इंसानी ज्वालामुखी : आक्रोश में आकर की पत्नी की हत्या

6 फरवरी, 2020 की बात है. दिन के करीब 11 बजे थे. महाराष्ट्र की उप राजधानी नागपुर शहर के सक्करदारा पुलिस थाने के सीनियर इंसपेक्टर अजीत सीद को एक अहम सूचना मिली. सूचना देने वाले ने फोन पर उन्हें बताया कि सुपर बाजार के दत्तात्रेय नगर स्थित देशमुख अपार्टमेंट की पहली मंजिल के फ्लैट नंबर 40 में कोई हादसा हो गया है. फ्लैट के अंदर से दुर्गंध आ रही है.

सीनियर इंसपेक्टर अजीत सीद ने इस सूचना को गंभीरता से लिया और अपने सहायक सबइंसपेक्टर प्रवीण बड़े, विनोद म्हात्रे और विजय मसराम को साथ ले कर तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. घटनास्थल सक्करदारा थाने से करीब एक किलोमीटर दूर था. पुलिस टीम को वहां पहुंचने में 10 मिनट का समय लगा. इस बीच यह खबर उस इलाके में आग की तरह फैल गई थी, भीड़ देख कर पुलिस टीम को समझते देर नहीं लगी कि उसे किस अपार्टमेंट में जाना है.

पुलिस टीम भीड़ को हटा कर फ्लैट नंबर 40 के सामने जा पहुंची. फ्लैट के दरवाजे पर ताला लटक रहा था. पड़ोसियों ने बताया कि फ्लैट भारतीय ज्ञानपीठ प्राइमरी स्कूल की हेडमिस्ट्रेस मंजूषा नाटेकर का है, जिस में वह अपने छोटे मामा अशोक काटे के साथ रहती थीं.

मंजूषा और जयवंत नाटेकर का एक बेटा है सुजय नाटेकर, जो अपनी पत्नी के साथ चंद्रपुर में रहता है. मंजूषा नाटेकर का एक भाई राजेश खड़खड़े पास ही के मानवेड़ा परिसर के एक अपार्टमेंट में किराए पर रहता है और नौकरी करता है.

फ्लैट की एक चाबी उस के पास रहती है. सूचना दे दी गई है, वह आता ही होगा. दुर्गंध चूंकि काफी तेजी थी, इसलिए पुलिस टीम ने नाक पर रूमाल बांध कर दरवाजा खोला तो अंदर का दृश्य दिल दहला देने वाला था.

फ्लैट के अंदर एक नहीं 2 शव पड़े थे. एक शव मंजूषा के मामा अशोक काटे का था, जो हौल में था, जबकि दूसरा शव फ्लैट की किचन में रक्त में डूबा मंजूषा नाटेकर का था. उस का बड़ी बेरहमी से कत्ल किया गया था. कत्ल संभवत: 2 दिन पहले हुए थे. शवों में सड़न पैदा हो गई थी और दुर्गंध फैल रही थी.

सीद ने घटना की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी. साथ ही फोरैंसिक टीम को भी मौकाएवारदात पर बुला लिया. सूचना मिलते ही पुलिस कमिश्नर डा. भूषण कुमार उपाध्याय, एडिशनल सीपी शशिकांत महावरकर, डीसीपी चिन्मय पंडित और डीसीपी (क्राइम) गजानन राजमने भी वहां आ गए.

फौरेंसिक टीम का काम खत्म होने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने घटनास्थल की बारीकी से जांचपड़ताल की. पड़ोसियों के बयान दर्ज किए. घटनास्थल की सारी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के शवों को पोस्टमार्टम के लिए नागपुर मैडिकल कालेज भेज दिया गया. मंजूषा नाटेकर के भाई राजेश खड़खडे़ को ले कर पुलिस थाने लौट आई.

पूछताछ में राजेश खडखड़े ने दोनों हत्याओं का आरोप सीधेसीधे अपने बहनोई जयवंत नाटेकर पर लगाया. उस का कहना था कि उस के बहनोई और बहन में अकसर लड़ाईझगड़े होते थे. मंजूषा नाटेकर के पड़ोसियों ने भी पूछताछ के दौरान यही बात पुलिस को बताई थी.

पड़ोसियों के अनुसार उस दिन पहले फ्लैट से तेजतेज आवाजें आती सुनाई दीं. हालांकि टीवी की तेज आवाज में बातें स्पष्ट नहीं सुनी जा सकीं. कुछ देर बाद जब टीवी की आवाज बंद हुई तो उन्होंने जयवंत नाटेकर को फ्लैट में ताला लगा कर बाहर जाते हुए देखा. शुरूआती जांचपड़ताल के बाद मंजूषा नाटेकर के पति जयवंत नाटेकर की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आ सकती थीं.

जयवंत नाटेकर कहां होगा, इस की जानकारी किसी को नहीं थी. एक तरफ जहां इंसपेक्टर अजीत सीद अपने सहायकों के साथ मामले पर विचारविमर्श कर तफ्तीश की रूपरेखा तैयार कर रहे थे. वहीं दूसरी तरफ मामले की गंभीरता को देखते हुए सीपी डा. भूषण कुमार उपाध्याय ने तफ्तीश की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच के सबइंसपेक्टर राठौर, हेडकांस्टेबल आनंद जांमुले, गोविंद देशमुख्र कांस्टेबल राशिद, रोहन और संजय सोनपणे की टीम बना कर जांच शुरू कर दी.

क्राइम ब्रांच की टीम ने तफ्तीश का केंद्रबिंदु उन लोगों को बनाया, जिन से जयवंत के करीबी संबंध थे. इस का नतीजा भी जल्द सामने आ गया. उस के एक दोस्त ने बताया कि जयवंत नाटेकर के पास एक मोबाइल और 2 सिम थे. इन में से एक सिम का इस्तेमाल वह अपनी पत्नी मंजूषा से छिपा कर करता था.

वह अपने बेटे और बहू के साथ अपना दुखदर्द साझा करता था. जबकि दूसरे सिम से अपना दिल बहलाने के लिए खास दोस्तों से बात कर लिया करता था. क्राइम ब्रांच को दूसरे सिम कार्ड से कामयाबी मिली, क्योंकि पहला सिम कार्ड बंद था.

दूसरे सिम से जब जयवंत नाटेकर से संपर्क हुआ तो क्राइम ब्रांच की टीम ने अपना परिचय छिपा कर उस से इधरउधर की बात की. इस से उस की लोकेशन मिल गई. मोबाइल लोकेशन के आधार पर क्राइम ब्रांच ने जयवंत नाटेकर को रात 8 बजे उस समय दबोच लिया, जब वह नागपुर रेलवे स्टेशन पर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जाने के लिए अजमेर शरीफ की टिकट ले रहा था.

क्राइम ब्रांच की टीम ने जयवंत नाटेकर को गिरफ्तार कर अपने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने खड़ा कर दिया. उस से विस्तार से पूछताछ की गई तो पता चला वह एक ऐसा पीडि़त पति था, जिस के अंदर का मर्द अचानक जाग गया था और वह उसी मर्दानगी में 2 कत्ल कर बैठा. जयवंत ने बिना किसी दबाव के अपना अपराध स्वीकार कर के पुलिस को अपने उत्पीड़न की पूरी कहानी बता दी, जो कुछ इस तरह थी—

चंद्रपुर निवासी 50 वर्षीय जयवंत नाटेकर सरल स्वभाव का व्यक्ति था. गांव के स्कूल से 10वीं जमात पास करने के बाद उसे चंद्रपुर की रेफ्रीजरेटर बनाने वाली एक कंपनी में वाहन चालक की नौकरी मिल गई. अच्छी नौकरी और वेतन होने के बाद परिवार वालों ने 1980 में उस की शादी नागपुर के भंडारा जवाहर नगर की मंजूषा खड़खड़े से कर दी.

45 वर्षीय मंजूषा खड़खड़े संपन्न परिवार की एकलौती बेटी थी. उस के 2 भाई थे संजय खड़खड़े और राजेश खड़खड़े. मंजूषा सब से छोटी थी. उस का बड़ा भाई संजय खड़खड़े अपने गांव में रह कर काश्तकारी करता था.

जबकि छोटा भाई राजेश खड़खड़े नागपुर की एक प्राइवेट कंपनी में सर्विस कर रहा था और दत्तात्रेय नगर, मानवेड़ा के एक अपार्टमेंट में किराए का फ्लैट ले कर रहता था. मंजूषा खड़खड़े जितनी स्वस्थ और सुंदर थी, उतनी ही स्मार्ट और महत्त्वाकांक्षी भी थी.

जयवंत नाटेकर से शादी होने के बाद उसे अपने सारे सपने बिखरते नजर आए. यह बात जब जयवंत नाटेकर को पता चली तो उस ने मंजूषा के सपनों को मरने नहीं दिया. उस ने मंजूषा की इच्छाओं को पूरा किया और उसे वह मुकाम दिलवाया जो वह चाहती थी. लेकिन उस के मन में पति के इस सहयोग की कोई कीमत नहीं थी.

वह वैसे भी अपनी पसंद और कल्पना के अनुसार पति न पा कर दुखी थी. प्रतिष्ठित स्कूल की नौकरी पाने के बाद वह गांव छोड़ कर नागपुर के दत्तात्रेय नगर जैसे पौश इलाके में आ कर रहने लगी.

मंजूषा नाटेकर और जयवंत का एक बेटा था सुजय. सरल स्वभाव का जयवंत मंजूषा की ज्यादतियों पर भी कुछ नहीं कहता था. नतीजा यह हुआ कि मंजूषा का हौसला बढ़ता गया और वह अपनी नारी मर्यादा को ही भूल गई.

इस का एहसास नाटेकर को तब हुआ जब एक हादसे के चलते दिसंबर, 2000 में उस की नौकरी चली गई. पेंशन के रूप में उसे सिर्फ 2000 रुपए मिलते थे, जिस की मंजूषा की नजर में कोई अहमियत नहीं थी. मंजूषा स्कूल की हेडमास्टर थी. मानसम्मान, अच्छा वेतन और समाज में उस की काफी इज्जत थी.

लेकिन घर में वह अपने पति नाटेकर के साथ नौकरों जैसा व्यवहार करती थी. घर के सारे काम झाड़ू, बर्तन, कपड़े धोने वगैरह के काम तो जयवंत को करने ही पड़ते थे, कभीकभी वह पति से अपनी मालिश तक करवाती थी. जयवंत के न करने पर वह उसे थप्पड़ तक जड़ देती थी.

इस के बावजूद भी मंजूषा का मन नहीं भरता तो वह अपने मायके वालों को बुला कर उन के सामने पति को अपमानित करती थी. मायके वाले उसी का पक्ष लेते और जयवंत को डांटतेफटकारते थे.

पिता के प्रति अपनी मां और उस के मायके वालों का बर्ताव देख बेटा सुजय नाटेकर दुखी हो जाता था. वह पिता के साथ हमदर्दी रखते हुए मां को समझाने की कोशिश करता, लेकिन मां पर इस का कोई असर नहीं होता था. इस की जगह मंजूषा कभीकभी उसे भी आडे़ हाथों लेती थी.

सुजय नाटेकर जवान हो गया था. पिता के प्रति मां का व्यवहार उस से देखा नहीं जाता था. वह जिस कालेज में पढ़ता था, उसी कालेज की एक लड़की से लवमैरिज कर के अपने पुश्तैनी घर चंद्रपुर चला गया.

जब कभी पिता की याद आती तो वह आ कर मिल लेता था. जब इस पर भी मां मंजूषा ने ऐतराज किया तो उस ने मां से छिपा कर पिता जयवंत को एक मोबाइल और 2 सिम ला कर दे दिए थे. जिस से चोरीछिपे पितापुत्र की बातें हो जाया करती थीं.

समय अपनी गति से दौड़ रहा था. 2019 में जब मंजूषा की मां का देहांत हुआ तो वह अपने मायके गई और लौटते समय अपने मामा अशोक काटे को साथ ले आई. पहले तो जयवंत पत्नी मंजूषा से ही परेशान था, अब उसे मंजूषा के मामा अशोक काटे से भी कोई राहत नहीं मिली. वह भी बहन के सुर से सुर मिलाने लगा. मामाभांजी के रोज के बर्ताव से जयवंत की सहनशक्ति जवाब दे गई. उस के अंदर इतना गुबार भर गया था, जो कभी भी ज्वालामुखी की तरह फट सकता था.

घटना के 2 दिन पहले 3 फरवरी, 2020 को सुबहसुबह स्कूल जाते समय मंजूषा ने अपनी 4 साडि़यां अलमारी से निकाल कर जयवंत के सामने डाल दीं और धो कर प्रेस करने को कहा. जयवंत पहले से ही त्रस्त था, उस ने इस काम के लिए इनकार कर दिया.

इस पर मंजूषा ने पति के गाल पर इतने जोर से थप्पड़ मारा कि उस का पूरा शरीर झन्ना कर रह गया. थप्पड़ जड़ कर मंजूषा बड़बड़ाती हुई किचन में चली गई. जयवंत कुछ देर गाल पर हाथ रखे खड़ा रहा. जयवंत को बरदाश्त नहीं हुआ. अचानक उस का पुरुषत्व जाग उठा.

टीवी की आवाज तेज कर के वह मंजूषा के पीछेपीछे किचन में गया और बदले में उस ने मंजूषा के गाल पर वैसा ही थप्पड़ जड़ दिया, जिस से मंजूषा तिलमिला कर रह गई. वह जयवंत का कालर पकड़ कर उस से उलझ गई.

इसी बीच जयवंत नाटेकर ने किचन में रखा सब्जी काटने वाला चाकू उठाया और मंजूषा पर कई वार कर दिए. मंजूषा की चीख सुन कर अशोक काटे उसे बचाने के लिए जब बैडरूम से बाहर आया तो जयवंत ने उस का भी वही हाल कर दिया जो मंजूषा का किया. दोनों बचाव के लिए चीखेचिल्लाए लेकिन उन दोनों की चीखें टीवी की तेज आवाज में दब कर रह गई थी.

मंजूषा और अशोक काटे को मौत की नींद सुलाने के बाद जयवंत ने राहत की सांस ली. कपड़े बदले और फ्लैट में ताला लगा कर 2 दिनों तक अपने एक पुराने दोस्त के पास रहा. उस के बाद उस ने अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए अजमेर जाने का फैसला किया. लेकिन जाने से पहले वह पकड़ा गया.

क्राइम ब्रांच की टीम ने अपनी तफ्तीश पूरी कर अभियुक्त जयवंत नाटेकर को थाना सक्करदारा को सौंप दिया. जहां की पुलिस ने उसे अदालत पर पेश कर के जेल भेज दिया. औरत अगर अपने ही घर में कांटे बिखेर दे तो उस के पांव कब तक सुरक्षित रह सकते हैं.

सौजन्य: सत्यकथा, अगस्त, 2020

विषाक्त चंदन, जहरीली रूबी

अशोक कुमार      

23मार्च, 2020 को शाम 6 बजे  दरिगापुर आमौर गांव का 30 वर्षीय धर्मेंद्र यादव उर्फ माना सामान लेने आमौर तिराहे पर गया था. धर्मेंद्र देर रात तक घर नहीं लौटा तो घर वाले परेशान हो गए.

धर्मेंद्र मोबाइल भी घर छोड़ गया था. उस के न लौटने और मोबाइल घर छोड़ जाने से घर वालों की चिंता और भी बढ़ गई. कुछ लोगों को साथ ले कर घर वालों ने रात में ही धर्मेंद्र की तलाश शुरू कर दी. वे लोग रात 2 बजे तक उसे इधरउधर खोजते रहे, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. अगले दिन धर्मेंद्र के तहेरे भाई अवधेश कुमार ने सिरसागंज थाने में उस की गुमशुदी दर्ज करा दी.

लापता होने के तीसरे दिन यानी 25 मार्च की दोपहर 12 बजे नगला जीवन के पास आमौर नहर में धर्मेंद्र का शव देखा गया. पूरे इलाके में यह खबर जंगल में आग की तरह फैली तो नहर किनारे लोगों का हुजूम जुट गया.

दरिगापुर आमौर  के लोग भी नहर पर पहुंच गए. घर वाले धर्मेंद्र का फूला हुआ शव नहर के पानी से निकाल कर घर ले आए.

लाश देखते ही परिवार में कोहराम मच गया. इसी बीच किसी ने इस की सूचना सिरसागंज थाने में दे दी. खबर पाते ही थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर पुलिस टीम के साथ गांव पहुंच गए.

धर्मेंद्र के घर पर ग्रामीणों के साथ महिलाएं भी जुटी हुई थीं. उधर सूचना पर पहुंची पुलिस ने कोरोना वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए गांव वालों को वहां से हटाने का प्रयास किया. शव के पास जुटी भीड़ हटाने पर गांव के लोग आक्रोशित हो गए, उन्होंने पुलिस टीम पर पथराव शुरू कर दिया.

पथराव में थानाप्रभारी की गाड़ी के आगे व पीछे के शीशे टूट गए. किसी तरह पुलिस ने ग्रामीणों को समझा कर शांत किया. थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर ने यह सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना पर सीओ डा. ईरज राजा व एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार वहां पहुंच गए.

मृतक के घरवालों ने पुलिस को बताया कि धर्मेंद्र की पत्नी रूबी का एक साल से चंदन नाम के युवक से अफेयर चल रहा था. इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच विवाद होता रहता था. बात बढ़ी तो मामला मारपीट तक पहुंच गया.

इस पर रूबी 3 साल के बेटे को ले कर अपने मायके चली गई. ससुराल वालों ने धर्मेंद्र पर दहेज का मुकदमा कर रखा है. बाद में समझौता होने के बाद रूबी ससुराल वापस आ गई थी. रूबी ने ही अपने प्रेमी व मायके के लोगों के साथ मिल कर धर्मेंद्र की हत्या कराई है.

मृतक धर्मेंद्र के तहेरे भाई अवधेश कुमार ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए पुलिस को एक तहरीर दी, जिस में 6 लोगों चंदन निवासी कुतुकपुर, नसीरपुर, बहनोई धर्मवीर निवासी भांडरी, मृतक की पत्नी रूबी, दो सालों ओमवीर, दयानवीर उर्फ छोटा और ससुर सत्यवीर उर्फ सत्यदेव निवासी ग्राम ककरारा के नाम थे. लेकिन पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद स्थिति साफ होने पर केस दर्ज करने को कहा. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने धर्मेंद्र की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल फिरोजाबाद भेज दी.

पति की मौत पर रूबी का रोरो कर बुरा हाल था. ससुराल वालों द्वारा पति की हत्या में उस का हाथ होने की बात से वह बुरी तरह आहत थी.

रूबी ने बताया कि धर्मेंद्र के किसी आदमी पर रुपए उधार थे. 23 मार्च को शाम 6 बजे वह आमौर चौराहे पर उस से पैसे लेने गए थे. घर के लिए कुछ सामान भी लाना था.

घटना के 2 दिन बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. रिपोर्ट में धर्मेंद्र की मृत्यु का  कारण उस के शरीर पर आई चोटों और पानी में डूबना बताया गया. पोस्ट मार्टमरिपोर्ट आने के बाद 27 मार्च को पुलिस ने अवधेश की ओर से रूबी सहित 6 लोगों के विरूद्ध हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि मृतक की पत्नी रूबी चरित्रहीन थी, उस के अपने बहनोई धर्मवीर व प्रेमी चंदन से विवाहेतर संबंध थे. धर्मेंद्र इस का विरोध करता था. इसी बात को ले कर धर्मेंद्र और रूबी के बीच अकसर झगड़ा होता था.

पुलिस ने मृतक की पत्नी रूबी के बयानों की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल को भी खंगाला. उस के फोन नंबर की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर शक के दायरे में आया, जिस पर सब से ज्यादा बातें होती थीं. पुलिस ने जब उस नंबर को ट्रैस किया तो वह चंदन का निकला. रूबी के नंबर पर जो अंतिम काल आई थी, वह चंदन की थी.

रूबी को संदेह के दायरे में लाने के लिए इतना ही काफी था. पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर पूछताछ की. रूबी बारबार अपने बयान बदलती रही. इस से वह पूरी तरह शक के घेरे में आ गई. महिला सिपाही ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो रूबी टूट गई.

उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. रूबी ने पुलिस को बताया कि चंदन ने उसे फोन किया था कि धर्मेंद्र को 23 मार्च को शाम 6 बजे आमौर चौराहे पर भेज देना. उस ने चंदन के कहे अनुसार पति को आमौर चौराहे पर भेज दिया था. धर्मेंद्र की हत्या चंदन ने कैसे की, यह वही बता सकता है. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि घटना को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था.

रूबी से की गई पूछताछ में पुलिस को कोई खास जानकारी नहीं मिली. सिवाय इस के कि चंदन और रूबी ने धर्मेंद्र की हत्या षडयंत्र रच कर की थी. पुलिस ने मुख्य आरोपी चंदन की जोरशोर से तलाश शुरू कर दी. पुलिस ने नामजद आरोपियों की तलाश में उन के ठिकानों पर दबिश डाली. लेकिन वे पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े.

इस पर पुलिस ने हत्यारों की सुरागरसी के लिए मुखबिरों का जाल फैला दिया. 14 मई की दोपहर सिरसागंज के थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर को एक मुखबिर ने सूचना दी कि घटना का मुख्य आरोपी चंदन गांव धातरी के पेट्रोल पंप पर है.

इस सूचना पर थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर ने पुलिस टीम के साथ उस जगह की घेराबंदी कर के चंदन को गिरफ्तार कर लिया.

आरोपी चंदन को गिरफ्तार करने वाली टीम में थानाप्रभारी के साथ उपनिरीक्षक अंकित मलिक, कांस्टेबिल विजय कुमार, छविराम व कर्मवीर सिंह शामिल थे.

पुलिस ने रूबी,  उस के प्रेमी चंदन को धर्मेंद्र की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर के दोनों से पूछताछ की.  पता चला रूबी पति के सीधेपन को कम अक्ल का बता कर प्रेमी चंदन से शादी रचाने का सपना देख रही थी, वहीं चंदन की नजर रूबी को पाने के साथ ही धर्मेंद्र की जमीन व मकान पर भी थी.

धर्मेंद्र की मौत के बाद वह रूबी से शादी कर जमीन जायदाद  पर कब्जा करना चाहता था. साली के प्रेम में दीवाना जीजा धर्मवीर भी राह का रोड़ा बने धर्मेंद्र को रास्ते हटाने को तैयार था.

जीजा और प्रेमी को एक राह पर लाने का काम किया रूबी ने. धर्मवीर, चंदन और रुबी ने मिल कर धर्मेंद्र की हत्या का षडयंत्र रचा. हत्यारोपियों ने इस जघन्य अपराध की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी—

धर्मेंद्र के पिता सत्यभान यादव रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी थे. धर्मेंद्र उन का इकलौता बेटा था. गांव में सत्यभान के पास 16 बीघा खेती के अलावा पक्का मकान था. 9 साल पहले उन के बेटे धर्मेंद्र की शादी सत्यवीर उर्फ सत्यदेव की बेटी रूबी के साथ हुई थी. दोनों का 3 साल का बेटा है.

शादी के बाद दोनों के कुछ साल हंसीखुशी से बीते. धर्मेंद्र वैसे तो सीधासादा था लेकिन शराब का शौकीन था. चंदन धर्मेंद्र की मां का दूर का रिश्तेदार था.

इसी रिश्ते की वजह से उस के लिए घर के रास्ते खुले हुए थे. पिछले एक साल से चंदन धर्मेंद्र के घर ज्यादा ही आनेजाने लगा था. साथसाथ शराब पीने से दोनों एकदूसरे के गहरे दोस्त बन गए थे. चंदन का आटो था जिसे वह सिरसागंज में चलाता था.

भरेपूरे बदन की रूबी को देख कर चंदन का मन डोल गया था. वह रूबी को भाभी कहता था. चंदन धर्मेंद्र से हंसी ठिठोली में कह देता था, तुम तो कम अक्ल हो, ताज्जुब है तुम्हें इतनी सुंदर बीबी मिल गई. सीधासादा धर्मेंद्र चंदन की बात को हंस कर टाल देता था. लेकिन चंदन के मुंह से अपनी सुंदरता की बात सुन कर रूबी शरमा जाती.

धर्मेंद्र के दारू पीने के शौक का चंदन ने भरपूर फायदा उठाया. वह जब भी रूबी से मिलने आता अपने साथ शराब की बोतल जरूर लाता. दोनों घर में ही बैठ कर शराब पीते. चंदन धर्मेंद्र को ज्यादा शराब पिलाता. जब वह नशे में बेसुध हो कर सो जाता, चंदन और रूबी घंटों बातें करते.

धीरेधीरे दोनों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ता गया. अपने प्यार का इजहार करने के लिए उन के पास पर्याप्त अवसर थे. इसलिए उन्हें न मोहब्बत के इजहार में वक्त लगा न इश्क के इकरार में. जल्दी ही दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. रूबी फोन पर चंदन से लंबीलंबी बातें करने लगी. वह उस के खयालों में खोईखोई सी रहती थी.

प्रेम के हिंडोले में झूलती रूबी चंदन से कहती, ‘‘चंदन मैं दिल दे कर अब पूरी तरह तुम्हारी हो चुकी हूं, तुम भी मेरा साथ निभाना. कभी भूल से भी मेरा दिल मत तोडना.’’

‘‘कैसी बात करती हो रूबी, तुम्हारा दिल अब मेरी जान है और कोई भी अपनी जान को यूं ही नहीं छोड़ता. मैं तुम्हें जल्दी ही ले जाऊंगा. मैं ने भी तुम पर पूरा भरोसा कर के प्यार किया है.’’ चंदन रूबी को विश्वास दिलाता.

लेकिन इस बीच धर्मेंद्र को उन के बीच पक रही खिचड़ी की भनक लग गई थी. वह अपनी पत्नी के चरित्र से भलीभांति परिचित था. उस ने रूबी को कई बार समझाया कि चंदन जब घर आए तो वह उस से बात न करे. लेकिन पति की बातों का रूबी पर कोई असर नहीं होता था.

पतिपत्नी में विवाद बढ़ने के बाद रूबी अपने मायके चली गई. चंदन उस के मायके में भी जाने लगा था. समझौते के बाद रूबी फिर धर्मेंद्र के पास ससुराल आ गई थी. घटना से एक माह पहले धर्मेंद्र के पिता की मृत्यु हो गई थी.

घर में धर्मेंद्र, रूबी, बेटे के अलावा विधवा मां रह गई थीं. ससुराल आने के बाद कुछ दिन तो रूबी का रवैया ठीक रहा लेकिन बाद में उस का प्रेमी चंदन फिर से घर आने लगा. धर्मेंद्र की हत्या से 10 दिन पहले चंदन और धर्मेंद्र में इसी बात को ले कर कहासुनी भी हुई थी.

इस के बाद चंदन  का उस के घर आना बंद हो गया था. अब रूबी चंदन से मोबाइल पर चोरीछिपे बात करने लगी. एक सप्ताह पहले अच्छा मौका देख चंदन ने फोन पर रूबी से बात कर के धर्मेंद्र की हत्या की साजिश रची.

योजना के अनुसार 23 मार्च की शाम 6 बजे रूबी ने धर्मेंद्र को सामान मंगाने के बहाने आमौर चौराहे पर भेज दिया. साथ ही चंदन को भी फोन कर दिया. चंदन चौराहे पर पहुंचा. धर्मेंद्र वहां उसे एक दुकान पर सामान खरीदते मिल गया. उस ने धर्मेंद्र की कमजोर नस को दबाते हुए कहा, ‘‘चलो पार्टी करते हैं.’’

धर्मेंद्र चाह कर भी मना नहीं कर सका. पुराने शिकवेगिले भूल कर धर्मेंद्र चंदन को अपने औटो में बैठा कर आमौर चौराहे वाले शराब के ठेके पर ले गया. वहीं से शराब की बोतल खरीदी.

रास्ते में रूबी का जीजा धर्मवीर भी मिल गया. दोनों ने उसे जम कर शराब पिलाई, साथ ही उस के साथ मारपीट भी की. तब तक अंधेरा घिर आया था. अधिक शराब पीने से धर्मेंद्र बेसुध हो गया तो दोनों धर्मेंद्र को औटो से नगला जीवन के पास आमौर नहर पर ले गए, जहां उसे नहर में धकेल दिया. पानी में डूबने से उस की मौत हो गई. लापता होने के तीसरे दिन धर्मेंद्र की लाश नहर से बरामद हो गई थी.

पुलिस ने गिरफ्तार रूबी व उस के प्रेमी चंदन को न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. प्रेमी चंदन के प्यार में रूबी इस कदर अंधी हो गई थी कि अपने हाथों से ही अपनी हंसतीखेलती दुनिया बरबाद कर ली. अब वह अपने अबोध बेटे से भी दूर हो गई.

सौजन्यसत्यकथा, जून 2020

शिवानी भाभी : पति की कातिल

सिंहराज को शराब पीने की लत थी. उस की इसी लत के चलते उस के दोस्त देवेंद्र ने घर आना शुरू किया. उस की कुछ ही देर पहले शिवानी का अपने पति सिंहराज से झगड़ा हुआ था. वह आज की बात नहीं थी, हर रोज का वही हाल था. सिंहराज एक नंबर का पियक्कड़ था. आज फिर सुबह होते ही अद्धा ले कर बैठ गया था. शिवानी ने उसे टोका लेकिन वह कहां मानने वाला था. कुछ देर तक तो वह पत्नी की बातें सुनता रहा, मगर 2-4 पैग हलक से नीचे उतरते ही उस का दिमाग घूम गया. बिना कुछ कहे उस ने शिवानी की चोटी पकड़ कर उसे रुई की भांति धुन दिया. फिर अद्धा बगल में दबाए घर के बाहर चला गया.

28 वर्षीय सिंहराज सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर  जनपद के थाना चांदपुर के बागड़पुर गांव में रहता था. वह चांदपुर के एक ज्वैलर की गाड़ी चलाता था. उस के पिता किसान थे. भाईबहन सभी शादीशुदा थे और अपनेअपने परिवारों के साथ अलगअलग रहते थे.

सिंहराज सिंह का विवाह लगभग 4 वर्ष पूर्व पड़ोस के गांव केलनपुर निवासी शिवानी से हुआ था. शिवानी बीए पास थी. सुंदर पत्नी पा कर हाईस्कूल पास सिंहराज फूला नहीं समाया. आम नवविवाहितों की तरह उन दोनों के दिन सतरंगी पंख लगाए उड़ने लगे.

खूबसूरत बीवी पा कर सिंहराज खुद को दुनिया का सब से खुशनसीब व्यक्ति समझने लगा था. एक बेटी ने उस के घर जन्म ले कर उस की बगिया को महका दिया.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि वक्त ने करवट बदली. नौकरी से सिंहराज सिंह की इतनी आमदनी हो जाती थी कि दालरोटी चल सके. दिक्कत उस समय होने लगी, जब उसे शराब की लत लग गई.

शिवानी कुशल गृहिणी थी. कम आमदनी में ही उसे गृहस्थी चलाना  आता था, परंतु पति की शराब पीने की लत ने घर के बजट को गड़बड़ा दिया. फलस्वरूप शिवानी परेशान रहने लगी. उस ने पति को हर तरीके से समझाना चाहा. बेटी की भी दुहाई दी, लेकिन सिंहराज को बीवीबेटी से ज्यादा शराब प्यारी थी.

सिंहराज सुधरा तो नहीं, उलटे शिवानी की सीख ने उसे ढीठ जरूर बना दिया. परिणाम यह हुआ कि पहले केवल शाम को पीने वाला सिंहराज अब दिनरात शराब में डूबा रहने लगा. उसे न बीवी की फिक्र सताती, न ही बेटी की चिंता. वेतन के सारे पैसे वह बोतलों में ही गर्क कर देता.

वह नशे में इतना डूब चुका था कि नौकरी में भी लापरवाही बरतने लगा. पैसों की किल्लत होती तो घर के कीमती बरतन व कपड़े शराब की भेंट चढ़ जाते. शिवानी रोकती तो बुरी तरह पिटती. वह अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा कर रह जाती. बागड़पुर में ही रहता था देवेंद्र उर्फ बच्चू. वह अविवाहित था और अपने पिता सूरज सिंह के साथ खेती में हाथ बंटाता था. देवेंद्र और सिंहराज में दोस्ती थी. इसलिए देवेंद्र का सिंहराज के घर आनाजाना था.

देवेंद्र ही वह शख्स था, जिसे शिवानी से हमदर्दी थी. उस ने भी सिंहराज को शराब छोड़ने और गृहस्थी पर ध्यान देने की सलाह दी थी, लेकिन उस ने सारी नसीहत एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल दी थी. मियांबीवी के झगड़े की वजह से देवेंद्र कभीकभार ही सिंहराज के घर चला जाता था.

उस रोज भी देवेंद्र कई दिनों बाद सिंहराज के घर गया था. उस के पहुंचने से कुछ देर पहले ही सिंहराज शिवानी को पीट कर बाहर गया था. जब वह पहुंचा तो शिवानी रो रही थी. उस की नजर जैसे ही देवेंद्र पर पड़ी, वह अपने आंसू पोंछने लगी. फिर मुसकराने का प्रयास करते हुए बोली, ‘‘अरे तुम, आज यहां का रास्ता कैसे भूल गए?’’

‘‘सच पूछो भाभी तो आज भी नहीं आता,’’ देवेंद्र ने शिवानी की नम आंखों में झांकते हुए कहा, ‘‘मगर तुम्हारा दर्द मुझ से नहीं देखा जाता, इसलिए आ जाता हूं. लगता है सिंहराज अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगा.’’

‘‘किसी को क्या दोष देना देवेंद्र, जब अपनी ही किस्मत खोटी हो.’’

देवेंद्र और शिवानी हमउम्र थे और एकदूसरे की भावनाओं से अच्छी तरह परिचित थे. शिवानी जहां देवेंद्र की सादगी और भोलेपन पर फिदा थी, वहीं देवेंद्र उस की कोमल काया पर मोहित था.

शिवानी का पोरपोर जवानी से लबालब था. उस के तीखे नैननक्श एवं कटीली मुसकान किसी को भी घायल कर देने में समर्थ थी. लेकिन शराबी सिंहराज को प्यालों की गहराई मापने से फुरसत नहीं थी, वह पत्नी की आंखों के राज क्या समझता.

दूसरी ओर शिवानी की जिस्मानी ख्वाहिश पूरे जलाल पर थी. ऐसे में उस का झुकाव देवेंद्र की ओर होने में ज्यादा समय नहीं लगा. इधर देवेंद्र की हालत भी शिवानी से जुदा नहीं थी.

उस दिन शिवानी का रोना देख कर देवेंद्र तड़प उठा. उस ने भावावेश में शिवानी का हाथ पकड़ कर कहा,‘‘ऐसा न कहो भाभी, मैं सारी दुनिया की बातें तो नहीं जानता, लेकिन अपनी गारंटी देता हूं यदि तुम साथ दो तो सारी जिंदगी तुम पर वार दूंगा.’’

यह सुनना था कि शिवानी देवेंद्र से लिपट कर जारजार रोने लगी. देवेंद्र उसे कस कर भींचते हुए बोला,‘‘असल में, तुम गलत आदमी से बंध गई…खैर, अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, तुम चाहो तो फिर से सब कुछ बदल सकता है.’’

शिवानी ने कुछ कहने के बजाय देवेंद्र को चूम लिया. शिवानी के चूमते ही देवेंद्र उसे किसी बावले की तरह यहांवहां चूमने लगा. शिवानी उस के अनाड़ीपने पर रोतेरोते मुसकरा उठी. उस ने खुद को देवेंद्र से अलग करते हुए पहले दरवाजा बंद किया, फिर मुसकरा कर हाथ पकड़ा और उसे अंदर के कमरे में ले गई.

कामना की आंच में देवेंद्र की कनपटियां सनसना रही थीं. शिवानी ने पहले देवेंद्र के कपड़े उतारे, फिर खुद भी बेलिबास हो गई. देवेंद्र शिवानी का तराशा हुआ बदन देख चकित रह गया.

शिवानी देवेंद्र की हालत देख कर मंदमंद मुसकराने लगी. फिर धीरेधीरे दोनों के बदन एकदूसरे से गुंथते गए और फिर उन के दरमियान सारे फासले मिट गए.

दोनों अलग हुए तो बहुत खुश थे. उन्होंने बदकिस्मती को धता बताते हुए अपने रिश्ते की नई बुनियाद रखी थी.

उस दिन के बाद देवेंद्र और शिवानी की दुनिया ही बदल गई. दोनों पतिपत्नी का सा व्यवहार करने लगे.

अब देवेंद्र शिवानी का तो खयाल रखता ही, उस की घरगृहस्थी का खर्च भी उठाने लगा.

शिवानी की बेजान दुनिया में फिर से जीवन लौट आया. अब बढि़या खाना पकता और सिंहराज के साथ देवेंद्र भी उस के साथ जम कर भोजन करता.

ऐसी बात नहीं कि सिंहराज देवेंद्र और शिवानी के रिश्तों से अंजान था, उसे सब कुछ पता था, लेकिन वह यही सोच कर खुश था कि उसे अब कोई शराब पीने से नहीं रोकता था, बल्कि पैसे कम पड़ने पर देवेंद्र उस की मदद ही कर दिया करता था. इन सब की एवज में सिंहराज ने देवेंद्र और शिवानी के रिश्ते को मौन स्वीकृति दे दी थी.

15 मार्च की सुबह धनौरा मार्ग पर मिर्जापुर गांव के पास एक अज्ञात युवक की लाश पड़ी थी. गांव के लोगों ने देखा तो इस की सूचना चांदपुर थाने को दे दी.

सूचना पा कर थाने से इंसपेक्टर लव सिरोही पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. मृतक की उम्र लगभग 25 से 30 वर्ष के बीच रही होगी.

उस के सिर के पिछले हिस्से में गहरा घाव था, जिस से खून काफी बहा था. किसी भारी ठोस वस्तु से प्रहार कर के उसे मौत के घाट उतारा गया प्रतीत हो रहा था. घटनास्थल का निरीक्षण करने पर कोई भी सुराग हाथ नहीं लगा.

इंसपेक्टर सिरोही ने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करने को कहा तो पता चला कि मृतक बागड़पुर गांव का सिंहराज सिंह है.

पुलिस ने मृतक के परिजनों को सूचना भेजी तो परिजन वहां पहुंच गए. शिवानी पति की लाश के पास बैठ कर फूटफूट कर रोने लगी. सिंहराज के भाई सुशील ने अपने भाई की लाश की शिनाख्त कर ली. शिनाख्त होने के बाद इंसपेक्टर सिरोही ने आवश्यक पूछताछ की, उस के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी.

थाने वापस आ कर सुशील की लिखित तहरीर पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

केस की जांच शुरू करते हुए इंसपेक्टर सिरोही ने सब से पहले मृतक सिंहराज की पत्नी शिवानी से पूछताछ की तो शिवानी ने बताया कि सिंहराज के किसी युवती से अवैध संबंध थे.

वह नशे का आदी था. नशे में वह उसे मारतापीटता था. सिंहराज हाईस्कूल पास था और वह बीए पास थी. इस के बावजूद भी वह अपनी गृहस्थी को बचाने के लिए उस के साथ निभा रही थी. किसी ने भी उसे मारा हो, लेकिन उस के मरने से मुझे जिंदगी में सुकून मिल गया.

इंसपेक्टर सिरोही को उस की बातों में अपने पति के लिए बेपनाह नफरत की झलक मिली थी. इसलिए उन का शक शिवानी पर गया. इस के बाद उन्होंने शिवानी से उस का मोबाइल नंबर ले लिया. उस के नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो शिवानी के नंबर पर एक नंबर से काफी काल होने का पता चला.

उस नंबर की जानकारी की गई तो वह  बागड़पुर गांव के देवेंद्र का निकला. देवेंद्र की जानकारी जुटाई तो पता चला कि देवेंद्र की दोस्ती मृतक सिंहराज से थी, देवेंद्र का उस के घर काफी आनाजाना था.

एक बार फिर इंसपेक्टर सिरोही ने शिवानी से पूछताछ की तो वह गोलमोल जबाव देने लगी. इंसपेक्टर सिरोही ने शिवानी का मोबाइल ले कर उस की जांच की तो पता चला कि वाट्सऐप पर शिवानी और देवेंद्र द्वारा एकदूसरे को भेजे गए फोटो डिलीट किए गए थे.

मोबाइल की गैलरी की जांच करने पर उस में शिवानी के जींस पहने कई फोटो देवेंद्र के साथ मिले, जिस के बाद इंसपेक्टर सिरोही ने शिवानी को हिरासत में ले लिया और थाने आ गए. वहां महिला कांस्टेबल की मौजूदगी में उस से कड़ाई से पूछताछ की तो शिवानी टूट गई. उस ने अपने प्रेमी देवेंद्र द्वारा अपने पति की हत्या करवाने की बात स्वीकार कर ली. इस के बाद देवेंद्र को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

सिंहराज की मूक सहमति पाते ही देवेंद्र और शिवानी की बांछें  खिल उठी थीं. शराब के नशे ने सिंहराज को बेगैरत बना दिया था, लेकिन एक दिन नशे की हालत में सिंहराज की गैरत जाग उठी. उस ने शिवानी को टोका, ‘‘शिवानी, बस बहुत हो चुका रासरंग अब और नहीं… आज के बाद तुम देवेंद्र से कोई रिश्ता नहीं रखोगी. बेहयाई की भी हद होती है.’’

सिंहराज के इस बदले हुए रूप ने शिवानी को हैरान कर दिया. उस ने पूछा,‘‘आज अचानक क्या हुआ तुम को?’’

सिंहराज शिवानी को घूर कर बोला,‘‘क्यों, समझ नहीं आ रहा क्या, या बेगैरती ने तुम्हारा भेजा चाट लिया है?’’

‘‘गैरत और बेगैरती की बातें तुम्हारे मुंह से अच्छी नहीं लगतीं. अच्छा होगा, अब इस मामले में न ही पड़ो,’’ आवेश में शिवानी की सांसें फूलने लगी थीं. क्षण भर रुक कर वह पुन: बोली, ‘‘जरा सोचो, बेगैरती का यह रास्ता मुझे किस ने दिखाया? तुम ने… अगर तुम अच्छे पति, बढि़या पिता और सच्चे इंसान होते तो मैं राह क्यों भटकती? अब कुछ भी नहीं हो सकता, क्योंकि अब तीर कमान से निकल चुका है.’’

‘‘मैं कुछ सुनना नहीं चाहता, आइंदा वही होगा, जो मैं चाहूंगा.’’ सिंहराज ने कड़े शब्दों में कहा.

‘‘असंभव, अब ऐसा नहीं हो सकता.’’ शिवानी के दो टूक जबाव से सिंहराज पागल हो उठा.

वह चीखते हुए उस पर झपटा,‘‘ठहर मैं अभी बताता हूं कि क्या हो सकता है और क्या नहीं हो सकता.’’

सिंहराज ज्यों ही शिवानी को पीटने दौड़ा, संयोग से तभी देवेंद्र वहां आ गया. पल भर में उस ने सारा माजरा समझ लिया और आगे बढ़ कर उस ने सिंहराज को धक्का दे कर गिरा दिया.

अचानक लगे धक्के से सिंहराज चारों खाने चित गिर गया. उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. खड़े होते हुए बोला,‘‘देवेंद्र खबरदार… जो हम दोनों के बीच आए…तुम्हारा सिर तोड़ दूंगा.’’

इतना सुनना था कि देवेंद्र सिंहराज पर टूट पड़ा. मुक्कों और लातों से उस की बुरी गत बना दी. जिंदगी भर पति से पिटने वाली शिवानी ने जब पति को पिटते देखा, तब उस के प्रतिशोध ने भी सिर उठा लिया. उस ने भी देवेंद्र के साथ पति सिंहराज पर हाथ आजमाए.

उस दिन की पिटाई पर सिंहराज ने दोनों को धमकी दी कि वह दोनों को अब जिंदा नहीं छोडे़गा. उस की इस धमकी ने शिवानी और देवेंद्र को सोचने पर मजबूर कर दिया. वह दोनों जानते थे कि सिंहराज नशे और गुस्से में कुछ भी कर सकता है. इसलिए दोनों ने सिंहराज के कुछ करने से पहले ही उसे खत्म करने का फैसला कर लिया. इस के लिए दोनों ने योजना बनाई.

14 मार्च, 2020 की शाम भी सिंहराज नशे में धुत था. योजना के तहत देर रात उसे देवेंद्र ने बहाने से गांव के बाहर बुलाया. उस के आने पर देवेंद्र ने चारा काटने वाली मशीन के हत्थे से उस पर वार किया.

सिंहराज बच कर भागा तो देवेंद्र ने उस का पीछा किया. लगभग 100 मीटर की दूरी पर सिंहराज की जैकेट को पीछे से देवेंद्र ने पकड़ कर उसे रोका और पीछे से ही मशीन के लोहे के हत्थे से उस के सिर के पिछले हिस्से पर वार कर दिया, जिस से सिंहराज जमीन पर गिर कर कुछ देर तड़पा, फिर मौत के आगोश में समा गया. सिंहराज की मौत की सूचना शिवानी को देने के बाद देवेंद्र अपने घर चला गया.

लेकिन दोनों पुलिस के शिकंजे से बच न सके. अभियुक्त देवेंद्र की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त लोहे का हत्था पुलिस ने बरामद कर लिया. फिर कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शिवानी और देवेंद्र को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्यसत्यकथा, जून 2020

रिश्तों में सेंध : अपनी ही बहन की बनी हत्यारी

नहने सिंह मंडी से सब्जी ला कर गांव में बेचने का काम करता था. उस का बेटा रवि भी इस काम में उस की मदद करता था. लौकडाउन के चलते रोजाना की तरह नहने उस दिन भी सुबह सब्जी खरीदने के लिए टूंडला मंडी गया था. सुबह 7 बजे सब्जी ले कर वह वापस घर लौट आया.

तब तक घर के सभी सदस्य जाग गए थे, लेकिन घर में उसे अपनी बेटी कंचन दिखाई नहीं दी. उस ने पत्नी से पूछा, ‘‘कंचन कहां है?’’

पत्नी ने बताया कि छत पर सो रही है, अभी तक नीचे नहीं आई है.

उसे उठाने के लिए रवि ने आवाज दी, लेकिन उस ने कोई जवाब नहीं दिया. इस पर घरवाले छत पर गए. देखा चारपाई पर कंचन मुंह ढंके सो रही थी. पास जा कर उसे हिलाया. लेकिन वह नहीं उठी. गौर से देखा तो कंचन मरी पड़ी थी. यह घटना 15 मई, 2020 की है.

कंचन की मौत की बात सुनते ही घर में कोहराम मच गया. चीखपुकार का शोर सुन कर आसपास के लोग आ गए. नहने की बेटी की अचानक मौत होने से गांव में सनसनी फैल गई.

इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. कुछ ही देर में पचोखरा थानाप्रभारी संजय सिंह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

कंचन के घरवालों ने पड़ोसियों पर कंचन की हत्या करने का आरोप लगाया. कारण आपसी रंजिश थानाप्रभारी ने इस घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी थी. कुछ ही देर में एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह और सीओ अजय सिंह चौहान फोरैंसिक टीम के साथ मौकाएवारदात पर आ गए.

कंचन की लाश देख उस की मां और बहनें बिलखबिलख कर रो रही थीं. उन्हें मोहल्ले  की महिलाएं संभाल रही थीं. पुलिस अधिकारियों ने मकान की छत पर जा कर चारपाई पर पड़े कंचन के शव का बारीकी से निरीक्षण किया, फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए.

जांच के दौरान फोरैंसिक टीम प्रभारी कुलदीप चौहान ने देखा, मृतका की गरदन पर चोट का निशान था. मतलब कंचन की हत्या की गई थी. उस की हत्या किस ने और क्यों की, इस का जवाब किसी के पास नहीं था. लेकिन मृतका के पिता नहने चिल्लाचिल्ला कर अपनी बेटी की हत्या का आरोप पड़ोसियों पर लगा रहा था.

पूछताछ में मृतका के भाई रवि ने बताया कि वह रात में पड़ोस में गया हुआ था. वहां एक लड़की को सांप ने काट लिया था. वहां से वह रात 12 बज कर 5 मिनट पर घर आया.

