आरजू की लाश पर सजाई सेज – भाग 3

7 फरवरी को पुलिस ने नवीन खत्री को रोहिणी न्यायालय में ड्यूटी मेट्रोपौलिटन मजिस्ट्रेट सोनाली गुप्ता के समक्ष पेश कर के पूछताछ के लिए 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि में अभियुक्त नवीन खत्री से विस्तार से पूछताछ की गई तो आरजू चौधरी की हत्या की रोंगटे खड़े कर देने वाली प्रेम, धोखा और छुटकारे की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली.

संजीव चौहान उत्तरी पश्चिमी जिले के गांव राजपुरा, गुड़मंडी में अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी कविता के अलावा 2 बेटियां और एक बेटा था. आरजू उन की दूसरे नंबर की बेटी थी. बड़ी बेटी पायल पढ़लिख कर दिल्ली के ही एक निजी स्कूल में टीचर हो गई थी. दूसरी बेटी आरजू दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कालेज में बीए फाइनल ईयर में पढ़ रही थी. वह कालेज बस से आतीजाती थी. कभीकभी वह अपनी सहेलियों के साथ कमलानगर मार्केट घूमने चली जाती थी.

एक दिन आरजू कालेज की एक दोस्त के साथ कमलानगर मार्केट घूमने गई थी, तभी वहां उस की मुलाकात नवीन खत्री से हो गई. नवीन को वह पहले से जानती थी, क्योंकि वह उसी के मोहल्ले में रहता था. लेकिन वह उस से कभी मिली नहीं थी. नवीन भी राजपुरा गांव के राजकुमार का बेटा था. उस दिन रैस्टोरेंट में नवीन और आरजू की पहली बार बात हुई तो आरजू के खानेपीने का बिल नवीन ने ही चुकाया. उस दौरान दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए. यह करीब 2 साल पहले की बात है.

पहली मुलाकात में ही आरजू नवीन को भा गई थी. उस से नजदीकियां बढ़ाने के लिए वह उसे जबतब फोन करने लगा. कभीकभी आरजू जैसे ही कालेज के लिए घर से निकल कर मेनरोड तक पहुंचती, नवीन मोटरसाइकिल ले कर आ जाता. उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाने के लिए कहता कि उसे लक्ष्मीबाई कालेज के सामने से होते हुए करोलबाग जाना है. तब आरजू उस की मोटरसाइकिल पर बैठ जाती. इस तरह आरजू और नवीन के बीच दोस्ती हो गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. इस के बाद वह अकसर नवीन की मोटरसाइकिल पर घूमने लगी. नवीन भी उस पर खूब पैसे खर्च करने लगा.

राजपुरा गांव के कुछ लोगों ने आरजू को नवीन के साथ घूमते देखा तो इस की चर्चा गांव में होने लगी. इस का नतीजा यह निकला कि दोनों के ही घर वालों को उन के प्यार की जानकारी हो गई. तब उन्होंने अपनेअपने बच्चों को समझाने की कोशिश की. लेकिन आरजू और नवीन अपनी प्यार की धुन में रमे थे, उन के बारे में लोग क्या कह रहे हैं, इस की उन्हें परवाह नहीं थी. हां, उन्होंने मिलने में अब ऐहतियात बरतनी शुरू कर दी थी.

प्यार कर लिया, साथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं, लेकिन इस बात पर गौर नहीं किया कि वे एक ही मोहल्ले में रहते हैं, जिस की वजह से शादी होना असंभव है. गांव के रिश्ते से एक तरह से वे भाईबहन लगते थे. अगर यह बात वे पहले सोच लेते तो उन की मोहब्बत परवान न चढ़ती.

संजीव चौहान को लगा कि नवीन ने ही उन की बेटी को बहका कर अपने जाल में फांस लिया है. इसलिए उन्होंने फोन कर के नवीन के घर वालों से शिकायत की. इस के बाद नवीन के घर वाले कुछ परिचितों को ले कर संजीव चौहान के घर पहुंचे. यह करीब 4 महीने पहले की बात है.

एक ही गांव का होने की वजह से शादी होना असंभव था, इसलिए सब ने यही कहा कि दोनों के घर वाले अपनेअपने बच्चों को समझाएं. कहा जाता है कि अपने घर वालों की इज्जत को देखते हुए आरजू ने नवीन से बात करनी बंद कर दी थी. उस ने उस से दूरियां बना ली थीं. इस के बाद उस ने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया था. कल्पनाओं की दुनिया में नाम कमाने के लिए उस ने किंग्सवे कैंप स्थित एक इंस्टीट्यूट में एनिमेशन के कोर्स में दाखिला भी ले लिया था. कालेज से लौटने के बाद वह एनिमेशन सीखने जाती थी.

आरजू और नवीन भले ही घर वालों के दबाव में एकदूसरे से दूरी बनाए हुए थे, लेकिन पुरानी यादों को भूलना इतना आसान नहीं था. जब कभी वे घर पर एकांत में होते तो उन की पुरानी यादें दिमाग में घूमने लगतीं. वे यादें उन्हें फिर से मिलने के लिए उकसा रही थीं. नतीजा यह हुआ कि दोनों ही खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाए और फोन पर बातें ही नहीं करने लगे, बल्कि मिलने भी लगे.

अब आरजू नवीन पर शादी का दबाव डालने लगी, मगर नवीन कोई न कोई बहाना बना कर उसे टालता रहा. पंचायत के फैसले के बाद नवीन दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली के नागल देवत में अपनी बहन के घर रहने लगा था. वह वहीं से आरजू से फोन पर बात कर के निश्चित जगह पर उस से मिल लेता था. जबकि घर वाले सोच रहे थे कि बच्चों ने संबंध खत्म कर लिए हैं.

इस बीच नवीन के घर वालों ने दिल्ली के द्वारका सेक्टर-5 स्थित विश्वासनगर की एक लडक़ी से उस की शादी तय कर दी थी. इतना ही नहीं, 5 फरवरी, 2016 को विवाह की तारीख भी निश्चित कर दी. यह बात आरजू को पता चली तो वह नवीन पर बहुत नाराज हुई. उस ने उसे धमकी दी, “मैं किसी और से तुम्हारी शादी कतई नहीं होने दूंगी.”

आरजू की इस धमकी से नवीन डर गया. आरजू की धमकी वाली बात नवीन के घर वालों को पता चली तो वे भी परेशान हो उठे. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि इस बला से कैसे छुटकारा पाया जाए. जैसेजैसे नवीन की शादी की तारीख नजदीक आ रही थी, उन की चिंता बढ़ती जा रही थी. नवीन को इस बात का डर था कि वह उस की शादी में पहुंच कर लडक़ी वालों के यहां कोई बवंडर न खड़ा कर दे. अब आरजू उस के लिए मुसीबत बन गई थी.

तमाम रिश्तेदारों और परिचितों को वह शादी के कार्ड दे चुका था. बाकी बचे लोगों को 2 फरवरी को उसे कार्ड बांटने और दोपहर को नांगल देवत से अपनी बहन को लाने जाना था. उसी दिन उस की आरजू से बात हुई तो उस ने उस पर शादी का दबाव ही नहीं डाला, बल्कि धमकी भी दी. उस की धमकी से परेशान नवीन ने उसी समय आरजू से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का निर्णय ले लिया.

2 फरवरी को आरजू अपने नियत समय पर कालेज चली गई. उसी दौरान उस की नवीन से बात हुई तो उस ने 9, साढ़े 9 बजे उस से कालेज के गेट पर मिलने को कहा. पहला पीरियड अटैंड करने के बाद आरजू कालेज के गेट पर इंतजार कर रहे अपने प्रेमी नवीन के पास पहुंच गई.

लिवइन पार्टनर का खूनी खेल – भाग 3

नजलू को रुखसाना के साथ रहते एक साल हो गया था. तब तक वह रुखसाना का बहुत ख्याल रखता था. एक साल बाद नजलू को पता चला कि रुखसाना किसी और व्यक्ति से फोन पर बातें करती है. बस, उस दिन के बाद वह रुखसाना के पीछे ही पड़ गया.

वह रुखसाना से कहता, “मेरे प्यार में क्या कमी थी, जो तू गैरमर्द से बातें करने लगी है. तूने मेरे साथ धोखा क्यों किया? बता, नहीं तो तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.”

रुखसाना उस के आगे हाथ जोड़ती, पैर पड़ती और कसम खाती कि वह उस पर झूठा शक कर रहा है. मगर नजलू कहता, “तू धोखेबाज है. तूने मेरे प्यार की कद्र नहीं की. मैं ने तुझे क्या कुछ नहीं दिया, मगर तू गैरमर्द के प्यार में पड़ गई. तुझे शर्म नहीं आई.”

इस तरह से नजलू उसे प्रताडि़त करता और मारपीट करता रहता था. रुखसाना को धमकाता कि अगर उस ने उसे छोड़ा तो वह उस के बच्चों और भाइयों को मार डालेगा. नजलू की इन धमकियों से डर कर वह उस के साथ रहने को मजबूर थी.

30 अप्रैल, 2023 को नजलू ने साजिश के तहत रुखसाना को जयपुर से दूर बाइक पर घुमाने ले जाने के लिए कहा. रुखसाना मान गई. नजलू ने रुखसाना को बाइक पर बिठाया और जयपुर से निमोडिय़ा की तरफ रवाना हो गया.  बाइक पर जाते समय नजलू ने सोशल मीडिया रील भी बनाई.

रील के बैक ग्राउंड में आवाज थी, “अब मैं खुद को इतना बदल दूंगा कि तू तो क्या, मेरे अपने भी तरस जाएंगे मुझे पहले के जैसा देखने के लिए…?

इस के बाद नजलू रुखसाना को निमोडिय़ा के घने जंगल में ले गया. वहां उस ने रुखसाना को बेरहमी से पीटा. नीचे पटक कर घुटनों से उस की पसलियों पर वार किए. नजलू इतने गुस्से में था कि अपना आपा खो बैठा और रुखसाना के साथ इतनी मारपीट की कि रुखसाना की पसलियां टूट गईं.

मरणासन्न हालत में किया बलात्कार

जब रुखसाना ने नजलू से हाथ जोड़ कर माफी मांगी तो नजलू ने उसे पीटना बंद कर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाए. रुखसाना घायलावस्था में अधमरी सी पड़ी थी और दरिंदा नजलू उस के साथ अपनी हवस शांत कर रहा था. दुष्कर्म करने के बाद रुखसाना की तबीयत जब बहुत ज्यादा बिगड़ गई तो नजलू डर गया. आननफानन में वह रुखसाना को निजी क्लीनिक में ले कर गया और बताया कि रोड एक्सीडेंट हो गया है.

हालत बिगडऩे पर रुखसाना को क्लीनिक से जयपुरिया अस्पताल रैफर कर दिया गया. जयपुरिया अस्पताल में भी नजलू ने डाक्टरों को बताया कि हाईवे पर जाते समय रिंग रोड पर एक्सीडेंट हो गया. इस के बाद डाक्टरों ने किसी महिला परिजन को बुलाने के लिए कहा. मजबूरन नजलू को रुखसाना की मां मुन्नी को फोन करना पड़ा.

फोन करने के बाद नजलू नजर बचा कर अस्पताल से फरार हो गया. अस्पताल से पुलिस को सूचना दे दी गई. रोड एक्सीडेंट की बात सुन कर मुन्नी देवी भी जैसेतैसे अस्पताल पहुंची, तब तक रुखसाना इस दुनिया से रुखसत हो चुकी थी.

बेटी की लाश देख कर उस की मां ने कहा, “आखिर मेरी बेटी को मार डाला नजलू ने.”

पुलिस ने नजलू से पूछताछ के बाद कई सबूत भी जुटाए. आरोपी नजलू खान को 4 मई, 2023 को कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

रुखसाना के चारों बेटे अब यतीम हो चुके हैं. उस की ससुराल वालों ने बच्चों को अपनाने से मना कर दिया है. वे कहते हैं कि जब रुखसाना दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगी तो अब इन बच्चों से हमारा क्या लेनादेना. उस के 4 बेटों में से एक नानी के पास, 2 बच्चे एक मौसी के पास तो एक बेटा दूसरी मौसी के पास रह रहा है.

बेटी रुखसाना की हत्या के बाद उस के बच्चों की परवरिश की चिंता में बुजुर्ग नानानानी बीमार रहते हैं. ऐसे में उन्हें अब सरकारी योजनाओं के लाभ की आस है. यह आस पूरी होगी या अधूरी रहेगी, यह भविष्य बताएगा.

—कथा पुलिस सूत्रों व मृतका के मातापिता से की गई बातचीत पर आधारित

जबरदस्ती का प्यार – भाग 3

काफी समय बाद दोनों की मुलाकात हुई तो सावित्री के दिल में उस के प्रति उमड़ा प्यार फिर से जाग गया. लेकिन उस ने नूर हसन से साफ शब्दों में कह दिया था कि वह अब उस के साथ काम नहीं कर सकती है. जबकि नूर हसन चाहता था कि वह काम करे तो सिर्फ उसी के साथ, वरना वह उसे किसी अन्य मिस्त्री के साथ काम नहीं करने देगा.

इसी बात को ले कर कई दिनों से सावित्री और नूर हसन के बीच मनमुटाव चला आ रहा था. जब सावित्री उस के साथ काम करने को राजी नहीं हुई तो नूर हसन को शक हो गया कि उस का किसी अन्य व्यक्ति से चक्कर चल रहा है. यह बात नूर हसन ने उस के सामने कही तो सावित्री बौखला उठी.

28 मई, 2023 की शाम को इसी बात को ले कर दोनों के बीच झगड़ा हुआ. झगड़ा होने के दौरान ही नूर हसन ने उसे खत्म करने का प्लान बना लिया था. नूर हसन चाहता था कि वह काम करे तो उसी के साथ अन्यथा वह उसे किसी और मिस्त्री के साथ काम नहीं करने देगा. सावित्री उस की इस बात पर राजी नहीं थी.

दोनों के बीच झगड़ा होने के बाद सावित्री वहां से जाने लगी तो नूर हसन ने उसे रोका. फिर उस ने उसे घर छोडऩे की बात कही. लेकिन फिर भी सावित्री ने उस के साथ जाने से साफ मना कर दिया था. जब नूर हसन को लगा कि वह उस की बातों मे आने वाली नहीं है तब उस ने सावित्री के सामने अपनी गलती मानी और भविष्य में ऐसी गलती न करने की कसम भी खाई. सावित्री नूर हसन को बहुत चाहती थी. वह जल्दी ही उस की मीठी बातों में आ गई. फिर वह उसी की बाइक पर बैठ कर चली गई.

हवस पूरी न हुई तो कर दी हत्या

नूर हसन सावित्री को बाइक पर बिठा कर एकांत में घटनास्थल पर ले गया. घटनास्थल पर ले जाने के बाद उस ने उस के साथ संबंध बनाने की इच्छा जाहिर की. सावित्री ने उस वक्त संबंध बनाने से मना किया तो वह अपना आपा खो बैठा. उस ने गुस्से के आवेग में आ कर उस के साथ मारपीट शुरू कर दी.

उस वक्त घटनास्थल पर दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था. जब सावित्री उस के कब्जे में नहीं आई तो उस ने उसे ऊंचे टीले से नीचे की ओर धक्का दे दिया. उस मिट्टी के टीले से गिरने के बाद ही सावित्री सुध खो बैठी. सावित्री के बेहोश होते ही नूर हसन ने दरिंदगी दिखाते हुए ब्लेड से उस का गला काट दिया. गला कटते ही तेजी से खून निकलने लगा और थोड़ी ही देर में सावित्री की मौत हो गई.

सावित्री की गला काट कर हत्या करने के बाद नूर हसन बुरी तरह से घबरा गया. उस ने वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन उस के कदम वहीं पर ठिठक गए. उस के दिमाग में तुरंत ही एक आइडिया आया. क्यों न उस के नीचे के कपड़े फाड़ दिए जाएं, ताकि लोग उसे देख कर यही अनुमान लगाएं कि उस के साथ रेप हुआ है.

यही सोच कर उस ने सावित्री के नीचे के कपड़े फाड़ दिए. उस के तुरंत बाद ही उस ने सावित्री का मोबाइल स्विच्ड औफ कर दिया था. फिर वह उस का पर्स ले कर घटनास्थल से फरार हो गया. घर जाने के बाद उस ने तुरंत ही पहने हुए कपड़े बदल डाले, जिस से वह पुलिस की पकड़ में न आ सके. घर जाने के बाद अपने परिवार वालों की गैरमौजूदगी में उस ने कई बार सावित्री का मोबाइल खोला और बंद किया. उस के मोबाइल पर कई मिस्ड काल आई हुई थीं. उन को देख कर वह बारबार मोबाइल को स्विच्ड औफ कर देता था.

रात के 8 बजे उस ने फिर से मोबाइल खोला तो कई फोन आए. उस ने उन इनकमिंग काल में से कई को रिसीव भी किया. वह बारबार महिला और बच्चे की आवाज बदल कर उन को भ्रमित करता रहा. जिस के कारण सावित्री के परिवार वाले समझ नहीं पा रहे थे कि सावित्री का मोबाइल किस के पास है.

सावित्री की हत्या करने के बाद नूर हसन पुलिस की नजरों से बचकर इधरउधर भागता रहा. लेकिन जब उसे 29 मई, 2023 की सुबह को पता चला कि पुलिस को सावित्री की हत्या की जानकारी मिल चुकी है तो वह भी घटना स्थल पर पहुंचा. ताकि मृतका के घर वाले उस पर ही शक न कर सकें.

घटनास्थल पर जा कर वह नरेश से भी मिला. उस ने उस के घर वालों को सांत्वना भी दी. जिस के कारण उस के परिवार वाले उस पर किसी तरह का शक नहीं कर पाए थे. लेकिन खोजी कुतिया कैटी की सूझबूझ के सामने उस की सारी चालाकी धरी की धरी रह गई.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने अभियुक्त की निशानदेही पर उस की बाइक, हत्या में प्रयुक्त ब्लेड, मृतका की चप्पलें, उस का मोबाइल फोन व पर्स भी बरामद कर लिया था. नूर हसन ने घटना के वक्त पहने कपड़े भी पुलिस के हवाले कर दिए थे.

नूर हसन से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने कोर्ट में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया. मामले की जांच इंसपेक्टर प्रवीण सिंह कोश्यारी कर रहे थे.

प्रेमिका बनी ब्लैकमेलर – भाग 2

समय के साथसाथ जैसे सिमरन बड़ी होती गई, उस की सुंदरता में और भी निखार आता गया. जवान होतेहोते वह रूप की रानी बन गई. होश संभालते ही उस ने भी मोबाइल चलाना सीख लिया था. उसी दौरान उसने फेसबुक, वाट्सऐप व इंस्टाग्राम चलाना सीख लिया था. उस के बाद वह अपनी सुंदर फोटो खींच कर सोशल मीडिया पर अपलोड करने लगी. जिस की अदाएं देख कर फेसबुक पर उस के हजारों दोस्त बन गए.

हजारों लोगों के फालोअर बनते ही उस ने अपने रखरखाव पर और अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया था, जिस के कारण दिनबदिन उस के फालोअर्स की संख्या में बढ़ोत्तरी होती गई. उसी दौरान उस की फूफी फातिमा का इंतकाल हो गया. फूफी के इंतकाल के बाद उस ने उस घर को छोड़ दिया और किराए का कमरा ले कर अकेली ही रहने लगी. उसे पहले से ही अपनी खूबसूरती पर नाज था. उसी खूबसूरती के कारण ही उस के आसपास में कई चाहने वाले भी बन गए थे.

उन्हीं चाहने वालों में था उस का एक पड़ोसी राशिद, जिस की शनीफ से अच्छी पटती थी. कई बार राशिद ने शनीफ के सामने सिमरन की सुंदरता की तारीफ की थी. लेकिन वह उस से कभी भी रूबरू नहीं हो पाया था. सिमरन की तारीफ सुन कर कई बार उस का उस से मिलने का मन भी करता, लेकिन समय अभाव के कारण वह मिल नहीं पाया था.

शनीफ मलिक से हुआ प्यार

अब से लगभग डेढ़ साल पहले की बात है. हर रोज की तरह उस दिन भी शनीफ अकेला ही दुकान पर बैठा हुआ था, तभी उस की दुकान के सामने एक स्कूटी आ कर रुकी. उस स्कूटी पर सवार युवती निहायत ही खूबसूरत थी. शनीफ की जैसे ही उस युवती पर नजर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया. उस ने सोचा भी न था कि वह उस की दुकान से अंडे लेने आई है. लेकिन जैसे ही वह युवती उस की दुकान की ओर बढ़ी, उस के दिल की धडक़न दोगुनी हो चली थी. जैसे ही वह पास आ कर खड़ी हुई, वह उसे देखता ही रह गया.

युवती ने दुकान पर पहुंचते ही अंडे देने को कहा. तभी उस के दिमाग में आया कि कहीं यही तो सिमरन नहीं है. उस ने अंडे गिनतेगिनते कुछ हिम्मत जुटाई, “आप का नाम सिमरन तो नहीं?”

“जी हां, मैं ही सिमरन हूं. पर आप मेरा नाम कैसे जानते हो?”

“यूं ही आप के बारे मे मेरे दोस्त चर्चा करते रहते हैं.”

“कौन है, आप का दोस्त?”

“वही राशिद जो आप के पड़ोस में रहता है.”

“ओहो! तो वह आवारा यहां तक घूमता है. वैसे मैं आप का नाम जान सकती हूं.”

“हां, क्यों नहीं. मुझे शनीफ मलिक कहते है.”

“बहुत अच्छा नाम है आप का. ओके चलती हूं.”

“ठीक है, फिर आगे भी हमारी दुकान की शोभा बढ़ाने के लिए आते रहना.”

“जी जरूर, लेकिन आप के बैठने का समय क्या है? क्योंकि मैं इस से पहले भी कई बार यहां से अंडे खरीद कर ले जा चुकी हूं. लेकिन उस वक्त तो शायद आप के वालिद ही मिलते थे.”

“जी हां, दोपहर तक दुकान वही संभालते हैं. मेरी ड्यूटी शाम को शुरू होती है. आप ये मेरा नंबर रख लीजिए, जब आप को अंडे चाहिए, मुझे फोन पर ही बता देना. मैं तुम्हारे आने से पहले ही ताजे अंडे छांट कर रख लिया करूंगा.”

“तो फिर आप ने जो मुझे अंडे दिए हैं, वो बासी हैं क्या?” युवती ने मजाक के लहजे में प्रश्न किया.

“नहींनहीं, फिर भी जब आप मुझे बता कर आओगी तो मुझे सहूलियत होगी.” कह कर शनीफ ने उसे एक विजिटिंग कार्ड थमा दिया. उस के बाद सिमरन हंसती हुई वहां से चली गई.

पहली मुलाकात में ही शनीफ उस की खूबसूरती का दीवाना हो गया था. उस दिन के बाद वह जल्दी ही मोबाइल पर उस की फेसबुक और इंस्टाग्राम को खंगालने में लग गया और जल्दी ही सिमरन के साथ फेसबुक और दूसरे मीडिया प्लेटफार्म पर जुड़ गया. फिर कुछ ही दिनों में दोनों के बीच दोस्ती गहराने लगी.

शनीफ देखनेभालने में हैंडसम था. धीरेधीरे दोनों में दोस्ती इस कदर पक्की हो गई कि उन्हें एकदूसरे से मिले बिना चैन नहीं पड़ता था. दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चालू हुआ तो दोनों ही साथ जीनेमरने की कसमें भी खाने लगे थे. उन्हीं एकांत मुलाकातों में सिमरन ने पूरी तरह से अपना शरीर उसे समर्पित कर दिया. सिमरन को पा कर शनीफ अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझने लगा था. उसे घमंड इस बात का था कि एक खूबसूरत और मौडर्न लडक़ी उस के इतने करीब थी कि उस ने कभी सोचा भी नहीं था.

सिमरन का खर्च उठाने लगा शनीफ

सिमरन शेख से गहरी दोस्ती हो जाने के बाद शनीफ मलिक उसे खर्च के लिए कुछ पैसे भी देने लगा था. वह पूरी तरह से सिमरन को अपनी मानने लगा था. यही कारण रहा कि उस ने कभी भी उसे पैसे देने से मना नहीं किया. समयसमय पर वह उस के छोटेमोटे खर्च खुद ही वहन करने लगा था.

उसी दौरान कई बार दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बने. उन्हीं अवैध संबंधों के दौरान सिमरन अकसर दोनों की वीडियो यह कह कर बना लेती थी कि यह उस का शौक है. उस के बाद वह उन वीडियो को अन्य फोन में भी सेव कर लेती थी. लेकिन शनीफ उसे इस कदर चाहने लगा था कि उस ने कभी भी किसी भी प्रतिक्रिया पर शक नहीं किया था.

उसी दौरान शनीफ के घर वालों ने उस के निकाह करने की सोची. फिर जल्दी ही शनीफ के घर वाले उस के निकाह की चर्चा करते हुए एक लडक़ी की तलाश में जुट गए. यह बात शनीफ ने सिमरन के सामने रखी. उस ने सिमरन से साफ शब्दों में कहा कि इस से पहले मेरे घर वाले मेरा निकाह किसी और लडक़ी से करें, हम दोनों कोर्ट मैरिज कर लेते हैं.

शनीफ जानता था कि अगर उस ने अपने घर वालों के सामने उस का जिक्र किया तो वह उस के साथ निकाह करने के लिए किसी भी हाल में राजी होने वाले नहीं. लेकिन सिमरन ने उस के साथ निकाह करने से साफ मना कर दिया. सिमरन का कहना था कि अभी निकाह करने की क्या जल्दी है. वह इतनी जल्दी निकाह के बंधन में बंधना नहीं चाहती.

सिमरन की बात सुनते ही शनीफ को बहुत बड़ा झटका लगा. वह उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था. उस के लिए उसे चाहे कितनी भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े.

प्रेमिका बन गई ब्लैकमेलर

उस के बाद सिमरन ने नएनए खर्च बता कर शनीफ से मोटी रकम ऐंठनी शुरू कर दी थी. उस ने कई बार उस की मांग पूरी कर भी दी, लेकिन उस की मांग पहले से ज्यादा बढऩे लगी थी. शनीफ ने उस के सामने अपनी मजबूरी बताते हुए पैसे देने से मना किया तो उस ने उसे उस के साथ बनाई गई अश्लील वीडियो दिखा कर धमकाने की कोशिश की.

उस ने साफ शब्दों में कहा कि अगर उस ने उस की मांग पूरी न की तो वह उस की सारी वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर देगी, जिस के बाद वह सारी जिंदगी कुंवारा ही बैठा रहेगा. सिमरन ने उस के कई फोन काल भी रिकौर्ड कर रखे थे.

आरजू की लाश पर सजाई सेज – भाग 2

संजीव चौहान और उन की पत्नी कविता का बेटी की चिंता में रोरो कर बुरा हाल था. संदीप से बात किए उन्हें कई घंटे हो चुके थे. उधर से उन के पास कोई फोन नहीं आया था. आखिर उन्होंने ही फिर से संदीप को फोन किया, “संदीप क्या हुआ, अभी तक तुम ने आरजू के बारे में कुछ नहीं बताया.”

“आंटी, मैं उसे कहां से ढूंढू. हम राजपाल अंकल के पास गए थे. वह शादी में जा रहे थे. उन के लौटने के बाद ही बात करेंगे.” संदीप ने कहा.

“मगर तुम ने तो कहा था कि एसएचओ से बात कर के आरजू को ढूंढोगे.” कविता ने कहा.

“आंटी, कल हमारे यहां शादी है. बताओ, मैं उसे कहां से लाऊं?”

“देखो, मैं इस बात की गारंटी देती हूं कि मेरी बेटी घर आ जाएगी तो मैं शादी में कोई विघ्न नहीं डालूंगी.” उन्होंने कहा. संदीप ने फोन अपनी दादी राजरानी को दे दिया. राजरानी से बात करते समय कविता की आंखों में आंसू भर आए. उन्होंने भर्राई आवाज में कहा, “मैं बहुत दुखी हूं. 3 दिन हो गए मेरी बच्ची घर नहीं आई.”

“दुख तो हमें भी है. हम ने नवीन को इतना टाइट कर दिया था कि वह 3 महीने से अपनी बहन के घर है. वहीं पर वह अपना काम भी कर रहा है. यहां आता भी नहीं. अब यह उस बच्ची को कहां से लाए?” राजरानी ने कहा.

“मुझे पता चला है कि एक हफ्ते पहले नवीन बाइक से आरजू का बस का पास बनवाने ले गया था. अभी भी वह उस के साथ घूमती थी. आप कैसे कह रही हैं कि वह आरजू से नहीं मिलता था. संदीप ने भी कहा था कि अपनी इज्जत के लिए वह कुछ भी करेगा.” कविता ने कहा.

“कह दिया होगा तो वह गारंटी थोड़े ही लेगा. वह माचिस की डिब्बी में तो है नहीं, जो निकाल कर दे दें. लडक़ी की जो फ्रैंड हैं, उन से भी पूछ लो. यह भी हो सकता है कि तुम्हारी रिश्तेदारी में जहां शादी हो रही है, वह वहीं पहुंच जाए. शांति रखो सब ठीक हो जाएगा.”

“मैं शांति ही तो रखे हुए हूं. मैं ने पुलिस के पास अभी नवीन का नाम तक नहीं लिखवाया है. मुझे मेरी बेटी दिलवा दो. मैं बहुत सहयोग करूंगी. मेरी बेटी तुम्हारी शादी में विघ्न भी नहीं डालेगी.” कहतेकहते कविता रो पड़ीं.

अगले दिन नवीन की शादी थी. कविता ने सोचा कि हो सकता है शादी के बाद वह बेटी को ढूंढने में मदद करें, इसलिए उन्होंने एक दिन और चुप रहना उचित समझा. 6 फरवरी की शाम तक संदीप खत्री और उस के घर वालों ने कोई जवाब नहीं दिया तो चौहान दंपति के सब्र का बांध टूट गया. संजीव चौहान थाने पहुंचे और उन्होंने शक के आधार पर नवीन खत्री के खिलाफ बेटी के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

अपहरण की रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस काररवाई तेज हो गई. डीसीपी विजय सिंह ने एसीपी (मौडल टाउन) के नेतृत्व में एक टीम बनाई, जिस में थानाप्रभारी रामअवतार यादव, अतिरिक्त थानाप्रभारी सुधीर कुमार, एसआई संदीप माथुर, अमित राठी, विश्वप्रताप शर्मा, हैडकांस्टेबल रंधीर सिंह, जयभगवान, कांस्टेबल शिवकुमार, नवीन, राजेश को शामिल किया गया.

रिपोर्ट नामजद थी, इसलिए पुलिस टीम गांव राजपुर, गुड़मंडी में नवीन के घर जा पहुंची. वह घर पर नहीं मिला. उस की मां और दादी ने बताया कि वह अपनी नईनवेली दुलहन को ले कर हनीमून मनाने गोवा गया है. पुलिस टीम लौट आई. उस के गोवा से लौटने के बाद ही उस से आरजू के बारे में पूछताछ की जा सकती थी. इस बीच पुलिस ने आरजू और नवीन खत्री के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा लिया था.

उस दिन रात 10 बजे के करीब पुलिस टीम को खबर मिली कि नवीन आजादपुर से मौडल टाउन की ओर डीटीसी की एक बस से आ रहा है. इस खबर पर थानाप्रभारी चौंके, क्योंकि उन्हें तो उस के गोवा जाने की खबर मिली थी. उन के पास नवीन खत्री का फोटो था ही, इसलिए वह मौडन टाउन-2 के बस स्टाप पर खड़े हो कर आजादपुर से आने वाली बसों की तलाशी लेने लगे. आखिर एक बस में उन्हें नवीन खत्री मिल गया.

पुलिस को देखते ही उस ने भागने की कोशिश की, लेकिन बस के दोनों दरवाजों पर पुलिस के तैनात होने की वजह से उस की कोशिश सफल नहीं हो सकी. उसे हिरासत में ले कर पुलिस टीम थाने ले आई.

आरजू के बारे में पूछने पर उस ने कहा, “4 महीने पहले जब पंचायत बैठी थी, तभी से मैं ने उस से बातचीत बंद कर दी थी. अब तो मेरी शादी भी हो चुकी है. उस दिन वह कालेज से कहां गई, मुझे नहीं पता.”

“लेकिन कालेज के गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकौर्डिंग में आरजू तुम्हारे साथ जाती दिखाई दी है.” इंसपेक्टर सुधीर कुमार ने कहा.

“नहीं सर, ऐसा नहीं हो सकता. मैं तो उस दिन सुबह से ही अपनी शादी के कार्ड बांट रहा था.” नवीन ने कहा.

नवीन और आरजू के नंबरों की काल डिटेल्स से पता चला था कि 2 फरवरी, 2016 को सुबह 9 से साढ़े 9 बजे के बीच उस की आरजू से बात हुई थी. उस समय उस के फोन की लोकेशन भी लक्ष्मीबाई कालेज के आसपास थी. इस से साफ लग रहा था कि नवीन झूठ बोल रहा है.

पुलिस ने उसे सारे सबूत दिखा कर पूछताछ की तो उसे सच बोलना पड़ा. उस ने मान लिया कि उस ने आरजू की हत्या कर दी है और इस वक्त लाश उस के घर में ही पड़ी है. पुलिस को हैरानी इस बात की थी कि शादी वाले घर में 5 दिनों से लाश कैसे रखी है?

पुलिस उसे ले कर उस के घर पहुंची तो मकान में कमरों और किचन के बीच वेंटिलेशन के लिए कुछ खाली जगह छूटी थी, उसी खाली जगह में पानी के पाइप लगे थे. उसे शाफ्ट कहते हैं. उसी शाफ्ट में उस ने आरजू की लाश छिपा कर रखी थी, जिसे उस ने बरामद करा दी. घर से आरजू की लाश बरामद होने पर नवीन के घर वाले भी हैरान रह गए.

आरजू की लाश बरामद होने की जानकारी थानाप्रभारी ने डीसीपी व अन्य अधिकारियों को दी तो जिला स्तर के सभी अधिकारी मौके पर पहुंच गए. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी मौके पर बुला लिया गया. लाश देख कर ही लग रहा था कि हत्या कई दिनों पहले की गई थी. लाश से दुर्गंध भी आ रही थी. उस के गले में उस समय भी एक दुपट्टा लिपटा था.

थाने का माहौल गमगीन हो गया था. पुलिस अधिकारियों ने पीडि़त पक्ष को आश्वासन दिया कि नवीन के अलावा इस केस में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन के खिलाफ भी काररवाई की जाएगी. किसी तरह समझाबुझा कर पुलिस ने उन्हें शांत किया. इस के बाद उन्होंने लाश पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवनराम मैमोरियल अस्पताल भेज दी.

लिवइन पार्टनर का खूनी खेल – भाग 2

आज से करीब 2 साल पहले रुखसाना काकोड़ (जिला टोंक) से अपने चारों बेटों के साथ मालपुरा गेट इलाका जयपुर में आ कर रहने लगी. उस ने एक कमरा किराए पर लिया और सांगानेर की एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. रुखसाना की गाड़ी चलने लगी.

जयपुर आने के महीने भर बाद एक रोज किसी अंजान व्यक्ति का फोन रुखसाना के मोबाइल पर आया. रुखसाना ने काल रिसीव कर कहा, “हैलो.”

तब दूसरी तरफ से व्यक्ति बोला, “आप रुखसाना बोल रही हैं?”

“हां, मैं रुखसाना बोल रही हूं. आप कौन बोल रहे हैं? मैं ने पहचाना नहीं आप को.” रुखसाना ने कहा.

तब वह बोला, “मैं नजलू खान बोल रहा हूं. मुझे आप की आवाज बड़ी प्यारी लगती है.”

यह सुनते ही रुखसाना को गुस्सा आ गया. उस ने कहा, “बकवास मत करो और सुनो, दोबारा फोन भी मत करना.”

रुखसाना ने फोन काट दिया. सोचा कि कोई लफंगा है. एक बार डपटने के बाद दोबारा फोन नहीं करेगा. मगर यह उस की सोच तब गलत साबित हुई, जब 5 मिनट बाद उस का दोबारा फोन आ गया.

वह बोला, “मुझे तुम्हारी आवाज बहुत मीठी लगती है. मैं ने जब से तुम्हें देखा है और आवाज सुनी है. मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूं. लगता है मुझे तुम से प्यार हो गया है…”

सुन कर रुखसाना उस की बात बीच में काटते हुए बोली, “मैं तुम्हें जानती नहीं. फिर क्यों बारबार फोन कर रहे हो. दोबारा मुझे फोन मत करना. यही ठीक रहेगा तुम्हारे लिए.”

रुखसाना के संपर्क में आया नजलू खान

कहने के साथ ही रुखसाना ने फिर काल डिसकनेक्ट कर दी. मगर उस व्यक्ति का फोन जिस ने अपना नाम नजलू खान बताया था, दिन में कईकई बार रुखसाना के पास आने लगा. वह हमेशा उस की आवाज की तारीफ करता था. बोली बड़ी प्यारी लगती है. रुखसाना उस के दिन भर आने वाले फोन काल्स से तंग आ गई थी. मगर वह करती भी तो क्या.

नजलू खान (24 साल) निवासी गांव सूरवाल, जिला सवाई माधोपुर कामधंधे की तलाश में आज से करीब 4 साल पहले जयपुर आया था. उस ने शिकारपुरा रोड, सेक्टर-35 सांगानेर में किराए का कमरा लिया और रहने लगा. वह कुंवारा था और थोड़ा पढ़ालिखा भी. नजलू जयपुर आ कर कपड़े खरीदने और बेचने का काम करता था.

कपड़े के इस धंधे से उसे अच्छीखासी आमदनी होती थी. रुखसाना जब जयपुर आई थी, उन्हीं दिनों एक रोज नजलू की नजर रुखसाना पर पड़ी. तब वह उस की सुंदरता पर मर मिटा. नजलू ने पता किया कि यह महिला कौन है और कहां रहती है, नजलू ने उस के बारे में सारी बातें पता कर लीं.

उसे पता चला कि रुखसाना के पति की मौत हो चुकी है. उस के 4 बेटे हैं. वह अपने बच्चों के साथ मालपुरा गेट इलाके में किराए के कमरे में रहती है और सांगानेर की एक फैक्ट्री में नौकरी करती है. बस, उस के बाद नजलू ने उस फैक्ट्री से रुखसाना का मोबाइल नंबर जुटाया और उसे फोन कर उस की सुंदरता व मीठी बोली की तारीफ करने लगा.

बारबार अजनबी का फोन आने से रुखसाना को फैक्ट्री में परेशानी होने लगी. उस ने उसे डांटाफटकारा, लेकिन वह नहीं माना. आखिर में परेशान हो कर रुखसाना ने नजलू खान को पति की मौत और बच्चों के बारे में सब कुछ बता दिया, ताकि उस से पीछा छुड़ा सके. इस के बाद भी नजलू ने फोन करना बंद नहीं किया.

नजलू ने रुखसाना से कहा, “मैं तुम्हारे चारों बच्चों को अपनाऊंगा. तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को बहुत अच्छी तरह से रखूंगा.”

रुखसाना उस की बातों में आ गई. रुखसाना ने पति की मौत के बाद जो धक्के खाए थे, उस से उसे ऐसा लगा था कि बिना सहारे के एक औरत का जीवन बहुत कठिन है. नजलू उसे अच्छा लगा था. नजलू की मीठी बातों के जाल में रुखसाना फंस गई थी.

नजलू के साथ रहने लगी लिवइन रिलेशन में

रुखसाना ने तय कर लिया था कि वह नजलू के साथ रहेगी. वह उस के कमरे पर आनेजाने लगा. लव अफेयर के बाद रुखसाना और नजलू खान के बीच अवैध संबंध बन गए तो दोनों लिवइन में साथ रहने लगे. रुखसाना ने नजलू खान को अपना तनमन सब समर्पित कर दिया. नजलू से रुखसाना उम्र में भले ही 6 साल बड़ी थी, मगर वह नजलू को शारीरिक सुख दे कर जब तृप्त कर देती तो वह उस के आगेपीछे मंडराता रहता.

रुखसाना के नजलू के साथ लिवइन रिलेशन में रहने का पता जब मुन्नी को लगा, तब वह रुखसाना को समझाने लगी, “बेटी, तू गलत आदमी के साथ रह रही है. यह रिश्ता तोड़ डाल. मैं अपनी बिरादरी में अच्छा लडक़ा देख कर तेरा निकाह कर दूंगी. अगर तू निकाह करना चाहेगी तो. मगर ये रिश्ता तोड़ दे.”

सुन कर रुखसाना बोली, “अम्मी, ये बहुत भोला है. बहुत अच्छा है. इस से निकाह करूंगी तो मेरी और बच्चों की जिंदगी सुधर जाएगी.”

यह सुन कर मुन्नी कसमसा कर रह गई. मुन्नी ने नजलू को भी बहुत समझाया. मगर मुन्नी की बात न रुखसाना ने मानी और नजलू ने. नजलू ने रुखसाना पर ऐसा जादू किया था कि उस ने मां की एक नहीं सुनी और वह उस के साथ रहने लगी.

शुरू में नजलू काफी अच्छे से रहा. बच्चों के कपड़े धोता, खाना बना देता. रुखसाना फैक्ट्री में काम करने जाती तो पीछे बच्चों का ध्यान भी रखता था. बच्चों को मोबाइल तक ला कर दिया. रुखसाना यह सब देख कर नजलू के छलावे में आ गई.

एक साल तक तो सब कुछ ठीक रहा, लेकिन उस के बाद नजलू का बरताव बदल गया. वह रुखसाना पर हाथ उठाने लगा. जब रुखसाना अपनी मां के घर जाती तो शरीर पर कई जगह नील के निशान दिखते थे. मां पूछती कि ये निशान कैसे हैं?

रुखसाना बात छिपा जाती और कुछ न कुछ बहाना कर देती. लेकिन मुन्नी पास बैठ कर रुखसाना का हाथ अपने सिर पर रखवा कर कसम दिलाती थी. तब रुखसाना सच बताती, वह रोते हुए बताती थी, “अम्मी, गलती हो गई. मैं ने नजलू को पहचानने में गलती कर दी.”

मां ने रुखसाना को नजलू से दूरी बनाने को कहा

रुखसाना ने मां को बताया कि नजलू ने एक रोज सिर पर भी वार किया था. रुखसाना का सिर फूट गया था, टांके आए थे. एक बार रुखसाना का हाथ भी फ्रैक्चर कर दिया, तब पट्टी करवानी पड़ी थी. मुन्नी ने थाने में रिपोर्ट भी कराई थी कि नजलू मेरी बेटी को मारता है. नजलू रुखसाना को धमकी भी देता था कि तेरे बच्चों और भाई को मार दूंगा. रुखसाना अब नजलू की मारपीट व बच्चों, भाई को मारने की धमकी से डरने लगी थी और चुपचाप लिवइन पार्टनर के जुल्म सहती रही.

मुन्नी ने रुखसाना से कहा कि वह नजलू को छोड़ दे. तब रुखसाना ने मां से कहा था, “मां, अगर मैं ने नजलू को छोड़ा और इस ने मेरे परिवार को कुछ कर दिया तो मैं कैसे जी पाऊंगी.”

तब मुन्नी ने नजलू को समझाया था. तेरी उम्र कम है, रुखसाना का पीछा छोड़ दे. उस के छोटेछोटे 4 बच्चे हैं. लेकिन वह पीछा छोडऩे को तैयार ही नहीं था.

जबरदस्ती का प्यार – भाग 2

पुलिस तुरंत ही उस शख्स के पास पहुंच गई. पुलिस ने नूर हसन को अपनी हिरासत में लेते ही उस की तलाशी ली तो वह मोबाइल नूर हसन के पास निकला. पुलिस ने उस से मोबाइल के बारे में जानकारी ली तो उस ने बताया कि यह मोबाइल उसे उसी रास्ते में मिला था, जहां से सावित्री की लाश मिली थी. लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि यह मोबाइल सावित्री का ही है.

मोबाइल को ले कर नूर हसन ने कई बहाने बनाए,लेकिन पुलिस के सामने उस की एक न चली. पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सावित्री की हत्या की बात कुबूल ली. इस हत्या का राज खुलते ही पुलिस ने आरोपी नूर हसन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त ब्लेड, मृतका के मोबाइल के साथ ही अन्य सामान भी बरामद कर लिया था.

ठेकेदार नूर हसन ने कुबुला जुर्म

सावित्री की हत्या वाली बात कुबूलते ही नूर हसन से जो कहानी पुलिस को बताई, वह एक प्रेम प्रसंग भरी, दिल को दहलाने वाली कहानी थी.

उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले के बाजपुर कोतवाली अंतरगत एक गांव आता है कनौरी. इसी गांव में रहता था भूप सिंह का परिवार. भूप सिंह पेशे से राजमिस्त्री था. भूप सिंह की शादी कई साल पहले सावित्री के साथ हुई थी. राजमिस्त्री के होने के नाते वह ठीकठाक ही कमा लेता था, जिस से दोनों की आजीविका ठीकठाक चलती रही.

समय के साथ सावित्री एक के बाद एक 3 बच्चों की मां बनी. बच्चों में सब से बड़ा बेटा नरेश, उस के बाद बेटी मोहिनी तथा अजय सब से छोटा था. बच्चे बड़े हुए तो घरगृहस्थी का बोझ भी बढ़ गया था. जिस के कारण परिवार आर्थिक परेशानियों से गुजरने लगा. जब भूप सिंह की कमाई से काम नहीं चला तो सावित्री को भी काम करने पर मजबूर होना पड़ा.

शुरूशुरू में तो भूप सिंह सावित्री को अपने साथ ही काम पर ले जाता था. लेकिन कुछ समय बाद भूप सिंह को शराब पीने की लत लग गई. जिस के कारण मियांबीवी में अनबन रहने लगी थी. इस के बावजूद भी दोनों ने किसी तरह से दिनरात मेहनत कर के अपने बच्चों को पालापोसा.

