उत्तर प्रदेश के जिला कासगंज के थाना अमांपुर के गांव टिकुरिया के रहने वाले अनोखेलाल की पत्नी बेटी को जनम दे कर गुजर गई थी. सब इस बात को ले कर परेशान थे कि उस नवजात बच्ची को कौन संभालेगा. लेकिन उस बच्ची की जिम्मेदारी अनोखेलाल की बहन ने ले ली तो उसे अपने अन्य बच्चों की चिंता हुई. उस के 3 बच्चे और थे. जिन में सब से बड़ी बेटी अनिता थी तो उस के बाद बेटा सुनील तो उस से छोटी पूजा.
पत्नी की मौत के बाद बड़ी बेटी अनिता ने घर संभाल लिया था. अपनी जिम्मेदारी निभाने में उस की पढ़ाई जरूर छूट गई थी, लेकिन भाईबहनों की ओर से उस ने बाप को निश्चिंत कर दिया था. घरपरिवार संभालने के चक्कर में बड़ी बेटी की पढ़ाई छूट ही गई थी. अब अनोखेलाल सुनील और पूजा को खूब पढ़ाना चाहता था.
पूजा खूबसूरत थी ही, पढ़ाई में भी ठीकठाक थी. उस का व्यवहार भी बहुत अच्छा था, इसलिए उस से घर वाले ही नहीं, सभी खुश रहते थे. समय के साथ अनोखेलाल पत्नी का दुख भूलने लगा था. अब उस का एक ही उद्देश्य रह गया था कि किसी तरह बच्चों की जिंदगी संवर जाए. बाप बच्चों का कितना भी खयाल रखे, मां की बराबरी कतई नहीं कर सकता. इस की वजह यह होती है कि पिता को घर के बाहर के भी काम देखने पड़ते हैं.
अनोखेलाल की छोटी बेटी पूजा हाईस्कूल में पढ़ रही थी. वह पढ़लिख कर अध्यापिका बनना चाहती थी. इस के लिए वह मेहनत भी खूब कर रही थी. लेकिन जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही वह मोहब्बत के जाल में ऐसी उलझी कि उस का सपना ही नहीं टूटा, बल्कि जिंदगी से ही हाथ धो बैठी.
गांव का ही रहने वाला ओमवीर अचानक पूजा की जिंदगी में आ गया. जबकि ओमवीर और पूजा के घर वालों के बीच बरसों से दुश्मनी चली आ रही थी.
ओमवीर के पिता नेम सिंह ने पूजा के दादा गंगा सिंह (अनोखेलाल के ताऊ) की हत्या कर दी थी. हत्या के इस मामले में वह जेल भी गया था. कुछ दिनों पहले ही वह जमानत पर जेल से बाहर आया था. इतनी बड़ी दुश्मनी होने के बावजूद पूजा ओमवीर को दिल दे बैठी थी.
स्कूल आतेजाते जब कभी पूजा दिखाई दे जाती, ओमवीर उसे चाहतभरी नजरों से ताकता रहता. क्योंकि पूजा उसे बहुत अच्छी लगती थी. शुरूशुरू में तो पूजा ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब उसे इस बात का अहसास हुआ तो दुश्मन के बेटे के लिए जवानी की दहलीज पर कदम रख रही पूजा का दिल धड़क उठा. इस के बाद वह भी अपने पीछेपीछे आने वाले ओमवीर को पलटपलट कर देखने ही नहीं लगी, बल्कि नजर मिलने पर मुसकराने भी लगी.
गांव से स्कूल का रास्ता खेतों के बीच से होने की वजह से लगभग सुनसान रहता था. इसलिए गांव की लड़कियां एक साथ स्कूल जाती थीं. लड़कियों के साथ होने की वजह से ओमवीर को पूजा से अपने दिल की बात कहने का मौका नहीं मिलता था. लेकिन जहां चाह होती है, वहां राह मिल ही जाती है. ओमवीर पूजा के पीछे पड़ा ही था. पूजा के मन में भी उस के लिए चाहत जाग उठी थी.
पूजा को भी पता था कि वह सहेलियों के साथ रहेगी तो ओमवीर से उस की बात कभी नहीं हो सकेगी. उस से बात करने के लिए ही एक दिन वह घर से थोड़ा देर से निकली. वह जैसे ही गांव से बाहर निकली, ओमवीर उस के पीछेपीछे चल पड़ा. खेतों के बीच सुनसान जगह देख कर ओमवीर उस के पास जा कर बोला, ‘‘आज तुम अकेली ही स्कूल जा रही हो?’’
पूजा का दिल धड़क उठा. उस ने कांपते स्वर में कहा, ‘‘आज मुझे थोड़ी देर हो गई, इसलिए बाकी सब चली गईं.’’
‘‘पूजा, मुझे तुम से कुछ कहना था?’’ ओमवीर ने सकुचाते हुए कहा.
‘‘मुझे पता है, तुम क्या कहना चाहते हो?’’ पूजा ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘तुम्हें कैसे पता चला कि मैं क्या कहना चाहता हूं?’’ ओमवीर ने हैरानी से पूछा.
‘‘मैं बेवकूफ थोड़े ही हूं? तुम कितने दिनों से मेरे पीछे पड़े हो. कोई लड़का किसी लड़की के पीछे क्यों पड़ता है, इतना तो मुझे भी पता है.’’ पूजा ने बेबाकी से कहा तो ओमवीर में भी हिम्मत आ गई. उस ने कहा, ‘‘क्या करूं, तुम मुझे इतनी अच्छी लगती हो कि मन यही करता है कि हर वक्त तुम्हीं को देखता रहूं.’’
‘‘तो देखो न, मना किस ने किया है.’’ पूजा ढि़ठाई से बोली.
‘‘सिर्फ देखने से ही मन नहीं भरता. पूजा, मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’
‘‘यह तो और भी अच्छी बात है. इस के लिए भी मैं ने कहां मना किया है. भई तुम्हारा मन है, वह किसी से भी प्यार कर सकता है.’’ कह कर पूजा हंस पड़ी तो ओमवीर को भी हंसी भी आ गई.
इस तरह दोनों ने जो चाहा था, वह पूरा हो गया. दोनों खुशीखुशी स्कूल चले गए. इस के बाद तो दोनों अकसर गांव के लड़केलड़कियों का साथ छोड़ कर खेतों के बीच मिलने लगे. इन मुलाकातों के साथ उन का प्यार बढ़ता गया. तब न पूजा को इस बात की चिंता थी और न ही ओमवीर को कि उन के इस प्यार का अंजाम क्या होगा? हर चिंता से मुक्त दोनों अपनी प्यारभरी दुनिया में डूबे रहते.
चोरीछिपे होने वाली मुलाकातों से दोनों दिनोंदिन करीब आते जा रहे थे. एक दिन ऐसा भी आया जब दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए. उसी बीच अनोखेलाल ने अनिता की शादी कर दी तो घर की सारी जिम्मेदारी पूजा पर आ गई. पूजा ने घर की जिम्मेदारी बखूबी निभाते हुए अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. अनोखेलाल का भी कहना था कि अगर पढ़लिख कर वह कुछ बन जाएगी तो उस की जिंदगी संवर जाएगी अन्यथा अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए वह उस की शादी कर देगा.
पूजा पढ़ रही थी, जबकि ओमवीर ने पढ़ाई छोड़ दी थी. उस का बड़ा भाई मुकेश बाप के साथ खेती के कामों में उस की मदद करता था. पढ़ाई छोड़ कर ओमवीर को भी लगने लगा कि उसे भी कुछ करना चाहिए. क्योंकि वह पूजा को दीवानगी की हद तक प्यार करता था. और पूजा उसे तभी मिल सकती थी, जब वह उस के लायक बन जाए. इस के लिए वह भी पिता के साथ लग गया. उस ने पूजा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था. इसलिए वह उस की खातिर कुछ भी करने को तैयार था.
संयोग से उसी बीच किसी दिन गांव के किसी आदमी ने पूजा को ओमवीर के साथ देखा तो उसे बड़ी हैरानी हुई. उस ने यह बात अनोखेलाल को बताई तो वह भी हैरान रह गया. अपनी इस होनहार बेटी से उसे इस तरह की उम्मीद बिलकुल नहीं थी. दुश्मन के बेटे से अपनी बेटी का मिलनाजुलना वह कैसे बरदाश्त कर सकता था. उस ने अपनी आंखों से कुछ देखा नहीं था, इसलिए वह पूजा से सीधे कुछ कह भी नहीं सकता था. फिर गांव में तो इस तरह की चर्चाएं होती ही रहती हैं.