सवा 12 बजे छत पर गया, वहां बहन कंचन चारपाई पर सो रही थी. उस समय वह जिंदा थी या मर चुकी थी, उसे पता नहीं. वह छत से नीचे आ कर सो गया. सुबह 7 बजे पता चला कि बहन की मौत हो गई है.

पुलिस ने इस संबंध में घर वालों से पूछताछ की. पिता नहने ने बताया कि सभी लोग मकान के चबूतरे पर सो रहे थे. गरमी की वजह से रात में कंचन घर की छत पर चली गई थी. सुबह वह मृत मिली. रात में सोते समय  पड़ोसियों ने छत पर जा कर कंचन की हत्या कर दी.

पुलिस ने शव कब्जे में ले लिया. फिर मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भिजवा दी.

दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि कंचन की हत्या गला घोंटने से हुई थी. पुलिस ने मृतका के पिता नहने सिंह की तहरीर पर गांव के प्रणवीर यादव, उस की पत्नी गीता, प्रबल कुमार यादव व पीपी यादव के खिलाफ हत्या की आशंका का केस दर्ज कर लिया.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि पड़ोसी उस से व उस के परिवार से  रंजिश रखते थे. इस के चलते बेटी कंचन की सोते समय गला दबा कर हत्या कर दी गई.

नहने सिंह अपने परिवार के साथ जिला फिरोजाबाद के गांव जारखी में रहता था. उस के 5 बच्चों में बेटी गीता सब से बड़ी थी, दूसरे नंबर का बेटा रवि था. इस से छोटी कंचन और शिवानी थीं. दोनों छोटी बहनें जवान थीं. नहने ने दोनों बहनों का रिश्ता तय कर दिया था.

29 जून को कंचन व शिवानी की बारात आनी थी. घर में खुशी का माहौल था और शादी की तैयारियां चल रही थीं.

सीओ अजय चौहान ने एसओजी टीम को भी इस घटना के खुलासे के लिए लगा दिया. एसओजी प्रभारी कुलदीप चौहान अपनी टीम सहित इस कार्य में जुट गए.

जांच के दौरान पुलिस ने पड़ोसियों से भी पूछताछ की. पूछताछ के दौरान पता चला कि दोनों बहनों कंचन व शिवानी की जून में शादी होने वाली थी. पुलिस ने प्रेम प्रसंग को ले कर भी जांच की. लेकिन उसे पता चला कि कंचन का किसी से कोई प्रेमप्रसंग नहीं चल रहा था.

जांच के दौरान पता चला कि मृतका कंचन के मोबाइल की काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा था, जिस पर कंचन की अकसर बात होती थी. उस नंबर पर बात भी काफी देर तक होती थी. पूछताछ पर पता चला कि यह नंबर कंचन के जीजा भूरा का था.

इस पर पुलिस ने मृतका के घरवालों से गहनता से पूछताछ की. पुलिस को पता चला कि नहने के 5 बच्चों में सब से बड़ी बेटी गीता शादीशुदा है. उस की शादी आगरा के थाना क्षेत्र गांव लड़ामदा में भूरा के साथ हुई थी. उस के 2 बच्चे भी हैं. वह पिछले 2 माह से अपने मायके जारखी में रह रही थी.

इस के बाद पुलिस ने गीता और उस के पति भूरा के संबंधों के बारे में जानकारी जुटाई. पुलिस को पता चला कि पतिपत्नी के बीच रिश्ते मधुर नहीं थे. छोटी बहन कंचन अपने जीजा से अकसर मोबाइल पर बात करती थी. पुलिस ने इस पहलू पर भी जानकारी जुटाई कि कहीं जीजासाली के बीच कोई खिचड़ी तो नहीं पक रही थी. कहीं कंचन पत्नी के बीच रोड़ा तो नहीं बन रही थी.

मृतका के पिता ने पड़ोस के 4 लोगों पर शक जताते हुए हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस और एसओजी टीम ने जब मामले की गहनता से जांच की तो बात कुछ और निकली.

बड़ी बहन गीता ने खून के रिश्तों को कलंकित होते देख अपनी छोटी बहन कंचन की गला दबा कर हत्या कर दी थी.

पूछताछ के बाद पुलिस ने 20 मई, 2020 को बड़ी बहन गीता को छोटी बहन कंचन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. गीता ने अपना जुर्म कबूल कर लिया.  गीता ने बहन की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी—

गीता की शादी 7-8 साल पहले हुई थी. छोटी बहन कंचन से पति भूरा के संबंध होने का गीता को शक था. शक की बुनियाद यह थी कि दोनों मोबाइल पर घंटों बात करते थे. इस के चलते उसे दोनों के बीच प्रेम संबंध होने का शक हो गया था. गीता ने पति से कई बार कंचन से बात करने को मना किया.  लेकिन उस का पति कंचन को ले कर उस के साथ आए दिन मारपीट करता था.

पिछले 2 महीने से गीता अपने मायके में रह रही थी. उस ने देखा कि यहां भी उस के पति और बहन कंचन के बीच काफी देर तक बातें होती थीं. दोनों मोबाइल पर चिपके रहते थे. यह बात गीता को नागवार गुजरती थी.

घटना से एक दिन पहले भी गीता का कंचन से विवाद हुआ था. गीता को यह बात बुरी लगती थी कि शादी तय हो जाने के बाद भी कंचन उस के पति से बात करती रहती है.

गीता को शक था कि जीजा से बात करने के लिए कंचन गरमी का बहाना कर छत पर चली गई है. वह रात में उस के पति से बात करेगी. उस दिन रात के समय उस का भाई रवि भी मोहल्ले में चला गया था. अच्छा मौका देख कर गीता छत पर गई. उस समय कंचन चारपाई पर गहरी नींद में सोई हुई थी. इसलिए उस ने छत पर अकेली सो रही कंचन का गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया. उस ने गला इतनी जोर से दबाया कि कंचन की चीख भी नहीं निकल सकी.

हत्या के बाद वह दबे पांव नीचे आ कर सो गई. सुबह कंचन की मौत की खबर पर दुख जताते हुए वह भी रोने का नाटक करती रही.

पुलिस ने गीता को बहन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

जीजा और साली का रिश्ता हंसीमजाक का होता है. जीजा से मोबाइल पर हंसहंस कर बात करना ही कंचन की मौत का कारण बन गया. गीता को अपनी बहन के चरित्र पर शक हो गया था, लेकिन शक दिनोंदिन इतना गहराता गया कि अंतत: उस ने उस की हत्या कर दी.

पुलिस ने युवती की हत्या की गुत्थी का घटना के 5 दिन बाद ही खुलासा कर दिया. गीता ने शक के चलते अपना परिवार उजाड़ लिया. नहने के घर में शादी की खुशियां मातम में बदल गईं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्यसत्यकथा, जून 2020

2 सिपाही, 2 गोली : पत्नी के अवैध सम्बन्ध ने बनाया हत्यारा

रंजिश उस विषबेल की तरह होती है, जो बड़े पेड़ों से भी लिपट जाए तो धीरेधीरे उस के वजूद को लीलने लगती है. दिल्ली पुलिस के 4 मई, 2020 की बात है. मनोज की आंखें खुलीं तो उस ने पास रखे मोबाइल फोन पर नजर डाली. उस समय सुबह के साढ़े 6 बज चुके थे. वह फटाफट उठा और फ्रैश होने चला गया. दरअसल, मनोज दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल था और घर पर रहने के दौरान टहलने जरूर जाता था. उस दिन वह देर से सो कर उठा, इसलिए जल्दबाजी में मौर्निंग वाक पर जाने के लिए तैयारहो गया.

मनोज परिवार सहित हरियाणा के जिला झज्जर के कस्बा बहादुरगढ़ स्थित लाइनपार की वत्स कालोनी में रहता था. मनोज की गली में ही रमेश कुमार भी रहता था. वह रिश्ते में मनोज का चाचा था, लेकिन दोनों हमउम्र थे इसलिए उन की आपस में खूब पटती थी. मनोज चाचा रमेश को साथ ले कर टहलने जाता था.

मनोज तैयार हो कर चाचा रमेश कुमार के यहां पहुंचा, फिर दोनों नजदीक ही स्थित मुंगेशपुर ड्रेन पर पहुंच कर नहर के किनारे टहलने लगे. दोनों अकसर वहीं पर मौर्निंग वाक करते थे. उन्हें वहां पहुंचे कुछ ही देर हुई थी कि उन के पास एक बाइक आ कर रुकी, बाइक पर अंगौछे से अपना चेहरा ढंके 2 युवक बैठे थे.

इस से पहले कि मनोज और रमेश कुछ समझ पाते, बाइक पर पीछे बैठे युवक ने पिस्टल निकाल कर मनोज पर निशाना साधते हुए गोली चला दी. लेकिन रमेश ने फुरती दिखाते हुए मनोज को धक्का दे दिया, जिस से मनोज नीचे गिर गया. लेकिन पिस्टल से चली गोली रमेश के सिर में जा लगी. गोली लगते ही रमेश जमीन पर गिर पड़ा.

एक गोली चलाने के बाद भी बदमाश रुका नहीं, उस ने मनोज पर दूसरी गोली चलाई जो उस के पेट में जा लगी. मनोज को गोली मारने के बाद बाइक सवार फरार हो गए. उधर गोली लगते ही मनोज अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागा.

मनोज ने घायलावस्था में ही अपने भाई संदीप को फोन कर के अपने साथ घटी घटना की जानकारी देते हुए तुरंत मौके पर पहुंचने को कहा. संदीप अपने एक दोस्त को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गया. सिर में गोली लगने से रमेश की मौत हो चुकी थी और मनोज पेट में उस जगह को हाथ से दबाए हुए था, जिस जगह गोली लगी थी.

संदीप ने दोस्त की मदद से मनोज को स्कूटी पर बैठाया और इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरों ने मनोज को मृत घोषित कर दिया. इस गोली कांड की सूचना जब पुलिस को मिली तो थाना लाइनपार के थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार घटनास्थल पर पहुंच गए. डीएसपी राहुल देव भी वहां आ गए.

लौकडाउन के समय में एक पुलिसकर्मी और एक अन्य व्यक्ति की दिनदहाड़े हुई हत्या पर जिला पुलिस प्रशासन सकते में आ गया. इस के अलावा बहादुरगढ़ क्षेत्र में भी सनसनी फैल गई. लोगों में कोरोना को ले कर पहले से ही भय व्याप्त था, इस दोहरे हत्याकांड पर वे और ज्यादा असुरक्षित महसूस करने लगे.

रमेश कुमार और कांस्टेबल मनोज की हत्या के बाद उन के घरों में कोहराम मच गया. दोनों ही शादीशुदा थे. उन के बीवीबच्चों का रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस अधिकारी घर वालों को समझाने की कोशिश कर रहे थे. सूचना पा कर झज्जर से पुलिस कप्तान भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया, इस संबंध में मृतकों के घर वालों से पूछताछ की.

मनोज के भाई संदीप कुमार ने आरोप लगाया कि इस हत्याकांड को इसी कालोनी के रहने वाले फौजी रणबीर सिंह और उस के घर वालों ने अंजाम दिया है. पुलिस कप्तान ने थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार को आदेश दिए कि वह केस को खोलने के लिए जरूरी काररवाई करें.

कप्तान साहब ने सीआईए की 2 टीमों को भी हत्यारों का पता लगाने के लिए लगा दिया. इस के बाद पुलिस अधिकारियों ने सिविल अस्पताल जा कर दिल्ली पुलिस के जवान मनोज कुमार की लाश का भी मुआयना किया.

थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार ने घटनास्थल का मुआयना करने के बाद रमेश कुमार की लाश भी पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पुलिस टीमें तत्परता से इस काम में जुट गईं. चूंकि मृतक सिपाही मनोज कुमार के भाई संदीप ने हत्या का आरोप कालोनी में रहने वाले बीएसएफ के जवान रणबीर सिंह और उस के घर वालों पर लगाया था, इसलिए पुलिस को सब से पहले फौजी रणबीर से पूछताछ करनी थी.

पुलिस टीम जब फौजी रणबीर के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला. उस के घर वाले भी पुलिस को सही बात नहीं बता सके. पुलिस को यह पहले ही पता लग चुका था कि रणबीर कुछ दिनों पहले ही छुट्टी ले कर घर आया था.

इस के बाद पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी. उस के घर के बाहर पुलिस की चौकसी बढ़ा दी. इतना ही नहीं, मुखबिरों को भी लगा दिया. फौजी रणबीर की तलाश के साथसाथ पुलिस ने शक के आधार पर आपराधिक प्रवृत्ति के कई लोगों को भी पूछताछ के लिए उठा लिया.उन सभी से इस दोहरे हत्याकांड के बारे में पूछताछ की गई. कई तरह से की गई पूछताछ के बाद भी उन बदमाशों से काम की कोई जानकारी नहीं मिल सकी तो उन्हें हिदायतें दे कर घर भेज दिया गया.

घटना के 3 दिन बाद मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने फौजी रणबीर को हिरासत में ले लिया. उस से कांस्टेबल मनोज और उस के चाचा रमेश कुमार की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई. उस ने पुलिस से कहा कि मनोज और उस के घर वाले उस से दुश्मनी रखते हैं. वह भला उन दोनों को क्यों मारेगा.

‘‘जब तुम ने उन्हें नहीं मारा तो घर से लापता क्यों हुए?’’ थानाप्रभारी ने पूछा. ‘‘नहीं सर, मैं लापता नहीं हुआ था बल्कि बहादुरगढ़ में किसी से मिलने गया था.’’ फौजी ने सफाई दी.

पुलिस को लगा कि शायद अब यह आसानी से सच्चाई नहीं बताएगा, लिहाजा उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल मनोज कुमार और रमेश की हत्या उस ने खुद तो नहीं की, लेकिन 20 लाख रुपए की सुपारी दे कर उस ने यह काम दूसरे लोगों से कराया था.

इस की वजह यह थी कि मनोज ने रणवीर जीना दुश्वार कर रखा था. कई बार समझाने के बाद भी, उस ने समाज में न तो अपनी इज्जत का ध्यान रखा और न ही रणवीर की. पूरे समाज में उस ने खूब बेइज्जती कराई थी.

फौजी ने इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह अवैध संबंधों की बुनियाद पर रचीबसी निकली—

हरियाणा के जिला झज्जर के कस्बा बहादुरगढ़ के लाइनपार क्षेत्र में स्थित वत्स कालोनी का रहने वाला रणबीर सीमा सुरक्षा बल में कांस्टेबल था. उस की शादी रूबी (परिवर्तित नाम) से हुई थी. बीएसएफ में होने की वजह से वह काफीकाफी दिनों बाद ही घर आ पाता था. इसी वत्स कालोनी में मनोज कुमार भी रहता था, जो दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल था. वह भी शादीशुदा था.

बताया जाता है कि मनोज और रूबी के बीच अवैध संबंध हो गए थे. किसी तरह यह जानकारी रणबीर को हुई तो उस ने न सिर्फ अपनी पत्नी रूबी को बल्कि मनोज को भी बहुत समझाया, लेकिन दोनों ने ही उस की बातों पर अमल नहीं किया.

इस के बाद रणबीर ने पत्नी के साथ सख्ती की, लेकिन वह तो एक तरह से ढीठ हो गई थी. रणबीर भले ही अपनी ड्यूटी पर रहता था, लेकिन उस का ध्यान पत्नी की ओर ही लगा रहता था.

उस के शुभचिंतक फोन पर ही उस की पत्नी की करतूतें उसे बताते रहते थे. रणबीर पत्नी के बारे में सुनसुन कर परेशान हो गया था. लिहाजा उस ने कुछ दिनों पहले पत्नी को तलाक दे दिया था.

फौजी रणबीर से तलाक लेने के बाद रूबी वत्स कालोनी में ही किराए का मकान ले कर रहने लगी. तलाक के बाद वह एक तरह से आजाद हो गई थी. उस ने मनोज से भी संबंध खत्म नहीं किए थे. यह जानकारी फौजी रणबीर को भी मिल चुकी थी.

रणबीर के मन में बस एक बात ही घूम रही थी कि मनोज की वजह से उस के जीवन में अशांति आई थी, तो क्यों न उस को ही ठिकाने लगा दिया जाए. इसी काम के मकसद से कुछ दिन पहले वह छुट्टी ले कर घर आया.

मनोज को ठिकाने लगवाने के लिए उस ने बहादुरगढ़ की लाइनपार स्थित फ्रैंड्स कालोनी में रहने वाले पवन से बात की. पवन मूलरूप से सोनीपत के जौली गांव का रहने वाला था. 2 लाख रुपए में पवन से मनोज की हत्या की बात तय हो गई. फौजी ने उसी समय 5 हजार रुपए उसे एडवांस के तौर पर भी दे दिए.

पवन की दोस्ती पश्चिमी दिल्ली के रघुबीर नगर निवासी तेजपाल उर्फ घूणी से थी. पवन और तेजपाल वैसे तो पेंटर थे, लेकिन पैसों के लालच में मनोज की हत्या करने को राजी हो गए. बातचीत तय हो जाने के बाद पवन और तेजपाल कांस्टेबल मनोज की रेकी करने लगे. उन्होंने उस की हत्या हरियाणा में ही करनी तय की.

रेकी के बाद उन्हें पता चला कि मनोज रोजाना मौर्निंग वाक के लिए मुंगेशपुर ड्रेन पर जाता है. सुबह के समय नहर के किनारे सुनसान रहते हैं, इसलिए दोनों को यही समय ठीक लगा.

4 मई, 2020 को मनोज कुमार अपने दूर के रिश्ते के चाचा रमेश कुमार के साथ सुबह 7 बजे के करीब मुंगेशपुर में नहर किनारे घूमने गया, तभी पवन और तेजपाल मोटरसाइकिल से वहां पहुंचे और उन्होंने मनोज के चक्कर में रमेश को भी मौत के घाट उतार दिया.

फौजी रणबीर से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसी दिन अन्य आरोपियों पवन और तेजपाल उर्फ धूणी को भी हिरासत में ले लिया. पुलिस ने उन के पास से .32 एमएम की पिस्टल व 7 जीवित कारतूस और वारदात में इस्तेमाल की गई बाइक भी बरामद कर ली.

तीनों आरोपियों के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश रचने का मुकदमा दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार ने उन्हें कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया. घटना में रूबी की कोई भूमिका सामने नहीं आई थी. मामले की जांच थानाप्रभारी देवेंद्र कुमार कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

सौजन्यसत्यकथा, जून 2020

एक सहेली ऐसी भी : अपनी खुशियों के लिए किया कत्ल

जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश. तारीख 10 मार्च, 2020. अलीगढ़ के थाना गांधीपार्क क्षेत्र की कुंवरनगर कालोनी. उस दिन होली थी. कुंवरनगर कालोनी के भूरी सिंह ने दोस्तों और परिचितों के साथ जम कर होली खेली. होली खेलने के बाद वह नहाधो कर सो गया. भूरी सिंह सटरिंग का काम करता था. शाम को सो कर उठने के बाद वह अपनी पत्नी रूबी से यह कह कर कि ठेकेदार से अपने रुपए लेने जा रहा है, घर से निकल गया.

जब वह देर रात तक घर वापस नहीं आया तो पत्नी को उस की चिंता हुई. रात गहराने लगी तो रूबी ने किराएदार हरिओम की पत्नी रितू के मोबाइल से पति को फोन किया, लेकिन उस का फोन रिसीव नहीं हुआ.

दूसरे दिन 11 मार्च की सुबह 7 बजे लोगों ने कालोनी से निकलने वाले नाले में एक लाश उल्टी पड़ी देखी. इस जानकारी से कालोनी में सनसनी फैल गई. आसपास के लोग जमा हो गए. इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. कुछ ही देर में थाना गांधी पार्क के थानाप्रभारी सुधीर धामा पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए.

इसी बीच भूरी सिंह की पत्नी रूबी को किसी ने नाले में लाश मिलने की जानकारी दी. रूबी तत्काल वहां पहुंच गई. थानाप्रभारी ने लाश को नाले से बाहर निकलवाया. मृतक की शिनाख्त घटनास्थल पर पहुंची उस की पत्नी रूबी व छोटे भाई किशन लाल गोस्वामी ने भूरी सिंह गोस्वामी के रूप में की.

थानाप्रभारी ने इस घटना की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी थी. कुछ ही देर में एसपी (सिटी) अभिषेक कुमार फोरैंसिक टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

पति की लाश देख रूबी बिलखबिलख कर रो रही थी. मोहल्ले की महिलाओं ने उसे किसी तरह संभाला.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, फिर फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए.  मृतक के मुंह पर टेप लगा था और उस के हाथपैर रस्सी से बंधे हुए थे.

जांच के दौरान फोरैंसिक टीम ने देखा कि मृतक भूरी की गरदन पर चोट का निशान है. भूरी सिंह की हत्या किस ने और क्यों की, इस का जवाब किसी के पास नहीं था. सवाल यह भी था कि हत्यारे हत्या कर लाश को मृतक के छोटे भाई के घर के पास नाले में क्यों फेंक गए थे?

पुलिस का अनुमान था कि हत्यारे भूरी सिंह की हत्या किसी अन्य स्थान पर करने के बाद लाश को उस के छोटे भाई किशन गोस्वामी के घर के पास फेंक गए होंगे. होली का त्यौहार होने के कारण आवागमन कम होने से हत्यारों को लाश फेंकते किसी ने नहीं देखा होगा. पुलिस को मृतक की जेब से उस का मोबाइल भी मिल गया था.

थानाप्रभारी ने रूबी से उस के पति के बारे में पूछताछ की. रूबी ने बताया, ‘मंगलवार रात 9 बजे पति के मोबाइल पर पेमेंट ले जाने के लिए ठेकेदार का फोन आया था. इस के बाद वह घर से निकल गए और फिर नहीं लौटे. काफी रात होने पर उन्हें फोन किया, लेकिन काल रिसीव नहीं हुई थी.’

परिवार वालों को यह जानकारी नहीं थी कि भूरी सिंह किस ठेकेदार के पास रुपए लेने गया था. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

दूसरे दिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आई तो पता चला कि भूरी सिंह की हत्या तार अथवा रस्सी से गला घोटने से हुई थी. मृतक के भाई किशनलाल गोस्वामी की तहरीर पर पुलिस ने मृतक भूरी सिंह की पत्नी रूबी, उस के किराएदार डब्बू, डब्बू की पत्नी रजनी और दूसरे किराएदार हरिओम और डब्बू के एक दोस्त आसिफ के विरुद्ध हत्या का केस दर्ज कर लिया.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि मृतक भूरी सिंह की पत्नी रूबी के किराएदार डब्बू से अवैध संबंध थे. इस का भूरी सिंह विरोध करता था. इस बात को ले कर रूबी और भूरी सिंह में आए दिन झगड़ा होता रहता था. घटना से 10 दिन पहले भी रूबी व किराएदार डब्बू ने मिल कर भूरी सिंह को पीटा था.

घटना वाली रात डब्बू ने अपने दोस्त आसिफ को घर बुलाया और पांचों नामजदों ने मिल कर भूरी की हत्या कर दी. हत्या के बाद लाश को मकान से कुछ दूर नाले में फेंक दिया.

सुबह रूबी ने अपने आप को साफसुथरा दिखाने के लिए पुलिस को कपोलकल्पित कहानी सुनाई थी कि भूरी सिंह ठेकेदार से पेमेंट लेने गया था, जो लौट कर घर नहीं आया.

पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी. सीओ (द्वितीय) पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि मृतक की लाश से उस का मोबाइल बरामद हुआ था, जिस की मदद से कुछ तथ्य सामने आए. पुलिस केस की गहनता से जांच कर रही थी. नतीजतन पुलिस ने घटना के दूसरे दिन ही इस हत्या की गुत्थी सुलझा ली.

दरअसल, पुलिस ने भूरी सिंह की हत्या के आरोप में मृतक की पत्नी रूबी व उस के किराएदार डब्बू की पत्नी रजनी को हिरासत में ले कर पूछताछ की. शुरुआती पूछताछ में दोनों पुलिस को बरगलाने की कोशिश करने लगीं. लेकिन जब सख्ती हुई तो दोनों एकदूसरे को देख कर टूट गईं और अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

12 मार्च को एसपी (सिटी) अभिषेक कुमार ने पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता के दौरान जो कुछ बताया, वह चौंकाने वाला था. दरअसल, सभी समझ रहे थे कि भूरी सिंह की हत्या उस की पत्नी रूबी के किराएदार डब्बू से अवैध संबंधों के बीच रोड़ा बनने के चलते की गई थी, लेकिन हकीकत कुछ और ही थी, जिसे सुन कर पुलिस ही नहीं सभी हक्केबक्के रह गए.

भूरी सिंह की हत्या का कारण था 2 महिलाओं के समलैंगिक संबंध. रूबी और रजनी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. दोनों ने इस हत्याकांड के पीछे जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी—

भूरी सिंह की हत्या पूरी प्लानिंग के तहत की गई थी. इन दोनों महिलाओं ने ही उस की हत्या की पटकथा एक माह पहले लिख दी थी, जिसे अंजाम तक पहुंचाया होली के दिन गया.

भूरी सिंह की पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उस का विवाह पत्नी की बहन यानी साली रूबी से करा दिया गया था. भूरी सिंह दूसरी पत्नी रूबी से उम्र में 11 साल बड़ा था. भूरी सिंह के पहली पत्नी से 3 बेटे व 1 बेटी थी.

भूरी सिंह सीधेसरल स्वभाव का था. वह केवल अपने काम से काम रखता था. ऐसे व्यक्ति का सीधापन कभीकभी उस के लिए ही घातक साबित हो जाता है. भूरी सिंह जैसा था, उस की पत्नी रूबी ठीक उस के विपरीत थी. वह काफी तेज और चंचल स्वभाव की थी.

घर वालों ने उस की शादी भूरी सिंह से इसलिए की थी ताकि बहन के बच्चों की देखभाल ठीक से हो जाए. वह मजबूरी में भूरी सिंह का साथ निभा रही थी. अपनी ओर भूरी सिंह द्वारा ध्यान न देने से जवान रूबी की रातें करवटें बदलते कटती थीं.

भूरी सिंह अपने बड़े भाई के मकान में किराए पर रहता था. पड़ोस में ही रजनी भी किराए के मकान में रहती थी. दोनों हमउम्र थीं. एकदूसरे के यहां आनेजाने के दौरान जानेअनजाने सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो, वीडियो देखतेदेखते दोनों में नजदीकियां हो गईं, फिर दोस्ती गहरा गई.

दोनों के बीच समलैंगिक संबंध बन गए और एकदूसरे से पतिपत्नी की तरह प्यार करने लगीं. रूबी पत्नी तो रजनी पति का रिश्ता निभाने लगी.

दोनों सोशल मीडिया की इस कदर मुरीद थीं कि अपना ज्यादातर समय मोबाइल पर बिताती थीं. दोनों अपने इस रिश्ते के वीडियो तैयार कर के टिकटौक पर भी अपलोड करती थीं. उन के कई वीडियो वायरल हो चुके थे.

डब्बू और रजनी की शादी को 5 साल हो गए थे. उन का कोई बच्चा नहीं था. इसलिए भी दोनों महिलाओं के रिश्ते और गहरे हो गए. बाद में दोनों ने साथ रहने की कसमें खाते हुए कभी जुदा न होने का फैसला लिया.

इस बीच भूरी सिंह ने अपना मकान बनवा लिया था. रूबी और रजनी के बीच बने संबंध इस कदर प्रगाढ़ हो चुके थे कि घटना से एक साल पहले पति भूरी सिंह से जिद कर के रूबी ने अपने मकान की ऊपरी मंजिल पर एक कमरा और बनवा लिया था. फिर रजनी को उस के पति डब्बू के साथ किराएदार बना कर रख लिया, ताकि उन के संबंधों के बारे में किसी को पता न चल सके.

एक ही मकान में रहने से अब दोनों महिलाएं बिना किसी डर के आपस में मिल लेती थीं. भूरी सिंह सटरिंग के काम के लिए सुबह ही निकल जाता था और देर शाम लौटता था. इस के चलते दोनों सहेलियों में पिछले 2 सालों में गहरे समलैंगिक संबंध बन गए थे. दोनों एकदूसरे से बिना मिले नहीं रह पाती थीं.

इन अनैतिक संबंधों को बनाए रखने के लिए दोनों काफी गोपनीयता बरतती थीं. फिर भी उन की पोल खुल ही गई. एक माह पहले ही भूरी सिंह को अपनी पत्नी रूबी  और किराएदार रजनी के बीच चल रहे अनैतिक संबंधों का पता चल गया. दोनों महिलाओं के बीच चल रहे प्रेम संबंधों का पता चलने के बाद भूरी सिंह के होश उड़ गए. वह परेशान रहने लगा.

उस ने इन अनैतिक संबंधों को गलत बताते हुए विरोध किया. उस ने पत्नी रूबी को समझाया और रजनी से दूर रहने को कहा. इन्हीं संबंधों को ले कर दोनों में विवाद होने लगा. भूरी सिंह ने रूबी को सुधर जाने की हिदायत देते हुए कहा कि वह अपने मकान में रजनी को किराएदार नहीं रखेगा.

दूसरे दिन भूरी सिंह के काम पर जाने के बाद रूबी ने यह बात रजनी को बताई. भूरी सिंह उन के प्रेम संबंधों में बाधक बन रहा था, इस से दोनों परेशान हो गईं. काफी विचारविमर्श के बाद दोनों ने राह के रोड़े भूरी सिंह को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. इस के बाद भी दोनों के संबंध चलते रहे. हां, अब दोनों थोड़ी होशियारी से मिलती थीं.

होली वाले दिन शाम को रूबी और रजनी ने भूरी सिंह को जम कर शराब पिलाई. इस के चलते भूरी सिंह नशे में बेसुध हो गया, तो दोनों ने उस के हाथपैर रस्सी से बांधे और मुंह पर टेप लगाने के बाद रस्सी से गला घोंट कर हत्या कर दी.

रात होने पर दोनों ने लाश को पड़ोस में रहने वाले छोटे भाई किशनलाल के घर के पास नाले में फेंक दिया ताकि शक भाई  के ऊपर जाए. बुधवार को कुंवर नगर कालोनी में नाले में उस का शव मिला.

पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर रूबी ने अफवाह फैला दी कि उस का पति भूरी सिंह ठेकेदार से रुपए लेने की बात कह कर घर से निकला था, लेकिन देर रात तक जब घर वापस नहीं आया, तब उस ने किराएदार हरिओम की पत्नी रितू के फोन से काल थी. जबकि हकीकत वह स्वयं जानती थी.

पुलिस ने इस हत्याकांड का खुलासा करने के साथ ही दोनों महिलाओं की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त रस्सी व टेप बरामद कर लिया. दोनों महिलाओं को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

हालांकि भारतीय दंड संहिता की धारा-377 को वैध कर दिया गया है यानी समलैंगिकता अब हमारे देश में कानूनन अपराध नहीं है, अर्थात आपसी सहमति से 2 व्यस्कों के बीच समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं रहा. लेकिन हमारे देश में अभी तक इसे पूरी तरह अपनाया नहीं गया है. इसी के चलते लोग अपने संबंधों को समाज में स्थापित करने के लिए अपराध की राह पर चल पड़ते हैं. भूरी सिंह हत्याकांड के पीछे भी यही कारण प्रमुख रहा.

दोनों महिलाओं के अनैतिक संबंधों के चलते उन के परिवार उजड़ गए. भूरी सिंह की मौत के बाद उस के चारों अबोध बच्चे अनाथ हो गए.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्यसत्यकथा, मई 2020

प्रश्नचिन्ह बनी बेटी

दिनांक: 10 फरवरी, 2020 स्थान: गांव- मिट्ठौली, थाना- नौहझील, जिला- मथुरा, उत्तर प्रदेश  समय: रात 10 बजे रिटायर्ड फौजी चेतराम उर्फ झगड़ू का घर अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा.

किसी अनहोनी की आशंका से गांव वाले जब फौजी के मकान पर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर सकते में आ गए. रिटायर्ड फौजी चेतराम घर के बाहर खून से लथपथ पड़ा था. फोजी की 17 वर्षीय बेटी अलका हाथ में लोडेड पिस्टल लिए खड़ी थी, उस के कपड़ों पर खून लगा था. गांव वालों को देखते ही अलका ने पिस्टल तानते हुए धमकी दी, ‘‘कोई भी मेरे पास आने की कोशिश न करे. आगे बढ़ा तो गोली मार दूंगी.’’

