औनर किलिंग के जरिए प्यार की बलि – भाग 3

विवेचना हाथ में आते ही एसएसआई शर्मा तुरंत सक्रिय हो गए और तहकीकात शुरू कर दी. सब से पहले उन्होंने वादी तथा रीना के प्रेमी मोनू चौहान के बयान दर्ज किए. बाद में काररवाई को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने सीओ हेमेंद्र सिंह नेगी से दिशानिर्देश लिए. सीओ के निर्देश पर अंकुर शर्मा ने रीना की जानकारी देने के लिए कई मुखबिरों को तैनात कर उन की मौनीटरिंग करने लगे.

विवेचनाधिकारी शर्मा को इतना तो पता चल ही गया था कि रीना पिछले कई दिनों से घर पर नहीं है. उसे आसपास के लोगों ने भी कहीं आतेजाते नहीं देखा. संदेह के आधार पर गांव रामपुर रायघटी के निकट गंगा नदी के किनारे की तलाश शुरू करवा दी ताकि नदी के आसपास रीना का कोई सुराग मिल जाए.

गंगा नदी के किनारे के रास्ते पर तलाशी के दरम्यान 12 अगस्त, 2022 की दोपहर को पुलिस को बालावाली रेलवे पुल के नीचे तैरता हुआ एक प्लास्टिक का बोरा दिखाई दिया. उसे नदी से बाहर निकाल कर खोला गया. उस में एक लड़की का शव था.

शव की शिनाख्त के लिए तुरंत मोनू को बुलवाया गया. मोनू मौके पर आ कर शव के हाथ पर बने 3 स्टार ओम के निशान को देख कर उस ने उस की शिनाख्त अपनी प्रेमिका रीना पुत्री मदन के रूप में कर दी.

महिला थानेदार मनीषा ने रीना के शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दिया. इस मामले में आईपीसी की धाराएं 302 व 201 भी जोड़ दी गईं.

मोनू के बयान और आरोपों पर भरोसा करते हुए पुलिस ने जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ाई. जल्द ही 16 अगस्त, 2022 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर रीना के भाई रवि को भोगपुर शाहपुर रोड से गिरफ्तार कर लिया.

लक्सर कोतवाली ला कर पुलिस उस से पूछताछ करने लगी. सख्ती से पेश आने पर रवि ने पुलिस के सामने रीना की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. उस के बाद उस ने पुलिस को जो कहानी बताई, वह इस प्रकार है—

काफी समय से नाबालिग रीना व मोनू के बीच प्रेम संबंध चल रहे थे. 3 महीने पहले रीना और मोनू घर से भाग कर देहरादून चले गए और उन्होंने कोर्ट में मैरिज करने का प्रयास किया, मगर रीना के नाबालिग होने के कारण यह शादी नहीं हो सकी थी.

उस के बाद दोनों अगले दिन ही घर लौट आए. परिवार की बदनामी के डर से रीना के घर वालों ने मोनू के खिलाफ कोई कानूनी काररवाई नहीं की थी.

रवि के परिवार में मांबाप के अलावा एक भाई और 2 बहनें थीं. बड़ी बहन रीता की शादी 4 साल पहले बंटी से हुई थी.

घर वालों ने रीना को मोनू से दूर रहने और संबंध खत्म करने की हिदायत दी थी. चेतावनी के साथ यह भी कह दिया था कि भविष्य में अगर उस ने फिर कोई ऐसा कदम उठाया तो इस का अंजाम बुरा हो सकता है. उसे जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है. इस के बाद में घर वालों ने रीना की शादी के लिए नगीना (बिजनौर) में अपनी बिरादरी का एक लड़का भी देख लिया था.

रीना अपनी जिद पर अड़ी हुई थी. वह घर वालों की पसंद के लड़के से शादी करने के लिए तैयार नहीं थी, जिस से घर के सभी लोग अपमानित महसूस कर रहे थे. रीना द्वारा घर वालों की पसंद के लड़के से शादी की मनाही करने पर बिरादरी में थूथू होने लगी थी. इस कारण परिवार में काफी तनाव का माहौल बन गया था.

बात 6 अगस्त, 2022 के आधी रात की है. रात के 2 बजे खटपट की आवाज से रीना के भाई रवि की नींद टूट गई. जब वह चारपाई से उठा, तब देखा कि रीना घर से भागने की तैयारी कर रही थी. उस समय पिता घर पर नहीं थे. वे नदी से रेत लाने गए हुए थे. रवि ने रीना को पकड़ लिया और उसे नहीं भागने के लिए समझाया, मगर रीना नहीं मानी. बहुत समझाने पर भी जब वह अपनी जिद पर अड़ी रही तब रवि को गुस्सा आ गया.

गुस्से में उस ने दोनों हाथों से उस का गला पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा. कमजोर रीना भाई के हाथों की पकड़ को नहीं छुड़ा पाई. कुछ मिनट में ही वह बेजान हो गई. गला घुटने से उस की मौत हो चुकी थी. जैसे ही रवि ने उस का गला छोड़ा, वह वहीं धड़ाम से गिर गई.

रीना की मौत हो गई थी. इस के बाद रवि ने रीना की मौत की खबर अपने बहनोई बंटी को फोन कर के दी. वह पास के ही गांव ओसपुर में रहता है. आधे घंटे बाद बंटी ससुराल आ गया. बंटी को रवि ने रीना की हत्या के बारे में बता दिया.

दोनों के सामने रीना की लाश पड़ी थी. यह देख कर दोनों डर गए. पुलिस से बचने के लिए उसे ठिकाने लगाने की योजना बनाई. उस के अनुसार, पहले दोनों ने रीना की लाश को एक प्लास्टिक के बोरे में डाल कर बोरे का मुंह रस्सी से बांध दिया. उस बोरे को ले कर बंटी रवि की प्लेटिना मोटरसाइकिल पर बैठ गया.

थोड़ी देर बाद वे दोनों गंगा नदी के किनारे चलते हुए बालावाली रेलवे पुल के पास जा पहुंचे. वहां उन्होंने उस बोरे को पुल के नीचे फेंक दिया और घर लौट आए.

पुलिस ने रवि के इस बयान को दर्ज करने के बाद उसी दिन ही शाम को उस के जीजा बंटी को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.

बंटी ने भी पुलिस के सामने रवि के बयानों की पुष्टि करते हुए रीना की लाश को ठिकाने लगाने में मदद करने की बात स्वीकार ली. इसी के साथ पुलिस ने रीना के शव को ले जाने वाली रवि की काले रंग की बजाज प्लेटिना बाइक नंबर यूके 08एपी 5865 उस के घर से बरामद कर ली.

अगले दिन पुलिस ने रवि व बंटी को कोर्ट में पेश कर दिया. वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

रीना हत्याकांड का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम में कोतवाल यशपाल सिंह विष्ट, एसएसआई अंकुर शर्मा, एसआई मनोज ममगई, विनय मोहन द्विवेदी, कांस्टेबल अनिल व मोहन शामिल रहे. रीना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण दम घुटना बताया गया.

कथा लिखे जाने तक रवि व बंटी जेल में ही थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रीना परिवर्तित नाम है

औनर किलिंग के जरिए प्यार की बलि – भाग 2

जब दोनों पुलिस अधिकारियों ने उस के कोतवाली में आने का कारण पूछा, तब उस ने हिम्मत कर रीना के घर से लापता होने की आशंका जताई.

‘‘तुम कौन हो? रीना कौन है?’’ कोतवाल बिष्ट ने पूछा.

‘‘जी, मेरा नाम मोनू चौधरी है और रीना मेरी प्रेमिका अपने घर से लापता हो गई है,’’ मोनू बोला.

‘‘प्रेमिका? तुम को कैसे पता कि वह लापता है? …और वैसे भी तुम होते कौन हो उस के बारे में पता करने वाले?’’ एसएसआई अंकुर शर्मा बोले.

‘‘जी, वह मेरी प्रेमिका है. हम लोग शादी करने वाले हैं, लेकिन उस के घर वाले राजी नहीं हैं. हम एक ही बिरादरी के हैं और हमारा गोत्र एक ही है. इस कारण वे मान नहीं रहे हैं. मुझे डर है कि मेरी प्रेमिका को घर वालों ने कहीं गायब कर दिया है. उस का फोन 3 दिनों से बंद मिल रहा है. लीजिए आप भी इस नंबर पर मिला कर देख लीजिए.’’ मोनू ने मिन्नत की और मोबाइल नंबर लिखी परची कोतवाल साहब के सामने बढ़ा दी.

कोतवाली पुलिस के सामने यह अनोखा मामला था कि एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के लापता होने की शिकायत लिखवाने आया था, जबकि जिस के बारे में वह बता रहा था, उस के मातापिता या दूसरे घर वालों की तरफ से कोई शिकायत नहीं मिली थी.

