मथुरा के यमुनापार की पोक्सो कोर्ट में एडीजे विशेष न्यायाधीश राम किशोर यादव-3 की अदालत में आज दिनांक 25 जुलाई, 2023 दिन मंगलवार को लोगों की भारी भीड़ थी. इस की वजह यह थी कि उस दिन कोर्ट में 3 साल पहले 9 साल की नाबालिग बेटी दिव्या का बलात्कार कर हत्या करने के दोषी 42 साल के बनवारी लाल और उस की बहन कंचन को सजा सुनाई जानी थी.
सुबह से ही मीडिया जगत के लोग, वकील, पुलिस अधिकारी और डहरुआ गांव के पीडि़ता के परिजन, पड़ोसी और अन्य लोग दोषी बनवारी लाल को मिलने वाली सजा को सुननेजानने के लिए कोर्टरूम में आ चुके थे.
ठीक 10 बजे न्यायाधीश राम किशोर यादव अपने चैंबर कोर्ट रूम में अपनी कुरसी के पास आए तो सभी उन के सम्मान में उठ कर खड़े हो गए. राम किशोर यादव अपने स्थान पर बैठ गए.
अभियुक्त बनवारी लाल और उस की बहन कंचन को कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया गया था. दोनों सिर झुका कर खड़े हुए थे. माननीय न्यायाधीश ने एक सरसरी नजर दोनों अभियुक्तों पर डालने के बाद सामने बड़ी मेज के ऊपर अपने दस्तावेजों का अवलोकन कर रहे बचाव पक्ष के वकील किशन सिंह बेधडक़ और सरकारी वकील (अभियोजन पक्ष) स्पैशल डीजीसी अलका उपमन्यु की ओर देखा.
न्यायाधीश ने उन्हें इशारा कर के कहा, “मिस्टर बेधडक़, आप आखिरी बहस के लिए तैयार हैं न. मैं पहला मौका आप को दे रहा हूं. आप अपनी दलील रखिए. सुश्री अलका उपमन्यु आप भी तैयार रहिए.”
“मैं तैयार हूं सर,” अलका उपमन्यु ने उठ कर आदर से सिर झुकाते हुए कहा.
वकीलों में जम कर हुई बहस
बचाव पक्ष के एडवोकेट किशन सिंह बेधडक़ अपनी जगह से उठ कर जज साहब के सामने आ गए. अपने कोट की कौलर ठीक करते हुए बेधडक़ ने बड़े जोश भरे स्वर में कहा, “जनाब, मैं पहले भी यह कह चुका हूं कि मेरा मुवक्किल बनवारी निर्दोष है.
उस 31 अगस्त, 2020 की रात को वह अपने घर पर ही था. वह मृतका दिव्या और अपनी भांजी लाडो को ले कर मावली गांव गया ही नहीं, क्योंकि इस का कोई सबूत मेरी अजीज दोस्त अलका उपमन्यु कोर्ट में पेश नहीं कर पाई हैं. मेरे मुवक्किल को फंसाया जा रहा है, वह निर्दोष है.”
अलका उपमन्यु मुसकराती हुई अपनी जगह से उठीं और बोलीं, “माननीय जज साहब, मैं ने 15 दिन पहले ही वे सभी साक्ष्य जो मावली गांव के बाजरे के खेत में घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम और यमुनापार थाने के पुलिस इंसपेक्टर को जांच के दौरान मिले थे, कोर्ट के सामने रख दिए थे. मैं मिस्टर बेधडक़ की कमजोर याद्दाश्त के लिए फिर से सभी साक्ष्यों का ब्यौरा दे देती हूं.
“घटनास्थल से मृतका दिव्या की खून सनी पाजामी बरामद हुई थी, रक्त के नमूने की विधि विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा जांच रिपोर्ट. वैजाइनल स्लाइड व स्वैब. नेल क्रीपिंग, स्कैल्प हेअर, टी शर्ट, पांव में बांधा गया काला धागा, राखी, रबर बैंड, मौके से एकत्र की गई खून आलूदा मिट्टी और सीएमओ साहब की ओर से जारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट, जिस में 9 साल की अबोध नाबालिग बालिका के साथ हैवानियत से किए गए बलात्कार होने की पुष्टि हुई है. ये सभी चीजें मैं ने कोर्ट को पहले ही सौंप दी थीं.
“इस के अलावा घटनास्थल से बनवारी लाल द्वारा प्रयोग किया गया शराब का पौआ, बीयर की कैन, पानी के 3 पाउच, 2 खाली और एक भरा हुआ. नमकीन, खाली प्लेट, 3 सौस के पाउच और एक रौयल स्टेग क्वार्टर का खाली पौआ और प्लास्टिक के 2 खाली गिलास बरामद हुए थे.
“इन के अलावा बनवारी द्वारा घटना के वक्त पहने हुए कपड़ों का पुलिंदा, जिन पर दिव्या की वैजाइना से निकले खून के धब्बे मिले थे. ये सभी पुख्ता सबूत मैं ने कोर्ट को पहले ही दे दिए थे. इन के अलावा मैं ने इस घटना से जुड़े 11 गवाहों की पेशी कोर्ट में करवा दी है. मैं इन के नाम फिर से कोर्ट के सामने रख देती हूं. इस से पहले आप यह भी जान लें कि इस घटना के वादी दिव्या के पिता ने 31 अगस्त, 2020 को अपनी बेटी और उस के साथ गई बनवारी की भांजी लाडो की घर वापसी न होने पर पूरी रात दोनों लड़कियों को तलाश किया था.
“उस के 2 भाई सोनू और संतोष गांव नौगांव भी उसी रात गए थे, क्योंकि यह सभी लोग जब दिव्या और लाडो को गांव में और आसपास के खेतों में ढूंढ रहे थे, तब बनवारी की बहन कंचन द्वारा अपने छोटे भाई भोला को फोन द्वारा बताया गया था कि वह लाडो की चिंता न करे. लाडो को बनवारी अपनी बाइक पर बिठा कर उस के घर नौगांव, छाता (मथुरा) में ले कर आया है.
“यह सुन कर वादी संतोष और सोनू उसी रात नौगांव गए थे. वहां लाडो तो मिल गई थी, लेकिन बनवारी को कंचन ने अपने घर से भगा दिया था, इसलिए इस घटना में कंचन भी शामिल हो गई थी. इसे मालूम हो गया था कि बनवारी क्या कुछ कर के उस के घर आया है. सब जान कर भी इस ने बनवारी को भाग जाने में मदद की थी, इसलिए यह भी पूरी तरह दोषी है.”
कुछ क्षण रुकने के बाद अलका उपमन्यु बोलीं, “मैं उन 11 गवाहों के नाम दोहरा रही हूं, जो मृतका दिव्या की तलाश और तहकीकात से जुड़े हुए हैं. वादी दिव्या के पिता जिस ने पहली सितंबर, 2020 को यमुनापार थाने में अपनी बेटी दिव्या के अपहरण और बलात्कार होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. उस ने बनवारी पर दिव्या के अपहरण और बलात्कार करने का संदेह जाहिर किया था.
“संतो उर्फ सत्य प्रकाश, अशोक, डा. करीम अख्तर कुरैशी, सोनू, भोला, संतोष कुमार, डा. विपिन गौतम, इंसपेक्टर महेंद्र प्रताप चतुर्वेदी, रिटायर्ड हैडकांस्टेबल कैलाशचंद, विजय सिंह और घटना के समय वहां मौजूद रही लाडो.
“ये सब गवाह और साक्ष्य पुलिस द्वारा तैयार किए गए थे मी लार्ड,” किशन सिंह बेधडक़ ने टोका, “पुलिस झूठे गवाह और ऐसे साक्ष्य तैयार कर के मेरे मुवक्किल को फंसाना चाहती है. ऐसा एक भी गवाह अलकाजी के पास नहीं है, जो चश्मदीद हो, जिस ने मावली गांव में बनवारी को दिव्या के साथ बलात्कार करते हुए देखा हो.”
“है मी लार्ड,” अलका उपमन्यु जोश में बोली, “मैं जानती थी कि मेरे अजीज दोस्त बेधडक़ साहब ऐसी ही बात कह कर बनवारी को निर्दोष साबित करने की कोशिश करेंगे. मैं ने एक चश्मदीद गवाह को बचा कर रखा हुआ था. मैं उसे बुला रही हूं.” अलका उपमन्यु ने पेशकार को इशारा किया तो वह बाहर जा कर 12 साल की एक लडक़ी को कोर्ट रूम में ले आया.
“यह बनवारी की भांजी लाडो है मी लार्ड. मृतका दिव्या की सहेली है. यही 31 अगस्त, 2020 की शाम 8 बजे के आसपास गांव में लाला की दुकान पर दिव्या के साथ कुछ सामान लेने गई थी. बेटी लाडो, तुम इस गवाह के कटघरे में आ जाओ और कोर्ट को बताओ कि 31 अगस्त, 2020 की रात को क्या हुआ था.”
क्या बताया लाडो ने अपनी गवाही में? जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग.