8 अरब की चोरी के लिए 3 साल की प्लानिंग – भाग 3

इमारत के अंदर कैसे दाखिल होना है, इस की पहले से ही रेकी की गई थी. इस में सीधे तो घुसा नहीं जा सकता था, क्योंकि अंदर कदम रखते ही कैमरों की नजर में आ जाते. इसलिए अंदर जाने के लिए इन लोगों ने बगल वाली इमारत का सहारा लिया. बगल वाली इमारत और डायमंड सेंटर के बीच ज्यादा फासला नहीं था. इसलिए उस इमारत पर ऊपर चढ़ कर एक पाइप के सहारे वे चारों डायमंड सेंटर की बालकनी तक पहुंच गए.

इस के बाद इन लोगों को अंदर दाखिल होना था. यह पहले से ही तय था कि अंदर दाखिल होते ही सब से पहले उस जगह की लाइट काटनी थी, जहां तिजोरी रखी थी. क्योंकि पूरी बिल्डिंग में कैमरे और सेंसर लगे थे. इन से बचने का उन के पास यही सब से उत्तम तरीका था.

इस के लिए इन्हें एक खिड़की खोलनी थी. उसी खिड़की से अंदर जाना था. एक बात और थी और वह यह थी कि जहां तिजोरी रखी थी, वहां एक लाइट जलती थी और उसी के साथ एक कैमरा भी लगा था.

इस का मतलब यह था कि उस तिजोरी के पास जैसे ही कोई जाता, उस कैमरे द्वारा रिकौर्ड होने के साथसाथ मौनिटरिंग करने वाला उसे देख भी लेता. इस से बचने के लिए अंधेरे में ही सब कुछ करना था यानी अंधेरे में ही अंदर जाना था, अंधेरे में ही तिजोरी खोलनी थी और अंधेरे में ही माल समेट कर बाहर आना था.

चारों ने खिड़की से अंदर प्रवेश किया. ये अंदर इस तरह घुसे कि सामने वाला कैमरा इन्हें रिकौर्ड नहीं कर सका. इन्हें पता था कि सेंसर बौडी टेंपरेचर से काम करता है, इसलिए ये हेयर स्प्रे साथ ले कर आए थे. अंदर जा कर इन्होंने दूर से ही सेंसर पर हेयर स्प्रे डाल दिया, जिस से उस ने काम करना बंद कर दिया. ऐसा ही उन्होंने अलार्म के साथ भी किया यानी सेंसर और अलार्म ने काम करना बंद कर दिया तो वे तिजोरी के पास जा पहुंचे.

कोड से पहले इन्होंने अंधेरे में ही बाहर वाला दरवाजा खोला. उस के बाद दूसरा दरवाजा था, जो एक फुट की चाबी से खुलता था, लेकिन इस के पहले इन्हें सेंसर और अलार्म बंद करना था. इन्होंने दूर से ही हेयर स्प्रे का उपयोग कर के सेंसर और अलार्म बंद किए. उस के बाद इन्होंने वह दरवाजा भी खोल लिया, जो एक फुट की चाबी से खुलता था.

अब इन के सामने वे लौकर थे, जिन में गोल्ड और हीरे रखे थे. इन्होंने लौकर खोलने शुरू किए. एकएक लौकर खोल कर उन में रखा गोल्ड और हीरे साथ लाए बैग में भरने शुरू कर दिए. यह सारा काम करने में इन्हें एक घंटा लग गया. चोरी करने के बाद ये जिस रास्ते से अंदर गए थे, उसी रास्ते से बाहर आ गए.

3 साल की योजना कैसे हुई सफल

बाहर डायमंड सेंटर से थोड़ी दूरी पर कार लिए लियोनार्डो इन का इंतजार कर ही रहा था. चारों चोरी का माल ले कर उस कार में सवार हो गए तो लियोनार्डो ने कार आगे बढ़ा दी. अब तक सुबह के 5 बज चुके थे. शहर की सड़कों पर आवाजाही शुरू हो चुकी थी. इसलिए लियोनार्डो कार ले कर सीधे हाईवे पर आ गया.

इन लोगों ने रात में कुछ खाया नहीं था, इसलिए सभी को भूख लगी थी. लियोनार्डो ने हाईवे के एक रेस्त्रां पर कार रोक कर सैंडविच खरीदे, जिस के पैसे उसी ने दिए. इस के बाद वे कार ले कर एक सुनसान जगह पर पहुंचे, जहां सभी ने अपने वे कपड़े, पहने हुए दस्ताने और चेहरे पर जो मास्क लगाए थे, सब कुछ जला दिए. पर इन में से एक व्यक्ति ने अपना कुछ भी नहीं जलाया.

उस ने कहा कि उस की तबीयत ठीक नहीं है, वह अपना सब कुछ बाद में जला देगा. उस ने सैंडविच का एक टुकड़ा भी वहां छोड़ दिया था. शायद वह इतनी बड़ी चोरी कर के बहुत घबराया हुआ था. वह अपना कुछ भी जलाए बिना वहां से चला गया. बाकी लोग भी यहीं से अलगअलग दिशाओं में चले गए.

सवेरा होने पर जब इस चोरी का पता चला तो पूरे देश में हड़कंप मच गया. पता चला कि पूरे 8 अरब के हीरे और गोल्ड की चोरी हुई थी. चारों ओर हंगामा मच गया. न जाने कितने लोग इस चोरी से बरबाद हो गए थे. पुलिस ने जांच शुरू की.

सीसीटीवी कैमरे देखे जाने लगे. इस में एक गाड़ी पर शक हुआ. यह वही गाड़ी थी, जो लियोनार्डो बाहर लिए बैठा था और चोरी करने के बाद सभी उसी से गए थे. पता चला कि वह कार हाईवे की ओर गई है. इस के बाद पुलिस उस रेस्त्रां तक पहुंची, जहां से लियोनार्डो ने सैंडविच खरीदे थे. वहां कुछ नहीं मिला.

पुलिस आगे बढ़ी तो उसे वह जगह भी मिल गई, जहां लियोनार्डो और उस के साथियों ने कपड़े आदि जलाए थे. सैंडविच का वह टुकड़ा और बिल मिला, जिस में लियोनार्डो का नाम लिखा था. उसे उस के उस साथी ने वहां छोड़ा था, जो बीमार था.

इस से साफ हो गया कि ये वही लोग थे, जिन्होंने डायमंड सेंटर में चोरी के बाद सैंडविच खरीद कर खाया था. नतीजतन, लियोनार्डो बेल्जियम से निकल पाता, उस के पहले ही पकड़ लिया गया. वह इटली भाग जाना चाहता था, लेकिन संयोग से पकड़ा गया. परंतु उस का एक भी साथी नहीं पकड़ा गया. लियोनार्डो ने भी उन के बारे में कुछ नहीं बताया. चोरी गए हीरे और गोल्ड भी नहीं बरामद किया जा सका.

इस मामले में लियोनार्डो को 10 साल की सजा हुई, जिसे काट कर वह बाहर आ गया है. मजे की बात यह है कि आज तक न तो लियोनार्डो के उन साथियों के बारे में पता चला है, जो इस चोरी में शामिल थे और न ही उन हीरों और गोल्ड के बारे में पता चला है, जो इन्होंने चुराया था.

चोरी के बाद हीरे कहां बेचे गए, उस से कितना पैसा मिला, वह पैसा कहां गया, इस बात की भी जानकारी नहीं हो पाई है. यहां तक कि पुलिस को लियोनार्डो के चोर साथियों के नाम भी आज तक पता नहीं चल पाए हैं.

एआई से खुली मर्डर मिस्ट्री – भाग 2

राहुल यादव ने छावला पुलिस स्टेशन के नोटिस बोर्ड पर लगे पैंफ्लेट को देख कर मृतक की पहचान अपने बड़े भाई हितेंद्र उर्फ हितु के रूप में की. उसे थाने से बताया गया कि यह फोटो थाना कोतवाली लालकिला एरिया के हैडकांस्टेबल प्रशांत द्वारा लगाया गया है. इसलिए उन्हें कोतवाली से संपर्क करना चाहिए.

वह लोग थाना कोतवाली (लालकिला) पहुंच गए. वहां उन की मुलाकात एसआई सतेंद्र सिंह से हुई. राहुल यादव ने जेब से एक फोटो निकाल कर एसआई सतेंद्र सिंह की ओर बढ़ाते हुए कहा, ”सर, यह मेरे बड़े भाई हितेंद्र उर्फ हितु की फोटो है. यह इस सप्ताह घर नहीं आए तो मेरी भाभी पूजा रानी ने मुझ से उन का पता लगाने के लिए कहा. चूंकि भाई हितेंद्र का फोन स्विच्ड औफ आ रहा है, इसलिए मैं घबरा गया.

”हम भाई का फोटो ले कर उन की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने थाना छावला गए थे. वहां नोटिस बोर्ड पर अपने भाई का फोटो लगा देख कर मालूम किया तो बताया गया उन की लाश मिली है. पहचान नहीं हो पा रही थी, इसलिए पुलिस ने यह पैंफ्लेट चस्पा किया है. हमें यहां संपर्क करने को कहा गया, तब हम यहां आ गए हैं.’’

”आप मृतक के छोटे भाई हैं?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने पूछा.

”जी हां, मेरा नाम राहुल है. साथ में मेरी भाभी पूजा है. मेरे पिता का नाम नरेंद्र सिंह है. मेरे पिता सीआरपीएफ में हैं. मैं मानेसर (हरियाणा) में एक फर्म में प्राइवेट जौब करता हूं. हमारा घर दौलतपुर, दिल्ली में है.’’

”आप पूरे विश्वास से कह रहे हैं कि नोटिस बोर्ड पर आप ने जो फोटो देखी है, वह आप के बड़े भाई की है.’’

”जी हां, मैं ने अपने बड़े भाई की फोटो आप को दी है. आप देख लीजिए.’’

एसआई सतेंद्र सिंह ने फोटो देखी. वह मृतक के साथ हूबहू मिल रही थी.

”आप चल कर पहले मृतक की लाश देख लीजिए, फिर हम बैठ कर बात करेंगे.’’

”ठीक है साहब.’’

एसआई सतेंद्र सिंह ने राहुल यादव और उस की भाभी पूजा को हैडकांस्टेबल प्रशांत और ओमपाल के साथ सब्जी मंडी मोर्चरी भेज दिया.

सब्जी मंडी मोर्चरी में उस अज्ञात युवक की लाश का पोस्टमार्टम नहीं किया गया था. युवक की लाश जब राहुल यादव और उस की भाभी पूजा को दिखाई गई तो लाश की पहचान उन्होंने अपने बड़े भाई और पति हितेंद्र के रूप में की.

लाश को देख कर दोनों रोने लगे. किसी तरह उन्हें शांत करवा कर हैडकांस्टेबल प्रशांत और ओमपाल वापस कोतवाली ले आए. एसआई सतेंद्र सिंह उन्हीं का इतंजार कर रहे थे. एसआई सतेंद्र सिंह ने दोनों को सामने बैठा कर पूछताछ शुरू की.

”पूजा, तुम्हारे पति हितेंद्र की लाश हमें रिंग रोड पर गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे झाडिय़ों में मिली थी. तुम्हारे पति की हत्या हुई है, यह मेरा मानना है. हत्या कैसे हुई, यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मालूम होगा. पहले यह बताओ वह क्या काम करते थे?’’

”साहब, वह किसी कंपनी में औडिट का काम करते थे. उस कंपनी ने उन्हें नोएडा से उत्तराखंड तक का एरिया औडिट के लिए दिया हुआ था, इसलिए वह अधिकतर समय घर से बाहर ही रहते थे. एक सप्ताह में एक बार ही वह घर आते थे.

”सर, पिछले 10 दिनों से वह घर नहीं आए थे. मुझे उन की चिंता सता रही थी. 8 दिन गुजर जाने पर वह घर नहीं आए थे, न उन का फोन लग रहा था. तब तब मैं ने राहुल को अपनी चिंता से अवगत करवाया.

”2 दिन तक यह उन के विषय में मालूम करता रहा, फिर मुझे ले कर छावला पुलिस स्टेशन आ गया. यहां से मालूम हुआ कि मेरे पति की किसी ने हत्या कर दी है.’’ पूजा कहने लगी, ”सर, मेरे पति की हत्या किस ने की, आप यह पता लगा कर उसे फांसी पर चढ़ाइए, तभी मेरे मन को तसल्ली मिलेगी.’’

”मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आप के पति के कातिल को कड़ी से कड़ी सजा मिले. आप मुझे बताइए, आप के पति हितेंद्र की किसी से कोई दुश्मनी थी, जो उस की मौत का कारण बनी.’’

”वह तो बहुत सीधेसादे थे, सर. उन का भला कौन दुश्मन होगा.’’ पूजा ने बताया.

”भाई साहब सचमुच बहुत सीधे इंसान थे. अपने आप में व्यस्त रहने वाले, लेकिन मुझे जेम्स और रौकी पर संदेह जा रहा है.’’ राहुल गंभीर हो कर बोला.

”यह जेम्स और रौकी कौन हैं?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने राहुल के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा.

”भाई के गहरे दोस्त रहे हैं ये. आजकल इन का भाई के साथ पैसों के लेनदेन पर क्लेश चल रहा था.’’

”क्या तुम्हारे भाई ने इन लोगों से कर्ज लिया था?’’

”यह तो नहीं मालूम साहब, लेकिन इतना मालूम हुआ है कि जेम्स और रौकी भाई से एक लाख रुपए मांग रहे थे. उन्होंने भाई की कार भी इसी चक्कर में छीन रखी थी.’’

एसआई सतेंद्र सिंह ने सिर हिलाया, ”इन दोनों को चैक करना पड़ेगा. क्या तुम इन के पते ठिकाने जानते हो?’’

”हां साहब, इन 2 दिनों में मैं ने यही मालूम किया है. मुझे परमवीर उर्फ नमन उर्फ जेम्स के घर का पता मालूम है, वह खरबंदा प्रौपर्टीज के पास संत कबीर के सामने वाली गली, चंदर विहार, दिल्ली में रहता है.’’

”…और रौकी?’’

”इस का असली नाम हरजीत सिंह है. लोगों में रौकी नाम से मशहूर है. पिता का नाम सतविंदर सिंह है. यह सी-27, थर्ड फ्लोर, टैगोर गार्डन एक्सटेंशन, दिल्ली में रहता है.

”साहब, मेरे भाई हितेंद्र का एक गहरा दोस्त है मंजीत. मैं ने जब भाभी पूजा से सुना कि इस हफ्ते भाई घर नहीं आए हैं और उन का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है तो मैं मंजीत से मिला. उस ने मुझे बताया कि 9 जनवरी, 2024 को भाई उस के साथ था. वे दोनों टैगोर गार्डन गए थे. वहां से भाई रौकी और जेम्स के साथ उन की गाड़ी में बैठ कर कहीं चला गया था. मंजीत अकेला घर लौट आया था.’’

”यह बहुत महत्त्वपूर्ण खुलासा किया है तुम ने.’’ एसआई सतेंद्र सिंह खुश हो कर बोले, ”मैं अब रौकी और जेम्स की गरदन नापता हूं. तुम अपनी भाभी को ले कर घर जाओ. जैसे ही पोस्टमार्टम हो जाएगा, तुम्हारे भाई की लाश तुम्हें अंतिम क्रिया के लिए मिल जाएगी.’’ एसआई सतेंद्र सिंह कुरसी छोड़ते हुए बोले. राहुल यादव अपनी भाभी को ले कर बाहर निकल गया.

ACP Vijay kumar                           HC PRASHANT BHIDURI

एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह                             एसआई  प्रशांत    

हितेंद्र उर्फ हितु की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी. उस की मौत का कारण दम घुटना बताया गया, जिस से हत्या की संभावना बनती थी. एसआई सतेंद्र सिंह ने इस हत्या के मामले को आईपीसी की धारा 302/201 के तहत दर्ज कर लिया. उन्होंने उच्चाधिकारियों को अपनी तरफ से की गई अब तक की जांच का पूरा विवरण दे दिया.

एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह और औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार के नेतृत्व में एडिशनल डीसीपी (नौर्थ) श्वेता के. सुगाथन के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया गया.

इस टीम में जतन सिंह एसएचओ (कोतवाली), इंसपेक्टर नीरज कुमार, जगदीप सिंह, राज मलिक (औपरेशन सेल), एसआई रोहित सारस्वत, सतेंद्र सिंह कोतवाली, देवेंद्र,  विनीत, योगेश कुमार, सुरेश कुमार, प्रीति, हैडकांस्टेबल अनिल, ओमपाल, सौरव, प्रशांत, कांस्टेबल रितु और राहुल को शामिल किया गया.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 3

नरोत्तम ढिल्लों को कैसे फंसाया जाल में

इस काम के लिए उस ने नवीन नगर, ऐशबाग, भोपाल निवासी अपनी गर्लफ्रेंड नीतू शंकर राहुजा से नरोत्तम सिंह ढिल्लों की पहचान कराई. उस ने अपनी गर्लफ्रेंड नीतू राहुजा को बताया था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों बहुत ही पैसे वाला आदमी है, तुम उन के साथ कुछ वक्त बिता लेना. इस से खुश हो कर ढिल्लों तुम्हें करोड़ों कपए दे देंगे, लेकिन इस के विपरीत उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को बताया था कि नीतू उन से विशेष रूप से प्रभावित है और वह अपनी इच्छा से उन से मिलने आ रही है.

शनिवार 3 फरवरी, 2024 की रात 2 बजे तक सभी पार्टी करते रहे. इसी बीच नरोत्तम सिंह ढिल्लों जितेंद्र साहू के इशारे पर नीतू के करीब आने लगे, तभी नीतू राहुजा ने ढिल्लों के गलत मंसूबे समझ कर उन की हरकतों का विरोध करना शुरू कर दिया.

नीतू ने जोर से धक्का दे कर नरोत्तम सिंह ढिल्लों को जमीन पर गिरा दिया. विवाद बढऩे पर जितेंद्र ने नीतू और अपने साथी की मदद से ढिल्लों का गला घोंट कर हत्या कर दी और उस के बाद करीब 45 लाख रुपए की नकदी व जेवर ले कर खिड़की के रास्ते वहां से फरार हो गए.

जितेंद्र साहू और नीतू राहुजा भोपाल के रहने वाले थे. जितेंद्र साहू स्टौक मार्केट में ट्रेडिंग का काम करता था, जबकि नीतू राहुजा एक इलेक्ट्रौनिक्स शोरूम में काम करती थी. नीतू राहुजा ने गोवा पुलिस को बताया कि जितेंद्र उस के ही मकान में अपनी मां के साथ रहता था. जबकि नीतू अपने मातापिता और भाई के साथ रहती थी. कुछ समय बाद एक ही मकान में रहने की वजह से उन में नजदीकियां बढऩे लगीं और फिर वे दोनों एकदूसरे से प्रेम करने लगे थे.

पूर्व मुख्यमंत्री के भाई थे नरोत्तम सिंह

पूछताछ के दौरान नीतू ने पुलिस को बताया कि 3-4 फरवरी की रात को ढिल्लों ने उस के साथ छेड़छाड़ की थी, जिस के कारण उन दोनों के बीच काफी विवाद हो गया था. उस के बाद उस ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर ढिल्लों की हत्या कर दी और वहां से नकदी व जेवर ले कर फरार हो गए थे. 4 फरवरी, 2024 की सुबह ढिल्लों के विला की मैनेजर सीमा सिंह ने उन्हें मृत देख कर गोवा पुलिस को सूचना दी थी.

मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास एक समय में अमेरिका में फेरारी की डीलरशिप थी. वह वर्तमान में भारत में आतिथ्य, रियल एस्टेट, लग्जरी विला और कारों को किराए पर देने के व्यवसाय में थे. गोवा में उन से मिलने आए उन के रिश्तेदारों के अनुसार निम्स ढिल्लों विलासितापूर्ण जीवन जीने के शौकीन थे और अपनी संपत्तियों पर मेहमानों की मेजबानी करना पसंद करते थे.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर 1990 के दशक में लग्जरी फेरारी कारों की बिक्री और खरीद पर कर चोरी कर के अमेरिकी सरकार को धोखा देने का आरोप लगाया गया था, जिसे उन्होंने एक बार झूठा मामला करार दिया था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों को 2003 में पंजाब सतर्कता ब्यूरो ने शिमला के एक अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया था.

वह अमेरिका में बादल परिवार का कारोबार देखते थे और उन के ऊपर हवाला के जरिए उन की संपत्ति विदेश ले जाने का आरोप था. बाद में उन्हें अदालत द्वारा बरी कर दिया गया था.

पंजाब की लांबी पुलिस ने उस समय कथित तौर पर नकली मुद्रा का उपयोग करने, नशीले पदार्थों का कारोबार करने, विस्फोटक अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत उन के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन उन से कोई भी बरामदगी नहीं हो पाई थी.

मेजर भूपिंदर सिंह ढिल्लों जोकि पूर्व में प्रकाश सिंह बादल के राजनीतिक सचिव के रूप में काम कर चुके हैं और बादल परिवार के सब से पुराने सदस्यों में से एक हैं, ने कहा, ”नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास कई संपत्तियां हैं. उन की नृशंस हत्या से पूरा परिवार सदमे में है.’’

इसी बीच मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के चचेरे भाई पवनप्रीत सिंह बादल उर्फ बौबी ने कहा, ”निम्स के पास एक समय अमेरिका में फेरारी कार शोरूम था. इस से पहले वह कनाडा में बस गए थे. पिछले कुछ सालों से वह ज्यादातर समय गोवा में ही रह रहे थे. उन की पत्नी और बेटा दिल्ली में रहते हैं. उन की बेटी की शादी विदेश में हुई है. उन का बेटा कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने और निम्स का पार्थिव शव लेने गोवा गया था.’’

पवनप्रीत सिंह बादल ने आगे कहा, ”हमें इस की जानकारी नहीं है कि उन की किसी से भी दुश्मनी थी या नहीं. उन का मुख्य व्यवसाय गोवा, दिल्ली और शिमला में था. इस के अलावा उन के पास पंजाब के बादल गांव में कृषि भूमि और एक घर भी है.

”पुलिस ने महाराष्ट्र में एक युवा जोड़े को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर उन की हत्या की रात गोवा में उन के विला में रुके थे और उन की किराए की कार में भागने की कोशिश की थी. कार के जीपीएस से पुलिस को उन्हें पकडऩे में मदद मिली. ऐसा लग रहा था जैसे निम्स का गला घोंट दिया गया हो.’’

तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर गोवा पुलिस ने यह मामला आईपीसी की धारा 302 और 392 के तहत दर्ज कर लिया है. पुलिस ने आरोपी 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू और 22 वर्षीया नीतू राहुजा को गोवा कोर्ट में पेश कर 10 दिन की रिमांड में ले कर उन से विस्तृत पूछताछ कर रही थी.

मर्डर केस का एक अन्य आरोपी कुणाल, जोकि उत्तर प्रदेश के झांसी का रहने वाला है, कथा लिखे जाने तक वह फरार था, जिसे गोवा पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

आज के दौर में आए दिन सोशल मीडिया की दोस्ती के साइड इफेक्ट मीडिया के माध्यम से जानने सुनने को मिलते रहते हैं.

कुछ दिनों की सोशल मीडिया की चकाचौंध और दिखावटी, चिकनी चुपड़ी दोस्ती के कारण शादीशुदा महिला या पुरुष अपनी बरसों पुरानी शादी, लोकलाज व बच्चों की परवाह किए बगैर दूसरों के साथ भाग जाने के लिए तत्पर हो जाता है. यह सब आखिर क्यों होता जा रहा है?

—कहानी पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है.

8 अरब की चोरी के लिए 3 साल की प्लानिंग – भाग 2

व्यापारी बन कर पहुंचा लियोनार्डो

लियोनार्डो इसी कौफी शौप में बैठ कर एंटवर्प डायमंड सेंटर और उस में आनेजाने वालों को देखा करता था. वह देखता कि लोग पूरे दिन बैग या जेब में हीरे ले कर आते हैं या ले कर जाते हैं. वह हर चीज को गौर से देखता और समझने की कोशिश करता.

लियोनार्डो उस कौफी शौप पर महीनों बैठ कर यह सब देखता और समझता रहा. दिन में ही नहीं, रात में जब डायमंड सेंटर बंद हो जाता, तब भी वह वहां जा कर उसी कौफी शौप में बैठ कर देखता कि रात में यहां कैसी हलचल रहती है. कई महीने उस ने सिर्फ इस डायमंड सेंटर पर नजर रखने में बिता दिए.

इतने दिन बीत जाने के बाद उसे लगा कि बिना इस डायमंड सेंटर के अंदर दाखिल हुए इस के बारे में जानना और चोरी करना संभव नहीं है. क्योंकि सेंटर के अंदर की कोई भी जानकारी उसे नहीं मिल पा रही थी. उसे लगा कि अब इस के अंदर जाना ही पड़ेगा.

उस ने पता किया कि इस के अंदर कैसे जाया जा सकता है? उसे पता चला कि इस के अंदर हीरा व्यापारी बन कर ही जाया जा सकता है और इस के लिए सेंटर में एक दुकान या औफिस लेना पड़ेगा.

डायमंड सेंटर के अंदर प्रवेश करने के लिए लियोनार्डो ने हीरा व्यापारी बन कर एक छोटा सा औफिस किराए पर ले लिया. अंदर जाने पर हीरा व्यापारी सेंटर में कहीं भी आ और जा सकते थे, लेकिन वे कैमरा या मोबाइल बिलकुल नहीं ले जा सकते थे. वे कोई फोटो वगैरह भी नहीं खींच सकते थे.

हीरा व्यापारी बन कर लियोनार्डो सेंटर के अंदर पहुंच गया. अंदर पहुंच कर उस ने आसपड़ोस के दुकानदारों, आनेजाने वाले लोगों तथा सिक्युरिटी वालों से बातचीत शुरू की. धीरेधीरे उस ने सब से ऐसा परिचय बना लिया कि लोग अब उस पर हर तरह का विश्वास करने लगे. अन्य लोगों से ही नहीं, उस ने सेंटर के मालिक तक से अच्छी जानपहचान कर ली.

इस का उसे यह फायदा मिला कि वह सेंटर में कहीं भी आताजाता, लोग उस पर ध्यान नहीं देते थे. यही वजह थी कि जमीन के अंदर बनी दोमंजिला इमारत में रखी तिजोरी को भी वह कई बार देख आया.

लेकिन देखने भर से लियोनार्डो का काम नहीं होने वाला था. उसे तो वह पूरी जानकारी चाहिए थी कि तिजोरी तक कैसे पहुंचा सकता है, उसे खोला कैसे जा सकता है, माल ले कर निकला कैसे जा सकता है. इस के लिए वहां का नक्शा होना बहुत जरूरी था, लेकिन न तो अंदर कैमरा ले जाया सकता था और न मोबाइल फोन. यह बात उसे पहले से ही पता थी.

पेनकैम से हुआ काम आसान

लियोनार्डो ने इस के लिए भी पहले से ही सोच लिया था कि इस के लिए उसे क्या करना है. इसीलिए जब से वह सेंटर के अंदर जाने लगा था, अपनी योजना के अनुसार ऐसी शर्ट पहन कर जाता था, जिस में ऊपर जेब होती थी और उस जेब में एक पेन लगा होता था. कैमरा अंदर ले जाना मना था, इस के लिए उस ने हाईरेजुलेशन का एक पेनकैम खरीदा.

चूंकि वह रोजाना उसी ड्रेस में जेब में पेन लगा कर जाता था, इसलिए जब वह पेनकैम लगा कर सेंटर के अंदर जाने लगा तो न तो किसी ने उस की चैकिंग की और न उस पेनकैम के बारे में पूछा. कोई चौंका भी नहीं, क्योंकि वह रोजाना उसी वेशभूषा में आताजाता था. वह आराम से पेनकैम के साथ सेंटर में प्रवेश कर गया. अब वह रोजाना पेनकैम जेब में लगा कर सेंटर में आनेजाने लगा.

उस ने सेंटर में घूमघूम कर फोटो लेने शुरू कर दिए. वह वीडियो भी रिकौर्ड कर लेता था. धीरेधीरे वह वाल्ट यानी तिजोरी की ओर भी जाने लगा. उस ने वाल्ट के ही नहीं, वाल्ट के कोड तक की फोटो और वीडियो बना ली.

अब बचा मुख्य दरवाजा, जिस के कोड का न फोटो लेना आसान था और न ही वीडियो बनाना. मुख्य गेट का कोड चीफ सिक्युरिटी अफसर के पास होता था. सुबह वही दरवाजा खोलता था और शौप को बंद भी वही करता था.

वह इस तरह कोड डालता था कि कहीं भी खड़े हो कर उस का न तो फोटो लिया जा सकता था और न ही वीडियो बनाई जा सकती थी. लियोनार्डो ने मुख्य दरवाजे का कोड पता करने की बहुत कोशिश की, लेकिन कोई जुगाड़ सेट नहीं हो रहा था. उसे न काटा जा सकता था और न तोड़ा जा सकता था.

आखिर एक दिन लियोनार्डो को एक ऐसी जगह मिल गई, जहां पेनकैम लगाने पर मुख्य दरवाजे का कोड रिकौर्ड किया जा सकता था. वह जगह उसी गेट के सामने ऊपर बनी एक दोछत्ती थी.

मौका मिलते ही यानी रात को जब सभी चले गए तो लियोनार्डो ने अपना पेनकैम उस जगह फिक्स कर दिया. अगले दिन उस ने आ कर देखा तो उस पेनकैम में कोड रिकौर्ड हो चुका था. अब उस के पास सब कुछ आ चुका था, यानी उसे सेंटर की एकएक चीज की जानकारी हो चुकी थी.

योजना में 4 अन्य लोगों को किया शामिल

लेकिन यह सारा काम वह अकेले नहीं कर सकता था. इस के लिए उसे कुछ साथियों की जरूरत थी. उस ने साथियों की तलाश शुरू की. आखिर उसे इस तरह के 4 लोग मिल गए, जो अपनेअपने क्षेत्र के माहिर थे. पहले उस ने उन चारों लोगों को अपनी पूरी योजना बताई.

पूरी योजना जान कर वे उस का साथ देने को तैयार हो गए. मजे की बात यह थी कि लियोनार्डो ने इन चारों के अलगअलग कोड नाम रखे थे. वे नाम थे स्पीडी, द मौंस्टर, द जीनियस, किंग औफ कीज. यह सभी अलगअलग कामों के एक्सपर्ट थे. इन में कोई इलैक्ट्रिक के काम में माहिर था तो कोई चाबी बनाने का एक्सपर्ट था तो कोई पूरे अलार्म सिस्टम का जानकार. इन में एक सेंसर को खराब करने वाला भी था.

लियोनार्डो ने खूब सोचसमझ कर साथी चुने थे. उस ने इन चारों से कहा था कि अगर हम कामयाब हो गए तो हो सकता है यह दुनिया की सब से बड़ी चोरी हो. जिस के बाद हमारी 7 पीढिय़ां बैठ कर खाएंगी.

इस तरह लियोनार्डो को मिला कर कुल 5 लोग हो गए. अब इन्हें एक स्थानीय आदमी की जरूरत थी, जिस का तिजोरी का काम हो. जल्दी ही इन्हें एक लालची आदमी मिल गया. लेकिन इन्होंने उसे यह नहीं बताया था कि यह काम करना कब है.

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चोरों ने सेंसर सिस्टम कैसे किया फेल

इस के बाद उन्होंने उस तिजोरी वाले को सेंटर की तिजोरी के फोटो दिखा कर एक गोडाउन के अंदर हूबहू वैसी ही तिजोरी तैयार कराई, जैसी सेंटर के अंदर रखी थी. उस में उसी तरह कोड नंबर लगाए गए. लियोनार्डो ने देखा तो वह तिजोरी हूबहू वैसी ही थी, जैसी डायमंड सेंटर में रखी थी.

इस के बाद उसी तरह सेंसर और अलार्म भी फिट किए गए, जैसे सेंटर में थे. इस के बाद लियोनार्डो ने अपने उन चारों महारथियों से कहा कि अब वे अपना अपना खेल दिखाएं. इस तरह पूरी तैयारी हो गई. उस दिन तारीख थी 15 फरवरी, 2003. लियोनार्डो ने एक कार ली और उस कार को डायमंड सेंटर से थोड़ी दूरी पर खड़ी कर के उस में खुद बैठ गया. जबकि उस के चारों साथियों स्पीडी, द मौंस्टर, द जीनियस और किंग औफ कीज को डायमंड सेंटर में चोरी के लिए दाखिल होना था.

इन लोगों ने अपना चेहरा छिपाने के लिए चेहरे पर मुखौटा लगा लिया था. कहीं अंगुलियों के निशान न आने पाएं, इस के लिए दस्ताने पहन लिए थे.

एआई से खुली मर्डर मिस्ट्री – भाग 1

उत्तरी दिल्ली के कोतवाली थानाक्षेत्र में गीता कालोनी फ्लाईओवर की झाडिय़ों में मिली इस अज्ञात लाश की सूचना किसी व्यक्ति ने थाना कोतवाली में फोन कर के दी थी. यह बात 10 जनवरी, 2024 की थी. यह काल लाल किला पुलिस चौकी  के इंचार्ज सतेंद्र सिंह को ट्रांसफर कर दी गई. यह सूचना मिलते ही पुलिस चौकी लाल किला के इंचार्ज एसआई सतेंद्र सिंह 4 कांस्टेबलों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

जब वह मौके पर पहुंचे तो गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे झाडिय़ों के पास लोगों की भीड़ जमा थी. वहां पर झाडिय़ों में एक 35-40 साल के युवक का शव नजर आ गया. उस युवक का सिर एक पेड़ के तने से सटा था और पांव पश्चिम दिशा की तरफ थे. उन्होंने पास जा कर उस लाश का गहनता से निरीक्षण किया गया.

युवक के गले पर खरोंच के निशान साफ दिखाई दे रहे थे. वह जिस स्थिति में पड़ा था, उस से अंदाजा लगाया गया कि इस की हत्या कहीं और कर के लाश इस सुनसान जगह पर झाडिय़ों में फेंक दी गई है. युवक के शरीर पर कोई ऐसा निशान नहीं नजर आ रहा था, जिस से उस की मौत का कारण समझा जा सकता था.

युवक की आंखें बंद थीं. एसआई सतेंद्र ने अनुमान लगाया कि इसे अवश्य ही गला घोंट कर मारा गया है. लाश के पास डबल बेड की प्रिंटेड चादर पड़ी थी, शायद इसी चादर में इसे लपेट कर यहां लाया गया होगा.

युवक के कपड़ों की तलाशी ली गई. उस की जेब में मोबाइल की लीड और लोहे की एक चाबी मिली. चाबी पर एक ओर गोदरेज लिखा था, दूसरी ओर 0879350 नंबर गुदा था. जेब में युवक का न तो मोबाइल फोन था, न पर्स. उस की पहचान की कोई भी चीज हत्यारों ने उस के पास नहीं छोड़ी थी.

पुलिस के सामने एक प्रकार से यह ब्लाइंड मर्डर केस था. फिर भी एसआई सतेंद्र सिंह ने वहां उपस्थित भीड़ की ओर देख कर पूछ लिया, ”क्या आप में से कोई इस युवक को पहचानता है?’’

जैसा कि उन्होंने सोचा था, वही उत्तर मिला, ”नहीं साहब.’’

आगे की जांच के लिए एसआई सतेंद्र सिंह ने फोरैंसिक टीम और फोटोग्राफर को फोन कर के वहां आने के लिए कह दिया. उन्होंने नार्थ जोन की एडिशनल डीसीपी श्वेता के. सुगाथन और एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह तथा औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार को भी इस अज्ञात युवक की लाश की सूचना दे दी. आधा घंटा में ही फोरैंसिक टीम, फोटोग्राफर और पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए.

केस सुलझाने में एआई ने कैसे की मदद

अधिकारियों ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. उन की नजरों में भी यह ब्लाइंड मर्डर केस था. ऐसे मामलों में जांच का दायरा बढ़ जाता है. बारीक से बारीक बात पर ध्यान रख कर कदम बढ़ाया जाता है. ऐसे केस मुश्किल हो सकते हैं, लेकिन असंभव नहीं. पुलिस अत्यंत कड़ी मेहनत कर के मृतक का पता भी निकाल लेती है और उस की हत्या किस ने की है, यह भी मालूम कर लेती है.

        एसआई सतेंद्र

इस पेचीदा केस की जांच का काम एसआई सतेंद्र को सौंप दिया गया. औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार ने एसआई सतेंद्र को आदेश दिया कि इस युवक की पहचान के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पैंफ्लेट चिपकाए जाएं. लाश को यहां लाने के लिए किसी न किसी वाहन का भी प्रयोग हुआ होगा. वाहन की जांच के लिए सीसीटीवी कैमरों को खंगाला जाए.

एसआई सतेंद्र सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस ब्लाइंड मर्डर केस की जांच के लिए रातदिन एक कर देंगे. फोरैंसिक टीम अपने काम में जुटी हुई थी. फोटोग्राफर ने विभिन्न कोणों से लाश के फोटो ले लिए थे.

सभी काम पूरा होने के बाद एसआई सतेंद्र सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी की मोर्चरी में भिजवा दिया. सारा काम निपटा तो उच्चाधिकारी वहां से चले गए. एसआई सतेंद्र सिंह भी अपने दल के साथ कोतवाली के लिए रवाना हो गए.

युवक कौन है, कहां रहता है, इस की जानकारी 2 दिन बाद भी नहीं हो पाई थी. एसआई सतेंद्र सिंह की देखरेख में कोतवाली के 30 पुलिसकर्मियों की विशेष टीम का गठन कर दिया गया था. इस टीम को दिल्ली के सार्वजनिक स्थानों पर पैंफ्लेट चिपकाने का काम सौंपा गया था.

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                मृतक

फोटो में चूंकि मृतक की आंखें बंद थीं, इसलिए मृतक की फोटो को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से सुधार कर फोटो का बैकग्राउंड चेंज किया गया व आंखों को खोला गया.

ऐसा करने से मृतक का चेहरा जीवित व्यक्ति जैसा लगने लगा, जिस से पहचान में आसानी हो सके. इस फोटो के 2000 पैंफ्लेट तैयार कराए गए.

30 व्यक्तियों की टीम ने इन पोस्टरों को आईएसबीटी, रेलवे स्टेशन, पार्कों, सड़क किनारे, बस स्टैंड, आटो स्टैंड के पास विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर चिपका दिया. दिल्ली के प्रत्येक पुलिस स्टेशन को भी सूचित किया गया.

जिस संदिग्ध वाहन में आरोपी द्वारा शव को फेंका गया था, उस का पता लगाने के लिए पुलिस की इस विशेष टीम ने लगभग 800 से अधिक सीसीटीवी कैमरे देखे. चूंकि शव को एकांत इलाके में फेंका गया था, इसलिए वहां कोई सीसीटीवी कैमरा कनेक्टिविटी नहीं थी. इसलिए वहां सीसीटीवी से किसी प्रकार की सफलता नहीं मिली.

गए थे रिपोर्ट लिखाने, मिल गई लाश

पैंफ्लेट 4 राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित हुआ था. इस के बावजूद भी किसी ने मृतक को पहचानने का दावा नहीं किया था.

पुलिस इस इंतजार में थी कि कोई न कोई व्यक्ति मृतक का इश्तहार देख कर थाने तक पहुंचेगा, लेकिन 2 दिन बीत जाने के बाद भी मृतक के किसी परिचित के पहुंचने की जानकारी नहीं मिली थी. एसआई सतेंद्र सिंह सब्र किए बैठे थे. अपनी तरफ से उन्होंने मृतक की पहचान का हरसंभव प्रयास किया था. देर बेशक हो रही थी, लेकिन सतेंद्र सिंह जानते थे कि उन्हें मृतक की पहचान में सफलता जरूर मिलेगी.

हुआ भी यही. 14 जनवरी, 2024 को बाहरी दिल्ली के छावला पुलिस स्टेशन में राहुल यादव नाम का युवक घबराया हुआ आया. उस के साथ उस की भाभी पूजा भी थी. वह भी उस समय काफी बदहवास नजर आ रही थी.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 2

कपल कार ले कर क्यों हुआ फरार

ऐसे में गोवा पुलिस भी इन दोनों मामलों को एकदूसरे से जोड़ कर देखने लगी थी और पुलिस ने फौरन कार के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया.

जांच में पता चला कि कार उस समय महाराष्ट्र के नवी मुंबई से मुंबई की तरफ दौड़ रही थी. एक बार फिर गोवा पुलिस ने कत्ल के एकदूसरे मामले में मुस्तैदी की वैसी ही मिसाल पेश की थी. इस बार गोवा पुलिस ने एक अमीर कारोबारी के कत्ल के सिलसिले में गोवा से करीब 470 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पेण इलाके से 2 संदिग्ध कातिलों को धर दबोचने में सफलता प्राप्त की.

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जब गोवा पुलिस ने नवी मुंबई पुलिस से संपर्क कर उन्हें उस संदिग्ध कार की जानकारी दी, जिस में संदिग्ध कातिल फरार हुए, उन का लोकेशन भी बताई. उस के तुरंत बाद नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 की टीम ने कार को ट्रैक करना शुरू कर दिया और आखिरकार उसे महाराष्ट्र के ही रायगढ़ जिले के अतर्गत पेण इलाके से कार में बैठे लोगों को हिरासत में ले लिया.

गोवा पुलिस की शिकायत के मुताबिक नवी मुंबई पुलिस को कार में एक संदिग्ध जोड़ा मिला, जिन्हें पुलिस ने फौरन गिरफ्तार कर लिया. वैसे तो इस जोड़े के साथ कार में एक और शख्स भी था, जो उन के साथ गोवा गया था, लेकिन वह पहले ही वहां से भाग निकला था.

इस के बाद शुरू हुआ पूछताछ का सिलसिला. मुंबई पुलिस दोनों से कार ले कर भागने की वजह जानने के साथसाथ नरोत्तम सिंह ढिल्लों के मर्डर के एंगल से भी पूछताछ करने लगी.

पहले तो काफी देर तक दोनों ने कत्ल वाली बात से इंकार किया, लेकिन जब उन की तलाशी में मृतक ढिल्लों के पास से लूटे गए गहने बरामद हो गए तो सारा मामला साफ हो गया था.

पकड़े गए जोड़े की हुई पहचान

नवी मुंबई पुलिस द्वारा पकड़े गए जोड़े की पहचान 32 वर्षीय जितेंद्र साहू और उस की 22 वर्षीय प्रेमिका नीतू शंकर राहुजा के तौर पर हुई, लेकिन दोनों से शुरू हुई पूछताछ के बाद एक कहानी जो निकल कर सामने आई, उस ने नवी मुंबई पुलिस से ले कर गोवा पुलिस तक का दिमाग ही घुमा दिया था. इस कातिल जोड़े के अनुसार कि इस कत्ल के पीछे सिर्फ लूटपाट की वजह नहीं, बल्कि धोखे और बदतमीजी की कहानी छिपी थी.

कपल ने पुलिस को बताया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों से उन की मुलाकात सोशल मीडिया के माध्यम से हुई थी. ढिल्लों ने उन्हें अपना परिचय देते हुए गोवा में पार्टी करने के लिए और मिलने के लिए बुलवाया था. मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली यह जोड़ी नरोत्तम सिंह ढिल्लों के बुलावे पर गोवा में उन के विला होरीजंस अजर्ड पर पार्टी करने पहुंची थी.

दोनों ने पुलिस को बताया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को पार्टी के बाद नरोत्तम सिंह ढिल्लों अपनी मेहमान लड़की से बदतमीजी पर उतर आए थे. उस के बाद जब कपल ने उन का विरोध किया तो ढिल्लों अपने रसूख का हवाला दे कर डराने धमकाने पर उतर आए थे.

बस ठीक उस के बाद गुस्से में उन की ढिल्लों से लड़ाई हो गई और इसी लड़ाई के दौरान अपना बचाव करते हुए उन के हाथों नरोत्तम सिंह ढिल्लों का अनजाने में मर्डर हो गया था. पोस्टमार्टम जांच में मौत का कारण गला घोंटना बताया गया था.

उधर नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 के वरिष्ठ निरीक्षक अबासाहेब पाटिल ने बताया, ”गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों ने दावा किया है कि ढिल्लों ने आरोपी महिला का यौन उत्पीडऩ किया था, इसलिए हम दोनों आरोपियों के फोटो उजागर करने में असमर्थ हैं.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने दावा किया है कि युवती के साथ यौन उत्पीडऩ करने की कोशिश करने के बाद उन्होंने नरोत्तम सिंह ढिल्लों का गला घोंट दिया था. फिर उन्होंने उन की सोने की चेन, सोने का कड़ा और मोबाइल लूट लिया. उस के बाद एक किराए की एसयूवी में मुंबई की ओर भाग गए. वे इस बात से अनजान थे कि कार में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगा हुआ है.’’

पुलिस को कई सवालों के जवाबों की थी तलाश

दोनों आरोपी कत्ल करने के बावजूद मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर ही बदतमीजी करने और यौन उत्पीडऩ करने का आरोप लगा रहे थे. जाहिर सी बात है कि एक सवाल यह भी था कि अगर वाकई गुस्से में आ कर ही ढिल्लों को जान ली तो फिर कत्ल के बाद उन्होंने ढिल्लों के जेवर और मोबाइल फोन जैसी कीमती चीजें क्यों लूट ली थीं?

गोवा पुलिस असल बात की तह तक पहुंचना चाहती थी कि कहीं कत्ल का मकसद केवल लूटपाट करना ही तो नहीं था? कहीं ऐसा तो नहीं है कि वे लूटपाट के अपने मकसद को छिपाने के लिए ढिल्लों के उत्पीडऩ या छेड़छाड़ वाली काल्पनिक कहानी सुना रहे हैं. गोवा पुलिस ने अब दोनों से इसी संबंध में अलगअलग विस्तृत पूछताछ करनी शुरू कर दी, जिस का नतीजा भी जल्द ही सामने आ गया था.

गोवा में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों की रहस्यमयी हत्या के आरोप में गिरफ्तार भोपाल का 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू ही इस मामले का मास्टरमाइंड निकला. गोवा पुलिस के अनुसार जितेंद्र साहू पूर्व में नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मैनेजर भी रह चुका था.

जितेंद्र साहू को इस बात का पता था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब में राजनीतिक रसूख रखने वाले परिवार से दूर अकेले रह कर गोवा में शाही जिंदगी जीते हैं. गोवा में उन के नाम पर विलाज और होटल भी हैं. जितेंद्र विला को हड़पना चाहता था और ढिल्लों से करोड़ों रुपए हड़पना चाहता था, इसलिए उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को हनीट्रैप के जाल में फंसाने की एक फुलपू्रफ योजना बनाई थी.

8 अरब की चोरी के लिए 3 साल की प्लानिंग – भाग 1

सब कुछ तैयार हो गया था. सभी ने कई कई बार एंटवर्प डायमंड सेंटर (Antwerp Diamond Centre) की रेकी भी कर ली. यह सब करने में लियोनार्डो (Leonardo) को 3 साल लग गए. इस बीच लियोनार्डो ने कहीं कुछ नहीं किया था. केवल चोरी करने के तरीके पर इन्वेस्ट किया था और चोरी की तैयारी की थी. सारी तैयारी पूरी हो गई थी. अब बाकी था, दुनिया की सब से बड़ी डायमंड की चोरी करना.

इस सेंटर में जो सिक्युरिटी गार्ड थे, वे यहूदी थे. वे सभी शाम के समय अपनी धार्मिक प्रार्थना करते थे. यह उन की धार्मिक प्रार्थना थी. इस के अलावा शनिवार और रविवार को यहां गार्ड कम होते थे. इस की वजह यह थी कि डायमंड सेंटर का सिक्युरिटी सिस्टम इतना मजबूत था कि किसी को जरा भी भ्रम नहीं था कि यहां कभी चोरी भी हो सकती है. इसलिए सभी बेफिक्र रहते थे.

इसी का लाभ उठाते हुए लियोनार्डो ने शनिवार का दिन चुना और समय वो चुना, जब सेंटर के गार्ड प्रार्थना करते थे.

यह एक ऐसे चोर की कहानी है, जिस ने सदी की सब से बड़ी हीरे और गोल्ड की चोरी की थी, वह भी फुलप्रूफ योजना बना कर. यह एक ऐसा चोर था, जिस की बात ही कुछ अलग थी. इटली (Italy) का रहने वाला यह चोर जब बच्चा था, यानी मुश्किल से 4 साल का रहा होगा, तभी एक दुकान में कुछ सामान लेने गया था. संयोग से उस समय दुकानदार को नींद आ गई थी.

इसी उम्र में इस ने दुकान का पूरा गल्ला साफ कर दिया था. लौट कर वह घर आया तो मां ने डांटा, पर मां की इस डांट का उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा था. स्कूल पहुंचा तो साथियों के पैसे चुराने लगा और कालेज में गया तो टीचरों की जेबें खाली करने लगा. इस की वजह यह थी कि उसे चोरी करने में मजा आता था यानी उसे चोरी करने की लत लग गई थी.

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सदी की सबसे बड़ी चोरी करने वाला चोर लियोनार्डो

एक दिन वह एक ज्वैलरी की दुकान के सामने से गुजर रहा था तो दुकान में सजे गहनों को देख कर उस का जी ललचा उठा. उसे लगा कि ये रुपए पैसे की चोरी बेकार की चीज है. इस में कुछ नहीं रखा. अगर चोरी ही करनी है तो गहनों की चोरी की जाए, जिस में माल हाथ लगा तो एक ही बार में मोटी कमाई हो जाएगी. इस के बाद वह इटली के अलगअलग शहरों में जाने लगा. वहां जा कर वह सब से पहले शहर की अच्छी से अच्छी दुकान की तलाश करता. फिर दुकान के पास किसी गेस्टहाउस में ठहर जाता.

2-4 दिन बाहर से रेकी करने के बाद ग्राहक बन कर उस ज्वैलरी की दुकान में जाता और एकएक चीज को गौर से देखता. अपनी नजरों से सब कुछ भांप लेता और मौका देख कर रात को उस दुकान का माल साफ कर देता. माल हाथ लगते ही वह रात को ही उस शहर को छोड़ देता था.

वह कभी एक शहर में नहीं टिकता था. चोरी का माल भी वह इधरउधर यानी हर जगह नहीं बेचता था. उस के 2-3 बहुत खास दुकानदार थे. वह चोरी चाहे जिस शहर में करता, चोरी का माल ला कर उन्हीं के पास बेचता था. क्योंकि उसे पता था कि चोरी कर के तो बचा जा सकता है, पर माल पकड़ा गया तो बचना मुश्किल है. इसलिए चोरी का माल बेचने में बहुत सावधानी बरतता था.

धीरेधीरे वह इस खेल में माहिर होता गया. इसी तरह चोरी करते करते उसे पता चला कि बेल्जियम में हीरों का अरबों खरबों का कारोबार होता है. वहां एक बहुत बड़ा डायमंड सेंटर है, जिस में रोजाना अरबों रुपए के तराशे, बगैर तराशे, बिना कटिंग किए हीरे लाए जाते हैं और बेचे जाते हैं.

उसे लगा कि छोटीमोटी चोरी के लिए यहांवहां बेकार ही भटकता फिरता है, क्यों न वहां जा कर बड़ा हाथ मारा जाए, जिस से एक ही बार चोरी कर के आराम की जिंदगी बिताई जाए. उस ने सोचा, चलो बेल्जियम चलते हैं, जहां एक बार माल हाथ लग गया तो जिंदगी सुधर जाएगी.

बस, फिर क्या था, वह बेल्जियम पहुंच गया. बेल्जियम जाने वाले इस चोर का नाम था लियोनार्डो नोटारबार्टोलो. यह इटली का रहने वाला था. दुनिया की सब से बड़ी चोरी करने के लिए वह बेल्जियम जा पहुंचा. यह 1998-1999 की बात है. चोरी से खूब पैसे कमाए थे, जो उस के पास थे. इसलिए खर्च की उसे कोई चिंता ही नहीं थी.

सेंटर से होता था हीरों का आयातनिर्यात

बेल्जियम (Belgium) का सब से बड़ा डायमंड सेंटर है एंटवर्प डायमंड सेंटर (Antwerp Diamond Centre). यह एक बहुत बड़ी इमारत है, जो बहुत ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाके में है. यहां हीरों का बहुत बड़ा कारोबार होता था. हीरों का आयातनिर्यात का यह बहुत बड़ा सेंटर था. इसलिए पूरी दुनिया से यहां लोग हीरे बेचने और खरीदने आते थे. इन में खरीदने वाले और बेचने वाले भी होते थे.

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एंटवर्प डायमंड सेंटर

पूरे दिन इस इमारत में कारोबार होता था और जब रात को यह इमारत बंद होती थी तो सारे हीरे और गोल्ड इसी इमारत में बने 2 मंजिले तहखाने में बनी अतिसुरक्षित तिजोरी के लौकरों में रख दिए जाते थे. इस इमारत की खासियत यह है कि यहां इंसान के शरीर के टेंपरेचर (तापमान) से भी अलार्म बजने लगते.

जहां सारे हीरे और गोल्ड रखा जाता था, उस के सामने एक बहुत मोटा और भारी स्टील का दरवाजा था. कहा जाता है कि इस दरवाजे को इस तरह बनाया गया था कि पहली बात तो कोई यहां तक पहुंच ही नहीं सकता. अगर किसी तरह कोई यहां तक पहुंच भी जाए और इस दरवाजे को ड्रिल मशीन से काटने लगे तो इसे काटने में पूरे 8 घंटे लगेंगे. यह दरवाजा चाबी से नहीं खुलता. इस में कोड नंबर है 1 से ले कर 99 तक, जो समयसमय पर बदलता रहता है. अगर यह दरवाजा किसी तरह खुल भी जाए तो अंदर एक और दरवाजा था, जिस की चाबी करीब एक फुट की थी.

इस के अंदर जाने पर कैमरे हैं, सेंसर और अलार्म थे. यही नहीं, इस के अलावा बंदूकधारी सिक्युरिटी गार्ड भी. जहां इतनी सख्त सिक्युरिटी हो, भला वहां कोई चोर तिजोरी तक कैसे पहुंच सकता है.

इस सब के अलावा इस सेंटर के अंदर जाने वाला कोई भी व्यक्ति, भले ही इस सेंटर के अंदर उस की दुकान ही क्यों न हो, वह फोन या कैमरा कतई नहीं ले सकता. इस की वजह यह है कि लोगों को डर था कि कहीं कोई तिजोरी तक जाने के रास्ते की फोटो न खींच ले.

इतनी सख्त सिक्युरिटी के बाद भी लियोनार्डो वहां चोरी करने पहुंच गया था. उस ने धीरेधीरे वहां के लोगों से घुलमिल कर इस डायमंड सेंटर की जानकारी जुटानी शुरू कर दी थी. एंटवर्प डायमंड सेंटर के ठीक सामने एक कौफी शौप था, जिस के अंदर बैठ कर वह इस डायमंड सेंटर को ही नहीं, उस के अंदर आनेजाने वालों को भी आराम से देख सकता था.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 1

विला के अंदर नरोत्तम सिंह ढिल्लों की लाश उन के बिस्तर पर पड़ी थी, चारों तरफ खून बिखरा हुआ था. उन के कपड़े भी अस्तव्यस्त नजर आ रहे थे और लाश पर कुछ चोटों के निशान भी मौजूद थे. देखने से साफ साफ लग रहा था कि ढिल्लों की मौत कोई सामान्य मौत नहीं है, बल्कि मौत से पहले उन के साथ मारपीट और ज्यादती की गई थी.

पुलिस ने लाश का जब बारीकी से निरीक्षण किया तो पाया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मोबाइल फोन और उन के सोने के जेवर भी नदारद थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों आमतौर पर सोने का कड़ा, सोने की चेन और सोने की बेशकीमती कई अंगूठियां पहनते थे, लेकिन हत्यारों ने हत्या करने के साथसाथ उन से लूटपाट भी की थी.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों पंजाब के दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई और शिरोमणी अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के भतीजे थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब मुक्तसर के बादल गांव के मूल निवासी थे.

उत्तरी गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका गोवा में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है. वैसे तो पूरा का पूरा गोवा ही एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका अपने हाईप्रोफाइल विलाज और अपनी शानदार हौस्पिटैलिटी के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है.

रविवार दिनांक 4 फरवरी को सुबह लगभग साढ़े 7 बजे इसी पिलेर्ने मार्रा इलाके से सुबहसुबह गोवा के पारवोरिम थाने में पुलिस को सूचना मिली कि यहां होरीजंस अजर्ड विला में एक शख्स की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है. मरने वाला विला का मालिक है, नरोत्तम सिंह ढिल्लों हैं.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह उर्फ निम्स ढिल्लों की गिनती इलाके के रईसों में होती थी, जो इस पिलेर्ने मार्रा इलाके में सिर्फ एक नहीं, बल्कि 3-3 आलीशान विलाज के मालिक थे. इन में एक विला का इस्तेमाल वह खुद करते थे, जबकि बाकी के 2 विलाज को उन्होंने गेस्टहाउस बना रखा था.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों की इस के अतिरिक्त एक और भी विशिष्ट पहचान थी, वह यह थी कि वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई थे. अब इतने अमीर और प्रभावशाली कारोबारी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत की खबर अपने आप में काफी गंभीर बात थी. लिहाजा यह खबर मिलते ही पोखोरिम थाने के एसएचओ राहुल परब ने इस की सूचना तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को दे दी.

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एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन

अगले ही पल एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन और पारवोरिम थाने के इंसपेक्टर राहुल परब अपनी पुलिस टीम के साथ आननफानन में ढिल्लों के विला में पहुंच गए.

अब तक घटनास्थल पर पुलिस के अलावा फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड भी पहुंच चुके थे. कत्ल की खबर वाकई एकदम सही थी.

विला में पहुंची पुलिस, पुलिस के खोजी कुत्ते और फोरैंसिक टीम ने अपनेअपने स्तर पर अज्ञात कातिलों के बारे में सुराग इकट्ठा करने की कोशिश की, लेकिन इस शुरुआती कोशिश में कत्ल के पीछे का मोटिव लूटपाट का ही नजर आया.

 क्यों किया गया नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मर्डर

यह भी एक अजीब सा इत्तेफाक था कि लाश मिलने और नरोत्तम सिंह की कत्ल की जांच करने से अलग उत्तरी गोवा के ही पारवोरिम पुलिस स्टेशन में बीती रात यानी कि 3 फरवरी, 2024 की रात को एक और शिकायत मिली थी. ये दूसरी शिकायत ‘रेंट ए कार’ के तहत अपनी कार किराए पर देने वाले एक शख्स ने पुलिस से की थी.

उस ने अपनी शिकायत में कहा था कि एक दिन पहले एक कपल ने उस से एक कार किराए पर ली थी. रेंट ए कार के तहत ग्राहक कार ले कर स्टेट से यानी गोवा से बाहर नहीं जा सकता, लेकिन शिकायतकर्ता का कहना था कि कार ले कर जाने वाले लोग न सिर्फ सिर्फ गोवा से बाहर मुंबई की तरफ जा रहे हैं, बल्कि बारबार फोन करने पर भी वे लोग उस का फोन नहीं उठा रहे हैं.

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होरीजंस अजर्ड’ विला

पुलिस नरोत्तम सिंह ढिल्लों हत्याकांड की जांच बड़ी सूक्ष्मता और बारीकी से कर रही थी, लेकिन इस बीच ‘होरीजंस अजर्ड’ विला की छानबीन करतेकरते पुलिस की नजर एक सीसीटीवी फुटेज पर पड़ गई, जोकि एक पास की दूसरी बिल्डिंग के कैमरे में कैद हो गई थी.

इस फुटेज की जब गोवा पुलिस ने गहनता से जांचपड़ताल की तो पाया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को तकरीबन साढ़े 3 बजे मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड विला से एक कार रवाना हुई थी.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

छानबीन करने पर गोवा पुलिस को यह बात भी पता चली कि एक नौजवान कपल 3 फरवरी, 2024 की रात को उन के निजी विला पर पार्टी के लिए पहुंचा था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों और उन के उन मेहमानों ने रात को करीब 2 बजे डिनर लिया था यानी कि कत्ल से पहले वाली रात को मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों कुछ लोगों को होस्ट कर रहे थे और उन की मेहमानवाजी में लगे थे.

जाहिर सी बात है कि ऐसी परिस्थिति में पुलिस का शक अब उन मेहमानों पर ही जा टिका था, जो नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड में बीती रात को पार्टी करने पहुंचे थे. अभी पुलिस उन लोगों के बारे में और अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश कर ही रही थी, तभी पुलिस को एक विशेष बात पता चली कि बीती रात उन के घर निकलने वाले लोगों ने मेनगेट का नहीं, बल्कि एक खिड़की का सहारा लिया था.

Khidki jaha se qatil bhage the

असल में ‘होरीजंस अजर्ड’ विला के कर्मचारियों को 4 फरवरी, 2024 की सुबह वह खिड़की खुली हुई मिली, जबकि वह आमतौर पर बंद ही रहती थी, जबकि मेनगेट बंद था. इस तरह अब तक की सारी तफ्तीश नरोत्तम सिंह ढिल्लों के अनजान मेहमानों पर पूरी तरह से टिक चुकी थी, लेकिन वो मेहमान कौन थे, कहां से आए थे, कहां गए, उन की पहचान आखिर क्या थी, ये अभी तक राज बना हुआ था.

इन दोनों ही मामलों में कुछ अजीब से इत्तफाक भी थे. अव्वल तो कार ले कर भागने वाला भी एक कपल था और नरोत्तम सिंह ढिल्लों के कत्ल में भी कपल के हाथ होने का शक था. कार की चोरी भी तकरीबन उसी दौरान हुई थी, जिस दौरान ढिल्लों की हत्या हुई थी, सब से बड़ी और खास बात तो यह थी कि दोनों ही मामले गोवा के पारवोरिम थाना इलाके में हुए थे.

हिना की शातिर चाल – भाग 4

हिना अनिल के घर में परिवार के सदस्य की तरह रहने लगी. इस बीच रिश्तेदारी में जाने के बहाने वह नाजिम से मिलने जेल भी गई. दोबारा जेल जाने की बात हिना ने अनिल से छिपा ली थी. अनिल प्रौपर्टी का काम करता था. हिना को भी इस का अच्छा तजुर्बा था, इसलिए अनिल ने उस से ऐसा ही कुछ करने को कहा तो उस ने नोएडा विकास प्राधिकरण में अनिल के रसूख और अपनी सुंदरता के दम पर पकड़ बनानी शुरू कर दी.

किसी भी बाहरी लड़की को घर में रखना ठीक नहीं था. फिर हिना भी वहां नहीं रहना चाहती थी, इसलिए उस ने अनिल से कोई किराए का फ्लैट दिलाने को कहा. अनिल ने उसे प्रौपर्टी डीलर जगदीप सिंह गिल के माध्यम से सेक्टर-71 स्थित फ्लैट नंबर डी-20/2 साढ़े 5 हजार रुपए महीना किराए पर दिला दिया.

उस फ्लैट में अनिल ने जरूरी सामान की भी व्यवस्था करवा दी तो हिना उस में शिफ्ट हो गई. तब तक नाजिम की जमानत हो चुकी थी. दोनोें की फोन पर बातें होती ही रहती थीं, जब तब मिलते भी रहते थे. प्रौपर्टी के काम से हिना खर्च भर के लिए कमा लेती थी.

एक दिन हिना अनिल के साथ बैठी थी तो उस ने कहा, ‘‘तुम ने मेरी बहुत मदद की है. बस एक मदद और कर दो.’’

‘‘क्या?’’

‘‘मैं ब्यूटीपार्लर का काम जानती हूं. मैं अपना ब्यूटीपार्लर खोलना चाहती हूं. इस के लिए मुझे 6 लाख रुपए चाहिए. मैं तुम्हारे रुपए धीरेधीरे कर के लौटा दूंगी.’’ हिना ने कहा.

‘‘ठीक है, बड़ी रकम का मामला है, इसलिए थोड़ा सोचने का वक्त दो.’’

हिना को ले कर अनिल के परिवार में कोई मतभेद नहीं था. सभी उसे पसंद करते थे. घर में रुपयों का लेनदेन अनिल के पिता के हाथों में था. घर में किसी को भी पैसों की जरूरत होती थी तो वह उन्हीं से पैसे मांगता था.

अनिल ने हिना के पैसे मांगने की बात पिता को बताई तो वह उसे पैसे देने को तैयार हो गए. उन्होंने अनिल को 6 लाख रुपए दे दिए तो अनिल ने वे रुपए हिना को दे दिए.

पैसे मिलते ही हिना को एक बार फिर पंख लग गए. उस ने अपना दायरा बढ़ाना शुरू किया. वह प्राधिकरण में लोगों के अटके काम कराने के साथ ठेके दिलाने लगी. प्राधिकरण और प्रौपर्टी के धंधे से जुडे़ लोगों में हिना की एक अलग पहचान बन गई. उसी बीच उस की दोस्ती संदीप और रफीक से हो गई. ये दोनों गाजियाबाद के रहने वाले थे.

हिना अकेली ही रहती थी, इसलिए उस के दोस्तों का उस के फ्लैट पर आनाजाना शुरू हो गया. फ्लैट पर खानेपीने की पार्टियां भी होने लगीं. स्टेटस व दायरा बढ़ाने के लिए वह 3-3 मोबाइल फोनों का इस्तेमाल करती थी. महंगे शौकों की लत उसे पहले से ही थी. वह खूब बनसंवर कर रहती थी.

ब्यूटीपार्लर में हिना का एक बार का खर्च 10 से 20 हजार रुपए आता था. वह स्पा व मसाज थैरेपी भी लेती थी. उस ने अनिल से जो रुपए ब्यूटीपार्लर खोलने के लिए थे, उन्हें वह अपने रईसी शौकों में उड़ाने लगी.

बाहर आते ही नाजिम हिना से निकाह के लिए कहने लगा. दूसरी ओर अनिल की छोटी बहन मोनिका की शादी तय हो गई. 8 मई, 2014 को उस का विवाह होना था. हिना ने एक बार फिर अनिल की शराफत का फायदा उठाया. उस ने कहा कि वह एक लड़के से प्रेम करती है और उस से निकाह करना चाहती है.

अनिल को इस में भला क्या आपत्ति होती. सुनीता भी चाहती थी कि उस का घर बस जाए. उस ने हिना को निकाह का जोड़ा खरीदवाया.

जनवरी में बिजनौर जा कर उस ने नाजिम से निकाह कर लिया. अनिल भी उस के साथ था. उसे क्या पता था कि हिना खुद तो शातिर है ही, जिस से निकाह कर रही है वह भी हिस्ट्रीशिटर है. नाजिम ने उस से बताया था कि वह दिल्ली में नौकरी करता है.

निकाह के बाद नाजिम हिना के फ्लैट पर आनेजाने लगा. चूंकि नाजिम की नीयत साफ नहीं थी, इसलिए हिना के फ्लैट पर आनेजाने वाले उस के दोस्तों से उसे कोई दिक्कत नहीं थी. समय अपनी गति से चलता रहा.

अनिल की बहन की शादी थी, इसलिए उस ने हिना से अपने पैसे मांगे. ब्यूटीपार्लर तो मात्र बहाना था, हिना ने अनिल से रुपए ऐश की जिंदगी जीने के लिए लिए थे. उस ने सोचा था कि कहीं से अचानक पैसे मिलेंगे तो वह अनिल के रुपए लौटा देगी.

हिना अनिल को टालने लगी. लेकिन जब अनिल लगातार अपने पैसे मांगने लगा तो हिना को परेशानी होने लगी. उस के पास रुपए थे नहीं जो लौटा देती. टालने की एक सीमा होती है. हद पार हो गई तो अनिल ने एक दिन धमकी वाले अंदाज में कहा, ‘‘मेरी बहन की शादी है और मुझे हर हाल में रुपए चाहिए. मैं ने हर बुरे वक्त में तुम्हारी मदद की है, इसलिए मैं नहीं चाहता कि मुझ से तुम्हें कोई परेशानी हो.’’

‘‘मैं समझती हूं अनिल लेकिन…’’

‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, तुम मेरे रुपए जल्दी लौटा दो, बस.’’

हिना जानती थी कि अनिल रसूखदार नेता है. अगर वह चाहे तो किसी भी हद तक जा सकता है. उस ने इस मुद्दे पर नाजिम से बात की तो उस ने अनिल को रास्ते से हटाने की खतरनाक सलाह दे डाली. हिना इस के लिए तैयार भी हो गई. उस ने यह भी नहीं सोचा कि अनिल ने उस की कितने बुरे वक्त पर मदद की थी. इस के बाद हिना ने अनिल को खत्म करने की जो योजना बनाई, उस में उस ने रफीक और संदीप को भी शामिल कर लिया.

योजना बना कर 20 अप्रैल, 2014 की शाम हिना ने अनिल को फोन किया कि वह आ कर अपने रुपए ले जाए. अनिल साढ़े 8 बजे के करीब स्कूटी से हिना के फ्लैट पर पहुंचा. तो वहां शराब की महफिल सजी थी. महफिल में नाजिम, रफीक और संदीप शामिल थे. यह सब देख कर अनिल को गुस्सा आ गया. उस ने हिना को बुराभला कह कर अपने रुपए मांगे.

अनिल की हिना और वहां मौजूद लोगों से बहस हो गई. वे तो वहां उसे मारने की योजना बना कर ही बैठे थे. अनिल के साथ वहां जो होने वाला था, उस के बारे में उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. सभी एकदम से अनिल पर टूट पड़े.

अनिल ने खुद को छुड़ाना चाहा तो पीछे की ओर गिर गया. इस से उस के सिर में चोट लग गई. सब ने अनिल की हत्या का इरादा बना रखा था, इसलिए उस का गला दबा कर उसे मार दिया. इस के बाद उन्होंने उस के बाएं हाथ की कलाई काट दी.

धक्कामुक्की में मेज का शीशा टूट गया था. हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उन्होंने बैड के ऊपर  लगे पंखे से चुन्नी लटका दी. लेकिन जल्दबाजी में ऐसा कर नहीं पाए. अपना काम कर के नाजिम, संदीप और रफीक चले गए. इस के बाद हिना ने अनिल की पत्नी सुनीता को फोन कर के फ्लैट में लाश पड़ी होने की सूचना दे दी.

अनिल का भाई जब वहां पहुंचा तो हिना भी फरार हो चुकी थी. पुलिस ने दबाव बनाया तब उस ने वकील की मदद से 29 अप्रैल को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.

पुलिस ने हिना की निशानदेही पर वह चाकू भी बरामद कर लिया था, जिस से अनिल के हाथ को काटा गया था. रिमांड अवधि खत्म होने पर कोतवाली प्रभारी रीता यादव ने हिना को अदालत में पेश किया, जहां से उसे पुन: जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक पुलिस अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. उन की सरगर्मी से तलाश की जा रही थी. अनिल ने हिना को पहचानने में भूल कर दी, यही उस के लिए मुसीबत बन गया.

ऐसे पकड़ में आया फरजी आईपीएस औफीसर

राजस्थान के बानसुर विधानसभा क्षेत्र में एक गांव है हमीरपुर. वहां एक रिटायर फौजी का बेटा सुनील  सांखला आईपीएस बन गया था. उसे 2021 के यूपीएससी परीक्षा में 263 रैंक मिला था. गांव में उस के दोस्तों और रिश्तेदारों को इस की जानकारी 22 अप्रैल, 2022 को उस के सोशल मीडिया पोस्ट से लगी थी. यह खबर पूरे गांव में फैल गई और उन्होंने उस का स्वागत करने का मन बना लिया.

गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, क्योंकि उन्हें उसी ने 2020 में बताया था कि उस की इनकम टैक्स विभाग में नौकरी लगी हुई थी, इस के साथ ही वह यूपीएससी की तैयारी कर रहा है. आईपीएस बन कर ही गांव आवेगा. जैसा कहा था, वैसा उस ने कर दिखाया, गांव वाले उस की तारीफ किए बगैर नहीं थकते थे. आए दिन चौपाल पर उस की चर्चा होने लगी थी. उस के किस्से नई पीढ़ी के स्कूली लड़कों को सुनाए जाने लगे थे. वह एक तरह से प्रेरणा का स्रोत बन चुका था.

उस ने अपने सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर पुलिस के स्टार और भारत के अशोक स्तंभ लगी पट्टी की तसवीरें थीं. कुछ अन्य तसवीरों में कुछ अखबारों की कतरनें थीं, जिस में उस के बारे में लिखा था कि उस ने किस तरह से परीक्षा पास की, कितने घंटे की रोजाना पढ़ाई की, किस का कितना सपोर्ट मिला, इंटरव्यू में क्या कुछ पूछा गया, समाज और देश के लिए वह क्या करना चाहता है. उस का लक्ष्य क्या है, उद्ïदेश्य क्या है, प्रेरणा कहां से मिली, उन से क्या सीखनी चाहिए? इत्यादि.

गांव में उस के आने का इंतजार होने लगा. 22 अप्रैल, 2022 को वह अपने गांव आया. उसे गांव वालों ने सिर आंखों पर बिठा लिया. उस के दोस्त खुशी से झूम उठे. उस के गांव आने की खुशी में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया. ग्रामीणों ने गांव की चौपाल पर उस का भव्य स्वागत किया. साफा बांधा गया, माला पहनाई गई, गांव में मिठाई बांटी गई और गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने उस की सफलता की तारीफ की. उस की पढ़ाई, मेहनत, ईमानदारी और जज्बे को प्रेरक बताया.

इस भव्य स्वागत समारोह की एक ग्रुप फोटी उतारी गई. इसे सभी ने यादगार के तौर पर अपनेअपने मोबाइल में सेव कर लिया. उस के घर में इस का प्रिंट निकाल कर दीवार पर लगा दिए गए.

देखते ही देखते उस की लोकप्रियता गांव से निकल कर आसपास के क्षेत्रों और उस के समाज में फैल गई. जिस ने भी सुना, उस की तरीफ की. उस के बाद उस के पास शादी के औफर आने लगे. उस के परिवार से अधिक हैसियत वाले समृद्ध परिवार अपनी लड़की की शादी उस से करने को लालायित हो गए.

24 वर्षीय सुनील सांखला के पिता भारतीय सेना से सेवानिवृत्त थे. उस ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि उस की पोस्टिंग महाराष्ट्र कैडर में है. फिलहाल वह वहीं ड्यूटी कर रहा है. अगले रोज उस के फेसबुक पेज पर स्वागत के ग्रुप फोटो के साथ जौइनिंग लेटर और अन्य जगहों से मिले सम्मान आदि की तसवीरें भी लगा दीं.

उस के कई शौक में एक शौक अपनी पब्लिसिटी का भी भा. वह अपने बारे में लोगों को बताने को उत्सुक रहता था कि उस का ओहदा किस तरह का है? उस की कौन सी खूबी के चलते उसे पुरस्कार, सम्मान और बधाइयां मिलती हैं. उस की सोशल साइट पेज पर 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के प्रशंसा पत्र भी लगे हुए थे. उन में एक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और दूसरा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के थे.

इन सब वजहों से ही वह लोकप्रिय हो गया था. जहां उसे अपना प्रभाव जमाने और पहचान बताने की जरूरत होती थी, वहां वह इन का ही इस्तेमाल करता था. खैर, सब कुछ उस के मनमुताबिक चल रहा था. इसी बीच उस के लिए अच्छे घराने से शादी का प्रस्ताव भी आ गया. उस की सगाई भी हो गई.

सगाई के समय उस ने अपने होने वाले ससुराल वालों बताया कि उस का आईपीएस के लिए चयन महाराष्ट्र कैडर में हुआ है. उस ने यह भी बताया कि उसे सीबीआई विभाग में एक महत्त्वपूर्ण जांच की जिम्मेदारी मिली है. इसलिए वह ज्यादातर सिविल कपड़ों में ही होता है. वैसे खास मौके पर वरदी में होता है.

एक दिन आईपीएस सुनील का ससुराल वालों के साथ उदयपुर जाना हुआ. वहां सर्किट हाउस पहुंचा और अपने लिए ठहरने के लिए कमरा बुक करने का आग्रह किया.

उस ने बताया कि यहां उस का एक जांचपड़ताल के सिलसिले में आना हुआ है. संयोग से उसी समय उदयपुर के एसपी भुवन भूषण यादव भी वहां पहुंच गए. सुनील कुमार उन्हें देखते ही सैल्यूट करते हुए बोला, ”सर! जय हिंद!’’

”जय हिंद!’’ यादव भी बोले और हाथ नीचे करने से पहले सुनील के सैल्यूट करने के तरीके को देख कर वह चौंक गए.

सवालिया निगाहों से देखते हुए उन्होंने पूछा, ”आप न्यू अपौइंटमेंट! …कहां से?’’

”सर, मैं सुनील कुमार राजस्थान से, मुंबई से आया हूं…सीबीआई में हूं.’’

”ओके गुड…बैच?’’ यादव ने दूसरा सवाल किया.

”…जी…जी.’’ सुनील कोई स्पष्ट जवाब नहीं सका.

”लगता है आप थोड़ी हड़बड़ी में हैं…’’ यादव ने व्यंग्य किया, ”हो जाता है ऐसा अकसर नए अफसर को सीनियर के सामने… कोई बात नहीं…लेकिन आप के सैल्यूट करने का अंदाज मुझे कुछ ठीक नहीं लगा,’’ एसपी यादव बोले.

”अभी चलता हूं फिर मिलूंगा,’’ कहते हुए उस पर एसपी यादव परीक्षण करती एक नजर डालते हुए जाने के लिए मुड़ गए. सुनील उन की इस अदा के बारे में कुछ समझ नहीं पाया. यह सब रिसैप्शन के पास ही हो रहा था.

”सर, आप का कोई आईडी

कार्ड!’’ रिसैप्शन पर बैठा व्यक्ति बोला.

”हांहां, यह लो.’’ कहते हुए सुनील ने अपनी जेब से आईडी कार्ड निकाल कर उस के सामने बढ़ा दिया.

रिसैप्शन पर बैठे व्यक्ति ने सुनील का आईडी कार्ड ले कर स्कैन किया और वापस लौटाते हुए बोला, ”सर, इस में अच्छा फोटो नहीं लगाया है, आप के डिपार्टमेंट वालों ने, दूसरा बनवा लीजिएगा.’’

”इस में क्या खराबी है?’’ सुनील ने चौंकते हुए पूछा.

”आप के साथ और लोग भी हैं?’’ रिसैप्शनिस्ट बोला.

”हां, तो?’’ सुनील बोला.

”सर, एक साथ एक ही अलाउड है, लेकिन आप ने 3 का नाम लिखा है.’’

”अरे कुछ नहीं होता…कर लो!’’ सुनील ने समझाते हुए एक तरह से आग्रह किया.

”सर, सभी का आईडी दीजिए.’’

”अरे, मैं हूं न! आईपीएस हूं…और तुम मुझ से ही बहस कर रहे हो!’’ सुनील बोला.

”क्यों नहीं मिस्टर सुनील, वह अपनी ड्यूटी निभा रहा है. तुम गलत हो और उसे भी गलत करने के लिए दबाव दे रहे हो.’’ उसी वक्त एसपी यादव वहां आ गए और उन्होंने सख्ती भरे अंदाज में कहा.

”सर, आप इसी की तरफदारी कर रहे हैं? हम लोगों के पीछे यहां कौन कितना काम करता है, नहीं जानते क्या आप?’’ सुनील बोला.

”लाओ, दिखाओ मुझे अपना आईडी कार्ड.’’ एसपी बोले.

”सर, आप एक आईपीएस पर शक कर रहे हैं?’’

”शक नहीं, विश्वास के साथ कहता हूं कि तुम गलत हो. मैं ने मुंबई में पता कर लिया है. वहां तुम्हारे नाम का सीबीआई में कोई है ही नहीं.’’ एसपी बोले.

”क्या बोल रहे हैं सर, मेरा आईडी देखिए सीबीआई का है.’’

”ऐसा है मिस्टर सुनील, मैं ने बांद्रा मुंबई में पोस्टेड सीबीआई विभाग में अभीअभी बात की है. वहां के औफिसर का कहना है कि सीबीआई से आईडी कार्ड जारी नहीं किया जाता, तुम फरजी आईपीएस हो. मुझे तो तुम पर संदेह उसी वक्त हो गया था जब तुम ने उल्टा सैल्यूट मारा था. जिसे सही सैल्यूट का पता नहीं हो, वह पुलिस का अफसर कैसे हो सकता है…’’

”सर, आप मुझ पर गलत आरोप लगा रहे हैं.’’ सुनील हकलाता हुआ बोला. सर्दी में चेहरे पर पसीने की बूंदें भी दिखने लगी थीं.

”मैं ने तुम्हारे तीनों आदमियों से भी पूछताछ की है…उन की बातें तुम्हारी बातों से मेल नहीं खाती हैं.’’

सुनील क्यों बना फरजी आईपीएस

एसपी भुवन भूषण यादव ने तुरंत फोन कर के स्थानीय पुलिस को बुला लिया. सुनील को तुरंत हिरासत में ले लिया गया. उसे उदयपुर की हाथीपोल थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया. उस के साथ उस के परिवार के 3 अन्य लोग इंद्राज सैनी, अमित कुमार चौहान और सत्यनारायण भी गिरफ्तार कर लिए गए थे. उस से पूछताछ होने पर उस ने अपने फरजीवाड़े का जुर्म स्वीकार कर लिया.

ऐसा कदम उठाने के संबंध में उस ने बताया कि उस का सपना आईएएस बनने का था, लेकिन नहीं बन पाया. तब उस ने ऐसा किया. उस ने 4 बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन पास नहीं हो पाया. उसे बुरा लगा, लेकिन अपने आसपास के लोगों में रुतबा दिखाने के लिए दिल्ली जा कर कुछ समय गुजारा करने लगा. फिर सीबीआई का फरजी आईपीएस अधिकारी बन कर गांव लौटा.

संयोग से उसे बानसूर गांव के एक इंसपेक्टर का फरजी आईडी कार्ड भी मिल गया. एक आईपीएस में जितना रुतबा, रौब और दंबगई का जलवा होता है, उतना किसी और विभाग के अफसर में शायद नहीं होता. ऐसा सुनील सांखला का सोचना था. लेकिन शायद उस ने बचपन में पंचतंत्र की कहानी ‘रंगा सियार’ नहीं पढ़ी होगी, वरना वह न तो नकली वरदी पहनता और न ही असली पुलिस की नजरों में आ पाता.

हालांकि गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, जब उन्होंने उस की करतूत के बारे में सुना, तब भौचक रह गए. उस के शातिराना ढंग के बारे में जिस ने भी सुना, दंग रह गया. उस ने न केवल नकली आईडी बनवाई और वरदी पहनी, बल्कि 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लेटर हेड पर फरजी बधाई संदेश भी बनवा लिए. उस ने पूछताछ में बताया कि उस ने पुलिस वरदी औनलाइन मंगवाई थी. पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

इंदौर का फरजी आईएएस

इंदौर के कंट्रोल रूम में 6 सितंबर, 2023 को एक काल आई. फोन करने वाले ने धमकाते हुए कड़क आवाज में कहा, ”हैलो! मेरी बात को ध्यान से सुनो. मैं दिल्ली पीएमओ से बोल रहा हूं. मेरे लिए दिल्ली में किसी अच्छे होटल में कमरा बुक करवा दो.’’

”आप कौन साहब बोल रहे हैं?’’ कंट्रोल रूम में औपरेटर की ड्यूटी पर बैठे कर्मचारी ने शालीनता से पूछा.

”बदतमीज! जयहिंद बोलना भी नहीं सीखा. सीधे मेरे बारे में पूछता है.’’ काल करने वाला व्यक्ति फिर कड़कती आवाज में बोला.

”सर, आप बताएंगे, तभी तो मैं जानूंगा कि आप कौन साहब हैं? धमकी के यहां सैकड़ों फोन आते रहते हैं…’’ औपरेटर बोला.

”यस ओके! मैं दिल्ली कैडर का अमित सिंह आईएएस हूं. मेरे लिए तुम्हें 2 काम अर्जेंट करने हैं…’’

”जय हिंद सर!’’ आईएएस शब्द सुनते ही औपरेटर ने अभिवादन किया.

”जय हिंद!…मेरे नाम से होटल में कमरा बुक करना है और हां, 2 मोबाइल सिम भी अरेंज करवा देना.’’ यह कहते हुए उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

कंट्रोल रूम का औपरेटर दुविधा में पड़ गया कि होटल का कमरा किस नाम और आईडी से बुक करवाए…और सिम का क्या करे? जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उस ने अपने अफसर से बात करने के लिए फोन मिला दिया.

वहां उसे मालूम हुआ कि इसी तरह का फोन लसूडिय़ा इलाके के पटवारी के पास भी आया था. वहां भी फोन करने वाले ने धमकी के अंदाज में कमरा बुक करवाने के लिए कहा था. लगता है कोई सनकी है या फिर फरजी.

कंट्रोल रूम का औपरेटर इस बारे में यही सोच रहा था कि क्या करे, क्या नहीं, तभी दोबारा उसी व्यक्ति का फोन आ गया. पहले जैसे रोबीले अंदाज में उस ने बात की. औपरेटर ने बात करते हुए उस से कौंटेक्ट नंबर मांग लिया ताकि उन्हें होटल बुकिंग की सूचना दे सके.

उधर मल्हारगंज में रहने वाले पटवारी संतोष चौधरी ने भी लसूडिय़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई कि एक व्यक्ति आईएएस अधिकारी बन कर शादी करवाने के लिए धमका रहा है. वह बारबार काल कर के कह चुका है कि कोई लड़की हो तो बताओ, शादी करनी है.

उस के बाद इस की सूचना इंदौर क्राइम ब्रांच को भेज दी गई. क्राइम ब्रांच ने इस सूचना के संबंध में तहकीकात शुरू की. उन्हें संदेह इस बात का हुआ कि एक आईएएस अधिकारी विशेष तरह के प्रोटोकाल में रह कर कार्य करते हैं. उसी के तहत आदेश जारी किया जाता. सीधे कंट्रोल रूम में फोन नहीं करते हैं.

वह एक सिस्टम का हिस्सा होते हैं और उसी के तहत कामकाज किया जाता है. व्यक्तिगत काम के लिए फोन करना प्रोटोकाल के खिलाफ माना जाता है, जबकि फोन करने वाले ने न केवल होटल बुक करने का आदेश दिया था, बल्कि 2 सिमकार्ड उपलब्ध करवाने के लिए भी कहा था. इस पर तुरंत काररवाई की गई.

उसी रोज वह पकड़ा भी गया. लसुडिय़ा थाने की पुलिस ने उस से पूछताछ की, तब मालूम हुआ कि उस का नाम रामदास गुर्जर है और वह अंबाह मुरैना का रहने वाला है. उस से अपना जुर्म तुरंत स्वीकार कर लिया.  इस बारे में एडिशनल डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राजेश दंडोतिया के अनुसार उस के खिलाफ फरजी आईएएस के नाम पर धमकी देने और धमकी देने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

पूछताछ में उस ने बताया कि उसे यह आइडिया ‘स्पैशल 26’ फिल्म देख कर आया था. यह स्पष्ट बताने से इनकार किया कि उस ने कितनों के साथ ठगी की है.

—विजय सोनी