पूछताछ में पता चला कि अर्चना के पति विकास गुप्ता और राजू सिंह के भाई संजीव सिंह पिछले 3 साल से साझे में रियल एस्टेट का बिजनैस कर रहे थे. इसीलिए उन्हें पार्टी में बुलाया गया था.
5 आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद जांच अधिकारी सी.एल. मीणा ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों को जब पूछताछ के लिए बुलाया, तो उन के मोबाइल से घटना के वक्त बनाई गई कुछ वीडियो क्लिप बरामद हुईं. इस मामले में पुलिस ने 55 लोगों से पूछताछ की.
दरअसल, पुलिस को शुरुआती पूछताछ में ही जानकारी मिल गई थी कि पार्टी में शामिल कुछ लोगों ने इस पार्टी की विडियो बनाई थी. हालांकि घटना के बाद राजू सिंह के परिवार वालों ने ज्यादातर लोगों के मोबाइल फोन से इन वीडियो को डिलीट करा दिया था.
राजू कुमार सिंह बिहार के मुजफ्फरपुर में पारू प्रखंड के बड़ा दाउद गांव के रहने वाले हैं. 48 वर्षीय राजू सिंह 3 भाइयों में मंझले हैं. उन के पिता उदयप्रताप सिंह कई बार पारू प्रखंड की आनंदपुर खरौनी पंचायत के मुखिया रहे हैं. राजू कुमार सिंह ने सन 2005 में राजनीति में एंट्री ली थी. वे पहली बार लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर साहेबगंज से विधायक चुने गए थे.
उसके बाद 2005 में ही हुए अक्तूबर में हुए चुनाव में पार्टी बदल कर वह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर साहेबगंज से दोबारा विधायक चुने गए. फिर साल 2010 में यहीं से वह दोबारा विधायक बने. इस तरह वे 4 बार विधायक चुने गए. इस के बाद राजू कुमार सिंह ने सन 2015 में जेडीयू को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था.
2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. राजू कुमार सिंह ने साल 2009 में अपनी पत्नी रेनू सिंह को भी निर्दलीय चुनाव लड़ा कर एमएलसी बनवा दिया. पूर्वी चंपारण से पंचायती राज कोटे से रेनू सिंह एमएलसी की सीट पर विजयी हुई थीं.
रसूखदार परिवार के हैं पूर्व विधायक
राजू कुमार सिंह ने 1984 में बिहार के मुजफ्फरपुर से मैट्रिक के बाद 1996 में महाराष्ट्र से बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. इस के बाद उन्होंने यूक्रेन से एमटेक करने के बाद महाराष्ट्र से पीएचडी की डिग्री भी हासिल की.
हालांकि राजू सिंह आमतौर पर बिहार में ही रहते थे, लेकिन परिवार दिल्ली में होने की वजह से अकसर यहां आते रहते थे. संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजू सिंह की गिनती बिहार में राजपूतों के दंबग नेता के रूप में होती थी. बिहार के रसूखदार सियासतदारों में शामिल राजू सिंह न सिर्फ राजनीति की चर्चित हस्ती थे, बल्कि उद्योग और व्यवसाय में भी उन की तूती बोलती थी.
वैसे राजू कुमार सिंह के परिवार की पहचान दवा के बड़े व्यवसाई के रूप में भी होती है. उनका दवाओं का कारोबार नोएडा, अहमदाबाद समेत कई बड़े शहरों फैला है. इस के अलावा रूस और अमेरिका में भी उन का दवाओं का कारोबार बताया जाता है.
बताया जाता है कि सोवियत संघ के विघटन और आर्थिक मंदी के समय राजू सिंह का परिवार दवा के कारोबार को सोवियत संघ तक ले कर गया और फिर करोड़ों की दवाओं का साम्राज्य स्थापित कर लिया.
राजू सिंह के पैतृक गांव बड़ा दाउद में उन का कोल्ड स्टोरेज, पारू प्रखंड में चीनी मिल, मुजफ्फरपुर शहर के कलम बाग चौक और मोतीझील में 2 व्यावसायिक प्रतिष्ठान और सुप्रसिद्ध डीआरबी मौल में भी राजू सिंह की हिस्सेदारी है.
अर्चना गुप्ता की हत्या का मामला उन के खिलाफ दर्ज पहला आपराधिक मामला नहीं है. उन के बारे में कहा जाता है कि वह शराब पी कर अकसर अपने लाइसेंसी हथियारों से फायरिंग करते रहते थे.
अनेक मामले दर्ज हैं पूर्व विधायक पर
राजू कुमार सिंह के खिलाफ 2015 के चुनाव के समय 5 आपराधिक मामले दर्ज थे जिस में धमकी देने, मारपीट करने, जान से मारने का प्रयास और आर्म्स एक्ट से जुड़ी कई संगीन धाराओं में उन के खिलाफ मामले दर्ज हैं. उन के खिलाफ एक नाबालिग लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए बेचने समेत सरकारी काम में बाधा डालने के भी मामले चल रहे हैं.
हाल के दिनों में अमर भगत हत्याकांड में भी उन का नाम उछला था, लेकिन पुलिस को उन के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला. राजू सिंह हमेशा नक्सलियों और माओवादियों से खुद को खतरा बताते रहे हैं. यही कारण था कि प्रशासन ने उन्हें विशेष सुरक्षा भी मुहैया कराई थी.
नए साल की पूर्वसंध्या पर राजू सिंह व उन के भाइयों ने अपने फार्महाउस पर 55-60 लोगों को पार्टी में बुलाया था. देर रात सभी मेहमान शराब के नशे में धुत नाच रहे थे. इसी बीच आरोपी पूर्व विधायक ने 3 राउंड गोली चलाईं, जिस में एक गोली अर्चना गुप्ता के सिर में लगी.
फार्महाउस पर म्यूजिक बजा रहे 2 डिस्क जौकी (डीजे) ने पुलिस को दिए अपने बयानों में बताया है कि उस रात राजू सिंह एक हाथ में पिस्टल और दूसरे हाथ में शराब का गिलास ले कर नाच रहे थे. साथ ही अर्चना गुप्ता की हत्या के एक घंटे बाद तक राजू सिंह खून से सने उस डांस फ्लोर पर शराब पीते रहे.
पुलिस ने दोनों डीजे के बयान मजिस्ट्रैट के सामने भी दर्ज करा दिए हैं, जिस का यह अर्थ है कि अदालत के समक्ष इसे अहम सबूत के रूप में स्वीकार किया जाएगा.
प्रतिभाशाली महिला थीं अर्चना गुप्ता
इस बयान में बताया गया कि डांस फ्लोर पर करीब 14 लोग थे. डांस फ्लोर पर मौजूद कुछ लोगों ने पुलिस को बयान दिया है कि उन्होंने राजू सिंह के हाथ में पिस्टल देखी थी. पुलिस को जांच के बाद यह भी पता चला कि फार्महाउस में पिस्टल से 6 और राइफल से 2 फायर किए गए थे. लेकिन नशे और सियासी उन्माद में उन की फायरिंग से एक प्रतिभाशाली महिला की जिंदगी खत्म हो गई.
42 साल की अर्चना गुप्ता, जो एक किताब लिख चुकी थीं, 2 किताबों को फाइनल टच देने का काम कर रही थीं. वह एक डौक्यूमेंट्री पर भी काम कर रही थीं. वह सन 2017 तक आईपी यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थीं. वह बेहतरीन मां, उम्दा आर्किटेक्ट, अच्छी राइटर और शानदार टीचर थीं. वह आगे भी बहुत कुछ करना चाहती थीं. लेकिन नए साल के इस जश्न की पार्टी ने सब पर पानी फेर दिया.
विकास गुप्ता जो रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े थे, राजू सिंह के भाई संजीव सिंह के 25 साल पुराने जिगरी दोस्त हैं, इसीलिए विकास की जानपहचान संजीव के दूसरे भाइयों राजेश व राजू सिंह से भी थी.
जिस फार्महाउस में पार्टी चल रही थी, वह फार्महाउस भी संजीव सिंह का ही था. पारिवारिक दोस्ती के कारण विकास गुप्ता अपनी पत्नी अर्चना व बेटी को ले कर नए साल की इस पार्टी में आए थे, लेकिन खुशी का यह जश्न उन की पत्नी की जिंदगी लील गया.
अर्चना गुप्ता ने भले ही दम तोड़ दिया, लेकिन मरने के बाद भी उन्होंने एक मिसाल पेश कर दी. भले ही अब वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जातेजाते वह 2 लोगों को जिंदगी दे गईं. उन्होंने मरने से पहले अपनी दोनों किडनियां डोनेट कर दीं.
गोली लगने के बाद अर्चना के पति विकास गुप्ता ने उन्हें वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल में एडमिट कराया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. मौत के बाद उन की एक किडनी फोर्टिस अस्पताल के एक 43 साल के मरीज को ट्रांसप्लांट की गई, तो दूसरी अपोलो अस्पताल में एडमिट 67 साल की एक महिला को डोनेट की गई.