औरेया के बलात्कारी को फांसी की सजा

उत्तर प्रदेश के जनपद औरेया के जिला जज (पोक्सो) की कोर्ट में उस दिन सुबह के 10 बजतेबजते लोगों का विशाल हुजूम इकट्ठा हो गया था. वह दिन था बुधवार और उस दिन तारीख थी 22 जून, 2023. उस दिन वहां पर वकीलों, आम नागरिकों एवं पत्रकारों की काफी भीड़ जमा हो चुकी थी.

भरी अदालत में सब की जुबान पर एक ही चर्चा थी कि देखो अब 8 वर्षीय गौरी के रेप और हत्या के मामले में आज क्या अंतिम फैसला होता है. अभियोजन पक्ष के वकील और पैरोकारों को अपनी काबीलियत पर पूरापूरा भूरोसा था कि अभियुक्त गौतम दोहरे को इस मामले में आज अवश्य कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.

अभियुक्त की ओर से कोई वकील नहीं था. किसी भी वकील ने इस केस को लडऩे ही सहमति नहीं जताई थी, इसलिए अभियुक्त गौतम दोहरे को एक सरकारी वकील उपलब्ध कराया गया था, जिसे यह पता भी था कि वह चाहे कितने सबूत जुटा लें, कितनी जिरह कर लें, पर उन के मुवक्किल को अब कोई भी नहीं बचा सकता.

तकरीबन 10 बजे जिला जज (पोक्सो) मनराज सिंह अपने चैंबर से निकल कर अदालत में दाखिल हुए. उन के अदालत में प्रवेश करते ही उन के सम्मान में वहां उपस्थित लोग अपने स्थानों पर खड़े हो गए. जज महोदय के अपनी कुरसी पर बैठने के बाद पूरी अदालत में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था. पेशकार ने जज महोदय के सामने केस की फाइल रखी.

जज का आदेश पाते हो सरकारी वकील हरिशंकर शर्मा ने अपनी आखिरी दलील पेश करते हुए कहा, “मी लार्ड, मैं आप की अदालत में अब तक 13 गवाहों को पेश कर चुका हूं. जिन सभी के बयानों से साफ जाहिर है कि अभियुक्त गौतम दोहरे द्वारा पहले मासूम गौरी का रेप किया गया और उस के बाद उस की हत्या की गई. मैं माननीय अदालत से अभियुक्त गौतम दोहरे के लिए फांसी की मांग करता हूं.”

हालांकि अभियुक्त गौतम दोहरे ने अपने लिए कोई वकील नियुक्त नहीं किया था, फिर भी अभियुक्त के लिए न्यायालय की ओर से एक सरकारी वकील नियुक्त किया गया था.

अभियुक्त की ओर से नियुक्त सरकारी वकील ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा, “मी लार्ड, मेरे मुवक्किल पर अभी तक जो भी इल्जामात लगाए गए हैं, वे मेरे मुवक्किल को फांसी दिए जाने के लिए नाकाफी हैं, इसलिए मैं माननीय न्यायालय से अपने मुवक्किल के लिए फांसी की मांग निरस्त कर आजीवन कारावास दिए जाने की मांग करता हूं.”

वकीलों की जिरह रही दिलचस्प

जज साहब ने अब एडवोकेट हरिशंकर शर्मा की ओर देखा और कहा, “हरिशंकर शर्मा जी, आप के पास अब अन्य गवाह हैं तो उन्हें बुलाइए.”

तभी वकील हरिशंकर शर्मा ने अदालत से कहा, “मी लार्ड, मेरे पास अब ऐसा गवाह है, जो इस केस का 14वां गवाह है. इस ने मुलजिम गौतम दोहरे को अपने कंधे पर एक बोरी को ले जाते हुए देखा था. घटना के खुलासे के बाद घटनास्थल से वही बोरी पुलिस ने बरामद की थी. मुलजिम गौतम दोहरे को कंधे पर बोरी ले जाने की बात गवाह ने कोर्ट में बता दी.

“मी लार्ड, इस जघन्य वारदात में 82 दिन में 43 बार न्यायालय की तारीख लगी. हर तारीख में आरोपी को कोर्ट के सामने लाया गया, जहां पर अभियुक्त हमेशा माननीय न्यायाधीश के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा रहता था. माननीय न्यायाधीश के कुछ भी पूछने पर आरोपी कुछ भी बोलने से मना कर देता था.”

इस के बाद न्यायालय में सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्र, विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र तोमर, विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) मृदुल मिश्र व वादी के अधिवक्ता हरिशंकर शर्मा ने कहा, “मी लार्ड, निर्भया केस के बाद कठुवा गैंगरेप और मर्डर का मामला सामने आया था. इस मामले में 12 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी के साथ दरिंदगी की गई थी.

“सरकार ने इस के बाद फिर कानूनी बदलाव किए, जिस में 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के मामले में अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया. यहां पर तो आरोपी ने निर्मम तरीके से रेप करने के बाद उस की जघन्य हत्या भी की है.

मी लार्ड, इस जघन्य कृत्य में पुलिस ने कई व्यक्तियों से पूछताछ की और साक्ष्य संकलन व छानबीन के बाद 14 घंटे में घटना का खुलासा करते हुए आरोपी गौतम सिंह दोहरे को गिरफ्तार कर उस से कई घंटों तक कड़ी पूछताछ की, जिस में आरोपी ने सब कुछ उगल दिया.

“मी लार्ड, आरोपी ने शराब पी रखी थी तथा बिसकुट दिलाने का लालच दे कर वह नाबालिग बच्ची को अपने साथ ले गया था और उस के साथ दुष्कर्म कर उस का मुंह दबा कर निर्मम हत्या कर दी थी.

“मी लार्ड, जो बिसकुट का पैकेट दे कर आरोपी बच्ची को ले गया था, उस पैकेट पर आरोपी की अंगुलियों के निशान मैच हुए थे. इसलिए अदालत से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि मासूम 8 वर्षीय बच्ची के क्रूर हत्यारे गौतम दोहरे को फांसी की सजा दी जाए.”

औरेया की जिला कोर्ट (पोक्सो) के जज मनराज सिंह ने आरोपी गौतम दोहरे को सुनाई फांसी की सजा

दोनों पक्षों की दलीलों को गौर से सुनने के बाद अब इस जघन्य कृत्य के फैसले का समय आ गया था. कोर्ट में मौजूद सभी लोगों की नजरें अब जज मनराज सिंह के फैसले पर टिकी हुई थीं.

मजिस्ट्रेट ने जब बोलना शुरू किया तो पूरे अदालत परिसर में एक रहस्यमयी सन्नाटा पसर गया था. मजिस्ट्रेट मनराज सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा, “तमाम गवाहों, वकीलों की दलीलों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि आरोपी गौतम दोहरे ने जो जघन्य अपराध किया है, इस की क्रूरता से किसी का भी दिल दहल सकता है.

“मासूम बच्ची गौरी के शरीर में जितनी चोटें बाहर थीं, उतनी ही अंदर भी थीं. यह पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा था कि इस मासूम बच्ची के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाया गया है कि नहीं, क्योंकि उस मासूम के प्राइवेट पार्ट पूरी तरह से डैमेज हो चुके थे. इस क्रूर हत्यारे ने मासूम बच्ची को मारा भी बहुत बेरहमी से था.

“बच्ची अधमरी तो हैवानियत के समय ही हो गई थी. उस के बाद आरोपी ने उस का गला भी बड़ी बेरहमी से दबाया, जिस के कारण उस मासूम नाबालिग की मौत हो गई, लेकिन आरोपी यहीं नहीं रुका. मासूम बच्ची के सिर पर भी चोट के निशान मिले थे, जिस को देख कर ऐसा लग रहा है कि उस को जमीन पर पटका भी गया था. इस के साथ ही बच्ची की रीढ़ की हड्डी भी डैमेज थी.

मैं यह आदेश देता हूं कि दोषी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उस की मौत न हो जाए. पुरुषों की उत्पत्ति महिलाओं से होती है, दोषी का कृत्य पशुओं से ज्यादा निंदनीय है.”

जज ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए आगे कहा, “लड़कियां अगर खुले में नहीं घूम सकतीं तो फिर उन के लिए कौन सा स्थान है. भारतीय संस्कृति में लड़कियों को नई शक्ति के सृजन की सशक्त नारी बताया गया है, लेकिन इस अपराधी ने उस 8 वर्षीय मासूम बच्ची का जीवन बचपन में ही खत्म कर दिया.”

यह फैसला सुनने के बाद वहां मौजूद लोगों ने जज के फैसले की सराहना की. यह पूरा मामला क्या था, इस के लिए हमें इस केस के अतीत में जाना होगा.

यह सनसनीखेज मामला उत्तर प्रदेश के औरेया जिला के गांव महमूदपुर थाना अयाना क्षेत्र का था. यहां पर 24 मार्च, 2023 की शाम करीब साढ़े 5 बजे एक 8 साल की मासूस बच्ची गौरी लापता हो गई थी. गौरी अपने खेत पर पशुओं को चराने गई थी, लेकिन देर शाम तक जब बच्ची घर नहीं लौटी तो उस के घर वालों को चिंता हुई. रोतेबिलखते घर वाले मासूम को रात भर इधर से उधर तलाशते रहे. इस के बाद 25 मार्च को थाना अयाना में मासूम की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी गई.

इस के बाद थाना पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एसपी औरेया चारू निगम के निर्देश पर बच्ची को तलाशने का अभियान शुरू किया. सीसीटीवी फुटेज, लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने 25 मार्च, 2023 की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे घर से 600 मीटर दूरी पर गेहूं के खेत के पास गड्ढे में मासूम बच्ची का शव बरामद किया.

शव की प्रारंभिक जांच में मासूम के साथ दुष्कर्म कर उस की हत्या की संभावना दिखाई दी. पुलिस ने इस मामले में गांव के लोगों से पूछताछ की. गांव के बारातघर में लगे सीसीटीवी खंगाले गए, जिस में 5 लोग संदिग्ध दिखाई दिए. सभी को हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की गई तो उन में से गौतम सिंह दोहरे ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस केस में विशेष बात यह रही कि पुलिस ने मात्र 14 घंटे की जांच के बाद आरोपी को गिफ्तार कर लिया था.

शराब के नशे में रेप कर के मार डाला

पुलिस पूछताछ में आरोपी गौतम सिंह दोहरे ने कुबूला कि 24 मार्च, 2023 शुक्रवार को वह नहरिया में बैठ कर शराब पी रहा था. इस बीच उस का बिसकुट खाने का मन हुआ तो वह बिसकुट खरीदने पास की दुकान पर चला गया.

दुकान से बिसकुट खरीद कर वह नहरिया पर वापस आ रहा था, तभी उसे अपने सामने गौरी मिल गई. उसे देख कर उस का मन मचल गया. बच्ची को बिसकुट खिलाने का लालच दे कर वह उसे गन्ने के खेत में ले गया. पहले उस ने बच्ची के साथ निर्ममता से रेप किया. किसी को इस घटना का पता न चल सके, इसलिए उस ने फिर बच्ची का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

आरोपी ने आगे बताया कि अगली सुबह जब वह उठा तो वह उस स्थान पर गया, जहां उस ने बच्ची का गला दबाया था. उस ने वहां पर देखा कि बच्ची मर चुकी थी. उस के बाद उस ने बच्ची के शव को गन्ने के खेत से हटा कर एक गड्ढे में दफना दिया.

दरोगा का पिस्टल छीन कर पुलिस पर की थी फायरिंग

26 मार्च, 2023 रविवार के दिन देर रात जिला अस्पताल से लौटते समय आरोपी गौतम दोहरे ने दरोगा का पिस्टल छीन लिया और पुलिसकर्मियों पर फायरिंग कर दी. जब आरोपी आपे से बाहर हो गया तो पुलिस को उस पर जबाबी फायरिंग करनी पड़ी. जबाबी फायरिंग में उस के पैर पर गोली लगी और वह घायल हो गया. इस के बाद पुलिस टीम उसे इलाज के लिए सीएचसी अयाना लाई और वहां पर उसे भरती कराया गया. पुलिस ने सोमवार 27 मार्च, 2023 को आरोपी की कोर्ट में पेशी कराई.

एक ओर 27 मार्च, 2023 को पुलिस द्वारा कोर्ट में पेशी कराई गई तो दूसरी तरफ 27 मार्च को मासूम बच्ची की पोस्टर्माटम रिपोर्ट भी आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्रूर हत्यारे की दरिंदगी की पूरी कहानी सामने आ गई. बच्ची के प्राइवेट पार्ट बुरी तरह से क्षतविक्षत थे. उस के सारे शरीर को नाखूनों से नोचाखसोटा गया था. चेहरे और गले पर भी चोट के निशान मिले थे.

बच्ची के पूरे शरीर पर कोई भी ऐसी जगह नहीं थी, जहां दरिंदगी के निशान न पाए गए हों. क्रूर हत्यारे ने बच्ची का मुंह और हाथ इतनी जोर से दबाया था कि वो काले पड़ चुके थे. बच्ची का खून जम गया था, जिस के कारण उस की नसें ब्लौक गई थीं. सीने और पेट पर खरोंचों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे.

पीछे कमर के पास हाथ से कस कर दबाने के निशान थे. कमर के ऊपरी हिस्से पर किसी चीज के मारने के निशान थे. देख कर ऐसा लग रहा था कि आरोपी ने बच्ची को किसी भारी पत्थर से मारा होगा.

कोर्ट के फैसले पर पिता संतुष्ट

मासूम बच्ची के पिता शिवेंद्र सिंह दोहरे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एक पिता के लिए इस से अच्छी बात भला क्या हो सकती है, मुझे 82 दिन में न्याय मिल गया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अच्छा फैसला सुनाया है, इस तरह के क्रूरतम कृत्य करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए. मुजरिम को अब जल्द से जल्द फांसी मिलनी चाहिए, तभी मेरी बेटी को न्याय मिल पाएगा.

महिला अपराधों में 3 वकीलों की रही विशेष भूमिका

उत्तर प्रदेश के औरेया में महिला अपराधों पर लगातार अपराधियों को सजा मिल रही है. इन मामलों में सब से अहम डीजीसी (जिला शासकीय अधिवक्ता) अभिषेक शर्मा एडवोकेट की बेहतर पैरवी मानी जा रही है. इस के साथ ही पोक्सो के मामलों में डीजीसी के सहयोगी वकील जितेंद्र तोमर व मृदुल सिन्हा की संयुक्त तिकड़ी बीते 4 माह में 2 दुष्कर्मियों को मौत की सजा करवा चुके हैं. साल भर में महिला संबंधी अपराधों में कुल 78 दोषियों को सजा सुनाई गई, जिस में 2 को फांसी व 15 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

जैसे ही जिला जज ने गौतम दोहरे को सजा सुनाई, वहां मौजूद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. फिर मुजरिम गौतम दोहरे को पुलिस ने जेल पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों व मृतक के परिजनों पर आधारित है. कथा में गौरी नाम काल्पनिक है.

ठग तांत्रिक फंसा पुलिस के जाल में

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की आवास विकास कालोनी में रहने वाली पुष्पलता पांडेय ने अपने बेटे की शादी कई साल पहले की थी. लेकिन  किसी वजह से उन की बहू की गोद नहीं भर पा रही थी. उन्होंने कई डाक्टरों से बहू का इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बहू और बेटे के अलावा वह खुद भी इस बात को ले कर परेशान रहती थीं कि बहू मां कैसे बने.

एक दिन पुष्पलता ने अपने घर में आने वाले अखबार के बीच एक पैंफ्लेट रखा देखा, जो एक तांत्रिक का था. तांत्रिक का नाम था पंडित मोरेश्वर शास्त्री. उस के विज्ञापन में लिखा था कि बाबा 27 मई से 1 जून तक बस्ती जिले के बस स्टेशन के पास स्थित होटल शिवाय पैलेस में ठहरेंगे. उस पैंफ्लेट में बाबा ने तंत्रमंत्र के माध्यम से सभी तरह की समस्याओं के समाधान करने का दावा किया था.

पुष्पलता पांडेय एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं. हालांकि वह तंत्रमंत्र की बातों पर विश्वास नहीं करती थीं, लेकिन उस पैंफ्लेट को पढ़ कर उन्होंने भी तांत्रिक पंडित मोरेश्वर शास्त्री से यह सोच कर मिलने का फैसला कर लिया कि हो सकता है तंत्रमंत्र से ही कुछ हो जाए. दरअसल उन्होंने कुछ महिलाओं से सुना था कि फलां महिला तांत्रिक के पास जाने के बाद मां बन गई.

27 मई  को पुष्पलता शिवाय होटल में ठहरे तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के पास पहुंच गईं और उसे अपनी समस्या बता दी. तांत्रिक बहुत चालाक था. वह पुष्पलता के पहनावे और बातचीत से समझ गया कि महिला संपन्न परिवार की है. इसलिए वह पुष्पलता से बोला, ‘‘तुम्हारी समस्या बहुत गंभीर है. इस का समाधान तुम्हारे घर चल कर करना पड़ेगा.’’

‘‘बाबा, जल्दी कीजिए न समाधान, हम लोग बहुत परेशान रहते हैं. बताइए हमारे यहां आप कब दर्शन देंगे?’’ पुष्पलता ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा.

‘‘बच्चा, अब तुम परेशान मत हो. मैं जुम्मे के दिन यानी 31 मई को तुम्हारे यहां पहुंच जाऊंगा.’’ कहते हुए तांत्रिक ने उन्हें एक परचा देते हुए कहा, ‘‘इस में पूजा का कुछ सामान लिखा है, मंगा कर रख लेना.’’

‘‘ठीक है बाबा, मैं सारा सामान मंगा लूंगी.’’ कह कर पुष्पलता वहां से चली आईं. घर पहुंच कर उन्होंने अपने बेटे से पूजा का सारा सामान मंगा कर घर में रख लिया.

31 मई को तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री पुष्पलता के घर पहुंचा तो उन का घर और रहनसहन देख कर उस के मन में और ज्यादा लालच आ गया. उस ने कुछ देर तक उन के यहां पूजा वगैरह की. पूजा खत्म होने के बाद उस ने कहा, ‘‘बच्चा तुम्हारे घर में गृहदोष है. जब तक यह दोष दूर नहीं होगा, तुम्हारी समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा.’’

‘‘बाबा गृहदोष दूर करने का कोई तो उपाय होगा?’’

‘‘हां, उस का उपाय है. इस के लिए विशेष पूजा करनी पड़ेगी, जिस में 31 हजार रुपए का खर्च आएगा. इस के अलावा तुम्हें गृहदोष निवारण बगलामुखी यंत्र घर में रखना पड़ेगा, जो 11 हजार रुपए का है. इस से सारे रास्ते खुल जाएंगे और तुम्हारी बहू मां बन जाएगी.’’

पुष्पलता बहू के इलाज पर हजारों रुपए खर्च कर चुकी थीं. उन्होंने सोचा कि जब वह इतना खर्च कर चुकी हैं तो 42 हजार और खर्च कर के देख लें. इसलिए दादी बनने की लालसा में उन्होंने 42 हजार रुपए तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को दे दिए.

पैसे जेब में रखने के बाद तांत्रिक ने एक बार फिर उन के सभी कमरों में नजर डाली और आंखें मूंद कर बैठ गया. ऐसा लग रहा था जैसे वह ध्यानरत हो, 2-3 मिनट बाद उस ने आंखें खोल कर कहा, ‘‘बच्चा, तुम्हारे घर में काल सर्प योग भी है.’’

‘‘काल सर्प योग! यह क्या होता है बाबा?’’ पुष्पलता चौंक कर बोली.

‘‘बच्चा, जिस घर में यह योग होता है, वहां खुशी देने वाले काम होेतेहोते रुक जाते हैं. इसलिए इस का निदान भी जरूरी है.’’

‘‘अब इस का उपाय क्या है?’’

‘‘इस के लिए तुम्हें अपने घर में 2 तोले सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा कर रखनी होगी.’’

सोने की नागनागिन पुष्पलता के पास ही रहनी थी, इसलिए तांत्रिक के जाने के बाद वह गले की चेन और अंगूठी ले कर सुनार की दुकान पर पहुंच गईं. दोनों चीजों को गलवा कर उन्होंने 20 ग्राम सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा ली.

यह बात उन्होंने तांत्रिक को बताई. वह उस समय होटल में ही था. तांत्रिक ने उन्हें होटल में बुला लिया. पुष्पलता नागनागिन की जोड़ी ले कर होटल पहुंच गईं. तांत्रिक ने सोने की नागनागिन को तांबे के लोटे में रख कर लोटे को नीले रंग के कपड़े में बांध कर रख दिया और कहा, ‘‘मैं रात को पूजा और अनुष्ठान कर के नाग और नागिन को सिद्ध करूंगा. फिर सुबह आ कर तुम इन्हें ले जा कर पूजा वाली जगह पर रख देना. तुम्हारे सारे काम बनने शुरू हो जाएंगे और एक बात का ध्यान रखना कि इस बारे में किसी से कोई बात नहीं करनी है.’’

रात साढ़े 7 बजे पुष्पलता होटल से अपने घर चली आईं. घर पहुंचने पर रात 8 बजे उन्होंने तांत्रिक से फोन पर पूछा कि अनुष्ठान शुरू हुआ कि नहीं? इस पर बाबा ने कहा कि वह गोरखपुर स्थित मंदिर में दर्शन करने चला आया है. यहां से लौट कर अनुष्ठान करेगा.

पुष्पलता ने रात 10 बजे फिर फोन मिलाया तो बाबा का फोन स्विच आफ जाने लगा. कई बार मिलाने के बाद भी उस का फोन नहीं मिला तो उन्हें दाल में काला नजर आने लगा. अगले दिन यानी 2 जून की सुबह वह उसी होटल गईं, जहां तांत्रिक ठहरा हुआ था. जिस कमरा नंबर 103 में तांत्रिक ठहरा हुआ था. उस कमरे में तांत्रिक के बजाए किसी और आदमी को देख कर वह चौंकीं. उन्होंने उस आदमी से तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह तांत्रिक के बारे में नहीं जानता. वह कल रात ही इस कमरे में आया है.

पुष्पलता घबरा कर होटल के मैनेजर के पास पहुंची तो मैनेजर ने बताया कि तांत्रिक पहली जून की रात 8 बजे ही होटल छोड़ कर चला गया था. इतना सुनते ही पुष्पलता के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उन्हें यह समझते देर न लगी कि वह ठगी जा चुकी हैं.

पुष्पलता चुपचाप घर चली आईं और दिन भर इसी उधेड़बुन में रहीं कि यह बात पुलिस को बताएं या नहीं. क्योंकि ढोंग के चक्कर में ठगे जाने के कारण बेइज्जती होने का डर भी था. कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने पुलिस के पास जाने का फैसला कर लिया. जिस से उन की तरह दूसरा कोई तांत्रिक की ठगी का शिकार न हो सके.

पुष्पलता के पास तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बिना नामपते के उसे तलाशना आसान नहीं था. उन के दिमाग में विचार आया कि होटल में कमरा लेते समय तांत्रिक ने अपना आईडी प्रूफ जरूर जमा कराया होगा. इसलिए 3 जून को वह फिर से होटल शिवाय पैलेस पहुंचीं. उन्होंने इस बारे में मैनेजर से बात की तो पता चला कि तांत्रिक ने वहां अपने वोटर आईडी कार्ड की कौपी जमा कराई थी.

वोटर आईडी की फोटोकापी से उन्हें बाबा का पता मिल गया, जिस में उस का नाम पंडित मोहनगंगा राम मोरे उर्फ मोरेश्वर शास्त्री पुत्र गंगाराम, निवासी 350, तालुका सावरगढ़ जिला एवतमाल, महाराष्ट्र लिखा था. नाम पता ले कर वह जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आनंद राव कुलकर्णी के पास पहुंचीं.

उन्होंने अपने ठगे जाने की कहानी उन्हें बताई. उन के आदेश पर कोतवाली बस्ती में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के खिलाफ छल, कपट व धोखाधड़ी के आरोप में भादंवि की धारा 419, 420 के तहत मुकदमा दर्ज हो गया. इस की जांच एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय को सौंपी गई.

पुष्पलता पांडेय का बेटा जो कि इंजीनियर था, उस की मदद से पुलिस ने वोटर आईडी कार्ड में मिले नाम व पते को इंटरनेट के जरिए गूगल में डाल कर सर्च किया. ऐसा करने से ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों के नाम और उस के गांव सावरगढ़ का नक्शा मिल गया. इस के बाद ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों को फेसबुक पर चैक किया गया.

काफी लंबी छानबीन के बाद उस के परिवार की स्मिता मोहन नाम की लड़की की फेसबुक आईडी पता चली. फेसबुक पर स्मिता मोहन की प्रोफाइल से उस के कालेज का नाम और मोबाइल नंबर मिल गया.

इन सूचनाओं को इकट्ठा करने के बाद पुलिस फिर होटल शिवाय पैलेस गई, जहां पूछताछ में पता चला कि वह तांत्रिक नौकरी, संतान प्राप्ति आदि के नाम पर कइयों को चूना लगा चुका था. इतनी जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस ठग तांत्रिक को पकड़ने उस के पते पर नहीं गई, बल्कि उस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

5 महीने बाद पुष्पलता को जब पता चला कि पुलिस सुस्त हो गई है तो वह फिर से पुलिस अधीक्षक से मिलीं और तांत्रिक को गिरफ्तार करने की मांग की. एसपी के आदेश पर एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय के नेतृत्व में एक पुलिस टीम महाराष्ट्र भेजी गई.

20 नवंबर को एसआई धीरेंद्र पांडेय स्थानीय पुलिस के साथ सावरगढ़ गांव में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार करने गए तो गांव वालों ने इस का विरोध किया. इस के बावजूद पुलिस तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार कर के एवतमाल कोतवाली ले आई.

अपने इलाके में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री की अच्छी छवि थी, इसलिए आसपास के गांवों के करीब 2 हजार लोग कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने कोतवाली पर प्रदर्शन करते हुए मोरेश्वर शास्त्री को छोड़ने की मांग की. लोगों की भीड़ को देखते हुए एसपी ने आसपास के थानों की पुलिस को कोतवाली एवतमाल भेज दिया. तब कहीं जा कर मामला कंट्रोल में आ सका.

एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय ने तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को स्थानीय न्यायालय में पेश कर के ट्रांजिट रिमांड पर उसे बस्ती ले आए. तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने बस्ती के सीजेएम की कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पुष्पलता पांडेय को इस बात का अफसोस है कि पढ़ीलिखी होने के बावजूद भी उन्होंने ढोंगी तांत्रिक की बातों पर विश्वास कर के अपना एक लाख रुपए का नुकसान किया. पता नहीं मोरेश्वर लोगों को बेवकूफ बना कर कितने पैसे ठग चुका होगा, अगर वह चुप बैठ जाती तो पता नहीं वह कितनों को और ठगता. लोगों को चाहिए कि वे ऐसे ठग तांत्रिकों के बहकावे में न आएं.

जाहिर है, झाड़फूंक और तंत्रमंत्र से बच्चे पैदा नहीं होते. अगर किसी की इस तरह की कोई समस्या है तो योग्य डाक्टर से इलाज कराए. इस के अलावा आईवीएफ टेस्ट ट्यूब जैसी प्रणाली भी निस्संतान दंपतियों के लिए वरदान साबित हो रही है. पुष्पलता पांडेय की बहू भी इन में से कोई लाभ ले सकती थी. झाड़फूंक, तंत्रमंत्र तो केवल एक छलावा है.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जी.बी. रोड कोठे में खून – भाग 3

आगरा से दबोच लिए हमलावर

आगरा गई टीम को बड़ी कामयाबी मिली. उन्होंने हैप्पी और उस के छोटे भाई काका को घर से दबोच लिया. उन्हें दिल्ली लाया गया. यहां उन्हें धारा 307/309/341 भादंवि और 25/27/54/59 आम्र्स एक्ट में गिरफ्तार कर लिया गया.

हैप्पी को अब समझ में आया, 50 हजार का ईनाम क्या था?

पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने और काका ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उन्होंने संगरूर (पंजाब) के अपने तीसरे साथी अनिल उर्फ हनी को भी गिरफ्तार करवा दिया. हनी छोटेमोटे अपराध करता था. दिखाने को वह मोटर मैकेनिक का काम करता था. उस के पिता बलविंदर कुमार को बेटे की करतूतें पता थीं. उस के पकड़े जाने पर वह गहरी सांस ले कर रह गए.

तीनों से पूछताछ करने पर वारदात के पीछे की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

हैप्पी को बचपन से ही अमीर बनने की लालसा थी. वह ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सका था. कक्षा 9 तक वह गिरतेपड़ते पहुंच पाया था. संगत आवारा लडक़ों के साथ लगी तो स्कूल छूट गया. पिता गोपी उर्फ चूरामन राजमिस्त्री का काम करता था. हैप्पी को यह काम पसंद नहीं था, वह नमकीन की फैक्ट्री में काम करने लगा, लेकिन यहां इतने पैसे नहीं मिलते थे कि अमीर बनने का ख्वाब पूरा होता.

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लिहाजा हैप्पी ने अपने भाई काका और एक दोस्त जो उस के साथ ही पढ़ता था, गौरव को साथ ले कर एक टीम बनाई और लूटपाट शुरू कर दी. इस से मौजमस्ती का साधन तो जुटने लगा, लेकिन रुपया जमा करने लायक दांव कभी नहीं लगा. फिर पिता काम के सिलसिले में पंजाब के जिला संगरूर गए तो उसे और काका को भी साथ जाना पड़ा.

यहां पड़ोस में रहने वाला हनी उस से टकरा गया. अनिल उर्फ हनी भी छोटीमोटी लूटपाट करता था. हैप्पी ने उसी के साथ लूटपाट का काम शुरू कर दिया. काका को एक रिश्तेदार दिल्ली ले गया, जहां वह मिठाई की दुकान पर लग गया. यह दुकान मयूर विहार फेज-1 में थी.

हैप्पी और अनिल उर्फ हनी ने एक व्यक्ति को सरेराह लूट लिया था, उन्हें लोगों ने पकड़ कर ठोका फिर पुलिस के हवाले कर दिया. दोनों को जेल हो गई. दोनों ने एक साल साथसाथ जेल काटी तो उन की दोस्ती पक्की हो गई.

बिहार से खरीदी पिस्टल

जेल से छूटने के बाद हैप्पी को संगरूर छोडऩा पड़ा. उस का पिता गोपी उसे आगरा ले आया और यहां गुल्ला पियाऊ में किराए पर रहने लगा. कुछ दिन तक हैप्पी ने शांत रह कर नमकीन की एक फैक्ट्री में काम किया. इन्हीं दिनों एक दोस्त राडी के साथ उसे एक शादी में बिहार के नवगछिया में गोपालपुर जाना पड़ा. यहां हैप्पी को मालूम हुआ कि देशी पिस्टल आसानी से मिल जाती है, बस जेब गरम होनी चाहिए.

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हैप्पी पिस्टल खरीद लेना चाहता था ताकि कोई मोटा कांड कर के अमीर बन जाए. उस वक्त उस के पास रुपए नहीं थे, इसलिए वह आगरा लौट आया. वहां वह पैसा जोडऩे की जुगत में लग गया ताकि पिस्टल खरीद सके. तभी काका दिल्ली से घर आ गया. उस से हैप्पी को मालूम हुआ कि जिस मिठाई की दुकान पर काका काम करता है, उस के पास त्यौहार पर नोट बरसते हैं. हैप्पी की खोपड़ी में उसी मिठाई की दुकान को लूटने के लिए प्लान आने लगे.

8 मार्च, 2023 की होली थी. होली पर भी खूब मिठाइयां बिकती हैं. अभी होली को 8 दिन शेष थे. काका पैसा कमा कर लौटा था. कुछ रुपया हैप्पी के पास भी था. वह छोटे भाई काका को ले कर 5 मार्च, 2023 को बिहार के नवगछिया गया और सुजीत कुमार नाम के लडक़े से 31 हजार रुपए में देशी पिस्टल, 6 राउंड और 2 मैगजीन खरीद लीं. वहां से कटिहार एक्सप्रैस पकड़ कर 7 मार्च, 2023 को काका के साथ दिल्ली आ गया.

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दुकान लूटने से पहले पहुंचे जी.बी. रोड

दिल्ली लौटने से पहले उस ने नवगछिया से ही अपने संगरूर वाले दोस्त अनिल उर्फ हनी को भी दिल्ली आने के लिए फोन कर दिया था. सुबह वे नई दिल्ली स्टेशन पर उतरे थे. हनी भी 9 मार्च को दोपहर में एक बजे के आसपास पंजाब संगरूर से दिल्ली आ गया.

उन्हें 8 मार्च को मयूर विहार फेज-1 में मिठाई की दुकान लूटनी थी. काफी समय पड़ा था. तीनों ने उस दिन मौजमस्ती करने का मन बनाया.

तीनों पैदल ही टहलते हुए जी.बी. रोड आ गए. उन्हें कोठा नंबर 52 के नीचे दलाल इमरान चौधरी मिल गया. वे तीनों को खूबसूरत लडक़ी मौजमस्ती के लिए दिलवाने को कोठे के ऊपर ले आया. यहां तीनों को राधा पसंद आ गई.

राधा के साथ मौजमजे के लिए 1500 रुपए में बात तय हुई. तभी नीचे से 2 लोग ऊपर आ गए. वे इन तीनों को घेर कर तलाशी लेने लगे. हैप्पी ने पैंट में सामने पिस्टल छिपा रखी थी. कहीं पिस्टल इन लोगों के हाथ न लगे, यह सोच कर उस ने पिस्टल निकाल कर काका की तरफ बढ़ा दी.

पिस्टल पर राधा की नजर पड़ी तो वह डर गई. उस ने शोर मचाया, “ये बदमाश लोग हैं. पुलिस बुलाओ.”

“हां, पुलिस बुलाओ, इन के पास पिस्टल है.” इमरान भी चीखा.

पकड़े जाने के डर से हैप्पी ने काका की ओर देख कर कहा, “गोली चला, गोली चला काके.”

काके ने लोडिड पिस्टल से गोलियां चला दीं. एक गोली राधा के सीने में लगी, दूसरी इमरान के कंधे में घुस गई. दोनों नीचे गिर पड़े तो चीखें सुन वहां कुछ लोग दौड़ कर आते नजर आए.

“भागो…” हनी चीखा.

तीनो सीढिय़ों की तरफ भागे और पिस्टल लहराते हुए धमकी देते तीनों नीचे उतर कर अजमेरी गेट की तरफ भागते चले गए. मौके पर काका चीखा, “कोई पीछे आया तो भून दूंगा.”

तीनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर ले लिया. हैप्पी को साथ ले कर वह बिहार में नवगछिया गए, जहां सुजीत कुमार 19 साल का लडक़ा मिला. उसी ने 31 हजार रुपए में हैप्पी को वह पिस्टल बेची थी.

सुजीत कुमार यादव ने पुलिस को बताया कि उसे वह पिस्टल एक पौलीथिन में रास्ते में पड़ी मिली थी, जिसे उस ने हैप्पी को बेच दी थी.

पुलिस टीम उसे भी पकड़ कर दिल्ली ले आई. काके से पिस्टल भी बरामद हो गई. पुलिस ने चारों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

15 दिन में सुनाया फैसला : मुजरिम को सजा ए मौत – भाग 3

सैफ ने 9 साल के मासूम अरहान के साथ कुकर्म किया था. चूंकि अरहान सैफ को अच्छी तरह पहचानता था, इसलिए उसे सैफ जिंदा नहीं छोड़ सकता था. उस के साथ कुकर्म करने के बाद उस ने स्प्रिंग वाली तार से अरहान का गला घोंट दिया था.

“अरहान की लाश कहां पर है?” जसवीर सिंह ने पूछा.

“मैं ने उस की लाश को नाले में फेंक दिया था.”

यह जानकारी मिलते ही कोतवाल अरहान के पिता अफजल और पुलिस दल को साथ ले कर सैफ की निशानदेही पर उस नाले के पास आ गए, जिस में वह अरहान की लाश फेंकने की बात कह रहा था.

झाडिय़ों में मिली अरहान की लाश

उस के बताए स्थान पर अरहान का शव तलाशा गया तो वह एक कंटीली झाडिय़ों में फंसा हुआ दिखाई दे गया. अब तक मेवाती मोहल्ला औरंगाबाद में 9 साल के मासूम बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या करने और शव को नाले में फेंकने की खबर फैल चुकी थी. पूरा मेवाती मोहल्ला ही नाले की ओर उमड़ आया. यह नाला मोहल्ले से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित था.

भारी भीड़ को देख कर कोतवाल जसवीर सिंह ने लापता बच्चे अरहान के साथ घटित शर्मसार कर देने वाली घटना की जानकारी एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय को दे दी. उन्होंने पुलिस कप्तान को यह भी बता दिया कि इस घटना को सुन कर मोहल्ले के लोगों की भीड़ नाले पर आ गई है. भीड़ आक्रोश में है. कोई अप्रिय घटना न घट जाए, इस के लिए पुलिस बल भेजने की उन्होंने बात की.

थोड़ी ही देर में एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय भारी पुलिस बल ले कर खुद घटनास्थल पर आ गए. भीड़ की ओर से अभी तक कोई अनुचित कदम नहीं उठाया गया था. हां, लोगों में अभियुक्त सैफ के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था. परिजनों का रोरो कर बुरा हाल था.

एसएसपी शैलेष कुमार के साथ आई पुलिस फोर्स ने भीड़ को नाले से दूर हटाना शुरू कर दिया. सैफ भारी पुलिस फोर्स के घेरे में था. बच्चे का शव निकाल लेने के बाद एसएसपी शव की बारीकी से जांच करने में जुटे थे. फोरैंसिक टीम भी वहां आ गई थी.

सैफ को उस जगह लाया गया, जहां उस ने बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या कर दी थी. फोरैंसिक टीम ने वहां से महत्त्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र किए. वह स्प्रिंग तार भी वहीं पड़ी मिल गई, जिस से सैफ ने बच्चे का गला घोंटा था. आवश्यक काररवाई निपटा लेने के बाद अरहान का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. सैफ को थाने लाने के बाद एसएसपी शैलेष कुमार के सामने उस से पूछताछ की गई.

पहचानने की वजह से किया अरहान का मर्डर

सैफ ने बताया कि उस की नीयत कई दिनों से अरहान पर थी. वह अरहान को अपने करीब लाने के लिए टौफी, बिसकुट और अन्य चीजें खिलाता रहता था. 9 वर्षीय अरहान नासमझ था, वह रोज अपने ताऊ की दुकान पर चला जाता था. सैफ उसी दुकान पर ही रहता था, वहीं वह अरहान को खिलातापिलाता था.

अरहान उस के ऊपर आंख बंद कर के विश्वास करने लगा तो सैफ ने 8 अप्रैल, 2023 को अपने मालिक से शाम को बहाना बना कर छुट्टी ली और अफजल के घर की तरफ चला गया. उसे मालूम था अरहान शाम को बच्चों के साथ घर के सामने खेलता है. अरहान उसे खेलता मिल गया. उस ने इशारे से अरहान को पास बुलाया और उसे ले कर नाले की तरफ जाने लगा.

अरहान ने उस तरफ जाने का कारण पूछा तो सैफ ने झूठ बता दिया कि उस ने खाने की बहुत सारी चीजें नाले की ओर छिपा कर रखी हैं, वहां हम पार्टी करेंगे. अरहान खुशीखुशी उस के साथ नाले के पास की झाडिय़ों में आ गया.  यहां सैफ ने उसे जबरन नीचे गिरा कर दबोच लिया और जबरन उस के साथ कुकर्म करने लगा. वह अरहान का मुंह बंद किए रहा, ताकि वह चीख न सके. अरहान दर्द से तड़प कर बेहोशी की हालत में आ गया.

कामपिपासा शांत होने के बाद सैफ डर गया कि यदि घर पहुंच कर अरहान ने अपनी अम्मी और अब्बू को यह सब बता दिया तो वे लोग उसे जिंदा दफन कर देंगे. भयभीत हो कर उस ने अरहान का गला साथ लाई स्प्रिंग तार से घोंट दिया, फिर शव को नाले में फेंक कर घर चला गया. उस ने एसएसपी के सामने भी अरहान के साथ कुकर्म करने और उस की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया.

मोहम्मद सैफ द्वारा जुर्म कुबूल करने के बाद कोतवाल ने उस के खिलाफ चार्जशीट बना कर उसे न्यायालय में पेश की. बाद में यह जघन्य हत्या का मामला पोक्सो कोर्ट में चला और मात्र 15 दिन में इसे निपटा कर माननीय जज राम किशोर यादव ने त्वरित न्याय करने की मिसाल कायम कर दी.

इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करने वाली एडवोकेट अलका उपमन्यु की पूरे मथुरा शहर में चर्चा है. सभी उन की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. क्योंकि उन्हीं की वजह से मोहम्मद सैफ को फांसी की सजा मिली.

कोर्ट द्वारा मोहम्मद सैफ को सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने मुजरिम को कस्टडी में ले लिया. फिर उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा इस केस के वकीलों से की गई बातचीत पर आधारित

जी.बी. रोड कोठे में खून – भाग 2

कागजी काररवाई पूरी कर के खान ने राधा के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की इजाजत दे दी. खान वहां नहीं रुके. वह थाने में लौट आए. उन्होंने अपनी रिपोर्ट एसएचओ सत्येंद्र दलाल को दे दी. राधा की मौत की खबर डीसीपी संजय कुमार सैन को दे दी गई. उन्होंने राधा की हत्या को बड़ी गंभीरता से लिया.

पुलिस टीमों का किया गठन

अज्ञात हत्यारों की तलाश करने के लिए सत्येंद्र दलाल की अगुवाई में एसआई गिरिराज, नूर हसन खान, एएसआई महेश सिंह, आदेश धामा, हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र की एक टीम गठित की. साथ ही स्पैशल स्टाफ के अलावा क्राइम ब्रांच की औपरेशन विंग को भी उन अज्ञात हत्यारों की तलाश में लगा दिया.

तीनों टीमों ने संयुक्त काररवाई करने के लिए सब से पहले अपनी कार्यप्रणाली पर गहनता से विचार किया. सब से पहले अस्पताल में दाखिल इमरान चौधरी को बयान देने की स्थिति में आने पर उस का बयान लिया गया. इमरान चौधरी से पूछताछ भी की गई.

उस से मालूम हुआ कि तीनों युवकों की उम्र ज्यादा नहीं थी. उन में एक की भाषा में पंजाबी पुट था. शायद वह पंजाब से था. शेष दोनों यूपी की भाषा बोल रहे थे. एक का नाम काका था, पिस्टल से उसी ने राधा और उस पर (इमरान) गोलियां चलाई थीं.

गोली चलाने की वजह इमरान ने रुपयों के लेनदेन में गड़बड़ी करने पर तूतूमैंमैं होना बताया. उन की तलाशी लेने के लिए राधा ने उस से कहा तो एक लडक़े ने अपनी पैंट में सामने खोंस कर रखी पिस्टल निकाल कर काका को रखने को दी थी.

राधा ने यह देख कर पुलिस बुलाने के लिए शोर मचाया. कोठे के 2-3 लोग भी शोर सुन कर वहां आ गए. तब पिस्टल देने वाला चिल्ला कर बोला, “काके, गोली चला.” उस के यह कहते ही काका ने फायरिंग कर दी, जिस से मैं और राधा घायल हो गए. मैंने उन तीनों को सीढिय़ों से भागते देखा, मैं घायल हो गया था, गिर पड़ा. फिर पुलिस की वैन मुझे और राधा को यहां हौस्पीटल में ले आई.

इमरान ने उन लडक़ों का हुलिया भी बताया. उसी आधार पर पुलिस टीमों ने कोठा नंबर 52 के नीचे सडक़ पर सीसीटीवी ढूंढ कर उन्हें चैक किया. 2 से 3 बजे दोपहर तक की फुटेज देखी गई. उस में बहुत से चेहरे थे. शंकर और भूरे ने उन लडक़ों को पास से देखा था. उन्हें वह फुटेज दिखाई गई तो उन्होंने 3 लडक़ों को पहचान कर बता दिया कि ये वही 3 लडक़े हैं.

डंप डाटा से मिला सुराग

सीसीटीवी में उन के चेहरे स्पष्ट नहीं थे. उन को अजमेरी गेट की तरफ भाग कर जाने की बात बताई गई थी. अजमेरी गेट पर भी सीसीटीवी लगे थे. वहां की फुटेज देखी गई तो वे तीनों यहां भी अस्पष्ट नजर आए.

स्पैशल टीम और औपरेशन विंग ने यहां आधुनिक तकनीक का सहारा लिया. कोठा नंबर 52 और अजमेरी गेट के एरिया का मोबाइल डंप डाटा उठाया गया. कोठा नंबर 52 में घटी घटना के बाद वहां करीब 20 हजार फोन ऐक्टिव थे. अजमेरी गेट पर 15 हजार फोन की ऐक्टिव पोजिशन मिली.

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इन की बड़ी बारीकी से जांच की गई तो कुछ नंबर दोनों जगह पाए गए. इसी तकनीक को आजमाते हुए परेड ग्राउंड होते हुए कश्मीरी गेट बस अड्डा पहुंच गई. हर जगह के सीसीटीवी की फुटेज खंगाली गई और डंप डाटा उठाया गया. इस जांच में पता चला कि तीनों लडक़े कश्मीरी गेट बस अड्डा आए थे, यहां से वे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे थे.

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर भी उन लडक़ों की सीसीटीवी में फुटेज मिल गई. यहां का भी डंप डाटा उठाया गया. पुलिस का अनुमान था कि वे ट्रेन पकड़ कर दिल्ली से बाहर चले गए हैं.

अब पुलिस के पास डंप डाटा ही उन लडक़ों तक पहुंचने का जरिया था. पुलिस की टीमें मोबाइल डंप डाटा की जांच में जुट गईं. पुलिस टीम को डंप डाटा में एक नंबर ऐसा मिला, जो हर जगह मौजूद था.

उस नंबर को मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी में दे कर यह मालूम किया गया कि यह नंबर किस का है और कहां इस्तेमाल किया जा रहा है. मोबाइल कंपनी ने बताया कि यह नंबर दिल्ली का नहीं, राजस्थान का है. वहीं जा कर इस को इस्तेमाल करने वाले का नाम पता मिल सकता है.

पुलिस के लिए यह एक नई सिरदर्दी थी, लेकिन इस का सोल्यूशन भी निकल गया. कमला मार्किट थाने के तेजतर्रार एसआई गिरिराज ने मुसकरा कर कहा, “सर, यह फोन कौन यूज कर रहा है, इस का पता मीनू मैडम निकाल सकती हैं.”

एएसआई मीनू बाला वहीं मौजूद थी. वह चौंक कर बोली, “मैं कैसे पता निकाल सकती हूं?”

“आप को बकरे के सामने चारा डालना है मैडम,” एसआई गिरीराज ने कहा. फिर गिरिराज ने एएसआई मीनू बाला को समझा दिया कि उन्हें क्या करना है.

एएसआई मीनू ने चलाया तीर

एएसआई मीनू बाला ने अपने मोबाइल डंप डाटा द्वारा हासिल किया गया नंबर मिलाया. दूसरी ओर घंटी बजी, फिर किसी ने फोन उठा लिया. मीनू बाला ने स्पीकर औन कर लिया. दूसरी ओर कुछ देर खामोशी रही फिर एक मरदाना आवाज उभरी,

“हैलो! आप को किस से बात करनी है?”

मीनू ने आवाज को सुरीला बना कर कहा, “आप बहुत भाग्यशाली हैं. आप का नंबर हमारी मोबाइल कंपनी ने लक्की ड्रा में डाला था. आप का दूसरा ईनाम निकला है. आप को 50 हजार रुपए मिलेंगे.”

“50 हजार का ईनाम.” दूसरी तरफ से खुशी से कोई बोला, “मेरी तो किस्मत खुल गई.”

“आप अपना नाम, पता बताइए ताकि 50 हजार का ईनाम आप को भेजा जा सके और हां अपनी फोटो भी भेज दीजिए.”

“ठीक है मैम. आप मेरा एड्रैस नोट करिए.”

“एक मिनट, मैं कागज पैन ले लूं.” मीनू बाला ने पास में खड़े हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र को इशारा किया. धर्मेंद्र ने तुरंत पैन कागज मीनू बाला को दे दिया.

“बताइए,” मीनू ने कहा.

“मेरा नाम हैप्पी है, पिता का नाम गोपी उर्फ चूरामन है. मेरा मूल पता डूंगर वाला, पोस्ट थाना- शाइपू, जिला धौलपुर (राजस्थान) है. फिलहाल मैं पिता और भाई के साथ मुल्ला पियाऊ, महारानी अहिल्या बाई स्कूल आगरा में रह रहा हूं.”

“अपना फोटो मुझे वाट्सऐप पर भेज दीजिए. मेरा नंबर आप के पास आया होगा.”

“जी हां मैडम. मैं अपना फोटो भेज रहा हूं.” दूसरी तरफ से कहने के बाद बात खत्म हो गई.

थोड़ी ही देर में हैप्पी ने अपना फोटो मीनू बाला के वाट्सऐप पर भेज दिया. देखते ही मीनू बाला की आंखों में चमक आ गई.

उस ने अपनी खुशी छिपा कर कहा, “मिस्टर हैप्पी, आप को आज ही 50 हजार रुपए एमओ द्वारा भेज दिए जाएंगे.” कहने के बाद मीनू बाला ने फोन काट दिया.

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वहां एसएचओ सत्येंद्र दलाल, एसआई नूर हसन खान, गिरिराज और हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र के अलावा औपरेशन विंग और स्पैशल स्टाफ के लोग मौजूद थे. सभी ने हैप्पी की फोटो देखी. हैप्पी वही लडक़ा था, जो अपने साथियों के साथ कोठा नंबर 52 से वारदात को अंजाम दे कर भागा था.

तुरंत उसे गिरफ्तार करने के लिए एसआई गिरिराज, नूर हसन खान, एएसआई महेश सिंह और औपरेशन विंग के 3 हट्टेकट्टे पुलिस वालों की टीम आगरा के लिए भेज दी गई.

15 दिन में सुनाया फैसला : मुजरिम को सजा ए मौत – भाग 2

अफजल का इकलौता बेटा था अरहान

आखिर यह पूरा मामला क्या था? आइए, इस पर एक नजर डालते हैं. उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा के मेवाती मोहल्ला औरंगाबाद थाना सदर बाजार में रहते थे अफजल. परिवार में उन की पत्नी नाजिस और एक 9 साल का बेटा अरहान था.

अरहान अफजल का इकलौता बेटा था, इसलिए दोनों मियांबीवी उसे बहुत प्यार करते थे. उसे लाड़प्यार से पाल रहे थे. अफजल को उम्मीद थी कि पढ़लिख कर एक दिन अरहान बहुत बड़ा आदमी बनेगा और उन के दिन संवर जाएंगे. अरहान को लिखानेपढ़ाने में अफजल मियां कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे थे. वह दिन भर कड़ी मेहनत कर के रुपया कमाते और अरहान की स्कूल की जरूरत का सारा सामान दिलवाते.

दिन हंसीखुशी से बीत रहे थे कि 8 अप्रैल, 2023 की शाम को अरहान लापता हो गया. न वह गलीमोहल्ले में कहीं मिल रहा था न बाजारहाट में. वह गली में खेलतेखेलते गायब हुआ था. नाजिस ने उसे घर में से ही दोचार बार आवाज दी थीं, फिर उत्तर न मिलने पर वह घर से बाहर आ गई थी. अरहान गली में दिखाई नहीं दे रहा था. नाजिस ने उसे पहले आसपड़ोस में ढूंढा. वह नहीं मिला तो उस के पिता अफजल को बताया.

अफजल ने बेटे को हर संभावित जगह पर तलाश किया. वह अपने बड़े भाई की दुकान पर भी अरहान को देखने गए, क्योंकि अरहान अकसर अपने ताऊ की दुकान पर चला जाया करता था. उस दिन वह ताऊ की दुकान पर नहीं गया था. हर जगह तलाश करने के बाद अफजल परेशान हो कर मोहल्ले के 2-3 पहचान वालों को साथ ले कर कोतवाली सदर बाजार पहुंच गए.

कोतवाल जसवीर सिंह के सामने पहुंच कर अफजल ने अपने 9 वर्षीय बेटे के लापता होने के बारे में बताया, “सर, मुझे बहुत घबराहट हो रही है. मेरा बेटा शाम से गली में खेलते हुए गायब हो गया है. आप उस की तलाश करवाइए.”

एसएचओ जसवीर सिंह ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया. बच्चा मासूम था, उस के साथ कुछ भी अनहोनी होने का अंदेशा था.

“आप बच्चे का हुलिया, उम्र आदि दर्ज करवा दीजिए. उस की कोई फोटो हो तो वह भी दे दीजिए. मैं आप के बच्चे की तलाश करने की कोशिश करता हूं. आप अपने स्तर पर भी उसे ढूंढिए.” अफजल ने अपने बेटे अरहान की गुमशुदगी दर्ज करवा कर उस का एक फोटो भी कोतवाल साहब को दे दिया.

सीसीटीवी कैमरे से मिला सुराग

पुलिस ने पहले इस मामले की गुमशुदगी दर्ज की, लेकिन जब उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो अज्ञात के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कर लिया. इस मामले को स्वयं कोतवाल जसवीर सिंह ने अपने हाथ में लिया और इस की विवेचना शुरू कर दी.

उन्होंने एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय को इस बच्चे की गुमशुदगी की जानकारी दे कर दिशानिर्देश मांगे. एसएसपी के दिशानिर्देश पर कोतवाल जसवीर सिंह ने जांच की शुरुआत अरहान के घर के आसपास से की. गली में उस के साथ खेलने वाले बच्चों से पूछताछ की तो उन से मालूम हुआ कि शाम को अरहान उन के साथ खेल रहा था, फिर वह अपने ताऊ की दुकान की ओर किसी के साथ जाता दिखाई दिया था. वह व्यक्ति कौन था, वे उसे नहीं पहचानते.

इस जानकारी से कोतवाल को यह पता चल गया कि अरहान किसी ऐसे शख्स को जानता है, जो उस के बहुत करीब रहा है. उसी के साथ वह ताऊ की दुकान की तरफ गया था. जसवीर सिंह ने उस शख्स के बारे में मालूम करने के लिए सीसीटीवी फुटेज देखने का मन बना लिया. जहां पर अरहान के ताऊ की दुकान थी, उस रास्ते में 3-4 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. पुलिस ने उन कैमरों की फुटेज निकलवा कर देखी तो उन्हें अरहान एक पतलेदुबले युवक के साथ जाता हुआ नजर आ गया.

उस युवक की पहचान करने के लिए अरहान के पिता अफजल को थाने में बुलवाया गया. अफजल को सीसीटीवी कैमरे की वह फुटेज दिखाई गई.

“क्या आप इस युवक को पहचानते हैं?” कोतवाल ने अफजल से पूछा.

“यह तो मोहम्मद सैफ है. मेरे बड़े भाई की दुकान पर काम करता है.” अफजल ने हैरान हो कर कहा, “इस के साथ अरहान कई बार घूमने जाता रहा है, यह अच्छा व्यक्ति है.”

“हूं.” कोतवाल ने सिर हिलाया, “मैं इस से मिलना चाहूंगा.”

“यह दुकान पर होगा. आप मेरे साथ चलिए.”

कोतवाल जसवीर सिंह 2 पुलिसकर्मियों को साथ ले कर अफजल के साथ उस के भाई की दुकान पर आ गए. उन्हें वहां सीसीटीवी में नजर आने वाला युवक सैफ मिल गया.

पुलिस की बंदरघुडक़ी आई काम

पुलिस को दुकान पर देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया. जसवीर सिंह की पैनी नजरों से यह छिप नहीं पाया. उन्होंने पुलिसकर्मियों को इशारा किया, “मोहम्मद सैफ को हिरासत में ले लो.”

उन का आदेश मिलते ही पुलिसकर्मियों ने सैफ को पकड़ लिया. उसे पुलिस वैन में बिठा कर थाने में लाया गया. अफजल भी उन के साथ आए थे.

सैफ को सामने बिठा कर कोतवाल ने उस से सख्ती से पूछा, “अरहान कहां पर है सैफ?”

“मैं क्या बताऊं साहब… वो अपने घर में ही होना चाहिए.” सैफ नजरें झुका कर बोला.

“कल शाम को वह तुम्हारे साथ था. मेरे पास इस का ठोस सबूत है, तुम ठीकठीक बता दो वरना पुलिस वाले तुम्हारी चमड़ी उधेडऩे के लिए डंडा ले कर खड़े हैं.”

“मैं सही कह रहा हूं साहब, मैं नहीं जानता.”

जसवीर सिंह ने उस के गाल पर करारा थप्पड़ जड़ दिया, वह कुरसी से दूर जा गिरा. जसवीर सिंह के पास में खड़ा पुलिस कांस्टेबल उसे उठा कर दूसरे कमरे में ले गया. तभी बेंत ले कर 2 पुलिस वाले वहां और आ गए. एक पुलिस वाले ने सैफ के दोनों हाथ पीछे कर के बांध दिए.

इस से सैफ डर गया. वह समझ गया कि अब उस के साथ ये पुलिस वाले क्या करेंगे. इस से पहले कि वह पुलिस वाले कोई काररवाई करते, सैफ डर कर बोला, “सर, आप मुझे मारना मत, मैं सब बताता हूं.”

तभी एक पुलिसकर्मी कोतवाल को बुला लाया.

कोतवाल ने कडक़ स्वर में पूछा, “बता अरहान कहां है?”

“साहब, मैं ने उसे मार दिया है…” सैफ ने जैसे ही यह कहा, बराबर के कमरे में बैठे अफजल के कानों में भी यह आवाज आ गई. वह अपनी जगह गश खा कर गिर पड़े. वहां मौजूद कांस्टेबल उन्हें उठा कर बाहर बेंच पर ले गया और उन्हें होश में लाने की कोशिश में लग गया. कोतवाल जसवीर सिंह गहरी सांस ले कर रह गए. सैफ कुबूल कर रहा था कि उस ने अरहान को मार डाला है.

“तुम ने अरहान को क्यों मार दिया, उस बच्चे ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?” सैफ को फाड़ खाने वाली नजरों से देखते हुए जसवीर सिंह ने पूछा.

अरहान की हत्या का जो कारण सैफ ने बताया, उसे सुन कर कोतवाल और पुलिस कांस्टेबल के सिर शर्म से झुक गए.

जी.बी. रोड कोठे में खून – भाग 1

7 मार्च, 2023 को दोपहर 2 बज कर 10 मिनट पर पीसीआर द्वारा थाना कमला मार्किट को सूचना दी गई कि जी.बी. रोड (श्रद्धानंद माग) पर स्थित कोठा नंबर 52 में किसी ने ताबड़तोड़ गोलियां चला दी हैं, जिस में एक महिला और एक युवक घायल हो गए हैं. जल्दी घटनास्थल पर पहुंचें.

यह काल एएसआई मीनू बाला ने अटेंड की. उस ने तुरंत इसे एसआई नूर हसन खान को बता कर उचित निर्णय लेने के लिए कह दिया. अपनी रवानगी जी.बी. रोड के लिए दर्ज करने के बाद एसआई नूर हसन खान, हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र को साथ ले कर जी.बी. रोड के लिए रवाना हो गए.

घटनास्थल ज्यादा दूर नहीं था. 15-20 मिनट में ही एसआई नूर हसन खान कोठा नंबर 52 पर पहुंच गए. यह रेड लाइट एरिया था, यहां जिस्म का बाजार लगता है. मनचले शौकीन लोग कामना की भूख शांत करने के लिए इस बाजार की सीढिय़ां नापते हैं. दिन में तमाशबीन कोठों के छज्जों पर जिस्म की नुमाइश करने वाली देहबालाओं को ललचाई नजरों से देख कर आहें भरते रहते हैं. जिन की जेब में नोटों की गरमी होती है, वह पसंद आने वाली देह बाला को बाहों में भरने के लिए कोठे की सीढिय़ां चढऩे में संकोच नहीं करते.

पहले रात को तो यहां पूरी रौनक होती थी, घुंघरुओं की खनक और तबलों की धमक से कोठे गूंजते रहते. मुजरे महफिलें सजतीं, जाम छलकते और नर्तकी अपने नृत्य व अदा से लोगों का दिल जीतने की कोशिश करती थी, लेकिन यहां के कोठों में मुजरा तो लगभग बंद ही हो चुका है. अब तो मुख्य धंधा जिस्मफरोशी का ही रह गया है.

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एसआई नूर हसन खान और हैडकांस्टेबल सीढिय़ां चढ़ कर ऊपर आए. दरवाजे के साथ वाले कमरे में खून बिखरा हुआ था, सीढिय़ों पर और सामने वाले कमरे में भी ताजा खून पड़ा था. जो लोग गोली लगने से घायल हुए थे, वे वहां नहीं थे.

पुलिस को ऊपर आया देख कर इस कोठे की संचालिका पार्वती उन के सामने आ गई.

“घायल कहां है?” नूर हसन खान ने कोठा संचालिका को ऊपर से नीचे तक देख कर पूछा.

“उन्हें पीसीआर वैन एलएनजेपी हौस्पीटल ले गई है. मेरी बेटी राधा की हालत बहुत खराब है साहब.” पार्वती रुआंसी आवाज में बोली, “मैं वहीं जा रही थी कि आप आ गए.”

“यहां क्या लफड़ा हुआ था? गोली किस ने चलाई?” खान ने पार्वती को घूरते हुए पूछा.

“वे 3 लडक़े थे साहब, शक्लसूरत से गंवार और बदमाश नजर आ रहे थे. उन्होंने राधा की डिमांड की तो बात 1500 रुपए में तय हो गई. फिर पता नहीं क्यों उन में से एक ने पिस्टल निकाल कर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. गोली राधा और इरफान को लगी. दोनों नीचे गिरे तो मैं दौड़ी. तब तक वे तीनों पिस्टल लहराते हुए भाग निकले. कुछ लोगों ने उन का पीछा किया, लेकिन वे हाथ नहीं आए.”

“गोलियां चलीं, उस वक्त का कोई चश्मदीद यहां मौजूद है क्या?”

“जी हां.” पार्वती ने 2-3 नाम ले कर आवाज लगाई तो 2 व्यक्ति वहां आ गए. उन में से एक का चेहरा लंबूतरा और दागदार था. उस का रंग सांवला था. दूसरे के चेहरे पर दाढ़ीमूंछ नहीं आई थी. वह पहले वाले की अपेक्षा नाटा और गोरी रंगत वाला युवक था.

“शंकर, भूरे साहब तुम से कुछ पूछना चाहते हैं.” पार्वती ने उन दोनों से कहा फिर एसआई खान से बोली, “साहब, घटना के वक्त यही दोनों यहां मौजद थे.”

“तुम दोनों यही रहते हो?” खान ने पूछा.

“जी साहब,” उन्होंने सिर हिला कर एक साथ कहा.

“राधा और इरफान पर हमला करने की वजह क्या थी?”

“साहब, यह हम नहीं जानते. राधा के साथ उन लडक़ों का किस बात पर झगड़ा हुआ, हमें नहीं मालूम. राधा और इरफान ने उन के पास पिस्टल देख कर शोर मचाया था कि पुलिस को बुलाओ. उन की तेज आवाजें सुन कर हम दोनों दौड़ कर आए तो हम ने एक लडक़े के हाथ में पिस्टल देखा.

अपने को घिरा देख कर और पुलिस बुलाने की बात सुन कर उन में से एक ने चीख कर कहा था, ‘काके गोली चला.’ बस उस लडक़े ने जिस का नाम काका था, ताबड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू कर दी.

“गोली राधा के सीने में लगी, दूसरी इरफान के कंधे में. वे दोनों नीचे गिरे तो तीनों भाग निकले. काका नाम का लडक़ा पिस्टल लहरा कर चीख रहा था, “पीछे मत आना वरना मैं भून कर रख दूंगा.” साहब वे तीनों भागते हुए अजमेरी गेट की तरफ निकल गए और भीड़ में गायब हो गए.”

“अगर वे पकड़ में आएं तो तुम दोनों उन्हें पहचान लोगे?”

“हां साहब.”

पुलिस अधिकारियों ने किया घटनास्थल का निरीक्षण

एसआई खान ने सब से पहले यहां की घटना से एसएचओ कमला मार्किट सत्येंद्र दलाल, डीसीपी संजय कुमार सैन और एडिशनल डीसीपी, पुलिस का स्पैशल स्टाफ, फोरैंसिक टीम को अवगत करा दिया. वे सब थोड़ी देर में ही घटनास्थल पर आ गए.

घटनास्थल का उन्होंने बारीकी से निरीक्षण किया. हत्या करने वाले अज्ञात लडक़े संख्या में 3 बताए गए थे, लेकिन वे कहां से आए थे, कौन थे, सब कुछ अंधेरे में था.

डीसीपी संजय कुमार सैन ने एसएचओ सत्येंद्र दलाल को कुछ निर्देश दिए. इंसपेक्टर सत्येंद्र दलाल ने एसआई खान को एलएनजेपी हौस्पीटल के लिए रवाना कर दिया और खुद वहां की काररवाई निपटाने में व्यस्त हो गए.

एसआई नूर हसन खान जब एलएनजेपी हौस्पीटल में पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि कोठे से यहां पहुंचाते वक्त राधा ने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया था. कोठे पर दलाली करने वाला इमरान चौधरी बुरी तरह जख्मी था. डाक्टर उस के कंधे में धंसी गोली निकाल कर ड्रेसिंग कर चुके थे, लेकिन अभी वह बयान देने की स्थिति में नहीं था.

एसआई नूर हसन खान ने राधा की डैडबौडी की अच्छे से जांच की. उस के सीने में गोली लगी थी, अत्यधिक गहरा जख्म और खून काफी मात्रा में बह जाने से उस की मौत हो गई थी.

राधा देखने में सुंदर, युवा सैक्स वर्कर थी. उस की उम्र 30 वर्ष थी. अब उस के ऊपर हमला करने की धारा 302 में तब्दील हो गई थी. उस के हत्यारे को पकडऩा बहुत आवश्यक हो गया था.

15 दिन में सुनाया फैसला : मुजरिम को सजा ए मौत – भाग 1

इस धरती पर इंसान के रूप में ऐसे हैवान भी मौजूद हैं, जो अपनी काम पिपासा शांत करने के लिए किसी भी लडक़ी अथवा लडक़े को अपना शिकार बना लेते हैं. उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले का रहने वाला सैफ नाम के दरिंदे ने तो एक ऐसे मासूम पर नुकीले दांत गड़ा दिए, जो मात्र 9 साल का था. अभी उस ने न दुनिया को ठीक से देखा था, न समझा था. हंसतेखेलते उस मासूम के साथ सैफ ने कुकर्म ही नहीं किया, बल्कि उसे मौत की नींद भी सुला दिया था.

इस कृत्य और जघन्य हत्या के लिए सैफ को पोक्सो कोर्ट के कटघरे में खड़ा किया गया. यह पोक्सो कोर्ट मथुरा में थी और इस के जज थे राम किशोर यादव. उन की कोर्ट में 28 अप्रैल, 2023 को इस केस की चार्जशीट दाखिल की गई थी. 2 मई को अभियुक्त पर चार्ज लगाया गया.

अभियुक्त सैफ की ओर से बचाव पक्ष के रूप में बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव साहब सिंह देशकर पैरवी कर रहे थे और अभियोजन पक्ष का जिम्मा जिला शासकीय अधिवक्ता (स्पैशल) अलका उपमन्यु ने संभाला था. इस केस में 14 गवाह पेश किए गए. पहली गवाही 8 मई को हुई और अंतिम गवाह 18 मई को पेश हुआ.

आज 22 मई, 2023 का दिन था. उस दिन इस जघन्य मामले में फाइनल बहस होनी थी. सुबह से ही कोर्टरूम में मीडियाकर्मी, मथुरा बार एसोसिएशन के वकील, पुलिस के आला अधिकारी. मृतक बच्चे के घर वाले, पासपड़ोस के लोग और शहर के कई प्रतिष्ठित नागरिक जमा हो गए थे.

इस केस की शासन और प्रशासन की ओर से मौनिटरिंग हो रही थी. डीएम पुलकित खरे, एसएसपी शैलेष कुमार पांडे, संयुक्त निदेशक अभियोजन सहसेंद्र मिश्रा इस मामले पर पैनी नजर रख रहे थे. वह इस वक्त कोर्टरूम में मौजूद थे. वहीं जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम तरकर तथा सदर कोतवाल जसवीर सिंह (जिन्होंने इस केस की छानबीन की थी) कोर्ट रूम में उपस्थित थे.

कोर्ट रूम में बने कटघरे में इस जघन्य कांड का आरोपी सैफ खड़ा था. बीच में लंबी मेज के पास लेखाकार के साथ बचाव पक्ष के वकील साहब सिंह देशकर बैठे हुए थे. उन के सामने मेज की दूसरी ओर अभियोजन पक्ष की वकील अलका उपमन्यु बैठी हुई इस केस की फाइल को गहरी नजरों से देख रही थीं.

दिलचस्प रही वकीलों की जिरह

जैसे ही कोर्टरूम की घड़ी ने 10 बजाए, अपने चैंबर से निकल कर माननीय जज राम किशोर यादव अपनी कुरसी के पास आ गए. कोर्ट में मौजूद हर शख्स ने सम्मान में उठ कर उन का अभिवादन किया. अभिवादन स्वीकार कर के जज महोदय अपनी कुरसी पर बैठ गए.

“कोर्ट की काररवाई शुरू की जाए. बचाव पक्ष अपनी दलील पेश करें.” माननीय जज ने साहब सिंह की ओर देख कर कहा.

साहब सिंह देशकर अपने काले कोट को दुरुस्त करते हुए उठे और गंभीर आवाज में बोले, “मी लार्ड, मैं मानता हूं मेरे मुवक्किल सैफ ने जघन्य गुनाह किया है. उस के विरुद्ध पुलिस ने ठोस साक्ष्य भी एकत्र कर के कोर्ट में पेश किए हैं, लेकिन मैं यही कहूंगा कि जिस वक्त सैफ ने यह गुनाह किया, वह बहुत नशे में था. नशा करने वाला व्यक्ति नशे में यह भूल जाता है कि वह जो कर रहा है या करने जा रहा है, वह गलत है. मेरे मुवक्किल ने जो भी किया वह नशे में किया है, उसे इस का अफसोस भी है.”

“इस के अफसोस करने से क्या वह मासूम बच्चा जीवित हो कर वापस आ जाएगा, जो इस की हैवानियत की भेंट चढ़ गया.”

अभियोजन पक्ष की वकील अलका उपमन्यु तमक कर खड़ी होते हुए गुस्से से बोलीं, “मी लार्ड, इस व्यक्ति ने ऐसा गुनाह किया है, जो क्षमा करने योग्य नहीं है. ऐसे व्यक्ति को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए.”

“नहीं मी लार्ड,” बचाव पक्ष के वकील देशकर विनती करते हुए बोले, “मेरा मुवक्किल शादीशुदा है इस के छोटेछोटे बच्चे हैं. यह अपने बूढ़े मांबाप का बोझ भी उठाता है. इस के जेल चले जाने से इस के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा.”

“यह सब कुछ गुनाह करने से पहले सोचना चाहिए,” अलका उपमन्यु व्यंग्य से बोलीं.

“मैं ने कहा न, यह उस समय गहरे नशे में था. नशे में ही इस से गुनाह हो गया है.”

“मी लार्ड, जिस मासूम बच्चे को इस नराधम ने मौत के घाट उतारा है, वह अपने मांबाप की इकलौती संतान था. उस के पिता उसे इस उम्मीद से पालपोस कर बड़ा कर रहे थे कि वह बड़ा हो कर उन के बुढ़ापे की लाठी बनेगा. इस ने उन की लाठी तोड़ दी. उन के बुढ़ापे का सहारा छीन लिया. इसे कठोर से कठोर दंड मिलना ही चाहिए.”

माननीय जज राम किशोर यादव ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद गंभीर स्वर में कहा, “यह सिद्ध हो गया है कि कटघरे में खड़े इस शख्स सैफ ने जघन्य गुनाह किया है. स्वयं इस के वकील मिस्टर देशकर अपने मुंह से कुबूल कर रहे हैं कि इस ने जघन्य अपराध किया है, लेकिन नशे में किया है.

“मिस्टर देशकर यह नशे में था, इस बात को पुलिस नहीं मानती. इसे गिरफ्तार किया गया, तब यह पूरी तरह होशोहवास में था और यह बात इस से भी सिद्ध होती है कि बच्चे के साथ कुकर्म करने के बाद इस का दिमाग सचेत था, तभी तो इस ने सोचा कि यदि बच्चे को जिंदा छोड़ा तो बच्चा इस की पहचान और नाम बता सकता है.

“इसी भय से इस ने बच्चे की गला घोंट कर हत्या कर दी. इसलिए नशे में अपराध करने वाली बात का कोई तर्क नहीं बनता. इस पर रहम नहीं किया जा सकता. मैं इसे दोषी मानता हूं. 26 मई, 2023 को इस पर आरोप तय होगा और सोमवार 29 मई को इसे सजा सुनाई जाएगी. कोर्ट तब तक के लिए स्थगित की जाती है.”

कोर्ट की काररवाई समाप्त कर के जज महोदय अपने चैंबर में चले गए. कोर्ट रूम में मौजूद लोग एकदूसरे से बातें करते हुए बाहर निकल गए.

मुजरिम को सजा ए मौत

26 मई, 2023 को एक बार फिर से पोक्सो कोर्ट में जज राम किशोर यादव की अदालत लगी. 22 मई को कोर्ट रूम में जितनी भीड़ थी, उस से कहीं अधिक भीड़ कोर्ट रूम में उस दिन आई. जज महोदय ने ठीक 10 बजे अपनी कुरसी पर आ कर बैठे तो सभी की निगाहें उन की ओर हो गईं कि पता नहीं जज साहब क्या आरोप तय करेंगे.

उन्होंने अभियुक्त सैफ पर आरोप तय करने के लिए कहना शुरू किया, “सैफ को बच्चे के साथ कुकर्म कर के तार से उस का गला घोंट कर मार देने का आरोप सिद्ध हो गया है. इसे भारतीय दंड विधान की धारा 302 में आजीवन कारावास और 50 हजार रुपयों का जुरमाना लगाया जाता है.

धारा 377 भादंवि में 10 वर्ष का कठोर कारावास और 20 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया जाता है. धारा 363 में 5 वर्ष सश्रम दंड और 20 हजार का आर्थिक जुरमाना. धारा 201 में 7 वर्ष का कठोर कारावास और 10 हजार रुपए का जुरमाना लगाया जाता है. वसूली का 80 प्रतिशत हिस्सा प्रतिकर के रूप में मृतक के मांबाप को दिया जाएगा.”

इस के बाद कोर्ट की अगली तारीख सोमवार तय कर के कोर्ट स्थगित कर दी गई.

29 मई, 2023 को पोक्सो कोर्ट के जज राम किशोर यादव ने सैफ को सभी धाराओं में दोषी करार देते हुए कहा, “मासूम के साथ कुकर्म और उस की हत्या का दोषी मोहम्मद सैफ धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (यथा संशोधित 2019) के अंतर्गत मृत्युदंड से दंडित किया जाता है. सैफ को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए, जब तक इस के प्राण न निकल जाएं.” जज महोदय ने सजा सुनाने के बाद अपने पैन की निब तोड़ दी और उठ कर अपने चैंबर में चले गए.

पोक्सो कोर्ट ने त्वरित न्याय का उदाहरण पेश कर के मात्र 15 दिन में अपना फैसला सुनाया. इस फैसले की सभी ने भूरिभूरि प्रशंसा की. मृतक बच्चे की मां नाजिस और पिता अफजल फूटफूट कर रोने लगे. उन का कहना था कि आज हमारे बेटे अरहान को न्याय मिला है. त्वरित काररवाई से हम संतुष्ट हैं. आज न्यायाधीश ने सच्चा न्याय किया है. उन के रुदन को देख कर एडवोकेट अलका उपमन्यु की भी आंखें भर आईं. वह मुंह घुमा कर रूमाल से अपने आंसू पोंछने लगीं.

गोवा की खौफनाक मुलाकात

समस्या समाधान के नाम पर ठगी

42 वर्षीय इंदरजीत कौर अकसर बीमार रहती थी. तमाम डाक्टरों से उस का इलाज चला, लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ. उस के पिता हरवंश सिंह एक सरकारी मुलाजिम थे. बेटी को ले कर वह बड़ा परेशान रहते थे. इंदरजीत कौर के अलावा उन के 2 बेटे भी थे.

हरवंश सिंह दक्षिणी दिल्ली के नेहरूनगर में परिवार के साथ रहते थे. छोटा परिवार होने के बावजूद वह हमेशा परेशान रहते थे. उन की यह परेशानी बेटी इंदरजीत कौर को ले कर थी. अब तक शादी के बाद उसे ससुराल में होना चाहिए था, लेकिन बीमारी की वजह से उस की शादी नहीं हो पाई थी. इस के अलावा दूसरी परेशानी बड़े बेटे को ले कर थी, जो शादी के 8 सालों बाद भी बाप नहीं बन पाया था. तीसरी परेशानी छोटे बेटे को ले कर थी, जो अभी तक बेरोजगार था.

इंदरजीत कौर पिता को अकसर समझाती रहती थी कि वह चिंता न करें, सब ठीक हो जाएगा. लेकिन वह ङ्क्षचता से उबर नहीं पा रहे थे. परिवार की जिम्मेदारी एक तरह से इंदरजीत ही संभाले थी. हरवंश सिंह सेवानिवृत्त हुए तो फंड के उन्हें जो 15 लाख रुपए मिले, उन में से 12 लाख रुपए उन्होंने इंद्रजीत के नाम जमा करा दिए थे. इस पर बेटों ने कोई ऐतराज नहीं किया था.

रिटायर होने के कुछ ही महीने बाद हरवंश सिंह की मौत हो गई थी. उन के मरने के 4 महीने बाद ही उन की पत्नी की भी मौत हो गई. 4 महीने में ही मांबाप दोनों की मौत हो जाने से इंदरजीत को गहरा सदमा लगा था. उन के मरने के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उसी पर आ पड़ी थी.

हरवंश सिंह ने अपना एक फ्लैट कुसुमा को किराए पर दे रखा था. उन के मरने के बाद इंदरजीत ने वह फ्लैट खाली कराना चाहा तो उस ने फ्लैट खाली करने से साफ मना कर दिया, जिस का मुकदमा रोहिणी कोर्ट में चल रहा है.

इंदरजीत शारीरिक रूप से तो परेशान थी ही, मानसिक तौर पर भी परेशान रहने लगी थी. उस के छोटे भाई की उम्र 36 साल हो चुकी थी, उस की अभी तक न तो नौकरी लगी थी और न ही शादी हुई थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि इन परेशानियों से कैसे निजात पाया जाए.

6 सितंबर को इंदरजीत के मोबाइल फोन पर एक एसएमएस आया, जिस में लिखा था, ‘जानिए कैसे होगा आप की समस्या का समाधान? नौकरी, व्यापार में घाटा, शादी, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्यार में असफलता, शौतन से छुटकारा, मुठकरनी आदि समस्याओं के समाधान की 100 प्रतिशत गारंटी.’

इंसान तमाम तरह की परेशानियों से घिरा हो और कोशिश करने के बावजूद उस की मुश्किलें कम न हो रही हों तो इस तरह के मैसेज में उसे समस्याओं का हल दिखाई देने लगेगा. मैसेज के अंत में एक फोन नंबर भी दिया था. मैसेज पढऩे के बाद इंदरजीत ने सोचा कि क्यों न वह एक बार उस फोन नंबर पर बात कर के देखे. शायद यहां उस की समस्याएं हल ही हो जाएं. इसी उम्मीद में इंदरजीत ने अपने फोन से मैसेज में दिए नंबर 012048823333 पर फोन किया.

दूसरी ओर से फोन रिसीव किया गया तो उस ने अपनी सारी समस्याओं के बारे में विस्तार से बता दिया. उधर से बाबा त्यागी, जिस ने फोन उठाया था, भरोसा दिया कि उस की समस्या का समाधान तो हो जाएगा, लेकिन वह एक घंटे बाद दोबारा करे. बाबा त्यागी ने दोबारा बात करने के लिए दूसरा फोन नंबर दे दिया था.

इंदरजीत कौर ने एक घंटे बाद बाबा द्वारा दिए नंबर पर फोन किया तो उधर से बाबा त्यागी ने कहा, “बच्चा, हम ने अपनी गद्दी पर बैठ कर अपने ईष्ट से बात कर ली है, पता चला है कि तुम परेशानियों से घिरी पड़ी हो.”

“हां बाबा, आप बिलकुल सही कह रहे हैं.” इंदरजीत ने कहा.

“तुम्हारे ऊपर दुष्ट प्रेतात्माओं के साथ एक भयानक जिन्न कब्जा जमाए है, इसी वजह से तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं रहती. बच्चा अगर तुम ने इन से छुटकारा पाने का कोई उपाय नहीं किया तो तुम्हारे घर में जल्दी ही 3 मौतें और हो सकती हैं.” तांत्रिक ने कहा.

“मौतेंऽऽ,” इंदरजीत कौर ने घबरा कर पूछा, “किसकिस की?”

“तुम्हारे बड़े भाईभाभी और छोटे भाई की,” बाबा ने कहा, “अगर तुम इस कहर से बचना चाहती हो तो तुम्हें तुरंत पूजा करवानी होगी.”

“पूजा में कितना खर्च आएगा बाबा?”

“यही कोई 80-90 हजार रुपए.”

घर की परेशानियों से छुटकारा के लिए इंदरजीत तैयार हो गई. उस ने कहा, “ठीक है बाबा, मैं पूजा कराने को तैयार हूं. आप तैयारी कीजिए. बताइए, पैसे ले कर कहां आना है?”

“तुम्हें मेरे पास आने की कोई जरूरत नहीं है. मैं तुम्हें आईसीआईसीआई बैंक का एक एकाउंट नंबर बता रहा हूं. तुम उसी में पैसे जमा कर के मुझे फोन कर दो. इस के बाद मैं पूजा शुरू कर दूंगा.” कह कर तांत्रिक ने आईसीआईसीआई बैंक का एकाउंट नंबर मैसेज कर दिया.

अगले दिन यानी 7 सितंबर को इंदरजीत कौर ने आईसीआईसीआई बैंक के एकाउंट में 80 हजार रुपए जमा करा कर तांत्रिक को फोन कर दिया. तांत्रिक ने बताया था कि पूजा श्मशान में होगी और पूरे 3 दिनों तक चलेगी.

पैसे जमा कराए एक महीने से ज्यादा हो गया, लेकिन इंदरजीत कौर को कोई फायदा नजर नहीं आया. उस ने बाबा को फोन किया तो फोन बाबा के बजाय उन के किसी चेले ने उठाया. उस का नाम सुनील कुमार था. उस ने कहा, “अभी तो बाबा पूजा करने उज्जैन गए हैं, वहां से एक महीने बाद लौटेंगे.”

इंदरजीत कौर ने 2 बार फोन किया तो दोनों बार फोन सुनील ने ही रिसीव किया. उस ने दोनों बार वही बताया. इस के बाद उस ने जब भी फोन किया, फोन सुनील ने ही रिसीव किया. हर बार उस ने वही बहाना बना दिया.

आखिर एक दिन बाबा ने फोन रिसीव किया. उस ने कहा, “कहो बच्चा, कैसे हो?”

“बाबा, मैं जैसी पहले थी, वैसी ही अभी भी हूं. मुझे कोई फर्क नजर नहीं आया.” इंदरजीत ने कहा.

“मैं तुम्हें फोन करने वाला था,” बाबा ने कहा, “मुझे लगा था कि दुष्ट आत्माएं काबू में आ गई होंगी, लेकिन वे इतनी दुष्ट हैं कि उन्हें काबू करने के लिए हमें बड़ी पूजा करनी पड़ेगी. अगर यह पूजा न की गई तो तुम्हारे यहां होने वाली मौतों को रोका नहीं जा सकता.”

इंदरजीत कौर बुरी तरह घबरा गई. वह अपने घर को उजड़ता नहीं देखना चाहती थी, इसलिए उस ने पूछा, “बाबा, बड़ी पूजा में कितना खर्च आएगा?”

“यही कोई एक लाख 30 हजार रुपए.” बाबा ने कहा.

इंदरजीत कौर ने अगले दिन अपने भारतीय स्टेट बैंक के खाते से एक लाख 30 हजार रुपए निकाल कर श्री शिवसेना समिति धार्मिक संस्थान के खाते में जमा करा दिए.

एक सप्ताह बीत गया, लेकिन इंदरजीत कौर की एक भी समस्या का समाधान नहीं हुआ. उस ने बाबा को फोन किया तो फोन सुनील ने रिसीव किया. उस ने बताया कि बाबा अभी श्मशान में शव साधना कर रहे हैं.

एक दिन बाद बाबा त्यागी ने खुद इंदरजीत कौर को फोन कर के कहा, “मैं ने जो शव साधना की है, उस से दुष्ट आत्माएं तो हमारी गिरफ्त में आ गई हैं, लेकिन वह जिन्न अभी काबू में नहीं आया है. उस के लिए हमें एक विशेष तरह का अनुष्ठान करना होगा, जिस के लिए कामाख्या मंदिर से गुरुजी को बुलाना होगा. गुरुजी श्मशान में 11 दिनों तक अनुष्ठान करेंगे.”

“बाबा आप को जो भी करना है, जल्दी कीजिए. इस में कितना खर्च आएगा, यह बता दीजिए.”

“इस अनुष्ठान में करीब 3 लाख रुपए खर्च हो जाएंगे.” बाबा त्यागी ने कहा.

“मैं कल ही 3 लाख रुपए आप के खाते में जमा करा दूंगी.” उस ने कहा और अगले दिन 3 लाख रुपए बाबा के बैंक खाते में जमा करा दिए.

अब तक इंदरजीत पूजा के नाम पर करीब 9 लाख रुपए बाबा के बताए बैंक खाते में जमा करा चुकी थी. पैसे जमा कराने के अगले दिन ही बाबा त्यागी ने फोन कर के कहा, “बेटा गजब हो गया, जो गुरुजी श्मशान में अनुष्ठान कर रहे थे, उन पर जिन्न ने हमला कर दिया. वह मरणासन्न हालत में हैं. उन का इलाज नहीं कराया गया तो उन की मौत हो सकती है. अगर उन की मौत हो गई तो इस का पाप तुम्हें ही लगेगा.”

“इस के लिए मुझे क्या करना होगा बाबा?”

“गुरुजी के इलाज के लिए संजीवनी बूटी मंगानी होगी, जिस पर 2 लाख रुपए का खर्च आएगा.”

इंदरजीत कौर अब तक पूजा के नाम पर 12 लाख रुपए तांत्रिक बाबा त्यागी के खाते में जमा करा चुकी थी. लेकिन फायदा कुछ नहीं हुआ था, इसलिए उसे शक होने लगा था कि कहीं वह किसी ठग के जाल में तो नहीं फंस गई है. इसलिए उस ने 2 लाख रुपए जमा करा दिए.

इंदरजीत कौर का छोटा भाई अपना कोई कारोबार शुरू करना चाहता था. उसे 8 लाख रुपए की जरूरत थी. उसी बीच उस ने बहन से ये रुपए मांगे तो उस ने रुपए बाबा त्यागी के खाते में जमा कराने की बात बता कर पैसे देने से मना कर दिया.

बहन की बात सुन कर छोटा भाई हैरान रह गया. उस ने अपना सिर पीट कर कहा, “पढ़ीलिखी होने के बावजूद दीदी तुम उस ढोंगी के जाल में कैसे फंस गईं? कम से कम मुझे तो बता देतीं. 3 साल से बाबा तुम्हें ठग रहा है और तुम ने कभी मुझ से चर्चा तक नहीं की.”

“क्या करूं भाई, उस ने मुझे इतना डरा दिया था कि मैं किसी से कुछ कह नहीं सकी.” कह कर इंदरजीत रोने लगी तो भाई ने उसे समझाते हुए कहा, “दीदी, तुम्हें अब पुलिस के पास जा कर उस ठग के खिलाफ रिपोर्ट लिखानी होगी. 12 लाख रुपए भले ही वापस न मिलें, लेकिन कम से कम उसे अपने किए की सजा तो मिलेगी.”

छोटे भाई की बात इंदरजीत कौर की समझ में आ गई. 24 नवंबर की शाम वह भाई के साथ थाना लाजपतनगर पहुंची और वहां मौजूद थानाप्रभारी रमेश कुमार कक्कड़ को पूरी बात बताई. इस के बाद इंदरजीत कौर की तहरीर पर थानाप्रभारी ने भादंवि की धारा 420/384/506134 के तहत मुकदमा दर्ज करा कर डीसीपी मंदीप सिंह रंधावा को पूरे वाकये से अवगत करा दिया.

एक पढ़ीलिखी महिला को जिस तरह से एक तांत्रिक ने ठगा था, उस से डीसीपी को लगा कि ढोंगी तांत्रिक बेहद शातिर है. उस तांत्रिक को गिरफ्तार करने के लिए उन्होंने एसीपी एस.के. केन के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित कर दी, जिस में थानाप्रभारी रमेश कुमार कक्कड़, इंसपेक्टर मानवेंद्र सिंह, प्रवीण कुमार, एसआई अमित भाटी, हैडकांस्टेबल सुधाकर, कांस्टेबल नीरज, संतोष, सुधीर आदि को शामिल किया गया.

इंदरजीत कौर के पास बाबा त्यागी का केवल फोन नंबर था. रमेश कुमार कक्कड़ ने उस ठग तांत्रिक को इंदरजीत के माध्यम से ही घेरने की योजना बनाई. उन्होंने इंदरजीत से बाबा त्यागी को फोन कराया. बाबा ने फोन उठाया तो इंदरजीत ने कहा,

“बाबा, अभी तक मुझे कोई फायदा नहीं हुआ. आप कुछ ऐसा कीजिए कि हमारे सारे दुख मिट जाएं. मैं इस के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं.”

“कामाख्या मंदिर वाले गुरुजी ने अनुष्ठान पूरा करने के बाद मुझे बताया था कि जिन्न और आत्माएं काबू में आ गई हैं. लेकिन जब तक तुम्हारे पिता का पिंडदान रामेश्वरम में नहीं कराया जाता, तब तक समस्याएं बनी रहेंगी.”

“तो फिर आप यह भी करवा दीजिए.”

“इस के लिए 33 ब्राह्मïणों को यज्ञ के लिए रामेश्वरम ले जाना होगा. ब्राह्मïणों का किराया, यज्ञ आदि पर कुल 1 लाख 80 हजार रुपए का खर्च आएगा.”

“ठीक है, मैं कल ही यह रकम दे दूंगी. लेकिन इस बार रकम बैंक में जमा नहीं करा सकती. क्योंकि मैं जब भी वहां पैसे जमा कराने जाती हूं, बैंक वाले पूछते हैं कि तुम इतनी बड़ीबड़ी रकम इस खाते में क्यों जमा कराती हो?” इंदरजीत कौर ने कहा.

बाबा त्यागी ने यूनियन बैंक औफ इंडिया का खाता नंबर दे कर उस में पैसे जमा कराने को कहा. इंदरजीत कौर थानाप्रभारी के कहे अनुसार काम कर रही थी. उन्होंने पैसे जमा कराने से मना किया तो शाम को बाबा त्यागी को फोन कर के इंदरजीत ने कहा, “बाबा, मैं बैंक में पैसे जमा कराने गई थी, बैंक वाले कह रहे थे कि इस खाते में 25 हजार रुपए से ज्यादा जमा नहीं कराए जा सकते. इसलिए आप कल अपना कोई आदमी भेज दीजिए, मैं उसे पूरे पैसे दे दूंगी.”

“ठीक है, कल सुबह मेरा आदमी तुम्हारे घर पहुंच जाएगा. तुम अपना पता मैसेज कर दो. लेकिन वह जिस टैक्सी से जाएगा, उस का किराया तुम्हें ही देना होगा.” बाबा त्यागी ने कहा.

“यही ठीक रहेगा. आप उन्हें भेज दीजिए. मैं उन्हें किराए के पैसे भी दे दूंगी.” कह कर इंदरजीत कौर ने फोन काट दिया.

25 नवंबर की सुबह थानाप्रभारी टीम के साथ आम कपड़ों में इंदरजीत कौर के घर के आसपास लग गए. सुबह 9 बजे के करीब एक टैक्सी इंदरजीत कौर के घर के सामने आ कर रुकी. टैक्सी से एक लडक़ा उतरा और इंदरजीत कौर के घर की डोरबैल बजा दी. इंदरजीत कौर ने दरवाजा खोला. युवक ने अपना नाम सुनील कुमार बताया.

इंदरजीत कौर उसे ड्राइंगरूम में ले आई. थानाप्रभारी अंदर ही बैठे थे. इंदरजीत ने उसे पानी पिलाया तो उस ने कहा, “मैडम, पैसे जल्दी दे दीजिए. बाबा ने मुझे जल्दी बुलाया है. अभी हमें पूजा का सामान वगैरह भी खरीदना है.”

इंदरजीत कौर ने अपने पर्स से थानाप्रभारी के हस्ताक्षर किए 5 हजार रुपए निकाल कर सुनील को देते हुए कहा, “पहले तुम टैक्सी के किराए के पैसे ले लो, बाकी के पैसे अभी दे रही हूं.”

पैसे गिन कर जैसे ही सुनील ने अपनी जेब में रखे, थानाप्रभारी ने उसे पकड़ लिया. इशारा करने पर मकान के बाहर मौजूद पुलिसकर्मी भी अंदर आ गए. सुनील को पूछताछ के लिए थाने लाया गया.

थाने में हुई पूछताछ में सुनील कुमार ने जो बताया, उस के बाद पुलिस ने उसी दिन उत्तर प्रदेश के महानगर गाजियाबाद की कालोनी राजनगर स्थित एक मकान में छापा मारा. वहां का नजारा देख कर पुलिस हैरान रह गई. वहां इस तरह के लोगों को फंसाने के लिए एक काल सेंटर चल रहा था. अलगअलग 12 केबिन बने थे, जिन में 5 लडक़े और 7 लड़कियां बैठी थीं.

पुलिस को देख कर सभी के होश उड़ गए. उन्हीं के बीच एक भव्य औफिस बना था, जिस में शेष नारायण दुबे और पवन कुमार पांडेय नाम के 2 लोग बैठे थे. सुनील की निशानदेही पर पुलिस ने उन दोनों को हिरासत में ले लिया. इस के अलावा काल सेंटर में काम करने वाले लडक़ेलड़कियों को भी पूछताछ के लिए थाने लाया गया.

थाने में हुई पूछताछ में पता चला कि ठगी का यह सारा मायाजाल शेष नारायण दुबे उर्फ बाबा त्यागी का रचा था.

32 वर्षीय शेष नारायण दुबे गाजियाबाद की इंदिरापुरम कालोनी में रहने वाले रामबहादुर दुबे का बेटा था. रामबहादुर पंडिताई करते थे. पिता की देखादेखी शेष नारायण कोई ऐसा काम करना चाहता था, जिस में कम खर्च में अच्छी आमदनी हो.

उस ने अपने करीबी रिश्तेदार पवन कुमार पांडेय और सुनील कुमार से बात की तो उन्होंने तंत्रमंत्र के नाम पर ठगी का कारोबार करने की सलाह दी. इस के बाद शेषनारायण को बाबा त्यागी बना कर कारोबार शुरू भी कर दिया गया. इन्होंने शहर के राजनगर में एक कमरा किराए पर लिया, जिस में उन्होंने दरजन भर कंप्यूटर लगा कर लड़कियों व लडक़ों को नौकरी पर रख लिया.

इस के बाद मोबाइल कंपनी से हजारों ग्राहकों के फोन नंबर और पते हासिल किए. उन में से रोजाना कुछ नंबरों पर कालसेंटर द्वारा समस्याओं के समाधान के मैसेज भेजे जाने लगे. हर कोई किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होता ही है, इसलिए अंधविश्वासी लोग मैसेज में दिए फोन नंबर पर समस्या के समाधान के लिए फोन करने लगे. ये लोग उन्हें परिवार के सदस्यों की मौत का भय दिखा कर बैंक खाते में मोटी रकम जमा करवाने लगे.

दिल्ली के लाजपतनगर के नेहरूनगर की रहने वाली इंदरजीत कौर को भी इन्होंने उस के भाइयों व भाभी की मौत का भय दिखा कर 12 लाख रुपए ठग लिए थे. पूछताछ में पता चला कि ये लोग अब तक करीब 3 सौ लोगों को इसी तरह ठग चुके हैं.

इन के कालसेंटर पर नौकरी करने वाले लडक़ेलड़कियों को पुलिस ने हिदायत दे कर छोड़ दिया. शेष नारायण दुबे उर्फ बाबा त्यागी, पवन कुमार पांडेय और सुनील कुमार को 26 नवंबर को न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया है.

पुलिस ने इन के कालसेंटर को सील कर दिया है. कथा लिखे जाने तक इन में से किसी की भी जमानत नहीं हुई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित