फरजाना के प्यार का समंदर – भाग 1

राजमिस्त्री रईस अहमद दिन भर का थकामांदा रात 8 बजे घर वापस आया तो उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद था. उस ने रुकरुक कर कई बार कुंडी खटखटाई, बीवी को आवाज भी लगाई, लेकिन उस की बीवी अदीबा बानो उर्फ फरजाना ने दरवाजा नहीं खोला.

रईस को तब गुस्सा आ गया, वह नशे में भी था सो वह फरजाना को भद्दीभद्दी गालियां बकने लगा. गालियां बकतेबकते जब वह थक गया तो उस ने घर के बाहर झोपड़ी के पास आग जलाई और तापने लगा.

अभी उसे तापते हुए आधा घंटा ही बीता था कि किसी ने उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिस से उस का सिर फट गया और वहीं लुढ़क कर छटपटाने लगा.

इसी समय फरजाना दरवाजा खोल कर घर के बाहर आई तो उस ने झोपड़ी के पास शौहर को खून से लथपथ तड़पते देखा. तब वह चीखने और चिल्लाने लगी. कड़ाके की ठंड थी, सो लोग घरों में दुबके थे, लेकिन फरजाना की चीख सुन कर आसपड़ोस के इक्कादुक्का लोग घरों से निकले. फरजाना ने उन्हें बताया कि किसी ने उस के शौहर पर कातिलाना हमला किया है. यह सुन कर सभी दंग रह गए.

रईस के घर के पास ही उस का भाई वाहिद रहता था. उस ने भौजाई फरजाना के रोने की आवाज सुनी तो हड़बड़ा कर घर के बाहर आया. उस ने भाई रईस को मरणासन्न स्थिति में देखा तो उस का कलेजा कांप उठा. साथ ही मन में तरहतरह की आशंकाएं उठने लगीं.

इधर एक वफादार बीवी की तरह फरजाना ने शौहर को वाहिद की मदद से 4 पहिए वाली ठिलिया पर लादा और कन्नौज जिले में स्थित ठठिया के सरकारी अस्पताल की ओर भागी. लेकिन अस्पताल पहुंचतेपहुंचते रईस ने दम तोड़ दिया. डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया. तब वह रईस के शव को वापस घर ले आए. यह घटना 21 दिसंबर, 2022 की रात 9 बजे भदोसी गांव में घटित हुई थी.

सुबह सूरज के निकलते ही रईस की हत्या की खबर भदोसी गांव में फैली तो लोगों का जमावड़ा रईस के दरवाजे पर शुरू हो गया. लोग आपस में कानाफूसी भी करने लगे. फिर तो जितने मुंह उतनी बातें होने लगीं. इसी बीच ग्रामप्रधान रामजी कुशवाहा ने रईस की हत्या की खबर थाना ठठिया पुलिस को दे दी.

चूंकि मामला हत्या का था, अत: एसएचओ कमल भाटी पुलिस दल के साथ भदोसी गांव रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने वारदात की खबर पुलिस अधिकारियों को भी दे दी थी.

भदोसी गांव ठठिया थाने के पास ही था, अत: पुलिस को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. उस समय वहां ग्रामीणों की भीड़ जुटी थी. भीड़ को हटाते कमल भाटी उस स्थान पर पहुंचे, जहां मृतक रईस का शव पड़ा था.

एसएचओ कमल भाटी ने शव का निरीक्षण किया तो वह चौंक गए. क्योंकि हत्यारों ने बड़ी निर्दयतापूर्वक धारदार हथियार से रईस की हत्या की थी. उस के सिर के पीछे की ओर गहरा घाव था. सिर की हड्डी कटने और अधिक खून बहने से ही शायद उस की मौत हुई थी. हत्यारों ने उस के सिर पर शायद पीछे से ही वार किया था. मृतक रईस की उम्र 50 वर्ष के आसपास थी और शरीर दुबलापतला था.

एसएचओ कमल भाटी अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी (कन्नौज) कुंवर अनुपम सिंह तथा एएसपी डा. अरविंद कुमार भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौकाएवारदात का बारीकी से निरीक्षण किया. फिर ग्रामप्रधान रामजी कुशवाहा व अड़ोसपड़ोस के लोगों से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की.

घटनास्थल पर मृतक की बीवी अदीबा बानो उर्फ फरजाना मौजूद थी. वह शौहर के शव के पास रो रही थी. एएसपी डा. अरविंद कुमार ने उसे धैर्य बंधाया और फिर उस से घटना के संबंध में पूछताछ की.

फरजाना ने बताया कि वह दरवाजा बंद कर घर के अंदर सो रही थी. रात 9 बजे उस की आंख खुली तो वह दरवाजा खोल कर घर के बाहर आई. वहां उस ने झोपड़ी के पास शौहर को छटपटाते देखा. किसी ने उन पर जानलेवा हमला किया था. उस ने शोर मचाया तो कुछ लोग घरों से निकले. उस के बाद देवर वाहिद की मदद से शौहर को ठठिया अस्पताल ले गई, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

‘‘क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हारे शौहर का कत्ल किस ने किया?’’ एएसपी ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, मुझे पता नहीं.’’ फरजाना ने जवाब दिया.

‘‘रईस की किसी से गांव में रंजिश थी या कोई लेनदेन था?’’

‘‘नहीं साहब. गांव में उन की न तो किसी से रंजिश थी और न ही लेनदेन था. वह रोज कमानेखाने वाले आदमी थे. हां, वह शराब के लती जरूर थे.’’

मृतक रईस का भाई वाहिद पुलिस अफसर और अपनी भौजाई फरजाना की बातें गौर से सुन रहा था. भौजाई के त्रियाचरित्र से उसे मन ही मन गुस्सा भी आ रहा था. वह सोच रहा था कि शौहर के साथ घात करने के बाद अब कितनी पाकसाफ बनने की कोशिश कर रही है.

एसपी कुंवर अनुपम सिंह की निगाहें चंद कदम की दूरी पर बैठे वाहिद पर ही टिकी हुई थीं. उस के चेहरे पर गुस्से और गम के मिलेजुले भाव उभर रहे थे. ऐसा लग रहा था, जैसे वह अंदर भरे गुबार को बाहर लाना चाहता है, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. कहीं वह अपने भाई की हत्या का रहस्य तो पेट में नहीं छिपाए है. यही सोच कर उन्होंने उसे अपने पास बुलाया फिर उसे पूछताछ के लिए एकांत में ले गए.

‘‘रईस तुम्हारा सगा भाई था?’’ एसपी कुंवर अनुपम सिंह ने वाहिद से पूछा.

‘‘जी साहब. हम दोनों सगे भाई थे,’’ वाहिद ने जवाब दिया.

‘‘तुम्हारे भाई की हत्या किस ने की, तुम्हें किसी पर शक है?’’

‘‘साहब, शक ही नहीं यकीन भी है कि उसी ने हत्या को अंजाम दिया है.’’ वाहिद ने विस्फोट किया.

‘‘किस पर यकीन है और किस ने हत्या को अंजाम दिया?’’ एसपी ने पूछा.

‘‘साहब, वह कोई और नहीं रईस की बीवी यानी मेरी भौजाई फरजाना है.’’

‘‘क्याऽऽ बीवी ने शौहर का कत्ल कर दिया?’’ एसपी कुंवर अनुपम सिंह ने अचकचा कर पूछा.

‘‘हां साहब, यही सच है.’’ वाहिद ने पूरा भरोसा जताते हुए कहा.

‘‘यह बात तुम यकीन के साथ कैसे कह सकते हो?’’ श्री सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, फरजाना का अपने पड़ोसी अमर सिंह कुशवाहा से नाजायज रिश्ता है. इन नापाक रिश्तों का रईस विरोध करता था. जिस रोज वह बीवी को रंगेहाथ पकड़ लेता था, उस रोज दोनों के बीच झगड़ा और मारपीट होती थी. रईस दोनों के नापाक रिश्तों में बाधक बन रहा था, इसलिए अदीबा बानो ने अपने प्रेमी अमर सिंह के साथ मिल कर उस की हत्या कर दी.’’

विधवा से इश्क में मिली मौत – भाग 4

आशा का बेटा पंकज जवानी की दहलीज पर था. उसे दीपक सिंह का घर आना अच्छा नहीं लगता था, क्योंकि उस के हमउम्र दोस्त दीपक सिंह को ले कर तरहतरह की बातें करते थे, पर पंकज को अपनी मां पर भरोसा था. इसलिए दोस्तों को वह झिड़क देता था. लेकिन उस के भरोसे को तब ठेस लगी, जब उस ने मां को दीपक के साथ खिड़की से आपत्तिजनक हालत में देख लिया.

किसी बेटे के लिए इस से अधिक शर्मनाक बात और क्या हो सकती थी कि मां अपने प्रेमी के साथ रास रचा रही थी. यह देख कर पंकज का खून खौलने लगा.

पंकज का जी चाह रहा था कि वह लातें मारमार कर दरवाजा तोड़ दे और मां व दीपक को उन की गंदी हरकत का सबक सिखाए, लेकिन ऐसा करना उस ने उचित नहीं समझा. क्योंकि ऐसा करने से पूरे मोहल्ले में घर की बदनामी हो जाती. वह स्वयं भी किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाता.

गुस्से को काबू कर पंकज दरवाजे से ही लौट गया. लगभग एक घंटा बाद वह वापस घर आया. तब तक दीपक सिंह जा चुका था. मां घर के काम में व्यस्त थी. पंकज के आते ही वह मुसकराते हुए बोली, ‘‘गोलू खाना लगा दूं.’’

‘‘नहीं, मुझे भूख नहीं है.’’ पंकज गुस्से से बोला.

‘‘क्या बात है बेटा, तेरा मूड क्यों उखड़ा है? क्या किसी से झगड़ कर आया है?’’ आशा ने पूछा.

‘‘मां, पहले तुम यह बताओ कि पप्पू घर में क्यों आता है? उस से तुम्हारा क्या रिश्ता है?’’

‘‘मेरा उस से कोई रिश्ता नहीं है. लगता है बेटा, किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं?’’

‘‘मेरे किसी ने कान नहीं भरे हैं. सब कुछ मैं ने अपनी आंखों से देखा है. आप झूठ बोल रही हैं कि पप्पू से कोई रिश्ता नहीं है. मैं ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम इतनी गिर सकती हो. मुझे तो तुम्हें मां कहने में भी शर्म आ रही है.’’

बेटे की बात सुन कर आशा सन्न रह गई. वह जान गई कि उस के नाजायज रिश्तों का भांडा फूट गया है, इसलिए वह कुछ न बोली और सिर झुका लिया.

पंकज शाम को अपने मामा बदन सिंह के घर सचेंडी जा पहुंचा. उस ने मामा को मां और दीपक सिंह के नाजायज रिश्तों की जानकारी दी. बदन सिंह तब पंकज के साथ पनकी गंगागंज आया और विधवा बहन आशा को खूब जलील किया, साथ ही ऊंचनीच की नसीहत भी दी.

आशा ने गलती स्वीकार की और भाई व बेटे से वादा किया कि अब वह दीपक सिंह को घर में फटकने नहीं देगी. उस से कोई रिश्ता नहीं रखेगी. 2 दिन बाद जब पप्पू घर आया तो आशा ने उसे बता दिया कि उस के नाजायज रिश्तों की जानकारी उस के भाई और बेटे को हो गई है.

पप्पू पर इश्क का जुनून सवार था. जब आशा ने उसे घर आने को मना किया तो वह दबंगई पर उतर आया. वह जबर्दस्ती आशा को अपनी हवस का शिकार बनाने लगा. यही नहीं वह ब्लैकमेल कर आशा से रुपयों की मांग भी करने लगा.

आशा पैसे देने से मना करती तो वह उसे समाज में बदनाम करने की धमकी देता. आशा को तब झुकना पड़ता. आशा जब दीपक सिंह की ज्यादतियों से परेशान हो गई, तब उस ने भाई बदन सिंह को घर बुलाया. भाई को आशा ने बताया कि दीपक सिंह ने उस का जीना दूभर कर दिया है. वह उस के साथ जबरदस्ती करता है और ब्लैकमेल कर रुपयों की डिमांड करता है. रुपया न देने पर इज्जत नीलाम करने की धमकी देता है.

बहन की व्यथा सुन कर बदन सिंह के तनबदन में आग लग गई. उस ने उसी समय फैसला कर लिया कि वह बहन की इज्जत से खेलने वाले को सबक जरूर सिखाएगा. इस के बाद बदन सिंह ने बहन आशा व भांजे पंकज के साथ मिल कर दीपक सिंह उर्फ पप्पू की हत्या की योजना बनाई.

दीपक सिंह के वैसे तो कई पियक्कड़ दोस्त थे. लेकिन शशांक, सत्येंद्र, जितेंद्र उर्फ जीतू और देवेंद्र उर्फ जैकी उस के खास दोस्त थे. इन के साथ पप्पू अकसर शराब पार्टी करता था. जितेंद्र, सत्येंद्र व देवेंद्र पनकी गंगागंज (भाग एक) में रहते थे. वे तीनों सगे भाई थे. जबकि शशांक सक्सेना इन के घर से कुछ दूर रहता था. पप्पू के इन दोस्तों को उस के और आशा के नाजायज रिश्तों की बात पता थी.

अपनी योजना के तहत बदन सिंह ने दीपक सिंह के दोस्तों से यारी कर ली और वह उन के साथ शराब पार्टी में शामिल होने लगा.

बदन सिंह की शशांक से खूब पटती थी. वह उसे खानेपीने को अकसर बुलाता रहता था. शशांक का विश्वास जीतने के बाद बदन सिंह ने उसे अपना मोहरा बनाया.

13 जनवरी, 2023 की रात 9 बजे बदन सिंह ने शशांक से मुलाकात की और खाली पड़े प्लौट में शराब पार्टी की दावत दी. शशांक ने तब अपने दोस्त जितेंद्र, सत्येंद्र व देवेंद्र को भी बुला लिया. सभी बैठ कर शराब पीने लगे. बदन सिंह कुछ देर बाद वहां पहुंचा तो वहां दीपक सिंह उर्फ पप्पू नहीं था. बदन सिंह ने तब शशांक से कहा कि वह अपने दोस्त पप्पू को भी बुला ले.

शशांक ने रात 10 बजे पप्पू को फोन किया कि खाली पड़े प्लौट में शराब पार्टी चल रही है, वह भी आ जाए. कुछ देर बाद पप्पू वहां आ गया. इसी बीच बदन सिंह ने बहन आशा व भांजे पंकज उर्फ गोलू को वहां बुला लिया, जो प्लौट के पूर्वी छोर पर झाडि़यों में घात लगा कर बैठ गए. इधर पप्पू दोस्तों के साथ पैग लगा कर जैसे ही घर की ओर चला, तभी घात लगाए बैठे बदन सिंह, पंकज व आशा ने उसे दबोच लिया फिर ईंट से सिर कुचल कर उस की हत्या कर दी.

दीपक सिंह की चीखें उस के दोस्तों ने सुनीं पर उसे बचाने की कोशिश किसी ने नहीं की. हालांकि वे समझ गए थे कि पप्पू की हत्या किस ने की है, लेकिन उन्होंने जुबान बंद कर ली. उन्होंने न पुलिस को सूचना दी और न अड़ोसपड़ोस वालों को कुछ बताया.

14 जनवरी, 2023 की सुबह पड़ोसी राजू कूड़ा फेंकने खाली पड़े प्लौट पर गया तो उस ने दीपक सिंह की लाश देखी. तब राजू ने सूचना उस के घर वालों को दी.

21 जनवरी, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी बदन सिंह, पंकज, आशा तथा जुर्म छिपाने के आरोपी शशांक, सत्येंद्र, जितेंद्र व देवेंद्र को गिरफ्तार कर कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन सब को जिला जेल भेज दिया गया. द्य

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

लिव इन की कच्ची सड़क

रेखा धुर्वे भले ही 28 साल की हो गई थी, लेकिन जवानी उसके बदन से फूट रही थी. जब वह काम पर जाने के लिए बनसंवर कर झोपड़ी से निकलती, तब उसे भाभी कहने वाले लड़कों से ले कर उस की दोगुनी उम्र के लोगों के दिलों पर भी सांप लोटने लगता था.

कुछ तो मजाक कर उसे छेड़ देते थे, लेकिन कइयों के मन की बात दबी रह जाती थी. वैसे वे उस के पति मलखान के पसंद की तारीफ करते भी नहीं थकते थे.

इसी के साथ एक सच यह भी था कि पिछले कुछ समय से रेखा की मलखान से अनबन चल रही थी. मलखान के साथ उस की पारिवारिक और सामाजिक रीतिरिवाज के साथ शादी नहीं हुई थी.

रेखा अपने मांबाप, रिश्तेदार और समाज के सामने सिंदूर दान करने वाले पति को छोड़ कर मलखान के प्रेम में सिर्फ कसमेवादे के चंद लफ्जों में बंधी हुई थी. 12 सालों से उस के साथ लिवइन में रह रही थी. वही उस का पति था, उस की नजर में और समाज की नजर में भी. जबकि उस के पहले पति से 2 बच्चे भी थे.

वह नर्वदापुरम जिले की सिवनी मालवा तहसील स्थित आईटीआई के पास सीमेंट गोदाम में काम करती थी. वैसे वह मूल निवासी टिमरनी तहसील के गांव डोडरामऊ की थी. अपने पति को छोड़ कर वह दिसंबर, 2022 के पहले सप्ताह में काम के लिए सिवनी मालवा आई थी. घर के नाम पर एक टेंट था. उसी में वह मलखान के साथ रह रही थी. मलखान एक सीमेंट गोदाम में काम करता था.

मलखान सिंह पिपरिया के पास सररा लांजी गांव का रहने वाला था. रेखा उस से करीब 12 साल पहले मिली थी. मुलाकात जल्द ही जानपहचान में बदल गई. रेखा की जवानी पर मलखान फिदा हो गया, जबकि वह मलखान की हमदर्दी से उस की ओर खिंची चली गई. …और फिर उन का बारबार मिलनाजुलना मजबूत प्रेम में बदल गया.

एक दिन मलखान रेखा के सिर पर हाथ रख कर बोला, ‘‘तुम जब मेरे पास आओ, तब दुखी मन से उदास मत रहा करो. उस से तुम्हारी सुंदरता कम हो जाती है.

जब तुम हंसती हो तो बहुत अच्छी लगती हो…’’

‘‘क्या करूं मलखान, एक तुम्हीं हो जो मेरे मन की बात समझते हो. मैं किसी और के सामने तो दूर, अपने निखट्टू शराबी पति से भी उतना खुल कर बातें नहीं करती, जितनी तुम्हारे साथ कर लेती हूं.’’ कह कर रेखा सुबकने लगी.

‘‘शराबी तो मैं भी हूं. देखो, मैं ने अभी भी पी रखी है,’’ कहते हुए मलखान अपना मुंह रेखा के काफी करीब ले आया.

‘‘तुम शराब पी कर भी होश में बातें करते हो, लेकिन उसे तो…’’ रेखा बोली.

‘‘कोई बात नहीं, अगर तुम चाहो तो मेरे साथ रह सकती हो. सच कहूं तो मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’ मलखान भावुक हो गया था.

रेखा कुछ बोल नहीं पा रही थी, लेकिन उस ने इशारे में इस की हामी जता दी थी. सिर्फ 2 शब्द बोल पाई थी, ‘‘मैं भी…’’

रेखा जाने लगी, तब मलखान ने उस के चेहरे को दोनों हाथों से हौले से पकड़ कर माथे को चूम लिया, ‘‘मैं तुम्हारे साथ जीनेमरने की कसम खाता हूं.’’

उस के बाद से दोनों ने साथ रहने का मन बना लिया. मलखान के वादे के साथ रेखा ने अपने पति का घर छोड़ दिया. उस के साथ ही बिनब्याहे रहने लगी. काम के सिलसिले में मलखान जहां जाता, रेखा उस के साथ चली जाती.

उन का कोई स्थाई घर नहीं था. वे अस्थाई झोपड़े या फिर टेंट के घर में रहते हुए अपनी जिंदगी गुजारने लगे थे. उन के बीच 12 साल तक तो सब कुछ अच्छा चला, लेकिन बाद में उन के बीच विवाद हो गया था.

मलखान के शराब पीने की लत काफी बढ़ गई थी. वह दिन में ही शराब पी कर काम पर चला जाता था. नशे की हालत में अनापशनाप बकता रहता था. इस कारण उस के साथ काम करने वाले परेशान रहने लगे थे. कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता था, जब रेखा की मलखान के साथ बहस नहीं होती थी. यही नहीं, वह रेखा को भी अपने साथ बैठा कर शराब पिलाने लगा था. रेखा इस कारण भी परेशान रहने लगी थी.

देर रात तक उन के बीच लड़ाईझगड़े होते रहते थे, गालीगलौज होती थी. गालियां देने में दोनों की जुबान काफी तेज थी. छूटते ही मांबहन की गालियां बकना शुरू कर देते थे. जब मलखान गुस्से में होता, तब यहां तक कह देता, ‘‘जा चली जा अपने पति के पास. तू तो मेरी रखैल है, जब जरूरत होगी बुला लूंगा.’’

यह सुन कर रेखा और भी तिलमिला जाती. वह भी गुस्से में बोल देती, ‘‘हां चली जाऊंगी उसी के पास. लेकिन वहीं क्यों मेरे चाहने वाले और भी मर्द हैं, मेरी जवानी के प्यासे हैं. देख, आज भी मेरे यौवन में कोई कमी आई है क्या?’’

दिसंबर, 2022 की 18 तारीख को शाम ढलते ही मलखान अपने टेंट के घर में शराब पीने लगा था. इस बीच बारबार रेखा को आवाज भी लगा रहा था. वह चिल्लाता हुआ बाजार से कोई नमकीन लाने को बोल रहा था.

मलखान कभी उसे बाजार जा कर सब्जियां लाने को कहता तो कभी उबले अंडे ला कर फ्राई करने का आदेश देता था. रेखा उस की फरमाइशें सुनसुन कर परेशान हो गई थी. गुस्से में उसे गालियां भी दे रही थी.

उन के बीच की ये सारी बातें पड़ोस के दूसरे लोग भी सुन रहे थे, लेकिन कोई उस में दखलंदाजी नहीं कर रहा था. उन्हें मालूम था कि उन का यह नाटक 1-2 घंटे चलेगा और फिर वे शराब के नशे में शांत हो जाएंगे. उन की सोच के मुताबिक ऐसा ही हुआ. रात के एक बजे तक टेंट में सन्नाटा पसर गया था.

सुबह जब उस के पड़ोसी श्याम ने रेखा के टेंट में नजर दौड़ाई तो उस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उस ने जो कुछ देखा, उसे बयां करने के लिए मुंह से शब्द ही नहीं निकल रहे थे. वह कुछ पल के लिए बेसुध सा खड़ा रहा, फिर अचानक उस के मुंह से चीख निकल गई.

उस की चीख सुन कर दूसरे मजदूर वहां आ गए. उन्होंने भी टेंट का मंजर देखा. वे हैरान हो गए. उन की आंखों के सामने रेखा कंबल में लिपटी खून से सनी पड़ी थी. उस की स्थिति देख कर सभी ने समझ लिया कि वह मर चुकी है. कारण, सिर बुरी तरह से कुचला हुआ था. उस के आसपास खून भी फैला हुआ था, जो सूख कर काला हो चुका था.

किसी ने इस दिल दहला देने वाली वारदात की सूचना सिवनी मालवा थाना पुलिस को दे दी. सोमवार के दिन 19 दिसंबर, 2022 की सुबह के 9 बजे के करीब एसएचओ जितेंद्र यादव इस वारदात की सूचना पा कर घटनास्थल पर जा पहुंचे. उन के साथ पुलिस की पूरी टीम थी. महिला की निर्मम हत्या का मामला था.

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएचओ ने तत्काल घटना से एसडीपीओ आकांक्षा चतुर्वेदी को भी अवगत करवा दिया. वह भी तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गईं. जितेंद्र यादव और पुलिस टीम ने घटनास्थल की बारीकी से जांच की.

वहां मौजूद लोगों ने बताया कि मृतका रेखा मलखान के साथ लिवइन रिलेशन में रहती थी. मलखान फरार था. पुलिस को घटनास्थल पर एक बड़ा सा पत्थर मिला, जिस पर खून एवं रजाई के धागे लगे थे. जिस से यह स्पष्ट था कि इसी पत्थर से रेखा की हत्या की गई होगी.

एसएचओ घटना को देखते ही समझ गए थे कि यह वारदात प्यार में अवश्य ही बेवफाई और चरित्र की शंका को ले कर हुई होगी.  उन्होंने आसपास रहने वाले लोगों और मृतक के जानपहचान वालों से पूछताछ की.

उन्हें मालूम हुआ कि वे आपस में लड़तेझगड़ते रहते थे. मृतका की पहचान तो हो गई, लेकिन हत्यारा फरार हो चुका था. पड़ोसियों के मुताबिक वह उस का प्रेमी मलखान भी हो सकता था. हालांकि इस बारे में दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता था.

घटनास्थल पर बिखरी हुई चीजों में 2 गिलास और 2 शराब की बोतलें भी थीं. पूछताछ में पड़ोसी श्याम ने पुलिस के रेखा की बहन के बारे में बताया, जो पास में ही रहती थी.

जब उस से भी पूछताछ की गई, तब उस ने बताया कि बीती रात को उस की तबीयत थोड़ी खराब थी, इसलिए वह दवाई खा कर सो गई थी. उसे सुबह को इस घटना की जानकारी मिली.

इस वारदात की तहकीकात के लिए पुलिस ने एफएसएल टीम के साथ डौग स्क्वायड, फिंगरपिं्रट एक्सपर्ट एवं फोटोग्राफर के माध्यम से गहन जांचपड़ताल कर सबूत एकत्र किए. इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिएभेज दी.

मृतका रेखा की बहन ने पुलिस को बताया कि वह मलखान के साथ बिना शादी किए आपसी समझौते से साथ रह रही थी. उन के बीच काफी प्रेम था, लेकिन पता नहीं अचानक क्या हो गया जो उस की ऐसी निर्मम हत्या हो गई. उस ने हत्या का शक मलखान पर जता दिया.

पुलिस के सामने मृतक का पूरा अतीत उस की बहन ने बयां कर दिया था. फिर भी हत्यारे की मंशा और वारदात के पूरे घटनाक्रम का परदाफाश होना बाकी था.

एसडीपीओ आकांक्षा चतुर्वेदी ने बिना समय गंवाए एसएचओ जितेंद्र यादव को मलखान सिंह की तलाश में लगा दिया. उन्होंने पुलिस टीम को उस के मूल निवास के गांव पिपरिया की ओर रवाना कर दिया.

एसडीपीओ को लगातार इस की हर घंटे की अपडेट मिलती रही. इसी बीच मुखबिर की सूचना से पता चला कि मलखान सिंह सररा लांजी गांव की ओर देखा गया है.

उस सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने फरार आरोपी को घेराबंदी कर दबोच लिया. उसे थाने ला कर सख्ती से पूछताछ की गई. पूछताछ में वह जल्द ही टूट गया और रेखा का सिर कुचल कर हत्या करने की बात कुबूल कर ली.

इस के बाद उस के खिलाफ थाना सिवनी मालवा में आईपीसी की धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.

इस तरह घटना के 24 घंटे के अंदर ही पुलिस टीम को सफलता मिल गई. हत्या का कारण पूछने पर मलखान ने बताया कि वह पिछले कई महीने से छोटीछोटी बातों पर झगड़ने लगी थी. उस की रोजरोज की चिकचिक से वह तंग आ गया था.

इस कारण उस ने शराब भी पहले से अधिक पीनी शुरू कर दी थी. उस ने बताया कि रेखा उसे हमेशा उस के दोस्तों के सामने भी गालियां दे देती थी.

इसी के साथ मलखान ने संदेह जताया कि रेखा ने किसी दूसरे युवक के साथ अवैध संबंध बना लिए थे. हालांकि इस बारे में वह सिर्फ शक ही जता पाया था. इस का कोई सबूत नहीं दे पाया. उस ने अपने बयान में बताया कि उसे यह चिंता होने लगी थी कि रेखा उसे छोड़ कर किसी और के साथ न चली जाए.

घटना के दिन वह शराब के नशे में अपना होश खो बैठा और दरम्यानी रात काफी झगड़ा होने लगा था, जिस से गुस्से में आ कर उस ने पत्थर से सिर पर वार कर दिया था. उस की तुरंत मौत हो जाने के बाद वह घबरा गया था और डर कर मौके से फरार हो गया था.  द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है

50 बोटियों में बंटी झारखंड की रुबिका

झारखंड में आदिवासी बहुल जिला साहिबगंज के बोरियो थाना क्षेत्र  में एक बेला टोला है. देश की राजधानी से 1,384 किलोमीटर दूर यहां के अदिवासी समुदाय के लोग बेहद खुश थे कि उन के समाज की एक महिला अब भारत की राष्ट्रपति हैं. स्कूलकालेज जाने वाली छात्राओं में उत्साह और उमंग का माहौल बना हुआ था. आए दिन वे अपने बेहतर भविष्य की चर्चा करती थीं.

उन्हीं में एक 22 साल की युवती रूबिका पहाड़न थी. वह ईसाई थी, लेकिन बोरियो थाना क्षेत्र के ही फाजिल मोमिन टोला में अपनी मरजी से मुसलिम समाज के दिलदार अंसारी से निकाह कर अपनी दुनिया में खोई हुई थी. खुश थी. रूबिका एक संयुक्त परिवार की बहू थी. उस के गरीब मातापिता और भाईबहन भी खुश थे कि उस का एक बड़े परिवार से नाता जुड़ गया है.

वे बेहद कमजोर जनजातीय समूह पार्टिक्युलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप यानी पीवीटीजी से आते हैं. हालांकि रूबिका मोहब्बत के जाल में फंस कर जिस परिवार की बहू बनी थी, वह भी एक साधारण मुसलिम परिवार ही था, जिन का पुश्तैनी काम कपड़ा बुनने का था, जो सदियों से होता आया है.

किंतु अचानक उन की खुशियों को तब ग्रहण लग गया, जब 17 दिसंबर 2022 की शाम को रूबिका पहाड़न का टुकड़ों में कटा हुआ शव मोमिन टोला स्थित एक पुराने और बंद पड़े मकान में मिला. उस की लाश को दरजनों टुकड़ों में काटा गया था. लाश के टुकड़ों को देख कर कोई भी हत्यारों की हैवानियत का अंदाजा सहज ही लगा सकता था.

रूबिका की बोटीबोटी करने वालों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं. उस के शव की पहचान न हो सके, इस के लिए आरोपियों ने उस की खाल तक उतार दी थी.

शव के बरामद हुए 50 टुकड़ों में दाएं पैर के अंगूठे, कपड़े आदि से ही उस की पहचान हुई. शव के टुकड़े इलैक्ट्रिक कटर जैसे किसी औजार से किए गए जान पड़ते थे. रूबिका का सिर 2 हफ्ते बाद मोमिन टोला के निकट तालाब के पास से बरामद हुआ था. पुलिस ने सभी टुकड़ों की डीएनए जांच के लिए रूबिका की मां और पिता के सैंपल ले लिए थे.

रूबिका की बोटियों में बंटी लाश जब ताबूत में भर कर उस के मातापिता के घर लाई गई थी, तब हर कोई फफकफफक कर रो पड़ा था. मां विलाप करती हुई बोले जा रही थी कि आखिरी विदाई के पहले कोई बेटी का चेहरा तो दिखा दो. पर दरिंदों ने उस का चेहरा तो क्या, शरीर का कोई भी अंग साबूत नहीं छोड़ा था.

रूबिका की लाश के अवशेष को पैतृक गांव के पास गोंडा पहाड़ में गम और गुस्से के बीच दफना दिया गया था. अंतिम संस्कार के वक्त साहिबगंज के उपायुक्त रामनिवास यादव, एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा, प्रखंड विकास पदाधिकारी टूटू दिलीप सहित कई अफसर मौजूद थे.

उसकी हत्या का आरोप पति दिलदार अंसारी और उस के परिवार के लोगों पर लगाया गया. पुलिस ने दिलदार अंसारी, उस के पिता मोहम्मद मुस्तकीम अंसारी, मां मरियम खातून, पहली पत्नी गुलेरा अंसारी, भाई अमीर अंसारी, महताब अंसारी, बहन सरेजा खातून सहित 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस वारदात का मास्टरमाइंड दिलदार का मामा मोइनुल अंसारी बताया गया, जो पुलिस की गिरफ्त से बाहर था.

बोरिया पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (किसी अपराध के सबूतों को गायब करना), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 34 सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य) के तहत गिरफ्तारियां की थीं.

बेला टोला गांव से करीब 12 किलोमीटर दूर गोदा पहाड़ी के एक छोटे से गांव में रूबिका का परिवार रहता है. वहां के कम से कम 30 अन्य परिवार उस के लिए इंसाफ और मुआवजे की मांग कर रहे थे. वे आक्रोश में थे, क्योंकि इस से पहले अगस्त 2022 में भी दुमका जिले के एक मुसलिम युवक द्वारा प्यार के प्रस्ताव को हिंदू छात्रा द्वारा ठुकराने पर कथित तौर पर उसे आग के हवाले कर दिया गया था.

बेला टोला से गोदा पहाड़ी पर स्थित रूबिका को घर तक जाने में 3 किलोमीटर तक चट्टानी पहाड़ी इलाके की चढ़ाई चढ़नी पड़ती थी. यह सामान्य रास्ता नहीं है. उस पहाड़ी से नीचे 12 किलोमीटर दूर बोरिया बाजार है. यह इलाका गुलजार रहता है. यहां लोग जरूरत का सामान खरीदने आते हैं. यह नई उम्र के लड़के और लड़कियों के लिए यह मिलनेजुलने का एक अड्डा भी है.

इस जगह पर ज्यादातर लड़कियां दूसरे लड़कों से मिलती हैं और फिर उन को दिल दे बैठती हैं. नईनई प्रेम कहानियां यहीं पनपती हैं. उन में कुछ सफल हो जाती हैं तो कुछ मामलों में प्रेमी युगल को असफलता भी मिलती है.

बीते साल एक दिन रूबिका अपने लिए कुछ जरूरी सामान खरीदने के लिए उसी बाजार में गई थी. वह जब कपड़े की दुकान पर थी, तब वहां उसके अलावा और कोई नहीं था. अपने लिए एक समीजसलवार का कपड़ा पसंद कर रही थी. दुकानदार कई सेट दिखा चुका था. उस के रंगों को ले कर रूबिका दुविधा में थी.

‘‘भैया, इस में कुछ समझ नहीं आ रहा, पन्नी में है न.’’ रूबिका असमंजस से बोली.

‘‘तो मैं तुम्हें पन्नी खोल कर दिखाऊं? …और नहीं पसंद आया तो उसे दोबारा कौन पैक करेगा? दिखता नहीं ऊपर दीपिका का फोटो लगा है,’’ दुकानदार झिड़कते हुए बोला.

‘‘अरे भैया, फोटो से क्या होता है? कपड़ा भी देखना है न,’’ रूबिका ने जिरह की.

‘‘नहींनहीं, इस का पैक नहीं खोलूंगा… लेना है तो सामने टंगा है उस में से चुन लो.’’

‘‘वो पसंद नहीं आ रहा है, इसी को खोल कर दिखा दो न.’’ रूबिका दुकानदार से मिन्नत करने लगी, लेकिन दुकानदार उस के सामने रखे सभी पैकेट को समेटने लगा. तभी एक युवक वहां आया और उन में से एक पैकेट खोलने लगा.

‘‘अरे, यह क्या करता है भाई, तू कौन है? इसे बगैर पूछे क्यों खोल रहा है?’’ दुकानदार उस से पैकेट झपटता हुआ बोला.

‘‘मैं भी इसी की तरह ग्राहक हूं. बगैर पन्नी से कपड़ा बाहर निकाले कैसे खरीदूंगा, भीतर खराब निकला तो?’’ बोलते हुए युवक ने दुकानदार से पैकट ले कर फटाफट खोल लिया और कपड़े को झट फैला दिया. पैकेट खोलने का तरीका देखती हुई पास ही सकुचाई हुई रूबिका भी अपनी पसंद के कपड़े का पैकेट खोलने लगी.

रूबिका को पैकेट खोलने से दुकानदार रोक नहीं पाया, कारण उस में युवक ने उस की मदद कर दी. दोनों अपनीअपनी पसंद के सलवारसूट पसंद करने लगे. उन्होंने बारीबारी से 3 पैकेट खोल दिए. रूबिका जब कपड़े को अपने कंधे पर रख कर देखने लगी, तब युवक सामने टंगे अंडरगारमेंट्स की ओर इशारा करता हुआ बोला, ‘‘अरे भाई, वह हरे रंग वाला दिखाना. उस में पूरा सेट है क्या?’’

‘‘अब देख उसे मत खोल देना. यहां लेडीज ग्राहक हैं.’’

‘‘अच्छा, चलो ठीक है.’’ युवक बोला.

‘‘तुम्हें अभी तक कोई कपड़ा पसंद नहीं आया?’’ दुकानदार ने रूबिका को टोका.

‘‘अरे यह नीले रंग वाला तुम ले लो, कपड़ा अच्छा है. रंग भी पक्का है.’’ युवक बोला.

‘‘हांहां, यही ले लो. 10 रुपए कम लगा दूंगा.’’ दुकानदार बोला.

‘‘ठीक है दे दो.’’ रूबिका बोली और पर्स में से पैसे गिनने लगी और पूरे छुट्टे पैसे मिला कर उसे दे दिए. लेकिन दुकानदार ने उस के एक रुपए के छोटे सिक्के लेने से मना कर दिया. कहा, ‘‘अरे ये छोटे वाले मैं नहीं लूंगा, चलते नहीं हैं.’’

इस बात पर युवक दुकानदार से बहस करने लगा, ‘‘क्यों नहीं चलते, यह भी तो सरकार के हैं.’’

खैर, किसी तरह से सिक्के का मामला निपटा. उस युवक ने भी कुछ कपड़े खरीदे.

रूबिका जब कपड़े ले कर जाने लगी, तब युवक ने उस से उस के गांव का नाम पूछा. रूबिका द्वारा गांव का नाम बताते ही वह चहक उठा, ‘‘अरे मैं भी तो वहीं पास के बेल टोला में रहता हूं. मुझे कभी नहीं देखा?’’

‘‘कैसे देखती, तुम्हारे आनेजाने का रास्ता अलग है. हमें पहाड़ी चढ़नी होती है.’’

‘‘अच्छा चलो, मेरे पास बाइक है. तुम्हें छोड़ता हुआ अपने घर चला जाऊंगा.’’ युवक बोला, ‘‘वैसे तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘रूबिका.’’

‘‘ईसाई हो?’’

‘‘नहीं आदिवासी. चर्च जाती हूं. वहीं पढ़ती हूं.’’ रूबिका बोली.

‘‘तुम तो हाजिरजवाब हो. मेरा नाम दिलदार है और दिलदार हूं भी. किसी की समस्या में टांग अड़ा देता हूं. मदद करना मेरे खून में है. जैसे आज मैं ने की तुम्हारे साथ कपड़े खरीदने में.’’ युवक बोला.

इस तरह से दिलदार और रूबिका की पहली जानपहचान जल्द ही दोस्ती में बदल गई. वे अकसर मिलने लगे. दिलदार उस पर पैसे भी खर्च भी करने लगा. उन के बीच कब प्यार हो गया, उन्हें भी पता नहीं चला.

लेकिन दिलदार और रूबिका के बीच का रिश्ता बदकिस्मती भरा था. कारण, वह न केवल शादीशुदा था, बल्कि एक बेटे का बाप भी था. उन के बीच 15 साल की उम्र का भी अंतर था. वैसे रूबिका की भी 5 साल पहले शादी हो चुकी थी और उस की भी एक बेटी थी.

जब रूबिका ने अपने मातापिता और बड़ी बहन शीला से दिलदार से शादी करने का जिक्र किया, तब घर में हंगामा खड़ा हो गया. ऐसा ही हाल दिलदार के घर में हुआ. उस की मां बिफरती हुई बोली, ‘‘अपनी जात में लड़की मर गई है, जो आदिवासी से शादी करेगा. और पहली बीवी में क्या कमी है?’’

दोनों के घर वालों को किसी भी सूरत में उन का रिश्ता पसंद नहीं था. वे उन के घोर विरोधी बन गए थे. जब रूबिका ने अपने परिवार का विरोध जताते हुए अपना फैसला किया कि वह अपने गांव का घर छोड़ कर बेल टोला में रहने चली जाएगी, तब परिवार वाले उस की बात मानने को तैयार हो गया.

उधर दिलदार ने भी अपने परिवार को धमकी दी कि उस की रूबिका से शादी नहीं हुई तो वह बीवीबच्चों को छोड़ कर दूसरे किसी बड़े शहर में चला जाएगा.

और फिर उन की जिद के आगे दोनों के घर वालों को झुकना पड़ा. दिलदार के साथ रूबिका का नया रिश्ता बन गया. वह अपनी ससुराल चली गई, लेकिन परिवार में उसे चाहने वाला दिलदार के अलावा और कोई नहीं था. जब कभी ससुराल में कोई कुछ कहता, तब वह वही कपड़े पहन लेती, जो दिलदार ने पहली मुलाकात में पसंद किए थे.

दिलदार भी उसे नीली कुरती में देख कर समझ जाता था कि घर के किसी सदस्य ने जरूर उस के दिल को ठेस पहुंचाई है.

जल्द ही दिलदार के भरेपूरे परिवार में रूबिका एकदम अकेली पड़ गई थी. यहां तक कि उसे ले कर अंसारी समुदाय के लोग भी उस पर दबेछिपे फब्तियां कस देते थे कि वह उस के समाज की नहीं है…हिंदू भी नहीं है, ईसाई है. दिलदार को छोड़ कर सभी ने उन के रिश्ते को मानने से इनकार कर दिया था.

नतीजा यह हुआ कि दिलदार ने रूबिका को मातापिता और पत्नी के साथ अपने घर में नहीं रहने दिया. इस के बजाय, उस ने उसे उसी गांव में एक कमरे की एक छोटी सी झोपड़ी में रख लिया.

इसे ले कर रूबिका के घर वाले नाखुश थे कि दिलदार उन की बेटी की इज्जत नहीं कर रहा. दिसंबर, 2022 की शुरुआत में उन्होंने बोरिया पुलिस से संपर्क करते हुए हस्तक्षेप की मांग की थी.

पुलिस ने दिलदार और उस के घर वालों पर दबाव बनाया और उन के बीच समझौता करवा दिया.

उसके बाद दिलदार रूबिका को अपने घर ले गया. इस के कुछ ही दिन बाद पुलिस ने उस के शरीर के टुकड़े बरामद किए.

रूबिका के घर वालों को सब से पहले दिलदार ने ही इस बारे में सूचना दी थी कि वह गायब है. उस की इस सूचना के आधार पर ही पुलिस ने तलाशी अभियान शुरू किया था. आखिरकार 17 दिसंबर, 2022 को एक गुप्त सूचना मिली. फिर उस ने एक आंगनबाड़ी के पीछे से एक अंग बरामद किया. इस की पहचान दिलदार ने ही की.

रूबिका की आखिरी बार अपनी बहन से 16 दिसंबर, 2022 की सुबह बात हुई थी. उन्होंने अपनी मां की तबीयत के बारे में विस्तार से बातें की थीं. रूबिका की लाश का पहला टुकड़ा मिलने के बाद 48 घंटे से अधिक समय तक पहाड़ी इलाकों में तलाशी का अभियान चलाया गया. करीब 100 मीटर दूर स्थित उस मकान में ज्यादातर टुकड़े मिले, जो पिछले 2-3 साल से खाली पड़ा था.

लाश की शिनाख्त की जाने लगी. उसी रोज सिर को छोड़ कर शरीर के सभी हिस्सों को बरामद कर लिया गया. रूबिका की बहन शीला पहाड़न ने तुरंत पहचान लिया कि जबड़े के हिस्से, अंग और बड़े करीने से नेल पौलिश लगे हाथ के नाखून उस के ही थे. यहां तक कि वही नीली कुरती देख कर शीला ने रूबिका की लाश होने की बात स्वीकार कर ली.

पहचान से बचने के लिए रूबिका के शरीर को बुरी तरह क्षतविक्षत कर दिया गया था. एक पुलिस अधिकारी के अनुसार बाद में सिर मिला जरूर, लेकिन उस का चेहरा कुचला हुआ था. केवल जबड़ा और बालों का एक गुच्छा पाया गया.

लगभग 4 दरजन टुकड़ों में मिली रूबिका की लाश देख कर प्रदेश के लोगों में गुस्से का उफान आ गया. लोग विरोध प्रदर्शन कर आरोपी को फांसी की सजा दिए जाने की मांग कर रहे थे. लोगों का आक्रोश देख कर पुलिसप्रशासन के भी हाथपांव फूल गए थे.

कथा लिखे जाने तक पुलिस ने दिलदार समेत उस के परिवार के 10 सदस्यों को गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन इस हत्या में उन की भूमिका पर कोई विशेष बात पता नहीं चल पाई थी.

दिलदार ने रूबिका के परिवार को उस के लापता होने की सूचना दी थी. उस ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि जिस दिन रूबिका की हत्या हुई, उस दिन वह काम के सिलसिले में पश्चिम बंगाल में था.

इस वारदात की तहकीकात में पुलिस ने दिलदार की मां पर रूबिका की हत्या की साजिश रचने और उस के मामा मोइनुल अंसारी द्वारा उस के शरीर के टुकड़ेटुकड़े करने का संदेह जताया है.

मामले में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार, दिलदार की मां मरियम, रूबिका को बोरिया पुलिस थाने से 500 मीटर दूर स्थित फाजिल बस्ती में अपने भाई मोइनुल अंसारी के घर ले गई थी. फिर वहीं पर उस की हत्या की गई थी. मरियम ने कथित तौर पर लाश को ठिकाने लगाने के लिए मोइनुल को 20 हजार रुपए दिए थे.

पुलिस ने गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया.     द्य

आशिकी में दिखी आस

बिहार में भोजपुर जिले की पुलिस ने 14 नवंबर, 2022 की देर रात 2 बजे के करीब सोहरा गांव से एक लाश बरामद की थी. लाश एक युवक की थी, जिस के शरीर पर चोट के कई निशान थे.

सुबह होने पर उस की पहचान 25 वर्षीय चंदन तिवारी के रूप में हुई, जो उस गांव का रहने वाला नहीं था. उस के बारे में पुलिस द्वारा गांव वालों से पूछताछ करने पर पर मालूम हुआ कि वह करीब 35 किलोमीटर दूर गांव धमवल का रहने वाला था, लेकिन इन दिनों वह बनारस में रह रहा था.

उस की लाश जहां पाई गई थी, उस के पास का एक घर में धमवल गांव की रहने वाली रूबी देवी की ससुराल थी. उस की शादी राजू पासवान से साल 2018 में हुई थी.

रूबी गुलाब पासवान की बेटी है. मृतक चंदन की बाइक रूबी की ससुराल के पास ही झाड़ी से बरामद की गई थी. फिर क्या था, संदेह के आधार पर पुलिस ने रूबी देवी और उस की ससुराल वालों को पूछताछ के लिए कृष्णागढ़ थाने ले आई.

घटना की जानकारी एसएचओ अरविंद कुमार के नेतृत्व में जुटाई गई. मृतक के शरीर पर जख्म के कई निशान पाए गए. मामला पूरी तरह से हत्या का था, इसलिए पुलिस ने लाश फोरैंसिक जांच कराने के बाद पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय आरा के अस्पताल में भेज दी. साथ ही चंदन तिवारी के घर वालों को भी थाने बुला कर जांच का सिलसिला आगे बढ़ाया.

उन से पूछताछ में पता चला कि चंदन तिवारी उत्तर प्रदेश के बनारस शहर में एक आचार्य के साथ रह कर पूजापाठ का काम करता था. वहीं पढ़ाई भी कर रहा था. परिवार में चंदन अपने भाई दिलीप, अंजनी और 2 बहनों से छोटा था. गांव की रहने वाली रूबी से उस की बचपन से जानपहचान थी. वह साधारण कद और सामान्य रूपरंग की युवती थी.

चंदन के घर वालों के मुताबिक वह बनारस से 14 नवंबर, 2022 को जन्मदिन में शामिल होने के लिए बाइक से निकला था. उसे सोहरा गांव के दोस्त ने बुलाया था. दरअसल, रूबी के पति राजू पासवान से उस की पुरानी जानपहचान थी. रात के अंधेरे में वह रूबी की ससुराल कैसे पहुंचा, इस बारे में पुलिस ने रूबी से पूछताछ की.

रूबी ने भी यह स्वीकार कर लिया कि उस की चंदन से पुरानी जानपहचान ही नहीं थी, बल्कि वह उस का पूर्व प्रेमी था. इसी के साथ उस ने बताया कि अब उस के संबंध खत्म हो चुके हैं. शादी के बाद से वह उस से कभी भी मिलना नहीं चाहती थी. वही उस से मिलने को बेचैन रहता था. घटना के दिन भी वह उस से मिलने आया था.

चंदन और रूबी अलगअलग जाति के थे. उन के बीच सामाजिक तो क्या पारिवारिक मेल तक नहीं बैठने वाला था. इस कारण वे एकदूसरे से प्रेम करने के बावजूद शादी करने के लिए परिजनों से बात तक नहीं कर पाए, किंतु उन के बीच बचपन में पनपा प्रेम कितना गहरा बना हुआ था, इस बारे में रूबी कुछ भी बताना नहीं चाहती थी. जबकि लोगों से पता चला कि रूबी शादी के बाद भी पुराने प्रेम को नहीं भूल पाई थी.

सख्ती से पूछताछ करने के बाद उस ने चंदन की हत्या करने की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार है—

बात साल 2018 के मई महीने की है. धमवल गांव में रूबी के घर बारात आने वाली थी. शादी से एक सप्ताह पहले बाजार से लौट रही रूबी को गांव के युवक चंदन ने बीच राह रोक लिया. रूबी तपाक से बोल पड़ी, ‘‘अब हमारी शादी होने वाली है, ऐसे अकेले में मत रोकाटोका करो…’’

‘‘क्यों न रोकूंटोकूं… तुम्हारी शादी होने वाली है तो अब मैं गैर बन गया?’’ चंदन ने भी उसी लहजे में जवाब दिया.

‘‘बात समझो. हमारी और तुम्हारी जाति अलग है और हम गरीब परिवार के हैं, जरा सी बात पर हमारी इज्जत पर बन आती है,’’ रूबी बोली.

‘‘…और हमारी इज्जत नहीं है क्या?’’ चंदन बोला.

‘‘तुम्हारा तो हमारे से अधिक मानसम्मान है समाज में. तुम्हें हम से अच्छी और एक से बढ़ कर एक लड़की मिल जाएगी,’’ रूबी समझाने की कोशिश करने लगी.

‘‘कुछ भी हो, हम तुम्हें अपने दिल से नहीं निकाल सकते,’’ कहते हुए चंदन ने रूबी का हाथ पकड़ लिया, जबकि रूबी एक झटके के साथ हाथ छुड़ा कर जाने लगी, ‘‘मेरा हाथ मत पकड़ो, तुम्हारे साथ मेरा कोई मेल नहीं है, समझे?’’

‘‘कुछ भी हो, मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाला…’’ चंदन तैश में बोला.

‘‘देखो, शादी के दिन कोई हरकत नहीं कर बैठना,’’ रूबी नाराजगी दिखाती हुई बोली.

‘‘अरे, उस रोज तो देखना तमाशा होगा… तमाशा. पूरी दुनिया देखेगी हमारातुम्हारा तमाशा,’’ कहते हुए चंदन ने अपनी बाइक स्टार्ट कर ली.

‘‘दारू पी कर तो आना ही मत. दारू बंद है. हंगामा करोगे तुम और पुलिस पकड़ेगी हमारे घर वालों को,’’ रूबी डांटती हुई बोली.

कुछ पल बाद भावुक हो कर चंदन बोला, ‘‘मैं तुम्हें एक बार अपनी बाहों में पाना चाहता हूं.’’

रूबी उस की बात सुन कर स्तब्ध रह गई. उस की मंशा सुन कर डर गई. सोच में पड़ गई इस बारे में किस से बात करे? किसी को उस की बात बताए या नहीं?

शादी के ठीक एक दिन पहले उसे मालूम हुआ कि चंदन बनारस चला गया है. शादीब्याह का लगन तेज होने के कारण उसे बनारस के एक आचार्य ने अपने साथ रख कर पूजापाठ और विवाह आदि का विधिविधान सिखाने के लिए बुलाया था.

आचार्य उस के पिता दयाशंकर तिवारी के जानने वाले थे, इसलिए उन्होंने चंदन को उन के पास भेज दिया था. रूबी ने यह जान कर राहत की सांस ली. वह निश्चिंत हो गई कि उस की धमकी के अनुसार शादी के दिन उस की तरफ से कोई हंगामा नहीं होगा.

जैसा रूबी ने सोचा था वही हुआ. उस की शादी शांति से संपन्न हो गई और वह अपनी ससुराल आ कर रहने लगी. एक साल के दरम्यान उस का मायके भी आनजाना हुआ, लेकिन चंदन से उस की मुलाकात नहीं हुई. हां, सहेलियों से मालूम हुआ कि वह गांव कभीकभार आताजाता रहता है.

किंतु यह क्या मायके से विदा होने की सुबहसुबह ही चंदन उस के दरवाजे पर आ धमका था. एकदम शांत था. उस ने पति राजू पासवान से मुलाकात की. उस का हालचाल लिया. दोनों ने दोस्ती का हाथ मिलाया. एकदूसरे का मोबाइल नंबर लिया और चला गया.

दिन, सप्ताह और महीने साल बीतते गए. इसी में कोरोना काल भी आया. चंदन अपने कामकाज में व्यस्त हो गया, लेकिन उस के जेहन में रूबी बसी रही.

उस का कारण था कि वह जब भी अपने गांव आता, रास्ते में पहले रूबी की ससुराल का गांव आता था. वहां से गुजरते हुए उस का प्रेम ताजा हो जाता था. अपने गांव आतेआते उस का पुराना प्रेम लहलहा उठता था, लेकिन रूबी के ससुराल में होने की जानकारी मिलते ही बेचैन हो जाता था.

एक दिन चंदन जब अपने गांव में था, तब उसे मालूम हुआ कि रूबी को उस का पति सताता है. वह शराब के नशे में उस की पिटाई तक कर देता है. यह जानकारी झूठी भी हो सकती थी, लेकिन चंदन इस की पुष्टि रूबी से मिल कर करना चाहता था. उस के पास रूबी का मोबाइल नंबर भी नहीं था, जो उस से बात कर पाता. इस कारण वह मन मसोस कर रह गया था.

उन्हीं दिनों उस का एक शादी समारोह में जाना हुआ. वहीं रूबी का पति राजू पासवान भी आया हुआ था. उस ने शराब पी रखी थी. लड़खड़ाता हुआ एक कुरसी पर बैठ गया. चंदन उसे नशे में धुत देख कर समझ गया कि उस ने रूबी के सताने के बारे में जो कुछ सुना है, वह गलत नहीं हो सकता. पहले तो चंदन ने प्यार से पूछा, ‘‘इस प्रोग्राम में रूबी भी आई है क्या?’’

‘‘तुम्हें रूबी से क्या मतलब? अच्छा उस की याद सता रही है, अब भूल जाओ अपनी आशिकी को वरना…’’ राजू लड़खड़ाती आवाज में बोला.

चंदन समझ गया कि राजू को उस के और रूबी के प्रेम संबंधों के बारे में मालूम हो गया है. कुछ देर वह शांत बना रहा, फिर बोला, ‘‘तुम ने शराब पी है और नशे में धमकी दे रहा है. मुझे सब पता है, तुम रूबी को मारतेपीटते भी हो…’’

‘‘मैं उसे मारूं या पीटूं, कुछ भी करूं उस के साथ, तुम कौन होते हो बीच में टांग अड़ाने वाले? कल का यार था उस का, अब नहीं है. समझा रे पंडित, हरामजादा आशिक कहीं का.’’ राजू नशे में धुत था और वह चंदन की हर बात का जवाब गालियों से देने लगा था.

चंदन को भी गुस्सा आ गया, उस ने भी गुस्से में कहा, ‘‘हां, हूं मैं रूबी का प्रेमी, लेकिन तुम्हारी तरह हरामी की औलाद नहीं जो बीवी की इज्जत न करूं. अगर तूने उस के साथ आगे मारपीट की, तब मैं तुझे गोली मार दूंगा.’’

उन के बीच बात इतनी अधिक बढ़ गई कि दोनों हाथापाई पर उतर आए. कहीं से चंदन के हाथ रसोई में सब्जी काटने वाला चाकू हाथ लग गया. उस ने गुस्से में राजू पर वार कर दिया.

चाकू मजबूत था और वार तेज, नतीजा राजू का हाथ जख्मी हो गया. उन के झगड़े को शांत करने के लिए पुलिस को आना पड़ा. राजू को नशे की हालत में पा कर उसे थाने ले आई. उस पर शराबबंदी के नियम के मुताबिक मुकदमा दर्ज कर लिया गया, जबकि चंदन पर भी हथियार से वार कर उसे घायल करने की धाराएं लगा दी गईं.

किसी तरह से उन के घर वालों ने थाने में उन के बीच सुलह करवा दी. पुलिस ने भी उन के बीच समझौता करवा कर मामले को वहीं खत्म कर दिया. किंतु राजू और चंदन के बीच एक दुश्मनी की तलवार खिंच गई थी.

अगले दिन ही राजू ससुराल से रूबी को ले कर अपने गांव लौट गया था. उन के जाते समय चंदन ने दोनों से मुलाकात की थी. राजू से उस रोज की घटना पर एक बार फिर सौरी बोला और हाथ मिलाया. रूबी से कुछ नहीं बोला.

रूबी के ससुराल जाने के बाद चंदन ने उस से फोन पर बात की और उसे राजू के साथ हुई मारपीट की घटना के बारे में विस्तार से बताया. रूबी ने सिर्फ इतना कहा कि वह उसे उस के हाल पर छोड़ दे. वह एक बच्चे की मां है.

उस के बाद ही पहली बार मार्च 2020 में कोरोना का लौकडाउन लग गया. चंदन की पढ़ाई से ले कर पूजापाठ का काम भी ठप हो गया. वह बनारस से गांव आ गया. वहां रूबी की याद सताने लगीं, तब वह दोबारा बनारस चला गया. बीच में रूबी से फोन पर बात कर लेता था.

रूबी उस से इसलिए भी बात कर लेती थी क्योंकि वह उस के मायके का था. उसे चंदन के जरिए गांव में उस के परिवार वालों का भी हालचाल मालूम हो जाता था.

बीते साल 2022 के सितंबर में रूबी को चंदन के जरिए ही मालूम हुआ कि मायके में उस के परिवार और चंदन के परिवार के बीच जमीन को ले कर झगड़ा हो गया. मामला थानापुलिस और कोर्टकचहरी तक जा पहुंचा है. रूबी यह जान कर चिंतित हो गई.

उसे समझाते हुए चंदन बोला कि वह उस बारे में मिल कर ही समझा सकता है कि विवाद में दोषी कौन है? झगड़ा किस बात की है? चंदन का कहना था कि दोनों परिवार बेवजह झगड़ रहे हैं. गांव में पंचायत कर मामला आपस में सुलझाया जा सकता है. इसी के साथ उस ने बताया कि छठ के मौके पर वह गांव जाएगा, तब इस मामले को सुलझा देगा.

चंदन 14 नवंबर की शाम को बाइक से अपने गांव की ओर निकला था. उस ने अपने दादा को फोन पर ही बताया था कि गांव में पहले अपने कुछ दोस्तों के यहां जन्मदिन की पार्टी में शमिल होगा.

लेकिन रास्ते में उसे न जाने क्या सूझी कि उस ने पहले रूबी से मिलने की सोची. पहले उस ने फोन पर उस से बात की. मालूम हुआ कि घर के लोग किसी शादी समारोह में गए हैं. चंदन अपने गांव जाने से पहले रूबी की ससुराल जा पहुंचा.

उस रोज चंदन के हावभाव से ऐसा लग रहा था, मानो उस का दिमाग तेजी से चल रहा हो. कई बातें एक साथ उमड़घुमड़ रही हों. अपनी बाइक उस ने रूबी की ससुराल के पास झाडि़यों में छिपा दी थी.

लोगों की नजरों से छिपताछिपाता हुआ चंदन जब वह अचानक रूबी की ससुराल पहुंचा तो वह चौंक पड़ी. उस ने झट से उस का हाथ खींच कर कमरे में कर लिया. फिर किवाड़ों को भिड़ा कर बोली, ‘‘यहां क्यों आए हो, कोई देख लेगा तो अनर्थ हो जाएगा. तुम अभी के अभी यहां से चले जाओ.’’

‘‘अभी तुरंत कैसे चला जाऊं? कम से कम एक गिलास पानी तो पिला दो, प्यास लगी है,’’ चंदन बोला.

‘‘लाती हूं.’’ बोलती हुई रूबी नीचे आंगन के पास रसोई में गई. तभी बगल के कमरे से उस की ददिया सास की आवाज आई, ‘‘ऊपर कौन गया है, लगता है चोर है.’’

‘‘दादी कोई नहीं, मैं ही तो हूं.’’ रूबी बोली.

‘‘बाहर वाला दरवाजा ठीक से बंद कर ले.’’

‘‘जी अच्छा,’’ रूबी बोली और पानी का गिलास ले कर अपने कमरे में जाने के लिए सीढि़यां चढ़ने लगी. 3-4 सीढ़ी ही चढ़ पाई थी कि उस के ससुर की आवाज आई, ‘‘बहू बाहर का दरवाजा ऐसे खुला छोड़ती हो, रात हो चुकी है, कुत्ताबिल्ली घुस आएगा अांगन, रसोई में…’’

अपने ससुर की आवाज सुन कर रूबी समझ गई कि घर के लोग शादी से वापस लौट आए हैं. वह घबरा गई. भाग कर कमरे में गई. वहां पहले से चंदन था. उस ने पानी का गिलास पकड़ाया और जल्दी से पी कर चले जाने को कहा.

तब तक रूबी का पति राजू और देवर भी आ गए. जैसे ही चंदन कमरे से बाहर निकला, राजू अपने कमरे के सामने आ चुका था. हल्की रोशनी में चंदन का चेहरा देखते ही बोल पड़ा, ‘‘अरे कमीना, तू यहां भी आ पहुंचा?’’

दौड़ कर उस ने चंदन का हाथ पकड़ लिया, लेकिन चंदन हाथ छुड़ाता हुआ छत की थोड़ी जगह में इधरउधर भागने लगा. अंत में जब भागने का कहीं रास्ता नहीं मिला, तब दूसरी मंजिल पर चढ़ कर वहां से नीचे कूद गया.

तब तक राजू ने चोरचोर का शोर मचा दिया. तुरंत परिवार के सदस्य समेत गांव के कुछ लोग लाठीडंडों के साथ घर के बाहर जमा हो गए.

घर के पिछवाड़े झाडि़यों में गिरा चंदन जख्मी हो गया था. वह उठ नहीं पा रहा था. इसी बीच लोगों ने उसे देख लिया और उस पर लाठीडंडों की बरसात कर दी.

लाठियां चंदन के शरीर पर कहांकहां लगीं, किसी ने नहीं देखा. जब वह बेजान हो गया, तब सभी अपने अपने घर की ओर लौट गए. राजू ने भी घर आ कर रूबी की खूब खैरखबर ली. घटना के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई कि एक चोर मारा गया.

इस की सूचना शाहपुर थाने को भी मिल गई. पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस को मृतक चंदन तिवारी के दादा शिवजी तिवारी ने बताया कि वह धमवल के भुवनेश्वर पासवान, मुटन पासवान, गुड्डू पासवान और बिहारी पासवान ने उन के पोते को बर्थडे पार्टी में चलने के लिए बुलाया था. वह यहां कैसे पहुंच गया, नहीं मालूम.

इसी के साथ उन्होंने रूबी के परिवार वालों पर उस की हत्या करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि धमवल गांव में उस के और रूबी के परिवार वालों के बीच जमीन का भी विवाद चल रहा था. हो न हो रूबी ने उसे उस की हत्या करवाने के इरादे से यहां बुलवाया हो. उन्होंने चंदन और रूबी के बीच प्रेम संबंध की बात को गलत बताया.

चंदन की पीटपीट कर हत्या के मामले में पुलिस ने रूबी देवी के साथ उस के पति राजू पासवान, देवर सचिन पासवान और ससुर वीर बहादुर पासवान सहित 7 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस ने रूबी, राजू पासवान, सचिन पासवान और वीर बहादुर पासवान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. उन के साथ जेल जाने वालों में ढाई साल का एक बच्चा भी था.

ढाई वर्षीय बच्चा अपनी मां के बगैर नहीं रह सकता था, इसलिए आरोपी रूबी देवी के साथ वह भी जेल भेजा गया, वैसे रूबी 8 माह की गर्भवती भी थी.  द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

चरित्रहीन कंचन : क्यों उसने सारी हदें पार की

रामकुमार की जानकारी में अपनी पत्नी कंचन की कुछ ऐसी बातें आई थीं, जिस के बाद कंचन उस के लिए अविश्वसनीय हो गई थी. बताने वाले ने रामकुमार को यह तक कह दिया, ‘‘कैसे पति हो तुम, घर वाली पर तुम्हारा जरा भी अकुंश नहीं. इधर तुम काम पर निकले, उधर कंचन सजधज कर घर से निकल जाती है. दिन भर अपने यार के साथ ऐश करती है और शाम को तुम्हारे आने से पहले घर पहुंच जाती है.’’

रामकुमार कंचन पर अगाध भरोसा करता था. पति अगर पत्नी पर भरोसा न करे तो किस पर करे. यही कारण था कि रामकुमार को उस व्यक्ति की बात पर विश्वास नहीं हुआ. वह बोला, ‘‘हमारी तुम्हारी कोई नाराजगी या आपसी रंजिश नहीं है, मैं ने कभी तुम्हारा बुरा नहीं किया. इस के बावजूद तुम मेरी पत्नी को किसलिए बदनाम कर रहे हो, मैं नहीं जानता. हां, इतना जरूर जानता हूं कि कंचन मेकअपबाज नहीं है. शाम को जब मैं घर पहुंचता हूं तो वह सजीधजी कतई नहीं मिलती.’’

‘‘कंचन जैसी औरतें पति की आंखों में धूल झोंकने का हुनर बहुत अच्छी तरह जानती हैं.’’ उस व्यक्ति ने बताया, ‘‘तुम्हें शक न हो, इसलिए वह मेकअप धो कर घर के कपड़े पहन लेती होगी.’’

रामकुमार को तब भी उस व्यक्ति की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. वह उस का करीबी था, इसलिए उस ने उसे थोड़ा डांट दिया.

रामकुमार ने उस शख्स को डांट जरूर दिया था, लेकिन उस के मन में यह भी खयाल आया कि कोई इतनी बड़ी बात कह रहा है तो वह हवा में तो कह नहीं रहा होगा. उस ने खुद देखा होगा या उस के पास कोई ठोस सबूत या गवाह होगा. वैसे भी धुंआ वहीं उठता है, जहां आग लगी होती है. लिहाजा वह बेचैन हो गया. उस ने सोचा कि अपनी तसल्ली के लिए वह इस बारे में कंचन से बात जरूर करेगा.

घर पहुंचतेपहुंचते रामकुमार ने कंचन से उक्त संदर्भ में बात करने का इरादा बदल दिया. इस के पीछे कारण यह था कि कोई भी औरत अपनी बदचलनी स्वीकार नहीं करती तो कंचन कैसे कर लेगी. इसीलिए उस ने स्वयं मामले की असलियत का पता लगाने का फैसला कर लिया.

पत्नी के चरित्र को ले कर रामकुमार तनाव में था. उस का वह तनाव चेहरे और आंखों से साफ झलक रहा था. एक दिन कंचन ने उस से पूछा भी, लेकिन रामकुमार ने टाल दिया, बोला, ‘‘मन ठीक नहीं है.’’

‘‘तुम्हारी दवा घर में रखी तो है, पी लो. जी भी ठीक हो जाएगा और चैन की नींद भी सो जाओगे.’’ वह बोली.

तनाव की अधिकता से रामकुमार का सिर फट रहा था. सिर हलका करने और चैन से सोने के लिए उसे स्वयं भी शराब की तलब महसूस हो रही थी. इसलिए वह कंचन से बोला, ‘‘ले आओ.’’

कंचन ने शराब की बोतल, पानी, नमकीन और एक गिलास ला कर पति के सामने रख दिया. रामकुमार ने एक बड़ा पैग बना कर हलक में उड़ेला और सोचने लगा कि कल उसे क्या करना चाहिए.

उत्तर प्रदेश के जनपद जौनपुर के गांव गोहानी में रहता था शंभू सिंह. शंभू सिंह के परिवार में पत्नी पार्वती के अलावा एक बेटा कुलदीप और एक बेटी कंचन थी. कुलदीप पंजाब में रह कर काम करता था. उस की पत्नी गांव में रहती थी.

शंभू सिंह खेतिहर मजदूर था. कमाई कम थी, इसलिए घरपरिवार में किसी न किसी चीज का सदैव अभाव बना रहता था. सुंदर व चुलबुली कंचन मामूली चीजों तक को तरसती रहती थी.

पिता की कमाई कम थी और खर्च अधिक, इसलिए निजी जरूरतें और शौक पूरा करने के लिए कंचन को घर से वांछित रुपए मिल नहीं  सकते थे. इसीलिए वह कभी कोई चीज खाने को तरसती, कभी किसी को अच्छे कपड़े पहने देख ललचाती तो कभी सोचती कि सजनेसंवरने का सामान कैसे खरीदे.

किशोर उम्र की लड़कियों की मानसिकता समझने और उन से लाभ उठाने वालों की दुनिया में कोई कमी नहीं है. गोहानी गांव में भी कुछ ऐसे ठरकी थे. उन्होंने कंचन का लालच समझा तो वह उसे रिझाने लगे. खिलानेपिलाने या कुछ सामान दिलाने के नाम पर वह कंचन के साथ अश्लील हरकत करते.

कुछ समय में ही कंचन समझ गई कि कोई यूं मेहरबान नहीं होता. जो पैसा खर्च करता है, उस के एवज में कुछ चाहता भी है. वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों की इच्छाएं पूरी करने लगी. परिणाम यह हुआ कि कंचन कुछ ही दिनों में पूरे गांव में बदनाम हो गई.

बात पिता शंभू सिंह और मां पार्वती तक पहुंची तो उन्होंने अपना सिर पीट लिया कि बेटी है या आफत की परकाला. छोटी सी उम्र में इतने बड़े गुल खिला रही है. दोनों ने कंचन को खूब मारापीटा, मगर कंचन ने अपनी राह नहीं बदली.

शंभू सिंह और पार्वती जब सारी कोशिश कर के हार गए तब उन्होंने सोचा कि कंचन की जल्द शादी कर के उसे ससुराल भेज दिया जाए, तभी थोड़ीबहुत इज्जत बची रह सकती है.

इस फैसले के बाद शंभू सिंह ने कंचन के लिए वर की तलाश शुरू कर दी. जल्द ही एक अच्छा रिश्ता मिल गया. प्रतापगढ़ जनपद के गांव धर्मपुर निवासी राजेश पटेल से कंचन का रिश्ता तय हो गया. 12 वर्ष पूर्व कंचन का विवाह राजेश पटेल से हो गया.

कंचन को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब किसी और की जरूरत नहीं थी. पति राजेश उस की हर जरूरत पूरी करता था. कालांतर में कंचन ने 2 बेटियों को जन्म दिया.

धीरेधीरे कंचन और राजेश में मतभेद रहने लगे, जिस वजह से उन के बीच वादविवाद होता था. यह वादविवाद कभीकभी विकराल रूप धारण कर लेता था. कंचन को अब अपनी ससुराल काटने को दौड़ती थी. उस का वहां मन नहीं लगता था.

इसी बीच कंचन की मुलाकात रामकुमार दुबे से हो गई. रामकुमार दुबे कन्नौज के गुरसहायगंज का रहने वाला था. 10 सालों से वह हरदोई जिले में रहने वाली अपनी बहन मिथलेश की ससुराल में रहता था. काम की तलाश में वह प्रतापगढ़ आ गया. यहीं पर उसे कंचन मिल गई.

पहली मुलाकात हुई तो उन के बीच बातें हुईं. दोनों की यह मुलाकात काफी अच्छी रही. दोनों ने एकदूसरे को अपना नंबर दे दिया. इस के बाद तो उन की मुलाकातों का सिलसिला चल निकला. फोन पर भी बातें होने लगीं. कुछ ही दिनों में दोनों इतने करीब आ गए कि शादी कर के साथ रहने की सोचने लगे.

दोनों ने साथ रहने का फैसला लिया तो कंचन अपनी ससुराल छोड़ कर उस के पास आ गई. रामकुमार ने साथ रहने के लिए कंचन के कहने पर पहले ही जौनपुर के भुईधरा गांव में जमीन ले कर 2 कमरों का मकान बनवा लिया था. दोनों शादी कर के यहीं रहने लगे. यह 8 साल पहले की बात है. 4 साल पहले कंचन ने एक बेटे को जन्म दिया.

लेकिन अभावों ने कंचन का यहां भी पीछा न छोड़ा. रामकुमार की भी कमाई अधिक नहीं थी. घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चलता था. कंचन की मुश्किलें बढ़ने लगीं तो उस ने इधरउधर देखना शुरू कर दिया. उसे ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो उस की जरूरतों पर पैसा खर्च कर सके. इस खेल की तो वह पुरानी खिलाड़ी थी.

उस की तलाश रामाश्रय पटेल पर जा कर खत्म हुई. रामाश्रय जौनपुर के मुगरा बादशाहपुर थाना क्षेत्र के बेरमाव गांव का निवासी था. बेरमाव पंवारा थाना क्षेत्र की सीमा से सटा गांव था. रामाश्रय दिल्ली में रह कर किसी फैक्ट्री में काम करता था. कुछ दिनों बाद वह घर आता रहता था. रामाश्रय विवाहित था और उस के 3 बच्चे भी थे. लेकिन उस की अपनी पत्नी से नहीं बनती थी.

रामाश्रय भुईधरा गांव आता रहता था. इसी आनेजाने में उस की मुलाकात कंचन से हो गई थी. कंचन जान गई थी कि रामाश्रय आर्थिक रूप से काफी मजबूत है. कंचन और रामाश्रय की मुलाकातें होने लगीं. इन मुलाकातों में कंचन ने रामाश्रय के बारे में काफी कुछ जान लिया.

वह यह भी जान गई कि रामाश्रय की अपनी पत्नी से नहीं बनती. यह जान कर वह काफी खुश हुई, उस का काम आसान जो हो गया था. पत्नी से परेशान मर्द को बहला कर अपने पहलू में लाना आसान होता है, यह कंचन बखूबी जानती थी.

कंचन ने अब रामाश्रय को अपने लटकेझटके दिखाने शुरू कर दिए. रामाश्रय भी कंचन के नजदीक आ कर उसे पाने की चाहत रखता था. कंचन के लटकेझटके देख कर वह भी समझ गया कि मछली खुद शिकार होने को आतुर है. वह भी कंचन पर अपना प्रभाव जमाने के लिए खुल कर उस पर अपना पैसा लुटाने लगा.

कंचन की रामाश्रय से नजदीकी क्या हुई, कंचन के अंदर की अभिलाषा जाग गई. कंचन ने अपनी कामकलाओं का ऐसा जादू बिखेरा कि रामाश्रय सौसौ जान से उस पर न्यौछावर हो गया.

रामकुमार के काम पर जाते ही कंचन सजधज कर घर से निकल जाती और रामाश्रय के साथ घूमती और मटरगश्ती करती. रामाश्रय पर कंचन के रूप का जबरदस्त नशा चढ़ा हुआ था. रामकुमार के घर आने से पहले कंचन घर आ जाती थी. घर आने के बाद अपना मेकअप धो कर साफ कर लेती. घर के कपड़े पहन कर घर का काम करने लगती.

कंचन समझती थी कि किसी को उस की रंगरलियों की खबर नहीं है. जबकि वास्तविकता सब जान रहे थे. एक दिन किसी शुभचिंतक ने रामकुमार को उस की पत्नी की रंगरलियों की दास्तान बयां कर दी.

रामकुमार ने इस बाबत कंचन से कोई सवाल नहीं किया. बल्कि उस ने अपने सारे पैग पीतेपीते सोच लिया कि हकीकत का पता करने के लिए उसे क्या करना है.

दूसरे दिन रामकुमार काम पर जाने के लिए घर से तो निकला, पर गया नहीं. कुछ दूरी पर एक जगह छिप कर बैठ गया. उस की नजर घर की ओर से आने वाले रास्ते पर जमी थी.

मुश्किल से आधा घंटा बीता होगा कि कंचन आती दिखाई दी. अच्छे कपड़े, आंखों में काजल, होठों पर लिपस्टिक, कलाइयों में खनकती चूडि़यां उस की खूबसूरती बढ़ा रही थी.

कंचन जैसे ही नजदीक आई. रामकुमार एकदम से छिपे हुए स्थान से निकल कर उस के सामने आ खड़ा हुआ. पति को अचानक सामने देख कर कंचन भौचक्की रह गई. वह रामकुमार से पूछना चाहती थी कि वह यहां कैसे, काम पर गए नहीं या लौट आए. मगर मानो वह गूंगी हो गई. चाह कर भी आवाज उस के गले से नहीं निकली.

रामकुमार ने कंचन की आंखों में देख कर भौंहें उचकाईं, ‘‘छमिया बन कर कहां चलीं… यार से मिलने? अपना मुंह काला करने और मेरी इज्जत की धज्जियां उड़ाने.’’

कंचन घबराई, लेकिन जल्दी ही खुद को संभालते हुए बोली, ‘‘नहाधो कर घर से निकलना भी अब जुल्म हो गया. दुखी हो गई हूं मैं तुम से.’’

‘‘घर चल, तब मैं बताता हूं कि कौन किस से दुखी है.’’

दोनों घर आए तो उन के बीच जम कर झगड़ा हुआ. कंचन अपनी गलती मानने को तैयार नहीं थी. उस का कहना था कि वह रामाश्रय से मिलने नहीं, अपनी सहेली से मिलने जा रही थी.

रामकुमार ने कंचन पर अंकुश लगाने का हरसंभव प्रयास किया, मगर वह नाकाम रहा.

14 मई को गांव रामपुर हरगिर के पास शारदा नहर के किनारे लोगों ने एक लाश देखी. देखते ही देखते वहां काफी संख्या में लोग जमा हो गए. लाश को ले कर लोग तरहतरह की चर्चाएं करने लगे. इसी बीच रामपुर हरगिर गांव के अजय कुमार नाम के व्यक्ति ने संबंधित थाना पंवारा को लाश मिलने की सूचना दे दी.

सूचना पा कर थानाप्रभारी सेतांशु शेखर पंकज अपनी टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. वहां पहुंच कर उन्होंने लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र लगभग 35-36 वर्ष रही होगी. मृतक के शरीर की खाल पानी में रहने से गल गई थी. लाश देखने में 2-3 दिन पुरानी लग रही थी. मृतक के दाएं हाथ पर रामकुमार पटेल और कंचन गुदा हुआ था.

थानाप्रभारी सेतांशु शेखर ने लाश के कई कोणों से फोटो खींचने के साथ नाम का जो टैटू था, उस की भी फोटो खींच ली. घटनास्थल का निरीक्षण किया गया तो पास से चाकू, रस्सी और कपड़े बरामद हुए.

वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की गई, लेकिन कोई भी लाश को नहीं पहचान सका. थानाप्रभारी सेतांशु शेखर ने लाश पोस्टमार्टम हेतु भेज दी. फिर अजय कुमार को साथ ले कर थाने आ गए.

अजय कुमार की लिखित तहरीर पर थानाप्रभारी ने अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया. थाने के सिपाहियों को लाश पर मिले टैटू की फोटो दे कर अपने थाना क्षेत्र और आसपास के थाना क्षेत्र में भेजा, जिस से मृतक के बारे में कोई जानकारी मिल सके. उन का यह प्रयास सफल भी हुआ.

गोहानी गांव में टैटू देख कर लोगों ने पहचाना कि कंचन तो उसी गांव की बेटी है, रामकुमार उस का पति है. वह टैटू देख कर यह लगा कि वह लाश रामकुमार की थी.

जानकारी मिली तो थानाप्रभारी सेतांशु शेखर गोहानी गांव पहुंच गए. रामकुमार की ससुराल गोहानी में थी. वहां रामकुमार की पत्नी कंचन मौजूद थी. उस के साथ में रामाश्रय था. रामाश्रय का पता पूछा तो उस का गांव बेरमाव था जोकि घटनास्थल से काफी करीब था.

रामकुमार की हत्या होना, उस समय उस की पत्नी कंचन का मायके में होना और उस के साथ जो व्यक्ति रामाश्रय मिला उस के गांव के नजदीक रामकुमार की लाश मिलना, यह सब इत्तिफाक नहीं था. सुनियोजित साजिश के तहत घटना को अंजाम देने की ओर इशारा कर रहा था.

इस बात को थानाप्रभारी बखूबी समझ गए थे. इसलिए उन्होंने शक के आधार पर पूछताछ हेतु दोनों को हिरासत में ले लिया और थाने वापस आ गए.

थाने ला कर उन दोनों से पहले अलगअलग फिर आमनेसामने बैठा कर कड़ाई से पूछताछ की गई तो वे दोनों टूट गए और हत्या के पीछे की वजह बयान कर दी.

कंचन और रामाश्रय दोनों के संबंधों को ले कर हर रोज घर में रामकुमार झगड़ा करने लगा. वह उन के मिलने में अड़चनें पैदा करने लगा तो कंचन ने रामाश्रय से रामकुमार को हमेशा के लिए अपने रास्ते से हटाने के लिए कह दिया. यह घटना से करीब एक हफ्ते पहले की बात है. दोनों ने पूरी योजना बना ली.

योजनानुसार कंचन अपने मायके गोहानी चली गई. 11/12 मई की रात रामाश्रय रामकुमार के पास गया. उस से कंचन से संबंध खत्म करने की बात कही. फिर एक नई शुरुआत करने के बहाने उसे अपने साथ ले गया. रामकुमार को उस ने जम कर शराब पिलाई. देर रात एक बजे रामाश्रय रामकुमार को रामपुर हरगिर गांव के पास ले गया. उस समय रामकुमार नशे में धुत था.

रामाश्रय ने साथ लाए चाकू से गला काट कर रामकुमार की हत्या कर दी. उस के बाद उस के हाथपैर रस्सी और कपड़े से बांध कर लाश नहर में डाल दी लेकिन लाश नदी में स्थित बिजली के आरसीसी के बने खंभों में फंस कर रह गई. नदी के बहाव में वह नहीं बह सकी. रामाश्रय यह नहीं देख पाया.

वह तो चाकू वहीं फेंक कर घर चला गया. अगले दिन वह कंचन के पास उस के मायके पहुंच गया. वहां वह कंचन के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

मुकदमे में भादंवि की धारा 201/120बी/34 और जोड़ दी गईं. कानूनी लिखापढ़ी करने के बाद दोनों को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दहेज नहीं मिला तो तलाक दे दिया

22 अगस्त, 2017 को सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी थीं. क्योंकि उस दिन सुप्रीम कोर्ट का 3 तलाक पर फैसला आने वाला था. आखिर 12 बजे के बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए मुसलिमों में एक साथ 3 तलाक को अमान्य और असंवैधानिक करार दे दिया.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने 18 महीने तक चली सुनवाई के बाद इस प्रथा को गैरकानूनी घोषित करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 के खिलाफ माना.

सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले को जब कानपुर के पौश इलाके में रहने वाली सोफिया ने सुना तो उन्हें बहुत खुशी हुई, क्योंकि उन्हें भी इस फैसले का बेसब्री से इंतजार था. दरअसल, सोफिया भी 3 तलाक से पीडि़त थीं. उन के शौहर ने भी दहेज की मांग पूरी न होने पर उन्हें प्रताडि़त कर नशे की हालत में 3 बार तलाक कह कर घर से निकाल दिया था.

इस के बाद सोफिया पति और उस के घर वालों के खिलाफ तलाक सहित दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश करती रहीं, लेकिन शौहर की बहन सत्ता पक्ष की विधायक थीं, इसलिए उन के दबाव में पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सोफिया ने अपने घर वालों से सलाह की और शौहर तथा उस के घर वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराने थाना स्वरूपनगर पहुंच गईं.

थानाप्रभारी राजीव सिंह थाने में ही मौजूद थे. सोफिया ने उन्हें सारी बात बता कर रिपोर्ट दर्ज करने का अनुरोध किया तो वह थोड़ा झिझके. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उन्हें पता था. लेकिन समाजवादी पार्टी की पूर्व विधायक गजाला लारी का भी नाम इस मामले में आ रहा था, इसीलिए वह झिझक रहे थे.

गजाला लारी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बेहद करीबी थीं. राजीव सिंह सोफिया को मना भी नहीं कर सकते थे, इसलिए अधिकारियों की राय ले कर उन्होंने सोफिया की तहरीर पर अपराध संख्या 110/2017 पर भादंवि की धारा 498ए, 323, 506 तथा दहेज उत्पीड़न की धारा 3(4) के तहत पति शारिक अहमद, सास महजबीं बेगम, ससुर तैयब कुरैशी, ननद गजाला लारी और उन के बेटे मंजर लारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा कर जांच की जिम्मेदारी सबइंसपेक्टर कपिल दुबे को सौंप दी.

society

मामला दर्ज होते ही सोफिया सुर्खियों में आ गईं. इस की वजह यह थी कि सुप्रीम कोर्ट का 3 तलाक पर फैसला आने के बाद देश में पहली रिपोर्ट कानपुर में सोफिया द्वारा दर्ज कराई गई थी. प्रिंट और इलैक्ट्रौनिक मीडिया वाले सोफिया का बयान लेने उमड़ पड़े. सोफिया ने मीडिया को जो बताया और तहरीर में जो लिख कर दिया था, उस के अनुसार क्रूरता की पराकाष्ठा की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर के मुसलिम बाहुल्य वाले मोहल्ले कर्नलगंज में तैयब कुरैशी परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी महजबीं के अलावा 5 बेटियां और 2 बेटे थे. बच्चों में शारिक सब से छोटा था. तैयब कुरैशी संपन्न आदमी थे. टेनरी उन का कारोबार था. उन की एक बेटी गजाला लारी समाजवादी पार्टी से विधायक थी.

समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का उस पर वरदहस्त था. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी वह करीबी थी. गजाला का निकाह मुराद लारी से हुआ था. वह देवरिया की सलेमपुर सीट से बीएसपी के विधायक थे. लेकिन उन की मौत हो गई तो गजाला ने सलेमपुर से चुनाव लड़ा और वह 4 हजार वोटों से जीत गईं.

उसी बीच गजाला की मुलाकात चौधरी बशीर से हुई. वह भी विधायक थे. जैसेजैसे दोनों की मुलाकातें बढ़ीं, उन के बीच दूरियां घटती गईं. 4 दिसंबर, 2011 को गजाला ने चौधरी बशीर से निकाह कर लिया. उन्होंने सन 2012 में देवरिया की रामपुर कारखाना सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. गजाला लारी कानपुर के जाजमऊ में रहती हैं. उन का एक बेटा मंजर लारी है, जो उन्नाव में पैट्रोल पंप चलाता है.

तैयब कुरैशी के बड़े बेटे का विवाह हो चुका था, जबकि छोटा बेटा शारिक अभी अविवाहित था. शारिक शरीर से हृष्टपुष्ट और खूबसूरत था. तैयब कुरैशी उस के लिए लड़की तलाश रहे थे. उसी बीच उन के यहां सोफिया का रिश्ता आया. सोफिया मूलरूप से चेन्नै की रहने वाली थी. उस के पिता समीर अहमद की मौत हो चुकी थी. उस का ननिहाल कानपुर के पौश इलाके स्वरूपनगर में था. वह भाई और बहन के साथ नाना के साथ रहती थी. वह शादी लायक हो गई थी, इसलिए नानानानी उस के लिए लड़का देख रहे थे.

ऐसे में उन के किसी रिश्तेदार ने उन्हें तैयब कुरैशी के बेटे शारिक के बारे में बताया. तैयब कुरैशी संपन्न आदमी थे, लड़का भी ठीकठाक था, इसलिए सोफिया के नानानानी तैयब कुरैशी के घर जा पहुंचे. लड़का सोफिया के नाना को पसंद आ गया. इस के बाद तैयब कुरैशी ने भी पत्नी के साथ जा कर सोफिया को देखा. पहली ही नजर में दोनों को सोफिया पसंद आ गई.

इस के बाद रिश्ता पक्का हो गया. भाई की शादी तय होने की बात विधायक गजाला लारी को पता चली तो उन्हें भी खुशी हुई. भाई की शादी को वह यादगार बनाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव सहित कानपुर के विधायक इरफान सोलंकी, सतीश निगम और मुनींद्र शुक्ला को भी आमंत्रित किया.

12 जून, 2015 को कानपुर के स्टेटस क्लब में धूमधाम से सोफिया का निकाह शारिक के साथ हो गया. इस विवाह में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव सहित तमाम मंत्रियों और विधायकों ने भाग लिया था. सोफिया की शादी में एक बीएमडब्ल्यू कार, 10 लाख रुपए नकद तथा 20 लाख के गहने दहेज में दिए गए थे. कुल मिला कर 75 लाख का दहेज दिया गया था. शादी के बाद सोफिया मन में रंगीन सपने लिए ससुराल आ गई.

ससुराल में सोफिया के कुछ दिन तो ठीकठाक गुजरे, पर जल्दी ही उसे लगने लगा कि वह जो सपने ले कर ससुराल आई थी, वे बिखरने लगे हैं. सास महजबीं का व्यवहार सोफिया के प्रति रूखा हो गया था. वह बातबात में सोफिया को डांटनेफटकारने के साथ मायके वालों को ताने मारती रहती थी. सोफिया यह सब बरदाश्त करती रही.

2 महीने बीते थे कि शौहर शारिक का व्यवहार भी बदल गया. वह भी बातबात में सोफिया को डांटनेफटकारने लगा. कभीकभी मां के कहने पर उसे मार भी बैठता. धीरेधीरे यह सिलसिला बढ़ता ही गया. ससुराल वालों के इस रवैए से सोफिया परेशान रहने लगी. सास हमेशा कम दहेज लाने का ताना मारती रहती.

सास की जलीकटी सुन कर सोफिया की आंखों में आंसू आ जाते. पर उस के आंसुओं को वहां कोई देखने वाला नहीं था. ससुराल में घर का काम करने के लिए नौकरनौकरानियां थे, लेकिन सोफिया को अपना सारा काम खुद करना पड़ता था. सास ने सभी नौकरों को उस का काम करने से मना कर रखा था.

सोफिया ने सास और शौहर द्वारा परेशान करने की बात कई बार ससुर तैयब कुरैशी से बताई, पर उन्होंने पत्नी और बेटे का ही पक्ष लिया. इस तरह ससुर भी उसे परेशान करने लगे. सोफिया ने परेशान करने वाली बात ननद गजाला लारी को बताई  तो उस ने भी मां और भाई का ही पक्ष ले कर सोफिया से अपना मुंह बंद रखने को कहा.

इस तरह की परेशानी में सोफिया गर्भवती हुई तो ससुराल वाले खुश होने के बजाय उन्हें जैसे सांप सूंघ गया. दरअसल, सोफिया के ससुराल वाले नहीं चाहते थे कि वह मां बने. इसलिए वे उसे और परेशान करने लगे. उसे मारापीटा तो जाता, मानसिक रूप से परेशान भी किया जाता. इस तरह परेशान करने के बावजूद भी सोफिया ने अपने गर्भ पर आंच नहीं आने दी.

society

31 मई, 2016 को सोफिया ने बेटे को जन्म दिया. बेटा पैदा होने से सोफिया जहां खुश थी, वहीं ससुराल वाले परेशान थे. सोफिया का बेटा अभी एक महीने का भी नहीं हुआ था कि शारिक, उस की मां महजबीं और पिता तैयब कुरैशी ने सोफिया से मायके से एक करोड़ रुपए तथा एक लग्जरी स्पोर्ट्स कार लाने को कहा.

शारिक का कहना था कि उसे अपना कारोबार बढ़ाने के लिए रुपयों की सख्त जरूरत है, इसलिए हर हाल में वह मायके से एक करोड़ रुपए ले आए. सोफिया ने ससुराल वालों की इस मांग को ठुकराते हुए कहा कि उस के घर वाले पहले ही महंगी कार, नकदी और काफी गहने दे चुके हैं, इसलिए अब और कुछ मांगना ठीक नहीं है.

सोफिया की इस बात पर शारिक ने उस की जम कर पिटाई कर दी. इस के बाद रुपए और कार लाने के लिए सोफिया को प्रताडि़त किया जाने लगा. उसी बीच सोफिया को कहीं से पता चला कि शारिक के किसी लड़की से मधुर संबंध हैं. उस ने सच्चाई का पता लगा लिया और वह पति के इस संबंध का विरोध करने लगी तो उसे और ज्यादा प्रताडि़त किया जाने लगा.

जुलाई, 2016 में परेशान हो कर सोफिया ननिहाल आ गई. ननिहाल में आने के कुछ दिनों बाद ही उस के बेटे की तबीयत खराब हो गई, वह उसे दिखाने के लिए डाक्टर के पास गई. डाक्टर ने कहा कि वह अपने शौहर को साथ लाए, तभी बच्चे का इलाज संभव है. सोफिया ने घर आ कर शारिक को फोन किया तो उस ने कहा कि वह शहर से बाहर है.

सोफिया ने किसी परिचित को शारिक के बाहर होने की बात कह कर मदद मांगी तो उस परिचित ने बताया कि शारिक शहर से बाहर नहीं है, वह रेव थ्री मौल में घूम रहा है. सोफिया तुरंत मौल पहुंच गई. शारिक सचमुच वहां एक लड़की के साथ घूमता मिल गया. वह उस से हंसहंस कर बातें कर रहा था.

शौहर को लड़की के साथ देख कर सोफिया को गुस्सा आ गया. वह लड़की को खरीखोटी सुनाने लगी तो शारिक ने विरोध किया. इस के बाद दोनों में झगड़ा होने लगा. गुस्से में सोफिया ने शारिक को थप्पड़ मार दिया. झगड़ा होते देख भीड़ जुट गई. मामला थाना कोहना पहुंचा.

सोफिया ने रिपोर्ट लिखानी चाही. लेकिन शारिक ने अपना परिचय दे कर बताया कि वह सत्तापक्ष की विधायक गजाला लारी का भाई है तो पुलिस ने पतिपत्नी का झगड़ा बता कर रिपोर्ट दर्ज नहीं की. इस के बाद सोफिया का ससुराल में उत्पीड़न और बढ़ गया. उस ने गजाला लारी से शिकायत की तो घर की इज्जत की बात कर गजाला ने उस का मुंह बंद करा दिया.

बहन के दखल से शारिक के हौसले और बढ़ गए. वह सोफिया को और ज्यादा परेशान करने लगा. 13 अगस्त, 2016 को शारिक शराब पी कर आया और सोफिया से गालीगलौज करने लगा. सोफिया ने विरोध किया तो उस ने मारनापीटना शुरू कर दिया.

इस के बाद नशे में ही शारिक ने ‘तलाक तलाक तलाक’ कह कर रात 3 बजे मासूम बच्चे के साथ सोफिया को घर से निकाल दिया. सोफिया ने ननिहाल जाने से मना किया तो जबरन कार में बैठा कर सुनसान इलाके में ले जा कर सोफिया और बच्चे को जान से मारने की कोशिश की. सोफिया ने शोर मचा दिया तो कुछ लोग आ गए, जिस से सोफिया बच गई. खुद को फंसता देख कर शारिक कार ले कर भाग गया.

शारिक को शक था कि सोफिया पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराएगी, इसलिए उस ने पूरी बात विधायक बहन गजाला लारी को बता दी. गजाला ने सोफिया से बात की और रिपोर्ट दर्ज कराने से मना किया. गजाला के बेटे मंजर ने भी सोफिया को धमका कर किसी भी तरह की काररवाई करने से मना किया.

लेकिन किसी भी तरह के दबाव में न आ कर सोफिया थाना स्वरूपनगर पहुंच गई. लेकिन पुलिस ने विधायक से जुड़ा मामला जान कर रिपोर्ट दर्ज नहीं की. सोफिया थाने से बाहर निकली तो रास्ते में शारिक मिल गया. उस ने एक बार फिर उस के साथ मारपीट की. यह स्थान थाना कोहना के अंतर्गत आता था.

सोफिया थाना कोहना पहुंची और शौहर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराना चाहा. यहां भी विधायक की वजह से रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई. हताश हो कर सोफिया घर लौट आई. इस के बाद भी गजाला और उस का बेटा मंजर उसे धमकाते रहे. काफी प्रयास के बाद भी जब सोफिया का तलाक और दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज नहीं हुआ तो सोफिया ने भाजपा के कुछ नेताओं से संपर्क किया.

उन नेताओं को अपनी व्यथा बता कर मदद मांगी तो उन की मदद से सितंबर, 2016 में थाना कर्नलगंज पुलिस ने सोफिया की तहरीर पर घरेलू हिंसा का मामला मामूली धाराओं में दर्ज कर लिया. पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन सत्ता पक्ष की विधायक गजाला लारी के दबाव में कोई काररवाई नहीं की. इस तरह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा.

चूंकि भाजपा नेताओं ने सोफिया की मदद की थी, इसलिए सोफिया ने उन के कहने पर 13 दिसंबर, 2016 को भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. इस के बाद वह भाजपा की सक्रिय सदस्य बन गई. सोफिया उत्पीड़न के खिलाफ लड़ ही रही थी कि 3 तलाक का मुद्दा उठा और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 18 महीने तक सुनवाई की और 22 अगस्त, 2017 को 3 तलाक के खिलाफ फैसला सुना दिया.

इस फैसले के चंद घंटे बाद ही सोफिया थाना स्वरूपनगर पहुंच गई और ससुराल वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. सोफिया को भरोसा है कि अब सपा सरकार नहीं है, इसलिए उस की ननद गजाला लारी का सिक्का नहीं चलेगा और उन्हें न्याय मिलेगा.

इस सब के बारे में जब सपा की पूर्व विधायक गजाला लारी, उन के मातापिता तथा भाई शारिक से बात की गई तो उन्होंने सोफिया के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि सोफिया अपने मन से मायके गई थी. उस से कभी दहेज नहीं मांगा गया. उसे कभी प्रताडि़त भी नहीं किया गया, बल्कि वह खुद ही उन लोगों को परेशान करती रही थी.

गजाला का कहना था कि सोफिया ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है, इसलिए भाजपा नेताओं के उकसाने पर दहेज उत्पीड़न और अन्य धाराओं में उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी. उन के बेटे मंजर लारी का भी इस मामले से कोई संबंध नहीं है. परेशान करने के लिए उसे भी आरोपी बना दिया गया है.

बहरहाल, मामले की जांच चल रही है. सबइंसपेक्टर कपिल दुबे कई बार छापा मार चुके हैं, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई भी पकड़ा नहीं जा सका है. पुलिस पकड़ने का प्रयास कर रही है.

society

धोखे से तलाकनामे पर हस्ताक्षर

उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर के थाना कूरमार क्षेत्र के टीकर गांव के रहने वाले मोहम्मद इसलाम के बेटे आजम का निकाह 17 मार्च, 2016 को अंबेडकर जिले के भीटी थाना क्षेत्र के रेऊना गांव के रहने वाले शाकिर अली की बेटी रोशनजहां से हुआ था. निकाह के बाद से ससुराल वाले रोशनजहां को दहेज के लिए ताना देने लगे थे.

उन लोगों की मांग थी कि रोशनजहां के घर वाले एक लाख रुपया नकद और सोने की अंगूठी दें. दहेज न मिलने पर रोशनजहां के साथ मारपीट शुरू हो गई. एक दिन वह भी आया, जब रोशनजहां को मारपीट कर घर से निकाल दिया गया. रोशन के पिता ने बेटी का घर बचाने के लिए सुलह का प्रयास किया. 16 अप्रैल, 2017 को धर्म के कुछ संभ्रांत लोगों की मौजूदगी में पंचायत हुई.

इसी दौरान रोशन के शौहर आजम ने उसे धोखे से बहलाफुसला कर तलाकनामे पर हस्ताक्षर करा लिए. जब यह बात रोशनजहां को पता चली तो सदमे में आ गई.

कोई रास्ता न देख उस ने थाने जा कर पति मोहम्मद आजम, ससुर मोहम्मद इसलाम, सास आयशा बेगम, ननद गुडि़या और देवर गुड्डू के खिलाफ तहरीर दे कर काररवाई की मांग की.

थानाप्रभारी नंदकुमार तिवारी ने पांचों आरोपियों के विरुद्ध भादंवि की धारा 498ए और 323 व 3/4 दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कर के सभी को गिरफ्तार कर लिया.

वे देश जहां 3 तलाक पर पाबंदी है

देश को आजाद हुए 70 साल हो गए हैं, लेकिन मुसलिम महिलाओं को असली आजादी 22 अगस्त को तब मिली, जब सुप्रीम कोर्ट ने 3 तलाक पर रोक लगाते हुए इसे असंवैधानिक करार दे दिया. एक तरह से 3 तलाक पर अब प्रतिबंध लग गया है. यह प्रतिबंध लगाने में देश को 70 साल लग गए, जबकि दुनिया के ऐसे तमाम देश हैं, जहां इस पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुके हैं—

पाकिस्तान : सन 2015 की जनगणना के अनुसार, पाकिस्तान की जनसंख्या 19,90,85,847 है. यह दुनिया का दूसरा सब से अधिक मुसलिम आबादी वाला देश है. वहां ज्यादातर सुन्नी हैं, लेकिन शिया मुसलमानों की संख्या भी काफी है. पाकिस्तान ने सन 1961 में ही 3 तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया था.

पाकिस्तान में एक कमेटी की सिफारिशों के आधार पर 3 तलाक को खत्म करने के लिए नियम बनाए गए थे. वहां 3 तलाक लेने के लिए पहले पति को सरकारी संस्था (चेयरमैन औफ यूनियन काउंसिल) के यहां नोटिस देनी पड़ती है. इस के 30 दिनों बाद काउंसिल दोनों के बीच समझौता कराने की कोशिश करती है. इस के बाद 90 दिनों तक इंतजार किया जाता है. इस बीच अगर समझौता हो गया तो ठीक, वरना तलाक मान लिया जाता है.

अल्जीरिया : अफ्रीकी महाद्वीप के देश अल्जीरिया में मुसलिम आबादी 3.47 करोड़ है. यहां भी 3 तलाक पर प्रतिबंध है. अगर कोई दंपत्ति तलाक लेना चाहत है तो उसे कोर्ट की शरण में जाना पड़ता है. कोर्ट पहले दोनों के बीच सुलह की कोशिश करता है, इस के लिए 3 महीने का समय मिलता है. इस बीच अगर सुलह नहीं होती तो कोर्ट कानून के मुताबिक ही तलाक मिलता है.

मिस्र : 7.70 करोड़ से ज्यादा की मुसलिम आबादी वाला देश मिस्र, ऐसा पहला देश है, जहां सन 1929 में कानून-25 के द्वारा घोषणा की गई थी कि एक साथ 3 तलाक कहने पर भी उसे एक ही माना जाएगा और उसे वापस भी लिया जा सकता है.

सामान्य तौर पर जल्दी से जल्दी तलाक लेने का तरीका यह होता है कि पति अपनी पत्नी से 3 तलाक अलगअलग बार जब मासिक चक्र न चल रहा हो, कह कर तलाक ले सकता है. लेकिन मिस्र में इसे 3 तलाक का पहला चरण माना गया है. इस के बाद वहां तलाक के लिए 90 दिन का इंतजार करना पड़ता है.

ट्यूनीशिया : उत्तरी अफ्रीकी महाद्वीप के ट्यूनीशिया देश की मुसलिम आबादी 1.09 करोड़ से ज्यादा है. यहां सन 1956 में तय कर दिया गया था कि तलाक कोर्ट के जरिए ही होगा. कोर्ट पहले दोनों पक्षों में सुलह कराने की कोशिश करता है. जब दोनों में सुलह नहीं होती तो तलाक मान लिया जाता है.

बांग्लादेश : भारत के पड़ोसी और सन 1971 में आजाद हुए बांग्लादेश में मुसलिम आबादी करीब 13.44 करोड़ है. 3 तलाक पर बांग्लादेश में भी प्रतिबंध है. सन 1971 से ही बांग्लादेश में 3 तलाक कोर्ट में मान्य नहीं है.

इंडोनेशिया : दुनिया का सब से ज्यादा मुसलिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया है. यहां मुसलमानों की कुल आबादी 20.91 करोड़ से ज्यादा है. इंडोनेशिया में मैरिज रेग्युलेशन एक्ट के आर्टिकल 19 के तहत तलाक कोर्ट के जरिए ही दिया जा सकता है. 3 तलाक वहां मान्य नहीं है.

श्रीलंका : श्रीलंका में कुल आबादी का 10 फीसदी मुसलमान हैं. यहां के नियमों के मुताबिक, कोई मुसलिम पत्नी को तलाक देना चाहता है तो उसे मुसलिम जज काजी को नोटिस देना होता है. इस के बाद जज के साथसाथ दोनों परिवारों के सदस्य उन्हें समझाते हैं. अगर  ?      ?दोनों किसी की बात नहीं मानते तो उन्हें नोटिस दी जाती है. इस के 30 दिनों बाद युवक पत्नी को तलाक दे सकता है. इस के लिए उसे एक मुसलिम जज और 2 गवाहों की भी जरूरत पड़ती है.

यहां शादी और तलाक मुसलिम कानून, 1951 जो 2006 में संशोधित हुआ था, के मुताबिक तुरंत दिया गया 3 तलाक किसी भी नियम के तहत मान्य नहीं है.

तुर्की : तुर्की ने सन 1926 में स्विस सिविल कोड अपना लिया था. यह यूरोप में सब से प्रगतिशील और सुधारवादी कानून माना जाता है. इस के बाद 3 तलाक कानूनी प्रक्रिया के द्वारा ही दिया जा सकता है.

साइप्रस : साइप्रस में मुसलिम आबादी 2.64 लाख है. साइप्रस में भी 3 तलाक कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही दिया जाता है.

इराक : एक साथ 3 तलाक को एक ही तलाक माना जाता है. यह ऐसा देश है, जहां पतिपत्नी दोनों ही तलाक दे सकते हैं. इस बीच अदालत झगड़े की वजह की जांच कर सकती है. अदालत सुलह के लिए 2 लोगों की नियुक्ति भी कर सकती है. उस के बाद वह मध्यस्थता कर अंतिम निर्णय सुनाती है.

सूडान : सन 1935 में कुछ प्रावधानों के साथ सूडान ने भी इसी कानून को अपना लिया.

मलेशिया : मलेशिया के सारावाक प्रांत में बिना जज के सलाह के पति तलाक नहीं दे सकता. उसे अदालत में तलाक का कारण बताना होता है. वहां शादी राज्य और न्यायपालिका के अंतर्गत होती है.

ईरान : शिया कानूनों के तहत 3 तलाक को मान्यता नहीं दी गई है.

संयुक्त अरब अमीरात, कतर, जोर्डन: 3 तलाक के मुद्दे पर तैमिया के विचार को स्वीकार कर लिया है.

सीरिया : सन 2014 की जनगणनना के मुताबिक यहां 74 प्रतिशत सुन्नी मुसलमान हैं, लेकिन यहां 1953 से ही 3 तलाक पर प्रतिबंध लगा हुआ है.