21 अप्रैल की शाम कल्लू की पत्नी प्रियंका अपने देवर और सास के साथ सिलवानी थाने पहुंची, जहां से उन्हें सिविल अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल की मोर्चरी में रखे शव और कपड़ों के आधार पर तीनों ने बताया कि यह लाश कल्लू चढ़ार की ही है.
जब टीआई भारत सिंह ने दीनदयाल और उस की मां से कहा कि घर पर खबर कर दो कि परिवार के लोग अंतिम संस्कार की तैयारी कर लें तो दीनदयाल बोला, “साहब, हमारे पिताजी को यह खबर सुन कर हार्टअटैक आ सकता है. हम तो घर जा कर ही सब बताएंगे.”
पुलिस को तीनों के हावभाव देख कर यह नहीं लग रहा था कि कल्लू की मौत से किसी को सदमा पहुंचा हो. दूसरी बात मरने वाले की उम्र 25 साल के करीब थी, जबकि जेब में मिले आधार कार्ड में उम्र 34 साल थी.
पुलिस को पूरा मामला संदिग्ध लग रहा था, इसी वजह से सिलवानी थाने के टीआई भारत सिंह ने एसडीओपी राजेश तिवारी, एडीशनल एसपी अमृत मीणा और एसपी विवेक कुमार साहबाल को मामले की जानकारी देते हुए डैडबौडी के साथ उन के गांव थाना क्षेत्र त्योंदा के गांव बागरोद जाने का निर्णय लिया था.
पुलिस ने चिता से उठाया शव
गांव वालों की तस्दीक के बाद टीआई भारत सिंह, एसआई आरती धुर्वे को जब पूरी तरह यकीन हो गया कि यह डैडबौडी कल्लू की नहीं है तो उन्होंने श्मशान में मौजूद लोगों से कहा, “जिस कल्लू चढ़ार का क्रियाकर्म करने आप लोग आए हैं, यह डैडबौडी उस की नहीं है. डैडबौडी को चिता से हटाइए, अब इस का अंतिम संस्कार नहीं होगा.”
पुलिस की इस काररवाई से वहां मौजूद कल्लू के परिवार के लोग भौंचक रह गए. चिता पर लेटे युवक को मुखाग्नि देने की तैयारी चल ही रही थी कि पुलिस ने शव को चिता से बाहर निकाला. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लिया और इस की सूचना एसपी विवेक कुमार साहबाल को दे दी. इस के बाद कल्लू चढ़ार की पत्नी प्रियंका, भाई दीनदयाल और मां कलाबाई को ले कर थाने आ गई.
तब तक लाश की हालत काफी खराब हो चुकी थी, इस वजह से आवश्यक काररवाई कर रात में ही पुलिस ने वार्ड नं 3 इंदिरा आवास कालोनी के मुक्तिधाम में जेसीबी मशीन से गड्ढा खुदवा कर लाश को दफना दिया, क्योंकि मृतक मुसलिम लग रहा था.
पूछताछ में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
दूसरे दिन 22 अप्रैल को पुलिस ने तीनों से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने यह स्वीकार कर लिया कि यह डैड बौडी कल्लू की नहीं है. तीनों ने बताया कि यह लाश भोपाल में रहने वाले सलमान खान की है.
इस के बाद पुलिस ने सलमान भोपाल के पास करोंद का रहने वाला था. सलमान खान के पिता साबिर खान को घटना की सूचना दी गई और तहसीलदार की उपस्थिति में 22 अप्रैल को लाश को गड्ढे से बाहर निकाला गया.
सलमान के घर वालों की शिनाख्त के आधार पर डैडबौडी उन के सुपुर्द कर दी गई. पुलिस पूछताछ में तीनों ने पुलिस को यह भी बताया कि कल्लू जिंदा है और कल्लू ने ही अपने दोस्त मोहम्मद सलमान खान का कत्ल किया है.
एसपी विवेक कुमार साहबाल के निर्देश पर हत्यारोपी की तलाश हेतु सिलवानी एसडीओपी राजेश तिवारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, टीम में टीआई भारत सिंह, एसआई आरती धुर्वे, संतोष कुमार दांगी, एएसआई संतोष रघुवंशी, साइबर सेल से एएसआई सुरेंद्र, हैडकांस्टेबल योगेंद्र सिंह राजपूत, कांस्टेबल नीतू चंदेल, नवीन पांडे, मुकेश यादव को शामिल किया गया.
पुलिस ने कल्लू की पत्नी प्रियंका से कल्लू का मोबाइल नंबर और फोटो ले कर उस की तलाश शुरू कर दी. साइबर सेल की मदद से कल्लू की लोकेशन भोपाल के पास भानपुर की मिल रही थी. पुलिस टीम ने दिनरात मेहनत कर के सलमान खान के हत्यारे कल्लू चढ़ार को खोज निकाला.
पुलिस की एक टीम कल्लू की तलाश में जब तक भोपाल पहुंची, उस समय कल्लू भोपाल के बस स्टैंड पर सागर जाने वाली बस में बैठा हुआ था. पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर कल्लू को धर दबोचा. पुलिस टीम जब कल्लू को भोपाल से सिलवानी ले कर आ रही थी तो कल्लू ने चलती गाड़ी में गेट खोल कर भागने की कोशिश की, परंतु पुलिस ने उसे पकड़ लिया.
चलती गाड़ी से कूदने पर घायल हुए कल्लू का पहले पुलिस ने सिलवानी अस्पताल में इलाज करवाया. इस के बाद सिलवानी थाने आ कर जब पुलिस ने उस से सख्ती के साथ पूछताछ की तो कल्लू ने जो कहानी सुनाई, वह काफी सनसनीखेज निकली.
ऐशोआराम के लिए ले रखा था कर्ज
विदिशा जिले के बागरोद गांव में रहने वाले भगवान दास चढ़ार के 2 बेटों और 2 बेटियों में कल्लू सब से बड़ा था. उस का रंग काला होने के कारण लोग बचपन में उसे कल्लू कह कर बुलाते थे और बाद में यही उस का असली नाम हो गया. जवान होतेहोते कल्लू गलत संगत में पड़ गया.
जब वह 19 साल का था, तब गांव के एक पंडित से विवाद होने पर उसे चाकू मार कर फरार हो गया था. बाद में पुलिस के सामने सरेंडर कर वह जेल भेज दिया. फिर जमानत मिलने के बाद वह भोपाल चला गया था. कल्लू 20 साल की उम्र में गांव छोड़ कर भोपाल चला गया और कैटरिंग का काम करने लगा था.
कैटरिंग का काम करने के दौरान उस का संपर्क एक तलाकशुदा महिला से हुआ, उस महिला का एक बेटा भी था. बाद में उस महिला के साथ वह लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगा. कुछ साल बाद घर वालों ने कल्लू की शादी प्रियंका से कर दी और प्रियंका भी 2 बच्चों की मां बन गई.
भोपाल के करोंद इलाके में खुद का मकान बना कर रह रहे कल्लू का रहनसहन और शौक किसी रईस से कम नहीं थे. अपने ऐशोआराम के लिए उस ने बैंक और साहूकारों से कर्ज ले रखा था. कल्लू ने प्राइवेट बैंक से लोन ले कर कार खरीद ली थी. कल्लू अपनी दोनों बीवी और बच्चों का खर्च उठा रहा था.
शराब और अय्याशी के शौक के चलते उस का हाल आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया की तरह था. अपने शौक पूरा करने के लिए उस ने कुछ लोगों से लाखों रुपए का कर्ज ब्याज पर ले रखा था. कर्ज देने वाले जब उस से रुपए मांगते तो वह किसी दूसरे से रुपए ले कर उस का कर्ज चुका देता.
कल्लू के शौक और खर्च कम नहीं हो रहे थे और आमदनी घटती जा रही थी. कल्लू भोपाल और आसपास के इलाकों में शादीविवाह के फंक्शन में हलवाई का काम करता था. उस ने मकान खरीदने के लिए 13 लाख रुपए, 9 लाख की गाड़ी और किराना की दुकान खोलने के लिए 5 लाख रुपए का कर्ज बैंकों से ले रखा था. कुछ साहूकारों से लिए गए 6-7 लाख के कर्ज को मिला कर करीब 30 से 35 लाख रुपए का कर्ज कल्लू पर था. आए दिन कर्ज देने वाले घर पर आ कर उसे उलाहना देने लगे. कल्लू की पत्नी भी इस से परेशान रहने लगी.
कर्ज से छुटकारा पाने के लिए कल्लू ने क्या योजना बनाई? पढ़िए कहानी के अगले अंक में.