सट्टा ऐप मामले में ईडी द्वारा तेज की गई जांच के सिलसिले में रायपुर में 2 आईपीएस अधिकारियों पर भी शिकंजा कस दिया. कबीरधाम के एसपी डा. अभिषेक पल्लव से 9 नवंबर को 5 घंटे की पूछताछ के बाद अगले रोज 10 नवंबर को रायपुर के एसएसपी प्रशांत अग्रवाल से भी पूछताछ की गई.
उन्हें पूछताछ के लिए वाट्सऐप पर नोटिस भेजा गया था. ईडी ने अभिषेक से दुर्ग में तैनाती के दौरान महादेव ऐप के खिलाफ की गई काररवाई की जानकारी ली. साथ ही उन से एक मीडिया संस्थान के स्टिंग औपरेशन के बारे में भी पूछा गया.
लंबी पूछताछ में उन से महादेव ऐप के कथित संचालक शुभम सोनी की जानकारी मिली. उस की ओर से सोशल मीडिया पर जारी वीडियो को ले कर पूछा गया. उक्त वीडियो में शुभम ने प्रशांत अग्रवाल और अन्य लोगों का नाम लिया था.
इस संबंध में प्रशांत अग्रवाल से फोन पर जानकारी लेने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं की. विशेष शाखा में पदस्थ इंसपेक्टर गिरीश तिवारी से भी पूछताछ की गई. इस मामले में 2 आरोपियों सुनील दम्मानी और अनिल दम्मानी की ओर से लगाए गए जमानत आवेदन को कोर्ट ने खारिज कर दिया.
—कथा लिखने तक ईडी इस मामले की तह तक पहुंचने में जुटी हुई थी.
छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही चुनाव प्रचार और जनभाओं की सरगर्मी तेज हो गई थी. राजनेताओं के आरोपप्रत्यारोप के सिलसिले में महादेव ऐप की सट्टेबाजी का नाम भी शामिल हो गया था. इस के कथित मालिक शुभम सोनी का एक बयान आते ही हंगामा मच गया.
शुभम ने नाटकीय तरीके से अपना एक वीडियो जारी कर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर ही आरोप लगा दिया कि उन्हें 508 करोड़ रुपए दिए गए हैं. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी छत्तीसगढ़ के सरगुजा इलाके में कांग्रेस को घेरते हुए चुनावी सभाओं में एक मुद्दा बना लिया.
हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस तरह के आरोप पर कड़ी आपत्ति जताई. कहा कि यह चुनाव में उन की सरकार को बदनाम करने की एक कोशिश भर है. उन्होंने यह भी कहा कि जिस शुभम सोनी को कोई नहीं जानता था, वह अचानक कैसे महादेव ऐप के मालिक के तौर पर सामने आ गया. जबकि शुभम इस घोटाले का एक आरोपी है.
इसे ले कर ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने कार्यालय में एक प्रैस कौन्फ्रैंस की और शुभम सोनी के बयान का वीडियो मीडिया को दिखाया. इस के पहले तक दुबई से संचालित औनलाइन सट्टा, महादेव ऐप के मालिक प्रमोटर के तौर पर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल का नाम ही सामने आया था.
इस मामले में शुभम सोनी का नाम ईडी के दिए एक बयान के बाद आया. ईडी ने रायपुर और भिलाई से एक व्यक्ति असीम दास से 5.39 करोड़ रुपए जब्त करने का दावा करते हुए कहा कि महादेव सट्टा ऐप के प्रमोटर्स ने अब तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए दिए हैं.
ईडी की प्रैस विज्ञप्ति के अनुसार असीम दास से पूछताछ के साथसाथ उस के पास से बरामद फोन की फोरैंसिक जांच और महादेव नेटवर्क के बड़े आरोपियों में से एक शुभम सोनी द्वारा भेजे गए ईमेल की जांच से कई चौंकाने वाले राज सामने आए. ईडी ने इसे ‘जांच का विषय’ बताते हुए शुभम सोनी के बारे में और अधिक जानकारी भले ही नहीं दी, लेकिन इस मामले में शुभम सोनी एक नया नाम आ गया.
उस ने खुद को महादेव ऐप का मालिक बताया. उस का जो वीडियो सामने आया है, उस में वह अपना कथित पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट और कंपनी के कथित दस्तावेजों की फोटोकौपी दिखाते हुए दावा करता दिखा. उस ने दावा किया कि साल 2021 में उस ने महादेव बेटिंग ऐप शुरू किया था.
वीडियो में यह दावा भी किया गया था कि इस मसले पर किसी वर्माजी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उन के बेटे से कथित रूप से मुलाकात कराई थी. महादेव ऐप का प्रमोटर बताने वाले शुभम सोनी ने यह भी कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री ने दुबई जा कर काम करने को कहा. जो उन्होंने किया भी. वहीं उस की मुलाकात भिलाई के ही सौरभ और रवि से हुई. वहीं उन्होंने दोनों को अपना निजी सलाहकार रख लिया.
उस के अनुसार, सौरभ और रवि का मालिक शुभम सोनी बन गया था. इस पर सीएम भूपेश बघेल ने उन के खिलाफ गढ़ी हुई कहानी बताया. उन्होंने कहा कि ईडी की प्लांटेड स्टोरी में शुभम सोनी एक हिस्सा भर है.
इसी के साथ श्री बघेल ने आश्चर्य जताते हुए पत्रकारों से कहा कि शुभम ऐसा मालिक है, जो अपने नौकर की शादी में 200 करोड़ रुपए खर्च कर देता है. रमन सिंह के कार्यकाल में 2 अधिकारी थे, वह ऐसी ही स्टोरी बनाते थे. यह पूरा प्लांटेड है.
इस के साथ ही श्री बघेल ने टिप्पणी की कि भारत सरकार ने महादेव समेत 22 औनलाइन सट्टा ऐप पर प्रतिबंध लगाने का दावा किया. लेकिन यह सट्टा ऐप अभी भी चलन में है.
कुछ इसी तरह की सट्टेबाजों के गिरोह की शिकायत अक्तूबर, 2022 में नोएडा पुलिस को मिली थी. इस की तह तक जातेजाते उसे महीनों लग गए थे. तब तक महादेव के पैनल के खिलाफ ईडी का शिकंजा भी कसा जाने लगा था. नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के निर्देश पर गैंगस्टर ऐक्ट के तहत काररवाई की गई.
नाएडा पुलिस ने फरवरी 2023 में छापेमारी में 16 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. इस बारे में एडिशनल डीसीपी शक्तिमोहन अवस्थी ने बताया कि गिरफ्तारों के साथसाथ सौरभ और रवि भी आरोपी बना दिए गए. उन में ऐप के पैनल सरगना तरुण लखेड़ा भी शामिल था.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सेक्टर-108 से झांसी निवासी तरुण लखेड़ा, राहुल, अभिषेक प्रजापति, आकाश साहू, हिमांशु, अनुराग वर्मा, विवेक, दीपक कुमार, विशाल शर्मा, रावत, दिव्य प्रकाश, हर्षित चौरसिया, अक्षय तिवारी, नीरज गुप्ता, आकाश जोगी और दीपक सहित 16 लोगों को गिरफ्तार किया था.
पूछताछ में आरोपियों के डेढ़ माह से सट्टेबाजी का रैकेट चलाने की बात सामने आई थी. गिरोह के दूसरे आरोपी जो पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े थे, उन की लोकेशन दुबई, बांग्लादेश, थाईलैंड समेत 11 देशों में अलगअलग मिली थीं.
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि नोएडा में इस का सरगना बने बैठे तरुण ने ठिकाने के तौर पर सेक्टर-108 में कोठी किराए पर ली थी. यहीं पूरा सेटअप तैयार किया था. महादेव ऐप पर आने वाली बोलियों के डेटा को यहां ऐप की लौगइन आईडी से संभाला जा रहा था.
जांच में यह बात भी सामने आई कि नोएडा से चल रहे इस रैकेट द्वारा डेढ़ महीने में 400 करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन किया जा चुका है. बहरहाल, ईडी की काररवाई के बाद महादेव गेमिंग ऐप के 18 लोगों के खिलाफ नोएडा सेक्टर-39 पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए उन की संपत्ति कुर्क करने की बात कही है.
ईडी की जांच में पता चला कि आरोपी अलगअलग वेबसाइटों पर कौंटैक्ट नंबरों का विज्ञापन किया करते थे. लोगों को लालच दिया जाता था कि अगर वह इस नंबर से संपर्क करेंगे तो उन्हें मुनाफा होगा. अगर किसी को दिलचस्पी होती थी तो उसे सट्टेबाजी वाली वेबसाइट पर भेजा जाता था.
यूजर के पास आप्शन होता था कि वह किसी भी खेल पर दांव लगा सकता है. शुरुआती रकम 500 रुपए होती थी. शुरू में यूजर जीतता भी, मगर जैसे ही वह बड़ी रकम लगाता, उसे हार मिलती.
इस ऐप को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि खेल पर पूरा कंट्रोल इसे बनाने वाले यानी चंद्राकर की कंपनी के पास होता था. यही वजह थी कि खेल शुरू होने से पहले ही हार तय होती थी.
ईडी ने जब अगस्त, 2023 में छत्तीसगढ़ में छापेमारी की थी, तब मनी लांड्रिंग मामले में 4 लोगों को पकड़ा था. इन में सुनील दम्मानी, अनिल दम्मानी, सतीश चंद्राकर और एएसआई चंद्रभूषण वर्मा शामिल थे. इन लोगों ने इस बेटिंग ऐप को भारत में फैलाने का काम किया था.
ईडी न केवल महादेव के खिलाफ काररवाई कर रही थी, बल्कि उस के इनफ्लूएंसर पर भी नजर गड़ाए हुए थी. ईडी ने बौलीवुड के कई उन सितारों को भी पूछताछ के लिए बुलवाया, जिन का नाम ऐप के प्रचारकों में शामिल था. उन्होंने ईडी से थोड़ा समय मांग लिया. इन पर महादेव ऐप के प्रचार करने के लिए मोटा पैसा लेने का आरोप लगा. इन लोगों को महादेव बुक ने भले ही कई रूट से पैसा घुमा कर दिया, लेकिन आखिर वह पैसा सट्टेबाजी का ही था.
वेबसाइट पर दिख रहे कलाकारों के अलावा भी कई कलाकारों ने इस ऐप को प्रोमोट किया है. उन में रणबीर कपूर, हुमा कुरैशी, कपिल शर्मा और हिना खान के नाम भी शामिल हैं.
इसी तरह से सौरभ चंद्राकर की शादी में दुबई जाने वाले कलाकारों में आतिफ असलम, राहत फतेह अली खान, अली असगर, विशाल दडलानी, टाइगर श्राफ, नेहा कक्कड़, एली अवराम, भारती सिंह, सनी लियोनी, भाग्यश्री, पुलकित, कृति खरबंदा, नुसरत भरूचा, कृष्णा अभिषेक और सुखविंदर सिंह थे.
महादेव बुक से जुड़ी जांच जैसेजैसे आगे बढ़ी, ईडी के जाल में बड़ीबड़ी बौलीवुड हस्तियां फंसती नजर आईं. इस ऐप की सट्टेबाजी से मनी लांड्रिंग और हवाला, घूसखारी, गबन के आए मामले में करीब 5 हजार करोड़ की हेराफेरी किए जाने का अनुमान लगाया गया है.
ईडी अधिकारियों ने यह भी दावा किया है कि सट्टेबाजी ऐप अपनी कंपनी को बढ़ावा देने के लिए विज्ञापन पर भारी रकम खर्च करता था. ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बौलीवुड सितारों के साथ विज्ञापन किया था. अधिक लोग पैनल के रूप में फ्रैंचाइजी लेने के लिए निवेश करते थे. विज्ञापन और मनोरंजन की देखभाल के लिए एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी और विज्ञापन एजेंसी को 112 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया गया था.
ईडी द्वारा मुंबई, भोपाल, कोलकाता में एक साथ तलाशी ली गई थी. अधिकारियों ने नकदी समेत 417 करोड़ रुपए की संपत्ति बरामद की. ईडी अधिकारियों के मुताबिक विकास छापरिया नाम का शख्स कोलकाता में इस कारोबार का प्रभारी था.
ईडी अधिकारी असीम दास नाम के एक कैश कुरिअर को रोकने में सफल हो गए थे. दास के पास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाने के मिशन के साथ यूएई से कोलकाता भेजा गया था. उस के वाहन और आवास दोनों से कुल 5.39 करोड़ रुपए जब्त किए गए. एजेंसी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बड़े पैमाने पर नकदी जब्ती की तसवीरें भी पोस्ट कीं.
जांच के दौरान, ईडी ने महादेव ऐप से जुड़े बेनामी बैंक खातों के जाल का परदाफाश किया, जिस में कुल मिला कर 15.59 करोड़ रुपए की रकम जमा थी. दास ने यह भी कुबूल किया कि उस का मकसद सट्टेबाजी ऐप के प्रमोटरों द्वारा राज्य में आगामी चुनाव खर्चों का समर्थन करने के लिए ‘बघेल’ नाम से जाने जाने वाले एक प्रमुख राजनेता को पहुंचाने का था.
बाद में ईडी ने दावा किया कि महादेव बुक ऐप के प्रमोटरों ने कथित तौर पर पहले भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लगभग 508 करोड़ का नियमित भुगतान किया था.
इसी तरह से ईडी ने पुलिस कांस्टेबल भीम यादव को भी गिरफ्तार किया, जिस पर मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया गया था. जांच से पता चला कि पिछले 3 सालों में यादव ने दुबई की कई यात्राएं की थीं. पूछताछ में उस ने महादेव ऐप के मुख्य प्रमोटरों रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर से मिलने की बात कुबूल की थी.
उन्होंने महादेव ऐप द्वारा आयोजित हाईप्रोफाइल समारोहों में भाग लेने की बात भी स्वीकार की, जिस में उस का यात्रा खर्च मेसर्स रैपिड ट्रैवल्स द्वारा कवर किया गया था. यह ऐसी कंपनी थी, जिस के जरिए महादेव ऐप प्रमोटरों, परिवार, व्यावसायिक सहयोगियों और मशहूर हस्तियों के संपूर्ण टिकट संचालन का काम किया जाता था.
असीम दास और पुलिस कांस्टेबल भीम यादव दोनों को रायपुर में विशेष न्यायाधीश के सामने पेश किया गया, जहां ईडी ने उन की चौंकाने वाली बातें स्वीकार कर लीं और स्वतंत्र रूप से पुष्टि करने और मनी लौंड्रिंग से संबंधित सबूत इकट्ठा करने के लिए उन से हिरासत में पूछताछ की मांग की. अदालत ने उन्हें 7 दिनों की अवधि के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया.
औनलाइन गेमिंग वाले सट्टे के कई ऐप्स पहले से चर्चा में थे, लेकिन महादेव बुक उन से अलग और आकर्षक था. इस के काम करने का तरीका लोगों को बहुत जल्द ही पसंद आ गया था. साथ ही यह प्रमोटरों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुरगी से कम नहीं था. क्योंकि इस के जरिए लोग अलगअलग किस्म के गेम्स में सट्टा लगवाने लगे थे. वे थे— क्रिकेट, टेनिस, बैडमिंटन, फुटबाल जैसे फील्ड और कोर्ट गेम्स. इन के अलावा पोकर, तीन पत्ती, ड्रैगन टाइगर नाम के ताश के खेल भी थे.
यही नहीं, इस ऐप में लोगों से भारत में होने वाले चुनावों में भी सट्टा लगवाने के तरीके भी थे. जैसे, कौन कितनी सीट जीतेगा टाइप का सट्टा था. सट्टा सही हुआ तो जीत संभव और गलत हुआ तो हार गए. 100 रुपए का लगाया तो आप जीतने पर 100 रुपए मिलते थे. हारने पर 100 रुपए देने होते थे. यानी जो रुपया लगाया, वह नहीं मिलने वाला था. जब यह ऐप लांच हो गया तो लोगों ने धीरेधीरे पैसा लगाना शुरू किया.
धीरेधीरे ऐप का कारोबार बढऩे लगा. लोग उस की गिरफ्त में आने लगे. मूर्ख बनने लगे. ठगे जाने लगे. उन की ठगी उसी तरह होती थी, जैसी ठगी के शिकार कभी सौरभ और रवि हुए थे. शुरू में थोड़ा पैसा लगाने पर प्रौफिट होता था. बाद में आदत लग जाने पर लोग मोटा पैसा लगाने लगे थे. फिर तो समझें कि उन का डूबना तय था.
कहने को तो महादेव बुक का हैडऔफिस दुबई में बनाया गया था और दोनों प्रमोटर यानी सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल दुबई में ही बैठते थे. वहीं से कामधंधा संभालते थे, जबकि भारत में महादेव बुक का काम पैनल के जरिए होता है. इन पैनल को ब्रांच भी कहा जाता था. ये किसी बड़ी कंपनी के क्षेत्रीय या सिटी औफिस की तरह काम करते थे.
पैनल को कोई भी अपने नाम कर सकता था. एक पैनल लेने के लिए हैडऔफिस को एक तय राशि का भुगतान करना होता था. उस के बाद पेमेंट करने वाला व्यक्ति पैनल का मालिक बन जाता था. फिर वह अपनी जरूरत के मुताबिक कर्मचारी रख लेता था और बिजनैस के लिए अपना नेटवर्क बना कर मार्केटिंग करता था. कोई एक व्यक्ति एक से अधिक पैनल का मालिक बन सकता था, बशर्ते उस के संबंध दुबई में बैठे प्रमोटरों से अच्छे हों और मोटा पैसा दे सकता हो.
उस के बाद ऐप से आमदनी की शुरुआत हो जाती, जो एक गोरखधंधे वाले खेल से कम नहीं थी. दरअसल, महादेव बुक अपनी वेबसाइट और ऐप के जरिए बहुत सारे विज्ञापन चलाता था. इन विज्ञापनों में लोगों से महादेव बुक से जुडऩे और 24 घंटे सातों दिन गेम खेलने के लिए प्रेरित किया जाता था. इस की वेबसाइट पर सब से ऊपर लिखा होता— ‘‘ईमानदारी एक महंगा शौक है, जो हर किसी के बस की बात नहीं होती.’’
बहुत जल्द ही महादेव की शाखाएं राजधानी दिल्ली, कोलकाता, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में फैल गईं. इस ऐप के एक सेक्शन में प्रचारक के रूप में श्रद्धा कपूर, शक्ति कपूर, बी प्राक (प्रतीक बच्चन), बोमन ईरानी, विवेक ओबेराय, कुणाल खेमू, आदित्य राय कपूर, हुमा कुरैशी जैसे कलाकारों के वीडियो लगे हुए थे, वह लोगों को महादेव बुक में पैसा लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते दिखते. वह कहते हैं, ‘महादेव बुक भारत का सब से भरोसेमंद बुक है, आप 10 मिनट में अपना पैसा निकाल सकते हैं.’
हैरानी की बात यह थी कि महादेव बुक में पैसा लगाने के लिए लौगइन या रजिस्टर जैसी बात नहीं दी गई थी, बल्कि एक लाइन लिखी हुई थी कि हम सिर्फ वाट्सऐप के जरिए काम करते हैं और लोगों को दिए हुए 2 नंबरों पर मिस काल करनी होती है. इन दोनों नंबरों का आईएसडी कोड +44 है, जो यूनाइटेड किंगडम का है.
इस ऐप पर लगे हुए विज्ञापनों और स्पष्ट भाषा में दी गई जानकारी को कोई भी भरोसा कर लेता था. इस से जुडऩे की अधिक लंबी प्रक्रिया नहीं होने के चलते लोग इस पर सट्टा लगाने का तुरंत मन बना लेते. यहां सट्टा खेलने वाले को पंटर कहा जाता था.
विज्ञापन में दिए वाट्सऐप नंबरों पर संपर्क करने पर पंटर्स को हैडऔफिस से 2 फोन नंबर दिए जाते थे. पहले नंबर पर कौंटैक्ट करने पर उन्हें एक यूजर आईडी दी जाती और पैसा जमा करने के लिए बैंक अकाउंट दिए जाते.
ये बैंक अकाउंट या तो जाली दस्तावेजों के जरिए खोले गए होते या किसी व्यक्ति को थोड़ा कमीशन दे कर उस का अकाउंट किराए पर ले लिया जाता. इस के बाद पंटर सट्टेबाजी करता है. सट्टे की जीत होने पर पौइंट मिलते थे. इस के बाद उसे जो दूसरा नंबर मिलता है, उस पर संपर्क करने पर पौइंट के बदले पैसा निकाल दिया जाता है.
नंबर और आईडी देने का काम भले ही दुबई के हैडऔफिस से होता हो, लेकिन सट्टा खेलने वाले की आईडी बनाने का काम भारत में बने पैनल करते थे. यही पैनल पंटर्स को जीतने पर पैसे का पेमेंट भी करते थे. बैंक में लगाए उन के पैसों को जमा करने का काम भी इन्हें ही सौंपा गया था. यह करने के लिए महादेव बुक कुछ वेबसाइटों का भी उपयोग करता. वे हैं— laser247.com, laserbook247.com, betbhai.com, betbook247.com, tigerexch247.com, cricketbet9.com
प्रक्रिया पूरी होने के बाद यानी सट्टा लगाने वाले पंटर्स को शुरुआत में फायदा पहुंचाया जाता था, किंतु जैसे ही वह मोटी रकम के साथ सट्टा लगाता, वैसे ही उसे नुकसान होने लगता था. इस तरह से पंटर्स द्वारा लगाया गया पूरा पैसा महादेव बुक का हो जाता.
इस पर नियम के मुताबिक सट्टा लगाने वाला किसी भी तरह का क्लेम नहीं कर पाता और हारे हुए जुआरी की तरह मन मसोस कर रह जाता था. इस हालत में सब से पहला फायदा भारत में मौजूद पैनल को होता था. कारण रजिस्टर उस के पास ही होता था और पैसे का लेनदेन भी वहीं से होता था.
उस के बाद हैडऔफिस से तय डील के अनुसार इस फायदे का 70 प्रतिशत दुबई में बैठे सौरभ और रवि के पास हवाला के जरिए चला जाता था. इस तरह से पैनल को 30 प्रतिशत का हिस्सा मिल जाता था.
सट्टे का यह गेम कितना बड़ा हो सकता है, इस बारे में हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर से पता चलता है. खबर के मुताबिक दुबई के प्रमोटरों के पास पूरे भारत में 4 हजार से अधिक पैनल बने थे. प्रत्येक पैनल के पास 200 से अधिक पंटर्स थे. यानी स्कीम में पैसा लगाने वाले 8 लाख से ज्यादा लोग. यह इतना बड़ा सेटअप था कि सौरभ और रवि एक दिन में 200 करोड़ रुपए कमाते थे.
जितनी तेजी से महादेव बुक लोगों के बीच लोकप्रिय हुआ, उतनी ही तेजी से औनलाइन सट्टेबाजों में इस से मूर्ख बनने और ठगे जाने वालों की नकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी फैलने लगीं. यहां तक कि इस में मोटा पैसा गंवाने वाले हजारों लोग इतने निराश हो गए कि वे डिप्रेशन में आ गए या फिर कइयों ने आत्महत्या करने तक की कोशिश कर डाली. बताते हैं इस सट्टे की वजह से कई लोगों ने आत्महत्या तक कर ली. जबकि कुछ लोग गुस्से में आ गए.
इन के बारे में आई कई खबरों से मालूम हुआ कि जब पंटर्स को नुकसान होना शुरू हुआ तो स्थानीय पैनल और महादेव ऐप के खिलाफ धोखाधड़ी के केस दर्ज कराए गए. कई जगहों पर पैनल के लोगों पर आत्महत्या के लिए उकसाने के भी केस दर्ज हुए.
भिलाई पुलिस को पहली बार 2021 में भिलाई के तालपुरी इंटरनैशनल कालोनी में महादेव ऐप के पैनल द्वारा संचालित आर्गेनाइज्ड सट्टे की जानकारी मिली थी. पुलिस वहां जांच के लिए गई जरूर, मगर कोई सबूत नहीं मिल पाया, जिस से महादेव बुक के खिलाफ कोई काररवाई की जा सके.
फिर भी पुलिस ने छापेमारी के दौरान कुछ कंप्यूटर्स बरामद किए थे. वह कहीं बाहर से औपरेट हो रहे थे. इसी तरह से दुर्ग पुलिस ने मार्च, 2022 में मोहननगर नामक इलाके में एक दूसरी जगह छापेमारी की थी. इस दौरान पुलिस को चंद्राकर और उप्पल तो नहीं मिले, मगर उन के हाथ एक अहम जानकारी लगी. अक्तूबर 2022 में ईडी को इस की जानकारी दे दी गई.
उस जांच में पता चला कि महादेव बेटिंग ऐप नाम के एक औनलाइन प्लेटफार्म के जरिए सट्टेबाजी की जा रही है. इस ऐप पर न सिर्फ तीनपत्ती और पोकर जैसे लाइव गेम्स खेले जा रहे हैं, बल्कि क्रिकेट और चुनावी नतीजों पर दांव भी लगाए जा रहे हैं. ईडी ने जांच में पाया कि चंद्राकर और उप्पल दोनों इस ऐप के प्रमोटर्स हैं. दोनों दुबई में छिपे हुए हैं और वहां से ऐप को औपरेट कर रहे हैं.
इस जांच में ईडी ने एक और नाम विनोद वर्मा का भी लिया, जो छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल का राजनीतिक सलाहकार बताया जाता है. ईडी के मुताबिक एएसआई चंद्रभूषण विनोद वर्मा से परिचित था. चंद्रभूषण इसी परिचय का इस्तेमाल कर राज्य के अधिकारियों और नेताओं से अपना काम निकलवाया करता था.
इस एवज में उन की जेब भी गर्म कर देता था, क्योंकि तब तक महादेव ऐप के खिलाफ कई थानों में केस दर्ज होने लगे थे. महादेव ऐप के सभी स्थानीय लोग चाहते थे कि उन के नेटवर्क और कामकाज के पैटर्न में कोई बाधा नहीं आने पाए.
पुलिस शिकायत मामले की काररवाई करती रहे, लेकिन इस की आंच उस के साथ जुड़े लोगों तक न पहुंचे. फिर जैसे ही पुलिस बीचबीच में कभी ऐक्शन लेती थी, तब उसे घूस में पैसे दे दिए जाते थे और फिर मामला दब जाता था. ईडी के मुताबिक मुख्यमंत्री औफिस से जुड़े कई सीनियर अफसरों को भी कई महीने तक घूस का पेमेंट किया जाता रहा.
उस ने दावा किया महादेव ऐप से जुड़े लोग, जिन बैंक अकाउंट के जरिए अपना काम कर रहे थे, उन में अधिकतर खाते छत्तीसगढ़ में खोले गए थे. उस का काम बहुत जल्द इतना अधिक बढ़ गया था कि भिलाई के युवा उस की ट्रेनिंग के लिए दुबई जाने लगे. वे वहां ऐप के मुख्य लोगों से ट्रेनिंग लेने के बाद वापस इंडिया लौट कर अपना पैनल खोल लेते थे.
यह उन का ऐप के साथ किया गया सट्टेबाजी का अपना काम होता था, फिर वे अपने नेटवर्किंग से सट्टे के लिए मार्केटिंग और उन की सर्विस देने का काम करते थे. इस तरह उन को मुख्य ऐप की हिस्सेदारी मिली होती थी.
महादेव ऐप के शुरुआत की कहानी भी कुछ कम रोचक नहीं है, जिस का मुख्य मालिक महंगी शादी रचाने वाला सौरभ चंद्राकर है. उस की कहानी की शुरुआत छत्तीसगढ़ के पुराने स्टील प्लांट के लिए मशहूर भिलाई शहर से होती है.
करीब एक दशक पहले इस का नेहरू नगर मोहल्ले में महादेव जूस कौर्नर नामक एक जूस की दुकान थी. वह जूस की दुकान सौरभ चंद्राकर की थी. तब वह महज 17 साल का था.
सौरभ के पिता भिलाई नगर निगम में ग्रेड 4 कर्मचारी थे. परिवार की आर्थिक हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी. पूरा परिवार एक टूटे हुए घर में रहता था. 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद 2014 में उस ने काम करने की शुरुआत कर दी थी. वह भिलाई के आकाशगंगा नाम की बिल्डिंग में कपड़े की दुकान पर काम करने लगा था. तब उसे 12 से 14 हजार रुपए महीना की सैलरी मिलती थी.
सौरभ को शुरू से ही पैसा कमाने की चाहत बनी हुई थी. इस के लिए तरीके मालूम करता रहता था. इस दरम्यान उसे जुए की लत लग गई. वह मोबाइल पर सट्टेबाजी करने लगा. जिस बिल्डिंग में सौरभ काम करता था, वह सट्टेबाजी के लिए बदनाम थी. वहां ढेरों सट्टेबाज पहुंचते थे. बताते हैं कि सौरभ अवैध सट्टेबाजी के ग्रुप्स में शामिल हो गया था. वहीं उस की मुलाकात रवि उप्पल से हुई थी.
सौरभ की दिलचस्पी क्रिकेट में भी खूब थी. इसलिए उस ने सट्टे की शुरुआत इसी खेल में पैसे लगाने से शुरू की थी. ऐसा करते हुए उस ने दुकान की नौकरी छोड़ कर जूस की दुकान खोल ली थी. उस की दुकान से कुछ दूरी पर ही रवि उप्पल की टायर की दुकान थी. रवि सौरभ से उम्र में करीब 15 साल बड़ा था, लेकिन दोनों को सट्टेबाजी की लत लगे होने के कारण उन के बीच दोस्ती और गहरी हो गई थी.
खाली समय में जब भी दोनों साथ बैठते थे, कुछ नया धंधा करने की योजनाएं बनाते रहते थे. सौरभ को इस बात का एहसास तो हो गया था कि जूस बेच कर किसी तरह अपने घर की जरूरतें पूरी कर सकता है. जब तक कुंवारा है, तब तक तो किसी तरह से खर्च चल जाएगा, लेकिन शादी होने और बीवीबच्चों के आ जाने पर क्या होगा?
यही हाल रवि का भी था. उस की नजर में तब तक सट्टेबाजी ही सब से आसान और अधिक पैसा बनाने वाले धंधा था. दोनों अपनी दुकान पर कम इस सट्टेबाजी के धंधे पर अधिक ध्यान देते थे. समय के साथसाथ सौरभ और रवि को सट्टा लगाने की लत और गहराती चली गई. दोनों ही औनलाइन सट्टेबाजी करने लगे. इस के लिए सौरभ और रवि ने प्लेस्टोर में आसानी से मिल जाने वाले ऐप्स का सहारा लिया.
शुरुआत में उन्होंने छोटेमोटे सट्टे लगाए. फायदा हुआ. फिर महसूस किया कि क्यों न बड़े सट्टे में भी हाथ आजमाया जाए. बड़े सट्टे में लगाया जाने वाला अमाउंट बड़ा होने लगा, लेकिन सट्टे में फायदा होना बंद हो गया. नुकसान शुरू हो गया.
दोनों पैसा लगाते रहे और गंवाते रहे. जब नींद खुली तो सौरभ 15 लाख रुपए तक गंवा चुका था और रवि लगभग 10 लाख. तब तक साल 2018 आ चुका था.
हालांकि इस से पहले साल 2017 आतेआते सौरभ सट्टेबाजी में पुलिस की नजरों में चढ़ चुका था. एक रोज उसे कुछ पुलिस वाले पकड़ कर ले गए. इस से उस के पिता परेशान हो गए. उस ने स्थानीय नेता से उसे छुड़वाने की मदद मांगी. उन्हें फोन कर के बताया कि उन का बेटा दिन भर लैपटाप पर सट्टेबाजी करता है. आप उसे छुड़वा दीजिए. इस नेता ने पुलिस में बात की और छोटामोटा मामला होने की वजह से सौरभ छूट गया.
सट्टे में पैसा डूबने से सौरभ और रवि परेशान हो गए थे. सट्टा ऐप्स के कर्ज के पैसे नहीं चुका पा रहे थे. फिर क्या था सट्टेबाजों के गुर्गों ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया था. उन के तगादे से दोनों परेशान थे. दोनों बुरी तरह फंस चुके थे. कर्ज से बचने का एक ही विकल्प नजर आया. उन्होंने देश छोड़ कर भागने की योजना बना ली. दोनों ने जैसेतैसे कर टूरिस्ट वीजा बनवाया. दुबई का टिकट कटा लिया और रवाना हो गए.
जब सौरभ और रवि भिलाई से दुबई पहुंचे, तब वहां पर कमाने का संकट आ गया. बताते हैं कि दोनों ने वहां पर छोटेमोटे काम किए, लेकिन इस से काम बन नहीं रहा था. दुबई में दोनों की मुलाकात एक पाकिस्तानी से हुई. इस के बाद सौरभ, रवि और उस पाकिस्तानी की मुलाकात दुबई के एक शेख से हुई.
सौरभ और रवि ने शेख को अपनी योजना बताई. सट्टे के तौरतरीके और करोड़ों में होने वाली कमाई के बारे बताया और उस के प्रति भारत और पाकिस्तान में लोगों की ललक की तसवीर खींच दी. उन का प्लान शेख को पसंद आ गया. प्लान था औनलाइन सट्टेबाजी शुरू करने का. इस की कमाई के बंटवारे में पूरी तरह से पारदर्शिता थी. फिर क्या था, दोनों जिस चीज में अपने हाथ जला कर भिलाई से दुबई भागे थे, उन्होंने उसी में हाथ आजमाने की योजना बना ली थी.
वैसे रवि को पहले से सट्टा ऐप के बारे कुछ जानकारी थी. उन्होंने बाकायदा कंपनी बना कर ऐप बनाने के लिए यूरोप के कुछ सौफ्टवेयर डेवलपर और कोडर से संपर्क किया. साल 2020 का कोरोना लौकडाउन लग चुका था, जबकि सौरभ और रवि मिल कर अपनी प्लानिंग पर काम कर रहे थे.
उन्होंने एक ऐप और वेबसाइट बनवा ली. इस का नाम रखा महादेव बुक. यह नाम सौरभ ने अपने जूस कौर्नर के नाम पर ही दिया. उस के नाम से ही सट्टेबाजी के ऐप का नाम रख लिया.
इस तरह महादेव बुक लांच हो गया. इस का सब से पहला टारगेट मार्केट भारत को रखा गया. धुंआधार प्रचार किया गया. उन्हीं दिनों कोरोना लौकडाउन के चलते मोबाइल इस्तेमाल की कई गुना वृद्धि हो गई. एक बड़ी आबादी के एकाकीपन और कामकाज का साथ मोबाइल ही था. वही आय का साधन भी बन गया था. देखते ही देखते महादेव बुक का नाम लोगों की जुबान पर आ गया.
एक दिन अचानक आधी रात को काल लग गई. ड्राइवर ने उसे काल करने से मना किया. हिदायत देता हुआ बोला, ‘‘कुछ दिन काम रोक दो. ईडी की ताबड़तोड़ छापेमारी चल रही है. उस का भी किसी ने नाम दे दिया है, इसी कारण फोन बंद रखता है.’’
मुश्किल से 8-10 सेकेंड की इस बातचीत में उस ने महादेव, पैसा या ब्रोकर आदि के बारे कुछ नहीं बताया. उस वक्त दिनेश को कुछ समझ में नहीं आया. सिर्फ ऐसा एहसास हुआ जैसे उस के सिर पर किसी ने हथौड़ा मार दिया हो. वह झल्लाता हुआ अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को बालों में डाल कर तेजी से सिर खुजलाने लगा.
तभी उस का मोबाइल छूट कर जमीन पर गिर गया, जो छिटक कर बैड के नीचे चला गया था. पैर फंसा कर मुश्किल से मोबाइल निकाला और बैड पर झुंझलाते हुए बैठ गया. घोर चिंता में पड़ गया था. पूरी रात उसे नींद नहीं आई.
सुबह होते ही उस ने अपने रिश्तेदार को फोन मिला दिया. उस ने भी वही हिदायत दी कि कुछ दिनों के लिए काम रोक दे. महादेव चल रहा है और लोग पहले की तरह ही उस में सट्टा लगा भी रहे हैं, लेकिन दिल्ली में सभी जगह ईडी की छापेमारी में कुछ लोग पकड़े भी गए हैं. उस में महादेव का नाम भी आ गया है. पता नहीं उन में से कौन पूछताछ में कब उन का भी नाम बता दे.
दिनेश ने सहमते हुए मासूमियत से पूछा, ‘‘ईडी क्या होता है? सीबीआई की छापेमारी के बारे में तो सुना है, लेकिन ईडी फीडी की छापेमारी!’’
‘‘अरे, तू इस के बारे में ज्यादा जानने की कोशिश मत कर. हवाला सुना है न! कालेधन का पैसा इधरउधर करने का धंधा!…उसी को पकडऩे का काम ईडी करती है.’’
‘‘पकड़ेगा बड़े नेताओं को, जिन के पास काला धन होगा? हमें क्यों?’’ दिनेश ने जिज्ञासा जताई.
‘‘तू नहीं समझेगा. काला धन लाने और पहुंचाने का काम बड़े नेता नहीं करते हैं, वह दूसरों से करवाते हैं. ईडी जहां कहीं बेतहाशा पैसा खर्च होता देखती है, उस पर अपनी नजर टिका देती है. उस के अधिकारी उन से हिसाबकिताब लेने पहुंच जाते हैं. इस तरह की छापेमारी में पहले बिचौलिए के ही नाम आते हैं और उन को पूछताछ के लिए बुला लिया जाता है. घंटों पूछताछ की जाती है.’’ दिनेश को उस के रिश्तेदार ने समझाने की कोशिश की.
‘‘उस के बाद..’’ चिंतित दिनेश बोला.
‘‘फिर उस के बाद… मैं कह रहा हूं कि ईडी, सीबीआई, हवाला, सट्टेबाजी और महादेव का नाम मत ले. कुछ दिन शांत बैठ. इस के चक्कर में बड़ेबड़े नेता फंस चुके हैं. जेल जा चुके हैं.’’ दिनेश के रिश्तेदार ने डपटते हुए समझाया.
उन सभी के समझाने पर दिनेश कुछ दिनों तक सट्टेबाजी से दूर रहा. हालांकि कई महीने बीत गए, लेकिन न तो उस के पास ड्राइवर आया और न ही उस का कोई फोन ही आया. यहां तक कि उस का नंबर भी अनरिचेबल बना रहा. अपने रिश्तेदार से मालूम हुआ कि वह नोएडा में सट्ेटबाजी के गैंग से जुड़ा हुआ था.
इस का परदाफाश 7 फरवरी, 2023 को नोएडा पुलिस ने किया. पुलिस को औनलाइन बेटिंग ऐप महादेव के जरिए सेक्टर 108 के एक मकान में रैकेट के चलने की जानकारी मिली थी, जिस में 16 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. जिस में हो न हो वह ड्राइवर भी हो.
यह जान कर दिनेश और दूसरे साथी सचेत हो गए थे. हालांकि आर्थिक तंगी और महादेव से नुकसान की वह भरपाई नहीं कर पा रहा था. काफी तनाव में रहने लगा. सट्टे से अधिक पैसा कमाने के लालच में काफी पैसा गंवाने वाले दिनेश की तरह अनेक लोग थे.
उन में कुछ ने आत्महत्या करने की कोशिश की तो कुछ ब्रोकर के खिलाफ पुलिस में शिकायत ले कर स्थानीय थाने जा पहुंचे थे. लेकिन यह मामला फाइनैंस से जुड़ा हुआ था, इसलिए महादेव ऐप के खिलाफ सट्टे की काररवाई केंद्रीय वित्त मंत्रालय के विभाग प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जाने लगी.
इस मामले में महादेव ऐप के खिलाफ कई केस छत्तीसगढ़ पुलिस ने भी दर्ज किए थे. हालांकि दूसरे राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली एनसीआर और पश्चिम बंगाल से भी इस इस की शिकायतें आ रही थीं. इस में एक केस था मनी लांड्रिंग का. पुलिस भी अपने स्तर पर जांच और गिरफ्तारी कर रही थी.
इसी बीच फरवरी, 2023 के महीने में एक महंगी शादी की खबर मीडिया में तेजी से फैल गई. जिस का कनेक्शन छत्तीसगढ़ के भिलाई, बौलीवुड सितारे, महादेव बुक और राजनेताओं तक से जुड़े हुए थे.
यह शादी किसी अमीरजादे या सिनेमा सिलेब्रेटी की नहीं, बल्कि 28 वर्षीय युवक सौरभ चंद्राकर की थी. यह भव्य शादी दुबई के पांचसितारा होटल में हुई थी. उस में बौलीवुड के नामीगिरामी सितारों ने परफारमेंस किया था. सनी लियोनी से ले कर आज के रणबीर कपूर तक कई फिल्मी सितारों ने इस में ठुमके लगाए थे.
मेहमानों को कपिल शर्मा और भारती सिंह की कौमेडी ने हंसाहंसा कर लोटपोट कर दिया था तो नेहा कक्कड़ और राहत फतेह अली खान की लाइव परफारमेंस से गजब का समां बंध गया था. मीडिया में वायरल हुई इस की तसवीरें और वीडियो के अनुसार यह करीब 200 करोड़ी शादी कही जाने लगी. जिस ने देखा वह रोमांचित हो गया.
दरअसल, यह शादी थी महादेव ऐप के एक प्रमोटर सौरभ चंद्राकर की, जो संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के रास अलएखैमा में हुई थी. इस में लगभग 200 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. सौरभ चंद्राकर ने अपने रिश्तेदारों को नागपुर से दुबई प्राइवेट जेट से बुलाया था, सभी वापस लौटे भी प्राइवेट जेट से ही थे.
यहां तक कि उस शादी में खाना पकाने, परोसने वाले से ले कर, डेकोरेटर और तमाम इंतजाम करने वाले लोग भारत से गए थे, और इन को कैश में पेमेंट किया गया था. बौलीवुड से जुड़े कुछ सितारों को भी कैश में पेमेंट किया गया था.
शादी के इस महाजश्न की कुछ फोटो जैसे ही भी सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, भारत में ईडी के कान खड़े हो गए. उस के द्वारा केस दर्ज कर जांच की शुरुआत हो गई. कई सवाल थे कि शादी और जश्न में इतना सारा कैश में खर्च किया गया पैसा कहां से आया? पैसा किस का था? इसी के साथ ईडी के शक की पहली सुई छत्तीसगढ़ पुलिस और अन्य सरकारी अधिकारियों की तरफ मुड़ गई.
यह काररवाई 21 और 23 अगस्त, 2023 के महीने में हुई, तब छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में छापे मारे गए. छापों में 4 लोगों को हिरासत में लिया गया. तब ईडी ने राज्य पुलिस के एएसआई चंद्रभूषण वर्मा समेत स्थानीय निवासी सतीश चंद्राकर और 2 भाई अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी को हवाला औपरेटर बताया.
ईडी का आरोप था कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा महादेव ऐप से जुड़े लोगों को जमीनी स्तर पर न केवल संरक्षण देता था, बल्कि ऐप के लोगों की ताकतवर और रसूखदार लोगों से मीटिंग अरेंज करवाता था.
बदले में चंद्रभूषण और सतीश चंद्राकर को हवाला के जरिए दुबई से मोटी रकम कैश में मिल जाती थी. मिलने वाले पैसे का वे अपना हिस्सा रखने के बाद बाकी पैसों को पुलिस वालों से ले कर नेताओं तक को प्रोटेक्शन मनी के तौर पर बांट देते थे. बताते हैं कि इन में से कुछ लोग मुख्यमंत्री औफिस से भी जुड़े हुए थे.
फरवरी, 2023 के महीने में एक महंगी शादी की खबर मीडिया में तेजी से फैल गई. जिस का कनेक्शन छत्तीसगढ़ के भिलाई, बौलीवुड सितारे, महादेव बुक और राजनेताओं तक से जुड़े हुए थे. यह शादी किसी अमीरजादे या सिनेमा सिलेब्रेटी की नहीं, बल्कि 28 वर्षीय एक युवक सौरभ चंद्राकर की थी.
यह भव्य शादी दुबई के पांचसितारा होटल में हुई थी. उस में बौलीवुड के नामी- गिरामी सितारों ने परमफारमेंस की थी. सनी लियोनी से ले कर आज के रणबीर कपूर तक कई फिल्मी सितारों ने इस में ठुमके लगाए थे.
मेहमानों को कपिल शर्मा और भारती सिंह की कौमेडी ने हंसा हंसा कर लोटपोट कर दिया था तो नेहा कक्कड़ और राहत फतेह अली खान की लाइव परफारमेंस से गजब का समां बंध गया था. मीडिया में वायरल हुई इस की तसवीरें और वीडियो के अनुसार यह करीब 200 करोड़ी शादी कही जाने लगी.
यह शादी थी महादेव ऐप के एक प्रमोटर सौरभ चंद्राकर की, जो संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के रास अलएखैमा में हुई थी. सौरभ चंद्राकर ने अपने रिश्तेदारों को नागपुर से दुबई प्राइवेट जेट से बुलाया था, सभी वापस लौटे भी प्राइवेट जेट से ही थे.
उस शादी में खाना पकाने, परोसने वाले से ले कर, डेकोरेटर और तमाम इंतजाम करने वाले लोग भारत से गए थे, और इन को कैश में पेमेंट किया गया था. बौलीवुड से जुड़े कुछ सितारों को भी कैश में पेमेंट किया गया था. शादी के इस महाजश्न की कुछ फोटो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, भारत में ईडी के कान खड़े हो गए.
राजधानी दिल्ली में पृथ्वीराज रोड के दोनों ओर वीवीआईपी इलाके में दिनेश कुमार एक कोठी का प्राइवेट गार्ड है. दोपहर के समय उस के पास एक आटो ड्राइवर आया. उस से उस की कुछ माह पहले ही जानपहचान हुई थी. आते ही वह दिनेश के कान में धीमे से बोला, ‘‘आज का नंबर 5 है… खेल ले! पिछला डूबा पैसा निकल आएगा!’’
‘‘सच में!’’ दिनेश की आंखों में चमक आ गई थी.
‘‘हम तुम को कभी गलत बताए हैं आज तक! महादेव कंपनी का औनलाइन है, लेकिन ब्रोकर खेलवाता है. मटका नहीं है!’’ ड्राइवर बोला.
‘‘सो तो है. तुम्हारे कहने पर आज भी लगा देता हूं,’’ दिनेश बोला.
‘‘मेरा भी लगा देना, ये लो कुछ पैसा. हम को सवारी लाने जाना है.’’ ड्राइवर बोलता हुआ पारदर्शी पन्नी में लिपटे अपने पर्स से 5 सौ के 4 नोट देता हुआ बोला,‘‘यह नंबर पक्का है. मैं शाम को आऊंगा.’’
ड्राइवर तुरंत जाने लगा. उस के 2 कदम जाते ही दिनेश बोला, ‘‘बोतल भी ले कर आना. मेरी तरफ से भी मटन पार्टी पक्की है… होटल वाला ले कर आएगा.’’
दरअसल, आटो ड्राइवर को महादेव ऐप से पैसा कमाने के बारे में सिंधिया हाउस के पास एक कैंटीन में काम करने वाले से कुछ दिन पहले ही जानकारी मिली थी. उसी ने बताया था कि इस में पैसा तेजी से बनता है. वह भी कैश में रोजाना मिल जाता है. किंतु उस की समस्या कहीं एक जगह ठिकाना नहीं रहने की थी. ऐप डाउनलोड करने वाला स्मार्टफोन भी उस के पास नहीं था. छोटे मोबाइल से काम चलाता था.
सवारी के साथ कब, किस वक्त कहां निकल जाए, उसे भी पता नहीं रहता था. इसलिए महादेव के बारे में अपने गांव के दोस्त दिनेश को बताया. उसे भी वहां पैसा लगाने के लिए कहा. वह गार्ड था और हमेशा एक जगह पर टिका रहता था. उस की जहां ड्यूटी थी, वहीं पास में खानेपीने रहनेसोने की जगह बनी हुई थी.
ड्राइवर दोस्त की बात दिनेश को भी पसंद आई. इस बारे में उस ने अपने एक रिश्तेदार से भी तहकीकात की थी. वह एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था. उस ने भी महादेव में पैसा लगाने की हामी भर दी थी. इस में वह खुद एक ब्रोकर के मार्फत पैसा लगाता और दूसरे का लगवाता था. उसे बीच की कमाई हो जाती थी.
रिश्तेदार और ब्रोकर ने दिनेश को अपने मोबाइल में ‘महादेव बुक’ को दिखा कर भरोसा दिलवाया था. उस ने बताया था कि यह एक बड़ी मल्टीनैशनल कंपनी का बेटिंग ऐप है. उसे समझाया था कि यहां कैसे बेटिंग होती है. इस में हजारों लोग रोज पैसा लगा रहे हैं और पैसा बना रहे हैं. यहां पर क्रिकेट, फुटबौल, टेनिस, कैसीनो और तीन पत्ती के लिए बेट यानी बाजी लगाई जाती है. इसे लोग सट्टा कहते हैं.
इस के अलावा इस में कुछ रोमांचित करने वाले गेम भी हैं. इस के मेन पेज पर वाट्सऐप नंबर दिए गए थे. इस के जरिए ही वाट्सऐप मैसेज या मिस काल से डील करने को कहा गया था. यहां काल या मैसेज करने वाले को बाजी की शुरुआत के लिए स्टेप बाइ स्टेप जानकारियां दी गई थीं. वैसे यह लोगों के बीच औनलाइन सट्टा के नाम से जाना जाता था.
इस तरह हमेशा ऐक्टिव और लाइव रहने वाले बेटिंग की दुनिया में चर्चित महादेव बुक से दिनेश, उस के रिश्तेदार और आटो ड्राइवर औनलाइन के बजाय औफलाइन बेट लगाने लगे थे. वह क्रिकेट की हारजीत या ताश की तीन पत्ती खेल पर लगाई जाने वाली बेटिंग की रकम महादेव के ब्रोकर को कैश में दे देते थे. जीती हुई रकम उन्हें कैश में शाम के 8-9 बजे के बीच मिल जाती थी.
दिनेश, आटो ड्राइवर या उन की जानपहचान वाले आधा दरजन लोगों को इस का चस्का लग चुका था. वह अधिक से अधिक पैसा बनाने के लिए इस में लगे रहते थे. उन की मुलाकातें भी होती रहती थीं.
हालांकि वे पैसे की सुरक्षा को ले कर चौकन्ने भी रहते थे. वह इतना तो समझते ही थे कि कहने को बेटिंग है, लेकिन वह गलत धंधा और गैरकानूनी सट्टा ही लगाते हैं. इस कारण उन्हें पुलिस में फंसने की भी आशंका बनी रहती थी, और डरे सहमे भी रहते थे.
सब कुछ ठीक चलने लगा था, लेकिन पिछले कई दिनों से दिनेश की बेटिंग के पैसे लगातार डूबते जा रहे थे. हफ्ते भर में ही उस के 12 हजार रुपए डूब चुके थे. कुछ पैसे उस ने जानने वाले से कर्ज लिए थे, जबकि कुछ सैलरी के भी खर्च कर डाले थे. घर से पैसे के लिए पत्नी का बारबार फोन आ रहा था. फरवरी का महीना था. वह होली के मौके पर घर जाने के लिए अधिक पैसा जमा करना चाहता था, लेकिन हो उस का उलटा रहा था.
इसी बीच उसे मालूम हुआ कि आटो ड्राइवर अंडरग्राउंड हो गया है. वह दिनेश के पास कई दिनों से नहीं आया था. आशंकित दिनेश ने उसे काल किया. फोन बंद मिला. लगातार काल करता रहा, लेकिन फोन बंद ही मिला.