कौन सही और कौन गलत होता है, इस की तहकीकात के लिए पहले रीना के फोन नंबर पर कोतवाल यशपाल सिंह बिष्ट ने काल की. फोन स्विच्ड औफ मिला. उस के बाद मोनू ने रीना के भाई रवि का फोन नंबर दिया. साथ ही बताया कि वही उस की और रीना की शादी का सब से अधिक विरोध करता था.

पुलिस ने उस नंबर पर भी काल की. बात होने लगी. कोतवाल ने पूछा कि क्या उस के परिवार की सदस्य रीना घर में है? वह उस से बात करना चाहता है.

दूसरी तरफ से गुस्से से भरी आवाज आई, ‘‘तुम कौन बोल रहे हो? रीना किसी से बात नहीं करना चाहती है.’’

‘‘मैं मोनू का दोस्त बोल रहा हूं. बहुत अर्जेंट है रीना से बात करना.’’ कोतवाल साहब ने अपनी पहचान छिपा कर कहा.

‘‘बहुत अर्जेंट है तो बोल दे मोनू को भी कि वह दोबारा फोन न करे, नहीं तो उसे भी वहीं भेज दूंगा जहां…’’ रीना का भाई पहले से और अधिक तीखी आवाज में बोलने लगा.

लेकिन कोतवाल यशपाल सिंह बिष्ट बीच में ही बोल पड़े, ‘‘भेज दूंगा… मतलब! रीना कहीं गई है क्या? बता दो न प्लीज, कहां गई है. मेरा दोस्त उसे याद कर बेहाल हो चुका है. ठीक से खाना भी नहीं खा रहा है.’’

‘‘खाना नहीं खा रहा है तब मैं क्या करूं? चल फोन रख.’’ इसी के साथ उस ने फोन कट कर दिया.

उस के बाद मोनू ने कोतवाल साहब का फोन ले कर दोबारा काल की, लेकिन इस बार उस ने स्पीकर औन कर रिकौर्डिंग का स्विच भी औन कर दिया. काल रिसीव करते ही रीना का भाई गालियां बकते हुए बोलने लगा, ‘‘हरामजादे, सुअर की औलाद! अबे चूतिया है क्या, जो मुझे सुबहसुबह तंग कर रहा है!’’

‘‘अरे रवि, मैं मोनू बोल रहा हूं.’’

‘‘अबे हरामजादे! तेरी बहन की… तू फोन बदलबदल कर काल करता है. लगता है तुझे भी वहीं भेजना पड़ेगा, जहां रीना को भेजा है.’’ गुस्से में रवि बोला.

‘‘कहां भेजा है उसे, बताओ तो मैं खुद चला जाता हूं.’’ मोनू ने विनती की.

‘‘तू वहां अकेले नहीं जा सकता. …और मेरे सिवाय और कोई भेज भी नहीं सकता.’’ रवि और भी गुस्से के तेवर के साथ बोला.

‘‘अबे तू नहीं जानता तेरी किस से बात हो रही है. तुम ने जो भी बका है, वह रिकौर्ड भी हो गया है. मैं लक्सर कोतवाली से बात कर रहा हूं. तूने अपनी बहन को कहां गायब कर दिया है, सचसच बता दे, वरना पुलिस को तलाश करना अच्छी तरह आता है.’’ मोनू भी उसी के लहजे में डांटते हुए बोला.

उस के बाद तुरंत कोतवाल बिष्ट ने भी रवि को डांट दिया और रीना के बारे में सहीसही जानकारी मांगी.

पुलिस और लक्सर कोतवाली सुनते ही रवि डर गया. हकलाता हुआ बोलने लगा, ‘‘जी, जी वह मोनू के साथ ही घर से 4-5 दिन पहले भाग गई थी, उस का पता नहीं है.’’

‘‘तो तुम ने अभी तक थाने में उस के लापता होने की शिकायत क्यों नहीं दर्ज करवाई?’’

इस का उस ने कोई जवाब नहीं दिया और फोन कट कर दिया. लक्सर पुलिस के सामने यह मामला कुछ अलग तरह का था. पुलिस रवि से बातें कर के यह समझ गई थी रीना खतरे में हो सकती है. इसलिए उस का पता लगाया जाना चाहिए.

मोनू से बात कर कोतवाल यशपाल सिंह बिष्ट ने रीना और रवि के बारे में कुछ और जानकारी जुटाई. मोनू रीना से कोर्टमैरिज करने के इंतजार में था. उस ने लक्सर पुलिस से रीना के बारे में पता लगाने की विनती की.

मोनू की बातें गौर से सुनने के बाद कोतवाल बिष्ट ने रीना की घर में मौजूदगी के बारे में मालूम करने के लिए चेतक पुलिस को तत्काल रीना के घर भेजा. जब पुलिस ने रीना के घर जा कर रीना के बारे में जानकारी की. रीना घर पर नहीं मिली. पुलिस ने रीना के घर वालों से उस के बारे में पूछताछ की तो उन से रीना के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

चेतक पुलिस ने वापस कोतवाली पहुंच कर यह जानकारी कोतवाल यशपाल सिंह बिष्ट को दी. मामला चूंकि नाबालिग लड़की के लापता होने का था, इसलिए बिष्ट ने इस मामले में एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोवाल को सूचित कर दिया. उन के कहने पर बिष्ट ने रीना के लापता होने की शिकायत दर्ज कर ली.

शिकायत मोनू चौहान की ओर से भादंवि की धारा 365 के अंतर्गत 9 अगस्त, 2022 को दर्ज की गई. इस की जांच एसएसआई अंकुर शर्मा को सौंप दी गई.

औनर किलिंग के जरिए प्यार की बलि – भाग 1

गर्म और उमस भरी रात थी. रात के एक बजे थे. मोनू चौहान बिस्तर पर करवटें बदल रहा था. आंखों से नींद गायब थी. उसे बस रीना की चिंता खाए जा रही थी. बारबार रीना का चेहरा उस की आंखों के सामने घूम रहा था. सोच रहा था, ‘‘पता नहीं किस हाल में होगी वह? उस पर क्या बीत रही होगी?’’

उस का चिंतित होना स्वाभाविक था. खुद को कोस रहा था, क्योंकि उस ने ही उसे घर से भागने के लिए उकसाया था. भाग कर अलग दुनिया बसाने की उसी ने सलाह दी थी और रीना थी कि उस की बातों में तुरंत आ गई थी. बगैर आगेपीछे सोचेविचारे 2-3 जोड़ी कपड़े और मां के कुछ गहने ले कर उस के साथ घर से भाग गई थी.

रीना और मोनू बचपन से ही साथ खेलेकूदे और एक ही कक्षा में पढ़ाई करते हुए जवान हुए थे. एक वक्त ऐसा भी आया, जब जवां दिलों की धड़कनें उन्हें काफी करीब ले आई थीं. उन की धड़कनें एक साथ धड़कने को बेताब थीं. वे शादी करना चाहते थे.

यह कहें कि प्रेम संबंध को परिणय सूत्र से बांध लेना चाहते थे, लेकिन उन के घर वालों को यह मंजूर नहीं था. खासकर रीना के घर वाले इस के विरोधी थे. सामाजिक कारण था उन के परिवारों के गोत्र का एक होना, जबकि वे एक ही बिरादरी के थे.

मोनू ने जिस 17 वर्षीय रीना के साथ शादी के सपने देखे थे, वह विगत 3 दिनों से गायब थी. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा था. रीना से उस के प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता 8 महीने पहले और अधिक आ गई थी. उन के मधुर संबंध उस के और रीना के घर वालों को भी पसंद नहीं थे. दोनों एक ही गोत्र के थे. इस कारण उन के घर वालों और समाज की निगाह में वे भाईबहन थे.

जब रीना और मोनू को पक्का विश्वास हो गया कि उन के घर वाले उन की किसी भी सूरत में शादी नहीं होने देंगे, तब वे घर से भाग कर देहरादून चले गए थे. हालांकि उन्हें देहरादून पहुंचते ही इस बात का तुरंत अहसास भी हो गया था कि रीना को शादी के लिए बालिग होने में अभी 3 माह बचे हुए थे.

इस कारण वे बैरंग लिफाफे  की तरह अपनेअपने घर लौट आए. उन के लौटने के बाद से मोनू की रीना से 3 दिनों तक कोई बात नहीं हो पाई थी. इसी चिंता में मोनू उस रात करवटें बदलता हुआ सुबह होने का इंतजार कर रहा था.

रीना का परिवार उत्तराखंड के हरिद्वार जिले की लक्सर कोतवाली के अंतर्गत स्थित रामपुर रायघटी गांव का रहने वाला है. यह गांव हरिद्वार से बिजनौर की ओर बहती गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है. इस क्षेत्र के अधिकतर लोग खेतीकिसानी करते हैं. उन का मुख्य कार्य खेती के अलावा गंगा की तलहटी से रेत निकालने का भी है. रीना और मोनू के घर वालों का भी मुख्य पेशा खनन के कारोबार का था.

रीना और मोनू की दोस्ती बीते 6 साल पहले तब हुई थी, जब वे गांव के ही स्कूल में एक ही कक्षा में पढ़ते थे. मोनू पहले तो अकसर रीना को केवल निहारा करता था, लेकिन जल्द ही उन के बीच दोस्ती भी हो गई थी.

कुछ सालों तक उन के बीच हायहैलो और स्कूली किताबों एवं पढ़ाईलिखाई के संबंध में सीमित बातचीत की दोस्ती चलती रही. लेकिन उन की वही दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला.

फिर तो वे एकदूसरे के गजब के दीवाने बन गए. जिस दिन वे आपस में बातें नहीं कर लेते, उस दिन उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लगता था. साथसाथ उठनाबैठना, खानापीना, घंटों बैठ कर इधरउधर की बातें करना आम बात हो गई थी. उन के बीच जिंदगी की फिलास्फी के साथसाथ घरपरिवार, गांव, खेतखलिहान, सिनेमा, फैशन हीरोहीरोइनों आदि की बातें होने लगी थीं.

फिर तो दोनों की हालत ऐसी हो गई थी कि वे एक दिन भी एकदूसरे को देखे बगैर नहीं रह पाते थे. दोनों एकदूसरे के साथ शादी करने के सपने देखने लगे थे, किंतु तब कोरोना का दौर था. उन का स्कूल जाना बंद हो चुका था और प्यार के पंख लगने के बावजूद उड़ान नहीं भर पा रहे थे.

पाबंदियों और परेशानियों से भरा यह दौर 2021 का अंत आतेआते तब खत्म हुआ, जब एक रोज रीना ने ही मोनू से फोन पर कहा, ‘‘हम लोग कब तक मिलने की आस लगाए लौकडाउन में कैद बने रहेंगे?’’

‘‘थोड़ा और धैर्य रखो, कोई न कोई रास्ता निकल आएगा,’’ मोनू ने फोन पर ही उसे आश्वासन दिया था.

किंतु रीना ने बताया कि उस ने अगर जल्द कोई कदम नहीं उठाया, तब उस के खिलाफ घर वाले कुछ भी कदम उठा सकते हैं.

यह बात मोनू के दिमाग में घर कर गई और उस ने रीना को साथ ले कर देहरादून चले जाने की योजना बना ली थी. वे सुनियोजित कार्यक्रम के अनुसार देहरादून चले तो गए थे, लेकिन अगले ही रोज लौट भी आए थे.

रीना की चिंता में मोनू को कब नींद लग गई, पता ही नहीं चला. सुबह जब आंखें खुलीं, तब उस का सिर भारीभारी लग रहा था. उस के अनापशनाप अनहोनी जैसे विचार दिमाग में कौंध रहे थे. उसे सपने में रीना बेहाल दिखी थी. सपने के दृश्य किसी हौरर मूवी की तरह अभी भी उस के दिमाग में गड्डमड्ड हो गए थे.

वह उसे एकदूसरे से जोड़ कर उस का अर्थ समझने की कोशिश करने लगा. उस ने सपने में रीना को बेतहाशा दौड़तेभागते देखा था. वह ऐसे भाग रही थी मानो कोई उसे भगा रहा हो, भगाने वाले कोई नहीं दिखे थे. वह पानी की लहर पर भागती जा रही थी.

मोनू समझ गया कि इसी सपने की वजह से उस का सिर भारी लग रहा है. दिन का सूरज भी निकल आया था. बिस्तर से उठने के बाद वह सीधा बाथरूम गया. फ्रैश हो कर नाश्ता किया और हिम्मत जुटा कर लक्सर कोतवाली की ओर चल पड़ा.

करीब 15 मिनट में वह कोतवाली पहुंचा. वहां उसे कोतवाल यशपाल सिंह बिष्ट और एसएसआई अंकुर शर्मा मिले. उन्होंने मोनू से आने का कारण पूछा. सकपकाया और थोड़ा डरा हुआ मोनू कुछ समय तक उन के सामने नि:शब्द खड़ा रहा.