
बाप बेटे क्यों बने जल्लाद
बेटी की इस गुहार पर भी पिता कृपाराम व भाई राघवराम का दिल नहीं पसीजा. आरती जब बीच में आई तो राघव ने डंडे से उसे भी मारना शुरू कर दिया. सिर में डंडा लगने से वह बेहोश हो गई. फिर रस्सी से बापबेटे ने उस का गला कस दिया.
आरती को मारने के बाद उन दोनों ने सतीश को भी पीटपीट कर अधमरा कर दिया. आपत्तिजनक हालत में आरती व सतीश के पकड़े जाने से दोनों का गुस्सा सातवें आसमान पर था. गुस्से में उन्होंने रस्सी से सतीश का गला भी कस दिया. कुछ देर छटपटाने के बाद सतीश ने वहीं दम तोड़ दिया.
इस सनसनीखेज डबल मर्डर के बाद दोनों पुलिस की गिरफ्त से बचने की जुगत करने लगे. वहीं लाशों को ठिकाने लगाने की योजना बनाने लगे. सतीश के शव को जंगल में छिपाने व आरती के शव को अयोध्या ले जा कर दफनाने की योजना बनाई गई. तय किया गया कि आरती के बारे में कोई पूछेगा तो कह देंगे कि रिश्तेदारी में गई है.
दोनों बापबेटे रात में ही एक चारपाई पर सतीश के शव को रख कर गांव से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर एक गन्ने के खेत में ले गए. दोनों ने शव को गन्ने के खेत में छिपा दिया. जिस रस्सी से सतीश का गला कस कर हत्या की थी, उसे भी चारपाई के साथ ही खेत में फेंक आए.
सतीश के शव को छिपाने के बाद अब रात में ही आरती का शव ठिकाने लगाना था. कृपाराम और राघवराम आरती के शव को कार से ले कर गांव से 20 किलोमीटर दूर अयोध्या पंहुचे. अयोध्या में सरयू नदी के किनारे श्मशान घाट पर एक बालू के टीले में शव को दफन कर गांव वापस आ गए और घर में शांत हो कर बैठ गए. ताकि किसी को दोहरे हत्याकांड का पता न चल सके.
लेकिन मंगलवार 21 अगस्त को सुबह सतीश के नहीं मिलने पर उस के घर वालों ने उसे बहुत तलाशा. जब उन्हें जानकारी हुई कि आरती भी घर पर नहीं है तो उन लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी. क्योंकि वे लोग भी आरती और सतीश के रिश्ते के बारे में जानते थे.
थाने में आरती के पिता कृपाराम चौरसिया ने कहा कि हमारे यहां गांव के लड़के से शादी नहीं होती है. सतीश भले ही हमारी जाति का था, लेकिन वह था तो हमारे गांव का ही. ऊपर से वह आरती का भाई लगता था. आरती किसी दूसरे गांव के लड़के से बोलती तो हम लोग उसकी शादी करवा देते.
हमारे घर से 20 मीटर की दूरी पर ही सतीश का घर था. रोज का आमनासामना होता था. वह बचपन से घर आताजाता था. दोनों साथ खेले, हम लोग उसे आरती का बड़ा भाई कहते थे. हम लोग आरती के साथ उस का रिश्ता कैसे मंजूर कर लेते?
3-4 महीने पहले दोनों को गांव के एक युवक ने साथसाथ देख लिया था. दोनों बाहर कहीं साथ में बैठे थे. इस बात की जानकारी उस ने हमें दी थी. जब आरती की घर पर बहुत पिटाई की थी. उस को सख्ती से मना किया था कि वह कभी सतीश से न मिले, लेकिन हफ्ते भर पहले वह सतीश से मिलने फिर चली गई.
इस के बाद आरती के घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी, लेकिन उस ने सतीश को 20-21 अगस्त की रात को घर बुला लिया. अगर हम अपनी बेटी को नहीं मारते तो वह हमें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ती.
सतीश की निर्मम हत्या किए जाने पर उस के घर में कोहराम मच गया. मां प्रभावती और भाई बहनों का रोरो कर बुरा हाल हो गया. सतीश के घर वाले और रिश्तेदार गम के साथ गुस्से में दिखे.
सतीश की मां प्रभावती का कहना था कि आरती के पिता कृपाराम चौरसिया, भाई राघवराम के साथ ही उस का चाचा आज्ञाराम और उस का बेटा विजय भी इस हत्याकांड में शामिल हैं. कृपाराम व राघवराम ने भी थाने में पुलिस को उन के नाम बताए थे. लेकिन पुलिस ने केवल बापबेटे को ही गिरफ्तार किया है.
आरती के पिता व भाई ने जुुर्म कुबूल कर लिया. इस से आरती के चाचा आज्ञाराम और उस के बेटे विजय को राहत मिली है. मगर सतीश की मां अपने बेटे को न्याय दिलाने की खातिर अभी भी मामले में आज्ञाराम व विजय को आरोपी बनाए जाने की मांग कर रही है.
उस का आरोप है कि जिस तरह से दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया है और दोनों की लाशों को घटनास्थल से हटाया गया है, उस में सिर्फ 2 लोग ही शामिल नहीं हो सकते. प्रभावती अंतिम सांस तक सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी काररवाई के लिए संघर्ष करने की बात कहती है.
गांव में हुए दोहरे हत्याकांड के खुलासे व आरती के पिता व भाई द्वारा हत्या करने का जुर्म कुबूल करने तथा दोनों की गिरफ्तारी से गांव के लोग सन्न रह गए. गिरफ्तारी के बाद आरती के अन्य परिजन घर में ताला लगा कर भाग गए थे. पूरे गांव में इसी घटना की चर्चा हो रही थी.
वहीं सतीश की हत्या की सूचना सोमवार को ही मोबाइल से पिता बिंदेेश्वरी प्रसाद चौरसिया को दी गई. वे ट्रेन से मुंबई से गांव पहुंच गए. वे अपने बेटे की हत्या पर फफकते हुए बोले, ”पता होता कि उस की हत्या कर दी जाएगी तो उसे भी अपने साथ मुंबई ले जाते. बेटे को तो न खोना पड़ता.’’
बिंदेश्वरी ने रोते हुए कहा कि फांसी की सजा देने का अधिकार तो सिर्फ अदालत को है, लेकिन बाप बेटे ने मिल कर जल्लाद की तरह मेरे जिगर के टुकड़े सतीश को फांसी दे दी.
औनर किलिंग के हत्यारों कृपाराम व राघवराम को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में एसएचओ सत्येंद्र वर्मा, एसआई विजय प्रकाश, हैडकांस्टेबल दया यादव, कुषार यादव, आशुतोष पांडे, अमरीश मिश्रा व कांस्टेबल रिषभ शामिल थे. एसपी अंकित मित्तल ने 24 घंटे में डबल मर्डर का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को पुरस्कृत किया.
गुमशुदगी की रिपोर्ट को भादंवि की धारा 302, 201 में तरमीम कर प्रेमी युगल आरती चौरसिया व सतीश चौरसिया की हत्या के आरोपी कृपाराम चौरसिया व उस के बेटे राघवराम चौरसिया को गिरफ्तार कर 23 अगस्त, 2023 को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया. जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.
एएसपी शिवराज
हंसते खेलते युवा प्रेमी युगल को मौत की नींद सुला दिया गया, जहां आदमी चांद पर पहुंच रहा है. जमाना चाहे कितना भी आगे बढ़ गया हो, लेकिन दकियानूसी सोच उन्हें आगे नहीं बढऩे दे रही. कृपाराम और राघवराम जैसे लोग समाज में नासूर बने हुए हैं, जो झूठी आन, बान और शान के लिए औनर किलिंग जैसे अपराध करते हैं.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
दिल्ली के डेरा टप्पेबाज गैंग ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों आगरा, मथुरा, लखनऊ, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर आदि शहरों में दरजनों वारदातें कर के काफी धन एकत्र किया. दिसंबर माह के पहले सप्ताह में टप्पेबाज गैंग के डेरा मुखिया विनेश, विकास, आकाश व राहुल अपने डेरे के 2-2 सदस्य ले कर कानपुर शहर आ गए.
कानपुर में इन लोगों ने रेलवे स्टेशन स्थित एक होटल में अपनी वैध आईडी दिखा कर 3 रूम बुक कराए और साथियों के साथ ठहर गए. इस होटल में रुक कर इन लोगों ने कई लोगों को टप्पेबाजी का शिकार बनाया.
इस के बाद इन लोगों ने क्राइम ब्रांच का सिपाही बता कर प्रमोद वर्मा को शिकार बनाया. प्रमोद की बिरहाना रोड पर ज्वैलरी शौप है. प्रमोद दोपहर में घर में रखे 250 ग्राम सोने के आभूषण ले कर अपनी दुकान पर जा रहे थे. जब वह खत्री धर्मशाला के पास पहुंचे, तभी 2 युवकों ने उन्हें रोक लिया और खुद को क्राइम ब्रांच का सिपाही बताते हुए बैग की तलाशी देने को कहा.
इस पर उन्होंने दुकान पर चल कर तलाशी लेने की बात कही तो उन्होंने हड़काते हुए क्राइम ब्रांच औफिस चलने को कहा. इस से घबरा कर उन्होंने बैग खोल दिया. एक ने बैग की तलाशी शुरू कर दी. दूसरे ने उन्हें नाम पता नोट करने में उलझा लिया.
कुछ देर बाद इन लोगों ने बैग लौटाते हुए कहा दुकान जाओ. प्रमोद ने दुकान जा कर बैग खोल कर देखा तो उस में पत्थर के टुकड़े थे. टप्पेबाज उन को शिकार बना कर फरार हो गए. प्रमोद ने थाना कलक्टरगंज में रिपोर्ट दर्ज कराई.
19 दिसंबर को टप्पेबाज विनेश और आकाश मोटरसाइकिल से झकरकटी स्थित गणेश होटल से शिकार की तलाश में निकले. मोटरसाइकिल विकास चला रहा था. जबकि पीछे की सीट पर विनेश बैठा था.
जब ये लोग यशोदानगर बाईपास पहुंचे तो वहां जाम लगा था. पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल की कार भी इसी जाम में फंसी थी. संजय पाल पीछे की सीट पर बैठे थे और नोटों से भरा बैग उन के पास रखा था. गाड़ी उन का ड्राइवर अरुण पाल चला रहा था.
जाम में फंसी संजय की गाड़ी पर टप्पेबाज विनेश व आकाश की नजर पड़ी. सीट पर रखा बैग देख कर उन दोनों की बांछें खिल उठीं. उन्होंने सहज ही अंदाजा लगा लिया कि बैग में मोटी रकम हो सकती है. उन्होंने संजय पाल को शिकार बनाने की ठान ली.
योजना के तहत उन्होंने कार का पीछा किया और विनेश ने जाम के चलते धीमी चल रही कार के बोनट पर मोबिल औयल गिरा दिया. संजय वन रोड पहुंचने पर विनेश ने ड्राइवर अरुण पाल को इंजन से औयल टपकने का इशारा किया. अरुण ने कार रोक दी. संजय पाल व ड्राइवर अरुण जब कार से उतरे, तभी टप्पेबाज आकाश व विनेश आ गए. उन्होंने चिली स्प्रे कार में छिड़क दिया.
गाड़ी चैक कर के संजय पाल व अरुण पाल आ कर गाड़ी में बैठे तो उन की आंखों में जलन होने लगी. दोनों आंखें मलते हुए गाड़ी के बाहर आए. इसी बीच विनेश ने नोटों से भरा बैग सीट से उठाया और बाइक की पिछली सीट पर जा बैठा. वहां से ये यशोदा नगर की ओर भाग गए.
यशोदा नगर बाईपास के पहले वृंदावन गार्डन के पास टप्पेबाज राहुल कार लिए खड़ा था. वह उन्हीं दोनों का इंतजार कर रहा था. कार में प्रेम, राजेश, नरेश, अनिकली व नाबालिग एस. विजय निवासन बैठे थे. आकाश व विनेश ने आते ही रुपयों से भरा बैग कार में बैठे लोगों को थमा दिया और खुद उन्नाव की ओर चले गए. राहुल कार ले कर वापस गणेश होटल लौट आया.
इधर टप्पेबाजों का शिकार हुए संजय पाल थाना किदवई नगर पहुंचे और थानाप्रभारी अनुराग मिश्रा को टप्पेबाजों द्वारा नोटों से भरा बैग पार करने की जानकारी दी.
पकड़े गए टप्पेबाज गैंग के प्रमुख आकाश, राहुल, विनेश, विकास से जब कड़ी पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि इन के अलावा शहर में एक और गैंग है, जो टप्पेबाजी कर पुलिस की नींद हराम किए हुए है. यह गैंग महाराष्ट्र का है.
इस गैंग में तमिलनाडु के सदस्य भी हैं. इस गैंग ने अनवरगंज क्षेत्र में कई वारदातें की थीं. इंसपेक्टर (अनवरगंज) मंसूर अहमद पुलिस टीम में शामिल थे. उन से पता चला कि टप्पेबाजों ने उन के थाना क्षेत्र में बांसमंडी के पास बिंदकी (फतेहपुर) निवासी आढ़ती जयकुमार साहू के साथ टप्पेबाजी की थी.
टप्पेबाजों ने उन से कहा कि उन की कार के पहिए से हवा निकल गई है. वह पहिया चैक करने उतरे. इसी बीच टप्पेबाजों ने उन की गाड़ी में रखा बैग पार कर दिया. बैग में ढाई लाख रुपए थे.
इस के बाद टप्पेबाजों ने लालगंज निवासी रेलवे ठेकेदार विजेंद्र सिंह तथा फर्रुखाबाद निवासी अतुल को शिकार बनाया. दोनों की कार से बैग उड़ाया गया था. विजेंद्र सिंह के बैग में लाइसेंसी पिस्टल, रुपए व जरूरी कागजात थे, जबकि अतुल के बैग में नकदी व कागजात थे. तीनों ने थाना अनवरगंज में टप्पेबाजों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
इंसपेक्टर मंसूर अहमद इन टप्पेबाजों को पकड़ने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी. पकड़े गए गैंग से मंसूर अहमद को कुछ क्लू मिला तो उन्होंने टप्पेबाजी करने वाले गैंग की टोह में मुखबिर लगा दिए. वह स्वयं भी प्रयास करते रहे. उन्होंने क्षेत्र के होटलों, विश्राम गृहों तथा रेलवे स्टेशन अनवरगंज में विशेष निगरानी शुरू कर दी.
4 जनवरी शुक्रवार की रात इंसपेक्टर मंसूर अहमद को खास मुखबिर से सूचना मिली कि टप्पेबाज गिरोह बांसमंडी तिराहे पर मौजूद है और किसी बड़ी वारदात की फिराक में है.
मुखबिर की इस सूचना पर विश्वास कर मंसूर अहमद बांसमंडी तिराहा पहुंचे और मुखबिर की निशानदेही पर एक महिला सहित 4 लोगों को हिरासत में ले लिया. सभी को थाना अनवरगंज लाया गया.
थाने पर जब उन से नामपता पूछा गया तो एक ने अपना नाम गणेश नायडू, दूसरे ने बाबू नायडू तथा महिला ने अपना नाम पार्वती नायडू बताया. पार्वती नायडू, गणेश नायडू की बहन थी जबकि बाबू नायडू उस का बेटा था. ये तीनों महाराष्ट्र के नदुरवार जिले के नवापुर के रहने वाले थे. चौथा व्यक्ति गणेश का रिश्तेदार चंद्रुक तेली था. वह तमिलनाडु के तिरुपुर जिले के उठकली का रहने वाला था.
पुलिस ने चारों की जामातलाशी ली तो उन के पास से करीब सवा लाख रुपए नकद, टायर कटर, गुलेल, छर्रे, मोबाइल तथा एटीएम कार्ड बरामद हुए. पूछताछ में टप्पेबाजों ने तीनों घटनाओं का खुलासा किया और कार से बैग उड़ाने की बात कबूली.
पुलिस ने इन टप्पेबाजों से करीब आधी रकम तो बरामद कर ली, लेकिन रेलवे ठेकेदार विजेंद्र सिंह की पिस्टल का पता नहीं चला. संभावना है कि गैंग का कोई अन्य सदस्य आधी रकम व पिस्टल ले कर किसी दूसरे जिले की ओर निकल गया हो.
30 दिसंबर को थाना किदवईनगर पुलिस ने टप्पेबाज गिरोह के 11 सदस्यों विनेश, विकास, आकाश, राहुल, प्रेम, नरेश, रामू, वरदराज, राजेश, अनिकली तथा नाबालिग को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से नाबालिग को छोड़ कर सभी को जेल भेज दिया गया. नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजा गया.
दूसरे टप्पेबाज गैंग को अनवरगंज पुलिस ने 5 जनवरी को रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से गणेश, बाबू, पार्वती, चंदुक तेली को जिला जेल भेज दिया गया.
गन्ने के खेत में मिला सतीश का शव
हत्या का जुर्म कुबूल करने के बाद पुलिस ने आरती के भाई राघवराम की निशानदेही पर गन्ने के खेत से सतीश का शव, चारपाई व रस्सी बरामद कर ली. फोरैंसिक टीम व डौग स्क्वायड को भी बुला लिया गया था. खोजी कुत्ता गन्ने के खेत के बाद दौड़ता हुआ राघवराम के घर पर जा पहुंचा.
फोरैंसिकटीम ने भी घटनास्थल से कुछ साक्ष्य जुटाए. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. वहीं आरती को बालू के टीले में दफन किए जाने की जानकारी पर एसएचओ सत्येंद्र वर्मा ने डीएम से अनुमति ली.
इस के बाद पुलिस टीम के साथ अयोध्या जा कर वहां के अधिकारियों से बात कर के सरयू नदी के किनारे बालू के टीले में दफन आरती का शव निकलवाया. मौके की काररवाई के बाद उस का अयोध्या में ही पोस्टमार्टम कराया गया.
सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड का पुलिस ने 24 घंटे के अंदर ही परदाफाश कर दिया. इस डबल मर्डर की दिल दहलाने वाली जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—
19 वर्षीय सतीश चौरसिया का गांव की ही रहने वाली 18 साल की आरती चौरसिया से पिछले लगभग 2 सालों से अफेयर चल रहा था. दोनों एक ही जाति के थे. गांव के नाते सतीश का आरती के घर आनाजाना था. दोनों ही जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थे.
सतीश कदकाठी का कसा हुआ नौजवान था. वह सुंदर भी था. आरती उस की ओर आकर्षित हो गई. जब भी सतीश घर पर आता, आरती उसे कनखियों से देखा करती थी. इस बात का आभास सतीश को भी था. वह भी मन ही मन आरती को चाहने लगा था.
अब दोनों का बचपन का प्यार जवान हो गया था. जब कभी दोनों की नजरें मिलतीं तो दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. दोनों के बीच घर वालों के सामने सामान्य बातचीत होती थी.
धीरेधीरे उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. अब दोनों की मोबाइल पर प्यार भरी बातें होने लगीं. फिर उन की अकसर गांव के बाहर चोरी छिपे मुलाकातें होने लगीं. प्रेमीयुगल एकदूसरे का हाथ थाम कर शादी करने का फैसला भी ले चुके थे.
सतीश ने आरती से साफ लहजे में कह दिया था, ”आरती, दुनिया की कोई ताकत हम दोनों को शादी करने से नहीं रोक सकती है. मैं ने तुम से सच्चा प्यार किया है और आखिरी सांस तक करता रहंूगा.’’
आरती ने भी मरते दम तक साथ निभाने का वादा किया.
आरती और सतीश खुश थे. दोनों अपने भावी जीवन के सपने देखते. दुनिया से बेखबर वे अपने प्यार में मस्त रहते थे. पर गांवदेहात में लव स्टोरी ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पाती. यदि किसी एक व्यक्ति को भी इस की भनक लग जाती है तो कानाफूसी से बात गांव भर में जल्द ही फैल जाती है.
किसी तरह आरती के घर वालों को भी इस बात का पता चल गया कि आरती का सतीश के साथ चक्कर चल रहा है. इस बात की जानकारी मिलने के बाद आरती के घर वाले कई बार विरोध कर चुके थे. विरोध के बाद सतीश का आरती के घर जाना बंद हो गया, लेकिन मौका मिलने पर दोनों चोरीछिपे मुलाकात जरूर कर लेते थे.
घर से निकलने पर क्यों लगाई पाबंदी
20-21 अगस्त, 2023 की रात को जब राघवराम घर आया, उस समय आरती और उस की मम्मी खाना बना रही थीं. पिता पास ही बैठे हुए थे. राघव पिता के पास जा कर बैठ गया. दोनों बाप बेटे कामकाज की बातें करने लगे. कुछ देर बाद खाना बन कर तैयार हो गया. तब मां ने आवाज लगा कर राघव व अपने पति को बुला लिया. दोनों खाना खाने किचन के पास पहुंच गए. किचन के पास ही बैठ कर चारों ने खाना खाया. ये लोग आपस में बात कर रहे थे, लेकिन आरती कुछ बोल नहीं रही थी.
आरती उन लोगों से नाराज थी. क्योंकि घर वाले एक हफ्ते से उसे घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे थे. दरअसल, आरती अपने प्रेमी सतीश से चोरीछिपे मिलती थी. जिस की जानकारी होने पर उस पर रोक लगाई गई थी.
आरती और सतीश के प्रेम प्रसंग की वजह से गांव में उन की बदनामी हो रही थी. जो घर वालों को बरदाश्त नहीं थी, लेकिन यह बात आरती नहीं समझ पा रही थी. वह तो सतीश के साथ शादी करने की जिद पर अड़ी हुई थी.
करीब एक हफ्ते से आरती घर वालों के डर से अपने प्रेमी सतीश से मिलने नहीं जा पा रही थी. उसे उन का यह फरमान नागवार गुजर रहा था. उधर सतीश भी आरती से मिलने के लिए बेचैन था. दोनों ही जल बिन मछली की तरह एकदूसरे के लिए तड़प रहे थे.
इस के चलते आरती ने फोन कर के सतीश को 20-21 अगस्त की रात को मिलने के लिए अपने घर के पीछे बुला लिया.
रंगेहाथों पकड़ा गया प्रेमी युगल
अपनी प्रेमिका आरती से मोबाइल पर बात होने के बाद सतीश ने घर वालों के सोने का इंतजार किया. रात साढ़े 12 बजे जब घर वाले सो गए तो वह बाहर की बैठक (कमरे) से निकल कर आरती के घर जा पहुंचा. उस समय आरती के घर वाले भी गहरी नींद में सोए हुए थे. आरती बेसब्री से उसी के आने की बाट जोह रही थी. उसे एकएक पल काटना भारी हो रहा था.
सतीश जैसे ही आरती के घर के पास पहुंचा, फोन करने पर आरती दरवाजा खोल कर बाहर आ गई. दोनों एकदूसरे का हाथ थामे वहीं घर के पीछे झाडिय़ों की आड़ में चले गए. वहां पहुंचते ही दोनों ने एकदूसरे को अपनी बांहों के घेरे में कस लिया. दोनों एकदूसरे से पूरे एक हफ्ते बाद मिले थे.
घर वालों से बेपरवाह हो कर युगल प्रेमी कानाफूसी में इतने मगन हो गए कि उन्हें किसी बात का अहसास ही नहीं हुआ. दोनों ही तनमन से प्यासे थे. वे अपने जज्बातों पर काबू नहीं कर पाए और दो तन एक हो गए.
रंगेहाथों पकड़े जाने पर डर की वजह से सतीश प्रेमिका के घर वालों से अपनी गलती की माफी मांगने लगा. मगर आरती के पिता व भाई के सिर पर खून सवार था. घर वाले दोनों को पकड़ कर पीटते हुए घर में ले आए. बापबेटे डंडे से सतीश की जम कर पिटाई करने लगे.
अपने प्रेमी की हालत देख कर आरती रो पड़ी. प्रेमी के साथ पकड़े जाने पर आरती ने पिता और भाई से उसे छोडऩे की काफी विनती की. आरती ने उन के सामने हाथ जोड़ कर कहा, ”मैं सतीश के साथ ही जीना और मरना चाहती हंू. इसलिए मारना है तो हम दोनों को ही मार दो, एक को नहीं.’’
पुलिस टीमों ने शहर के बाहर शिवली, घाटमपुर, महाराजपुर, जहानाबाद आदि कस्बों में टप्पेबाजी करने वालों की तलाश की. जेल से छूटे पुराने टप्पेबाजों को भी हिरासत में ले कर पूछताछ की गई, लेकिन कोई ऐसी जानकारी नहीं मिल सकी, जिस से संजय पाल से की गई टप्पेबाजी का खुलासा हो पाता.
पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल के साथ हुई टप्पेबाजी की वारदात एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी के क्षेत्र में हुई थी, इसलिए वह इस वारदात को ले कर कुछ ज्यादा प्रयासरत थीं. उन के दिशा निर्देश में काम कर रही टीम रातदिन एक किए हुए थी. सर्विलांस टीम भी उन के साथ काम कर रही थी.
सर्विलांस टीम ने पुलिस टीम के साथ संजय पाल के घर से घटनास्थल तक मोबाइल टावर डेटा फिल्टरेशन की मदद ली. इस में एक नंबर ऐसा निकला जो वारदात के वक्त घटनास्थल पर एक्टिव था. उस नंबर की लोकेशन यशोदा नगर हाइवे से उन्नाव की ओर मिली थी, इसलिए सर्विलांस टीम ने उस नंबर को लिसनिंग पर लगा दिया.
29 दिसंबर को उस नंबर धारक ने लखनऊ में रहने वाले एक साथी से बात की, जिसे पुलिस ने सुन लिया. इस के बाद एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी की टीम ने मोबाइल लोकेशन के जरिए आलमबाग, लखनऊ से 2 युवकों को धर दबोचा.
रवीना त्यागी ने जब इन युवकों से पूछताछ की तो उन्होंने अपना नाम विनेश और विकास बताया. इन दोनों से रवीना त्यागी ने संजय वन रोड पर हुई 10.69 लाख की टप्पेबाजी के बारे में पूछा तो दोनों साफ मुकर गए. लेकिन जब उन्हें थाना किदवई नगर लाया गया और पुलिसिया अंदाज में पूछताछ हुई तो दोनों टूट गए. उन्होंने 10.69 लाख रुपए की टप्पेबाजी स्वीकार कर ली. उन दोनों ने बताया कि उन का टप्पेबाजी का गैंग है. गैंग के अन्य सदस्य झकरकटी बसअड्डा स्थित गणेश होटल में ठहरे हुए हैं.
इस के बाद पुलिस की चारों संयुक्त टीमों ने झकरकटी स्थित गणेश होटल पर छापा मारा और 3 बैड वाले एक रूम से 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इन में एक महिला और एक नाबालिग भी था.
इन के पास से पुलिस ने टप्पेबाजी कर के उड़ाया गया बैग बरामद कर लिया. बैग से 10.69 लाख रुपए सहीसलामत मिले. इस के अलावा पुलिस ने गैंग के पास से एक कार, एक वैन, एक बाइक, पेपर स्प्रे, चिली स्प्रे, गुलेल, लोहे के छर्रे, जले हुए मोबिल औयल की बोतल तथा सूजा बरामद किया.
पुलिस की संयुक्त टीम ने टप्पेबाज गैंग के 11 सदस्यों को पकड़ा. इन सभी को बरामद रुपए और अन्य सामान के साथ थाना किदवई नगर लाया गया. पूछताछ में गैंग के सदस्यों ने अपना नाम आकाश, राहुल, प्रेम, राजेश, रामू, अनिकली, विनेश, विकास, नरेश निवासी मदनगीर, दिल्ली तथा वरदराज और नाबालिग एस. विजय निवासन निवासी इंद्रपुरी दिल्ली बताया.
एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी ने संजय वन रोड पर हुई टप्पेबाजी का खुलासा करने, पूरे गैंग को पकड़ने और टप्पेबाजी का 10.69 लाख रुपए बरामद करने की जानकारी एडीजी अविनाश चंद्र, आईजी आलोक सिंह तथा एसएसपी अनंत देव तिवारी को दी.
इस के बाद एसएसपी अनंत देव तिवारी व एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी ने पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता की, जिस में आरोपियों को पेश किया गया. प्रैसवार्ता के दौरान एडीजी अविनाश चंद्र ने टप्पेबाज गैंग को पकड़ने वाली टीम को एक लाख रुपए तथा आईजी आलोक सिंह ने 50 हजार रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की.
प्रैसवार्ता में टप्पेबाजी के शिकार पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल तथा पैट्रोल और एचएसडी डीलर्स के पदाधिकारियों को बुलाया गया. संजय पाल ने नोटों से भरे अपने बैग की पहचान की तथा खुलासे के लिए पुलिस की सराहना की.
चूंकि गैंग के सदस्यों ने अपना जुर्म कबूल कर के रुपया भी बरामद करा दिया था. इसलिए किदवईनगर थानाप्रभारी अनुराग मिश्रा ने टप्पेबाजी के शिकार हुए संजय पाल को वादी बता कर भादंसं की धारा 406, 419, 420 के तहत राहुल, प्रेम, राजेश रामू, विकास, विनेश, अनिकली, आकाश, वरदराज, नरेश तथा एस. विजय निवासन (नाबालिग) के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और सभी को गिरफ्तार कर लिया. बंदी बनाए गए आरोपियों से की गई पूछताछ में जो घटना सामने आई, उस का विवरण इस तरह है—
कानपुर में पकड़े गए टप्पेबाज विनेश, विकास, आकाश, राहुल व उन के गैंग के अन्य सदस्य मूलरूप से तमिलनाडु के चेन्नै व त्रिची के रहने वाले थे. सालों पहले ये लोग दिल्ली आए और मदनगीर जेजे कालोनी तथा इंद्रपुरी के क्षेत्रों में बस गए. इन क्षेत्रों में इन के 25 डेरे हैं, जो आपस में जुड़े हुए हैं. एक डेरे में 12-13 सदस्य होते हैं.
इन सदस्यों के समूह को डेरा नाम दिया जाता है. डेरा स्वामी समूह का सरगना होता है. इन की पीढि़यां कई दशकों से अपराध को जीविकोपार्जन का साधन बनाए हुए हैं. इन्हें बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है. इन के गिरोह में पुरुष, महिला व बच्चे सभी होते हैं.
इन के समुदाय के जो लोग अपराध की ट्रेनिंग नहीं लेते और अपराध नहीं करते, उन्हें डेरे के लोग नकारा मानते हैं. उन्हें हीनभावना से देखते हैं. ऐसे निठल्लों की शादी भी नहीं होती.
दिल्ली का डेरा टप्पेबाज गैंग, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान के विभिन्न शहरों में वारदातें करता था. वह राज्य के जिस जिले में जाता, वहां के बसअड्डों या रेलवे स्टेशनों के आसपास के होटलों में ठहरता. होटल में वैध आईडी दिखा कर ये लोग कमरा बुक कराते थे. चूंकि इन के साथ महिलाएं व बच्चे होते, इसलिए पुलिस भी इन पर शक नहीं करती. ये लोग किराए का वाहन प्रयोग नहीं करते. अपनी कार, वैन या मोटरसाइकिल ही इस्तेमाल करते हैं.
गैंग के शातिर टप्पेबाज बाइक से वारदात को अंजाम देने के लिए निकलते हैं. उन के पीछे कार होती है, जिस में महिला और एक बच्चा भी रहता है. घटना को अंजाम देने के बाद शातिर टप्पेबाज कार में नकदी व जेवरात ले कर बैठ जाते हैं.
पुलिस को चकमा देने के लिए दूसरे साथी नकदी ले कर बाइक से निकल जाते हैं. ज्यादातर वाहन गैंग की महिलाओं के नाम खरीदे हुए होते हैं. वाहन सही नामपते पर रजिस्टर्ड होते हैं, जिस से पुलिस चैकिंग में कभी नहीं पकड़े जाते.
गैंग के शातिर लोग रेलवे क्रौसिंग, जेब्रा क्रौसिंग, रेड लाइट तथा जाम वाली जगहों पर रेकी करते हैं. वहां घटना को अंजाम दे कर ये लोग दूसरे जिले की ओर कूच कर जाते हैं. ये लोग चलती गाड़ी के बोनट पर जला हुआ मोबिल औयल डाल कर शिकार बनाते हैं या फिर चलती गाड़ी रुकवा कर चिली स्प्रे के सहारे टप्पेबाजी करते हैं.
कभीकभी ये गाड़ी का शीशा तोड़ कर नोटों से भरा बैग या अन्य सामान पार कर लेते हैं. कार के टायर में सूजा चुभो कर ये लोग पंक्चर कर के भी गाड़ी से सामान गायब कर देते हैं. कभीकभी ये लोग खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी या आयकर विभाग का अधिकारी बता कर भी टप्पेबाजी कर लेते हैं.
प्रशासन के कुछ लोगों ने नाले के पास जा कर देखा तो वहां पर प्रतिभा पूरी तरह से नग्न अवस्था में मृत पड़ी हुई थी. इस जानकारी के मिलते ही अस्पताल प्रशासन के हाथपांव फूल गए. प्रतिभा के मृत पाए जाने की सूचना पुलिस को भी दे दी गई.
सभी लोग इस बात पर हैरान थे कि 8 नवंबर, 2023 को दोपहर ढाई बजे से शाम करीब 7 बजे तक उस स्थान पर प्रतिभा को खोजा गया, लेकिन उस वक्त वहां पर उस का कोई नामोनिशान नहीं था. फिर 29 घंटे बाद उस का शव उसी जगह पर कहां से आ गया था?
पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. प्रतिभा के घर वालों का कहना था कि उस के साथ अस्पताल के ही किसी कर्मचारी ने दुष्कर्म कर हत्या कर दी. उस के एक हाथ पर कई घाव थे. पुलिस ने महिला के साथ दुष्कर्म की आशंका को देखते हुए स्लाइड बनवाने का निर्णय भी लिया गया था. साथ ही इस केस की जांच के लिए नगर मजिस्ट्रैट विजयशंकर तिवारी को चुना गया था. लेकिन इस घटना को 5 दिन बीत जाने के बाद भी मैडिकल कालेज में एडमिट प्रतिभा की मौत के रहस्य से परदा नहीं उठ सका.
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के थाना अतरा के अनथुवा गांव निवासी रामसेवक विश्वकर्मा ने अपनी पत्नी प्रतिभा को 3 नवंबर, 2023 को रानी दुर्गा मैडिकल कालेज में प्रसव पीड़ा के चलते भरती कराया. प्रसव पीड़ा के चलते प्रतिभा को प्रसूति रोग वार्ड का बैड नंबर 3 दिया गया था.
प्रतिभा विश्वकर्मा के साथ ज्यादा ही परेशानी थी, जिस कारण डाक्टरों ने उस का औपरेशन करने की सलाह दी थी. उसी शाम को प्रतिभा ने औपरेशन के बाद एक बच्ची को जन्म दिया. प्रतिभा के एक बच्ची के जन्म के बाद रामसेवक के परिवार में खुशी का माहौल था. प्रतिभा ने सर्जरी के द्वारा बच्ची को जन्म दिया था. जच्चाबच्चा दोनों ही सुरक्षित थे.
7 नवंबर, 2023 को प्रतिभा को डिसचार्ज होना था. लेकिन उस से पहले ही अचानक प्रतिभा की तबियत कुछ खराब हो गई, जिस के बाद उसे फिर से इमरजेंसी वार्ड में भरती कराया गया. जहां पर उस का उपचार शुरू किया गया था. लेकिन 8 नवंबर की सुबह को प्रतिभा अपने बैड से गायब मिली. उस के इमरजेंसी वार्ड से अचानक गायब होने से उस के घर वाले परेशान हो गए. प्रतिभा को पूरे अस्पताल में खोजा गया, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं लग सका.
प्रतिभा के गायब होने की जानकारी अस्पताल प्रशासन को लगी तो महकमे में अफरातफरी हो गई. प्रतिभा के घर वालों ने अस्पतालकर्मियों से उस के बारे में जानकारी ली तो उन की तरफ से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो उन्होंने इस की सूचना पुलिस को दी.
मरीज के गायब होने की जानकारी मिलते ही मैडिकल कालेज चौकीप्रभारी कुलदीप तिवारी तुरंत ही घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां पहुंचते ही उन्होंने वहां पर मौजूद मैडिकल कालेज कर्मियों से प्रतिभा के बारे में जानकारी जुटाई. उस के बाद भी पुलिसकर्मियों के साथसाथ प्रतिभा के घर वालों ने भी उस की काफी खोजबीन की, लेकिन उस का कहीं भी पता न चल सका.
अगले दिन 9 नवंबर को दिन के 11 बजे औक्सीजन प्लांट में तैनात कर्मचारी शकील को एसएनसीयू वार्ड के पीछे नाली में प्रतिभा की नग्न लाश पड़ी दिखाई दी. शकील ने इस की जानकारी मैडिकल प्रशासन को दी. अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना दे कर बुला लिया. मौके पर पहुंचे चौकीप्रभारी कुलदीप तिवारी ने प्रतिभा के शव का निरीक्षण किया. उस की लाश नाले में औंधे मुंह पड़ी हुई थी.
क्या प्रतिभा को बनाया हवस का शिकार
घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद ही कुलदीप तिवारी ने इस सब की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी. खबर मिलते ही कोतवाल अनूप दुबे, सीओ सदर अबुंजा त्रिवेदी, एएसपी लक्ष्मीनिवास मिश्र, सिटी मजिस्ट्रेट विजयशंकर तिवारी घटनास्थल पर पहुंचे और जांचपड़ताल की.
मौके पर पहुंची डौग स्क्वायड के साथ फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल की जांचपड़ताल की. फोरैंसिक टीम ने मौके से कुछ सबूत भी लिए. इस बारे में पुलिस प्रशासन ने मैडिकल कालेज के प्राचार्य डा. एस.के. कौशल से भी जानकारी जुटाई.
प्राचार्य एस.के. कौशल ने बताया कि इमरजेंसी वार्ड में नर्स, एसआर व जेआर की ड्यूटी रहती है. महिला इस तरह से अचानक कैसे गायब हुई, स्टाफ के सभी लोगों से जानकारी ली जाएगी. लापरवाही बरतने वाले पर सख्त काररवाई की जाएगी.
प्रतिभा के मृत पाए जाने की सूचना पर उस के घर वालों के साथसाथ अन्य लोग भी मैडिकल कालेज पहुंच गए. उस की हत्या को ले कर उन्होंने काफी हंगामा किया. इस सब से भी बड़ी बात यह थी कि अगर किसी ने इस वारदात को अंजाम दिया तो इतने बड़े कैंपस में किसी की नजर क्यों नहीं पड़ी.
घर वालों का कहना था कि उस के नग्न शव के पड़े होने व एक हाथ पर कई घाव उस के साथ किसी अनहोनी का संकेत कर रहे हैं. उसी कारण घर वाले उस के पंचनामे के लिए किसी भी तरह से राजी नहीं थे. फिर भी किसी तरह पुलिस प्रशासन ने उन्हें समझायाबुझाया और प्रतिभा के शव की संपूर्ण काररवाई करते हुए पंचनामा किया. फिर उस के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.
अगले दिन शुक्रवार को 3 डाक्टरों डा. एम.के. गुप्ता, डा. रामनरेश व मैडिकल कालेज के फोरैंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष डा. आभास कुमार के पैनल ने वीडियोग्राफी के साथ प्रतिभा के शव का पोस्टमार्टम किया. प्रसूता प्रतिभा के शरीर पर अनगिनत चोटों के निशान पाए गए, वह भी उस की मौत की एक वजह थे. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने दूसरे एंगल से जांचपड़ताल शुरू की.
उसी जांच की कड़ी में 11 नवंबर की देर रात को कोतवाली पुलिस ने मैडिकल कालेज में घटनास्थल पर सीन औफ क्राइम दोहराया. मैडिकल कालेज के शल्य विभाग की बिल्डिंग में भी बारीकी से जांचपड़ताल की. उस के बाद एसएनसीयू वार्ड के पीछे जा कर फिर से घटनास्थल को खंगाला गया.
उस के साथ ही डाक्टरों, पैरामैडिकल स्टाफ व गार्डों समेत वहां भरती मरीजों के परिजनों से भी कड़ी पूछताछ की गई. सीन औफ क्राइम के समय 1-2 तीमारदारों ने बताया कि महिला को आईसीयू वार्ड के पास वाली सीढ़ियों पर देखा गया था.
यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने अंदाजा लगाया कि महिला आईसीयू वार्ड से सीढ़ियां चढ़ कर छत तक पहुंची होगी. उस के बाद पुलिस ने छत पर जा कर हर तरह से जांचपड़ताल की. लेकिन इस मामले में कोई नतीजा सामने न आने के बाद कोतवाल अनूप दुबे ने इस केस की जांच आगे भी जारी रखी, लेकिन फिर भी पुलिस के हाथ अब तक खाली थे.
इस मामले में सब से बड़ी बात यह थी कि इस मैडिकल कालेज में सुरक्षा के लिए 36 सिक्योरिटी गार्ड तैनात थे. वहीं मैडिकल कालेज में 70 सीसीटीवी कैमरे लगे थे. लेकिन इस मामले में कहीं से भी कोई ऐसा क्लू नहीं मिला था, जिस से उस महिला की हत्या के आरोपी का पता चल सके.
मामले की जांच के लिए डीएम ने एडीएम अमिताभ यादव के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एएसपी लक्ष्मीनिवास मिश्र और सीएमओ डा. ए.के. श्रीवास्तव को शामिल किया गया. तीनों अधिकारियों ने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपते हुए इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी पर तैनात मैडिकल कालेज के 11 कर्मचारियों की लापरवाही का जिक्र किया था.
सिक्योरिटी गार्ड और सीसीटीवी कैमरों से कैसे बचे आरोपी
महिला की लाश मिलने वाली जगह को देखते हुए यह तो आशंका जाहिर की जा रही थी कि उस महिला की हत्या करने से पहले उस के साथ बलात्कार हुआ होगा. मगर इस सब में भी सब से बड़ी बात यह थी कि मरीज मैडिकल कालेज की ऊपरी बिल्डिंग से नीचे कैसे आई और उस के साथ यह दुस्साहस किस ने किया.
हालांकि जिस जगह पर महिला का शव मिला, उस स्थान पर कहीं भी सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ नहीं था. लेकिन मैडिकल कालेज की ऊपरी बिल्डिंग से नीचे तक कहीं न कहीं तो कैमरा अवश्य ही लगा होना चाहिए था.
यही नहीं उस मैडिकल कालेज के इमरजेंसी से ले कर एसएनसीयू वार्ड के बीच अंदरूनी कारीडोर में कहीं भी कैमरा लगा हुआ नहीं था. कालेज के इस इलाके में हमेशा ही सन्नाटा पसरा रहता है, जिस का लाभ अपराधियों ने उठाया.
मैडिकल कालेज के इमरजेंसी वार्ड के बाहरी हिस्से में एक सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था, जिस की फुटेज निकालने पर पता चला कि मृतक प्रतिभा बुधवार की सुबह 5 बज कर 42 मिनट पर इमरजेंसी वार्ड से बाहर अकेली ही आई थी.
मैडिकल कालेज के इमरजेंसी वार्ड में एक सीनियर डाक्टर, एक जूनियर डाक्टर के अलावा 3 नर्सिंग स्टाफ, 2 वार्डबौय और 2 सफाईकर्मियों की ड्यूटी शिफ्टों में रहती है.
घटना वाले दिन भी इतना ही स्टाफ वहां पर मौजूद था. यही नहीं, उस दिन मृतका के घर वालों में उस के जेठ, जेठानी के अलावा उस का एक भाई भी उसी वार्ड के बाहर थे. लेकिन उन के सोने के बाद ही प्रतिभा पता नहीं कब वार्ड से बाहर आई और वहां से कैसे नीचे पहुंची. उन्हें कुछ भी पता नहीं चला.
मृतका के घर वालों का कहना था कि प्रतिभा के लापता होते ही उन्होंने कई बार मैडिकल कालेज के स्टाफ से उसे तलाशने के लिए कहा, लेकिन मैडिकल कालेज का स्टाफ से उसे खुद तलाशने की बात कह कर अपना पल्ला छाड़ लिया था. जिस से साफ जाहिर होता है कि इस सब में मैडिकल कालेज कर्मचारियों की मिलीभगत थी.
इस मामले में जांच समिति ने भले ही मैडिकल कालेज के 11 कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी थी. लेकिन इस के बाद भी महिला की मौत की वजह से परदा नहीं उठ पाया.
प्रतिभा की स्वाभाविक मौत हुई या फिर उस की बलात्कार के बाद हत्या की गई है. इस का जवाब न तो पुलिस के पास ही है और न ही मैडिकल कालेज प्रशासन के पास.
मृतका के घर वालों का कहना था कि प्रतिभा की डाक्टरों ने सीजेरियन डिलीवरी कराई थी. उस के बाद जच्चाबच्चा दोनों ही स्वस्थ थे. दोनों के स्वस्थ होने के कारण डाक्टरों ने 7 नबंवर, 2023 को डिसचार्ज होने की तारीख भी दे दी थी.
लेकिन शाम को प्रतिभा को दवा देने के बाद ही उस की हालत अचानक बिगड़ गई, जिस के कारण प्रतिभा का मानसिक संतुलन खराब सा लगने लगा था. इस से साबित होता है कि उसे कोई गलत दवा दी गई थी. उस के बाद उस की परेशानी को देखते हुए फिर से उसे इमरजेंसी वार्ड में भरती कराया गया था, जहां से वह अगली ही सुबह गायब मिली.
वह मैडिकल कालेज की तीसरी मंजिल से नीचे कैसे आई. वह खुद नीचे आई या फिर उसे गिराया गया, इस मिस्ट्री का जवाब न तो पुलिस प्रशासन के पास है और न ही मैडिकल कालेज प्रशासन के पास. वहीं मैडिकल कालेज के प्राचार्य डा. एस.के. कौशल ने इस मामले को पुलिस जांच का हिस्सा बताते हुए पल्ला झाड़ लिया.
लेकिन मृतका के नग्न शव के पास ही उस के नीचे के कपड़े पड़े होने व उस के एक हाथ में काफी चोटों के निशान पाए जाने से यह तो साफ है कि महिला के साथ दरिंदगी की गई थी. इस सब में मैडिकल कालेज के किसी व्यक्ति का हाथ हो सकता है. जिस की विवेचना होना अति अनिवार्य हो जाती है.
मैडिकल कालेज के पहले के मामलों का क्यों नहीं हुआ खुलासा
रानी दुर्गावती मैडिकल कालेज का यह कोई पहला ऐसा मामला नहीं, जिस का खुलासा नहीं हुआ. इस से पहले भी 13 सितंबर, 2022 की शाम को मैडिकल कालेज हौस्टल में एमबीबीएस फोर्थ ईयर के छात्र अमित मजूमदार ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी.
उस के बाद पुलिस जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को उस के रूम से एक सुसाइड नोट प्राप्त हुआ था, जिस में उस ने लिखा था कि उस की मौत का किसी को भी जिम्मेदार न ठहराया जाए. वह स्वयं ही आत्महत्या कर रहा है.
शिकोहाबाद के एटा चौराहा निवासी अपूर्व मजूमदार का बेटा 25 वर्षीय अमित मजूमदार बांदा के इसी मैडिकल कालेज में एमबीबीएस में अंतिम वर्ष का छात्र था. 13 सितंबर, 2022 को उस ने कालेज हौस्टल में ग्राउंड फ्लोर पर स्थित अपने कमरे के अंदर छत के पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी. उस वक्त भी प्रशासन ने छात्र को डिप्रेशन का शिकार बताया था.
पुलिस ने इस मामले में उस के घर वालों से पूछताछ भी की थी, लेकिन उस के घर वालों ने बताया था कि उन का बेटा सीधासादा व होनहार था. उसे किसी बात की डिप्रेशन थी, यह बात मैडिकल कालेज के प्रशासन के लोग ही बता रहे थे.
उस छात्र की मौत का रहस्य भी एक राज बन कर ही रह गया था. इस मामले में पुलिस ने काफी हाथपांव मारे थे, लेकिन उस के फांसी लगाने की वजह स्पष्ट नहीं कर पाए थे.
कुछ इसी तरह का मामला इसी वर्ष 16 अगस्त, 2023 को सामने आया था. एमबीबीएस थर्ड ईयर की 23 वर्षीय छात्रा ऊषा भार्गव ने पहले हाथ की नस काटी फिर फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी. उस का शव भी मैडिकल कालेज के एक कमरे में मिला था. छात्रा की आत्महत्या की सूचना पाते ही पुलिस मौके पर पहुंची थी.
उस के बाद पुलिस ने मैडिकल कालेज प्रशासन से उस के बारे में पूछताछ करने के बाद उस की लाश का पंचनामा भरने के बाद पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दी थी. उसी जांचपड़ताल में पुलिस ने उस के कमरे से उस की एक डायरी प्राप्त की थी. पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए उस के साथ रह रही कई छात्राओं से भी उस के बारे में पूछताछ की थी.
पुलिस जांच में उस की डायरी से कुछ भावनात्मक बातें लिखी हुई थीं. उस के साथ ही पुलिस ने उस की काल डिटेल्स निकाल कर भी जानकारी जुटाई थी. लेकिन पुलिस किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी.
ऊषा भार्गव राजस्थान के चुरू की रहने वाली थी. छात्रा के इस तरह से फांसी लगा कर जान देने की घटना से भी कई सवाल उठे थे. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस प्रशासन ने उस के साथ पढ़ रहे कई छात्रों से जानकारी जुटाई थी. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था. उस के बाद भी मैडिकल कालेज प्रशासन ने इस प्रकरण की जांच की बात कही थी. लेकिन उस की जांच रिपोर्ट आज तक सामने नहीं आई.
बहरहाल, कथा लिखे जाने तक पुलिस प्रतिभा की मौत की सच्चाई का पता नहीं लगा पाई थी.
—कथा पुलिस सूत्रों व पीड़ितों से बातचीत पर आधारित
उस रात सभी लोग खाना खाने के बाद सोने चले गए. आधी रात को राघव को कुछ उलझन महसूस हुई तो वह बाहर आ गया. बाहर टहलने के बाद राघव आरती के कमरे की ओर गया तो वह वहां नहीं थी. तब राघव मम्मी के पास गया, आरती वहां भी नहीं थी. इस के बाद राघव ने घर में सभी को उठा दिया. लेकिन बदनामी के डर से घर वालों ने शोर नहीं मचाया.
पहले तो आरती की घर में ही तलाश की फिर बाहर गांव में निकल गए, लेकिन आरती कहीं नहीं मिल रही थी. घर वाले समझ गए कि वह सतीश चौरसिया के साथ ही होगी. उसे तलाशता हुआ राघव जब अपने घर के पीछे पहुंचा तो वहां का दृश्य देख कर उस का खून खौल उठा. आरती और सतीश आपत्तिजनक स्थिति में थे. राघव इसे बरदाश्त नहीं कर पाया. उस ने अपने पापा मम्मी को मौके पर बुला लिया.
उत्तर प्रदेश के जनपद गोंडा का एक थाना है धानेपुर. इस थाना क्षेत्र के अंतर्गत गांव मेहनौन आता है. इसी गांव के रहने वाले हैं बिंदेश्वरी चौरसिया. उन के 5 बेटे व एक बेटी थी. अपने 3 बेटों लवकुश, संजय और हरिश्चंद्र के साथ बिंदेश्वरी मुुंबई में रहते थे.
संजय व हरिश्चंद्र अपने पिता के साथ वहां पावरलूम में काम करते थे, जबकि लवकुश चाय की दुकान चलाता था. बिंदेश्वरी के 2 बेटे सतीश व विशाल गांव में ही अपनी मां के साथ रह रहे थे. जबकि बेटी की वह शादी कर चुके थे.
गांव में सब कुछ ठीक चल रहा था. अचानक बिंदेेश्वरी का 19 वर्षीय बेटा सतीश चौरसिया 20-21 अगस्त, 2023 की रात घर से अचानक लापता हो गया. घर वाले सारी रात उस का इंतजार करतेे रहे. सुबह होने पर उन्होंने अपने तरीके से खोजबीन की, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. इस पर सतीश की मां प्रभावती ने थाना धानेपुर में 21 अगस्त की सुबह सतीश की गुमशुदगी दर्ज करा दी.
गुमशुदगी दर्ज हो जाने के बाद 22 अगस्त, 2023 को थाना धानेपुर के एसएचओ सत्येंद्र वर्मा जांच के लिए पुलिस टीम के साथ गांव मेहनौन पहुंचे. सतीश के घर वालों से उन्होंने पूछताछ की.
एसएचओ सत्येंद्र वर्मा
सतीश की मां प्रभावती ने उन्हें बताया कि 20-21 अगस्त की देर रात खाना खा कर सतीश घर के बाहरी हिस्से में बनी बैठक (कमरे) में सोने चला गया था. आधी रात को जब उस की आंखें खुलीं तो सतीश बैठक में नहीं दिखाई दिया.
उस ने सोचा कि शायद वह टायलेट के लिए खेत में गया होगा. लेकिन काफी देर बाद भी वह नहीं लौटा. सुबह होते ही सतीश को सभी ने गांव में तलाशना शुरू किया, लेकिन वह कहीं नहीं मिला.
पुलिस ने गांव में अपने स्तर से जांचपड़ताल करने के साथ ही सतीश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पता चला कि रात को सतीश की गांव की रहने वाली एक युवती से फोन पर बात हुुई थी. वह रात को उस से मिलने गया था. इस के बाद से ही वह लापता हो गया था. सतीश की मां ने बताया कि उसे पता चला है कि गांव की आरती भी अपने घर पर नहीं है.
सतीश और आरती अपने घरों में नहीं थे. दोनों के इस तरह गायब हो जाने पर गांव में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया. सभी दबी जुबान से कह रहे थे कि दोनों गांव से भाग गए हैं. अब कहीं जा कर शादी कर लेंगे. कोई कह रहा था कि आरती सतीश पर जान छिड़कती थी. 2 साल से चल रहे उन के प्रेम प्रसंग के बारे में कौन नहीं जानता. जितने मुंह उतनी बातें.
घर वालों ने पुलिस को क्यों उलझाया
इस जानकारी के बाद पुलिस आरती के घर पहुंची. घर पर आरती के पिता कृपाराम चौरसिया और भाई राघवराम चौरसिया मिले. आरती के घर वाले शांति से अपने घर पर बैठे थे. आरती के पिता कृपाराम से एसएचओ ने आरती के बारे में पूछताछ की.
पहले तो उन लोगों ने पुलिस को अपनी बातों में उलझाया. कई तरह की बातें बनाईं. कृपाराम चौरसिया ने बताया कि गांव का सतीश चौरसिया उन की बेटी आरती को बहलाफुसला कर रात को अपने साथ भगा ले गया है. जिस से गांव में उन की बहुत बदनामी हो रही है.
तब एसएचओ सत्येंद्र वर्मा ने कहा कि आप लोग दोनों की तलाश क्यों नहीं कर रहे? अब तक थाने में रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं कराई?
बापबेटे इस बात पर बगलें झांकने लगे. अपनी बातों से पुलिस को उन्होंने हरसंभव उलझाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के तर्कों के आगे उन की एक नहीं चली.
पुलिस को पहले ही इस मामले में मुखबिर से महत्त्वपूर्ण जानकारी मिल गई थी. सतीश के मोबाइल की काल डिटेल्स से यह पता चल गया था कि रात को सतीश आरती के घर गया था.
पुलिस ने अनहोनी का शक होने पर कृपाराम व उस के बेटे राघवराम को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने दोनों से कहा, ”सीधेसीधे सच बता दो, नहीं तो पुलिस फिर अपने तरीके से पूछेगी.’’
तब दोनों कहने लगे कि आरती की कई दिनों से तबियत खराब चल रही थी. हम लोग इलाज के लिए उसे अयोध्या ले जा रहे थे. रास्ते में उस की मौत हो गई. तब हम ने अयोध्या में ही उस का अंतिम संस्कार कर दिया. सतीश के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
एसपी अंकित मित्तल
बापबेटे पलपल में बयान बदल रहे थे. तब पुलिस ने दोनों से सख्ती की इस पर वे टूट गए और सतीश और आरती की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया. इस के बाद एसएचओ एएसपी शिवराज व सीओ शिल्पा वर्मा को घटना से अवगत करा दिया. दोनों पुलिस अधिकारी गांव पहुंच गए. दोनों ने पूछताछ कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी एसपी अंकित मित्तल को दी.
पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल जब कानपुर के थाना किदवईनगर पहुंचे, तब दोपहर के 12 बज रहे थे. थानाप्रभारी अनुराग मिश्रा थाने में मौजूद थे और क्षेत्र में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए अपने अधीनस्थ अफसरों से विचारविमर्श कर रहे थे.
संजय पाल ने उठतीगिरती सांसों के बीच उन्हें बताया, ‘‘सर, मेरे साथ टप्पेबाजी हो गई. 2 टप्पेबाज युवकों ने मेरी कार से नोटों से भरा बैग पार कर दिया. बैग में 10 लाख 69 हजार रुपए थे, जिसे मैं अपने ड्राइवर अरुण पाल के साथ भारतीय स्टेट बैंक की गौशाला शाखा में जमा करने जा रहा था.’’
संजय पाल की बात सुन कर थानाप्रभारी अनुराग मिश्रा चौंके. उन्होंने तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी. जब यह सूचना पुलिस कंट्रोल रूम से प्रसारित हुई तो पूरा पुलिस महकमा अलर्ट हो गया.
पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर जाने के लिए रवाना हो गए. टप्पेबाजी की यह बड़ी वारदात संजय वन वाली मेनरोड पर हुई थी. कुछ ही देर में किदवईनगर थानाप्रभारी अनुराग मिश्रा, नौबस्ता थानाप्रभारी संतोष कुमार, अनवर गंज थानाप्रभारी मंसूर अहमद, चकेरी थानाप्रभारी अजय सेठ, सीओ (गोविंद नगर) आर.के. चतुर्वेदी, सीओ (नजीराबाद) अजीत कुमार सिंह, सीओ (बाबूपुरवा) अजीत कुमार रजक, एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल, एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन, एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी तथा एसएसपी अनंत देव तिवारी घटनास्थल पर पहुंच गए.
पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पूरे कानपुर शहर में वाहन चैकिंग शुरू करा दी. टूव्हीलरों और फोर व्हीलरों की सघन तलाशी होने लगी. यह बात 19 दिसंबर, 2018 की है.
टप्पेबाजी का शिकार हुए संजय पाल घटनास्थल पर मौजूद थे. एसएसपी अनंत देव ने उन से घटना के संबंध में पूछताछ की. संजय पाल ने बताया कि वह चकेरी थाने के श्याम नगर मोहल्ले में रहते हैं. नौबस्ता के कोयला नगर, मंगला विहार में उन का श्री बालाजी फिलिंग स्टेशन नाम से पैट्रोल पंप है. पैट्रोल बिक्री की रकम वह गौशाला स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में जमा करते हैं.
हर रोज की तरह वह उस दिन भी पैट्रोल बिक्री का 10.69 लाख रुपए अपनी निजी कार से जमा करने जा रहे थे. कार को उन का ड्राइवर अरुण पाल चला रहा था.
संजय पाल ने बताया कि करीब साढ़े 11 बजे जब वह संजय वन चौकी से 80 मीटर पहले एक निर्माणाधीन बिल्डिंग के सामने पहुंचे ही थे कि पीछे से बाइक पर सवार 2 युवकों ने कार के आगे की ओर इशारा किया. ड्राइवर अरुण ने कार रोक कर देखा तो बोनट के पास मोबिल औयल गिरता नजर आया.
अरुण ने बोनट खोल कर चैक किया और कार मिस्त्री को फोन कर के जानकारी दी. मिस्त्री ने कहा कि कोई खास दिक्कत नहीं है. इस पर वे दोनों कार में बैठ गए. संजय ने बताया कि कार में बैठते ही आंखों में तेज जलन हुई. वह आंखें मलते हुए ड्राइवर के साथ बाहर निकले. इसी बीच बाइक सवार युवकों ने कार की पीछे वाली सीट पर रखा रुपयों से भरा बैग उड़ा दिया.
जब उन्हें इस बात की जानकारी हुई तो वे तत्काल संजय वन चौकी गए. लेकिन चौकी पर ताला लटक रहा था. उस के बाद वह थाना किदवईनगर गए और पुलिस को सूचना दी.
संजय पाल की बातों से स्पष्ट था कि किसी बड़े टप्पेबाज गिरोह ने टप्पेबाजी की है. गैंग के अन्य सदस्य भी रहे होंगे जो वारदात के समय आसपास ही होंगे. एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी को शक हुआ कि इस वारदात में कहीं ड्राइवर तो शामिल नहीं.
उन्होंने कार ड्राइवर अरुण पाल को बातों में उलझा कर पूछताछ की लेकिन उस ने वही सब बताया जो संजय पाल ने बताया था. संजय पाल ने भी अरुण पाल को क्लीनचिट दे दी. उन्होंने कहा कि वह उन का विश्वासपात्र ड्राइवर है. घटनास्थल पर एक नाबालिग चश्मदीद था, जो पोस्टर बैनर बना रहा था. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की, लेकिन कुछ हासिल नहीं हो सका.
जिस जगह सड़क पर टप्पेबाजी हुई थी, उस के दूसरी ओर एक मकान के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगा था. एसएसपी अनंत देव तिवारी तथा एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी ने इस सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो उस में पूरी वारदात कैद थी. सीसीटीवी में साफ दिख रहा था कि जब पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल और उन का ड्राइवर अरुण पाल कार का बोनट खोल कर जांच करने लगी, तभी बाइकर्स आगे जा कर डिवाइडर कट से मुड़े.
पीछे बैठा युवक बाइक से नीचे उतरा. वह काली शर्ट व नीली जींस पहने था. डिवाइडर फांद कर उस ने कार की पीछे वाली सीट से रुपयों से भरा बैग उठाया और फिर वापस साथी के पास आया. बाइक चलाने वाला युवक नीली शर्ट, जींस, लाल जूते पहने था और हेलमेट लगाए था. इस के बाद बाइकर्स यशोदा नगर की ओर भागते दिखे.
इधर देर रात तक पुलिस शहर भर में वाहन चैकिंग करती रही लेकिन वारदात को अंजाम देने वालों का पता नहीं चल सका. उधर दूसरे दिन पैट्रोल और एचएसडी डीलर्स एसोसिएशन ने आपात बैठक बुलाई और पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल से 10.69 लाख की टप्पेबाजी की घटना को ले कर रोष व्यक्त किया.
बैठक के बाद अध्यक्ष ओमशंकर मिश्रा, महासचिव सुनील शरन गर्ग, कोषाध्यक्ष संजय गुप्ता, सुखदेव पाल, बसंत माहेश्वरी तथा पवन गर्ग ने पुलिस के आला अधिकारियों एडीजी अविनाश चंद्र तथा आईजी आलोक सिंह से मुलाकात की. उन्होंने पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल से टप्पेबाजी की घटना का जल्दी खुलासा करने का अनुरोध किया.
पैट्रोल और एचएसडी डीलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि पुलिस प्रशासन को पैट्रोल मालिकों को समुचित सुरक्षा देनी चाहिए. असलहों के लाइसैंस शीघ्र निर्गत किए जाएं. अगर ऐसा नहीं होता है तो पैट्रोल पंप मालिक हड़ताल पर चले जाएंगे.
एडीजी अविनाश चंद्र तथा आईजी आलोक सिंह ने पैट्रोल पंप एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बात गौर से सुनी और उन्हें आश्वासन दिया कि संजय पाल के साथ हुई टप्पेबाजी की घटना का जल्दी ही खुलासा हो जाएगा. उन की मांगों का भी निस्तारण होगा.
पदाधिकारियों को आश्वासन देने के बाद एडीजी अविनाश चंद्र ने पुलिस अधिकारियों की एक मीटिंग बुलाई. इस में एसपी, सीओ, इंसपेक्टर तथा तेजतर्रार दरोगाओं ने भाग लिया. मीटिंग में शहर में आए दिन हो रही टप्पेबाजी की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की गई.
मीटिंग के बाद एडीजी अविनाश चंद्र व आईजी आलोक सिंह ने टप्पेबाजी गैंग को पकड़ने के लिए 4 टीमें बनाईं. इन टीमों की कमान एसएसपी अनंत देव तिवारी, एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी, एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन तथा एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल को सौंपी गई.
टीम में सीओ (गोविंद नगर) आर.के. चतुर्वेदी, सीओ (नजीराबाद) अजीत कुमार सिंह, सीओ (बाबूपुरवा) अजीत कुमार रजक, इंसपेक्टर अनुराग मिश्रा, संतोष कुमार, मंसूर अहमद, अजय सेठ, राजीव सिंह, एडीजीजी की क्राइम ब्रांच से अजय अवस्थी, कुलभूषण सिंह, वंश बहादुर, सीमांत और अखिलेश व एक दरजन तेजतर्रार तथा सुरागसी में दक्ष दरोगा वगैरह के साथसाथ सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.
इन टीमों ने टप्पेबाजों की तलाश शुरू की और एक दरजन से अधिक लोगों को उठा कर उन से कड़ाई से पूछताछ की. लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. टीमों ने पैट्रोल पंप पर काम करने वाले कर्मचारियों तथा घटना के चश्मदीद नाबालिग किशोर से भी पूछताछ की, लेकिन कोई क्लू नहीं मिला.
कपूरथला (Kapurthala) के थाना सदर क्षेत्र में एक कस्बा है आलमगीर काला संघिया (Alamgir Kala Sanghia). कुलविंदर सिंह बुग्गा का परिवार इसी कस्बे में रहता था. करीब 9 साल पहले कुलविंदर की शादी मनदीप कौर के साथ हुई थी. वह अपनी पत्नी से खुश भी था और संतुष्ट भी. मनदीप कौर भी कुलविंदर जैसे मेहनती और शरीफ पति से खूब खुश थी.
कुलविंदर में सब से बड़ी खासियत यह थी कि वह पंजाब के आम युवकों की तरह कोई नशा वगैरह नहीं करता था. वह दिनरात अपने परिवार की खुशी और कामयाबी के बारे में ही सोचा करता था. वह सोचता था कि इतनी मेहनत करे कि उस के बच्चे शिक्षित हों और सुखी रह सकें.
उस के ऐसा सोचने की वजह यह थी कि कुलविंदर खुद एक दलित परिवार का अशिक्षित नौजवान था. वह अशिक्षित होने का दर्द अच्छी तरह से समझता था. उस की कोशिश थी कि जो दर्द और तकलीफ उस ने झेली थी, वह उस के बच्चों को न झेलनी पड़े, इसीलिए वह खूब मेहनत करता था.
कुलविंदर के परिवार में 30 वर्षीय पत्नी मनदीप कौर के अलावा 8 वर्षीय बेटी सोनल और 5 वर्षीय बेटा अभि था. पिता की मृत्यु होने के बाद कुलविंदर का परिवार अपनी मां महिंदर कौर के साथ रहता था. वैसे उस की बड़ी बहन जसविंदर कौर और जीजा सरबजीत सिंह भी वहीं पास में रहते थे.
वैसे तो पूरे पंजाब से अधिकांश कामगार लोग विदेशों में पैसा कमाने चले जाते हैं, पर विदेश जाने वालों में कपूरथला, नवां शहर, बंगा, जालंधर आदि शहरों के लोगों की तादाद दूसरे शहरों से ज्यादा है. कुलविंदर भी अपने परिवार का भविष्य बनाने और पैसा कमाने के लिए विदेश जाने का प्रयास कर रहा था.
काफी हाथपांव मारने के बाद उसे जौर्डन की एक कंपनी में नौकरी मिल गई. यह 2016 की बात है. नौकरी मिल जाने के बाद वह अपनी पत्नी और दोनों बच्चों को बड़ी बहन जसविंदर कौर और मां महिंदर कौर के भरोसे छोड़ कर जौर्डन चला गया. कुलविंदर के जौर्डन चले जाने के बाद उस के परिवार के दिन फिरने लगे. कुलविंदर जौर्डन से हर महीने एक मोटी रकम अपने घर भेजने लगा.
सब कुछ ठीक चल रहा था. कुलविंदर के दोनों बच्चे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ने लगे थे. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. अगस्त 2018 में कुलविंदर को जौर्डन गए डेढ़ साल हो चुका था, लेकिन 2 अगस्त, 2018 को कुलविंदर सिंह किसी को बिना सूचना दिए रात 12 बजे अपने घर आलमगीर काला संघिया आ पहुंचा.
इस तरह एकाएक उस का गांव आना सब को अजीब लगा. उसे देख उस के परिवार के सदस्यों में जहां खुशी की लहर दौड़ गई, वहीं सब इस बात से भी परेशान थे कि कुलविंदर अचानक बिना किसी को बताए जौर्डन से गांव क्यों लौट आया.
कुलविंदर की मां का तो किसी अनहोनी की सोच कर दिल कांपने लगा था. कुलविंदर किसी से बात किए बिना सीधा अपने कमरे में चला गया और उस ने अंदर से दरवाजे की कुंडी बंद कर दी. उस की पत्नी और बच्चे अंदर ही थे.
कमरे में जाने के बाद वह बेचैनी के आलम में काफी देर तक अंदर चहलकदमी करता रहा. इस बीच उस ने किसी से कोई बात नहीं की थी और न ही पत्नी और अपने बच्चों से मिला था. फिर अचानक वह रुका और अपनी पत्नी मनदीप कौर के पास बैड पर बैठ कर उसे बड़ी बेबसी से देखने लगा.
सो रहे दोनों बच्चों की ओर भी उस ने बड़ी बेबसी से देखा. उस ने कुछ देर पत्नी से बातें कीं. इस के बाद उस ने अपने मोबाइल फोन से मंजीत कौर की कुछ कहते हुए वीडियो बनाई और उस वीडियो में खुद भी एक संदेश छोड़ा.
यह सब करने के बाद कुलविंदर ने घर में रखा इंजन चलाने वाला डीजल से भरा केन उठाया और पूरे घर में छिड़काव कर दिया था.
पास वाले कमरे में उस की मां और बहन जसविंदर कौर को इस बात का तनिक भी आभास नहीं था कि साथ वाले कमरे में क्या अनर्थ होने जा रहा है. उन्हें तब पता चला जब कुलविंदर का कमरा धूधू कर के जलने लगा और कमरे के अंदर से दिल दहला देने वाली चीखों की आवाजें आईं.
पलक झपकते ही वहां कोहराम मच गया. महिंदर कौर और जसविंदर कौर उन्हें बचाने में जुट गई थीं. पासपड़ोस के लोग भी आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे, पर कुलविंदर, उस की पत्नी और बच्चों को बचाना संभव नहीं था, क्योंकि कमरे का दरवाजा भीतर से बंद था. फिर भी जिस से जो बन पड़ा, उस ने किया.
काफी मशक्कत के बाद कमरे का दरवाजा तोड़ कर सब को बाहर तो निकाल लिया गया पर तब तक वे आग में काफी हद तक जल चुके थे. सभी की हालत नाजुक थी. इस आग को बुझाते हुए जसविंदर कौर भी बुरी तरह से झुलस गई थी. सभी को तुरंत जालंधर के अस्पताल ले जाया गया.
कुलविंदर सिंह और उस के बेटे अभि की तो अस्पताल पहुंचते ही मौत हो गई, जबकि मनदीप कौर और उस की बेटी 90 प्रतिशत तक जली हुई थी और उन की हालत गंभीर थी. दोपहर तक उन की बेटी सोनम ने भी दम तोड़ दिया.
इस घटना ने पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना दिया था. वहीं इस पूरे घटनाक्रम ने सन 2015 में काला संघिया में ही एक व्यक्ति द्वारा अपने 2 बच्चों तथा पत्नी को जहर दे कर मारने के बाद खुद आत्महत्या कर लेने की यादें ताजा कर दी थीं.
घटना की सूचना मिलते ही जिला पुलिस प्रमुख सतिंदर सिंह, एसपी इनवैस्टीगेशन जगजीत सिंह सरोहा, डीएसपी सबडिवीजन कपूरथला सरबजीत सिंह, थाना सदर कपूरथला प्रभारी इंसपेक्टर सरवन सिंह बल, पुलिस चौकी इंचार्ज काला संघिया सबइंसपेक्टर परमिंदर सिंह सहित कई आला अधिकारी मौकाएवारदात पर और अस्पताल पहुंच गए.
मनदीप कौर की हालत अब तक बेहद नाजुक बनी हुई थी. किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था. एक साथ एक ही जगह 4 लोगों द्वारा आत्महत्या करने की बात भी किसी के गले नहीं उतर रही थी.
पुलिस मनदीप कौर के होश में आने और उस के बयान लेने का इंतजार कर रही थी, ताकि आगे की काररवाई की जा सके. पुलिस ने घटनास्थल को पहले ही सील कर दिया था ताकि कोई सबूत से छेड़छाड़ न कर सके.
दिल दहला देने वाला यह मामला महज एक आत्महत्या का केस नहीं था, बल्कि इस के पीछे बड़ी भयानक सच्चाई छिपी हुई थी, जो जल्द ही पुलिस और बाकी लोगों के सामने आने वाली थी. आखिर मनदीप कौर को होश आ गया और इस अग्निकांड का उस ने जो खुलासा किया, उसे सुन कर सब के पैरों तले से जमीन खिसक गई.
आत्महत्या की वजह गांव के दबंग लोगों द्वारा दलितों पर किए जाने वाले शोषण और उन्हें प्रताडि़त करने से संबंधित थी. मनदीप कौर के बयान पुलिस प्रशासन, सिविल सर्जन डा. दीपक सिक्का और (जेएमआईसी) ड्यूटी जुडीशियल मजिस्ट्रैट राहुल कुमार की उपस्थिति में दर्ज किए गए.
दम तोड़ने से पहले मनदीप कौर ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि गांव के 4 लोग बलकार सिंह, तीर्थ सिंह, गुरप्रीत सिंह उर्फ सन्नी और उस की मां सत्या देवी उन्हें परेशान कर रहे थे. इन लोगों ने उस की अश्लील वीडियो बना ली थी, उसे दिखा कर वे उसे ब्लैकमेल कर रहे थे.
यह सिलसिला काफी समय से चल रहा था. यहां तक कि इन की बात न मानने पर ये लोग उसे, उस के बच्चों और सास को बुरी तरीके से मारतेपीटते थे. एक तरह से इन लोगों ने उसे व उस के परिवार पर अधिकार जमा कर उन्हें गुलाम बना रखा था.
घटना वाली रात का जिक्र करते हुए मनदीप कौर ने बताया कि इन चारों लोगों के उक्त वीडियो उस के पति को भी भेज दिया था. दरअसल घटना से कुछ दिन पहले कुलविंदर को किसी ने एक अश्लील वीडियो भेजा था, जिस में उस की पत्नी मनदीप कौर गांव के एक युवक गुरप्रीत सिंह उर्फ सन्नी के साथ सैक्स करती दिखाई दी थी.
\पत्नी का उक्त वीडियो देखने के बाद सच्चाई जानने कुलविंदर अपने घर आया और मनदीप से जब इस वीडियो के बारे में पूछा तो उस ने रोरो कर अपने ऊपर हुए अत्याचारों की कहानी सुना दी थी. उस ने बताया था कि उन चारों ने मिल कर कैसे उस की अश्लील वीडियो बनाई और वीडियो के बल पर उसे ब्लैकमेल किया जाता रहा.
मनदीप कौर ने अपने पति कुलविंदर को यह भी बताया था कि हिम्मत जुटा कर उस ने एक बार पुलिस में भी शिकायत की थी, पर कुछ नहीं हुआ था. मनदीप की बातें सुन कर कुलविंदर बहुत ज्यादा नर्वस होने के साथसाथ डर भी गया था. एक तो उस की बहुत बदनामी हुई थी, उस की पत्नी ने जो झेला वह अलग था.
उस में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह उन दबंगों से टक्कर ले पाता. पुलिस प्रशासन पर उसे तनिक भी भरोसा नहीं था. उसे इस बदनामी से और उन चारों ब्लैकमेलरों से बचने का एक ही उपाय नजर आया था.
मनदीप के बयानों के आधार पर पुलिस ने आत्महत्या के लिए विवश करने के अपराध में धारा 306, 34 पर बलकार सिंह मंत्री, नंबरदार तीर्थ सिंह, गुरप्रीत सिंह उर्फ सन्नी और उस की मां सत्या देवी के खिलाफ 2 अगस्त, 2018 को मुकदमा दर्ज कर उसी दिन गुरप्रीत सिंह सन्नी तथा बलकार सिंह मंत्री को गिरफ्तार कर लिया.
उसी दिन 3 अगस्त को एक ही परिवार के 4 सदस्यों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने के आरोप में गुरप्रीत सिंह सन्नी तथा बलकार सिंह मंत्री को एसएचओ सदर इंसपेक्टर सरवन सिंह बल के नेतृत्व में पुलिस टीम ने गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया.
पुलिस ने अदालत में तर्क दिया कि दोनों आरोपियों ने मृतक महिला मनदीप कौर की अश्लील फोटो तथा वीडियो बनाई हैं, जिन्हें आरोपियों की निशानदेही पर बरामद करना है, इसलिए दोनों का 3 दिन का पुलिस रिमांड जरूरी है. जिस पर अदालत ने सन्नी तथा बलकार सिंह को 2 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया.
वहीं 2 अन्य फरार आरोपियों तीर्थ सिंह नंबरदार तथा सत्या देवी की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी गई थी. अभियुक्तों की गिरफ्तारी की खबर सुनते ही वे फरार हो गए थे.
पुलिस रिमांड पर पुलिस ने कुलविंदर सिंह के जले हुए घर से उस का वह फोन भी बरामद कर लिया था, जिस में जौर्डन से लौटने के बाद उस ने वीडियो बना कर यह आरोप लगाया था कि कैसे कैसे ये चारों लोग उस की पत्नी का यौनशोषण और ब्लैकमेल कर रहे थे.
पुलिस उस फोन को इसलिए भी अहम मान कर चल रही थी कि कुलविंदर को उसी फोन पर किसी ने वह अश्लील वीडियो भेजा था, जिस के कारण इतना बड़ा कांड हुआ था. यदि किसी ने उसे वीडियो भेजा था तो उस की फुटेज भी उस के फोन में होनी चाहिए थी.
इसीलिए पुलिस ने जांच के लिए फोन को फोरैंसिक लैब मोहाली भेज दिया था, क्योंकि आग में जल जाने के कारण फोन को भी नुकसान पहुंचा था. सन्नी का फोन पुलिस ने उस से बरामद कर लिया था और उस वीडियो को भी अपने कब्जे में ले लिया था, जिस की बिना पर वह मनदीप कौर को ब्लैकमेल करता था.
इस पूरे मामले के दौरान कुलविंदर सिंह की मां महिंदर कौर रोरो कर सवाल करती रही कि उन्होंने पापियों का क्या बिगाड़ा था, जो हमारा हंसता खेलता परिवार तबाह कर के मेरा बुढ़ापा खराब कर दिया है.
कुलविंदर सिंह उर्फ बुग्गा की बड़ी बहन जसविंदर कौर, जो अभी तक अस्पताल में भरती थी, ने कहा कि हमारा हंसताखेलता घर तबाह करने वाले लोग सख्त सजा के हकदार हैं. अगर हमारे देश का कानून इन 4 आरोपियों को फांसी की सजा देता है तो ही हम समझेंगे कि कानून गरीबों को इंसाफ देता है, समाज विरोधी तत्वों के साथ किसी भी किस्म की रियायत नहीं होनी चाहिए.
इस पूरे मामले ने यह साबित कर दिया कि दिल्ली के दामिनी कांड के बाद केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं से जुड़े अपराधों व शोषण को रोकने के लिए चाहे कितने भी सख्त कानून बना दिए गए हों, पर इस का दरिंदों पर कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा.
ऐसे समाज विरोधी तत्व महिलाओं को अपने जाल में फंसा कर खतरनाक हद तक ब्लैकमेल करते हैं जो पारिवारिक क्लेश तथा समाज में बदनामी के डर के कारण उन की करतूतों को झेलती रहती हैं. कई परिवारों का अंत तो बेहद दर्दनाक व चौंकाने वाला होता है.
गौरतलब है कि किसी महिला की अश्लील तसवीरें बना कर उस की वीडियो बनाने का यह कोई नया मामला नहीं है. इस से पहले भी ऐसे आपराधिक तत्वों से दुखी हो कर कई महिलाएं पुलिस को शिकायत दे कर ऐसे अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने की हिम्मत कर चुकी हैं.
लेकिन मनदीप कौर के मामले में पीडि़ता द्वारा पुलिस के समक्ष आरोपियों की शिकायत न करना कहीं न कहीं उक्त परिवार की बरबादी का सब से अहम कारण बन गया.
हालांकि नए कानूनों के मुताबिक ऐसे मामलों में महिला की शिकायत पर तुरंत काररवाई करने के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. वहीं पूरे मामले की जांच में जुटी पुलिस टीम का मानना है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उन के द्वारा बनाई गई महिला की वीडियो संबंधी बात से जहां कई खुलासे सामने आ सकते हैं, वहीं इस पूरे मामले में परदे के पीछे छिपे कई और तथ्य भी सामने आने की संभावना है.
रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद गुरप्रीत उर्फ सन्नी और बलकार सिंह को अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत के निर्देश पर दोनों को न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया. इस कांड से जुड़े 2 अभियुक्त अभी पकड़े नहीं जा सके हैं.
इस मामले में पुलिस की मुश्किलें अभी तक कम नहीं हुईं. कुलविंदर ने विदेश से लौट कर तेल छिड़क कर अपने पूरे परिवार को जिंदा जला दिया. इस घटना को अंजाम देने से पहले उस ने अपने मोबाइल में पत्नी मनदीप कौर को ब्लैकमेल करने और अश्लील वीडियो तैयार करने के लिए गुरप्रीत सिंह सन्नी, बलकार सिंह मंत्री, तीर्थ सिंह नंबरदार और सत्या को जिम्मेदार बताया था.
वहीं मनदीप कौर ने भी मौत से कुछ पहले पहले ड्यूटी मजिस्ट्रैट, सिविल सर्जन और पुलिस की मौजूदगी में उक्त चारों आरोपियों को अपने परिवार की मौत के लिए जिम्मेदार बता कर सख्त सजा देने की मांग की थी.
गिरफ्तारी से बचे 2 अभियुक्तों की गिरफ्तारी को ले कर शहर की कई समाजसेवी संस्थाओं ने आवाज उठाते हुए रोष मार्च निकाला था. मृतक कुलविंदर सिंह बुग्गा के घर के सामने से शुरू हुआ यह कैंडल मार्च विभिन्न स्थानों से होता हुआ करीब डेढ़ घंटे बाद वापस पीडि़त परिवार के घर के आगे आ कर समाप्त हुआ.
कैंडल मार्च के आगे छोटे बच्चे हाथों में पीडि़त परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए बैनर पकड़े हुए थे और उन के पीछे नौजवान, बुजुर्ग व महिलाएं शामिल थीं.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित