अंत में अमितपाल ने फैसला लिया कि हरप्रीत कौर नाम की जिस लड़की से हरप्रीत की शादी हो रही है, उस लड़की की सुंदरता को नष्ट कर दिया जाए तो यह शादी अपने आप ही रुक जाएगी. पलविंदर ने भी उस की इस योजना का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘अगर हरप्रीत कौर के चेहरे पर तेजाब डाल कर जला दिया जाए तो हमारी योजना सफल हो जाएगी.’’
अमितपाल ने पलविंदर को यह काम करने के लिए 10 लाख रुपए की सुपारी दे दी और सवा लाख रुपए एडवांस भी दे दिए.
पलविंदर उसी दिन से इस योजना पर काम करने लगा. उस ने अपने साथ अपने चचेरे भाई सनप्रीत उर्फ सन्नी को शामिल कर लिया. दोनों कुरियर मैन बन कर बरनाला में जसवंत के घर पहुंच गए, लेकिन हरप्रीत से मुलाकात न होने पर उन की योजना सफल न हो सकी. उन्होंने 2-3 बार कोशिश की, लेकिन सफल न हो सके.
जैसेजैसे शादी के दिन निकट आते जा रहे थे, अमितपाल को इस बात की चिंता होने लगी थी कि कहीं उस के द्वारा दी गई धमकी झूठी न पड़ जाए. इसलिए उस ने पलविंदर पर दबाव डालना शुरू कर दिया. पलविंदर के कहने पर सन्नी ने राकेश कुमार प्रेमी, जसप्रीत और गुरुसेवक को अपनी इस योजना में शामिल कर लिया. इस के बाद उन्होंने हरप्रीत की रेकी करनी शुरू कर दी. इस काम के लिए वह कई बार बरनाला और लुधियाना भी गए.
उधर अमितपाल पैसों का लालच दे कर रंजीत सिंह के यहां काम करने वाले एक नौकर से फोन पर उन के यहां होने वाली हरेक गतिविधि की जानकारी लेती रही. कभीकभी वह अपने बच्चों से भी बात कर लेती थी. इस प्रकार घर बैठे वह पूरा नेटवर्क चलाती रही. रंजीत सिंह के यहां की हर खबर वह पलविंदर को बताती.
5 दिसंबर, 2013 को जब जसवंत सिंह का परिवार बरनाला से लुधियाना आ गया तो पलविंदर पूरी तैयारी के साथ लुधियाना चल पड़ा. उस ने अपने फूफा से यह कह कर उन की मारुति जेन कार संख्या पीबी03-5824 मांग ली कि वह अपने किसी दोस्त की शादी में जा रहा है. पलविंदर ने कार की नंबर प्लेट उतार कर उस पर पीबी11जेड9090 की फरजी नंबर प्लेट लगा दी. सभी लोग उसी कार से लुधियाना आ गए. एक दिन सभी लुधियाना रह कर हरप्रीत कौर की शादी की तैयारियों का जायजा लेते रहे.
6 दिसंबर को अमितपाल को रंजीत सिंह के नौकर और अपने बेटों द्वारा यह पता चला कि शादी वाले दिन यानी 7 दिसंबर को हरप्रीत कौर सुबह 7 बजे सराभानगर की किप्स मार्केट में स्थित लैक्मे सैलून ब्यूटीपार्लर में तैयार होने जाएगी. यह जानकारी उस ने पलविंदर को दे दी. जिस के बाद पलविंदर साथियों सहित किप्स बाजार पहुंच गया.
ठीक साढ़े 7 बजे हरप्रीत कार द्वारा पार्लर पहुंच गई. लेकिन उस समय उस के साथ उस के मातापिता और सहेलियां थीं, इसलिए वे काम को अंजाम न दे सके. मांबाप उसे ब्यूटीपार्लर में छोड़ कर कहीं चले गए. तब पलविंदर और उस के साथी बाहर खड़े हो कर हरप्रीत के तैयार हो कर लौटने का इंतजार करने लगे.
पलविंदर फोन द्वारा अमितपाल के संपर्क में था. जब 9 बजे तक हरप्रीत तैयार हो कर ब्यूटीपार्लर से बाहर नहीं निकली, तब वह पार्लर में चला गया और घटना को अंजाम दे डाला.
अमितपाल कौर से पूछताछ के बाद पुलिस ने पलविंदर सिंह उर्फ पवन उर्फ विक्की, मनप्रीत सिंह उर्फ सन्नी, जसप्रीत सिंह, गुरुसेवक बराड़ और राकेश कुमार को अलगअलग जगहों से गिरफ्तार कर लिया. उन्हें 9 दिसंबर, 2013 को न्यायालय में ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर 3 दिनों के रिमांड पर ले कर अहम सुबूत इकट्ठे किए. फिर सभी अभियुक्तों को 12 दिसंबर को पुन: न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.
उधर डीएमसी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही हरप्रीत कौर की हालत दिनप्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी. उसे बचाने के लिए डाक्टरों की टीम लगी हुई थी. इसी दौरान घटना के 2 दिन बाद हरप्रीत को 2 बार होश आया. तब उस ने मां दविंदर से पूछा, ‘‘मां अब मेरी शादी होगी, क्या हनी (हरप्रीत) मुझ से शादी करेगा? क्या मैं ठीक हो जाऊंगी?’’
दविंदर कौर ने ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘हां बेटा, तू ठीक हो जाएगी.’’
पुलिस आयुक्त निर्मल सिंह ढिल्लो व थानाप्रभारी हरपाल सिंह को जब पता चला कि हरप्रीत को होश आ गया है तो वे उस से मिलने अस्पताल पहुंचे. पुलिस अधिकारियों से वह केवल इतना ही कह पाई, ‘‘सर, अपराधियों को सजा जरूर देना, उन्हें फांसी पर चढ़ा देना.’’ इस के बाद उस की हालत बिगड़ने लगी. उस की जुबान बंद हो गई.
उस के इलाज में जुटे डीएमसी अस्पताल के डाक्टरों ने जब देखा कि हरप्रीत की हालत सीरियस होती जा रही है तो उन्होंने उसे मुंबई के नेशनल बर्न सेंटर ले जाने की सलाह दी. तब पुलिस आयुक्त ने हरप्रीत कौर को मुंबई ले जाने के लिए एक विशेष विमान की व्यवस्था कराई और 13 दिसंबर, 2013 को विशेष विमान से उसे मुंबई भेजा. मुंबई के नेशनल बर्न सेंटर के डा. सुनील केसवानी के नेतृत्व में हरप्रीत कौर का इलाज शुरू हुआ.
वहां 20 दिनों तक इलाज होने के बाद हरप्रीत कौर की हालत में कोई सुधार न हुआ और 27 दिसंबर, 2013 को सुबह 5 बजे उस ने दम तोड़ दिया.
पुलिस आयुक्त निर्मल सिंह ढिल्लो ने हरप्रीत का शव लेने के लिए एक पुलिस पार्टी विमान द्वारा मुंबई भेजी. टीम ने मुंबई में ही हरप्रीत की लाश का पोस्टमार्टम कराया और विमान द्वारा डेड बाडी ले कर दिल्ली लौट आई. फिर सड़क मार्ग द्वारा बरनाला पहुंच कर उस के मातापिता को डेडबौडी सुपुर्द कर दी. हरप्रीत की मौत पर लोगों में आक्रोश बढ़ गया.
नारेबाजी करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए तो प्रदेश सरकार के वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा मौके पहुंचे. उन्होंने मृतका के परिजनों को 5 लाख रुपए और परिवार के एक सदस्य को डीसी दफ्तर में नौकरी देने का वादा किया. इस के बाद ही हरप्रीत का अंतिम संस्कार किया गया.
यहां यह बताना आवश्यक है कि हरप्रीत पर तेजाब डाले जाने के बाद उस के ससुरालियों ने कोई सहायता नहीं की थी. सारा खर्च लुधियाना पुलिस आयुक्त निर्मल सिंह ढिल्लो और स्वयं सेवी संस्थाओं ने उठाया.
पुलिस ने अमितपाल और अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार कर के भले ही जेल भेज दिया, लेकिन अमितपाल की सनक का खामियाजा हरप्रीत कौर ने दर्दनाक मौत के रूप में सहा.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित