आईएसआई ने भारत में जासूसी करने के लिए उस से 3 सालों का कौंट्रैक्ट किया. इस के बदले उसे 50 हजार रुपए महीने देना तय हुआ. भारत में उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड की विभिन्न सैन्य व वायुसेना की इकाइयों से संबंधित गुप्त सूचनाएं, प्रतिबंधित महत्त्व के दस्तावेज और भारतीय सेना की गतिविधियों की सूचना एकत्र कर के आईएसआई को भेजना था.
इरादों को मजबूत कर के अपने मिशन को पूरा करने के लिए एजाज अपने पासपोर्ट के साथ कराची होते हुए 31 जनवरी, 2013 को ढाका पहुंचा. वहां उस की मुलाकात आईएसआई के एजेंट प्रोबीन से हुई. प्रोबीन ने उस से पाकिस्तानी पहचान संबंधी दस्तावेज हासिल कर के कहा, “जब मिशन पूरा कर के तुम वापस जाओगे, तब ये चीजें तुम्हें वापस मिल जाएंगी. वैसे मिशन को बड़ी होशियारी से अंजाम देना मियां, क्योंकि भारत की खुफिया एजेंसियां बहुत सतर्क रहती हैं.”
“फिक्र न कीजिए, मैं हर तरह से फिट हूं.” एजाज ने आत्मविश्वास से जवाब दिया.
प्रोबीन ने कुछ दिन उसे अपने पास रख कर सावधानी बरतने के गुर सिखाए. इस के बाद 9 फरवरी को नदी के रास्ते भारतबांग्लादेश सीमा पार करा दी. यहां उस की मुलाकात वेस्ट बंगाल के माटियाबुर्ज, साउथ चौबीस परगना निवासी इरशाद हुसैन से हुई. यहां उस ने कपड़ों की फेरी लगाने का काम किया और हिंदी सीखी. एजाज यहीं रह कर हिंदी लिखनेपढऩे और बोलने का पूरा अभ्यास किया.
इरशाद, उस का बेटा और 2 भाई आईएसआई के लिए काम करते थे. इरशाद ने उसे गोपनीय दस्तावेज पाकिस्तान भेजने के सारे गुर सिखाए. इस दौरान उसे नई पहचान देने के लिए उस का नाम मोहम्मद कलाम रख दिया गया. इसी नाम से उस के जूनियर हाईस्कूल के शैक्षिक प्रमाणपत्र बनवाए गए. उस का एक मतदाता पहचान पत्र व राशनकार्ड भी बनवाया गया, जिन के आधार पर सैंट्रल बैंक औफ इंडिया में उस का खाता खोलवा दिया गया. इन प्रमाण पत्रों पर उसे बिहार के नाड़ी गांव का निवासी बताया गया था.
नई पहचान के बाद वह बिहार के एक वीडियोग्राफर रईस के साथ काम करने लगा, क्योंकि यह काम वह पहले से जानता था. वीडियोग्राफी के काम से जुड़े रहने से उसे अपने मिशन में बेहद आसानी हो सकती थी. एजाज भारत के दिल्ली समेत कई इलाकों में घूमा. ऐसा कर के वह यहां की भौगोलिक स्थिति को समझना चाहता था. यहां आ कर उसे पता चला कि उस के जैसे तमाम जासूस हैं, लेकिन वे सब भारतीय हैं. उन के जरिए भी उसे काम लेने को कहा गया था.
उन्हीं के जरिए उस ने प्रमुख आर्मी एरिया का पता लगाया. आईएसआई जानना चाहती थी कि किनकिन छावनयिों में कौनकौन अधिकारी तैनात हैं. उन के व उन के परिवारों के कौंटैक्ट नंबर क्या हैं और आर्मीमैन किस तरह के अभ्यास करते हैं. यह सब इतना आसान नहीं था, लेकिन ट्रेङ्क्षनगशुदा होने के चलते एजाज ने अपने काम को अंजाम देना शुरू कर दिया.
कौंट्रैक्ट के लिहाज से उसे भारत में फरवरी, 2016 तक रहना था. लोगों के बीच आसानी से घुलनेमिलने और मकान किराए पर लेने के लिए वह चाहता था कि गृहस्थी बसा ली जाए. इस से शक की गुंजाइश कम हो जाती. इसी बीच उस की मुलाकात आसमा से हुई तो उस ने उस से मोहब्बत का नाटक कर के निकाह कर लिया. आसमा के पिता शमशेर की किराने की दुकान थी. एजाज ने भी उन की दुकान संभाली. इस के साथ ही वह वीडियोग्राफी छोड़ कर फेरी लगा कर कपड़े बेचने का काम करने लगा.
जनवरी, 2015 में वह बरेली आ गया. बरेली में सेना और वायुसेना की बड़ी विंग है. उन पर उसे काम करना था. बरेली में उस ने फोटो स्टूडियो वालों के साथ दिखावे के लिए काम शुरू कर दिया. वह कंप्यूटर का मास्टर था. सही बात यह थी कि वह फोटो व वीडियोग्राफी की आड़ में जासूसी कर रहा था.
बरेली आ कर उस ने चंद महीनों में ही 3 ठिकाने बदल दिए. उस पर किसी भी तरह का शक न हो, इस के लिए उसे करना जरूरी था. बाद में उस ने 6 जून को शाहबाद में वसीम उल्लाह का मकान किराए पर ले लिया. अब उसे अपने काम में आसानी हो गई. उस के साथी उस के संपर्क में रहते थे और सूचनाओं का आदानप्रदान करते रहते थे.
वह फेसबुक, वाइबर, स्काईप, ईमेल के जरिए संपर्क में रहता था. वह औडियोवीडियो कौङ्क्षलग करता था. मोबाइल इंटरनेट के जरिए वह लाइव तसवीरें भी आईएसआई को दिखाता था. उस ने अलगअलग नामों से इंटरनेट पर अपने कई सोशल एकाउंट बना रखे थे. अपने पाकिस्तानी आकाओं से वह रात में 11 से 2 बजे के बीच संपर्क करता था. मेल में वह मैसेज लिख कर फोटो व वीडियो अटैच कर के ड्राफ्ट बौक्स में डाल देता था. उस की मेल आईडी का पासवर्ड आईएसआई के पास भी होता था. वे उस में से मैसेज निकाल लेते थे.
भारतीय एजेंसियां चूंकि संदिग्ध मेल पतों की निगरानी करती हैं. इसलिए इस से बचने के लिए वह ऐसे तरीके अपनाता था. उस के आका पाकिस्तानी सीमा पर बने एक्सचेंज से (वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल) तकनीक के जरिए बात करते थे. इस से नंबर तो भारत का शो होता था, लेकिन बात पाकिस्तान में होती थी. कलाम ने फेसबुक पर भी अपने एकाउंट बना रखे थे. अपने फेसबुक दोस्तों की लिस्ट में उस ने लड़कियों, कालेजों के छात्रों और पुलिसकॢमयों को जोड़ा था.
आसमा कभी उस की हकीकत नहीं जान पाई. उसे ख्वाबों में भी गुमान नहीं था कि उस का शौहर पाकिस्तानी जासूस है. वह 7 माह की गर्भवती थी. एजाज ने घर पर भी कंप्यूटर लगा रखा था, जिस पर वह शादियों की वीडियो मिक्सिंग के साथ इंटरनेट के जरिए सूचनाओं का आदानप्रदान करता था.
आसमा सीधीसादी अनपढ़ युवती थी. इन सब बातों को वह समझ नहीं पाती थी. डूंगल के जरिए वह हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन इस्तेमाल करता था. उस का सब से ज्यादा संपर्क आईएसआई के एसपी सलीम से था. अपने मिशन के लिए वह आगरा, मथुरा, मेरठ, दिल्ली, लैंसडाउन, रुडक़ी, सहारनपुर, रानीखेत, हरिद्वार, शाहजहांपुर व लखनऊ तक जाता था. जाते समय वह आसमा से यही बताता था कि शादी में वीडियोग्राफी करने बाहर जा रहा है.
कई स्लीङ्क्षपग मौड्यूल्स उस के संपर्क में रहते थे. वे ऐसे लोग थे, जो हाईलाइट हुए बिना रुपयों के लालच में जानकारी जुटा कर उसे देते थे. शाहबाद में रहते हुए उस ने एक दलाल के माध्यम से अपना आधार कार्ड भी बनवा लिया था. एजाज हंसमुख स्वभाव का था. वह लोगों से खूब मिलजुल कर रहता था. उस की असलियत से हर कोई बेखबर था. खुद को भारत का नागरिक साबित करने के लिए उस ने पासपोर्ट बनवाने की कोशिश भी शुरू कर दी थी.