Hindi Stories : हीरा चोरी करने वाले गैंग का पर्दाफाश

Hindi Stories : जैकब और ब्राउन ने योजना तो बहुत अच्छी बनाई थी. अपनी योजना का पहला चरण दोनों ने बखूबी पूरा भी कर लिया, लेकिन दूसरे चरण में पुलिस ने उन्हें धर लिया. सुकून की बात यह थी कि पुलिस ने उन्हें उस अपराध के लिए नहीं पकड़ा था, बल्कि उन्हें सिक्का चोर…

जैकब प्लाजा फाउंटेन के पास बेखयाली में खड़ा था. उस की नजरें उस लड़की पर जमी थीं जो फाउंटेन में सिक्के उछाल रही थी. कुछ और सिक्के पानी में फेंक कर वह चली गई. उस के बाद एक औरत आई. वह भी फाउंटेन में सिक्के उछाल रही थी. जैकब सोचा करता था कि किसी तरह दौलत हाथ आ जाए. लेकिन लोग इतने होशियार हो गए हैं कि जल्दी बेवकूफ भी नहीं बनते. जैकब आजकल बहुत कड़की में था. उस ने सिर उठा कर आसमान की ओर देखा तो अनायास उस की नजर टाउन प्लाजा की खिड़की पर पड़ गई. खिड़की देख उस के दिमाग में एक आइडिया आ गया. उस ने खिड़की को गौर से देखा. वह खिड़की फाउंटेन के ठीक ऊपर बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर स्थित ज्वैलरी शौप की थी. उस के दिमाग में हलचल मच गई.

इस बीच कुछ बच्चे आ गए थे, जो फाउंटेन में सिक्के उछाल रहे थे. जैकब वहां से टेलीफोन बूथ पर पहुंचा और अपने दोस्त ब्राउन को फोन लगाया. काफी दिनों से ब्राउन ने कोई वारदात नहीं की थी. पुलिस के पास उस का रिकौर्ड साफ था. जैकब ने कहा, ‘‘ब्राउन, एक अच्छा आइडिया है. हम दोनों मिल कर काम कर सकते हैं. मैं यहां फाउंटेन प्लाजा के पास हूं, आ जाओ. एक अच्छी जौब है.’’

‘‘मुझे बुद्धू तो नहीं बना रहे हो. मैं तुम्हें 2 घंटे बाद ब्रिज पार्क बार में मिलता हूं.’’ ब्रिज पार्क बार पुरसुकून जगह थी. जैकब और ब्राउन की मीटिंग के लिए एक अच्छी जगह. ब्राउन ने कहा, ‘‘अब बताओ, क्या कहानी है?’’

‘‘टाउन डायमंड एक्सचेंज के हम मुट्ठी भर पत्थर चुपचाप से उठा सकते हैं, जिस की कीमत करीब 5 लाख डौलर होगी.’’ जैकब ने धीरे से बताया.

‘‘क्या बकवास कर रहे हो, यह कैसे हो सकता है?’’

‘‘तुम यह काम कर सकते हो. मैं तुम्हारा बाहर इंतजार करूंगा.’’‘‘बहुत खूब. यानी पुलिस मुझे दबोच ले और तुम बाहर इंतजार करो.’’ ब्राउन ने गुस्से से कहा.

‘‘कोई किसी को नहीं पकड़ेगा. तुम मेरी बात तसल्ली से सुनो. तुम किसी अमीरजादे की तरह चौथी मंजिल पर ज्वैलरी शौप पर पहुंचोगे और हीरों की एक ट्रे निकलवाओगे. वक्त दोपहर का होगा. इस वक्त बहुत कम ग्राहक होते हैं. उसी वक्त मैं हाल में हंगामा फैलाने का इंतजाम करूंगा. तुम फौरन मुट्ठी भर कीमती हीरे उठा लेना.’’

‘‘फिर मैं क्या करूंगा? क्या पत्थरों को निगल जाऊंगा?’’

‘‘यार पूरी बात तो सुनो. ऐसा कुछ नहीं है. सब की नजर बचा कर तुम मुट्ठी भर हीरे खिड़की से बाहर फेंक देना.’’

‘‘तुम्हारी बातें मेरे सिर से गुजर रही हैं. एसी की वजह से सारी खिड़कियां बंद होंगी.’’

‘‘मैं ने आज ही खिड़की खुली देखी है. उसी को देख कर यह आइडिया आया, क्योंकि कोई भी 4 मंजिल तय कर के हीरों के साथ नीचे नहीं उतर सकता. लेकिन हीरे अकेले 4 मंजिल उतर सकते हैं.’’

‘‘जैकब, मुझे यह पागलपन लग रहा है.’’ ब्राउन ने कहा.

‘‘तुम बात समझो. खिड़की काउंटर से ज्यादा दूर नहीं है. तुम हीरे उठा कर पलक झपकते ही खिड़की से बाहर उछाल देना. तुम्हें काउंटर से हट कर खिड़की तक जाने की भी जरूरत नहीं होगी. तुम अपनी जगह पर ही खड़े रहना. अगर तुम पर शक होता भी है तो तुम्हारी तलाशी ली जाएगी. तुम्हें मशीन पर खड़ा किया जाएगा, पर तुम्हारे पास से कुछ नहीं निकलेगा. मजबूरन तुम्हें छोड़ कर के वे दूसरे ग्राहकों को देखेंगे.’’

‘‘चलो ठीक है, हीरे बाहर चले जाएंगे. पर क्या तुम उन्हें कैच करोगे? एक तरफ कहते हो कि तुम हाल में हंगामा करोगे फिर बाहर पत्थरों का क्या होगा?’’ ब्राउन ने ताना कसा.

‘‘यही तो मंसूबे की खूबसूरती है.’’ जैकब मुसकराया, ‘‘खिड़की के ठीक नीचे खूबसूरत फव्वारा और हौज है. हीरे हौज की गहराई में चले जाएंगे. जैसे कि बैंक की वालेट में बंद हों. कोई भी वहां हीरे गिरते नहीं देख सकेगा, न कोई बाद में देख सकता है क्योंकि यह शीशे की तरह सफेद है. कीमती पत्थरों की यही तो खूबी है, कलर, कैरेट और कट बहुत जरूरी होते हैं.’’

‘‘पर जब सूरज की किरणें पड़ेंगी तो?’’

‘‘सूरज की किरणें पड़ने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि पानी पर पूरे समय बिल्डिंग और पेड़ों का साया रहता है. मैं ने सब चैक कर लिया है. जब तक किसी को पता न हो कोई उन के बारे में नहीं जान सकता. 2-3 दिन बाद हम रात को आएंगे और आराम से हीरे निकाल लेंगे.’’ जैकब ने समझाया.

ब्राउन ने सिर हिला कर कहा, ‘‘प्लान तो अच्छा है.’’

अगले दिन ठीक सवा 12 बजे ब्राउन टाउन प्लाजा की चौथी मंजिल पर पहुंच गया. गार्ड ने मामूली चैकिंग कर के उसे अंदर जाने दिया. हाल में बहुत कम ग्राहक थे. ब्राउन मौका देख कर ठीक खिड़की के सामने खड़ा हो गया. सिर झुका कर उस ने एक ट्रेकी तरफ इशारा किया. जैसे ही सेल्समैन ने ट्रे बाहर निकाली, जैकब प्रवेश द्वार के हैंडल पर हाथ रख कर झुका और धड़ाम से नीचे गिर गया. गेट पर खड़ा गार्ड उस की तरफ बढ़ा. अंदर के लोगों का ध्यान बंट गया. सब उस की तरफ देखने लगे.

‘‘मिस्टर, क्या हुआ? तुम ठीक हो न?’’ गार्ड ने उस पर झुक कर पूछा.

‘‘मुझे…मुझे…सांस…’’ फिर उस ने पानी के लिए इशारा किया. कुछ कस्टमर भी वहां जमा हो गए. 2 सेल्समैन भी आ गए. एक पानी ले आया. बड़ी मुश्किल से उस ने थोड़ाथोड़ा पानी पीया. वह बुरी तरह हांफ रहा था. जैकब की ऐक्टिंग बहुत शानदार थी. वह धीरेधीरे लड़खड़ाता हुआ लोगों के सहारे खड़ा हुआ. एक क्लर्क ने अपनी कुरसी पेश कर दी.

‘‘मैं शायद बेहोश हो गया था.’’ वह धीरे से बड़बड़ाया. ‘‘तुम्हें डाक्टर की जरूरत है?’’ क्लर्क ने पूछा.

‘‘नहीं…नहीं मुझे घर जाना है. आप का शुक्रिया. मैं अब ठीक महसूस कर रहा हूं.’’ उस ने ब्राउन की तरफ देखने की बेवकूफी नहीं की. बहुत धीरेधीरे गेट से बाहर निकल गया. इमारत से निकल कर वह फव्वारे की तरफ पहुंच गया. वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी. फव्वारे की लंबीऊंची धाराएं बड़े हौज में गिर रही थीं. उस की तह में सिवाए सिक्कों के और कुछ नजर नहीं आ रहा था. जैकब का अंदाजा दुरुस्त था. खुशी में उस ने भी एक सिक्का उछाल दिया. वहां से वह सीधा अपने फ्लैट पर पहुंचा. 2 घंटे के बाद ब्राउन की काल आ गई.

‘‘काम हो गया?’’ जैकब ने बेचैनी से पूछा.

‘‘काम तो हो गया पर बस इतना ही वक्त मिला था कि हीरे पानी में फेंक दूं. उस के बाद तो हंगामा मच गया, पुलिस आ गई. मैं चुपचाप अपनी जगह पर खड़ा रहा. वहां से हिला तक नहीं. शौप वालों ने कोई कसर उठा कर नहीं रखी. पुलिस भी मुस्तैद थी. मेरी 2 बार तलाशी ली गई, पर मेरे पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ. डायमंड एक्सचेंज वाले सख्त हैरान, परेशान थे.

‘‘किसी ने तुम्हारा जिक्र भी किया पर क्लर्क ने यह कह कर बात खत्म कर दी कि वह आदमी गेट के अंदर नहीं आया था. गेट से ही वापस चला गया था. तुम्हारा मंसूबा शानदार था. शौप वाले मुझे छोड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन पकड़ कर भी नहीं रख सकते थे. मैं निश्चिंत था. हर तरह की जांच करने के बाद करीब ढाई घंटे में मुझे छोड़ दिया गया. चलो, कल मिलते हैं ब्रिज पार्क में.’’

अगले दिन दोनों ब्रिज पार्क में बैठे बियर पी रहे थे. दोनों के चेहरे चमक रहे थे. जैकब ने कहा, ‘‘हम दोनों ने मिल कर शानदार कारनामे को अंजाम दिया है. ब्राउन, यह तो बताओ फिर वहां क्या हुआ?’’

‘‘मुझ से बारबार पूछा गया कि मैं ने क्या देखा. मेरा एक ही जवाब था कि मैं ने कुछ नहीं देखा. हां, मैं ने हीरे की ट्रे जरूर निकलवाई थी. इस से पहले कि मैं हीरों को देखता, एक आदमी धड़ाम से गेट पर गिर गया. मेरा ध्यान भी दूसरों की तरह उस तरफ चला गया.

‘‘मेरे साथ 4 और ग्राहक थे. मेरी पोजीशन हर तरह से साफ थी. हम सब की तलाशी बारबार ली गई. तंग आ कर एक्सरे तक ले डाला. शायद पुलिस सोच रही थी कि हमारे पास कोई छिपा हुआ पाउच होगा और उसी में हीरे होंगे. पर सब बेकार गया. कुछ हासिल नहीं हुआ. तंग आ कर मुझे छोड़ दिया गया. मेरे बाद भी 2 आदमियों की जांच हो रही थी.’’ ब्राउन ने कहकहा लगाते हुए कहा.

‘‘अब क्या इरादा है?’’ ब्राउन ने बेचैनी से पूछा.

‘‘आज रात को वहां से हीरे निकाल लेंगे.’’ जैकब ने जवाब दिया.

ब्राउन बोला, ‘‘यार, घबराहट में मैं 5 हीरे ही बाहर फेंक सका.’’

जैकब ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं. 5 लाख डौलर भी बहुत होते हैं.’’

जैकब और ब्राउन देर रात फव्वारे पर पहुंच गए. आज उन के ख्वाबों में रंग भरने की रात थी. दोनों ने जल्दी मुनासिब न समझी. दोनों एक कोने में काले कपड़ों में छिप कर बैठ गए. आधी रात तक का इंतजार किया. लोगों की आवाजाही अब खत्म हो चुकी थी. फव्वारा अभी बंद था. पानी बिलकुल स्थिर था. इन्हें हीरे तलाश करने में मुश्किल नहीं हुई. 3 हीरे मिलने के बाद ब्राउन ने कहा, ‘‘जैकब, 3 काफी हैं, निकल चलते हैं.’’

‘‘नहीं यार, एक और तलाश कर लें फिर चलते हैं.’’ जैकब ने इसरार किया. अचानक फ्लैश लाइट्स औन हो गईं. एकदम वे दोनों तेज रोशनी में नहा गए. एक कड़कती हुई आवाज सुनाई दी, ‘‘वहीं रुक जाओ.’’

दोनों अभी ही हौज से बाहर निकले थे. ‘मारे गए यार…’ जैकब ने फ्लैश लाइट्स से बाहर दौड़ लगाई. लेकिन पुलिस वाले गाड़ी से उतर कर वहां पहुंच गए. एक ने जैकब पर गन तान ली, दूसरे ने ब्राउन पर. दोनों हाथ ऊपर कर के खड़े हो गए. ‘‘ईजी औफिसर, गोली मत चलाना. आप ने हमें पकड़ लिया है.’’ ब्राउन ने डर कर कहा.

‘‘तुम ठीक समझे. जरा भी हलचल की तो गोली चल जाएगी.’’ गन वाला गुर्राया.

‘‘हौज से मिलने वाले सिक्के हर महीने चैरिटी के नाम पर यतीमखाने में दिए जाते हैं. तुम दोनों इतने बेईमान हो कि खैराती रेजगारी भी चुराने आ गए. ठहरो, अभी तुम्हारी तलाशी होती है. जज कम से कम 3 महीने की सजा तो देगा ही. इन्हें गनपौइंट पर गाड़ी में डालो. पुलिस स्टेशन पर इन की तलाशी ली जाएगी.’’ दोनों मजबूरन हाथ उठाए उदास से गाड़ी में बैठ गए. ब्राउन धीरे से बोला, ‘‘बुरे फंसे यार.’’

 

 

Bihar Crime : प्रेमी संग रची साजिश और पति को शराब पिला कर हमेशा के लिए सुला दिया

Bihar Crime : लड़कियों या महिलाओं पर बुरी नजर वालों को पता होता है कि उन तक पहुंचने के लिए पहली सीढ़ी उन की तारीफ करना है. रतन ने इसी युक्ति से पुष्पा को पटाया. पति से नाखुश पुष्पा उस के प्रेमजाल में फंस गई और फिर दोनों ने मिल कर…

सांवले रंग का धनंजय सामान्य कदकाठी वाला युवक था. उस की एकमात्र खूबी यही थी कि वह सरकारी नौकरी में था. कहने का अभिप्राय यह कि वह जिंदगी भर अपने परिवार का बोझ अपने कंधों पर उठा सकता था. बिहार के जिला गोपालगंज के बंगरा बाजार निवासी रामजी मिश्रा ने धनंजय की यही खूबी देख कर उस से अपनी बेटी ब्याही थी. मांबाप ने कहा और खूबसूरत पुष्पा शादी के बंधन में बंध कर मायके की ड्योढ़ी छोड़ ससुराल आ गई. लेकिन उसे धक्का तब लगा, जब उस ने पति को देखा. वह जरा भी उस के जोड़ का नहीं था. पत्नी यदि खूबसूरत हो तो पति उस के हुस्न का गुलाम बन ही जाता है. धनंजय भी पुष्पा का शैदाई बन गया. पुष्पा ने धनंजय की कमजोरी का फायदा उठा कर उसे अपनी उंगलियों पर नचाना शुरू कर दिया.

पुष्पा को धनंजय चाहे जैसा लगा हो, लेकिन धनंजय खूबसूरत, पढ़ीलिखी बीवी पा कर खुश था. धनंजय सुबह 9 बजे घर से निकलता था, तो फिर रात 8 बजे के पहले घर नहीं लौटता था. पीडब्ल्यूडी में लिपिक के पद पर कार्यरत धनंजय की ड्यूटी पड़ोसी जिले सीवान में थी. धनंजय को अपने गांव अमवां से सीवान आनेजाने में 2 घंटे लग जाते थे. धनंजय को जितनी पगार मिलती थी, वह पूरी की पूरी पुष्पा के हाथ पर रख देता था. धंनजय के 2 भाई और थे, बड़ा रंजीत और छोटा राजीव. रंजीत मुंबई में तो राजीव दिल्ली में नौकरी करता था. विवाह के बाद से ही धनंजय पुष्पा के साथ अलग घर में रह रहा था. कालांतर में पुष्पा 2 बच्चों की मां बनी. एक बेटा था सौरभ और एक बेटी साक्षी.

गत वर्ष मई महीने में धनंजय के साले का विवाह देवरिया की भुजौली कालोनी में हुआ था. विवाह में धनंजय पांडे की मुलाकात दुलहन के चचेरे भाई रतन पांडे से हुई. मुलाकात के दौरान दोनों की काफी बातें हुई. इसी बातचीत के दौरान धनंजय ने उस से देवरिया में मकान किराए पर दिलाने को कहा तो रतन ने हामी भर दी. विवाह में शामिल  होने के बाद धनंजय और पुष्पा बच्चों के साथ वापस लौट आए. रतन पांडे देवरिया के थाना गौरीबाजार के सिरजम हरहंगपुर निवासी सुभाष पांडेय का बेटा था. सुभाष पांडेय टीवी मैकेनिक थे. 24 वर्षीय रतन 4 बहनों में दूसरे नंबर का था. इंटर पास रतन देवरिया में मोबाइल कंपनी ‘एमआई’ के कस्टमर केयर सेंटर में नौकरी करता था और देवरिया खास में ही किराए पर कमरा ले कर रह रहा था.

धनंजय से बात होने के कुछ ही दिनों के अंदर रतन ने धनंजय को शहर के इंदिरा नगर मोहल्ले में सौरभ श्रीवास्तव का मकान किराए पर दिलवा दिया. धनंजय अपनी पत्नी पुष्पा और दोनों बच्चों के साथ उसी मकान में रहने लगा. बिहार का सीवान जिला उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की सीमा से सटा है. इसलिए धनंजय को वहां से सीवान जाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी, वह अपनी ड्यूटी पर रोजाना आनेजाने लगा. बच्चों का एडमीशन भी पास के एक स्कूल में करा दिया था. धनंजय रोजाना सुबह निकल जाता और देर रात वापस लौटता था. बच्चे भी स्कूल चले जाते थे. पुष्पा घर पर अकेली रह जाती थी. ऐसे में रतन का पुष्पा के पास आनाजाना बढ़ गया. रतन पुष्पा की खूबसूरती पर पहले ही मर मिटा था.

इसीलिए उस ने पुष्पा के नजदीक रहने के लिए धनंजय को देवरिया में किराए पर मकान दिलवाया था. धनंजय के कहने पर वह उस के बच्चों सौरभ और साक्षी को ट्यूशन पढ़ाने लगा था. बच्चों के जन्म के बाद से धनंजय अब पुष्पा में पहले जैसी रुचि नहीं लेता था. वैसे भी जैसेजैसे वैवाहिक जीवन आगे बढ़ता है, कई पतिपत्नी एकदूसरे में दोष खोजने लगते हैं, जो उन के बीच विवाद की जड़ बनते हैं. धनंजय भी पुष्पा में कमियां निकालने लगा था. वैसे भी पुष्पा को तो वह कभी नहीं भाया था, किसी तरह उस के साथ अपनी जिंदगी काट रही थी. जब धनंजय उस के दोष और गलतियां निकालता था तो पुष्पा के अंदर दबा गुस्सा गुबार बन कर बाहर निकल पड़ता था, जिस पर धनंजय उस की पिटाई कर देता था. ऐसा अधिकतर धनंजय के शराब के नशे में होने पर ही होता था. धनंजय मारपिटाई पर उतर आया तो पुष्पा को उस से हद से ज्यादा नफरत हो गई.

रतन ने उस के घर आना शुरू किया तो पुष्पा की नजर उस पर टिकने लगीं. रतन गोराचिट्टा, स्मार्ट और कुंवारा था. पुष्पा ने ऐसे ही युवक की कामना की थी. विवाह से पहले उस की 2 ही इच्छाएं थीं, एक तो उस का जीवनसाथी सरकारी नौकरी वाला हो और दूसरा वह खूबसूरत व स्मार्ट हो. उस की जोड़ी उस के साथ ‘रब ने बना दी जोड़ी’ जैसी हो. उस की एक इच्छा तो पूरी हो गई थी लेकिन दूसरी इच्छा ने उसे रूला दिया. धनंजय ने कभी भी पुष्पा की तारीफ  नहीं की थी, लेकिन रतन पुष्पा की जम कर तारीफ करता था, साथ ही हंसीमजाक भी. पुष्पा सोचती थी कि रतन को सुंदरता की कद्र करनी आती है, लेकिन धनंजय को नहीं.

रतन लतीफे सुना कर पुष्पा को खूब हंसाता था. उस की पसंदनापसंद की चीजों का ख्याल रखता था. पुष्पा साड़ी या सलवारसूट पहनती तो उसे अपनी राय बताता. इन बातों से पुष्पा मन ही मन बहुत खुश होती. धीरेधीरे पुष्पा को भी रतन की आदत पड़ गई. उस के बिना अब उसे अच्छा नहीं लगता, घर में सब सूनासूना सा महसूस होता. रतन ने पुष्पा को इतनी खुशियां दीं कि वह सोचने को मजबूर हो गई कि काश! मेरा पति रतन जैसा होता, तो कितना अच्छा होता…?

एकांत क्षणों में पुष्पा, रतन की तुलना धनंजय से करने लगती और यह सोच कर मायूस हो जाती कि धनंजय रतन के आगे किसी मामले में नहीं ठहरता. पुष्पा रतन के बारे में ज्यादा सोचती तो उस का मन उस की बांहों में ही सिमटने को मचल उठता. पुष्पा और रतन की निगाहों में एकदूसरे के लिए तड़प भरी रहती थी. पानी का गिलास, चाय का कप लेतेदेते हुए दोनों की अंगुलियों का स्पर्श होता तो दोनों ही ओर चिंगारियां छूटने लगतीं. पुष्पा का रतन रतन का व्यक्तित्व पुष्पा के दिल में हलचल मचाए हुए था तो पुष्पा की आकर्षक देहयष्टि रतन के युवा मन में सरसराहट भरती रहती थी. वह पुष्पा से बिना नजरें मिलाए उस का दीदार करता रहता. उसे पूरी तरह पा कर न सही, स्पर्श कर के ही सुख लूटता रहता.

रतन कुछ कारणों से अपने गांव चला गया तो पुष्पा खुद को फिर तन्हा महसूस करने लगी. उसे ऐसा लगा, जैसे उस की रूह निकल कर चली गई हो और मुरदा जिस्म वहां रह गया हो. धनंजय सीवान से अपनी ड्यूटी से वापस लौटता, रात में जब वह उस से संसर्ग करता, तब भी वह मुर्दों की तरह निष्क्रिय पड़ी रहती. धनंजय उस के व्यवहार से इसलिए स्तब्ध नहीं हुआ, क्योंकि वह जानता था कि पुष्पा उस से बिलकुल खुश नहीं है. उधर गांव गए रतन का हाल भी ऐसा ही था. पुष्पा को याद कर के वह रात भर करवटें बदलता रहता, आंखें बंद करता तो सपने में पुष्पा ही नजर आती. जो वह हकीकत में करने की ख्वाहिश रखता था, उसे कल्पना में ही कर के खुद को तसल्ली दे लेता था.

आखिर रतन गांव से शहर लौटा तो पुष्पा से मिलने गया. पुष्पा उस समय अकेली थी. उसे रतन की यादों ने बेहाल कर रखा था. रतन को देखते ही पुष्पा का चेहरा खिल उठा. रतन के अंदर आते ही पुष्पा ने लपक कर दरवाजा बंद कर दिया. फिर नाराजगी प्रकट करते हुए बोली, ‘‘क्या इस तरह मुझे तड़पाना अच्छा लगता है तुम्हें?’’

‘‘मैं समझा नहीं.’’ रतन अंजान बनते हुए बोला.

‘‘कितने दिन हो गए तुम्हें. मैं तुम्हारी सूरत देखने को तरस गई थी.’’ पुष्पा ने शिकायती लहजे में कहा.

‘‘सच,’’ रतन खुश होते हुए बोला,‘‘मैं यही सुनने को तो गैरहाजिर था. मैं देखना चाहता था कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए कितनी चाहत है. अगर ऐसा नहीं करता, तो तुम शायद आज अपने दिल की बात मुझ से न कहतीं.’’

‘‘तुम सच कह रहे हो रतन. तुम ने मुझ पर न जाने कैसा जादू कर दिया है कि मैं हर पल तुम्हारे बारें में ही सोचती रहती हूं.’’ कहते हुए उस ने रतन के गले में बांहें डाल दीं.

‘‘यही हाल मेरा भी है पुष्पा. जिस दिन तुम्हारा दीदार नहीं होता, वह दिन पहाड़ सा लगता है.’’ पुष्पा की पतली कमर में हाथ डालते हुए रतन ने उसे अपने करीब खींचा और उस के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

पुष्पा के होंठों में ऐसी तपन थी, कि रतन को लगा जैसे उस ने अंगारों को छू लिया हो. पुष्पा के होंठों से अपने होंठ अलग करते हुए उस ने पुष्पा की सुरमई आंखों में झांका, तो लगा जैसे उन में पूरा मयखाना समाया हो. पुष्पा की नशीली आंखों, फूलों जैसे रुखसार, सुराही जैसी गरदन और उस के नाजुक अंगों को देख कर रतन के रोमरोम में लहर सी दौड़ गई. गजब तो तब हुआ, जब पुष्पा ने अपने बंधे हुए गेसू खोल दिए. थोड़ी देर पहले ही उस ने सिर धोया था. सावन की घटाओं से भी श्यामवर्ण गेसू कमर के नीचे उभारों को छूने लगे, तो रतन बोल पड़ा, ‘‘वाह पुष्पा, क्या लाजवाब हुस्न है तुम्हारा.’’

पुष्पा ने खिलखिला कर हंसते हुए पूछा, ‘‘वो कैसे?’’

‘‘आइने में देख लो, खुद समझ जाओगी.’’

‘‘वो तो मैं तुम्हारी आंखों में देख कर समझ रही हूं.’’

‘‘क्या देख रही हो मेरी आंखों में?’’ रतन ने पूछा.

‘‘बेईमानी. किसी का माल हड़पने के लिए नीयत खराब कर रहे हो.’’ पुष्पा ने हौले से रतन के गाल पर चपत लगाई.

‘‘अगर वह माल लाजवाब और मीठा हो तो उसे उठा कर मुंह में रख लेने में कैसी झिझक. सच में दिल कर रहा है कि आज मैं तुम्हें लूट ही लूं.’’

‘‘तो रोका किस ने है?’’ कहते हुए पुष्पा रतन के गले से झूल गई और बोली,‘‘आओ लूट लो मेरे हुस्न के इस अनमोल खजाने को. मैं तो कब से तुम्हें सौंपने को बेताब थी.’’

रतन का गला सूखने लगा था, ‘‘कोई आ गया तो?’’

‘‘कोई नहीं आ रहा अभी, तुम निश्चिंत रहो.’’

इस के बाद दोनों वासना के खेल में डूबते चले गए. घर की तनहाई दोनों के दिलों की ही नहीं जिस्मों के मिलन की भी साक्षी बन गई. इस के बाद तो रोज ही उन के बीच यह खेल खेला जाने लगा. रतन ने पुष्पा को दिया अपने नाम वाला सिम रतन ने पुष्पा को एक सिम खरीद कर दे दिया. उस ने सिम को अपने मोबाइल में डाल लिया. पुष्पा इस सिम का इस्तेमाल केवल रतन से बात करने के लिए करती थी. धनंजय की अनुपस्थिति में रतन पूरे दिन पुष्पा के साथ उस के घर में मौजूद रहता. उस के साथ समय बिताता तो उन पलों को अपने स्मार्टफोन में भी कैद कर लेता. वह अपने मोबाइल से अंतरंग पलों के फोटो और वीडियो भी बनाता था.

18 अप्रैल की सुबह बंद चीनी मिल के परिसर में कुछ युवक लकड़ी लेने गए. इस बीच उन की नजर एक पेड़ के नीचे पड़ी एक लाश पर गई. उन्होंने आसपास के लोगों को बताया तो चंद मिनटों में वहां काफी भीड़ इकट्ठा हो गई. 112 नंबर पर काल कर के पुलिस को लाश मिलने की सूचना दी गई. घटनास्थल थाना कोतवाली देवरिया में आता था, इसलिए कंट्रोल रूम से यह सूचना कोतवाली पुलिस को दे दी गई. सूचना पा कर इंसपेक्टर टीजे सिंह अपनी पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. मृतक की उम्र 40-42 वर्ष रही होगी. उस के चेहरे को किसी भारी वस्तु से कूंचा गया था. चेहरा क्षतविक्षत होने के कारण मृतक की पहचान होना मुश्किल था. उस के गले पर भी कसे जाने के निशान मौजूद थे.

घटनास्थल पर लाश से कुछ दूरी पर खून से सना एक ईंट का टुकड़ा पड़ा मिला. हत्यारे ने उसी ईंट के टुकड़े से मृतक का चेहरा कुचला था. इंसपेक्टर टीजे सिंह निरीक्षण कर ही रहे थे कि तभी एसपी डा. श्रीपति मिश्र, एएसपी शिष्यपाल, सीओ सिटी निष्ठा उपाध्याय समेत अन्य अधिकारी भी वहां पहुंच गए. अधिकारियों ने भी लाश व घटनास्थल का निरीक्षण किया. इंसपेक्टर टीजे सिंह के आदेश पर कुछ सिपाहियों ने मृतक के कपड़ों की तलाशी ली तो कपड़ों से मृतक का आधार कार्ड मिल गया, जिस में मृतक का नाम धनंजय पांडे लिखा था और पता देवरिया की सीमा से सटे बिहार के गोपालगंज जिले के कुचायकोट थाना क्षेत्र में आने वाले गांव अमवा का लिखा था.

मृतक के घर वालों को कुचायकोट थाना पुलिस के जरीए सूचना भेजी गई. इस के बाद पुलिस अधिकारी इंसपेक्टर टीजे सिंह को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर वापस लौट गए. सूचना पर मृतक के घर वाले और ससुराल वाले वहां पहुंचे. उन लोगों ने धनंजय की लाश की शिनाख्त कर दी. लाश की शिनाख्त होने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया गया. कोतवाली लौट कर इंसपेक्टर टीजे सिंह ने धनंजय पांडे के ससुर रामजी मिश्रा की लिखित तहरीर के आधार पर अज्ञात के विरूद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. केस की जांच शुरू करते हुए इंसपेक्टर टीजे सिंह ने सर्वप्रथम पुष्पा से पूछताछ की, जो कि घटना से एक महीने पहले से अपने मायके में रह रही थी.

उन्होंने पुष्पा से पूछा, ‘‘धनंजय की किसी से कोई दुश्मनी थी या उस का किसी से हाल ही में कोई लड़ाईझगड़ा हुआ था?’’

‘‘सर, उन की किसी से दुश्मनी नहीं थी और न ही उन का किसी से लड़ाईझगड़ा हुआ था. वह तो सुबह अपने आफिस के लिए निकल जाते थे और रात में लौटते थे.’’

‘‘फिर भी कोई दुश्मनी रही हो, याद करने की कोशिश कीजिए.’’

‘‘सर, मेरी जानकारी में तो नहीं है, अगर औफिस में कोई बात हुई हो तो मुझे पता नहीं. मेरे पति आफिस की कोई भी बात मुझे नहीं बताते थे.’’

पुष्पा बड़े ही सहज भाव से सवालों का जवाब दे रही थी. उस के चेहरे के भावों और बोलने के अंदाज से यह कतई नहीं झलक रहा था कि वह पति की मौत से गमगीन है. यह बात मन में शक पैदा करने वाली थी. पुष्पा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करते हुए इंसपेक्टर टीजे सिंह ने एक और सवाल दागा, ‘‘घर में कौनकौन आता था?’’

‘‘सर, हम देवरिया में किराए पर रह रहे थे. हमारी किसी से जानपहचान नहीं है. इसलिए कोई भी नहीं आताजाता था.’’

‘‘कोई भी नहीं?’’ इंसपेक्टर टीजे सिंह ने उस की आंखों से आंखें मिला कर उस का सच और झूठ पकड़ने के लिए एक बार फिर एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. इंसपेक्टर सिंह को घुमाती रही पुष्पा इंसपेक्टर टीजे सिंह द्वारा इस तरह पूछने पर पुष्पा एक पल के लिए हड़बड़ाई, लेकिन अगले ही पल खुद को संभालते हुए बोली, ‘‘जी सर कोई नहीं, बस मेरे बच्चों को पढ़ाने के लिए रतन पांडे आता था. वह हमारा दूर का रिश्तेदार है, उसी ने हमें देवरिया में रहने के लिए किराए पर मकान दिलवाया था.’’

‘‘तो बताना चाहिए था न… मैं दोबारा न पूछता तो आाप बताती भी नहीं.’’

‘‘सर, वह तो घर का ही है, बाहर का नहीं, इसीलिए नहीं बताया.’’ पुष्पा ने सफाई दी.

‘‘ये आप हमें तय करने दें कि कौन क्या है, हमारे निशाने पर सभी होते हैं चाहे घर के हों या बाहर के. वैसे भी अधिकतर केसों में हत्यारा घर का अपना ही कोई निकलता है.’’ कह कर टीजे सिंह ने पुष्पा की तरफ  देखा तो उस के चेहरे पर आने वाले भाव देख कर वह मुस्करा उठे और फिर उठते हुए बोले, ‘‘खैर अब मैं चलता हूं, जरूरत पड़ी तो आप से दोबारा पूछताछ करूंगा.’’

‘‘जी सर.’’

टीजे सिंह वहां से चले गए. वहां से निकलने से पहले वह पुष्पा का मोबाइल नंबर लेना नहीं भूले. इंसपेक्टर सिंह ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई साथ ही जिस मोबाइल में सिम पड़ा था. उस मोबाइल में दूसरे सिम भी डाले गए थे तो उन सिम के नंबरों की भी डिटेल्स देने को कहा गया. जब पुष्पा के बताए नंबर की काल डिटेल आई तो उस में कुछ खास नहीं मिला. लेकिन साथ में एक और नंबर की काल डिटेल्स आई थी. वह नंबर भी पुष्पा अपने डबल सिम वाले मोबाइल में प्रयोग कर रही थी. लेकिन उस नंबर के बारे में पुष्पा ने कुछ नहीं बताया था. उस नंबर से केवल एक नंबर पर ही रोज बात की जाती थी. उस नंबर की डिटेल्स निकलवाई तो वह नंबर रतन पांडे के नाम पर था. रतन वही था जो धनंजय के घर ट्यूशन पढ़ाने आता था. उस का पता किया तो वह घर से फरार मिला.

20 अप्रैल को इंसपेक्टर टीजे सिंह ने एक मुखबिर की सूचना पर अमेठी तिराहे के खोराराम मोड़ से रतन पांडे को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो रतन ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया, साथ ही हत्या की वजह भी बता दी. इस के बाद इंसपेक्टर सिंह पुष्पा को उस के मायके से गिरफ्तार कर के थाने ले आए.

थाने में जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने बरगलाने की कोशिश की कि रतन ने उस के अश्लील फोटो व वीडियो बना लिए थे, जिन के सहारे वह उसे ब्लैकमेल कर रहा था. उसी ने उस के पति की हत्या की है. लेकिन जब सख्ती दिखाई गई तो उस ने सच उगल दिया. पुष्पा रतन को अपनी जान से भी ज्यादा चाहने लगी थी, उसी के साथ विवाह कर के वह अपनी आगे की जिंदगी गुजारना चाहती थी. इस के लिए वह रतन के साथ भाग जाती और विवाह कर लेती. लेकिन जिंदगी सिर्फ प्यार से नहीं गुजरती, पैसों की भी जरूरत होती है. रतन छोटीमोटी नौकरी करता था, उस से उस का खुद का गुजारा ही नहीं हो पाता था. ज्यादा पैसा तो सरकारी नौकरी में ही मिलता है जो कि धनंजय के पास थी. इसलिए पैसों की उसे कभी कोई दिक्कत नहीं हुई.

पुष्पा को सरकारी नौकरी का मोह था. इसलिए उस ने इस का रास्ता निकाल लिया. उस रास्ते पर चल कर उस की सारी इच्छाएं पूरी हो सकती थीं. वह रास्ता था धनंजय की मौत. धनंजय के मरने से पुष्पा को एक तो उस से छुटकारा मिल जाता, दूसरे उस की जगह मृतक आश्रित कोटे से उसे नौकरी मिल जाती और तीसरा वह रतन से विवाह कर के आराम से जिंदगी गुजार सकती थी. पुष्पा अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पति के खून से हाथ रंगने को तैयार थी. वह यह भूल गई कि केवल सोचने भर से जिंदगी आसान नहीं हो जाती. सब कुछ मनचाहा नहीं होता.

वह जिस रास्ते पर चलने को आमादा थी उस पर उसे सरकारी नौकरी तो नहीं जेल की सलाखें जरूर मिलने वाली थीं. दूसरी ओर धनंजय को अपनी मौत के षड़यंत्र का कैसे पता चलता, जबकि उसे पुष्पा और रतन के अवैध संबंधों तक की जानकारी नहीं थी. पुष्पा अपने इरादों को अंजाम तक पहुंचाने को आतुर थी. रतन तो पहले से ही पुष्पा से बारबार धनंजय को मार देने की बात कहता रहता था. वह तो पुष्पा की तरफ से बस हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहा था. पुष्पा ने अपने दिल की पूरी बात रतन को बता दी. इस के बाद दोनों ने धनंजय की हत्या की योजना बनाई. योजनानुसार 16 मार्च, 2020 को पुष्पा बच्चों के साथ अपने मायके गोपालगंज चली गई.

एक महीना पूरा होने पर 17 अप्रैल की शाम 4 बजे पुष्पा ने रतन को फोन कर के धनंजय की हत्या करने को कहा. काश! धनंजय शराब के लालच में न पड़ता 18 अप्रैल की रात 8 बजे के करीब रतन ने धनंजय को शराब पीने के लिए बंद चीनी मिल परिसर में बुलाया. धनंजय के वहां पहुंचने पर रतन ने एक ईंट के टुकडे़ से उस के सिर पर प्रहार किया. धनंजय दर्द से बिलबिला उठा. इसी बीच रतन ने पास में उगी गिलोय की बेल उखाड़ कर धनंजय के गले में डाल दी और पूरी ताकत से कस दिया.

दम घुटने से धनंजय की मौत हो गई. इस के बाद रतन ने धनंजय के चेहरे को बुरी तरह से कुचल दिया. फिर धनंजय की जेब से मोबाइल निकाल कर रतन वहां से चला गया. उस ने वाट्सऐप पर मैसेज कर के पुष्पा को धनंजय की मौत की जानकारी दे दी. पुष्पा द्वारा मैसेज देख लेने के बाद रतन ने वह मैसेज डिलीट कर दिया. लेकिन दोनों पकड़े गए. रतन ने अपना एंड्रायड मोबाइल फारमेट कर दिया था. इसलिए उस मोबाइल का डाटा रिकवर करने के लिए इंसपेक्टर टीजे सिंह ने मोबाइल में डाटा रिकवरी ऐप इंस्टाल किया और मोबाइल का पूरा डाटा रिकवर कर लिया. मोबाइल की गैलरी में रतन व पुष्पा के अनगिनत फोटो मिले, जिस में कई अश्लील भी थे, जिन को उन्होंने सुबूत के तौर रख लिया.

अभियुक्त रतन के पास से इंसपेक्टर सिंह ने धनंजय का मोबाइल भी सिम सहित बरामद कर लिया. हत्या में प्रयुक्त ईंट का टुकड़ा पहले ही घटनास्थल से बरामद हो गया था. कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के दोनों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज  दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

पहले महाकुंभ लाया, फिर बीवी की हत्या कर दी : वजह जान कर चौंक जाएंगे

UP Crime : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुई एक सनसनीखेज वारदात ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. आरोप है कि एक पति ने पहले तो पत्नी को कुंभ स्नान कराने के बहाने बुलाया फिर उस की बेरहमी से हत्या कर दी. जिस किसी ने भी इस घटना के बारे में सुना, वह हैरान रह गया. इस दिल दहला देने वाली घटना की पूरी कहानी जान कर आप के भी रौंगटे खड़े हो जाएंगे।

प्रयागराज की घटना

घटना उतर प्रदेश के प्रयागराज की है, जहां भारत से ले कर दुनियाभर से लोग महाकुंभ  (Mahakumbh) स्नान के लिए आए थे. इसी भीड़ का फायदा उठा कर पति ने अपनी पत्नी मीनाक्षी को दिल्ली से बुला कर हत्या कर दी और मौके से फरार हो गया, लेकिन सीसीटीवी फुटेज और मृतका मीनाक्षी के बेटे की मदद से पुलिस ने कातिल पति को अरैस्ट कर लिया है.

कातिल पति अपनी पत्नी को झूंसी इलाके के एक लौज में बेरहमी से मार कर फरार हो गया. बताया जा रहा है कि कातिल पति का दूसरी महिला से अवैध संबंध चल रहा था, इसलिए उस ने अपनी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया.

अवैध संबंध का निकला चक्कर

कातिल पति अशोक वाल्मिकी ने दिल्ली से अपनी पत्नी मीनाक्षी को महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज बुलाया. महाकुंभ स्नान को ले कर मीनाक्षी बहुत खुश थी और इसीलिए संगमतट पर स्नान करने आई थी.

अशोक ने अपनी पत्नी मीनाक्षी के साथ एक वीडियो भी बनाया और सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया. ऐसा इसलिए ताकि सभी को लगे कि वे महाकुंभ स्नान करने आए हैं.

रात में अशोक ने अपनी पत्नी के लिए झूंसी के एक लौज में ₹500 में एक कमरा लिया. लेकिन पत्नी को बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि आज उस की आखिरी रात होगी. रात जब गहराई तो आरोपी अशोक ने बाथरूम में पत्नी मीनाक्षी की बेरहमी से हत्या कर दी और सामान लेने के बहाने लौज से रात को ही फरार हो गया.

महिला की लाश देख चौंके लोग

सुबह होने पर जब लौज के स्टाफ ने बाथरूम में एक महिला की लाश देखी तो वे चौंक गए. तुरंत घटना की सूचना पुलिस को दी गई, लेकिन लौज में आईडी जमा न होने की वजह से मृतक महिला की पहचान मुश्किल थी.

कातिल पति का खुलासा

जब पुलिस कातिल का सुराग ढूंढ़ने लगी तो आसपास के सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकाले गए. इन्हीं फुटेज के आधार पर कातिल की पहचान हो गई. इसी दौरान मीनाक्षी का बेटा अश्विनी 21 फरवरी, 2025 को मां को खोजतेखोजते प्रयागराज पहुंच गया. वह झूंसी थाने में भी गया और थाने में एक तसवीर को देख कर बोला कि यह मेरी मां है, जो महाकुंभ मेले में खो गई है. जब पुलिस ने अश्विनी को लौज से वरामद लाश दिखाई तो अश्विनी फफकफफक कर रो पङा.

प्रेम प्रसंग के चक्कर में मारा पत्नी को

पुलिस के द्वारा कातिल अशोक को अरैस्ट कर लिया गया है, जहां उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है. अशोक ने बताया कि उस का एक महिला के साथ अवैध संबंध चल रहा था और पत्नी उस का विरोध करती थी. इसी कारण उस ने पत्नी को महाकुंभ स्नान के बहाने बुला कर उस की हत्या कर दी.

कैसे पकड़ा गया कातिल

पुलिस ने अशोक के बेटे के जरिए उसे बुलाया और बहराना में पहुंचते ही अरैस्ट कर लिया. जब पुलिस ने अशोक से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कबुल कर लिया, जिस के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

Murder Stories : पड़ोसी ने ज्‍वेलर और उसकी बीवी का पहले गला घोंटा फिर करंट लगाया

Murder Stories : जब दिमाग में लालच और अपराध के कीड़े कुलबुलाते हैं तो स्वार्थ की भावना की छाया में खून भी पानी लगने लगता है. कपिल गुप्ता और ओमबाबू राठौर को मुकलेश गुप्ता का पैसा, सोनाचांदी तो दिखा, लेकिन खून में डूबी 2 लाशें उन्हें मिट्टी के ढेले जैसी लगीं. काश! दोनों दरिंदों ने…

नौकरानी सोमवती रोजाना की तरह मंगलवार की सुबह भी सर्राफा कारोबारी मुकलेश गुप्ता के घर काम करने पहुंची. उस ने दरवाजे पर लगी कालबेल बजाई. लेकिन कई बार घंटी बजाने के बाद भी जब अंदर कोई हलचल नहीं हुई तो उस ने दरवाजे को हलका सा धक्का दिया. ऐसा करने से दरवाजा खुल गया. सोमवती अंदर पहुंची. वह रोजाना सब से पहले नीचे के कमरों की सफाई करनी थी. लेकिन कमरे बंद थे, उस ने चाबी लेने के लिए मालकिन को आवाज लगाई. तभी उस की नजर ऊपर गई तो उसे हैरत हुई. मकान मालिक मुकलेश नीचे की ओर मुंह कर के लोहे के जाल पर पड़े थे. यह देख वह घबरा गई. उस ने ऊपर जा कर मालकिन लता गुप्ता को आवाज लगाई, लेकिन उन की भी आवाज नहीं आई.

सोमवती ने जब मालकिन के कमरे में जा कर देखा तो वह फर्श पर पड़ी थीं. उन के सिर से खून बह रहा था. यह दृश्य देखते ही सोमवती चीखती हुई बाहर की ओर भागी. उस ने यह जानकारी आसपास के लोगों व मुकलेश गुप्ता के भाई को दी. यह 28 जनवरी, 2020 की सुबह 6 बजे की बात है. सोमवती के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर आसपास के लोग एकत्र हो गए. कुछ लोग जीना चढ़ कर ऊपर पहुंचे. वे लोग ऊपर का दृश्य देख हैरान रह गए. पहली मंजिल पर लगे लोहे के जाल पर 62 वर्षीय मुकलेश गुप्ता और वहीं पास के कमरे के फर्श पर उन की 60 वर्षीय पत्नी लता पड़ी हुई थीं. मुकलेश के पैर में टेप चिपका कर बिजली का तार लगाया गया था, जिस का दूसरा सिरा बिजली के बोर्ड में लगा था.

लोगों ने तार को बोर्ड से अलग किया. पतिपत्नी दोनों की मौत हो चुकी थी. इसी बीच किसी ने यह सूचना आगरा में रहने वाली मुकलेश की सब से बड़ी बेटी डा. प्रियंका के अलावा शमसाबाद थाने में भी दे दी. डबल मर्डर की सूचना मिलते ही शमसाबाद एसओ अरविंद निर्वाल पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. डबल मर्डर और लूट की घटना से सनसनी फैल गई थी. मुकलेश कुमार पिछले 20 सालों से सर्राफा कमेटी के अध्यक्ष थे. उन की हत्या की खबर मिलते ही व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथसाथ मुकलेश के परिजन भी एकत्र हो गए थे. 2-2 लाशों को देख कर लोग आक्रोशित हो कर हंगामा करने लगे. स्थिति की गंभीरता को भांप कर एसओ ने उच्चाधिकारियों को घटना से अवगत करा दिया.

आननफानन में आगरा के एसएसपी बबलू कुमार एसपी प्रमोद कुमार और सीओ (फतेहाबाद) प्रभात कुमार मौके पर पहुंच गए. एसएसपी ने फोरैंसिक टीम और आसपास के थानों की फोर्स भी बुला ली. खबर मिलते ही मुकलेश गुप्ता की बेटी डा. प्रियंका भी शमसाबाद पहुंच गई. बाद में एडीजी अजय आनंद, आईजी ए.सतीश गणेश भी वहां आ गए. उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और दंपति के कत्ल के बारे में जानकारी ली. मुकलेश व लता के सिर से काफी खून निकल चुका था. दोनों के गले पर भी चोट के निशान थे. देखने से लग रहा था कि दंपति की हत्या के लिए बेहद क्रूर तरीका अपनाया गया था. साथ ही दोनों को करंट भी लगाया गया था.

फोरैंसिक टीम ने कई स्थानों से फिंगरप्रिंट उठाए. सर्राफा व्यवसायी व उन की पत्नी को मौत के घाट उतारने वाले बदमाश इतने शातिर थे कि घर में लगे सीसीटीवी कैमरे की डीवीआर अपने साथ ले गए थे. पुलिस को अंदेशा था कि वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों को घर की हर चीज की जानकारी थी. आशंका थी कि लुटेरे परिवार के नजदीकी रहे होंगे. डबल मर्डर के बारे में आसपास के किसी व्यक्ति को भनक तक नहीं लगी थी. जबकि परिजनों के मुताबिक हत्या रात 8 बजे से पहले की गई थी. क्योंकि मुकलेश शाम 6 बजे और रात 8 बजे चाय घर पर पीते थे. शाम का दूध डिब्बे में डायनिंग टेबल पर रखा था. इस से स्पष्ट था कि 27 जनवरी की रात 8 बजे की चाय से पहले ही घटना को अंजाम दे दिया गया था.

जिस कमरे में लता का शव पड़ा था, उस में  5 अलमारियां खुली पड़ी थीं जबकि 3 अलमारियों को हाथ भी नहीं लगाया गया था. डा. प्रियंका ने घर की अलमारियां खोल कर देखीं तो 2 में से सोने के गहनों के अलावा लाइसैंसी रिवौल्वर भी गायब था. प्रियंका ने लूटे गए सामान की कीमत एक करोड़ से अधिक बताई. डा. प्रियंका की तरफ से पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 394 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. प्रियंका ने बंद अलमारियां खोलीं तो उन में रखे 10 लाख रुपए और 2 किलोग्राम सोना, चांदी यथास्थान रखे मिले. इस से अनुमान लगाया गया कि 2 अलमारियों से ही बदमाशों को भारी मात्रा में नगदी व आभूषण मिल गए थे.

मौके की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए आगरा भेज दिया. मुकलेश के पास साहूकारी (ब्याज पर पैसे देने) का भी लाइसैंस था. घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर ही सर्राफा बाजार में उन की ओमप्रकाश मुकलेश कुमार ज्वैलर्स नाम से 90 साल पुरानी दुकान थी. आक्रोशित व्यापारियों व परिजनों ने शवों का अंतिम संस्कार करने से इनकार करते हुए कहा कि जब तक वारदात का खुलासा नहीं हो जाता, तब तक वे दोनों लाशों का अंतिम संस्कार नहीं होने देंगे. विरोध में व्यापारियों ने शमसाबाद का मार्केट बंद रखा. एसएसपी बबलू कुमार ने लोगों को आश्वासन दिया कि 72 घंटे में डबल मर्डर और लूट का खुलासा कर दिया जाएगा.

खोजी कुत्ता कस्बा में स्थित कुम्हारों की गली से निकल कर दाऊजी के मंदिर तक जाने के बाद ठिठक कर रह गया. इसे ले कर तमाम तरह के कयास लगाए जाने लगे. ओमप्रकाश सर्राफ के 4 बेटों में प्रतिष्ठित सर्राफा कारोबारी मुकलेश गुप्ता तीसरे नंबर के थे. सब से बड़े डा. अवधेश गुप्ता जोकि शमसाबाद में ही प्रैक्टिस करते हैं, दूसरे नंबर के डा. अखिलेश गुप्ता का निधन हो चुका है, जबकि सब से छोटे सर्वेश गुप्ता हैं. हत्याकांड व लूट की घटना का परदाफाश करने के लिए एसएसपी बबलू कुमार ने 4 पुलिस टीमों का गठन किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि पतिपत्नी की मृत्यु गला घोटने तथा करंट लगने से हुई थी. इस के साथ ही हत्यारों ने दंपति पर सूजा जैसी किसी नुकीली चीज से हमला भी किया था.

पुलिस ने इस हत्याकांड के खुलासे के लिए सिलसिलेवार जांच शुरू की. पुलिस को मृतकों के घर वालों ने बताया कि घर के काम के लिए वीरेंद्र नाम का लड़का था, जिसे मुकलेश ने हटा दिया था. पुलिस ने इस लड़के के साथ ही दुकान पर काम करने वाले नौकरों पर भी निगाह रखनी शुरू कर दी. घर पर बिजली व पानी की लाइन की मरम्मत के लिए आनेजाने वालों को भी खंगाला गया. जांच के दौरान पता चला कि मुकलेश गुप्ता ने 27 जनवरी, 2020 को अपनी दुकान शाम साढ़े 5 बजे बंद की थी. इस के बाद वह घर आ गए थे. शाम 7 बजे वह दोबारा घर से पैदल निकले थे और बाजार में छोटे भाई सर्वेश से मिले. उन्होंने करीब साढ़े 7 बजे दाऊजी मंदिर जा कर दर्शन किए. फिर थाने के सामने एक मैडिकल स्टोर से दवा खरीदी और घर आ गए. साढ़े 8 बजे दूध वाला दूध देने आया. तब तक वारदात हो चुकी थी.

दूधिया की बातों से कहानी उलझ गई थी. मुकलेश के यहां दूध देने शमसाबाद निवासी सोनू और उस का भाई मोनू शाम करीब साढ़े 8 बजे पहुंचे थे. नीचे से आवाज देने पर लता ऊपर से रस्सी में बांध कर डिब्बा नीचे लटका देती थीं और वे दूध दे कर चले जाते थे. लेकिन उस दिन आवाज देने पर भी जब डिब्बा नहीं लटकाया, तब दोनों भाई जीने से चढ़ कर ऊपर गए और आवाज दी. उस समय टीवी तेज आवाज में चल रहा था. वहीं डायनिंग टेबल पर डिब्बा रखा था. उसी में दूध भर कर दोनों वापस चले गए.  इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि उस समय वारदात हो चुकी थी. मुकलेश के एक परिचित ने रात 9 बज कर 8 मिनट पर उन्हें फोन किया. घंटी जाती रही, लेकिन फोन नहीं उठा.

पुलिस ने दोनों दूधिया भाइयों से भी पूछताछ की. दोनों ने बताया कि घर में कोई दिखाई नहीं दिया. टीवी तेज आवाज में चलने के कारण हम ने सोचा कि वे लोग कमरे में टीवी देख रहे होंगे. यह बात समझ नहीं आ रही थी कि बदमाशों ने जब गला घोट कर व नुकीली चीज से प्रहार कर दोनों की हत्या कर दी थी, तब करंट क्यों लगाया? क्या हत्यारे उन से घृणा करते थे? बदमाश घर में लाखों रुपए के आभूषण व नगदी क्यों छोड़ गए? यह भी समझ नहीं आ रहा था कि बदमाश रिवौल्वर तो लूट ले गए, लेकिन अलमारी में रखी डबल बैरल बंदूक छोड़ गए थे. बड़ा माल हाथ लगने के बाद भी वे दुकान का थैला जिस में दुकान की चाबियां और कागजात थे, क्यों ले गए?

पुलिस को अंदेशा था कि इस हत्याकांड में किसी नजदीकी का हाथ हो सकता है. पुलिस इस बात की जांच कर रही थी कि पतिपत्नी की मौत से किसे लाभ मिल सकता है. मुकलेश के पास साहूकारी का लाइसैंस था. उन के पास किसान, आम आदमी और कारोबारी कर्ज लेने आते थे, मुकलेश गहने और खेत गिरवी रख कर ब्याज पर पैसे देते थे. सर्राफा कारोबार में मुकलेश की अच्छी साख थी. उन की 3 बेटियां थीं. बड़ी बेटी डा. प्रियंका की शादी सेना में मेजर श्यामकुमार से हुई थी, वह आगरा में डाक्टर है. मंझली गीतिका की शादी हैदराबाद में और छोटी दीपिका की गुजरात में हुई थी. प्रियंका सप्ताह में 1-2 दिन शमसाबाद आतीजाती थी. पिछले दिनों मुकलेश अपनी पत्नी के साथ हैदराबाद घूमने गए थे. वहां वह गीतिका से मिल कर आए थे. वहां से वह 5 जनवरी को वापस आए थे.

फोरैंसिक टीम ने एक दरजन से अधिक चीजों से फिंगरप्रिंट के नमूने संकलित किए थे. घटनास्थल से वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्यों को भी एकत्रित कराया गया था. कस्बे में मौजूद सीसीटीवी फुटेज भी देखे गए. क्राइम सीन का रिव्यू किया गया. घटना को 4 दिन बीत गए थे. पुलिस द्वारा दी गई समय सीमा भी समाप्त हो रही थी. इस दोहरे हत्याकांड ने शमसाबाद के पुलिस महकमे को हिला दिया था. घटना का खुलासा न होने से मृतकों के सगेसंबंधी, सर्राफा व्यवसायी आक्रोशित थे. जिस से धरनेप्रदर्शनों का डर था. इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में भी घटना सुर्खियों में थी, जिस से पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा था. यह केस पुलिस के लिए चुनौती बन गया था, लेकिन पुलिस अपने काम में गोपनीय तरीके से जुटी रही, जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी. एसएसपी बबलू कुमार ने सर्विलांस, एसओजी, क्रिमिनल इंटेलिजेंस विंग और 7 थानों के प्रभारियों के साथ एक टीम बनाई थी, जिस में 50 पुलिसकर्मी शामिल थे.

एसएसपी ने वाट्सऐप पर डबल मर्डर औपरेशन के नाम से ग्रुप बनाया. इस में पूरी टीम को जोड़ा गया. इसी ग्रुप पर हर अपडेट दी और ली जा रही थी. अधिकारी भी इसी पर निर्देश भी देते थे. एसपी पूर्वी शमसाबाद प्रमोद कुमार थाने में कैंप कर के रहे. एडीजी अजय आनंद और आईजी ए.सतीश गणेश भी इस मामले पर नजर रखे थे. पुलिस ने कारोबारी मुकलेश के मोबाइल को भी खंगाला. घटना से एक दिन पहले कपिल गुप्ता ने मुकलेश को फोन किया था. इस से पहले उस की मुकलेश से कभी बात नहीं हुई थी. पुलिस जब कपिल गुप्ता के घर पहुंची तो पता चला कि वह घटना के बाद से कस्बे से बाहर है. इसी से पुलिस

को सुराग मिल गया और जांच आगे बढ़ती गई. शुक्रवार देर रात क्राइम ब्रांच और पुलिस की टीम ने कपिल गुप्ता व उस के साथी ओमबाबू राठौर निवासी इरादतनगर, शमसाबाद को फतेहपुर सीकरी से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ करने पर उन्होंने अपराध कबूल कर लिया. पुलिस ने उन की निशानदेही पर लूटे गए 11 किलोग्राम सोने के आभूषण, 24.7 किलोग्राम चांदी और साढ़े 13 लाख रुपए की नगदी बरामद की. बरामद सोनेचांदी के आभूषणों की कीमत करीब 4 करोड़ 60 लाख है. पहली फरवरी को एडीजी अजय आनंद ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर घटना का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि प्रथमदृष्टया मिले संकेतों के आधार पर पुलिस ने अपनी जांच मुकलेश के परिचितों की ओर मोड़ दी थी.

इसी बीच जानकारी मिली कि कस्बे के परचून दुकानदार कपिल गुप्ता और उस का दोस्त ओमबाबू राठौर इस वारदात के बाद से ही गायब हैं. दोनों के घर मुकलेश के घर से करीब 500 मीटर दूरी पर हैं. कपिल के बाबा वेदप्रकाश मुकलेश गुप्ता की दुकान पर मुनीम थे, अब उन की मृत्यु हो चुकी है. पुलिस को दोनों का मूवमेंट फतेहपुर सीकरी और राजस्थान के हिंडौन सिटी, कैला देवी (करौली) और इस के बाद जयपुर और कोटा में मिला. जब वे शमसाबाद वापस आ रहे थे, उन्हें फतेहपुर सीकरी में गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों आरोपियों से पूछताछ के बाद इस दोहरे मर्डर और लूटपाट की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी—

पुलिस को पता चला कि कपिल गुप्ता पर करीब 10 लाख रुपए का तथा उस के दोस्त ओमबाबू राठौर पर करीब 8 लाख का कर्ज था. कपिल की इरादतनगर में परचून की दुकान थी, जिस में 2 बार चोरी हो चुकी थी. दोनों कर्ज से परेशान थे. दोनों काफी दिनों से ऐसी किसी वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे थे, जिस में इतना पैसा मिल जाए, जिस से उन का कर्ज उतर जाए. इसी योजना के तहत कपिल ने ओमबाबू को बताया कि सर्राफ मुकलेश गुप्ता के घर पर केवल मुकलेश व उन की पत्नी रहती है. उन के यहां काफी सोनाचांदी और नकदी मिल सकती है. कपिल के बाबा पहले मुकलेश के यहां मुनीम रह चुके थे. इस के चलते कपिल की मुकलेश से अच्छी जानपहचान थी. दोनों ने कपिल की दुकान में बैठ कर ठोस योजना बनाई.

योजना के अनुसार 22 जनवरी, 2020 को दोपहर डेढ़ बजे कपिल ने मुकलेश की दुकान से सोने की 10 हजार रुपए रेंज की अंगूठी खरीदी और पैसा बाद में देने को कह दिया. कपिल व उस का दोस्त ओमबाबू 26 जनवरी को उन के घर पैसा देने के बहाने गए और दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया. लेकिन लता ने दरवाजा नहीं खोला. 27 जनवरी को कपिल ने शाम 7 बजे मुकलेश को फोन किया. उस ने कहा कि वह अंगूठी के पैसे देने आप के घर आ रहा है. आप अपने घर फोन कर के बता दें. इस पर मुकलेश ने पत्नी लता को फोन कर दिया था.

दोनों मुकलेश के घर जा धमके. योजना के अनुसार, वे सूजा, रस्सी, करंट लगाने के लिए तार और टेप साथ ले गए थे. लता ने जैसे ही गेट खोला, कपिल ने लता के गले में रस्सी डाल कर गला घोट दिया. जबकि ओमबाबू ने गले में सूजा घोंपा. इस से लता की चीख भी नहीं निकल पाई. दोनों लता को घसीट कर कमरे में ले गए और वहां पटक दिया. कपिल ने बैड पर रखी अलमारी की चाबी उठाई और अलमारी खोल कर उस में रखा सोना, चांदी और नगदी साथ लाए बैग में भर ली. खूंटी पर टंगी रिवौल्वर भी रख ली. इस के बाद दोनों मुकलेश के आने का इंतजार करने लगे. 15 मिनट बाद ही दरवाजे पर मुकलेश ने दस्तक दी. कपिल ने गेट खोला. जैसे ही मुकलेश अंदर आए कपिल ने गले में फंदा डाल कर उन का भी गला घोट दिया. साथ ही सूजे से सिर पर प्रहार भी किए.

इस के बाद ओमबाबू ने बेल्ट से उन के गले को कस दिया. घटना का कोई भी सुराग न छोड़ने की वजह से उन्हें भी जान से मार दिया. मुकलेश को घसीट कर किचन के पास लोहे के जाल पर डाल दिया. इतना ही नहीं, मौत की पुष्टि के लिए दोनों को करंट भी लगाया. इस बीच शातिरों ने टीवी की आवाज तेज कर दी थी. इस के बाद ओमबाबू ने सीसीटीवी की डीवीआर निकाल ली. रात 8 बजे तक दोनों ने काम खत्म कर के 3 बैगों में सामान भरा और घर से निकल गए. दोनों शातिर 4 दिनों तक ऐश करते रहे. वे फतेहपुर सीकरी के एक होटल में ठहरे. बाद में राजस्थान के करौली तथा जयपुर पहुंचे. जयपुर के एक होटल में दोनों ने ढाई हजार रुपए प्रतिदिन किराए का कमरा लिया. दोनों रोज बीयर पीते, बौडी मसाज कराते. कपिल ने अपनी पत्नी के खाते में भी 50 हजार रुपए जमा कराए. पकड़े जाने तक दोनों ने 35 हजार रुपए खर्च कर दिए थे.

ओमबाबू राठौर ग्वालियर में एक राहगीर के गले में सूजा मार कर 28 लाख की लूट की कोशिश और चेन लूट चुका था. वह अपराधी किस्म का है. उस ने पहली पत्नी को तलाक दे दिया था, बाद में उस ने सन 2007 में रेखा से दूसरी शादी कर ली. वह कपिल के घर के पास ही रहता है और किराए पर आटो चलवाता है. सर्राफ दंपति की हत्या और लूटपाट करने के बाद दोनों शातिर बदमाश कैला देवी के दर्शन को भी पहुंचे. मामले का परदाफाश करने वाली टीम में एसओ (शमसाबाद) अरविंद निर्वाल, सर्विलांस प्रभारी इंसपेक्टर नरेंद्र कुमार, एसओजी प्रभारी कुलदीप दीक्षित, स्वाट टीम प्रभारी राजकुमार गिरि, एसआई राजकुमार बालियान, प्रदीप कुमार, राहुल कटियार, चंद्रवीर सिंह, कांस्टेबल परमेश, तहसीन, सचिन, अमित, मनोज, त्रिलोकी और यशवीर शामिल थे.

सहयोगी टीम में इंसपेक्टर (फतेहाबाद) प्रवेश कुमार, इंसपेक्टर (डौकी) प्रदीप कुमार, एसओ (बसई अरेला) शेर सिंह, क्रिमिनल इंटेलिजेंस विंग प्रभारी हरवेंद्र मिश्रा, एसआई प्रदीप कुमार, कांस्टेबल प्रशांत कुमार, विवेक, राजकुमार, करनवीर और अरुण शामिल थे. डबल मर्डर व लूट के दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. 6 फरवरी को दोनों को पुलिस ने फिर से रिमांड पर लिया. इन की निशानदेही पर सीकरी कस्बे में रेलवे कालोनी के खंडहर के मलबे में दबी कारोबारी मुकलेश की इंग्लिश रिवौल्वर व 24 कारतूस, साथ ही गहने रखने वाले 4 पर्स बरामद किए गए. आरोपियों ने बताया कि डीवीआर उन्होंने करौली जाते समय काली सिल नदी में फेंक दी थी.

घटना का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को एडीजी अजय आनंद ने एक लाख रुपए ईनाम देने की घोषणा की.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Extramarital Affair : पड़ोसी के प्यार में पागल पत्नी ने कराया पति का कत्ल

Extramarital Affair : तमाम पतिपत्नियों की तरह कपिल और खुशबू में लड़ाईझगड़ा होता था. लेकिन खुशबू इस झगड़े को नाक का सवाल बना कर मायके चली गई, जहां उस के संबंध चंदन से बन गए. खुशबू को चंदन की यारी ऐसी भाई कि उस ने…

दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना शाहीनबाग के अंतर्गत नई बस्ती ओखला के रहने वाले कपिल की ससुराल उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के आसफाबाद में थी. करीब 3 साल पहले किसी बात को ले कर उस का अपनी पत्नी खुशबू से विवाद हो गया था. तब खुशबू अपने मायके चली गई थी और वापस नहीं लौटी थी. इतना ही नहीं, ढाई साल पहले खुशबू ने फिरोजाबाद न्यायालय में कपिल के खिलाफ घरेलू हिंसा व गुजारा भत्ते का मुकदमा दायर कर दिया था. कपिल हर तारीख पर फिरोजाबाद कोर्ट जाता था और तारीख निपटा कर देर रात दिल्ली लौट आता था. 10 फरवरी, 2020 को भी वह इसी मुकदमे की तारीख के लिए दिल्ली से फिरोजाबाद आया था. वह रात को घर नहीं पहुंचा तो घर वालों ने उसे 11 फरवरी की सुबह फोन किया.

लेकिन उस का फोन बंद मिला. इस से घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने 11 फरवरी की शाम तक कपिल का इंतजार किया. इस के बाद उन की चिंता और भी बढ़ गई. 12 फरवरी को कपिल की मां ब्रह्मवती, बहन राखी, मामा नेमचंद और मौसी सुंदरी फिरोजाबाद के लिए निकल गए. कपिल की ससुराल वाला इलाका थाना रसूलपुर क्षेत्र में आता है, इसलिए वे सभी थाना रसूलपुर पहुंचे और कपिल के रहस्यमय तरीके से गायब होने की बात बताई. थाना रसूलपुर से उन्हें यह कह कर थाना मटसैना भेज दिया गया कि कपिल कोर्ट की तारीख पर आया था और कोर्ट परिसर उन के थानाक्षेत्र में नहीं बल्कि थाना मटसैना में पड़ता है.

इसलिए वे सभी लोग उसी दिन थाना मटसैना पहुंचे, लेकिन वहां भी उन की बात गंभीरता से नहीं सुनी गई. ज्यादा जिद करने पर मटसैना पुलिस ने कपिल की गुमशुदगी दर्ज कर ली. गुमशुदगी दर्ज कर के उन्हें थाने से टरका दिया. इस के बाद भी वे लोग कपिल की फिरोजाबाद में ही तलाश करते रहे. इसी बीच 15 फरवरी की दोपहर को किसी ने थाना रामगढ़ के बाईपास पर स्थित हिना धर्मकांटा के नजदीक नाले में एक युवक की लाश पड़ी देखी. इस खबर से वहां सनसनी फैल गई. कुछ ही देर में भीड़ एकत्र हो गई. इसी दौरान किसी ने इस की सूचना रामगढ़ थाने में दे दी. कुछ ही देर में थानाप्रभारी श्याम सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने शव को नाले से बाहर निकलवाया. मृतक के कानों में मोबाइल का ईयरफोन लगा था.

पुलिस ने युवक की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद लोगों में से कोई भी उसे नहीं पहचान सका. पुलिस ने उस अज्ञात युवक की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय फिरोजाबाद भेज दी. कपिल की मां ब्रह्मवती और बहन राखी उस समय फिरोजाबाद में ही थीं. शाम के समय जब उन्हें बाईपास स्थित नाले में पुलिस द्वारा किसी अज्ञात युवक की लाश बरामद किए जाने की जानकारी मिली तो मांबेटी थाना रामगढ़ पहुंच गईं. उन्होंने थानाप्रभारी श्याम सिंह से अज्ञात युवक की लाश के बारे में पूछा तो थानाप्रभारी ने उन्हें फोन में खींचे गए फोटो दिखाए. फोटो देखते ही वे दोनों रो पड़ीं, क्योंकि लाश कपिल की ही थी. इस के बाद थानाप्रभारी ब्रह्मवती और उस की बेटी राखी को जिला अस्पताल की मोर्चरी ले गए.

उन्होंने वह लाश दिखाई तो दोनों ने उस की शिनाख्त कपिल के रूप में कर दी. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने भी राहत की सांस ली. थानाप्रभारी ने शव की शिनाख्त होने की जानकारी एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह को दे दी और उन के निर्देश पर आगे की काररवाई शुरू कर दी. थानाप्रभारी श्याम सिंह ने मृतक कपिल की मां ब्रह्मवती और बहन राखी से बात की तो उन्होंने बताया कि कपिल की पत्नी खुशबू चरित्रहीन थी. इसी बात पर कपिल और खुशबू के बीच अकसर झगड़ा होता था, जिस के बाद खुशबू मायके में आ कर रहने लगी थी. राखी ने आरोप लगाया कि खुशबू ने ही अपने परिवार के लोगों से मिल कर उस के भाई की हत्या की है.

पुलिस ने राखी की तरफ से मृतक की पत्नी खुशबू, सास बिट्टनश्री, साले सुनील, ब्रजेश, साली रिंकी और सुनील की पत्नी ममता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. चूंकि रिपोर्ट नामजद थी, इसलिए पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई. पुलिस ने मृतक की पत्नी खुशबू व उस की मां को हिरासत में ले लिया. उन से कड़ाई से पूछताछ की गई. खुशबू से की गई पूछताछ में पुलिस को कोई खास जानकारी हाथ नहीं लगी, बस यही पता चला कि कपिल पत्नी के चरित्र पर शक करता था. फिर भी पुलिस यह समझ गई थी कि एक अकेली औरत कपिल का न तो मर्डर कर सकती है और न ही शव घर से दूर ले जा कर नाले में फेंक सकती है. पुलिस चाहती थी कि कत्ल की इस वारदात का पूरा सच सामने आए.

इस बीच जांच के दौरान पुलिस को एक अहम सुराग हाथ लगा. किसी ने थानाप्रभारी को बताया कि खुशबू चोरीछिपे अपने प्रेमी चंदन से मिलती थी. दोनों के नाजायज संबंधों का जो शक किया जा रहा था, उस की पुष्टि हो गई. जाहिर था कि हत्या अगर खुशबू ने की थी तो कोई न कोई उस का संगीसाथी जरूर रहा होगा. इस बीच पुलिस की बढ़ती गतिविधियों और खुशबू को हिरासत में लिए जाने की भनक मिलते ही खुशबू का प्रेमी चंदन और उस का साथी प्रमोद फरार हो गए. इस से उन दोनों पर पुलिस को शक हो गया. उन की सुरागरसी के लिए पुलिस ने मुखबिरों का जाल फैला दिया. मुखबिर की सूचना पर घटना के तीसरे दिन पुलिस ने खुशबू के प्रेमी चंदन व उस के साथी प्रमोद को कनैटा चौराहे के पास से हिरासत में ले लिया. दोनों वहां फरार होने के लिए किसी वाहन का इंतजार कर रहे थे.

थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई. थाने में जब चंदन और प्रमोद से खुशबू का आमनासामना कराया गया तो तीनों सकपका गए. इस के बाद उन्होंने आसानी से अपना जुर्म कबूल कर लिया. अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस ने खुशबू, उस के प्रेमी चंदन उर्फ जयकिशोर निवासी मौढ़ा, थाना रसूलपुर, उस के दोस्त प्रमोद राठौर निवासी राठौर नगर, आसफाबाद को कपिल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त रस्सी, मोटा सरिया व मोटरसाइकिल बरामद कर ली. खुशबू ने अपने प्यार की राह में रोड़ा बने पति कपिल को हटाने के लिए प्रेमी व उस के दोस्त के साथ मिल कर हत्या का षडयंत्र रचा था. खुशबू ने पति की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी—

क्षिणपूर्वी दिल्ली की नई बस्ती ओखला के रहने वाले कपिलचंद्र की शादी सन 2015 में खुशबू के साथ हुई थी. शादी के डेढ़ साल तक सब कुछ ठीकठाक रहा. कपिल की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी. करीब 3 साल पहले जैसे उस के परिवार को नजर लग गई. हुआ यह कि खुशबू अकसर मायके चली जाती थी. इस से कपिल को उस के चरित्र पर शक होने लगा. इस के बाद पतिपत्नी में तकरार शुरू हो गई. पतिपत्नी में आए दिन झगड़े होने लगे. गुस्से में कपिल खुशबू की पिटाई भी कर देता था. गृहक्लेश के चलते खुशबू अपने बेटे को ले कर अपने मायके में आ कर रहने लगी. ढाई साल पहले उस ने कपिल पर घरेलू हिंसा व गुजारा भत्ते के लिए फिरोजाबाद न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिया.

मायके में रहने के दौरान खुशबू के अपने पड़ोसी चंदन से प्रेम संबंध हो गए थे. हालांकि चंदन शादीशुदा था और उस की 6 महीने की बेटी भी थी. कहते हैं प्यार अंधा होता है. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहने लगे थे. मायके में रहने के दौरान चंदन खुशबू के पति की कमी पूरी कर देता था. लेकिन ऐसा कब तक चलता. एक दिन खुशबू ने चंदन से कहा, ‘‘चंदन, हम लोग ऐसे चोरीछिपे आखिर कब तक मिलते रहेंगे. तुम मुझ से शादी कर लो. मैं अपने पति से पीछा भी छुड़ाना चाहती हूं. लेकिन वह मुझे तलाक नहीं दे रहा. अगर तुम रास्ते के इस कांटे को हटा दोगे तो हमारा रास्ता साफ हो जाएगा.’’

दोनों एकदूसरे के साथ रहना चाहते थे. चंदन को खुशबू की सलाह अच्छी लगी. इस के बाद खुशबू व उस के प्रेमी चंदन ने मिल कर एक षडयंत्र रचा. मुकदमे की तारीख पर खुशबू और कपिल की बातचीत हो जाती थी. खुशबू ने चंदन को बता दिया था कि कपिल हर महीने मुकदमे की तारीख पर फिरोजाबाद कोर्ट में आता है. 10 फरवरी को अगली तारीख है, वह उस दिन तारीख पर जरूर आएगा. तभी उस का काम तमाम कर देंगे. कपिल 10 फरवरी को कोर्ट में अपनी तारीख के लिए आया. कोर्ट में खुशबू व कपिल के बीच बातचीत हो जाती थी. कोर्ट में तारीख हो जाने के बाद खुशबू ने उसे बताया, ‘‘अपने बेटे जिगर की तबीयत ठीक नहीं है. वह तुम्हें बहुत याद करता है. उस से एक बार मिल लो.’’

अपने कलेजे के टुकड़े की बीमारी की बात सुन कर कपिल परेशान हो गया और तारीख के बाद खुशबू के साथ अपनी ससुराल पहुंचा. कपिल शराब पीने का शौकीन था. खुशबू के प्रेमी व उस के दोस्त ने कपिल को शराब पार्टी पर आमंत्रित किया. शाम को ज्यादा शराब पीने से कपिल नशे में चूर हो कर गिर पड़ा. कपिल के गिरते ही खुशबू ने उस के हाथ पकड़े और प्रेमी चंदन व उस के साथी प्रमोद ने साथ लाई रस्सी से कपिल के हाथ बांधने के बाद उस के सिर पर मोटे सरिया से प्रहार कर उस की हत्या कर दी. कपिल की हत्या इतनी सावधानी से की गई थी कि पड़ोसियों को भी भनक नहीं लगी. हत्या के बाद उसी रात उस के शव को मोटरसाइकिल से ले जा कर बाईपास के किनारे स्थित नाले में डाल दिया गया. 15 फरवरी को शव से दुर्गंध आने पर लोगों का ध्यान उधर गया.

एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह ने बताया कि कपिल की हत्या के मुकदमे में नामजद आरोपियों की भूमिका की जांच की जा रही है. जो लोग निर्दोष पाए जाएंगे, उन्हें छोड़ दिया जाएगा. पुलिस ने तीनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया. निजी रिश्तों में आई खटास के चलते खुशबू ने अपनी मांग का सिंदूर उजाड़ने के साथ पतिपत्नी के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया. वहीं कांच की चूडि़यों से रिश्तों को जोड़ने के लिए मशहूर सुहागनगरी फिरोजाबाद को रिश्तों के खून से लाल कर दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Jharkhand News : रात को शादी से लौट रहीं लड़कियों के साथ घटी ऐसी घटना कि लोगों के रौंगटे खड़े हो गए

Jharkhand News : एक सनसनीखेज वारदात ने लोगों का दिल दहला दिया है. घटना एक शादी से लौट रहीं लङकियों के साथ घटी जिस में 18 लड़कों ने 3 लड़कियों को अगवा कर गैंगरेप किया है. इस सनसनीखेज वारदात ने सभी को झकझोर कर रख दिया है.

घटना झारखंड के खूंटी जिले की है, जिस में पहले 5 नाबालिग लड़कियों को अगवा कर लिया गया. इस के बाद इन 5 लड़कियों में से 3 लड़कियों के साथ 18 लड़कों ने गैंगरेप किया. लेकिन जो 2 लड़कियां थीं वे आरोपियों से बच कर भाग निकलने में कामयाब हो गईं और गांव में अपने साथ होने वाली इस खौफनाक वारदात के बारे में लोगों को उन्होंने जानकारी दी.

गुस्से में लोग

इस के बाद गांव के सभी लोग पुलिस थाने पहुंच गए और पुलिस ने केस दर्ज कर सभी आरोपियों को अरेस्ट कर लिया है।

खूंटी जिले के एसपी अमन कुमार ने कहा है कि यह घटना शुक्रवार देर रात की है, जिस में 5 लड़कियां रनियां इलाके में एक शादी समारोह में शामिल हुई थीं. जब ये शादी समारोह से वापस लौट रही थीं तो कुछ लड़के उन का पीछा करने लगे. जब आरोपी उन्हें अगवा कर एक सुनसान पहाड़ी पर ले जाने लगे तो उसी दौरान 2 लड़कियां उन आरोपियों के चंगुल से बच कर भाग गईं और गांव पहुंच कर उन्होंने यह जानकारी गांव वालों को दे दी.

जघन्य अपराध

आरोप है कि सभी 18 लड़कों ने उन 3 लड़कियों के साथ सामूहिक रेप कर उन्हें जंगल में छोड़ दिया. उधर सूचना मिलते ही गांव वाले घटनास्थल पर पहुंच गए.

आरोपी तो फरार हो चुके थे, जंगल में पीड़ित 3 लड़कियां मिलीं, जिन्हें गांव वाले अपने साथ ले आए. उन की उम्र 12 से 16 वर्ष है. आरोपी लड़कों की उम्र 12 से 17 साल की बताई गई है. पीड़ित लड़कियों के परिजन उन्हें स्थानीय थाने ले कर गए और मामला दर्द कराया।

एसपी अमन कुमार का कहना है कि पीड़ित लड़कियों की तहरीर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आईपीसी धारा और पौक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और सभी आरोपियों को अरेस्ट कर के किशोरगृह भेज दिया गया है. इस घटना से आसपास के लोग आक्रोशित हैं और इन सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी काररवाई की मांग कर रहे हैं।

Extramarital Affair : भाभी के प्यार में पागल छोटे भाई ने की बड़े भाई की हत्या

Extramarital Affair : संदीप को शराब पीने की लत थी, इस से उस की पत्नी अमनदीप परेशान रहती थी. इसी परेशानी के आलम में देवर गुरदीप से आंतरिक संबंध बन गए. अवैध संबंधों की परिणति छोटे भाई के हाथों बड़े भाई की हत्या के रूप में हुई. अगर अमनदीप…

खूबसूरत नैननक्श वाली अमनदीप कौर लखीमपुर खीरी के थाना कोतवाली गोला के अंतर्गत आने वाले गांव रेहरिया निवासी सरदार बलदेव सिंह की बेटी थी. अमनदीप के अलावा बलदेव सिंह की 2 बेटियां और एक बेटा और था. वह उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में नौकरी करते थे. चूंकि वह सरकारी कर्मचारी थे, इसलिए उन्होंने अपने चारों बच्चों की परवरिश अच्छे तरीके से की थी. अमनदीप कौर खूबसूरत लड़की थी. उसे सिनेमा देखना, सहेलियों के साथ दिन भर मौजमस्ती करना पसंद था. खुद को वह किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं समझती थी.

अमनदीप की आधुनिक सोच को देख कभीकभी बलदेव सिंह भी सोच में पड़ जाते थे. एक दिन अमनदीप की मां सुप्रीति कौर ने पति से कहा, ‘‘बेटी अब सयानी हो गई है. कोई अच्छे घर का लड़का देख कर जल्दी से इस के हाथ पीले कर दो तो अच्छा है.’’

पत्नी की बात बलदेव सिंह की समझ में आ गई. वह अमनदीप के लिए वर की तलाश में लग गए. इस काम के लिए बलदेव सिंह ने अपने रिश्तेदारों से भी कह रखा था. उन के दूर के एक रिश्तेदार ने उन्हें संदीप नाम के एक लड़के के बारे में बताया. संदीप लखीमपुर खीरी की तिकुनिया कोतवाली के अंतर्गत आने वाले गांव रायपुर कल्हौरी के रहने वाले मेहर सिंह का बेटा था. मेहर सिंह के पास अच्छीखासी खेती की जमीन थी. संदीप के अलावा मेहर सिंह की 3 बेटियां व एक बेटा और था. सन 2001 में मेहर सिंह ने पंजाब में हर्निया का औपरेशन कराया था, लेकिन औपरेशन के दौरान ही उन की मृत्यु हो गई थी. इस के बाद परिवार का सारा भार उन की पत्नी प्रीतम कौर पर आ गया था.

उन्होंने बड़ी मुश्किलों से अपने बच्चों की परवरिश की. जैसेजैसे बच्चे जवान होते गए, प्रीतम कौर उन की शादी करती रहीं. संदीप की शादी के लिए बलदेव सिंह की बेटी अमनदीप कौर का रिश्ता आया. यह रिश्ता प्रीतम कौर और परिवार के अन्य लोगों को पसंद आया. तय हो जाने के बाद संदीप और अमनदीप का सामाजिक रीतिरिवाज से विवाह कर दिया गया. यह करीब 8 साल पहले की बात है. कहा जाता है कि पतिपत्नी की जिंदगी में सुहागरात एक यादगार बन कर रह जाती है. लेकिन अमनदीप कौर के लिए यह काली रात साबित हुई. उस रात संदीप का जोश अमनदीप के लिए पानी का बुलबुला साबित हुआ, अमनदीप की खामोशी और संजीदगी उस के होंठों पर आ गई. वह नफरतभरी निगाहों से संदीप की तरफ देख कर बिफर पड़ी, ‘‘मुझे तुम से इस तरह ठंडेपन की उम्मीद नहीं थी.’’

पत्नी की बात से संदीप का सिर शर्मिंदगी से झुक गया. वह बोला, ‘‘दरअसल, मैं बीमार चल रहा हूं. शायद इसी कारण ऐसा हुआ. तुम चिंता मत करो, मैं जल्द ही तुम्हारे काबिल हो जाऊंगा.’’ संदीप ने सफाई दी. इस के बाद संदीप ने अपने खानपान में सुधार किया. शराब का सेवन कम कर दिया, जिस का फल उसे जल्द ही मिला. वह पत्नी को भरपूर प्यार करने लायक बन गया. वक्त के साथ अमनदीप गर्भवती हो गई और उस ने बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम दलजीत रखा गया. इस के बाद उस ने एक बेटी सीरत कौर को जन्म दिया. इस वक्त दोनों की उम्र क्रमश: 6 और 4 साल है.

संदीप का परिवार बढ़ा तो खर्च भी बढ़ गया. वह पहले से और भी ज्यादा मेहनत करने लगा. जब वह शाम को थकहार कर घर लौटता तो शराब पी कर आता और खाना खा कर सो जाता. कभीकभी अमनदीप की चंचलता उसे विचलित जरूर कर देती, लेकिन एक बार प्यार करने के बाद संदीप करवट बदल कर सो जाता तो उस की आंखें सुबह ही खुलतीं. लेकिन वासना की भूख ऐसी होती है कि इसे जितना दबाने की कोशिश की जाए, उतना ही धधकती है. अमनदीप अपनी ही आग में झुलसतीतड़पती रहती. ऐसे में वह चिड़चिड़ी हो गई, बातबात में संदीप से उलझ जाती. शराब पी कर आता तो दोनों में जम कर बहस होती. कभीकभी संदीप उसे पीट भी देता था.

करीब 2 साल पहले संदीप की मां का देहांत हो गया था. घर पर संदीप, उस की पत्नी अमन और उस के बच्चे व छोटा भाई गुरदीप रहता था. संदीप तो अधिकतर खेतों पर ही रहता था. वह कभी देर शाम तो कभी देर रात घर लौटता था. अमनदीप के दोनों बच्चे स्कूल चले जाते थे. घर पर रह जाते थे गुरदीप और अमनदीप. गुरदीप अमनदीप को संदीप से लाख गुना अच्छा लगने लगा था. गुरदीप जब भी काम से बाहर जाता तो अमनदीप उस के वापस आने के इंतजार में दरवाजे पर ही खड़ी रहती. एक दिन अमनदीप जब इंतजार करतेकरते थक गई तो अंदर जा कर चारपाई पर लेट गई. कुछ ही देर में दरवाजा खटखटाने की आवाज आई तो अमनदीप ने दरवाजा खोला और उसे अंदर आने को कह कर लस्तपस्त भाव में जा कर फिर लेट गई.

गुरदीप ने घबरा कर पूछा, ‘‘क्या हुआ भाभी, इस तरह क्यों पड़ी हो? लगता है अभी नहाई नहीं हो?’’

अमनदीप ने धीरे से कहा, ‘‘आज तबीयत ठीक नहीं है, कुछ अच्छा नहीं लग रहा है.’’

गुरदीप ने जल्दी से झुक कर अमनदीप की नब्ज पकड़ कर देखा. उस के स्पर्श मात्र से अमनदीप के शरीर में झुरझुरी सी फैल गई. नसें टीसने लगीं और आंखें एक अजीब से नशे से भर उठीं. आवाज जैसे गले में ही फंस गई. उस ने भर्राए स्वर में कहा, ‘‘तुम तो ऐसे नब्ज टटोल रहे हो जैसे कोई डाक्टर हो.’’

‘‘बहुत बड़ा डाक्टर हूं भाभी,’’ गुरदीप ने हंस कर कहा, ‘‘देखो न, नाड़ी छूते ही मैं ने तुम्हारा रोग भांप लिया. बुखार, हरारत कुछ नहीं है. सीधी सी बात है, संदीप भैया सुबह काम पर चले जाते हैं तो देर शाम को ही लौटते हैं.’’

अमनदीप के मुंह का स्वाद जैसे एकाएक कड़वा हो गया. वह तुनक कर बोली, ‘‘शाम को भी वह लौटे या न लौटे, मुझे उस से क्या.’’

गुरदीप ने जल्दी से कहा, ‘‘यह बात नहीं है, वह तुम्हारा खयाल रखते हैं.’’

‘‘क्या खाक खयाल रखता है,’’ कहते ही उस की आंखों में आंसू छलछला आए.

भाभी अमनदीप को सिसकते देख कर गुरदीप व्याकुल हो उठा. कहने लगा, ‘‘रो मत भाभी, नहीं तो मुझे दुख होगा. तुम्हें मेरी कसम, उठ कर नहा आओ. फिर मन थोड़ा शांत हो जाएगा.’’

गुरदीप के बहुत जिद करने पर अमनदीप को उठना पड़ा. वह नहाने की तैयारी करने लगी तो वह चारपाई पर लेट गया. गुरदीप का मन विचलित हो रहा था. अमनदीप की बातें उसे कुरेद रही थीं. उस से रहा नहीं गया, उस ने बाथरूम की ओर देखा तो दरवाजा खुला था. गुरदीप का दिल एकबारगी जोर से धड़क उठा. उत्तेजना से शिराएं तन गईं और आवेग के मारे सांस फूलने लगी. गुरदीप ने एक बार चोर निगाह से मेनगेट की ओर देखा, मेनगेट खुला मिला. उस ने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया और कांपते पैरों से बाथरूम के सामने जा खड़ा हुआ.

अमनदीप उन्मुक्त भाव से बैठी नहा रही थी. उस समय उस के तन पर एक भी कपड़ा नहीं था. निर्वसन यौवन की चकाचौंध से गुरदीप की आंखें फटी रह गईं. वह बेसाख्ता पुकार बैठा, ‘‘भाभी…’’

अमनदीप जैसे चौंक पड़ी, फिर भी उस ने छिपने या कपड़े पहनने की कोई आतुरता नहीं दिखाई. अपने नग्न बदन को हाथों से ढकने का असफल प्रयास करती हुई वह कटाक्ष करते हुए बोली, ‘‘बड़े शरारती हो तुम गुरदीप. कोई देख ले तो…कमरे में जाओ.’’

लेकिन गुरदीप बाथरूम में घुस गया और कहने लगा, ‘‘कोई नहीं देखेगा भाभी, मैं ने बाहर वाले दरवाजे में कुंडी लगा दी है.’’

‘‘तो यह बात है, इस का मतलब तुम्हारी नीयत पहले से ही खराब थी.’’

‘‘तुम भी तो प्यासी हो भाभी. सचमुच भैया के शरीर में तुम्हारी कामनाएं तृप्त करने की ताकत नहीं है.’’ कहतेकहते गुरदीप ने अमनदीप की भीगी देह बांहों में भींच ली और पागल की तरह प्यार करने लगा. पलक झपकते ही जैसे तूफान उमड़ पड़ा. जब यह तूफान शांत हुआ तो अमनदीप अजीब सी पुलक से थरथरा उठी. उस दिन उसे सच्चे मायने में सुख मिला था. वह एक बार फिर गुरदीप से लिपट गई और कातर स्वर में कहने लगी, ‘‘मैं तो इस जीवन से निराश हो चली थी, गुरदीप. लेकिन तुम ने जैसे अमृत रस से सींच कर मेरी कामनाओं को हरा कर दिया.’’

‘‘मैं ने तो तुम्हें कई बार बेचैन देखा था, भाई से तृप्त न होने पर मैं ने तुम्हें रात में कई बार तन की आग ठंडी करने के लिए नंगा नहाते देखा है. तुम्हारी देह की खूबसूरती देख कर मैं तुम पर लट्टू हो गया था. मैं तभी से तुम्हारा दीवाना बन गया था. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं लेकिन तुम ने कभी मौका ही नहीं दिया.’’

‘‘बड़े बेशर्म हो तुम गुरदीप. औरत भी कहीं अपनी ओर से इस तरह की बात कह पाती है.’’

‘‘अपनों से कोई दुराव नहीं होता, भाभी. सच्चा प्यार हो तो बड़ी से बड़ी बात कह दी जाती है. आखिर भैया…’’

‘‘मेरे ऊपर एक मेहरबानी करो गुरदीप, ऐसे मौके पर संदीप की याद दिला कर मेरा मन खराब मत करो. हम दोनों के बीच किसी तीसरे की जरूरत ही क्या है. अच्छा, अब तुम कमरे में जा कर बैठो.’’

‘‘तुम भी चलो न.’’ कहते हुए गुरदीप ने अमनदीप को बांहों में उठा लिया और कमरे में ले जा कर पलंग पर डाल दिया. अमनदीप ने कनखी से देखते हुए झिड़की सी दी, ‘‘कपड़े तो पहनने दो.’’

‘‘क्या जरूरत है…आज तुम्हारा पूरा रूप एक साथ देखने का मौका मिला है तो मेरा यह सुख मत छीनो.’’

गुरदीप बहुत देर तक अमनदीप की मादक देह से खेलता रहा. एक बार फिर वासना का ज्वार आया और उतर गया. लेकिन यह तो ऐसी प्यास होती है कि जितना बुझाने का प्रयास करो, उतनी और बढ़ती जाती है. फिर अमनदीप के लिए तो यह छीना हुआ सुख था, जो उस का पति कभी नहीं दे सका. वह बारबार इस अलौकिक सुख को पाने के लिए लालायित रहती थी. दोनों इस कदर एकदूसरे को चाहने लगे कि अब उन्हें अपने बीच आने वाला संदीप अखरने लगा. हमेशा का साथ पाने के लिए संदीप को रास्ते से हटाना जरूरी था.

25 फरवरी, 2020 की रात संदीप शराब पी कर आया तो झगड़ा करने लगा. उस ने अमनदीप से मारपीट शुरू कर दी. इस पर अमनदीप ने गुरदीप को इशारा किया. इस के बाद अमनदीप ने गुरदीप के साथ मिल कर संदीप को मारनापीटना शुरू कर दिया. किचन में पड़ी लकड़ी की मथनी से अमनदीप ने संदीप के सिर के पिछले हिस्से पर कई प्रहार किए. बुरी तरह मार खाने के बाद संदीप बेहोश हो गया. लेकिन सिर पर लगी चोट से काफी खून बह जाने से उस की मृत्यु हो गई. संदीप की मौत के बाद दोनों काफी देर तक सोचते रहे कि अब वह क्या करें. इस के बाद सुबह होने तक उन्होंने फैसला कर लिया कि उन को क्या करना है.

सुबह दोनों बच्चों के साथ वह घर से निकल गए. साढ़े 11 बजे गुरदीप ने अपनी बड़ी बहन राजविंदर को फोन किया कि उस ने और अमनदीप ने संदीप को मार दिया है. कह कर काल काट दी और अपना फोन बंद कर लिया. इस के बाद राजविंदर ने यह बात रोते हुए अपने पति रेशम सिंह को बताई. दोनों संदीप के मकान पर आए तो वहां संदीप की लाश पड़ी देखी. इस के बाद राजविंदर ने तिकुनिया कोतवाली में घटना की सूचना दी. सूचना मिलते ही कोतवाली इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. मकान में घुसने पर पहले बरामदा था, उस के बाद सामने 2 कमरे और दाईं ओर एक कमरा था. सामने वाले बीच के कमरे में 3 चारपाई पड़ी थीं. कमरे के बीच में जमीन पर संदीप की लाश पड़ी थी. उस के सिर पर गहरी चोट थी, पुलिस ने सोचा कि शायद उसी चोट से अधिक खून बहने के कारण उस की मौत हुई होगी.

कमरे में ही खून लगी लकड़ी की मथनी पड़ी थी. इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद ने खून से सनी मथनी अपने कब्जे में ले ली. पूरा मौकामुआयना करने के बाद इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस के बाद कोतवाली आ कर राजविंदर कौर से पूछताछ की तो उन्होंने पूरी बात बता दी. राजविंदर की तरफ से पुलिस ने अमनदीप और गुरदीप सिंह के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के बाद पुलिस उन की तलाश में जुट गई. इंसपेक्टर हनुमान प्रसाद को एक मुखबिर से सूचना मिली कि अमनदीप और गुरदीप सिंह लखीमपुर की गोला कोतवाली के ग्राम महेशपुर फजलनगर में अपने रिश्तेदार देवेंद्र कौर के यहां शरण लिए हुए हैं.

इस सूचना पर पुलिस ने 3 फरवरी, 2020 को सुबह करीब सवा 5 बजे उस रिश्तेदार के यहां दबिश दे कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया. कोतवाली ला कर जब उन से पूछताछ की गई तो उन्होंने आसानी से अपना जुर्म स्वीकार कर लिया और हत्या की वजह भी बयान कर दी. आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी के बाद पुलिस ने हत्यारोपी गुरदीप सिंह और अमनदीप कौर को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Madhya Pradesh News : बिजनैसमैन को फसाया और मांगे 20 लाख

Madhya Pradesh News : पिछले दिनों इंदौर और भोपाल में हनीट्रैप के जो मामले सामने आए, उन में बड़ेबड़े लोगों को ब्लैकमेल कर के करोड़ों रुपए वसूले गए थे. पिंकी ने भी इसी तर्ज पर जावरा के बिजनैसमैन मोहित पोरवाल को ब्लैकमेल करने की योजना बनाई. लेकिन तयशुदा रकम मिलने से पहले ही…

घटना मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की है. 29 नवंबर, 2019 को दोपहर के 2 बजे का समय था. रतलाम के पास अलकापुरी क्षेत्र में स्थित हनुमान ताल के पास कस्बा जावरा के एक प्रसिद्ध व्यापारी मोहित पोरवाल हाथ में सूटकेस लिए खड़े थे. वह काफी घबराए हुए थे, चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं, डर की छाया साफ दिखाई दे रही थी. चेहरे पर आ रहे पसीने को वह बारबार रूमाल से पोंछ रहे थे. उन की नजर सुनसान सड़क पर लगी हुई थी. जबकि वहां से कुछ दूर सुनसान जगह पर सादा कपड़ों में मौजूद 10 पुलिस वालों की नजरें मोहित कुमार पर जमी हुई थीं. साथ ही वहां आनेजाने वाले व्यक्तियों पर भी थीं.

उसी समय एक पुलिसकर्मी थाना औद्योगिक नगर के टीआई शिवमंगल सिंह सेंगर से संपर्क बनाए हुए था. मोहित के आसपास फैले पुलिसकर्मी उस समय सतर्क हो गए, जब उन्होंने 3 व्यक्तियों को चौकन्ने भाव से मोहित की तरफ आते देखा. वे तीनों मोहित के पास आ कर कुछ पल के लिए रुके और मोहित के हाथ से सूटकेस ले कर जाने के लिए तेजी से मुड़े. वे तीनों भाग पाते उस से पहले ही आसपास छिपे पुलिसकर्मियों ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया. उन युवकों ने पूछताछ में अपने नाम शिव उर्फ भोला निवासी लक्ष्मणपुरा, कालू उर्फ अविनाश, दिनेश टका निवासी बिरयाखेड़ी, रतलाम बताए. उन तीनों को पकड़ कर पुलिसकर्मी टीआई शिवमंगल सिंह सेंगर के पास ले आए.

टीआई शिवमंगल सेंगर ने उन से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने कबूल कर लिया कि उन के गिरोह की सरगना पिंकी शर्मा उर्फ प्रियांशी है, जिस ने व्यापारी मोहित को अपने जाल में फंसाया था. साइबर सेल से मिली जानकारी के बाद एसपी रतलाम को पहले से ही शक था कि पिंकी शर्मा उर्फ प्रियांशी इस गिरोह में शामिल है. जब उस का नाम सरगना के तौर पर सामने आया, तो महिला पुलिस के साथ गई टीम ने उसे एमबी नगर स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. पकड़े जाने पर पिंकी शर्मा ने स्वीकार किया कि पिछले दिनों इंदौर में चर्चाओं में रहे हनीट्रैप कांड की तरह उस ने मोहित को लालच दे कर शिकार बनाया था.

पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से लूट में प्रयुक्त एक स्कूटर, मोटरसाइकिल, मोहित की सोने की अंगूठी और नकद 2 हजार रुपए के अलावा सोने की बाली, चांदी का कड़ा, खिलौना रिवौल्वर एवं एक चाकू बरामद कर लिया. उन से की गई पूछताछ के बाद ब्लैकमेलिंग करने की पूरी कहानी इस प्रकार सामने आई—

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के रहने वाले 45 वर्षीय मोहित जावरा के जानेमाने अनाज व्यापारियों में से एक हैं. जमा हुआ खानदानी कारोबार है. शहर के रईसों में इन का नाम भी शुमार है. मोहित छोटी उम्र से ही परिवार का बिजनैस संभाल रहे थे. व्यापार के अलावा वह सोशल मीडिया में भी एक्टिव रहते थे. इसी के चलते कुछ महीने पहले वाट्सऐप पर उन की मुलाकात रतलाम की एमबी कालोनी निवासी आधुनिक विचारों वाली 22 वर्षीय सुंदरी पिंकी शर्मा से हुई. धीरेधीरे यह जानपहचान दोस्ती में बदल गई और समय के साथ इस दोस्ती में वे सब बातें भी होने लगीं, जिन्हें बेहद निजी कहा जा सकता है. धीरेधीरे वह पिंकी में काफी रुचि लेने लगे.

बताते हैं पिंकी से उन की 1-2 मुलाकातें सार्वजनिक स्थानों पर हुईं. फिर वह मोहित को अकेले में मिलने के लिए बुलाने लगी. अब तक परिवार के प्रति ईमानदार रहे मोहित, उस से अकेले में मिलने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे थे. लेकिन जवान और खूबसूरत दोस्त का खुला आमंत्रण वह भला कब तक ठुकराते, इसलिए न न करते हुए भी वह एक दिन उस की बताई जगह पर मिलने को तैयार हो गए. मिलने के लिए तारीख तय हुई 24 नवंबर की दोपहर और स्थान था विरियाखेड़ी के ईंट भट्ठों का सुनसान इलाका. मन में कुछ आशंकाएं और ढेर सारे सपने ले कर मोहित तय वक्त पर विरियाखेड़ी पहुंच गए. उन के मन में एक शंका थी कि शायद ही पिंकी उन से मिलने आए. लेकिन यह देख कर उन का दिल खुश हो गया कि पिंकी उन के पहुंचने से पहले ही वहां खड़ी उन का इंतजार कर रही थी.

‘‘कितनी देर कर दी जनाब आने में. क्या इसी तरह इंतजार करवाओगे?’’ पिंकी मुसकरा कर बोली.

‘‘नहीं यार,बस आतेआते टाइम लग गया.’’ मोहित ने कहा.

‘‘ओके चलो, पहली बार देर हुई है, इसलिए माफ करती हूं. मालूम है लड़कों को अपनी गर्लफ्रैंड से मिलने उस से पहले पहुंचना चाहिए.’’ वह बोली.

‘‘लड़कों को न, लेकिन मैं लड़का नहीं हूं.’’ मोहित ने कहा.

‘‘तो क्या हुआ, मेरे बौयफ्रैंड तो हो. लेकिन मैं आप को एक बात बताऊं कि मुझे लड़कों के बजाए परिपक्व मर्दों में रुचि है.’’ पिंकी ने बताया.

‘‘वो क्यों?’’ मोहित ने पूछा.

‘‘सब से बड़ी बात तो यह है कि वह इस मामले में अनुभवी होते हैं. दूसरे लड़कों की तरह ज्यादा परेशान भी नहीं करते.’’ पिंकी ने तिरछी नजरों से मोहित की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘अब ज्यादा समय खराब मत करो. वहां सामने एक घर है, वहां कोई नहीं आताजाता. चलो, वहीं चल कर बात करते हैं.’’

मोहित उस के साथ उस मकान में जाने से मना करना चाहते थे, लेकिन पिंकी को देखने के बाद वह उसे मना नहीं कर सके और उसे साथ ले कर उस के बताए मकान में चले गए. दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई. पिंकी की सैक्सी बातों और हरकतों से मोहित अपना होश खोने लगे. इस से पहले कि वह अपनी हसरतें पूरी कर पाते, तभी दरवाजे पर लात मार कर अंदर घुस आए 3 युवकों को देख कर मोहित घबरा गए. उन का गीला गला एक झटके में रेगिस्तान बन गया.

‘‘क्या हो रहा है बुड्ढे, बेटी की उम्र की लड़की के साथ अय्याशी की जा रही है.’’ उन में से एक युवक ने मोहित से कहा तो उन से कोई जवाब देते नहीं बना.

‘‘चल कर ले अय्याशी, हम तेरा लाइव शो देखेंगे.’’ दूसरा बोला.

‘‘देखिए, ऐसा कुछ नहीं है. हम लोग यहां यूं ही आए थे.’’ मोहित ने थूक गटकते हुए किसी तरह कहा.

लेकिन वे तीनों नहीं माने. उन्होंने चाकू की नोंक पर मोहित और पिंकी के पूरे कपड़े उतरवा दिए और फिर उसी अवस्था में दोनों के अश्लील फोटो और वीडियो अपने कैमरे में कैद करने के बाद बोले, ‘‘अब जाओ, यह वीडियो हम तुम्हारे बीवीबच्चों को भेज देंगे. फिर आराम से बैठ कर सब के साथ देखना.’’

‘‘देखिए, मैं आप के हाथ जोड़ता हूं. हम यहां ऐसा कुछ भी नहीं कर रहे थे. आप वीडियो और फोटो डिलीट कर दें.’’ मोहित ने उन तीनों से कहा तो उन्होंने इस के बदले में 20 लाख रुपयों की मांग की. उस वक्त मोहित के पास इतना रुपया नहीं था, सो तय हुआ कि हफ्ते भर में मोहित 20 लाख रुपए बदमाशों को दे कर उन से वीडियो और फोटो वापस ले लेंगे. मामला सुलट गया तो पिंकी और मोहित के वहां से जाने के पहले बदमाशों ने मोहित की सोने की अंगूठी और जेब में रखे 2 हजार रुपयों के अलावा पिंकी के जेवर भी लूट लिए.

मोहित जैसेतैसे वापस जावरा पहुंच तो गए लेकिन उन के दिल को पलभर का भी सुकून नहीं था. पिंकी के चक्कर में उन्हें पीढि़यों से बनाई बापदादाओं की इज्जत धूल में मिलती दिखाई दे रही थी. मामला अगर दुनिया के सामने आ जाता तो समाज और अपने परिवार के सामने नजरें ऊंची नहीं कर पाते. इन्हीं सब खयालों से डरे हुए मोहित को रात में नींद भी नहीं आई. पिंकी को याद करने का तो सवाल ही नहीं था. लेकिन अगले ही दिन सुबहसुबह पिंकी का फोन आ गया. उन्होंने बेमन से पिंकी से बात की तो उस ने कल की घटना पर दुख जताया लेकिन उस की बातों से ऐसा नहीं लग रहा था कि उसे इस बात की कोई टेंशन है. उस समय उन्होंने पिंकी की इस बेफिक्री पर ज्यादा गौर नहीं किया.

इधर दोपहर होते ही बदमाशों का फोन आ गया, जिस में कहा गया कि वह जल्द से जल्द उन्हें 20 लाख रुपए दे दें. इस के कुछ देर बाद पिंकी का भी फोन आ गया. उस ने बताया कि बदमाशों ने उसे भी फोन कर जल्द से जल्द 20 लाख रुपए की मांग की है. साथ ही उस ने सलाह भी दी कि वह जल्द से जल्द बदमाशों की मांग पूरी कर दें वरना अपनी दोस्ती खतरे में पड़ जाएगी. यहां पूरी बनीबनाई इज्जत खतरे में पड़ी थी और पिंकी को अब भी प्यारमोहब्बत की बातें सूझ रही थीं. मोहित को पिंकी पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन यह मौका गुस्सा दिखाने का नहीं था, इसलिए वह किसी तरह अपने गुस्से को काबू में किए रहे.

दूसरी तरफ एक के बाद एक तीनों बदमाश उन्हें बारबार फोन कर 20 लाख रुपयों की मांग करते हुए पिंकी के साथ बनाया उन का अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दे रहे थे. जितनी बार बदमाशों का फोन आता, उतनी ही बार पीछे से पिंकी का फोन आ जाता. वह हर बार मोहित को सलाह देती कि जैसे भी हो, बदमाशों की मांग जल्द पूरी कर दें. इस से मोहित को शक होने लगा कि कहीं पिंकी भी इन बदमाशों से मिली हुई तो नहीं है. क्योंकि वह जानते थे कि अगर बदमाशों ने वीडियो वायरल कर भी दी, तो पिंकी का कुछ नहीं बिगड़ेगा. लेकिन उन की पूरी इज्जत धूल में मिल जाएगी. मीडिया में न तो पिंकी का नाम आएगा और न फोटो लेकिन उन के नाम के तो पोस्टर छप जाएंगे. फिर पिंकी क्यों इतना डर रही है. वह बारबार बदमाशों को रुपए देने का दबाव क्यों बना रही है.

काफी सोचविचार के बाद मोहित ने 4 दिन बाद पूरी कहानी रतलाम के एसपी गौरव तिवारी को बता दी. मोहित की बात सुन कर एसपी साहब समझ गए कि मोहित किसी ब्लैकमेल कराने वाले गिरोह के शिकार बन गए हैं. इसलिए उन्होंने इस गिरोह को गिरफ्तार करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र के टीआई शिवमंगल सिंह सेंगर के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बना दी. पुलिस की साइबर सेल ने पिंकी के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि बदमाश जिन फोन नंबरों से मोहित से बात कर रहे थे, उन नंबरों पर काफी दिनों से पिंकी की बारबार बात होती रही है. इस से यह साफ हो गया कि पिंकी ने ही मोहित को हनीट्रैप में फंसा कर ठगने की साजिश रची है. इसलिए एसपी के निर्देश पर जांच अधिकारी शिवमंगल सिंह सेंगर ने योजना बना कर मोहित से आरोपियों को पैसों का इंतजाम हो जाने का फोन करवाया.

बदमाशों ने उन्हें 29 नवंबर, 2019 की दोपहर 2 बजे पैसा ले कर हनुमान ताल पर बुलाया. जिस के बाद योजना अनुसार एसपी रतलाम ने सुबह से ही हनुमान ताल पर सादा लिबास में पुलिसकर्मी तैनात कर दिए. दोपहर में जैसे ही तीनों बदमाश शिव, कालू और दिनेश मोहित से फिरौती के 20 लाख रुपए लेने के लिए आए, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. पिंकी के बारे में बताया जाता है कि वह मूलरूप से किला मैदान, झाबुआ की रहने वाली थी. वह रतलाम में एक फाइनैंस कंपनी में नौकरी करती थी. उस कंपनी में राकेश (परिवर्तित नाम) भी नौकरी करता था. वहीं पर दोनों की दोस्ती हुई. राकेश रतलाम के ही  जावरा का रहने वाला था. चूंकि दोनों ही जवान थे, इसलिए जब उन की दोस्ती प्यार में बदली, तब उन्होंने शादी का फैसला कर लिया.

दोनों ने घर वालों की मरजी के बिना लवमैरिज कर ली. लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद ही दोनों के बीच मतभेद हो गए. हालांकि इस दौरान पिंकी एक बेटी की मां बन चुकी थी. जब दोनों के बीच ज्यादा ही कलह रहने लगी तो वह बेटी को पति के पास छोड़ कर चली आई. इस दौरान पिंकी की मुलाकात रतलाम के ही रहने वाले सन्ना नाम के बदमाश से हुई. वह सन्ना के साथ रतलाम के चांदनी चौक क्षेत्र में रहने लगी. सन्ना के जरिए पिंकी की जानपहचान लक्ष्मणपुरा, रतलाम के रहने वाले भोला, हाट की चौकी के कालू और बीरियाखेड़ा के दिनेश से हुई. ये सभी आपराधिक सोच वाले युवक थे.

पिछले दिनों इंदौर में हनीट्रैप के मामले में हाईफाई लोगों के फंसने का मामला सामने आया था. उसी से प्रेरित हो कर पिंकी और उस के इन साथियों ने मोटा पैसा कमाने के लिए प्लान बनाया. लिहाजा पिंकी के जरिए वे सब मोटी आसामी को अपने जाल में फांस कर उन्हें ब्लैकमेल करने लगे. पिंकी पिछले 5 सालों से शहर के युवकों को अपने रूपजाल में फंसा कर ठगने का काम कर रही थी. इसी योजना के तहत उस ने मोहित से दोस्ती की और एकांत जगह पर स्थित भट्ठों पर बने कमरे में ले गई और उन्हें अपने रूपजाल में फंसाने का जतन करने लगी. तभी उस के तीनों साथियों ने आ कर मोहित के साथ उस की अश्लील फिल्म बना ली.

मोहित को उस के ऊपर शक न हो इसलिए मोहित के साथ उन्होंने पिंकी के साथ भी लूटपाट का नाटक किया था. लेकिन रतलाम पुलिस ने जल्द ही इस गिरोह के नाटक का परदा गिरा दिया. आरोपी शिव उर्फ भोला, कालू, दिनेश और पिंकी से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

 

 

Cyber Crime : नाइजीरियन गैंग ने महंगा गिफ्ट का झांसा देकर महिला से ठगे लाखों

Cyber Crime : नाइजीरियन ठग फोन, वाट्सऐप या फेसबुक पर पढ़ीलिखी महिलाओं से दोस्ती के नाम पर पहले उन का विश्वास जीतते हैं और फिर उन से ठगी कर के मोटी रकम वसूलते हैं. दिल्ली और बडे़ नगरों में यह खेल वर्षों से चल रहा है. आश्चर्य की बात यह है कि विदेशी गिफ्ट के चक्कर में पढ़ीलिखी महिलाएं ही ज्यादा फंसती हैं. भीलवाड़ा पुलिस ने…

15 सितंबर, 2019 की बात है. राजस्थान के भीलवाड़ा शहर की एक रिटायर्ड शिक्षिका मनोरमा एसपी हरेंद्र कुमार महावर के पास पहुंची. उस ने एसपी को एक शिकायती पत्र दिया, जिस में उस ने अपने साथ 43 लाख 67 हजार रुपए की धोखाधड़ी होने की बात लिखी थी. मनोरमा ने एसपी साहब को बताया कि रिटायर होने के बाद वह सोशल मीडिया पर अपना समय बिताती थी. फेसबुक पर उस की दोस्ती बार्थोलोम्यू औडिकमो नाम के विदेशी नागरिक से हुई. उस ने खुद को लंदन का रहने वाला बताया. उस ने यह भी बताया कि लोग उसे एंड्रो लोरे भी कहते हैं.

दोस्ती होने के बाद फेसबुक के माध्यम से उस की एंड्रो लोरे से बातचीत होने लगी. इस बातचीत के दौरान उस के कहने पर मनोरमा ने अपना फोन नंबर भी दे दिया. फिर जबतब एंड्रो लोरे उसे फोन भी करने लगा. मनोरमा को उस से बात करना अच्छा लगता था. वह उस की बातों पर विश्वास करने लगी थी. एक दिन एंड्रो लोरे ने कहा कि उस ने लंदन से उस के लिए एक सरप्राइज गिफ्ट भेजा है. वह गिफ्ट उदयपुर हवाईअड्डे पर पहुंच गया है. वहां के कस्टम अधिकारी से मिल कर आप गिफ्ट ले लेना. यह सुन कर मनोरमा बहुत खुश हुई. उस ने सोचा कि एंड्रो लोरे कितना अच्छा है, जिस ने कुछ ही दिन की दोस्ती में गिफ्ट भी भेज दिया. यह पता नहीं था कि गिफ्ट में क्या है. एंड्रो लोरे भी उसे सरप्राइज देना चाहता था, इसलिए उस ने कुछ भी नहीं बताया था. मनोरमा ने भी सरप्राइज की बात सुन कर इस बारे में ज्यादा पूछताछ नहीं की थी.

बहरहाल, वह घर से उदयपुर हवाईअड्डे की तरफ रवाना होने ही वाली थी कि उस के पास एक महिला का फोन आया. उस ने खुद को कस्टम अधिकारी बताते हुए कहा कि आप के नाम से यहां एक पार्सल आया है जो लंदन के किसी एंड्रो लोरे ने भेजा है. इस पार्सल में कोई बहुत कीमती सामान है, लेकिन बिना कस्टम ड्यूटी अदा किए आप को नहीं मिलेगा.

‘‘कितनी कस्टम ड्यूटी लगेगी?’’ मनोरमा ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘आप के पार्सल की कस्टम ड्यूटी 4 लाख रुपए है. इसे आप जल्द जमा करा दीजिए.’’ कहते हुए महिला ने मनोरमा को एक बैंक एकाउंट नंबर बता दिया. मनोरमा को लगा कि एंड्रो लोरे ने जो गिफ्ट भेजा है, वह काफी महंगा है जिस की कस्टम ड्यूटी ही 4 लाख रुपए लग रही है. उस ने सोचा कि उस का विदेशी दोस्त पैसे वाला है तभी तो उस ने इतना महंगा गिफ्ट भेजा. वह फटाफट बैंक गई और महिला कस्टम अफसर द्वारा बताए खाते में 4 लाख रुपए जमा करा दिए. मनोरमा ने पैसे जमा करने की जानकारी उस महिला अफसर को दे दी. उस महिला ने कहा कि बैंक से पैसे रिसीव होने का मैसेज मिलते ही हम आप को काल कर के बता देंगे.

मनोरमा उस का फोन आने का इंतजार करने लगी. अगले दिन उस महिला ने मनोरमा को फोन कर के पैसे मिलने की पुष्टि कर दी. साथ ही यह भी कहा कि कुछ क्लियरेंस पूरे करने हैं, जिन के लिए उन्हें एयरपोर्ट आना पड़ेगा. मनोरमा उदयपुर एयरपोर्ट पहुंची तो वह महिला अफसर एयरपोर्ट के बाहर ही मिल गई. उस ने मनोरमा को बताया कि यहां से विदेशी पार्सल छुड़ाने के लिए कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं, इसलिए आप को क्लियरेंस के 7 लाख रुपए उसी एकाउंट में और जमा करने होंगे. क्योंकि उस पार्सल में 50-60 लाख रुपए का आइटम है.

मनोरमा 4 लाख रुपए तो जमा कर चुकी थी. उस ने सोचा कि जब गिफ्ट आइटम इतना महंगा है तो 7 लाख भी जमा कर देगी. लिहाजा उस ने उसी एकाउंट में 7 लाख रुपए और जमा कर दिए. उस ने यह बात अपने घर में किसी को नहीं बताई. पैसे जमा कराने के बावजूद भी उसे गिफ्ट नहीं दिया गया. इस के बाद भी किसी न किसी बहाने मनोरमा से मोटी रकम जमा कराई जाती रही. मनोरमा गिफ्ट पाने के लालच में 43 लाख 67 हजार रुपए जमा करा चुकी थी. लेकिन उसे गिफ्ट नहीं दिया गया. साथ ही उस के लंदन वाले दोस्त एंड्रो लोरे और उस महिला ने अपने नंबर ही बंद कर दिए. मनोरमा ने यह बात अपने घर वालों को बताई तो घर के सभी लोग हैरान रह गए कि पढ़ीलिखी होने के बाद वह इतनी बड़ी रकम कैसे उन के खाते में जमा कराती गई और घर में किसी से चर्चा तक नहीं की.

मनोरमा की कहानी सुनने के बाद एसपी हरेंद्र कुमार महावर ने मामले को गंभीरता से लिया और कोतवाली भीलवाड़ा में रिपोर्ट दर्ज करवा कर एक विशेष टीम बनाई. टीम ने उन मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर उन की काल डिटेल्स का अध्ययन किया. इस जांच के बाद पुलिस को आरोपियों के बारे में काफी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. टीम को पता चला कि आरोपी दिल्ली की पालम कालोनी में रह रहा है. इस सूचना की पुष्टि होते ही एसपी हरेंद्र कुमार महावर ने कोतवाली प्रभारी यशदीप भल्ला के नेतृत्व में एक पुलिस टीम दिल्ली रवाना कर दी. पुलिस टीम ने 15 अक्तूबर, 2019 को दिल्ली के पालम विहार स्थित एक मकान पर दबिश दी. वहां से एक नाइजीरियन युवक और एक भारतीय युवती को हिरासत में लिया गया. पूछताछ में युवक ने अपना नाम बार्थोलोम्यू औडिकमो निवासी नाइजीरिया बताया. युवती का नाम रोजलिन था जो नगालैंड की रहने वाली थी. वह औडिकमो की पत्नी थी.

पुलिस दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली से भीलवाड़ा ले आई. भीलवाड़ा में जब उन दोनों से मनोरमा के साथ की गई ठगी के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि मनोरमा से ठगी की थी. पूछताछ में ठगी करने की जो कहानी पता चली, वह इस प्रकार थी—

बार्थोलोम्यू औडिकमो जनवरी, 2019 में बिजनैस वीजा ले कर भारत आया था. यहां आ कर उस ने ठगी की दुकान खोल ली. उस ने एंड्रो लोरे नाम से फेसबुक पर फरजी एकाउंट बना लिया था. चूंकि उस की शक्लसूरत अच्छी नहीं थी, इसलिए उस ने सोशल साइट से किसी सुंदर विदेशी युवक का फोटो ले कर अपनी प्रोफाइल पर लगा लिया, जिस से कोई उस की असलियत न जान सके. इस के बाद वह शिकार भी सोशल साइट से ही चुनने लगा. वह फेसबुक से अच्छी प्रोफाइल वाली महिलाओं की डिटेल्स निकाल लेता था. किसी तरह फरजी आईडी से लिए गए सिम भी उस ने प्राप्त कर लिए. उन्हीं सिम कार्डों का उपयोग वह शिकार से बात करने के लिए करता था.

आरोपी ने इसी तरह पूर्व शिक्षिका मनोरमा से फेसबुक पर दोस्ती की थी. मनोरमा से उस ने खुद को लंदन का रहने वाला बताया था. विश्वास जमाने के लिए उस ने अपनी पत्नी रोजलिन से भी मनोरमा की बात कराई. फेसबुक पर मनोरमा से उस की दोस्ती 28 जून, 2019 को हुई थी. मनोरमा को विश्वास में लेने के बाद उस ने गिफ्ट भेजने की सूचना दी. फिर इस गिफ्ट को छुड़ाने की एवज में उस की पत्नी रोजलिन ने मनोरमा से मोटी रकम ठग ली. रोजलिन ने खुद को कस्टम अफसर बताया था. 43 लाख, 67 हजार रुपए ठगने के बाद आरोपियों ने मनोरमा से बात करनी बंद कर दी थी. उन्होंने मोबाइल फोन भी बंद कर दिए थे. नाइजीरिया निवासी बार्थोलोम्यू ने बताया कि वह पहले भी कई बार भारत आ चुका है. जब वह सन 2015 में नाइजीरिया से भारत आया था, तभी उस ने नगालैंड निवासी रोजलिन से शादी की थी. दोनों का 2 साल का बेटा भी था.

रोजलिन का कहना था कि बार्थोलोम्यू से मिलने पर उसे प्यार हो गया था. फिर दोनों ने शादी कर ली. रोजलिन से शादी करने के बाद बार्थोलोम्यू ने उसे भी अपने साथ ठगी के धंधे में लगा लिया था. पूछताछ में पता चला कि बार्थोलोम्यू की ठगी की पूरी गैंग है, जो दिल्ली में सक्रिय है. आरोपी जिस व्यक्ति के खाते में रकम डलवाते थे, उसे 15 प्रतिशत हिस्सा देते थे. जिस व्यक्ति के नाम खाता होता था, वह भी फरजी पहचान पत्र से खाता खुलवाता था. फरजी पहचान पत्र से ही इन लोगों ने कई मोबाइल सिम ले रखी थीं. पुलिस को आरोपियों के पास से दर्जनों एटीएम कार्ड्स व पासबुक मिलीं. पता चला है कि इन लोगों ने कई लोगों को झांसे में ले कर उन से साढ़े 4 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की थी.

मनोरमा ने सोशल साइट पर बार्थोलोम्यू से वीडियो कालिंग के लिए कहा था, लेकिन उस ने वीडियो कालिंग पर चेहरा सामने आने के डर से वीडियो कालिंग से इनकार कर दिया. उस ने मनोरमा से कहा कि वह भारत आ कर ही मिलेगा. ठगी की रकम से आरोपी ऐश की जिंदगी जी रहे थे. नाइजीरिया निवासी बार्थोलोम्यू कच्चा मांस खाता था. उसे अच्छे कपड़े पहनने, महंगी शराब पीने, फिल्में देखने का शौक था. कुछ रकम वह नाइजीरिया में रह रहे अपने मातापिता को भी भेजता था. भीलवाड़ा पुलिस की 6 जवानों की टीम जब दिल्ली पुलिस के 2 जवानों को ले कर बार्थोलोम्यू को गिरफ्तार करने पहुंची तो उस ने पुलिस से जम कर हाथापाई की थी. उसे बमुश्किल दबोचा गया था.

पुलिस ने जैसे ही उसे हिरासत में लिया, उस ने अपना फोन जमीन पर पटक कर तोड़ दिया, जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. भीलवाड़ा पुलिस ने 16 अक्तूबर, 2019 को दोनों ठगों बार्थोलोम्यू और रोजलिन को भीलवाड़ा कोर्ट में पेश कर 5 दिन के रिमांड पर लिया और कड़ी पूछताछ की. बार्थोलोम्यू ने बताया कि दिल्ली में फरजी सिम बेचने वाला एक गिरोह काम कर रहा है. कई मोबाइल कंपनियां आमजन को सिम बांटने के लिए कर्मचारियों को 6 से 7 हजार रुपए पगार पर रखती हैं. विदेशी ठग ऐसे कर्मचारियों से संपर्क करते हैं. फिर उन्हें 25 से 30 हजार रुपए दे कर दूसरों के नाम पर एक्टिवेटेड सिम खरीद लेते हैं. जिस का उपयोग वे ठगी की वारदातों में करते हैं.

आरोपियों ने बताया कि सोशल साइट पर दोस्ती के लिए ऐसे सिमों का उपयोग कर किसी महिला शिकार से करीब एक महीने तक उस नंबर से बातचीत करते हैं. विश्वास में लेने के बाद ठगी शुरू हो जाती है. ठगी के बाद उस सिम को तोड़ कर फेंक देते हैं. यहां तक कि वे उस मोबाइल को भी काम में नहीं लेते, जिस में वह सिम काम कर रहा था. भीलवाड़ा कोतवाली पुलिस को अब तक की जांच में मुंबई, दिल्ली, पुणे समेत कई शहरों के लोगों के नाम की सिम मिली हैं. पुलिस ने बार्थोलोम्यू से पूछा कि ठगी के लिए उस ने भारत को ही क्यों चुना? उस का जवाब था, ‘‘यहां लोगों से अंगरेजी में बात की जाए तो वे बात करने वाले को अच्छा विदेशी समझते हैं या बात कर रहे व्यक्ति को हाईप्रोफाइल समझने लगते हैं. वहीं अन्य देशों में यह करना संभव नहीं है, दूसरे अन्य देशों के कानून भी कड़े होते हैं.’’

उस ने बताया कि वह भारत में अब तक 50 लोगों के साथ ठगी कर चुका है. ये वारदातें किस के साथ हुईं, यह वह नहीं बता सका. पीडि़त को ढूंढना भी भीलवाड़ा पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि आरोपियों से मिले मोबाइल के डाटा डिलीट हैं. आरोपियों को भी पता नहीं कि उन्होंने किस राज्य में किसे ठगा. उन का कहना है कि वे खुद किसी महिला से नहीं मिलते थे. महज मोबाइल पर बात कर खाते में रकम डलवाते थे. बार्थोलोम्यू ने ठगी की रकम से व्यापार भी किया. उस ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि वे लोग ठगी की रकम से हाईप्रोफाइल जिंदगी जीते थे. उस ने साढ़े 4 करोड़ रुपए से ज्यादा ठगे थे, जिस में से कुछ हिस्से को उस ने एक नंबर के कारोबार में भी लगाया.

आरोपी बिजनैस वीजा पर भारत आया था. उस ने दिल्ली में रहते हुए ठगी के साथ कपड़े का व्यापार किया. कपड़े के इस व्यापार को उस ने नाइजीरिया तक पहुंचाया. अकेले बार्थोलोम्यू करोड़ों के कपड़े का बिजनैस कर चुका है और वह साइबर क्राइम में माहिर है. पुलिस ने नाइजीरिया ठगी गैंग के एक और सदस्य ओगुग्वा संडे को 20 अक्तूबर, 2019 को दिल्ली से गिरफ्तार किया. ओगुग्वा संडे को पकड़ने के लिए भीलवाड़ा पुलिस को रिश्तेदारी का जाल बुन कर पासा फेंकना पड़ा, तब जा कर वह पकड़ में आया. ओगुग्वा संडे के पास से 8 लैपटौप, 22 मोबाइल फोन, 4 टैबलेट, 7 डोंगल तथा दरजनों सिमकार्ड्स बरामद हुए.

ओगुग्वा संडे की गिरफ्तारी के साथ ही अब तक एक महिला रोजलिन सहित 3 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. इन का आका बोनीसेफ पुलिस के हाथ नहीं आया. पुलिस टीम ने नाइजीरिया के संडे को मोहन गार्डन दिल्ली से हिरासत में लिया था. पुलिस की भनक लगते ही सरगना बोनीसेफ उर्फ बोनीफेस उर्फ बोनीफोट दीवार कूद कर भाग गया था. पुलिस ने उस के घर की तलाशी ली तो वहां विजिटिंग कार्ड मिला, जिस में वह बिल्डिंग मटीरियल कंपनी का डायरेक्टर बना हुआ था. इस की आड़ में वह दिल्ली में ठगी का साइबर सेल चला रहा था. उस के इशारे पर ही गैंग भारत में सोशल साइट पर महिलाओं से दोस्ती कर के ठगी करता था.

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोशल साइट पर हाईप्रोफाइल महिला से फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही वे रटेरटाए प्रश्न पूछते थे. इस के लिए वे 6 प्रश्नों का पत्र सामने रखे होते थे. हैलो कर के दोस्ती होती और एक के बाद एक प्रश्न में उस के परिवार की सारी स्थिति जान लेते थे. नाइजीरिया से आए ठग गिरोह में जो पढ़ेलिखे हैं, वही सोशल साइट पर ठगी करते थे. कम पढ़ेलिखे दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में नशे के सौदागर बने हुए हैं. ये लोग चरस, गांजा, स्मैक, हेरोइन की तस्करी करते हैं. इन के ग्राहक तय होते थे और जिन से नशीली खरीदी जाती थी, वे उन की पहचान वाले होते थे.

नाइजीरियाई ठग गैंग के पास दिल्ली में 4 मंजिला मकान किराए पर था. दिल्ली पुलिस के सहयोग से उस मकान के मालिक को बुलाया गया. गैंग ने चारों मंजिल को हाईटैक बना रखा था. पुलिस ने एसआई प्रेम सिंह को मकान मालिक के साथ घर भेजा गया, जहां नाइजीरियाई ठग रहते थे. मकान मालिक ने एसआई प्रेमसिंह को मकान पर जा कर अपना रिश्तेदार बताते हुए मकान दिखाने की बात कही. उस के बाद ठग गैंग के सदस्य ने दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही पीछे से पूरी पुलिस टीम मकान में आ गई. हथियारबंद पुलिसकर्मियों ने दरवाजा खुलते ही सिक्योरिटी गार्ड को दबोच लिया. उस के बाद संडे को हिरासत में ले लिया गया. हालांकि सरगना बोनीसेफ दीवार कूद कर भाग गया. पुलिस ने मकान की तलाशी ली तो फ्रिज में बड़ी मात्रा में मांस, अंडे सहित काफी खाद्य सामग्री मिली. इस से माना गया कि ये ठग घर से बाहर कम ही निकलते थे.

ठगी के तीसरे आरोपी ओगुग्वा संडे ने पुलिस पूछताछ में बताया कि सोशल साइट पर महिला की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही वे लोग रटेरटाए 6 प्रश्न पूछ कर परिवार की स्थिति जान लेते थे. उस के बाद दोस्त बनी महिला का वाट्सऐप नंबर ले लेते. उस नंबर पर चैटिंग करते थे और बाद में उस के मोबाइल नंबर जान लेते थे. इस के लिए हाईटेक मकान में 20 लोग काम करते थे. ये दिन भर महिला शिकार की तलाश करते रहते थे. जिस मकान में ठगी की साइबर सेल चल रही थी, वहां 10 लैपटौप एक साथ चलते थे. एक लैपटौप पर 6-6 महिलाओं से एक साथ चैटिंग होती थी. हरेक महिला को अलगअलग नाम बता कर चैटिंग करते. नामों को ले कर जरा सी भी गलती न हो, इस के लिए पास में एक डायरी रखते थे. दोस्ती होते ही उस से ठगी शुरू कर देते थे.

विदेश के ये ठग हर रोज 100 से 200 लोग तलाशने का लक्ष्य ले कर चलते थे. एक के बाद एक फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजते थे. इस में औसतन रोज 50 महिलाएं फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेती थीं. एक शिकार से 25 हजार से 30 हजार रुपए वसूलने का लक्ष्य होता था. शाम तक नाइजीरियन गैंग 4 से 5 लाख रुपए ठगी वाले खाते में डलवा लेते थे. इस पैसे से ये लोग हाईप्रोफाइल जिंदगी जीते थे. ठगी के औफिस में दिन भर शराब मांस उड़ाया जाता. भीलवाड़ा में गैंग के खुलासे के बाद दिल्ली से कई ठग फरार हो गए. जिस ठग ओगुग्वा संडे को भीलवाड़ा पुलिस ने दिल्ली के मोहन गार्डन से 20 अक्तूबर को दबोचा, उस ठग ने रिटायर शिक्षिका मनोरमा से ठगी कर के 43 लाख से ज्यादा की रकम खाते में डलवाई थी.

पुलिस कोतवाली भीलवाड़ा के थानाप्रभारी यशदीप भल्ला ने बताया कि जब पुलिस टीम दिल्ली में दोबारा आरोपी ठगों के ठिकाने पर जा कर घर में घुसी तो बाहर निकलना मुश्किल हो गया. ठगों के 4 मंजिला मकान का मुख्य दरवाजा अत्याधुनिक तकनीक से लौक था, जिसे केवल गैंग के सदस्य ही खोल सकते थे. गेट के अंदर घुसने के बाद दूसरा गेट था, इस गेट पर भी लौक था. अंदर घुसने के बाद गेट बंद हो जाता और बिना पासवर्ड के बाहर निकलना मुश्किल था. भीलवाड़ा पुलिस ने जान पर खेल कर तीसरे ठग ओगुग्वा संडे को गिरफ्तार किया और साथ ले कर आई. पुलिस टीम ठगी के आरोपियों के ठिकाने पर पहुंची तो शेयर मार्केट की तरह वहां लैपटौप चल रहे थे, जिन पर दिन भर शिकार की तलाश होती थी.

नाइजीरियाई ठग गैंग का सरगना बोनीफेस कहां रहता है, इस की जानकारी गिरफ्तार किए गए आरोपियों को भी नहीं है. भीलवाड़ा कोतवाली पुलिस ने 24 अक्तूबर, 2019 को तीनों आरोपियों को भीलवाड़ा कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

—कथा में मनोरमा परिवर्तित नाम है

 

Agra News : वकील का अपहरण करके मांगी 50 लाख रुपए की फिरौती

Agra News : एडवोकेट अकरम अंसारी का अपहरण फिल्मी अंदाज में किया था. बदमाश 50 लाख रुपए की फिरौती मांग रहे थे. पुलिस ने उन्हें फिरौती भी दे दी लेकिन बाद में अपहर्त्ता पुलिस के चंगुल में ऐसे फंसे कि…

फिरोजाबाद जिले के थाना दक्षिण के अंतर्गत एक मोहल्ला है राजपूताना. यहीं के निवासी 35 वर्षीय मोहम्मद अकरम अंसारी पेशे से वकील हैं. वह 3 फरवरी, 2020 को आगरा के बोदला निवासी अपने रिश्तेदार की बीमार बेटी को देखने के लिए आगरा के श्रीराम अस्पताल गए थे. बीमार बेटी को देखने के बाद वकील अकरम अंसारी घर जाने के लिए शाम के समय अस्पताल से निकले. चूंकि उन्हें बस अड्डे से बस पकड़नी थी, इसलिए बस अड्डा तक जाने के लिए उन के साढ़ू फैज अंसारी ने उन्हें कारगिल चौराहे से एक आटो में बैठा दिया था, लेकिन वह घर नहीं पहुंचे.

परिजन सारी रात बेचैनी से अकरम अंसारी का इंतजार करते रहे. बारबार वह अकरम को फोन मिला रहे थे, लेकिन उन का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. इस से घरवालों की चिंता बढ़ रही थी. अगली सुबह अकरम के भाई असलम उन्हें तलाशने के लिए आगरा पहुंचे. वहां पता चला कि साढ़ू फैज अंसारी ने उन्हें बस अड्डा जाने वाले एक आटो में बैठा दिया था. वहां से वह कहां गए, किसी को पता नहीं. इस के बाद असलम ने भाई को रिश्तेदारी व अन्य परिचितों के यहां तलाशा. लेकिन अकरम कहीं नहीं मिले. तब असलम ने आगरा के थाना सिकंदरा में भाई की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

दूसरे दिन बुधवार को दोपहर डेढ़ बजे वकील अकरम के छोटे भाई असलम के पास एक फोन आया. फोन करने वाले ने कहा, ‘‘अकरम हमारे कब्जे में है. अगर उस की सलामती चाहते हो तो 50 लाख रुपए का इंतजाम कर लो. फिरौती की रकम कहां पहुंचानी है, इस बारे में फिर से फोन कर के बताएंगे और अगर, पुलिस को बताया तो ठीक नहीं होगा.’’

इस पर असलम ने कहा, ‘‘इतनी बड़ी रकम उन के पास नहीं है.’’

इस पर अपहर्त्ताओं ने कहा, ‘‘हमें पता है कि तुम्हारे 4 मकान हैं. इसलिए रुपयों का इंतजाम कर लो.’’ इस के बाद फोन कट गया. फिरौती मांगने से असलम का परिवार दहशत में आ गया. असलम ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी पुलिस को दी. इस पर सिकंदरा के थानाप्रभारी ने तुरंत अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के बाद उन्होंने एक पुलिस टीम को अकरम की बरामदगी के लिए लगा दिया. वकील अकरम अंसारी का फिरौती के लिए आगरा से अपहरण करने का समाचार जब समाचारपत्रों के अलावा न्यूज चैनलों पर आया तो अधिवक्ताओं ने उन की बरामदगी के लिए पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.

मामला एक वकील का था, इसलिए पुलिस की 10 टीमें जांच में जुट गईं. इन टीमों का निर्देशन एसएसपी बबलू कुमार स्वयं कर रहे थे. जिस मोबाइल नंबर से असलम के पास फोन आया था सर्विलांस टीम उस की भी जांच में जुट गई. कई दिन बाद भी जब पुलिस एडवोकेट अकरम के बारे में कोई सुराग नहीं लगा पाई तो 7 फरवरी को फिरोजाबाद सदर तहसील के अधिवक्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए वकील अकरम अंसारी की शीघ्र बरामदगी की मांग की. धीरेधीरे यह आग जनपद की तहसील शिकोहाबाद, जसराना, सिरसागंज के साथ ही आगरा के अधिवक्ताओं में भी फैल गई.

अकरम की बरामदगी न होने से परिजनों में दिनप्रतिदिन बेचैनी बढ़ रही थी. पिता आरिफ अंसारी और मां सरकरा बेगम सीने पर पत्थर रख कर बच्चों को तसल्ली दे रहे थे. अकरम की पत्नी रूबी उर्फ रुकैया अपने दोनों बच्चों के पूछने पर कहती कि पापा दिल्ली रिश्तेदारी में गए हैं, जल्दी आ जाएंगे. पुराने किडनैपरों की हुई तलाश उधर पुलिस ने 100 ऐसे बदमाशों की सूची बनाई जो अपहरण के मामलों में पिछले 5 सालों में जेल जा चुके थे. यह बदमाश आगरा, धालपुर, भरतपुर, फिरोजाबाद और इटावा के थे. इन पर काम करने के बाद 10 गिरोह चुने गए. इन के मोबाइल नंबर हासिल किए गए. 3 गिरोह पर पुलिस का शक था लेकिन तीनों ही उस समय मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं कर रहे थे.

इस पर पुलिस पूरी तरह अपने मुखबिरों पर आश्रित हो गई. एसएसपी बबलू कुमार और एसपी (सिटी) बोत्रे रोहन प्रमोद लगातार पुलिस टीमों से संपर्क बनाए हुए थे. शासन से भी इस मामले में पुलिस से लगातार अपडेट लिया जा रहा था. पुलिस के आला अधिकारी भी पत्रकारों को कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं थे. सिर्फ यही जवाब दिया जा रहा था कि जल्द ही कोई न कोई ठोस सुराग मिलने की उम्मीद है. अपहृत वकील अकरम के छोटे भाई असलम और मुकर्रम घटना के बाद से ही आगरा में डेरा डाले थे. जैसेजैसे एकएक कर दिन बीत रहे थे परिवार की दहशत बढ़ती जा रही थी.

उग्र हो गया आंदोलन उधर, अधिवक्ताओं का आंदोलन जोर पकड़ रहा था. आगरा व फिरोजाबाद जनपद के अधिवक्ताओं में अपहृत वकील के 12वें दिन भी बरामद न होने से आक्रोश बढ़ गया था. उन्होंने विरोध में हड़ताल शुरू कर दी थी. पुलिस दिनरात अपहृत वकील की तलाश में जुटी थी. आगरा में 24 फरवरी, 2020 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ताजमहल देखने आने वाले थे. उन के आगमन से पूर्व तैयारियों का जायजा लेने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा के दौरे पर आ रहे थे. पुलिस जानती थी कि अधिवक्ता मुख्यमंत्री से मिल कर इस मामले को जरूर उठाएंगे. इसलिए पुलिस के हाथपैर फूल रहे थे. इस बीच पुलिस टीमों ने बाह और धौलपुर के बीहड़ों में डेरा डाल रखा था.

उधर अपहृत वकील के भाई असलम के मोबाइल पर अपहर्त्ताओं ने अलगअलग नंबरों व स्थानों से 4 बार फिरौती की काल कर के संपर्क किया. इस दौरान परिजन पुलिस के संपर्क में रहे. काल आने से पुलिस को बदमाशों की पहचान सुनिश्चित हो गई. लेकिन अपहृत की सकुशल बरामदगी को ले कर पुलिस फूंकफूंक कर कदम रख रही थी. बदमाशों ने जो 50 लाख फिरौती मांगी, उसे कम कर के वह 15 लाख पर आ गए. उन्होंने परिजनों से कह दिया कि इतनी भी रकम नहीं मिली तो वह अकरम को मार देंगे. अपहृत अकरम को सकुशल छुड़वाने के लिए पुलिस ने परिजनों के साथ मजबूत योजना बनाई. 16 फरवरी को अपहर्त्ताओं का फोन आने के बाद अकरम के परिजन बदमाशों के बताए गए स्थान आगरा में सिकंदरा स्थित गुरुद्वारे के पास पैसे ले कर पहुंच गए.

बदमाशों ने उन से पहचान के लिए अपनी गाड़ी पर झंडा लगाने को कहा था. भाई असलम अपने दोस्त के साथ किराए की गाड़ी पर झंडा लगा कर पहुंचा. तभी बदमाशों ने कहा कि बाड़ी कस्बा आ जाओ. वहां पहुंचे तो बदमाश लगातार काल कर के अलगअलग जगह बुलाते गए. करौली मार्ग पर आने के बाद उन्होंने कहा कि सिगरेट के 2 पैकेट ले कर आना. इस के बाद उन्होंने भरतपुर जनपद के गढ़ी भासला क्षेत्र के जंगल में स्थित भैरों बाबा के मंदिर पर रुपयों का बैग रखने को कहा. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जरा सी भी चालाकी की या पुलिस को बताया तो अपने भाई को जिंदा नहीं देख सकोगे. वह लोग शाम 6 बजे बताए गए स्थान पर रुपयों से भरा बैग रख कर वापस आ गए. इस बीच पुलिस योजनाबद्ध तरीके से वहां मौजूद रही. बदमाशों ने परिजनों से सोमवार, 17 फरवरी को अधिवक्ता अकरम को गुरुद्वारा पर छोड़ने का वादा किया.

जंजीरों से बांध रखा था अकरम को फिरौती देने के बाद पुलिस टीम सक्रिय हो गई. पुलिस बैग उठाने वाले के पीछे लग गई. इतना ही नहीं, पुलिस ने कस्बा बाड़ी स्थित वह मकान भी पहचान लिया, जिस में अपहर्त्ता नोटों से भरा बैग ले कर गया था. मकान चिह्नित करने के बाद पुलिस ने रात लगभग 8 बजे उस मकान पर दबिश दे कर अपहृत अधिवक्ता अकरम को सकुशल बरामद कर लिया. अपहर्त्ताओं ने उन्हें जंजीरों से बांध कर रखा था. पुलिस ने मकान से 3 अपहर्त्ताओं 56 वर्षीय गैंग लीडर उग्रसैन निवासी कस्बा बाड़ी, धौलपुर, लाखन गुर्जर निवासी सूखे का पुरा, थाना कंचनपुरा, धौलपुर के अलावा सुरेंद्र गुर्जर निवासी कुआंखेड़ा, बिहारी का पुरा, थाना सदर, धौलपुर शामिल को हिरासत में ले लिया.

उन की निशानदेही पर पुलिस ने राकेश व उस के भाई मुकेश निवासी जमूहरा, थाना बाड़ी, धौलपुर के साथ उग्रसैन की पत्नी उर्मिला को भी गिरफ्तार कर लिया. राकेश व मुकेश दोनों उग्रसैन के साले हैं. फिरौती के लिए फोन लाखन करता था. लाखन पर 7-8 मुकदमे चल रहे हैं. उग्रसेन व सुरेंद्र गुर्जर पर भी कई मुकदमे हैं. इन में अपहरण व जानलेवा हमले शामिल हैं. सुरेंद्र गुर्जर पूर्व में राजस्थान के केशव और हनुमंत गिरोह में काम कर चुका है. उस के साथ उग्रसैन और लाखन भी थे. यह मध्य प्रदेश और आगरा में अपहरण कर फिरौती वसूल चुके हैं. गिरोह ने पहले आगरा के सदर क्षेत्र में दंत चिकित्सक का अपहरण कर मोटी फिरौती वसूली थी.

अधिवक्ता अकरम अंसारी की सकुशल बरामदगी की जानकारी जैसे ही उन के परिजनों को मिली तो पूरे परिवार की आंखें खुशी से छलछला उठीं. उन के आवास पर लोगों ने खुशी में आतिशबाजी की. पुलिस अधिकारी पूरे दिन अकरम से पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेते रहे. 25 फरवरी को अकरम के घर आते ही मां ने उन्हें गले से लगा लिया. बच्चे भी उन से लिपट गए. अकरम ने बताया कि वह मौत के मुंह से निकल कर आए हैं. 26 फरवरी, 2020 को पुलिस लाइन में एडीजी अजय आनंद ने प्रैसवार्ता आयोजित कर इस सनसनीखेज अपहरण कांड का परदाफाश किया. उन्होंने बताया कि एसएसपी बबलू कुमार के निर्देशन में फूलप्रूफ औपरेशन चला कर पुलिसकर्मियों की 10 टीमें बनाई गई थीं.

जिस में सीओ (कोतवाली) चमन सिंह चावड़ा, सर्विलांस टीम प्रभारी नरेंद्र कुमार, इंसपेक्टर कमलेश सिंह, अरविंद कुमार, अनुज कुमार, अजय कौशल, राजकमल, बैजनाथ सिंह, उमेश त्रिपाठी, एसआई राजकुमार गिरि, कुलदीप दीक्षित अरुण कुमार बालियान, सुशील कुमार, हैड कांस्टेबल आदेश त्रिपाठी, कांस्टेबल अजीत, प्रशांत, करन, विवेक, राजकुमार, अरुण कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, रविंद्र, प्रमेश आदि शामिल थे. पुलिस ने अधिवक्ता को सकुशल बरामद करने के साथ 5 अपहर्त्ताओं व एक महिला को गिरफ्तार कर फिरौती की रकम, जो 15 लाख बता कर केवल साढ़े 12 लाख बैग में रखी थी, भी बरामद कर ली. एडीजी ने बताया कि अपहृत को 2-3 दिन पहले बरामद कर सकते थे. लेकिन उन की सकुशल बरामदगी के लिए इंतजार करना पड़ा.

अलगअलग हुलिया बनाए पुलिस ने टीमों के साथ सीओ, एसपी, एसएसपी, तक ने बीहड़ में डेरा डाला. अपहर्त्ताओं की नजर से बचने के लिए पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ अपना हुलिया बदला, बल्कि बकरी चराने से ले कर खेतों में मजदूर बन कर काम किया. पुलिस ने फिरौती के लिए फोन करने वाले की आवाज भी रिकौर्ड की. वह आवाज मुखबिरों को सुनाई गई. इस के बाद ही पुलिस को सुराग मिला. पुलिस ने 40 घंटे के औपरेशन के बाद अधिवक्ता अकरम अंसारी को मुक्त करा लिया. इस औपरेशन का नाम ‘अकरम मुक्ति’ रखा गया था. पुलिसकर्मी कोड वर्ड बांकेबिहारी और वंदेमातरम में एकदूसरे से बात करते थे.

बदमाशों ने फिरौती के लिए 4 बार फोन किया था. पहली काल 5 फरवरी को भरतपुर के रूपवास से की गई, इस के लिए सिम खेरागढ़ से ली गई थी. दूसरी काल 8 फरवरी को की गई, जबकि 12 व 15 फरवरी की काल कस्बा बाड़ी से की गई थीं. काल करने के लिए हर बार नया मोबाइल और नया सिम खरीदा गया था. इस के साथ ही हर बार अपहर्त्ता लोकेशन भी बदलते रहे थे. उन्होंने कहा कि पुलिस ने न सिर्फ अधिवक्ता अकरम अंसारी को सकुशल बरामद किया बल्कि 5 अपहर्त्ताओं और एक महिला को गिरफ्तार कर उन से फिरौती की वसूली गई रकम साढ़े 12 लाख भी बरामद कर ली. पुलिस ने बैग में रखी यह रकम 15 लाख बताई थी. डीजीपी ने टीम के इस कार्य की सराहना की. इस संबंध में अपहरण की जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार थी—

राजस्थान के गुर्जर गैंग ने बीच आगरा शहर से अधिवक्ता अकरम अंसारी का अपहरण किया था. दरअसल 3 फरवरी, 2020 को अकरम को उन के साढ़ू ने फिरोजाबाद जाने के लिए एक आटो में बैठा दिया था. अकरम सिकंदरा स्थित आईएसबीटी पर उतरे लेकिन वहां फिरोजाबाद जाने के लिए कोई बस नहीं मिली. जब बस नहीं मिली तब अकरम दूसरे आटो से भगवान टाकीज पहुंच कर बस का इंतजार करने लगे. वहां पर आगरा आने व जाने वाली बसें रुकती हैं. शाम 7.20  बजे एक बोलेरो उन के पास आ कर रुकी और ड्राइवर ने पूछा, ‘‘कहां जाओगे?’’

अकरम ने फिरोजाबाद जाने की बात कही तो ड्राइवर ने कहा, ‘‘हां, फिरोजाबाद ही जा रहे हैं.’’ उस समय उस बोलेरो में चालक के अलावा 3 लोग और बैठे थे. उस गाड़ी में अकरम के बैठते ही ड्राइवर चलने लगा तो अकरम ने कहा कि और सवारियां ले लो तो चालक ने कहा कि आगे से ले लेंगे. 10-12 मिनट गाड़ी चलने के बाद अचानक बगल में यात्री के रूप में बैठे बदमाश ने अकरम को सीट के नीचे गिरा कर दबोच लिया और धमकी दी कि यदि चिल्लाया तो गोली मार देंगे. इस के साथ ही उन के ऊपर कपड़ा डाल दिया. बदमाश कह रहे थे यदि तू वीरेंद्र नहीं हुआ तो हम तुझे छोड़ देंगे. अपहर्त्ता ये बात इसलिए कह रहे थे ताकि वह शोर न मचाए. उन्होंने अकरम की आंखों पर पट्टी भी बांध दी.

गाड़ी चलती रही. रात 11 बजे अपहर्त्ता अधिवक्ता अकरम को एक सुनसान जगह पर ले गए. वहां एक घर में उन्हें रखा गया. यह घर धौलपुर के बाड़ी कस्बे में था. वहां 2-3 कमरे थे. पैरों में जंजीर बांध कर उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया. आंखों पर पट्टी बांधने के साथ ही अकरम के मुंह पर टेप भी लगा दिया. उन का मोबाइल उन लोगों ने गाड़ी में ही छीन लिया था. कमरे पर ही बदमाशों ने अकरम से उस के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद दूसरे दिन फिरौती के लिए परिजनों को फोन किया था. कमरे में ही चटाई पर अकरम सोते थे. रात में सोने के लिए एक हलकी रजाई दी गई थी. 24 घंटे 2 युवक पहरेदारी पर रहते थे. रात में एक बदमाश भी पास में ही दूसरी चटाई पर सोता था. कई दिन बीत गए. बदमाश बीचबीच में आ कर उन्हें धमका जाते थे. कहते कि तेरे परिवार के लोग फिरौती की रकम नहीं दे पा रहे हैं, हम तुझे मार देंगे.

हालात देख कर बचना था मुश्किल वहां जिस तरह का माहौल चल रहा था इस से अकरम को लग रहा था कि वह अपहर्त्ताओं के चंगुल से मुक्त नहीं हो पाएंगे. उन्हें डर था कि परिजन अपहर्त्ताओं की मांग पूरी नहीं कर पाएंगे. उन का अब घर जाना मुश्किल होगा. बदमाश खाने के लिए कभी रोटी सब्जी तो कभी रोटी दाल देते थे. अकरम रात को ही खाना खाते थे. 15 दिन तक अकरम को नहाने नहीं दिया गया. मकान में एक महिला और उस का पति था. मकान में आगे व पीछे दरवाजे थे. आगे के दरवाजे पर ताला लगा रहता था. अन्य लोग मकान के पीछे के दरवाजे से आतेजाते थे. अकरम ने बताया कि बदमाशों ने उन के साथ मारपीट नहीं की.

अकरम हर दिन यही दुआ करते थे कि पुलिस उन्हें कब छुड़ाएगी? दहशत की वजह से नींद भी नहीं आती थी. जैसेजैसे दिन निकलते जा रहे थे, उम्मीद भी कम होती जा रही थी. मगर, रविवार 23 फरवरी की रात को पुलिस आई और अकरम को मुक्त करा लिया. अपनी दास्ता बयां करतेकरते अकरम की आंखें भर आई थीं. पुलिस लाइन में अकरम के भाई मोउज्जम, असलम, मोहम्मद सोहेल, मुकर्रम और पिता आरिफ अंसारी आए थे. भाइयों ने अकरम को गले लगा लिया. परिवार से मिल कर अकरम की खुशी का ठिकाना नहीं था. पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता के दौरान अकरम ने पुलिस अधिकारियों को मिठाई खिलाई और उन को धन्यवाद दिया.

पुलिस ने बताया कि धौलपुर के बीहड़ में अपहर्त्ताओं के 25 गैंग सक्रिय हैं. यह गैंग शिकार को बीहड़ में पकड़ कर ले जाने के बाद फिरौती वसूलते हैं. पुलिस ने सौ से ज्यादा गैंग के बारे में पड़ताल की. इन में 25 गैंग के सक्रिय होने के बारे में पता चला. इन में गब्बर, केशव, रामविलास, भरत, धर्मेंद्र, लुक्का, मुकेश ठाकुर गैंग विशेष रूप से सक्रिय हैं. यह गैंग अलगअलग तरीके से फिरौती के लिए अपहरण की वारदात को अंजाम देते हैं. इन के खिलाफ उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अनेक मुकदमे दर्ज हैं.

अपहृत वकील को अपहर्त्ताओं के चंगुल से मुक्त कराने वाली पुलिस टीम को एडीजी अजय आनंद ने पुरस्कृत कर सम्मानित किया. पुलिस ने सारी काररवाई पूरी कर गिरफ्तार अपहर्त्ताओं को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है