समय के साथ नरेश बड़ा हुआ तो वह भी अपने पापा के साथ काम पर जाने लगा था. जिस के कारण परिवार की आमदनी बढ़ी तो कुछ पैसा भी इकट्ठा हुआ. उन्हीं पैसों से भूप सिंह ने गांव में 2 कमरों का मकान भी बनवा लिया था. भूप सिंह ने जैसेतैसे कर के एक छोटा सा मकान तो बनवा लिया था, लेकिन मकान बन जाने के बाद उस के सामने आर्थिक परेशानी खड़ी हो गई थी.

उस के बाद उस के बेटे नरेश ने एक ट्रक पर हेल्परी का काम पकड़ लिया. उसी ट्रक पर चलते हुए वह ट्रक चलाना भी सीख गया था. नरेश की शादी हो जाने के बाद भूप सिंह और भी ज्यादा शराब का आदी हो गया था. जिस के व्यवहार से नरेश पूरी तरह से तंग आ चुका था.

उसी समय नरेश की शादी हो गई. शादी हो जाने के बाद वह अपनी पत्नी को साथ ले कर अलग रहने लगा था. नरेश की शादी हो जाने के बाद भूप सिंह के पास अभी 2 बच्चे शादी के लिए और बचे हुए थे. लेकिन शराब की लत के कारण उस के घर में खाने के लाले पडऩे लगे. घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ते देख एक बार फिर से सावित्री को मजदूरी करने पर मजबूर होना पड़ा. उस के बाद वह फिर से ठेकेदार नूर हसन के साथ मजदूरी करने लगी.

आर्थिक सहयोग करने लगा ठेकेदार

नूर हसन अभी कम उम्र का था. सावित्री के साथ काम करतेकरते उसे उस से खास लगाव हो गया था. सावित्री के संपर्क में रहते हुए वह उस की पारिवारिक पृष्ठभूमि से पूरी तरह वाकिफ हो चुका था. सावित्री से लगाव होते ही वह उस की हर तरह से सहायता करने लगा था.

सावित्री का पति भूप सिंह तो पहले ही शराबी थी. इस वक्त तक उस ने काम करना भी छोड़ दिया था. उस दौरान वह कुछ मजदूरी करता भी था तो वह उसे शराब में उड़ा देता था. सावित्री ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वह उस की एक भी सुनने को तैयार न था. यही कारण रहा कि दोनों मियांबीवी के संबंधों में खटास पैदा हो गई थी.

नूर हसन के संपर्क में आते ही सावित्री उसे चाहने लगी थी. धीरेधीरे दोनों के दिलों में चाहत का सैलाब उमड़ा तो जल्दी ही दोनों के बीच अवैध संबंध भी स्थापित हो गए. सावित्री सारे दिन नूर हसन के साथ काम करती. काम खत्म होते ही नूर हसन उसे अपनी कामपिपासा शांत करने के लिए कहीं भी ले जाता था.

उस के बाद वह अपनी बाइक से ही उसे उस के घर भी छोड़ देता था. उसी आने जाने के कारण उस के परिवार से घरेलू संबंध हो गए थे. जिसके कारण सावित्री के परिवार वाले नूर हसन से खुश भी थे. लेकिन नूर हसन का भूप सिंह के घर वक्त बेवक्त आनाजाना गांव वालों को खलने लगा था.

यही कारण रहा कि शराब पीने के दौरान भूप सिंह के शुभचिंतकों ने कई बार उसे नूर हसन के बारे में चेताया, लेकिन वह जानता था कि उस की बीवी उसी के साथ रह कर पैसा कमाती है, जिस से उस के परिवार की रोटी चलती है. यही सोच कर वह काफी समय से सावित्री की तरफ से आंख बंद किए बैठा रहा.

लेकिन जब उस की बीवी और नूर हसन को ले कर गांव में चर्चा होने लगी तो उस ने उसे समझाने की कोशिश की. वह नहीं मानी तो उस ने उस के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी. उस के बाद आए दिन मियांबीवी के बीच घर के खर्च को ले कर विवाद बढ़ गया. उसी बीच नूर हसन भी सावित्री को बारबार फोन करता रहता था, जिस से भूप सिंह बुरी तरह से चिढऩे लगा था.

ठेकेदार करने लगा शक

सावित्री काफी समय से मजदूरी करती आ रही थी. घर पर रहते उस का टाइम नहीं कटता था. जब सावित्री को बिना काम किए घर पर रहना मुश्किल हो गया तो उस ने फिर से किसी राजमिस्त्री के साथ काम करना आरंभ कर दिया था. यह जानकारी जल्दी ही नूर हसन तक भी पहुंच गई थी.

नूर हसन को जब पता चला कि सावित्री किसी और ठेकेदार के साथ काम कर रही है तो वह बौखला उठा. उस ने कई बार सावित्री को फोन मिलाया, लेकिन उस ने उस का फोन नहीं उठाया. नूर हसन बुरी तरह से उस का दीवाना बन चुका था. जब सावित्री ने उस का फोन नहीं उठाया तो वह उस के काम पर जाने के वक्त उस के गांव के रास्ते में जा कर खड़ा होने लगा.

बर्दाश्त नहीं हुई बेवफाई

प्रेम की आग में भस्म

आरजू की लाश पर सजाई सेज – भाग 1

आरजू चौहान अमूमन सुबह जल्दी उठ जाती थी, लेकिन 2 फरवरी को उस की आंख थोड़ी देर से खुली तो वह नहाधो कर कालेज जाने की तैयारी करने लगी. वह अशोक विहार स्थित लक्ष्मीबाई कालेज में बीए फाइनल ईयर में पढ़ रही थी. कालेज जाने में देर न हो जाए, आरजू ने नाश्ता तक नहीं किया. केवल चाय पी कर साढ़े 8 बजे घर से निकल गई.

कालेज से वह अकसर दोपहर 2 बजे तक घर आ जाती थी. लेकिन जब कभी उसे आखिरी पीरियड अटैंड करना होता था तो घर आने में उसे 4 बज जाते थे. लेकिन जब उस दिन वह 4 बजे तक घर नहीं लौटी तो उस की मां कविता ने उसे फोन किया कि इस समय वह कहां है और कब तक घर आएगी? लेकिन उस का फोन बंद था. कई बार फोन करने पर भी बात नहीं हो सकी तो वह परेशान हो उठीं कि पता नहीं आरजू ने फोन क्यों बंद कर दिया है.

आरजू के पिता संजीव चौहान उस समय घर पर ही थे. पत्नी को परेशान देख कर उन्होंने पूछा, “क्या बात है, क्यों परेशान हो रही हो?”

“आरजू अभी तक कालेज से नहीं आई है. उस का फोन मिलाया तो वह भी बंद है.” कविता ने कहा.

“हो सकता है, फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गई हो. तुम परेशान मत होओ. अब वह बच्ची नहीं है, जो तुम उस की इतनी चिंता कर रही हो?” संजीव चौहान ने पत्नी को समझाया.

एक घंटा और बीत गया, पर आरजू घर नहीं आई. मां ने फिर फोन किया. इस बार भी उस का फोन बंद मिला. उन्होंने यह बात पति को बताई तो उन्होंने भी अपने फोन से उसे फोन किया. उन्हें भी फोन बंद मिला. अब वह भी परेशान हो गए. आरजू की एक सहेली सिमरन का फोन नंबर कविता चौहान के पास था. उन्होंने सिमरन को फोन किया तो उस ने कहा, “आंटी, आज मैं कालेज नहीं गई थी, इसलिए मुझे कुछ नहीं पता.”

इस के बाद आरजू की दूसरी सहेली राधिका को फोन कर के आरजू के बारे में पूछा गया तो पता चला कि वह भी उस दिन छुट्टी पर थी. जैसेजैसे अंधेरा बढ़ता जा रहा था, चौहान दंपति की चिंता बढ़ती जा रही थी. जवान बेटी का मामला था, इसलिए वह ज्यादा शोरशराबा भी नहीं करना चाहते थे. यहां तक कि उन्होंने आरजू के बारे में अपने परिवार वालों को भी नहीं बताया था.

जवान बेटी के अचानक गायब हो जाने से मांबाप के दिल पर क्या गुजरती है, इस बात को संजीव चौहान और उन की पत्नी कविता से ज्यादा और कौन महसूस कर सकता था. बेटी को इधरउधर तलाशतेतलाशते रात के 11 बज गए, पर उस के बारे में कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली. रात साढ़े 11 बजे संजीव पत्नी को ले कर थाना मौडल टाउन पहुंचे.  थानाप्रभारी रामअवतार यादव को उन्होंने बेटी आरजू के बारे में पूरी बात बताई. आरजू कोई दूधपीती बच्ची नहीं थी, जो उस के कहीं खो जाने की आशंका थी.

जवान लडक़ी के गायब होने पर ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि वह अपने प्रेमी के साथ भाग गई होगी या फिर उस के साथ कोई अनहोनी घट गई होगी. इसलिए आरजू के गायब होने के मामले में भी थानाप्रभारी ने यही सोचा कि वह अपने किसी बौयफ्रैंड के साथ कहीं चली गई होगी, 2-4 दिनों में घूमघाम कर खुद ही घर आ जाएगी. उन्होंने बातों ही बातों में संजीव चौहान से जानना भी चाहा कि उस की किसी लडक़े से दोस्ती तो नहीं थी. संजीव चौहान ने इस के लिए मना कर दिया था.

संजीव चौहान की तहरीर ले कर उन्होंने कहा कि वह परेशान न हों. उन की बेटी जल्द ही आ जाएगी. पुलिस को बेटी की गुमशुदगी की सूचना देने के बाद चौहान दंपति घर लौट आया. रामअवतार यादव ने यह मामला सबइंसपेक्टर अमित राठी के हवाले कर दिया. अमित राठी ने आरजू चौहान की गुमशुदगी की काररवाई में उस का हुलिया बता कर दिल्ली के समस्त थानों को वायरलैस से मैसेज प्रसारित करा दिया.

बेटी की चिंता में चौहान दंपति की नींद आंखों से उड़ चुकी थी. उन के अलावा उन की बेटी पायल और बेटा कृष्णा भी परेशान था. सवेरा होते ही संजीव चौहान बेटी की तलाश में निकल पड़े. पहले वह लक्ष्मीबाई कालेज गए, जहां आरजू पढ़ती थी. वह प्रिंसिपल से मिले तो उन्होंने तुरंत कालेज के गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकलवाई. उस फुटेज से पता चला कि सुबह 9 बज कर 2 मिनट पर आरजू कालेज आई थी.

अंदर आने की पुष्टि होने पर प्रिंसिपल ने उन प्रोफेसरों को बुलवाया, जो पहले और दूसरे पीरियड में आरजू को पढ़ाती थीं. उन्होंने बताया कि आरजू ने केवल पहला पीरियड अटैंड किया था. अब सवाल यह था कि पहला पीरियड अटैंड कर के वह कहां चली गई थी? संजीव चौहान ने आरजू के साथ पढऩे वाली कुछ लड़कियों से बात की तो 2 लड़कियों ने बताया कि आरजू से मिलने अकसर नवीन खत्री आता रहता था. कल भी वह अपनी मारुति स्विफ्ट डिजायर कार से आया था.

संजीव चौहान के घर से करीब डेढ़ सौ मीटर दूर रहने वाले नवीन खत्री और आरजू के बीच कई सालों से गहरी दोस्ती थी. उन की यह दोस्ती बाद में प्यार में बदल गई थी. वे दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन एक ही गांव के होने की वजह से दोनों के घर वाले तैयार नहीं थे.

करीब 4 महीने पहले संजीव के घर पंचायत हुई थी, जिस में नवीन के घर वाले भी आए थे. पंचायत में तय हुआ था कि आज के बाद दोनों बच्चे आपस में नहीं मिलेंगे और दोनों के ही घर वाले अपनेअपने बच्चों को संभालेंगे. यह जानकारी मिलने के बाद संजीव घर आ गए. आरजू के लापता होने की बात अभी तक संजीव के घर वालों के अलावा किसी और को नहीं पता थी. बदनामी के डर से संजीव चौहान ने अपने नातेरिश्तेदारों तक को बेटी के बारे में नहीं बताया था. वह खुद ही उसे ढूंढ रहे थे.

कालेज से उन्हें नवीन खत्री के बारे में जो जानकारी मिली थी, अगर वह उस के बारे में उस से पूछते तो बात मोहल्ले में फैल सकती थी. इसलिए उन्होंने उस से या उस के घर वालों से बात करना उचित नहीं समझा. 3 फरवरी को भी वह बेटी को तलाशते रहे, लेकिन कहीं से भी उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

चौहान परिवार दर्द को जितना दबाने की कोशिश कर रहा था, वह उतना ही बढ़ता जा रहा था. अब उन्होंने बात को ज्यादा दबाना उचित नहीं समझा और परिवार वालों को बेटी के गायब होने के बारे में बता दिया. उन्हें यह भी बता दिया था कि कालेज की लड़कियों से पता चला है कि आरजू कालेज से नवीन खत्री के साथ कार से गई थी. नवीन की शादी तय हो चुकी थी और अगले दिन यानी 5 फरवरी को उस की शादी थी.

परिवार वालों की सलाह पर कविता चौहान ने बेटी के बारे में पता करने के लिए नवीन के बड़े भाई संदीप खत्री को फोन किया. फोन संदीप की बहन ने उठाया. कविता ने कहा कि उन्हें नवीन से बात करनी है तो उस ने कहा, “नवीन तो शादी की तैयारी में लगा है, आप चाहें तो मम्मीपापा से बात कर लें.”

“कराओ,” कविता ने कहा.

“लो संदीप भैया आ गए, आप उन्हीं से बात कर लीजिए.” नवीन की बहन ने कहा.

“देखो बेटा, आरजू 2 दिनों से घर नहीं आई है. पता चला है कि वह तुम्हारे भाई के टच में थी. नवीन ही उसे कालेज से ले गया है. अगर आप लोग नहीं बताते तो मैं पुलिसिया काररवाई करूंगी.” कविता ने कहा.

“नहीं आंटी, वह नवीन के टच में नहीं थी. किसी ने आप को गलत बताया है. आप बेवजह नवीन पर शक कर रही हैं. कल उस की शादी है. रही बात आरजू की तो हम उसे ढूंढने में आप की मदद करेंगे, क्योंकि आप की इज्जत हमारी इज्जत है. इज्जत के लिए हम कुछ भी करेंगे.” संदीप ने कहा.

“ठीक है, आज शाम 5 बजे तक मेरी बेटी मेरे पास आ जानी चाहिए.” कविता ने कहा.

“आंटी, मैं इस बारे में एसएचओ से बात कर के आरजू को ढूंढने की कोशिश करता हूं.” संदीप ने भरोसा दिलाया.

संदीप ने आरजू को ढूंढने की बात कविता से कह तो दी, लेकिन उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे कहां ढूंढे. भाई की शादी थी, सारे काम वही देख रहा था. जब उस की समझ में कुछ नहीं आया तो वह दादी के साथ संजीव चौहान के बड़े भाई राजपाल के घर पहुंचा. उन से कहा कि कविता आंटी उस पर आरजू को ढूंढने का दबाव डाल रही हैं, आखिर वह उसे कहां ढूंढे.

राजपाल की पत्नी के भतीजे की नारायणा में शादी थी. वह पत्नी के साथ शादी में जाने की तैयारी कर रहे थे, इसलिए उन्होंने कहा कि वह इस बारे में शादी से लौटने के बाद ही कुछ करेंगे. संदीप घर लौट आया.