आखिरी बार फोन पर हुई बातचीत को ले कर सवाल किए गए. उस के जवाब के संदर्भ में जब तहकीकात की गई और मोनिका के परिजनों से पूछताछ की गई, तब कई विरोधाभासी जवाब मिले. हर बार वह यही कहता रहा कि उस के कनाडा जाने के बाद उस की काफी समय से बात नहीं हुई थी.

मोनिका के घर वालों को लगता था कि उन की बेटी कनाडा में है, लेकिन उस से होने वाली फोन पर बातचीत के बारे में पुलिस को दिए बयान की सच्चाई कुछ और थी. मोनिका के मौसेरे भाई ने बताया कि उस ने अप्रैल में मोनिका से वीडियो काल पर बात की थी, तब उसे पंखा चलता दिखाई दिया. उस समय कनाडा में कड़ाके की ठंड थी. उस ने जब मोनिका से पंखा चलने के बारे में पूछा तो मोनिका ने फोन काट दिया और उस का नंबर भी ब्लैकलिस्ट में डाल दिया.

इस के बाद भी घर वाले मोनिका के कनाडा में होने की ही बात मान कर उस से बात करते रहे. बाद में जब मोनिका ने घर वालों के फोन उठाने बंद किए, तब उन्हें शक हुआ. खैर, पुलिस ने जांच प्रक्रिया को नया मोड़ देते हुए सुनील और मोनिका के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. उस के अनुसार भी सुनील की कई बातें गलत निकलीं, जो उस ने पूछताछ में बताई थी.

उस ने मोनिका से आखिरी काल की जो तारीख बताई थी, वह दोनों के काल डिटेल्स से मैच नहीं करती थी. साथ ही पुलिस के कान तब खड़े हो गए, जब उस ने बताया कि दोनों की फोन पर जनवरी से जून 2022 के बाद कोई बात नहीं हुई थी.

यह बात भी पुलिस के लिए संदेह पैदा करने वाली थी कि जब मोनिका 5 जनवरी को कनाडा चली गई थी, तब उस के बाद के काल इंटरनैशनल क्यों नहीं थे? साथ ही जून, 2022 के बाद सुनील ने पहले की तरह मोनिका को कोई काल क्यों नहीं किया? या फिर मोनिका द्वारा भी कोई काल क्यों नहीं की गई?

इन सवालों के साथ पुलिस ने मोनिका के घर वालों से भी पूछताछ की. उन्होंने बताया कि मोनिका उन के साथ बहुत कम समय के लिए बात करती थी, लेकिन जून 2022 के बाद उस के फोन ही बंद हो गए थे.

सुनील पुलिस को देता रहा गच्चा

अपना संदेह दूर करने के लिए पुलिस ने सुनील को थाने बुलवाया, किंतु उस ने थाने आने में असमर्थता जताई. उस ने बहाना बना दिया और कहा कि वह अपने काम के सिलसिले में पंजाब जा चुका है. वैसे पुलिस को बाद में आने का आश्वासन दिया. पुलिस को भरोसा देने के लिए उस ने मोनिका के बारे में भी तहकीकात की और कहा कि उस की कोई जानकारी मिलने पर वह पुलिस को सूचित किया जाए.

उस के बाद पुलिस द्वारा सुनील को कई बार थाने बुलाया गया, लेकिन वह नहीं आया और हर बार कोई न कोई बहाना बना दिया. तब तक जांच अधिकारी समझ चुके थे कि वह पूछताछ से बचना चाह रहा है और अपने झूठ के जाल में फंस चुका है.

उस के गांव में दबिश दी गई तो पता चला कि वह कई हफ्ते से अपने घर आया ही नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि उस की खास नंबर की गाड़ी भी नहीं नजर आई. इस का मतलब साफ था कि वह फरार हो चुका था. फिर क्या था, पुलिस उसे एक फरार अभियुक्त की तरह तलाश करने लगी. उस की पत्नी से भी पूछताछ हुई. इस में कुछ और महीने निकल गए. मोनिका के साथसाथ उस की भी खोजखबर लेने के लिए मुखबिर लगा दिए थे.

जांच अधिकारी को अनुमान था कि उस के पकड़े जाने पर मोनिका का पता चल सकता है. उस के द्वारा मोनिका को कहीं छिपाए ठिकाने का पता लगने की उम्मीद थी. फिर भी न मोनिका का कोई सुराग मिल पा रहा था और न ही सुनील का. उस का मोबाइल नंबर भी ट्रैकिंग में नहीं आ पा रहा था.

जबकि मामला भिवानी सीआईए-2 के पास पहुंचने के बाद से सीआईए पुलिस लगातार सुनील का पता लगाने का प्रयास कर रही थी. वारदात को अंजाम देने के बाद सुनील उर्फ शिल्ला लगातार फरार चल रहा था. आखिरकार सीआईए पुलिस ने 2 अप्रैल, 2023 को सुनील को मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तारी के बाद उस से सख्ती से पूछताछ की जाने लगी. साथ ही उस पर मोनिका की गुमशुदगी के मामले में पुलिस का साथ नहीं देने और फरार हो जाने का भी आरोप लगा दिया. जैसे ही पुलिस ने गन्नौर थाने में दर्ज उस के सभी 7 पुराने आपराधिक रिकौर्ड का हवाला दिया, जब पुलिस ने बताया उस के कुछ मामले गैरजमानती हैं और उन की जांच होने पर तुरंत जेल जा सकता है.

सुनील आपराधिक प्रवृत्ति का है. उस के पास एक लाइसेंसी पिस्तौल भी थी, लेकिन जून में ही खुद की लाइसेंसी पिस्तौल से अचानक गोली चलने से घायल हो गया था. इस के बाद उस की लाइसेंसी पिस्तौल पुलिस ने जब्त कर ली थी. इतना सुनते ही वह डर गया और मोनिका जांच में पूरी तरह से सहयोग करने को राजी हो गया.

लंबी चली कड़ी पूछताछ में सुनील ने अपने सारे राज खोल दिए. मोनिका से दोस्ती गांठने, समाज की नजर में उस का भाई बने रहने और अंदर ही अंदर उस से मोहब्बत करने के साथ उस के साथ शादी रचाने के सपने देखने की बात स्वीकार कर ली. उस ने यह भी बताया कि वह यह सब विवाहित होने के बावजूद कर रहा था, जिसे ले कर पत्नी और मोनिका को भी अपत्ति थी.

 

शर्तों वाला प्यार : प्रेमी ने किया वार – भाग 3

थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह ने अन्नपूर्णा हत्याकांड का खुलासा करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन को दी तो उन्होंने अपने कार्यालय में प्रैसवार्ता कर अन्नपूर्णा हत्याकांड का खुलासा कर दिया.

उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर से करीब 20 किलोमीटर दूर जीटी रोड पर एक कस्बा है मंधना. यह बिठूर थाने के अंतर्गत आता है. राकेश कुमार कुरील अपने परिवार के साथ इसी कस्बे के मोहल्ला नारामऊ में  रहता था. उस के परिवार में पत्नी शिवदेवी के अलावा 4 बेटियां प्रियंका, अन्नपूर्णा, विनीता, नेहा तथा बेटा अमित था. राकेश कुमार एक फैक्ट्री में नौकरी करता था. वहां से मिलने वाले वेतन से ही वह अपने परिवार का भरण पोषण करता था. वह बड़ी बेटी प्रियंका का विवाह कर चुका था.

प्रियंका से छोटी अन्नपूर्णा थी. तीखे नयननक्ख और गोरी रंगत वाली अन्नपूर्णा अपनी अन्य बहनों से अधिक सुंदर थी. समय के साथ जैसे-जैसे उस की उम्र बढ़ रही थी, वैसेवैसे उस की सुंदरता में और निखार आता जा रहा था.

बहन की जगह नौकरी मिली अन्नपूर्णा को

अन्नपूर्णा ने मंधना स्थित सरस्वती महिला इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली थी. इस के बाद वह गूवा गार्डन निवासी ट्रांसपोर्टर हरिओम के औफिस में काम करने लगी थी. इस के पहले उस की बड़ी बहन प्रियंका हरिओम के औफिस में काम करती थी. प्रियंका की जब शादी हो गई तब उस ने छोटी बहन अन्नपूर्णा को औफिस के काम पर लगा दिया था.

खूबसूरत अन्नपूर्णा ने अपनी चंचल अदाओं से ट्रांसपोर्टर हरिओम के दिल में हलचल मचा दी थी. हरिओम उसे चाहने लगा था. इतना ही नहीं वह अन्नपूर्णा पर पैसे खर्च करने लगा था.

अन्नपूर्णा के माध्यम से हरिओम ने उस के घर में भी पैठ बना ली थी. घर वाले आनेजाने पर विरोध न करें, इस के लिए उस ने अन्नपूर्णा के पिता को कर्ज के तौर पर रुपए भी दे दिए थे. धीरेधीरे हरिओम और अन्नपूर्णा नजदीक आते गए और दोनों के बीच मधुर संबंध बन गए.

अन्नापूर्णा औफिस के लिए घर से बनसंवर कर इतरातीइठलाती निकलती थी. एक रोज औफिस जाते समय अन्नपूर्णा पर सोनू की निगाह पड़ गई. वह उसे तब तक देखता रहा, जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई. सोनू अन्नपूर्णा के पड़ोस में ही रहता था. ऐसा नहीं था कि सोनू ने अन्नपूर्णा को पहली बार देखा था. लेकिन उस दिन वह उसे बहुत खूबसूरत लगी थी. उस दिन उस के मन में चाहत की लहर उठी थी.

सोनू, दबंग युवक था. अपने क्षेत्र में वह सट्टा और जुआ खिलवाता था. इस काले धंधे से उसे मोटी कमाई होती थी. उस के कई विश्वासपात्र दोस्त थे जिन्हें वह पैसे दे कर अपने साथ मिलाए रखता था. रहता भी खूब ठाटबाट से था. अन्नपूर्णा सोनू के मन को भायी तो वह उस का दीवाना हो गया. आतेजाते जब कभी नजरें टकरा जातीं तो दोनों मुसकरा देते थे.

सोनू की आंखो में अपने प्रति चाहत देख कर अन्नपूर्णा का मन भी विचलित हो उठा. वह भी उसे चाहने लगी. चाहत जब दोनों ओर से बढ़ी तो एक रोज सोनू ने अपने प्यार का इजहार कर दिया. सोनू की बात सुन कर अन्नापूर्णा के दिल में गुदगुदी होने लगी. शरमाते हुए वह बोली, ‘‘सोनू, जो हाल तुम्हारा है वही मेरा भी है. तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.’’

उस दिन के बाद सोनू और अन्नपूर्णा का प्यार परवान चढ़ने लगा. अन्नपूर्णा औफिस से छुट्टी के बाद सोनू के साथ सैरसपाटे के लिए निकल जाती. सोनू अन्नपूर्णा पर दिल खोल कर पैसे खर्च करने लगा. अन्नपूर्णा जिस चीज की डिमांड करती, सोनू उसे ला कर दे देता था. सोनू के मार्फत अन्नपूर्णा ने ज्वैलरी भी बनवा ली थी और बैंक बैलेंस भी बना लिया था. दोनों के दिल का रिश्ता जुड़ा तो फिर देह का रिश्ता बनने में देर नहीं लगी.

हरिओम को जब पता चला कि अन्नपूर्णा सोनू के साथ घूमती है तो उस ने अन्नपूर्णा को लताड़ा. साथ ही उस की शिकायत उस के मातापिता से भी कर दी. हरिओम ने तो यहां तक कह दिया कि अन्नपूर्णा के पैर डगमगा गए हैं बेहतर होगा कि उस की शादी कर दी जाए. शादी में लाख डेढ़ लाख का जो भी खर्च आएगा, वह दे देगा.

राकेश को बेटी के डगमगाते कदमों की जानकारी हुई तो उस के होश उड़ गए. उसे लगा कि यदि अन्नपूर्णा सोनू के साथ भाग गई तो समाज में उस की नाक कट जाएगी. पूरे समाज में उस की बदनामी होगी. अत: उस ने उस के हाथ पीले करने का फैसला कर लिया. उस ने इस बाबत पत्नी शिवदेवी से बात की. पत्नी ने भी उस की शादी करने पर सहमति जता दी. इस के बाद राकेश बेटी के लिए लड़का खोजने लगा. थोड़ी मशक्कत के बाद उसे पुनीत पसंद आ गया.

पुनीत के पिता शिवबालक कुरील बिठूर थाना क्षेत्र के गांव कुरसौली में रहते थे. वहां उन की पुश्तैनी जमीन थी. उन के 3 बच्चों में पुनीत सब से बड़ा था. वह पढ़ालिखा स्मार्ट युवक था. साथ ही एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी भी करता था. राकेश ने विनीत को देखा तो उस ने उसे अपनी बेटी अन्नपूर्णा के लिए पसंद कर लिया. इस के बाद पुनीत और अन्नपूर्णा ने एकदूसरे को देखा. फिर शादी के लिए दोनों राजी हो गए.

14 अप्रैल, 2019 को गोद भराई, तिलक तथा 18 अप्रैल को शादी की तारीख तय हुई. इस के बाद दोनों परिवार शादी की तैयारी में जुट गए.

सोनू नहीं चाहता था कि अन्नपूर्णा शादी करे

उधर सोनू को जब अन्नपूर्णा का विवाह तय हो जाने की जानकारी हुई तो उस ने अन्नपूर्णा पर शादी तोड़ देने की दबाव बनाया. लेकिन अन्नपूर्णा ने पारिवारिक मामला बता कर शादी तोड़ने से इनकार कर दिया. सोनू उस पर दबाव बनाता रहा और अन्नपूर्णा इनकार करती रही.

आगे क्या हुआ? जानें अगले भाग में…

शर्तों वाला प्यार : प्रेमी ने किया वार – भाग 2

उस की मौत अधिक खून बहने व सिर की हड्डी टूटने से हुई थी. दुष्कर्म की आशंका के चलते 2 स्लाइडें भी बनाई गईं. पुलिस को मृतका का मोबाइल फोन न तो घटनास्थल से मिला था और न ही घर वालों ने उस की जानकारी दी थी. पुलिस ने इस बारे में मृतका की मां शिवदेवी तथा उस की बेटियों से पूछताछ की.

शिवदेवी ने कहा कि अन्नपूर्णा के पास मोबाइल नहीं था. लेकिन जब उस की बेटियों से अलग से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उस के पास मोबाइल था. अगर उस के पास मोबाइल था, तो शिवदेवी ने क्यों मना किया, यह बात पुलिस की समझ से परे थी. लिहाजा पुलिस ने जब अपने तेवर सख्त किए तो घर वालों से पुलिस ने 3 मोबाइल फोन बरामद किए.

पुलिस ने जब तीनों फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो एक फोन की डिटेल्स से पता चला कि अन्नपूर्णा हरिओम के अलावा कई अन्य युवकों से भी बात करती थी. काल डिटेल्स के आधार पर पुलिस ने 3 युवकों को पूछताछ के लिए उठाया. इन में एक सोनू था, जो मृतका का पड़ोसी था. जांचपड़ताल से पता चला कि सोनू और अन्नपूर्णा के बीच प्रेमसंबंध थे. सोनू का उस के घर भी आनाजाना था.

सोनू अन्नपूर्णा पर खूब खर्चा करता था, यह पता चलते ही पुलिस ने 2 युवकों को तो छोड़ दिया पर सोनू से सख्ती से पूछताछ की. सोनू ने अन्नपूर्णा के साथ अपने प्रेमसंबंधों को तो स्वीकर किया लेकिन हत्या से साफ इनकार कर दिया. पुलिस ने उसे हिदायत दे कर थाने से भेज दिया.

पुलिस अधिकारियों को औनर किलिंग का भी शक था. उन का शक यूं ही नहीं था. उस के कई कारण थे. पहला कारण तो यह था कि परिजनों द्वारा बेटी की खोजबीन करना तो दूर पुलिस को सूचना तक नहीं दी थी. दूसरा कारण हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने में आनाकानी करना था और तीसरा कारण मोबाइल के लिए झूठ बोलना था.

हत्या के रहस्य को उजागर करने के लिए पुलिस ने मृतका की मां शिवदेवी, बुआ सुमन तथा बहन प्रियंका, प्रगति व नेहा से अलगअलग पूछताछ की. इन सभी के बयानों में विरोधाभास तो था, लेकिन हत्या की गुत्थी फिर भी नहीं सुलझ पाई. पड़ोसियों से भी पूछताछ की गई, पर पुलिस ऐसा कोई सबूत हासिल नहीं कर सकी, जिस से हत्या की गुत्थी सुलझ पाती.

हत्याकांड का खुलासा करने के लिए पुलिस अधिकारियों ने जब बेंजीडीन टेस्ट कराने का निश्चय किया. बेंजीडीन टेस्ट से खून के उन धब्बों का पता चल जाता है, जो मिट गए हों या धोपोंछ कर मिटा दिए गए हों. इस टेस्ट में एक महीने बाद तक खून के निशान का पता चल जाता है. अन्नपूर्णा की हत्या हुए एक सप्ताह बीत गया था. अत: बेंजीडीन टेस्ट से खुलासा संभव था.

29 अप्रैल, 2019 को एसपी (पश्चिम) संजीव कुमार सुमन थाना बिठूर पहुंचे. थाने पर उन्होंने बेंजीडीन टेस्ट के लिए फोरेंसिक टीम को भी बुलवा लिया. इस के बाद थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह ने मृतका के घर वालों को थाने बुलवा लिया. थाने में फोरैंसिक टीम ने मृतका के मातापिता, भाई व बड़ी बहन पर टेस्ट किया तो रिपोर्ट पौजिटिव आई.

हत्या का शक परिवार वालों पर गहराया तो पुलिस अधिकारियों ने राकेश, उस की पत्नी शिवदेवी, बेटी प्रियंका तथा बेटे अमित को एक ही कमरे में आमनेसामने बिठा कर कहा कि तुम लोगों के खिलाफ हत्या का सबूत मिल गया है. बेंजीडीन टेस्ट में तुम लोगों के हाथों में मृतका के खून के रक्तकण मिले हैं. इसलिए तुम लोग सच बता दो कि तुम ने अन्नपूर्णा की हत्या क्यों की?

बेटी की हत्या के आरोप में अपने परिवार को फंसता देख राकेश हाथ जोड़ कर बोला, ‘‘साहब, मैं ने या मेरे परिवार के किसी सदस्य ने अन्नपूर्णा की हत्या नहीं की. हम सब निर्दोष हैं. रही बात बेंजीडीन टेस्ट की तो अन्नपूर्णा की लाश उठाते समय हाथों में खून लग गया होगा. मेरी पत्नी व बेटी ने भी रोते समय अन्नपूर्णा के सिर पर हाथ रखा होगा, जिस से खून लग गया होगा.’’

चुनावों की वजह से लटक गई जांच

पुलिस अधिकारियों को लगा कि राकेश जो कह रहा है, वह सच भी हो सकता है. अत: उन्होंने उन सभी को गिरफ्तार करने के बजाए थाने से घर भेज दिया. पुलिस जांच को आगे बढ़ाती उस के पहले ही लोकसभा चुनाव का आगाज हो गया. पुलिस चुनाव की वजह से व्यस्त हो गई. जिस से जांच एकदम ढीली पड़ गई. या यूं कहें कि अन्नपूर्णा हत्याकांड की जांच ठंडे बस्ते में चली गई. लगभग डेढ़ माह तक पुलिस चुनावी चक्कर में व्यस्त रही.

