जशन की एक गोली ने ली जान – भाग 3

पूछताछ में पता चला कि अर्चना के पति विकास गुप्ता और राजू सिंह के भाई संजीव सिंह पिछले 3 साल से साझे में रियल एस्टेट का बिजनैस कर रहे थे. इसीलिए उन्हें पार्टी में बुलाया गया था.

5 आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद जांच अधिकारी सी.एल. मीणा ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों को जब पूछताछ के लिए बुलाया, तो उन के मोबाइल से घटना के वक्त बनाई गई कुछ वीडियो क्लिप बरामद हुईं. इस मामले में पुलिस ने 55 लोगों से पूछताछ की.

दरअसल, पुलिस को शुरुआती पूछताछ में ही जानकारी मिल गई थी कि पार्टी में शामिल कुछ लोगों ने इस पार्टी की विडियो बनाई थी. हालांकि घटना के बाद राजू सिंह के परिवार वालों ने ज्यादातर लोगों के मोबाइल फोन से इन वीडियो को डिलीट करा दिया था.

राजू कुमार सिंह बिहार के मुजफ्फरपुर में पारू प्रखंड के बड़ा दाउद गांव के रहने वाले हैं. 48 वर्षीय राजू सिंह 3 भाइयों में मंझले हैं. उन के पिता उदयप्रताप सिंह कई बार पारू प्रखंड की आनंदपुर खरौनी पंचायत के मुखिया रहे हैं. राजू कुमार सिंह ने सन 2005 में राजनीति में एंट्री ली थी. वे पहली बार लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर साहेबगंज से विधायक चुने गए थे.

उसके बाद 2005 में ही हुए अक्तूबर में हुए चुनाव में पार्टी बदल कर वह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर साहेबगंज से दोबारा विधायक चुने गए. फिर साल 2010 में यहीं से वह दोबारा विधायक बने. इस तरह वे 4  बार विधायक चुने गए. इस के बाद राजू कुमार सिंह ने सन 2015 में जेडीयू को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था.

2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. राजू कुमार सिंह ने साल 2009 में अपनी पत्नी रेनू सिंह को भी निर्दलीय चुनाव लड़ा कर एमएलसी बनवा दिया. पूर्वी चंपारण से पंचायती राज कोटे से रेनू सिंह एमएलसी की सीट पर विजयी हुई थीं.

रसूखदार परिवार के हैं पूर्व विधायक

राजू कुमार सिंह ने 1984 में बिहार के मुजफ्फरपुर से मैट्रिक के बाद 1996 में महाराष्ट्र से बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. इस के बाद उन्होंने यूक्रेन से एमटेक करने के बाद महाराष्ट्र से पीएचडी की डिग्री भी हासिल की.

हालांकि राजू सिंह आमतौर पर बिहार में ही रहते थे, लेकिन परिवार दिल्ली में होने की वजह से अकसर यहां आते रहते थे. संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजू सिंह की गिनती बिहार में राजपूतों के दंबग नेता के रूप में होती थी. बिहार के रसूखदार सियासतदारों में शामिल राजू सिंह न सिर्फ राजनीति की चर्चित हस्ती थे, बल्कि उद्योग और व्यवसाय में भी उन की तूती बोलती थी.

वैसे राजू कुमार सिंह के परिवार की पहचान दवा के बड़े व्यवसाई के रूप में भी होती है. उनका दवाओं का कारोबार नोएडा, अहमदाबाद समेत कई बड़े शहरों फैला है. इस के अलावा रूस और अमेरिका में भी उन का दवाओं का कारोबार बताया जाता है.

बताया जाता है कि सोवियत संघ के विघटन और आर्थिक मंदी के समय राजू सिंह का परिवार दवा के कारोबार को सोवियत संघ तक ले कर गया और फिर करोड़ों की दवाओं का साम्राज्य स्थापित कर लिया.

राजू सिंह के पैतृक गांव बड़ा दाउद में उन का कोल्ड स्टोरेज, पारू प्रखंड में चीनी मिल, मुजफ्फरपुर शहर के कलम बाग चौक और मोतीझील में 2 व्यावसायिक प्रतिष्ठान और सुप्रसिद्ध डीआरबी मौल में भी राजू सिंह की हिस्सेदारी है.

अर्चना गुप्ता की हत्या का मामला उन के खिलाफ दर्ज पहला आपराधिक मामला नहीं है. उन के बारे में कहा जाता है कि वह शराब पी कर अकसर अपने लाइसेंसी हथियारों से फायरिंग करते रहते थे.

अनेक मामले दर्ज हैं पूर्व विधायक पर

राजू कुमार सिंह के खिलाफ 2015 के चुनाव के समय 5 आपराधिक मामले दर्ज थे जिस में धमकी देने, मारपीट करने, जान से मारने का प्रयास और आर्म्स एक्ट से जुड़ी कई संगीन धाराओं में उन के खिलाफ मामले दर्ज हैं. उन के खिलाफ एक नाबालिग लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए बेचने समेत सरकारी काम में बाधा डालने के भी मामले चल रहे हैं.

हाल के दिनों में अमर भगत हत्याकांड में भी उन का नाम उछला था, लेकिन पुलिस को उन के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला. राजू सिंह हमेशा नक्सलियों और माओवादियों से खुद को खतरा बताते रहे हैं. यही कारण था कि प्रशासन ने उन्हें विशेष सुरक्षा भी मुहैया कराई थी.

नए साल की पूर्वसंध्या पर राजू सिंह व उन के भाइयों ने अपने फार्महाउस पर 55-60 लोगों को पार्टी में बुलाया था. देर रात सभी मेहमान शराब के नशे में धुत नाच रहे थे. इसी बीच आरोपी पूर्व विधायक ने 3 राउंड गोली चलाईं, जिस में एक गोली अर्चना गुप्ता के सिर में लगी.

फार्महाउस पर म्यूजिक बजा रहे 2 डिस्क जौकी (डीजे) ने पुलिस को दिए अपने बयानों में बताया है कि उस रात राजू सिंह एक हाथ में पिस्टल और दूसरे हाथ में शराब का गिलास ले कर नाच रहे थे. साथ ही अर्चना गुप्ता की हत्या के एक घंटे बाद तक राजू सिंह खून से सने उस डांस फ्लोर पर शराब पीते रहे.

पुलिस ने दोनों डीजे के बयान मजिस्ट्रैट के सामने भी दर्ज करा दिए हैं, जिस का यह अर्थ है कि अदालत के समक्ष इसे अहम सबूत के रूप में स्वीकार किया जाएगा.

प्रतिभाशाली महिला थीं अर्चना गुप्ता

इस बयान में बताया गया कि डांस फ्लोर पर करीब 14 लोग थे. डांस फ्लोर पर मौजूद कुछ लोगों ने पुलिस को बयान दिया है कि उन्होंने राजू सिंह के हाथ में पिस्टल देखी थी. पुलिस को जांच के बाद यह भी पता चला कि फार्महाउस में पिस्टल से 6 और राइफल से 2 फायर किए गए थे. लेकिन नशे और सियासी उन्माद में उन की फायरिंग से एक प्रतिभाशाली महिला की जिंदगी खत्म हो गई.

42 साल की अर्चना गुप्ता, जो एक किताब लिख चुकी थीं, 2 किताबों को फाइनल टच देने का काम कर रही थीं. वह एक डौक्यूमेंट्री पर भी काम कर रही थीं. वह सन 2017 तक आईपी यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थीं. वह बेहतरीन मां, उम्दा आर्किटेक्ट, अच्छी राइटर और शानदार टीचर थीं. वह आगे भी बहुत कुछ करना चाहती थीं. लेकिन नए साल के इस जश्न की पार्टी ने सब पर पानी फेर दिया.

विकास गुप्ता जो रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े थे, राजू सिंह के भाई संजीव सिंह के 25 साल पुराने जिगरी दोस्त हैं, इसीलिए विकास की जानपहचान संजीव के दूसरे भाइयों राजेश व राजू सिंह से भी थी.

जिस फार्महाउस में पार्टी चल रही थी, वह फार्महाउस भी संजीव सिंह का ही था. पारिवारिक दोस्ती के कारण विकास गुप्ता अपनी पत्नी अर्चना व बेटी को ले कर नए साल की इस पार्टी में आए थे, लेकिन खुशी का यह जश्न उन की पत्नी की जिंदगी लील गया.

अर्चना गुप्ता ने भले ही दम तोड़ दिया, लेकिन मरने के बाद भी उन्होंने एक मिसाल पेश कर दी. भले ही अब वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जातेजाते वह 2 लोगों को जिंदगी दे गईं. उन्होंने मरने से पहले अपनी दोनों किडनियां डोनेट कर दीं.

गोली लगने के बाद अर्चना के पति विकास गुप्ता ने उन्हें वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल में एडमिट कराया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. मौत के बाद उन की एक किडनी फोर्टिस अस्पताल के एक 43 साल के मरीज को ट्रांसप्लांट की गई, तो दूसरी अपोलो अस्पताल में एडमिट 67 साल की एक महिला को डोनेट की गई.

जशन की एक गोली ने ली जान – भाग 2

पुलिस ने मेहमानों की मांगी लिस्ट

उस वक्त वहां सिर्फ 22 पुरुष व महिलाएं और कुछ कर्मचारी मौजूद थे. लेकिन कोई भी यह जानकारी नहीं दे सका कि फायरिंग होने के दौरान अर्चना गुप्ता को किस के हथियार से चली गोली लगी. पुलिस ने संजीव सिंह को हिदायत दी कि उस रात पार्टी में मौजूद सभी मेहमानों के नामपते की सूची व फोन नंबर अगले कुछ घंटों के भीतर पुलिस को उपलब्ध कराएं.

इस के बाद फार्महाउस पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया और उस क्षेत्र में जहां गोली चलने की घटना हुई थी, किसी को भी नहीं जाने की हिदायत दे दी गई. पुलिस टीम घटनास्थल पर मौजूद फार्महाउस के कुछ कर्मचारियों और वहां डीजे बजा रहे 2 जौकी को पूछताछ के लिए अपने साथ फतेहपुर बेरी थाने ले आई.

दूसरी ओर इंसपेक्टर सी.एल. मीणा फोर्टिस अस्पताल से अर्चना के पति विकास गुप्ता को अपने साथ थाने ले आए, जहां विस्तारपूर्वक उन का बयान लिया गया.

विकास गुप्ता का साफ कहना था कि उन की पत्नी को पूर्व विधायक राजू सिंह द्वारा पिस्टल से की गई फायरिंग में गोली लगी है. लिहाजा पुलिस ने पहली जनवरी, 2019 की सुबह हत्या की कोशिश व शस्त्र अधिनियम के तहत राजू सिंह के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कर ली.

इस दौरान पुलिस ने कई काम एक साथ किए. सब से पहले पुलिस ने कब्जे में ली गई सीसीटीवी फुटेज देखी, जिस से साफ पता चल रहा था कि उस फुटेज के साथ छेड़छाड़ की गई है. घटना के वक्त 3-4 लोगों ने फायरिंग की थी. लेकिन जिस वक्त राजू सिंह ने पिस्टल लहरा कर गोली चलाई, उस दौरान कुछ मिनट की वीडियो को डिलीट कर दिया गया था.

इसका मतलब था कि घटना के साक्ष्य मिटाने की कोशिश की गई थी. साथ ही सीसीटीवी से यह भी खुलासा हुआ कि राजू सिंह शाम के 7 बजे से ही शराब पी रहा था. रात करीब 12 बज कर 4 मिनट पर जब घटना घटी, उस वक्त वह बुरी तरह नशे में झूम रहा था और उस का खुद पर नियंत्रण नहीं था. रात साढ़े 11 बजे के बाद उस ने कई बार अपनी जेब में खोंसा पिस्टल निकाल कर हवा में लहराया था.

सीसीटीवी फुटेज में की गई छेड़छाड़

सीसीटीवी देखने के बाद तसवीर काफी हद तक साफ हो गई थी. लेकिन जब पुलिस ने फार्महाउस में काम करने वाले कर्मचारियों और जौकी से पूछताछ शुरू की, तो सारा सच सामने आने लगा.

पता चला कि रात को 12 बजते ही सब से पहले राजू सिंह के एक बेहद करीबी राम इंद्र सिंह और राजू सिंह के ड्राइवर हरी सिंह ने रायफल से हवा में 3-4 राउंड गोलियां चलाई थीं. उस वक्त तक अर्चना गुप्ता एकदम ठीक थीं. लेकिन बाद में जब राजू सिंह ने हवा में हाथ लहराते हुए अपने पिस्टल से एक के बाद एक 3 फायर किए तो एक गोली अर्चना के सिर में जा लगी थी.

थानाप्रभारी दिलीप कुमार व एसीपी राजेंद्र सिंह पठानिया को कुछ साल पहले महरौली इलाके में हुए एक बहुचर्चित हादसे के बारे में पता था, जिस में कुछ अमीरजादों ने शराब नहीं देने पर नशे में एक मौडल जेसिका लाल की गोली मार कर हत्या कर दी थी. दिल्ली के बेहद चर्चित इस मामले में भी सबूत मिटाने की कोशिश की गई थी.

बाद में कई कारणों से पुलिस की आलोचना भी हुई थी. लिहाजा एसीपी पठानिया इस तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहते थे. उन्होंने उसी दिन पूर्व विधायक राजू सिंह के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगवा दिया. डीसीपी रोमिल बानिया ने राजू सिंह की गिरफ्तारी के लिए जिले के स्पैशल स्टाफ, एंटी आटो थेफ्ट सेल और फतेहपुर बेरी थाना पुलिस की 4 टीमों को हर उस जगह के लिए रवाना कर दिया, जहां राजू सिंह के मिलने की संभावना थी.

1 जनवरी की शाम होतेहोते अर्चना सिंह ने फोर्टिस अस्पताल में दम तोड़ दिया. पुलिस ने उन के शव का पंचनामा भर कर एम्स के चिकित्सकों की विशेष टीम से पोस्टमार्टम कराने के लिए भिजवा दिया. इधर अर्चना की मौत के बाद जांच अधिकारी सी. एल. मीणा ने इस मामले में हत्या की धारा 302 व 201 भी जोड दी. अगली सुबह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हो गया कि मृतक अर्चना के सिर में राजू सिंह की लाइसेंसी पिस्टल की गोली लगी थी.

इधर साइबर टीम की मदद से पुलिस को लगातार राजू सिंह व उन के ड्राइवर हरी सिंह की लोकेशन उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में मिल रही थी. डीसीपी रोमिल बानिया ने 2 विशेष टीमों को तत्काल कुशीनगर के लिए रवाना कर दिया. ये टीमें लगातार सर्विलांस के काम में लगी टीम से संपर्क बनाते हुए 2 जनवरी को कुशीनगर पहुंच गईं.

अरेस्ट हो गए पूर्व विधायक

पुलिस ने स्थानीय पुलिस का सहयोग ले कर राजू कुमार सिंह व उन के ड्राइवर हरी सिंह को कुशीनगर के फाजिल नगर बाजार से 2 जनवरी, 2019 की शाम को गिरफ्तार कर लिया.

वे दोनों एक सफेद रंग की इनोवा कार में सवार थे और बिहार जाने की तैयारी कर रहे थे. पुलिस ने उन के कब्जे से घटना में इस्तेमाल पिस्टल भी जब्त कर ली. पूछताछ में राजू सिंह ने बताया कि इस पिस्टल का लाइसैंस उन्होंने बिहार से बनवाया है और देश भर के लिए मान्य है.

राजू सिंह के पकड़े जाने पर उन के खास और गाड़ी के ड्राइवर हरी सिंह ने यह कह कर पूरी वारदात को अपने सिर लेने की कोशिश की कि गोली उस ने चलाई थी.

पुलिस दोनों को दिल्ली ले आई और उन्हें पार्टी में शामिल लोगों के बयान से अवगत कराया तो राजू सिंह ने अपना अपराध कबूल कर लिया. पूछताछ के बाद यह साफ हो गया कि उस रात पार्टी में फायरिंग राजू सिंह व 2 अन्य लोगों ने भी की थी. अर्चना की मौत राजू सिंह की ही गोली से हुई थी.

पुलिस ने राजू सिंह व उन के ड्राइवर हरी सिंह को साकेत कोर्ट में पेश किया, जहां से उन दोनों को 7 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया. शुरुआती पूछताछ में राजू ने कहा कि उस ने शराब पी रखी थी और नशे में गोली चला दी थी.

आरोपी के परिवार के बिजनैस पार्टनर थे विकास गुप्ता

राजू सिंह ने पुलिस से यह भी कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है. राजू सिंह ने बताया कि घटना के बाद वह अपने रिश्तेदार के यहां छिपा था और बिहार के रास्ते नेपाल भागने की फिराक में था ताकि सियासी प्रभाव का फायदा उठा सके. राजू सिंह ने पुलिस के सामने यह भी कबूल किया कि उस ने वारदात के बाद कारतूस छिपाए थे और कपड़े भी बदले थे.

राजू सिंह व हरी सिंह से पूछताछ के बाद चश्मदीदों के बयान और सीसीटीवी की फुटेज से यह बात साफ हो गई कि डांस फ्लोर पर बहे अर्चना गुप्ता के खून को साफ करने व सबूत मिटाने में राजू सिंह की पत्नी और बिहार की पूर्व एमएलसी रेनू सिंह, उन के भाई राजेश सिंह और राजू सिंह के एक करीबी राम इंद्र सिंह शामिल थे. लिहाजा पुलिस ने राजू सिंह व हरी सिंह को हत्या और उन तीनों को सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

जशन की एक गोली ने ली जान – भाग 1

नए साल के स्वागत के लिए हर कोई अपने तरीके से जश्न मनाता है. जिस की जैसी औकात वैसा जश्न. दिल्ली  और मुंबई जैसे महानगर चूंकि रईसों के शहर माने जाते हैं, इसलिए यहां नए साल के जश्न भी निराले होते हैं. दिल्ली की बात करें तो देश की इस राजधानी में रईसों से ले कर नौकरशाही और सियासत से जुड़े लोग 5 सितारा होटलों और फार्महाउसों में शराब और शबाब की महफिलें सजाते हैं.

दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुर बेरी थाना क्षेत्र के मांडी गांव के पास एक फार्महाउस रोज फार्म नाम से है. रोज फार्म में नए साल 2019 का स्वागत करने व जश्न मनाने के लिए एक पार्टी का आयोजन किया गया था.

दवाइयां बनाने व बेचने का व्यवसाय करने वाले संजीव सिंह अपने दूसरे भाइयों राजेश सिंह व राजू सिंह के साथ इस पार्टी के मेजबान थे. रोज फार्महाउस की मालिक इन भाइयों की मां हैं. राजू सिंह बिहार के मुजफ्फरपुर में साहेबगंज से विधायक रह चुके हैं.

न्यू ईयर की इस पार्टी में तीनों भाइयों के परिवारों ने पारिवारिक दोस्तों को निमंत्रण दे कर बुलाया गया था. पार्टी में तीनों भाइयों के परिवारों के अलावा करीब 55-60 मेहमान शामिल हुए थे, जिन में से कुछ दोस्त मौस्को और अमेरिका से भी आए थे. शाम 7 बजे से ही महफिल में शराब के साथ लजीज व्यंजनों का दौर शुरू हो गया था. मेहमान डीजे की धुन पर डांस के साथ मस्ती कर रहे थे.

रात 12 बजे जैसे ही नए साल का आगाज हुआ, लोग और भी ज्यादा जोश में डांस करने लगे. इन में से ज्यादातर लोग डांस फ्लोर पर डांस कर रहे थे. कुछ लोग फार्महाउस के दूसरे हिस्सों में भी शराब की चुस्कियां और खाने का स्वाद लेते हुए एकदूसरे को नए साल की बधाइयां दे रहे थे.

उसी वक्त डांस स्टेज के पास कुछ लोगों ने एक के बाद एक कई हवाई फायर करके जश्न की उमंग को बढ़ा दिया. एक के बाद एक कई गोलियां चलीं तो स्टेज पर डांस कर रही अर्चना गुप्ता (42) चीख के साथ लहरा कर जमीन पर गिर पड़ीं. उन की चीख सुन सभी ने चौंक कर स्टेज की तरफ देखा.

अर्चना के पति विकास गुप्ता भी दौड़ कर स्टेज पर पहुंच गए. अर्चना के सिर से खून का फव्वारा सा फूट निकला था. वह जहां गिरीं, वहां आसपास खून का दरिया बन गया था. गोली चलने के बाद फार्महाउस में हड़बड़ी और भगदड़ सी मच गई थी. मेहमानों के चेहरों पर दहशत के भाव उभर आए. किसी को नहीं सूझ रहा था कि अचानक ये सब क्या और कैसे हो गया.

पत्नी अर्चना की चीख सुन कर आए विकास गुप्ता उन्हें खून से लथपथ देख पहले तो पलभर के लिए सदमे में आए. लेकिन अगले ही पल जैसे वे नींद से जागे और पत्नी को गोद में उठा कर अपनी गाड़ी की तरफ दौड़ पड़े. पार्टी में मौजूद कुछ मेहमान भी उन के साथ हो लिए.

किसी के हिस्से में खुशी, किसी के हिस्से में अंधेरा

अर्चना को उन्होंने अपनी गाड़ी की पिछली सीट पर डाला और कुछ ही देर में उन की कार फर्राटे भरती हुई वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल पहुंच गई. डाक्टरों को जब यह पता चला कि उन के सामने मौजूद महिला को गोली लगी है, तो अस्पताल की तरफ से तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी गई. इस के बाद अर्चना को गहन चिकित्सा कक्ष में ले जा कर उन का इलाज शुरू कर दिया गया.

कुछ ही देर में पीसीआर की गाड़ी आ गई.  पुलिस के अस्पताल पहुंचने के बाद अर्चना गुप्ता के पति विकास गुप्ता ने बताया कि उन्हें गोली फार्महाउस में की गई फायरिंग से लगी है. उन से जरूरी जानकारी ले कर पीसीआर कर्मियों ने इस घटना की सूचना दक्षिण जिले के फतेहपुर बेरी थाने को दे दी. क्योंकि रोज फार्म इसी थाना क्षेत्र में आता था.

सूचना मिलते ही फतेहपुर बेरी थानाप्रभारी दिलीप कुमार थाने के इंसपेक्टर (इन्वैस्टीगेशन) सी.एल. मीणा, एसआई मंजीत सिंह और अन्य स्टाफ को साथ ले कर फोर्टिस अस्पताल पहुंच गए. वहां पहुंचने पर पता चला कि अर्चना गुप्ता की हालत बेहद गंभीर है और सिर में गोली लगने की वजह से उन के बचने की बहुत कम उम्मीद है.

अर्चना के पति विकास गुप्ता अस्पताल में ही मौजूद थे. दिलीप कुमार ने उन से घटना के बारे में जानकारी ली, तो उन्होंने आरोप लगाया कि उन की पत्नी को गोली रोज फार्महाउस में लगी है. उन्होंने बताया कि डांस फ्लोर पर शराब के नशे में धुत फार्महाउस के मालिक, बिहार के पूर्व विधायक राजू कुमार सिंह ने फायरिंग की थी. इसी फायरिंग में एक गोली उन की पत्नी के सिर में भी लग गई.

पुलिस पहुंची फार्महाउस

फतेहपुर बेरी थानाप्रभारी दिलीप कुमार ने अपने सर्किल के एसीपी राजेंद्र सिंह पठानिया और दक्षिणी जिले के डीसीपी रोमिल बानिया को भी घटना के बारे में जानकारी दे दी. डीसीपी रोमिल बानिया ने थानाप्रभारी दिलीप कुमार को तत्काल घटनास्थल पर जा कर मामले की तहकीकात करने के निर्देश दिए. जिस वक्त थानाप्रभारी दिलीप कुमार रोज फार्म पर पहुंचे, वहां से अधिकांश मेहमान जा चुके थे. घटनास्थल पर भी ऐसा कोई चिह्न नहीं था, जिस से पता चल सकता कि वहां कोई घटना हुई है.

डांस फ्लोर के फर्श से ऐसा लगता था कि उसे पानी डाल कर धो दिया गया था. एसीपी राजेंद्र पठानिया भी दलबल के साथ वहां पहुंच गए. जब उन्होंने फार्महाउस के दूसरे मालिक संजीव सिंह से घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि सब लोग हंसीखुशी डांस कर रहे थे. 12 बजे कुछ लोगों ने नया साल शुरू होने की खुशी में हवाई फायरिंग शुरू कर दी, जिस में से कोई गोली उन के दोस्त विकास गुप्ता की पत्नी अर्चना गुप्ता को लग गई.

गोली किस ने मारी, फायरिंग कौन कर रहे थे, इस के बारे में संजीव सिंह या वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने कोई जानकारी नहीं दी. जब उन से पूछा गया कि उन के विधायक भाई कहां हैं, तो संजीव सिंह ने बताया कि उन्हें कोई जरूरी काम था, इसलिए वे इस हादसे के कुछ देर बाद अपने ड्राइवर हरी सिंह को ले कर शहर से बाहर चले गए हैं.

थानाप्रभारी दिलीप कुमार और एसीपी पठानिया समझ गए कि ये बड़े लोगों की पार्टी है, इतनी आसानी से सच सामने नहीं आएगा. लिहाजा जब उन्होंने देखा कि फार्महाउस में अलगअलग जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, तो उन्होंने दिल्ली पुलिस के आईटी विभाग के साथ क्राइम व फोरैंसिंक टीम को भी मौके पर बुला लिया.

सुबह होने तक पुलिस ने फार्महाउस में लगे सीसीटीवी कैमरों की सभी फुटेज अपने कब्जे में ले ली. इस के अलावा उन्होंने घटनास्थल की फोटो के अलावा सभी स्थानों से फिंगरप्रिंट उठवाए. फार्महाउस की तलाशी कराई गई, तो पुलिस भी हैरान रह गई.

पुलिस को फार्महाउस से 2 बंदूकें और 820 कारतूस मिले. इन में 750 कारतूस राइफल के और 70 कारतूस पिस्टल के थे. इस के अलावा घटनास्थल से 3-4 खाली कारतूस भी बरामद हुए. संजीव सिंह ने बताया पूर्व विधायक राजू सिंह को गोलियां चलाने का शौक है. उन्होंने इन सभी हथियारों के लाइसेंस बिहार से बनवाए थे.

फार्महाउस के मालिक संजीव सिंह ने बताया कि बरामद बंदूकें और कारतूसों के उन के पास लाइसेंस हैं, जिन्हें वह जल्द ही पुलिस को दिखा देंगे. पुलिस ने तब तक के लिए बंदूकें व कारतूस अपने कब्जे में ले लिए. इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल पर मौजूद सभी लोगों के अलगअलग बयान लेने शुरू किए.

कानपुर में टप्पेबाज गिरोह

हुस्न और नशे के जाल में फंसा खिलाड़ी

घर वालों को रास न आया बेटी का प्यार – भाग 3

बाप बेटे क्यों बने जल्लाद

बेटी की इस गुहार पर भी पिता कृपाराम व भाई राघवराम का दिल नहीं पसीजा. आरती जब बीच में आई तो राघव ने डंडे से उसे भी मारना शुरू कर दिया. सिर में डंडा लगने से वह बेहोश हो गई. फिर रस्सी से बापबेटे ने उस का गला कस दिया.

आरती को मारने के बाद उन दोनों ने सतीश को भी पीटपीट कर अधमरा कर दिया. आपत्तिजनक हालत में आरती व सतीश  के पकड़े जाने से दोनों का गुस्सा सातवें आसमान पर था. गुस्से में उन्होंने रस्सी से सतीश का गला भी कस दिया. कुछ देर छटपटाने के बाद सतीश ने वहीं दम तोड़ दिया.

इस सनसनीखेज डबल मर्डर के बाद दोनों पुलिस की गिरफ्त से बचने की जुगत करने लगे. वहीं लाशों को ठिकाने लगाने की योजना बनाने लगे. सतीश के शव को जंगल में छिपाने व आरती के शव को अयोध्या ले जा कर दफनाने की योजना बनाई गई. तय किया गया कि आरती के बारे में कोई पूछेगा तो कह देंगे कि रिश्तेदारी में गई है.

दोनों बापबेटे रात में ही एक चारपाई पर सतीश के शव को रख कर गांव से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर एक गन्ने के खेत में ले गए. दोनों ने शव को गन्ने के खेत में छिपा दिया. जिस रस्सी से सतीश का गला कस कर हत्या की थी, उसे भी चारपाई के साथ ही खेत में फेंक आए.

सतीश के शव को छिपाने के बाद अब रात में ही आरती का शव ठिकाने लगाना था. कृपाराम और राघवराम आरती के शव को कार से ले कर गांव से 20 किलोमीटर दूर अयोध्या पंहुचे. अयोध्या में सरयू नदी के किनारे श्मशान घाट पर एक बालू के टीले में शव को दफन कर गांव वापस आ गए और घर में शांत हो कर बैठ गए. ताकि किसी को दोहरे हत्याकांड का पता न चल सके.

लेकिन मंगलवार 21 अगस्त को सुबह सतीश के नहीं मिलने पर उस के घर वालों ने उसे बहुत तलाशा. जब उन्हें जानकारी हुई कि आरती भी घर पर नहीं है तो उन लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी. क्योंकि वे लोग भी आरती और सतीश के रिश्ते के बारे में जानते थे.

थाने में आरती के पिता कृपाराम चौरसिया ने कहा कि हमारे यहां गांव के लड़के से शादी नहीं होती है. सतीश भले ही हमारी जाति का था, लेकिन वह था तो हमारे गांव का ही. ऊपर से वह आरती का भाई लगता था. आरती किसी दूसरे गांव के लड़के से बोलती तो हम लोग उसकी शादी करवा देते.

हमारे घर से 20 मीटर की दूरी पर ही सतीश का घर था. रोज का आमनासामना होता था. वह बचपन से घर आताजाता था. दोनों साथ खेले, हम लोग उसे आरती का बड़ा भाई कहते थे. हम लोग आरती के साथ उस का रिश्ता कैसे मंजूर कर लेते?

3-4 महीने पहले दोनों को गांव के एक युवक ने साथसाथ देख लिया था. दोनों बाहर कहीं साथ में बैठे थे. इस बात की जानकारी उस ने हमें दी थी. जब आरती की घर पर बहुत पिटाई की थी. उस को सख्ती से मना किया था कि वह कभी सतीश से न मिले, लेकिन हफ्ते भर पहले वह सतीश से मिलने फिर चली गई.

इस के बाद आरती के घर से  निकलने पर  पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी, लेकिन उस ने सतीश को 20-21 अगस्त की रात को घर बुला लिया. अगर हम अपनी बेटी को नहीं मारते तो वह हमें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ती.

सतीश की निर्मम हत्या किए जाने पर उस के घर में कोहराम मच गया. मां प्रभावती और भाई बहनों का रोरो कर बुरा हाल हो गया. सतीश के घर वाले और रिश्तेदार गम के साथ गुस्से में दिखे.

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सतीश की मां प्रभावती का कहना था कि आरती के पिता कृपाराम चौरसिया, भाई राघवराम के साथ ही उस का चाचा आज्ञाराम और उस का बेटा विजय भी इस हत्याकांड में शामिल हैं. कृपाराम व राघवराम ने भी थाने में पुलिस को उन के नाम बताए थे. लेकिन पुलिस ने केवल बापबेटे को ही गिरफ्तार किया है.

आरती के पिता व भाई ने जुुर्म कुबूल कर लिया. इस से आरती के चाचा आज्ञाराम और उस के बेटे विजय को राहत मिली है. मगर सतीश की मां अपने बेटे को न्याय दिलाने की खातिर अभी भी मामले में आज्ञाराम व विजय को आरोपी बनाए जाने की मांग कर रही है.

उस का आरोप है कि जिस तरह से दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया है और दोनों की लाशों को घटनास्थल से हटाया गया है, उस में सिर्फ 2 लोग ही शामिल नहीं हो सकते. प्रभावती अंतिम सांस तक सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी काररवाई के लिए संघर्ष करने की बात कहती है.

गांव में हुए दोहरे हत्याकांड के खुलासे व आरती के पिता व भाई द्वारा हत्या करने का जुर्म कुबूल करने तथा दोनों की गिरफ्तारी से गांव के लोग सन्न रह गए. गिरफ्तारी के बाद आरती के अन्य परिजन घर में ताला लगा कर भाग गए थे. पूरे गांव में इसी घटना की चर्चा हो रही थी.

वहीं सतीश की हत्या की सूचना सोमवार को ही मोबाइल से पिता बिंदेेश्वरी प्रसाद चौरसिया को दी गई. वे ट्रेन से मुंबई से गांव पहुंच गए. वे अपने बेटे की हत्या पर फफकते हुए बोले, ”पता होता कि उस की हत्या कर दी जाएगी तो उसे भी अपने साथ मुंबई ले जाते. बेटे को तो न खोना पड़ता.’’

बिंदेश्वरी ने रोते हुए कहा कि फांसी की सजा देने का अधिकार तो सिर्फ अदालत को है, लेकिन बाप बेटे ने मिल कर जल्लाद की तरह मेरे जिगर के टुकड़े सतीश को फांसी दे दी.

औनर किलिंग के हत्यारों कृपाराम व राघवराम को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में एसएचओ सत्येंद्र वर्मा, एसआई विजय प्रकाश, हैडकांस्टेबल दया यादव, कुषार यादव, आशुतोष पांडे, अमरीश मिश्रा व कांस्टेबल रिषभ शामिल थे. एसपी अंकित मित्तल ने 24 घंटे में डबल मर्डर का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को पुरस्कृत किया.

गुमशुदगी की रिपोर्ट को भादंवि की धारा 302, 201 में तरमीम कर प्रेमी युगल आरती चौरसिया व सतीश चौरसिया की हत्या के आरोपी कृपाराम चौरसिया व उस के बेटे राघवराम चौरसिया को गिरफ्तार कर 23 अगस्त, 2023 को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया. जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

एएसपी शिवराज

हंसते खेलते युवा प्रेमी युगल को मौत की नींद सुला दिया गया, जहां आदमी चांद पर पहुंच रहा है. जमाना चाहे कितना भी आगे बढ़ गया हो, लेकिन दकियानूसी सोच उन्हें आगे नहीं बढऩे दे रही. कृपाराम और राघवराम जैसे लोग समाज में नासूर बने हुए हैं, जो झूठी आन, बान और शान के लिए औनर किलिंग जैसे अपराध करते हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कानपुर में टप्पेबाज गिरोह – भाग 3

दिल्ली के डेरा टप्पेबाज गैंग ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों आगरा, मथुरा, लखनऊ, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर आदि शहरों में दरजनों वारदातें कर के काफी धन एकत्र किया. दिसंबर माह के पहले सप्ताह में टप्पेबाज गैंग के डेरा मुखिया विनेश, विकास, आकाश व राहुल अपने डेरे के 2-2 सदस्य ले कर कानपुर शहर आ गए.

कानपुर में इन लोगों ने रेलवे स्टेशन स्थित एक होटल में अपनी वैध आईडी दिखा कर 3 रूम बुक कराए और साथियों के साथ ठहर गए. इस होटल में रुक कर इन लोगों ने कई लोगों को टप्पेबाजी का शिकार बनाया.

इस के बाद इन लोगों ने क्राइम ब्रांच का सिपाही बता कर प्रमोद वर्मा को शिकार बनाया. प्रमोद की बिरहाना रोड पर ज्वैलरी शौप है. प्रमोद दोपहर में घर में रखे 250 ग्राम सोने के आभूषण ले कर अपनी दुकान पर जा रहे थे. जब वह खत्री धर्मशाला के पास पहुंचे, तभी 2 युवकों ने उन्हें रोक लिया और खुद को क्राइम ब्रांच का सिपाही बताते हुए बैग की तलाशी देने को कहा.

इस पर उन्होंने दुकान पर चल कर तलाशी लेने की बात कही तो उन्होंने हड़काते हुए क्राइम ब्रांच औफिस चलने को कहा. इस से घबरा कर उन्होंने बैग खोल दिया. एक ने बैग की तलाशी शुरू कर दी. दूसरे ने उन्हें नाम पता नोट करने में उलझा लिया.

कुछ देर बाद इन लोगों ने बैग लौटाते हुए कहा दुकान जाओ. प्रमोद ने दुकान जा कर बैग खोल कर देखा तो उस में पत्थर के टुकड़े थे. टप्पेबाज उन को शिकार बना कर फरार हो गए. प्रमोद ने थाना कलक्टरगंज में रिपोर्ट दर्ज कराई.

19 दिसंबर को टप्पेबाज विनेश और आकाश मोटरसाइकिल से झकरकटी स्थित गणेश होटल से शिकार की तलाश में निकले. मोटरसाइकिल विकास चला रहा था. जबकि पीछे की सीट पर विनेश बैठा था.

जब ये लोग यशोदानगर बाईपास पहुंचे तो वहां जाम लगा था. पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल की कार भी इसी जाम में फंसी थी. संजय पाल पीछे की सीट पर बैठे थे और नोटों से भरा बैग उन के पास रखा था. गाड़ी उन का ड्राइवर अरुण पाल चला रहा था.

जाम में फंसी संजय की गाड़ी पर टप्पेबाज विनेश व आकाश की नजर पड़ी. सीट पर रखा बैग देख कर उन दोनों की बांछें खिल उठीं. उन्होंने सहज ही अंदाजा लगा लिया कि बैग में मोटी रकम हो सकती है. उन्होंने संजय पाल को शिकार बनाने की ठान ली.

योजना के तहत उन्होंने कार का पीछा किया और विनेश ने जाम के चलते धीमी चल रही कार के बोनट पर मोबिल औयल गिरा दिया. संजय वन रोड पहुंचने पर विनेश ने ड्राइवर अरुण पाल को इंजन से औयल टपकने का इशारा किया. अरुण ने कार रोक दी. संजय पाल व ड्राइवर अरुण जब कार से उतरे, तभी टप्पेबाज आकाश व विनेश आ गए. उन्होंने चिली स्प्रे कार में छिड़क दिया.

गाड़ी चैक कर के संजय पाल व अरुण पाल आ कर गाड़ी में बैठे तो उन की आंखों में जलन होने लगी. दोनों आंखें मलते हुए गाड़ी के बाहर आए. इसी बीच विनेश ने नोटों से भरा बैग सीट से उठाया और बाइक की पिछली सीट पर जा बैठा. वहां से ये यशोदा नगर की ओर भाग गए.

यशोदा नगर बाईपास के पहले वृंदावन गार्डन के पास टप्पेबाज राहुल कार लिए खड़ा था. वह उन्हीं दोनों का इंतजार कर रहा था. कार में प्रेम, राजेश, नरेश, अनिकली व नाबालिग एस. विजय निवासन बैठे थे. आकाश व विनेश ने आते ही रुपयों से भरा बैग कार में बैठे लोगों को थमा दिया और खुद उन्नाव की ओर चले गए. राहुल कार ले कर वापस गणेश होटल लौट आया.

इधर टप्पेबाजों का शिकार हुए संजय पाल थाना किदवई नगर पहुंचे और थानाप्रभारी अनुराग मिश्रा को टप्पेबाजों द्वारा नोटों से भरा बैग पार करने की जानकारी दी.

पकड़े गए टप्पेबाज गैंग के प्रमुख आकाश, राहुल, विनेश, विकास से जब कड़ी पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि इन के अलावा शहर में एक और गैंग है, जो टप्पेबाजी कर पुलिस की नींद हराम किए हुए है. यह गैंग महाराष्ट्र का है.

इस गैंग में तमिलनाडु के सदस्य भी हैं. इस गैंग ने अनवरगंज क्षेत्र में कई वारदातें की थीं. इंसपेक्टर (अनवरगंज) मंसूर अहमद पुलिस टीम में शामिल थे. उन से पता चला कि टप्पेबाजों ने उन के थाना क्षेत्र में बांसमंडी के पास बिंदकी (फतेहपुर) निवासी आढ़ती जयकुमार साहू के साथ टप्पेबाजी की थी.

टप्पेबाजों ने उन से कहा कि उन की कार के पहिए से हवा निकल गई है. वह पहिया चैक करने उतरे. इसी बीच टप्पेबाजों ने उन की गाड़ी में रखा बैग पार कर दिया. बैग में ढाई लाख रुपए थे.

इस के बाद टप्पेबाजों ने लालगंज निवासी रेलवे ठेकेदार विजेंद्र सिंह तथा फर्रुखाबाद निवासी अतुल को शिकार बनाया. दोनों की कार से बैग उड़ाया गया था. विजेंद्र सिंह के बैग में लाइसेंसी पिस्टल, रुपए व जरूरी कागजात थे, जबकि अतुल के बैग में नकदी व कागजात थे. तीनों ने थाना अनवरगंज में टप्पेबाजों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

इंसपेक्टर मंसूर अहमद इन टप्पेबाजों को पकड़ने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी. पकड़े गए गैंग से मंसूर अहमद को कुछ क्लू मिला तो उन्होंने टप्पेबाजी करने वाले गैंग की टोह में मुखबिर लगा दिए. वह स्वयं भी प्रयास करते रहे. उन्होंने क्षेत्र के होटलों, विश्राम गृहों तथा रेलवे स्टेशन अनवरगंज में विशेष निगरानी शुरू कर दी.

4 जनवरी शुक्रवार की रात इंसपेक्टर मंसूर अहमद को खास मुखबिर से सूचना मिली कि टप्पेबाज गिरोह बांसमंडी तिराहे पर मौजूद है और किसी बड़ी वारदात की फिराक में है.

मुखबिर की इस सूचना पर विश्वास कर मंसूर अहमद बांसमंडी तिराहा पहुंचे और मुखबिर की निशानदेही पर एक महिला सहित 4 लोगों को हिरासत में ले लिया. सभी को थाना अनवरगंज लाया गया.

थाने पर जब उन से नामपता पूछा गया तो एक ने अपना नाम गणेश नायडू, दूसरे ने बाबू नायडू तथा महिला ने अपना नाम पार्वती नायडू बताया. पार्वती नायडू, गणेश नायडू की बहन थी जबकि बाबू नायडू उस का बेटा था. ये तीनों महाराष्ट्र के नदुरवार जिले के नवापुर के रहने वाले थे. चौथा व्यक्ति गणेश का रिश्तेदार चंद्रुक तेली था. वह तमिलनाडु के तिरुपुर जिले के उठकली का रहने वाला था.

पुलिस ने चारों की जामातलाशी ली तो उन के पास से करीब सवा लाख रुपए नकद, टायर कटर, गुलेल, छर्रे, मोबाइल तथा एटीएम कार्ड बरामद हुए. पूछताछ में टप्पेबाजों ने तीनों घटनाओं का खुलासा किया और कार से बैग उड़ाने की बात कबूली.

पुलिस ने इन टप्पेबाजों से करीब आधी रकम तो बरामद कर ली, लेकिन रेलवे ठेकेदार विजेंद्र सिंह की पिस्टल का पता नहीं चला. संभावना है कि गैंग का कोई अन्य सदस्य आधी रकम व पिस्टल ले कर किसी दूसरे जिले की ओर निकल गया हो.

30 दिसंबर को थाना किदवईनगर पुलिस ने टप्पेबाज गिरोह के 11 सदस्यों विनेश, विकास, आकाश, राहुल, प्रेम, नरेश, रामू, वरदराज, राजेश, अनिकली तथा नाबालिग को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से नाबालिग को छोड़ कर सभी को जेल भेज दिया गया. नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजा गया.

दूसरे टप्पेबाज गैंग को अनवरगंज पुलिस ने 5 जनवरी को रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से गणेश, बाबू, पार्वती, चंदुक तेली को जिला जेल भेज दिया गया.

घर वालों को रास न आया बेटी का प्यार – भाग 2

गन्ने के खेत में मिला सतीश का शव

हत्या का जुर्म कुबूल करने के बाद पुलिस ने आरती के भाई राघवराम की निशानदेही पर गन्ने के खेत से सतीश का शव, चारपाई व रस्सी बरामद कर ली. फोरैंसिक टीम व डौग स्क्वायड को भी बुला लिया गया था. खोजी कुत्ता गन्ने के खेत के बाद दौड़ता हुआ राघवराम के घर पर जा पहुंचा.

फोरैंसिकटीम ने भी घटनास्थल से कुछ साक्ष्य जुटाए. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. वहीं आरती को बालू के टीले में दफन किए जाने की जानकारी पर एसएचओ सत्येंद्र वर्मा ने डीएम से अनुमति ली.

इस के बाद पुलिस टीम के साथ अयोध्या जा कर वहां के अधिकारियों से बात कर के सरयू नदी के किनारे बालू के टीले में दफन आरती का शव निकलवाया. मौके की काररवाई के बाद उस का अयोध्या में ही पोस्टमार्टम कराया गया.

सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड का पुलिस ने 24 घंटे के अंदर ही परदाफाश कर दिया. इस डबल मर्डर की दिल दहलाने वाली जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

19 वर्षीय सतीश चौरसिया का गांव की ही रहने वाली 18 साल की आरती चौरसिया से पिछले लगभग 2 सालों से अफेयर चल रहा था. दोनों एक ही जाति के थे. गांव के नाते सतीश का आरती के घर आनाजाना था. दोनों ही जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थे.

सतीश कदकाठी का कसा हुआ नौजवान था. वह सुंदर भी था. आरती उस की ओर आकर्षित हो गई. जब भी सतीश घर पर आता, आरती उसे कनखियों से देखा करती थी. इस बात का आभास सतीश को भी था. वह भी मन ही मन आरती को चाहने लगा था.

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अब दोनों का बचपन का प्यार जवान हो गया था. जब कभी दोनों की नजरें मिलतीं तो दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. दोनों के बीच घर वालों के सामने सामान्य बातचीत होती थी.

धीरेधीरे उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. अब दोनों की मोबाइल पर प्यार भरी बातें होने लगीं. फिर उन की अकसर गांव के बाहर चोरी छिपे मुलाकातें होने लगीं. प्रेमीयुगल एकदूसरे का हाथ थाम कर शादी करने का फैसला भी ले चुके थे.

सतीश ने आरती से साफ लहजे में कह दिया था, ”आरती, दुनिया की कोई ताकत हम दोनों को शादी करने से नहीं रोक सकती है. मैं ने तुम से सच्चा प्यार किया है और आखिरी सांस तक करता रहंूगा.’’

आरती ने भी मरते दम तक साथ निभाने का वादा किया.

आरती और सतीश खुश थे. दोनों अपने भावी जीवन के सपने देखते. दुनिया से बेखबर वे अपने प्यार में मस्त रहते थे. पर गांवदेहात में लव स्टोरी ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पाती. यदि किसी एक व्यक्ति को भी इस की भनक लग जाती है तो कानाफूसी से बात गांव भर में जल्द ही फैल जाती है.

किसी तरह आरती के घर वालों को भी इस बात का पता चल गया कि आरती का सतीश के साथ चक्कर चल रहा है. इस बात की जानकारी मिलने के बाद आरती के घर वाले कई बार विरोध कर चुके थे. विरोध के बाद सतीश का आरती के घर जाना बंद हो गया, लेकिन मौका मिलने पर दोनों चोरीछिपे मुलाकात जरूर कर लेते थे.

घर से निकलने पर क्यों लगाई पाबंदी

20-21 अगस्त, 2023 की रात को जब राघवराम घर आया, उस समय आरती और उस की मम्मी खाना बना रही थीं. पिता पास ही बैठे हुए थे. राघव पिता के पास जा कर बैठ गया. दोनों बाप बेटे कामकाज की बातें करने लगे. कुछ देर बाद खाना बन कर तैयार हो गया. तब मां ने आवाज लगा कर राघव व अपने पति को बुला लिया. दोनों खाना खाने किचन के पास पहुंच गए. किचन के पास ही बैठ कर चारों ने खाना खाया. ये लोग आपस में बात कर रहे थे, लेकिन आरती कुछ बोल नहीं रही थी.

आरती उन लोगों से नाराज थी. क्योंकि घर वाले एक हफ्ते से उसे घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे थे. दरअसल, आरती अपने प्रेमी सतीश से चोरीछिपे मिलती थी. जिस की जानकारी होने पर उस पर रोक लगाई गई थी.

आरती और सतीश के प्रेम प्रसंग की वजह से गांव में उन की बदनामी हो रही थी. जो घर वालों को बरदाश्त नहीं थी, लेकिन यह बात आरती नहीं समझ पा रही थी. वह तो सतीश के साथ शादी करने की जिद पर अड़ी हुई थी.

करीब एक हफ्ते से आरती घर वालों के डर से अपने प्रेमी सतीश से मिलने नहीं जा पा रही थी. उसे उन का यह फरमान नागवार गुजर रहा था. उधर सतीश भी आरती से मिलने के लिए बेचैन था. दोनों ही जल बिन मछली की तरह एकदूसरे के लिए तड़प रहे थे.

इस के चलते आरती ने फोन कर के सतीश को 20-21 अगस्त की रात को मिलने के लिए अपने घर के पीछे बुला लिया.

रंगेहाथों पकड़ा गया प्रेमी युगल

अपनी प्रेमिका आरती से मोबाइल पर बात होने के बाद सतीश ने घर वालों के सोने का इंतजार किया. रात साढ़े 12 बजे जब घर वाले सो गए तो वह बाहर की बैठक (कमरे) से निकल कर आरती के घर जा पहुंचा. उस समय आरती के घर वाले भी गहरी नींद में सोए हुए थे. आरती बेसब्री से उसी के आने की बाट जोह रही थी. उसे एकएक पल काटना भारी हो रहा था.

सतीश जैसे ही आरती के घर के पास पहुंचा, फोन करने पर आरती दरवाजा खोल कर बाहर आ गई. दोनों एकदूसरे का हाथ थामे वहीं घर के पीछे झाडिय़ों की आड़ में चले गए. वहां पहुंचते ही दोनों ने एकदूसरे को अपनी बांहों के घेरे में कस लिया. दोनों एकदूसरे से पूरे एक हफ्ते बाद मिले थे.

घर वालों से बेपरवाह हो कर युगल प्रेमी कानाफूसी में इतने मगन हो गए कि उन्हें किसी बात का अहसास ही नहीं हुआ. दोनों ही तनमन से प्यासे थे. वे अपने जज्बातों पर काबू नहीं कर पाए और दो तन एक हो गए.

रंगेहाथों पकड़े जाने पर डर की वजह से सतीश प्रेमिका के घर वालों से अपनी गलती की माफी मांगने लगा. मगर आरती के पिता व भाई के सिर पर खून सवार था. घर वाले दोनों को पकड़ कर पीटते हुए घर में ले आए. बापबेटे डंडे  से सतीश की जम कर पिटाई करने लगे.

अपने प्रेमी की हालत देख कर आरती रो पड़ी. प्रेमी के साथ पकड़े जाने पर आरती ने पिता और भाई से उसे छोडऩे की काफी विनती की. आरती ने उन के सामने हाथ जोड़ कर कहा, ”मैं सतीश के साथ ही जीना और मरना चाहती हंू. इसलिए मारना है तो हम दोनों को ही मार दो, एक को नहीं.’’

कानपुर में टप्पेबाज गिरोह – भाग 2

पुलिस टीमों ने शहर के बाहर शिवली, घाटमपुर, महाराजपुर, जहानाबाद आदि कस्बों में टप्पेबाजी करने वालों की तलाश की. जेल से छूटे पुराने टप्पेबाजों को भी हिरासत में ले कर पूछताछ की गई, लेकिन कोई ऐसी जानकारी नहीं मिल सकी, जिस से संजय पाल से की गई टप्पेबाजी का खुलासा हो पाता.

पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल के साथ हुई टप्पेबाजी की वारदात एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी के क्षेत्र में हुई थी, इसलिए वह इस वारदात को ले कर कुछ ज्यादा प्रयासरत थीं. उन के दिशा निर्देश में काम कर रही टीम रातदिन एक किए हुए थी. सर्विलांस टीम भी उन के साथ काम कर रही थी.

सर्विलांस टीम ने पुलिस टीम के साथ संजय पाल के घर से घटनास्थल तक मोबाइल टावर डेटा फिल्टरेशन की मदद ली. इस में एक नंबर ऐसा निकला जो वारदात के वक्त घटनास्थल पर एक्टिव था. उस नंबर की लोकेशन यशोदा नगर हाइवे से उन्नाव की ओर मिली थी, इसलिए सर्विलांस टीम ने उस नंबर को लिसनिंग पर लगा दिया.

29 दिसंबर को उस नंबर धारक ने लखनऊ में रहने वाले एक साथी से बात की, जिसे पुलिस ने सुन लिया. इस के बाद एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी की टीम ने मोबाइल लोकेशन के जरिए आलमबाग, लखनऊ से 2 युवकों को धर दबोचा.

रवीना त्यागी ने जब इन युवकों से पूछताछ की तो उन्होंने अपना नाम विनेश और विकास बताया. इन दोनों से रवीना त्यागी ने संजय वन रोड पर हुई 10.69 लाख की टप्पेबाजी के बारे में पूछा तो दोनों साफ मुकर गए. लेकिन जब उन्हें थाना किदवई नगर लाया गया और पुलिसिया अंदाज में पूछताछ हुई तो दोनों टूट गए. उन्होंने 10.69 लाख रुपए की टप्पेबाजी स्वीकार कर ली. उन दोनों ने बताया कि उन का टप्पेबाजी का गैंग है. गैंग के अन्य सदस्य झकरकटी बसअड्डा स्थित गणेश होटल में ठहरे हुए हैं.

इस के बाद पुलिस की चारों संयुक्त टीमों ने झकरकटी स्थित गणेश होटल पर छापा मारा और 3 बैड वाले एक रूम से 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इन में एक महिला और एक नाबालिग भी था.

इन के पास से पुलिस ने टप्पेबाजी कर के उड़ाया गया बैग बरामद कर लिया. बैग से 10.69 लाख रुपए सहीसलामत मिले. इस के अलावा पुलिस ने गैंग के पास से एक कार, एक वैन, एक बाइक, पेपर स्प्रे, चिली स्प्रे, गुलेल, लोहे के छर्रे, जले हुए मोबिल औयल की बोतल तथा सूजा बरामद किया.

पुलिस की संयुक्त टीम ने टप्पेबाज गैंग के 11 सदस्यों को पकड़ा. इन सभी को बरामद रुपए और अन्य सामान के साथ थाना किदवई नगर लाया गया. पूछताछ में गैंग के सदस्यों ने अपना नाम आकाश, राहुल, प्रेम, राजेश, रामू, अनिकली, विनेश, विकास, नरेश निवासी मदनगीर, दिल्ली तथा वरदराज और नाबालिग एस. विजय निवासन निवासी इंद्रपुरी दिल्ली बताया.

एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी ने संजय वन रोड पर हुई टप्पेबाजी का खुलासा करने, पूरे गैंग को पकड़ने और टप्पेबाजी का 10.69 लाख रुपए बरामद करने की जानकारी एडीजी अविनाश चंद्र, आईजी आलोक सिंह तथा एसएसपी अनंत देव तिवारी को दी.

इस के बाद एसएसपी अनंत देव तिवारी व एसपी (दक्षिण) रवीना त्यागी ने पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता की, जिस में आरोपियों को पेश किया गया. प्रैसवार्ता के दौरान एडीजी अविनाश चंद्र ने टप्पेबाज गैंग को पकड़ने वाली टीम को एक लाख रुपए तथा आईजी आलोक सिंह ने 50 हजार रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की.

प्रैसवार्ता में टप्पेबाजी के शिकार पैट्रोल पंप मालिक संजय पाल तथा पैट्रोल और एचएसडी डीलर्स के पदाधिकारियों को बुलाया गया. संजय पाल ने नोटों से भरे अपने बैग की पहचान की तथा खुलासे के लिए पुलिस की सराहना की.

चूंकि गैंग के सदस्यों ने अपना जुर्म कबूल कर के रुपया भी बरामद करा दिया था. इसलिए किदवईनगर थानाप्रभारी अनुराग मिश्रा ने टप्पेबाजी के शिकार हुए संजय पाल को वादी बता कर भादंसं की धारा 406, 419, 420 के तहत राहुल, प्रेम, राजेश रामू, विकास, विनेश, अनिकली, आकाश, वरदराज, नरेश तथा एस. विजय निवासन (नाबालिग) के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और सभी को गिरफ्तार कर लिया. बंदी बनाए गए आरोपियों से की गई पूछताछ में जो घटना सामने आई, उस का विवरण इस तरह है—

कानपुर में पकड़े गए टप्पेबाज विनेश, विकास, आकाश, राहुल व उन के गैंग के अन्य सदस्य मूलरूप से तमिलनाडु के चेन्नै व त्रिची के रहने वाले थे. सालों पहले ये लोग दिल्ली आए और मदनगीर जेजे कालोनी तथा इंद्रपुरी के क्षेत्रों में बस गए. इन क्षेत्रों में इन के 25 डेरे हैं, जो आपस में जुड़े हुए हैं. एक डेरे में 12-13 सदस्य होते हैं.

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इन सदस्यों के समूह को डेरा नाम दिया जाता है. डेरा स्वामी समूह का सरगना होता है. इन की पीढि़यां कई दशकों से अपराध को जीविकोपार्जन का साधन बनाए हुए हैं. इन्हें बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है. इन के गिरोह में पुरुष, महिला व बच्चे सभी होते हैं.

इन के समुदाय के जो लोग अपराध की ट्रेनिंग नहीं लेते और अपराध नहीं करते, उन्हें डेरे के लोग नकारा मानते हैं. उन्हें हीनभावना से देखते हैं. ऐसे निठल्लों की शादी भी नहीं होती.

दिल्ली का डेरा टप्पेबाज गैंग, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान के विभिन्न शहरों में वारदातें करता था. वह राज्य के जिस जिले में जाता, वहां के बसअड्डों या रेलवे स्टेशनों के आसपास के होटलों में ठहरता. होटल में वैध आईडी दिखा कर ये लोग कमरा बुक कराते थे. चूंकि इन के साथ महिलाएं व बच्चे होते, इसलिए पुलिस भी इन पर शक नहीं करती. ये लोग किराए का वाहन प्रयोग नहीं करते. अपनी कार, वैन या मोटरसाइकिल ही इस्तेमाल करते हैं.

गैंग के शातिर टप्पेबाज बाइक से वारदात को अंजाम देने के लिए निकलते हैं. उन के पीछे कार होती है, जिस में महिला और एक बच्चा भी रहता है. घटना को अंजाम देने के बाद शातिर टप्पेबाज कार में नकदी व जेवरात ले कर बैठ जाते हैं.

पुलिस को चकमा देने के लिए दूसरे साथी नकदी ले कर बाइक से निकल जाते हैं. ज्यादातर वाहन गैंग की महिलाओं के नाम खरीदे हुए होते हैं. वाहन सही नामपते पर रजिस्टर्ड होते हैं, जिस से पुलिस चैकिंग में कभी नहीं पकड़े जाते.

गैंग के शातिर लोग रेलवे क्रौसिंग, जेब्रा क्रौसिंग, रेड लाइट तथा जाम वाली जगहों पर रेकी करते हैं. वहां घटना को अंजाम दे कर ये लोग दूसरे जिले की ओर कूच कर जाते हैं. ये लोग चलती गाड़ी के बोनट पर जला हुआ मोबिल औयल डाल कर शिकार बनाते हैं या फिर चलती गाड़ी रुकवा कर चिली स्प्रे के सहारे टप्पेबाजी करते हैं.

कभीकभी ये गाड़ी का शीशा तोड़ कर नोटों से भरा बैग या अन्य सामान पार कर लेते हैं. कार के टायर में सूजा चुभो कर ये लोग पंक्चर कर के भी गाड़ी से सामान गायब कर देते हैं. कभीकभी ये लोग खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी या आयकर विभाग का अधिकारी बता कर भी टप्पेबाजी कर लेते हैं.

अस्पताल में ही छिपा है हत्या का राज

प्रशासन के कुछ लोगों ने नाले के पास जा कर देखा तो वहां पर प्रतिभा पूरी तरह से नग्न अवस्था में मृत पड़ी हुई थी. इस जानकारी के मिलते ही अस्पताल प्रशासन के हाथपांव फूल गए. प्रतिभा के मृत पाए जाने की सूचना पुलिस को भी दे दी गई.

सभी लोग इस बात पर हैरान थे कि 8 नवंबर, 2023 को दोपहर ढाई बजे से शाम करीब 7 बजे तक उस स्थान पर प्रतिभा को खोजा गया, लेकिन उस वक्त वहां पर उस का कोई नामोनिशान नहीं था. फिर 29 घंटे बाद उस का शव उसी जगह पर कहां से आ गया था?

पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. प्रतिभा के घर वालों का कहना था कि उस के साथ अस्पताल के ही किसी कर्मचारी ने दुष्कर्म कर हत्या कर दी. उस के एक हाथ पर कई घाव थे. पुलिस ने महिला के साथ दुष्कर्म की आशंका को देखते हुए स्लाइड बनवाने का निर्णय भी लिया गया था. साथ ही इस केस की जांच के लिए नगर मजिस्ट्रैट विजयशंकर तिवारी को चुना गया था. लेकिन इस घटना को 5 दिन बीत जाने के बाद भी मैडिकल कालेज में एडमिट प्रतिभा की मौत के रहस्य से परदा नहीं उठ सका.

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के थाना अतरा के अनथुवा गांव निवासी रामसेवक विश्वकर्मा ने अपनी पत्नी प्रतिभा को 3 नवंबर, 2023 को रानी दुर्गा मैडिकल कालेज में प्रसव पीड़ा के चलते भरती कराया. प्रसव पीड़ा के चलते प्रतिभा को प्रसूति रोग वार्ड का बैड नंबर 3 दिया गया था.

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प्रतिभा विश्वकर्मा के साथ ज्यादा ही परेशानी थी, जिस कारण डाक्टरों ने उस का औपरेशन करने की सलाह दी थी. उसी शाम को प्रतिभा ने औपरेशन के बाद एक बच्ची को जन्म दिया. प्रतिभा के एक बच्ची के जन्म के बाद रामसेवक के परिवार में खुशी का माहौल था. प्रतिभा ने सर्जरी के द्वारा बच्ची को जन्म दिया था. जच्चाबच्चा दोनों ही सुरक्षित थे.

7 नवंबर, 2023 को प्रतिभा को डिसचार्ज होना था. लेकिन उस से पहले ही अचानक प्रतिभा की तबियत कुछ खराब हो गई, जिस के बाद उसे फिर से इमरजेंसी वार्ड में भरती कराया गया. जहां पर उस का उपचार शुरू किया गया था. लेकिन 8 नवंबर की सुबह को प्रतिभा अपने बैड से गायब मिली. उस के इमरजेंसी वार्ड से अचानक गायब होने से उस के घर वाले परेशान हो गए. प्रतिभा को पूरे अस्पताल में खोजा गया, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं लग सका.

प्रतिभा के गायब होने की जानकारी अस्पताल प्रशासन को लगी तो महकमे में अफरातफरी हो गई. प्रतिभा के घर वालों ने अस्पतालकर्मियों से उस के बारे में जानकारी ली तो उन की तरफ से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो उन्होंने इस की सूचना पुलिस को दी.

मरीज के गायब होने की जानकारी मिलते ही मैडिकल कालेज चौकीप्रभारी कुलदीप तिवारी तुरंत ही घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां पहुंचते ही उन्होंने वहां पर मौजूद मैडिकल कालेज कर्मियों से प्रतिभा के बारे में जानकारी जुटाई. उस के बाद भी पुलिसकर्मियों के साथसाथ प्रतिभा के घर वालों ने भी उस की काफी खोजबीन की, लेकिन उस का कहीं भी पता न चल सका.

अगले दिन 9 नवंबर को दिन के 11 बजे औक्सीजन प्लांट में तैनात कर्मचारी शकील को एसएनसीयू वार्ड के पीछे नाली में प्रतिभा की नग्न लाश पड़ी दिखाई दी. शकील ने इस की जानकारी मैडिकल प्रशासन को दी. अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना दे कर बुला लिया. मौके पर पहुंचे चौकीप्रभारी कुलदीप तिवारी ने प्रतिभा के शव का निरीक्षण किया. उस की लाश नाले में औंधे मुंह पड़ी हुई थी.

क्या प्रतिभा को बनाया हवस का शिकार

घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद ही कुलदीप तिवारी ने इस सब की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी. खबर मिलते ही कोतवाल अनूप दुबे, सीओ सदर अबुंजा त्रिवेदी, एएसपी लक्ष्मीनिवास मिश्र, सिटी मजिस्ट्रेट विजयशंकर तिवारी घटनास्थल पर पहुंचे और जांचपड़ताल की.

मौके पर पहुंची डौग स्क्वायड के साथ फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल की जांचपड़ताल की. फोरैंसिक टीम ने मौके से कुछ सबूत भी लिए. इस बारे में पुलिस प्रशासन ने मैडिकल कालेज के प्राचार्य डा. एस.के. कौशल से भी जानकारी जुटाई.

प्राचार्य एस.के. कौशल ने बताया कि इमरजेंसी वार्ड में नर्स, एसआर व जेआर की ड्यूटी रहती है. महिला इस तरह से अचानक कैसे गायब हुई, स्टाफ के सभी लोगों से जानकारी ली जाएगी. लापरवाही बरतने वाले पर सख्त काररवाई की जाएगी.

प्रतिभा के मृत पाए जाने की सूचना पर उस के घर वालों के साथसाथ अन्य लोग भी मैडिकल कालेज पहुंच गए. उस की हत्या को ले कर उन्होंने काफी हंगामा किया. इस सब से भी बड़ी बात यह थी कि अगर किसी ने इस वारदात को अंजाम दिया तो इतने बड़े कैंपस में किसी की नजर क्यों नहीं पड़ी.

घर वालों का कहना था कि उस के  नग्न शव के पड़े होने व एक हाथ पर कई घाव उस के साथ किसी अनहोनी का संकेत कर रहे हैं. उसी कारण घर वाले उस के पंचनामे के लिए किसी भी तरह से राजी नहीं थे. फिर भी किसी तरह पुलिस प्रशासन ने उन्हें समझायाबुझाया और प्रतिभा के शव की संपूर्ण काररवाई करते हुए पंचनामा किया. फिर उस के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

अगले दिन शुक्रवार को 3 डाक्टरों डा. एम.के. गुप्ता, डा. रामनरेश व मैडिकल कालेज के फोरैंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष डा. आभास कुमार के पैनल ने वीडियोग्राफी के साथ प्रतिभा के शव का पोस्टमार्टम किया. प्रसूता प्रतिभा के शरीर पर अनगिनत चोटों के निशान पाए गए, वह भी उस की मौत की एक वजह थे. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने दूसरे एंगल से जांचपड़ताल शुरू की.

उसी जांच की कड़ी में 11 नवंबर की देर रात को कोतवाली पुलिस ने मैडिकल कालेज में घटनास्थल पर सीन औफ क्राइम दोहराया.  मैडिकल कालेज के शल्य विभाग की बिल्डिंग में भी बारीकी से जांचपड़ताल की. उस के बाद एसएनसीयू वार्ड के पीछे जा कर फिर से घटनास्थल को खंगाला गया.

उस के साथ ही डाक्टरों, पैरामैडिकल स्टाफ व गार्डों समेत वहां भरती मरीजों के परिजनों से भी कड़ी पूछताछ की गई. सीन औफ क्राइम के समय 1-2 तीमारदारों ने बताया कि महिला को आईसीयू वार्ड के पास वाली सीढ़ियों पर देखा गया था.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने अंदाजा लगाया कि महिला आईसीयू वार्ड से सीढ़ियां चढ़ कर छत तक पहुंची होगी. उस के बाद पुलिस ने छत पर जा कर हर तरह से जांचपड़ताल की. लेकिन इस मामले में कोई नतीजा सामने न आने के बाद कोतवाल अनूप दुबे ने इस केस की जांच आगे भी जारी रखी, लेकिन फिर भी पुलिस के हाथ अब तक खाली थे.

इस मामले में सब से बड़ी बात यह थी कि इस मैडिकल कालेज में सुरक्षा के लिए 36 सिक्योरिटी गार्ड तैनात थे. वहीं मैडिकल कालेज में 70 सीसीटीवी कैमरे लगे थे. लेकिन इस मामले में कहीं से भी कोई ऐसा क्लू नहीं मिला था, जिस से उस महिला की हत्या के आरोपी का पता चल सके.

मामले की जांच के लिए डीएम ने एडीएम अमिताभ यादव के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एएसपी लक्ष्मीनिवास मिश्र और सीएमओ डा. ए.के. श्रीवास्तव को शामिल किया गया. तीनों अधिकारियों ने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपते हुए इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी पर तैनात मैडिकल कालेज के 11 कर्मचारियों की लापरवाही का जिक्र किया था.

सिक्योरिटी गार्ड और सीसीटीवी कैमरों से कैसे बचे आरोपी

महिला की लाश मिलने वाली जगह को देखते हुए यह तो आशंका जाहिर की जा रही थी कि उस महिला की हत्या करने से पहले उस के साथ बलात्कार हुआ होगा. मगर इस सब में भी सब से बड़ी बात यह थी कि मरीज मैडिकल कालेज की ऊपरी बिल्डिंग से नीचे कैसे आई और उस के साथ यह दुस्साहस किस ने किया.

हालांकि जिस जगह पर महिला का शव मिला, उस स्थान पर कहीं भी सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ नहीं था. लेकिन मैडिकल कालेज की ऊपरी बिल्डिंग से नीचे तक कहीं न कहीं तो कैमरा अवश्य ही लगा होना चाहिए था.

यही नहीं उस मैडिकल कालेज के इमरजेंसी से ले कर एसएनसीयू वार्ड के बीच अंदरूनी कारीडोर में कहीं भी कैमरा लगा हुआ नहीं था. कालेज के इस इलाके में हमेशा ही सन्नाटा पसरा रहता है, जिस का लाभ अपराधियों ने उठाया.

मैडिकल कालेज के इमरजेंसी वार्ड के बाहरी हिस्से में एक सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था, जिस की फुटेज निकालने पर पता चला कि मृतक प्रतिभा बुधवार की सुबह 5 बज कर 42 मिनट पर इमरजेंसी वार्ड से बाहर अकेली ही आई थी.

मैडिकल कालेज के इमरजेंसी वार्ड में एक सीनियर डाक्टर, एक जूनियर डाक्टर के अलावा 3 नर्सिंग स्टाफ, 2 वार्डबौय और 2 सफाईकर्मियों की ड्यूटी शिफ्टों में रहती है.

घटना वाले दिन भी इतना ही स्टाफ वहां पर मौजूद था. यही नहीं, उस दिन मृतका के घर वालों में उस के जेठ, जेठानी के अलावा उस का एक भाई भी उसी वार्ड के बाहर थे. लेकिन उन के सोने के बाद ही प्रतिभा पता नहीं कब वार्ड से बाहर आई और वहां से कैसे नीचे पहुंची. उन्हें कुछ भी पता नहीं चला.

मृतका के घर वालों का कहना था कि प्रतिभा के लापता होते ही उन्होंने कई बार मैडिकल कालेज के स्टाफ से उसे तलाशने के लिए कहा, लेकिन मैडिकल कालेज का स्टाफ से उसे खुद तलाशने की बात कह कर अपना पल्ला छाड़ लिया था. जिस से साफ जाहिर होता है कि इस सब में मैडिकल कालेज कर्मचारियों की मिलीभगत थी.

इस मामले में जांच समिति ने भले ही मैडिकल कालेज के 11 कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी थी. लेकिन इस के बाद भी महिला की मौत की वजह से परदा नहीं उठ पाया.

प्रतिभा की स्वाभाविक मौत हुई या फिर उस की बलात्कार के बाद हत्या की गई है. इस का जवाब न तो पुलिस के पास ही है और न ही मैडिकल कालेज प्रशासन के पास.

मृतका के घर वालों का कहना था कि प्रतिभा की डाक्टरों ने सीजेरियन डिलीवरी कराई थी. उस के बाद जच्चाबच्चा दोनों ही स्वस्थ थे. दोनों के स्वस्थ होने के कारण डाक्टरों ने 7 नबंवर, 2023 को डिसचार्ज होने की तारीख भी दे दी थी.

लेकिन शाम को प्रतिभा को दवा देने के बाद ही उस की हालत अचानक बिगड़ गई, जिस के कारण प्रतिभा का मानसिक संतुलन खराब सा लगने लगा था. इस से साबित होता है कि उसे कोई गलत दवा दी गई थी. उस के बाद उस की परेशानी को देखते हुए फिर से उसे इमरजेंसी वार्ड में भरती कराया गया था, जहां से वह अगली ही सुबह गायब मिली.

वह मैडिकल कालेज की तीसरी मंजिल से नीचे कैसे आई. वह खुद नीचे आई या फिर उसे गिराया गया, इस मिस्ट्री का जवाब न तो पुलिस प्रशासन के पास है और न ही मैडिकल कालेज प्रशासन के पास. वहीं मैडिकल कालेज के प्राचार्य डा. एस.के. कौशल ने इस मामले को पुलिस जांच का हिस्सा बताते हुए पल्ला झाड़ लिया.

लेकिन मृतका के नग्न शव के पास ही उस के नीचे के कपड़े पड़े होने व उस के एक हाथ में काफी चोटों के निशान पाए जाने से यह तो साफ है कि महिला के साथ दरिंदगी की गई थी. इस सब में मैडिकल कालेज के किसी व्यक्ति का हाथ हो सकता है. जिस की विवेचना होना अति अनिवार्य हो जाती है.

मैडिकल कालेज के पहले के मामलों का क्यों नहीं हुआ खुलासा

रानी दुर्गावती मैडिकल कालेज का यह कोई पहला ऐसा मामला नहीं, जिस का खुलासा नहीं हुआ. इस से पहले भी 13 सितंबर, 2022 की शाम को मैडिकल कालेज हौस्टल में एमबीबीएस फोर्थ ईयर के छात्र अमित मजूमदार ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी.

उस के बाद पुलिस जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को उस के रूम से एक सुसाइड नोट प्राप्त हुआ था, जिस में उस ने लिखा था कि उस की मौत का किसी को भी जिम्मेदार न ठहराया जाए. वह स्वयं ही आत्महत्या कर रहा है.

शिकोहाबाद के एटा चौराहा निवासी अपूर्व मजूमदार का बेटा 25 वर्षीय अमित मजूमदार बांदा के इसी मैडिकल कालेज में एमबीबीएस में अंतिम वर्ष का छात्र था. 13 सितंबर, 2022 को उस ने कालेज हौस्टल में ग्राउंड फ्लोर पर स्थित अपने कमरे के अंदर छत के पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी. उस वक्त भी प्रशासन ने छात्र को डिप्रेशन का शिकार बताया था.

पुलिस ने इस मामले में उस के घर वालों से पूछताछ भी की थी, लेकिन उस के घर वालों ने बताया था कि उन का बेटा सीधासादा व होनहार था. उसे किसी बात की डिप्रेशन थी, यह बात मैडिकल कालेज के प्रशासन के लोग ही बता रहे थे.

उस छात्र की मौत का रहस्य भी एक राज बन कर ही रह गया था. इस मामले में पुलिस ने काफी हाथपांव मारे थे, लेकिन उस के फांसी लगाने की वजह स्पष्ट नहीं कर पाए थे.

कुछ इसी तरह का मामला इसी वर्ष 16 अगस्त, 2023 को सामने आया था. एमबीबीएस थर्ड ईयर की 23 वर्षीय छात्रा ऊषा भार्गव ने पहले हाथ की नस काटी फिर फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी. उस का शव भी मैडिकल कालेज के एक कमरे में मिला था. छात्रा की आत्महत्या की सूचना पाते ही पुलिस मौके पर पहुंची थी.

उस के बाद पुलिस ने मैडिकल कालेज प्रशासन से उस के बारे में पूछताछ करने के बाद उस की लाश का पंचनामा भरने के बाद पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दी थी. उसी जांचपड़ताल में पुलिस ने उस के कमरे से उस की एक डायरी प्राप्त की थी. पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए उस के साथ रह रही कई छात्राओं से भी उस के बारे में पूछताछ की थी.

पुलिस जांच में उस की डायरी से कुछ भावनात्मक बातें लिखी हुई थीं. उस के साथ ही पुलिस ने उस की काल डिटेल्स निकाल कर भी जानकारी जुटाई थी. लेकिन पुलिस किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी.

ऊषा भार्गव राजस्थान के चुरू की रहने वाली थी. छात्रा के इस तरह से फांसी लगा कर जान देने की घटना से भी कई सवाल उठे थे. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस प्रशासन ने उस के साथ पढ़ रहे कई छात्रों से जानकारी जुटाई थी. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था. उस के बाद भी मैडिकल कालेज प्रशासन ने इस प्रकरण की जांच की बात कही थी. लेकिन उस की जांच रिपोर्ट आज तक सामने नहीं आई.

बहरहाल, कथा लिखे जाने तक पुलिस प्रतिभा की मौत की सच्चाई का पता नहीं लगा पाई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों व पीड़ितों से बातचीत पर आधारित