उस ने इस घटना के बाद मार्च 2018 में वंशिका की हत्या कर उस के शव को मंडोला में आवासविकास कालोनी के पास खाली जमीन में फेंक दिया. इस के बाद उस ने करावल नगर थाने में बेटी की गुमशुदगी की भादंवि की धारा 363 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.
बाद में वंशिका का शव बरामद होने के बाद पुलिस ने जांचपड़ताल के बाद सुदेश को अपनी बेटी की हत्या के आरोप में जेल भेज दिया था. तभी से सुदेश मंडोली जेल में बंद था.
लेकिन 2021 को कोरोना की दूसरी लहर में जब सरकार ने विचाराधीन कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का फैसला किया तो 21 मई को सुदेश को भी अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था. उसी वक्त से सुदेश अपने बच्चों के बीच था.
21 नवंबर को सुदेश की पैरोल अवधि खत्म हो गई थी. वह जेल में पेश होने के लिए गया, मगर वहां किसी कानूनी अड़चन के कारण उसे जेल में नहीं लिया गया और उसे 22 दिसंबर, 2021 दूसरी डेट पर जेल में पेश होने के लिए कहा गया.
लेकिन इसी बीच किसी ने बेदर्दी से सुदेश की हत्या कर दी. ऐसा कौन था, जिस से सुदेश की ऐसी दुश्मनी थी कि वह उस की इतनी बेदर्दी के साथ हत्या कर देगा.
यह सब जानने के लिए पुलिस ने सुदेश की पत्नी व उस के जानपहचान वालों से खूब कुरेद कर पूछताछ की, मगर सुदेश की हत्या का कारण व उस के कातिल का कोई सुराग नहीं मिल सका.
पुलिस को न तो किसी से सुदेश की दुश्मनी का सुराग मिल रहा था, न ही किसी से लेनदेन के विवाद की खबर मिल रही थी. लेकिन एक ऐसी बात जरूर थी, जिस के कारण जांच की कवायद से जुड़े एसपी देहात डा. ईरज राजा, सीओ रजनीश उपाध्याय और थानाप्रभारी सचिन कुमार उस पर घंटों से माथापच्ची कर रहे थे.
दरअसल, गहराई से पड़ताल करने के बाद कुछ ऐसे सवाल उभरे थे जिन का पुलिस को जवाब ढूंढना था. पुलिस को लाश की जेब से सुदेश कुमार का आधार कार्ड तो मिल गया था, लेकिन जो एक बात हैरान कर रही थी, वह यह कि लाश बेशक बुरी तरह जली हुई थी, लेकिन जेब में पड़ा आधार कार्ड बिलकुल सहीसलामत था, जिसे देखने से लगता था कि शायद यह कार्ड किसी ने आग बुझने के बाद लाश की जेब में डाल दिया हो.
बस यही बात थी जो पुलिस को लगातार खटक रही थी. क्योंकि अगर किसी ने सुदेश की हत्या करने के बाद उस के चेहरे को इसलिए जलाया था कि उस की पहचान न हो सके तो भला वह कातिल उस की जेब में आधार कार्ड क्यों छोड़ेगा.
दोनों ही बातें एकदम विरोधाभासी लग रही थीं और शक पैदा कर रही थीं. शक का एक दूसरा कारण और भी था. क्योंकि सुदेश की मौत के बाद जब उस के शव का पोस्टमार्टम हो गया तथा उस का अंतिम संस्कार हो गया तो 3 दिन बाद से ही उस की पत्नी लोनी बौर्डर थाने में आ कर पुलिस से सुदेश की मौत का डेथ सर्टिफिकेट देने की मांग करने लगी.
जिस महिला के पति की मौत होती है वह तो महीनों तक अपने गम व सदमे से उबर नहीं पाती, लेकिन दूसरी तरफ अनुपमा हर रोज थाने आ कर पुलिस से अपने पति की मौत का सर्टिफिकेट देने की मांग कर रही थी.
पुलिस के लिए उस का व्यवहार बड़ा अटपटा था. पुलिस ने जब उस से कारण पूछा तो वह कहने लगी कि उसे मंडोली जेल में सर्टिफिकेट देना है और उन्हें सुदेश के सरेंडर करने की डेट से पहले यह बताना है कि उस की मौत हो चुकी है.
अनुपमा का यह रवैया भी हैरान कर रहा था. इसलिए एसपी देहात ने इस केस की तफ्तीश को आगे बढ़ाने के लिए टैक्निकल सर्विलांस टीम के साथसाथ मुखबिरों की मदद लेने का फैसला किया. क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि सुदेश की हत्या के पीछे कोई गहरी साजिश हो सकती है.
सीओ उपाध्याय के निर्देश पर पुलिस की एक टीम ने गोपनीय ढंग से सुदेश के घर के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगालने का काम शुरू किया ताकि पता लगाया जा सके कि वारदात से पहले सुदेश कब और किस के साथ घर से गया था और उस ने कौन से कपड़े पहने थे.
संयोग से सुदेश के घर से कुछ ही दूर लगे एक सीसीटीवी कैमरे में ऐसी फुटेज मिल गई, जिस ने पूरे केस की तसवीर ही बदल दी.
सीसीटीवी कैमरे में 19 नवंबर, 2021 की रात को एक संदिग्ध शख्स नजर आया. यह शख्स एक साइकिल पर एक बड़ी सी बोरी ले कर जा रहा था. पुलिस ने सीसीटीवी में दिख रहे इस शख्स की पहचान पता करने की कोशिश की और मुखबिरों को भी यह तसवीर दिखाई. तब आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि वह शख्स कोई और नहीं बल्कि खुद सुदेश कुमार था.
इस का मतलब था कि सुदेश कुमार मरा नहीं, बल्कि अब भी जिंदा है. तो फिर उस की साइकिल पर जो बोरी लदी थी, उस में वह क्या ले कर जा रहा था?
सीसीटीवी में सब से हैरान करने वाली बात यह दिखी कि आखिरी बार देर रात को करीब 11 बजे अपने घर से निकले सुदेश के शरीर पर वह कपड़े भी नहीं थे जो इंद्रापुरी में जली हालत में मिली लाश के शरीर पर थे, जिसे अनुपमा ने अपने पति की बताया था.
राज बहुत गहरा था. इसीलिए इस की तह में जाने के लिए पुलिस की टीम ने आसपास में रहने वाले कुछ लोगों को अपने विश्वास में ले कर सुदेश के घर पर नजर रखने के लिए लगा दिया.
पुलिस को 1-2 दिन में ही जानकारी मिली कि सुदेश वाकई मरा नहीं जिंदा है और अकसर देर रात में अपने घर चोरीछिपे आता है ताकि किसी को भनक न लग सके.
इतनी जानकारी मिलने के बाद पुलिस समझ गई कि यह एक बड़ी साजिश है इसीलिए पुलिस ने अब सुदेश की पत्नी के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा दिया.
पुलिस को फोन की सर्विलांस लगाने का फायदा मिला और एक ऐसा संदेश मिला जिस से पता चला कि सुदेश न सिर्फ जिंदा है बल्कि चोरीछिपे अपने परिवार से भी मिलता है.
इसी क्रम में वह 10 दिसंबर, 2021 की रात को अपने घर आया था और आसपास जाल बिछा कर खड़ी पुलिस टीम ने सुदेश को दबोच लिया. पुलिस ने उस की पत्नी अनुपमा को भी हिरासत में ले लिया.
दोनों को थाने ला कर उच्चाधिकारियों के सामने जब पूछताछ शुरू हुई तो एक ऐसे हत्याकांड की ऐसी कहानी सामने आई, जिस में मृतक मान कर पुलिस उस के कातिल को पकड़ने के लिए दिनरात एक कर रही थी लेकिन पता चला वह न सिर्फ जिंदा है बल्कि उस ने खुद को मरा साबित करने के लिए किसी और की हत्या कर उसे अपनी पहचान दे दी थी. और इस काम में उस की पत्नी ने उस की पूरी मदद की थी.
सुदेश व उस की पत्नी से पूछताछ में पता चला कि 22 दिसंबर को इसे वापस जेल जाना था. जब वह जेल में था तो उसे साथी कैदियों ने बताया था कि जिस तरीके के सबूत उस के खिलाफ हैं, उस के मुताबिक उसे सजा मिलनी तय थी और कम से कम उसे उम्रकैद की सजा मिलेगी.
जब 21 नवंबर को उसे जेल में नहीं लिया गया तो उस ने सोचा कि शायद ऊपर वाला भी नहीं चाहता कि वह जेल जाए. इस के बाद से ही उस ने इस बात पर दिमाग लगाना शुरू कर दिया कि कैसे जेल जाने से बचा जाए. कई दिन तक खूब दिमाग लगाया, लेकिन कोई तरकीब नहीं सूझी.
अचानक एक दिन टीवी पर एक फिल्म देख कर आइडिया मिल गया, जिस में जेल से भागे एक कैदी ने किसी आदमी की हत्या कर उसे अपने कपड़े पहना कर उस के चेहरे को जला दिया और पुलिस ने मान लिया कि कैदी मारा गया है.