चुनाव निपट जाने के बाद पुलिस अधिकारियों को अन्नपूर्णा हत्याकांड की फिर से याद आई. पुलिस अधिकारियों ने एक बार फिर समूचे घटनाक्रम पर विचारविमर्श किया. साथ ही जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया गया. इस के बाद पुलिस इस निष्कर्ष  पर पहुंची कि अन्नपूर्णा की हत्या औनर किलिंग का मामला नहीं है. उस की हत्या प्रेमसंबंधों में की गई थी.

अन्नपूर्णा के 2 युवकों से घनिष्ठ संबंध थे. एक ट्रांसपोर्टर हरिओम, जिस के दफ्तर में वह काम करती थी और दूसरा उस का पड़ोसी सोनू, जिस का उस के घर आनाजाना था. दोनों के प्यार के चर्चे भी आम थे. पुलिस अधिकारियों का मानना था कि हरिओम और सोनू में से कोई एक है जिस ने प्यार के प्रतिशोध में अन्नपूर्णा की हत्या की है.

पुलिस ने सब से पहले हरिओम को थाने बुलवाया और उस से करीब 4 घंटे तक सख्ती से पूछताछ की. लेकिन हरिओम ने हत्या का जुर्म नहीं कबूला. पुलिस को लगा कि हरिओम कातिल नहीं है तो उसे जाने दिया गया. इस के बाद पुलिस ने सोनू को थाने बुलवाया और उस से भी कई राउंड में सख्ती से पूछताछ की गई. लेकिन सोनू टस से मस नहीं हुआ. सोनू को 3 दिन तक थाने में रखा गया और हर रोज सख्ती से पूछताछ की गई. पर सोनू ने हत्या का जुर्म नहीं कबूला. मजबूरन उसे भी थाने से घर भेज दिया गया.

लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस को सफलता नहीं मिल रही थी. अंतत: पुलिस ने खुफिया तंत्र का सहारा लिया. थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह ने नारामऊ, मंधना और बिठूर क्षेत्र में अपने खास मुखबिर लगा दिए और खुद भी खोजबीन में लग गए.

2 अगस्त, 2019 की सुबह करीब 10 बजे एक मुखबिर ने थानाप्रभारी को अन्नपूर्णा हत्याकांड के बारे में जो जानकारी दी उसे सुन कर उन के चेहरे पर मुसकान तैर आई. मुखबिर ने बताया कि अन्नपूर्णा के प्रेमी सोनू ने उस की हत्या अपने 2 अन्य साथियों के साथ मिल कर की थी. इन में उस का एक दोस्त नारामऊ गांव का विनीत है. जबकि दूसरे का नाम शिवम है. वह रामादेवीपुरम, पचौर रोड मंधना में रहता है.’’

मुखबिर की बात सुनने के बाद थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह ने सोनू के दोस्त विनीत व शुभम को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उन दोनों से अन्नपूर्णा की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उन दोनों ने बताया कि अन्नपूर्णा की हत्या उस के प्रेमी सोनू ने ही की थी. उन्होंने तो दोस्ती में उस का साथ दिया था.

आगे क्या हुआ? जानें अगले भाग में…

शर्तों वाला प्यार : प्रेमी ने किया वार – भाग 1

कानपुर स्थित दलहन अनुसंधान केंद्र का सुरक्षाकर्मी के.पी. सिंह सुबह 8 बजे ड्यूटी पूरी कर अपने घर जा रहा था. जब वह बैरीबागपुर जाने वाली लिंक रोड पर पहुंचा तो उस ने रोड के किनारे एक युवती का शव पड़ा देखा. के.पी. सिंह ने यह सूचना जीटी रोड से गुजर रहे राहगीरों को दी तो कुछ ही देर में वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई. इसी बीच के.पी. सिंह ने फोन द्वारा सड़क किनारे लाश पड़ी होने की सूचना थाना बिठूर पुलिस को दे दी. यह बात 17 अप्रैल, 2019 की है.

सूचना पाते ही बिठूर थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ बताई गई जगह पर पहुंच गए. युवती की उम्र 20-22 साल के आसपास थी. उस के सिर और चेहरे पर ईंटपत्थर या किसी अन्य वजनी चीज से वार किया गया था. सिर से निकले खून से जमीन लाल हो गई थी. युवती के गले में दुपट्टा लिपटा था. ऐसा लग रहा था कि हत्यारे ने उस का गला भी घोंटा हो. उस के हाथों में चोट के निशान भी थे. थानाप्रभारी ने इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दे दी थी.

घटनास्थल पर सैकड़ों लोगों की भीड़ थी, लेकिन कोई भी युवती को पहचान नहीं पाया. थानाप्रभारी अभी घटनास्थल की जांच कर ही रहे थे कि इसी बीच एक युवक वहां आया. उस ने पहले युवती की लाश को गौर से देखा, फिर फफक कर रो पड़ा. वह वहां मौजूद थानाप्रभारी से बोला, ‘‘साहब, यह मेरे भाई राकेश कुरील की बेटी अन्नपूर्णा है. इस की तो कल बारात आने वाली थी, पता नहीं किस ने इस की हत्या कर दी.’’

शादी से एक दिन पहले दुलहन की हत्या की बात सुन कर थानाप्रभारी विनोद कुमार सिंह स्तब्ध रह गए. उन्होंने लाश की शिनाख्त करने वाले युवक से पूछताछ की तो उसने अपना नाम राजेश कुरील बताया. विनोद कुमार ने उस से बात कर कुछ जरूरी जानकारी हासिल की. इसी बीच सूचना पा कर एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन तथा सीओ (कल्याणपुर) अजय कुमार सिंह भी आ गए. अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया था.

राजेश ने अपनी भतीजी अन्नपूर्णा की हत्या की खबर घर वालों को दी तो घर में कोहराम मच गया. घर में चल रही शादी की तैयारियां मातम में बदल गईं. राकेश की पत्नी शिवदेवी तथा बेटियां प्रियंका, प्रगति, नेहा तथा परिवार के अन्य सदस्य रोतेबिलखते घटनास्थल पर आ गए. शिवदेवी व उस की बेटियां अन्नपूर्णा के शव को देख फूटफूट कर रोने लगीं.

मोहल्ले में किसी ने नहीं सोचा था कि जिस घर में बारात आने की तैयारी हो रही हो, वहां से अर्थी उठेगी. मृतका अन्नपूर्णा की होने वाली सास लक्ष्मी भी उस की मौत की खबर पा कर पति शिवबालक व बेटे पुनीत के साथ घटनास्थल पर आ गई थी. वह कह रही थी, हमें तो बारात ले कर बहू को लेने आना था, लेकिन अर्थी देखने को मिली. पुनीत भी होने वाली पत्नी के शव को टुकुरटुकुर देख रहा था.

घटनास्थल पर कोहराम मचा था. पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह रोतेबिलखते घर वालों को धैर्य बंधाया. घटनास्थल की काररवाई निपटा कर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए लाजपतराय चिकित्सालय भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका के पिता राकेश कुमार कुरील से कहा कि वह थाना बिठूर जा कर बेटी की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराए.

लेकिन राकेश तथा उस के घर वाले हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने में आनाकानी करने लगे. इस पर पुलिस अधिकारियों को संदेह हुआ कि आखिर वे लोग रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराना चाहते. उन्हें लगा कि कहीं यह मामला औनर किलिंग का तो नहीं है.

शक हुआ तो एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन ने राकेश कुरील से पूछताछ की. राकेश ने बताया कि उस ने अन्नपूर्णा की शादी कुरसौली गांव निवासी पुनीत के साथ तय की थी. 14 अप्रैल, 2019 को उस की गोदभराई तथा तिलक का कार्यक्रम संपन्न हुआ था, 18 अप्रैल को बारात आनी थी.

16 अप्रैल की शाम वह पत्नी शिवदेवी के साथ खरीदारी करने मंधना बाजार चला गया था. रात 9 बजे जब वह घर लौटा तो पता चला अन्नपूर्णा घर में नहीं है. यह सोच कर कि वह पड़ोस में रहने वाली अपनी बुआ के घर पर रुक गई होगी, इसलिए किसी ने ध्यान नहीं दिया. सुबह उस की मौत की खबर मिली.

‘‘तुम्हें किसी पर शक है?’’ एसपी ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, मुझे किसी पर शक नहीं है, मेरी किसी से दुश्मनी भी नहीं है.’’ राकेश ने बताया.

राकेश खुद आया शक के घेरे में

राकेश की बात सुन कर वहां खड़े सीओ अजय कुमार सिंह झल्ला पड़े, ‘‘राकेश, जब तुम्हें किसी पर शक नहीं है. कोई तुम्हारा दुश्मन भी नहीं है तो तुम्हारी बेटी की हत्या किस ने की? तुम्हीं लोगों ने उसे मौत के घाट उतार दिया होगा?’’

‘‘नहीं साहब, भला हम अपनी बेटी को क्यों और कैसे मारेेंगे?’’

‘‘इसलिए कि अन्नपूर्णा किसी दूसरे लड़के से प्यार करती होगी और उसी लड़के से शादी करने की जिद कर रही होगी, लेकिन तुम ने उस की बात न मान कर शादी दूसरी जगह तय कर दी होगी. जब उस ने तुम्हारा कहा नहीं माना तो तुम लोगों ने उसे मार डाला. इसीलिए तुम लोग उस की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने में आनाकानी कर रहे हो.’’ सीओ अजय कुमार ने कहा.

खुद को फंसता देख राकेश घबरा कर बोला, ‘‘साहब, हम बेटी के कातिल नहीं हैं. हम रिपोर्ट दर्ज कराने को तैयार हैं, लेकिन नामजद नहीं करा सकते.’’ इस के बाद राकेश ने थाने पहुंच कर भादंवि की धारा 302 के तहत अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. साथ ही हत्या का शक हरिओम पर जाहिर किया.

पुलिस अधिकारियों ने राकेश से हरिओम के संबंध में पूछताछ की तो उस ने बताया कि हरिओम गूवा गार्डन कल्याणपुर में रहता है और ट्रांसपोर्टर है. पहले उस के दफ्तर में उस की बेड़ी बेटी प्रियंका काम करती थी. प्रियंका की शादी हो जाने के बाद छोटी बेटी अन्नपूर्णा वहां काम करने लगी थी. हरिओम का उस के घर आनाजाना था. अन्नपूर्णा और हरिओम के बीच दोस्ती थी.

यह पता चलते ही पुलिस ने हरिओम को हिरासत में ले लिया. थाने में जब उस से अन्नपूर्णा की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. उस ने बताया कि अन्नपूर्णा उस के औफिस में काम करती थी. दोनों के बीच दोस्ती भी थी. दोनों के बीच अकसर फोन पर बातें भी होती थीं. हत्या से पहले भी अन्नपूर्णा ने उसे फोन किया था और बाजार से कपड़े खरीदने की बात कही थी. लेकिन अपने काम में व्यस्त होने की वजह से वह उस के साथ नहीं जा सका. हरिओम ने बताया कि अन्नपूर्णा की हत्या में उस का कोई हाथ नहीं है.

पुलिस को लगा औनर किलिंग का मामला

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों को लगा कि हरिओम सच बोल रहा है तो उन्होंने उसे थाने से यह कह कर भेज दिया कि जब भी उसे बुलाया जाएगा, उसे थाने आना पडे़गा. साथ ही उसे हिदायत भी दी गई कि वह बिना पुलिस को बताए कहीं बाहर न जाए.

अब तक की जांच से पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि अन्नपूर्णा की हत्या या तो अवैध संबंधों की वजह से हुई है या फिर यह औनर किलिंग का मामला है. उन्होंने इन्हीं दोनों बिंदुओं पर जांच आगे बढ़ाई. अगले दिन पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई.

आगे क्या हुआ? जानें अगले भाग में…

मोहब्बत का खतरनाक अंजाम – भाग 3

रीनू ने पड़ोसी जीशान को फोन कर के घर बुला लिया. उस ने मुन्ना को देख कर कहा, ‘‘यह एक गंभीर चर्मरोग है. इस की दवा मुझे मालूम नहीं है. ऐसा करो, तुम मेरे कमरे पर आ जाओ. मैं लैपटौप में देख कर इस के लिए दवा लिख देता हूं.’’  यह कह कर जीशान चला गया.

मुन्ना की पीठ में निकले दानों में भयंकर जलन हो रही थी. उस की परेशानी रीनू से देखी नहीं जा रही थी. घर में उस के अब्बा या कोई भाई नहीं था, इसलिए मजबूरी में उसे ही जीशान के कमरे पर जाना पड़ा. जून की भयंकर गरमी में चौथी मंजिल तक सीढि़यां चढ़तेचढ़ते उस की जुबान सूख गई. कमरे में सामने ही मेज पर पानी की बोतल रखी थी. रीनू ने पानी पीने के लिए जैसे ही बोतल उठाई, जीशान ने कहा, ‘‘यह जूठी है, इसलिए इस का पानी तुम्हारे पीने लायक नहीं है. मैं तुम्हारे लिए नीचे से दूसरा ठंडा पानी लाए देता हूं.’’

जीशान भाग कर नीचे गया और रीनू के लिए एक गिलास ठंडा पानी ले आया. उसे पीते ही रीनू को चक्कर सा आया और वह बेहोश हो कर गिर पड़ी. इस के बाद उस के साथ क्या हुआ, उसे पता नहीं चला. थोड़ी देर बाद उसे होश आया तो वह दवा की पर्ची ले कर घर आ गई. जब उस के ऊपर से बेहोशी का असर पूरी तरह से हटा तो उसे लगा कि जीशान ने उसे पानी में कोई नशीली चीज पिला कर उस के साथ गलत काम किया है. उस के साथ क्या हुआ होगा, वह जान तो गई, लेकिन वह शादीशुदा थी, इसलिए इज्जत ही नहीं, अपनी गृहस्थी बचाए रखने के लिए उस ने यह बात किसी से नहीं कही.

रीनू ने सोचा कि जो होना था, वह हो गया. लेकिन अब आगे से वह जीशान को इस तरह का कोई मौका नहीं देगी. लेकिन जीशान नादान नहीं था. उस ने रीनू को कब्जे में रखने के लिए उस से संबंध बनाने की वीडियो क्लिप बना ली थी. उसी को ले कर वह तीसरे दिन रीनू के घर आ धमका. उस ने रीनू को एकांत में ले जा कर हंसते हुए उसे वह अश्लील वीडियो क्लिप दिखा कर कहा, ‘‘अब तुम्हें वही करना होगा, जो मैं कहूंगा. अगर तुम ने मना किया तो यह वीडियो क्लिप मैं मोहल्ले में सभी को दिखा दूंगा.’’

‘‘जीशान, तुम ऐसा कतई मत करना, वरना मेरा हंसताखेलता घरपरिवार बिखर जाएगा. मेरे बच्चों की जिंदगी बरबाद हो जाएगी. खुदा के लिए इसे डिलीट कर दो.’’

‘‘ठीक है, तुम कहती हो तो डिलीट कर दूंगा, लेकिन बदले में तुम्हें मुझे खुश करना होगा.’’ जीशान ने शर्त रखी.

न चाहते हुए भी रीनू को जीशान की बात माननी पड़ी. इस बार भी जीशान ने अपने और रीनू के शारीरिक संबंधों की वीडियो क्लिप बना ली. फिर तो सिलसिला सा चल पड़ा. क्लिपों को डिलीट करने की बात कह कर वह रीनू से शारीरिक संबंध बनाता रहा. यही नहीं, वह हर बार की वीडियो क्लिप भी बना लेता था. इस तरह जीशान के जाल में रीनू बुरी तरह फंसती चली गई.

यह सब रीनू अपने घरपरिवार और बच्चों के भविष्य के लिए कर रही थी. उसे यह भी पता था कि उस का पति उसे जान से ज्याद प्यार करता है. अगर ऐसे में उसे जीशान और उस के संबंधों के बारे में पता चल गया तो वह यह सब बरदाश्त नहीं कर पाएगा. इसी वजह से वह जीशान के चंगुल में फंसती चली गई थी. जब रीनू को लगा कि अब वह जीशान के चंगुल से मुक्त नहीं हो पाएगी तो उस ने आत्महत्या के बारे में भी सोचा. लेकिन बच्चों के भविष्य को देखते हुए वह ऐसा नहीं कर सकी.

उमर को जब जीशान की असलियत का पता चला तो उसे उस पर बहुत गुस्सा आया. उसे लगा कि जब तक यह आदमी जिंदा रहेगा, उस की पत्नी को ब्लैकमेल करते हुए वह उस की देह से खेलता रहेगा. यही नहीं, अपने दोस्तों के बीच उस की इज्जत का तमाशा भी बनाएगा. अब यह सब तभी बंद होगा, जब उसे मार दिया जाए.

उमर के दिमाग में जीशान को मारने की बात आई तो उस ने उस की हत्या की योजना बना डाली. फिर उसी योजना के तहत 29 दिसंबर को ट्रैवल बैग में एक लोहे की रौड रख कर वह पुष्पक एक्सप्रेस से कानपुर आ गया. वह दोपहर 1 बजे के करीब कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर उतरा. ससुराल जाने के बजाए वह स्टेशन के बाहर होटल में कमरा ले कर ठहर गया.

रात 10 बजे उमर शाद बैग ले कर होटल से बाहर निकला. उस समय भयंकर ठंड पड़ रही थी, जिस से सड़कों पर लगभग सन्नाटा पसरा था. एक रिक्शा ले कर वह मकबरा के लिए चल पड़ा. 11 बजे के आसपास वह मकबरा पहुंचा तो मोहल्ले में पूरी तरह सन्नाटा था. वह अपनी ससुराल जाने के बजाय सीधे जीशान के कमरे  पर चला गया. एकबारगी उमर को अपने कमरे पर देख कर जीशान ने हैरानी से पूछा, ‘‘अरे उमर भाईजान, इतनी रात को अचानक यहां कैसे?’’

‘‘मुंबई से आ रहा हूं. कोहरे की वजह से ट्रेन लेट हो गई. यहां आया तो देखा गलीमोहल्ले में सन्नाटा पसरा है. ससुराल वाले रजाई में दुबके होंगे. उन्हें परेशान करने के बजाय सीधे आप के कमरे पर चला आया. सोचा, रात आप के साथ गुजार लूं, सुबह ससुराल चला जाऊंगा.’’ हंसते हुए उमर ने कहा.

‘‘कोई बात नहीं, यह भी आप का ही घर है. कपड़े उतार कर रजाई में आ जाओ. बड़ी ठंड है.’’ जीशान ने कहा.

कपड़े उतार कर उमर जीशान के साथ लेट गया. कुछ देर दोनों बातें करते रहे. बातें करतेकरते जीशान तो सो गया, लेकिन उमर जागता रहा. क्योंकि वह तो प्रतिशोध की आग में जल रहा था. जब उसे यकीन हो गया कि जीशान सो गया है तो वह धीरे से उठा. उस ने मुंबई से लाई लोहे की रौड बैग से निकाली और गहरी नींद सो रहे जीशान के सिर पर पूरी ताकत से एक के बाद एक कई वार कर दिए.

सिर पर गहरी चोट लगने से जीशान चीख भी नहीं सका और इस दुनिया से विदा हो गया. इस के बाद प्रतिशोध की आग में जल रहे उमर ने रजाई हटा कर उस के पुरुषांग पर भी कई वार किए. इस पर भी उसे संतोष नहीं हुआ तो उस ने साथ लाई रौड को पत्थर से ठोंकठोंक कर खूंटे की तरह उस के पेट में घुसेड़ दिया.

यह सब कर के उमर ने जीशान का मोबाइल फोन उठाया और तीसरी मंजिल के दरवाजे पर ताला लगा कर नीचे आ गया. वहां से सीधे वह रेलवे स्टेशन पहुंचा और मुंबई जाने वाली ट्रेन पकड़ कर अपने घर चला गया. पुलिस से बचने के लिए उस ने जीशान और अपना मोबाइल फोन तथा दोनों सिम तोड़ कर रास्ते में कहीं फेंक दिए.

उमर ने जीशान की हत्या का अपराध स्वीकार कर के हत्या की वजह भी पुलिस को बता दी थी. इस के बाद थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ ने उस के खिलाफ जीशान की हत्या का मुकदमा दर्ज कर 6 जनवरी को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

(कथा में महिलाओं के नाम बदले हुए हैं.)

मोहब्बत का खतरनाक अंजाम – भाग 2

पूछताछ करतेकरते 2 दिन बीत गए. इसे बीच पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची. इस से इलाके में तनाव बढ़ने लगा. जब इस बात की जानकारी एसपी (पश्चिम) दिनेश कुमार पी. को हुई तो उन्होंने मामले की जांच के लिए आननफानन एक पुलिस टीम गठित कर दी, जिस में थाना ग्वालटोली, कर्नलगंज, कोहना के थानाप्रभारियों के अलावा क्राइम ब्रांच के कुछ तेजतर्रार अधिकारियों को भी शामिल किया गया.

इस पुलिस टीम ने सब से पहले जीशान और उस के कुछ मित्रों के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स के अध्ययन के बाद पुलिस को उस में मिले एक नंबर पर संदेह हुआ. पुलिस ने उस नंबर के मोबाइन फोन की लोकेशन निकलवाई तो पता चला कि घटना वाले दिन वह फोन कानपुर में ही था, जबकि वह नंबर महाराष्ट्र का था. इस में अहम बात यह थी कि घटना से पहले उस की लोकेशन जहां कानपुर और घटनास्थल के आसपास थी, वहीं घटना घटने के बाद वह फोन बंद कर दिया गया था.

जांच टीम ने उस नंबर के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि वह नंबर उत्तर प्रदेश के जिला मऊ के थाना घोसी के रहने वाले मोहम्मद उमर शाद के नाम था, जो वर्तमान में परिवार के साथ महाराष्ट्र के जिला थाणे के थाना नालासोपारा के अचोल रोड स्थित एमडीनगर के किसराज स्कूल के नजदीक साईंनाथ अपार्टमेंट के रूम नंबर 103 में रहता था. इसी के साथ यह भी पता चला कि कानपुर के ग्वालटोली के मोहल्ला मकबरा के रहने वाले अब्बास की बेटी रीनू से उस का निकाह हुआ था.

पुलिस ने अब्बास से पूछताछ की तो उस ने बताया, ‘‘मेरे दामाद मोहम्मद उमर शाद के मृतक जीशान से दोस्ताना संबंध थे. लेकिन वह तो इधर 6 महीने से कानपुर आया ही नहीं है.’’

लेकिन पुलिस को सर्विलांस द्वारा मिली जानकारी के अनुसार उमर शाद घटना वाले दिन कानपुर में ही था. पुलिस समझ गई कि अब्बास या तो झूठ बोल रहा है या उस के आने का इसे पता नहीं है. यही बात उमर की पत्नी रीनू ने भी पुलिस को बताई थी. बहरहाल पुलिस को अब्बास, उस की बेटी रीनू और दामाद मोहम्मद उमर शाद पर शक हो गया. पुलिस ने छानबीन की तो सचमुच मामला अवैध संबंध का निकला.

अवैध संबंध की बात सामने आते ही मोहम्मद उमर शाद को कानपुर लाने के लिए एक पुलिस टीम थाणे के लिए रवाना हो गई. लेकिन पुलिस टीम के वहां पहुंचने से पहले ही वह फरार हो गया. पुलिस को वहां से उस का मोबाइल नंबर मिल गया, जिसे सर्विलांस पर लगा कर उस की लोकेशन पता की जाने लगी. फिर सर्विलांस के माध्यम से ही उस की लोकेशन पता कर के घंटाघर रेलवे स्टेशन से उसे गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने जीशान की हत्या की जो कहानी पुलिस को बताई, वह इस प्रकार थी.

मूलरूप से जिला मऊ के थाना घोसी के रहने वाले मोहम्मद उमर शाद के पिता सालों पहले मुंबई जा कर रहने लगे थे. उन्हीं के साथ उन का परिवार भी रहता था. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 6 बेटे और 2 बेटियां थीं. उन्हीं में एक उमर शाद भी था. वह मुंबई में बच्चों की साइकिल बनाने वाली फैक्ट्री में नौकरी करता था.

चूंकि वह उत्तर प्रदेश का रहने वाला था, इसलिए आज भी उस के तमाम रिश्तेदार उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में रह रहे हैं. यही वजह थी कि 7 साल पहले उस की शादी कानपुर के ग्वालटोली के मोहल्ला मकबरा के रहने वाले अब्बास की बेटी रीनू के साथ हो गई थी. अब तो वे 2 बच्चों के मांबाप भी बन चुके हैं.

पिछले साल अचानक रीनू की तबीयत खराब हुई तो वह इलाज कराने के इरादे से उमर से अनुमति ले कर अपने देवर मुन्ना के साथ कानपुर आ गई. कुछ दिन कानपुर में रहने के बाद मुन्ना मुंबई वापस गया तो उस ने अपने बड़े भाई उमर शाद से कहा, ‘‘भइया, मुझे लगता है कि कानपुर में भाभी का उन्हीं के मोहल्ले के रहने वाले एक लड़के से गलत संबंध है.’’

‘‘ऐसा तुम्हें कैसे लगा?’’ उमर शाद ने मुन्ना से पूछा.

‘‘उन दोनों के बातव्यवहार से,’’ मुन्ना ने कहा, ‘‘हमारे खयाल से भाभी को कानपुर भेजना ठीक नहीं है.’’

भाई की इन बातों ने उमर शाद को बेचैन कर दिया, क्योंकि पत्नी का सालोंसाल का पलपल का साथ, बातचीत और नजदीकियों से भाई की बातों पर उसे विश्वास नहीं हुआ था. लेकिन वह पुरुष था. पुरुष का मन शंकालु होता है, इसलिए भाई की बातें सोचसोच कर वह रातदिन बेचैन रहने लगा.

जब यह बेचैनी कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगी तो वह 2 महीने की छुट्टी ले कर कानपुर अपनी ससुराल आ गया और जीशान तथा अपनी पत्नी रीनू पर नजर रखने लगा. उसी बीच उसे मोहल्ले के कुछ लड़कों से पता चला कि रीनू और जीशान के बीच शारीरिक संबंध ही नहीं हैं, बल्कि जीशान ने अपने उन संबंधों की वीडियो क्लिपें भी बना रखी हैं.

इस बात ने उमर की बेचैनी और बढ़ा दी. सच्चाई का पता लगाने के लिए उस ने जीशान से दोस्ती गांठ ली. वह किसी भी तरह उस के मोबाइल में पड़ी रीनू और उस की वीडियो क्लिपें देखना चाहता था. इस के लिए वह जीशान के साथ उस के कमरे पर रुका भी, लेकिन जीशान ने मोबाइल में कोड लगा रखा था, इसलिए वह उस की मेमोरी को खोल नहीं सका. धीरेधीरे उस की उलझन बढ़ती ही जा रही थी.

इसी तरह छुट्टी खत्म हो गई और उमर मुंबई चला गया. कानपुर में रहते हुए उस ने रीनू से भले ही कुछ नहीं कहासुना था, लेकिन उस के दिमाग में यह बात पूरी तरह बैठ गई थी कि उस की पत्नी का जीशान से संबंध है. इसलिए इस बात को ले कर वह बुरी तरह परेशान रहने लगा था.

दूसरी ओर जीशान चाहता था कि अगर रीनू का उमर से तलाक हो जाए तो वह हमेशाहमेशा के लिए उस की हो जाएगी. इस के लिए वह अपने करीबी मित्रों से उमर शाद के मोबाइल पर फोन करवा कर अपने और रीनू के शारीरिक संबंधों की बात कहलवाने लगा था. उसे लगता था कि यह जान कर उमर अपनी पत्नी रीनू को तलाक दे देगा.

उमर शाद रीनू से बेहद प्यार करता था, इसलिए वह किसी भी सूरत में उसे छोड़ना नहीं चाहता था. लेकिन रीनू और जीशान के संबंधों को ले कर जब भी उस के पास कोई फोन आता, वह बुरी तरह तिलमिला उठता था. ऐसे में वह गुस्से में अपने शरीर को किसी धारदार चीज से काट लेता. इस के बाद भयानक पीड़ा उठती तो पत्नी के गैरमर्द के संबंधों की तिलमिलाहट धीरेधीरे शांत हो जाती. एक बार तो उस ने पत्नी की इस बेवफाई पर जान तक देने की कोशिश की, लेकिन किसी तरह वह बच गया.

उमर शाद खुद इतना परेशान और बेचैन रहता था, लेकिन उस के पास इन अनैतिक संबंधों का कोई प्रमाण नहीं था, इसलिए वह इस बारे में पत्नी से कुछ पूछ नहीं पा रहा था. लेकिन जब उस की बेचैनी हद से ज्यादा बढ़ गई तो उस ने रीनू से उस के और जीशान के अवैध संबंधों तथा अश्लील वीडियो क्लिपों के बारे में पूछ ही लिया.

तब रीनू ने रोते हुए कहा, ‘‘मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है. इस की वजह से मैं कई महीनों से भयानक मानसिक पीड़ा की आग में दिनरात जल रही हूं. औरत हूं, इसलिए अपने साथ हुए धोखे के बारे में तुम से बताने की हिम्मत नहीं कर सकी. बस, यही मुझ से गलती हुई है.’’

‘‘तुम्हारे साथ यह सब कैसे हुआ, तुम ने कभी बताने की कोशिश क्यों नहीं की?’’ उमर शाद ने कहा.

‘‘कहा न, हिम्मत ही नहीं पड़ रही थी. अब आप सब जान ही गए हैं तो आप को सारी सच्चाई बताए देती हूं.’’ रीनू ने कहा.

इस के बाद रीनू ने उमर को जो बताया, वह कुछ इस प्रकार था…

पिछले साल जून में बीमार होने पर मुन्ना रीनू को कानपुर ले कर आया तो मुन्ना की पीठ में दाने निकल आए थे, जिस की पीड़ा से वह काफी परेशान था. तब अब्बास ने रीनू से कहा कि वह उसे जीशान को दिखा कर उस के लिए मैडिकल स्टोर से दवा मंगा ले.

मोहब्बत का खतरनाक अंजाम – भाग 1

जीशान अपने भांजे शानू के पैर की ड्रेसिंग करने नहीं आया तो उस की बड़ी बहन अलीशा ने पहले उसे फोन किया, फोन बंद मिला तो उस ने उस की खोजखबर करवाई. लेकिन जब उस का कुछ पता नहीं चला तो अलीशा को लगा कि वह किसी जरूरी काम से कहीं बाहर चला गया होगा, घंटे-2 घंटे में लौट कर ड्रेसिंग कर देगा. यही सोच कर वह अपने कामकाज में लग गई. शाम के 5 बज गए और जीशान नहीं आया तो उसे चिंता हुई. चूंकि उस के पति एहसान किसी जरूरी काम से अहमदाबाद गए हुए थे और घर में कोई दूसरा बड़ाबूढ़ा नहीं था, इसलिए अलीशा ने पड़ोस में रहने वाले समीर को मोहल्ला मकबरा स्थित अपने दूसरे मकान पर जीशान के बारे में पता करने के लिए भेज दिया.

अलीशा के उस दूसरे 4 मंजिला मकान में कुल 6 कमरे थे, जिन में नीचे की 2 मंजिलों में 3 किराएदार अपने परिवार के साथ रहते थे. उस के ऊपर की तीसरी और चौथी मंजिल के 3 कमरों में 2 लड़के और उस का छोटा भाई जीशान हैदर रहता था. जीशान की खोज में आया समीर दूसरी मंजिल पर पहुंचा तो तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा था. वह वहीं रुक गया. तभी उसे वहां कुछ सड़ने जैसी बदबू महसूस हुई. ताला बंद होने की वजह से वह ऊपर नहीं जा सका तो नीचे रहने वाले किराएदारों से जीशान के बारे में पूछा. लेकिन वे लोग जीशान के बारे में कुछ नहीं बता सके.

जब समीर को जीशान के बारे में कुछ पता नहीं चला तो लौट कर उस ने अलीशा को बताया कि तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा है, इसलिए वह जीशान के कमरे तक पहुंच नहीं सका. लेकिन ऊपर से लाश के सड़ने जैसी बदबू आ रही थी. यह सुन कर अलीशा परेशान हो उठी. उस के दिल में छोटे भाई को ले कर तरहतरह की आशंकाएं उठने लगीं. वह खुद तो वहां नहीं जा सकी, लेकिन मोहल्ले के 2 अन्य लड़कों को बुला कर कहा, ‘‘तुम लोग समीर के साथ वहां जा कर तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे का ताला तोड़ कर ऊपर के सभी कमरों को ठीक से देखना. मुझे किसी गड़बड़ी की आशंका हो रही है.’’

समीर ने दोनों लड़कों के साथ जा कर तीसरी मंजिल पर जाने वाले दरवाजे का ताला तोड़ दिया. इस के बाद वह चौथी मंजिल पर पहुंचा तो वहां बने गोदामनुमा कमरे में जीशान हैदर की खून से लथपथ क्षतविक्षत लाश पड़ी देख कर डर गया. उस के साथ आए दोनों लड़के भी डर गए थे. उन्होंने लगभग भागते हुए आ कर यह बात अलीशा को बताई तो छोटे भाई की हत्या की खबर सुन कर अलीशा जोरजोर से रोने लगी.

उस के रोने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले इकट्ठा हो गए. धीरेधीरे यह बात पूरे मोहल्ले में फैल गई. अलीशा रोते हुए मकबरा स्थित अपने मकान की ओर भागी. उसी बीच किसी ने इस हत्या की जानकारी थाना ग्वालटोली पुलिस को दे दी थी. जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दे कर पुलिस बल के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए थे.

जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां भारी भीड़ जमा हो चुकी थी. उस में काफी तनाव भी था. थानाप्रभारी ने इस बात की जानकारी पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) दिनेश कुमार पी. को दी तो कानूनव्यवस्था बनाए रखने के लिए उन्होंने थाना बजरिया, चमनगंज, कोहना के थानाप्रभारियों को पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश दिया. थोड़ी देर में वह खुद भी फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

फोरैंसिक टीम को जांच के दौरान कमरे से जैलोकेन के इंजेक्शन, सिरिंज और रबर की एक जोड़ी चप्पल मिली. टीम ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो पुलिस अपना काम करने लगी. कमरे में मिले जैलोकेन के इंजेक्शन से आशंका व्यक्त की गई कि मृतक जीशान की हत्या बेहोश कर के की गई थी.

हत्या बड़ी ही क्रूरता से की गई थी. उस का सिर और चेहरा इस तरह से कुचला गया था कि उस की एक आंख फूट गई थी. सिर का भेजा भी बाहर निकल आया था. नाजुक अंगों को भी हत्यारे ने बुरी तरह क्षतविक्षत किया था. यही नहीं, मृतक के पेट में लोहे की जो रौड घुसी थी, लगता था उस के पेट के ऊपर रख कर किसी भारी चीज से ठोंकी गई थी.

लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने पंचनामा तैयार कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए हैलेट अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद उस मकान में रहने वाले सभी किराएदारों और पड़ोसियों से पूछताछ की गई. पुलिस ने काफी प्रयास किया, लेकिन इस पूछताछ में हत्या से संबंधित ऐसी कोई भी जानकारी पुलिस को नहीं मिली, जिस से हत्यारे तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाता.

जीशान की हत्या की सूचना पा कर उस के बड़े भाई मोहम्मद इरफान घर वालों के साथ रात 10 बजे थाना ग्वालटोली पहुंच गए थे. इस के बाद उन्हीं की तहरीर पर थानाप्रभारी मोहम्मद अशरफ ने जीशान की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद उन्होंने इरफान से पूछताछ शुरू की. इस पूछताछ में इरफान ने जो बताया, उस के अनुसार वह उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के कस्बा सफीपुर के मोहल्ला सराय खुर्रम के रहने वाले डा. हसन असगरी उर्फ शम्मू का बेटा था. भाईबहनों में उस के अलावा उस के 2 भाई इमरान और मृतक जीशान के अलावा 2 बहनें थीं.

भाइयों में 29 वर्षीय जीशान सब से छोटा था. पढ़ाईलिखाई के साथ वह पिताजी की उन के काम में मदद करता था, जिस की वजह से उसे बीमारियों और उन के इलाज के बारे में काफी जानकारी हो गई थी. लेकिन उस का मन न पढ़ाईलिखाई में लगा, न पिताजी के साथ काम करने में. इस की वजह यह थी कि वह इलेक्ट्रीशियन बनना चाहता था. समय मिलने पर वह मोटर वाइंडिंग और इलेक्ट्रिक के अन्य काम सीखता रहता था. जब वह बिजली के सारे कामों में निपुण हो गया तो कमाईधमाई करने के लिए कानपुर के ग्वालटोली में रहने वाले अपने बहनोई एहसान के यहां चला गया. यह लगभग 10 साल पहले की बात थी.

पुलिस को शक था कि जीशान की हत्या प्रेमप्रसंग, लेनदेन या किसी रंजिश की वजह से हुई थी. लेकिन इन में से सब से ज्यादा संभावना थी कि उस की हत्या प्रेमप्रसंग को ले कर हुई थी, क्योंकि जिस तरह क्रूरता के साथ उस की हत्या की गई थी, ऐसा अकसर प्रेमप्रसंग या अवैध संबंधों के मामलों में होता था. पुलिस जीशान के दोस्तोंपरिचितों से पता करने लगी कि उस का किसी से प्रेम संबंध तो नहीं था. क्योंकि इस तरह की बातें लोग दोस्तों से जरूर बताते हैं.

परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 3

22 वर्षीय मालती का खून से सना शव भूपेंद्र जाट के मकान में बनी दुकान में पड़ा हुआ था. उस के पास में ही उस के प्रेमी पवन सिंह (27 वर्ष) भी खून से लथपथ अचेत अवस्था में पड़ा हुआ था. दोनों के ही शरीर पर काफी नजदीक से गोली मारे जाने के निशान थे. युवती की लाश के पास ही एक देशी कट्ïटा पड़ा था.  इस से यह अंदाजा लगाया गया कि पहले युवक ने अपनी प्रेमिका के सिर में गोली मारी और फिर खुद आत्महत्या करने के इरादे से गोली मार ली.

आत्महत्या या औनरकिलिंग का हुआ शक

तलाशी में दोनों के पास से कोई सुसाइड नोट तो नहीं मिला, लेकिन पवन जाट के पर्स से मालती और पवन का संयुक्त फोटो मिलने से यह बात साफ हो गई कि मामला प्रेम प्रसंग का है. इसलिए एक संभावना औनर किलिंग की भी बनती नजर आने लगी.  लेकिन किसी भी परिणाम पर पहुंचने से पहले पुलिस के लिए इस हत्या से पहले की हकीकत जानना जरूरी था.

चूंकि मामला हत्या और आत्महत्या के अलावा औनर किलिंग का भी हो सकता था, इसलिए पूरी ऐहतियात बरतते हुए एडिशनल एसपी (देहात) जयराज कुबेर के निर्देश पर फोरैंसिक एक्सपर्ट भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का सूक्ष्मता से निरीक्षण करते हुए सुराग तलाशने की कोशिश की.  इस के बाद मालती का शव पोस्टमार्टम के लिए और अचेत अवस्था में लहूलुहान हालत में पड़े मिले पवन जाट को प्राथमिक उपचार के लिए भितरवार के शासकीय स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया, लेकिन हालत में सुधार होता न देख डाक्टरों ने बिना देरी किए उसे ग्वालियर के लिए रेफर कर दिया. इलाज के दौरान एक दिन बाद ही पवन ने भी दम तोड़ दिया.

अस्पताल से एसएचओ को इस बारे में सूचना दे दी गई थी. इस सूचना के मिलते ही एसएचओ प्रशांत शर्मा और एसडीपीओ अस्पताल पहुंच गए. जरूरी काररवाई के बाद पवन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पवन की मौत के बाद मोहनगढ़ में तनाव फैल गया. तनाव को देखते हुए ग्वालियर से पवन का शव मोहनगढ़ आने से पहले ही भितरवार तहसील के एसडीपीओ अभिनव वारंगे ने मृतक युवक और युवती के घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था.

घर वालों ने दी पुलिस को धमकी

एसडीपीओ ने गम में बिलखते हुए मालती के मातापिता और भाई को ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि इस समय आप लोग बहुत परेशान हैं, लेकिन यह सब कैसे हुआ, यह जानने के लिए मुझे आप लोगों से पूछताछ तो करना ही पड़ेगी. आप लोग इसी तरह रोते रहेंगे तो मैं और एसएचओ अपना काम कैसे करेंगे. आप लोग रोनाधोना बंद कीजिए और हम लोग जो पूछें, उस का जवाब दीजिए.’’

इस पर भी मालती के घर वालों का रोना बंद नहीं हुआ तो एसडीपीओ ने नाराज हो कर कहा, ‘‘ठीक है, आप लोग जी भर कर रो लें. उस के बाद मेरे औफिस में बयान देने आ जाना.’’

इतना कह कर वे घटनास्थल से चलने को अपनी गाड़ी में आ कर बैठे ही थे कि बालमुकुंद चौहान उन की गाड़ी के समीप आ कर बोले, ‘‘साहब रुकिए, मैं आप को इस हत्याकांड की सारी हकीकत बताता हूं. साहब, मेरे पड़ोस में रहने वाले भूपेंद्र सिंह जाट के बेटे पवन ने मेरी बेटी को अपने प्रेम जाल में फंसा लिया था, लेकिन जब मैं ने अपनी बेटी की शादी पवन से न कर के किसी और लडक़े से कर दी तो वह और उस के परिवार के लोग बुरी तरह से तिलमिला गए.

पवन के पिता भूपेंद्र जाट, उस की मां वंदना जाट, भाई उपेंद्र, चाचा उमराव सिंह और पवन ने बड़े सुनियोजित ढंग से मालती को अपने घर बुला कर मेरी बेटी के सिर में गोली मार कर उसे मौत के घाट उतार दिया और उल्टे पवन का परिवार मेरे परिवार पर अंगुली उठाते हुए मेरे घर वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहा है. साहब, अब इस हत्याकांड का सारा सच सामने आ चुका है. आप इन 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी काररवाई करेंगे, तभी हम अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करेंगे.

इस के बाद एसडीपीओ के निर्देश पर एसएचओ प्रशांत शर्मा ने तत्काल मृतका के पिता बालमुकुंद की शिकायत पर भूपेंद्र जाट, वंदना जाट, पवन जाट, उपेंद्र, उमराव सहित पवन के खिलाफ भादंवि की धारा 302,147 के तहत मामला दर्ज कर लिया.  प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका को गोली मार सुसाइड करने के बहुचर्चित मामले में नया मोड़ तब आया, जब पवन की इलाज के दौरान ग्वालियर में हुई मौत के बाद पवन के घर वालों ने मालती के घर वालों पर हत्या का मुकदमा कायम करने की मांग करते हुए भितरवार थाने का घेराव कर लिया.

एसएचओ ने जब उन की मांग को अनसुना कर दिया तो आक्रोशित परिजनों ने पवन के शव को भितरवार करैरा मार्ग पर रख कर चक्का जाम कर दिया. चक्का जाम करने की सूचना मिलने पर एसडीपीओ और एसएचओ प्रशांत शर्मा पुलिस फोर्स ले कर मौके पर पहुंच गए. एसडीपीओ अभिनव वारंगे ने पवन के घर वालों से बात कर भरोसा दिलाया कि मामले की जांच के बाद ही किसी की इस मामले में गिरफ्तारी की जाएगी. इस आश्वासन के बाद ही उन्होंने चक्का जाम खोला और वे पवन का शव ले कर अंतिम संस्कार के लिए मोहनगढ़ चले गए.

कथा लिखने तक पुलिस मर्डर ऐंड सुसाइड के इस मामले की जांच कर रही थी.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 3

मध्य दिल्ली की डीसीपी श्वेता चौहान ने हत्या का यह मामला संज्ञान में आने के बाद एसीपी नरेश खनका के निर्देशन में एसएचओ नबी करीम अशोक कुमार को इस केस का नेतृत्व सौंप कर एक जांच टीम का गठन कर दिया. इस टीम में इंसपेक्टर शिवकरण, एसआई हर्ष, हैडकांस्टेबल पप्पू लाल, वीरेंद्र, जिले सिंह, ताराचंद, कांस्टेबल विजय और सीताराम को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने उस जगह का निरीक्षण किया, जहां पर जतिन को चाकू मारा गया था. यह पहाडग़ंज का आकांशा रोड था. भगवती मैडिकल स्टोर के पास काफी खून फैला था. यहीं पर रात करीब एक बजे स्कूटी से शादी समारोह में शामिल होने जा रहे जतिन उर्फ जूड़ी को चाकू मार कर खत्म कर दिया गया था. शायद उस वक्त यहां कोई चश्मदीद नहीं रहा होगा, जिस ने हत्यारे को देखा हो. हत्या के बाद कोई यहां से गुजरा तब उस ने जतिन को अस्प्ताल पहुंचाया और उस के घर वालों को सूचित किया.

पुलिस ने वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों के लिए नजरें दौड़ाईं, उन्हें वहीं रोड पर 2-3 सीसीटीवी कैमरे नजर आ गए. उन की फुटेज चैक की गई. एक कैमरे में उन्हें 3 व्यक्ति नजर आ गए. उन्होंने जतिन को पकड़ रखा था और उन में से एक जतिन के सीने पर चाकू से वार कर रहा था.

“इन तीनों व्यक्तियों की तसवीर ले कर यहां के रहने वालों को दिखाओ, ये जतिन के हत्यारे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि ये यहीं की किसी बस्ती में रहते होंगे.’’ एसएचओ अशोक ने अपनी टीम को निर्देश दिया तो पुलिस टीम काम में जुट गई. तीनों हत्यारों के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से फोटो निकाल कर उन्हें पुलिस टीम ने अपनेअपने मोबाइल में अपलोड कर लिया. फिर उन की जानकारी हासिल करने के लिए बस्ती की ओर निकल गई.

सौरभ व अक्षय हुए गिरफ्तार

थानाप्रभारी ने अपने खास मुखबिर भी जतिन मर्डर केस के काम में लगा दिए. एक घंटे बाद ही एक मुखबिर ने फोन पर बता दिया कि तीनों हत्यारे नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहते हैं. इन के नाम अक्षय, सौरभ और रजनीकांत हैं. उन के घर दबिश दी जाए तो वे पकड़ में आ सकते हैं.

एसएचओ ने अपनी टीम को तुरंत वापस बुला लिया और मुखबिर द्वारा बताए घरों पर दबिश दी तो घर से वे तीनों गायब मिले. उन की पत्नियां और बच्चे घर पर थे. पुलिस ने सौरभ की पत्नी मीना से पूछताछ की तो उस ने बताया कि अक्षय उस के जेठ हैं और रजनीकांत रिश्तेदार हैं, लेकिन ये तीनों इस समय कहां हैं, इस का पता नहीं.

पुलिस टीम ने मीना से उन तीनों के खास रिश्तेदारों, मित्रों की जानकारी ली. उन तीनों के मोबाइल नंबर भी ले कर सर्विलांस पर लगवा दिए. सौरभ और रजनीकांत की लोकेशन ट्रेस होने लगी. वे दोनों सुलतानपुरी दिल्ली में थे. पुलिस टीम ने उन की गिरफ्तारी के लिए सुलतानपुरी में दबिश दी. वहां वे एक रिश्तेदार के घर में छिपे हुए मिल गए. दोनों को पकड़ कर नबी करीम थाने लाया गया. उन दोनों से पूछताछ हुई तो सौरभ से जतिन उर्फ जूड़ी की हत्या के पीछे जो कहानी बताई, उसे सुन कर सभी हैरत में पड़ गए.

सौरभ ने बताया कि उस की पत्नी मीना की मुलाकात काफी दिनों पहले जतिन से हुई थी. जतिन और मीना का यह प्यार सभी सीमाएं लांघ गया. दोनों के विषय में मुझे मालूम हुआ तो मैं ने उन्हें समझाया किंतु दोनों ही एकदूसरे के प्यार में इस कदर पागल हो गए थे कि मेरी बात को उन्होंने अनसुना कर दिया.

मुझे मालूम हुआ कि जतिन मेरी पत्नी मीना को भगा कर ले जाने वाला है. वह उस से दूर जा कर शादी करने का मन चुका था, मुझे इस पर गुस्सा आ गया. मैं ने सोचा कि अगर जतिन को रास्ते से हटा दिया जाए तो मीना खामोश बैठ जाएगी. मैं ने अपने भाई अक्षय और मीना के रिश्तेदार रजनीकांत को जतिन की हत्या करने के लिए राजी कर लिया.

27 जनवरी को जतिन को एक शादी समारोह में जाना था. हम ने वही दिन उपयुक्त मान कर रात को जतिन को घेर लिया और चाकू मार कर पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी. सौरभ का बयान दर्ज कर लिया गया. रजनीकांत ने भी जुर्म कुबूल कर लिया. अक्षय फरार था. उस ने अपना मोबाइल बंद कर रखा था.

एसएचओ ने अक्षय की पत्नी और उस की सास यानी सौरभ, अक्षय की मम्मी के मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिए. अब इंतजार था अक्षय के द्वारा अपना मोबाइल औन करने का.

अभियुक्तों ने स्वीकारा जुर्म

अक्षय बेहद चालाक था. उस ने किसी दूसरे व्यक्ति के फोन से 30 जनवरी, 2023 को अपनी पत्नी को फोन मिला कर बात की. उस ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए वह गुजरात भाग गया है, अभी वडोदरा में है. एसएचओ अशोक ने उस की सारी बातें रिकौर्ड कर लीं. उन्होंने अक्षय की मां और पत्नी को विश्वास में ले कर अक्षय को कहलवाया कि वह दिल्ली आ जाए, पुलिस ने सौरभ को गिरफ्तार कर लिया है क्योंकि उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है. अब पुलिस तुम्हें कुछ नहीं कहेगी. तुम घर लौट आओ.

अक्षय घर आने को राजी हो गया. उस ने वडोदरा से एक ट्रैवल एजेंसी से एक हजार रुपए में टिकट खरीदा और बस में सवार हो गया. उस ने यह जानकारी अपनी पत्नी को दे दी. एसएचओ मुसकराए कि शिकार अब पिंजरे में आने के लिए तैयार है. उन्होंने वडोदरा की उस ट्रैवल एजेंसी से बस का नंबर और ड्राइवर का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. वह बस के ड्राइवर से फोन पर संपर्क बनाए हुए यह जानकारी लेते रहे कि उस की बस कहां तक पहुंची है.

जब बस ड्राइवर से मालूम हुआ कि वह बस ले कर गुरुग्राम में प्रवेश कर चुका है तो एसएचओ अशोक पुलिस टीम के साथ गुरुग्राम पहुंच गए. वह बस नजर आई तो उसे रुकवा लिया गया. अक्षय बस में था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. थाने में उस ने भी जतिन की हत्या में शामिल होने का जुर्म कुबूल कर लिया.

उन तीनों को अदालत में पेश कर के 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान पुलिस ने जतिन की हत्या में प्रयोग किया गया चाकू, स्कूटी और एक बाइक बरामद की. रिमांड अवधि खत्म हो जाने पर तीनों अभियुक्तों को फिर से अदालत में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मीना और सोनिया परिवर्तित नाम हैं.

परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 2

बालमुकुंद चौहान ने मालती को रखने के लिए अपने दामाद से काफी मनुहार की, लेकिन सोनू इस के लिए कतई तैयार नहीं हुआ. बालमुकुंद बेमन से मालती को अपने घर ले आए. मालती को मायके में रहते हुए 3 महीने से ज्यादा का समय हो गया, इस बीच न तो पति ने उस का हालचाल पूछा और न ही सास ने.

तलाक के बाद हुई बदनामी

इस के बाद बालमुकुंद चौहान और उन की पत्नी को बेटी के भविष्य की चिंता सताने लगी. फिर वे दोनों अपने रिश्तेदारों के साथ मालती की ससुराल पहुंचे. उन्होंने मालती के सासससुर से ले कर  दामाद तक से मालती को घर ले जाने के लिए मिन्नतें कीं, लेकिन सोनू अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुआ और उस ने मालती को विधिवत तलाक दे दिया.

सोनू के इस कदम से मालती और बालमुकुंद की बड़ी बदनामी हुई. समूचे मोहनगढ़ में मालती को उस के पति द्वारा तलाक दिए जाने की बात चर्चा का विषय बन गई. लोग चटखारे लेले कर आपस में तरहतरह की बातें करने लगे थे. बिरादरी में भी थूथू हो रही थी, जिस से मालती के मम्मीपापा से ले कर भाई तक का घर से निकलना मुश्किल हो गया था. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आखिर में न चाहते हुए भी घर वालों ने मालती के लिए लडक़े की तलाश शुरू कर दी.

मालती के पापा और भाई ने काफी मशक्कत के बाद मालती के लिए ग्वालियर में अपनी ही जाति का एक युवक तलाश कर सामाजिक रीतिरिवाज से 8 दिसंबर, 2022 को उस की दूसरी शादी कर दी. दूसरी शादी के बाद मालती ने अपने प्रेमी पवन से दूरियां बनानी शुरू कर दी थीं. अब जब भी पवन उसे फोन करता तो वह कोई न कोई बहाना बना कर उस का फोन काट देती.

शादी के कुछ दिनों बाद मालती पहली बार अपने मायके आई तो पवन ने उसे फोन कर एकांत में बैठ कर बात करने के लिए बुलाया. मगर मालती ने उस से कहा कि अब वह अपने पति की वफादार बन कर रहना चाहती है. उस ने पवन से दोटूक शब्दों में कह दिया कि अब वह उस की वैवाहिक जिंदगी में दखल देने की कोशिश न करे. वह भी उसे भूल कर अपना विवाह कर ले.

प्रेमी ने दी मालती को धमकी

पवन को अपनी प्रेमिका की यह नसीहत उचित नहीं लगी. पवन ने मालती के फोन पर मैसेज भेज कर धमकी दी कि तेरा पति अपने घर वालों के साथ तुझे शादी के बाद पहली बार लेने आ रहा है. अगर तू आज दोपहर में मुझ से मिलने मेरी किराने की दुकान पर नहीं आई तो मैं तेरे सभी न्यूड फोटो इंटरनेट पर छालने के साथ ही तेरे नएनवेले पति के मोबाइल पर भी सारी फोटो भेज दूंगा.

पवन की इस धमकी से मालती काफी तनाव में आ गई. मजबूरी में मालती ने पवन की बात मान ली. 24 दिसंबर, 2022 की दोपहर जब मालती के घर वाले मालती को विदा कराने के लिए मोहनगढ़ आ रहे सुसराल वालों की आवभगत की तैयारी में जुटे हुए थे, तभी दबेपांव मालती पवन की जिद पर उस की दुकान पर पहुंच गई.  मालती को सामने पा कर पवन मुसकराया. उस की आंखों में चमक उभर आई. पवन ने पहले की तरह जैसे ही मालती की कमर में बाहें डाल कर उसे अपने आगोश में लेने का प्रयास कर मनमरजी करने का जतन किया, तभी मालती ने उसे अपने से अलग करते हुए कहा कि अब वह किसी और की ब्याहता है.

मालती ने उस से कहा, ‘‘पवन, अब तुम मेरा पीछा छोड़ दो. वैसे भी तुम्हारे इश्क के चक्कर में पड़ कर मेरी और मेरे परिवार वालों की पहले ही काफी बदनामी हो चुकी है. अब मैं तुम से किसी तरह का संपर्क रख कर अपनी जिंदगी नरक नहीं करना चाहती. मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतने घटिया इंसान निकलोगे, वरना तुम से इश्क करने की भूल हरगिज नहीं करती.’’

प्रेमिका को मारी गोली

मालती के मुंह से खरीखोटी सुन कर पवन  की सहनशक्ति जवाब दे गई. वह अपना आपा खो बैठा और यह कहते हुए कि चल तेरे घर वाले तुझे तेरे पति के पग फेरे की रस्म के बाद विदा करें, मैं तुझे आज ही इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा किए देता हूं. कमर में खोंसा देशी तमंचा निकाल लिया और प्रेमिका मालती के सिर से सटा कर गोली मार दी.

गोली लगते ही मालती तख्त पर गिर गई और उस ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. प्रेमिका की हत्या करने के बाद पवन ने भी यह कहते हुए उसी कट्ïटे से स्वयं को गोली मार ली कि जब जानेमन तू ही नहीं रही दुनिया में तो मैं तेरे बिना जी कर क्या करूंगा.

2 बार गोली चलने की आवाज सुन कर मालती का भाई हरिओम किसी अनहोनी की आशंका में दौड़ कर पवन जाट की किराने की दुकान पर जा पहुंचा. वहां पहुंच कर देखा तो अपनी शादीशुदा बहन को खून से लथपथ तख्त पर पड़ा पाया.  हरिओम ने बहन को झकझोर कर उठाना चाहा, लेकिन उस के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई. उस ने उस की छाती पर हाथ रखा तो पता चला कि धडक़नें बंद हैं. उस की नाक के सामने हाथ ले जा कर देखा, उस की सांस भी नहीं चल रही थी.

अपनी लाडली बहन की मौत से हरिओम की चीख निकल पड़ी. मोहल्ले वालों को उस आवाज को पहचानने में जरा भी देर नहीं लगी. यह दर्दभरी चीख बालमुकुंद के बेटे हरिओम की थी. वह चीखचीख कर कह रहा था कि बड़ी बेरहमी से पवन ने मेरी बहन की हत्या कर दी है. मालती तुझे हो क्या गया था, जो तू अपनी विदाई से पहले पवन की दुकान पर चली आई थी.

इस के बाद पड़ोसियों से ले कर सारे रिश्तेदार भूपेंद्र जाट के घर के बाहर जमा हो गए. पड़ोसियों में से ही किसी ने भितरवार थाने को मालती मर्डर केस की खबर दे दी थी. खबर पा कर एसएचओ प्रशांत शर्मा से ले कर एडिशनल एसपी (देहात) जयराज कुबेर, एसडीपीओ अभिनव वारंगे घटनास्थल पर पहुंच गए थे.