उस के हाथ में लोडेड पिस्टल देख किसी की भी उस के पास जाने की हिम्मत नहीं हुई. कुछ देर बाद अलका मकान की ऊपरी मंजिल पर चली गई. वहां उस की मां राजकुमारी उर्फ नेहा लहूलुहान पड़ी थी. इसी बीच किसी ने पुलिस को घटना की जानकारी दे दी.

इस सनसनीखेज घटना की जानकारी मिलते ही नौहझील के थानाप्रभारी विनोद कुमार यादव पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मौकाएवारदात पर पुलिस ने वारदात के बारे में पड़ोसियों से पूछताछ शुरू की.

पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची, तब भी खून से लथपथ फौजी चेतराम घर के बाहर पड़ा था, उस के पास ही पिस्टल पड़ी थी. पुलिस मकान की पहली मंजिल पर पहुंची तो वहां राजकुमारी और बेटी अलका खून से लथपथ पड़ी मिलीं.

मामला एक फौजी परिवार का था, इसलिए पुलिस के उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया. खबर पा कर एसएसपी शलभ माथुर और सीओ मांट आलोक दूबे घटनास्थल पर पहुंच गए. साथ ही फोरैंसिक टीम भी आ गई. अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

फौजी के घर में पत्नी के अलावा एक बेटी व एक बेटा था. परिवार के 4 सदस्यों में से 3 को गोलियां लगी थीं. इस वीभत्स गोलीकांड का एकमात्र गवाह फौजी का बेटा आदर्श ही था. इस गवाह को खरोंच तक नहीं आई थी. पुलिस ने फौजी, उस की पत्नी और बेटी को उपचार के लिए मथुरा के नयति अस्पताल भिजवा दिया.

नौहझील पुलिस ने अपने स्तर से जानकारी जुटाने के साथ ही ग्रामीणों से भी पूछताछ की. सूचना पर पहुंची फोरैंसिक टीम ने घर में कारतूस भी तलाशे और दीवारों में फंसी गोलियां भी निकालीं. फोरैंसिक टीम काफी देर तक पूरे घर को खंगालती रही.

टीम ने खून के नमूने और खून आलूदा मिट्टी के नमूने भी लिए. फौजी चेतराम के घर से पिस्टल, 2 खोखे, 3 जिंदा कारतूस, खाली मैगजीन और 4 कारतूसों की एक और मैगजीन बरामद हुई. पुलिस ने पिस्टल को बैलेस्टिक जांच के लिए भेजने हेतु जब्त कर लिया.

इस सनसनीखेज वारदात ने लोगों को हिला कर रख दिया था. गांव वाले चर्चा कर रहे थे कि अलका ने मांबाप को गोली मारने के साथ खुद को भी गोली मार ली. हालांकि यह केवल चर्चा थी. वास्तविकता का किसी को भी पता नहीं था. इस का पता पुलिस को ही लगाना था.

अस्पताल में जांच के बाद डाक्टरों ने बताया कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही चेतराम की मौत हो चुकी थी. जबकि घायल मांबेटी की हालत चिंताजनक थी. चेतराम के सीने से और राजकुमारी के सिर से गोली पार हो गई थी, जबकि अलका के पेट में गोली लगी थी. पुलिस ने चेतराम की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दी.

45 वर्षीय सेवानिवृत्त चेतराम जाट रेजीमेंट में नायक था. 2014 में वह सेवानिवृत्त हो चुका था. उस के परिवार में 17 वर्षीय बेटी अलका, 15 वर्षीय बेटा आदर्श और 38 वर्षीय पत्नी राजकुमारी उर्फ नेहा थे. अपनी नौकरी के दौरान ही चेतराम ने राइफल और पिस्टल का लाइसैंस ले लिया था. चेतराम चाहता था कि उस की बेटी अलका कोई ऊंचा मुकाम हासिल करे, इस के लिए उस ने दिल्ली में ओला कैब में अपनी गाड़ी लगा रखी थी.

अलका ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई नौहझील के स्कूल में की थी. इस के बाद उस ने बीएसए कालेज, मथुरा में एडमिशन ले लिया था. फिलहाल वह बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और प्रयागराज में कोचिंग ले रही थी. अलका घटना से कुछ दिन पहले ही गांव आई थी. उस का 15 वर्षीय भाई आदर्श मथुरा में ही 9वीं की पढ़ाई कर रहा था.

इस घटना में राजकुमारी के सिर की हड्डी टूट गई थी, चेहरे और आंखों पर भी सूजन थी. उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था. जबकि अलका के पेट में गोली लगने का निशान था.

अलका को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. राजकुमारी के सिर की हड्डी गोली से टूटी थी या किसी भारी चीज के प्रहार से, यह स्पष्ट नहीं हो पाया था. वहीं रिटायर्ड फौजी चेतराम को 2 गोलियां लगी थीं. एक सीने में और दूसरी पेट से कुछ ऊपर. यह खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ.

फौजी चेतराम का पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया. मुखाग्नि बेटे आदर्श ने दी. गांव वाले इस घटना को ले कर तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे.

मंगलवार 11 फरवरी को चेतराम के छोटे भाई ओमवीर सिंह ने अपनी भतीजी अलका व उस के प्रेमी अंकित के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया. ओमवीर का कहना था कि अलका का गांव के ही युवक अंकित के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था. चेतराम इस का विरोध करता था. इसी के चलते अलका और उस के प्रेमी अंकित ने मिल कर यह कांड कर डाला.

ओमवीर सिंह की तहरीर में यह बात भी शामिल थी कि गोलीकांड के बाद अंकित को उस ने भाई के घर से निकलते देखा था. इस के बाद वह अंदर गए तो अलका ने कहा, ‘‘मेरे और अंकित के बीच में जो भी आएगा, उसे छोड़ूंगी नहीं.’’

आखिर ऐसा क्या हुआ था कि मां और पिता को गोली लगने के साथसाथ बेटी भी घायल हो गई थी. यह बात अभी साफ नहीं थी कि आखिर गोली किस ने चलाई? इस मामले में सभी बिंदुओं की गहन पड़ताल की गई.

पता चला कि घटना वाली रात पतिपत्नी में विवाद हुआ था. पुलिस को गांव वालों से यह भी पता चला कि अलका का गांव के ही अंकित से प्रेम प्रसंग चल रहा था. यह भी स्पष्ट हो गया था कि गोलीबारी की शुरुआत पहली मंजिल पर हुई थी.

पुलिस ने गहनता से जांच कर पूरी जानकारी और साक्ष्य जुटाए गए. तथ्यों पर आधारित इस घटनाक्रम की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

अंकित और अलका ने नौहझील के स्कूल में इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई एक साथ पूरी की थी. दोनों में पिछले 5 साल से दोस्ती थी और दोनों रिलेशनशिप में थे.

महत्त्वाकांक्षी अलका देखने में स्मार्ट थी. गठे बदन और अच्छी लंबाई के कारण वह सुंदर दिखती थी. आधुनिक विचारों वाली अलका फैशन के हिसाब से कपड़े पहनती थी.

पुलिस जांच में सामने आया कि 31 दिसंबर, 2019 को अलका अचानक घर से लापता हो गई थी. उस  के पिता चेतराम ने उसे काफी तलाश किया. पता न लग पाने पर वह थाने भी पहुंचा. 5 दिन बाद गांव वालों के हस्तक्षेप के बाद अलका घर लौट आई. मगर यह शूल चेतराम के सीने में चुभता रहा. तभी से घर में क्लेश चल रहा था. विपरीत हालात देख अंकित का पिता नेत्रपाल अपने बेटे, बेटी और पत्नी को साथ ले कर गांव से चला गया था. नेत्रपाल भी सेना में था.

बचपन को पीछे छोड़ कर बेटी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी. पिता चेतराम को बेटी के रंगढंग देख कर उस की चिंता होने लगती थी. जबकि अलका के खयालों में हरदम अपने दोस्त से प्रेमी बने अंकित की तसवीर रहती थी. वह चाहती थी कि उस का चाहने वाला हर पल उस की नजरों के सामने रहे. उस के कदमों को बहकते देख चेतराम ने अलका पर पाबंदियां लगा दीं. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. वे दोनों चोरीछिपे मिलने लगे.

बेटी की नादानी के लिए चेतराम अपनी पत्नी राजकुमारी को दोषी मानता था. उस का मानना था कि मां की शह के चलते ही बेटी ने इतना बड़ा कदम उठाया और गांव में उस की इज्जत मिट्टी में मिला दी. बेटी के इस कारनामे के चलते वह गांव में किसी से नजर भी नहीं मिला पा रहा था.

सेवानिवृत्त फौजी चेतराम के परिवार में कई महीने से चल रही कलह की जानकारी गांव के लोगों के साथ ही चेतराम के घर वालों और रिश्तेदारों को भी थी. रिश्तेदारों ने कई बार कलह को निपटाने के लिए चेतराम और उस के परिवार वालों से बात की, लेकिन समाधान कोई नहीं निकला. पिता की हिदायत व रोकटोक से अलका बहुत नाराज थी.

घटना से 4 दिन पहले ही नेत्रपाल अपने परिवार सहित गांव वापस आया था. वह यह सोच कर गांव आया था कि हालात सामान्य हो गए होंगे. अलका भी कुछ दिन पहले ही प्रयागराज से गांव आई थी. बिछड़े हुए प्रेमियों ने इतने दिनों बाद एकदूसरे को देखा तो बिना मिले नहीं रह सके. चेतराम यह सब बरदाश्त नहीं कर सका.

घटना की रात चेतराम ने अलका की हत्या का फैसला किया, लेकिन सामने पड़ गई पत्नी राजकुमारी. उस ने पत्नी पर ही गोली चला दी, जिस से वह घायल हो गई. बाद में उस ने बेटी पर भी गोली चलाई जो उस के पेट में लगी. पत्नी को गोली लगने के बाद चेतराम सुधबुध खो बैठा. इस का फायदा उठा कर अलका ने पिस्टल छीन कर उस पर गोलियां दाग दीं. जान बचाने के लिए वह भागा और घर के बाहर जा कर गिर गया.

एसएसपी शलभ माथुर ने प्रैस कौन्फ्रैंस में बताया कि घटना वाली रात पुलिस को सूचना मिली थी कि गांव मिट्ठौली में बेटी ने अपने पिता और मां को गोली मार दी है. इसी सूचना पर पुलिस गांव पहुंची थी. लेकिन जांच में पता चला कि फौजी की बेटी अलका ने सेल्फ डिफेंस में गोली चलाई थी.

अलका ने अपने बयान में बताया कि उस के पिता ने पहले उस पर गोली चलाई थी. इस दौरान गोली बचाव में आई उस की मां राजकुमारी को लग गई. मां के गिरते ही उस ने दूसरी गोली उस पर चलाई जो उस के पेट से रगड़ती हुई निकल गई, जिस से वह घायल हो गई. जब पिता उस के भाई पर गोली चलाना चाहते थे, मैं ने तेजी से झपट्टा मार कर पिता के हाथ से पिस्टल छीन ली और बचाव में उन के ऊपर गोली चला दी. वह हम सब को मारना चाहते थे.

उधर इस गोलीकांड में मृत फौजी की घायल पत्नी राजकुमारी जो वेंटीलेटर पर थी, ने घटना के 29वें दिन 11 मार्च की रात नयति अस्पताल, मथुरा में दम तोड़ दिया. मां की मौत से कुछ दिन पहले ही अलका के ठीक होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.

आरोपी अंकित के खिलाफ पुलिस को पर्याप्त सबूत नहीं मिल सके. अलका और उस के भाई आदर्श से पूछताछ में अंकित का कोई जिक्र नहीं आया. जबकि गोली पिता द्वारा चलाए जाने की बात दोनों ने बताई.

बयान लेने के बाद पुलिस ने अलका के घर वालों से उसे सुपुर्दगी में लेने को कहा, लेकिन किसी ने उसे लेने की हामी नहीं भरी. इस पर सिटी मजिस्ट्रेट ने अगले आदेश तक उसे नारी निकेतन भेज दिया.

दुश्मन से जूझने का दमखम रखने वाला चेतराम अपने खून के साथ जीवन की जंग हार गया.

बेटी की नादानी से पिता बुरी तरह टूट गया था. जब बेटी अलका अपने प्रेमी के साथ 5 दिनों तक गायब रही थी, चेतराम ने तभी से खाना छोड़ कर शराब के नशे में डुबो दिया था. वह गहरे सदमे में था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्यसत्यकथा, मई 2020

मौज मजे में पति की आहूति

हरिओम तोमर मेहनतकश इंसान था. उस की शादी थाना सैंया के शाहपुरा निवासी निहाल सिंह की बेटी बबली से हुई थी. हरिओम के परिवार में उस की पत्नी बबली के अलावा 4 बच्चे थे. हरिओम अपनी पत्नी बबली और बच्चों से बेपनाह मोहब्बत करता था.

बेटी ज्योति और बेटा नमन बाबा राजवीर के पास एत्मादपुर थानांतर्गत गांव अगवार में रहते थे, जबकि 2 बेटियां राशि और गुड्डो हरिओम के पास थीं. राजवीर के 2 बेटों में बड़ा बेटा राजू बीमारी की वजह से काम नहीं कर पाता था. बस हरिओम ही घर का सहारा था, वह चांदी का कारीगर था.

हरिओम और बबली की शादी को 15 साल हो चुके थे. हंसताखेलता परिवार था, घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. दिन हंसीखुशी से बीत रहे थे. लेकिन अचानक एक ऐसी घटना घटी, जिस से पूरे परिवार में मातम छा गया.

3 नवंबर, 2019 की रात में हरिओम अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ घर से लापता हो गया. पिछले 12 साल से वह आगरा में रह रहा था. 36 वर्षीय हरिओम आगरा स्थित चांदी के एक कारखाने में चेन का कारीगर था.

पहले वह बोदला में किराए पर रहता था. लापता होने से 20 दिन पहले ही वह पत्नी बबली व दोनों बच्चियों राशि व गुड्डो के साथ आगरा के थानांतर्गत सिकंदरा के राधानगर इलाके में किराए के मकान में रहने लगा था.

आगरा में ही रहने वाली हरिओम की साली चित्रा सिंह 5 नवंबर को अपनी बहन बबली से मिलने उस के घर गई. वहां ताला लगा देख उस ने फोन से संपर्क किया, लेकिन दोनों के फोन स्विच्ड औफ थे.

चित्रा ने पता करने के लिए जीजा हरिओम के पिता राजबीर को फोन कर पूछा, ‘‘दीदी और जीजाजी गांव में हैं क्या?’’

इस पर हरिओम के पिता ने कहा कि कई दिन से हरिओम का फोन नहीं मिल रहा है. उस की कोई खबर भी नहीं मिल पा रही. चित्रा ने बताया कि मकान पर ताला लगा है. आसपास के लोगों को भी नहीं पता कि वे लोग कहां गए हैं.

किसी अनहोनी की आशंका की सोच कर राजबीर गांव से राधानगर आ गए. उन्होंने बेटे और बहू की तलाश की, लेकिन उन की कोई जानकारी नहीं मिली. इस पर पिता राजबीर ने 6 नवंबर, 2019 को थाना सिकंदरा में हरिओम, उस की पत्नी और बच्चों की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

जांच के दौरान हरिओम के पिता राजबीर ने थाना सिकंदरा के इंसपेक्टर अरविंद कुमार को बताया कि उस की बहू बबली का चालचलन ठीक नहीं था. उस के संबंध कमल नाम के एक व्यक्ति के साथ थे, जिस के चलते हरिओम और बबली के बीच आए दिन विवाद होता था. पुलिस ने कमल की तलाश की तो पता चला कि वह भी उसी दिन से लापता है, जब से हरिओम का परिवार लापता है.

पुलिस सरगरमी से तीनों की तलाश में लग गई. इस कवायद में पुलिस को पता चला कि बबली सिकंदरा थानांतर्गत दहतोरा निवासी कमल के साथ दिल्ली गई है. उन्हें ढूंढने के लिए पुलिस की एक टीम दिल्ली के लिए रवाना हो गई.

शनिवार 16 नवंबर, 2019 को बबली और उस के प्रेमी कमल को पुलिस ने दिल्ली में पकड़ लिया. दोनों बच्चियां भी उन के साथ थीं, पुलिस सब को ले कर आगरा आ गई. आगरा ला कर दोनों से पूछताछ की गई तो मामला खुलता चला गया.

पता चला कि 3 नवंबर की रात हरिओम रहस्यमय ढंग से लापता हो गया था. पत्नी और दोनों बच्चे भी गायब थे. कमल उर्फ करन के साथ बबली के अवैध संबंध थे. वह प्रेमी कमल के साथ रहना चाहती थी. इस की जानकारी हरिओम को भी थी. वह उन दोनों के प्रेम संबंधों का विरोध करता था. इसी के चलते दोनों ने हरिओम का गला दबा कर हत्या कर दी थी.

बबली की बेहयाई यहीं खत्म नहीं हुई. उस ने कमल के साथ मिल कर पति की गला दबा कर हत्या दी थी. बाद में दोनों ने शव एक संदूक में बंद कर यमुना नदी में फेंक दिया था.

पूछताछ और जांच के बाद जो कहानी सामने आई, वह इस तरह थी—

फरवरी, 2019 में बबली के संबंध दहतोरा निवासी कमल उर्फ करन से हो गए थे. कमल बोदला के एक साड़ी शोरूम में सेल्समैन का काम करता था. बबली वहां साड़ी खरीदने जाया करती थी. सेल्समैन कमल बबली को बड़े प्यार से तरहतरह के डिजाइन और रंगों की साडि़यां दिखाता था. वह उस की सुंदरता की तारीफ किया करता था.

उसे बताता था कि उस पर कौन सा रंग अच्छा लगेगा. कमल बबली की चंचलता पर रीझ गया. बबली भी उस से इतनी प्रभावित हुई कि उस की कोई बात नहीं टालती थी. इसी के चलते दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए थे.

अब जब भी बबली उस दुकान पर जाती, तो कमल अन्य ग्राहकों को छोड़ कर बबली के पास आ जाता. वह मुसकराते हुए उस का स्वागत करता फिर इधरउधर की बातें करते हुए उसे साड़ी दिखाता. कमल आशिकमिजाज था, उस ने पहली मुलाकात में ही बबली को अपने दिल में बसा लिया था. नजदीकियां बढ़ाने के लिए उस ने बबली से फोन पर बात करनी शुरू कर दी.

जब दोनों तरफ से बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो नजदीकियां बढ़ती गईं. फोन पर दोनों हंसीमजाक भी करने लगे. फिर उन की चाहत एकदूसरे से गले मिलने लगी. बातोंबातों में बबली ने कमल को बताया कि वह बोदला में ही रहती है.

इस के बाद कमल बबली के घर आनेजाने लगा. जब एक बार दोनों के बीच मर्यादा की दीवार टूटी तो फिर यह सिलसिला सा बन गया. जब भी मौका मिलता, दोनों एकांत में मिल लेते थे.

हरिओम की अनुपस्थिति में बबली और कमल के बीच यह खेल काफी दिनों तक चलता रहा. लेकिन ऐसी बातें ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रहतीं, एक दिन हरिओम को भी भनक लग गई. उस ने बबली को कमल से दूर रहने और फोन पर बात न करने की चेतावनी दे दी.

दूसरी ओर बबली कमल के साथ रहना चाहती थी. उस के न मानने पर वह घटना से 20 दिन पहले बोदला वाला घर छोड़ कर सपरिवार सिकंदरा के राधानगर में रहने लगा. 3 नवंबर, 2019 को हरिओम शराब पी कर घर आया. उस समय बबली मोबाइल पर कमल से बातें कर रही थी. यह देख कर हरिओम के तनबदन में आग लग गई. इसी को ले कर दोनों में झगड़ा हुआ तो हरिओम ने बबली की पिटाई कर दी.

बबली ने इस की जानकारी कमल को दे दी. कमल ने यह बात 100 नंबर पर पुलिस को बता दी. पुलिस आई और रात में ही पतिपत्नी को समझाबुझा कर चली गई. पुलिस के जाने के बाद भी दोनों का गुस्सा शांत नहीं हुआ, दोनों झगड़ा करते रहे.

रात साढे़ 11 बजे बबली ने कमल को दोबारा फोन कर के घर आने को कहा. जब वह उस के घर पहुंचा तो हरिओम उस से भिड़ गया. इसी दौरान कमल ने गुस्से में हरिओम का सिर दीवार पर दे मारा. नशे के चलते वह कमल का विरोध नहीं कर सका.

उस के गिरते ही बबली उस के पैरों पर बैठ गई और कमल ने उस का गला दबा दिया. कुछ देर छटपटाने के बाद हरिओम की मौत हो गई. उस समय दोनों बच्चियां सो रही थीं. कमल और बबली ने शव को ठिकाने लगाने के लिए योजना तैयार कर ली. दोनों ने शव को एक संदूक में बंद कर उसे फेंकने का फैसला कर लिया, ताकि हत्या के सारे सबूत नष्ट हो जाएं.

योजना के तहत दोनों ने हरिओम की लाश एक संदूक में बंद कर दी. रात ढाई बजे कमल टूंडला स्टेशन जाने की बात कह कर आटो ले आया.

आटो से दोनों यमुना के जवाहर पुल पर पहुंचे. लाश वाला संदूक उन के साथ था. इन लोगों ने आटो को वहीं छोड़ दिया. सड़क पर सन्नाटा था, कमल और बबली यू टर्न ले कर कानपुर से आगरा की तरफ आने वाले पुल पर पहुंचे और संदूक उठा कर यमुना में फेंक दिया. इस के बाद दोनों अपनेअपने घर चले गए. दूसरे दिन 4 नवंबर को सुबह कमल बबली और उस की दोनों बच्चियों को साथ ले कर दिल्ली भाग गया.

बबली की बेवफाई ने हंसतेखेलते घर को उजाड़ दिया था. उस ने पति के रहते गैरमर्द के साथ रिश्ते बनाए. यह नाजायज रिश्ता उस के लिए इतना अजीज हो गया कि उस ने अपने पति की मौत की साजिश रच डाली.

पुलिस 16 नवंबर को ही कमल व बबली को ले कर यमुना किनारे पहुंची. उन की निशानदेही पर पीएसी के गोताखोरों को बुला कर कई घंटे तक यमुना में लाश की तलाश कराई गई, लेकिन लाश नहीं मिली. अंधेरा होने के कारण लाश ढूंढने का कार्य रोकना पड़ा.

रविवार की सुबह पुलिस ने गोताखोरों और स्टीमर की मदद से लाश को तलाशने की कोशिश की. लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला.

बहरहाल, पुलिस हरिओम का शव बरामद नहीं कर सकी. शायद बह कर आगे निकल गया होगा. पुलिस ने बबली और उस के प्रेमी कमल को न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य- सत्यकथा, फरवरी 2020

दोस्ती पर ग्रहण : दोस्ती बनी दुश्मनी

मंगलवार, 4 जून, 2019 को सूर्योदय हुए अभी कुछ ही समय हुआ था. राजस्थान के बाड़मेर जिले के हाथमा गांव के पास सोढो की ढाणी के पास कुछ लोगों ने सड़क किनारे एक युवक की लाश पड़ी देखी. लाश देखते ही उधर से गुजरने वाले लोग इकट्ठे हो गए. वहां रुके लोग उस युवक को पहचानने की कोशिश करने लगे. यह बात जब आसपास के गांव में फैली तो ग्रामीण भी वहां जुटने लगे.

गांव के किसी शख्स ने मरने वाले व्यक्ति की लाश पहचान ली. मृतक का नाम वीर सिंह था, जो पास के ही सोढो की ढाणी निवासी जोगराज सिंह का बेटा था. किसी ने यह खबर वीर सिंह के घर जा कर दी तो उस के घर में रोनापीटना शुरू हो गया. वीर सिंह की पत्नी दक्षा कंवर छाती पीटपीट कर रोने लगी. रोतेबिलखते हुए वह भी उसी जगह पहुंच गई, जहां उस के पति की लाश पड़ी थी.

मौके पर मौजूद लोगों ने आक्रोश में आ कर सड़क जाम कर दी. उसी समय कुछ लोग थाना रामसर पहुंच गए. उन्होंने थानाप्रभारी विक्रम सिंह सांदू को बताया कि साढो की ढाणी (हाथमा) निवासी 40 वर्षीय वीर सिंह कल दोपहर 2 बजे घर से कहीं जाने के लिए निकला था. आज उस का शव सड़क किनारे पड़ा मिला. किसी ने हत्या कर के लाश वहां फेंक दी है. इस घटना को ले कर लोगों में बहुत आक्रोश है इसलिए उन्होंने सड़क पर जाम लगा दिया है.

हत्या और सड़क जाम की खबर सुन कर थानाप्रभारी अपनी टीम के साथ तुरंत साढो की ढाणी के पास वाली उस जगह पहुंच गए, जहां वीर सिंह की लाश पड़ी थी. पुलिस को देखते ही सड़क जाम कर रहे लोग पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. थानाप्रभारी ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन लोग एसपी को ही मौके पर बुलाने की मांग पर अडे़ रहे.

थानाप्रभारी विक्रम सिंह सांदू ने घटनास्थल का निरीक्षण कर बाड़मेर के एसपी राशि डोगरा डूडी एवं एएसपी खींव सिंह भाटी को हालात से अवगत कराया. साथ ही निवेदन भी किया कि लोग एसपी साहब को ही मौके पर बुलाने की मांग कर रहे हैं.

स्थिति की गंभीरता को समझते हुए एएसपी खींव सिंह भाटी तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गए. एएसपी खींव सिंह भाटी और थानाप्रभारी विक्रम सिंह सांदू ने लोगों को समझाया. एएसपी ने लोगों को आश्वस्त किया कि पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण कर लिया है.

मृतक वीर सिंह के सिर पर कई गहरे घाव थे, जो किसी धारदार हथियार के लग रहे थे. उस का सिर फटा हुआ था. वहां पैरों के या संघर्ष के निशान नहीं थे. शव पर लगा खून सूख चुका था. जिस स्थान पर शव पड़ा था वहां आसपास खून के धब्बे नहीं थे. इस से यही लग रहा था कि उस की हत्या कहीं और करने के बाद उस का शव यहां ला कर डाला गया था.

पुलिस ने मृतक की पत्नी और अन्य लोगों ने प्रारंभिक पूछताछ कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. एएसपी भाटी ने लाश का पोस्टमार्टम 3 डाक्टरों के मैडिकल बोर्ड से कराने की मांग की. 3 डाक्टरों के पैनल ने वीर सिंह के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम के बाद शव उस के घर वालों को सौंप दिया गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुलिस को पता चला कि वीर सिंह के सिर पर लाठी व धारदार हथियार से 4 वार किए गए थे. उस के हाथपैरों पर भी चोट के निशान पाए गए. यानी उस की काफी पिटाई की गई थी. हत्या के इस केस को सुलझाने के लिए एसपी राशि डोगरा डूडी ने एक स्पैशल पुलिस टीम बनाई.

पुलिस ने जोरशोर से शुरू की जांच

स्पैशल टीम में विक्रम सिंह सांदू, एएसआई रतनलाल, जेठाराम, कुंभाराम, मुकेश, मोती सिंह, राजेश, पर्वत सिंह के साथ साइबर सेल के एक्सपर्ट को भी शामिल किया गया. इस स्पैशल टीम ने अपने मुखबिरों को भी इस मामले से संबंधित जानकारी जुटाने को कहा.

टीम ने मृतक की पत्नी दक्षा कंवर से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 3 जून को दोपहर के समय कहीं गए थे, अगली सुबह सड़क किनारे उन की लाश पड़ी होने की सूचना मिली. दक्षा ने किसी से रंजिश होने की बात नकार दी.

इस पर पुलिस ने वीर सिंह और उस की पत्नी के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. दक्षा की काल डिटेल्स  से पुलिस टीम को पता चला कि उस की एक फोन नंबर पर अकसर बातें होती रहती थीं. जांच में वह फोन नंबर जिला बाड़मेर के गांव आंशू निवासी महेंद्र सिंह का निकला.

उधर मुखबिर से पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि महेंद्र सिंह 3 जून को वीर सिंह के घर के आसपास दिखाई दिया था, लेकिन वारदात के बाद वह न तो वीर सिंह के घर आया और न ही वारदात की जगह दिखाई दिया, जहां वीर सिंह की लाश बरामद हुई थी. जबकि वहां आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग मौजूद थे.

इन बातों से पुलिस को महेंद्र पर शक होने लगा. पुलिस ने महेंद्र के फोन की भी काल डिटेल्स निकलवाई. महेंद्र की काल डिटेल्स से इस बात पुष्टि हो गई कि दक्षा और महेंद्र के बीच नजदीकी संबंध थे, पुलिस महेंद्र की तलाश में उस के घर पहुंची तो जानकारी मिली कि 4 जून को वह अपनी नौकरी पर गुजरात चला गया है.

उस के घर से गुजरात का पता लेने के बाद थानाप्रभारी ने एक पुलिस टीम महेंद्र सिंह को तलाशने के लिए गुजरात भेज दी. वहां वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. राजस्थान पुलिस महेंद्र को हिरासत में ले कर थाना रामसर ले आई.

उस से वीर सिंह की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि वीर सिंह की हत्या में उस की पत्नी दक्षा कंवर भी शामिल थी. केस का खुलासा होने पर पुलिस ने चैन की सांस ली.

पूछताछ के लिए पुलिस वीर सिंह की पत्नी दक्षा कंवर को भी थाने ले आई. थाने में महेंद्र सिंह को देख कर दक्षा के चेहरे का रंग उड़ गया. उस से भी उस के पति की हत्या के बारे में पूछा गया. उस के सामने सच्चाई बताने के अलावा अब कोई दूसरा रास्ता नहीं था. लिहाजा उस ने अपने पति वीर सिंह की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. पुलिस ने 48 घंटे के अंदर 6 जून, 2019 को केस का खुलासा कर दिया था.

पुलिस ने अगले दिन 7 जून को आरोपी महेंद्र और दक्षा कंवर को बाड़मेर कोर्ट में पेश कर के 3 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में दोनों से वीर सिंह की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी—

वीर सिंह अपनी बीवी दक्षा कंवर को वह हर खुशी देना चाहता था, जो एक पत्नी चाहती है. वह खेतीकिसानी के अलावा मेहनत का हर काम कर के चार पैसे कमा कर बीवी को खुश रखना चाहता था. इसी वजह से वह अकसर गांव से बाहर रहता था. दिन में वह काम पर जाता और रात तक घर लौट आता था. घर पर पत्नी का प्यार पा कर उस की सारी थकान पल भर में काफूर हो जाती थी.

इस दंपति के दिन ऐसे ही हंसीखुशी से व्यतीत हो रहे थे. इसी दौरान महेंद्र सिंह के प्रवेश से उन दोनों के प्यार में बदलाव आ गया. घर का माहौल भी बदलने लगा. आंशू गांव निवासी महेंद्र सिंह वीर सिंह का हमउम्र दोस्त था. दोनों की अच्छीखासी दोस्ती थी. वीर सिंह महेंद्र को अपने भाई की तरह ही मानता था.

महेंद्र सिंह गुजरात में काम करता था. बाड़मेर ही नहीं, राजस्थान के हजारों लोग गुजरात के बड़ौदा, सूरत, अहमदाबाद, माणावदर, धौलका और अन्य शहरों में जिनिंग फैक्ट्रियों से ले कर कपड़े का कारोबार एवं हीरे की फर्मों में काम करते थे. महेंद्र भी हीरे की एक फर्म में काम करता था. जहां उसे अच्छे पैसे मिलते थे. बन संवर कर रहना महेंद्र का शौक था.

वीर सिंह ने फोन पर पत्नी और दोस्त को मिलाया

करीब डेढ़ साल पहले एक रोज महेंद्र सिंह के पास वीर सिंह की पत्नी दक्षा कंवर का फोन आया. दक्षा ने उस से अपना फोन रिचार्ज कराने को कहा.

दरअसल दक्षा को अपना फोन रिचार्ज कराना था. उस ने अपने पति वीर सिंह को फोन किया. वीर सिंह ने उस से कहा कि वह महेद्र को फोन कर के अपना फोन रिचार्ज कराने को कह दे. वह करा देगा. इसी के बाद दक्षा कंवर ने महेंद्र को फोन कर के अपना फोन रिचार्ज कराने को कहा.

महेंद्र ने कुछ ही देर में दक्षा कंवर का मोबाइल फोन रिचार्ज करवा दिया. फोन रिचार्ज कराने के बाद महेंद्र ने फोन कर के दक्षा कंवर से कहा, ‘‘भाभीजी, जब भी आप को फोन रिचार्ज करवाना हो बेझिझक बता देना क्योंकि आप लोग ढाणी में रहते हो और वहां रिचार्ज की दुकान नहीं है. इसलिए आप परेशान हो जाती होंगी. मैं सब समझता हूं. इस के अलावा आप को किसी भी चीज की जरूरत हो तो बताना.’’

‘‘जरूर बताएंगे. आप को हम अपना ही मानते हैं. वैसे मेरी वजह से आप को कष्ट हुआ हो तो क्षमा चाहती हूं.’’ दक्षा कंवर ने कहा.

‘‘कैसी बात कर रही हैं आप भाभीजी. अपने लोगों का काम करने से कष्ट नहीं होता. बल्कि खुशी होती है.’’

इस पहली बातचीत के बाद दक्षा कंवर और महेंद्र सिंह के बीच मोबाइल पर अकसर बातचीत होने लगी. थोड़े दिनों बाद यह हाल हो गया कि दिन में जब तक दक्षा और महेंद्र की बात नहीं हो जाती, उन्हें अच्छा नहीं लगता था. उन के बीच बातों का सिलसिला बढ़ता गया.

फिर एक दिन ऐसा भी आया, जब दोनों के बीच प्यार हो गया. प्यार हुआ तो इजहार होना भी स्वाभाविक ही था. जल्दी ही दोनों ने अपनेअपने प्यार का इजहार कर लिया. उस दिन के बाद महेंद्र धोखेबाज यार बन गया, तो दक्षा विश्वासघाती पत्नी. दोनों के बीच अवैध संबंध बन चुके थे. महेंद्र और दक्षा छिपछप कर तनमन से मिलने लगे.

काफी दिनों तक दोनों ने मिलने में सावधानी बरती. लाख कोशिशों के बावजूद उन के प्यार की भनक आखिर दक्षा के पड़ोस में रहने वाली महिलाओं को पता लग ही गई.

उन औरतों ने वीर सिंह को बता दिया था कि आजकल उस की गैरमौजूदगी में महेंद्र उस की ढाणी आता है और दक्षा कंवर उस के आगेपीछे घूमती है. वीर सिंह समझ गया कि धुआं वहीं से उठता है, जहां आग लगती है, कहीं कुछ तो गड़बड़ है.

एक बार वीर सिंह के मन में शक उभरा तो फिर गहराता चला गया. इस के बाद वीर सिंह ने दोनों पर निगाह रखनी शुरू की. आखिर एक रोज वीर सिंह ने महेंद्र और दक्षा को रंगरलियां मनाते हुए पकड़ ही लिया. तब वीर सिंह ने महेंद्र को खूब खरीखोरी सुनाईं और भविष्य में उस के घर आने पर पाबंदी लगा दी.  महेंद्र के जाने के बाद उस ने पत्नी की पिटाई की.

वीर सिंह को बीवी की बेवफाई से गहरा आघात लगा. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उस का दोस्त आस्तीन का सांप निकलेगा. वीर सिंह ने पत्नी को चेतावनी दी कि अगर महेंद्र के साथ फिर कभी बात करते देख भी लिया तो वह दोनों को जिंदा नहीं छोडे़गा.

पति की चेतावनी से दक्षा डर गई. उस ने पति से वादा किया कि भविष्य में वह कभी भी महेंद्र से नहीं मिलेगी. दक्षा ने पति से वादा जरूर कर लिया था, लेकिन वह अपने वादे पर कायम नहीं रही. वैसे भी वीर सिंह और दक्षा कंवर के रिश्ते में दरार पड़ चुकी थी, जो वक्त के साथ बढ़ती गई.

दक्षा ने कुछ दिन बाद महेंद्र से फोन पर बातचीत करनी शुरू कर दी. इस बात की जानकारी उस के पति वीर सिंह को मिल गई थी. इस बात को ले कर वीर सिंह अकसर दक्षा की पिटाई कर के उसे सुधारने की कोशिश करता था. पर पति की मारपीट से वह सुधरने के बजाए ढीठ होती गई.

पति की आए दिन की पिटाई से दक्षा परेशान हो गई थी. एक दिन दक्षा ने महेंद्र को सारी बातें बता कर कहा कि वीर सिंह उसे किसी रोज मार डालेगा.

अब वह उसे फूटी आंख नहीं देखना चाहती. इसलिए तय कर लिया है कि घर में पति रहेगा या फिर मैं. उस ने महेंद्र से कहा कि अब वह उसे कहीं दूर ऐसी जगह ले जाए, जहां उन दोनों के अलावा कोई न हो.

‘‘ठीक कह रही हो तुम, जब तक वीर सिंह जिंदा है, तब तक हम चैन से मिल भी नहीं सकते. इस बारे में कोई उपाय तो करना ही पड़ेगा.’’ महेंद्र बोला.

वीर सिंह के चौकस रहने की वजह से दक्षा कंवर और महेंद्र सिंह को मिलने का मौका नहीं मिल पाता था. आखिर 3 जून को उन्हें यह मौका मिल गया. वीर सिंह उस दिन कहीं गया था. दक्षा ने फोन कर के यह जानकारी महेंद्र को दे दी.

महेंद्र सिंह अपनी प्रेमिका दक्षा कंवर से मिलने उस के घर साढो की ढाणी जा पहुंचा. दोनों कई हफ्ते बाद मिले थे, लिहाजा दोनों बैठ कर बतियाने लगे. वे बातों में इतने मशगूल हो गए कि उन्हें ध्यान ही नहीं रहा कि वीर सिंह ढाणी में कब आ गया. जैसे ही दक्षा को आभास हुआ कि कोई ढाणी में है तो वह बदहवास सी आंगन में आ खड़ी हुई.

वीर सिंह कमरे की तरफ बढ़ गया. जहां से दक्षा बाहर आई थी. वीर सिंह को देख कर कमरे में मौजूद महेंद्र ने छिपने की कोशिश की, मगर वीर सिंह की नजरों से वह बच न सका.

महेंद्र पर नजर पड़ते ही वीर सिंह गुस्से से लाल हो कर बोला, ‘‘तुझे मैं ने घर आने से मना किया था, मगर तू नहीं माना. मैं आज तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’ कह कर वीर सिंह उस से भिड़ गया.

दोनों गुत्थमगुत्था हो गए तभी दक्षा कंवर  भी वहां आ गई. वह भी प्रेमी का पक्ष लेते हुए पति को पीटने लगी. महेंद्र ने वहां रखा पाइप और दक्षा कंवर ने कुल्हाड़ी उठा ली. दोनों वीर सिंह पर टूट पड़े. वीर सिंह सिर पर कुल्हाड़ी का वार झेल नहीं सका और बेहोश हो कर गिर पड़ा.

इस के बाद भी उन दोनों के हाथ नहीं रुके. कुल्हाड़ी के कई वार होने से वीर सिंह लहूलुहान हो गया और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

वीर सिंह के मरने के बाद दोनों डर गए. उन्होंने शव को घसीट कर अंदर छिपा दिया. फिर खून साफ किया. उस के बाद दोनों शव को छिपाने का उपाय खोजते रहे. आधी रात के बाद उन्होंने वीर सिंह का शव बैलगाड़ी में डाला और ढाणी से करीब एक किलोमीटर दूर सड़क किनारे यह सोच कर फेंक आए कि देखने वालों को लगेगा कि वीर सिंह की एक्सीडेंट में मौत हुई है.

शव फेंक कर महेंद्र और दक्षा वापस ढाणी आए और बैलगाड़ी पर रात में ही वार्निश कर दी ताकि खून के धब्बे दिखाई न दें.

घर में लगे खून को साफ करने के बाद दक्षा ने आंगन गोबर से लीप दिया. दिन निकलने से पहले ही महेंद्र अपने गांव आंशू लौट गया. फिर उसी दिन गांव से गुजरात चला गया.

सुबह होने पर 4 जून को जब लोगों ने सड़क किनारे वीर सिंह की लाश देखी तो लोगों की भीड़ जमा हो गई. इस के बाद पुलिस को खबर दी गई. पुलिस ने महेंद्र और दक्षा कंवर की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी व पाइप भी बरामद कर लिया. साथ ही दोनों के खून सने कपड़े भी बरामद हो गए.

उन दोनों की सोच थी कि वीर सिंह की मौत के बाद उन्हें कोई जुदा नहीं कर पाएगा. दोनों ऐशोआराम से जीवन गुजारेंगे. मगर उन की यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी. रिमांड अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने दक्षा कंवर और महेंद्र सिंह को पुन: बाड़मेर कोर्ट में पेश किया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.      — कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य- मनोहर कहानियां, अगस्त 2019

प्यार के भंवर में-भाग 3 : देवर भाभी ने क्यों की आत्महत्या

राममिलन की जब शादी तय हुई थी, तब सुनीता मायके गई हुई थी. वह वहां से वापस आई तब उसे मालूम पड़ा कि देवर की शादी तय हो गई है. उस ने इस बाबत राममिलन से पूछा तो उस ने जवाब दिया कि उस से पूछ कर शादी तय नहीं की गई है. शादी के संबंध में वह कुछ भी नहीं बता सकता. लेकिन सुनीता को शक हुआ कि शादी के लिए राममिलन की रजामंदी है

सुनीता अब अपने भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगी. वह सोचती, ‘‘कल को राममिलन की शादी हो जाएगी, तो वह उसे दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंकेगा. वह अपनी रातें तो नईनवेली दुलहन के साथ रंगीन करेगा और वह पूरी रात करवट बदलते बिताएगी.’’

सुनीता जितना सोचती, उतना ही उसे अपना जीवन अंधकारमय लगता. इसी उलझन में सुनीता ने राममिलन से हंसनाबोलना बंद कर दिया. वह उस के प्रणय निवेदन को भी ठुकराने लगी. राममिलन उसे मनाने की कोशिश करता, लेकिन वह उस की कोई बात नहीं सुनती.

सुनीता में आए आकस्मिक परिवर्तन से राममिलन परेशान हो उठा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह भाभी को कैसे मनाए. एक रोज जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने पूछा, ‘‘भाभी, मुझ से ऐसी क्या खता हो गई, जो मुझ से नाराज हो. पहले तो तुम खूब हंसती थी, खूब बोलती थी. समर्पण को सदैव तैयार रहती थी. लेकिन अब दूर भागती हो. हंसनाबोलना भी गायब हो गया है. हमेशा चेहरे पर उदासी छाई रहती है. आखिर बात क्या है?’’

‘‘यह तुम अपने आप से पूछो देवरजी, तुम ने मेरे साथ जीनेमरने का वादा किया था. क्या वह वादा तुम शादी करने के बाद निभा सकोगे. शादी के बाद तुम दुलहन के पल्लू में बंध जाओगे और मुझे भूल जाओगे. यही सोच कर मैं उदास रहती हूं. तुम से दूर भागने का भी यही कारण है.’’ सुनीता बोली.

‘‘भाभी, मैं आज भी तुम्हारा हूं और कल भी रहूंगा. साथ जीनेमरने का वादा भी मैं नहीं भूला हूं. रही बात शादी की, तो वह मैं अपनी मरजी से नहीं कर रहा हूं. शादी तो मांबाप ने अपनी मरजी से तय कर दी है.’’
‘‘जो भी हो देवरजी, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती और घर वाले हमें साथ रहने नहीं देंगे. इसलिए हमेंतुम्हें एकदूसरे से किया गया वादा निभाना होगा.’’

‘‘हम वादा निभाने को तैयार हैं.’’ कहते हुए राममिलन ने सुनीता को अपनी बांहों में समेट लिया. उस के बाद उन दोनों ने एक साथ आत्महत्या करने का निश्चय किया. फिर वह समय का इंतजार करने लगे.
30 नवंबर, 2020 को शिवबरन की रिश्तेदारी में असोथर कस्बा में शादी थी. इसी शादी में सम्मिलित होेने के लिए शिवबरन अपने बड़े बेटे हरिओम के साथ शाम 6 बजे घर से निकल गया.

खाना खाने के बाद गेंदावती पोते हर्ष (3 वर्ष) के साथ कमरे में जा कर लेट गई. घर पर काम निपटाने के बाद सुनीता भी अपनी मासूम बेटी क्रांति के साथ कमरे में जा कर लेट गई. लेकिन उस की आंखों से नींद ओेझल थी.

रात लगभग 11 बजे राममिलन, सुनीता के कमरे में आ गया. उन दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई. बातचीत के दौरान सुनीता ने कहा, ‘‘देवरजी, अपनी जीवनलीला समाप्त करने का आज सही समय है. तुम मेरा साथ दोगे या नहीं?’’

‘‘तुम्हारे बिना मेरे जीवित रहने का मकसद ही क्या है. अत: मैं भी तुम्हारे साथ ही अपना जीवन समाप्त करूंगा.’’ इस के बाद सुनीता और राममिलन ने छत के कुंडे में साड़ी को बांधा और साड़ी के दोनों सिरों को फांसी का फंदा बनाया. फिर एकएक सिरा गले में डाल कर फांसी के फंदे पर झूल गए. कुछ देर बाद ही दोनों की गरदन लटक गई.

पहली दिसंबर, 2020 की सुबह करीब 7 बजे गेंदावती जागीं तो उन्हें मासूम बच्ची क्रांति के रोने की आवाज सुनाई दी. वह सुनीता के कमरे पर पहुंचीं, तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. तब उन्होंने दरवाजे की कुंडी खटखटाई और आवाज दी, ‘‘बहू, दरवाजा खोलो, बच्ची रो रही है. क्या घोड़े बेच कर सो रही हो?’’ पर अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. वह राममिलन के कमरे में पहुंची तो वह कमरे में नहीं था.

अब गेंदावती का माथा ठनका. उन के मन में तरहतरह के कुविचार आने लगे. इसी घबराहट में वह सुनीता की चचेरी जेठानी रूपाली को बुला लाई. उस ने भी दरवाजा थपथपाया और आवाज लगाई पर अंदर से कोई हलचल नहीं हुई. शोरशराबा सुन कर पासपड़ोस के लोग भी आ गए.

उसी समय शिवबरन व उस का बेटा हरिओम भी असोथर से आ गए. उन दोनों ने अपने दरवाजे पर भीड़ देखी तो घबरा गए. गेंदावती ने पति व बेटे को बताया कि सुनीता दरवाजा नहीं खोल रही है. राममिलन भी कमरे में नहीं है.

शिवबरन व हरिओम ने भी दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया, लेकिन जब दरवाजा नहीं खुला तो दोनों ने कमरे का दरवाजा तोड़ दिया और कमरे के अंदर प्रवेश किया.

कमरे के अंदर का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. पंखे के हुक से साड़ी का फंदा बंधा था. साड़ी के एक छोर पर सुनीता तथा दूसरे छोर पर राममिलन का शव लटक रहा था. सुनीता का चेहरा राममिलन की छाती पर था. सुनीता का एक पैर चारपाई के नीचे लटक रहा था तथा दूसरा पैर चारपाई को छू रहा था.

देवरभाभी द्वारा आत्महत्या करने की खबर लमेहटा गांव में फैल गई. सैकड़ों लोग घटनास्थल पर आ पहुंचे. इसी बीच किसी ने थाना गाजीपुर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी कमलेश पाल पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को सूचित किया तो एसपी सतपाल, एएसपी राजेश कुमार तथा सीओ संजय कुमार शर्मा आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा मृतक व मृतका के घर वालों से पूछताछ की. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों शवों को फांसी के फंदे से नीचे उतरवाया. फिर दोनों शवों को पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल फतेहपुर भिजवा दिया.

मृतक के पिता शिवबरन निषाद की तहरीर पर गाजीपुर पुलिस ने भादंवि की धारा 309 के तहत सुनीता और राममिलन के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन दोनों की मौत हो जाने से पुलिस ने इस मामले की फाइल बंद कर दी.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित