छत्तीसगढ़ के जिला बिलासपुर में थाना सिरगिट्टी के प्रभारी शांत कुमार साहू सुबह करीब 10 बजे अन्य पुलिसकर्मियों को कोरोना प्रकोप से संबंधित आवश्यक निर्देश देने में मशगूल थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एक बार फिर लौकडाउन के नए दिशानिर्देश जारी किए जा चुके थे. उसे सख्ती से पालन के लिए राज्य सरकारों को भी विशेष हिदायतें दी गई थीं.
पुलिस को एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी निभानी थी. छत्तीसगढ़ में भी उसी दिन से लौकडाउन लगा दिया गया था. इस के चलते पुलिस के कंधों पर कानूनव्यवस्था को दुरुस्त रखने की और भी ज्यादा जिम्मेदारी आ गई थी. इस मुद्दे को ले कर कई तरह की भ्रामक चर्चाएं भी गर्म थीं. इसे ध्यान में रखते हुए पुलिसकर्मियों को विभिन्न कार्यभार सौंपे जा रहे थे. उसी दौरान एक व्यक्ति काफी घबराया हुआ थाने में घुस आया. शांत कुमार उस के उड़े हुए चेहरे की रंगत देख कर समझ गए कि वह जरूर किसी गंभीर परेशानी में है.
उन्होंने उसे वहीं थोड़ी दूरी पर बैठने का इशारा किया. वह एक खाली कुरसी पर बैठ गया. उस के कपड़े अस्तव्यस्त थे. कुछ मिनट बाद थानाप्रभारी ने सहजता से पूछा, ‘‘क्या बात है? तुम कौन हो?’’
‘‘साहब, मेरा नाम रामप्रसाद साहू है. मैं खरकेना, कोडियापार से आया हूं. मेरे छोटे भाई सुरेश कुमार साहू की हत्या हो गई है. उस की लाश एक अनजान
वीराने घर में पड़ी हुई है…’’ कहते हुए वह सुबकने लगा.
थानाप्रभारी ने पहले उस के लिए एक गिलास पानी मंगवाया. पानी पीने के बाद थानाप्रभारी ने उस से कहा, ‘‘अब बताओ, कहां पर हत्या हुई है? उस के बारे में क्या जानते हो?’’
‘‘जी, साहबजी, कल शाम अंधेरा होने पर मेरा छोटा भाई किसी दोस्त के यहां जाने को कह कर बाइक से निकला था, उस की रात में ही किसी ने हत्या कर दी. हत्यारों ने उस का काफी बेरहमी से खून कर दिया है. आप अभी वहां पर चलिए. लाश वहीं वीरान घर में पड़ी हुई है.’’
हत्या जैसे गंभीर मामले को सुन कर थानाप्रभारी शांत कुमार साहू ने कहा, ‘‘तुम्हें कैसे मालूम कि वहां हत्या हुई है? क्या तुम भी उस में शामिल थे? सब कुछ सचसच बताओ. झूठ मत बोलना.’’
इसी के साथ थानाप्रभारी ने एक कांस्टेबल को उस की पूरी बात लिखने के लिए कहा और खुद मोबाइल में रिकौर्ड करने लगे. रामप्रसाद बताने लगा, ‘‘साहबजी, मेरा भाई घर से जब निकला था तब उस के हाथ में एक थैला था. उस में पूजापाठ और दान का कुछ सामान था. उस ने जाते हुए कहा था कि थैले में पुजारी सुभाषदास का कुछ बचा हुआ सामान है. यही सामान पुजारी को देने जा रहा है.’’
‘‘फिर क्या हुआ?’’
थानाप्रभारी के टोकने के बाद रामप्रसाद आगे बोला, ‘‘देर रात तक जब वह नहीं लौटा तब मैं उस के बताए पुजारी के पास जाने के लिए निकला. किंतु पुजारी के रहने वाले स्थान से काफी पहले ही मुझे वीरान खंडहरनुमा घर के दरवाजे के बाहर उस का थैला दिख गया. उस में वह सामान नहीं था, जो वह ले कर गया था. लेकिन मैं ने उस थैले को पहचान लिया था, क्योंकि वह मेरे घर के बरामदे में ही 2 सप्ताह से टंगा था.
‘‘वहीं मेरे भाई की एक झाड़ी में चप्पल भी दिख गई. कुछ दूरी पर मेरे भाई की मोटरसाइकिल भी नजर आ गई. मैं समझ गया कि हो न हो भाई इसी मकान में होगा.
‘‘मैं ने उस के अधखुले दरवाजे से अंदर जा कर देखा तो मेरे होश उड़ गए. वहां का दृश्य देख कर मैं डर गया और भागाभागा सीधा आप के पास आ गया. आगे का वर्णन मैं नहीं कर सकता. आप खुद ही वहीं चल कर देख लीजिए और मेरे भाई के हत्यारे को पकड़ लीजिए.’’
यह बात 13 अप्रैल, 2021 की है. रामप्रसाद के बयान के आधार पर पहले उस की तरफ से थाने में एक लिखित शिकायत दर्ज की गई. उस के बाद थानाप्रभारी तत्काल घटनास्थल के लिए कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर निकल पड़े. साथ में रामप्रसाद साहू को भी ले लिया.
घटनास्थल ठीक वैसा ही था, जैसा रामप्रसाद साहू ने थाने में वर्णन किया था. वहां पहुंच कर घटनास्थल का मुआयना किया, जो वास्तव में काफी वीभत्स और डरावना था. वहीं सुरेश साहू की क्षतविक्षत लाश पड़ी थी. उस के चेहरे और शरीर के दूसरे कई हिस्से जख्मी थी, जिन से खून निकल कर सूख चूका था.
पास में ही खून से सनी एक कुल्हाड़ी पड़ी थी और पूजापाठ के मुख्य सामान बिखरे पड़े थे. उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था मानो पूजापाठ के बाद उस की बलि चढ़ाई गई हो. यह घटना बीती रात 12 अप्रैल की थी, उस दिन अमावस्या की काली रात थी. शांत कुमार साहू को समझते देर नहीं लगी कि सारा घटनाक्रम तंत्रमंत्र और नरबलि से जुड़ा हुआ है.
जांचपड़ताल के अलावा रामप्रसाद के बयानों के अनुसार यह तथ्य सामने आ गया कि सुरेश साहू तंत्रमंत्र में बहुत विश्वास करता था. वह 2 तांत्रिकों के संपर्क में भी था. अब सवाल यह था कि आखिर सुरेश साहू की हत्या किस ने की? तांत्रिक पुजारियों ने या फिर किसी और ने तांत्रिकों के कहने पर उस की नरबलि दे दी? मामला गंभीर होने के बावजूद पुलिस को कोई वैसी सूचना या जानकारी नहीं मिल पा रही थी, जिस से मामले को जल्द सुलझाया जा सके.
संयोग से प्रदेश में 13 अप्रैल से लौकडाउन लगने के कारण पुलिस और प्रशासन के जिम्मे अतिरिक्त जिम्मेदारियां आ गई थीं. नतीजतन सुरेश कुमार साहू हत्या की तहकीकात का मामला टल गया. लगभग 2 महीने तक लौकडाउन लगा रहा. लौकडाउन खुलने के बाद थानाप्रभारी शांत कुमार साहू ने सुरेश साहू हत्याकांड की फाइल एक बार फिर से पलटनी शुरू की. उस की नए सिरे से जांच के लिए एक खास टीम बनाई गई.
पुलिस टीम ने अपराधियों का सुराग लगाने के लिए लगभग 70 संदिग्ध लोगों के बयान दर्ज किए. जांच में 2 तथाकथित तांत्रिक सुभाषदास मानिकपुरी और माखनदास मानिकपुरी के नाम सामने आ रहे थे. दोनों ही महीनों से लापता थे. थानाप्रभारी ने दोनों की खोज करवाई. रामप्रसाद ने भी इस की पुष्टि कर दी कि उस के भाई की उन से जानपहचान थी और घटना के दिन वह उन के पास ही गया था.
उन की तलाश के लिए पुलिस ने मुखबिर की मदद ली. तब 16 नवंबर, 2021 को माखनदास पकड़ में आ गया. उस ने अपने घर वालों को बता रखा था कि वह सतना में रेलवे का गार्ड है. पुलिस उसे सतना से पकड़ कर बिलासपुर ले आई. पूछताछ करने पर पहले तो उस ने साफ इंकार कर दिया और बताया कि वह रोजीरोटी कमाने के लिए सतना में प्राइवेट काम कर रहा रहा था. घर वालों से झूठ बोला था कि वह रेलवे में गार्ड है.
क्रमशः